قرآن کریم کے معانی کا ترجمہ - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - ترجمے کی لسٹ


معانی کا ترجمہ سورت: سورۂ محمد   آیت:

सूरा मुह़म्मद

سورہ کے بعض مقاصد:
تحريض المؤمنين على القتال، تقويةً لهم وتوهينًا للكافرين.
ईमान वालों को लड़ने के लिए उभारना, ताकि उन्हें सशक्त किया जाए और काफ़िरों को कमज़ोर किया जाए।

اَلَّذِیْنَ كَفَرُوْا وَصَدُّوْا عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ اَضَلَّ اَعْمَالَهُمْ ۟
जिन लोगों ने अल्लाह का इनकार किया और लोगों को अल्लाह के धर्म से रोका, अल्लाह ने उनके कर्मों को व्यर्थ कर दिया।
عربی تفاسیر:
وَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ وَاٰمَنُوْا بِمَا نُزِّلَ عَلٰی مُحَمَّدٍ وَّهُوَ الْحَقُّ مِنْ رَّبِّهِمْ ۙ— كَفَّرَ عَنْهُمْ سَیِّاٰتِهِمْ وَاَصْلَحَ بَالَهُمْ ۟
और जो लोग अल्लाह पर ईमान लाए और अच्छे कार्य किए और उसपर ईमान लाए, जो अल्लाह ने अपने रसूल मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर अवतरित किया है (और वही उनके पालनहार की ओर से सत्य है), अल्लाह ने उनके पापों को मिटा दिया, चुनाँचे वह उनपर उनकी पकड़ नहीं करेगा और उनके सांसारिक और आख़िरत के मामलों को ठीक कर दिया।
عربی تفاسیر:
ذٰلِكَ بِاَنَّ الَّذِیْنَ كَفَرُوا اتَّبَعُوا الْبَاطِلَ وَاَنَّ الَّذِیْنَ اٰمَنُوا اتَّبَعُوا الْحَقَّ مِنْ رَّبِّهِمْ ؕ— كَذٰلِكَ یَضْرِبُ اللّٰهُ لِلنَّاسِ اَمْثَالَهُمْ ۟
दोनों पक्षों के लिए यह उल्लिखित बदला इस कारण है कि अल्लाह का इनकार करने वालों ने असत्य का अनुसरण किया और अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान रखने वालों ने अपने रब की ओर से सत्य का अनुसरण किया। अतः दोनों के प्रयासों में अंतर के कारण उनका बदला अलग-अलग था। जिस तरह अल्लाह ने दोनों पक्षों : मोमिनों के पक्ष और काफ़िरों के पक्ष के बारे में अपना निर्णय स्पष्ट किया, उसी तरह अल्लाह लोगों के लिए उनकी मिसालें बयान करता है, इसलिए हर एक को उसके सदृश से मिलाता है।
عربی تفاسیر:
فَاِذَا لَقِیْتُمُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا فَضَرْبَ الرِّقَابِ ؕ— حَتّٰۤی اِذَاۤ اَثْخَنْتُمُوْهُمْ فَشُدُّوا الْوَثَاقَ ۙ— فَاِمَّا مَنًّا بَعْدُ وَاِمَّا فِدَآءً حَتّٰی تَضَعَ الْحَرْبُ اَوْزَارَهَا— ذٰلِكَ ۛؕ— وَلَوْ یَشَآءُ اللّٰهُ لَانْتَصَرَ مِنْهُمْ ۙ— وَلٰكِنْ لِّیَبْلُوَاۡ بَعْضَكُمْ بِبَعْضٍ ؕ— وَالَّذِیْنَ قُتِلُوْا فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ فَلَنْ یُّضِلَّ اَعْمَالَهُمْ ۟
अतः जब (ऐ ईमान वालो!) तुम युद्धरत काफिरों से मिलो, तो अपनी तलवारों से उनकी गरदनें उड़ाओ और जब तक उन्हें अधिक से अधिक संख्या में क़त्ल करके उनकी शक्ति तोड़ न दो, उनसे लड़ाई जारी रखो। जब उनमें से बहुत से लोगों को क़त्ल कर चुको, तो कैदियों के बंधनों को कस लो। फिर उन्हें क़ैद करने के बाद हित की अपेक्षा के अनुसार तुम्हारे पास यह विकल्प है कि : उनपर उपकार करते हुए कुछ लिए बिना ही उन्हें रिहा कर दो, या उन्हें पैसे लेकर या किसी अन्य चीज़ के बदले में छोड़ दो। उनसे तब तक लड़ते रहो और उन्हें बंदी बनाते रहो, जब तक कि काफ़िरों के इस्लाम लाने या उनकी संधि के साथ युद्ध समाप्त न हो जाए। यह उपर्युक्त काफ़िरों द्वारा मोमिनों का परीक्षण, दिनों का परिवर्तन और उनमें से कुछ की दूसरों पर विजय, अल्लाह का हुक्म (फैसला) है। यदि अल्लाह बिना लड़ाई के काफ़िरों से बदला लेना चाहे, तो वह अवश्य उनसे बदला ले ले। लेकिन अल्लाह ने तुम्हें एक-दूसरे के द्वारा आज़माने के लिए जिहाद का कानून बनाया है। चुनाँचे वह उन लोगों की परीक्षा लेता है जो ईमान वालों में से लड़ते हैं और जो नहीं लड़ते हैं, तथा काफ़िर की मोमिन के द्वारा परीक्षा लेता है। क्योंकि यदि उसने किसी ईमान वाले को क़त्ल कर दिया, तो ईमान वाला जन्नत में जाएगा, लेकिन अगर किसी ईमान वाले ने उसे मार दिया, तो वह जहन्नम में जाएगा। और जो लोग अल्लाह के रास्ते में मारे गए, तो अल्लाह उनके कर्मों को कदापि व्यर्थ नहीं करेगा।
عربی تفاسیر:
سَیَهْدِیْهِمْ وَیُصْلِحُ بَالَهُمْ ۟ۚ
वह उन्हें उनके सांसारिक जीवन में सच्चाई का पालन करने की तौफ़ीक़ देगा और उनकी स्थिति सुधार देगा।
عربی تفاسیر:
وَیُدْخِلُهُمُ الْجَنَّةَ عَرَّفَهَا لَهُمْ ۟
वह उन्हें क़ियामत के दिन जन्नत में दाख़िल करेगा, जिससे उसने उन्हें दुनिया में उसके विवरण के साथ परिचित करा दिया है और वे उसे पहचान गए हैं, तथा उसने उन्हें आखिरत में उसके अंदर उनके ठिकानों की पहचान करा दी है।
عربی تفاسیر:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اِنْ تَنْصُرُوا اللّٰهَ یَنْصُرْكُمْ وَیُثَبِّتْ اَقْدَامَكُمْ ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने वालो और उसकी शरीयत पर अमल करने वालो! यदि तुम अल्लाह की, उसके नबी और उसके धर्म की मदद करके और काफ़िरों से लड़ाई करके, मदद करोगे, तो अल्लाह तुम्हें उनपर विजय प्रदान करके तुम्हारी मदद करेगा और युद्ध में उनसे मुठभेड़ के समय तुम्हारे क़दम जमा देगा।
عربی تفاسیر:
وَالَّذِیْنَ كَفَرُوْا فَتَعْسًا لَّهُمْ وَاَضَلَّ اَعْمَالَهُمْ ۟
और जिन लोगों ने अल्लाह और उसके रसूल के साथ कुफ़्र किया, उनके लिए नुकसान और विनाश है और अल्लाह ने उनके कर्मों के प्रतिफल को नष्ट कर दिया।
عربی تفاسیر:
ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ كَرِهُوْا مَاۤ اَنْزَلَ اللّٰهُ فَاَحْبَطَ اَعْمَالَهُمْ ۟
उन्हें यह सज़ा इस कारण मिली कि उन्होंने उस क़ुरआन को नापसंद किया, जो अल्लाह ने अपने रसूल पर उतारा, सिर्फ इस कारण कि उसमें अल्लाह की तौहीद (एकेश्वरवाद) की शिक्षा है। तो अल्लाह ने उनके कार्यों को अकारथ कर दिया। इसलिए वे दुनिया और आखिरत दोनों जगह घाटे में रहे।
عربی تفاسیر:
اَفَلَمْ یَسِیْرُوْا فِی الْاَرْضِ فَیَنْظُرُوْا كَیْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ ؕ— دَمَّرَ اللّٰهُ عَلَیْهِمْ ؗ— وَلِلْكٰفِرِیْنَ اَمْثَالُهَا ۟
क्या ये झुठलाने वाले लोग धरती में चले-फिरे नहीं, ताकि वे सोच-विचार करते कि उनसे पहले झुठलाने वाले लोगों का अंत कैसा रहा? वास्तव में, वह एक दर्दनाक अंत था। अल्लाह ने उनके घरों को उनपर ध्वस्त कर दिया और इस तरह उसने उन्हें, उनके बाल-बच्चों और उनके धन को नष्ट कर दिया। तथा काफ़िरों के लिए हर समय और जगह में इसी तरह की सज़ाएँ हैं।
عربی تفاسیر:
ذٰلِكَ بِاَنَّ اللّٰهَ مَوْلَی الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَاَنَّ الْكٰفِرِیْنَ لَا مَوْلٰی لَهُمْ ۟۠
दोनों पक्षों के लिए उक्त (अलग-अलग) बदला इस कारण है कि अल्लाह ईमान वालों का मददगार है और काफ़िरों का कोई सहायक नहीं है।
عربی تفاسیر:
حالیہ صفحہ میں آیات کے فوائد:
• النكاية في العدوّ بالقتل وسيلة مُثْلى لإخضاعه.
• दुश्मन को मार कर परास्त कर देना उसे वश में करने का एक आदर्श उपाय है।

• المن والفداء والقتل والاسترقاق خيارات في الإسلام للتعامل مع الأسير الكافر، يؤخذ منها ما يحقق المصلحة.
• उपकार करना, छुड़ौती लेना, क़त्ल कर देना और दास बना लेना, इस्लाम में एक काफिर बंदी से निपटने के विकल्प हैं, इनमें से उसे चुना जाएगा, जिससे हित की पूर्ति होती हो।

• عظم فضل الشهادة في سبيل الله.
• अल्लाह के रास्ते में शहीद होने की महान श्रेष्ठता।

• نصر الله للمؤمنين مشروط بنصرهم لدينه.
• ईमान वालों के लिए अल्लाह की मदद, उनके उसके धर्म की मदद करने की शर्त पर है।

اِنَّ اللّٰهَ یُدْخِلُ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ جَنّٰتٍ تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ ؕ— وَالَّذِیْنَ كَفَرُوْا یَتَمَتَّعُوْنَ وَیَاْكُلُوْنَ كَمَا تَاْكُلُ الْاَنْعَامُ وَالنَّارُ مَثْوًی لَّهُمْ ۟
निश्चय अल्लाह उन लोगों को, जो अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाए और अच्छे कर्म किए, ऐसे बागों में दाखिल करेगा, जिनके महलों और पेड़ों के नीचे से नहरें बहती हैं। तथा जिन लोगों ने अल्लाह और उसके रसूल के साथ कुफ़्र किया, वे अपनी इच्छाओं का पालन करके दुनिया में आनंद लेते हैं और उसी तरह खाते हैं, जैसे जानवर खाते हैं। उन्हें केवल अपने पेट और भोग-विलास की परवाह होती है। और क़ियामत के दिन आग ही उनका ठिकाना है जिसमें वे शरण लेंगे।
عربی تفاسیر:
وَكَاَیِّنْ مِّنْ قَرْیَةٍ هِیَ اَشَدُّ قُوَّةً مِّنْ قَرْیَتِكَ الَّتِیْۤ اَخْرَجَتْكَ ۚ— اَهْلَكْنٰهُمْ فَلَا نَاصِرَ لَهُمْ ۟
पिछले समुदायों की बस्तियों में से कितनी ही बस्तियाँ थीं, जो मक्का से अधिक शक्तिशाली तथा अधिक धन और संतान वाली थीं, जहाँ से उसके लोगों ने आपको निकाल दिया है। हमने उन्हें नष्ट कर दिया जब उन्होंने अपने रसूलों को झुठलाया। फिर उनका कोई सहायक न हुआ, जो उन्हें अल्लाह की सज़ा से बचा सके। इसलिए अगर हम मक्का वालों को नष्ट करना चाहें, तो हम इसमें अक्षम नहीं हैं।
عربی تفاسیر:
اَفَمَنْ كَانَ عَلٰی بَیِّنَةٍ مِّنْ رَّبِّهٖ كَمَنْ زُیِّنَ لَهٗ سُوْٓءُ عَمَلِهٖ وَاتَّبَعُوْۤا اَهْوَآءَهُمْ ۟
क्या वह व्यक्ति जिसके पास अपने पालनहार की ओर से स्पष्ट प्रमाण और खुला तर्क है और वह उसकी इबादत ज्ञान और अंतर्दृष्टि के साथ करता है, उस व्यक्ति की तरह है, जिसके लिए शैतान ने उसके बुरे काम को सुंदर बना दिया, तथा उन्होंने अपनी इच्छाओं का पालन करते हुए मूर्तियों की पूजा की, पाप किए और रसूलों को झुठलाया?
عربی تفاسیر:
مَثَلُ الْجَنَّةِ الَّتِیْ وُعِدَ الْمُتَّقُوْنَ ؕ— فِیْهَاۤ اَنْهٰرٌ مِّنْ مَّآءٍ غَیْرِ اٰسِنٍ ۚ— وَاَنْهٰرٌ مِّنْ لَّبَنٍ لَّمْ یَتَغَیَّرْ طَعْمُهٗ ۚ— وَاَنْهٰرٌ مِّنْ خَمْرٍ لَّذَّةٍ لِّلشّٰرِبِیْنَ ۚ۬— وَاَنْهٰرٌ مِّنْ عَسَلٍ مُّصَفًّی ؕ— وَلَهُمْ فِیْهَا مِنْ كُلِّ الثَّمَرٰتِ وَمَغْفِرَةٌ مِّنْ رَّبِّهِمْ ؕ— كَمَنْ هُوَ خَالِدٌ فِی النَّارِ وَسُقُوْا مَآءً حَمِیْمًا فَقَطَّعَ اَمْعَآءَهُمْ ۟
उस जन्नत की विशेषता, जिसमें दाखिल करने का वादा, अल्लाह ने उन लोगों से किया है, जो (उसके आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर) उससे डरने वाले हैं, यह है कि उसमें ऐसे पानी की नहरें हैं, जिसकी गंध या स्वाद में अधिक दिनों तक ठहरे रहने के कारण कोई बदलाव नहीं आता। तथा ऐसे दूध की नहरें हैं, जिसका स्वाद नहीं बदला। और ऐसी शराब की नहरें हैं, जो पीने वालों के लिए स्वादिष्ट है। तथा ऐसे मधु की नहरें हैं, जो अशुद्धियों से शुद्ध किए गए हैं। और उनके लिए उसके अंदर हर प्रकार के फल होंगे, जो वे चाहेंगे। तथा उनके लिए इन सबसे बढ़कर अल्लाह की ओर से उनके गुनाहों की माफ़ी होगी। अतः अल्लाह उनपर उनकी पकड़ नहीं करेगा। क्या वह व्यक्ति जिसका यह बदला है, उसके बराबर हो सकता है, जो हमेशा जहन्नम में रहने वाला है, उससे कभी बाहर नहीं निकलेगा, और उन्हें बहुत गर्म पानी पिलाया जाएगा, जो अपनी गर्मी की तीव्रता से उनके पेट की आँतों को टुकड़े-टुकड़े कर देगा?!
عربی تفاسیر:
وَمِنْهُمْ مَّنْ یَّسْتَمِعُ اِلَیْكَ ۚ— حَتّٰۤی اِذَا خَرَجُوْا مِنْ عِنْدِكَ قَالُوْا لِلَّذِیْنَ اُوْتُوا الْعِلْمَ مَاذَا قَالَ اٰنِفًا ۫— اُولٰٓىِٕكَ الَّذِیْنَ طَبَعَ اللّٰهُ عَلٰی قُلُوْبِهِمْ وَاتَّبَعُوْۤا اَهْوَآءَهُمْ ۟
और मुनाफ़िक़ों में से कुछ लोग ऐसे हैं, जो (ऐ रसूल!) आपकी ओर कान लगाते हैं, लेकिन उनका उद्देश्य स्वीकार करना नहीं, बल्कि मुँह फेरना होता है। यहाँ तक कि जब आपके पास से निकलते हैं, तो अनजान बनते हुए और उपेक्षा करते हुए उन लोगों से कहते हैं, जिन्हें अल्लाह ने ज्ञान दिया है : उन्होंने अभी-अभी अपनी बात में क्या कहा? यही वे लोग हैं, जिनके दिलों पर अल्लाह ने मुहर लगा दी है, इसलिए कोई अच्छाई उन तक नहीं पहुँचती, तथा उन्होंने अपनी इच्छाओं का पालन किया है, जिनके कारण वे सच्चाई से अंधे कर दिए गए हैं।
عربی تفاسیر:
وَالَّذِیْنَ اهْتَدَوْا زَادَهُمْ هُدًی وَّاٰتٰىهُمْ تَقْوٰىهُمْ ۟
और जिन लोगों ने सत्य का रास्ता अपनाया और रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के लाए हुए धर्म का पालन किया, उनके रब ने उन्हें मार्गदर्शन में बढ़ा दिया और अधिक भलाई का सामर्थ्य प्रदान किया, तथा उन्हें आग (जहन्नम) से बचाने वाला काम करने के लिए प्रेरित किया।
عربی تفاسیر:
فَهَلْ یَنْظُرُوْنَ اِلَّا السَّاعَةَ اَنْ تَاْتِیَهُمْ بَغْتَةً ۚ— فَقَدْ جَآءَ اَشْرَاطُهَا ۚ— فَاَنّٰی لَهُمْ اِذَا جَآءَتْهُمْ ذِكْرٰىهُمْ ۟
तो क्या काफ़िर लोग यही प्रतीक्षा कर रहे हैं कि क़ियामत उनपर उनकी पूर्व जानकारी के बिना अचानक आ जाए?! निश्चय उसकी निशानियाँ तो आ ही चुकी हैं। जैसे कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का नबी बनकर आना और चंद्रमा का दो टुकड़े होना। फिर जब क़ियामत उनके पास आ गई, तो उनके लिए उपदेश ग्रहण करना कैसे संभव होगा?
عربی تفاسیر:
فَاعْلَمْ اَنَّهٗ لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا اللّٰهُ وَاسْتَغْفِرْ لِذَنْۢبِكَ وَلِلْمُؤْمِنِیْنَ وَالْمُؤْمِنٰتِ ؕ— وَاللّٰهُ یَعْلَمُ مُتَقَلَّبَكُمْ وَمَثْوٰىكُمْ ۟۠
तो (ऐ रसूल!) आप यकीन कर लें कि अल्लाह के सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं, तथा अल्लाह से अपने पापों के लिए क्षमा माँगें और ईमान वाले पुरुषों और ईमान वाली स्त्रियों के पापों के लिए भी उससे क्षमा माँगे। अल्लाह दिन में तुम्हारे चलने-फिरने और रात में तुम्हारे ठहरने के स्थान को जानता है। उससे उसमें से कुछ भी छिपा नहीं है।
عربی تفاسیر:
حالیہ صفحہ میں آیات کے فوائد:
• اقتصار همّ الكافر على التمتع في الدنيا بالمتع الزائلة.
• काफ़िर की चिंता दुनिया में नश्वर सुखों का आनंद लेने तक सीमित होती है।

• المقابلة بين جزاء المؤمنين وجزاء الكافرين تبيّن الفرق الشاسع بينهما؛ ليختار العاقل أن يكون مؤمنًا، ويختار الأحمق أن يكون كافرًا.
• मोमिनों के प्रतिफल और काफ़िरों के प्रतिफल के बीच तुलना करना उन दोनों के बीच विशाल अंतर को दर्शाता है; ताकि बुद्धिमान व्यक्ति मोमिन होने का चुनाव कर ले और मूर्ख व्यक्ति काफिर होने का चुनाव कर ले।

• بيان سوء أدب المنافقين مع رسول الله صلى الله عليه وسلم.
• अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ मुनाफ़िक़ों के बुरे व्यवहार का वर्णन।

• العلم قبل القول والعمل.
• कुछ कहने अथवा करने से पहले ज्ञान ज़रूरी है।

وَیَقُوْلُ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا لَوْلَا نُزِّلَتْ سُوْرَةٌ ۚ— فَاِذَاۤ اُنْزِلَتْ سُوْرَةٌ مُّحْكَمَةٌ وَّذُكِرَ فِیْهَا الْقِتَالُ ۙ— رَاَیْتَ الَّذِیْنَ فِیْ قُلُوْبِهِمْ مَّرَضٌ یَّنْظُرُوْنَ اِلَیْكَ نَظَرَ الْمَغْشِیِّ عَلَیْهِ مِنَ الْمَوْتِ ؕ— فَاَوْلٰى لَهُمْ ۟ۚ
अल्लाह पर ईमान रखने वाले लोग (इस बात की कामना करते हुए कि अल्लाह अपने रसूल पर कोई सूरत उतारे, जिसमें लड़ाई के हुक्म का उल्लेख हो) कहते हैं : अल्लाह ने कोई सूरत क्यों नहीं उतारी, जिसमें युद्ध का उल्लेख हो? फिर जब अल्लाह युद्ध के उल्लेख पर आधारित अपनी व्याख्या और नियमों में अच्छी तरह से स्पष्ट कोई सूरत उतारता है, तो (ऐ रसूल!) आप उन मुनाफ़िक़ों को देखते हैं, जिनके दिलों में संदेह है, कि वे आपकी ओर उस व्यक्ति की तरह देखते हैं, जिसपर भय और डर की गंभीरता से बेहोशी छा गई हो। तो अल्लाह ने ऐसे लोगों को धमकी दी है कि उनके लड़ाई से पीछे हटने और उससे भय खाने के कारण उनकी यातना निकट आ चुकी है।
عربی تفاسیر:
طَاعَةٌ وَّقَوْلٌ مَّعْرُوْفٌ ۫— فَاِذَا عَزَمَ الْاَمْرُ ۫— فَلَوْ صَدَقُوا اللّٰهَ لَكَانَ خَیْرًا لَّهُمْ ۟ۚ
अल्लाह के आदेश का पालन करना और भली बात कहना, उनके लिए अच्छा है। फिर जब लड़ना अनिवार्य हो जाए और उसके बिना कोई चारा न हो, तो यदि वे अल्लाह पर अपने ईमान के प्रति और उसकी आज्ञाकारिता में सच्चे रहें, तो यह उनके लिए निफ़ाक़ और अल्लाह के आदेशों की अवहेलना करने से बेहतर होगा।
عربی تفاسیر:
فَهَلْ عَسَیْتُمْ اِنْ تَوَلَّیْتُمْ اَنْ تُفْسِدُوْا فِی الْاَرْضِ وَتُقَطِّعُوْۤا اَرْحَامَكُمْ ۟
यदि तुम अल्लाह पर ईमान लाने और उसकी आज्ञा मानने से दूर हो जाओ, तो तुम्हारी स्थिति पर यही प्रबल है कि तुम कुफ़्र और पापों के द्वारा धरती में बिगाड़ पैदा करोगे और रिश्तेदारी के बंधनों को तोड़ोगे; जैसा कि जाहिलिय्यत (इस्लाम से पूर्व) के समयकाल में तुम्हारी स्थिति थी।
عربی تفاسیر:
اُولٰٓىِٕكَ الَّذِیْنَ لَعَنَهُمُ اللّٰهُ فَاَصَمَّهُمْ وَاَعْمٰۤی اَبْصَارَهُمْ ۟
ये धरती में बिगाड़ पैदा करने और रिश्ते-नातों को तोड़ने वाले ही वे लोग हैं, जिन्हें अल्लाह ने अपनी दया से दूर कर दिया, उनके कानों को स्वीकारने और अनुपालन करने के इरादे से सत्य को सुनने से बहरा कर दिया और उनकी आँखों को उसे सोच-विचार करने की दृष्टि से देखने से अंधा कर दिया।
عربی تفاسیر:
اَفَلَا یَتَدَبَّرُوْنَ الْقُرْاٰنَ اَمْ عَلٰی قُلُوْبٍ اَقْفَالُهَا ۟
तो इन मुँह फेरने वालों ने क़ुरआन पर विचार क्यों नहीं किया और उस पर ध्यान क्यों नहीं दिया जो उसमें है?! यदि वे उसपर विचार करते, तो वह अवश्य उन्हें सभी अच्छाइयों का मार्गदर्शन करता और उन्हें सभी बुराइयों से दूर रखता। या फिर उनके दिलों पर मज़बूत ताले पड़े हुए हैं, जिसके कारण कोई उपदेश उन तक नहीं पहुँचता और न कोई याददहानी उन्हें लाभ देती है।
عربی تفاسیر:
اِنَّ الَّذِیْنَ ارْتَدُّوْا عَلٰۤی اَدْبَارِهِمْ مِّنْ بَعْدِ مَا تَبَیَّنَ لَهُمُ الْهُدَی ۙ— الشَّیْطٰنُ سَوَّلَ لَهُمْ ؕ— وَاَمْلٰی لَهُمْ ۟
निश्चय जो लोग अपने ईमान से कुफ़्र और निफ़ाक़ की ओर फिर गए, इसके बाद कि उनपर तर्क स्थापित हो गया और नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सच्चाई उनके लिए स्पष्ट हो गई। दरअसल शैतान ही है जिसने उनके लिए कुफ़्र और निफ़ाक़ को सुशोभित किया है और उसे उनके लिए आसान बना दिया है और उन्हें लंबी आशा दिलाई है।
عربی تفاسیر:
ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ قَالُوْا لِلَّذِیْنَ كَرِهُوْا مَا نَزَّلَ اللّٰهُ سَنُطِیْعُكُمْ فِیْ بَعْضِ الْاَمْرِ ۚ— وَاللّٰهُ یَعْلَمُ اِسْرَارَهُمْ ۟
उन्हें गुमराही के रास्ते पर इसलिए डाल दिया गया, क्योंकि उन्होंने गुप्त रूप से उन मुश्रिकों से कहा, जिन्होंने अल्लाह की अपने रसूल पर उतारी हुई वह़्य (प्रकाशना) को नापसंद किया : हम कुछ मामलों में तुम्हारी बात मानेंगे, जैसे कि लड़ने से हतोत्साहित करना। और अल्लाह जानता है जो कुछ वे छिपाते और गुप्त रखते हैं, उससे कोई बात छिपी नहीं है। इसलिए वह उसमें से जो चाहता है, अपने रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के लिए प्रकट कर देता है।
عربی تفاسیر:
فَكَیْفَ اِذَا تَوَفَّتْهُمُ الْمَلٰٓىِٕكَةُ یَضْرِبُوْنَ وُجُوْهَهُمْ وَاَدْبَارَهُمْ ۟
तो आप उसे कैसे देखते हैं जिस यातना और विकट स्थिति में वे उस समय होंगे, जब उनके प्राण निकालने पर नियुक्त फरिश्ते, उनके प्राण निकालते हुए, लोहे के हथोड़े से उनके चेहरों और पीठों पर मार रहे होंगे?!
عربی تفاسیر:
ذٰلِكَ بِاَنَّهُمُ اتَّبَعُوْا مَاۤ اَسْخَطَ اللّٰهَ وَكَرِهُوْا رِضْوَانَهٗ فَاَحْبَطَ اَعْمَالَهُمْ ۟۠
यह यातना उन्हें इस कारण दी जाएगी कि उन्होंने हर उस चीज़ का अनुसरण किया जिसने अल्लाह को उनपर क्रोधित कर दिया, जैसे कुफ़्र, निफ़ाक़ तथा अल्लाह एवं उसके रसूल से दुश्मनी, और उस चीज़ को बुरा जाना, जो उन्हें उनके पालनहार के क़रीब लाती है और उनपर उसकी प्रसन्नता लाती है, जैसे अल्लाह पर ईमान लाना और उसके रसूल का अनुसरण करना। अतः अल्लाह ने उनके कर्मों को व्यर्थ कर दिया।
عربی تفاسیر:
اَمْ حَسِبَ الَّذِیْنَ فِیْ قُلُوْبِهِمْ مَّرَضٌ اَنْ لَّنْ یُّخْرِجَ اللّٰهُ اَضْغَانَهُمْ ۟
क्या वे मुनाफ़िक़, जिनके दिलों में संदेह है, यह समझते हैं कि अल्लाह उनके द्वेष को बाहर नहीं निकालेगा और उन्हें प्रकट नहीं करेगा?! निश्चय अल्लाह विपत्तियों के द्वारा उन्हें अवश्य बाहर निकालेगा। ताकि सच्चे ईमान वाला झूठे से अलग हो जाए तथा ईमान वाला स्पष्ट हो जाए और मुनाफिक़ का पर्दाफाश हो जाए।
عربی تفاسیر:
حالیہ صفحہ میں آیات کے فوائد:
• التكليف بالجهاد في سبيل الله يميّز المنافقين من صفّ المؤمنين.
• अल्लाह के रास्ते में जिहाद का आदेश, ईमान वालों की पंक्तियों से मुनाफ़िक़ों को छाँटकर अलग कर देता है।

• أهمية تدبر كتاب الله، وخطر الإعراض عنه.
• अल्लाह की किताब पर मनन करने का महत्व और उससे मुँह मोड़ने का खतरा।

• الإفساد في الأرض وقطع الأرحام من أسباب قلة التوفيق والبعد عن رحمة الله.
• धरती में बिगाड़ पैदा करना और रिश्तेदारी के संबंधों को तोड़ना, अल्लाह की तौफ़ीक में कमी और उसकी दया से दूरी के कारणों में से है।

وَلَوْ نَشَآءُ لَاَرَیْنٰكَهُمْ فَلَعَرَفْتَهُمْ بِسِیْمٰهُمْ ؕ— وَلَتَعْرِفَنَّهُمْ فِیْ لَحْنِ الْقَوْلِ ؕ— وَاللّٰهُ یَعْلَمُ اَعْمَالَكُمْ ۟
और अगर हम (ऐ रसूल!) आपको मुनाफ़िक़ों की पहचान कराना चाहें, तो अवश्य आपको उनकी पहचान करा दें। फिर निश्चय आप उन्हें उनकी निशानियों से पहचान लेंगे, तथा आप उन्हें उनके बात करने की शैली से अवश्य पहचान लेंगे। तथा अल्लाह तुम्हारे कर्मों को जानता है। उससे उनमें से कुछ भी छिपा हुआ नहीं है, और वह तुम्हें उनका बदला देगा।
عربی تفاسیر:
وَلَنَبْلُوَنَّكُمْ حَتّٰی نَعْلَمَ الْمُجٰهِدِیْنَ مِنْكُمْ وَالصّٰبِرِیْنَ ۙ— وَنَبْلُوَاۡ اَخْبَارَكُمْ ۟
और हम अवश्य ही (ऐ ईमान वालो!) जिहाद, दुश्मनों से लड़ाई करने और क़त्ल के द्वारा तुम्हारी परीक्षा लेंगे, ताकि हम तुममें से अल्लाह की राह में जिहाद करने वालों और उसके दुश्मनों से लड़ने में धैर्य रखने वालों को जान लें। तथा हम तुम्हारी परीक्षा लेंगे, ताकि हम तुममें से सच्चे और झूठे को जान लें।
عربی تفاسیر:
اِنَّ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا وَصَدُّوْا عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ وَشَآقُّوا الرَّسُوْلَ مِنْ بَعْدِ مَا تَبَیَّنَ لَهُمُ الْهُدٰی ۙ— لَنْ یَّضُرُّوا اللّٰهَ شَیْـًٔا ؕ— وَسَیُحْبِطُ اَعْمَالَهُمْ ۟
निःसंदेह जिन लोगों ने अल्लाह और उसके रसूल के साथ कुफ़्र किया, तथा खुद को और अन्य लोगों को अल्लाह के धर्म से रोका और उसके रसूल का विरोध किया तथा उनके साथ दुश्मनी की, जबकि यह स्पष्ट हो गया कि वह अल्लाह के नबी हैं - वे कदापि अल्लाह को कोई नुकसान नहीं पहुँचाएंगे, बल्कि वे ख़ुद अपना नुक़सान करेंगे और अल्लाह उनके कर्मों को व्यर्थ कर देगा।
عربی تفاسیر:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اَطِیْعُوا اللّٰهَ وَاَطِیْعُوا الرَّسُوْلَ وَلَا تُبْطِلُوْۤا اَعْمَالَكُمْ ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने वालो और उसकी शरीयत पर अमल करने वालो! अल्लाह का और उसके रसूल का आज्ञापालन करो। इस प्रकार कि उनके आदेशों का पालन करो और उनके निषेधों से बचो। तथा कुफ़्र और दिखावा आदि के द्वारा अपने कार्यों को व्यर्थ न करो।
عربی تفاسیر:
اِنَّ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا وَصَدُّوْا عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ ثُمَّ مَاتُوْا وَهُمْ كُفَّارٌ فَلَنْ یَّغْفِرَ اللّٰهُ لَهُمْ ۟
निश्चय जिन लोगों ने अल्लाह का इनकार किया और खुद को तथा अन्य लोगों को अल्लाह के धर्म से रोका, फिर तौबा करने से पहले अपने कुफ़्र ही की अवस्था में मर गए - तो अल्लाह उनके गुनाहों को हरगिज़ माफ नहीं करेगा, बल्कि उनपर उनकी पकड़ करेगा और उन्हें जहन्नम में दाखिल करेगा, जहाँ वे हमेशा रहेंगे।
عربی تفاسیر:
فَلَا تَهِنُوْا وَتَدْعُوْۤا اِلَی السَّلْمِ ۖۗ— وَاَنْتُمُ الْاَعْلَوْنَ ۖۗ— وَاللّٰهُ مَعَكُمْ وَلَنْ یَّتِرَكُمْ اَعْمَالَكُمْ ۟
अतः (ऐ मोमिनो!) तुम अपने दुश्मन का सामना करने में कमज़ोर न बनो और उनकी ओर सुलह का हाथ न बढ़ाओ, इससे पहले कि वे तुम्हारी ओर सुलह का हाथ बढ़ाएँ। तथा तुम ही उनपर प्रभुत्वशाली और विजयी हो। और अल्लाह अपनी सहायता और समर्थन के साथ तुम्हारे संग है। वह तुम्हारे कर्मों के प्रतिफल को ज़रा भी कम नहीं करेगा, बल्कि अपने अनुग्रह और कृपा से तुम्हें बढ़ाकर देगा।
عربی تفاسیر:
اِنَّمَا الْحَیٰوةُ الدُّنْیَا لَعِبٌ وَّلَهْوٌ ؕ— وَاِنْ تُؤْمِنُوْا وَتَتَّقُوْا یُؤْتِكُمْ اُجُوْرَكُمْ وَلَا یَسْـَٔلْكُمْ اَمْوَالَكُمْ ۟
दुनिया का जीवन तो केवल खेल और तमाशा है। अतः एक समझदार व्यक्ति को इसमें व्यस्त होकर आख़िरत से गाफ़िल नहीं होना चाहिए। यदि तुम अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाओ और अल्लाह से, उसके आदेशों का पालन करके और उसकी मना की हुई वस्तुओं से बचकर डरते रहो, तो वह तुम्हें तुम्हारे कर्मों का पूरा बदला देगा, कोई कमी नहीं करेगा। तथा वह तुमसे तुम्हारा सारा धन नहीं माँगेगा, बल्कि वह तुमसे केवल अनिवार्य ज़कात माँगेगा।
عربی تفاسیر:
اِنْ یَّسْـَٔلْكُمُوْهَا فَیُحْفِكُمْ تَبْخَلُوْا وَیُخْرِجْ اَضْغَانَكُمْ ۟
अगर वह तुमसे तुम्हारा पूरा धन माँगे और उसे खूब ज़ोर देकर माँगे, तो तुम उसमें कंजूसी करोगे और तुम्हारे दिलों में अल्लाह के रास्ते में खर्च करने की जो अनिच्छा है, वह उसे बाहर कर देगा। अतः उसने तुमपर दया करते हुए तुमसे उसका माँगना छोड़ दिया।
عربی تفاسیر:
هٰۤاَنْتُمْ هٰۤؤُلَآءِ تُدْعَوْنَ لِتُنْفِقُوْا فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ ۚ— فَمِنْكُمْ مَّنْ یَّبْخَلُ ۚ— وَمَنْ یَّبْخَلْ فَاِنَّمَا یَبْخَلُ عَنْ نَّفْسِهٖ ؕ— وَاللّٰهُ الْغَنِیُّ وَاَنْتُمُ الْفُقَرَآءُ ۚ— وَاِنْ تَتَوَلَّوْا یَسْتَبْدِلْ قَوْمًا غَیْرَكُمْ ۙ— ثُمَّ لَا یَكُوْنُوْۤا اَمْثَالَكُمْ ۟۠
सुनो, तुम वे लोग हो कि तुम्हें कहा जाता है कि अपने धन का एक हिस्सा अल्लाह के रास्ते में खर्च करो, तुमसे अपना पूरा धन खर्च करने के लिए नहीं कहा जाता है, तो तुममें से कुछ लोग अपनी कंजूसी के कारण आवश्यक खर्च को रोक लेते हैं। और जो अपने धन का एक भाग अल्लाह के रास्ते में खर्च करने में कंजूसी करता है, तो वह वास्तव में ख़ुद पर कंजूसी करता है; क्योंकि वह अपने आपको खर्च करने के सवाब से वंचित कर देता है। अल्लाह तो बेनियाज़ है, उसे तुम्हारे खर्च करने की आवश्यकता नहीं है। और तुम ही उसके मुहताज हो। और यदि तुम इस्लाम से कुफ़्र की ओर फिर जाओगे, तो वह तुम्हें नष्ट कर देगा और तुम्हारे अलावा अन्य लोगों को ले आएगा। फिर वे तुम्हारे जैसे नहीं होंगे। बल्कि वे उसके आज्ञाकारी होंगे।
عربی تفاسیر:
حالیہ صفحہ میں آیات کے فوائد:
• سرائر المنافقين وخبثهم يظهر على قسمات وجوههم وأسلوب كلامهم.
• मुनाफ़िक़ो के दिल के भेद और उनकी दुष्टता उनके चेहरे की लकीरों और उनके बात करने की शैली पर प्रकट होती है।

• الاختبار سُنَّة إلهية لتمييز المؤمنين من المنافقين.
• ईमान वालों को मुनाफ़िक़ों से अलग करने के लिए परीक्षण एक ईश्वरीय नियम है।

• تأييد الله لعباده المؤمنين بالنصر والتسديد.
• अल्लाह, अपने ईमान वाले बंदों को विजय प्रदान करके और उन्हें सीधे रास्ते पर लगाकर, उनका समर्थन करता है।

• من رفق الله بعباده أنه لا يطلب منهم إنفاق كل أموالهم في سبيل الله.
• यह अल्लाह की अपने बंदों पर कृपा है कि वह उन्हें अपना सारा धन अल्लाह के रास्ते में खर्च करने के लिए नहीं कहता है।

 
معانی کا ترجمہ سورت: سورۂ محمد
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قرآن کریم کے معانی کا ترجمہ - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - ترجمے کی لسٹ

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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