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قرآن کریم کے معانی کا ترجمہ - المختصر فی تفسیر القرآن الکریم کا ہندی ترجمہ * - ترجمے کی لسٹ


معانی کا ترجمہ سورت: انعام   آیت:
فَمَنْ یُّرِدِ اللّٰهُ اَنْ یَّهْدِیَهٗ یَشْرَحْ صَدْرَهٗ لِلْاِسْلَامِ ۚ— وَمَنْ یُّرِدْ اَنْ یُّضِلَّهٗ یَجْعَلْ صَدْرَهٗ ضَیِّقًا حَرَجًا كَاَنَّمَا یَصَّعَّدُ فِی السَّمَآءِ ؕ— كَذٰلِكَ یَجْعَلُ اللّٰهُ الرِّجْسَ عَلَی الَّذِیْنَ لَا یُؤْمِنُوْنَ ۟
जिस व्यक्ति को अल्लाह हिदायत के मार्ग पर ले जाना चाहता है, उसके सीने को खोल देता है तथा उसे इस्लाम स्वीकार करने के लिए तैयार कर देता है। और जिसे वह विफल करना चाहता है और उसे हिदायत की तौफ़ीक़ नहीं देना चाहता, उसके सीने को सच्चाई को स्वीकार करने से बहुत संकीर्ण कर देता है, ताकि उसके हृदय में सत्य का प्रवेश असंभव हो जाए। जिस तरह कि उसका आसमान की ओर चढ़ना असंभव है और वह स्वयं ऐसा करने में असमर्थ है। तथा जैसे अल्लाह ने पथभ्रष्ट व्यक्ति की स्थिति को इस तरह की गंभीर संकट की स्थिति बना दी है, उसी तरह वह उन लोगों को यातना से ग्रस्त करता है, जो उसपर ईमान नहीं लाते।
عربی تفاسیر:
وَهٰذَا صِرَاطُ رَبِّكَ مُسْتَقِیْمًا ؕ— قَدْ فَصَّلْنَا الْاٰیٰتِ لِقَوْمٍ یَّذَّكَّرُوْنَ ۟
यह धर्म जो हमने (ऐ रसूल!) आपके लिए निर्धारित किया है, अल्लाह का वह सीधा मार्ग है, जिसमें कोई टेढ़ापन नहीं। हमने उसके लिए निशानियाँ स्पष्ट कर दी हैं, जिसके पास समझ-बूझ है जिसके द्वारा वह अल्लाह के बारे में समझ सकता है।
عربی تفاسیر:
لَهُمْ دَارُ السَّلٰمِ عِنْدَ رَبِّهِمْ وَهُوَ وَلِیُّهُمْ بِمَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟
उनके लिए एक घर है, जिसमें वे हर नुक़सान से सुरक्षित रहेंगे। यह घर जन्नत है। तथा अल्लाह उनका सहायक और समर्थक है, उनके उन अच्छे कामों के बदले जो वे किया करते थे।
عربی تفاسیر:
وَیَوْمَ یَحْشُرُهُمْ جَمِیْعًا ۚ— یٰمَعْشَرَ الْجِنِّ قَدِ اسْتَكْثَرْتُمْ مِّنَ الْاِنْسِ ۚ— وَقَالَ اَوْلِیٰٓؤُهُمْ مِّنَ الْاِنْسِ رَبَّنَا اسْتَمْتَعَ بَعْضُنَا بِبَعْضٍ وَّبَلَغْنَاۤ اَجَلَنَا الَّذِیْۤ اَجَّلْتَ لَنَا ؕ— قَالَ النَّارُ مَثْوٰىكُمْ خٰلِدِیْنَ فِیْهَاۤ اِلَّا مَا شَآءَ اللّٰهُ ؕ— اِنَّ رَبَّكَ حَكِیْمٌ عَلِیْمٌ ۟
और (ऐ रसूल!) याद करें, जिस दिन अल्लाह मानव जाति और जिन्नों को इकट्ठा करेगा, फिर अल्लाह कहेगा : ऐ जिन्नों के समूह! तुमने इनसानों को खूब गुमराह किया तथा उन्हें अल्लाह के मार्ग से रोक दिया। इसपर इनसानों में से उनके अनुयायी अपने रब को जवाब देते हुए कहेंगे : ऐ हमारे रब! हममें से प्रत्येक ने अपने साथी से लाभ उठाया है। चुनाँचे जिन्न ने इनसान की आज्ञाकारिता का लाभ उठाया, और इनसान ने अपनी इच्छाओं की पूर्ति का लाभ उठाया। और हम उस अवधि तक पहुँच गए, जो तूने हमारे लिए नियत कर रखी थी। तो अब यह क़ियामत का दिन है। अल्लाह कहेगा : आग ही तुम्हारा ठिकाना है, जिसमें तुम हमेशा रहोगे, सिवाय उसके जो अल्लाह चाहे, जो कि उनके क़ब्रों से उठने से लेकर उनके अपने गंतव्य जहन्नम की ओर जाने के बीच की अवधि है। यही वह अवधि है, जिसको अल्लाह ने उनके हमेशा जहन्नम में रहने से अलग किया है। निश्चय ही आपका रब (ऐ रसूल!) अपनी तक़दीर तथा प्रबंधन में पूर्ण हिकमत वाला, अपने बंदों और उनमें से उन लोगों के बारे में सब कुछ जानने वाला है जो यातना के योग्य हैं।
عربی تفاسیر:
وَكَذٰلِكَ نُوَلِّیْ بَعْضَ الظّٰلِمِیْنَ بَعْضًا بِمَا كَانُوْا یَكْسِبُوْنَ ۟۠
जिस प्रकार हमने सरकश जिन्नों को कुछ इनसानों का दोस्त बना दिया और उन्हें उनपर हावी कर दिया, ताकि वे उन्हें पथभ्रष्ट करते रहें, उसी प्रकार हम प्रत्येक अत्याचारी को एक अत्याचारी का दोस्त बना देते हैं, जो उसे बुराई करने पर उभारता और उसके लिए प्रेरित करता है, तथा उसे भलाई से नफरत दिलाता और उसके प्रति उसमें अरुचि पैदा करता है। यह दरअसल उन पापों के प्रतिफल के रूप में है, जो वे कमाया करते थे।
عربی تفاسیر:
یٰمَعْشَرَ الْجِنِّ وَالْاِنْسِ اَلَمْ یَاْتِكُمْ رُسُلٌ مِّنْكُمْ یَقُصُّوْنَ عَلَیْكُمْ اٰیٰتِیْ وَیُنْذِرُوْنَكُمْ لِقَآءَ یَوْمِكُمْ هٰذَا ؕ— قَالُوْا شَهِدْنَا عَلٰۤی اَنْفُسِنَا وَغَرَّتْهُمُ الْحَیٰوةُ الدُّنْیَا وَشَهِدُوْا عَلٰۤی اَنْفُسِهِمْ اَنَّهُمْ كَانُوْا كٰفِرِیْنَ ۟
हम क़ियामत के दिन उनसे कहेंगे : ऐ इनसानों और जिन्नों के समूह! क्या तुम्हारे पास तुम्हारे ही वर्ग (मानव जाति) से रसूल नहीं आए, जो तुम्हें वह पढ़कर सुनाते हों जो अल्लाह ने उनपर अवतरित किया है, और तुम्हें इस दिन के भेंट अर्थात् क़ियामत के दिन से डराते हों? वे कहेंगे : बिलकुल आए थे। आज हम अपने विरुद्ध इक़रार करते हैं कि तेरे रसूलों ने हमें संदेश पहुँचा दिया, तथा हम इस दिन के भेंट का भी इक़रार करते हैं। परंतु हमने तेरे रसूलों को झुठला दिया था तथा इस दिन के भेंट के बारे में उनकी बात को अस्वीकार कर दिया था। दरअसल, इस दुनिया के जीवन ने उन्हें अपने अलंकरण, शोभा और क्षणभंगुर आनंद के साथ धोखा दिया, तथा वे स्वयं ही स्वीकार करेंगे कि वे दुनिया में अल्लाह तथा उसके रसूलों का इनकार करने वाले थे। हालाँकि इस स्वीकारोक्ति और ईमान से उन्हें कुछ भी लाभ नहीं होगा, क्योंकि उसका समय समाप्त हो चुका।
عربی تفاسیر:
حالیہ صفحہ میں آیات کے فوائد:
• سُنَّة الله في الضلال والهداية أنهما من عنده تعالى، أي بخلقه وإيجاده، وهما من فعل العبد باختياره بعد مشيئة الله.
• गुमराही तथा हिदायत के बारे में अल्लाह की सुन्नत (नियम) यह है कि वे दोनों अल्लाह की ओर से हैं, अर्थात् अल्लाह ने उन्हें अस्तित्व प्रदान किया है। जबकि अल्लाह की इच्छा के बाद, बंदे ने उन्हें अपनी इच्छा से किया है।

• ولاية الله للمؤمنين بحسب أعمالهم الصالحة، فكلما زادت أعمالهم الصالحة زادت ولايته لهم والعكس.
• मोमिनों के लिए अल्लाह की संरक्षकता उनके अच्छे कर्मों के अनुसार होती है। अतः उनके अच्छे कर्मों में जितना अधिक वृद्धि होती है, उतनी ही उनके लिए उसकी संरक्षकता में बढ़ोतरी होती है, और इसके विपरीत स्थिति में विपरीत परिणाम आता है।

• من سُنَّة الله أن يولي كل ظالم ظالمًا مثله، يدفعه إلى الشر ويحثه عليه، ويزهِّده في الخير وينفِّره عنه.
• अल्लाह का नियम है कि वह हर अत्याचारी को उसी जैसे अत्याचारी का दोस्त बना देता है, जो उसे बुराई की ओर ले जाता है और उसे उसके लिए प्रेरित करता है, तथा उसे भलाई करने से रोकता एवं उससे दूर करता है।

 
معانی کا ترجمہ سورت: انعام
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مرکز تفسیر للدراسات القرآنیۃ سے شائع ہوا ہے۔

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