قرآن کریم کے معانی کا ترجمہ - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - ترجمے کی لسٹ


معانی کا ترجمہ آیت: (57) سورت: سورۂ انعام
قُلْ اِنِّیْ عَلٰی بَیِّنَةٍ مِّنْ رَّبِّیْ وَكَذَّبْتُمْ بِهٖ ؕ— مَا عِنْدِیْ مَا تَسْتَعْجِلُوْنَ بِهٖ ؕ— اِنِ الْحُكْمُ اِلَّا لِلّٰهِ ؕ— یَقُصُّ الْحَقَّ وَهُوَ خَیْرُ الْفٰصِلِیْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप इन मुश्रिकों से कह दें : मैं अपने रब की ओर से एक स्पष्ट प्रमाण पर क़ायम हूँ, न कि मन की इच्छा पर। और तुमने इस प्रमाण को झुठला दिया है। मेरे पास वह यातना नहीं है, जिसके लिए तुम जल्दी मचा रहे हो और न ही चमत्कारी निशानियाँ जो तुमने माँगी हैं। बल्कि वह केवल अल्लाह के हाथ में है। क्योंकि निर्णय करना (जिसमें वह भी शामिल है जिसकी तुमने माँग की है) केवल अल्लाह का अधिकार है। वह सत्य कहता है और उसके द्वारा फैसला करता है। और वह महिमावान सबसे अच्छा है, जिसने सत्यवादियों और असत्यवादियों को खोलकर बयान किया और उनके बीच अंतर स्पष्ट किया।
عربی تفاسیر:
حالیہ صفحہ میں آیات کے فوائد:
• الله تعالى يجعل العباد بعضهم فتنة لبعض، فتتفاوت درجاتهم في الرزق وفي الكفر والإيمان، والكفر والإيمان ليس منوطًا بسعة الرزق وضيقه.
• अल्लाह तआला बंदों को एक दूसरे के लिए एक परीक्षण बना देता है। इसलिए रोज़ी में तथा कुफ्र एवं ईमान में उनके स्तर भिन्न होते हैं। हालाँकि ईमान और कुफ्र रोज़ी के विस्तार और उसकी संकीर्णता के साथ जुड़े हुए नहीं हैं।

• من أخلاق الداعية طلاقة الوجه وإلقاء التحية والتبسط والسرور بأصحابه.
• अल्लाह के मार्ग की ओर बुलाने वाले व्यक्ति के शिष्टाचार में से अपने साथियों के साथ हँसमुख होना, सलाम करना और उनसे मिलकर प्रसन्न होना है।

• على الداعية اجتناب الأهواء في عقيدته ومنهجه وسلوكه.
• अल्लाह के मार्ग की ओर बुलाने वाले व्यक्ति को अपने ऐतिक़ाद, दृष्टिकोण और व्यवहार में इच्छाओं के पीछे चलने से बचना चाहिए।

• إثبات تفرد الله عز وجل بعلم الغيب وحده لا شريك له، وسعة علمه في ذلك، وأنه لا يفوته شيء ولا يعزب عنه من مخلوقاته شيء إلا وهو مثبت مدوَّن عنده سبحانه بأدق تفاصيله.
• इस बात को साबित करना कि ग़ैब (परोक्ष) का ज्ञान केवल अल्लाह सर्वशक्तिमान के साथ विशिष्ट है, जो अकेला है, उसका कोई साझी नहीं। तथा उसमें उसका ज्ञान बहुत विस्तृत है। उससे कोई चीज़ छूटती नहीं है और न उसकी मख़्लूक़ात में से कोई चीज़ उससे ग़ायब होती है, परंतु वह उस महिमावान के पास सबसे सटीक विवरण के साथ लिखी हुई है।

 
معانی کا ترجمہ آیت: (57) سورت: سورۂ انعام
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