قرآن کریم کے معانی کا ترجمہ - ہندی ترجمہ * - ترجمے کی لسٹ

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معانی کا ترجمہ سورت: سورۂ قصص   آیت:

सूरा अल्-क़सस

طٰسٓمّٓ ۟
ता, सीन, मीम।
عربی تفاسیر:
تِلْكَ اٰیٰتُ الْكِتٰبِ الْمُبِیْنِ ۟
ये स्पष्ट किताब की आयतें हैं।
عربی تفاسیر:
نَتْلُوْا عَلَیْكَ مِنْ نَّبَاِ مُوْسٰی وَفِرْعَوْنَ بِالْحَقِّ لِقَوْمٍ یُّؤْمِنُوْنَ ۟
हम आपको मूसा तथा फ़िरऔन के कुछ समाचार सच्चाई के साथ सुनाते हैं, उन लोगों के लिए जो ईमान रखते हैं।
عربی تفاسیر:
اِنَّ فِرْعَوْنَ عَلَا فِی الْاَرْضِ وَجَعَلَ اَهْلَهَا شِیَعًا یَّسْتَضْعِفُ طَآىِٕفَةً مِّنْهُمْ یُذَبِّحُ اَبْنَآءَهُمْ وَیَسْتَحْیٖ نِسَآءَهُمْ ؕ— اِنَّهٗ كَانَ مِنَ الْمُفْسِدِیْنَ ۟
निःसंदेह फ़िरऔन ने धरती में सरकशी की और उसके वासियों को कई समूहों में विभाजित कर दिया। जिनमें से एक समूह को वह बहुत कमज़ोर कर रहा था, उनके बेटों का बुरी तरह से वध कर देता और उनकी महिलाओं को जीवित रहने देता था। निःसंदेह वह बिगाड़ पैदा करने वालों में से था।
عربی تفاسیر:
وَنُرِیْدُ اَنْ نَّمُنَّ عَلَی الَّذِیْنَ اسْتُضْعِفُوْا فِی الْاَرْضِ وَنَجْعَلَهُمْ اَىِٕمَّةً وَّنَجْعَلَهُمُ الْوٰرِثِیْنَ ۟ۙ
तथा हम चाहते थे कि हम उन लोगों पर उपकार करें, जिन्हें धरती में बहुत कमज़ोर कर दिया गया तथा उन्हें अगुआ बनाएँ और उन्हीं को वारिस[1] बनाएँ।
1. अर्थात मिस्र देश का राज्य उन्हीं को प्रदान कर दें।
عربی تفاسیر:
وَنُمَكِّنَ لَهُمْ فِی الْاَرْضِ وَنُرِیَ فِرْعَوْنَ وَهَامٰنَ وَجُنُوْدَهُمَا مِنْهُمْ مَّا كَانُوْا یَحْذَرُوْنَ ۟
तथा उन्हें धरती में सत्ता प्रदान कर दें और फ़िरऔन तथा हामान और उनकी सेनाओं को उनकी ओर से वह सब दिखाएँ जिससे वे डरते थे।[2]
2. अर्थात बनी इसराईल के हाथों अपने राज्य के पतन से।
عربی تفاسیر:
وَاَوْحَیْنَاۤ اِلٰۤی اُمِّ مُوْسٰۤی اَنْ اَرْضِعِیْهِ ۚ— فَاِذَا خِفْتِ عَلَیْهِ فَاَلْقِیْهِ فِی الْیَمِّ وَلَا تَخَافِیْ وَلَا تَحْزَنِیْ ۚ— اِنَّا رَآدُّوْهُ اِلَیْكِ وَجَاعِلُوْهُ مِنَ الْمُرْسَلِیْنَ ۟
और हमने मूसा की माँ की ओर वह़्य की[3] कि उसे दूध पिला, फिर जब तुझे उसके बारे में भय हो, तो उसे दरिया में डाल दे और न डर और न शोक कर। निःसंदेह हम उसे तेरी ओर वापस लाने वाले हैं और उसे रसूलों में से बनाने वाले हैं।
3. जब मूसा का जन्म हुआ, तो अल्लाह ने उनके माता के मन में ये बातें डाल दीं।
عربی تفاسیر:
فَالْتَقَطَهٗۤ اٰلُ فِرْعَوْنَ لِیَكُوْنَ لَهُمْ عَدُوًّا وَّحَزَنًا ؕ— اِنَّ فِرْعَوْنَ وَهَامٰنَ وَجُنُوْدَهُمَا كَانُوْا خٰطِـِٕیْنَ ۟
तो फ़िरऔन के घर वालों[4] ने उसे उठा लिया, ताकि अंत में वह उनका शत्रु और शोक का कारण ठहरे। निःसंदेह फ़िरऔन तथा हामान और उनकी सेनाएँ पापी थीं।
4. अर्थात उसे एक संदूक़ में रखकर दरिया में डाल दिया जिसे फ़िरऔन की पत्नी ने निकालकर उसे (मूसा को) अपना पुत्र बना लिया।
عربی تفاسیر:
وَقَالَتِ امْرَاَتُ فِرْعَوْنَ قُرَّتُ عَیْنٍ لِّیْ وَلَكَ ؕ— لَا تَقْتُلُوْهُ ۖۗ— عَسٰۤی اَنْ یَّنْفَعَنَاۤ اَوْ نَتَّخِذَهٗ وَلَدًا وَّهُمْ لَا یَشْعُرُوْنَ ۟
और फ़िरऔन की पत्नी ने कहा : यह मेरी तथा तेरी आँखों की ठंडक है। इसे क़त्ल न करो। आशा है कि वह हमें लाभ पहुँचाए, या हम उसे पुत्र बना लें और वे समझते न थे।
عربی تفاسیر:
وَاَصْبَحَ فُؤَادُ اُمِّ مُوْسٰی فٰرِغًا ؕ— اِنْ كَادَتْ لَتُبْدِیْ بِهٖ لَوْلَاۤ اَنْ رَّبَطْنَا عَلٰی قَلْبِهَا لِتَكُوْنَ مِنَ الْمُؤْمِنِیْنَ ۟
और मूसा की माता का दिल (मूसा की याद के सिवा हर चीज़ से) खाली हो गया। निश्चय वह क़रीब थी कि उसे प्रकट कर देती, यदि हम उसके दिल को मज़बूत कर उसका ढारस न बँधा देते, ताकि वह ईमानवालों में से हो जाए।
عربی تفاسیر:
وَقَالَتْ لِاُخْتِهٖ قُصِّیْهِ ؗ— فَبَصُرَتْ بِهٖ عَنْ جُنُبٍ وَّهُمْ لَا یَشْعُرُوْنَ ۟ۙ
तथा (मूसा की माँ ने) उसकी बहन से कहा : इसके पीछे-पीछे जा। तो वह उसे दूर ही दूर से देखती रही और उन्हें (इसका) आभास नहीं होता था।
عربی تفاسیر:
وَحَرَّمْنَا عَلَیْهِ الْمَرَاضِعَ مِنْ قَبْلُ فَقَالَتْ هَلْ اَدُلُّكُمْ عَلٰۤی اَهْلِ بَیْتٍ یَّكْفُلُوْنَهٗ لَكُمْ وَهُمْ لَهٗ نٰصِحُوْنَ ۟
और हमने उसपर पहले से[5] सभी दूध हराम कर दिए। तो उस (की बहन) ने कहा : क्या मैं तुम्हें एक घर वाले बताऊँ, जो तुम्हारे लिए इसका पालन-पोषण करें और वे इसके शुभचिंतक हों?
5. अर्थात उसकी माता के पास आने से पहले।
عربی تفاسیر:
فَرَدَدْنٰهُ اِلٰۤی اُمِّهٖ كَیْ تَقَرَّ عَیْنُهَا وَلَا تَحْزَنَ وَلِتَعْلَمَ اَنَّ وَعْدَ اللّٰهِ حَقٌّ وَّلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟۠
तो हम उसे उसकी माँ के पास वापस ले आए, ताकि उसकी आँख ठंडी हो और वह शोक न करे, और ताकि वह जान ले कि निश्चय अल्लाह का वादा सच्चा है, लेकिन उनमें से ज्यादातर नहीं जानते।
عربی تفاسیر:
وَلَمَّا بَلَغَ اَشُدَّهٗ وَاسْتَوٰۤی اٰتَیْنٰهُ حُكْمًا وَّعِلْمًا ؕ— وَكَذٰلِكَ نَجْزِی الْمُحْسِنِیْنَ ۟
और जब वह अपनी जवानी को पहुँचा और पूरा बलवान हो गया, तो हमने उसे निर्णय-शक्ति और ज्ञान प्रदान किया और इसी प्रकार हम भलाई करने वालों को बदला देते हैं।
عربی تفاسیر:
وَدَخَلَ الْمَدِیْنَةَ عَلٰی حِیْنِ غَفْلَةٍ مِّنْ اَهْلِهَا فَوَجَدَ فِیْهَا رَجُلَیْنِ یَقْتَتِلٰنِ ؗ— هٰذَا مِنْ شِیْعَتِهٖ وَهٰذَا مِنْ عَدُوِّهٖ ۚ— فَاسْتَغَاثَهُ الَّذِیْ مِنْ شِیْعَتِهٖ عَلَی الَّذِیْ مِنْ عَدُوِّهٖ ۙ— فَوَكَزَهٗ مُوْسٰی فَقَضٰی عَلَیْهِ ؗ— قَالَ هٰذَا مِنْ عَمَلِ الشَّیْطٰنِ ؕ— اِنَّهٗ عَدُوٌّ مُّضِلٌّ مُّبِیْنٌ ۟
और वह नगर में उसके लोगों की कुछ असावधानी के समय में प्रवेश किया, तो उसमें दो व्यक्तियों को लड़ते हुए पाया। यह उसके गिरोह में से है और यह उसके शत्रुओं में से।[6] तो जो उसके गिरोह में से था, उसने उसके विरुद्ध उससे मदद माँगी, जो उसके शत्रुओं में से था। तो मूसा ने उसे घूँसा मारा तो उसका काम तमाम कर दिया। (मूसा ने) कहा : यह शैतान के काम से है, निश्चित रूप से वह खुले तौर पर गुमराह करने वाला दुश्मन है।
6. अर्थात एक इसराईली तथा दूसरा क़िब्ती फ़िरऔन की जाति से था।
عربی تفاسیر:
قَالَ رَبِّ اِنِّیْ ظَلَمْتُ نَفْسِیْ فَاغْفِرْ لِیْ فَغَفَرَ لَهٗ ؕ— اِنَّهٗ هُوَ الْغَفُوْرُ الرَّحِیْمُ ۟
उसने कहा : ऐ मेरे पालनहार! निश्चय ही मैंने अपने ऊपर अत्याचार किया है, अतः मुझे क्षमा कर दे। तो उसने उसे क्षमा कर दिया, निःसंदेह वही बड़ा क्षमाशील, अत्यंत दयावान है।
عربی تفاسیر:
قَالَ رَبِّ بِمَاۤ اَنْعَمْتَ عَلَیَّ فَلَنْ اَكُوْنَ ظَهِیْرًا لِّلْمُجْرِمِیْنَ ۟
उसने कहा : ऐ मेरे पालनहार! इस कारण कि तूने मुझपर उपकार किया है, मैं कभी भी अपराधियों का सहायक नहीं बनूँगा।
عربی تفاسیر:
فَاَصْبَحَ فِی الْمَدِیْنَةِ خَآىِٕفًا یَّتَرَقَّبُ فَاِذَا الَّذِی اسْتَنْصَرَهٗ بِالْاَمْسِ یَسْتَصْرِخُهٗ ؕ— قَالَ لَهٗ مُوْسٰۤی اِنَّكَ لَغَوِیٌّ مُّبِیْنٌ ۟
फिर उसने नगर में डरते हुए सुबह की, इंतज़ार करता था (कि अब क्या होगा)। तो अचानक वही व्यक्ति जिसने कल उससे सहायता माँगी थी, उसे गुहार रहा था। मूसा ने उससे कहा : निश्चय ही तू अवश्य खुला गुमराह है।
عربی تفاسیر:
فَلَمَّاۤ اَنْ اَرَادَ اَنْ یَّبْطِشَ بِالَّذِیْ هُوَ عَدُوٌّ لَّهُمَا ۙ— قَالَ یٰمُوْسٰۤی اَتُرِیْدُ اَنْ تَقْتُلَنِیْ كَمَا قَتَلْتَ نَفْسًا بِالْاَمْسِ ۗ— اِنْ تُرِیْدُ اِلَّاۤ اَنْ تَكُوْنَ جَبَّارًا فِی الْاَرْضِ وَمَا تُرِیْدُ اَنْ تَكُوْنَ مِنَ الْمُصْلِحِیْنَ ۟
फिर जब उस (मूसा) ने उसे पकड़ना चाहा, जो उन दोनों का शत्रु था, तो उस (इसराईली) ने कहा : ऐ मूसा! क्या तू मुझे मारना चाहता है, जैसे तूने कल एक व्यक्ति को मार डाला था? तू केवल यही चाहता है कि धरती में शक्तिशाली बन जाए और तू नहीं चाहता कि सुधार करने वालों में से हो।
عربی تفاسیر:
وَجَآءَ رَجُلٌ مِّنْ اَقْصَا الْمَدِیْنَةِ یَسْعٰی ؗ— قَالَ یٰمُوْسٰۤی اِنَّ الْمَلَاَ یَاْتَمِرُوْنَ بِكَ لِیَقْتُلُوْكَ فَاخْرُجْ اِنِّیْ لَكَ مِنَ النّٰصِحِیْنَ ۟
और एक व्यक्ति नगर के सबसे दूर छोर से दौड़ता हुआ आया। उसने कहा : ऐ मूसा! निःसंदेह प्रमुख लोग तेरे विषय में परामर्श कर रहे हैं कि तुझे मार डालें। अतः तू (यहाँ से) निकल जा। निश्चय मैं तेरा शुभचिंतक हूँ।
عربی تفاسیر:
فَخَرَجَ مِنْهَا خَآىِٕفًا یَّتَرَقَّبُ ؗ— قَالَ رَبِّ نَجِّنِیْ مِنَ الْقَوْمِ الظّٰلِمِیْنَ ۟۠
तो वह डरता हुआ उस (शहर) से निकल पड़ा, इंतज़ार करता था (कि अब क्या होगा), उसने प्रार्थना की : ऐ मेरे पालनहार! मुझे इन ज़ालिम लोगों से बचा ले।
عربی تفاسیر:
وَلَمَّا تَوَجَّهَ تِلْقَآءَ مَدْیَنَ قَالَ عَسٰی رَبِّیْۤ اَنْ یَّهْدِیَنِیْ سَوَآءَ السَّبِیْلِ ۟
और जब उसने मदयन की ओर रुख़ किया, तो कहा : आशा है कि मेरा पालनहार मुझे सीधे मार्ग पर ले जाए।
عربی تفاسیر:
وَلَمَّا وَرَدَ مَآءَ مَدْیَنَ وَجَدَ عَلَیْهِ اُمَّةً مِّنَ النَّاسِ یَسْقُوْنَ ؗ۬— وَوَجَدَ مِنْ دُوْنِهِمُ امْرَاَتَیْنِ تَذُوْدٰنِ ۚ— قَالَ مَا خَطْبُكُمَا ؕ— قَالَتَا لَا نَسْقِیْ حَتّٰی یُصْدِرَ الرِّعَآءُ ٚ— وَاَبُوْنَا شَیْخٌ كَبِیْرٌ ۟
और जब वह मदयन के पानी पर पहुँचा, तो उसपर लागों का एक समूह पाया, जो (अपने पशुओं को) पानी पिला रहा था। तथा उनके एक तरफ दो महिलाओं को पाया जो (अपने पशुओं को) रोक रही थीं। उसने कहा : तुम्हारा क्या मामला है? उन दोनों ने कहा : हम पानी नहीं पिलाते यहाँ तक कि चरवाहे (अपने जानवरों को) पिलाकर वापस ले जाएँ और हमारे पिता बहुत बूढ़े हैं।
عربی تفاسیر:
فَسَقٰی لَهُمَا ثُمَّ تَوَلّٰۤی اِلَی الظِّلِّ فَقَالَ رَبِّ اِنِّیْ لِمَاۤ اَنْزَلْتَ اِلَیَّ مِنْ خَیْرٍ فَقِیْرٌ ۟
तो उसने उनके लिए पानी पिला दिया। फिर पलट कर छाया की ओर आ गया और कहा : ऐ मेरे पालनहार! निःसंदेह मैं, जो भलाई भी तू मुझपर उतार दे, मैं उसका मोहताज हूँ।
عربی تفاسیر:
فَجَآءَتْهُ اِحْدٰىهُمَا تَمْشِیْ عَلَی اسْتِحْیَآءٍ ؗ— قَالَتْ اِنَّ اَبِیْ یَدْعُوْكَ لِیَجْزِیَكَ اَجْرَ مَا سَقَیْتَ لَنَا ؕ— فَلَمَّا جَآءَهٗ وَقَصَّ عَلَیْهِ الْقَصَصَ ۙ— قَالَ لَا تَخَفْ ۫— نَجَوْتَ مِنَ الْقَوْمِ الظّٰلِمِیْنَ ۟
फिर दोनों में से एक बहुत लज्जा के साथ चलती हुई उसके पास आई। उसने कहा : निःसंदेह मेरे पिता[7] आपको बुला रहे हैं। ताकि आपको उसका बदला दें जो आपने हमारे लिए (जानवरों को) पानी पिलाया है। तो जब वह (मूसा) उसके पास आया और उसे पूरी स्थिति बताई, तो उसने कहा : डरो मत, तुम उन ज़ालिम लोगों[8] से बच निकले हो।
7. व्याख्याकारों ने लिखा है कि वह आदरणीय शुऐब (अलैहिस्सलाम) थे जो मदयन के नबी थे। (देखिए : इब्ने कसीर) 8. अर्थात फ़िरऔनियों से।
عربی تفاسیر:
قَالَتْ اِحْدٰىهُمَا یٰۤاَبَتِ اسْتَاْجِرْهُ ؗ— اِنَّ خَیْرَ مَنِ اسْتَاْجَرْتَ الْقَوِیُّ الْاَمِیْنُ ۟
उन दोनों स्त्रियों में से एक ने कहा : ऐ मेरे पिता! इसे मज़दूरी पर रख लें, क्योंकि सबसे अच्छा व्यक्ति जिसे आप मज़दूरी पर रखें वही है जो शक्तिशाली, अमानतदार हो।
عربی تفاسیر:
قَالَ اِنِّیْۤ اُرِیْدُ اَنْ اُنْكِحَكَ اِحْدَی ابْنَتَیَّ هٰتَیْنِ عَلٰۤی اَنْ تَاْجُرَنِیْ ثَمٰنِیَ حِجَجٍ ۚ— فَاِنْ اَتْمَمْتَ عَشْرًا فَمِنْ عِنْدِكَ ۚ— وَمَاۤ اُرِیْدُ اَنْ اَشُقَّ عَلَیْكَ ؕ— سَتَجِدُنِیْۤ اِنْ شَآءَ اللّٰهُ مِنَ الصّٰلِحِیْنَ ۟
उसने कहा : निःसंदेह मैं चाहता हूँ कि अपनी इन दो बेटियों में से एक का विवाह तुमसे कर दूँ, इस (शर्त) पर कि तुम आठ वर्ष मेरी मज़दूरी करोगे। फिर यदि तुम दस (वर्ष) पूरे कर दो, तो वह तुम्हारी ओर से है और मैं नहीं चाहता कि तुमपर बोझ डालूँ। यदि अल्लाह ने चाहा, तो तुम मुझे सदाचारियों में से पाओगे।
عربی تفاسیر:
قَالَ ذٰلِكَ بَیْنِیْ وَبَیْنَكَ ؕ— اَیَّمَا الْاَجَلَیْنِ قَضَیْتُ فَلَا عُدْوَانَ عَلَیَّ ؕ— وَاللّٰهُ عَلٰی مَا نَقُوْلُ وَكِیْلٌ ۟۠
(मूसा ने) कहा : यह मेरे और आपके बीच (निश्चित) है। इन दोनों में से जो अवधि मैं पूरी कर दूँ, तो मुझपर कोई अति न होगी। और हम जो कुछ कह रहे हैं उसपर अल्लाह गवाह है।
عربی تفاسیر:
فَلَمَّا قَضٰی مُوْسَی الْاَجَلَ وَسَارَ بِاَهْلِهٖۤ اٰنَسَ مِنْ جَانِبِ الطُّوْرِ نَارًا ۚ— قَالَ لِاَهْلِهِ امْكُثُوْۤا اِنِّیْۤ اٰنَسْتُ نَارًا لَّعَلِّیْۤ اٰتِیْكُمْ مِّنْهَا بِخَبَرٍ اَوْ جَذْوَةٍ مِّنَ النَّارِ لَعَلَّكُمْ تَصْطَلُوْنَ ۟
फिर जब मूसा ने वह अवधि पूरी कर दी और अपने परिवार को लेकर चला, तो उसने तूर (पर्वत) की ओर से एक आग देखी। उसने अपने परिवार से कहा : ठहरो, मैंने एक आग देखी है, संभव है कि मैं तुम्हारे लिए उससे कोई समाचार ले आऊँ, या आग का कोई अंगारा, ताकि तुम ताप लो।
عربی تفاسیر:
فَلَمَّاۤ اَتٰىهَا نُوْدِیَ مِنْ شَاطِئِ الْوَادِ الْاَیْمَنِ فِی الْبُقْعَةِ الْمُبٰرَكَةِ مِنَ الشَّجَرَةِ اَنْ یّٰمُوْسٰۤی اِنِّیْۤ اَنَا اللّٰهُ رَبُّ الْعٰلَمِیْنَ ۟ۙ
फिर जब वह उसके पास आया, तो उस बरकत वाली जगह में घाटी के दाहिनी ओर से एक वृक्ष से आवाज़ दी गई : ऐ मूसा! निःसंदेह मैं ही अल्लाह हूँ, जो सारे संसारों का पालनहार है।
عربی تفاسیر:
وَاَنْ اَلْقِ عَصَاكَ ؕ— فَلَمَّا رَاٰهَا تَهْتَزُّ كَاَنَّهَا جَآنٌّ وَّلّٰی مُدْبِرًا وَّلَمْ یُعَقِّبْ ؕ— یٰمُوْسٰۤی اَقْبِلْ وَلَا تَخَفْ ۫— اِنَّكَ مِنَ الْاٰمِنِیْنَ ۟
और यह कि अपनी लाठी फेंक दो। फिर जब उसने उसे देखा कि रेंग रही है, मानो वह एक साँप है, तो पीठ फेरकर चल दिया और पीछे नहीं मुड़ा। ऐ मूसा! आगे बढ़ो और डरो मत, निश्चित रूप से तुम सुरक्षित रहने वालों में से हो।
عربی تفاسیر:
اُسْلُكْ یَدَكَ فِیْ جَیْبِكَ تَخْرُجْ بَیْضَآءَ مِنْ غَیْرِ سُوْٓءٍ ؗ— وَّاضْمُمْ اِلَیْكَ جَنَاحَكَ مِنَ الرَّهْبِ فَذٰنِكَ بُرْهَانٰنِ مِنْ رَّبِّكَ اِلٰی فِرْعَوْنَ وَمَلَاۡىِٕهٖ ؕ— اِنَّهُمْ كَانُوْا قَوْمًا فٰسِقِیْنَ ۟
अपना हाथ अपने गरीबान में डाल। वह बिना किसी दोष के सफेद (चमकदार) निकलेगा। और भय से (बचने के लिए) अपनी भुजा को अपनी ओर चिमटा ले। तो ये दोनों तेरे पालनहार की ओर से फ़िरऔन तथा उसके प्रमुखों के लिए दो प्रमाण हैं। निःसंदेह वे हमेशा से अवज्ञाकारी लोग हैं।
عربی تفاسیر:
قَالَ رَبِّ اِنِّیْ قَتَلْتُ مِنْهُمْ نَفْسًا فَاَخَافُ اَنْ یَّقْتُلُوْنِ ۟
उसने कहा : ऐ मेरे पालनहार! मैंने उनमें से एक व्यक्ति को क़त्ल किया है। इसलिए मैं डरता हूँ कि वे मुझे मार देंगे।
عربی تفاسیر:
وَاَخِیْ هٰرُوْنُ هُوَ اَفْصَحُ مِنِّیْ لِسَانًا فَاَرْسِلْهُ مَعِیَ رِدْاً یُّصَدِّقُنِیْۤ ؗ— اِنِّیْۤ اَخَافُ اَنْ یُّكَذِّبُوْنِ ۟
और मेरा भाई हारून, वह ज़बान में मुझसे अधिक वाक्पटु है। अतः उसे मेरे साथ सहायक बनाकर भेज कि वह मेरी तसदीक़ करे। निःसंदेह मैं डरता हूँ कि वे मुझे झुठला देंगे।
عربی تفاسیر:
قَالَ سَنَشُدُّ عَضُدَكَ بِاَخِیْكَ وَنَجْعَلُ لَكُمَا سُلْطٰنًا فَلَا یَصِلُوْنَ اِلَیْكُمَا ۚۛ— بِاٰیٰتِنَا ۚۛ— اَنْتُمَا وَمَنِ اتَّبَعَكُمَا الْغٰلِبُوْنَ ۟
फरमाया : हम तेरे भाई के साथ तेरा हाथ अवश्य मज़बूत करेंगे और तुम दोनों को प्रभुता प्रदान करेंगे। अतः वे तुम दोनों तक नहीं पहुँच सकेंगे। हमारी निशानियों के कारण तुम दोनों और जिन्होंने तुम्हारा अनुसरण किया, प्रभावी रहने वाले हो।
عربی تفاسیر:
فَلَمَّا جَآءَهُمْ مُّوْسٰی بِاٰیٰتِنَا بَیِّنٰتٍ قَالُوْا مَا هٰذَاۤ اِلَّا سِحْرٌ مُّفْتَرًی وَّمَا سَمِعْنَا بِهٰذَا فِیْۤ اٰبَآىِٕنَا الْاَوَّلِیْنَ ۟
फिर जब मूसा उनके पास हमारी खुली निशानियाँ लेकर आए, तो उन्होंने कहा : यह तो बस एक मनगढ़ंत जादू है और हमने इसे अपने पहले बाप-दादों में नहीं सुना।
عربی تفاسیر:
وَقَالَ مُوْسٰی رَبِّیْۤ اَعْلَمُ بِمَنْ جَآءَ بِالْهُدٰی مِنْ عِنْدِهٖ وَمَنْ تَكُوْنُ لَهٗ عَاقِبَةُ الدَّارِ ؕ— اِنَّهٗ لَا یُفْلِحُ الظّٰلِمُوْنَ ۟
तथा मूसा ने कहा : मेरा पालनहार उसे अधिक जानने वाला है जो उसके पास से मार्गदर्शन लेकर आया और उसको भी जिसके लिए (आख़िरत के) घर का परिणाम अच्छा होगा। निःसंदेह सत्य यह है कि अत्याचारी सफल नहीं होते।
عربی تفاسیر:
وَقَالَ فِرْعَوْنُ یٰۤاَیُّهَا الْمَلَاُ مَا عَلِمْتُ لَكُمْ مِّنْ اِلٰهٍ غَیْرِیْ ۚ— فَاَوْقِدْ لِیْ یٰهَامٰنُ عَلَی الطِّیْنِ فَاجْعَلْ لِّیْ صَرْحًا لَّعَلِّیْۤ اَطَّلِعُ اِلٰۤی اِلٰهِ مُوْسٰی ۙ— وَاِنِّیْ لَاَظُنُّهٗ مِنَ الْكٰذِبِیْنَ ۟
तथा फ़िरऔन ने कहा : ऐ प्रमुखो! मैंने अपने सिवा तुम्हारे लिए कोई पूज्य नहीं जाना। तो ऐ हामान! मेरे लिए मिट्टी पर आग जला, फिर मेरे लिए एक ऊँचा भवन बना, ताकि मैं मूसा के पूज्य को झाँककर देखूँ। और निःसंदेह मैं निश्चय उसे झूठों में से समझता हूँ।
عربی تفاسیر:
وَاسْتَكْبَرَ هُوَ وَجُنُوْدُهٗ فِی الْاَرْضِ بِغَیْرِ الْحَقِّ وَظَنُّوْۤا اَنَّهُمْ اِلَیْنَا لَا یُرْجَعُوْنَ ۟
तथा वह और उसकी सेना बिना किसी अधिकार के देश में बड़े बन बैठे और उन्होंने सोचा कि निश्चित रूप से वे हमारे पास वापस नहीं लाए जाएँगे।
عربی تفاسیر:
فَاَخَذْنٰهُ وَجُنُوْدَهٗ فَنَبَذْنٰهُمْ فِی الْیَمِّ ۚ— فَانْظُرْ كَیْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الظّٰلِمِیْنَ ۟
तो हमने उसे और उसकी सेनाओं को पकड़ लिया, फिर उन्हें समुद्र में फेंक दिया। तो देखो कि अत्याचारियों का अंत (परिणाम) कैसा था।
عربی تفاسیر:
وَجَعَلْنٰهُمْ اَىِٕمَّةً یَّدْعُوْنَ اِلَی النَّارِ ۚ— وَیَوْمَ الْقِیٰمَةِ لَا یُنْصَرُوْنَ ۟
और हमने उन्हें ऐसे अगवा बनाया, जो आग की ओर बुलाते थे और क़ियामत के दिन उनकी मदद नहीं की जाएगी।
عربی تفاسیر:
وَاَتْبَعْنٰهُمْ فِیْ هٰذِهِ الدُّنْیَا لَعْنَةً ۚ— وَیَوْمَ الْقِیٰمَةِ هُمْ مِّنَ الْمَقْبُوْحِیْنَ ۟۠
और हमने इस संसार में उनके पीछे धिक्कार लगा दी और क़ियामत के दिन वे ठुकराए गए लोगों में से होंगे।
عربی تفاسیر:
وَلَقَدْ اٰتَیْنَا مُوْسَی الْكِتٰبَ مِنْ بَعْدِ مَاۤ اَهْلَكْنَا الْقُرُوْنَ الْاُوْلٰی بَصَآىِٕرَ لِلنَّاسِ وَهُدًی وَّرَحْمَةً لَّعَلَّهُمْ یَتَذَكَّرُوْنَ ۟
और निःसंदेह हमने मूसा को पुस्तक प्रदान की, इसके पश्चात् कि हमने पहली नस्लों को विनष्ट कर दिया, जो लोगों के लिए अंतर्दृष्टिपूर्ण तर्क तथा मार्गदर्शन और दया थी, ताकि वे नसीहत ग्रहण करें।
عربی تفاسیر:
وَمَا كُنْتَ بِجَانِبِ الْغَرْبِیِّ اِذْ قَضَیْنَاۤ اِلٰی مُوْسَی الْاَمْرَ وَمَا كُنْتَ مِنَ الشّٰهِدِیْنَ ۟ۙ
और उस समय आप पश्चिमी किनारे[9] पर नहीं थे, जब हमने मूसा की ओर आदेश पहुँचाया और न ही आप उपस्थित[10] लोगों में से थे।
9. पश्चिमी किनारे से अभिप्राय तूर पर्वत का पश्चिमी भाग है जहाँ मूसा (अलैहिस्सलाम) को तौरात प्रदान की गई। 10. इनसे अभिप्राय वे बनी इसराईल हैं जिनसे धर्मविधान प्रदान करते समय उसका पालन करने का वचन लिया गया था।
عربی تفاسیر:
وَلٰكِنَّاۤ اَنْشَاْنَا قُرُوْنًا فَتَطَاوَلَ عَلَیْهِمُ الْعُمُرُ ۚ— وَمَا كُنْتَ ثَاوِیًا فِیْۤ اَهْلِ مَدْیَنَ تَتْلُوْا عَلَیْهِمْ اٰیٰتِنَا ۙ— وَلٰكِنَّا كُنَّا مُرْسِلِیْنَ ۟
परंतु हमने (मूसा के बाद) बहुत-सी नस्लें पैदा कीं, फिर उनपर लंबा समय बीत गया तथा न आप मदयन वालों के बीच रहने वाले थे कि उन्हें हमारी आयतें पढ़कर सुनाते हों, परंतु हम ही (रसूल) भेजने वाले हैं।[11]
11. भावार्थ यह है कि आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) हज़ारों वर्ष पहले के जो समाचार इस समय सुना रहे हैं जैसे आँखों से देखें हों, वह अल्लाह की ओर से वह़्य के कारण ही सुना रहे हैं, जो आपके सच्चे नबी होने का प्रमाण है।
عربی تفاسیر:
وَمَا كُنْتَ بِجَانِبِ الطُّوْرِ اِذْ نَادَیْنَا وَلٰكِنْ رَّحْمَةً مِّنْ رَّبِّكَ لِتُنْذِرَ قَوْمًا مَّاۤ اَتٰىهُمْ مِّنْ نَّذِیْرٍ مِّنْ قَبْلِكَ لَعَلَّهُمْ یَتَذَكَّرُوْنَ ۟
तथा न (ही) आप तूर (पर्वत) के किनारे पर थे, जब हमने (मूसा को) पुकारा। परंतु आपके पालनहार की ओर से दया है, ताकि आप उन लोगों को डराएँ, जिनके पास आपसे पहले कोई डराने वाला नहीं आया, ताकि वे नसीहत ग्रहण करें।
عربی تفاسیر:
وَلَوْلَاۤ اَنْ تُصِیْبَهُمْ مُّصِیْبَةٌ بِمَا قَدَّمَتْ اَیْدِیْهِمْ فَیَقُوْلُوْا رَبَّنَا لَوْلَاۤ اَرْسَلْتَ اِلَیْنَا رَسُوْلًا فَنَتَّبِعَ اٰیٰتِكَ وَنَكُوْنَ مِنَ الْمُؤْمِنِیْنَ ۟
तथा यदि ऐसा न होता कि उन्हें उसके कारण कोई विपत्ति पहुँचेगी जो उनके हाथों ने आगे भेजा, तो वे कहेंगे : ऐ हमारे पालनहार! तूने हमारी ओर कोई रसूल क्यों न भेजा कि हम तेरी आयतों का अनुसरण करते और ईमान वालों में से हो जाते।[12]
12. अर्थात आपको उनकी ओर रसूल बना कर इसलिए भेजा है ताकि प्रलय के दिन उनको यह कहने का अवसर न मिले कि हमारे पास कोई रसूल नहीं आया ताकि हम ईमान लाते।
عربی تفاسیر:
فَلَمَّا جَآءَهُمُ الْحَقُّ مِنْ عِنْدِنَا قَالُوْا لَوْلَاۤ اُوْتِیَ مِثْلَ مَاۤ اُوْتِیَ مُوْسٰی ؕ— اَوَلَمْ یَكْفُرُوْا بِمَاۤ اُوْتِیَ مُوْسٰی مِنْ قَبْلُ ۚ— قَالُوْا سِحْرٰنِ تَظَاهَرَا ۫— وَقَالُوْۤا اِنَّا بِكُلٍّ كٰفِرُوْنَ ۟
फिर जब उनके पास हमारी ओर से सत्य आ गया, तो उन्होंने कहा : उसे उस जैसी चीज़ें क्यों न दी गईं, जो मूसा को दी गईं? तो क्या उन्होंने इससे पहले उन चीज़ों का इनकार नहीं किया जो मूसा को दी गई थीं? उन्होंने कहा : ये दोनों[13] (सर्वथा) जादू हैं, जो एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं, और कहने लगे : हम तो इन सब का इनकार करने वाले हैं।
13. अर्थात तौरात और क़ुरआन।
عربی تفاسیر:
قُلْ فَاْتُوْا بِكِتٰبٍ مِّنْ عِنْدِ اللّٰهِ هُوَ اَهْدٰی مِنْهُمَاۤ اَتَّبِعْهُ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟
(ऐ नबी!) आप कह दें : फिर तुम अल्लाह की ओर से कोई पुस्तक ले आओ, जो इन दोनों[14] से अधिक मार्गदर्शन वाली हो, ताकि मैं उसका अनुसरण करूँ, यदि तुम सच्चे हो।
14. अर्थात क़ुरआन और तौरात से।
عربی تفاسیر:
فَاِنْ لَّمْ یَسْتَجِیْبُوْا لَكَ فَاعْلَمْ اَنَّمَا یَتَّبِعُوْنَ اَهْوَآءَهُمْ ؕ— وَمَنْ اَضَلُّ مِمَّنِ اتَّبَعَ هَوٰىهُ بِغَیْرِ هُدًی مِّنَ اللّٰهِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَا یَهْدِی الْقَوْمَ الظّٰلِمِیْنَ ۟۠
फिर यदि वे आपकी माँग पूरी न करें, तो आप जान लें कि वे केवल अपनी इच्छाओं का पालन कर रहे हैं, और उससे बढ़कर पथभ्रष्ट कौन है, जो अल्लाह की ओर से किसी मार्गदर्शन के बिना अपनी इच्छा का पालन करे? निःसंदेह अल्लाह अत्याचार करने वाले लोगों को मार्ग नहीं दिखाता।
عربی تفاسیر:
وَلَقَدْ وَصَّلْنَا لَهُمُ الْقَوْلَ لَعَلَّهُمْ یَتَذَكَّرُوْنَ ۟ؕ
और निःसंदेह हमने उनकी ओर निरंतर संदेश पहुँचाया, ताकि वे नसीहत ग्रहण करें।
عربی تفاسیر:
اَلَّذِیْنَ اٰتَیْنٰهُمُ الْكِتٰبَ مِنْ قَبْلِهٖ هُمْ بِهٖ یُؤْمِنُوْنَ ۟
जिन लोगों को हमने इससे पहले किताब[15] दी थी, वे[16] इसपर ईमान लाते हैं।
15. अर्थात तौरात तथा इंजील। 16. अर्थात उनमें से जिन्होंने अपनी मूल पुस्तक में परिवर्तन नहीं किया है।
عربی تفاسیر:
وَاِذَا یُتْلٰی عَلَیْهِمْ قَالُوْۤا اٰمَنَّا بِهٖۤ اِنَّهُ الْحَقُّ مِنْ رَّبِّنَاۤ اِنَّا كُنَّا مِنْ قَبْلِهٖ مُسْلِمِیْنَ ۟
तथा जब यह उनके सामने पढ़ा जाता है, तो वे कहते हैं : हम इसपर ईमान लाए। निश्चय यही हमारे रब की ओर से सत्य है। निःसंदेह हम इससे पहले मुसलमान (आज्ञाकारी) थे।
عربی تفاسیر:
اُولٰٓىِٕكَ یُؤْتَوْنَ اَجْرَهُمْ مَّرَّتَیْنِ بِمَا صَبَرُوْا وَیَدْرَءُوْنَ بِالْحَسَنَةِ السَّیِّئَةَ وَمِمَّا رَزَقْنٰهُمْ یُنْفِقُوْنَ ۟
ये वे लोग हैं जिन्हें उनका प्रतिफल दोहरा[17] दिया जाएगा, इसके बदले कि उन्होंने सब्र किया और वे भलाई के साथ बुराई को दूर करते हैं और जो कुछ हमने उन्हें दिया है उसमें से खर्च करते हैं।
17. अपनी पुस्तक तथा क़ुरआन दोनों पर ईमान लाने के कारण। (देखिए : सह़ीह़ बुख़ारी : 97, मुस्लिम : 154)
عربی تفاسیر:
وَاِذَا سَمِعُوا اللَّغْوَ اَعْرَضُوْا عَنْهُ وَقَالُوْا لَنَاۤ اَعْمَالُنَا وَلَكُمْ اَعْمَالُكُمْ ؗ— سَلٰمٌ عَلَیْكُمْ ؗ— لَا نَبْتَغِی الْجٰهِلِیْنَ ۟
और जब वे व्यर्थ बात सुनते हैं, तो उससे किनारा करते हैं, तथा कहते हैं : हमारे लिए हमारे कर्म हैं और तुम्हारे लिए तुम्हारे कर्म। सलाम है तुमपर, हम जाहिलों को नहीं चाहते।
عربی تفاسیر:
اِنَّكَ لَا تَهْدِیْ مَنْ اَحْبَبْتَ وَلٰكِنَّ اللّٰهَ یَهْدِیْ مَنْ یَّشَآءُ ۚ— وَهُوَ اَعْلَمُ بِالْمُهْتَدِیْنَ ۟
निःसंदेह आप उसे हिदायत नहीं दे सकते जिसे आप चाहें,[18] परंतु अल्लाह हिदायत देता है जिसे चाहता है और वह हिदायत पाने वालों को अधिक जानने वाला है।
18. ह़दीस में वर्णित है कि जब नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के (काफ़िर) चाचा अबू तालिब के निधन का समय हुआ, तो आप उनके पास गए। उस समय उनके पास अबू जह्ल तथा अब्दुल्लाह बिन अबी उमय्या उपस्थित थे। आपने कहा : चाचा! ''ला इलाहा इल्लल्लाह'' कह दें, ताकि मैं क़ियामत के दिन अल्लाह से आपकी क्षमा के लिए सिफ़ारिश कर सकूँ। परंतु दोनों के कहने पर उन्होंने अस्वीकार कर दिया और उनका अंत कुफ़्र पर हुआ। इसी विषय में यह आयत उतरी। (सह़ीह़ बुख़ारी, ह़दीस संख्या : 4772)
عربی تفاسیر:
وَقَالُوْۤا اِنْ نَّتَّبِعِ الْهُدٰی مَعَكَ نُتَخَطَّفْ مِنْ اَرْضِنَا ؕ— اَوَلَمْ نُمَكِّنْ لَّهُمْ حَرَمًا اٰمِنًا یُّجْبٰۤی اِلَیْهِ ثَمَرٰتُ كُلِّ شَیْءٍ رِّزْقًا مِّنْ لَّدُنَّا وَلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟
तथा उन्होंने कहा : यदि हम आपके साथ इस मार्गदर्शन का अनुसरण करें, तो हम अपनी धरती से उचक[19] लिए जाएँगे। और क्या हमने उन्हें एक शांतिपूर्ण (सुरक्षित) हरम[20] में जगह नहीं दी? जिसकी ओर, हमारे पास से रोज़ी के तौर पर, सब वस्तुओं के फल खींचकर लाए जाते हैं। परंतु उनमें से अधिकतर लोग नहीं जानते।
19. अर्थात हमारे विरोधी हमपर आक्रमण कर देंगे। 20. अर्थात मक्का नगर को।
عربی تفاسیر:
وَكَمْ اَهْلَكْنَا مِنْ قَرْیَةٍ بَطِرَتْ مَعِیْشَتَهَا ۚ— فَتِلْكَ مَسٰكِنُهُمْ لَمْ تُسْكَنْ مِّنْ بَعْدِهِمْ اِلَّا قَلِیْلًا ؕ— وَكُنَّا نَحْنُ الْوٰرِثِیْنَ ۟
और हमने कितनी ही बस्तियों को विनष्ट कर दिया, जो अपनी गुज़र-बसर के संसाधनों पर इतराने लगी थीं। तो ये हैं उनके घर, जो उनके बाद आबाद नहीं किए गए, परंतु बहुत कम। और हम ही हमेशा उत्तराधिकारी बनने वाले हैं।
عربی تفاسیر:
وَمَا كَانَ رَبُّكَ مُهْلِكَ الْقُرٰی حَتّٰی یَبْعَثَ فِیْۤ اُمِّهَا رَسُوْلًا یَّتْلُوْا عَلَیْهِمْ اٰیٰتِنَا ۚ— وَمَا كُنَّا مُهْلِكِی الْقُرٰۤی اِلَّا وَاَهْلُهَا ظٰلِمُوْنَ ۟
और आपका पालनहार कभी बस्तियों को विनष्ट करने वाला नहीं, यहाँ तक कि उनके केंद्र में एक रसूल भेजे जो उनके सामने हमारी आयतें पढ़े। तथा हम कभी बस्तियों को विनष्ट करने वाले नहीं, परंतु जबकि उसके निवासी अत्याचारी हों।
عربی تفاسیر:
وَمَاۤ اُوْتِیْتُمْ مِّنْ شَیْءٍ فَمَتَاعُ الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا وَزِیْنَتُهَا ۚ— وَمَا عِنْدَ اللّٰهِ خَیْرٌ وَّاَبْقٰی ؕ— اَفَلَا تَعْقِلُوْنَ ۟۠
तथा जो कुछ भी तुम दिए गए हो, वह सांसारिक जीवन का सामान और उसकी शोभा है। और जो अल्लाह के पास है, वह उससे उत्तम और अधिक बाक़ी रहने वाला है, तो क्या तुम नहीं समझते?
عربی تفاسیر:
اَفَمَنْ وَّعَدْنٰهُ وَعْدًا حَسَنًا فَهُوَ لَاقِیْهِ كَمَنْ مَّتَّعْنٰهُ مَتَاعَ الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا ثُمَّ هُوَ یَوْمَ الْقِیٰمَةِ مِنَ الْمُحْضَرِیْنَ ۟
तो क्या वह व्यक्ति जिसे हमने एक अच्छा वादा दिया, फिर वह उसे प्राप्त करने वाला है, उस व्यक्ति की तरह है, जिसे हमने सांसारिक जीवन का सामान दिया, फिर वह क़ियामत के दिन उपस्थित किए जाने वालों में से होगा?[21]
21. अर्थात दंड और यातना का अधिकारी होगा।
عربی تفاسیر:
وَیَوْمَ یُنَادِیْهِمْ فَیَقُوْلُ اَیْنَ شُرَكَآءِیَ الَّذِیْنَ كُنْتُمْ تَزْعُمُوْنَ ۟
और जिस दिन वह[22] उन्हें पुकारेगा, तो कहेगा : कहाँ हैं मेरे वे साझी, जो तुम दावा करते थे?
22. अर्थात अल्लाह प्रलय के दिन पुकारेगा।
عربی تفاسیر:
قَالَ الَّذِیْنَ حَقَّ عَلَیْهِمُ الْقَوْلُ رَبَّنَا هٰۤؤُلَآءِ الَّذِیْنَ اَغْوَیْنَا ۚ— اَغْوَیْنٰهُمْ كَمَا غَوَیْنَا ۚ— تَبَرَّاْنَاۤ اِلَیْكَ ؗ— مَا كَانُوْۤا اِیَّانَا یَعْبُدُوْنَ ۟
वे लोग कहेंगे जिनपर बात[23] सिद्ध हो चुकी : ऐ हमारे पालनहार! ये वे लोग हैं जिन्हें हमने गुमराह किया, हमने उन्हें उसी तरह गुमराह किया जैसे हम गुमराह हुए। हम तेरे सामने (इनसे) अलग होने की घोषणा करते हैं। ये हमारी[24] तो पूजा नहीं करते थे।
23. अर्थात दंड और यातना के अधिकारी होने की। 24. ये हमारे नहीं बल्कि अपने मन के पुजारी थे।
عربی تفاسیر:
وَقِیْلَ ادْعُوْا شُرَكَآءَكُمْ فَدَعَوْهُمْ فَلَمْ یَسْتَجِیْبُوْا لَهُمْ وَرَاَوُا الْعَذَابَ ۚ— لَوْ اَنَّهُمْ كَانُوْا یَهْتَدُوْنَ ۟
तथा कहा जाएगा : अपने साझियों को पुकारो। तो वे उन्हें पुकारेंगे, परंतु वे उन्हें उत्तर न देंगे। तथा वे यातना को देखेंगे, (तो कामना करेंगे) काश कि उन्होंने मार्गदर्शन स्वीकार किया होता।
عربی تفاسیر:
وَیَوْمَ یُنَادِیْهِمْ فَیَقُوْلُ مَاذَاۤ اَجَبْتُمُ الْمُرْسَلِیْنَ ۟
और जिस दिन वह (अल्लाह) उन्हें पुकारेगा, फिर कहेगा : तुमने रसूलों को क्या उत्तर दिया?
عربی تفاسیر:
فَعَمِیَتْ عَلَیْهِمُ الْاَنْۢبَآءُ یَوْمَىِٕذٍ فَهُمْ لَا یَتَسَآءَلُوْنَ ۟
तो उस दिन उनसे सब बातें लुप्त हो जाएँगी, इसलिए वे एक-दूसरे से (भी) नहीं पूछेंगे।
عربی تفاسیر:
فَاَمَّا مَنْ تَابَ وَاٰمَنَ وَعَمِلَ صَالِحًا فَعَسٰۤی اَنْ یَّكُوْنَ مِنَ الْمُفْلِحِیْنَ ۟
फिर जिसने क्षमा माँग ली तथा ईमान ले आया और अच्छा कर्म किया, तो आशा है कि वह सफल होने वालों में से होगा।
عربی تفاسیر:
وَرَبُّكَ یَخْلُقُ مَا یَشَآءُ وَیَخْتَارُ ؕ— مَا كَانَ لَهُمُ الْخِیَرَةُ ؕ— سُبْحٰنَ اللّٰهِ وَتَعٰلٰی عَمَّا یُشْرِكُوْنَ ۟
और आपका पालनहार जो चाहता है पैदा करता है और चुन लेता है, उनके लिए कभी भी अधिकार नहीं। अल्लाह पवित्र है तथा बहुत उच्च है, उससे जो वे साझी बनाते हैं।
عربی تفاسیر:
وَرَبُّكَ یَعْلَمُ مَا تُكِنُّ صُدُوْرُهُمْ وَمَا یُعْلِنُوْنَ ۟
और आपका पालनहार जानता है, जो कुछ उनके सीने छिपाते हैं और जो कुछ वे ज़ाहिर करते हैं।
عربی تفاسیر:
وَهُوَ اللّٰهُ لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ؕ— لَهُ الْحَمْدُ فِی الْاُوْلٰی وَالْاٰخِرَةِ ؗ— وَلَهُ الْحُكْمُ وَاِلَیْهِ تُرْجَعُوْنَ ۟
तथा वही अल्लाह है, जिसके सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं। उसी के लिए दुनिया और आख़िरत में सब प्रशंसा है। तथा उसी का हुक्म (चलता) है और उसी की ओर तुम लौटाए[25] जाओगो।
25.अर्थात ह़िसाब और प्रतिफल के लिए।
عربی تفاسیر:
قُلْ اَرَءَیْتُمْ اِنْ جَعَلَ اللّٰهُ عَلَیْكُمُ الَّیْلَ سَرْمَدًا اِلٰی یَوْمِ الْقِیٰمَةِ مَنْ اِلٰهٌ غَیْرُ اللّٰهِ یَاْتِیْكُمْ بِضِیَآءٍ ؕ— اَفَلَا تَسْمَعُوْنَ ۟
(ऐ नबी!) आप कह दें : क्या तुमने देखा कि यदि अल्लाह क़ियामत के दिन तक तुमपर हमेशा के लिए रात कर दे, तो अल्लाह के सिवा कौन पूज्य है जो तुम्हारे लिए प्रकाश ला सके? तो क्या तुम नहीं सुनते?
عربی تفاسیر:
قُلْ اَرَءَیْتُمْ اِنْ جَعَلَ اللّٰهُ عَلَیْكُمُ النَّهَارَ سَرْمَدًا اِلٰی یَوْمِ الْقِیٰمَةِ مَنْ اِلٰهٌ غَیْرُ اللّٰهِ یَاْتِیْكُمْ بِلَیْلٍ تَسْكُنُوْنَ فِیْهِ ؕ— اَفَلَا تُبْصِرُوْنَ ۟
आप कह दें : क्या तुमने देखा कि यदि अल्लाह क़ियामत के दिन तक तुमपर हमेशा के लिए दिन कर दे, तो अल्लाह के सिवा कौन पूज्य है जो तुम्हारे लिए रात ले आए, जिसमें तुम विश्राम कर सको? तो क्या तुम नहीं देखते?
عربی تفاسیر:
وَمِنْ رَّحْمَتِهٖ جَعَلَ لَكُمُ الَّیْلَ وَالنَّهَارَ لِتَسْكُنُوْا فِیْهِ وَلِتَبْتَغُوْا مِنْ فَضْلِهٖ وَلَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ ۟
तथा उसने अपनी दया ही से तुम्हारे लिए रात और दिन बनाए हैं। ताकि तुम उस (रात) में आराम करो और ताकि उसका कुछ अनुग्रह तलाश करो और ताकि तुम उसके कृतज्ञ बनो।
عربی تفاسیر:
وَیَوْمَ یُنَادِیْهِمْ فَیَقُوْلُ اَیْنَ شُرَكَآءِیَ الَّذِیْنَ كُنْتُمْ تَزْعُمُوْنَ ۟
और जिस दिन वह उन्हें पुकारेगा, तो कहेगा : कहाँ हैं मेरे वे साझी, जो तुम दावा करते थे?
عربی تفاسیر:
وَنَزَعْنَا مِنْ كُلِّ اُمَّةٍ شَهِیْدًا فَقُلْنَا هَاتُوْا بُرْهَانَكُمْ فَعَلِمُوْۤا اَنَّ الْحَقَّ لِلّٰهِ وَضَلَّ عَنْهُمْ مَّا كَانُوْا یَفْتَرُوْنَ ۟۠
और हम प्रत्येक समुदाय से एक गवाह निकालेंगे, फिर हम कहेंगे : लाओ अपने प्रमाण। तो वे जान लेंगे कि निःसंदेह सत्य बात अल्लाह की है, और जो कुछ वे गढ़ते थे, वह उनसे गुम हो जाएगा।
عربی تفاسیر:
اِنَّ قَارُوْنَ كَانَ مِنْ قَوْمِ مُوْسٰی فَبَغٰی عَلَیْهِمْ ۪— وَاٰتَیْنٰهُ مِنَ الْكُنُوْزِ مَاۤ اِنَّ مَفَاتِحَهٗ لَتَنُوْٓاُ بِالْعُصْبَةِ اُولِی الْقُوَّةِ ۗ— اِذْ قَالَ لَهٗ قَوْمُهٗ لَا تَفْرَحْ اِنَّ اللّٰهَ لَا یُحِبُّ الْفَرِحِیْنَ ۟
निःसंदेह क़ारून[26] मूसा की जाति में से था। फिर उसने उनपर सरकशी की और हमने उसे इतने ख़ज़ाने दिए कि निःसंदेह उनकी कुंजियाँ एक बलशाली गिरोह पर भारी पड़ती थीं। जब उसकी जाति ने उससे कहा : मत इतरा। निःसंदेह अल्लाह इतराने वालों से प्रेम नहीं करता।
26. यहाँ से धन के गर्व तथा उसके दुष्परिणाम का एक उदाहरण दिया जा रहा है कि क़ारून, मूसा (अलैहिस्सलाम) के युग का एक धनी व्यक्ति था।
عربی تفاسیر:
وَابْتَغِ فِیْمَاۤ اٰتٰىكَ اللّٰهُ الدَّارَ الْاٰخِرَةَ وَلَا تَنْسَ نَصِیْبَكَ مِنَ الدُّنْیَا وَاَحْسِنْ كَمَاۤ اَحْسَنَ اللّٰهُ اِلَیْكَ وَلَا تَبْغِ الْفَسَادَ فِی الْاَرْضِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَا یُحِبُّ الْمُفْسِدِیْنَ ۟
तथा जो कुछ अल्लाह ने तुझे दिया है, उसमें आख़िरत का घर तलाश कर, और दुनिया से अपना हिस्सा मत भूल और उपकार कर, जैसे अल्लाह ने तुझपर उपकार किया है, तथा धरती में बिगाड़ की तलाश मत कर। निःसंदेह अल्लाह बिगाड़ पैदा करने वालों से प्रेम नहीं करता।
عربی تفاسیر:
قَالَ اِنَّمَاۤ اُوْتِیْتُهٗ عَلٰی عِلْمٍ عِنْدِیْ ؕ— اَوَلَمْ یَعْلَمْ اَنَّ اللّٰهَ قَدْ اَهْلَكَ مِنْ قَبْلِهٖ مِنَ الْقُرُوْنِ مَنْ هُوَ اَشَدُّ مِنْهُ قُوَّةً وَّاَكْثَرُ جَمْعًا ؕ— وَلَا یُسْـَٔلُ عَنْ ذُنُوْبِهِمُ الْمُجْرِمُوْنَ ۟
उसने कहा : ''मुझे तो यह उस ज्ञान के कारण दिया गया है जो मेरे पास है।'' और क्या उसने नहीं जाना कि निःसंदेह अल्लाह उससे पहले कई समुदायों को विनष्ट कर चुका है, जो शक्ति में उससे बढ़कर और धन-दौलत में उससे अधिक थे। और अपराधियों से उनके पापों के बारे में पूछा नहीं जाएगा।
عربی تفاسیر:
فَخَرَجَ عَلٰی قَوْمِهٖ فِیْ زِیْنَتِهٖ ؕ— قَالَ الَّذِیْنَ یُرِیْدُوْنَ الْحَیٰوةَ الدُّنْیَا یٰلَیْتَ لَنَا مِثْلَ مَاۤ اُوْتِیَ قَارُوْنُ ۙ— اِنَّهٗ لَذُوْ حَظٍّ عَظِیْمٍ ۟
फिर वह अपनी जाति के सामने अपनी शोभा में निकला। उन लोगों ने कहा जो दुनिया का जीवन चाहते थे : ऐ काश! हमारे लिए ऐसा ही होता जो क़ारून को दिया गया है, निःसंदेह वह निश्चय बड़ा नसीब वाला है।
عربی تفاسیر:
وَقَالَ الَّذِیْنَ اُوْتُوا الْعِلْمَ وَیْلَكُمْ ثَوَابُ اللّٰهِ خَیْرٌ لِّمَنْ اٰمَنَ وَعَمِلَ صَالِحًا ۚ— وَلَا یُلَقّٰىهَاۤ اِلَّا الصّٰبِرُوْنَ ۟
तथा उन लोगों ने कहा, जिनको ज्ञान दिया गया था : हाय तुम पर! अल्लाह का बदला उस व्यक्ति के लिए कहीं उत्तम है, जो ईमान लाया तथा उसने अच्छा कर्म किया। और इसका सामर्थ्य केवल उन्हीं को दिया जाता है जो सब्र करने वाले हैं।
عربی تفاسیر:
فَخَسَفْنَا بِهٖ وَبِدَارِهِ الْاَرْضَ ۫— فَمَا كَانَ لَهٗ مِنْ فِئَةٍ یَّنْصُرُوْنَهٗ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ ؗۗ— وَمَا كَانَ مِنَ الْمُنْتَصِرِیْنَ ۟
तो हमने उसे और उसके घर को ज़मीन में धँसा दिया, फिर न उसके लिए कोई गिरोह था जो अल्लाह के मुक़ाबले में उसकी मदद करता और न वह अपनी रक्षा करने वालों में से था।
عربی تفاسیر:
وَاَصْبَحَ الَّذِیْنَ تَمَنَّوْا مَكَانَهٗ بِالْاَمْسِ یَقُوْلُوْنَ وَیْكَاَنَّ اللّٰهَ یَبْسُطُ الرِّزْقَ لِمَنْ یَّشَآءُ مِنْ عِبَادِهٖ وَیَقْدِرُ ۚ— لَوْلَاۤ اَنْ مَّنَّ اللّٰهُ عَلَیْنَا لَخَسَفَ بِنَا ؕ— وَیْكَاَنَّهٗ لَا یُفْلِحُ الْكٰفِرُوْنَ ۟۠
और जिन लोगों ने कल उसके स्थान की कामना की थी, कहने लगे : अफ़सोस! क्या हमने नहीं जाना कि अल्लाह अपने बंदों में से जिसके लिए चाहता है, रोज़ी विस्तृत कर देता है और तंग करता है। यदि यह न होता कि अल्लाह ने हमपर उपकार किया, तो वह अवश्य हमें धँसा देता। अफ़सोस! ऐसा प्रतीत होता है कि सच्चाई यह है कि काफ़िर सफल नहीं होते।
عربی تفاسیر:
تِلْكَ الدَّارُ الْاٰخِرَةُ نَجْعَلُهَا لِلَّذِیْنَ لَا یُرِیْدُوْنَ عُلُوًّا فِی الْاَرْضِ وَلَا فَسَادًا ؕ— وَالْعَاقِبَةُ لِلْمُتَّقِیْنَ ۟
यह आख़िरत का घर, हम इसे उन लोगों के लिए बनाते हैं, जो न ज़मीन में किसी तरह ऊँचे होने का इरादा रखते हैं और न ही किसी बिगाड़ का, और अच्छा अंजाम परहेज़गारों[27] के लिए है।
27. इसमें संकेत है कि धरती में गर्व तथा उपद्रव का मूलाधार अल्लाह की अवज्ञा है।
عربی تفاسیر:
مَنْ جَآءَ بِالْحَسَنَةِ فَلَهٗ خَیْرٌ مِّنْهَا ۚ— وَمَنْ جَآءَ بِالسَّیِّئَةِ فَلَا یُجْزَی الَّذِیْنَ عَمِلُوا السَّیِّاٰتِ اِلَّا مَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟
जो व्यक्ति नेकी लेकर आएगा, उसके लिए उससे उत्तम (बदला) है और जो बुराई लेकर आएगा, तो जिन लोगों ने बुरे काम किए वे बदला नहीं दिए जाएँगे परंतु उसी का जो वे किया करते थे।
عربی تفاسیر:
اِنَّ الَّذِیْ فَرَضَ عَلَیْكَ الْقُرْاٰنَ لَرَآدُّكَ اِلٰی مَعَادٍ ؕ— قُلْ رَّبِّیْۤ اَعْلَمُ مَنْ جَآءَ بِالْهُدٰی وَمَنْ هُوَ فِیْ ضَلٰلٍ مُّبِیْنٍ ۟
निःसंदेह जिसने आपपर इस क़ुरआन को अनिवार्य किया है, वह अवश्य आपको एक (महान) लौटने के स्थान[28] की ओर वापस लाने वाला है। आप कह दें कि मेरा पालनहार उसे अधिक जानने वाला है, जो मार्गदर्शन लेकर आया और उसे भी जो खुली गुमराही में है।
28. अर्थात आप जिस शहर मक्का से निकाले गए हैं उसे विजय कर लेंगे। और यह भविष्यवाणी सन् 8 हिजरी में पूरी हुई। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4773)
عربی تفاسیر:
وَمَا كُنْتَ تَرْجُوْۤا اَنْ یُّلْقٰۤی اِلَیْكَ الْكِتٰبُ اِلَّا رَحْمَةً مِّنْ رَّبِّكَ فَلَا تَكُوْنَنَّ ظَهِیْرًا لِّلْكٰفِرِیْنَ ۟ؗ
और आप आशा नहीं करते थे कि आपकी ओर किताब[29] उतारी जाएगी। परंतु आपके पालनहार की दया से (वह अवतरित हुई)। अतः आप कदापि काफ़िरों के सहायक न बनें।
29. अर्थात क़ुरआन पाक।
عربی تفاسیر:
وَلَا یَصُدُّنَّكَ عَنْ اٰیٰتِ اللّٰهِ بَعْدَ اِذْ اُنْزِلَتْ اِلَیْكَ وَادْعُ اِلٰی رَبِّكَ وَلَا تَكُوْنَنَّ مِنَ الْمُشْرِكِیْنَ ۟ۚ
और ये लोग आपको अल्लाह की आयतों से हरगिज़ रोकने न पाएँ, इसके पश्चात कि वे आपकी ओर उतारी जा चुकी हैं। और आप अपने पालनहार की ओर बुलाएँ और कदापि मुश्रिकों में से न हों।
عربی تفاسیر:
وَلَا تَدْعُ مَعَ اللّٰهِ اِلٰهًا اٰخَرَ ۘ— لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ۫— كُلُّ شَیْءٍ هَالِكٌ اِلَّا وَجْهَهٗ ؕ— لَهُ الْحُكْمُ وَاِلَیْهِ تُرْجَعُوْنَ ۟۠
और आप अल्लाह के साथ किसी अन्य पूज्य को न पुकारें। उसके सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं। सब कुछ नाश होने वाला है सिवाए उसके चेहरे के, उसी का हुक्म (चलता) है और उसी की ओर तुम लौटाए जाओगे।[30]
30. अर्थात प्रयलय के दिन ह़िसाब तथा अपने कर्मों का फल पाने के लिए।
عربی تفاسیر:
 
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قرآن کریم کے معانی کا ترجمہ - ہندی ترجمہ - ترجمے کی لسٹ

قرآن کریم کے معانی کا ہندی زبان میں ترجمہ: مولانا عزیز الحق عمری نے کیا ہے۔

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