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قرآن کریم کے معانی کا ترجمہ - ہندی ترجمہ - عزیز الحق عمری * - ترجمے کی لسٹ

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معانی کا ترجمہ سورت: نساء   آیت:
وَاِنِ امْرَاَةٌ خَافَتْ مِنْ بَعْلِهَا نُشُوْزًا اَوْ اِعْرَاضًا فَلَا جُنَاحَ عَلَیْهِمَاۤ اَنْ یُّصْلِحَا بَیْنَهُمَا صُلْحًا ؕ— وَالصُّلْحُ خَیْرٌ ؕ— وَاُحْضِرَتِ الْاَنْفُسُ الشُّحَّ ؕ— وَاِنْ تُحْسِنُوْا وَتَتَّقُوْا فَاِنَّ اللّٰهَ كَانَ بِمَا تَعْمَلُوْنَ خَبِیْرًا ۟
और यदि किसी स्त्री को अपने पति की ओर से ज़्यादती या बेरुखी का डर हो, तो उन दोनों पर कोई दोष नहीं कि आपस में समझौता कर लें और समझौता कर लेना ही बेहतर[82] है। तथा लोभ एवं कंजूसी तो मानव स्वभाव में शामिल है। परंतु यदि तुम एक-दूसरे के साथ उपकार करो और (अल्लाह से) डरते रहो, तो निःसंदेह अल्लाह तुम्हारे कर्मों से सूचित है।
82. अर्थ यह है कि स्त्री, पुरुष की इच्छा और रूचि पर ध्यान दे, तो यह संधि की रीति अलगाव से अच्छी है।
عربی تفاسیر:
وَلَنْ تَسْتَطِیْعُوْۤا اَنْ تَعْدِلُوْا بَیْنَ النِّسَآءِ وَلَوْ حَرَصْتُمْ فَلَا تَمِیْلُوْا كُلَّ الْمَیْلِ فَتَذَرُوْهَا كَالْمُعَلَّقَةِ ؕ— وَاِنْ تُصْلِحُوْا وَتَتَّقُوْا فَاِنَّ اللّٰهَ كَانَ غَفُوْرًا رَّحِیْمًا ۟
और तुम पत्नियों के बीच पूर्ण न्याय कदापि नहीं कर[83] सकते, चाहे तुम इसके कितने ही इच्छुक हो। अतः (अवांछित पत्नी से) पूरी तरह विमुख[84] न हो जाओ कि उसे अधर में लटकी हुई छोड़ दो। और यदि तुम आपस में सामंजस्य[85] बना लो और (अल्लाह से) डरते रहो, तो निःसंदेह अल्लाह क्षमा करने वाला, अत्यंत दयावान है।
83. क्योंकि यह स्वभाविक है कि मन का आकर्षण किसी एक की ओर होगा। 84. अर्थात जिसमें उसके पति की रूचि न हो, और न व्यवहारिक रूप से बिना पति के हो। 85. अर्थात सब के साथ व्यवहार तथा सहवास संबंध में बराबरी करो।
عربی تفاسیر:
وَاِنْ یَّتَفَرَّقَا یُغْنِ اللّٰهُ كُلًّا مِّنْ سَعَتِهٖ ؕ— وَكَانَ اللّٰهُ وَاسِعًا حَكِیْمًا ۟
और यदि दोनों अलग हो जाएँ, तो अल्लाह अपने व्यापक अनुग्रह से हर-एक को (दूसरे से) बेनियाज़[86] कर देगा और अल्लाह व्यापक अनुग्रह वाला, पूर्ण हिकमत वाला है।
86. अर्थात यदि निभाव न हो सके तो विवाह बंधन में रहना आवश्यक नहीं। दोनों अलग हो जाएँ, अल्लाह दोनों के लिए पति तथा पत्नी की व्यवस्था बना देगा।
عربی تفاسیر:
وَلِلّٰهِ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَمَا فِی الْاَرْضِ ؕ— وَلَقَدْ وَصَّیْنَا الَّذِیْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ مِنْ قَبْلِكُمْ وَاِیَّاكُمْ اَنِ اتَّقُوا اللّٰهَ ؕ— وَاِنْ تَكْفُرُوْا فَاِنَّ لِلّٰهِ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَمَا فِی الْاَرْضِ ؕ— وَكَانَ اللّٰهُ غَنِیًّا حَمِیْدًا ۟
तथा जो कुछ आकाशों और धरती में है, सब अल्लाह ही का है। और हमने तुमसे पूर्व किताब दिए गए लोगों को तथा (खुद) तुम्हें आदेश दिया है कि अल्लाह से डरते रहो। और यदि तुम कुफ़्र करोगे, तो (याद रखो कि) जो कुछ आकाशों तथा धरती में है, वह अल्लाह ही का है तथा अल्लाह बेनियाज़[87] और स्तुत्य है।
87. अर्थात उसकी अवज्ञा से तुम्हारा ही बिगड़ेगा।
عربی تفاسیر:
وَلِلّٰهِ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَمَا فِی الْاَرْضِ ؕ— وَكَفٰی بِاللّٰهِ وَكِیْلًا ۟
तथा आकाशों एवं धरती की सारी चीज़ें अल्लाह ही की हैं और अल्लाह कार्यसाधक के रूप में काफ़ी है।
عربی تفاسیر:
اِنْ یَّشَاْ یُذْهِبْكُمْ اَیُّهَا النَّاسُ وَیَاْتِ بِاٰخَرِیْنَ ؕ— وَكَانَ اللّٰهُ عَلٰی ذٰلِكَ قَدِیْرًا ۟
ऐ लोगो! यदि वह चाहे, तो तुम्हें ले जाए[88] और (तुम्हारे स्थान पर) दूसरों को ले आए तथा अल्लाह ऐसा करने पर पूरी शक्ति रखता है।
88. अर्थात तुम्हारी अवज्ञा के कारण तुम्हें ध्वस्त कर दे और दूसरे आज्ञाकारियों को पैदा कर दे।
عربی تفاسیر:
مَنْ كَانَ یُرِیْدُ ثَوَابَ الدُّنْیَا فَعِنْدَ اللّٰهِ ثَوَابُ الدُّنْیَا وَالْاٰخِرَةِ ؕ— وَكَانَ اللّٰهُ سَمِیْعًا بَصِیْرًا ۟۠
जो व्यक्ति दुनिया का बदला चाहता है, तो (जान लो कि) अल्लाह के पास दुनिया और आखिरत (दोनों) का बदला है तथा अल्लाह सब कुछ सुनने वाला और सब कुछ देखने वाला है।
عربی تفاسیر:
 
معانی کا ترجمہ سورت: نساء
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عزیز الحق عمری نے ترجمہ کیا۔

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