Қуръони Карим маъноларининг таржимаси - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Таржималар мундарижаси


Маънолар таржимаси Оят: (105) Сура: Юсуф сураси
وَكَاَیِّنْ مِّنْ اٰیَةٍ فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ یَمُرُّوْنَ عَلَیْهَا وَهُمْ عَنْهَا مُعْرِضُوْنَ ۟
अल्लाह पाक के एकल पूज्य होने को दर्शाने वाली बहुत-सी निशानियाँ हैं, जो आकाशों तथा धरती में फैली हुई हैं, जिनपर से वे गुज़रते हैं, परंतु वे उन पर विचार करने और उनसे सीख लेने से उपेक्षा करने वाले होते हैं, उनपर कोई ध्यान नहीं देते हैं।
Арабча тафсирлар:
Ушбу саҳифадаги оят фойдаларидан:
• أن الداعية لا يملك تصريف قلوب العباد وحملها على الطاعات، وأن أكثر الخلق ليسوا من أهل الهداية.
• अल्लाह की ओर बुलाने वाला बंदों के दिलों को फेरने और उन्हें आज्ञाकारिता पर आमादा करने की क्षमता नहीं रखता है और यह कि अधिकतर लोग हिदायत के मार्ग पर चलने वाले नहीं हैं।

• ذم المعرضين عن آيات الله الكونية ودلائل توحيده المبثوثة في صفحات الكون.
• ब्रह्मांड में अल्लाह की आयतों तथा संसार में फैले हुए अल्लाह के एकेश्वरवाद के संकेतों (प्रमाणों) से मुँह फेरने वालों की निंदा।

• شملت هذه الآية ﴿ قُل هَذِهِ سَبِيلِي...﴾ ذكر بعض أركان الدعوة، ومنها: أ- وجود منهج:﴿ أَدعُواْ إِلَى اللهِ ﴾. ب - ويقوم المنهج على العلم: ﴿ عَلَى بَصِيرَةٍ﴾. ج - وجود داعية: ﴿ أَدعُواْ ﴾ ﴿أَنَا﴾. د - وجود مَدْعُوِّين: ﴿ وَمَنِ اتَّبَعَنِي ﴾.
• आयत {قُل هَذِهِ سَبِيلِي...} में अल्लाह के धर्म की ओर आमंत्रण के कुछ स्तंभों का उल्लेख किया गया है, जिनमें ये शामिल हैं : (क) एक पद्धति का होना : {أَدعُواْ إِلَى اللهِ}, (ख) उस पद्धति का ज्ञान पर आधारित होना : {عَلَى بَصِيرَةٍ} (ग) आह्वान कर्ता (आमंत्रक) का होना : {أَدعُواْ﴾ ﴿أَنَا}, (घ) ऐसे लोगों का होना जिन्हें आमंत्रित किया जाए : {وَمَنِ اتَّبَعَنِي}।

 
Маънолар таржимаси Оят: (105) Сура: Юсуф сураси
Суралар мундарижаси Бет рақами
 
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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