Қуръони Карим маъноларининг таржимаси - Ҳиндча таржима * - Таржималар мундарижаси

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Маънолар таржимаси Оят: (9) Сура: Ҳашр сураси
وَالَّذِیْنَ تَبَوَّءُو الدَّارَ وَالْاِیْمَانَ مِنْ قَبْلِهِمْ یُحِبُّوْنَ مَنْ هَاجَرَ اِلَیْهِمْ وَلَا یَجِدُوْنَ فِیْ صُدُوْرِهِمْ حَاجَةً مِّمَّاۤ اُوْتُوْا وَیُؤْثِرُوْنَ عَلٰۤی اَنْفُسِهِمْ وَلَوْ كَانَ بِهِمْ خَصَاصَةٌ ۫ؕ— وَمَنْ یُّوْقَ شُحَّ نَفْسِهٖ فَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْمُفْلِحُوْنَ ۟ۚ
तथा (उनके लिए) जिन्होंने[6] इनसे पहले इस घर (अर्थात् मदीना) में और ईमान में जगह बना ली है। वे अपनी ओर हिजरत करके आने वालों से प्रेम करते हैं। और वे अपने दिलों में उस चीज़ के प्रति कोई चाहत (हसद) नहीं पाते, जो मुहाजिरों को दी जाए और (उन्हें) अपने आप पर प्रधानता देते हैं, चाहे स्वयं ज़रूरतमंद[7] हों। और जो अपने मन की लालच (कृपणता) से बचा लिया गया, तो वही लोग सफल होने वाले हैं।
6. इससे अभिप्राय मदीना के निवासी अन्सार हैं। जो मुहाजिरीन के मदीना में आने से पहले ईमान लाए थे। इसका यह अर्थ नहीं है कि वे मुहाजिरीन से पहले ईमान लाए थे। 7. ह़दीस में है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के पास एक अतिथि आया और कहा : ऐ अल्लाह के रसूल! मैं भूखा हूँ। आपने अपनी पत्नियों के पास भेजा, तो वहाँ कुछ नहीं था। एक अन्सारी उसे घर ले गए। घर पहुँचे तो पत्नी ने कहा : घर में केवल बच्चों का खाना है। उन्होंने परस्पर परामर्श किया कि बच्चों को बहलाकर सुला दिया जाए। तथा पत्नी से कहा कि जब अतिथि खाने लगे, तो तुम दीप बुझा देना। उसने ऐसा ही किया। सब भूखे सो गए और अतिथि को खिला दिया। जब वह अन्सारी भोर में नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के पास पहुँचे तो आपने कहा : अमुक पुरुष (अबू तल्ह़ा) और अमुक स्त्री (उम्मे सुलैम) से अल्लाह प्रसन्न हो गया। और उसने यह आयत उतारी है। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4889)
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Маънолар таржимаси Оят: (9) Сура: Ҳашр сураси
Суралар мундарижаси Бет рақами
 
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Қуръон Карим маъноларининг ҳиндча таржимаси, мутаржим: Азизулҳақ Умарий

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