ترجمة معاني القرآن الكريم - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - فهرس التراجم


ترجمة معاني سورة: الرعد   آية:

سورة الرعد - सूरा अर्-रअ़्द

من مقاصد السورة:
الرد على منكري الوحي والنبوة ببيان مظاهر عظمة الله.
अल्लाह की महानता के दृश्यों का वर्णन करके वह़्य और नुबुव्वत (ईशदूत्व) का इनकार करने वालों का खंडन करना।

الٓمّٓرٰ ۫— تِلْكَ اٰیٰتُ الْكِتٰبِ ؕ— وَالَّذِیْۤ اُنْزِلَ اِلَیْكَ مِنْ رَّبِّكَ الْحَقُّ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا یُؤْمِنُوْنَ ۟
{अलिफ़॰ लाम॰ मीम॰ रा॰।} सूरतुल-बक़रा के आरंभ में इस प्रकार के अक्षरों के बारे में बात गुज़र चुकी है। इस सूरत की ये उच्च आयतें और क़ुरआन जिसे अल्लाह ने (ऐ रसूल!) आपपर उतारा है, वह सत्य हैं, जिसमें कोई संशय नहीं है, और इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह अल्लाह की ओर से है। किंतु अधिकांश लोग हठ और अहंकार के कारण इसपर ईमान नहीं लाते।
التفاسير العربية:
اَللّٰهُ الَّذِیْ رَفَعَ السَّمٰوٰتِ بِغَیْرِ عَمَدٍ تَرَوْنَهَا ثُمَّ اسْتَوٰی عَلَی الْعَرْشِ وَسَخَّرَ الشَّمْسَ وَالْقَمَرَ ؕ— كُلٌّ یَّجْرِیْ لِاَجَلٍ مُّسَمًّی ؕ— یُدَبِّرُ الْاَمْرَ یُفَصِّلُ الْاٰیٰتِ لَعَلَّكُمْ بِلِقَآءِ رَبِّكُمْ تُوْقِنُوْنَ ۟
अल्लाह वह है, जिसने खंभों के बिना आकाशों को ऊँचा बनाया, जिन्हें तुम देखते हो। फिर अर्श (सिंहासन) पर बुलंद हुआ, जैसा उसकी महिमा के योग्य है। हम उसके बुलंद होने की कोई दशा एवं स्थिति नहीं निर्धारित करते और न उसे किसी चीज़ के समान क़रार देते हैं। उसने सूर्य एवं चंद्रमा को अपनी सृष्टि के लाभों के लिए वशीभूत कर दिया। सूर्य और चंद्रमा में से प्रत्येक अल्लाह के ज्ञान में एक विशिष्ट अवधि के लिए चल रहा है। वह पाक अल्लाह आसमानों और धरती में पूर्ण मामले का जैसे चाहता है, संचालन करता है। वह अपनी शक्ति को दर्शाने वाली निशानियाँ खोल-खोलकर बयान करता है, ताकि तुम क़ियामत के दिन अपने रब से मिलने पर विश्वास कर लो, फिर उसके लिए अच्छे कार्यों के साथ तैयारी करने लगो।
التفاسير العربية:
وَهُوَ الَّذِیْ مَدَّ الْاَرْضَ وَجَعَلَ فِیْهَا رَوَاسِیَ وَاَنْهٰرًا ؕ— وَمِنْ كُلِّ الثَّمَرٰتِ جَعَلَ فِیْهَا زَوْجَیْنِ اثْنَیْنِ یُغْشِی الَّیْلَ النَّهَارَ ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیٰتٍ لِّقَوْمٍ یَّتَفَكَّرُوْنَ ۟
वही अल्लाह है, जिसने धरती को फैलाया और उसमें मज़बूत पर्वत बनाए, ताकि धरती लोगों को लेकर हिलने-डुलने न लगे, तथा लोगों, उनके पशुओं और उनकी फसलों को पानी की आपूर्ति करने के लिए उसमें जल की नदियाँ बनाईं। और सभी तरह के फलों के उसने दो-दो प्रकार बनाए, जैसे कि पशु में नर और मादा। वह रात को दिन पर उढ़ा देता है, तो वह प्रकाशमान होने के बाद अंधेरा हो जाता है। निःसंदेह इस पूर्वोक्त में उन लोगों के लिए निशानियाँ और प्रमाण हैं, जो अल्लाह की रचना में सोच-विचार और चिंतन करते हैं। क्योंकि वही उन प्रमाणों और दलीलों से लाभान्वित होते हैं।
التفاسير العربية:
وَفِی الْاَرْضِ قِطَعٌ مُّتَجٰوِرٰتٌ وَّجَنّٰتٌ مِّنْ اَعْنَابٍ وَّزَرْعٌ وَّنَخِیْلٌ صِنْوَانٌ وَّغَیْرُ صِنْوَانٍ یُّسْقٰی بِمَآءٍ وَّاحِدٍ ۫— وَنُفَضِّلُ بَعْضَهَا عَلٰی بَعْضٍ فِی الْاُكُلِ ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیٰتٍ لِّقَوْمٍ یَّعْقِلُوْنَ ۟
और धरती पर पास-पास विभिन्न भू-भाग हैं, और उसमें अंगूरों के बाग़ हैं, तथा उसमें खेती और खजूर के एक ही जड़ से कई तनों वाले पेड़ और एक जड़ से एकल तनों वाले खजूर के पेड़ भी हैं। इन बाग़ों और उन फ़सलों को एक ही पानी से सिंचित किया जाता है। और उनके परस्पर मिले हुए होने और एक ही पानी से सिंचित किए जाने के बावजूद, हम स्वाद और अन्य लाभों में उनमें से कुछ को कुछ पर श्रेष्ठता प्रदान करते हैं। निःसंदेह इस पूर्वोक्त में उन लोगों के लिए दलीलें और प्रमाण हैं, जो बुद्धि रखते हैं। क्योंकि वही उनसे सीख प्राप्त करते हैं।
التفاسير العربية:
وَاِنْ تَعْجَبْ فَعَجَبٌ قَوْلُهُمْ ءَاِذَا كُنَّا تُرٰبًا ءَاِنَّا لَفِیْ خَلْقٍ جَدِیْدٍ ؕ۬— اُولٰٓىِٕكَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا بِرَبِّهِمْ ۚ— وَاُولٰٓىِٕكَ الْاَغْلٰلُ فِیْۤ اَعْنَاقِهِمْ ۚ— وَاُولٰٓىِٕكَ اَصْحٰبُ النَّارِ ۚ— هُمْ فِیْهَا خٰلِدُوْنَ ۟
(ऐ रसूल) यदि आप किसी चीज़ पर आश्चर्य करते हैं, तो आपके लिए सबसे अधिक आश्चर्य की बात उनका पुनर्जीवन का इनकार करना और इसके इनकार के तर्क के रूप में उनका यह कहना है : क्या जब हम मर जाएँगे और मिट्टी तथा सड़ी-गली हड्डियाँ हो जाएँगे, तो क्या हमें दोबारा जीवित किया जाएगा?! यही मृत्यु के बाद दोबारा जीवित किए जाने का इनकार करने वाले लोग हैं, जिन्होंने अपने पालनहार के साथ कुफ़्र किया, इसलिए मृतकों को पुनर्जीवित कर उठाने की उसकी शक्ति का इनकार कर दिया। और यही लोग हैं जिनके गले में क़ियामत के दिन आग की ज़ंजीरें डाली जाएँगी और यही दोज़ख़ वाले हैं, जो उसमें हमेशा के लिए रहने वाले हैं, न उनका विनाश होगा और न उनकी यातना ख़त्म होगी।
التفاسير العربية:
من فوائد الآيات في هذه الصفحة:
• إثبات قدرة الله سبحانه وتعالى والتعجب من خلقه للسماوات على غير أعمدة تحملها، وهذا مع عظيم خلقتها واتساعها.
• पवित्र एवं महान अल्लाह के सामर्थ्य का प्रमाण और इस बात पर आश्चर्य कि उसने भारी-भरकम और विस्तृत आसमानों को ऐसे स्तंभों के बिना पैदा किया, जो उन्हें थामे रखें।

• إثبات قدرة الله وكمال ربوبيته ببرهان الخلق، إذ ينبت النبات الضخم، ويخرجه من البذرة الصغيرة، ثم يسقيه من ماء واحد، ومع هذا تختلف أحجام وألوان ثمراته وطعمها.
• सृष्टि के प्रमाण के साथ अल्लाह की शक्ति और उसकी रुबूबियत (प्रतिपालकता) की पूर्णता को प्रमाणित करना। क्योंकि वह छोटे बीज से विशाल पौधा अंकुरित और निकालता है, फिर उसे एक ही पानी से सैराब करता है। और इसके बावजूद उसके फलों के आकार, रंग और स्वाद भिन्न होते हैं।

• أن إخراج الله تعالى للأشجار الضخمة من البذور الصغيرة، بعد أن كانت معدومة، فيه رد على المشركين في إنكارهم للبعث؛ فإن إعادة جمع أجزاء الرفات المتفرقة والمتحللة في الأرض، وبعثها من جديد، بعد أن كانت موجودة، هو بمنزلة أسهل من إخراج المعدوم من البذرة.
• अल्लाह सर्वशक्तिमान का छोटे बीजों से विशाल पेड़ों को पैदा करना, जबकि वे पहले अस्तित्वहीन थे, इसमें उन मुश्रिकों का खंडन है, जो मरने के बाद पुनर्जीवन का इनकार करते हैं। क्योंकि ज़मीन में बिखरे और सड़े-गले अवशेषों का फिर से इकट्ठा करना और उन्हें फिर से जीवित करना, जबकि वे पहले अस्तित्व में थे, बीज से अस्तित्वहीन चीज़ को निकालने की तुलना में अधिक आसान है।

وَیَسْتَعْجِلُوْنَكَ بِالسَّیِّئَةِ قَبْلَ الْحَسَنَةِ وَقَدْ خَلَتْ مِنْ قَبْلِهِمُ الْمَثُلٰتُ ؕ— وَاِنَّ رَبَّكَ لَذُوْ مَغْفِرَةٍ لِّلنَّاسِ عَلٰی ظُلْمِهِمْ ۚ— وَاِنَّ رَبَّكَ لَشَدِیْدُ الْعِقَابِ ۟
(ऐ रसूल!) मुश्रिक लोग आपसे यातना जल्दी माँग रहे हैं और उसके आने में देरी की शिकायत कर रहे हैं, इससे पहले कि वे अल्लाह के द्वारा उनके लिए निर्धारित नेमतों को पूरा करें। जबकि उनसे पहले उन्हीं जैसे झुठलाने वाले समुदायों पर यातनाएँ गुज़र चुकी हैं। फिर वे उनसे सीख क्यों नहीं लेते? और (ऐ रसूल!) निःसंदेह आपका पालनहार लोगों को, उनके अत्याचार के बावजूद, नज़र अंदाज़ करने वाला है। चुनाँचे वह उन्हें अज़ाब देने में जल्दी नहीं करता, ताकि वे अल्लाह के समक्ष तौबा कर लें। और निःसंदेह वह अपने कुफ़्र पर अडिग रहने वालों को, यदि वे तौबा न करें, निश्चित रूप से सख़्त सज़ा देने वाला है।
التفاسير العربية:
وَیَقُوْلُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا لَوْلَاۤ اُنْزِلَ عَلَیْهِ اٰیَةٌ مِّنْ رَّبِّهٖ ؕ— اِنَّمَاۤ اَنْتَ مُنْذِرٌ وَّلِكُلِّ قَوْمٍ هَادٍ ۟۠
तथा अल्लाह का इनकार करने वाले (अपने इनकार और शत्रुता में अति करते हुए) कहते हैं : मुहम्मद पर उनके पालनहार की ओर से उस प्रकार की कोई निशानी क्यों नहीं उतारी गई, जो मूसा और ईसा पर उतारा गई थी? आप तो (ऐ नबी!) केवल एक डराने वाले हैं। आप लोगों को अल्लाह की यातना से डराते हैं। और आपके लिए केवल वही निशानी है, जो अल्लाह ने आपको प्रदान की है। और हर समुदाय के लिए एक नबी होता है, जो उन्हें सत्य के मार्ग पर ले जाता है, और उन्हें उसका मार्गदर्शन करता है।
التفاسير العربية:
اَللّٰهُ یَعْلَمُ مَا تَحْمِلُ كُلُّ اُ وَمَا تَغِیْضُ الْاَرْحَامُ وَمَا تَزْدَادُ ؕ— وَكُلُّ شَیْءٍ عِنْدَهٗ بِمِقْدَارٍ ۟
अल्लाह जानता है जो कुछ हर मादा अपने पेट में उठाए होती है। वह उसके बारे में सब कुछ जानता है। तथा गर्भाशयों में जो कमी, वृद्धि, स्वास्थ्य और बीमारी होती है, उसे भी जानता है। और अल्लाह के निकट हर वस्तु की एक मात्रा निश्चित है, जिससे वह घट-बढ़ नहीं सकती।
التفاسير العربية:
عٰلِمُ الْغَیْبِ وَالشَّهَادَةِ الْكَبِیْرُ الْمُتَعَالِ ۟
क्योंकि अल्लाह उन सभी चीज़ों को जानता है, जो उसकी सृष्टि की इंद्रियों से अनुपस्थित हैं, तथा उन सभी चीज़ों को भी जानता है जिनका उनकी इंद्रियाँ बोध रखती हैं। वह अपनी विशेषताओं, नामों और कार्यों में महान है। अपने अस्तित्व और विशेषताओं के साथ अपने प्रत्येक प्राणी से ऊँचा है।
التفاسير العربية:
سَوَآءٌ مِّنْكُمْ مَّنْ اَسَرَّ الْقَوْلَ وَمَنْ جَهَرَ بِهٖ وَمَنْ هُوَ مُسْتَخْفٍ بِالَّیْلِ وَسَارِبٌ بِالنَّهَارِ ۟
वह भेद और छिपे हुए को जानता है। (ऐ लोगो!) तुममें से जो व्यक्ति बात को छिपाता है और जो इसकी घोषणा करता है, दोनों उसके ज्ञान में बराबर हैं। इसी तरह जो रात के अंधेरे में लोगों की आँखों से छिपा हुआ है और जो दिन के उजाले में अपने कार्यों से स्पष्ट है, सब उसके ज्ञान में बराबर हैं।
التفاسير العربية:
لَهٗ مُعَقِّبٰتٌ مِّنْ بَیْنِ یَدَیْهِ وَمِنْ خَلْفِهٖ یَحْفَظُوْنَهٗ مِنْ اَمْرِ اللّٰهِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَا یُغَیِّرُ مَا بِقَوْمٍ حَتّٰی یُغَیِّرُوْا مَا بِاَنْفُسِهِمْ ؕ— وَاِذَاۤ اَرَادَ اللّٰهُ بِقَوْمٍ سُوْٓءًا فَلَا مَرَدَّ لَهٗ ۚ— وَمَا لَهُمْ مِّنْ دُوْنِهٖ مِنْ وَّالٍ ۟
सर्वशक्तिमान अल्लाह के कुछ फ़रिश्ते ऐसे हैं, जो इनसान के पास बारी-बारी आते हैं। उनमें से कुछ रात में आते हैं, और कुछ दिन के दौरान। वे अल्लाह के आदेश से इनसान की उन समस्त विपत्तियों से रक्षा करते हैं, जिनसे इनसान के बचाव का अल्लाह ने फ़ैसला कर रखा होता है। तथा वे इनसान की बातों और कार्यों को लिखते हैं। निःसंदेह अल्लाह किसी समुदाय की दशा को एक अच्छी स्थिति से उसके विपरीत एक अप्रिय स्थिति में नहीं बदलता, जब तक कि वे अपने स्वयं के धन्यवाद (शुक्र) की स्थिति को न बदल लें। और जब अल्लाह किसी क़ौम को विनष्ट करना चाहता है, तो उसके इरादे को कोई टाल नहीं सकता। और (ऐ लोगो!) तुम्हारा अल्लाह के सिवा कोई संरक्षक नहीं है, जो तुम्हारे मामलों का संरक्षण कर सके, कि तुम अपनी विपत्ति को दूर करने के लिए उसका सहारा ले सको।
التفاسير العربية:
هُوَ الَّذِیْ یُرِیْكُمُ الْبَرْقَ خَوْفًا وَّطَمَعًا وَّیُنْشِئُ السَّحَابَ الثِّقَالَ ۟ۚ
वही है जो तुम्हें (ऐ लोगो!) बिजली दिखाता है, और उसके द्वारा तुम्हारे लिए चिर्री का भय और वर्षा की आशा इकट्ठा कर देता है। तथा वही है जो तुम्हारे लिए भारी वर्षा के पानी से भरा हुआ बादल पैदा करता है।
التفاسير العربية:
وَیُسَبِّحُ الرَّعْدُ بِحَمْدِهٖ وَالْمَلٰٓىِٕكَةُ مِنْ خِیْفَتِهٖ ۚ— وَیُرْسِلُ الصَّوَاعِقَ فَیُصِیْبُ بِهَا مَنْ یَّشَآءُ وَهُمْ یُجَادِلُوْنَ فِی اللّٰهِ ۚ— وَهُوَ شَدِیْدُ الْمِحَالِ ۟ؕ
और बिजली की कड़क अपने पालनहार की प्रशंसा के साथ उसकी पवित्रता का गान करती है और फ़रिश्ते अपने पालनहार की पवित्रता का गुणगान उसके भय से तथा उसके प्रताप और सम्मान में करते हैं। और अल्लाह अपने प्राणियों में से जिसपर चाहता है, जलाने वाली बिजलियाँ भेजकर उसे विनष्ट कर देता है। जबकि काफ़िर लोग अल्लाह की एकता (एकेश्वरवाद) के विषय में झगड़ते हैं, और अल्लाह बहुत समर्थ और शक्तिशाली है। अतः वह जो चीज़ भी चाहता है, उसे कर गुज़रता है।
التفاسير العربية:
من فوائد الآيات في هذه الصفحة:
• عظيم مغفرة الله وحلمه عن خطايا بني آدم، فهم يستكبرون ويَتَحَدَّوْنَ رسله وأنبياءه، ومع هذا يرزقهم ويعافيهم ويحلم عنهم.
• अल्लाह की महान क्षमा और आदम के संतान के गुनाहों को नज़र अंदाज़ करना। चुनाँचे वे अभिमान करते हैं और उसके रसूलों और नबियों को चुनौती देते हैं, लेकिन इसके बावजूद अल्लाह उन्हें रोज़ी देता है, उन्हें स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रदान करता है और उन्हें सहन करते हुए माफ़ कर देता है।

• سعة علم الله تعالى بما في ظلمة الرحم، فهو يعلم أمر النطفة الواقعة في الرحم، وصَيْرُورتها إلى تخليق ذكر أو أنثى، وصحته واعتلاله، ورزقه وأجله، وشقي أو سعيد، فعلمه بها عام شامل.
• गर्भाशय के अंधेरे में जो कुछ होता है, उससे बारे में अल्लाह का विस्तृत ज्ञान। चुनाँचे वह गर्भाशय के अंदर गिरने वाले वीर्य, उसके नर या मादा जानदार का रूप धारण करने, उसके स्वस्थ और बीमार होने, उसकी जीविका और आयु तथा उसके भाग्यशाली या अभागा होने को जानता है। इन सब चीज़ों के बारे में उसका ज्ञान व्यापक एवं सर्वसामान्य है।

• عظيم عناية الله ببني آدم، وإثبات وجود الملائكة التي تحرسه وتصونه وغيرهم مثل الحَفَظَة.
• आदम के संतान का अल्लाह द्वारा महान देखभाल, और फ़रिश्तों के अस्तित्व का प्रमाण, जो उनकी रक्षा और निगरानी करते हैं, तथा इनके अलावा अन्य जैसे कार्यों को दर्ज करने वाले।

• أن الله تعالى يغير حال العبد إلى الأفضل متى ما رأى منه اتباعًا لأسباب الهداية، فهداية التوفيق منوطة باتباع هداية البيان.
• अल्लाह जब बंदे को मार्गदर्शन के कारणों का पालन करते हुए देखता है, तो उसकी स्थिति को बेहतर बना देता है। अतः सफलता का मार्गदर्शन, बयान के मार्गदर्शन का पालन करने से जुड़ा हुआ है।

لَهٗ دَعْوَةُ الْحَقِّ ؕ— وَالَّذِیْنَ یَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِهٖ لَا یَسْتَجِیْبُوْنَ لَهُمْ بِشَیْءٍ اِلَّا كَبَاسِطِ كَفَّیْهِ اِلَی الْمَآءِ لِیَبْلُغَ فَاهُ وَمَا هُوَ بِبَالِغِهٖ ؕ— وَمَا دُعَآءُ الْكٰفِرِیْنَ اِلَّا فِیْ ضَلٰلٍ ۟
केवल अल्लाह ही के लिए तौह़ीद (एकेश्वरवाद) की पुकार है, जिसमें उसका कोई साझी नहीं है। और जिन मूर्तियों को मुश्रिक लोग अल्लाह को छोड़कर पुकारते हैं, वे किसी भी मामले में उन्हें पुकारने वाले की पुकार का जवाब नहीं देतीं। उनका उन मूर्तियों को पुकारना एक प्यासे की तरह है, जो पानी की ओर अपना हाथ फैलाता है, ताकि वह उसके मुँह तक पहुँच जाए और वह उसे पी ले। हालाँकि पानी उसके मुँह तक कभी भी पहुँचने वाला नहीं। दरअसल काफ़िरों का अपनी मूर्तियों को पुकारना व्यर्थ है और सही से दूर है। क्योंकि वे उन्हें न कोई लाभ पहुँचा सकती हैं और न कोई हानि दूर कर सकती हैं।
التفاسير العربية:
وَلِلّٰهِ یَسْجُدُ مَنْ فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ طَوْعًا وَّكَرْهًا وَّظِلٰلُهُمْ بِالْغُدُوِّ وَالْاٰصَالِ ۟
आकाशों और धरती में जो भी हैं, सब अकेले अल्लाह ही को सजदा करते हैं। इसमें मोमिन और काफ़िर बराबर हैं। सिवाय इसके कि मोमिन उसके सामने स्वेच्छा से झुकता और सजदा करता है। जबकि काफ़िर न चाहते हुए भी उसके सामने झुकने पर मजबूर होता है। तथा उसकी प्रकृति उसे उसके सामने स्वेच्छा से झुकने के लिए निर्देश देती है। और प्राणियों में से जिसकी भी परछाई है, उसकी परछाई दिन की शुरुआत और उसके अंत में उसी के अधीन होती है।
التفاسير العربية:
قُلْ مَنْ رَّبُّ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— قُلِ اللّٰهُ ؕ— قُلْ اَفَاتَّخَذْتُمْ مِّنْ دُوْنِهٖۤ اَوْلِیَآءَ لَا یَمْلِكُوْنَ لِاَنْفُسِهِمْ نَفْعًا وَّلَا ضَرًّا ؕ— قُلْ هَلْ یَسْتَوِی الْاَعْمٰی وَالْبَصِیْرُ ۙ۬— اَمْ هَلْ تَسْتَوِی الظُّلُمٰتُ وَالنُّوْرُ ۚ۬— اَمْ جَعَلُوْا لِلّٰهِ شُرَكَآءَ خَلَقُوْا كَخَلْقِهٖ فَتَشَابَهَ الْخَلْقُ عَلَیْهِمْ ؕ— قُلِ اللّٰهُ خَالِقُ كُلِّ شَیْءٍ وَّهُوَ الْوَاحِدُ الْقَهَّارُ ۟
(ऐ रसूल!) अल्लाह के साथ दूसरों की पूजा करने वाले काफ़िरों से कह दें : आकाशों और धरती को पैदा करने वाला और उनके मामलों का व्यवस्थापक कौन है? (ऐ रसूल!) कह दें : अल्लाह ही उनका पैदा करने वाला और उनके मामले का प्रबंध करने वाला है और तुम इस बात को स्वीकार करते हो। (ऐ रसूल!) उनसे कह दें : क्या तुमने अल्लाह को छोड़कर अपने लिए ऐसे विवश सहायक बना रखे हैं, जो खुद अपने लिए न कोई लाभ ला सकते हैं और न कोई नुक़सान दूर सर सकते हैं, तो वे दूसरों के लिए ऐसा कहाँ से कर सकते हैं? (ऐ रसूल!) उनसे कह दीजिए : क्या काफ़िर जो दृष्टि से अंधा है और मोमिन जो द्रष्टा और मार्गदर्शित है, दोनों बराबर हो सकते हैं? या क्या कुफ़्र जो अंधकार है और ईमान जो रोशनी है, दोनों बराबर हो सकते हैं? क्या उन लोगों ने पैदा करने के मामले में कुछ ऐसे लोगों को अल्लाह का साझी बना रखा है, जिन्होंने अल्लाह के पैदा करने की तरह कुछ पैदा किया है, जिसके कारण उनके लिए अल्लाह की रचना उनके साझियों की रचना के साथ गडमड हो गई है? (ऐ रसूल!) उनसे कह दीजिए : केवल अल्लाह ही हर चीज़ का पैदा करने वाला है। पैदा करने में उसका कोई साझी नहीं है। और वही अकेला पूज्य है, जो एकमात्र इबादत किए जाने का हक़दार है, हर चीज़ पर प्रभुत्वशाली है।
التفاسير العربية:
اَنْزَلَ مِنَ السَّمَآءِ مَآءً فَسَالَتْ اَوْدِیَةٌ بِقَدَرِهَا فَاحْتَمَلَ السَّیْلُ زَبَدًا رَّابِیًا ؕ— وَمِمَّا یُوْقِدُوْنَ عَلَیْهِ فِی النَّارِ ابْتِغَآءَ حِلْیَةٍ اَوْ مَتَاعٍ زَبَدٌ مِّثْلُهٗ ؕ— كَذٰلِكَ یَضْرِبُ اللّٰهُ الْحَقَّ وَالْبَاطِلَ ؕ۬— فَاَمَّا الزَّبَدُ فَیَذْهَبُ جُفَآءً ۚ— وَاَمَّا مَا یَنْفَعُ النَّاسَ فَیَمْكُثُ فِی الْاَرْضِ ؕ— كَذٰلِكَ یَضْرِبُ اللّٰهُ الْاَمْثَالَ ۟ؕ
अल्लाह ने असत्य के मिटने और सत्य के बाक़ी रहने का एक उदाहरण आकाश से उतरने वाली बारिश के पानी के साथ दिया है, जिसके साथ घाटियाँ, अपने-अपने छोटे या बड़े आकार के अनुसार, बह निकलीं। फिर इस रेले ने झाग और कूड़ा पानी के ऊपर उठा लिया। अल्लाह ने सत्य और असत्य का एक दूसरा उदाहरण कुछ क़ीमती धातुओं के साथ दिया है, जिन्हें लोग पिघलाकर ज़ेवर बनाने के लिए तपाते हैं। तो इसका झाग इसके ऊपर आ जाता है, जिस तरह कि उसका झाग उसके ऊपर होता है। इन दो उदाहरणों के साथ, अल्लाह सत्य और असत्य के उदाहरण प्रस्तुत करता है। चुनाँचे असत्य जल पर तैरते हुए मैल और झाग की तरह तथा उस ज़ंग (मोरचे) के समान है, जो धातु को तपाने से अलग हो जाता है। जबकि सत्य शुद्ध जल के समान है जिसमें से पिया जाता है, और वह फल, चारा और घास उगाता है, तथा उस धातु के समान है जो पिघलाने के बाद बचता है, जिससे लोग लाभान्वित होते हैं। जिस तरह अल्लाह ने ये दो उदाहरण दिए हैं, वैसे ही अल्लाह लोगों के लिए उदाहरणों को प्रस्तुत करता रहता है, ताकि असत्य से सत्य स्पष्ट हो जाए।
التفاسير العربية:
لِلَّذِیْنَ اسْتَجَابُوْا لِرَبِّهِمُ الْحُسْنٰی ؔؕ— وَالَّذِیْنَ لَمْ یَسْتَجِیْبُوْا لَهٗ لَوْ اَنَّ لَهُمْ مَّا فِی الْاَرْضِ جَمِیْعًا وَّمِثْلَهٗ مَعَهٗ لَافْتَدَوْا بِهٖ ؕ— اُولٰٓىِٕكَ لَهُمْ سُوْٓءُ الْحِسَابِ ۙ۬— وَمَاْوٰىهُمْ جَهَنَّمُ ؕ— وَبِئْسَ الْمِهَادُ ۟۠
जिन लोगों ने अपने पालनहार की बात मान ली, जो उसने उन्हें अपने एकत्व (एकेश्वरवाद) और आज्ञापालन के लिए आमंत्रित किया, उनके लिए सबसे अच्छा बदला है और वह जन्नत है। और काफ़िर लोग जिन्होंने अपने पालनहार की तौहीद तथा आज्ञापालन के आमंत्रण को स्वीकार नहीं किया, यदि ऐसा हो जाए कि दुनिया का सारा धन उनके पास आ जाए और इसके साथ उनके पास इसके बराबर और भी धन आ जाए, तो वे अपने आपको अज़ाब से छुड़ाने के लिए वह सारा धन अवश्य खर्च कर देंगे। अल्लाह के आमंत्रण को स्वीकार न करने वाले इन लोगों से उनके सभी पापों का हिसाब लिया जाएगा। और उनका निवास जिसमें वे रहेंगे, जहन्नम है। और उनका बिस्तर तथा ठिकाना जो कि आग है, बहुत बुरा है।
التفاسير العربية:
من فوائد الآيات في هذه الصفحة:
• بيان ضلال المشركين في دعوتهم واستغاثتهم بغير الله تعالى، وتشبيه حالهم بحال من يريد الشرب فيبسط يده للماء بلا تناول له، وليس بشارب مع هذه الحالة؛ لكونه لم يتخذ وسيلة صحيحة لذلك.
• अल्लाह के सिवा दूसरों को पुकारने और उनसे सहायता के लिए याचना करने में मुश्रिकों की गुमराही का बयान, और उनकी स्थिति की तुलना ऐसे व्यक्ति की स्थिति से करना, जो पानी पीना चाहता है, इसलिए वह पानी की ओर केवल अपना हाथ बढ़ाता है, लेकिन वह उसे लेता नहीं है। इस स्थिति में वह कभी पानी पीने वाला नहीं है। क्योंकि इसके लिए उसने सही माध्यम नहीं अपनाया है।

• أن من وسائل الإيضاح في القرآن: ضرب الأمثال وهي تقرب المعقول من المحسوس، وتعطي صورة ذهنية تعين على فهم المراد.
• क़ुरआन में बात को स्पष्ट करने का एक तरीक़ा : उदाहरण प्रस्तुत करना है। और यह एक बोधगम्य चीज़ को इन्द्रियगोचर के क़रीब कर देता है और एक मानसिक चित्र प्रदान करता है, जो अर्थ को समझने में मदद करता है।

• إثبات سجود جميع الكائنات لله تعالى طوعًا، أو كرهًا بما تمليه الفطرة من الخضوع له سبحانه.
• सभी प्राणियों के अल्लाह तआला को स्वेच्छा से, या अनिच्छा से सजदा करने का प्रमाण, क्योंकि उसकी प्रकृति उसे अल्लाह के सामने झुकने पर बाध्य करती है।

اَفَمَنْ یَّعْلَمُ اَنَّمَاۤ اُنْزِلَ اِلَیْكَ مِنْ رَّبِّكَ الْحَقُّ كَمَنْ هُوَ اَعْمٰی ؕ— اِنَّمَا یَتَذَكَّرُ اُولُوا الْاَلْبَابِ ۟ۙ
वह आदमी जो जानता है कि अल्लाह ने जो कुछ (ऐ रसूल) आप पर अपनी ओर से उतारा है, वही सत्य है, जिसमें कोई संदेह नहीं है, और वह अल्लाह के आमंत्रण को स्वीकार करने वाला मोमिन व्यक्ति है, उस व्यक्ति के समान नहीं हो सकता, जो अंधा है और वह अल्लाह के आमंत्रण को स्वीकार ने करने वाला काफ़िर व्कायक्ति है। तथ्य यह है कि इससे सद्बुद्धि वाले लोग ही सीख लेते और उपदेश ग्रहण करते हैं।
التفاسير العربية:
الَّذِیْنَ یُوْفُوْنَ بِعَهْدِ اللّٰهِ وَلَا یَنْقُضُوْنَ الْمِیْثَاقَ ۟ۙ
जिन लोगों ने अल्लाह का आमंत्रण स्वीकार किया, वे ऐसे लोग हैं जो अल्लाह के साथ की हुई प्रतिज्ञा या उसके बंदों के साथ की हुई प्रतिज्ञा को पूरा करते हैं। तथा अल्लाह के साथ या उसके अलावा के साथ की हुई दृढ़ प्रतिज्ञाओं को नहीं तोड़ते।
التفاسير العربية:
وَالَّذِیْنَ یَصِلُوْنَ مَاۤ اَمَرَ اللّٰهُ بِهٖۤ اَنْ یُّوْصَلَ وَیَخْشَوْنَ رَبَّهُمْ وَیَخَافُوْنَ سُوْٓءَ الْحِسَابِ ۟ؕ
और वे ऐसे लोग हैं, जो उन सभी रिश्तों-नातों को जोड़ते हैं, जिन्हें जोड़ने का अल्लाह ने आदेश दिया है, और वे अल्लाह का ऐसा भय रखते हैं, जो उन्हें अल्लाह के आदेशों का पानल करने और उसके निषेधों से बचने के लिए प्रेरित करता है, तथा उन्हें डर है कि कहीं अल्लाह उनके किए हुए प्रत्येक पाप का हिसाब न ले। क्योंकि जिसके हिसाब में एक-एक चीज़ की पड़ताल की गई, उसका सर्वनाश हो जाएगा।
التفاسير العربية:
وَالَّذِیْنَ صَبَرُوا ابْتِغَآءَ وَجْهِ رَبِّهِمْ وَاَقَامُوا الصَّلٰوةَ وَاَنْفَقُوْا مِمَّا رَزَقْنٰهُمْ سِرًّا وَّعَلَانِیَةً وَّیَدْرَءُوْنَ بِالْحَسَنَةِ السَّیِّئَةَ اُولٰٓىِٕكَ لَهُمْ عُقْبَی الدَّارِ ۟ۙ
और वे ऐसे लोग हैं, जिन्होंने अल्लाह की प्रसन्नता के लिए अल्लाह के आज्ञापालन पर तथा अल्लाह ने जो कुछ अच्छा या बुरा उनपर नियत किया है, उसपर सब्र किया और अल्लाह की अवज्ञा से रुक गए, और संपूर्ण रूप से नमाज़ अदा किया, तथा हमारे दिए हुए धन से अनिवार्य हुक़ूक़ (अधिकार) का भुगतान किया, और उसमें से कभी दिखावे से बचने के लिए चुपके से स्वेच्छिक दान दिया और कभी खुले तौर पर दान किया ताकि दूसरे लोग उनका अनुकरण करें, तथा उनके साथ जो दुर्व्यवहार करे उसकी बुराई को उसके साथ अच्छा व्यवहार करके दूर करते हैं। इन विशेषताओं से विशेषित लोगों के लिए क़ियामत के दिन अच्छा परिणाम है।
التفاسير العربية:
جَنّٰتُ عَدْنٍ یَّدْخُلُوْنَهَا وَمَنْ صَلَحَ مِنْ اٰبَآىِٕهِمْ وَاَزْوَاجِهِمْ وَذُرِّیّٰتِهِمْ وَالْمَلٰٓىِٕكَةُ یَدْخُلُوْنَ عَلَیْهِمْ مِّنْ كُلِّ بَابٍ ۟ۚ
यह अच्छा परिणाम ऐसे बाग़ हैं, जिनमें वे स्थायी रूप से समृद्धिपूर्वक रहेंगे। उसमें उनकी नेमत की पूर्ति इससे होगी कि उसमें उनके साथ उनके बाप-दादाओं, माताओं, पत्नियों और संतानों में से नेक लोग भी प्रवेश करेंगे। ताकि उनसे मुलाक़ात के द्वारा उनके आनंद को पूरा कर दिया जाए। और जन्नत में फ़रिश्ते उनके घरों के सभी द्वारों से बधाई देते हुए उनके पास आएँगे।
التفاسير العربية:
سَلٰمٌ عَلَیْكُمْ بِمَا صَبَرْتُمْ فَنِعْمَ عُقْبَی الدَّارِ ۟ؕ
फ़रिश्ते जब भी उनके पास आएँगे, उनका यह कहते हुए अभिवादन करेंगे : तुमपर सलाम (शांति) हो! अर्थात् : तुम अल्लाह के आज्ञापालन और उसके कष्टदायक फैसलों पर धैर्य से काम लेने, और उसकी अवज्ञा से बचने के कारण विपत्तियों से सुरक्षित रहो। तो क्या ही अच्छा है इस घर का परिणाम, जो तुम्हें प्राप्त हुआ है।
التفاسير العربية:
وَالَّذِیْنَ یَنْقُضُوْنَ عَهْدَ اللّٰهِ مِنْ بَعْدِ مِیْثَاقِهٖ وَیَقْطَعُوْنَ مَاۤ اَمَرَ اللّٰهُ بِهٖۤ اَنْ یُّوْصَلَ وَیُفْسِدُوْنَ فِی الْاَرْضِ ۙ— اُولٰٓىِٕكَ لَهُمُ اللَّعْنَةُ وَلَهُمْ سُوْٓءُ الدَّارِ ۟
और जो लोग अल्लाह की प्रतिज्ञा को उसे दृढ़ करने के बाद तोड़ देते हैं, और उन रिश्तों-नातों को काटते हैं, जिन्हें अल्लाह ने जोड़ने का आदेश दिया है, तथा अल्लाह तआला की अवज्ञा करके धरती में उत्पात मचाते हैं। यही अभागे (दुर्भाग्यशाली) लोग हैं, जिनके लिए अल्लाह की दया से निष्कासन है और उनके लिए बुरा परिणाम है, जो कि नरक है।
التفاسير العربية:
اَللّٰهُ یَبْسُطُ الرِّزْقَ لِمَنْ یَّشَآءُ وَیَقْدِرُ ؕ— وَفَرِحُوْا بِالْحَیٰوةِ الدُّنْیَا ؕ— وَمَا الْحَیٰوةُ الدُّنْیَا فِی الْاٰخِرَةِ اِلَّا مَتَاعٌ ۟۠
अल्लाह अपने बंदों में से जिसके लिए चाहता है, उसकी रोज़ी में विस्तार कर देता है और जिस पर चाहता है, तंग कर देता है। रोज़ी का विस्तार सौभाग्य और अल्लाह के प्रेम की निशानी नहीं है, और न ही उसका तंग होना दुर्भाग्य की निशानी है। और काफ़िर लोग दुनिया ही के जीवन पर प्रसन्न हैं। इसलिए उसकी ओर झुक गए हैं और उसी पर संतुष्ट हो गए हैं। हालाँकि दुनिया क जीवन आख़िरत के मुक़ाबले में थोड़े-से सामान के सिवा कुछ नहीं है, जो समाप्त हो जाने वाला है।
التفاسير العربية:
وَیَقُوْلُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا لَوْلَاۤ اُنْزِلَ عَلَیْهِ اٰیَةٌ مِّنْ رَّبِّهٖ ؕ— قُلْ اِنَّ اللّٰهَ یُضِلُّ مَنْ یَّشَآءُ وَیَهْدِیْۤ اِلَیْهِ مَنْ اَنَابَ ۟ۖۚ
अल्लाह और उसकी निशानियों का इनकार करने वाले कहते हैं : मुह़म्मद पर उनके पालनहार की ओर से कोई साक्षात निशानी क्यों नहीं उतारी गई, जो उनकी सच्चाई को इंगित करती, फिर हम उनपर ईमान ले आते। (ऐ रसूल!) आप इन प्रस्ताव रखने वालों से कह दें : अल्लाह जिसे चाहता है, अपने न्याय के अनुसार गुमराह करता है। और अपनी कृपा से उसका अपनी ओर मार्गदर्शन करता है, जो उसकी ओर तौबा के साथ लौटता है। तथा मार्गदर्शन उनके हाथ में नहीं है कि वे उसे निशानियाँ उतारने के साथ जोड़ें।
التفاسير العربية:
اَلَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَتَطْمَىِٕنُّ قُلُوْبُهُمْ بِذِكْرِ اللّٰهِ ؕ— اَلَا بِذِكْرِ اللّٰهِ تَطْمَىِٕنُّ الْقُلُوْبُ ۟ؕ
ये लोग जिन्हें अल्लाह मार्गदर्शन प्रदान करता है, वे हैं जो ईमान लाए, और उनके दिलों को अल्लाह को याद करने; उसकी पवित्रता का गान करने और उसकी स्तुति व प्रशंसा करने, तथा उसकी किताब की तिलावत करने और उसे सुनने से और इसके अलावा अन्य प्रकार के स्मरण से चैन और आराम मिलता है। सुन लो! केवल अल्लाह को याद करने ही से दिलों को आराम मिलता है। यही दिलों के लायक़ है।
التفاسير العربية:
من فوائد الآيات في هذه الصفحة:
• الترغيب في جملة من فضائل الأخلاق الموجبة للجنة، ومنها: حسن الصلة، وخشية الله تعالى، والوفاء بالعهود، والصبر والإنفاق، ومقابلة السيئة بالحسنة والتحذير من ضدها.
• जन्नत को अनिवार्य करने वाले कुछ श्रेष्ठ व्यवहारों का प्रोत्साहन, जिनमें से कुछ ये हैं : रिश्तेदारों के साथ अच्छा संबंध, अल्लाह का भय, वादों की पूर्ति, धैर्य, ख़र्च करना और बुराई का बदला भलाई से देना, तथा इन व्यवहारों के विपरीत से सावधान करना।

• أن مقاليد الرزق بيد الله سبحانه وتعالى، وأن توسعة الله تعالى أو تضييقه في رزق عبدٍ ما لا ينبغي أن يكون موجبًا لفرح أو حزن، فهو ليس دليلًا على رضا الله أو سخطه على ذلك العبد.
• रोज़ी की कुंजियाँ अल्लाह के हाथ में हैं, और यह कि अल्लाह तआला का किसी बंदे की रोज़ी में विस्तार करना या उसमें तंगी करना, खुशी या दुख का कारण नहीं होना चाहिए।क्योंकि यह उस बंदे से अल्लाह के प्रसन्न या क्रुद्ध होने का प्रमाण नहीं है।

• أن الهداية ليست بالضرورة مربوطة بإنزال الآيات والمعجزات التي اقترح المشركون إظهارها.
• हिदायत आवश्यक रूप से उन निशानियों और चमत्कारों के उतारने के साथ जुड़ी हुई नहीं है, जो मुश्रिकों ने दिखाने का सुझाव दिया था।

• من آثار القرآن على العبد المؤمن أنه يورثه طمأنينة في القلب.
• मोमिन बंदे पर क़ुरआन का एक प्रभाव यह है कि वह उसे हार्दिक शांति देता है।

اَلَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ طُوْبٰی لَهُمْ وَحُسْنُ مَاٰبٍ ۟
और ये लोग जो अल्लाह पर ईमान लाए और ऐसे अच्छे कार्य किए, जो उन्हें अल्लाह से क़रीब लाते हैं, उनके लिए आख़िरत में एक अच्छा जीवन है तथा उनके लिए अच्छा परिणाम है, जो कि जन्नत है।
التفاسير العربية:
كَذٰلِكَ اَرْسَلْنٰكَ فِیْۤ اُمَّةٍ قَدْ خَلَتْ مِنْ قَبْلِهَاۤ اُمَمٌ لِّتَتْلُوَاۡ عَلَیْهِمُ الَّذِیْۤ اَوْحَیْنَاۤ اِلَیْكَ وَهُمْ یَكْفُرُوْنَ بِالرَّحْمٰنِ ؕ— قُلْ هُوَ رَبِّیْ لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ۚ— عَلَیْهِ تَوَكَّلْتُ وَاِلَیْهِ مَتَابِ ۟
जिस तरह हमने पिछले नबियों को उनके समुदायों की ओर भेजा था, वैसे ही हमने आपको (ऐ रसूल!) आपके समुदाय की ओर भेजा है; ताकि आप उन्हें वह क़ुरआन पढ़कर सुनाएँ, जो हमने आपकी ओर वह़्य की है। क्योंकि वह आपकी सच्चाई को प्रमाणित करने के लिए काफ़ी है। लेकिन आपके समुदाय का हाल यह है कि वे इस निशानी का इनकार करते हैं। क्योंकि वे 'रहमान' (अत्यंत दयावान्) पर अविश्वास करते हैं, जब वे उसके साथ उसके अलावा को साझी बनाते हैं। (ऐ रसूल!) आप उनसे कह दीजिए : वह 'रहमान' (अत्यंत दयावान् हस्ती) जिसके साथ तुम उसके अलावा को साझी बनाते हो, वही मेरा पालनहार है, जिसके अलावा कोई सत्य पूज्य नहीं। मैंने अपने सभी मामलों में उसी पर भरोसा किया है और उसी की ओर मेरा लौटना है।
التفاسير العربية:
وَلَوْ اَنَّ قُرْاٰنًا سُیِّرَتْ بِهِ الْجِبَالُ اَوْ قُطِّعَتْ بِهِ الْاَرْضُ اَوْ كُلِّمَ بِهِ الْمَوْتٰی ؕ— بَلْ لِّلّٰهِ الْاَمْرُ جَمِیْعًا ؕ— اَفَلَمْ یَایْـَٔسِ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اَنْ لَّوْ یَشَآءُ اللّٰهُ لَهَدَی النَّاسَ جَمِیْعًا ؕ— وَلَا یَزَالُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا تُصِیْبُهُمْ بِمَا صَنَعُوْا قَارِعَةٌ اَوْ تَحُلُّ قَرِیْبًا مِّنْ دَارِهِمْ حَتّٰی یَاْتِیَ وَعْدُ اللّٰهِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَا یُخْلِفُ الْمِیْعَادَ ۟۠
यदि ईश्वरीय किताबों में से किसी किताब की यह विशेषता होती कि उसके द्वारा पहाड़ों को उनके स्थानों से हटा दिया जाता, या उसके द्वारा धरती को फाड़ दिया जाता और वह नदियों और जल-स्रोतों में बदल जाती, या उसे मुर्दों पर पढ़ा जाता और वे जीवित हो जाते - तो वह अवश्य (ऐ रसूल!) आप पर अवतरित किया गया यह क़ुरआन होता। क्योंकि यह किताब स्पष्ट प्रमाण वाली और महान प्रभाव वाली है, यदि वे साफ़-सुथरे हृदय के मालिक होते, लेकिन वे इनकार करने वाले हैं। बल्कि चमत्कारों आदि के उतारने का सारा काम अल्लाह के अधिकार में हैं। तो क्या अल्लाह पर ईमान रखने वालों ने नहीं जाना कि यदि अल्लाह चमत्कार उतारे बिना ही समस्त लोगों को हिदायत देना चाहता, तो अवश्य उन्हें उसके बिना ही हिदायत दे देता? लेकिन उसने ऐसा नहीं चाहा। तथा अल्लाह का इनकार करने वालों पर उनके कुफ़्र तथा पापों के कारण हमेशा कोई सख़्त आपदा आती रहेगी, जो उनकी शांति भंग कर देगी, या वह आपदा उनके घर के निकट उतरेगी, यहाँ तक कि निरंतर यातना उतरने का अल्लाह का वादा आ जाए। निश्चय अल्लाह अपने वादे को पूरा करना नहीं छोड़ता है, जब उसका नियत समय आ जाए।
التفاسير العربية:
وَلَقَدِ اسْتُهْزِئَ بِرُسُلٍ مِّنْ قَبْلِكَ فَاَمْلَیْتُ لِلَّذِیْنَ كَفَرُوْا ثُمَّ اَخَذْتُهُمْ ۫— فَكَیْفَ كَانَ عِقَابِ ۟
आप पहले रसूल नहीं हैं, जिसे उसके समुदाय ने झुठलाया और उसका मज़ाक़ उड़ाया है। (ऐ रसूल) आपसे पहले भी कई समुदायों ने अपने रसूलों का मज़ाक़ उड़ाया और उन्हें झुठलाया है। तो मैंने उन लोगों को मोहलत दी जिन्होंने अपने रसूलों को झुठलाया था, यहाँ तक कि उन्हें विश्वास हो गया कि मैं उन्हें नष्ट करने वाला नहीं हूँ। फिर मैंने मोहलत के बाद उन्हें तरह-तरह की यातना से ग्रस्त कर दिया, तो आपने उनके लिए मेरी सज़ा को कैसा पाया? निश्चय वह एक कड़ी सज़ा थी।
التفاسير العربية:
اَفَمَنْ هُوَ قَآىِٕمٌ عَلٰی كُلِّ نَفْسٍ بِمَا كَسَبَتْ ۚ— وَجَعَلُوْا لِلّٰهِ شُرَكَآءَ ؕ— قُلْ سَمُّوْهُمْ ؕ— اَمْ تُنَبِّـُٔوْنَهٗ بِمَا لَا یَعْلَمُ فِی الْاَرْضِ اَمْ بِظَاهِرٍ مِّنَ الْقَوْلِ ؕ— بَلْ زُیِّنَ لِلَّذِیْنَ كَفَرُوْا مَكْرُهُمْ وَصُدُّوْا عَنِ السَّبِیْلِ ؕ— وَمَنْ یُّضْلِلِ اللّٰهُ فَمَا لَهٗ مِنْ هَادٍ ۟
तो क्या जो सभी सृष्टि की जीविका के संरक्षण का ज़िम्मेदार, हर प्राणी के कार्यों की निगरानी करने वाला है, चुनाँचे वह उसे उसके कार्यों का बदला देगा, वह उपासना किए जाने के अधिक योग्य है, या ये मूर्तियाँ जिन्हें इस बात का कोई अधिकार नहीं कि उनकी पूजा की जाए? हालाँकि काफ़िरों ने उन्हें अन्यायपूर्वक और झूठमूठ अल्लाह का साझी बना लिया है। (ऐ रसूल!) आप उनसे कह दें : तुम हमें उन साझियों के नाम बताओ, जिनकी तुमने अल्लाह के साथ पूजा की है, यदि तुम अपने दावे में सच्चे हो। या क्या तुम अल्लाह को ऐसे साझियों के बारे में बता रहे हो, जिन्हें वह धरती में नहीं जानता? या फिर तुम उसे एक ऊपरी बात बता रहे हो, जिसमें कोई सच्चाई नहीं है? बल्कि, शैतान ने इनकार करने वालों की नज़र में उनके छल को सुंदर बना दिया है, जिसके कारण वे अल्लाह का इनकार कर बैठे हैं और शैतान ने उन्हें हिदायत के रास्ते से हटा दिया है। और जिसे अल्लाह हिदायत के मार्ग से दूर कर दे, उसके लिए कोई मार्गदर्शक नहीं, जो उसका मार्गदर्शन कर सके।
التفاسير العربية:
لَهُمْ عَذَابٌ فِی الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا وَلَعَذَابُ الْاٰخِرَةِ اَشَقُّ ۚ— وَمَا لَهُمْ مِّنَ اللّٰهِ مِنْ وَّاقٍ ۟
इस सांसारिक जीवन ही में उनके लिए यातना है कि उन्हें मोमिनों के हाथों क़त्ल एवं क़ैद का सामना करना पड़ेगा। जबकि आख़िरत की यातना जो उनकी प्रतीक्षा कर रही है, उनके लिए दुनिया की यातना से अधिक कठोर और भारी है। क्योंकि उसमें तीव्रता और निर्बाध स्थायित्व होगा। और उन्हें क़ियामत के दिन अल्लाह की यातना से कोई बचाने वाला भी न होगा।
التفاسير العربية:
من فوائد الآيات في هذه الصفحة:
• أن الأصل في كل كتاب منزل أنه جاء للهداية، وليس لاستنزال الآيات، فذاك أمر لله تعالى يقدره متى شاء وكيف شاء.
• हर आसमानी किताब में मूल सिद्धांत यह है कि वह मार्गदर्शन के लिए आई है, निशानियाँ उतरवाने के लिए नहीं। यह तो अल्लाह का मामला (काम) है। वह जब चाहे और जैसे चाहे उसे नियत करता है।

• تسلية الله تعالى للنبي صلى الله عليه وسلم، وإحاطته علمًا أن ما يسلكه معه المشركون من طرق التكذيب، واجهه أنبياء سابقون.
• अल्लाह सर्वशक्तिमान का नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को सांत्वना देना, तथा आपको सूचित करना कि मुश्रिक लोग आपके साथ झुठलाने के जो तरीक़े अपना रहे हैं, पिछले नबियों ने भी उनका सामना किया है।

• يصل الشيطان في إضلال بعض العباد إلى أن يزين لهم ما يعملونه من المعاصي والإفساد.
• शैतान कुछ बंदों को गुमराह करने के मामले में इस हद तक पहुँच जाता है कि उनके गुनाहों और बिगाड़ के कामों को उनकी आँखों में सुंदर बना देता है।

مَثَلُ الْجَنَّةِ الَّتِیْ وُعِدَ الْمُتَّقُوْنَ ؕ— تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ ؕ— اُكُلُهَا دَآىِٕمٌ وَّظِلُّهَا ؕ— تِلْكَ عُقْبَی الَّذِیْنَ اتَّقَوْا ۖۗ— وَّعُقْبَی الْكٰفِرِیْنَ النَّارُ ۟
उस जन्नत की विशेषता जिसका अल्लाह ने उन लोगों से वादा किया है, जो उसके आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर उससे डरने वाले हैं, यह है कि उसके महलों और पेड़ों के नीचे से नहरें बहती हैं, उसके फल, दुनिया के फलों के विपरीत, स्थायी हैं, जो कभी खत्म नहीं होंगे और उसकी छाया भी स्थायी है, जो न कभी समाप्त होगी और न छोटी होगी। यही उन लोगों का परिणाम है, जो अल्लाह के आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर उससे डरते रहे। और काफ़िरों का परिणाम आग है, जिसमें वे प्रवेश करेंगे और हमेशा के लिए उसी में रहेंगे।
التفاسير العربية:
وَالَّذِیْنَ اٰتَیْنٰهُمُ الْكِتٰبَ یَفْرَحُوْنَ بِمَاۤ اُنْزِلَ اِلَیْكَ وَمِنَ الْاَحْزَابِ مَنْ یُّنْكِرُ بَعْضَهٗ ؕ— قُلْ اِنَّمَاۤ اُمِرْتُ اَنْ اَعْبُدَ اللّٰهَ وَلَاۤ اُشْرِكَ بِهٖ ؕ— اِلَیْهِ اَدْعُوْا وَاِلَیْهِ مَاٰبِ ۟
जिन यहूदियों को हमने तौरात दी और जिन ईसाइयों को हमने इंजील दी, वे उस (क़ुरआन) से प्रसन्न होते हैं, जो (ऐ रसूल!) आपपर उतारा गया है; क्योंकि वह उनकी पुस्तकों की कुछ बातों से सहमति रखता है। तथा यहूदियों और ईसाइयों के संप्रदायों में से कुछ लोग आपकी ओर अवतिरत पुस्तक के कुछ भाग का इनकार करते हैं, जो उनकी इच्छाओं से मेल नहीं खाता, या जो उनके परिवर्तन और विकृति को उजागर करता है। (ऐ रसूल!) आप उनसे कह दें : अल्लाह ने मुझे आदेश दिया है कि मैं केवल उसी की इबादत करूँ और उसके साथ उसके अलावा को साझी न बनाऊँ। मैं केवल उसी की ओर बुलाता हूँ और उसके अलावा किसी और की ओर नहीं बुलाता। और केवल उसी की ओर मेरा लौटना है। तौरात और इंजील ने भी यही शिक्षा दी है।
التفاسير العربية:
وَكَذٰلِكَ اَنْزَلْنٰهُ حُكْمًا عَرَبِیًّا ؕ— وَلَىِٕنِ اتَّبَعْتَ اَهْوَآءَهُمْ بَعْدَ مَا جَآءَكَ مِنَ الْعِلْمِ ۙ— مَا لَكَ مِنَ اللّٰهِ مِنْ وَّلِیٍّ وَّلَا وَاقٍ ۟۠
और जैसे हमने पिछली पुस्तकों को उनके समुदायों की भाषा में उतारा था, उसी प्रकार हमने (ऐ रसूल!) आपपर क़ुरआन को अरबी भाषा में सच्चाई को स्पष्ट करने वाला एक निर्णायक फ़रमान बनाकर उतारा है। और यदि (ऐ रसूल!) आपने अपने पास उस ज्ञान के आ जाने के पश्चात जो अल्लाह ने आपको सिखाया है, किताब वालों की इच्छाओं का पालन किया उनके उस चीज़ को हटाने की सौदेबाज़ी में जो उनकी इच्छाओं से मेल नहीं खाती, तो अल्लाह के मुक़ाबले में आपका कोई संरक्षक नहीं होगा, जो आपके मामले को संभाले और आपके दुश्मनों के खिलाफ़ आपकी सहायता करे, और न ही आपको अल्लाह की यातना से कोई बचाने वाला होगा।
التفاسير العربية:
وَلَقَدْ اَرْسَلْنَا رُسُلًا مِّنْ قَبْلِكَ وَجَعَلْنَا لَهُمْ اَزْوَاجًا وَّذُرِّیَّةً ؕ— وَمَا كَانَ لِرَسُوْلٍ اَنْ یَّاْتِیَ بِاٰیَةٍ اِلَّا بِاِذْنِ اللّٰهِ ؕ— لِكُلِّ اَجَلٍ كِتَابٌ ۟
(ऐ रसूल!) हमने आपसे पहले रसूलों को मनुष्यों ही में से भेजे। इसलिए आप (दूसरे) रसूलों से अलग कोई (अनोखे) रसूल नहीं हैं। तथा हमने अन्य सभी मनुष्यों की तरह उनके लिए पत्नियाँ और बच्चे बनाए। हमने उन्हें फ़िरिश्ते नहीं बनाए,जो न शादी करते हैं और न बच्चे जनते हैं। और आप भी उन्हीं रसूलों में से हैं, जो मनुष्य थे, शादी-ब्याह करते थे और बच्चे पैदा करते थे, तो फिर आपके ऐसा होने पर इन मुश्रिकों को आश्चर्य क्यों होता है?! तथा किसी रसूल के बस की बात नहीं है कि अल्लाह की अनुमति के बिना अपनी ओर से कोई निशानी ले आए। हर मामले के लिए जिसका अल्लाह ने फ़ैसला किया है एक किताब है, जिसमें वह उल्लिखित है और उसका एक निर्धारित समय है, जो आगे-पीछे नहीं हो सकता।
التفاسير العربية:
یَمْحُوا اللّٰهُ مَا یَشَآءُ وَیُثْبِتُ ۖۚ— وَعِنْدَهٗۤ اُمُّ الْكِتٰبِ ۟
अल्लाह जिस भलाई, या बुराई, या सौभाग्य, या दुर्भाग्य को चाहता है, मिटा देता है और उनमें से जिसे चाहता है बाक़ी रखता है। और उसी के पास 'लौह़ -ए- महफ़ूज़' है। वह उन सब का संदर्भ है, और जो कुछ भी मिटाया जाता या बाक़ी रखा जाता है, उसी के अनुसार होता है, जो उसमें अंकित है।
التفاسير العربية:
وَاِنْ مَّا نُرِیَنَّكَ بَعْضَ الَّذِیْ نَعِدُهُمْ اَوْ نَتَوَفَّیَنَّكَ فَاِنَّمَا عَلَیْكَ الْبَلٰغُ وَعَلَیْنَا الْحِسَابُ ۟
(ऐ नबी!) यदि हम आपकी मृत्यु से पहले आपको उस यातना का कुछ भाग दिखा दें जिसका हम उनसे वादा करते हैं, तो यह हमारा काम है, या उसे आपको दिखाने से पहले ही आपको मौत दे दें, तो आपका काम केवल उसको पहुँचा देना है, जिसे पहुँचाने का हमने आपको आदेश दिया है। आपका काम उन्हें बदला देना या उनका हिसाब लेना नहीं है। क्योंकि यह हमारा काम है।
التفاسير العربية:
اَوَلَمْ یَرَوْا اَنَّا نَاْتِی الْاَرْضَ نَنْقُصُهَا مِنْ اَطْرَافِهَا ؕ— وَاللّٰهُ یَحْكُمُ لَا مُعَقِّبَ لِحُكْمِهٖ ؕ— وَهُوَ سَرِیْعُ الْحِسَابِ ۟
क्या इन काफ़िरों ने यह नहीं देखा कि हम कुफ़्र की धरती पर आते हैं, इस्लाम का प्रसार कर और मुसलमानों को उसपर विजय प्रदान करके उसे उसके किनारों से कम कर देते हैं। और अल्लाह जो कुछ चाहता है, आदेश देता है और अपने बंदों के बीच फ़ैसला करता है। उसके फ़ैसले को कोई टालने वाला, या उसमें संशोधन करने वाला, या उसे बदलने वाला नहीं है। वह महिमावान बहुत शीघ्र हिसाब लेने वाला है, वह अगले और पिछले सभी लोगों का एक ही दिन में हिसाब ले लेगा।
التفاسير العربية:
وَقَدْ مَكَرَ الَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ فَلِلّٰهِ الْمَكْرُ جَمِیْعًا ؕ— یَعْلَمُ مَا تَكْسِبُ كُلُّ نَفْسٍ ؕ— وَسَیَعْلَمُ الْكُفّٰرُ لِمَنْ عُقْبَی الدَّارِ ۟
पिछले समुदायों ने अपने नबियों के साथ छल किया, चालें चलीं और उनकी लाई हई बातों को झुठलाया। परंतु उन्होंने उनके ख़िलाफ़ उपाय (साज़िश) करके क्या कर लिया? कुछ नहीं; क्योंकि प्रभावी उपाय केवल अल्लाह का उपाय है, किसी और का नहीं। तथा वह महिमावान् (अल्लाह) ही है, जो सारी सृष्टि के सभी कर्मों को जानता है, उनमें से कुछ भी उससे छिपा नहीं है। और उस समय इन झुठलाने वालों को पता चल जाएगा कि वे अल्लाह पर ईमान न लाने में कितने गलत थे और ईमान वाले लोग कितने सही थे। इसलिए उन्होंने जन्नत और अच्छा परिणाम प्राप्त किया।
التفاسير العربية:
من فوائد الآيات في هذه الصفحة:
• الترغيب في الجنة ببيان صفتها، من جريان الأنهار وديمومة الرزق والظل.
• जन्नत की विशेषताएँ, जैसे नहरों के प्रवाह और जीविका और छाया के स्थायित्व को बयान करके उसके लिए प्रोत्साहित करना।

• خطورة اتباع الهوى بعد ورود العلم وأنه من أسباب عذاب الله.
• ज्ञान के आगमन के बाद इच्छाओं का पालन करने का खतरा और यह कि वह अल्लाह की सज़ा के कारणों में से है।

• بيان أن الرسل بشر، لهم أزواج وذريات، وأن نبينا صلى الله عليه وسلم ليس بدعًا بينهم، فقد كان مماثلًا لهم في ذلك.
• इस बात का वर्णन कि रसूल इनसान थे। उनकी पत्नियाँ और बच्चे थे। और हमारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम उनके बीच कोई अनूठे नहीं हैं। क्योंकि आप उसमें उनके समान ही थे।

وَیَقُوْلُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا لَسْتَ مُرْسَلًا ؕ— قُلْ كَفٰی بِاللّٰهِ شَهِیْدًا بَیْنِیْ وَبَیْنَكُمْ ۙ— وَمَنْ عِنْدَهٗ عِلْمُ الْكِتٰبِ ۟۠
जिन लोगों ने कुफ़्र की नीति अपनाई, वे कहते हैं : (ऐ मुहम्मद!) आप अल्लाह द्वारा भेजे नहीं गए हैं। (ऐ रसूल!) आप उनसे कह दें : मेरे और तुम्हारे बीच, इस बात पर अल्लाह गवाह के रूप में काफ़ी है कि मैं अपने पालनहार की ओर से तुम्हारी तरफ़ रसूल बनाकर भेजा गया हूँ, तथा उनकी भी गवाही काफ़ी है, जिनके पास आकाशीय ग्रंथों का ज्ञान है, जिनमें मेरी विशेषताएँ वर्णित हैं। और जिसकी सत्यता का साक्षी अल्लाह है, उसे किसी के झुठलाने से कोई नुकसान नहीं पहुँचता।
التفاسير العربية:
من فوائد الآيات في هذه الصفحة:
• أن المقصد من إنزال القرآن هو الهداية بإخراج الناس من ظلمات الباطل إلى نور الحق.
• क़ुरआन उतारने का उद्देश्य लोगों को असत्य के अंधेरों से सत्य के उजाले की ओर निकालकर मार्गदर्शन करना है।

• إرسال الرسل يكون بلسان أقوامهم ولغتهم؛ لأنه أبلغ في الفهم عنهم، فيكون أدعى للقبول والامتثال.
• रसूलों को उनके समुदायों की भाषा और ज़बान में भेजा जाता है। क्योंकि इससे उनकी बात अधिक समझी जा सकती है। इसलिए स्वीकृति और अनुपालन की संभावना अधिक रहती है।

• وظيفة الرسل تتلخص في إرشاد الناس وقيادتهم للخروج من الظلمات إلى النور.
• रसूलों के मिशन का सार लोगों का मार्गदर्शन करना और उन्हें अंधेरे से प्रकाश की ओर लो जाना है।

 
ترجمة معاني سورة: الرعد
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ترجمة معاني القرآن الكريم - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - فهرس التراجم

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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