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ترجمة معاني سورة: الجاثية   آية:

سورة الجاثية - सूरा अल्-जासिया

حٰمٓ ۟ۚ
ह़ा, मीम।
التفاسير العربية:
تَنْزِیْلُ الْكِتٰبِ مِنَ اللّٰهِ الْعَزِیْزِ الْحَكِیْمِ ۟
इस पुस्तक[1] का अवतरण अल्लाह की ओर से है, जो सब पर प्रभुत्वशाली, पूर्ण हिकमत वाला है।
1. इस सूरत में भी तौह़ीद तथा परलोक के संबंध में मुश्रिकों के संदेहा को दूर किया गया है तथा उनकी दुराग्रह की निंदा की गई है।
التفاسير العربية:
اِنَّ فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ لَاٰیٰتٍ لِّلْمُؤْمِنِیْنَ ۟ؕ
निःसंदेह आकाशों तथा धरती में ईमानवालों के लिए बहुत-सी निशानियाँ हैं।
التفاسير العربية:
وَفِیْ خَلْقِكُمْ وَمَا یَبُثُّ مِنْ دَآبَّةٍ اٰیٰتٌ لِّقَوْمٍ یُّوْقِنُوْنَ ۟ۙ
तथा तुम्हारी सृष्टि में और उन जीवित चीज़ों में जो वह फैलाता[2] है, उन लोगों के लिए बहुत-सी निशानियाँ हैं जो विश्वास करते हैं।
2. तौह़ीद (एकेश्वरवाद) के प्रकरण में क़ुरआन ने प्रत्येक स्थान पर आकाश तथा धरती में अल्लाह के सामर्थ्य की फैली हुई निशानियों को प्रस्तुत किया है। और यह बताया है कि जैसे उसने वर्षा द्वारा मनुष्य के आर्थिक जीवन की व्यवस्था कर दी है, वैसे ही रसूलों तथा पुस्तकों द्वारा उसके आत्मिक जीवन की व्यवस्था कर दी है जिसपर आश्चर्य नहीं होना चाहिए। यह विश्व की व्यवस्था स्वयं ऐसी खुली पुस्तक है जिसके पश्चात् ईमान लाने के लिए किसी और प्रमाण की आवश्यकता नहीं है।
التفاسير العربية:
وَاخْتِلَافِ الَّیْلِ وَالنَّهَارِ وَمَاۤ اَنْزَلَ اللّٰهُ مِنَ السَّمَآءِ مِنْ رِّزْقٍ فَاَحْیَا بِهِ الْاَرْضَ بَعْدَ مَوْتِهَا وَتَصْرِیْفِ الرِّیٰحِ اٰیٰتٌ لِّقَوْمٍ یَّعْقِلُوْنَ ۟
तथा रात और दिन के फेर-बदल में और उस रोज़ी में जो अल्लाह ने आकाश से उतारा, फिर उसके द्वारा धरती को उसके मरने के पश्चात् जीवित कर दिया, तथा हवाओं के फेरने में, उन लोगों के लिए बहुत-सी निशानियाँ हैं, जो बुद्धि से काम लेते हैं।
التفاسير العربية:
تِلْكَ اٰیٰتُ اللّٰهِ نَتْلُوْهَا عَلَیْكَ بِالْحَقِّ ۚ— فَبِاَیِّ حَدِیْثٍ بَعْدَ اللّٰهِ وَاٰیٰتِهٖ یُؤْمِنُوْنَ ۟
ये अल्लाह की आयतें हैं, जो हम तुम्हें हक़ के साथ सुना रहे हैं। फिर अल्लाह तथा उसकी आयतों के बाद वे किस बात ईमान लाएँगे?
التفاسير العربية:
وَیْلٌ لِّكُلِّ اَفَّاكٍ اَثِیْمٍ ۟ۙ
विनाश है प्रत्येक बहुत झूठे, महा पापी के लिए।
التفاسير العربية:
یَّسْمَعُ اٰیٰتِ اللّٰهِ تُتْلٰی عَلَیْهِ ثُمَّ یُصِرُّ مُسْتَكْبِرًا كَاَنْ لَّمْ یَسْمَعْهَا ۚ— فَبَشِّرْهُ بِعَذَابٍ اَلِیْمٍ ۟
जो अल्लाह की आयतों को सुनता है, जबकि वे उसके सामने पढ़ी जाती हैं, फिर वह घमंड करते हुए अडिग रहता है, जैसे कि उसने उन्हें नहीं सुना, तो उसे दर्दनाक यातना की शुभ-सूचना दे दो।
التفاسير العربية:
وَاِذَا عَلِمَ مِنْ اٰیٰتِنَا شَیْـَٔا ١تَّخَذَهَا هُزُوًا ؕ— اُولٰٓىِٕكَ لَهُمْ عَذَابٌ مُّهِیْنٌ ۟ؕ
और जब वह हमारी आयतों में से कोई चीज़ जान लेता है, तो उसकी हँसी उड़ाता है। यही लोग हैं, जिनके लिए अपमानकारी यातना है।
التفاسير العربية:
مِنْ وَّرَآىِٕهِمْ جَهَنَّمُ ۚ— وَلَا یُغْنِیْ عَنْهُمْ مَّا كَسَبُوْا شَیْـًٔا وَّلَا مَا اتَّخَذُوْا مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ اَوْلِیَآءَ ۚ— وَلَهُمْ عَذَابٌ عَظِیْمٌ ۟ؕ
उनके आगे जहन्नम है। और न वह उनके कुछ काम आएगा, जो उन्होंने कमाया और न वे जिन्हें उन्होंने अल्लाह के सिवा अपना संरक्षक बनाया है और उनके लिए बहुत बड़ी यातना है।
التفاسير العربية:
هٰذَا هُدًی ۚ— وَالَّذِیْنَ كَفَرُوْا بِاٰیٰتِ رَبِّهِمْ لَهُمْ عَذَابٌ مِّنْ رِّجْزٍ اَلِیْمٌ ۟۠
यह (क़ुरआन) सर्वथा मार्गदर्शन है। तथा जिन लोगों ने अपने पालनहार की आयतों का इनकार किया, उनके लिए गंभीर दर्दनाक यातना है।
التفاسير العربية:
اَللّٰهُ الَّذِیْ سَخَّرَ لَكُمُ الْبَحْرَ لِتَجْرِیَ الْفُلْكُ فِیْهِ بِاَمْرِهٖ وَلِتَبْتَغُوْا مِنْ فَضْلِهٖ وَلَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ ۟ۚ
वह अल्लाह ही है जिसने तुम्हारे लिए समुद्र को वश में कर दिया, ताकि जहाज़ उसमें उसके आदेश से चलें, और ताकि तुम उसके अनुग्रह में से कुछ खोज सको, और ताकि तुम आभार प्रकट करो।
التفاسير العربية:
وَسَخَّرَ لَكُمْ مَّا فِی السَّمٰوٰتِ وَمَا فِی الْاَرْضِ جَمِیْعًا مِّنْهُ ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیٰتٍ لِّقَوْمٍ یَّتَفَكَّرُوْنَ ۟
और उसने तुम्हारे लिए जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है सबको अपनी ओर से वश में कर रखा है। निःसंदेह उसमें उन लोगों के लिए बहुत-सी निशानियाँ हैं जो चिंतन करते हैं।
التفاسير العربية:
قُلْ لِّلَّذِیْنَ اٰمَنُوْا یَغْفِرُوْا لِلَّذِیْنَ لَا یَرْجُوْنَ اَیَّامَ اللّٰهِ لِیَجْزِیَ قَوْمًا بِمَا كَانُوْا یَكْسِبُوْنَ ۟
(ऐ नबी!) आप उन लोगों से जो ईमान लाए कह दें कि वे उन लोगों को क्षमा कर दें[3], जो अल्लाह के दिनों[4] की आशा नहीं रखते, ताकि वह (उनमें से) कुछ लोगों को उसका बदला दे जो वे कमाते रहे थे।
3. अर्थात उनकी ओर से जो दुःख पहुँचता है। 4. अल्लाह के दिनों से अभिप्राय वे दिन हैं जिनमें अल्लाह ने अपराधियों को यातनाएँ दी हैं। (देखिए : सूरत इबराहीम, आयत : 5)
التفاسير العربية:
مَنْ عَمِلَ صَالِحًا فَلِنَفْسِهٖ ۚ— وَمَنْ اَسَآءَ فَعَلَیْهَا ؗ— ثُمَّ اِلٰی رَبِّكُمْ تُرْجَعُوْنَ ۟
जिसने कोई नेकी की, वह उसी के लिए है और जिसने बुराई की, वह उसी के ऊपर है, फिर तुम अपने पालनहार ही की ओर लौटाए जाओगे।[5]
5. अर्थात प्रलय के दिन। जिस अल्लाह ने तुम्हें पैदा किया है, उसी के पास तुम्हें जाना भी है।
التفاسير العربية:
وَلَقَدْ اٰتَیْنَا بَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ الْكِتٰبَ وَالْحُكْمَ وَالنُّبُوَّةَ وَرَزَقْنٰهُمْ مِّنَ الطَّیِّبٰتِ وَفَضَّلْنٰهُمْ عَلَی الْعٰلَمِیْنَ ۟ۚ
तथा निःसंदेह हमने इसराईल की संतान को किताब और हुक्म और नुबुव्वत प्रदान की और उन्हें पाकीज़ा चीज़ों से जीविका दी, तथा उन्हें (उनके समय के) संसार वालों पर श्रेष्ठता प्रदान की।
التفاسير العربية:
وَاٰتَیْنٰهُمْ بَیِّنٰتٍ مِّنَ الْاَمْرِ ۚ— فَمَا اخْتَلَفُوْۤا اِلَّا مِنْ بَعْدِ مَا جَآءَهُمُ الْعِلْمُ ۙ— بَغْیًا بَیْنَهُمْ ؕ— اِنَّ رَبَّكَ یَقْضِیْ بَیْنَهُمْ یَوْمَ الْقِیٰمَةِ فِیْمَا كَانُوْا فِیْهِ یَخْتَلِفُوْنَ ۟
तथा हमने उन्हें (धर्म के) मामले में स्पष्ट आदेश दिए। फिर उन्होंने अपने पास ज्ञान[6] आ जाने के पश्चात् ही, आपसी द्वेष के कारण विभेद किया। निःसंदेह आपका पालनहार क़ियामत के दिन उनके बीच उस चीज़ के बारे में फ़ैसला कर देगा, जिसमें वे मतभेद किया करते थे।
6. अर्थात वैध तथा अवैध, और सत्यासत्य का ज्ञान आ जाने के पश्चात्।
التفاسير العربية:
ثُمَّ جَعَلْنٰكَ عَلٰی شَرِیْعَةٍ مِّنَ الْاَمْرِ فَاتَّبِعْهَا وَلَا تَتَّبِعْ اَهْوَآءَ الَّذِیْنَ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟
फिर हमने आपको धर्म के मामले में एक स्पष्ट मार्ग पर लगा दिया। अतः आप उसी का अनुसरण करें और उन लोगों की इच्छाओं का अनुसरण न करें, जो नहीं जानते।
التفاسير العربية:
اِنَّهُمْ لَنْ یُّغْنُوْا عَنْكَ مِنَ اللّٰهِ شَیْـًٔا ؕ— وَاِنَّ الظّٰلِمِیْنَ بَعْضُهُمْ اَوْلِیَآءُ بَعْضٍ ۚ— وَاللّٰهُ وَلِیُّ الْمُتَّقِیْنَ ۟
निःसंदेह वे अल्लाह के मुक़ाबले आपके हरगिज़ किसी काम न आएँगे और निश्चय ज़ालिम लोग एक-दूसरे के दोस्त हैं और अल्लाह परहेज़गारों का दोस्त है।
التفاسير العربية:
هٰذَا بَصَآىِٕرُ لِلنَّاسِ وَهُدًی وَّرَحْمَةٌ لِّقَوْمٍ یُّوْقِنُوْنَ ۟
ये लोगों के लिए समझ (अंतर्दृष्टि) की बातें हैं, तथा उन लोगों के लिए मार्गदर्शन और दया है, जो विश्वास करते हैं।
التفاسير العربية:
اَمْ حَسِبَ الَّذِیْنَ اجْتَرَحُوا السَّیِّاٰتِ اَنْ نَّجْعَلَهُمْ كَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ ۙ— سَوَآءً مَّحْیَاهُمْ وَمَمَاتُهُمْ ؕ— سَآءَ مَا یَحْكُمُوْنَ ۟۠
या वे लोग जिन्होंने बुराइयाँ की हैं, यह समझ रखा है कि हम उन्हें उन लोगों जैसा कर देंगे, जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए? उनका जीना और उनका मरना समान[7] होगा? बहुत बुरा है जो वे निर्णय कर रहे हैं।
7. अर्थात दोनों के परिणाम में अवश्य अंतर होगा।
التفاسير العربية:
وَخَلَقَ اللّٰهُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ بِالْحَقِّ وَلِتُجْزٰی كُلُّ نَفْسٍ بِمَا كَسَبَتْ وَهُمْ لَا یُظْلَمُوْنَ ۟
तथा अल्लाह ने आकाशों और धरती को हक़ के साथ पैदा किया और ताकि हर व्यक्ति को उसका बदला दिया जाए जो उसने कमाया तथा उनपर अत्याचार नहीं किया जाएगा।
التفاسير العربية:
اَفَرَءَیْتَ مَنِ اتَّخَذَ اِلٰهَهٗ هَوٰىهُ وَاَضَلَّهُ اللّٰهُ عَلٰی عِلْمٍ وَّخَتَمَ عَلٰی سَمْعِهٖ وَقَلْبِهٖ وَجَعَلَ عَلٰی بَصَرِهٖ غِشٰوَةً ؕ— فَمَنْ یَّهْدِیْهِ مِنْ بَعْدِ اللّٰهِ ؕ— اَفَلَا تَذَكَّرُوْنَ ۟
फिर क्या आपने उस व्यक्ति को देखा जिसने अपना पूज्य अपनी इच्छा को बना लिया तथा अल्लाह ने उसे ज्ञान के बावजूद गुमराह कर दिया और उसके कान और उसके दिल पर मुहर लगा दी और उसकी आँख पर परदा डाल दिया। फिर अल्लाह के बाद उसे कौन हिदायत दे? तो क्या तुम नसीहत ग्रहण नहीं करते?
التفاسير العربية:
وَقَالُوْا مَا هِیَ اِلَّا حَیَاتُنَا الدُّنْیَا نَمُوْتُ وَنَحْیَا وَمَا یُهْلِكُنَاۤ اِلَّا الدَّهْرُ ۚ— وَمَا لَهُمْ بِذٰلِكَ مِنْ عِلْمٍ ۚ— اِنْ هُمْ اِلَّا یَظُنُّوْنَ ۟
तथा उन्होंने कहा, हमारे इस सांसारिक जीवन के अलावा कोई (जीवन) नहीं। हम (यहीं) मरते और जीते हैं और काल के अलावा हमें कोई भी नष्ट नहीं करता। हालाँकि उन्हें इसका कोई ज्ञान नहीं। वे केवल अनुमान[8] लगा रहे हैं।
8. ह़दीस में है कि अल्लाह फरमाता है कि मनुष्य मुझे बुरा कहता है। वह काल को बुरा कहता है, हालाँकि मैं ही काल हूँ। रात और दिन मेरे हाथ में हैं। (सह़ीह़ बुख़ारी : 6181) ह़दीस का अर्थ यह है कि काल को बुरा कहना, अल्लाह को बुरा कहना है। क्योंकि काल में जो होता है उसे अल्लाह ही करता है।
التفاسير العربية:
وَاِذَا تُتْلٰی عَلَیْهِمْ اٰیٰتُنَا بَیِّنٰتٍ مَّا كَانَ حُجَّتَهُمْ اِلَّاۤ اَنْ قَالُوا ائْتُوْا بِاٰبَآىِٕنَاۤ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟
और जब उनके सामने हमारी स्पष्ट आयतें पढ़ी जाती हैं, तो उनका तर्क केवल यह होता है कि वे कहते हैं : यदि तुम सच्चे हो, तो हमारे बाप-दादा को ले आओ।
التفاسير العربية:
قُلِ اللّٰهُ یُحْیِیْكُمْ ثُمَّ یُمِیْتُكُمْ ثُمَّ یَجْمَعُكُمْ اِلٰی یَوْمِ الْقِیٰمَةِ لَا رَیْبَ فِیْهِ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟۠
आप कह दें : अल्लाह ही तुम्हें जीवन देता है, फिर तुम्हें मृत्यु देता है, फिर तुम्हें क़ियामत के दिन एकत्र करेगा, जिसमें कोई संदेह नहीं, परंतु अधिकांश लोग नहीं जानते।[9]
9. आयत का अर्थ यह है कि जीवन और मौत देना अल्लाह के हाथ में है। वही जीवन देता है तथा मारता है। और उसने संसार में मरने के बाद प्रलय के दिन फिर जीवित करने का समय रखा है। ताकि उनके कर्मों का प्रतिफल प्रदान करे।
التفاسير العربية:
وَلِلّٰهِ مُلْكُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— وَیَوْمَ تَقُوْمُ السَّاعَةُ یَوْمَىِٕذٍ یَّخْسَرُ الْمُبْطِلُوْنَ ۟
तथा आकाशों एवं धरती का राज्य अल्लाह ही का है और जिस दिन क़ियामत आएगी, उस दिन झूठे लोग (असत्यवादी) घाटे में होंगे।
التفاسير العربية:
وَتَرٰی كُلَّ اُمَّةٍ جَاثِیَةً ۫ؕ— كُلُّ اُمَّةٍ تُدْعٰۤی اِلٰی كِتٰبِهَا ؕ— اَلْیَوْمَ تُجْزَوْنَ مَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ۟
तथा आप प्रत्येक समुदाय को घुटनों के बल गिरा हुआ देखेंगे। प्रत्येक समुदाय को उसके कर्म-पत्र की ओर बुलाया जाएगा। आज तुम्हें उसका बदला दिया जाएगा, जो तुम किया करते थे।
التفاسير العربية:
هٰذَا كِتٰبُنَا یَنْطِقُ عَلَیْكُمْ بِالْحَقِّ ؕ— اِنَّا كُنَّا نَسْتَنْسِخُ مَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ۟
यह हमारी किताब है, जो तुम्हारे बारे में सच-सच बोलती है। निःसंदेह हम लिखवाते जाते थे, जो कुछ तुम करते थे।
التفاسير العربية:
فَاَمَّا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ فَیُدْخِلُهُمْ رَبُّهُمْ فِیْ رَحْمَتِهٖ ؕ— ذٰلِكَ هُوَ الْفَوْزُ الْمُبِیْنُ ۟
फिर जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, उनका रब उन्हें अपनी रहमत में दाख़िल करेगा, यही स्पष्ट सफलता है।
التفاسير العربية:
وَاَمَّا الَّذِیْنَ كَفَرُوْا ۫— اَفَلَمْ تَكُنْ اٰیٰتِیْ تُتْلٰی عَلَیْكُمْ فَاسْتَكْبَرْتُمْ وَكُنْتُمْ قَوْمًا مُّجْرِمِیْنَ ۟
और रहे वे लोग जिन्होंने कुफ़्र किया, तो (उनसे कहा जाएगाः) क्या तुम्हारे सामने मेरी आयतें नहीं पढ़ी जाती थीं? परंतु तुमने घमंड किया और तुम अपराधी लोग थे।
التفاسير العربية:
وَاِذَا قِیْلَ اِنَّ وَعْدَ اللّٰهِ حَقٌّ وَّالسَّاعَةُ لَا رَیْبَ فِیْهَا قُلْتُمْ مَّا نَدْرِیْ مَا السَّاعَةُ ۙ— اِنْ نَّظُنُّ اِلَّا ظَنًّا وَّمَا نَحْنُ بِمُسْتَیْقِنِیْنَ ۟
और जब कहा जाता था कि अल्लाह का वादा सच्चा है तथा क़ियामत के दिन में कोई शक नहीं, तो तुम कहते थे : हम नहीं जानते कि क़ियामत का दिन क्या है, हम बस थोड़ा-सा सोचते हैं और हम पूर्ण विश्वास करने वाले नहीं हैं।
التفاسير العربية:
وَبَدَا لَهُمْ سَیِّاٰتُ مَا عَمِلُوْا وَحَاقَ بِهِمْ مَّا كَانُوْا بِهٖ یَسْتَهْزِءُوْنَ ۟
और उनके किए हुए कर्मों की बुराइयाँ उनपर प्रकट हो जाएँगी और उन्हें वह चीज़ घेर लेगी, जिसका वे मज़ाक उड़ाया करते थे।
التفاسير العربية:
وَقِیْلَ الْیَوْمَ نَنْسٰىكُمْ كَمَا نَسِیْتُمْ لِقَآءَ یَوْمِكُمْ هٰذَا وَمَاْوٰىكُمُ النَّارُ وَمَا لَكُمْ مِّنْ نّٰصِرِیْنَ ۟
और कह दिया जाएगा कि आज हम तुम्हें भुला देंगे[10], जैसे तुमने अपने इस दिन के मिलने को भुला दिया और तुम्हारा ठिकाना आग (जहन्नम) है और तुम्हारे कोई मदद करने वाले नहीं।
10. जैसे ह़दीस में आता है कि अल्लाह अपने कुछ बंदों से कहेगा : क्या मैंने तुम्हें पत्नी नहीं दी थी? क्या मैंने तुम्हें सम्मान नहीं दिया था? क्या मैंने घोड़े तथा बैल इत्यादि तेरे आधीन नहीं किए थे? तू सरदारी भी करता तथा चुंगी भी लेता रहा। वह कहेगा : हाँ, ये सह़ीह़ है ऐ मेरे पालनहार! फिर अल्लाह उससे प्रश्न करेगा : क्या तुम्हें मुझसे मिलने का विश्वास था? वह कहेगा : "नहीं!" अल्लाह फ़रमाएगा : (तो आज मैं तुझे नरक में डालकर भूल जाऊँगा, जैसे तू मुझे भूला रहा। (सह़ीह़ मुस्लिम : 2968)
التفاسير العربية:
ذٰلِكُمْ بِاَنَّكُمُ اتَّخَذْتُمْ اٰیٰتِ اللّٰهِ هُزُوًا وَّغَرَّتْكُمُ الْحَیٰوةُ الدُّنْیَا ۚ— فَالْیَوْمَ لَا یُخْرَجُوْنَ مِنْهَا وَلَا هُمْ یُسْتَعْتَبُوْنَ ۟
यह इस कारण है कि तुमने अल्लाह की आयतों का मज़ाक़ उड़ाया तथा दुनिया की ज़िंदगी ने तुम्हें धोखा दिया। तो आज न वे इससे निकाले जाएँगे और न उनसे तौबा करने को कहा जाएगा।[11]
11. अर्थात अल्लाह की निशानियों तथा आदेशों का उपहास तथा दुनिया के धोखे में लिप्त रहना। ये दो अपराध ऐसे हैं जिन्होंने तुम्हें नरक की यातना का पात्र बना दिया। अब उससे निकलने की संभावना नहीं तथा न इस बात की आशा है कि किसी प्रकार तुम्हें तौबा तथा क्षमा याचना का अवसर प्रदान कर दिया जाए और तुम क्षमा माँग कर अल्लाह को मना लो।
التفاسير العربية:
فَلِلّٰهِ الْحَمْدُ رَبِّ السَّمٰوٰتِ وَرَبِّ الْاَرْضِ رَبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟
अतः सारी प्रशंसा अल्लाह ही के लिए है, जो आकाशों का रब और धरती का रब, सारे संसार का रब है।
التفاسير العربية:
وَلَهُ الْكِبْرِیَآءُ فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— وَهُوَ الْعَزِیْزُ الْحَكِیْمُ ۟۠
तथा उसी के लिए आकाशों और धरती में सारी महानता[12] है और वही सबपर प्रभुत्वशाली, पूर्ण हिकमत वाला है।
12. अर्थात महिमा और बड़ाई अल्लाह के लिए विशिष्ट है। जैसाकि एक ह़दीसे-क़ुद्सी में अल्लाह तआला ने फरमाया है कि महिमा मेरी चादर है तथा बड़ाई मेरा तहबंद है। और जो भी इन दोनों में से किसी एक को मुझसे खींचेगा तो मैं उसे नरक में फेंक दूँगा। (सह़ीह़ मुस्लिम : 2620)
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