কুরআনুল কারীমের অর্থসমূহের অনুবাদ - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - অনুবাদসমূহের সূচী


অর্থসমূহের অনুবাদ আয়াত: (127) সূরা: সূরা আত-তাওবা
وَاِذَا مَاۤ اُنْزِلَتْ سُوْرَةٌ نَّظَرَ بَعْضُهُمْ اِلٰی بَعْضٍ ؕ— هَلْ یَرٰىكُمْ مِّنْ اَحَدٍ ثُمَّ انْصَرَفُوْا ؕ— صَرَفَ اللّٰهُ قُلُوْبَهُمْ بِاَنَّهُمْ قَوْمٌ لَّا یَفْقَهُوْنَ ۟
और जब अल्लाह अपने रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर कोई सूरत उतारता है, जिसमें मुनाफ़िक़ों की स्थितियों का ज़िक्र होता है, तो कुछ मुनाफ़िक़ यह कहते हुए एक-दूसरे को देखते हैं : क्या तुम्हें कोई देख रहा है? यदि कोई उन्हें न देख रहा हो, तो मजलिस से चले जाते हैं। सुन लो! अल्लाह ने उनके दिलों को मार्गदर्शन और भलाई से फेर दिया है और उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया है, क्योंकि वे ऐसे लोग हैं जो नहीं समझते।
আরবি তাফসীরসমূহ:
এই পৃষ্ঠার আয়াতগুলোর কতক ফায়দা:
• وجوب ابتداء القتال بالأقرب من الكفار إذا اتسعت رقعة الإسلام، ودعت إليه حاجة.
• जब इस्लाम के क्षेत्र का विस्तार हो जाए और आवश्यकता पड़े, तो युद्ध की शुरूआत काफ़िरों में से सबसे निकट लोगों के साथ करना अनिवार्य है।

• بيان حال المنافقين حين نزول القرآن عليهم وهي الترقُّب والاضطراب.
• क़ुरआन के अवतरण के समय मुनाफ़िक़ों की प्रत्याशा और बेचैनी का वर्णन।

• بيان رحمة النبي صلى الله عليه وسلم بالمؤمنين وحرصه عليهم.
• नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की ईमान वालों के प्रति दयालुता और उनके कल्याण के लिए आपकी चिंता का वर्णन।

• في الآيات دليل على أن الإيمان يزيد وينقص، وأنه ينبغي للمؤمن أن يتفقد إيمانه ويتعاهده فيجدده وينميه؛ ليكون دائمًا في صعود.
• उक्त आयतों में इस बात का प्रमाण है कि ईमान बढ़ता और घटता है, और यह कि मोमिन को चाहिए कि वह अपने ईमान की जाँच और उसकी देखभाल करता रहे। तथा वह उसका नवीनीकरण करता रहे और उसे बढ़ाता रहे; ताकि वह हमेशा बढ़ता ही रहे।

 
অর্থসমূহের অনুবাদ আয়াত: (127) সূরা: সূরা আত-তাওবা
সূরাসমূহের সূচী পৃষ্ঠার নাম্বার
 
কুরআনুল কারীমের অর্থসমূহের অনুবাদ - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - অনুবাদসমূহের সূচী

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

বন্ধ