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কুরআনুল কারীমের অর্থসমূহের অনুবাদ - হিন্দি ভাষায় অনুবাদ - আযীযুল হক আল-‘উমারী * - অনুবাদসমূহের সূচী

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অর্থসমূহের অনুবাদ সূরা: আন-নিসা   আয়াত:
اُولٰٓىِٕكَ الَّذِیْنَ لَعَنَهُمُ اللّٰهُ ؕ— وَمَنْ یَّلْعَنِ اللّٰهُ فَلَنْ تَجِدَ لَهٗ نَصِیْرًا ۟ؕ
यही लोग हैं, जिनपर अल्लाह ने लानत की है और जिसपर अल्लाह लानत कर दे, तो आप उसका कदापि कोई सहायक नहीं पाएँगे।
আরবি তাফসীরসমূহ:
اَمْ لَهُمْ نَصِیْبٌ مِّنَ الْمُلْكِ فَاِذًا لَّا یُؤْتُوْنَ النَّاسَ نَقِیْرًا ۟ۙ
क्या उनके पास राज्य का कोई हिस्सा है? यदि ऐसा हो तो वे लोगों को (उसमें से) खजूर की गुठली के ऊपर के गड्ढे के बराबर भी नहीं देंगे।
আরবি তাফসীরসমূহ:
اَمْ یَحْسُدُوْنَ النَّاسَ عَلٰی مَاۤ اٰتٰىهُمُ اللّٰهُ مِنْ فَضْلِهٖ ۚ— فَقَدْ اٰتَیْنَاۤ اٰلَ اِبْرٰهِیْمَ الْكِتٰبَ وَالْحِكْمَةَ وَاٰتَیْنٰهُمْ مُّلْكًا عَظِیْمًا ۟
बल्कि वे लोगों से[42] उस पर ईर्ष्या करते हैं जो अल्लाह ने उन्हें अपने अनुग्रह से प्रदान किया है। तो हमने (पहले भी) इबराहीम के वंशज को पुस्तक तथा ह़िकमत दी है और हमने उन्हें विशाल राज्य प्रदान किया है।
42. अर्थात मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और मुसलमानों से इस बात पर ईर्ष्या करते हैं कि अल्लाह ने आप को नबी बना दिया तथा मुसलमानों को ईमान दे दिया।
আরবি তাফসীরসমূহ:
فَمِنْهُمْ مَّنْ اٰمَنَ بِهٖ وَمِنْهُمْ مَّنْ صَدَّ عَنْهُ ؕ— وَكَفٰی بِجَهَنَّمَ سَعِیْرًا ۟
फिर उनमें से कुछ उसपर ईमान लाया और उनमें से कुछ ने उससे मुँह फेर लिया। और (मुँह फेरने वालों के लिए) जहन्नम की दहकती आग काफ़ी है।
আরবি তাফসীরসমূহ:
اِنَّ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا بِاٰیٰتِنَا سَوْفَ نُصْلِیْهِمْ نَارًا ؕ— كُلَّمَا نَضِجَتْ جُلُوْدُهُمْ بَدَّلْنٰهُمْ جُلُوْدًا غَیْرَهَا لِیَذُوْقُوا الْعَذَابَ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ كَانَ عَزِیْزًا حَكِیْمًا ۟
वास्तव में, जिन लोगों ने हमारी आयतों के साथ कुफ़्र किया, हम उन्हें नरक में झोंक देंगे। जब भी उनकी खालें पक जाएँगी (जल चुकी होंगी), हम उनकी खालें बदल देंगे, ताकि वे यातना चखते रहें। निःसंदेह अल्लाह प्रभुत्वशाली, हिकमत वाला है।
আরবি তাফসীরসমূহ:
وَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ سَنُدْخِلُهُمْ جَنّٰتٍ تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ خٰلِدِیْنَ فِیْهَاۤ اَبَدًا ؕ— لَهُمْ فِیْهَاۤ اَزْوَاجٌ مُّطَهَّرَةٌ ؗ— وَّنُدْخِلُهُمْ ظِلًّا ظَلِیْلًا ۟
और जो लोग ईमान लाए तथा अच्छे कर्म किए, हम उन्हें ऐसी जन्नतों (बागों) में दाख़िल करेंगे, जिनके नीचे नहरें बह रही होंगी, जिनमें वे सदैव रहेंगे। उनके लिए उनमें पवित्र पत्नियाँ होंगी और हम उन्हें घनी छाँव में रखेंगे।
আরবি তাফসীরসমূহ:
اِنَّ اللّٰهَ یَاْمُرُكُمْ اَنْ تُؤَدُّوا الْاَمٰنٰتِ اِلٰۤی اَهْلِهَا ۙ— وَاِذَا حَكَمْتُمْ بَیْنَ النَّاسِ اَنْ تَحْكُمُوْا بِالْعَدْلِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ نِعِمَّا یَعِظُكُمْ بِهٖ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ كَانَ سَمِیْعًا بَصِیْرًا ۟
अल्लाह[43] तुम्हें आदेश देता है कि अमानतों को उनके मालिकों के हवाले कर दो और जब तुम लोगों के बीच फैसला करो, तो न्याय के साथ फैसला करो। निश्चय अल्लाह तुम्हें कितनी अच्छी नसीहत करता है। निःसंदेह अल्लाह सब कुछ सुनने, सब कुछ देखने वाला है।
43. यहाँ से ईमान वालों को संबोधित किया जा रहा है कि सामाजिक जीवन की व्यवस्था के लिए मूल नियम यह है कि जिसका जो भी अधिकार हो, उसे स्वीकार किया जाए और दिया जाए। इसी प्रकार कोई भी निर्णय बिना पक्षपात के, न्याय के साथ किया जाए, किसी प्रकार कोई अन्याय नहीं होना चाहिए।
আরবি তাফসীরসমূহ:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اَطِیْعُوا اللّٰهَ وَاَطِیْعُوا الرَّسُوْلَ وَاُولِی الْاَمْرِ مِنْكُمْ ۚ— فَاِنْ تَنَازَعْتُمْ فِیْ شَیْءٍ فَرُدُّوْهُ اِلَی اللّٰهِ وَالرَّسُوْلِ اِنْ كُنْتُمْ تُؤْمِنُوْنَ بِاللّٰهِ وَالْیَوْمِ الْاٰخِرِ ؕ— ذٰلِكَ خَیْرٌ وَّاَحْسَنُ تَاْوِیْلًا ۟۠
ऐ ईमान वालो! अल्लाह का आज्ञापालन करो और रसूल का आज्ञापालन करो और अपने में से अधिकार वालों (शासकों) का। फिर यदि तुम आपस में किसी चीज़ में मतभेद कर बैठो, तो उसे अल्लाह और रसूल की ओर लौटाओ, यदि तुम अल्लाह तथा अंतिम दिन (परलोक) पर ईमान रखते हो। यह (तुम्हारे लिए) बहुत बेहतर है और परिणाम की दृष्टि से बहुत अच्छा है।
আরবি তাফসীরসমূহ:
 
অর্থসমূহের অনুবাদ সূরা: আন-নিসা
সূরাসমূহের সূচী পৃষ্ঠার নাম্বার
 
কুরআনুল কারীমের অর্থসমূহের অনুবাদ - হিন্দি ভাষায় অনুবাদ - আযীযুল হক আল-‘উমারী - অনুবাদসমূহের সূচী

আযীযুল হক আল-‘উমারী অনুবাদ করেছেন।

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