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কুরআনুল কারীমের অর্থসমূহের অনুবাদ - মারাঠি ভাষায় অনুবাদ - মুহাম্মদ শফী আনসারী * - অনুবাদসমূহের সূচী


অর্থসমূহের অনুবাদ আয়াত: (30) সূরা: আল-জাসিয়া
فَاَمَّا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ فَیُدْخِلُهُمْ رَبُّهُمْ فِیْ رَحْمَتِهٖ ؕ— ذٰلِكَ هُوَ الْفَوْزُ الْمُبِیْنُ ۟
३०. तेव्हा, ज्यांनी ईमान राखले व जे सत्कर्म करीत राहिले१ तर त्यांना त्यांचा पालनकर्ता (अल्लाह) आपल्या दया - कृपेच्या सावलीत घेईल, हीच स्पष्ट सफलता आहे.
(१) इथेही ईमानासह सत्कर्माची चर्चा करून त्याचे महत्त्व सांगितले आहे. अर्थात सत्कमोशी अभिप्रेत असे कर्म जे पैगंबर आचरण शैलीनुसार केले जावे. असे कोणतेही कर्म नव्हे, ज्यास मनुष्य आपल्या मनाने चांगले समजून घेईल आणि ते नित्यनेमाने व मनापासून करील. उदाहरणार्थ, अनेक बिदआत (धर्मात दाखल झालेल्या नव्या गोष्टी) धार्मिक गटांमध्ये प्रचलित आहेत आणि ज्या त्यांच्या निकट अनिवार्य व आवश्यक धार्मिक कर्मांपेक्षाही जास्त महत्त्वाच्या आहे. यास्तव आवश्यक आणि पैगंबर आचरण शैलीनुसार आचरण सोडणे त्याच्या ठायी सर्वसामान्य बाब आहे, परंतु बिदअत अशी आवश्यक आहे की त्यात कसलीही सुस्ती करण्याचा विचारही त्यांच्या मनात येत नाही. वस्तुतः पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम यांनी त्यास सर्वाधिक वाईट काम सांगितले आहे.
আরবি তাফসীরসমূহ:
 
অর্থসমূহের অনুবাদ আয়াত: (30) সূরা: আল-জাসিয়া
সূরাসমূহের সূচী পৃষ্ঠার নাম্বার
 
কুরআনুল কারীমের অর্থসমূহের অনুবাদ - মারাঠি ভাষায় অনুবাদ - মুহাম্মদ শফী আনসারী - অনুবাদসমূহের সূচী

মুহাম্মাদ শফী আনসারী অনূদিত।

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