Prijevod značenja časnog Kur'ana - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Sadržaj prijevodā


Prijevod značenja Ajet: (97) Sura: Sura el-Maida
جَعَلَ اللّٰهُ الْكَعْبَةَ الْبَیْتَ الْحَرَامَ قِیٰمًا لِّلنَّاسِ وَالشَّهْرَ الْحَرَامَ وَالْهَدْیَ وَالْقَلَآىِٕدَ ؕ— ذٰلِكَ لِتَعْلَمُوْۤا اَنَّ اللّٰهَ یَعْلَمُ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَمَا فِی الْاَرْضِ وَاَنَّ اللّٰهَ بِكُلِّ شَیْءٍ عَلِیْمٌ ۟
अल्लाह ने सम्मानित घर काबा को लोगों के लिए स्थापना का साधन बनाया है, जिसके साथ उनके धार्मिक हितों जैसे नमाज़, रोज़ा, ह़ज्ज एवं उम्रा की, तथा उनके सांसारिक हितों की स्थापना होती है, जैसे हरम में सुरक्षा एवं शांति और वहाँ हर चीज़ के फलों का पहुँचना। तथा उसने सम्मानित महीनों अर्थात् : ज़ुल-क़ा'दा, ज़ुल-ह़िज्जा, मुहर्रम और रजब को उनके लिए स्थापना का कारण बनाया है कि वे उनमें दूसरों कि ओर से लड़ाई से सुरक्षित रहते हैं, इसी तरह ह़ज्ज की क़ुर्बानी के जानवरों तथा उन पट्टों को जो यह इंगित करते हैं कि वे हरम के लिए ले जाए गए हैं, उनके लिए स्थापना का साधन बनाया है, क्योंकि वे अपने स्वामियों को हानि पहुँचाए जाने से बचाते हैं। अल्लाह ने तुमपर यह उपकार इसलिए किया ताकि तुम जान लो कि अल्लाह जानता है जो कुछ आकाशों में तथा जो कुछ धरती में है, और यह कि अल्लाह हर चीज़ को ख़ूब जानने वाला है। क्योंकि उसका - तुम्हारे लिए हितों को लाने और तुमसे नुक़सान को उनके आने से पहले दूर करने के लिए - इन नियमों को बनाना, इस बात का प्रमाण है कि वह बंदों के हितों की चीज़ों को जानता है।
Tefsiri na arapskom jeziku:
Poruke i pouke ajeta na ovoj stranici:
• الأصل في شعائر الله تعالى أنها جاءت لتحقيق مصالح العباد الدنيوية والأخروية، ودفع المضار عنهم.
• अल्लाह तआला के अनुष्ठानों (कर्मकांडों) में मूल बात यह है कि वे लोगों के धार्मिक और सांसारिक हितों की पूर्ति और उनसे नुक़सान को दूर करने के लिए आए हैं।

• عدم الإعجاب بالكثرة، فإنّ كثرة الشيء ليست دليلًا على حِلِّه أو طِيبه، وإنما الدليل يكمن في الحكم الشرعي.
• बहुतायत से खुश नहीं होना चाहिए, क्योंकि किसी वस्तु की बहुतायत इस बात का प्रमाण नहीं है कि वह अनुमेय या अच्छी है। बल्कि प्रमाण शरई हुक्म में निहित है।

• من أدب المُسْتفتي: تقييد السؤال بحدود معينة، فلا يسوغ السؤال عما لا حاجة للمرء ولا غرض له فيه.
• प्रश्नकर्ता के शिष्टाचार में से यह है कि : प्रश्न को कुछ निश्चित सीमाओं के साथ सीमित रखा जाए। इसलिए किसी ऐसी चीज़ के बारे में प्रश्न करना उचित नहीं, जिसकी आदमी को कोई आवश्यकता या उसमें उसका कोई उद्देश्य नहीं है।

• ذم مسالك المشركين فيما اخترعوه وزعموه من محرمات الأنعام ك: البَحِيرة، والسائبة، والوصِيلة، والحامي.
• मुश्रिकों (बहुदेववादियों) के पथों की निंदा, कि उन्होंने झूठ-मूठ पशुधन की वर्जनाओं (कुछ जानवरों के हराम होने) का दावा किया, जैसे : बहीरा, साइबा, वसीला तथा ह़ामी।

 
Prijevod značenja Ajet: (97) Sura: Sura el-Maida
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Prijevod značenja časnog Kur'ana - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - Sadržaj prijevodā

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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