Prijevod značenja časnog Kur'ana - Indijski prijevod * - Sadržaj prijevodā

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Prijevod značenja Sura: Sura el-En'am   Ajet:

सूरा अल्-अन्आम

اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِیْ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ وَجَعَلَ الظُّلُمٰتِ وَالنُّوْرَ ؕ۬— ثُمَّ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا بِرَبِّهِمْ یَعْدِلُوْنَ ۟
सब प्रशंसा उस अल्लाह के लिए है, जिसने आकाशों तथा धरती को पैदा किया और अँधेरों और प्रकाश को बनाया, फिर (भी) वे लोग जिन्होंने कुफ़्र किया, अपने रब के साथ (दूसरों को) बराबर[1] ठहराते हैं।
1. अर्थात वे अँधेरों और प्रकाश में विवेक (अंतर) नहीं करते, और रचित को रचयिता का स्थान देते हैं।
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هُوَ الَّذِیْ خَلَقَكُمْ مِّنْ طِیْنٍ ثُمَّ قَضٰۤی اَجَلًا ؕ— وَاَجَلٌ مُّسَمًّی عِنْدَهٗ ثُمَّ اَنْتُمْ تَمْتَرُوْنَ ۟
वही है जिसने तुम्हें तुच्छ मिट्टी[2] से पैदा किया, फिर एक अवधि निर्धारित कर दी तथा एक और अवधि उसके पास[3] निर्धारित है। फिर (भी) तुम संदेह करते हो।
2. अर्थात तुम्हारे पिता आदम अलैहिस्सलाम को। 3. दो अवधि, एक जीवन और कर्म के लिए, तथा दूसरी कर्मों के फल के लिए।
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وَهُوَ اللّٰهُ فِی السَّمٰوٰتِ وَفِی الْاَرْضِ ؕ— یَعْلَمُ سِرَّكُمْ وَجَهْرَكُمْ وَیَعْلَمُ مَا تَكْسِبُوْنَ ۟
तथा आकाशों में और धरती में वही (एकमात्र) अल्लाह है, वह तुम्हारे छिपे और तुम्हारे खुले को जानता है तथा जानता है जो तुम कमाते हो।
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وَمَا تَاْتِیْهِمْ مِّنْ اٰیَةٍ مِّنْ اٰیٰتِ رَبِّهِمْ اِلَّا كَانُوْا عَنْهَا مُعْرِضِیْنَ ۟
और उनके पास[4] उनके पालनहार की आयतों (निशानियों) में से कोई आयत (निशानी) नहीं आती, परंतु वे उससे मुँह फेरने वाले होते हैं।
4. अर्थात् मिश्रणवादियों के पास।
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فَقَدْ كَذَّبُوْا بِالْحَقِّ لَمَّا جَآءَهُمْ ؕ— فَسَوْفَ یَاْتِیْهِمْ اَنْۢبٰٓؤُا مَا كَانُوْا بِهٖ یَسْتَهْزِءُوْنَ ۟
चुनाँचे निःसंदेह उन्होंने सत्य को झुठला दिया, जब वह उनके पास आया। तो शीघ्र ही उनके पास उसके समाचार आ जाएँगे[5], जिसका वे उपहास किया करते हैं।
5. अर्थात उसके तथ्य का ज्ञान हो जाएगा। यह आयत मक्का में उस समय उतरी जब मुसलमान विवश थे, परंतु बद्र के युद्ध के बाद यह भविष्यवाणी पूरी होने लगी और अंततः मिश्रणवादी परास्त हो गए।
Tefsiri na arapskom jeziku:
اَلَمْ یَرَوْا كَمْ اَهْلَكْنَا مِنْ قَبْلِهِمْ مِّنْ قَرْنٍ مَّكَّنّٰهُمْ فِی الْاَرْضِ مَا لَمْ نُمَكِّنْ لَّكُمْ وَاَرْسَلْنَا السَّمَآءَ عَلَیْهِمْ مِّدْرَارًا ۪— وَّجَعَلْنَا الْاَنْهٰرَ تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهِمْ فَاَهْلَكْنٰهُمْ بِذُنُوْبِهِمْ وَاَنْشَاْنَا مِنْ بَعْدِهِمْ قَرْنًا اٰخَرِیْنَ ۟
क्या उन्होंने नहीं देखा कि हमने उनसे पहले कितने समुदायों को नष्ट कर दिया, जिन्हें हमने धरती में वह सत्ता (शक्ति एवं अधिकार) दी थी, जो सत्ता तुम्हें नहीं दी, और हमने उनपर मूसला धार वर्षा की, और हमने नहरें बनाईं, जो उनके नीचे से बहती थीं। फिर हमने उन्हें उनके पापों के कारण विनष्ट कर दिया[6], और उनके पश्चात् दूसरे समुदायों को पैदा कर दिया।
6. अर्थात अल्लाह का यह नियम है कि पापियों को कुछ अवसर देता है, और अंततः उनका विनाश कर देता है।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَلَوْ نَزَّلْنَا عَلَیْكَ كِتٰبًا فِیْ قِرْطَاسٍ فَلَمَسُوْهُ بِاَیْدِیْهِمْ لَقَالَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْۤا اِنْ هٰذَاۤ اِلَّا سِحْرٌ مُّبِیْنٌ ۟
(ऐ नबी!) यदि हम आपपर काग़ज़ में लिखी हुई कोई पुस्तक उतारते, फिर वे उसे अपने हाथों से छूते, तो निश्चय वे लोग जिन्होंने कुफ़्र किया, यही कहते कि यह तो स्पष्ट जादू के सिवा कुछ नहीं।[7]
7. इसमें इन काफ़िरों के दुराग्रह की दशा का वर्णन है।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَقَالُوْا لَوْلَاۤ اُنْزِلَ عَلَیْهِ مَلَكٌ ؕ— وَلَوْ اَنْزَلْنَا مَلَكًا لَّقُضِیَ الْاَمْرُ ثُمَّ لَا یُنْظَرُوْنَ ۟
तथा उन्होंने कहा :[8] इस (नबी) पर कोई फ़रिश्ता क्यों न उतारा[9] गया? और यदि हम कोई फ़रिश्ता उतारते, तो अवश्य काम तमाम कर दिया जाता, फिर उन्हें मोहलत न दी जाती।[10]
8. जैसा कि वह माँग करते हैं। (देखिए : सूरत बनी इसराईल, आयत : 93) 9. अर्थात अपने वास्तविक रूप में, जबकि जिबरील (अलैहिस्सलाम) मनुष्य के रूप में आया करते थे। 10. अर्थात मानने या न मानने की।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَلَوْ جَعَلْنٰهُ مَلَكًا لَّجَعَلْنٰهُ رَجُلًا وَّلَلَبَسْنَا عَلَیْهِمْ مَّا یَلْبِسُوْنَ ۟
और यदि हम उसे फ़रिश्ता बनाते, तो निश्चय उसे आदमी (के रूप में) बनाते[11] और अवश्य उनपर वही संदेह डाल देते, जिस संदेह में वे (अब) पड़े हुए हैं।
11. क्योंकि फ़रिश्तों को आँखों से उनके स्वभाविक रूप में देखना मानव के बस की बात नहीं है। और यदि फ़रिश्ते को रसूल बनाकर मनुष्य के रूप में भेजा जाता, तब भी कहते कि यह तो मनुष्य है। यह रसूल कैसे हो सकता है?
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَلَقَدِ اسْتُهْزِئَ بِرُسُلٍ مِّنْ قَبْلِكَ فَحَاقَ بِالَّذِیْنَ سَخِرُوْا مِنْهُمْ مَّا كَانُوْا بِهٖ یَسْتَهْزِءُوْنَ ۟۠
और निःसंदेह (ऐ नबी!) आपसे पहले कई रसूलों का उपहास किया गया, तो उन लोगों को जिन्होंने उनमें से उपहास किया था, उसी चीज़ ने घेर लिया, जिसका वे उपहास किया करते थे।
Tefsiri na arapskom jeziku:
قُلْ سِیْرُوْا فِی الْاَرْضِ ثُمَّ اَنْظُرُوْا كَیْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُكَذِّبِیْنَ ۟
(ऐ नबी!) आप कह दें कि धरती में चलो-फिरो, फिर देखो कि झुठलाने वालों का परिणाम कैसा हुआ?[12]
12. अर्थात मक्का से शाम तक समूद तथा लूत (अलैहिस्सलाम) की बस्तियों के अवशेष पड़े हुए हैं, वहाँ जाओ और उनके दुष्परिणाम से सीख ग्रहण करो।
Tefsiri na arapskom jeziku:
قُلْ لِّمَنْ مَّا فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— قُلْ لِّلّٰهِ ؕ— كَتَبَ عَلٰی نَفْسِهِ الرَّحْمَةَ ؕ— لَیَجْمَعَنَّكُمْ اِلٰی یَوْمِ الْقِیٰمَةِ لَا رَیْبَ فِیْهِ ؕ— اَلَّذِیْنَ خَسِرُوْۤا اَنْفُسَهُمْ فَهُمْ لَا یُؤْمِنُوْنَ ۟
(ऐ नबी!) (उनसे) पूछिए कि जो कुछ आकाशों तथा धरती में है, वह किसका है? कह दें : अल्लाह का है! उसने अपने ऊपर दया करना लिख दिया है। निश्चय वह तुम्हें क़ियामत के दिन की ओर (ले जाकर) अवश्य एकत्र[14] करेगा, जिसमें कोई संदेह नहीं। जिन लोगों ने अपने-आपको क्षति में डाला, वही ईमान नहीं लाते।
13. अर्थात पूरे ब्रह्मांड की व्यवस्था उसकी दया का प्रमाण है। तथा अपनी दया के कारण ही दुनिया में दंड नहीं दे रहा है। ह़दीस में है कि जब अल्लाह ने उत्पत्ति कर ली, तो एक लेख लिखा, जो उसके पास उसके अर्श (सिंहासन) के ऊपर है : "निश्चय मेरी दया मेरे क्रोध से बढ़ कर है।" (सह़ीह़ बुख़ारी : 3194, मुस्लिम : 2751) दूसरी ह़दीस में है कि अल्लाह के पास सौ दया हैं। उसमें से एक को जिन्नों, इनसानों तथा पशुओं और कीड़ों-मकूड़ों के लिए उतारा है। जिससे वे आपस में प्रेम तथा दया करते हैं, तथा निन्नान्वे दया अपने पास रख ली है। जिनसे प्रलय के दिन अपने बंदों पर दया करेगा। (सह़ीह़ बुख़ारी : 6000, मुस्लिम : 2752) 14. अर्थात कर्मों का फल देने के लिए।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَلَهٗ مَا سَكَنَ فِی الَّیْلِ وَالنَّهَارِ ؕ— وَهُوَ السَّمِیْعُ الْعَلِیْمُ ۟
तथा उसी[15] (अल्लाह) का है, जो कुछ रात और दिन में बस रहा है और वह सब कुछ सुनने वाला, सब कुछ जानने वाला है।
15. अर्थात उसी के अधिकार में तथा उसी के अधीन है।
Tefsiri na arapskom jeziku:
قُلْ اَغَیْرَ اللّٰهِ اَتَّخِذُ وَلِیًّا فَاطِرِ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَهُوَ یُطْعِمُ وَلَا یُطْعَمُ ؕ— قُلْ اِنِّیْۤ اُمِرْتُ اَنْ اَكُوْنَ اَوَّلَ مَنْ اَسْلَمَ وَلَا تَكُوْنَنَّ مِنَ الْمُشْرِكِیْنَ ۟
(ऐ नबी!) कह दो : क्या मैं अल्लाह के सिवा कोई सहायक बनाऊँ, जो आकाशों तथा धरती का बनाने वाला है, हालाँकि वह खिलाता है और उसे नहीं खिलाया जाता। आप कहिए : निःसंदेह मुझे आदेश दिया गया है कि सबसे पहला व्यक्ति बनूँ जो आज्ञाकारी हुआ, तथा तुम कदापि साझी बनाने वालों में से न हो।
Tefsiri na arapskom jeziku:
قُلْ اِنِّیْۤ اَخَافُ اِنْ عَصَیْتُ رَبِّیْ عَذَابَ یَوْمٍ عَظِیْمٍ ۟
आप कह दें कि यदि मैं अपने पालनहार की अवज्ञा करूँ, तो निःसंदेह मैं एक बड़े दिन की यातना से डरता हूँ।[16]
16. इन आयतों का भावार्थ यह है कि जब अल्लाह ही ने इस विश्व की उत्पत्ति की है, वही अपनी दया से इसकी व्यवस्था कर रहा है, और सबको जीविका प्रदान कर रहा है, तो फिर तुम्हारा स्वभाविक कर्म भी यही होना चाहिए कि उसी एक की उपासना करो। यह तो बड़े कुपथ की बात होगी कि उससे मुँह फेरकर दूसरों की उपासना करो और उनके आगे झुको।
Tefsiri na arapskom jeziku:
مَنْ یُّصْرَفْ عَنْهُ یَوْمَىِٕذٍ فَقَدْ رَحِمَهٗ ؕ— وَذٰلِكَ الْفَوْزُ الْمُبِیْنُ ۟
जिस व्यक्ति से उस दिन वह हटा लिया जाएगा, तो निश्चय अल्लाह ने उसपर दया कर दी और यही खुली सफलता है।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَاِنْ یَّمْسَسْكَ اللّٰهُ بِضُرٍّ فَلَا كَاشِفَ لَهٗۤ اِلَّا هُوَ ؕ— وَاِنْ یَّمْسَسْكَ بِخَیْرٍ فَهُوَ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌ ۟
यदि अल्लाह तुझे कोई हानि पहुँचाए, तो उसके सिवा कोई उसे दूर करने वाला नहीं, और यदि वह तुझे कोई भलाई पहुँचाए, तो वह हर चीज़ पर सर्वशक्तिमान है।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَهُوَ الْقَاهِرُ فَوْقَ عِبَادِهٖ ؕ— وَهُوَ الْحَكِیْمُ الْخَبِیْرُ ۟
तथा वही अपने बंदों पर ग़ालिब (हावी) है तथा वही पूर्ण हिकमत वाला, हर चीज़ की ख़बर रखने वाला है।
Tefsiri na arapskom jeziku:
قُلْ اَیُّ شَیْءٍ اَكْبَرُ شَهَادَةً ؕ— قُلِ اللّٰهُ ۫— شَهِیْدٌۢ بَیْنِیْ وَبَیْنَكُمْ ۫— وَاُوْحِیَ اِلَیَّ هٰذَا الْقُرْاٰنُ لِاُنْذِرَكُمْ بِهٖ وَمَنْ بَلَغَ ؕ— اَىِٕنَّكُمْ لَتَشْهَدُوْنَ اَنَّ مَعَ اللّٰهِ اٰلِهَةً اُخْرٰی ؕ— قُلْ لَّاۤ اَشْهَدُ ۚ— قُلْ اِنَّمَا هُوَ اِلٰهٌ وَّاحِدٌ وَّاِنَّنِیْ بَرِیْٓءٌ مِّمَّا تُشْرِكُوْنَ ۟ۘ
(ऐ नबी!) आप (इन मुश्रिकों से) पूछें कि कौन-सी चीज़ गवाही में सबसे बड़ी है? आप कह दें कि अल्लाह मेरे और तुम्हारे बीच गवाह[17] है तथा मेरी ओर यह क़ुरआन वह़्य (प्रकाशना) द्वारा भेजा गया है, ताकि मैं तुम्हें इसके द्वारा डराऊँ[18] और उसे भी जिस तक यह पहुँचे। क्या निःसंदेह तुम वास्तव में यह गवाही देते हो कि बेशक अल्लाह के साथ कुछ और पूज्य भी हैं? आप कह दें कि मैं तो इसकी गवाही नहीं देता। आप कह दें कि वह तो केवल एक ही पूज्य है तथा निःसंदेह मैं उससे बरी हूँ जो तुम शरीक ठहराते हो।
17. अर्थात मेरे नबी होने का साक्षी अल्लाह तथा उसका मुझपर उतारा हुआ क़ुरआन है। 18. अर्थात अल्लाह की अवज्ञा के दुष्परिणाम से।
Tefsiri na arapskom jeziku:
اَلَّذِیْنَ اٰتَیْنٰهُمُ الْكِتٰبَ یَعْرِفُوْنَهٗ كَمَا یَعْرِفُوْنَ اَبْنَآءَهُمْ ۘ— اَلَّذِیْنَ خَسِرُوْۤا اَنْفُسَهُمْ فَهُمْ لَا یُؤْمِنُوْنَ ۟۠
जिन लोगों को हमने पुस्तक[19] प्रदान की, वे उसे उसी प्रकार पहचानते हैं, जैसे वे अपने बेटों को पहचानते[20] हैं। वे लोग जिन्होंने स्वयं को क्षति में डाला, तो वे ईमान नहीं लाते।
19. अर्थात तौरात तथा इंजील आदि। 20. अर्थात आपके उन गुणों द्वारा जो उनकी पुस्तकों में वर्णित हैं।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنِ افْتَرٰی عَلَی اللّٰهِ كَذِبًا اَوْ كَذَّبَ بِاٰیٰتِهٖ ؕ— اِنَّهٗ لَا یُفْلِحُ الظّٰلِمُوْنَ ۟
तथा उससे बड़ा अत्याचारी कौन है, जिसने अल्लाह पर कोई झूठ गढ़ा, या उसकी आयतों को झुठलाया। निःसंदेह अत्याचारी कभी सफल नहीं होते।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَیَوْمَ نَحْشُرُهُمْ جَمِیْعًا ثُمَّ نَقُوْلُ لِلَّذِیْنَ اَشْرَكُوْۤا اَیْنَ شُرَكَآؤُكُمُ الَّذِیْنَ كُنْتُمْ تَزْعُمُوْنَ ۟
और जिस दिन हम उन सबको एकत्र करेंगे, फिर हम उन लोगों से कहेंगे, जिन्होंने साझी ठहराए : तुम्हारे वे साझी कहाँ हैं, जिनका तुम दावा करते थे?
Tefsiri na arapskom jeziku:
ثُمَّ لَمْ تَكُنْ فِتْنَتُهُمْ اِلَّاۤ اَنْ قَالُوْا وَاللّٰهِ رَبِّنَا مَا كُنَّا مُشْرِكِیْنَ ۟
फिर उनका कोई बहाना न होगा सिवाय इसके कि वे कहेंगे : अल्लाह की क़सम! जो हमारा पालनहार है, हम मुश्रिक न थे।
Tefsiri na arapskom jeziku:
اُنْظُرْ كَیْفَ كَذَبُوْا عَلٰۤی اَنْفُسِهِمْ وَضَلَّ عَنْهُمْ مَّا كَانُوْا یَفْتَرُوْنَ ۟
देखो उन्होंने कैसे अपने आपपर झूठ बोला और उनसे गुम हो गया, जो वे झूठ बनाया करते थे।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَمِنْهُمْ مَّنْ یَّسْتَمِعُ اِلَیْكَ ۚ— وَجَعَلْنَا عَلٰی قُلُوْبِهِمْ اَكِنَّةً اَنْ یَّفْقَهُوْهُ وَفِیْۤ اٰذَانِهِمْ وَقْرًا ؕ— وَاِنْ یَّرَوْا كُلَّ اٰیَةٍ لَّا یُؤْمِنُوْا بِهَا ؕ— حَتّٰۤی اِذَا جَآءُوْكَ یُجَادِلُوْنَكَ یَقُوْلُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْۤا اِنْ هٰذَاۤ اِلَّاۤ اَسَاطِیْرُ الْاَوَّلِیْنَ ۟
और उनमें से कुछ ऐसे हैं जो आपकी ओर कान लगाते हैं, और हमने उनके दिलों पर परदे डाल दिए हैं, कि बात न समझें[21] और उनके कानों में बोझ डाल दिया है। यदि वे प्रत्येक निशानी देख लें, (तब भी) उसपर ईमान नहीं लाएँगे, यहाँ तक कि जब वे आपके पास झगड़ते हुए आते हैं, तो वे लोग जिन्होंने कुफ़्र किया, कहते हैं : ये पहले लोगों की कल्पित कथाओं के सिवा कुछ नहीं।
21. न समझने तथा न सुनने का अर्थ यह है कि उससे प्रभावित नहीं होते, क्योंकि कुफ़्र तथा निफ़ाक़ के कारण सत्य से प्रभावित होने की क्षमता खो जाती है।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَهُمْ یَنْهَوْنَ عَنْهُ وَیَنْـَٔوْنَ عَنْهُ ۚ— وَاِنْ یُّهْلِكُوْنَ اِلَّاۤ اَنْفُسَهُمْ وَمَا یَشْعُرُوْنَ ۟
और वे उससे[22] (लोगों को) रोकते हैं और (स्वयं भी) उससे दूर रहते हैं, और वे मात्र अपने आपको विनष्ट कर रहे हैं और वे नहीं समझते।
22. अर्थात क़ुरआन सुनने से।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَلَوْ تَرٰۤی اِذْ وُقِفُوْا عَلَی النَّارِ فَقَالُوْا یٰلَیْتَنَا نُرَدُّ وَلَا نُكَذِّبَ بِاٰیٰتِ رَبِّنَا وَنَكُوْنَ مِنَ الْمُؤْمِنِیْنَ ۟
तथा (ऐ नबी!) यदि आप उस समय देखें, जब वे आग पर खड़े किए जाएँगे, तो वे कहेंगे : ऐ काश! हम वापस भेजे जाएँ और अपने पालनहार की आयतों को न झुठलाएँ और हम ईमान वालों में से हो जाएँ।
Tefsiri na arapskom jeziku:
بَلْ بَدَا لَهُمْ مَّا كَانُوْا یُخْفُوْنَ مِنْ قَبْلُ ؕ— وَلَوْ رُدُّوْا لَعَادُوْا لِمَا نُهُوْا عَنْهُ وَاِنَّهُمْ لَكٰذِبُوْنَ ۟
बल्कि उनके लिए वह प्रकट हो गया, जो वे इससे पहले छिपाते[23] थे। और यदि उन्हें वापस भेज दिया जाए, तो अवश्य फिर वही करेंगे, जिससे उन्हें रोका गया था। और निःसंदेह वे निश्चय झूठे हैं।
23. अर्थात जिस तथ्य को वे शपथ ले कर छिपा रहे थे कि हम मिश्रणवादी नहीं थे, उस समय खुल जाएगा। अथवा आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को पहचानते हुए भी यह बात जो छिपा रहे थे, वह खुल जाएगी। अथवा मुनाफ़िक़ों के दिल का वह रोग खुल जाएगा, जिसे वह संसार में छिपा रहे थे। (तफ़्सीर इब्ने कसीर)
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَقَالُوْۤا اِنْ هِیَ اِلَّا حَیَاتُنَا الدُّنْیَا وَمَا نَحْنُ بِمَبْعُوْثِیْنَ ۟
और उन्होंने कहा : जीवन तो बस यही हमारा सांसारिक जीवन है। और हम हरगिज़ उठाए जाने वाले नहीं।[24]
24. अर्थात हम मरने के पश्चात् परलोक में कर्मों का फल भोगने के लिए जीवित नहीं किए जाएँगे।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَلَوْ تَرٰۤی اِذْ وُقِفُوْا عَلٰی رَبِّهِمْ ؕ— قَالَ اَلَیْسَ هٰذَا بِالْحَقِّ ؕ— قَالُوْا بَلٰی وَرَبِّنَا ؕ— قَالَ فَذُوْقُوا الْعَذَابَ بِمَا كُنْتُمْ تَكْفُرُوْنَ ۟۠
तथा यदि आप उस समय देखें, जब वे अपने पालनहार के समक्ष खड़े किए जाएँगे।वह कहेगा : क्या यह (जीवन) सत्य नहीं है? वे कहेंगे : क्यों नहीं, हमारे पालनहार की क़सम! वह (अल्लाह) कहेगा : तो अब यातना चखो उसके बदले जो तुम कुफ़्र किया करते थे।
Tefsiri na arapskom jeziku:
قَدْ خَسِرَ الَّذِیْنَ كَذَّبُوْا بِلِقَآءِ اللّٰهِ ؕ— حَتّٰۤی اِذَا جَآءَتْهُمُ السَّاعَةُ بَغْتَةً قَالُوْا یٰحَسْرَتَنَا عَلٰی مَا فَرَّطْنَا فِیْهَا ۙ— وَهُمْ یَحْمِلُوْنَ اَوْزَارَهُمْ عَلٰی ظُهُوْرِهِمْ ؕ— اَلَا سَآءَ مَا یَزِرُوْنَ ۟
निश्चय वे लोग घाटे में रहे, जिन्होंने अल्लाह से मिलने को झुठलाया, यहाँ तक कि जब क़ियामत उनपर अचानक आ पहुँचेगी, तो कहेंगे : हाय अफ़सोस! उसपर जो हमने इसमें कोताही की। और वे अपने (पापों के) बोझ अपनी पीठों पर उठाए होंगे। सुन लो! बहुत बुरा बोझ है, जो वे उठाएँगे।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَمَا الْحَیٰوةُ الدُّنْیَاۤ اِلَّا لَعِبٌ وَّلَهْوٌ ؕ— وَلَلدَّارُ الْاٰخِرَةُ خَیْرٌ لِّلَّذِیْنَ یَتَّقُوْنَ ؕ— اَفَلَا تَعْقِلُوْنَ ۟
तथा सांसारिक जीवन खेल और मनोरंजन[25] के सिवा कुछ नहीं, तथा निश्चय आख़िरत का घर उन लोगों के लिए बेहतर[26] है जो (अल्लाह से) डरते हैं, तो क्या तुम नहीं समझते?[27]
25. अर्थात साम्यिक और अस्थायी है। 26. अर्थात स्थायी है। 27. आयत का भावार्थ यह है कि यदि कर्मों के फल के लिए कोई दूसरा जीवन न हो, तो सांसारिक जीवन एक मनोरंजन और खेल से अधिक कुछ नहीं रह जाएगा। तो क्या यह सांसारिक व्यवस्था इसी लिए की गई है कि कुछ दिनों खेलो और फिर समाप्त हो जाए? यह बात तो समझ-बूझ का निर्णय नहीं हो सकती। अतः एक दूसरे जीवन का होना ही समझ-बूझ का निर्णय है।
Tefsiri na arapskom jeziku:
قَدْ نَعْلَمُ اِنَّهٗ لَیَحْزُنُكَ الَّذِیْ یَقُوْلُوْنَ فَاِنَّهُمْ لَا یُكَذِّبُوْنَكَ وَلٰكِنَّ الظّٰلِمِیْنَ بِاٰیٰتِ اللّٰهِ یَجْحَدُوْنَ ۟
निःसंदेह हम जानते हैं कि निश्चय (ऐ नबी!) आपको वह बात दुखी करती है, जो वे कहते हैं। तो वास्तव में वे आपको नहीं झुठलाते, परंतु वे अत्याचारी अल्लाह की आयतों ही का इनकार करते हैं।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَلَقَدْ كُذِّبَتْ رُسُلٌ مِّنْ قَبْلِكَ فَصَبَرُوْا عَلٰی مَا كُذِّبُوْا وَاُوْذُوْا حَتّٰۤی اَتٰىهُمْ نَصْرُنَا ۚ— وَلَا مُبَدِّلَ لِكَلِمٰتِ اللّٰهِ ۚ— وَلَقَدْ جَآءَكَ مِنْ نَّبَاۡ الْمُرْسَلِیْنَ ۟
और निःसंदेह आपसे पहले कई रसूल झुठलाए गए, तो उन्होंने अपने झुठलाए जाने और कष्ट दिए जाने पर सब्र किया, यहाँ तक कि उनके पास हमारी सहायता आ गई। तथा कोई अल्लाह की बातों को बदलने वाला नहीं[28] और निःसंदेह आपके पास (उन) रसूलों के कुछ समाचार आ चुके हैं।
28. अर्थात अल्लाह के निर्धारित नियम को, कि पहले वह परीक्षा में डालता है, फिर सहायता करता है।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَاِنْ كَانَ كَبُرَ عَلَیْكَ اِعْرَاضُهُمْ فَاِنِ اسْتَطَعْتَ اَنْ تَبْتَغِیَ نَفَقًا فِی الْاَرْضِ اَوْ سُلَّمًا فِی السَّمَآءِ فَتَاْتِیَهُمْ بِاٰیَةٍ ؕ— وَلَوْ شَآءَ اللّٰهُ لَجَمَعَهُمْ عَلَی الْهُدٰی فَلَا تَكُوْنَنَّ مِنَ الْجٰهِلِیْنَ ۟
और यदि आपपर उनकी विमुखता भारी गुज़र रही है, तो यदि आपसे हो सके कि धरती में कोई सुरंग अथवा आकाश में कोई सीढ़ी ढूँढ निकालें, फिर उनके पास कोई निशानी (चमत्कार) ले आएँ, (तो ले आएँ) और यदि अल्लाह चाहता, तो निश्चय उन्हें मार्गदर्शन पर एकत्र कर देता। अतः आप कदापि अज्ञानियों में से न हों।
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اِنَّمَا یَسْتَجِیْبُ الَّذِیْنَ یَسْمَعُوْنَ ؔؕ— وَالْمَوْتٰی یَبْعَثُهُمُ اللّٰهُ ثُمَّ اِلَیْهِ یُرْجَعُوْنَ ۟
स्वीकार तो केवल वही लोग करते हैं, जो सुनते हैं। और जो मुर्दे हैं, उन्हें अल्लाह उठाएगा[29], फिर वे उसी की ओर लौटाए जाएँगे।
29. अर्थात प्रलय के दिन उनकी समाधियों से। आयत का भावार्थ यह है कि आपके सदुपदेश को वही स्वीकार करेंगे, जिनकी अंतरात्मा जीवित हो। परंतु जिनके दिल निर्जीव हैं, तो यदि आप धरती अथवा आकाश से लाकर उन्हें कोई चमत्कार भी दिखा दें, तब भी वह उनके लिए व्यर्थ होगा। यह सत्य को स्वीकार करने की योग्यता ही खो चुके हैं।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَقَالُوْا لَوْلَا نُزِّلَ عَلَیْهِ اٰیَةٌ مِّنْ رَّبِّهٖ ؕ— قُلْ اِنَّ اللّٰهَ قَادِرٌ عَلٰۤی اَنْ یُّنَزِّلَ اٰیَةً وَّلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟
तथा उन्होंने कहा : उस (नबी) पर उसके पालनहार की ओर से कोई निशानी क्यों नहीं उतारी गई? आप कह दें : निःसंदेह अल्लाह इसका सामर्थ्य रखता है कि कोई निशानी उतारे, परंतु उनके अधिकतर लोग नहीं जानते।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَمَا مِنْ دَآبَّةٍ فِی الْاَرْضِ وَلَا طٰٓىِٕرٍ یَّطِیْرُ بِجَنَاحَیْهِ اِلَّاۤ اُمَمٌ اَمْثَالُكُمْ ؕ— مَا فَرَّطْنَا فِی الْكِتٰبِ مِنْ شَیْءٍ ثُمَّ اِلٰی رَبِّهِمْ یُحْشَرُوْنَ ۟
तथा धरती में न कोई चलने वाला है तथा न कोई उड़ने वाला, जो अपने दो पंखों से उड़ता है, परंतु तुम्हारी जैसी जातियाँ हैं। हमने पुस्तक[30] में किसी चीज़ की कमी[31] नहीं छोड़ी। फिर वे अपने पालनहार की ओर एकत्र किए जाएँगे।[32]
30. पुस्तक का अर्थ "लौह़े मह़्फ़ूज़" है, जिसमें सारे संसार का भाग्य लिखा हुआ है। 31. इन आयतों का भावार्थ यह है कि यदि तुम निशानियों और चमत्कारों की माँग करते हो, तो यह पूरे संसार में जो जीव और पक्षी हैं, जिनके जीवन साधनों की व्यवस्था अल्लाह ने की है, और सबके भाग्य में जो लिख दिया है, वह पूरा हो रहा है। क्या तुम्हारे लिए अल्लाह के अस्तित्व और गुणों के प्रतीक नहीं हैं? यदि तुम ज्ञान तथा समझ से काम लो, तो यह संसार की व्यवस्था ही ऐसा लक्षण और प्रमाण है कि जिसके पश्चात किसी अन्य चमत्कार की आवश्यक्ता नहीं रह जाती। 32. अर्थ यह है कि सब जीवों के प्राण मरने के पश्चात् उसी के पास एकत्र हो जाते हैं, क्योंकि वही सब का उत्पत्तिकार है।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَالَّذِیْنَ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا صُمٌّ وَّبُكْمٌ فِی الظُّلُمٰتِ ؕ— مَنْ یَّشَاِ اللّٰهُ یُضْلِلْهُ ؕ— وَمَنْ یَّشَاْ یَجْعَلْهُ عَلٰی صِرَاطٍ مُّسْتَقِیْمٍ ۟
तथा जिन लोगों ने हमारी आयतों (निशानियों) को झुठलाया, वे बहरे और गूँगे है, अँधेरों में पड़े हुए हैं। जिसे अल्लाह चाहता है, पथभ्रष्ट कर देता है और जिसे चाहता है, सीधे मार्ग पर लगा देता है।
Tefsiri na arapskom jeziku:
قُلْ اَرَءَیْتَكُمْ اِنْ اَتٰىكُمْ عَذَابُ اللّٰهِ اَوْ اَتَتْكُمُ السَّاعَةُ اَغَیْرَ اللّٰهِ تَدْعُوْنَ ۚ— اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟
(ऐ नबी!) उनसे कहो, भला बताओ तो सही कि यदि तुमपर अल्लाह की यातना आ जाए, या तुमपर क़ियामत आ जाए, तो क्या तुम अल्लाह के सिवा किसी और को पुकारोगे? यदि तुम सच्चे हो।
Tefsiri na arapskom jeziku:
بَلْ اِیَّاهُ تَدْعُوْنَ فَیَكْشِفُ مَا تَدْعُوْنَ اِلَیْهِ اِنْ شَآءَ وَتَنْسَوْنَ مَا تُشْرِكُوْنَ ۟۠
बल्कि तुम उसी को पुकारोगे, फिर वह दूर कर देगा (उस विपत्ति को) जिसके लिए तुम उसे पुकारोगे, यदि उसने चाहा, और तुम भूल जाओगे जिसे साझी बनाते हो।[33]
33. इस आयत का भावार्थ यह है कि किसी घोर आपदा के समय तुम्हारा अल्लाह ही को गुहारना, स्वयं तुम्हारी ओर से उसके अकेले पूज्य होने का प्रमाण और स्वीकरण है।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَلَقَدْ اَرْسَلْنَاۤ اِلٰۤی اُمَمٍ مِّنْ قَبْلِكَ فَاَخَذْنٰهُمْ بِالْبَاْسَآءِ وَالضَّرَّآءِ لَعَلَّهُمْ یَتَضَرَّعُوْنَ ۟
और निःसंदेह हमने आपसे पहले कई समुदायों की ओर रसूल भेजे, फिर हमने उन्हें दरिद्रता और कष्ट के साथ पकड़ा, ताकि वे गिड़गिड़ाएँ।[34]
34. अर्थात ताकि अल्लाह से विनय करें और उस के सामने झुक जाएँ।
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فَلَوْلَاۤ اِذْ جَآءَهُمْ بَاْسُنَا تَضَرَّعُوْا وَلٰكِنْ قَسَتْ قُلُوْبُهُمْ وَزَیَّنَ لَهُمُ الشَّیْطٰنُ مَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟
फिर वे क्यों न गिड़गिड़ाए, जब उनपर हमारी यातना आई? परंतु उनके दिल कठोर हो गए तथा शैतान ने उनके लिए उसे सुंदर बना[35] दिया, जो कुछ वे किया करते थे।
35. आयत का अर्थ यह है कि जब कुकर्मों के कारण दिल कठोर हो जाते हैं, तो कोई भी बात उन्हें सुधार के लिए तैयार नहीं कर सकती।
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فَلَمَّا نَسُوْا مَا ذُكِّرُوْا بِهٖ فَتَحْنَا عَلَیْهِمْ اَبْوَابَ كُلِّ شَیْءٍ ؕ— حَتّٰۤی اِذَا فَرِحُوْا بِمَاۤ اُوْتُوْۤا اَخَذْنٰهُمْ بَغْتَةً فَاِذَا هُمْ مُّبْلِسُوْنَ ۟
फिर जब वे उसको भूल गए, जिसका उन्हें उपदेश दिया गया था, तो हमने उनपर हर चीज़ के द्वार खोल दिए। यहाँ तक कि जब वे उन चीज़ों पर खुश हो गए, जो उन्हें दी गई थीं, हमने उन्हें अचानक पकड़ लिया तो वे निराश होकर रह गए।
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فَقُطِعَ دَابِرُ الْقَوْمِ الَّذِیْنَ ظَلَمُوْا ؕ— وَالْحَمْدُ لِلّٰهِ رَبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟
तो उन लोगों की जड़ काट दी गई, जिन्होंने अत्याचार किया। और सब प्रशंसा अल्लाह ही के लिए है, जो सारे संसारों का पालनहार है।
Tefsiri na arapskom jeziku:
قُلْ اَرَءَیْتُمْ اِنْ اَخَذَ اللّٰهُ سَمْعَكُمْ وَاَبْصَارَكُمْ وَخَتَمَ عَلٰی قُلُوْبِكُمْ مَّنْ اِلٰهٌ غَیْرُ اللّٰهِ یَاْتِیْكُمْ بِهٖ ؕ— اُنْظُرْ كَیْفَ نُصَرِّفُ الْاٰیٰتِ ثُمَّ هُمْ یَصْدِفُوْنَ ۟
ऐ नबी! आप कह दें कि भला बताओ तो सही कि यदि अल्लाह तुम्हारे सुनने तथा देखने की शक्ति छीन ले और तुम्हारे दिलों पर मुहर लगा दे, तो अल्लाह के सिवा कौन-सा पूज्य है, जो तुम्हें ये चीज़ें लाकर दे? देखो, हम कैसे तरह-तरह से आयतें[36] बयान करते हैं, फिर (भी) वे मुँह फेर लेते[37] हैं।
36. अर्थात इस बात की निशानियाँ कि अल्लाह ही पूज्य है, और दूसरे सभी पूज्य मिथ्या हैं। (इब्ने कसीर) 37. अर्थात सत्य से।
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قُلْ اَرَءَیْتَكُمْ اِنْ اَتٰىكُمْ عَذَابُ اللّٰهِ بَغْتَةً اَوْ جَهْرَةً هَلْ یُهْلَكُ اِلَّا الْقَوْمُ الظّٰلِمُوْنَ ۟
आप कह दें, भला बताओ तो सही कि यदि तुमपर अल्लाह की यातना अचानक या खुल्लम-खुल्ला आ जाए, तो क्या अत्याचारी लोगों के सिवा कोई और विनष्ट किया जाएगा?
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَمَا نُرْسِلُ الْمُرْسَلِیْنَ اِلَّا مُبَشِّرِیْنَ وَمُنْذِرِیْنَ ۚ— فَمَنْ اٰمَنَ وَاَصْلَحَ فَلَا خَوْفٌ عَلَیْهِمْ وَلَا هُمْ یَحْزَنُوْنَ ۟
और हम रसूलों को केवल इसलिए भेजते हैं कि वे (आज्ञाकारियों को) शुभ सूचना दें तथा (अवज्ञाकारियों को) डराएँ। फिर जो व्यक्ति ईमान ले आए और अपना सुधार कर ले, तो उनपर कोई भय नहीं और न वे शोकाकुल होंगे।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَالَّذِیْنَ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا یَمَسُّهُمُ الْعَذَابُ بِمَا كَانُوْا یَفْسُقُوْنَ ۟
और जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया, उन्हें यातना पहुँचेगी इस कारणवश कि वे अवज्ञा करते थे।
Tefsiri na arapskom jeziku:
قُلْ لَّاۤ اَقُوْلُ لَكُمْ عِنْدِیْ خَزَآىِٕنُ اللّٰهِ وَلَاۤ اَعْلَمُ الْغَیْبَ وَلَاۤ اَقُوْلُ لَكُمْ اِنِّیْ مَلَكٌ ۚ— اِنْ اَتَّبِعُ اِلَّا مَا یُوْحٰۤی اِلَیَّ ؕ— قُلْ هَلْ یَسْتَوِی الْاَعْمٰی وَالْبَصِیْرُ ؕ— اَفَلَا تَتَفَكَّرُوْنَ ۟۠
(ऐ नबी!) आप कह दें : मैं तुमसे यह नहीं कहता कि मेरे पास अल्लाह के ख़ज़ाने हैं, और न मैं परोक्ष (ग़ैब) का ज्ञान रखता हूँ, और न मैं तुमसे यह कहता हूँ कि मैं कोई फ़रिश्ता हूँ। मैं तो केवल उसी का अनुसरण करता हूँ, जो मेरी ओर वह़्य (प्रकाशना) की जाती है। आप कह दें : क्या अंधा[38] और देखने वाला बराबर होते हैं? तो क्या तुम सोच-विचार नहीं करते?
38. अंधा से अभिप्राय : सच से विचलित है। इस आयत में कहा गया है कि नबी, मानव पुरुष से अधिक और कुछ नहीं होता। वह सत्य का अनुयायी तथा उसी का प्रचारक होता है।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَاَنْذِرْ بِهِ الَّذِیْنَ یَخَافُوْنَ اَنْ یُّحْشَرُوْۤا اِلٰی رَبِّهِمْ لَیْسَ لَهُمْ مِّنْ دُوْنِهٖ وَلِیٌّ وَّلَا شَفِیْعٌ لَّعَلَّهُمْ یَتَّقُوْنَ ۟
और इस (क़ुरआन) के द्वारा उन लोगों को डराएँ, जो इस बात का भय रखते हैं कि वे अपने पालनहार के पास (क़ियामत के दिन) एकत्र किए जाएँगे, उनके लिए उस (अल्लाह) के सिवा न कोई सहायक होगा और न कोई सिफ़ारिशी, ताकि वे (अल्लाह से) डरें।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَلَا تَطْرُدِ الَّذِیْنَ یَدْعُوْنَ رَبَّهُمْ بِالْغَدٰوةِ وَالْعَشِیِّ یُرِیْدُوْنَ وَجْهَهٗ ؕ— مَا عَلَیْكَ مِنْ حِسَابِهِمْ مِّنْ شَیْءٍ وَّمَا مِنْ حِسَابِكَ عَلَیْهِمْ مِّنْ شَیْءٍ فَتَطْرُدَهُمْ فَتَكُوْنَ مِنَ الظّٰلِمِیْنَ ۟
तथा (ऐ नबी!) आप उन लोगों को (अपने से) दूर न करें, जो सुबह और शाम अपने पालनहार को पुकारते हैं, वे उसका चेहरा चाहते हैं। आपपर उनके हिसाब में से कुछ नहीं और न आपके हिसाब में से उनपर[39] कुछ है कि आप उन्हें दूर हटा दें, फिर आप अत्याचारियों में से हो जाएँ।
39. अर्थात न आप उनके कर्मों के उत्तरदायी हैं, न वे आपके कर्मों के। रिवायतों से विदित होता है कि मक्का के कुछ धनी मिश्रणवादियों ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से कहा कि हम आपकी बातें सुनना चाहते हैं, किंतु आपके पास नीच लोग रहते हैं, जिनके साथ हम नहीं बैठ सकते। इसी पर यह आयत उतरी। (इबने कसीर) ह़दीस में है कि अल्लाह, तुमहारे रूप और वस्त्र नहीं देखता किंतु तुम्हारे दिलों और कर्मों को देखता है। (सह़ीह़ मुस्लिम : 2564)
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَكَذٰلِكَ فَتَنَّا بَعْضَهُمْ بِبَعْضٍ لِّیَقُوْلُوْۤا اَهٰۤؤُلَآءِ مَنَّ اللّٰهُ عَلَیْهِمْ مِّنْ بَیْنِنَا ؕ— اَلَیْسَ اللّٰهُ بِاَعْلَمَ بِالشّٰكِرِیْنَ ۟
और इसी प्रकार[40] हमने उनमें से कुछ को कुछ के द्वारा परीक्षा में डाला, ताकि वे कहें : क्या यही लोग हैं, जिनपर अल्लाह ने हमारे बीच में से उपकार किया[41] है? क्या अल्लाह शुक्र करने वालों को अधिक जानने वाला नहीं?
40. अर्थात धनी और निर्धन बनाकर। 41. अर्थात मार्गदर्शन प्रदान किया।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَاِذَا جَآءَكَ الَّذِیْنَ یُؤْمِنُوْنَ بِاٰیٰتِنَا فَقُلْ سَلٰمٌ عَلَیْكُمْ كَتَبَ رَبُّكُمْ عَلٰی نَفْسِهِ الرَّحْمَةَ ۙ— اَنَّهٗ مَنْ عَمِلَ مِنْكُمْ سُوْٓءًا بِجَهَالَةٍ ثُمَّ تَابَ مِنْ بَعْدِهٖ وَاَصْلَحَ ۙ— فَاَنَّهٗ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟
तथा (ऐ नबी!) जब आपके पास वे लोग आएँ, जो हमारी आयतों (क़ुरआन) पर ईमान रखते हैं, तो आप कह दें कि तुमपर[42] सलाम (शांति) है। तुम्हारे रब ने दया करना अपने ऊपर अनिवार्य कर लिया है कि निःसंदेह तुममें से जो व्यक्ति अज्ञानतावश कोई बुराई करे, फिर उसके पश्चात् तौबा (क्षमा याचना) करे और अपना सुधार कर ले, तो निश्चय वह (अल्लाह) अति क्षमाशील, अत्यंत दयावान् है।
42. अर्तथात उनके सलाम का उत्तर दें और उनका आदर सम्मान करें।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَكَذٰلِكَ نُفَصِّلُ الْاٰیٰتِ وَلِتَسْتَبِیْنَ سَبِیْلُ الْمُجْرِمِیْنَ ۟۠
और इसी प्रकार हम आयतों को खोलकर बयान करते हैं और ताकि अपराधियों का मार्ग स्पष्ट हो जाए।
Tefsiri na arapskom jeziku:
قُلْ اِنِّیْ نُهِیْتُ اَنْ اَعْبُدَ الَّذِیْنَ تَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ ؕ— قُلْ لَّاۤ اَتَّبِعُ اَهْوَآءَكُمْ ۙ— قَدْ ضَلَلْتُ اِذًا وَّمَاۤ اَنَا مِنَ الْمُهْتَدِیْنَ ۟
(ऐ नबी!) आप (मुश्रिकों से) कह दें : निःसंदेह मुझे मना किया गया है कि मैं उनकी इबादत करूँ, जिन्हें तुम अल्लाह के सिवा पुकारते हो। आप कह दें : मैं तुम्हारी इच्छाओं के पीछे नहीं चलता। निश्चय मैं उस समय पथभ्रष्ट हो गया और मैं मार्गदर्शन पाने वालो में से न रहा।
Tefsiri na arapskom jeziku:
قُلْ اِنِّیْ عَلٰی بَیِّنَةٍ مِّنْ رَّبِّیْ وَكَذَّبْتُمْ بِهٖ ؕ— مَا عِنْدِیْ مَا تَسْتَعْجِلُوْنَ بِهٖ ؕ— اِنِ الْحُكْمُ اِلَّا لِلّٰهِ ؕ— یَقُصُّ الْحَقَّ وَهُوَ خَیْرُ الْفٰصِلِیْنَ ۟
आप कह दें कि मैं अपने पालनहार की ओर से एक स्पष्ट प्रमाण पर क़ायम[43] हूँ और तुमने उसे झुठला दिया है। मेरे पास वह चीज़ नहीं है जिसके लिए तुम जल्दी मचा रहे हो। निर्णय अल्लाह के सिवा किसी के अधिकार में नहीं। वह सत्य का वर्णन करता है और वही निर्णय करने वालों में सबसे बेहतर है।
43. अर्थात सत्धर्म पर, जो वह़्य द्वारा मुझ पर उतारा गया है। आयत का भावार्थ यह है कि वह़्य (प्रकाशना) की राह ही सत्य और विश्वास तथा ज्ञान की राह है। और जो उसे नहीं मानते, उनके पास शंका और अनुमान के सिवा कुछ नहीं।
Tefsiri na arapskom jeziku:
قُلْ لَّوْ اَنَّ عِنْدِیْ مَا تَسْتَعْجِلُوْنَ بِهٖ لَقُضِیَ الْاَمْرُ بَیْنِیْ وَبَیْنَكُمْ ؕ— وَاللّٰهُ اَعْلَمُ بِالظّٰلِمِیْنَ ۟
आप कह दें : यदि वाक़ई मेरे पास वह चीज़ होती जो तुम जल्दी माँग रहे हो, तो हमारे और तुम्हारे बीच मामले का निर्णय अवश्य कर दिया जाता[44] तथा अल्लाह अत्याचारियों को अधिक जानने वाला है।
44. अर्थात निर्णय का अधिकार अल्लाह को है, जो उसके निर्धारित समय पर हो जाएगा।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَعِنْدَهٗ مَفَاتِحُ الْغَیْبِ لَا یَعْلَمُهَاۤ اِلَّا هُوَ ؕ— وَیَعْلَمُ مَا فِی الْبَرِّ وَالْبَحْرِ ؕ— وَمَا تَسْقُطُ مِنْ وَّرَقَةٍ اِلَّا یَعْلَمُهَا وَلَا حَبَّةٍ فِیْ ظُلُمٰتِ الْاَرْضِ وَلَا رَطْبٍ وَّلَا یَابِسٍ اِلَّا فِیْ كِتٰبٍ مُّبِیْنٍ ۟
और उसी (अल्लाह) के पास ग़ैब (परोक्ष) की कुंजियाँ[45] हैं, उन्हें उसके सिवा कोई नहीं जानता। तथा वह जानता है जो कुछ थल और जल में है और कोई पत्ता नहीं गिरता, परंतु वह उसे जानता है। और धरती के अँधेरों में कोई दाना नहीं और न कोई गीली चीज़ है और न कोई सूखी चीज़, परंतु वह एक स्पष्ट पुस्तक में (अंकित) है।
45. सह़ीह़ ह़दीस में है कि ग़ैब की कुंजियाँ पाँच हैं : अल्लाह ही के पास प्रलय का ज्ञान है। और वही वर्षा करता है। और जो गर्भाशयों में है उसको वही जानता है। तथा कोई जीव नहीं जानता कि वह कल क्या कमाएगा। और न ही यह जानता है कि वह किस भूमि में मरेगा। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4627)
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَهُوَ الَّذِیْ یَتَوَفّٰىكُمْ بِالَّیْلِ وَیَعْلَمُ مَا جَرَحْتُمْ بِالنَّهَارِ ثُمَّ یَبْعَثُكُمْ فِیْهِ لِیُقْضٰۤی اَجَلٌ مُّسَمًّی ۚ— ثُمَّ اِلَیْهِ مَرْجِعُكُمْ ثُمَّ یُنَبِّئُكُمْ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ۟۠
और वही है, जो रात को तुम्हारी रूह़ क़ब्ज़ कर लेता है तथा जानता है जो कुछ तुमने दिन में कमाया। फिर वह तुम्हें उस (दिन) में उठा देता है, ताकि निर्धारित अवधि[46] पूरी की जाए। फिर उसी की ओर तुम्हारा लौटना है, फिर वह तुम्हें बताएगा जो कुछ तुम किया करते थे।
46. अर्थात सांसारिक जीवन की निर्धारित अवधि।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَهُوَ الْقَاهِرُ فَوْقَ عِبَادِهٖ وَیُرْسِلُ عَلَیْكُمْ حَفَظَةً ؕ— حَتّٰۤی اِذَا جَآءَ اَحَدَكُمُ الْمَوْتُ تَوَفَّتْهُ رُسُلُنَا وَهُمْ لَا یُفَرِّطُوْنَ ۟
तथा वही अपने बंदों पर ग़ालिब (हावी) है और वह तुमपर रक्षकों[47] को भेजता है। यहाँ तक कि जब तुममें से किसी को मौत आती है, तो हमारे फ़रिश्ते उसका प्राण निकाल लेते हैं और वे कोताही नहीं करते।
47. अर्थात फ़रिश्तों को तुम्हारे कर्म लिखने के लिए।
Tefsiri na arapskom jeziku:
ثُمَّ رُدُّوْۤا اِلَی اللّٰهِ مَوْلٰىهُمُ الْحَقِّ ؕ— اَلَا لَهُ الْحُكْمُ ۫— وَهُوَ اَسْرَعُ الْحٰسِبِیْنَ ۟
फिर वे अल्लाह की ओर लौटाए जाएँगे, जो उनका वास्तविक स्वामी है। सावधान! उसी को निर्णय करने का अधिकार है और वही सब हिसाब लेने वालों से अधिक शीध्र हिसाब लेने वाला है।
Tefsiri na arapskom jeziku:
قُلْ مَنْ یُّنَجِّیْكُمْ مِّنْ ظُلُمٰتِ الْبَرِّ وَالْبَحْرِ تَدْعُوْنَهٗ تَضَرُّعًا وَّخُفْیَةً ۚ— لَىِٕنْ اَنْجٰىنَا مِنْ هٰذِهٖ لَنَكُوْنَنَّ مِنَ الشّٰكِرِیْنَ ۟
(ऐ नबी!) उनसे पूछिए कि थल तथा जल के अँधेरों में तुम्हें कौन बचाता है? तुम उसे गिड़गिड़ाकर और चुपके-चुपके पुकारते हो कि निःसंदेह यदि वह हमें इससे बचा ले, तो हम अवश्य शुक्र करने वालों में से हो जाएँगे?
Tefsiri na arapskom jeziku:
قُلِ اللّٰهُ یُنَجِّیْكُمْ مِّنْهَا وَمِنْ كُلِّ كَرْبٍ ثُمَّ اَنْتُمْ تُشْرِكُوْنَ ۟
आप कह दें : अल्लाह ही तुम्हें इससे तथा प्रत्येक संकट से बचाता है। फिर (भी) तुम उसका साझी बनाते हो!
Tefsiri na arapskom jeziku:
قُلْ هُوَ الْقَادِرُ عَلٰۤی اَنْ یَّبْعَثَ عَلَیْكُمْ عَذَابًا مِّنْ فَوْقِكُمْ اَوْ مِنْ تَحْتِ اَرْجُلِكُمْ اَوْ یَلْبِسَكُمْ شِیَعًا وَّیُذِیْقَ بَعْضَكُمْ بَاْسَ بَعْضٍ ؕ— اُنْظُرْ كَیْفَ نُصَرِّفُ الْاٰیٰتِ لَعَلَّهُمْ یَفْقَهُوْنَ ۟
आप (उनसे) कह दें : वही इसका सामर्थ्य रखता है कि तुमपर तुम्हारे ऊपर से यातना भेज दे, या तुम्हारे पैरों के नीचे से, या तुम्हें विभिन्न समूह बनाकर परस्पर भिड़ा दे और तुममें से कुछ को कुछ की लड़ाई[48] (का स्वाद) चखा दे। देखिए, हम कैसे आयतों को विभिन्न प्रकार से बयान करते हैं, ताकि वे समझें।
48. ह़दीस में है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने अपनी उम्मत के लिए तीन दुआएँ कीं : मेरी उम्मत का विनाश डूब कर न हो। साधारण आकाल से न हो। और आपस की लड़ाई से न हो। तो पहली दो दुआएँ स्वीकार हूईं और तीसरी से आपको रोक दिया गया। (बुख़ारी : 2216)
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَكَذَّبَ بِهٖ قَوْمُكَ وَهُوَ الْحَقُّ ؕ— قُلْ لَّسْتُ عَلَیْكُمْ بِوَكِیْلٍ ۟ؕ
और (ऐ नबी!) आपकी जाति ने इस (क़ुरआन) को झुठला दिया, हालाँकि वह सत्य है।आप कह दें : मैं हरगिज़ तुमपर कोई निरीक्षक नहीं हूँ।[49]
49. कि तुम्हें बलपूर्वक मनवाऊँ। मेरा दायित्व केवल तुमको अल्लाह का आदेश पहुँचा देना है।
Tefsiri na arapskom jeziku:
لِكُلِّ نَبَاٍ مُّسْتَقَرٌّ ؗ— وَّسَوْفَ تَعْلَمُوْنَ ۟
प्रत्येक सूचना का एक समय नियत है और तुम शीघ्र ही जान लोगे।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَاِذَا رَاَیْتَ الَّذِیْنَ یَخُوْضُوْنَ فِیْۤ اٰیٰتِنَا فَاَعْرِضْ عَنْهُمْ حَتّٰی یَخُوْضُوْا فِیْ حَدِیْثٍ غَیْرِهٖ ؕ— وَاِمَّا یُنْسِیَنَّكَ الشَّیْطٰنُ فَلَا تَقْعُدْ بَعْدَ الذِّكْرٰی مَعَ الْقَوْمِ الظّٰلِمِیْنَ ۟
और जब आप उन लोगों को देखें, जो हमारी आयतों के विषय में (उपहास के साथ) बात करते हैं, तो उनसे मुँह फेर लें, यहाँ तक कि वे उसके अलावा बात में लग जाएँ, और यदि कभी शैतान आपको भुला दे, तो याद आ जाने के बाद ऐसे अत्याचारी लोगों के साथ न बैठें।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَمَا عَلَی الَّذِیْنَ یَتَّقُوْنَ مِنْ حِسَابِهِمْ مِّنْ شَیْءٍ وَّلٰكِنْ ذِكْرٰی لَعَلَّهُمْ یَتَّقُوْنَ ۟
तथा उन लोगों पर जो अल्लाह से डरते हैं, इनके[50] हिसाब का कुछ भार नहीं है, परंतु याद दिलाना[51] है, ताकि वे बच जाएँ।
50. अर्थात जो अल्लाह की आयतों में दोष निकालते हैं। 51. अर्थात समझा देना।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَذَرِ الَّذِیْنَ اتَّخَذُوْا دِیْنَهُمْ لَعِبًا وَّلَهْوًا وَّغَرَّتْهُمُ الْحَیٰوةُ الدُّنْیَا وَذَكِّرْ بِهٖۤ اَنْ تُبْسَلَ نَفْسٌ بِمَا كَسَبَتْ ۖۗ— لَیْسَ لَهَا مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ وَلِیٌّ وَّلَا شَفِیْعٌ ۚ— وَاِنْ تَعْدِلْ كُلَّ عَدْلٍ لَّا یُؤْخَذْ مِنْهَا ؕ— اُولٰٓىِٕكَ الَّذِیْنَ اُبْسِلُوْا بِمَا كَسَبُوْا ۚ— لَهُمْ شَرَابٌ مِّنْ حَمِیْمٍ وَّعَذَابٌ اَلِیْمٌ بِمَا كَانُوْا یَكْفُرُوْنَ ۟۠
तथा आप उन लोगों को छोड़ दें, जिन्होंने अपने धर्म को खेल और मनोरंजन बना लिया और उन्हें सांसारिक जीवन ने धोखे में डाल रखा है। आप इस (क़ुरआन) के द्वारा उपदेश दें कि कहीं कोई प्राणी अपने कमाए हुए के बदले विनाश में न डाल दिया जाए, उसके लिए अल्लाह के सिवा कोई न कोई सहायक हो और न कोई सिफ़ारिश करने वाला। और यदि वह हर प्रकार की छुड़ौती दे, तो उससे न ली जाए।[52] यही लोग हैं जो विनाश के हवाले किए गए, उसके बदले जो उन्होंने कमाया। उनके लिए पीने को खौलता हुआ पानी तथा दर्दनाक यातना है, इस कारण कि वे कुफ़्र करते थे।
52. सांसारिक दंड से बचाव के लिए तीन साधनों से काम लिया जाता है- मैत्री, सिफ़ारिश और अर्थदंड। परंतु अल्लाह के हाँ ऐसे साधन किसी काम नहीं आएँगे। वहाँ केवल ईमान और सत्कर्म ही काम आएँगे।
Tefsiri na arapskom jeziku:
قُلْ اَنَدْعُوْا مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ مَا لَا یَنْفَعُنَا وَلَا یَضُرُّنَا وَنُرَدُّ عَلٰۤی اَعْقَابِنَا بَعْدَ اِذْ هَدٰىنَا اللّٰهُ كَالَّذِی اسْتَهْوَتْهُ الشَّیٰطِیْنُ فِی الْاَرْضِ حَیْرَانَ ۪— لَهٗۤ اَصْحٰبٌ یَّدْعُوْنَهٗۤ اِلَی الْهُدَی ائْتِنَا ؕ— قُلْ اِنَّ هُدَی اللّٰهِ هُوَ الْهُدٰی ؕ— وَاُمِرْنَا لِنُسْلِمَ لِرَبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟ۙ
(ऐ नबी!) कह दीजिए : क्या हम अल्लाह के सिवा उसको पुकारें, जो न हमें लाभ पहुँचा सके और न हमें हानि पहुँचा सके और हम अपनी एड़ियों पर फेर दिए जाएँ, इसके बाद कि अल्लाह ने हमें मार्गदर्शन प्रदान किया है, उस व्यक्ति की तरह जिसे शैतानों ने धरती में बहका दिया, इस हाल में कि चकित है, उसके कुछ साथी हैं जो उसे सीधे मार्ग की ओर बुला रहे हैं कि हमारे पास चला आ।[53] आप कह दें कि निःसंदेह अल्लाह का दर्शाया हुआ मार्ग ही असल मार्ग है और हमें आदेश दिया गया है कि हम सारे संसारों के पालनहार के आज्ञाकारी हो जाएँ।
53. इसमें कुफ़्र और ईमान का उदाहरण दिया गया है कि ईमान की राह निश्चित है और अविश्वास की राह अनिश्चित तथा अनेक है।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَاَنْ اَقِیْمُوا الصَّلٰوةَ وَاتَّقُوْهُ ؕ— وَهُوَ الَّذِیْۤ اِلَیْهِ تُحْشَرُوْنَ ۟
और यह कि नमाज़ स्थापित करो और उस (अल्लाह) से डरो, तथा वही है, जिसकी ओर तुम इकट्ठे किए जाओगे।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَهُوَ الَّذِیْ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ بِالْحَقِّ ؕ— وَیَوْمَ یَقُوْلُ كُنْ فَیَكُوْنُ ؕ۬— قَوْلُهُ الْحَقُّ ؕ— وَلَهُ الْمُلْكُ یَوْمَ یُنْفَخُ فِی الصُّوْرِ ؕ— عٰلِمُ الْغَیْبِ وَالشَّهَادَةِ ؕ— وَهُوَ الْحَكِیْمُ الْخَبِیْرُ ۟
और वही है, जिसने आकाशों तथा धरती की रचना सत्य के साथ की[54] और जिस दिन वह कहेगा "हो जा" तो वह हो जाएगा। उसकी बात सत्य है और उसी का राज्य होगा, जिस दिन सूर में फूँका जाएगा। वह परोक्ष[55] तथा प्रत्यक्ष को जानने वाला है और वही पूर्ण हिकमत वाला, हर चीज़ की खबर रखने वाला है।
54. अर्थात विश्व की व्यवस्था यह बता रही है कि इसका कोई रचयिता है। 55. जिन चीज़ों को हम अपनी पाँच ज्ञान-इंद्रियों से जान लेते हैं वे हमारे लिए प्रत्यक्ष हैं, और जिनका ज्ञान नहीं कर सकते वे परोक्ष हैं।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَاِذْ قَالَ اِبْرٰهِیْمُ لِاَبِیْهِ اٰزَرَ اَتَتَّخِذُ اَصْنَامًا اٰلِهَةً ۚ— اِنِّیْۤ اَرٰىكَ وَقَوْمَكَ فِیْ ضَلٰلٍ مُّبِیْنٍ ۟
तथा जब इबराहीम ने अपने पिता आज़र से कहा : क्या आप मूर्तियों को पूज्य बनाते हो? निःसंदेह मैं आपको तथा आपकी जाति को खुली पथभ्रष्टता में देखता हूँ।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَكَذٰلِكَ نُرِیْۤ اِبْرٰهِیْمَ مَلَكُوْتَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَلِیَكُوْنَ مِنَ الْمُوْقِنِیْنَ ۟
और इसी प्रकार हम इबराहीम को आकाशों तथा धरती का महान राज्य दिखाते थे और ताकि वह परिपूर्ण विश्वास रखने वालों में से हो जाए।
Tefsiri na arapskom jeziku:
فَلَمَّا جَنَّ عَلَیْهِ الَّیْلُ رَاٰ كَوْكَبًا ۚ— قَالَ هٰذَا رَبِّیْ ۚ— فَلَمَّاۤ اَفَلَ قَالَ لَاۤ اُحِبُّ الْاٰفِلِیْنَ ۟
तो जब उसपर रात छा गई, तो उसने एक तारा देखा। कहने लगा : यह मेरा पालनहार है। फिर जब वह डूब गया, तो उसने कहा : मैं डूबने वालों से प्रेम नहीं करता।
Tefsiri na arapskom jeziku:
فَلَمَّا رَاَ الْقَمَرَ بَازِغًا قَالَ هٰذَا رَبِّیْ ۚ— فَلَمَّاۤ اَفَلَ قَالَ لَىِٕنْ لَّمْ یَهْدِنِیْ رَبِّیْ لَاَكُوْنَنَّ مِنَ الْقَوْمِ الضَّآلِّیْنَ ۟
फिर जब उसने चाँद को चमकता हुआ देखा, तो कहा : यह मेरा पालनहार है। फिर जब वह डूब गया, तो उसने कहा : निःसंदेह यदि मेरे पालनहार ने मुझे मार्ग नहीं दिखाया, तो निश्चय मैं अवश्य पथभ्रष्ट लोगों में से हो जाऊँगा।
Tefsiri na arapskom jeziku:
فَلَمَّا رَاَ الشَّمْسَ بَازِغَةً قَالَ هٰذَا رَبِّیْ هٰذَاۤ اَكْبَرُ ۚ— فَلَمَّاۤ اَفَلَتْ قَالَ یٰقَوْمِ اِنِّیْ بَرِیْٓءٌ مِّمَّا تُشْرِكُوْنَ ۟
फिर जब उसने सूर्य को चमकता हुआ देखा, तो कहा : यह मेरा पालनहार है। यह सबसे बड़ा है। फिर जब वह (भी) डूब गया, तो कहने लगे : ऐ मेरी जाति के लोगो! निःसंदेह मैं उससे बरी हूँ, जो तुम (अल्लाह के साथ) साझी बनाते हो।
Tefsiri na arapskom jeziku:
اِنِّیْ وَجَّهْتُ وَجْهِیَ لِلَّذِیْ فَطَرَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ حَنِیْفًا وَّمَاۤ اَنَا مِنَ الْمُشْرِكِیْنَ ۟ۚ
निःसंदेह मैंने एकाग्र होकर अपना चेहरा उसकी ओर कर लिया, जिसने आकाशों तथा धरती को पैदा किया है, और मैं मुश्रिकों में से नहीं हूँ।[56]
56. इबराहीम अलैहिस्सलाम उस युग में नबी हुए जब बाबिल तथा नेनवा के निवासी आकाशीय ग्रहों की पूजा कर रहे थे। परंतु इबराहीम अलैहिस्सलाम पर अल्लाह ने सत्य की राह खोल दी। उन्होंने इन आकाशीय ग्रहों पर विचार किया तथा उनको निकलते और फिर डूबते देखकर यह निर्णय लिया कि ये किसी की रचना तथा उसके अधीन हैं। और इनका रचयिता कोई और है। अतः रचित तथा रचना कभी पूज्य नहीं हो सकती, पूज्य वही हो सकता है जो इन सबका रचयिता तथा व्यवस्थापक है।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَحَآجَّهٗ قَوْمُهٗ ؕ— قَالَ اَتُحَآجُّوْٓنِّیْ فِی اللّٰهِ وَقَدْ هَدٰىنِ ؕ— وَلَاۤ اَخَافُ مَا تُشْرِكُوْنَ بِهٖۤ اِلَّاۤ اَنْ یَّشَآءَ رَبِّیْ شَیْـًٔا ؕ— وَسِعَ رَبِّیْ كُلَّ شَیْءٍ عِلْمًا ؕ— اَفَلَا تَتَذَكَّرُوْنَ ۟
और उसकी जाति ने उससे झगड़ा किया, उसने कहा : क्या तुम मुझसे अल्लाह के विषय में झगड़ते हो, हालाँकि निश्चय उसने मुझे मार्गदर्शन प्रदान किया है तथा मैं उससे नहीं डरता, जिसे तुम उसके साथ साझी बनाते हो। परंतु यह कि मेरा पालनहार कुछ चाहे। मेरे पालनहार ने प्रत्येक वस्तु को अपने ज्ञान से घेर रखा है। तो क्या तुम उपदेश ग्रहण नहीं करते?
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَكَیْفَ اَخَافُ مَاۤ اَشْرَكْتُمْ وَلَا تَخَافُوْنَ اَنَّكُمْ اَشْرَكْتُمْ بِاللّٰهِ مَا لَمْ یُنَزِّلْ بِهٖ عَلَیْكُمْ سُلْطٰنًا ؕ— فَاَیُّ الْفَرِیْقَیْنِ اَحَقُّ بِالْاَمْنِ ۚ— اِنْ كُنْتُمْ تَعْلَمُوْنَ ۟ۘ
और मैं उससे कैसे डरूँ, जिसे तुमने साझी बनाया है, हालाँकि तुम इस बात से नहीं डरते कि निःसंदेह तुमने अल्लाह के साथ उसको साझी बनाया है, जिसकी कोई दलील उसने तुमपर नहीं उतारी, तो दोनों पक्षों में शांति का अधिक हक़दार कौन है, यदि तुम जानते हो?
Tefsiri na arapskom jeziku:
اَلَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَلَمْ یَلْبِسُوْۤا اِیْمَانَهُمْ بِظُلْمٍ اُولٰٓىِٕكَ لَهُمُ الْاَمْنُ وَهُمْ مُّهْتَدُوْنَ ۟۠
जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अपने ईमान को अत्याचार (शिर्क) के साथ नहीं मिलाया[57], यही लोग हैं जिनके लिए शांति है तथा वही मार्गदर्शन पाने वाले हैं।
57. ह़दीस में है कि जब यह आयत उतरी तो नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथियों ने कहा : हममें कौन है जिसने अत्याचार न किया हो? उस समय वह आयत उतरी, जिसका अर्थ यह है कि निश्चय शिर्क (मिश्रणवाद) ही सबसे बड़ा अत्याचार है। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4629)
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَتِلْكَ حُجَّتُنَاۤ اٰتَیْنٰهَاۤ اِبْرٰهِیْمَ عَلٰی قَوْمِهٖ ؕ— نَرْفَعُ دَرَجٰتٍ مَّنْ نَّشَآءُ ؕ— اِنَّ رَبَّكَ حَكِیْمٌ عَلِیْمٌ ۟
यह हमारा तर्क है, जो हमने इबराहीम को उसकी जाति के विरुद्ध प्रदान किया। हम जिसे चाहते है, पदों में ऊँचा[58] कर देते हैं। निःसंदेह आपका पालनहार पूर्ण हिकमत वाला, सब कुछ जानने वाला है।
58. एक व्यक्ति नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के पास आया और कहा : ऐ सर्वोत्तम पुरुष! आपने कहा : वह (सर्वोत्तम पुरुष) इबराहीम (अलैहिस्सलाम) हैं। (सह़ीह़ मुस्लिम : 2369)
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَوَهَبْنَا لَهٗۤ اِسْحٰقَ وَیَعْقُوْبَ ؕ— كُلًّا هَدَیْنَا ۚ— وَنُوْحًا هَدَیْنَا مِنْ قَبْلُ وَمِنْ ذُرِّیَّتِهٖ دَاوٗدَ وَسُلَیْمٰنَ وَاَیُّوْبَ وَیُوْسُفَ وَمُوْسٰی وَهٰرُوْنَ ؕ— وَكَذٰلِكَ نَجْزِی الْمُحْسِنِیْنَ ۟ۙ
और हमने उसे (इबराहीम को) इसहाक़ और याक़ूब प्रदान किए, प्रत्येक को हमने मार्गदर्शन दिया और उससे पहले नूह को मार्गदर्शन प्रदान किया और उसकी संतति में से दाऊद और सुलैमान और अय्यूब और यूसुफ़ और मूसा तथा हारून को। और इसी प्रकार हम नेकी करने वालों को प्रतिफल प्रदान करते हैं।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَزَكَرِیَّا وَیَحْیٰی وَعِیْسٰی وَاِلْیَاسَ ؕ— كُلٌّ مِّنَ الصّٰلِحِیْنَ ۟ۙ
तथा ज़करीया और यह़्या और ईसा और इलयास को। ये सभी सदाचारियों में से थे।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَاِسْمٰعِیْلَ وَالْیَسَعَ وَیُوْنُسَ وَلُوْطًا ؕ— وَكُلًّا فَضَّلْنَا عَلَی الْعٰلَمِیْنَ ۟ۙ
तथा इसमाईल और अल-यसअ, यूनुस और लूत को। और उन सबको हमने संसार वालों पर श्रेष्ठता प्रदान की है।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَمِنْ اٰبَآىِٕهِمْ وَذُرِّیّٰتِهِمْ وَاِخْوَانِهِمْ ۚ— وَاجْتَبَیْنٰهُمْ وَهَدَیْنٰهُمْ اِلٰی صِرَاطٍ مُّسْتَقِیْمٍ ۟
तथा उनके बाप-दादा और उनकी संतानों तथा उनके भाइयों में से भी कुछ को (तौफ़ीक़ दी) और हमने उन्हें चुन लिया और सीधे मार्ग की ओर उनका मार्गदर्शन किया।
Tefsiri na arapskom jeziku:
ذٰلِكَ هُدَی اللّٰهِ یَهْدِیْ بِهٖ مَنْ یَّشَآءُ مِنْ عِبَادِهٖ ؕ— وَلَوْ اَشْرَكُوْا لَحَبِطَ عَنْهُمْ مَّا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟
यह अल्लाह का मार्गदर्शन है, जिसपर वह अपने बंदों में से जिसे चाहता है, चलाता है। और यदि ये लोग शिर्क करते, तो निश्चय उनसे वह सब नष्ट हो जाता जो वे किया करते थे।[59]
59. इन आयतों में अठारह नबियों की चर्चा करने के पश्चात् यह कहा गया है कि यदि ये सब भी शिर्क करते, तो इनके सत्कर्म व्यर्थ हो जाते। जिससे अभिप्राय शिर्क की गंभीरता से सावधान करना है।
Tefsiri na arapskom jeziku:
اُولٰٓىِٕكَ الَّذِیْنَ اٰتَیْنٰهُمُ الْكِتٰبَ وَالْحُكْمَ وَالنُّبُوَّةَ ۚ— فَاِنْ یَّكْفُرْ بِهَا هٰۤؤُلَآءِ فَقَدْ وَكَّلْنَا بِهَا قَوْمًا لَّیْسُوْا بِهَا بِكٰفِرِیْنَ ۟
यही वे लोग हैं जिन्हें हमने पुस्तक, हिकमत एवं नुबुव्वत प्रदान की। फिर यदि ये (मुश्रिक) इन बातों का इनकार करें, तो हमने इन (बातों) के लिए ऐसे लोग नियत किए हैं, जो इनका इनकार करने वाले नहीं।
Tefsiri na arapskom jeziku:
اُولٰٓىِٕكَ الَّذِیْنَ هَدَی اللّٰهُ فَبِهُدٰىهُمُ اقْتَدِهْ ؕ— قُلْ لَّاۤ اَسْـَٔلُكُمْ عَلَیْهِ اَجْرًا ؕ— اِنْ هُوَ اِلَّا ذِكْرٰی لِلْعٰلَمِیْنَ ۟۠
यही वे लोग हैं, जिन्हें अल्लाह ने मार्गदर्शन प्रदान किया, तो आप उनके मार्गदर्शन का अनुसरण करें। आप कह दें : मैं इस (कार्य) पर[60] तुमसे कोई बदला नहीं माँगता। यह तो सारे संसारों के लिए एक उपदेश के सिवा कुछ नहीं।
60. अर्थात इस्लाम का उपदेश देने पर।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَمَا قَدَرُوا اللّٰهَ حَقَّ قَدْرِهٖۤ اِذْ قَالُوْا مَاۤ اَنْزَلَ اللّٰهُ عَلٰی بَشَرٍ مِّنْ شَیْءٍ ؕ— قُلْ مَنْ اَنْزَلَ الْكِتٰبَ الَّذِیْ جَآءَ بِهٖ مُوْسٰی نُوْرًا وَّهُدًی لِّلنَّاسِ تَجْعَلُوْنَهٗ قَرَاطِیْسَ تُبْدُوْنَهَا وَتُخْفُوْنَ كَثِیْرًا ۚ— وَعُلِّمْتُمْ مَّا لَمْ تَعْلَمُوْۤا اَنْتُمْ وَلَاۤ اٰبَآؤُكُمْ ؕ— قُلِ اللّٰهُ ۙ— ثُمَّ ذَرْهُمْ فِیْ خَوْضِهِمْ یَلْعَبُوْنَ ۟
तथा उन्होंने अल्लाह की महिमा नहीं की, जो उसकी महिमा का हक़ था, जब उन्होंने कहा कि अल्लाह ने किसी मनुष्य पर कोई चीज़ नहीं उतारी। कहो : वह पुस्तक किसने उतारी, जो मूसा लेकर आए? जो लोगों के लिए प्रकाश तथा मार्गदर्शन थी, तुम उसे पन्नों में करके रखते हो, जिन्हें तुम प्रकट करते हो और बहुत-से छिपाते हो, तथा तुम्हें वह ज्ञान दिया गया, जिसे न तुम जानते थे और न तुम्हारे बाप-दादा। आप कह दें कि अल्लाह ने। फिर उन्हें छोड़ दें अपनी व्यर्थ की चर्चा में खेलते रहें।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَهٰذَا كِتٰبٌ اَنْزَلْنٰهُ مُبٰرَكٌ مُّصَدِّقُ الَّذِیْ بَیْنَ یَدَیْهِ وَلِتُنْذِرَ اُمَّ الْقُرٰی وَمَنْ حَوْلَهَا ؕ— وَالَّذِیْنَ یُؤْمِنُوْنَ بِالْاٰخِرَةِ یُؤْمِنُوْنَ بِهٖ وَهُمْ عَلٰی صَلَاتِهِمْ یُحَافِظُوْنَ ۟
तथा यह (क़ुरआन) एक पुस्तक है, जिसे हमने उतारा है, बड़ी बरकत वाली है, उसकी पुष्टि करने वाली है जो उससे पहले है, और ताकि आप बस्तियों के केंद्र (मक्का) तथा उसके चारों ओर के लोगों को डराएँ[61], तथा जो लोग आख़िरत पर ईमान रखते हैं, वे इसपर ईमान लाते हैं और वे अपनी नमाज़ों की रक्षा[62] करते हैं।
61. अर्थात पूरे मानव संसार को अल्लाह की अवज्ञा के दुष्परिणाम से सावधान करें। इसमें यह संकेत है कि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पूरे मानव संसार के पथपर्दर्शक तथा क़ुरआन सबके लिए मार्गदर्शन है। और आप केवल किसी एक जाति या क्षेत्र अथवा देश के लिए नबी नहीं हैं। 62. अर्थात नमाज़ उसके निर्धारित समय पर बराबर पढ़ते हैं।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنِ افْتَرٰی عَلَی اللّٰهِ كَذِبًا اَوْ قَالَ اُوْحِیَ اِلَیَّ وَلَمْ یُوْحَ اِلَیْهِ شَیْءٌ وَّمَنْ قَالَ سَاُنْزِلُ مِثْلَ مَاۤ اَنْزَلَ اللّٰهُ ؕ— وَلَوْ تَرٰۤی اِذِ الظّٰلِمُوْنَ فِیْ غَمَرٰتِ الْمَوْتِ وَالْمَلٰٓىِٕكَةُ بَاسِطُوْۤا اَیْدِیْهِمْ ۚ— اَخْرِجُوْۤا اَنْفُسَكُمْ ؕ— اَلْیَوْمَ تُجْزَوْنَ عَذَابَ الْهُوْنِ بِمَا كُنْتُمْ تَقُوْلُوْنَ عَلَی اللّٰهِ غَیْرَ الْحَقِّ وَكُنْتُمْ عَنْ اٰیٰتِهٖ تَسْتَكْبِرُوْنَ ۟
और उससे बढ़कर अत्याचारी कौन है, जो अल्लाह पर झूठ गढ़े, या कहे कि मेरी ओर वह़्य (प्रकाशना) की गई है, हालाँकि उसकी ओर कोई चीज़ वह़्य (प्रकाशना) नहीं की गई तथा जो कहे कि अल्लाह ने जो उतारा है, उसके समान मैं (भी) उतार दूँगा। और काश! (ऐ नबी!) आप देखें जब अत्याचारी लोग मौत की कठिनाइयों में होते हैं और फ़रिश्ते अपने हाथ फैलाए हुए होते हैं, (कहते हैं) : निकालो अपने प्राण! आज तुम्हें अपमानजनक यातना दी जाएगी, इस कारण कि तुम अल्लाह पर अनुचित (झूठ) बातें कहते थे और तुम उसकी आयतों (को मानने) से अभिमान करते थे।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَلَقَدْ جِئْتُمُوْنَا فُرَادٰی كَمَا خَلَقْنٰكُمْ اَوَّلَ مَرَّةٍ وَّتَرَكْتُمْ مَّا خَوَّلْنٰكُمْ وَرَآءَ ظُهُوْرِكُمْ ۚ— وَمَا نَرٰی مَعَكُمْ شُفَعَآءَكُمُ الَّذِیْنَ زَعَمْتُمْ اَنَّهُمْ فِیْكُمْ شُرَكٰٓؤُا ؕ— لَقَدْ تَّقَطَّعَ بَیْنَكُمْ وَضَلَّ عَنْكُمْ مَّا كُنْتُمْ تَزْعُمُوْنَ ۟۠
तथा निःसंदेह तुम हमारे पास अकेले-अकेले आए हो, जैसे हमने तुम्हें प्रथम बार पैदा किया था, तथा हमने जो कुछ तु्म्हें दिया था, अपनी पीठों के पीछे छोड़ आए हो और हम तुम्हारे साथ तुम्हारे उन सिफ़ारिशियों को नहीं देखते, जिनके बारे में तुम्हारा भ्रम था कि निःसंदेह वे तुम्हारे कामों में (अल्लाह के) साझी हैं? निश्चय तुम्हारे बीच का संबंध कट गया और तुमसे गुम हो गया, जो कुछ तुम गुमान किया करते थे।
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اِنَّ اللّٰهَ فَالِقُ الْحَبِّ وَالنَّوٰی ؕ— یُخْرِجُ الْحَیَّ مِنَ الْمَیِّتِ وَمُخْرِجُ الْمَیِّتِ مِنَ الْحَیِّ ؕ— ذٰلِكُمُ اللّٰهُ فَاَنّٰی تُؤْفَكُوْنَ ۟
निःसंदेह अल्लाह ही दाने तथा गुठलियों को फाड़ने वाला है। वह सजीव को निर्जीव से निकालता है तथा निर्जीव को सजीव से निकालने वाला है। यही अल्लाह है, फिर तुम कहाँ बहकाए जाते हो?
Tefsiri na arapskom jeziku:
فَالِقُ الْاِصْبَاحِ ۚ— وَجَعَلَ الَّیْلَ سَكَنًا وَّالشَّمْسَ وَالْقَمَرَ حُسْبَانًا ؕ— ذٰلِكَ تَقْدِیْرُ الْعَزِیْزِ الْعَلِیْمِ ۟
(वही) पौ फाड़ने वाला है और उसी ने रात को आराम के लिए तथा सूर्य और चाँद को हिसाब का साधन बनाया। यह अति प्रभुत्वशाली, सब कुछ जानने वाले का ठहराया हुआ अंदाज़ा[63] है।
63. जिसमें एक पल की भी कमी अथवा अधिकता नहीं होती।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَهُوَ الَّذِیْ جَعَلَ لَكُمُ النُّجُوْمَ لِتَهْتَدُوْا بِهَا فِیْ ظُلُمٰتِ الْبَرِّ وَالْبَحْرِ ؕ— قَدْ فَصَّلْنَا الْاٰیٰتِ لِقَوْمٍ یَّعْلَمُوْنَ ۟
तथा वही है जिसने तुम्हारे लिए तारे बनाए, ताकि तुम उनके द्वारा थल और समुद्र के अँधेरों में मार्ग पा सको। निःसंदेह हमने उन लोगों के लिए खोलकर निशानियाँ बयान कर दी हैं, जो ज्ञान रखते हैं।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَهُوَ الَّذِیْۤ اَنْشَاَكُمْ مِّنْ نَّفْسٍ وَّاحِدَةٍ فَمُسْتَقَرٌّ وَّمُسْتَوْدَعٌ ؕ— قَدْ فَصَّلْنَا الْاٰیٰتِ لِقَوْمٍ یَّفْقَهُوْنَ ۟
वही है, जिसने तुम्हें एक जान से पैदा किया। फिर एक ठहरने का स्थान और एक सौंपे जाने का स्थान है। निःसंदहे हमने उन लोगों के लिए निशानियाँ खोलकर बयान कर दी हैं, जो समझते हैं।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَهُوَ الَّذِیْۤ اَنْزَلَ مِنَ السَّمَآءِ مَآءً ۚ— فَاَخْرَجْنَا بِهٖ نَبَاتَ كُلِّ شَیْءٍ فَاَخْرَجْنَا مِنْهُ خَضِرًا نُّخْرِجُ مِنْهُ حَبًّا مُّتَرَاكِبًا ۚ— وَمِنَ النَّخْلِ مِنْ طَلْعِهَا قِنْوَانٌ دَانِیَةٌ ۙ— وَّجَنّٰتٍ مِّنْ اَعْنَابٍ وَّالزَّیْتُوْنَ وَالرُّمَّانَ مُشْتَبِهًا وَّغَیْرَ مُتَشَابِهٍ ؕ— اُنْظُرُوْۤا اِلٰی ثَمَرِهٖۤ اِذَاۤ اَثْمَرَ وَیَنْعِهٖ ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكُمْ لَاٰیٰتٍ لِّقَوْمٍ یُّؤْمِنُوْنَ ۟
तथा वही है जिसने आकाश से कुछ पानी उतारा, फिर हमने उसके द्वारा प्रत्येक प्रकार के पौधे निकाले। फिर हमने उससे हरियाली निकाली। जिसमें से हम तह-ब-तह चढ़े हुए दाने निकालते हैं तथा खजूर के पेड़ों से उनके गाभे से झुके हुए गुच्छे हैं तथा अंगूरों के बाग़ और ज़ैतून और अनार मिलते-जुलते और न मिलने-जुलने वाले। उसके फल को देखो, जब वह फल लाए तथा उसके पकने की ओर। निःसंदेह इनमें उन लोगों के लिए निश्चय बहुत-सी निशानियाँ[64] हैं, जो ईमान लाते हैं।
64. अर्थात अल्लाह के पालनहार होने की निशानियाँ। आयत का भावार्थ यह है कि जब अल्लाह ने तुम्हारे आर्थिक जीवन के साधन बनाए हैं, तो फिर तुम्हारे आत्मिक जीवन के सुधार के लिए भी प्रकाशना और पुस्तक द्वारा तुम्हारे मार्गदर्शन की व्यवस्था की है, तो तुम्हें उसपर आश्चर्य क्यों है तथा इसे अस्वीकार क्यों करते हो?
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَجَعَلُوْا لِلّٰهِ شُرَكَآءَ الْجِنَّ وَخَلَقَهُمْ وَخَرَقُوْا لَهٗ بَنِیْنَ وَبَنٰتٍ بِغَیْرِ عِلْمٍ ؕ— سُبْحٰنَهٗ وَتَعٰلٰی عَمَّا یَصِفُوْنَ ۟۠
और उन्होंने जिन्नों को अल्लाह का साझी बना दिया। हालाँकि उस (अल्लाह) ने उन्हें पैदा किया है, तथा बिना कुछ ज्ञान के उसके लिए बेटे और बेटियाँ गढ़ लीं। वह पवित्र तथा सर्वोच्च है, उन बातों से, जो वे बयान करते हैं।
Tefsiri na arapskom jeziku:
بَدِیْعُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— اَنّٰی یَكُوْنُ لَهٗ وَلَدٌ وَّلَمْ تَكُنْ لَّهٗ صَاحِبَةٌ ؕ— وَخَلَقَ كُلَّ شَیْءٍ ۚ— وَهُوَ بِكُلِّ شَیْءٍ عَلِیْمٌ ۟
वह आकाशों तथा धरती का अविष्कारक है, उसकी संतान कैसे होगी, जबकि उसकी कोई पत्नी नहीं? तथा उसी ने हर चीज़ पैदा की और वह प्रत्येक वस्तु को भली-भाँति जानने वाला है।
Tefsiri na arapskom jeziku:
ذٰلِكُمُ اللّٰهُ رَبُّكُمْ ۚ— لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ۚ— خَالِقُ كُلِّ شَیْءٍ فَاعْبُدُوْهُ ۚ— وَهُوَ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ وَّكِیْلٌ ۟
यही अल्लाह तुम्हारा पालनहार है, उसके सिवा कोई सच्चा पूज्य नहीं, हर चीज़ का स्रष्टा है। अतः तुम उसी की इबादत करो तथा वह हर चीज़ का निरीक्षक है।
Tefsiri na arapskom jeziku:
لَا تُدْرِكُهُ الْاَبْصَارُ ؗ— وَهُوَ یُدْرِكُ الْاَبْصَارَ ۚ— وَهُوَ اللَّطِیْفُ الْخَبِیْرُ ۟
उसे निगाहें नहीं पातीं[65] और वह सब निगाहों को पाता है और वही अत्यंत सूक्ष्मदर्शी, सब ख़बर रखने वाला है।
65. अर्थात इस संसार में उसे कोई नहीं देख सकता।
Tefsiri na arapskom jeziku:
قَدْ جَآءَكُمْ بَصَآىِٕرُ مِنْ رَّبِّكُمْ ۚ— فَمَنْ اَبْصَرَ فَلِنَفْسِهٖ ۚ— وَمَنْ عَمِیَ فَعَلَیْهَا ؕ— وَمَاۤ اَنَا عَلَیْكُمْ بِحَفِیْظٍ ۟
निःसंदेह तुम्हारे पास तुम्हारे पालनहार की ओर से कई निशानियाँ आ चुकीं। फिर जिसने देख लिया, तो उसका लाभ उसी के लिए है और जो अंधा रहा, तो उसकी हानि उसी पर है और मैं तुमपर कोई संरक्षक[66] नहीं।
66. अर्थात नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) सत्धर्म के प्रचारक हैं।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَكَذٰلِكَ نُصَرِّفُ الْاٰیٰتِ وَلِیَقُوْلُوْا دَرَسْتَ وَلِنُبَیِّنَهٗ لِقَوْمٍ یَّعْلَمُوْنَ ۟
और इसी प्रकार, हम आयतों को विविध ढंग से बयान करते हैं और ताकि वे (मुश्रिक) कहें : आपने पढ़ा[67] है, और ताकि हम उसे उन लोगों के लिए उजागर कर दें, जो ज्ञान रखते हैं।
67. अर्थात काफ़िर यह कहें कि आपने यह अह्ले किताब से सीख लिया है और इसे अस्वीकार कर दें। (इब्ने कसीर)
Tefsiri na arapskom jeziku:
اِتَّبِعْ مَاۤ اُوْحِیَ اِلَیْكَ مِنْ رَّبِّكَ ۚ— لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ۚ— وَاَعْرِضْ عَنِ الْمُشْرِكِیْنَ ۟
आप उसका पालन करें, जो आपकी ओर आपके पालनहार की तरफ़ से वह़्य की गई है, उसके सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं और मुश्रिकों से किनारा कर लें।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَلَوْ شَآءَ اللّٰهُ مَاۤ اَشْرَكُوْا ؕ— وَمَا جَعَلْنٰكَ عَلَیْهِمْ حَفِیْظًا ۚ— وَمَاۤ اَنْتَ عَلَیْهِمْ بِوَكِیْلٍ ۟
और यदि अल्लाह चाहता, तो वे लोग साझी न बनाते, तथा हमने आपको उनपर संरक्षक नहीं बनाया और न आप उनके कोई निरीक्षक हैं।[68]
68. आयत का भावार्थ यह है कि नबी का यह कर्तव्य नहीं कि वह सबको सीधी राह दिखा दे। उसका कर्तव्य केवल अल्लाह का संदेश पहुँचा देना है।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَلَا تَسُبُّوا الَّذِیْنَ یَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ فَیَسُبُّوا اللّٰهَ عَدْوًا بِغَیْرِ عِلْمٍ ؕ— كَذٰلِكَ زَیَّنَّا لِكُلِّ اُمَّةٍ عَمَلَهُمْ ۪— ثُمَّ اِلٰی رَبِّهِمْ مَّرْجِعُهُمْ فَیُنَبِّئُهُمْ بِمَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟
और (ऐ ईमान वालो!) उन्हें बुरा न कहो, जिन्हें ये (मुश्रिक) अल्लाह के सिवा पुकारते हैं। अन्यथा, वे अतिक्रम करते हुए अज्ञानतावश अल्लाह को बुरा कहेंगे। इसी प्रकार, हमने प्रत्येक समुदाय के लिए उनके कर्म को सुशोभित कर दिया है। फिर उनके पालनहार ही की ओर उनका लौटना है, तो वह उन्हें बताएगा, जो कुछ वे किया करते थे।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَاَقْسَمُوْا بِاللّٰهِ جَهْدَ اَیْمَانِهِمْ لَىِٕنْ جَآءَتْهُمْ اٰیَةٌ لَّیُؤْمِنُنَّ بِهَا ؕ— قُلْ اِنَّمَا الْاٰیٰتُ عِنْدَ اللّٰهِ وَمَا یُشْعِرُكُمْ ۙ— اَنَّهَاۤ اِذَا جَآءَتْ لَا یُؤْمِنُوْنَ ۟
और उन्होंने अपनी मज़बूत क़समें खाते हुए अल्लाह की क़सम खाई कि निःसंदेह यदि उनके पास कोई आयत (निशानी) आई, तो वे उसपर अवश्य ही ईमान लाएँगे। आप कह दें : आयतें (निशानियाँ) तो केवल अल्लाह के पास हैं और (ऐ ईमान वालो!) तुम्हें क्या पता कि निःसंदेह वे निशानियाँ जब आ जाएँगी, तो वे ईमान नहीं लाएँगे।[69]
69. मक्का के मुश्रिकों ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से कहा कि यदि सफ़ा (पर्वत) सोने का हो जाए, तो वे ईमान ले आएँगे। कुछ मुसलमानों ने भी सोचा कि यदि ऐसा हो जाए, तो संभव है कि वे ईमान ले आएँ। इसी पर यह आयत उतरी। (इब्ने कसीर)
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَنُقَلِّبُ اَفْـِٕدَتَهُمْ وَاَبْصَارَهُمْ كَمَا لَمْ یُؤْمِنُوْا بِهٖۤ اَوَّلَ مَرَّةٍ وَّنَذَرُهُمْ فِیْ طُغْیَانِهِمْ یَعْمَهُوْنَ ۟۠
और हम उनके दिलों और उनकी आँखों को फेर देंगे[70], जैसे वे पहली बार इस (क़ुरआन) पर ईमान नहीं लाए और हम उन्हें छोड़ देंगे, अपनी सरकशी में भटकते फिरेंगे।
70. अर्थात कोई चमत्कार आ जाने के पश्चात् भी ईमान नहीं लाएँगे, क्योंकि अल्लाह, जिसे सुपथ दर्शाना चाहता है, वह सत्य को सुनते ही उसे स्वीकार कर लेता है। किंतु जिसने सत्य के विरोध ही को अपना आचरण-स्वभाव बना लिया हो, तो वह चमत्कार देखकर भी कोई बहाना बना लेता है और ईमान नहीं लाता। जैसे इससे पहले नबियों के साथ हो चुका है। और स्वयं नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने बहुत-सी निशानियाँ दिखाईं, फिर भी ये मुश्रिक ईमान नहीं लाए। जैसे आपने मक्का वासियों की माँग पर चाँद के दो भाग कर दिए। जिन दोनों के बीच लोगों ने ह़िरा (पर्वत) को देखा। (परंतु वे फिर भी ईमान नहीं लाए) (सह़ीह़ बुख़ारी : 3637, मुस्लिम : 2802)
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَلَوْ اَنَّنَا نَزَّلْنَاۤ اِلَیْهِمُ الْمَلٰٓىِٕكَةَ وَكَلَّمَهُمُ الْمَوْتٰی وَحَشَرْنَا عَلَیْهِمْ كُلَّ شَیْءٍ قُبُلًا مَّا كَانُوْا لِیُؤْمِنُوْۤا اِلَّاۤ اَنْ یَّشَآءَ اللّٰهُ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ یَجْهَلُوْنَ ۟
और यदि हम उनकी ओर फ़रिश्ते उतार देते और उनसे मुर्दे बातें करते और हम प्रत्येक चीज़ उनके सामने लाकर इकट्ठा कर देते, तो भी वे ऐसे न थे कि ईमान लाते, परंतु यह कि अल्लाह चाहे, लेकिन उनमें से अधिकतर लोग अज्ञानता से काम लेते हैं।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَكَذٰلِكَ جَعَلْنَا لِكُلِّ نَبِیٍّ عَدُوًّا شَیٰطِیْنَ الْاِنْسِ وَالْجِنِّ یُوْحِیْ بَعْضُهُمْ اِلٰی بَعْضٍ زُخْرُفَ الْقَوْلِ غُرُوْرًا ؕ— وَلَوْ شَآءَ رَبُّكَ مَا فَعَلُوْهُ فَذَرْهُمْ وَمَا یَفْتَرُوْنَ ۟
और (ऐ नबी!) इसी प्रकार, हमने हर नबी के लिए मनुष्यों एवं जिन्नों के शैतानों को शत्रु बना दिया, जो धोखा देने के लिए एक-दूसरे के मन में चिकनी-चुपड़ी बात डालते रहते हैं। और यदि आपका पालनहार चाहता, तो वे ऐसा न करते। तो आप उन्हें छोड़ दें और जो वे झूठ गढ़ते हैं।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَلِتَصْغٰۤی اِلَیْهِ اَفْـِٕدَةُ الَّذِیْنَ لَا یُؤْمِنُوْنَ بِالْاٰخِرَةِ وَلِیَرْضَوْهُ وَلِیَقْتَرِفُوْا مَا هُمْ مُّقْتَرِفُوْنَ ۟
और ताकि उन लोगों के दिल उस (सुशोभित झूठ) की ओर झुक जाएँ, जो आख़िरत पर विश्वास नहीं रखते और ताकि वे उसे पसंद करें और ताकि वे भी वही कुकर्म करने लगें, जो ये करने वाले हैं।
Tefsiri na arapskom jeziku:
اَفَغَیْرَ اللّٰهِ اَبْتَغِیْ حَكَمًا وَّهُوَ الَّذِیْۤ اَنْزَلَ اِلَیْكُمُ الْكِتٰبَ مُفَصَّلًا ؕ— وَالَّذِیْنَ اٰتَیْنٰهُمُ الْكِتٰبَ یَعْلَمُوْنَ اَنَّهٗ مُنَزَّلٌ مِّنْ رَّبِّكَ بِالْحَقِّ فَلَا تَكُوْنَنَّ مِنَ الْمُمْتَرِیْنَ ۟
तो क्या मैं अल्लाह के सिवा कोई और न्यायकर्ता तलाश करूँ, हालाँकि उसी ने तुम्हारी ओर यह विस्तारपूर्ण पुस्तक उतारी[71] है? तथा जिन लोगों को हमने पुस्तक[72] प्रदान की है, वे जानते हैं कि निश्चय यह आपके पालनहार की ओर से सत्य के साथ अवतरित की गई है। अतः आप हरगिज़ संदेह करने वालों में से न हों।
71. अर्थात इसमें निर्णय के नियमों का विवरण है। 72. अर्थात जब नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर जिबरील प्रथम वह़्य लाए और आपने मक्का के ईसाई विद्वान वरक़ा बिन नौफ़ल को बताया, तो उसने कहा कि यह वही फ़रिश्ता है जिसे अल्लाह ने मूसा पर उतारा था। (बुख़ारी : 3, मुस्लिम : 160) इसी प्रकार मदीना के यहूदी विद्वान अब्दुल्लाह बिन सलाम ने भी नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को माना और इस्लाम लाए।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَتَمَّتْ كَلِمَتُ رَبِّكَ صِدْقًا وَّعَدْلًا ؕ— لَا مُبَدِّلَ لِكَلِمٰتِهٖ ۚ— وَهُوَ السَّمِیْعُ الْعَلِیْمُ ۟
आपके पालनहार की बात सत्य एवं न्याय की दृष्टि से पूरी हो गई। उसकी बातों को कोई बदलने वाला नहीं। और वही सब कुछ सुनने वाला, सब कुछ जानने वाला है।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَاِنْ تُطِعْ اَكْثَرَ مَنْ فِی الْاَرْضِ یُضِلُّوْكَ عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ ؕ— اِنْ یَّتَّبِعُوْنَ اِلَّا الظَّنَّ وَاِنْ هُمْ اِلَّا یَخْرُصُوْنَ ۟
और (ऐ नबी!) यदि आप उन लोगों में से अधिकतर का कहना मानें जो धरती पर हैं, तो वे आपको अल्लाह के मार्ग से भटका देंगे। वे तो केवल अनुमान का पालन करते[73] हैं और वे इसके सिवा कुछ नहीं कि अटकल दौड़ाते हैं।
73. आयत का भावार्थ यह है कि सत्यासत्य का निर्णय उसके अनुयायियों की संख्या से नहीं, सत्य के मूल नियमों से ही किया जा सकता है। आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहा : मेरी उम्मत के 72 संप्रदाय नरक में जाएँगे। और एक स्वर्ग में जाएगा। और वह, वह होगा जो मेरे और मेरे साथियों के पथ पर होगा। (तिर्मिज़ी : 263)
Tefsiri na arapskom jeziku:
اِنَّ رَبَّكَ هُوَ اَعْلَمُ مَنْ یَّضِلُّ عَنْ سَبِیْلِهٖ ۚ— وَهُوَ اَعْلَمُ بِالْمُهْتَدِیْنَ ۟
निःसंदेह आपका पालनहार ही उसे भली-भाँति जानने वाला है, जो उसके मार्ग से भटकता है तथा वही मार्गदर्शन पाने वालों को खूब जानने वाला है।
Tefsiri na arapskom jeziku:
فَكُلُوْا مِمَّا ذُكِرَ اسْمُ اللّٰهِ عَلَیْهِ اِنْ كُنْتُمْ بِاٰیٰتِهٖ مُؤْمِنِیْنَ ۟
तो तुम उसमें से खाओ, जिसपर (ज़बह करते समय) अल्लाह का नाम लिया गया[74] है, यदि तुम उसकी आयतों पर ईमान रखने वाले हो।
74. इसका अर्थ यह है कि वध करते समय जिस जानवर पर अल्लाह का नाम न लिया गया हो, बल्कि देवी-देवता तथा पीर-फ़क़ीर के नाम पर बलि दिया गया हो, तो वह तुम्हारे लिए वर्जित है। (इब्ने कसीर)
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَمَا لَكُمْ اَلَّا تَاْكُلُوْا مِمَّا ذُكِرَ اسْمُ اللّٰهِ عَلَیْهِ وَقَدْ فَصَّلَ لَكُمْ مَّا حَرَّمَ عَلَیْكُمْ اِلَّا مَا اضْطُرِرْتُمْ اِلَیْهِ ؕ— وَاِنَّ كَثِیْرًا لَّیُضِلُّوْنَ بِاَهْوَآىِٕهِمْ بِغَیْرِ عِلْمٍ ؕ— اِنَّ رَبَّكَ هُوَ اَعْلَمُ بِالْمُعْتَدِیْنَ ۟
और तुम्हें क्या है कि तुम उसमें से न खाओ, जिसपर अल्लाह का नाम लिया गया[75] है, हालाँकि निःसंदेह उसने तुम्हारे लिए वे चीज़ें खोलकर बयान कर दी हैं, जो उसने तुमपर हराम की हैं, परंतु जिसकी ओर तुम विवश कर दिए जाओ।[76] और निःसंदेह बहुत-से लोग बिना किसी जानकारी के, अपनी इच्छाओं के द्वारा (लोगों को) पथभ्रष्ट करते हैं। निःसंदेह आपका पालनहार ही हद से बढ़ने वालों को अधिक जानने वाला है।
75. अर्थात उन पशुओं को खाने में कोई हर्ज नहीं, जो मुसलसानों की दुकानों में मिलते हैं। क्योंकि कोई मुसलमान अल्लाह का नाम लिए बिना वध नहीं करता। और यदि शंका हो, तो खाते समय 'बिस्मिल्लाह' कह ले। जैसा कि ह़दीस शरीफ़ में आया है। (देखिए : बुख़ारी : 5507) 76. अर्थात उस वर्जित को प्राण रक्षा के लिए खाना उचित है।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَذَرُوْا ظَاهِرَ الْاِثْمِ وَبَاطِنَهٗ ؕ— اِنَّ الَّذِیْنَ یَكْسِبُوْنَ الْاِثْمَ سَیُجْزَوْنَ بِمَا كَانُوْا یَقْتَرِفُوْنَ ۟
तथा (ऐ लोगो!) खुले पाप छोड़ दो और उसके छिपे को भी। निःसंदेह जो लोग पाप कमाते हैं, वे शीघ्र ही उसका बदला दिए जाएँगे जो वे किया करते थे।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَلَا تَاْكُلُوْا مِمَّا لَمْ یُذْكَرِ اسْمُ اللّٰهِ عَلَیْهِ وَاِنَّهٗ لَفِسْقٌ ؕ— وَاِنَّ الشَّیٰطِیْنَ لَیُوْحُوْنَ اِلٰۤی اَوْلِیٰٓـِٕهِمْ لِیُجَادِلُوْكُمْ ۚ— وَاِنْ اَطَعْتُمُوْهُمْ اِنَّكُمْ لَمُشْرِكُوْنَ ۟۠
तथा उसमें से न खाओ, जिसपर अल्लाह का नाम न लिया गया हो, तथा निःसंदेह यह (खाना) सर्वथा अवज्ञा है। तथा निःसंदेह शैतान अपने मित्रों के मन में संशय डालते रहते हैं, ताकि वे तुमसे झगड़ा करें।[77] और यदि तुमने उनका कहा मान लिया, तो निःसंदेह तुम निश्चय बहुदेववादी हो।
77. अर्थात यह कहे कि जिसे अल्लाह ने मारा हो, उसे नहीं खाते। और जिसे तुमने वध किया हो उसे खाते हो? (इब्ने कसीर)
Tefsiri na arapskom jeziku:
اَوَمَنْ كَانَ مَیْتًا فَاَحْیَیْنٰهُ وَجَعَلْنَا لَهٗ نُوْرًا یَّمْشِیْ بِهٖ فِی النَّاسِ كَمَنْ مَّثَلُهٗ فِی الظُّلُمٰتِ لَیْسَ بِخَارِجٍ مِّنْهَا ؕ— كَذٰلِكَ زُیِّنَ لِلْكٰفِرِیْنَ مَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟
क्या वह व्यक्ति जो मृत था, फिर हमने उसे जीवित किया तथा उसके लिए ऐसा प्रकाश बना दिया, जिसके साथ वह लोगों में चलता-फिरता है, उस व्यक्ति की तरह है जिसका हाल यह है कि वह अँधेरों में है, उनसे कदापि निकलने वाला नहीं?[78] इसी प्रकार काफ़िरों के लिए वे कार्य सुंदर बना दिए गए, जो वे किया करते थे।
78. इस आयत में ईमान की उपमा जीवन से तथा ज्ञान की प्रकाश से, और अविश्वास की मरण तथा अज्ञानता की उपमा अंधकारों से दी गई है।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَكَذٰلِكَ جَعَلْنَا فِیْ كُلِّ قَرْیَةٍ اَكٰبِرَ مُجْرِمِیْهَا لِیَمْكُرُوْا فِیْهَا ؕ— وَمَا یَمْكُرُوْنَ اِلَّا بِاَنْفُسِهِمْ وَمَا یَشْعُرُوْنَ ۟
और इसी प्रकार हमने प्रत्येक बस्ती में सबसे बड़े उसके अपराधियों को बना दिया, ताकि वे उसमें चालें चलें।[79] हालाँकि वे अपने ही विरुद्ध चालें चलते है, परंतु वे नहीं समझते।
79. भावार्थ यह है कि जब किसी नगर में कोई सत्य का प्रचारक खड़ा होता है, तो वहाँ के प्रमुखों को यह भय होता है कि हमारा अधिकार समाप्त हो जाएगा। इसलिए वे सत्य के विरोधी बन जाते हैं। और उसके विरुद्ध षड्यंत्र रचने लगते हैं। मक्का के प्रमुखों ने भी यही नीति अपना रखी थी।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَاِذَا جَآءَتْهُمْ اٰیَةٌ قَالُوْا لَنْ نُّؤْمِنَ حَتّٰی نُؤْتٰی مِثْلَ مَاۤ اُوْتِیَ رُسُلُ اللّٰهِ ؔۘؕ— اَللّٰهُ اَعْلَمُ حَیْثُ یَجْعَلُ رِسَالَتَهٗ ؕ— سَیُصِیْبُ الَّذِیْنَ اَجْرَمُوْا صَغَارٌ عِنْدَ اللّٰهِ وَعَذَابٌ شَدِیْدٌۢ بِمَا كَانُوْا یَمْكُرُوْنَ ۟
और जब उनके पास कोई निशानी आती है, तो कहते हैं कि हम कदापि ईमान नहीं लाएँगे, यहाँ तक कि हमें उस जैसा दिया जाए, जो अल्लाह के रसूलों को दिया गया। अल्लाह अधिक जानने वाला है जहाँ वह अपनी पैग़ंबरी रखता है। शीघ्र ही उन लोगों को जिन्होंने अपराध किए, अल्लाह के पास बड़े अपमान तथा कड़ी यातना का सामना करना पड़ेगा, इस कारण कि वे चालबाज़ी (छल) किया करते थे।
Tefsiri na arapskom jeziku:
فَمَنْ یُّرِدِ اللّٰهُ اَنْ یَّهْدِیَهٗ یَشْرَحْ صَدْرَهٗ لِلْاِسْلَامِ ۚ— وَمَنْ یُّرِدْ اَنْ یُّضِلَّهٗ یَجْعَلْ صَدْرَهٗ ضَیِّقًا حَرَجًا كَاَنَّمَا یَصَّعَّدُ فِی السَّمَآءِ ؕ— كَذٰلِكَ یَجْعَلُ اللّٰهُ الرِّجْسَ عَلَی الَّذِیْنَ لَا یُؤْمِنُوْنَ ۟
तो वह व्यक्ति जिसे अल्लाह चाहता है कि उसे मार्गदर्शन प्रदान करे, उसका सीना इस्लाम के लिए खोल देता है और जिसे चाहता है कि उसे गुमराह करे, उसका सीना तंग, अत्यंत घुटा हुआ कर देता है, मानो वह बड़ी कठिनाई से आकाश में चढ़ रहा[80] है। इसी प्रकार अल्लाह उन लोगों पर यातना भेज देता है, जो ईमान नहीं लाते।
80. अर्थात उसे इस्लाम का मार्ग एक कठिन चढ़ाई लगता है, जिसके विचार ही से उसका सीना तंग हो जाता है और श्वासावरोध होने लगता है।
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وَهٰذَا صِرَاطُ رَبِّكَ مُسْتَقِیْمًا ؕ— قَدْ فَصَّلْنَا الْاٰیٰتِ لِقَوْمٍ یَّذَّكَّرُوْنَ ۟
और यही आपके पालनहार का सीधा मार्ग है। निःसंदे हमने उन लोगों के लिए निशानियाँ खोलकर बयान कर दी हैं, जो उपदेश ग्रहण करते हों।
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لَهُمْ دَارُ السَّلٰمِ عِنْدَ رَبِّهِمْ وَهُوَ وَلِیُّهُمْ بِمَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟
उनके लिए उनके पालनहार के पास सलामती का घर है। और वह उनका संरक्षक है, उन कर्मों के कारण, जो वे करते थे।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَیَوْمَ یَحْشُرُهُمْ جَمِیْعًا ۚ— یٰمَعْشَرَ الْجِنِّ قَدِ اسْتَكْثَرْتُمْ مِّنَ الْاِنْسِ ۚ— وَقَالَ اَوْلِیٰٓؤُهُمْ مِّنَ الْاِنْسِ رَبَّنَا اسْتَمْتَعَ بَعْضُنَا بِبَعْضٍ وَّبَلَغْنَاۤ اَجَلَنَا الَّذِیْۤ اَجَّلْتَ لَنَا ؕ— قَالَ النَّارُ مَثْوٰىكُمْ خٰلِدِیْنَ فِیْهَاۤ اِلَّا مَا شَآءَ اللّٰهُ ؕ— اِنَّ رَبَّكَ حَكِیْمٌ عَلِیْمٌ ۟
तथा (ऐ नबी! याद करें) जिस दिन अल्लाह उन सबको एकत्र करेगा, (फिर कहेगा :) ऐ जिन्नों के गिरोह! निःसंदेह तुमने बहुत-से मनुष्यों को गुमराह कर दिया है! और मनुष्यों में से उनके मित्र कहेंगे : ऐ हमारे पालनहार! हमने एक-दूसरे से लाभ उठाया[81] और हम अपने उस समय को पहुँच गए, जो तूने हमारे लिए नियत किया था। (अल्लाह) कहेगा : आग ही तुम्हारा ठिकाना है, उसमें हमेशा रहने वाले हो, परंतु जो अल्लाह चाहे। निःसंदेह आपका पालनहार पूर्ण हिकमत वाला, सब कुछ जानने वाला है।
81. इस का भावार्थ यह है कि जिन्नों ने लोगों को संशय और धोखे में रखकर कुपथ किया, और लोगों ने उन्हें अल्लाह का साझी बनाया और उनके नाम पर बलि देते और चढ़ावे चढ़ाते रहे और ओझाई तथा जादू तंत्र द्वारा लोगों को धोखा देकर अपना उल्लू सीधा करते रहे।
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وَكَذٰلِكَ نُوَلِّیْ بَعْضَ الظّٰلِمِیْنَ بَعْضًا بِمَا كَانُوْا یَكْسِبُوْنَ ۟۠
और इसी प्रकार हम अत्याचारियों को एक-दूसरे का दोस्त बना देते हैं, उसके कारण जो वे कमाया करते थे।
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یٰمَعْشَرَ الْجِنِّ وَالْاِنْسِ اَلَمْ یَاْتِكُمْ رُسُلٌ مِّنْكُمْ یَقُصُّوْنَ عَلَیْكُمْ اٰیٰتِیْ وَیُنْذِرُوْنَكُمْ لِقَآءَ یَوْمِكُمْ هٰذَا ؕ— قَالُوْا شَهِدْنَا عَلٰۤی اَنْفُسِنَا وَغَرَّتْهُمُ الْحَیٰوةُ الدُّنْیَا وَشَهِدُوْا عَلٰۤی اَنْفُسِهِمْ اَنَّهُمْ كَانُوْا كٰفِرِیْنَ ۟
(तथा अल्लाह कहेगा :) ऐ जिन्नों तथा मनुष्यों के समूह! क्या तुम्हारे पास तुममें से कोई रसूल नहीं आए[82], जो तुमपर मेरी आयतें बयान करते हों और तुम्हें तुम्हारे इस दिन की मुलाक़ात से डराते हों? वे कहेंगे : हम अपने आपपर गवाही देते हैं। तथा उन्हें सांसारिक जीवन ने धोखा दिया। और वे अपने आपपर गवाही देंगे कि निश्चय वे काफ़िर थे।
82. क़ुरआन की अनेक आयतों से यह विदित होता है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जिन्नों के भी नबी थे, जैसा कि सूरतुल-जिन्न आयत : 1, 2 में उनके क़ुरआन सुनने और ईमान लाने का वर्णन है। ऐसे ही सूरतुल-अह़क़ाफ़ में है कि जिन्नों ने कहा : हमने ऐसी पुस्तक सुनी जो मूसा के पश्चात् उतरी है। इसी प्रकार वे सुलैमान के अधीन थे। परंतु क़ुरआन और ह़दीस से जिन्नों में नबी होने का कोई संकेत नहीं मिलता। एक विचार यह भी है कि जिन्न आदम (अलैहिस्सलाम) से पहले के हैं, इस लिए हो सकता है कि पहले उनमें भी नबी आए हों।
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ذٰلِكَ اَنْ لَّمْ یَكُنْ رَّبُّكَ مُهْلِكَ الْقُرٰی بِظُلْمٍ وَّاَهْلُهَا غٰفِلُوْنَ ۟
(ऐ नबी!) यह (नबियों का भेजना) इसलिए हुआ कि आपका पालनहार किसी बस्ती वालों को - कुफ़्र - इनकार के कारण ऐसी अवस्था में विनष्ट नहीं करता[83] कि उसके निवासी बेखबर हों।
83. अर्थात संसार की कोई बस्ती ऐसी नहीं है जिसमें संमार्ग दर्शाने के लिए नबी न आए हों। अल्लाह का यह नियम नहीं है कि किसी जाति को वह़्य द्वारा मार्गदर्शन से वंचित रखे और फिर उसका नाश कर दे। यह अल्लाह के न्याय के बिल्कुल विपरीत है।
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وَلِكُلٍّ دَرَجٰتٌ مِّمَّا عَمِلُوْا ؕ— وَمَا رَبُّكَ بِغَافِلٍ عَمَّا یَعْمَلُوْنَ ۟
तथा प्रत्येक व्यक्ति के लिए उसके कर्म के अनुसार पद हैं। और आपका पालनहार लोगों के कर्मों से अनभिज्ञ नहीं है।
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وَرَبُّكَ الْغَنِیُّ ذُو الرَّحْمَةِ ؕ— اِنْ یَّشَاْ یُذْهِبْكُمْ وَیَسْتَخْلِفْ مِنْ بَعْدِكُمْ مَّا یَشَآءُ كَمَاۤ اَنْشَاَكُمْ مِّنْ ذُرِّیَّةِ قَوْمٍ اٰخَرِیْنَ ۟ؕ
तथा आपका पालनहार निस्पृह, दयाशील है। वह चाहे तो तुम्हें ले जाए और तुम्हारे स्थान पर दूसरों को ले आए। जैसे तुम लोगों को दूसरे लोगों की संतति से पैदा किया है।
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اِنَّ مَا تُوْعَدُوْنَ لَاٰتٍ ۙ— وَّمَاۤ اَنْتُمْ بِمُعْجِزِیْنَ ۟
तुम्हें जिस (क़ियामत) का वचन दिया जा रहा है, उसे अवश्य आना है। और तुम (अल्लाह को) विवश नहीं कर सकते।
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قُلْ یٰقَوْمِ اعْمَلُوْا عَلٰی مَكَانَتِكُمْ اِنِّیْ عَامِلٌ ۚ— فَسَوْفَ تَعْلَمُوْنَ ۙ— مَنْ تَكُوْنُ لَهٗ عَاقِبَةُ الدَّارِ ؕ— اِنَّهٗ لَا یُفْلِحُ الظّٰلِمُوْنَ ۟
(ऐ रसूल) आप कह दें : ऐ मेरी जाति के लोगो! (यदि तुम नहीं मानते) तो तुम अपनी जगह कर्म करते रहो। मैं भी कर्म कर रहा हूँ। शीघ्र ही तुम जान लोगे कि किसका अंत (परिणाम)[84] अच्छा है। निःसंदेह अत्याचारी लोग सफल नहीं होंगे।
84. इस आयत में काफ़िरों को सचेत किया गया है कि यदि सत्य को नहीं मानते, तो जो कर रहे हो वही करो, तुम्हें जल्द ही इसके परिणाम का पता चल जाएगा।
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وَجَعَلُوْا لِلّٰهِ مِمَّا ذَرَاَ مِنَ الْحَرْثِ وَالْاَنْعَامِ نَصِیْبًا فَقَالُوْا هٰذَا لِلّٰهِ بِزَعْمِهِمْ وَهٰذَا لِشُرَكَآىِٕنَا ۚ— فَمَا كَانَ لِشُرَكَآىِٕهِمْ فَلَا یَصِلُ اِلَی اللّٰهِ ۚ— وَمَا كَانَ لِلّٰهِ فَهُوَ یَصِلُ اِلٰی شُرَكَآىِٕهِمْ ؕ— سَآءَ مَا یَحْكُمُوْنَ ۟
तथा उन्होंने अल्लाह की पैदा की हुई खेती और पशुओं में उसका एक भाग निश्चित किया। फिर वे अपने विचार से कहते हैं : "यह अल्लाह का है और यह हमारे ठहराए हुए साझीदारों का।" फिर जो हिस्सा उनके बनाए हुए साझियों का है, वह तो अल्लाह को नहीं पहुँचता, परंतु जो हिस्सा अल्लाह का है, वह उनके साझियों[85] को पहुँच जाता है। क्या ही बुरा निर्णय है, जो वे करते हैं!
85. इस आयत में अरब के मुश्रिकों की कुछ धार्मिक परंपराओं का खंडन किया गया है कि सब कुछ तो अल्लाह पैदा करता है और यह उसमें से अपने देवताओं का भाग बनाते हैं। फिर अल्लाह का जो भाग है उसे देवताओं को दे देते हैं। परंतु देवताओं के भाग में से अल्लाह के लिए व्यय करने को तैयार नहीं होते।
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وَكَذٰلِكَ زَیَّنَ لِكَثِیْرٍ مِّنَ الْمُشْرِكِیْنَ قَتْلَ اَوْلَادِهِمْ شُرَكَآؤُهُمْ لِیُرْدُوْهُمْ وَلِیَلْبِسُوْا عَلَیْهِمْ دِیْنَهُمْ ؕ— وَلَوْ شَآءَ اللّٰهُ مَا فَعَلُوْهُ فَذَرْهُمْ وَمَا یَفْتَرُوْنَ ۟
और इसी प्रकार, बहुत-से मुश्रिकों के लिए, उनके बनाए हुए साझियों ने, उनकी अपनी संतान की हत्या[86] को सुंदर बना दिया है, ताकि उनका विनाश कर दें और ताकि उनके धर्म को उनपर संदिग्ध कर दें। और यदि अल्लाह चाहता, तो वे ऐसा न करते। अतः आप उन्हें छोड़ दें तथा उनकी बनाई हुई बातों को।
86. अरब के कुछ मुश्रिक अपनी पुत्रियों को जन्म लेते ही जीवित गाड़ दिया करते थे।
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وَقَالُوْا هٰذِهٖۤ اَنْعَامٌ وَّحَرْثٌ حِجْرٌ ۖۗ— لَّا یَطْعَمُهَاۤ اِلَّا مَنْ نَّشَآءُ بِزَعْمِهِمْ وَاَنْعَامٌ حُرِّمَتْ ظُهُوْرُهَا وَاَنْعَامٌ لَّا یَذْكُرُوْنَ اسْمَ اللّٰهِ عَلَیْهَا افْتِرَآءً عَلَیْهِ ؕ— سَیَجْزِیْهِمْ بِمَا كَانُوْا یَفْتَرُوْنَ ۟
तथा वे कहते हैं कि ये पशु और खेत वर्जित हैं। इन्हें वही खा सकता है, जिसे हम खिलाना चाहें। ऐसा वे अपने ख़याल से कहते हैं। फिर कुछ पशु हैं, जिनकी पीठ हराम (वर्जित) हैं। और कुछ पशु हैं, जिनपर (ज़बह करते समय) अल्लाह का नाम नहीं लेते। यह उन्होंने अल्लाह पर झूठ गढ़ा है। उन्हें वह उनके इस झूठ गढ़ने का बदला अवश्य देगा।
87. अर्थात उनपर सवारी करना तथा बोझ लादना अवैध है। (देखिए : सूरतुल माइदा :103)
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وَقَالُوْا مَا فِیْ بُطُوْنِ هٰذِهِ الْاَنْعَامِ خَالِصَةٌ لِّذُكُوْرِنَا وَمُحَرَّمٌ عَلٰۤی اَزْوَاجِنَا ۚ— وَاِنْ یَّكُنْ مَّیْتَةً فَهُمْ فِیْهِ شُرَكَآءُ ؕ— سَیَجْزِیْهِمْ وَصْفَهُمْ ؕ— اِنَّهٗ حَكِیْمٌ عَلِیْمٌ ۟
तथा उन्होंने कहा कि इन पशुओं के पेट में जो कुछ है, वह हमारे पुरुषों ही के लिए है और हमारी पत्नियों के लिए वर्जित है। और यदि मरा हुआ हो, तो सभी उसमें शामिल होंगे।[88] शीघ्र ही अल्लाह उन्हें उनके ऐसा कहने का बदला देगा। निःसंदेह वह हिकमत वाला, सब कुछ जानने वाला है।
88. अर्थात वधित पशु के गर्भ से बच्चा निकल जाता और जीवित होता, तो उसे केवल पुरुष खा सकते थे और मुर्दा होता, तो सभी (स्त्री-पुरुष) खा सकते थे। (देखिए : सूरतुन्-नह़्ल : 16, 58-59, सूरतुल-अन्आम : 151, तथा सूरतुल-इसरा : 31)
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قَدْ خَسِرَ الَّذِیْنَ قَتَلُوْۤا اَوْلَادَهُمْ سَفَهًا بِغَیْرِ عِلْمٍ وَّحَرَّمُوْا مَا رَزَقَهُمُ اللّٰهُ افْتِرَآءً عَلَی اللّٰهِ ؕ— قَدْ ضَلُّوْا وَمَا كَانُوْا مُهْتَدِیْنَ ۟۠
निश्चय वे लोग क्षति में पड़ गए, जिन्होंने मूर्खता के कारण, बिना किसी ज्ञान के, अपने संतान की हत्या की।[89] और उस जीविका को, जो अल्लाह ने उन्हें प्रदान की थी, अल्लाह पर आरोप लगाकर, अवैध बना लिया। वास्तव में, वे भटक गए और सीधी राह प्राप्त नहीं कर सके।
89. जैसा कि आधुनिक सभ्य समाज में "सुखी परिवार" के लिए अनेक प्रकार से किया जा रहा है।
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وَهُوَ الَّذِیْۤ اَنْشَاَ جَنّٰتٍ مَّعْرُوْشٰتٍ وَّغَیْرَ مَعْرُوْشٰتٍ وَّالنَّخْلَ وَالزَّرْعَ مُخْتَلِفًا اُكُلُهٗ وَالزَّیْتُوْنَ وَالرُّمَّانَ مُتَشَابِهًا وَّغَیْرَ مُتَشَابِهٍ ؕ— كُلُوْا مِنْ ثَمَرِهٖۤ اِذَاۤ اَثْمَرَ وَاٰتُوْا حَقَّهٗ یَوْمَ حَصَادِهٖ ۖؗ— وَلَا تُسْرِفُوْا ؕ— اِنَّهٗ لَا یُحِبُّ الْمُسْرِفِیْنَ ۟ۙ
अल्लाह वही है, जिसने बेलों वाले तथा बिना बेलों वाले बाग़ पैदा किए, तथा खजूर और खेती (पैदा की), जिनसे विभिन्न प्रकार की पैदावार प्राप्त होती है, और ज़ैतुन तथा अनार (पैदा किए), जो एक-दूसरे से मिलते-जुलते भी होते हैं और नहीं भी होते। जब वह फल दे, तो उसका फल खाओ और उकी कटाई के दिन उसका हक़ (ज़कात) अदा करो। और बेजा खर्च[90] न करो। निःसंदेह अल्लाह बेजा ख़र्च करने वालों से प्रेम नहीं करता।
90. अर्थात इस प्रकार उन्होंने पशुओं में विभिन्न रूप बना लिए थे। जिनको चाहते अल्लाह के लिए विशिष्ट कर देते और जिसे चाहते अपने देवी-देवताओं के लिये विशिष्ट कर देते। यहाँ इन्हीं अंधविश्वासियों का खंडन किया जा रहा है। दान करो अथवा खाओ, परंतु अपव्यय न करो। क्योंकि यह शैतान का काम है, सब में संतुलन होना चाहिए।
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وَمِنَ الْاَنْعَامِ حَمُوْلَةً وَّفَرْشًا ؕ— كُلُوْا مِمَّا رَزَقَكُمُ اللّٰهُ وَلَا تَتَّبِعُوْا خُطُوٰتِ الشَّیْطٰنِ ؕ— اِنَّهٗ لَكُمْ عَدُوٌّ مُّبِیْنٌ ۟ۙ
तथा चौपायों में कुछ सवारी और बोझ लादने योग्य[91] (पैदा किए) और कुछ धरती से लगे[92] हुए। जो कुछ अल्लाह ने तुम्हें दिया है, उसमें से खाओ और शैतान के पदचिह्नों पर न चलो। निश्चय ही वह तुम्हारा खुला शत्रु[93] है।
91. जैसे ऊँट और बैल आदि। 92. जैसे बकरी और भेड़ आदि। 93. अल्लाह ने चौपायों को केवल सवारी और खाने के लिए बनाया है, देवी-देवताओं के नाम चढ़ाने के लिए नहीं। अब यदि कोई ऐसा करता है, तो वह शैतान का बंदा है और शैतान के बनाए मार्ग पर चलता है, जिससे यहाँ मना किया जा रहा है।
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ثَمٰنِیَةَ اَزْوَاجٍ ۚ— مِنَ الضَّاْنِ اثْنَیْنِ وَمِنَ الْمَعْزِ اثْنَیْنِ ؕ— قُلْ ءٰٓالذَّكَرَیْنِ حَرَّمَ اَمِ الْاُنْثَیَیْنِ اَمَّا اشْتَمَلَتْ عَلَیْهِ اَرْحَامُ الْاُنْثَیَیْنِ ؕ— نَبِّـُٔوْنِیْ بِعِلْمٍ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟ۙ
(अल्लाह ने) आठ नर-मादा (पैदा किए)। भेड़ में से दो और बकरी में से दो। आप उनसे पूछिए कि क्या अल्लाह ने दोनों नर हराम किए हैं अथवा दोनों मादा या उसे जो इन दोनों मादा के पेट में हो? मुझे किसी ज्ञान के आधार पर बताओ, यदि तुम सच्चे हो।
Tefsiri na arapskom jeziku:
وَمِنَ الْاِبِلِ اثْنَیْنِ وَمِنَ الْبَقَرِ اثْنَیْنِ ؕ— قُلْ ءٰٓالذَّكَرَیْنِ حَرَّمَ اَمِ الْاُنْثَیَیْنِ اَمَّا اشْتَمَلَتْ عَلَیْهِ اَرْحَامُ الْاُنْثَیَیْنِ ؕ— اَمْ كُنْتُمْ شُهَدَآءَ اِذْ وَصّٰىكُمُ اللّٰهُ بِهٰذَا ۚ— فَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنِ افْتَرٰی عَلَی اللّٰهِ كَذِبًا لِّیُضِلَّ النَّاسَ بِغَیْرِ عِلْمٍ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَا یَهْدِی الْقَوْمَ الظّٰلِمِیْنَ ۟۠
और ऊँट में से दो तथा गाय में से दो। आप पूछिए कि क्या अल्लाह ने दोनों नर हराम किए हैं अथवा दोनों मादा या उसे जो दोनों मादा के पेट में हो? क्या तुम उस समय उपस्थित थे, जब अल्लाह ने तुम्हें इसका आदेश दिया था? फिर उससे बड़ा अत्याचारी कौन होगा, जो अल्लाह पर झूठ गढ़े ताकि लोगों को बिना किसी ज्ञान के गुमराह करे? निश्चय अल्लाह अत्याचारियों को सत्य का मार्ग नहीं दिखाता।
Tefsiri na arapskom jeziku:
قُلْ لَّاۤ اَجِدُ فِیْ مَاۤ اُوْحِیَ اِلَیَّ مُحَرَّمًا عَلٰی طَاعِمٍ یَّطْعَمُهٗۤ اِلَّاۤ اَنْ یَّكُوْنَ مَیْتَةً اَوْ دَمًا مَّسْفُوْحًا اَوْ لَحْمَ خِنْزِیْرٍ فَاِنَّهٗ رِجْسٌ اَوْ فِسْقًا اُهِلَّ لِغَیْرِ اللّٰهِ بِهٖ ۚ— فَمَنِ اضْطُرَّ غَیْرَ بَاغٍ وَّلَا عَادٍ فَاِنَّ رَبَّكَ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟
(ऐ नबी!) आप कह दें कि मेरी ओर जो वह़्य (प्रकाशना) की गई है, उसमें मैं किसी खाने वाले पर, कोई चीज़ जो वह खाना चाहे, हराम नहीं पाता, सिवाय इसके कि मुरदार[94] हो या बहता हुआ रक्त हो या सूअर का मांस हो; क्योंकि वह निश्चय ही नापाक है, या अवैध हो, जिसे अल्लाह के सिवा दूसरे के नाम पर ज़बह किया गया हो। परंतु जो विवश हो जाए (तो वह खा सकता है) यदि वह विद्रोही तथा सीमा लाँघने वाला न हो।[95] निःसंदेह आपका पालनहार अति क्षमा करने वाला, अत्यंत दयावान् है।
94. अर्थात धर्म विधान अनुसार वध न किया गया हो। 95. अर्थात कोई भूख से विवश हो जाए, तो अपनी प्राण रक्षा के लिए इन प्रतिबंधों के साथ ह़राम खा ले, तो अल्लाह उसे क्षमा कर देगा।
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وَعَلَی الَّذِیْنَ هَادُوْا حَرَّمْنَا كُلَّ ذِیْ ظُفُرٍ ۚ— وَمِنَ الْبَقَرِ وَالْغَنَمِ حَرَّمْنَا عَلَیْهِمْ شُحُوْمَهُمَاۤ اِلَّا مَا حَمَلَتْ ظُهُوْرُهُمَاۤ اَوِ الْحَوَایَاۤ اَوْ مَا اخْتَلَطَ بِعَظْمٍ ؕ— ذٰلِكَ جَزَیْنٰهُمْ بِبَغْیِهِمْ ۖؗ— وَاِنَّا لَصٰدِقُوْنَ ۟
तथा हमने यहूदियों पर नाखून वाले[96] जानवर ह़राम कर दियए थे और उनपर गाय एवं बकरी की चर्बियाँ भी हराम कर दी[97] थीं। परंतु जो दोनों की पीठों या आँतों से लगी हों अथवा जो किसी हड्डी से मिली हुई हो (हलाल है)। हमने उन्हें यह बदला[98] उनकी अवज्ञा के कारण दिया था। तथा निश्चय ही हम सच्चे हैं।
96. अर्थात जिनकी उँगलियाँ फटी हुई न हों, जैसे ऊँट, शुतुरमुर्ग, तथा बत्तख़ इत्यादि। (इब्ने कसीर) 97. ह़दीस में है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहा : यहूदियों पर अल्लाह की धिक्कार हो! जब चर्बियाँ वर्जित की गईं, तो उन्हें पिघलाकर उनका मूल्य खा गए। (बुख़ारी : 2236) 98. देखिए : सूरत आल-इमरान, आयत : 93 तथा सूरतुन-निसा, आयत :160।
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فَاِنْ كَذَّبُوْكَ فَقُلْ رَّبُّكُمْ ذُوْ رَحْمَةٍ وَّاسِعَةٍ ۚ— وَلَا یُرَدُّ بَاْسُهٗ عَنِ الْقَوْمِ الْمُجْرِمِیْنَ ۟
फिर (ऐ नबी!) यदि ये लोग आपको झुठलाएँ, तो कह दें कि तुम्हारा पालनहार व्यापक दया का मालिक है तथा उसकी यातना को अपराधियों से फेरा नहीं जा सकेगा।
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سَیَقُوْلُ الَّذِیْنَ اَشْرَكُوْا لَوْ شَآءَ اللّٰهُ مَاۤ اَشْرَكْنَا وَلَاۤ اٰبَآؤُنَا وَلَا حَرَّمْنَا مِنْ شَیْءٍ ؕ— كَذٰلِكَ كَذَّبَ الَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ حَتّٰی ذَاقُوْا بَاْسَنَا ؕ— قُلْ هَلْ عِنْدَكُمْ مِّنْ عِلْمٍ فَتُخْرِجُوْهُ لَنَا ؕ— اِنْ تَتَّبِعُوْنَ اِلَّا الظَّنَّ وَاِنْ اَنْتُمْ اِلَّا تَخْرُصُوْنَ ۟
बहुदेववादी अवश्य कहेंगे कि यदि अल्लाह चाहता, तो हम तथा हमारे पूर्वज (अल्लाह का) साझी न बनाते और न हम किसी चीज़ को हराम ठहराते। ऐसे ही इनसे पहले के लोगों ने भी झुठलाया था, तो उन्हें हमारी यातना का स्वाद चखना पड़ा। (ऐ नबी!) उनसे पूछिए कि क्या तुम्हारे पास (इस विषय में) कोई ज्ञान है, जिसे तुम हमारे समक्ष प्रस्तुत कर सको? तुम तो केवल अनुमान पर चलते हो और केवल अटकल से काम लेते हो।
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قُلْ فَلِلّٰهِ الْحُجَّةُ الْبَالِغَةُ ۚ— فَلَوْ شَآءَ لَهَدٰىكُمْ اَجْمَعِیْنَ ۟
(ऐ नबी!) आप कह दें कि पूर्ण तर्क तो अल्लाह ही का है। सो यदि वह चाहता, तो तुम सबको सीधे मार्ग पर लगा देता।[99]
99. परंतु उसने इसे लोगों को समझ-बूझ देकर प्रत्येक दशा का एक परिणाम निर्धारित कर दिया है। और सत्यासत्य दोनों की राहें खोल दी हैं। अब जो व्यक्ति जो राह चाहे, अपना ले और अब यह कहना अज्ञानता की बात है कि यदि अल्लाह चाहता तो हम संमार्ग पर होते।
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قُلْ هَلُمَّ شُهَدَآءَكُمُ الَّذِیْنَ یَشْهَدُوْنَ اَنَّ اللّٰهَ حَرَّمَ هٰذَا ۚ— فَاِنْ شَهِدُوْا فَلَا تَشْهَدْ مَعَهُمْ ۚ— وَلَا تَتَّبِعْ اَهْوَآءَ الَّذِیْنَ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا وَالَّذِیْنَ لَا یُؤْمِنُوْنَ بِالْاٰخِرَةِ وَهُمْ بِرَبِّهِمْ یَعْدِلُوْنَ ۟۠
आप कह दें कि अपने गवाहों को लाओ[100], जो गवाही दें कि इसे अल्लाह ही ने हराम ठहराया है। फिर यदि वे गवाही दें, तो आप उनकी गवाही को न मानें। और उन लोगों की इच्छाओं पर न चलें, जिन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया और जो आख़िरत पर विश्वास नहीं रखते तथा दूसरों को अपने पालनहार का समकक्ष ठहराते हैं।
100. ह़दीस में है कि सबसे बड़ा पाप अल्लाह का साझी बनाना तथा माता-पिता के साथ बुरा व्यवहार करना और झूठी शपथ लेना है। (तिर्मिज़ी : 3020, यह ह़दीस ह़सन है।)
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قُلْ تَعَالَوْا اَتْلُ مَا حَرَّمَ رَبُّكُمْ عَلَیْكُمْ اَلَّا تُشْرِكُوْا بِهٖ شَیْـًٔا وَّبِالْوَالِدَیْنِ اِحْسَانًا ۚ— وَلَا تَقْتُلُوْۤا اَوْلَادَكُمْ مِّنْ اِمْلَاقٍ ؕ— نَحْنُ نَرْزُقُكُمْ وَاِیَّاهُمْ ۚ— وَلَا تَقْرَبُوا الْفَوَاحِشَ مَا ظَهَرَ مِنْهَا وَمَا بَطَنَ ۚ— وَلَا تَقْتُلُوا النَّفْسَ الَّتِیْ حَرَّمَ اللّٰهُ اِلَّا بِالْحَقِّ ؕ— ذٰلِكُمْ وَصّٰىكُمْ بِهٖ لَعَلَّكُمْ تَعْقِلُوْنَ ۟
आप उनसे कह दें कि आओ, मैं तुम्हें (आयतें) पढ़कर सुना दूँ कि तुमपर, तुम्हारे पालनहार ने क्या हराम किया है? वह यह है कि किसी चीज़ को अल्लाह का साझी न बनाओ और माता-पिता के साथ उपकार करो तथा निर्धनता के भय से अपनी संतानों की हत्या न करो। हम तुम्हें रोज़ी देते हैं और उन्हें भी देंगे। और निर्लज्जता की बातों के निकट भी न जाओ, खुली हों अथवा छिपी। और किसी प्राणी की हत्य न करो, जिस (की हत्या) को अल्लाह ने हराम ठहराया हो, सिवाय इसके कि उसका कोई उचित कारण[101] हो। ये बातें हैं, जिनकी अल्लाह ने तुम्हें ताकीद की है, ताकि तुम समझो।
101. सह़ीह़ ह़दीस में है कि किसी मुसलमान का खून तीन कारणों के सिवा अवैध है : 1. किसी ने विवाहित होकर व्यभिचार किया हो। 2. किसी मुसलमान को जान-बूझ कर अवैध मार डाला हो। 3. इस्लाम से फिर गया हो और अल्लाह तथा उसके रसूल से युद्ध करने लगे। (सह़ीह़ मुस्लिम, ह़दीस संख्या :1676)
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وَلَا تَقْرَبُوْا مَالَ الْیَتِیْمِ اِلَّا بِالَّتِیْ هِیَ اَحْسَنُ حَتّٰی یَبْلُغَ اَشُدَّهٗ ۚ— وَاَوْفُوا الْكَیْلَ وَالْمِیْزَانَ بِالْقِسْطِ ۚ— لَا نُكَلِّفُ نَفْسًا اِلَّا وُسْعَهَا ۚ— وَاِذَا قُلْتُمْ فَاعْدِلُوْا وَلَوْ كَانَ ذَا قُرْبٰی ۚ— وَبِعَهْدِ اللّٰهِ اَوْفُوْا ؕ— ذٰلِكُمْ وَصّٰىكُمْ بِهٖ لَعَلَّكُمْ تَذَكَّرُوْنَ ۟ۙ
और अनाथ के धन के पास न जाओ, परंतु ऐसे ढंग से जो उचित हो। यहाँ तक कि वह अपनी युवा अवस्था को पहुँच जाए। तथा नाप-तौल न्याय के साथ पूरा करो। हम किसी प्राणी पर उसकी शक्ति से अधिक बोझ नहीं डालते। और जब बोलो, तो न्याय की बात बोलो, यद्यपि मामला किसी निकटवर्ती का ही क्यों न हो। और अल्लाह का वचन पूरा करो। उसने तुम्हें इन बातों की ताकीद की है, ताकि तुम याद रखो।
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وَاَنَّ هٰذَا صِرَاطِیْ مُسْتَقِیْمًا فَاتَّبِعُوْهُ ۚ— وَلَا تَتَّبِعُوا السُّبُلَ فَتَفَرَّقَ بِكُمْ عَنْ سَبِیْلِهٖ ؕ— ذٰلِكُمْ وَصّٰىكُمْ بِهٖ لَعَلَّكُمْ تَتَّقُوْنَ ۟
तथा यह कि यही मेरा सीधा मार्ग[102] है। सो तुम उसी पर चलो। और दूसरी राहों पर न चलो, अन्यथा वे तुम्हें उसकी राह से हटाकर इधर-उधर कर देंगे। यही वह बात है, जिसकी ताकीद उसने तुम्हें की है, ताकि तुम उसके आज्ञाकारी रहो।
102. नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने एक लकीर बनाई, और कहा : यह अल्लाह की राह है। फिर दाएँ-बाएँ कई लकीरें खींचीं और कहा : इन पर शैतान है, जो इनकी ओर बुलाता है और यही आयत पढ़ी। (मुसनद अह़मद : 431)
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ثُمَّ اٰتَیْنَا مُوْسَی الْكِتٰبَ تَمَامًا عَلَی الَّذِیْۤ اَحْسَنَ وَتَفْصِیْلًا لِّكُلِّ شَیْءٍ وَّهُدًی وَّرَحْمَةً لَّعَلَّهُمْ بِلِقَآءِ رَبِّهِمْ یُؤْمِنُوْنَ ۟۠
फिर हमने मूसा को पुस्तक प्रदान की, उनके अच्छे काम के लिए बदला के रूप में अनुग्रह को पूरा करने के लिए, तथा प्रत्येक वस्तु के विवरण और मार्गदर्शन एवं दया के लिए। ताकि वे अपने पालनहार से मिलने पर मिलने पर ईमान ले आएँ।
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وَهٰذَا كِتٰبٌ اَنْزَلْنٰهُ مُبٰرَكٌ فَاتَّبِعُوْهُ وَاتَّقُوْا لَعَلَّكُمْ تُرْحَمُوْنَ ۟ۙ
तथा यह एक बरकत वाली पुस्तक है, जिसे हमने उतारा है। अतः इसका अनुसरण करो[103] और अल्लाह से डरते रहो, ताकि तुमपर दया की जाए।
103. अर्थात जब अह्ले किताब सहित पूरे संसार वासियों के लिए प्रलय तक इसी क़ुरआन का अनुसरण ही अल्लाह की दया का साधन है।
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اَنْ تَقُوْلُوْۤا اِنَّمَاۤ اُنْزِلَ الْكِتٰبُ عَلٰی طَآىِٕفَتَیْنِ مِنْ قَبْلِنَا ۪— وَاِنْ كُنَّا عَنْ دِرَاسَتِهِمْ لَغٰفِلِیْنَ ۟ۙ
ताकि (ऐ अरब वासियो!) तुम यह न कहो कि पुस्तक तो हमसे पहले के दो समुदायों (यहूदी तथा ईसाई) पर उतारी गई थी और निश्चय हम उनके पढ़ने-पढ़ाने से अनजान थे।
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اَوْ تَقُوْلُوْا لَوْ اَنَّاۤ اُنْزِلَ عَلَیْنَا الْكِتٰبُ لَكُنَّاۤ اَهْدٰی مِنْهُمْ ۚ— فَقَدْ جَآءَكُمْ بَیِّنَةٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ وَهُدًی وَّرَحْمَةٌ ۚ— فَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنْ كَذَّبَ بِاٰیٰتِ اللّٰهِ وَصَدَفَ عَنْهَا ؕ— سَنَجْزِی الَّذِیْنَ یَصْدِفُوْنَ عَنْ اٰیٰتِنَا سُوْٓءَ الْعَذَابِ بِمَا كَانُوْا یَصْدِفُوْنَ ۟
या यह न कहो कि यदि हमपर पुस्तक उतारी गई होती, तो हम उनसे भी अधिक सीधी राह पर होते। तो लो, अब तुम्हारे पास तुम्हारे पालनहार की ओर से एक खुला तर्क और मार्गदर्शन एवं दया आ चुकी है। अतः उससे बड़ा अत्यचारी कौन होगा, जो अल्लाह की आयतों को मिथ्या कहे और उनसे कतरा जाए? और जो लोग हमारी आयतों से कतराते हैं, हम उनके कतराने के बदले उन्हें कड़ी यातना देंगे।
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هَلْ یَنْظُرُوْنَ اِلَّاۤ اَنْ تَاْتِیَهُمُ الْمَلٰٓىِٕكَةُ اَوْ یَاْتِیَ رَبُّكَ اَوْ یَاْتِیَ بَعْضُ اٰیٰتِ رَبِّكَ ؕ— یَوْمَ یَاْتِیْ بَعْضُ اٰیٰتِ رَبِّكَ لَا یَنْفَعُ نَفْسًا اِیْمَانُهَا لَمْ تَكُنْ اٰمَنَتْ مِنْ قَبْلُ اَوْ كَسَبَتْ فِیْۤ اِیْمَانِهَا خَیْرًا ؕ— قُلِ انْتَظِرُوْۤا اِنَّا مُنْتَظِرُوْنَ ۟
क्या वे इसी बात की प्रतीक्षा कर रहे हैं कि उनके पास फ़रिश्ते आ जाएँ, या स्वयं उनका पालनहार आ जाए या आपके पालनहार की कोई निशानी आ जाए?[104] जिस दिन आपके पालनहार की कोई निशानी आ जाएगी, तो किसी प्राणी को उसका ईमान लाभ नहीं देगा, जो पहले ईमान न लाया हो या अपने ईमान की हालत में कोई सत्कर्म न किया हो। आप कह दें कि तुम प्रतीक्षा करो, हम भी प्रतीक्षा कर रहे हैं।
104. आयत का भावार्थ यह है कि इन सभी तर्कों के प्रस्तुत किए जाने पर भी यदि ये ईमान नहीं लाते, तो क्या उस समय ईमान लाएँगे जब फ़रिश्ते उनके प्राण निकालने आएँगे? या प्रलय के दिन जब अल्लाह इनका निर्णय करने आएगा? या जब प्रलय की कुछ निशानियाँ आ जाएँगी? जैसे सूर्य का पश्चिम से निकल आना। सह़ीह़ बुखारी की ह़दीस है कि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने कहा कि प्रलय उस समय तक नहीं आएगी जब तक कि सूर्य पश्चिम से नहीं निकलेगा। और जब निकलेगा, तो जो देखेंगे सभी ईमान ले आएँगे। और यह वह समय होगा कि किसी प्रणी को उसका ईमान लाभ नहीं देगा। फिर आपने यही आयत पढ़ी। (सह़ीह़ बुख़ारी, ह़दीस : 4636)
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اِنَّ الَّذِیْنَ فَرَّقُوْا دِیْنَهُمْ وَكَانُوْا شِیَعًا لَّسْتَ مِنْهُمْ فِیْ شَیْءٍ ؕ— اِنَّمَاۤ اَمْرُهُمْ اِلَی اللّٰهِ ثُمَّ یُنَبِّئُهُمْ بِمَا كَانُوْا یَفْعَلُوْنَ ۟
जिन लोगों ने अपने धर्म के टुकड़े-टुकड़े कर लिए और विभिन्न गिरोहों में बट गए, आपका उनसे कोई संबंध नहीं। उनका मामला अल्लाह के हवाले है। फिर वह उन्हें बता देगा कि वे क्या करते रहे हैं।
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مَنْ جَآءَ بِالْحَسَنَةِ فَلَهٗ عَشْرُ اَمْثَالِهَا ۚ— وَمَنْ جَآءَ بِالسَّیِّئَةِ فَلَا یُجْزٰۤی اِلَّا مِثْلَهَا وَهُمْ لَا یُظْلَمُوْنَ ۟
जो (क़ियामत के दिन) एक नेकी लेकर आएगा, उसे उसका दस गुना बदला मिलेगा और जो एक बुराई लेकर आएगा, उसे उसका बस उतना ही बदला दिया जाएगा और उनपर कोई अत्याचार नहीं किया जाएगा।
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قُلْ اِنَّنِیْ هَدٰىنِیْ رَبِّیْۤ اِلٰی صِرَاطٍ مُّسْتَقِیْمٍ ۚ۬— دِیْنًا قِیَمًا مِّلَّةَ اِبْرٰهِیْمَ حَنِیْفًا ۚ— وَمَا كَانَ مِنَ الْمُشْرِكِیْنَ ۟
(ऐ नबी!) आप कह दें कि यकीनन मेरे पालनहार ने मुझे सीधी राह दिखा दी है। वही सीधा धर्म, जो एकेश्वरवादी इबराहीम का धर्म था। और वह बहुदेववादियों में से न था।
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قُلْ اِنَّ صَلَاتِیْ وَنُسُكِیْ وَمَحْیَایَ وَمَمَاتِیْ لِلّٰهِ رَبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟ۙ
आप कह दें कि निश्चय मेरी नमाज़, मेरी क़ुरबानी तथा मेरा जीवन-मरण सारे संसारों के पालनहार अल्लाह के लिए हैl
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لَا شَرِیْكَ لَهٗ ۚ— وَبِذٰلِكَ اُمِرْتُ وَاَنَا اَوَّلُ الْمُسْلِمِیْنَ ۟
उसका कोई साझी नहीं। मुझे इसी का आदेश दिया गया है। और मैं सबसे पहला मुसलमान हूँ।
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قُلْ اَغَیْرَ اللّٰهِ اَبْغِیْ رَبًّا وَّهُوَ رَبُّ كُلِّ شَیْءٍ ؕ— وَلَا تَكْسِبُ كُلُّ نَفْسٍ اِلَّا عَلَیْهَا ۚ— وَلَا تَزِرُ وَازِرَةٌ وِّزْرَ اُخْرٰی ۚ— ثُمَّ اِلٰی رَبِّكُمْ مَّرْجِعُكُمْ فَیُنَبِّئُكُمْ بِمَا كُنْتُمْ فِیْهِ تَخْتَلِفُوْنَ ۟
आप (उनसे) कह दें कि क्या मैं अल्लाह के सिवा किसी और पालनहार की खोज करूँ? जबकि वह प्रत्येक वस्तु का पालनहार है। तथा जो भी प्राणी कोई कार्य करेगा, उसका फल वही भोगेगा। और कोई किसी दूसरे का बोझ नहीं उठाएगा। फिर (अंततः) तुम्हें अपने पालनहार के पास ही जाना है। उस समय वह तुम्हें बता देगा, जिसमें तुम मतभेद किया करते थे।
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وَهُوَ الَّذِیْ جَعَلَكُمْ خَلٰٓىِٕفَ الْاَرْضِ وَرَفَعَ بَعْضَكُمْ فَوْقَ بَعْضٍ دَرَجٰتٍ لِّیَبْلُوَكُمْ فِیْ مَاۤ اٰتٰىكُمْ ؕ— اِنَّ رَبَّكَ سَرِیْعُ الْعِقَابِ ۖؗۗ— وَاِنَّهٗ لَغَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟۠
और वही है, जिसने तुम्हें धरती में उत्तराधिकारी बनाया और तुममें से कुछ लोगों के दरजे दूसरे लोगों की अपेक्षा ऊँचे रखे। ताकि उसने तुम्हें जो कुछ दिया है, उसमें तुम्हारी परीक्षा ले।[105] निश्चय आपका पालनहार शीघ्र ही दंड देने वाला[106] है। और निश्चय वह बहुत क्षमा करने वाला, अत्यंत दयावान् है।
105. नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने कहा : काबा के रब की क़सम! वह क्षति में पड़ गया। अबूज़र (रज़ियल्लाहु अन्हु) ने कहा : कौन? आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहा : धनी। परंतु जो दान करता रहता है। (सह़ीह़ बुख़ारी : 6638, सह़ीह़ मुस्लिम : 990) 106. अर्थात अवज्ञाकारियों को।
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Prijevod značenja Sura: Sura el-En'am
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Prijevod značenja časnog Kur'ana - Indijski prijevod - Sadržaj prijevodā

Prijevod značenja Plemenitog Kur'ana na hindu jezik - Azizul-Hakk el-Amri. Štampao i distribuirao Kompeks kralja Fehda za štampanje Plemenitog Kur'ana u Medini, 1433. godine po Hidžri.

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