Übersetzung der Bedeutungen von dem heiligen Quran - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Übersetzungen


Übersetzung der Bedeutungen Surah / Kapitel: An-Nahl   Vers:

सूरा अन्-नह़्ल

Die Ziele der Surah:
التذكير بالنعم الدالة على المنعم سبحانه وتعالى.
उन नेमतों को याद दिलाना जो नेमतें देने वाले सर्वशक्तिमान (अल्लाह) का पता देती हैं।

اَتٰۤی اَمْرُ اللّٰهِ فَلَا تَسْتَعْجِلُوْهُ ؕ— سُبْحٰنَهٗ وَتَعٰلٰی عَمَّا یُشْرِكُوْنَ ۟
(ऐ काफ़िरो!) अल्लाह ने तुम्हें यातना देने का जो निर्णय किया है, उसका समय निकट आ गया। अतः समय से पहले उसके जल्द आने की माँग न करो। अल्लाह सर्वशक्तिमान मुश्रिकों के उसके लिए साझी ठहराने से पवित्र और सर्वोच्च है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
یُنَزِّلُ الْمَلٰٓىِٕكَةَ بِالرُّوْحِ مِنْ اَمْرِهٖ عَلٰی مَنْ یَّشَآءُ مِنْ عِبَادِهٖۤ اَنْ اَنْذِرُوْۤا اَنَّهٗ لَاۤ اِلٰهَ اِلَّاۤ اَنَا فَاتَّقُوْنِ ۟
अल्लाह फ़रिश्तों को वह़्य के साथ, अपने आदेश से, अपने रसूलों में से जिस पर चाहता है, उतारता है कि (ऐ रसूलो!) लोगों को अल्लाह का साझी बनाने से डराओ। क्योंकि मेरे सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं। अतः (ऐ लोगो!) मेरे आदेशों का पालन करके और मेरी मना की हुई बातों से बचकर मुझसे डरो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ بِالْحَقِّ ؕ— تَعٰلٰی عَمَّا یُشْرِكُوْنَ ۟
अल्लाह ने आकाशों तथा धरती को किसी पिछले नमूने के बिना सत्य के साथ पैदा किया। अतः उसने उन्हें व्यर्थ नहीं बनाया, बल्कि उन्हें इसलिए बनाया, ताकि उनसे उसकी महानता का प्रमाण ग्रहण किया जाए। वह लोगों के उसके साथ दूसरों को साझी बनाने से पवित्र है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
خَلَقَ الْاِنْسَانَ مِنْ نُّطْفَةٍ فَاِذَا هُوَ خَصِیْمٌ مُّبِیْنٌ ۟
उसने मनुष्य को एक तुच्छ वीर्य की बूँद से पैदा किया। फिर वह एक अवस्था (रचना) के बाद दूसरी अवस्था (रचना) में स्थानांतिरत होकर बढ़ता गया। फिर देखते-देखते वह सत्य को मिटाने के लिए असत्य के साथ खुल्लम-खुल्ला झगड़ने वाला बन गया।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَالْاَنْعَامَ خَلَقَهَا لَكُمْ فِیْهَا دِفْءٌ وَّمَنَافِعُ وَمِنْهَا تَاْكُلُوْنَ ۟
(ऐ लोगो!) उसने ऊँट, गाय और बकरी आदि चौपायों को तुम्हारे हितों के लिए पैदा किए हैं। इन हितों में से एक उनके ऊनों और बालों से गर्मी प्राप्त करना है, तथा अन्य हित उनके दूध, उनकी खालों और उनकी पीठ पर सवारी करने में हैं और उनमें से कुछ तुम्हारे खाने के काम आते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَكُمْ فِیْهَا جَمَالٌ حِیْنَ تُرِیْحُوْنَ وَحِیْنَ تَسْرَحُوْنَ ۪۟
और चौपायों में तुम्हारे लिए शोभा व सुंदरता है, जब तुम उन्हें शाम को (चराकर घर) लाते हो और जब तुम उन्हें सुबह में चरागाह ले जाते हो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• عناية الله ورعايته بصَوْن النبي صلى الله عليه وسلم وحمايته من أذى المشركين.
• अल्लाह तआला का नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की बहुदेववादियों (मुश्रिकों) के कष्ट से रक्षा करके आपकी देखभाल।

• التسبيح والتحميد والصلاة علاج الهموم والأحزان، وطريق الخروج من الأزمات والمآزق والكروب.
• अल्लाह की पवित्रता (तस्बीह) बयान करना, उसकी प्रशंसा करना और नमाज़ पढ़ना, दुखों और चिंताओं का इलाज तथा संकटों, दुविधाओं और कठिनाइयों से निकलने का रास्ता है।

• المسلم مطالب على سبيل الفرضية بالعبادة التي هي الصلاة على الدوام حتى يأتيه الموت، ما لم يغلب الغشيان أو فقد الذاكرة على عقله.
• एक मुसलमान के लिए अनिवार्य रूप से उपासना करना आवश्यक है, जो कि हमेशा नमाज़ पढ़ना है यहाँ तक कि उसकी मृत्यु आ जाए, जब तक कि उसका दिमाग़ बेहोशी या स्मृति की हानि से अभिभूत न हो जाए।

• سمى الله الوحي روحًا؛ لأنه تحيا به النفوس.
• अल्लाह ने 'वह़्य' को 'रूह़' कहा है, क्योंकि इससे दिलों को जीवन मिलता है।

• مَلَّكَنا الله تعالى الأنعام والدواب وذَلَّلها لنا، وأباح لنا تسخيرها والانتفاع بها؛ رحمة منه تعالى بنا.
• अल्लाह सर्वशक्तिमान ने हम पर दया व कृपा करते हुए, हमें चौपायों और जानवरों का मालिक बनाया और उन्हें हमारे लिए वशीभूत कर दिया, तथा हमारे लिए उनका वशीकरण करना और उनसे फ़ायदा उठाना जायज़ ठहराया।

وَتَحْمِلُ اَثْقَالَكُمْ اِلٰی بَلَدٍ لَّمْ تَكُوْنُوْا بٰلِغِیْهِ اِلَّا بِشِقِّ الْاَنْفُسِ ؕ— اِنَّ رَبَّكُمْ لَرَءُوْفٌ رَّحِیْمٌ ۟ۙ
और ये चौपाए जिन्हें हमने तुम्हारे लिए पैदा किया है, तुम्हारी यात्राओं में तुम्हारे भारी-भरकम सामान ऐसे नगरों तक उठाकर ले जाते हैं, जहाँ तुम बड़ा कष्ट उठाए बिना नहीं पहुँच सकते थे। निःसंदेह (ऐ लोगो!) तुम्हारा पालनहार तुम पर बड़ा मेहरबान और दयावान् है कि इन चौपायों को तुम्हारे वश में कर दिया है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَّالْخَیْلَ وَالْبِغَالَ وَالْحَمِیْرَ لِتَرْكَبُوْهَا وَزِیْنَةً ؕ— وَیَخْلُقُ مَا لَا تَعْلَمُوْنَ ۟
और अल्लाह ने तुम्हारे लिए घोड़े, खच्चर और गधे पैदा किए, ताकि तुम उनकी सवारी करो, और उनपर अपना सामान लादो और ताकि वे लोगों के बीच तुम्हारी शोभा बनें। और वह ऐसी चीज़ें पैदा करता है, जो तुम नहीं जानते।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَعَلَی اللّٰهِ قَصْدُ السَّبِیْلِ وَمِنْهَا جَآىِٕرٌ ؕ— وَلَوْ شَآءَ لَهَدٰىكُمْ اَجْمَعِیْنَ ۟۠
और अल्लाह ही के ज़िम्मे उसकी प्रसन्नता की ओर ले जाने वाले सीधे रास्ते को बयान करना है, जो कि इस्लाम है। जबकि कुछ रास्ते, सत्य से हटे हुए शैतान के रास्ते हैं। और इस्लाम के मार्ग के अलावा, हर रास्ता टेढ़ा है। यदि अल्लाह तुम सभी को ईमान की तौफ़ीक़ प्रदान करना चाहता, तो तुम सभी को इसकी तौफ़ीक़ दे देता।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
هُوَ الَّذِیْۤ اَنْزَلَ مِنَ السَّمَآءِ مَآءً لَّكُمْ مِّنْهُ شَرَابٌ وَّمِنْهُ شَجَرٌ فِیْهِ تُسِیْمُوْنَ ۟
वही अल्लाह सर्वशक्तिमान है, जिसने तुम्हारे लिए बादल से कुछ पानी उतारा। उस पानी में से कुछ तुम्हारे लिए पेय है जिसे तुम खुद पीते और तुम्हारे जानवर (भी) पीते हैं, तथा उसी में से कुछ से पेड़-पौधे उगते हैं, जिनमें तुम अपने जानवरों को चराते हो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
یُنْۢبِتُ لَكُمْ بِهِ الزَّرْعَ وَالزَّیْتُوْنَ وَالنَّخِیْلَ وَالْاَعْنَابَ وَمِنْ كُلِّ الثَّمَرٰتِ ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیَةً لِّقَوْمٍ یَّتَفَكَّرُوْنَ ۟
अल्लाह उसी पानी से तुम्हारे लिए खेतियाँ (फसलें) उगाता है, जिनसे तुम खाते हो, और उसी (पानी) से तुम्हारे लिए ज़ैतून, खजूर और अंगूर तथा सभी प्रकार के फल उगाता है। निःसंदेह उस पानी और उससे पैदा होने वाली चीज़ों में, उन लोगों के लिए अल्लाह के सामर्थ्य की निशानी है, जो अल्लाह की रचना पर सोच-विचार करते हैं और उससे अल्लाह महिमावान की महानता का पता चलाते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَسَخَّرَ لَكُمُ الَّیْلَ وَالنَّهَارَ ۙ— وَالشَّمْسَ وَالْقَمَرَ ؕ— وَالنُّجُوْمُ مُسَخَّرٰتٌ بِاَمْرِهٖ ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیٰتٍ لِّقَوْمٍ یَّعْقِلُوْنَ ۟ۙ
और अल्लाह ने रात को तुम्हारे लिए अधीन कर दिया है, ताकि उसमें चैन और आराम करो, और दिन को भी (अधीन कर दिया है), ताकि उसमें जीवन यापन के लिए कमाई करो। और सूर्य को तुम्हारे लिए अधीन कर दिया है और उसे रोशनी का भंडार बनाया है, और चाँद को भी अधीन कर दिया है और उसे चमकदार बनाया है। तथा तारे उसके आदेश से तुम्हारे लिए अधीन कर दिए गए हैं, जिनके द्वारा तुम जल और थल के अंधेरों में रास्ता पाते हो तथा समय की जानकारी करते हो। इन समस्त चीज़ों को वशीभूत करने में, उन लोगों के लिए अल्लाह की शक्ति की स्पष्ट निशानियाँ हैं, जो अपनी बुद्धि और विवेक से काम लेते हैं। चुनाँचे वही लोग उनकी हिकमत को समझते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَمَا ذَرَاَ لَكُمْ فِی الْاَرْضِ مُخْتَلِفًا اَلْوَانُهٗ ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیَةً لِّقَوْمٍ یَّذَّكَّرُوْنَ ۟
और अल्लाह ने धरती के अंदर अपनी पैदा की हुई विभिन्न रंगों की धातुओं, जानवरों, पेड़-पौधों और फ़सलों को भी तुम्हारी सेवा में लगा रखा है। निश्चय इस रचना और वशीकरण में उन लोगों के लिए अल्लाह की शक्ति का एक स्पष्ट संकेत है, जो उनसे सीख लेते हैं और इस बात को समझते हैं कि अल्लाह सक्षम और उपकार करने वाला है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَهُوَ الَّذِیْ سَخَّرَ الْبَحْرَ لِتَاْكُلُوْا مِنْهُ لَحْمًا طَرِیًّا وَّتَسْتَخْرِجُوْا مِنْهُ حِلْیَةً تَلْبَسُوْنَهَا ۚ— وَتَرَی الْفُلْكَ مَوَاخِرَ فِیْهِ وَلِتَبْتَغُوْا مِنْ فَضْلِهٖ وَلَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ ۟
और वही अल्लाह है, जिसने सागर को तुम्हारे अधीन कर दिया। चुनाँचे तुम्हें उसमें सफ़र करने और उसमें मौजूद चीज़ों को निकालने की क्षमता दी है। ताकि उसकी मछलियों का शिकार करके ताज़ा मांस खा सको और उससे शोभा की वस्तुएँ निकालकर खुद पहनो और तुम्हारी औरतें भी पहनें, जैसे मोती आदि। और तुम नौकाओं को देखते हो कि सागर की मौजें चीरते हुए निकलती हैं। तथा तुम इन नौकाओं में सवार भी होते हो, व्यापार के लाभ से हासिल होने वाले अल्लाह के अनुग्रह को तलाश करते हुए और इस उम्मीद में कि अल्लाह के उपकारों का शुक्र अदा करो और केवल उसी की इबादत करो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• من عظمة الله أنه يخلق ما لا يعلمه جميع البشر في كل حين يريد سبحانه.
• अल्लाह की महानता में से एक यह है कि वह हर क्षण ऐसी चीज़ें पैदा करता रहता है, जो सारे इनसान नहीं जानते।

• خلق الله النجوم لزينة السماء، والهداية في ظلمات البر والبحر، ومعرفة الأوقات وحساب الأزمنة.
• अल्लाह ने सितारों को आकाश की शोभा, जल और थल के अंधेरों में मार्गदर्शन करने, समय जानने और काल की गणना करने के लिए बनाया है।

• الثناء والشكر على الله الذي أنعم علينا بما يصلح حياتنا ويعيننا على أفضل معيشة.
• अल्लाह की प्रशंसा एवं शुक्रिया अदा करना, जिसने हमें ऐसी चीज़ें प्रदान कीं, जो हमारे जीवन का सुधार करती हैं और सर्वश्रेष्ठ जीवन जीने में हमारी मदद करती हैं।

• الله سبحانه أنعم علينا بتسخير البحر لتناول اللحوم (الأسماك)، واستخراج اللؤلؤ والمرجان، وللركوب، والتجارة، وغير ذلك من المصالح والمنافع.
• अल्लाह ने समुद्र को मांस (मछली) खाने, मोती और मूंगा निकालने, सवारी करने, व्यापार करने और अन्य हितों और लाभों के लिए हमारे वश में करके हमपर बड़ा उपकार किया है।

وَاَلْقٰی فِی الْاَرْضِ رَوَاسِیَ اَنْ تَمِیْدَ بِكُمْ وَاَنْهٰرًا وَّسُبُلًا لَّعَلَّكُمْ تَهْتَدُوْنَ ۟ۙ
और उसने धरती की मज़बूती के लिए उसमें पर्वत रख दिए, ताकि वह तुम्हें लेकर हिले और झुके नहीं, और उसमें नदियाँ बहा दीं ताकि तुम खुद उनका पानी पियो, तथा अपने पशुओं और अपनी फसलों को सैराब करो, और उसमें रास्ते निकाल दिए, ताकि तुम उन पर चलो और इधर-उधर भटके बिना अपने गंतव्य तक पहुँच सको।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَعَلٰمٰتٍ ؕ— وَبِالنَّجْمِ هُمْ یَهْتَدُوْنَ ۟
और उसने तुम्हारे लिए धरती में बहुत-से स्पष्ट चिह्न बनाए, जिनसे दिन में चलते समय तुम्हें मार्गदर्शन मिलता है, और तुम्हारे लिए आकाश में तारे बनाए, ताकि रात में तुम्हें उनसे मार्गदर्शन प्राप्त हो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَفَمَنْ یَّخْلُقُ كَمَنْ لَّا یَخْلُقُ ؕ— اَفَلَا تَذَكَّرُوْنَ ۟
तो क्या जो इन चीज़ों और इनके अलावा को पैदा करता है, उसके समान हो सकता है, जो कुछ भी पैदा नहीं करता? तो क्या तुम्हें उस अल्लाह की महानता याद नहीं करते, जो हर चीज़ को पैदा करता है, कि अकेले उसी की इबादत करो और उसके साथ ऐसी चीज़ को साझी न बनाओ जो कुछ भी पैदा नहीं करती?
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاِنْ تَعُدُّوْا نِعْمَةَ اللّٰهِ لَا تُحْصُوْهَا ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَغَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟
और (ऐ लोगो!) यदि तुम अल्लाह की दी हुई बहुल नेमतों को गिनने की कोशिश करो, तो तुम उनकी बहुतायत और विविधता के कारण, ऐसा नहीं कर सकते। निःसंदेह अल्लाह अत्यंत क्षमाशील है कि उसने इन नेमतों का शुक्रिया अदा करने में होने वाली लापरवाही पर तुम्हारी पकड़ नहीं की। बहुत दयावान् है कि उसने पापों और अपने शुक्र में कोताही के कारण तुम्हें उन नेमतों से वंचित नहीं किया।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاللّٰهُ یَعْلَمُ مَا تُسِرُّوْنَ وَمَا تُعْلِنُوْنَ ۟
और (ऐ बंदो!) अल्लाह तुम्हारे उन कार्यों को जानता है, जिन्हें तुम छिपाते हो और उन्हें भी जानता है, जिन्हें तुम प्रकट करते हो। तुम्हारा कोई कार्य उससे नहीं छिपता। और वह तुम्हें उनका बदला देगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَالَّذِیْنَ یَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ لَا یَخْلُقُوْنَ شَیْـًٔا وَّهُمْ یُخْلَقُوْنَ ۟ؕ
बहुदेववादी अल्लाह के सिवा जिनकी पूजा करते हैं, वे कोई मामूली से मामूली चीज़ भी पैदा नहीं कर सकते। बल्कि वे अल्लाह के सिवा जिनकी पूजा करते हैं, उन्हें खुद ही बनाते हैं। फिर वे अल्लाह के सिवा उन मूर्तियों कि पूजा कैसे करते हैं, जिन्हें वे खुद अपने हाथों से बनाते हैं?!
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَمْوَاتٌ غَیْرُ اَحْیَآءٍ ؕۚ— وَمَا یَشْعُرُوْنَ ۙ— اَیَّانَ یُبْعَثُوْنَ ۟۠
यद्यपि उनके उपासकों ने उन्हें अपने हाथों से बनाया है, वे निर्जीव भी हैं, जिनमें कोई जीवन या ज्ञान नहीं है। चुनाँचे वे नहीं जानते कि वे अपने उपासकों के साथ क़ियामत के दिन कब पुनः जीवित किए जाएँगे, ताकि उन के साथ जहन्नम की आग में फेंके जाएँ।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِلٰهُكُمْ اِلٰهٌ وَّاحِدٌ ۚ— فَالَّذِیْنَ لَا یُؤْمِنُوْنَ بِالْاٰخِرَةِ قُلُوْبُهُمْ مُّنْكِرَةٌ وَّهُمْ مُّسْتَكْبِرُوْنَ ۟
तुम्हारा सत्य पूज्य केवल एक है, जिसका कोई साझी नहीं और वह अल्लाह है। वे लोग जो बदले के लिए दोबारा जीवितकर उठाए जाने पर ईमान नहीं रखते, उनके दिल अल्लाह के भय से खाली होने के कारण अल्लाह के एकत्व का इनकार करते हैं। अतः वे हिसाब या दंड पर ईमान नहीं रखते हैं। तथा वे अभिमानी हैं, जो सत्य को स्वीकार नहीं करते हैं और न ही उसके आगे झुकते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
لَا جَرَمَ اَنَّ اللّٰهَ یَعْلَمُ مَا یُسِرُّوْنَ وَمَا یُعْلِنُوْنَ ؕ— اِنَّهٗ لَا یُحِبُّ الْمُسْتَكْبِرِیْنَ ۟
इसमें कोई संदेह नहीं कि अल्लाह इनके उन कार्यों को जानता है, जो वे छिपाते हैं और जो वे प्रकट करते हैं। उससे कोई चीज़ छिपी नहीं रहती और वह उन्हें उनके कार्यों का बदला देगा। निश्चय अल्लाह पाक उन लोगों से प्रेम नहीं करता, जो उसकी इबादत करने और उसके आगे झुकने से अभिमान करते हैं। बल्कि उनसे सख़्त घृणा करता है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاِذَا قِیْلَ لَهُمْ مَّاذَاۤ اَنْزَلَ رَبُّكُمْ ۙ— قَالُوْۤا اَسَاطِیْرُ الْاَوَّلِیْنَ ۟ۙ
और जब इन लोगों से कहा जाता है, जो अल्लाह के एकेश्वरवाद का इनकार करते और पुनर्जीवन को झुठलाते हैं : अल्लाह ने मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर क्या उतारा है? तो वे कहते हैं : उसने उनपर कुछ नहीं उतारा है। बल्कि वह खुद अपनी ओर से पिछले लोगों की कहानियों और उनकी झूठी बातों को ले आए हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
لِیَحْمِلُوْۤا اَوْزَارَهُمْ كَامِلَةً یَّوْمَ الْقِیٰمَةِ ۙ— وَمِنْ اَوْزَارِ الَّذِیْنَ یُضِلُّوْنَهُمْ بِغَیْرِ عِلْمٍ ؕ— اَلَا سَآءَ مَا یَزِرُوْنَ ۟۠
ताकि उनका अंजाम यह हो कि वे बिना किसी कमी के अपने गुनाहों का बोझ उठाएँ और उन लोगों के गुनाहों का भी कुछ बोझ उठाएँ, जिन्हें उन्होंने अज्ञानता और पूर्वजों के अनुकरण में इस्लाम से भटकाया है। तो उनका अपने पापों और अपने अनुयायियों के पापों का बोझ उठाना कितना बुरा है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَدْ مَكَرَ الَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ فَاَتَی اللّٰهُ بُنْیَانَهُمْ مِّنَ الْقَوَاعِدِ فَخَرَّ عَلَیْهِمُ السَّقْفُ مِنْ فَوْقِهِمْ وَاَتٰىهُمُ الْعَذَابُ مِنْ حَیْثُ لَا یَشْعُرُوْنَ ۟
इनसे पहले भी काफ़िरों ने अपने रसूलों के विरुद्ध साज़िशें कीं, तो अल्लाह ने उनके घरों को उनकी नींव से ध्वस्त कर दिया। इसलिए उनकी छतें उनके ऊपर से उनपर गिर पड़ीं और उनपर वहाँ से यातना आई, जहाँ से उन्हें उम्मीद नहीं थी। क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि उनके घर उनकी रक्षा करेंगे, लेकिन वे उनके द्वारा ही नष्ट कर दिए गए।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• في الآيات من أصناف نعم الله على العباد شيء عظيم، مجمل ومفصل، يدعو الله به العباد إلى القيام بشكره وذكره ودعائه.
• इन आयतों में बंदों पर अल्लाह की बहुत सारी नेमतों का ज़िक्र हुआ है। कुछ सार रूप से और कुछ विस्तार के साथ। जिसके द्वारा अल्लाह बंदों को उसका शुक्रिया अदा करने, उसका स्मरण करने और उसी को पुकारने के लिए आमंत्रित करता है।

• طبيعة الإنسان الظلم والتجرُّؤ على المعاصي والتقصير في حقوق ربه، كَفَّار لنعم الله، لا يشكرها ولا يعترف بها إلا من هداه الله.
• इनसान का स्वभाव अत्याचार करना, पाप करने का साहस दिखाना और अपने रब के अधिकारों को अदा करने में कोताही करना है। वह अल्लाह की नेमतों का बहुत इनकार करने वाला है। वह न उनका शुक्रिया अदा करता है और न ही उन्हें स्वीकार करता है, सिवाय उसके जिसे अल्लाह मार्गदर्शन प्रदान कर दे।

• مساواة المُضِلِّ للضال في جريمة الضلال؛ إذ لولا إضلاله إياه لاهتدى بنظره أو بسؤال الناصحين.
• गुमराही के जुर्म में, गुमराह करने वाले को गुमराह होने वाले के बराबर रखा गया है; क्योंकि यदि वह उसे गुमराह न करता, तो वह खुद सोच-विचार करके या सदुपदेशकों से पूछकर सही रास्ता पा जाता।

• أَخْذ الله للمجرمين فجأة أشد نكاية؛ لما يصحبه من الرعب الشديد، بخلاف الشيء الوارد تدريجيًّا.
• अल्लाह का अपराधियों को अचानक पकड़ना, अधिक गंभीर सज़ा है। क्योंकि धीरे-धीरे आने वाली चीज़ के विपरीत, इसमें अधिक दहशत और डर पाया जाता है।

ثُمَّ یَوْمَ الْقِیٰمَةِ یُخْزِیْهِمْ وَیَقُوْلُ اَیْنَ شُرَكَآءِیَ الَّذِیْنَ كُنْتُمْ تُشَآقُّوْنَ فِیْهِمْ ؕ— قَالَ الَّذِیْنَ اُوْتُوا الْعِلْمَ اِنَّ الْخِزْیَ الْیَوْمَ وَالسُّوْٓءَ عَلَی الْكٰفِرِیْنَ ۟ۙ
फिर क़ियामत के दिन अल्लाह उन्हें यातना के द्वारा अपमानित करेगा और उनसे कहेगा : मेरे वे साझी कहाँ हैं, जिन्हें तुम इबादत में मेरा साझी बनाया करते थे और उनके कारण मेरे नबियों और ईमान वालों से दुश्मनी रखा करते थे? अल्लाह वाले विद्वान कहेंगे : निश्चय क़ियामत के दिन अपमान तथा यातना काफ़िरों पर है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
الَّذِیْنَ تَتَوَفّٰىهُمُ الْمَلٰٓىِٕكَةُ ظَالِمِیْۤ اَنْفُسِهِمْ ۪— فَاَلْقَوُا السَّلَمَ مَا كُنَّا نَعْمَلُ مِنْ سُوْٓءٍ ؕ— بَلٰۤی اِنَّ اللّٰهَ عَلِیْمٌۢ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ۟
मौत का फ़रिश्ता और उसके सहयोगी जिन लोगों की रूह़ इस हाल में निकालते हैं कि वे अल्लाह का इनकार करके स्वयं पर अत्याचार करने वाले होते हैं, तो वे मौत को अपने सामने देखकर आत्मसमर्पण कर देते हैं और अपने कुफ़्र तथा पाप का इनकार कर देते हैं, यह सोचकर कि इनकार करने से उन्हें फायदा होगा। तो इसपर उनसे कहा जाता है : तुम झूठ कहते हो। निश्चय तुम पाप करने वाले काफ़िर थे। तुम दुनिया में जो कुछ किया करते थे, अल्लाह उसे खूब जानता है। उसमें से कुछ भी उससे छिपा नहीं है और वह तुम्हें उसका बदला प्रदान करेगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَادْخُلُوْۤا اَبْوَابَ جَهَنَّمَ خٰلِدِیْنَ فِیْهَا ؕ— فَلَبِئْسَ مَثْوَی الْمُتَكَبِّرِیْنَ ۟
और उनसे कहा जाएगा : तुम अपने कर्मों के अनुसार जहन्नम के द्वारों में प्रवेश कर जाओ और उसमें हमेशा के लिए निवास करो। तो अल्लाह पर ईमान लाने और अकेले उसकी इबादत से अभिमान करने वालों का ठिकाना बहुत ही बुरा है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَقِیْلَ لِلَّذِیْنَ اتَّقَوْا مَاذَاۤ اَنْزَلَ رَبُّكُمْ ؕ— قَالُوْا خَیْرًا ؕ— لِلَّذِیْنَ اَحْسَنُوْا فِیْ هٰذِهِ الدُّنْیَا حَسَنَةٌ ؕ— وَلَدَارُ الْاٰخِرَةِ خَیْرٌ ؕ— وَلَنِعْمَ دَارُ الْمُتَّقِیْنَ ۟ۙ
और उन लोगों से, जो अपने रब के आदेशों का पालन करके और उसकी मना की हुई चीज़ों से बचकर उससे डरते रहे, कहा गया : तुम्हारे पालनहार ने तुम्हारे नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर क्या उतारा है? तो उन्होंने उत्तर दिया : अल्लाह ने उनपर बहुत बड़ी भलाई उतारी है। जिन लोगों ने अच्छे तरीक़े से अल्लाह की इबादत की और उसकी सृष्टि के साथ अच्छा व्यवहार किया, उनके लिए इस सांसारिक जीवन में उत्तम बदला है, जैसे विजय और रोज़ी में विस्तार। जबकि अल्लाह ने आख़िरत में उनके लिए जो बदला तैयार कर रखा है, वह दुनिया में मिलने वाले बदले से कहीं उत्तम है। और अल्लाह से, उसके आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर, डरने वालों का घर अर्थात् आख़िरत का घर क्या ही खूब है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
جَنّٰتُ عَدْنٍ یَّدْخُلُوْنَهَا تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ لَهُمْ فِیْهَا مَا یَشَآءُوْنَ ؕ— كَذٰلِكَ یَجْزِی اللّٰهُ الْمُتَّقِیْنَ ۟ۙ
वे निवास और स्थिरता के बागों में प्रवेश करेंगे, जिनके महलों और पेड़ों के नीचे से नहरें बह रही होंगी। उन्हें उन बाग़ों में खाने-पीने आदि की वे सारी चीज़ें मिलेंगी, जिनकी वे इच्छा प्रकट करेंगे। इसी तरह का बदला, जो मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के समुदाय के भय रखने वाले लोगों को देगा, पिछले समुदायों के भय रखने वाले लोगों को भी देगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
الَّذِیْنَ تَتَوَفّٰىهُمُ الْمَلٰٓىِٕكَةُ طَیِّبِیْنَ ۙ— یَقُوْلُوْنَ سَلٰمٌ عَلَیْكُمُ ۙ— ادْخُلُوا الْجَنَّةَ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ۟
जिनकी रूह़ मौत का फ़रिश्ता और उसके सहयोगी फ़रिश्ते इस हाल में निकालते हैं कि उनके दिल कुफ़्र से पवित्र हों, तो फ़रिश्ते उन्हें यह कहकर संबोधित करते हैं : तुमपर शांति हो। तुम हर मुसीबत से सुरक्षित रहो। तुम जन्नत में प्रवेश कर जाओ, इस कारण कि तुम दुनिया में शुद्ध अक़ीदे पर थे और अच्छे कार्य करते थे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
هَلْ یَنْظُرُوْنَ اِلَّاۤ اَنْ تَاْتِیَهُمُ الْمَلٰٓىِٕكَةُ اَوْ یَاْتِیَ اَمْرُ رَبِّكَ ؕ— كَذٰلِكَ فَعَلَ الَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ ؕ— وَمَا ظَلَمَهُمُ اللّٰهُ وَلٰكِنْ كَانُوْۤا اَنْفُسَهُمْ یَظْلِمُوْنَ ۟
क्या ये झुठलाने वाले बहुदेववादी इस बात की प्रतीक्षा कर रहे हैं कि मौत का फ़रिश्ता और उसके सहयोगी फ़रिश्ते उनकी रूह निकालने और उनके चेहरों और उनकी पीठों पर मारने के लिए उनके पास आ जाएँ, या दुनिया ही में अज़ाब के द्वारा उनका उन्मूलन करने के लिए अल्लाह का आदेश आ जाए? इसी तरह का कार्य जो मक्का के मुश्रिक (बहुदेववादी) कर रहे हैं, इनसे पहले के बहुदेववादियों ने किया था। इसलिए अल्लाह ने उन्हें नष्ट कर दिया। और अल्लाह ने उन्हें नष्ट करके उनपर अत्याचार नहीं किया, लेकिन वे स्वयं अपने ऊपर अत्याचार किया करते थे, अल्लाह के इनकार द्वारा खुद को विनाश की जगहों में उतारकर।
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فَاَصَابَهُمْ سَیِّاٰتُ مَا عَمِلُوْا وَحَاقَ بِهِمْ مَّا كَانُوْا بِهٖ یَسْتَهْزِءُوْنَ ۟۠
चुनाँचे उनपर उनके उन कार्य की सज़ा उतर आई, जो वे किया करते थे, और उन्हें उस यातना ने घेर लिया, जिसके द्वारा नसीहत किए जाने पर वे उसका मज़ाक उड़ाया करते थे।
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• فضيلة أهل العلم، وأنهم الناطقون بالحق في الدنيا ويوم يقوم الأشهاد، وأن لقولهم اعتبارًا عند الله وعند خلقه.
• ज्ञान वाले लोगों की प्रतिष्ठा और यह कि वही लोग दुनिया में तथा गवाही के दिन (आख़िरत में) सत्य बोलने वाले हैं। और यह कि उनकी बात का अल्लाह के पास और उसके बंदों के निकट एक महत्व है।

• من أدب الملائكة مع الله أنهم أسندوا العلم إلى الله دون أن يقولوا: إنا نعلم ما كنتم تعملون، وإشعارًا بأنهم ما علموا ذلك إلا بتعليم من الله تعالى.
• अल्लाह के साथ फ़रिश्तों के शिष्टाचार में से एक यह है कि उन्होंने ज्ञान को अल्लाह के हवाले कर दिया और यह नहीं कहा कि : हम जानते हैं, जो कुछ तुम किया करते थे।तथा इसमें यह भी संकेत है कि उन्हें इस बात का ज्ञान केवल अल्लाह के सिखाने से हुआ है।

• من كرم الله وجوده أنه يعطي أهل الجنة كل ما تمنوه عليه، حتى إنه يُذَكِّرهم أشياء من النعيم لم تخطر على قلوبهم.
• यह अल्लाह की उदारता और दानशीलता है कि वह जन्नत वालों को हर वह चीज़ प्रदान करेगा, जिसकी वे उससे इच्छा करेंगे। यहाँ तक कि वह उन्हें ऐसी नेमतें याद दिलाएगा, जिनका उनके दिलों में ख़याल भी नहीं आया होगा।

• العمل هو السبب والأصل في دخول الجنة والنجاة من النار، وذلك يحصل برحمة الله ومنَّته على المؤمنين لا بحولهم وقوتهم.
• कार्य ही जन्नत में प्रवेश करने और दोज़ख़ से मुक्ति का कारण और मूल आधार है। और यह मोमिनों पर अल्लाह की दया और उपकार से होगा, उनकी शक्ति और ताक़त से नहीं।

وَقَالَ الَّذِیْنَ اَشْرَكُوْا لَوْ شَآءَ اللّٰهُ مَا عَبَدْنَا مِنْ دُوْنِهٖ مِنْ شَیْءٍ نَّحْنُ وَلَاۤ اٰبَآؤُنَا وَلَا حَرَّمْنَا مِنْ دُوْنِهٖ مِنْ شَیْءٍ ؕ— كَذٰلِكَ فَعَلَ الَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ ۚ— فَهَلْ عَلَی الرُّسُلِ اِلَّا الْبَلٰغُ الْمُبِیْنُ ۟
और अल्लाह के साथ अन्य चीज़ों की पूजा करने वालों ने कहा : यदि अल्लाह चाहता कि हम केवल उसी की पूजा करें और किसी को उसका साझी न बनाएँ, तो हम उसके सिवा किसी को न पूजते। न हम और न ही हमसे पहले हमारे बाप-दादा। इसी तरह यदि वह चाहता कि हम किसी चीज़ को हराम न ठहराएँ, तो हम उसे हराम न ठहराते। इसी तरह के झूठे तर्क पिछले काफ़िरों ने भी दिए थे। अतः रसूलों का कर्तव्य केवल उस चीज़ को स्पष्ट रूप से पहुँचा देना है, जिसके पहुँचाने का उन्हें आदेश दिया गया है और निश्चय उन्होंने अपना काम कर दिया है। और काफ़िर लोगों के पास भाग्य को बहाना बनाने में कोई तर्क नहीं है, जबकि अल्लाह ने उन्हें इरादा और चयन का अधिकार दिया है और उनकी ओर अपने रसूल भेजे हैं।
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وَلَقَدْ بَعَثْنَا فِیْ كُلِّ اُمَّةٍ رَّسُوْلًا اَنِ اعْبُدُوا اللّٰهَ وَاجْتَنِبُوا الطَّاغُوْتَ ۚ— فَمِنْهُمْ مَّنْ هَدَی اللّٰهُ وَمِنْهُمْ مَّنْ حَقَّتْ عَلَیْهِ الضَّلٰلَةُ ؕ— فَسِیْرُوْا فِی الْاَرْضِ فَانْظُرُوْا كَیْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُكَذِّبِیْنَ ۟
हमने पिछले हर समुदाय में एक रसूल भेजा, जो अपने समुदाय के लोगों को आदेश देता कि वे एक अल्लाह की इबादत करें और उसके अलावा मूर्तियों, शैतानों और अन्य चीज़ों की इबादत छोड़ दें। चुनाँचे उनमें से कुछ को अल्लाह ने सामर्थ्य प्रदान किया और वे अल्लाह पर ईमान लाए और उसके रसूल की लाई हुई बातों का पालन किए। तथा उनमें से कुछ ऐसे थे जिन्होंने अल्लाह का इनकार किया और उसके रसूल की अवज्ञा की, तो अल्लाह ने उन्हें सामर्थ्य नहीं दिया। अतः उनपर गुमराही सिद्ध हो गई। इसलिए धरती में चलो-फिरो, ताकि अपनी आँखों से देखो कि झुठलाने वालों पर यातना और विनाश आने के बाद उनका अंजाम कैसा हुआ?
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِنْ تَحْرِصْ عَلٰی هُدٰىهُمْ فَاِنَّ اللّٰهَ لَا یَهْدِیْ مَنْ یُّضِلُّ وَمَا لَهُمْ مِّنْ نّٰصِرِیْنَ ۟
(ऐ रसूल!) यदि आप इन लोगों को निमंत्रण देने का अपना भरसक प्रयास कर लें और उनके सत्य मार्ग पर आने के लिए बहुत लालायित रहें और उसके कारणों को अपनाएँ; किंतु अल्लाह जिसे गुमराह कर दे, उसे सीधी राह नहीं दिखाता। और ऐसे लोगों को अल्लाह के अलावा कोई नहीं मिलेगा, जो उनसे यातना को दूर करके उनकी मदद करे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاَقْسَمُوْا بِاللّٰهِ جَهْدَ اَیْمَانِهِمْ ۙ— لَا یَبْعَثُ اللّٰهُ مَنْ یَّمُوْتُ ؕ— بَلٰی وَعْدًا عَلَیْهِ حَقًّا وَّلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟ۙ
इन पुनर्जीवन को झुठलाने वालों ने अतिशयोक्ति करते हुए बहुत बढ़ा-चढ़ाकर पक्की क़समें खाते हुए कहा : अल्लाह मरने वाले को दोबारा ज़िंदा करके नहीं उठाएगा। जबकि उनके पास इसके लिए कोई तर्क नहीं है। क्यों नहीं! अल्लाह हर मरने वाले को ज़िंदा करके उठाएगा। यह उसके ऊपर सच्चा वादा है। किंतु अधिकतर लोग इस बात को नहीं जानते कि अल्लाह मृतकों को दोबारा ज़िंदा करके उठाएगा। यही कारण है कि वे पुनर्जीवन का इनकार करते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
لِیُبَیِّنَ لَهُمُ الَّذِیْ یَخْتَلِفُوْنَ فِیْهِ وَلِیَعْلَمَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْۤا اَنَّهُمْ كَانُوْا كٰذِبِیْنَ ۟
अल्लाह उन सभी लोगों को क़ियामत के दिन दोबारा जीवित करके उठाएगा, ताकि उनके लिए उन बातों की वास्तविकता को स्पष्ट कर दे, जिनके बारे में वे मतभेद किया करते थे, जैसे एकेश्वरवाद, पुनर्जीवन और नुबुव्वत और ताकि काफ़िर लोग जान लें कि वे अल्लाह के साथ साझी होने के अपने दावे में और पूनर्जीवन के इनकार में झूठे थे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِنَّمَا قَوْلُنَا لِشَیْءٍ اِذَاۤ اَرَدْنٰهُ اَنْ نَّقُوْلَ لَهٗ كُنْ فَیَكُوْنُ ۟۠
जब हम मृतकों को पुनर्जीवित करना और उन्हें उठाना चाहें, तो हमें कोई चीज़ इससे रोक नहीं सकती। जब हम किसी चीज़ को पैदा करना चाहते हैं, तो उसे केवल यह कहते हैं कि : (हो जा), तो वह अनिवार्य रूप से हो जाती है।
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وَالَّذِیْنَ هَاجَرُوْا فِی اللّٰهِ مِنْ بَعْدِ مَا ظُلِمُوْا لَنُبَوِّئَنَّهُمْ فِی الدُّنْیَا حَسَنَةً ؕ— وَلَاَجْرُ الْاٰخِرَةِ اَكْبَرُ ۘ— لَوْ كَانُوْا یَعْلَمُوْنَ ۟ۙ
और जिन लोगों ने काफ़िरों का अत्याचार सहने के बाद, अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए कुफ़्र के देश से इस्लाम के देश की ओर हिजरत करते हुए अपने घर-बार, बीवी-बच्चों और धन-दौलत को छोड़ दिया, हम उन्हें इस दुनिया में एक ऐसे घर में उतारेंगे, जिसमें वे ससम्मान रहेंगे। और आख़िरत का बदला इससे अधिक बड़ा है, क्योंकि उसमें जन्नत भी शामिल है। यदि हिजरत से पीछे रहने वाले हिजरत करने वालों का प्रतिफल जान लेते, तो उससे पीछे न रहते।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
الَّذِیْنَ صَبَرُوْا وَعَلٰی رَبِّهِمْ یَتَوَكَّلُوْنَ ۟
ये अल्लाह के मार्ग में हिजरत करने वाले वे लोग हैं, जिन्होंने अपने समुदाय के कष्ट पर तथा अपने परिवार और अपने घर के लोगों को छोड़ने पर धैर्य रखा, तथा अल्लाह के आज्ञापालन पर धैर्य से काम लिया, तथा वे अपने सभी मामलों में केवल अल्लाह पर भरोसा रखते हैं। इसलिए अल्लाह ने उन्हें यह महान प्रतिफल प्रदान किया।
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• العاقل من يعتبر ويتعظ بما حل بالضالين المكذبين كيف آل أمرهم إلى الدمار والخراب والعذاب والهلاك.
• बुद्धिमान वह है, जो झुठलाने वाले गुमराह समुदायों पर उतरने वाले विनाश, तबाही और यातना से शिक्षा ग्रहण करता है।

• الحكمة من البعث والمعاد إظهار الله الحقَّ فيما يختلف فيه الناس من أمر البعث وكل شيء.
• दोबारा ज़िंदा करने की हिकमत, अल्लाह का पुनर्जीवन और हर उस चीज़ के बारे में सत्य को प्रकट करना है, जिसमें लोग मतभेद करते हैं।

• فضيلة الصّبر والتّوكل: أما الصّبر: فلما فيه من قهر النّفس، وأما التّوكل: فلأن فيه الثقة بالله تعالى والتعلق به.
• सब्र और तवक्कुल का महत्व : सब्र का इसलिए कि इसमें नफ़्स को क़ाबू में रखना (आत्म-संयम) पाया जाता है। और तवक्कुल का इसलिए कि इसमें अल्लाह पर भरोसा और उसके प्रति लगाव पाया जाता है।

• جزاء المهاجرين الذين تركوا ديارهم وأموالهم وصبروا على الأذى وتوكّلوا على ربّهم، هو الموطن الأفضل، والمنزلة الحسنة، والعيشة الرّضية، والرّزق الطّيّب الوفير، والنّصر على الأعداء، والسّيادة على البلاد والعباد.
• जिन मुहाजिरों ने घर-बार और धन-दौलत छोड़ी, कष्ट पर धैर्य से काम लिया और अपने रब पर भरोसा रखा, उनका बदला सबसे अच्छा घर, अच्छी स्थिति, सुखमय जीवन, प्रचुर पवित्र रोज़ी, दुश्मनों पर जीत तथा बंदों और देश पर संप्रभुता है।

وَمَاۤ اَرْسَلْنَا مِنْ قَبْلِكَ اِلَّا رِجَالًا نُّوْحِیْۤ اِلَیْهِمْ فَسْـَٔلُوْۤا اَهْلَ الذِّكْرِ اِنْ كُنْتُمْ لَا تَعْلَمُوْنَ ۟ۙ
(ऐ रसूल!) हमने आपसे पहले मानव जाति ही में से पुरुषों को संदेष्टा बनाकर भेजे, जिनकी ओर हम वह़्य (प्रकाशना) करते थे। हमने फ़रिश्तों में से रसूल बनाकर नहीं भेजे। यही हमारा नित्य तरीक़ा है। यदि तुम इसका इनकार करते हो, तो पिछली पुस्तकों के लोगों से पूछ लो, वे तुम्हें बताएँगे कि रसूल मानव ही थे, वे फ़रिश्ते नहीं थे, यदि तुम नहीं जानते कि वे इनसान थे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
بِالْبَیِّنٰتِ وَالزُّبُرِ ؕ— وَاَنْزَلْنَاۤ اِلَیْكَ الذِّكْرَ لِتُبَیِّنَ لِلنَّاسِ مَا نُزِّلَ اِلَیْهِمْ وَلَعَلَّهُمْ یَتَفَكَّرُوْنَ ۟
हमने इन मानव रसूलों को स्पष्ट प्रमाणों और अवतरित किताबों के साथ भेजा। और (ऐ रसूल) हमने आपकी ओर क़ुरआन उतारा, ताकि आप लोगों के लिए उसमें से जिसके स्पष्टीकरण की आवश्यकता हो, उसका स्पष्टीकरण कर दें, और ताकि वे अपने सोच-विचार को काम में लाएँ और इस (क़ुरआन) में जो कुछ है उससे उपदेश ग्रहण करें।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَفَاَمِنَ الَّذِیْنَ مَكَرُوا السَّیِّاٰتِ اَنْ یَّخْسِفَ اللّٰهُ بِهِمُ الْاَرْضَ اَوْ یَاْتِیَهُمُ الْعَذَابُ مِنْ حَیْثُ لَا یَشْعُرُوْنَ ۟ۙ
तो क्या लोगों को अल्लाह के रास्ते से रोकने के लिए साज़िश रचने वाले इस बात से निश्चिंत हो गए हैं कि अल्लाह उन्हें भी क़ारून की तरह धरती में धँसा दे, या उनके पास यातना ऐसी जगह से आ जाए जहाँ से वे उसके आने की प्रतीक्षा न कर रहे हों।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَوْ یَاْخُذَهُمْ فِیْ تَقَلُّبِهِمْ فَمَا هُمْ بِمُعْجِزِیْنَ ۟ۙ
या उनपर यातना उनकी यात्राओं में उनके चलने-फिरने और रोज़ी की तलाश में उनके दौड़-धूप करने की हालत में आ जाए। तो वे न तो (अल्लाह की पकड़ से) छूट सकते हैं और न खुद को बचा सकते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَوْ یَاْخُذَهُمْ عَلٰی تَخَوُّفٍ ؕ— فَاِنَّ رَبَّكُمْ لَرَءُوْفٌ رَّحِیْمٌ ۟
या वे इस बात से निश्चिंत हो गए हैं कि उनपर अल्लाह की यातना उस दशा में आ जाए जब वे उससे डरे हुए हों। क्योंकि अल्लाह हर हाल में उन्हें सज़ा देने में सक्षम है। निश्चय आपका रब बहुत करुणामय और अत्यंत दयावान् है। वह अपने बंदों को सज़ा देने में जल्दी नहीं करता कि शायद उसके बंदे उससे तौबा कर लें।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَوَلَمْ یَرَوْا اِلٰی مَا خَلَقَ اللّٰهُ مِنْ شَیْءٍ یَّتَفَیَّؤُا ظِلٰلُهٗ عَنِ الْیَمِیْنِ وَالشَّمَآىِٕلِ سُجَّدًا لِّلّٰهِ وَهُمْ دٰخِرُوْنَ ۟
क्या इन झुठलाने वालों ने अल्लाह की सृष्टियों पर चिंतन नहीं किया कि उनकी परछाई दिन में सूर्य की चाल के अनुसार और रात में चाँद की चाल के अनुसार, अपने रब के सामने झुकती हुई और वास्तविक रूप से उसे सजदा करती हुई दाएँ-बाएँ मुड़ती है, इस हाल में कि वह विनम्र होती है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلِلّٰهِ یَسْجُدُ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَمَا فِی الْاَرْضِ مِنْ دَآبَّةٍ وَّالْمَلٰٓىِٕكَةُ وَهُمْ لَا یَسْتَكْبِرُوْنَ ۟
तथा आकाशों में रहने वाले और धरती में रहने वाले सारे जानदार केवल एक अल्लाह को सजदा करते हैं। तथा फ़रिश्ते भी अकेले उसी को सजदा करते हैं। और वे अल्लाह की इबादत और उसके आज्ञापालन से अभिमान नहीं करते।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
یَخَافُوْنَ رَبَّهُمْ مِّنْ فَوْقِهِمْ وَیَفْعَلُوْنَ مَا یُؤْمَرُوْنَ ۟
और वे - अपनी निरंतर इबादत और आज्ञापालन के बावजूद - अपने पालनहार से डरते हैं, जो अपने अस्तित्व, शक्ति एवं प्रभुत्व के साथ उनके ऊपर है। और वे वही करते हैं, जिसका आदेश उनहें उनके पालनहार की ओर से मिलता है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَقَالَ اللّٰهُ لَا تَتَّخِذُوْۤا اِلٰهَیْنِ اثْنَیْنِ ۚ— اِنَّمَا هُوَ اِلٰهٌ وَّاحِدٌ ۚ— فَاِیَّایَ فَارْهَبُوْنِ ۟
अल्लाह ने अपने सभी बंदों से कहा : दो पूज्य न बनाओ। सत्य पूज्य तो केवल एक है, उसका कोई दूजा और साझी नहीं। इसलिए मुझी से डरो और मेरे सिवा किसी से न डरो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَهٗ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَلَهُ الدِّیْنُ وَاصِبًا ؕ— اَفَغَیْرَ اللّٰهِ تَتَّقُوْنَ ۟
आकाशों और धरती की सारी चीज़ें केवल उसी की हैं; वही उनका पैदा करने वाला, उनका मालिक और उनका प्रबंध करने वाला है। तथा आज्ञापालन, अधीनता और निष्ठा अकेले उसी के लिए सिद्ध है। तो क्या तुम अल्लाह के अलावा से डरते हो?! ऐसा नहीं होना चाहिए, बल्कि केवल उसी (अल्लाह) से डरो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَمَا بِكُمْ مِّنْ نِّعْمَةٍ فَمِنَ اللّٰهِ ثُمَّ اِذَا مَسَّكُمُ الضُّرُّ فَاِلَیْهِ تَجْـَٔرُوْنَ ۟ۚ
(ऐ लोगो!) तुम्हारे पास जो भी धार्मिक या सांसारिक नेमत है, सब अल्लाह पाक की दी हुई है, किसी दूसरे की नहीं। फिर जब तुम विपत्ति, या बीमारी, या ग़रीबी से पीड़ित होते हो, तो केवल उसी के सामने गिड़गिड़ाकर दुआ करते हो, ताकि वह तुम्हारी विपत्ति को तुमसे दूर कर दे। इसलिए जो नेमतें प्रदान करता है और विपत्तियों को दूर करता है, वही है जिसकी एकमात्र इबादत की जानी चाहिए।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
ثُمَّ اِذَا كَشَفَ الضُّرَّ عَنْكُمْ اِذَا فَرِیْقٌ مِّنْكُمْ بِرَبِّهِمْ یُشْرِكُوْنَ ۟ۙ
फिर जब वह तुम्हारी दुआ को स्वीकार कर लेता है और तुम्हारा दुःख दूर कर देता है, तो तुममें से कुछ लोग अपने पालनहार के साथ साझी बनाने लगते हैं। चुनाँचे उसके साथ उसके अलावा की इबादत करने लगते हैं। तो यह कैसी नीचता है?!
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• على المجرم أن يستحي من ربه أن تكون نعم الله عليه نازلة في جميع اللحظات ومعاصيه صاعدة إلى ربه في كل الأوقات.
• पापी को अपने पालनहार से शर्म करनी चाहिए कि हर पल उसपर अल्लाह की नेमतें उतर रही हों, और हर समय उसके पालनहार की ओर उसकी अवज्ञाए चढ़ रही हों।

• ينبغي لأهل الكفر والتكذيب وأنواع المعاصي الخوف من الله تعالى أن يأخذهم بالعذاب على غِرَّة وهم لا يشعرون.
• काफ़िरों, झुठलाने वालों और तरह-तरह के गुनाहों में पड़े हुए लोगों को अल्लाह तआला से डरना चाहिए कि कहीं वह अप्रत्याशित रूप से उन्हें यातना से पीड़ित न कर दे और उन्हें एहसास भी न हो।

• جميع النعم من الله تعالى، سواء المادية كالرّزق والسّلامة والصّحة، أو المعنوية كالأمان والجاه والمنصب ونحوها.
• सभी नेमतें अल्लाह की ओर से मिलती हैं। चाहे भौतिक हों, जैसे कि जीविका, सुरक्षा और स्वास्थ्य, या अभौतिक हों, जैसे कि शांति, प्रतिष्ठा और पद इत्यादि।

• لا يجد الإنسان ملجأً لكشف الضُّرِّ عنه في وقت الشدائد إلا الله تعالى فيضجّ بالدّعاء إليه؛ لعلمه أنه لا يقدر أحد على إزالة الكرب سواه.
• इनसान कठिनाइयों के समय अपने कष्ट को दूर करने के लिए अल्लाह के सिवाय कोई शरण स्थान नहीं पाता है। इसलिए वह उसी के सामने गिड़गिड़ाकर दुआ करता है, क्योंकि वह जानता है कि उसके सिवाय कोई भी कष्ट को दूर करने में सक्षम नहीं है।

لِیَكْفُرُوْا بِمَاۤ اٰتَیْنٰهُمْ ؕ— فَتَمَتَّعُوْا ۫— فَسَوْفَ تَعْلَمُوْنَ ۟
अल्लाह के साथ साझी ठहराने के कारण वे अपने ऊपर अल्लाह की नेमतों - जिनमें कष्ट दूर करना भी शामिल है - की नाशुक्री करने लगे। इसीलिए उनसे कहा गया : तुम जिन नेमतों में हो उनसे थोड़ा लाभ उठा लो, यहाँ तक कि अल्लाह का तत्काल और विलंबित अज़ाब आ जाए।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَیَجْعَلُوْنَ لِمَا لَا یَعْلَمُوْنَ نَصِیْبًا مِّمَّا رَزَقْنٰهُمْ ؕ— تَاللّٰهِ لَتُسْـَٔلُنَّ عَمَّا كُنْتُمْ تَفْتَرُوْنَ ۟
और मुश्रिक लोग हमारे दिए हुए अपने धनों में से एक भाग अपनी उन मूर्तियों के लिए भी निर्धारित करते हैं, जो कुछ नहीं जानती हैं (क्योंकि वे निर्जीव चीज़ें हैं, और न ही वे लाभ या हानि पहुँचाने का अधिकार रखती हैं), वे इसके द्वारा उनकी निकटता प्राप्त करना चाहते हैं। अल्लाह की क़सम! (ऐ मुश्रिको!) तुमसे क़ियामत के दिन तुम्हारे इस दावे के बारे में ज़रूर पूछा जाएगा कि ये मूर्तियाँ पूज्य हैं और यह कि तुम्हारे धन में उनका भी एक हिस्सा है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَیَجْعَلُوْنَ لِلّٰهِ الْبَنٰتِ سُبْحٰنَهٗ ۙ— وَلَهُمْ مَّا یَشْتَهُوْنَ ۟
बहुदेववादी लोग अल्लाह के लिए बेटियाँ ठहराते हैं और यह विश्वास रखते हैं कि अल्लाह की बेटियाँ फ़रिश्ते हैं। वह अल्लाह के लिए वह कुछ चुनते हैं, जिसे अपने लिए पसंद नहीं करते। उनके इस कृत्य से अल्लाह पवित्र एवं पाक है। दूसरी तरफ़ वे खुद अपने लिए बेटों का होना पसंद करते हैं। तो इससे बड़ा पाप और क्या हो सकता है?!
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاِذَا بُشِّرَ اَحَدُهُمْ بِالْاُ ظَلَّ وَجْهُهٗ مُسْوَدًّا وَّهُوَ كَظِیْمٌ ۟ۚ
और जब इन मुश्रिकों में से किसी को लड़की पैदा होने की शुभ सूचना दी जाती है, तो यह ख़बर उसपर इतनी नागवार गुज़रती है कि उसका चेहरा काला पड़ जाता है, तथा उसका दिल शोक और दुख से भर जाता है। फिर वह अल्लाह की ओर उस चीज़ की निस्बत करता है, जिसे अपने लिए पसंद नहीं करता!
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
یَتَوَارٰی مِنَ الْقَوْمِ مِنْ سُوْٓءِ مَا بُشِّرَ بِهٖ ؕ— اَیُمْسِكُهٗ عَلٰی هُوْنٍ اَمْ یَدُسُّهٗ فِی التُّرَابِ ؕ— اَلَا سَآءَ مَا یَحْكُمُوْنَ ۟
बेटी पैदा होने की सूचना उसे इतनी बुरी लगती है कि लोगों से छिपता फिरता है। वह दिल ही दिल में सोचता है कि क्या इस नवजात को अपमान और दीनता के साथ अपने पास रखे या उसे ज़िंदा धरती में गाड़ दे? कितना बुरा निर्णय है, जो बहुदेववादी करते हैं कि अपने पालनहार के लिए वह कुछ ठहराते हैं, जिसे अपने लिए नापसंद करते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
لِلَّذِیْنَ لَا یُؤْمِنُوْنَ بِالْاٰخِرَةِ مَثَلُ السَّوْءِ ۚ— وَلِلّٰهِ الْمَثَلُ الْاَعْلٰی ؕ— وَهُوَ الْعَزِیْزُ الْحَكِیْمُ ۟۠
आख़िरत पर विश्वास न रखने वाले काफ़िरों की बुरी विशेषता है, जैसे- बच्चे की आवश्यकता, अज्ञानता और कुफ़्र आदि। जबकि अल्लाह के प्रताप, पूर्णता, संपन्नता, बेनियाज़ी और ज्ञान जैसे उच्चतम प्रशंसनीय गुण हैं। वह पवित्र अल्लाह अपने राज्य में प्रभुत्वशाली है, उसपर किसी का ज़ोर नहीं चलता। अपनी रचना, प्रबंधन और क़ानूनसाज़ी में हिकमत वाला है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَوْ یُؤَاخِذُ اللّٰهُ النَّاسَ بِظُلْمِهِمْ مَّا تَرَكَ عَلَیْهَا مِنْ دَآبَّةٍ وَّلٰكِنْ یُّؤَخِّرُهُمْ اِلٰۤی اَجَلٍ مُّسَمًّی ۚ— فَاِذَا جَآءَ اَجَلُهُمْ لَا یَسْتَاْخِرُوْنَ سَاعَةً وَّلَا یَسْتَقْدِمُوْنَ ۟
यदि अल्लाह लोगों को उनके अत्याचार और क़ुफ़्र के कारण दंडित करने लगे, तो धरती पर चलने वाले किसी मनुष्य या जानवर को न छोड़े। लेकिन वह महिमावान उन्हें अपने ज्ञान में निर्दिष्ट एक समय के लिए विलंबित कर देता है। फिर जब उसके ज्ञान में निर्दिष्ट वह समय आ जाता है, तो वे थोड़े समय के लिए भी न पीछे रहते हैं और न आगे बढ़ते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَیَجْعَلُوْنَ لِلّٰهِ مَا یَكْرَهُوْنَ وَتَصِفُ اَلْسِنَتُهُمُ الْكَذِبَ اَنَّ لَهُمُ الْحُسْنٰی ؕ— لَا جَرَمَ اَنَّ لَهُمُ النَّارَ وَاَنَّهُمْ مُّفْرَطُوْنَ ۟
वे अल्लाह के लिए बेटियाँ ठहराते हैं, जिन्हें अपने लिए पसंद नहीं करते। और उनकी ज़बानें झूठ बोलती हैं कि यदि वे पुनः जीवित किए भी गए, जैसा कि मुसलमानों का दावा है, तो उनके लिए अल्लाह के पास सबसे अच्छी स्थिति होगी। जबकि सच्चाई यह है कि जहन्नम उन्हीं के लिए है। वे उसमें छोड़ दिए जाएँगे, उससे बाहर कभी नहीं निकलेंगे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
تَاللّٰهِ لَقَدْ اَرْسَلْنَاۤ اِلٰۤی اُمَمٍ مِّنْ قَبْلِكَ فَزَیَّنَ لَهُمُ الشَّیْطٰنُ اَعْمَالَهُمْ فَهُوَ وَلِیُّهُمُ الْیَوْمَ وَلَهُمْ عَذَابٌ اَلِیْمٌ ۟
अल्लाह की क़सम! (ऐ रसूल) हमने आपके पहले के समुदायों की ओर भी रसूल भेजे थे। तो शैतान ने उनके शिर्क, कुफ़्र और अवज्ञा जैसे बुरे कार्यों को उनके लिए सुंदर बना दिया। तो वही क़ियामत के दिन उनका तथाकथित सहायक है। इसलिए वे उसी से मदद माँगें। और उनके लिए क़ियामत के दिन दर्दनाक यातना है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَمَاۤ اَنْزَلْنَا عَلَیْكَ الْكِتٰبَ اِلَّا لِتُبَیِّنَ لَهُمُ الَّذِی اخْتَلَفُوْا فِیْهِ ۙ— وَهُدًی وَّرَحْمَةً لِّقَوْمٍ یُّؤْمِنُوْنَ ۟
और (ऐ रसूल!) हमने आप पर यह क़ुरआन इसलिए उतारा है, ताकि आप सभी लोगों के लिए एकेश्वरवाद, मरणोपरांत पुनर्जीवन और शरीयत के अहकाम खोल-खोलकर बयान कर दें, जिनमें उन्होंने मतभेद किया है। और इसलिए कि यह क़ुरआन अल्लाह और उसके रसूलों पर तथा क़ुरआन की लाई हुए बातों पर ईमान रखने वालों के लिए मार्गदर्शक और दया बन जाए। क्योंकि वही सत्य से लाभ उठाने वाले हैं।
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• من جهالات المشركين: نسبة البنات إلى الله تعالى، ونسبة البنين لأنفسهم، وأَنفَتُهم من البنات، وتغيّر وجوههم حزنًا وغمَّا بالبنت، واستخفاء الواحد منهم وتغيبه عن مواجهة القوم من شدّة الحزن وسوء الخزي والعار والحياء الذي يلحقه بسبب البنت.
• बहुदेववादियों की अज्ञानता में से : लड़कियों की निस्बत अल्लाह की ओर करना और लड़कों कि निस्बत अपनी ओर करना, लड़कियों की निस्बत से अपने आपको ऊँचा समझना और लड़की के कारण दुःख और शोक से उनके चेहरों का रंग बदल जाना, तथा लड़की की वजह से इतना दुःख, अपमान, शर्म और लज्जा महसूस करना कि लोगों का सामना करने से कतराना।

• من سنن الله إمهال الكفار وعدم معاجلتهم بالعقوبة ليترك الفرصة لهم للإيمان والتوبة.
• अल्लाह का नियम यह रहा है कि वह काफ़िरों को ढील देता है और उन्हें सज़ा देने में जल्दी नहीं करता। ताकि उन्हें ईमान और अल्लाह की ओर लौटने का अवसर मिल सके।

• مهمة النبي صلى الله عليه وسلم الكبرى هي تبيان ما جاء في القرآن، وبيان ما اختلف فيه أهل الملل والأهواء من الدين والأحكام، فتقوم الحجة عليهم ببيانه.
• नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का सबसे बड़ा कार्य क़ुरआन में जो आया है उसकी व्याख्या करना, तथा विभिन्न संप्रदायों और इच्छाओं का पालन करने वालों ने धर्म और नियमों से संबंधित जिन बातों में मतभेद किया है, उनके बारे में सत्य को स्पष्ट करना था। इसलिए आपके स्पष्टीकरण से उनके खिलाफ तर्क स्थापित हो जाता है।

وَاللّٰهُ اَنْزَلَ مِنَ السَّمَآءِ مَآءً فَاَحْیَا بِهِ الْاَرْضَ بَعْدَ مَوْتِهَا ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیَةً لِّقَوْمٍ یَّسْمَعُوْنَ ۟۠
अल्लाह ने आसमान की ओर से बारिश बरसाई, फिर सूखी बंजर धरती को, उससे पौधे उगाकर पुनर्जीवित किया। निःसंदेह आकाश की ओर से बारिश उतारने और उसके द्वारा पृथ्वी के पौधों को उगाने में, उन लोगों के लिए अल्लाह की शक्ति का एक स्पष्ट संकेत है, जो अल्लाह की वाणी को सुनते और उसपर चिंतन-मनन करते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاِنَّ لَكُمْ فِی الْاَنْعَامِ لَعِبْرَةً ؕ— نُسْقِیْكُمْ مِّمَّا فِیْ بُطُوْنِهٖ مِنْ بَیْنِ فَرْثٍ وَّدَمٍ لَّبَنًا خَالِصًا سَآىِٕغًا لِّلشّٰرِبِیْنَ ۟
और (ऐ लोगो!) तुम्हारे लिए, ऊँटों, गायों और भेड़ों में एक उपदेश है। हम तुम्हें इन जानवरों के थनों से दूध पिलाते हैं, जो उनके पेट में मौजूद मल और उनके शरीर में मौजूद रक्त के बीच से निकलता है। किंतु इसके बावजूद साफ, शुद्ध तथा स्वादिष्ट दूध निकलता है, जो पीने वालों के लिए सुखद होता है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَمِنْ ثَمَرٰتِ النَّخِیْلِ وَالْاَعْنَابِ تَتَّخِذُوْنَ مِنْهُ سَكَرًا وَّرِزْقًا حَسَنًا ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیَةً لِّقَوْمٍ یَّعْقِلُوْنَ ۟
और तुम्हारे लिए, हमारी ओर से प्राप्त होने वाले खजूर और अंगूर जैसे फलों में भी एक उपदेश है। उनसे तुम नशीला पदार्थ बनाते हो, जिससे बुद्धि चली जाती है, और यह अच्छा नहीं है। तथा तुम उनसे अच्छी जीविका भी बनाते हो, जिसका तुम लाभ उठाते हो, जैसे खजूर, किशमिश, सिरका और शीरा। इन सब चीज़ों में उन लोगों के लिए अल्लाह की शक्ति और अनुग्रह का संकेत है, जो बुद्धि से काम लेते हैं, क्योंकि वही लोग उपदेश ग्रहण करते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاَوْحٰی رَبُّكَ اِلَی النَّحْلِ اَنِ اتَّخِذِیْ مِنَ الْجِبَالِ بُیُوْتًا وَّمِنَ الشَّجَرِ وَمِمَّا یَعْرِشُوْنَ ۟ۙ
और (ऐ रसूल!) तेरे पालनहार ने मधुमक्खियों के दिल में यह बात डाल दी और उन्हें निर्देशित किया कि : तुम पर्वतों में अपने लिए घर बनाओ, तथा पेड़ों में और उसमें घर बनाओ, जो लोग निर्माण करते और छत बनाते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
ثُمَّ كُلِیْ مِنْ كُلِّ الثَّمَرٰتِ فَاسْلُكِیْ سُبُلَ رَبِّكِ ذُلُلًا ؕ— یَخْرُجُ مِنْ بُطُوْنِهَا شَرَابٌ مُّخْتَلِفٌ اَلْوَانُهٗ فِیْهِ شِفَآءٌ لِّلنَّاسِ ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیَةً لِّقَوْمٍ یَّتَفَكَّرُوْنَ ۟
फिर उन सभी फलों से खा, जो तू चाहे और उन रास्तों पर चल, जिनपर चलने के लिए तेरे पालनहार ने तुझे प्रेरित किया है। उन मधुमक्खियों के पेट से विभिन्न रंगों का शहद निकलता है। कुछ सफ़ेद, तो कुछ पीला और कुछ किसी और रंग का। इसमें लोगों के लिए शिफ़ा (आरोग्य) है। वे इसके साथ बीमारियों का इलाज करते हैं। निःसंदेह मधुमक्खियों को यह बात सिखाने और उनके पेट से निकलने वाले शहद में, उन लोगों के लिए अल्लाह की शक्ति और उसके अपनी सृष्टि के मामलों के प्रबंधन का प्रमाण है, जो सोच-विचार करते हैं। क्योंकि वही शिक्षा ग्रहण करते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاللّٰهُ خَلَقَكُمْ ثُمَّ یَتَوَفّٰىكُمْ وَمِنْكُمْ مَّنْ یُّرَدُّ اِلٰۤی اَرْذَلِ الْعُمُرِ لِكَیْ لَا یَعْلَمَ بَعْدَ عِلْمٍ شَیْـًٔا ؕ— اِنَّ اللّٰهَ عَلِیْمٌ قَدِیْرٌ ۟۠
और अल्लाह ही ने तुम्हें बिना किसी पूर्व नमूने के पैदा किया है। फिर तुम्हारी आयु ख़त्म होने पर तुम्हें मृत्यु देगा। और तुममें से किसी को आयु के सबसे बुरे चरण तक पहुँचा दिया जाता है और वह पुढ़ापा है। फिर वह उसमें से कुछ भी नहीं जानता, जो वह पहले जानता था। अल्लाह सब कुछ जानने वाला है, उससे बंदों का कोई कार्य छिपा नहीं है। वह हर चीज़ में सक्षम है, उसे कोई चीज़ विवश नहीं कर सकती।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاللّٰهُ فَضَّلَ بَعْضَكُمْ عَلٰی بَعْضٍ فِی الرِّزْقِ ۚ— فَمَا الَّذِیْنَ فُضِّلُوْا بِرَآدِّیْ رِزْقِهِمْ عَلٰی مَا مَلَكَتْ اَیْمَانُهُمْ فَهُمْ فِیْهِ سَوَآءٌ ؕ— اَفَبِنِعْمَةِ اللّٰهِ یَجْحَدُوْنَ ۟
अल्लाह ने तुम्हें जो रोज़ी दी है, उसमें कुछ को दूसरों पर श्रेष्ठता प्रदान की है। इसलिए तुममें से किसी को धनी तो किसी को निर्धन, किसी को राजा तो किसी को प्रजा बनाया है। तो जिन्हें अल्लाह ने रोज़ी के मामले में आगे रखा है, वे अल्लाह के दिए हुए धन को अपने दासों के हवाले करने वाले नहीं हैं ताकि वे राज्य में उनके साथ समान भागीदार हो सकें। तो भला वे कैसे पसंद करते हैं कि अल्लाह के उसके बंदों में से कोई साझी हों, जबकि उन्हें खुद अपने बारे में यह पसंद नहीं कि उनके दासों में से उनके कोई साझी हों जो उनके साथ बराबर हों? भला यह कैसा अन्याय है? और अल्लाह की नेमतों का इससे बड़ा इनकार और क्या हो सकता है?
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاللّٰهُ جَعَلَ لَكُمْ مِّنْ اَنْفُسِكُمْ اَزْوَاجًا وَّجَعَلَ لَكُمْ مِّنْ اَزْوَاجِكُمْ بَنِیْنَ وَحَفَدَةً وَّرَزَقَكُمْ مِّنَ الطَّیِّبٰتِ ؕ— اَفَبِالْبَاطِلِ یُؤْمِنُوْنَ وَبِنِعْمَتِ اللّٰهِ هُمْ یَكْفُرُوْنَ ۟ۙ
और (ऐ लोगो!) अल्लाह ने तुम्हारे लिए तुम्हारे ही वर्ग से पत्नियाँ बनाईं, जिनसे तुम शांति प्राप्त करते हो, और तुम्हारी पत्नियों से तुम्हारे लिए बेटे और पोते बनाए, और तुम्हें खाने की पवित्र चीज़ें प्रदान कीं (जैसे- मांस, अनाज और फल)। तो क्या वे झूठी मूर्तियों और पत्थरों को मानते हैं, और अल्लाह की उन ढेर सारी नेमतों का इनकार करते हैं, जिन्हें वे गिन भी नहीं सकते, और अल्लाह का शुक्रिया नहीं अदा करते कि केवल उसी पर ईमान लाएँ?
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• جعل تعالى لعباده من ثمرات النخيل والأعناب منافع للعباد، ومصالح من أنواع الرزق الحسن الذي يأكله العباد طريًّا ونضيجًا وحاضرًا ومُدَّخَرًا وطعامًا وشرابًا.
• खजूर और अंगूर के फलों में अल्लाह ने बंदों के बहुत-से फ़ायदे और हित रखे हैं। वे दोनों उत्तम खाद्य पदार्थ हैं, जिन्हें बंदे नरम एवं परिपक्व हालत में, तत्काल और जमा करके, भोजन और पेय के रूप में उपयोग करते हैं।

• في خلق النحلة الصغيرة وما يخرج من بطونها من عسل لذيذ مختلف الألوان بحسب اختلاف أرضها ومراعيها، دليل على كمال عناية الله تعالى، وتمام لطفه بعباده، وأنه الذي لا ينبغي أن يوحَّد غيره ويُدْعى سواه.
• छोटी-सी मधुमक्खी पैदा करने और उसके पेट से अलग-अलग भूमि और चरागाहों के अनुसार, विभिन्न रंगों के स्वादिष्ट शहद के निकलने में, अल्लाह सर्वशक्तिमान की अपने बंदों की संपूर्ण देखभाल और उनके प्रति उसकी पूर्ण दया का प्रमाण है, और यह कि वही वह अस्तित्व है जिसके अलावा किसी अन्य को एकमात्र पूज्य समझना और उसके सिवा किसी अन्य को पुकारना उचित नहीं है।

• من منن الله العظيمة على عباده أن جعل لهم أزواجًا ليسكنوا إليها، وجعل لهم من أزواجهم أولادًا تقرُّ بهم أعينهم، ويخدمونهم ويقضون حوائجهم، وينتفعون بهم من وجوه كثيرة.
• अल्लाह के अपने बंदों पर महान उपकारों में से एक यह भी है कि उसने उनके लिए पत्नियाँ बनाईं, ताकि वे उनसे शांति प्राप्त करें, और उनके लिए उनकी पत्नियों से बच्चे बनाए, जिनसे उनकी आँखें ठंडी होती हैं, तथा वे उनकी सेवा करते हैं और उनकी ज़रूरतें पूरी करते हैं, और वे उनसे कई तरह से लाभ उठाते हैं।

وَیَعْبُدُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ مَا لَا یَمْلِكُ لَهُمْ رِزْقًا مِّنَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ شَیْـًٔا وَّلَا یَسْتَطِیْعُوْنَ ۟ۚ
और ये बहुदेववादी लोग अल्लाह के अलावा ऐसी मूर्तियों की पूजा करते हैं, जो न उन्हें आकाशों तथा धरती से कुछ भी रोज़ी प्रदान करने का अधिकार रखती हैं और न ही उन्हें इसका अधिकार प्राप्त हो सकता है, क्योंकि वे निर्जीव चीज़ें हैं, जिनके पास जीवन या ज्ञान नहीं है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَلَا تَضْرِبُوْا لِلّٰهِ الْاَمْثَالَ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ یَعْلَمُ وَاَنْتُمْ لَا تَعْلَمُوْنَ ۟
अतः (ऐ लोगो!) इन मूर्तियों में से जो लाभ या हानि के मालिक नहीं हैं किसी को अल्लाह के समान न ठहराओ। क्योंकि अल्लाह के समान कोई नहीं है कि उसे तुम इबादत में उसका साझी मानो। अल्लाह अपनी महिमा और पूर्णता के गुणों को जानता है और तुम उसे नहीं जानते। यही कारण है कि तुम बहुदेववाद में पड़ जाते हो और दावा करते हो कि वह तुम्हारी मूर्तियों के समान है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
ضَرَبَ اللّٰهُ مَثَلًا عَبْدًا مَّمْلُوْكًا لَّا یَقْدِرُ عَلٰی شَیْءٍ وَّمَنْ رَّزَقْنٰهُ مِنَّا رِزْقًا حَسَنًا فَهُوَ یُنْفِقُ مِنْهُ سِرًّا وَّجَهْرًا ؕ— هَلْ یَسْتَوٗنَ ؕ— اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ ؕ— بَلْ اَكْثَرُهُمْ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟
अल्लाह ने बहुदेववादियों के खंडन के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया है : एक पराधीन दास है, जिसे कोई अधिकार प्राप्त नहीं है। उसके पास खर्च करने के लिए कुछ भी नहीं है। और एक आज़ाद व्यक्ति है, जिसे हमने अपने पास से वैध धन प्रदान किया है, जिसमें वह जैसे चाहे, व्यवहार करे। चुनाँचे वह उसमें से गुप्त रूप से और खुले तौर पर जितना चाहता है, खर्च करता है। तो ये दोनों व्यक्ति बराबर नहीं हो सकते। फिर तुम उस अल्लाह को, जो मालिक है, अपने स्वामित्व की चीज़ों में जैसे चाहे व्यवहार करता है, अपनी असहाय मूर्तियों के बराबर कैसे बनाते हो?! सारी प्रशंसा अल्लाह के लिए है, जो प्रशंसा का हक़दार है। परंतु अधिकतर बहुदेववादी इस बात को नहीं जानते कि पूज्यता एकमात्र अल्लाह ही के लिए विशिष्ट है और अकेला वही पूजा किए जाने के योग्य है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَضَرَبَ اللّٰهُ مَثَلًا رَّجُلَیْنِ اَحَدُهُمَاۤ اَبْكَمُ لَا یَقْدِرُ عَلٰی شَیْءٍ وَّهُوَ كَلٌّ عَلٰی مَوْلٰىهُ ۙ— اَیْنَمَا یُوَجِّهْهُّ لَا یَاْتِ بِخَیْرٍ ؕ— هَلْ یَسْتَوِیْ هُوَ ۙ— وَمَنْ یَّاْمُرُ بِالْعَدْلِ ۙ— وَهُوَ عَلٰی صِرَاطٍ مُّسْتَقِیْمٍ ۟۠
अल्लाह ने उनके तर्क के खंडन के लिए एक और उदाहरण दिया है, जो दो आदमियों का उदाहरण है : उनमें से एक गूँगा है। जो अपने बहरेपन और गूँगेपन के कारण, न सुनता है, न बोलता है और न समझता है। वह खुद को और दूसरों को लाभ पहुँचाने में अक्षम है, तथा वह अपने अभिभावक पर एक भारी बोझ है। वह उसे जहाँ भी भेजता है, कोई भलाई लेकर नहीं आता और न किसी अपेक्षित चीज़ को प्राप्त करने में सफल होता है। क्या जिसकी यह स्थिति है, उसके बराबर हो सकता है, जो अच्छी तरह सुनने और बोलने वाला है, तथा उसका लाभ दूसरों तक पहुँचने वाला है। क्योंकि वह लोगों को न्याय करने का आदेश देता है, और वह अपने आप में सदाचारी है। अतः वह एक स्पष्ट मार्ग पर है, जिसमें कोई संदेह और टेढ़ापन नहीं है?! तो भला तुम (ऐ बहुदेववादियो!) अल्लाह को, जो महिमा और पूर्णता के गुणों से विशिष्ट है, अपनी उन मूर्तियों के बराबर कैसे बनाते हो, जो न सुन सकती हैं, न बोल सकती हैं और न कोई लाभ पहुँचा सकती हैं और न कोई हानि दूर कर सकती हैं?!
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلِلّٰهِ غَیْبُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— وَمَاۤ اَمْرُ السَّاعَةِ اِلَّا كَلَمْحِ الْبَصَرِ اَوْ هُوَ اَقْرَبُ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌ ۟
आकाशों और धरती की छिपी बातों का ज्ञान केवल अल्लाह के पास है। उसका ज्ञान उसी के साथ विशिष्ट है, उसकी किसी सृष्टि को इसका ज्ञान नहीं है। और क़ियामत का मामला, जो उसके साथ विशिष्ट ग़ैब (परोक्ष) की बातों में से है, उसके आने की गति में जब वह उसका इरादा करे, तो वह एक आँख की पलक को बंद करने और खोलने की तरह है, बल्कि वह इससे भी अधिक निकट है। निःसंदेह अल्लाह हर चीज़ पर सर्वशक्तिमान है। उसे कोई चीज़ विवश नहीं कर सकती। जब वह किसी चीज़ का इरादा करता है, तो उससे कहता है : (हो जा), तो वह हो जाती है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاللّٰهُ اَخْرَجَكُمْ مِّنْ بُطُوْنِ اُمَّهٰتِكُمْ لَا تَعْلَمُوْنَ شَیْـًٔا ۙ— وَّجَعَلَ لَكُمُ السَّمْعَ وَالْاَبْصَارَ وَالْاَفْـِٕدَةَ ۙ— لَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ ۟
और अल्लाह ने तुम्हें (ऐ लोगो!) तुम्हारी माताओं के पेट से, गर्भावस्था के समय के पूरे होने के बाद, शिशु के रूप में निकाला, तुम कुछ नहीं जानते थे, और उसने तुम्हारे लिए कान बनाए ताकि उससे सुन सको, और आँखें बनाईं ताकि उनसे देख सको और हृदय बनाए ताकि उससे समझ सको, इस उम्मीद में कि तुम उसकी नेमतों का शुक्रिया अदा करो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَلَمْ یَرَوْا اِلَی الطَّیْرِ مُسَخَّرٰتٍ فِیْ جَوِّ السَّمَآءِ ؕ— مَا یُمْسِكُهُنَّ اِلَّا اللّٰهُ ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیٰتٍ لِّقَوْمٍ یُّؤْمِنُوْنَ ۟
क्या बहुदेववादियों ने पक्षियों को वशीभूत, हवा में उड़ने के लिए तैयार नहीं देखा, कि अल्लाह ने उन्हें पंख प्रदान करके और हवा को हल्की बनाकर तथा उन्हें अपने पंख को फैलाने और समेटने की प्रेरणा देकर कैसे उड़ने के लायक़ बनाया? उन्हें हवा में गिरने से केवल अल्लाह सर्वशक्तिमान ही रोकता है। निश्चय इस वशीकरण और गिरने से थामे रखे में उन लोगों के लिए संकेत हैं, जो अल्लाह पर विश्वास रखते हैं; क्योंकि वही लोग संकेतों और शिक्षाओं से लाभ उठाते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
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• لله تعالى الحكمة البالغة في قسمة الأرزاق بين العباد، إذ جعل منهم الغني والفقير والمتوسط؛ ليتكامل الكون، ويتعايش الناس، ويخدم بعضهم بعضًا.
• बंदों के बीच आजीविका को विभाजित करने में अल्लाह की व्यापक हिकमत है। क्योंकि उसने उन्हें अमीर, ग़रीब और मध्यम वर्गीय बनाया है। ताकि यह ब्रह्मांड पूरा हो जाए, लोग एक-दूसरे के संग जीवन बिताएँ और एक-दूसरे की सेवा करें।

• دَلَّ المثلان في الآيات على ضلالة المشركين وبطلان عبادة الأصنام؛ لأن شأن الإله المعبود أن يكون مالكًا قادرًا على التصرف في الأشياء، وعلى نفع غيره ممن يعبدونه، وعلى الأمر بالخير والعدل.
• उपर्युक्त आयतों में मौजूद दोनों उदाहरण बहुदेववादियों की गुमराही और मूर्तिपूजा की अमान्यता को दर्शाते हैं। क्योंकि सत्य पूज्य की महिमा यह है कि वह मालिक हो, सभी चीज़ों के अंदर तसर्रुफ़ (रद्दोबदल) करने, अपने उपासकों को लाभ पहुँचाने, भलाई तथा न्याय का आदेश देने में सक्षम हो।

• من نعمه تعالى ومن مظاهر قدرته خلق الناس من بطون أمهاتهم لا علم لهم بشيء، ثم تزويدهم بوسائل المعرفة والعلم، وهي السمع والأبصار والأفئدة، فبها يعلمون ويدركون.
• अल्लाह की नेमतों और उसकी शक्ति की अभिव्यक्तियों में से एक यह है कि उसने लोगों को उनकी माताओं के पेट से इस हाल में पैदा किया कि उन्हें किसी भी चीज़ का ज्ञान नहीं था। फिर उन्हें ज्ञान और जानकारी के साधन अर्थात् आँख, कान और दिल प्रदान किए, जिनके द्वारा वे ज्ञान प्राप्त करते हैं।

وَاللّٰهُ جَعَلَ لَكُمْ مِّنْ بُیُوْتِكُمْ سَكَنًا وَّجَعَلَ لَكُمْ مِّنْ جُلُوْدِ الْاَنْعَامِ بُیُوْتًا تَسْتَخِفُّوْنَهَا یَوْمَ ظَعْنِكُمْ وَیَوْمَ اِقَامَتِكُمْ ۙ— وَمِنْ اَصْوَافِهَا وَاَوْبَارِهَا وَاَشْعَارِهَاۤ اَثَاثًا وَّمَتَاعًا اِلٰی حِیْنٍ ۟
अल्लाह ने तुम्हारे पत्थर एवं अन्य चीज़ों के बनाए हुए घरों को तुम्हारे लिए स्थिरता और विश्राम का स्थान बनाया। तथा ऊँट, गाय और बकरी की खालों से तुम्हारे लिए शहरी घरों की तरह रेगिस्तान (दीहात) में तंबू और गुंबद बनाए, जिन्हें तुम्हारे लिए अपने सफ़र के दौरान एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना आसान होता है, और तुम्हारे पड़ाव डालने के समय उन्हें आसानी से लगाया जा सकता है। तथा भेड़ के ऊन, ऊँट के रोएँ और बकरी के बालों से तुम्हारे घरों के सामान, कपड़े और ग़िलाफ़ बनाए, जिनसे तुम एक निर्धारित समय तक लाभ उठाते हो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاللّٰهُ جَعَلَ لَكُمْ مِّمَّا خَلَقَ ظِلٰلًا وَّجَعَلَ لَكُمْ مِّنَ الْجِبَالِ اَكْنَانًا وَّجَعَلَ لَكُمْ سَرَابِیْلَ تَقِیْكُمُ الْحَرَّ وَسَرَابِیْلَ تَقِیْكُمْ بَاْسَكُمْ ؕ— كَذٰلِكَ یُتِمُّ نِعْمَتَهٗ عَلَیْكُمْ لَعَلَّكُمْ تُسْلِمُوْنَ ۟
और अल्लाह ने तुम्हें गर्मी से छाया प्रदान करने के लिए पेड़ों और मकानों की छाया बनाई, और तुम्हारे लिए पहाड़ों में माँद, खोह और गुफाएँ बनाईं, जहाँ तुम ठंड, गर्मी और दुश्मन से बचते हो और तुम्हें सूती तथा अन्य वस्तुओं के कपड़े प्रदान किए, जो तुम्हें गर्मी और ठंड से बचाते हैं, और तुम्हें कवच प्रदान किए, जो युद्ध में दुश्मन की वार से बचाते हैं, जिसके कारण हथियार तुम्हारे शरीर में प्रवेश नहीं करता। जिस तरह अल्लाह ने तुम्हें पिछली नेमतें प्रदान की हैं, उसी तरह वह तुम पर अपनी नेमतें पूरी करता है, इस आशा में एक अल्लाह के आज्ञाकारी बन जाओ और किसी को उसका साझी न बनाओ।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَاِنْ تَوَلَّوْا فَاِنَّمَا عَلَیْكَ الْبَلٰغُ الْمُبِیْنُ ۟
फिर यदि वे (ऐ रसूल!) आपके लाए हुए धर्म को मानने और उसकी पुष्टि करने से मुँह मोड़ें, तो आपका कार्य केवल उसे स्पष्ट रूप से पहुँचा देना है, जिसके पहुँचाने का आपको आदेश दिया गया है। आपका काम उन्हें हिदायत स्वीकारने पर मजबूर करना नहीं है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
یَعْرِفُوْنَ نِعْمَتَ اللّٰهِ ثُمَّ یُنْكِرُوْنَهَا وَاَكْثَرُهُمُ الْكٰفِرُوْنَ ۟۠
अल्लाह ने बहुदेववादियों को जो नेमतें दे रखी हैं, वे उन्हें अच्छी तरह पहचानते हैं, जिनमें एक नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को उनकी ओर रसूल बनाकर भेजना भी शामिल है। फिर वे उनके प्रति आभार प्रकट न करके और उसके रसूल को झुठलाकर, उसकी नेमतों का इनकार करते हैं। और उनमें से अधिकतर लोग अल्लाह की नेमतों का इनकार ही करने वाले हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَیَوْمَ نَبْعَثُ مِنْ كُلِّ اُمَّةٍ شَهِیْدًا ثُمَّ لَا یُؤْذَنُ لِلَّذِیْنَ كَفَرُوْا وَلَا هُمْ یُسْتَعْتَبُوْنَ ۟
और (ऐ रसूल!) याद करें, जिस दिन अल्लाह हर समुदाय के रसूल को खड़ा करेगा, जो उस समुदाय के मोमिन के ईमान और काफ़िर के कुफ़्र की गवाही देगा। फिर उसके बाद काफ़िरों को अपने कुफ़्र का बहाना पेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, और न ही वे दुनिया में वापस लौटाए जाएँगे कि अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त करने के काम कर सकें। क्योंकि आख़िरत हिसाब का घर है, काम का घर नहीं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاِذَا رَاَ الَّذِیْنَ ظَلَمُوا الْعَذَابَ فَلَا یُخَفَّفُ عَنْهُمْ وَلَا هُمْ یُنْظَرُوْنَ ۟
और जब शिर्क करने वाले अत्याचारी लोग यातना को देख लेंगे, तो उनसे यातना कम नहीं की जाएगी और न ही उनसे यातना को टालकर उन्हें मोहलत दी जाएगी। बल्कि वे उसमें हमेशा-हमेशा के लिए प्रवेश करेंगे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاِذَا رَاَ الَّذِیْنَ اَشْرَكُوْا شُرَكَآءَهُمْ قَالُوْا رَبَّنَا هٰۤؤُلَآءِ شُرَكَآؤُنَا الَّذِیْنَ كُنَّا نَدْعُوْا مِنْ دُوْنِكَ ۚ— فَاَلْقَوْا اِلَیْهِمُ الْقَوْلَ اِنَّكُمْ لَكٰذِبُوْنَ ۟ۚ
और जब मुश्रिक लोग क़ियामत के दिन अपने उन पूज्यों को देख लेंगे, जिनकी वे अल्लाह को छोड़कर पूजा किया करते थे, तो कहेंगे : ऐ हमारे पालनहार! यही हमारे वे साझी हैं, जिन्हें हम तुझे छोड़कर पूजा करते थे। ऐसा इस उद्देश्य से कहेंगे कि अपना बोझ उनपर डाल दें। तो अल्लाह उनके पूज्यों को बोलने की शक्ति प्रदान कर देगा और वे उनकी बात का खंडन करते हुए कहेंगे : (ऐ मुश्रिको!) निश्चय तुम अल्लाह के साथ एक साझी की पूजा करने में झूठे हो। क्योंकि उसके साथ कोई साझी ही नहीं कि उसकी पूजा की जाए।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاَلْقَوْا اِلَی اللّٰهِ یَوْمَىِٕذِ ١لسَّلَمَ وَضَلَّ عَنْهُمْ مَّا كَانُوْا یَفْتَرُوْنَ ۟
उस दिन शिर्क करने वाले अल्लाह के समक्ष समर्पण कर देंगे और अकेले उसी के आज्ञानुवर्ती बन जाएँगे, तथा उनका यह गढ़ा हुआ दावा हवा हो जाएगा कि उनकी मूर्तियाँ अल्लाह के निकट उनकी सिफ़ारिश करेंगी।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• دلت الآيات على جواز الانتفاع بالأصواف والأوبار والأشعار على كل حال، ومنها استخدامها في البيوت والأثاث.
• इन आयतों से प्रमाणित हुआ कि ऊन, रोम और बालों से हर तरह लाभ उठाना जायज़ है। उन्हीं में से उनका घरों और फर्नीचर में उपयोग करना भी है।

• كثرة النعم من الأسباب الجالبة من العباد مزيد الشكر، والثناء بها على الله تعالى.
• नेमतों की अधिकता उन कारणों में से है जो बंदों से अधिक आभार प्रकट करने और उनके द्वारा अल्लाह सर्वशक्तिमान की प्रशंसा करने की अपेक्षा करते हैं।

• الشهيد الذي يشهد على كل أمة هو أزكى الشهداء وأعدلهم، وهم الرسل الذين إذا شهدوا تمّ الحكم على أقوامهم.
• वह गवाह जो हर समुदाय पर गवाही देगा, सबसे सच्चा और सबसे न्यायवान् गवाह है। और वे पैगंबर गण हैं, जिनके गवाही देने पर उनकी जातियों का निर्णय कर दिया जाएगा।

• في قوله تعالى: ﴿وَسَرَابِيلَ تَقِيكُم بِأْسَكُمْ﴾ دليل على اتخاذ العباد عدّة الجهاد؛ ليستعينوا بها على قتال الأعداء.
• अल्लाह तआला के फ़रमान : {وَسَرَابِيلَ تَقِيكُم بِأْسَكُمْ} (और ऐसे वस्त्र प्रदान किए, जो तुम्हें तुम्हारी लड़ाई में बचाते हैं) में युद्ध के सामान तैयार करने का प्रमाण मिलता है, ताकि दुश्मनों से लड़ने के लिए उनका इस्तेमाल किया जाए।

اَلَّذِیْنَ كَفَرُوْا وَصَدُّوْا عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ زِدْنٰهُمْ عَذَابًا فَوْقَ الْعَذَابِ بِمَا كَانُوْا یُفْسِدُوْنَ ۟
जिन लोगों ने अल्लाह का इनकार किया और दूसरों को अल्लाह के मार्ग से रोका, वे अपने कुफ़्र के कारण जिस यातना के हक़दार थे, हम (उनके स्वयं भ्रष्ट होने तथा दूसरों को गुमराह करके भ्रष्टाचार पैदा करने के कारण) उनकी यातना उससे और अधिक कर देंगे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَیَوْمَ نَبْعَثُ فِیْ كُلِّ اُمَّةٍ شَهِیْدًا عَلَیْهِمْ مِّنْ اَنْفُسِهِمْ وَجِئْنَا بِكَ شَهِیْدًا عَلٰی هٰۤؤُلَآءِ ؕ— وَنَزَّلْنَا عَلَیْكَ الْكِتٰبَ تِبْیَانًا لِّكُلِّ شَیْءٍ وَّهُدًی وَّرَحْمَةً وَّبُشْرٰی لِلْمُسْلِمِیْنَ ۟۠
और (ऐ रसूल!) उस दिन को याद करें, जब हम हर समुदाय में एक रसूल को खड़ा करेंगे, जो उनके कुफ़्र या ईमान की गवाही देगा। यह रसूल उन्हीं के समुदाय से होगा और उन्हीं की भाषा में बात करेगा। और (ऐ रसूल!) हम आपको सभी समुदायों पर गवाह बनाकर लाएँगे। और हमने आपपर क़ुरआन को हर उस चीज़ को स्पष्ट करने के लिए उतारा है, जिसके स्पष्टीकरण की आवश्यकता है, जैसे कि हलाल एवं हराम, पुण्य एवं दंड, इत्यादि। तथा हमने उसे लोगों को सत्य का मार्ग दिखाने, उसपर ईमान लाने और उसके अनुसार कार्य करने वाले के लिए दया और अल्लाह पर ईमान रखने वालों के लिए उस स्थायी नेमत की शुभ सूचना के रूप में उतारा है, जिसकी उन्हें प्रतीक्षा है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِنَّ اللّٰهَ یَاْمُرُ بِالْعَدْلِ وَالْاِحْسَانِ وَاِیْتَآئِ ذِی الْقُرْبٰی وَیَنْهٰی عَنِ الْفَحْشَآءِ وَالْمُنْكَرِ وَالْبَغْیِ ۚ— یَعِظُكُمْ لَعَلَّكُمْ تَذَكَّرُوْنَ ۟
अल्लाह अपने बंदों को न्याय का आदेश देता है कि बंदा अल्लाह के हक़ और बंदों के हक़ अदा करे और निर्णय करते समय बिना औचित्य के किसी को किसी पर वरीयता न दे। तथा वह उपकार का आदेश देता है कि बंदा अनुग्रह करते हुए ऐसे कार्य करे, जिसके लिए वह बाध्य नहीं है, जैसे कि स्वेच्छा से खर्च करना और अत्याचारी को क्षमा कर देना। और रिश्तेदारों को उनकी आवश्यकता की चीज़ें देने का आदेश देता है। और हर बुरी चीज़ से रोकता है, चाहे उसका संबंध बात से हो, जैसे- गंदी बात कहना या कार्य से, जैसे- व्यभिचार। और उससे रोकता है, जो शरीयत की नज़र में नापसंदीदा है और इसमें सारे पाप शामिल हैं। और अत्याचार तथा अहंकार से रोकता है। अल्लाह ने इस आयत में तुम्हें जिन बातों का आदेश दिया है और जिन कार्यों से रोका है, उनके निष्पादन का तुम्हें उपदेश देता है। इस उम्मीद में कि तुम उसके उपदेश पर ध्यान दो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاَوْفُوْا بِعَهْدِ اللّٰهِ اِذَا عٰهَدْتُّمْ وَلَا تَنْقُضُوا الْاَیْمَانَ بَعْدَ تَوْكِیْدِهَا وَقَدْ جَعَلْتُمُ اللّٰهَ عَلَیْكُمْ كَفِیْلًا ؕ— اِنَّ اللّٰهَ یَعْلَمُ مَا تَفْعَلُوْنَ ۟
अल्लाह या उसके बंदों को दिए हुए हर वचन को पूरा करो, और अल्लाह की क़सम खाकर क़समों को सुदृढ़ करने के बाद, उन्हें मत तोड़ो, हालाँकि तुमने अल्लाह को अपने आपपर गवाह बनाया है कि तुम अपनी क़समों को पूरा करोगे। निश्चय अल्लाह जानता है, जो कुछ तुम करते हो। उसमें से कुछ भी उससे छिपा नहीं है, और वह तुम्हें उसका बदला देगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَا تَكُوْنُوْا كَالَّتِیْ نَقَضَتْ غَزْلَهَا مِنْ بَعْدِ قُوَّةٍ اَنْكَاثًا ؕ— تَتَّخِذُوْنَ اَیْمَانَكُمْ دَخَلًا بَیْنَكُمْ اَنْ تَكُوْنَ اُمَّةٌ هِیَ اَرْبٰی مِنْ اُمَّةٍ ؕ— اِنَّمَا یَبْلُوْكُمُ اللّٰهُ بِهٖ ؕ— وَلَیُبَیِّنَنَّ لَكُمْ یَوْمَ الْقِیٰمَةِ مَا كُنْتُمْ فِیْهِ تَخْتَلِفُوْنَ ۟
तुम प्रतिज्ञाओं को तोड़कर उस मूर्ख स्त्री की तरह मूर्ख और अल्पबुद्धि मत बनो, जिसने पूरी मेहनत से, अच्छी तरह ऊन या सूत काता, फिर उसे उधेड़कर रख दिया। उसने सूत कातने और उसे उधेड़ने में मेहनत की, लेकिन उसे वह नहीं मिला जो वह चाहती थी। तुम अपनी क़समों को एक-दूसरे को धोखा देने का साधन बनाते हो, ताकि तुम्हारा समुदाय तुम्हारे दुश्मन के समुदाय से अधिक और मज़बूत हो जाए। वास्तव में, अल्लाह तुम्हारा प्रतिज्ञाओं की पूर्ति के साथ परीक्षण करता है कि तुम उन्हें पूरा करते हो, या उन्हें तोड़ते हो? और अल्लाह क़ियामत के दिन उन सारे मामलों को निश्चित रूप से स्पष्ट कर देगा, जिनके बारे में तुम दुनिया में मतभेद किया करते थे। चुनाँचे वह बता देगा कि कौन सत्य पर था और कौन असत्य पर, तथा कौन सच्चा था और कौन झूठा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَوْ شَآءَ اللّٰهُ لَجَعَلَكُمْ اُمَّةً وَّاحِدَةً وَّلٰكِنْ یُّضِلُّ مَنْ یَّشَآءُ وَیَهْدِیْ مَنْ یَّشَآءُ ؕ— وَلَتُسْـَٔلُنَّ عَمَّا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ۟
औ अगर अल्लाह चाहता तो तुम्हें एक ही समुदाय बना देता, जो सत्य मार्ग पर चल रहा होता, मगर अल्लाह जिसे चाहता है, अपने न्याय के अनुसार सत्य से दूर कर देता है और प्रतिज्ञाओं के अनुपालन से वंचित कर देता है। और जिसे चाहता है अपनी कृपा से उसका सामर्थ्य प्रदान करता है। और क़ियामत के दिन तुमसे उसके बारे में अवश्य पूछा जाएगा, जो तुम दुनिया में किया करते थे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• للكفار الذين يصدون عن سبيل الله عذاب مضاعف بسبب إفسادهم في الدنيا بالكفر والمعصية.
• अल्लाह की राह से रोकने वाले काफ़िरों के लिए कुफ़्र और पाप के द्वारा धरती में बिगाड़ पैदा करने के कारण कई गुना अज़ाब होगा।

• لا تخلو الأرض من أهل الصلاح والعلم، وهم أئمة الهدى خلفاء الأنبياء، والعلماء حفظة شرائع الأنبياء.
• धरती नेक और ज्ञान रखने वाले लोगों से खाली नहीं होती। वही मार्गदर्शन के इमाम, नबियों के उत्तराधिकारी हैं। तथा उलमा (विद्वान) नबियों की शरीयतों के रखवाले हैं।

• حدّدت هذه الآيات دعائم المجتمع المسلم في الحياة الخاصة والعامة للفرد والجماعة والدولة.
• इन आयतों में व्यक्ति, समूह और राज्य के निजी और सार्वजनिक जीवन में मुस्लिम समाज के स्तंभों को चिह्नित किया गया है।

• النهي عن الرشوة وأخذ الأموال على نقض العهد.
• वचन तोड़ने के बदले में घूस और धन लेने की मनाही।

وَلَا تَتَّخِذُوْۤا اَیْمَانَكُمْ دَخَلًا بَیْنَكُمْ فَتَزِلَّ قَدَمٌ بَعْدَ ثُبُوْتِهَا وَتَذُوْقُوا السُّوْٓءَ بِمَا صَدَدْتُّمْ عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ ۚ— وَلَكُمْ عَذَابٌ عَظِیْمٌ ۟
और तुम अपनी क़समों को धोखे का साधन न बनाओ कि अपने मन की इच्छाओं का पालन करते हुए, एक-दूसरे को धोखा दो। चुनाँचे जब चाहो क़समें तोड़ दो और जब चाहो पूरा करो। क्योंकि अगर तुम ऐसा करोगे, तो तुम्हारे पैर सीधे मार्ग से, उसपर जमन के उपरांत भी, हट जाएंँगे और तुम स्वयं अल्लाह के रास्ते से भटकने और दूसरों को उससे भटकाने के कारण यातना चखोगे और तुम्हारे लिए कई गुना यातना होगी।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَا تَشْتَرُوْا بِعَهْدِ اللّٰهِ ثَمَنًا قَلِیْلًا ؕ— اِنَّمَا عِنْدَ اللّٰهِ هُوَ خَیْرٌ لَّكُمْ اِنْ كُنْتُمْ تَعْلَمُوْنَ ۟
और अल्लाह की प्रतिज्ञा को थोड़ी सी क़ीमत से न बदलो कि उसकी प्रतिज्ञा को तोड़ दो और उसे पूरी न करो। वास्तविकता यह है कि इस संसार में अल्लाह जो विजय और ग़नीमत के धन प्रदान करेगा और आख़िरत में जो स्थायी आनंद प्रदान करेगा, वह तुम्हारे लिए उस थोड़े से मुआवज़े से बेहतर है, जो तुम्हें प्रतिज्ञा तोड़ने पर प्राप्त होता है, यदि तुम इस तथ्य को जानते हो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
مَا عِنْدَكُمْ یَنْفَدُ وَمَا عِنْدَ اللّٰهِ بَاقٍ ؕ— وَلَنَجْزِیَنَّ الَّذِیْنَ صَبَرُوْۤا اَجْرَهُمْ بِاَحْسَنِ مَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟
(ऐ लोगो!) जो धन, सुख-सामग्री और नेमतें तुम्हारे पास हैं, वे ख़त्म हो जाएँगी, भले ही वे बहुत अधिक हों। जबकि अल्लाह के पास जो बदला है, वह बाकी रहने वाला है। तो तुम कैसे बाक़ी रहने वाले पर एक नश्वर को वरीयता देते हो? और हम उन लोगों को, जो अपनी प्रतिज्ञाओं पर क़ायम रहे और उन्हें किसी हाल में नहीं तोड़ा, उनका बदला उनके उत्तम कार्यों के अनुसार प्रदान करेंगे। अतः हम उन्हें एक नेकी बदला दस गुना से, सात सौ गुना तक, बल्कि उससे भी अधिक गुना तक देंगे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
مَنْ عَمِلَ صَالِحًا مِّنْ ذَكَرٍ اَوْ اُ وَهُوَ مُؤْمِنٌ فَلَنُحْیِیَنَّهٗ حَیٰوةً طَیِّبَةً ۚ— وَلَنَجْزِیَنَّهُمْ اَجْرَهُمْ بِاَحْسَنِ مَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟
जो भी शरीयत के अनुसार नेक काम करे, चाहे वह पुरुष हो या महिला, और वह अल्लाह पर ईमान रखने वाला हो, तो हम उसे अल्लाह के फ़ैसले से संतुष्टि और उसके साथ संतोष और नेक कार्यों की तौफ़ीक़ से भरा हुआ एक अच्छा जीवन प्रदान करेंगे और हम आख़िरत में उन्हें, दुनिया में उनके द्वारा किए गए अच्छे कार्यों का, सर्वश्रेष्ठ बदला प्रदान करेंगे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَاِذَا قَرَاْتَ الْقُرْاٰنَ فَاسْتَعِذْ بِاللّٰهِ مِنَ الشَّیْطٰنِ الرَّجِیْمِ ۟
अतः (ऐ मोमिन!) जब तुम क़ुरआन पढ़ना चाहो, तो अल्लाह से दुआ करो को वह तुम्हें अल्लाह की दया से निष्कासित शैतान के वसवसे (बुरे ख़याल) से सुरक्षित रखे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِنَّهٗ لَیْسَ لَهٗ سُلْطٰنٌ عَلَی الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَلٰی رَبِّهِمْ یَتَوَكَّلُوْنَ ۟
शैतान का ज़ोर उन लोगों पर नहीं चलता, जो अल्लाह पर ईमान लाए और वे अपने सभी कार्यों में केवल अपने पालनहार पर भरोसा रखते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِنَّمَا سُلْطٰنُهٗ عَلَی الَّذِیْنَ یَتَوَلَّوْنَهٗ وَالَّذِیْنَ هُمْ بِهٖ مُشْرِكُوْنَ ۟۠
बुरे ख़यालों द्वारा उसका प्रभुत्व तो केवल उन लोगों पर है, जो उसे अपना दोस्त बनाते हैं और उसके बहकावे में उसका पालन करते हैं, तथा उसके बहकाने के कारण अल्लाह का साझी बनाने वाले हैं, उसके साथ दूसरे की पूजा करते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاِذَا بَدَّلْنَاۤ اٰیَةً مَّكَانَ اٰیَةٍ ۙ— وَّاللّٰهُ اَعْلَمُ بِمَا یُنَزِّلُ قَالُوْۤا اِنَّمَاۤ اَنْتَ مُفْتَرٍ ؕ— بَلْ اَكْثَرُهُمْ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟
जब हम क़ुरआन की किसी आयत का हुक्म दूसरी आयत के ज़रिए निरस्त करते हैं (और अल्लाह उसे अधिक जानने वाला है जो वह क़ुरआन में से किसी हिकमत के कारण निरस्त करता है और उसे भी जानने वाला है, जो वह उसमें से निरस्त नहीं करता है), तो वे कहते हैं : (ऐ मुहम्मद!) तुम तो झूठे हो, अल्लाह पर झूठ गढ़ते हो। बल्कि, उनमें से अधिकांश को यह नहीं पता कि निरस्त करना अल्लाह की व्यापक हिकमत के तहत होता है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ نَزَّلَهٗ رُوْحُ الْقُدُسِ مِنْ رَّبِّكَ بِالْحَقِّ لِیُثَبِّتَ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَهُدًی وَّبُشْرٰی لِلْمُسْلِمِیْنَ ۟
(ऐ रसूल!) उनसे कह दें : इस क़ुरआन को जिबरील अलैहिस्सलाम अल्लाह की ओर से, सत्य के साथ लेकर उतरे हैं, जिसमें कोई त्रुटि, या परिवर्तन या विकृति नहीं है। ताकि जब भी उसकी कोई नई आयत उतरे और उसमें से कुछ को निरस्त किया जाए, तो वह अल्लाह पर ईमान रखने वालों को उनके ईमान पर मज़बूत कर दे, और ताकि यह उनके लिए सत्य का मार्गदर्शन हो, और मुसलमानों के लिए उन्हें प्राप्त होने वाले उत्कृष्ट बदले की शुभ सूचना हो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• العمل الصالح المقرون بالإيمان يجعل الحياة طيبة.
• ईमान की दौलत से सुसज्जित नेक अमल जीवन को अच्छा बना देता है।

• الطريق إلى السلامة من شر الشيطان هو الالتجاء إلى الله، والاستعاذة به من شره.
• शैतान की बुराई से सुरक्षा का रास्ता अल्लाह का आश्रय लेना और शैतान की बुराई से अल्लाह की शरण माँगना है।

• على المؤمنين أن يجعلوا القرآن إمامهم، فيتربوا بعلومه، ويتخلقوا بأخلاقه، ويستضيئوا بنوره، فبذلك تستقيم أمورهم الدينية والدنيوية.
• मुसलमानों को क़ुरआन को अपना इमाम (पथ-प्रदर्शक) बनाकर उसके ज्ञान से शिक्षित होना चाहिए, उसके आचरण से सुसज्जित होना चाहिए और उसके प्रकाश से प्रकाश प्राप्त करना चाहिए। क्योंकि इसी से उनके धार्मिक और सांसारिक मामले ठीक हो सकते हैं।

• نسخ الأحكام واقع في القرآن زمن الوحي لحكمة، وهي مراعاة المصالح والحوادث، وتبدل الأحوال البشرية.
• वह़्य के उतरने के समय, ह़िकमत के तहत, क़ुरआन में अवतरित कुछ नियमों का निरस्तीकरण एक वास्तविकता है। वह ह़िकमत हितों और घटनाओं, तथा मानव स्थितियों के परिवर्तन का ख़याल रखना है।

وَلَقَدْ نَعْلَمُ اَنَّهُمْ یَقُوْلُوْنَ اِنَّمَا یُعَلِّمُهٗ بَشَرٌ ؕ— لِسَانُ الَّذِیْ یُلْحِدُوْنَ اِلَیْهِ اَعْجَمِیٌّ وَّهٰذَا لِسَانٌ عَرَبِیٌّ مُّبِیْنٌ ۟
हम जानते हैं कि बहुदेववादियों का कहना है कि : मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को क़ुरआन तो एक इनसान सिखाता है। हालाँकि वे अपने दावे में झूठे हैं। क्योंकि जिसके बारे में उनका ख़याल है कि वह आपको क़ुरआन सिखाता है, उसकी भाषा ग़ैर-अरबी है, और यह क़ुरआन उच्च बलाग़त (आलंकारिक शैली) वाले स्पष्ट अरबी भाषा में उतरा है। फिर वे कैसे दावा करते हैं कि आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने) इसे एक गैर-अरब व्यक्ति से सीखा है?!
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِنَّ الَّذِیْنَ لَا یُؤْمِنُوْنَ بِاٰیٰتِ اللّٰهِ ۙ— لَا یَهْدِیْهِمُ اللّٰهُ وَلَهُمْ عَذَابٌ اَلِیْمٌ ۟
निःसंदेह जो लोग अल्लाह की आयतों पर विश्वास नहीं रखते कि वे उसी महिमावान की ओर से हैं, अल्लाह उन्हें सत्य की ओर मार्गदर्शन का सामर्थ्य नहीं देता जब तक कि वे अपने इस रवैये पर अटल हैं। तथा अल्लाह के इनकार और उसकी आयतों को झुठलाने के कारण उनके लिए दर्दनाक यातना है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِنَّمَا یَفْتَرِی الْكَذِبَ الَّذِیْنَ لَا یُؤْمِنُوْنَ بِاٰیٰتِ اللّٰهِ ۚ— وَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْكٰذِبُوْنَ ۟
मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अपने पालनहार की ओर से जो कुछ लाए हैं, उसमें वह झूठे नहीं हैं। बल्कि झूठ तो वे लोग गढ़ते हैं, जो अल्लाह की आयतों को सत्य नहीं मानते। क्योंकि उन्हें न किसी यातना का डर है, और न ही उन्हें किसी प्रतिफल की उम्मीद है। ये लोग जो कुफ़्र की विशेषता रखने वाले हैं, वे झूठे हैं। क्योंकि झूठ बोलना उनकी आदत है जिसके वे आदी हो चुके हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
مَنْ كَفَرَ بِاللّٰهِ مِنْ بَعْدِ اِیْمَانِهٖۤ اِلَّا مَنْ اُكْرِهَ وَقَلْبُهٗ مُطْمَىِٕنٌّۢ بِالْاِیْمَانِ وَلٰكِنْ مَّنْ شَرَحَ بِالْكُفْرِ صَدْرًا فَعَلَیْهِمْ غَضَبٌ مِّنَ اللّٰهِ ۚ— وَلَهُمْ عَذَابٌ عَظِیْمٌ ۟
जिसने ईमान लाने के बाद अल्लाह के साथ कुफ़्र किया, सिवाय उस व्यक्ति के जिसे कुफ़्र पर मजबूर किया जाए और वह अपनी ज़बान से कुफ़्र के शब्द का उच्चारण कर ले, जबकि उसका दिल ईमान से संतुष्ट हो और उसकी सच्चाई पर विश्वास रखने वाला हो (तो उसका हुक्म अलग है)। लेकिन जिसका सीना कुफ़्र के लिए खुला हो और वह ईमान के स्थान पर उसी को चुन ले और आज्ञाकारी रूप से अपनी ज़बान से उसका उच्चारण करे, तो वह इस्लाम से फिर जाने वाला है। अतः ऐसे लोगों पर अल्लाह का क्रोध है और उनके लिए बहुत बड़ी यातना है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
ذٰلِكَ بِاَنَّهُمُ اسْتَحَبُّوا الْحَیٰوةَ الدُّنْیَا عَلَی الْاٰخِرَةِ ۙ— وَاَنَّ اللّٰهَ لَا یَهْدِی الْقَوْمَ الْكٰفِرِیْنَ ۟
इस्लाम से उनका यह फिर जाना इस कारण हुआ कि उन्होंने अपने कुफ़्र के बदले में प्राप्त होने वाले दुनिया के थोड़े-से अंश को आख़िरत पर वरीयता दी। और यह कि अल्लाह काफ़िर समुदाय को ईमान की तौफ़ीक़ नहीं देता, बल्कि उन्हें असहाय छोड़ देता है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اُولٰٓىِٕكَ الَّذِیْنَ طَبَعَ اللّٰهُ عَلٰی قُلُوْبِهِمْ وَسَمْعِهِمْ وَاَبْصَارِهِمْ ۚ— وَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْغٰفِلُوْنَ ۟
ईमान लाने के बाद उससे फिर जाने वाले लोगों के दिलों पर अल्लाह ने मुहर लगा दी है, इसलिए वे उपदेशों को नहीं समझते, और उनके कानों में मुहर लगा दी है, इसलिए उन्हें लाभ उठाने के उद्देश्य से नहीं सुनते, और उनकी आँखों पर परदे डाल दिए हैं, इसलिए वे ईमान का प्रमाण प्रस्तुत करने वाली निशानियों को नहीं देखते। और यही लोग हैं, जो सौभाग्य और दुर्भाग्य के कारणों से, तथा उस यातना से ग़ाफ़िल हैं, जो अल्लाह ने उनके लिए तैयार की है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
لَا جَرَمَ اَنَّهُمْ فِی الْاٰخِرَةِ هُمُ الْخٰسِرُوْنَ ۟
वास्तव में, क़ियामत के दिन यही लोग घाटा उठाने वाले लोग हैं, जिन्होंने ईमान लाने के बाद कुफ़्र करके खुद अपना नुक़सान किया, जो यदि उसी पर क़ायम रहते, तो वे जन्नत में प्रवेश करते।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
ثُمَّ اِنَّ رَبَّكَ لِلَّذِیْنَ هَاجَرُوْا مِنْ بَعْدِ مَا فُتِنُوْا ثُمَّ جٰهَدُوْا وَصَبَرُوْۤا ۙ— اِنَّ رَبَّكَ مِنْ بَعْدِهَا لَغَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟۠
फिर (ऐ रसूल!) आपका पालनहार उन कमज़ोर मोमिनों को क्षमा करने वाला और उनपर दया करने वाला है, जिन्होंने मक्का से मदीना की ओर हिजरत की, इसके पश्चात कि बहुदेववादियों ने उन्हें प्रताड़ित किया और उनके धर्म के मामले में उनका परीक्षण किया, यहाँ तक कि वे कुफ़्र का शब्द बोनले पर विवश हो गए, लेकिन उनके दिल ईमान से संतुष्ट थे। फिर उन्होंने अल्लाह के मार्ग में जिहाद किया ताकि अल्लाह की बात सर्वोच्च हो और काफ़िरों की बात नीची रहे और इस मार्ग में आने वाले कष्ट पर धैर्य रखा। निश्चित रूप से आपका पालनहार उस परीक्षण के बाद जिससे वे परीक्षित किए गए और उस प्रताड़ना के बाद जिससे वे प्रताड़ित किए गए, यहाँ तक कि कुफ़्र का शब्द बोलने पर मजबूर हो गए; (आपका पालनहार) उन्हें बहुत क्षमा करने वाला और उनपर अत्यंत दया करने वाला है। क्योंकि उन्होंने कुफ़्र के शब्द का उच्चारण केवल मजबूर किए जाने पर किया था।
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• الترخيص للمُكرَه بالنطق بالكفر ظاهرًا مع اطمئنان القلب بالإيمان.
• मजबूर किए गए व्यक्ति को ज़ाहिरी तौर पर कुफ़्र का शब्द बोलने की छूट है, जबकि उसका दिल ईमान से संतुष्ट हो।

• المرتدون استوجبوا غضب الله وعذابه؛ لأنهم استحبوا الحياة الدنيا على الآخرة، وحرموا من هداية الله، وطبع الله على قلوبهم وسمعهم وأبصارهم، وجعلوا من الغافلين عما يراد بهم من العذاب الشديد يوم القيامة.
• इस्लाम से फिर जाने वाले अल्लाह के क्रोध और यातना के पात्र हुए; क्योंकि उन्होंने दुनिया के जीवन को आख़िरत की तुलना में पसंद किया। इसी कारण वे अल्लाह की हिदायत से वंचित कर दिए गए, और अल्लाह ने उनके दिलों, कानों और आँखों पर मुहर लगा दी और वे क़ियामत के दिन उन्हें मिलने वाली कठोर यातना से ग़ाफ़िल कर दिए गए।

• كَتَبَ الله المغفرة والرحمة للذين آمنوا، وهاجروا من بعد ما فتنوا، وصبروا على الجهاد.
• अल्लाह ने उन लोगों के लिए क्षमा और दया लिख दी है, जो ईमान लाए, आज़माइशों का सामना करने के बाद हिजरत की और जिहाद के मैदान में डटे रहे।

یَوْمَ تَاْتِیْ كُلُّ نَفْسٍ تُجَادِلُ عَنْ نَّفْسِهَا وَتُوَفّٰی كُلُّ نَفْسٍ مَّا عَمِلَتْ وَهُمْ لَا یُظْلَمُوْنَ ۟
और (ऐ रसूल!) उस दिन को याद करें, जिस दिन परिस्थिति इतनी गंभीर होगी कि प्रत्येक व्यक्ति अपनी ओर से झगड़ रहा होगा। वह किसी दूसरे की ओर से नहीं झगड़ेगा। तथा हर इनसान को उसके अच्छे और बुरे कार्यों का पूरा बदला दिया जाएगा। और उनपर इस प्रकार का कोई अत्याचार नहीं होगा कि उनकी नेकियाँ घटा दी जाएँ या उनके गुनाह बढ़ा दिए जाएँ।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَضَرَبَ اللّٰهُ مَثَلًا قَرْیَةً كَانَتْ اٰمِنَةً مُّطْمَىِٕنَّةً یَّاْتِیْهَا رِزْقُهَا رَغَدًا مِّنْ كُلِّ مَكَانٍ فَكَفَرَتْ بِاَنْعُمِ اللّٰهِ فَاَذَاقَهَا اللّٰهُ لِبَاسَ الْجُوْعِ وَالْخَوْفِ بِمَا كَانُوْا یَصْنَعُوْنَ ۟
अल्लाह ने एक बस्ती (जो कि मक्का है) का उदाहरण दिया है, जो सुरक्षित थी उसके निवासियों को कोई भय नहीं था, तथा स्थिरता व शांति वाली थी। जबकि लोग उसके आस-पास से उचक लिए जाते थे। उसकी रोज़ी हर स्थान से आसानी के साथ चली आ रही थी। फिर उसके वासियों ने अल्लाह की नेमतों का इनकार किया और उनका शुक्रिया अदा नहीं किया। तो अल्लाह ने बदले के तौर पर उन्हें भूख और सख़्त भय से ग्रस्त कर दिया, जो उनके शरीर पर घबराहट और कमज़ोरी के रूप में प्रकट हुआ, यहाँ तक कि वे दोनों उनके लिए कपड़े की तरह (चिमट जाने वाले) हो गए। ऐसा दरअसल उनके कुफ़्र एवं झुठलाने के कारण हुआ।
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وَلَقَدْ جَآءَهُمْ رَسُوْلٌ مِّنْهُمْ فَكَذَّبُوْهُ فَاَخَذَهُمُ الْعَذَابُ وَهُمْ ظٰلِمُوْنَ ۟
मक्का वालों के पास उन्हीं में से एक रसूल आया, जिसे वे सच्चाई और अमानतदारी के साथ जानते थे। यह रसूल मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम थे। लेकिन उन्होंने आपपर आपके पालनहार ने जो कुछ उतारा था, उसमें आपको झूठा ठहराया, तो उनपर भूख और भय के रूप में अल्लाह का अज़ाब उतरा। जबकि वे अल्लाह का साझी ठहराने और उसके रसूलों को झुठलाने के कारण अपने आपको विनाश में डालकर स्वयं पर अत्याचार करने वाले थे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَكُلُوْا مِمَّا رَزَقَكُمُ اللّٰهُ حَلٰلًا طَیِّبًا ۪— وَّاشْكُرُوْا نِعْمَتَ اللّٰهِ اِنْ كُنْتُمْ اِیَّاهُ تَعْبُدُوْنَ ۟
इसलिए, (ऐ बंदो!) अल्लाह की दी हुई वह वस्तुएँ जो खाने में अच्छी लगें और हलाल हों, खाओ, और अल्लाह की दी हुई नेमतों का, उन्हें अल्लाह की दी हुई नेमत मानकर और उसकी प्रसन्नता के कामों में लगाकर, शुक्रिया अदा करो, यदि तुम अकेले उसी की इबादत करते हो और उसके साथ किसी को साझी नहीं बनाते हो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِنَّمَا حَرَّمَ عَلَیْكُمُ الْمَیْتَةَ وَالدَّمَ وَلَحْمَ الْخِنْزِیْرِ وَمَاۤ اُهِلَّ لِغَیْرِ اللّٰهِ بِهٖ ۚ— فَمَنِ اضْطُرَّ غَیْرَ بَاغٍ وَّلَا عَادٍ فَاِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟
अल्लाह ने खाने की जो चीजें तुमपर हराम की हैं, वे इस प्रकार हैं : ज़बह किया जाने वाला वह जानवर जो ज़बह किए बिना मर जाए, बहता रक्त, सुअर अपने सभी हिस्सों सहित और वह जानवर जिसे ज़बह करने वाले ने अल्लाह के अलावा किसी और को भेंट के रूप में ज़बह किया हो। यह निषेध उस समय है, जब आदमी स्वेच्छा से खाए। अलबत्ता, अगर कोई व्यक्ति इन्हें खाने को मजबूर हो जाए और उनमें से कुछ खा ले, इस हाल में कि वह हराम का इच्छुक न हो और ज़रूरत की सीमा से आगे बढ़ने वाला न हो; तो उसपर कोई पाप नहीं है। क्योंकि अल्लाह क्षमा करने वाला है। उसने जो कुछ खाया है, उसे माफ़ कर देगा। उसपर दया करने वाला है कि उसे आवश्यकता पड़ने पर इसकी अनुमति प्रदान कर दी।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَا تَقُوْلُوْا لِمَا تَصِفُ اَلْسِنَتُكُمُ الْكَذِبَ هٰذَا حَلٰلٌ وَّهٰذَا حَرَامٌ لِّتَفْتَرُوْا عَلَی اللّٰهِ الْكَذِبَ ؕ— اِنَّ الَّذِیْنَ یَفْتَرُوْنَ عَلَی اللّٰهِ الْكَذِبَ لَا یُفْلِحُوْنَ ۟ؕ
और (ऐ मुश्रिको!) तुम उसके कारण जो तुम्हारी ज़बानें अल्लाह पर झूठ कहती हैं, यह न कहो कि यह चीज़ हलाल है और यह चीज़ हराम है; इस उद्देश्य से कि उस चीज़ को हराम ठहराकर जो अल्लाह ने हराम नहीं किया, या उस चीज़ को हलाल ठहराकर जो उसने हलाल नहीं किया, अल्लाह पर झूठ गढ़ो। निःसंदेह जो लोग अल्लाह पर झूठ गढ़ते हैं, वे न किसी उद्देश्य में सफल होते हैं, और न किसी भय से छुटकारा पाते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
مَتَاعٌ قَلِیْلٌ ۪— وَّلَهُمْ عَذَابٌ اَلِیْمٌ ۟
इस दुनिया में उनके लिए अपनी इच्छाओं का पालन करने के कारण थोड़ा-सा तुच्छ सामान है, और क़ियामत के दिन उनके लिए दर्दनाक यातना है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَعَلَی الَّذِیْنَ هَادُوْا حَرَّمْنَا مَا قَصَصْنَا عَلَیْكَ مِنْ قَبْلُ ۚ— وَمَا ظَلَمْنٰهُمْ وَلٰكِنْ كَانُوْۤا اَنْفُسَهُمْ یَظْلِمُوْنَ ۟
विशेष रूप से यहूदियों पर हमने वे चीज़ें हराम कीं, जिनका वर्णन हम इससे पहले आपके सामने कर चुके हैं। (जैसाकि सूरतुल्-अन्आम की आयत संख्या : 146 में है)। इन चीज़ों को हराम करके हमने उनपर अत्याचार नहीं किया। बल्कि सज़ा के कारणों को अपनाकर, वे स्वंय अपने ऊपर अत्याचार करते थे। इसलिए हमने उन्हें उनकी सरकशी का बदला दिया, और सज़ा के तौर पर इन वस्तुओं को उनपर हराम कर दिया।
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• الجزاء من جنس العمل؛ فإن أهل القرية لما بطروا النعمة بُدِّلوا بنقيضها، وهو مَحْقُها وسَلْبُها ووقعوا في شدة الجوع بعد الشبع، وفي الخوف والهلع بعد الأمن والاطمئنان، وفي قلة موارد العيش بعد الكفاية.
• प्रतिशोध, कार्य के वर्ग ही से मिलता है; चुनाँचे बस्ती वालों ने जब नेमत का इनकार किया, तो उन्हें बदले में उसकी विपरीत चीज़ दी गई और वह उस नेमत को मिटा देना और उसे छीन लेना है। और वे तृप्ति के बाद गंभीर भूख, शांति-सुरक्षा और संतोष के बाद भय और दहशत तथा पर्याप्तता के बाद जीवन के संसाधनों की कमी से ग्रस्त हो गए।

• وجوب الإيمان بالله وبالرسل، وعبادة الله وحده، وشكره على نعمه وآلائه الكثيرة، وأن العذاب الإلهي لاحقٌ بكل من كفر بالله وعصاه، وجحد نعمة الله عليه.
• अल्लाह और उसके रसूलों पर ईमान लाना, केवल अल्लाह की इबादत करना तथा उसकी अपार नेमतों पर उसका आभारी होना ज़रूरी है। और यह कि अल्लाह की यातना हर उस व्यक्ति को पकड़ने वाली है, जिसने अल्लाह का इनकार किया और उसकी अवज्ञा की, तथा अपने ऊपर अल्लाह की नेमत को अस्वीकार किया।

• الله تعالى لم يحرم علينا إلا الخبائث تفضلًا منه، وصيانة عن كل مُسْتَقْذَر.
• अल्लाह ने अपने अनुग्रह से तथा इनसान को हर गंदी चीज़ से बचाने के लिए हमारे ऊपर केवल गंदी (बुरी) चीज़ों को ही हराम किया है।

ثُمَّ اِنَّ رَبَّكَ لِلَّذِیْنَ عَمِلُوا السُّوْٓءَ بِجَهَالَةٍ ثُمَّ تَابُوْا مِنْ بَعْدِ ذٰلِكَ وَاَصْلَحُوْۤا اِنَّ رَبَّكَ مِنْ بَعْدِهَا لَغَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟۠
फिर (ऐ रसूल!) आपका पालनहार उन लोगों के लिए जिन्होंने बुरे कर्म किए उनके परिणामों से अनभिज्ञ होने के कारण, भले ही वे जानबूझकर किए हों, फिर उन्होंने बुरे कार्य करने के बाद अल्लाह के समक्ष तौबा कर ली और अपने उन कार्यों का सुधार कर लिया जिनमें खराबी थी, तो आपका पालनहार तौबा कर लेने के बाद उनके गुनाहों को माफ़ करने वाला, उन पर दया करने वाला है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِنَّ اِبْرٰهِیْمَ كَانَ اُمَّةً قَانِتًا لِّلّٰهِ حَنِیْفًا ؕ— وَلَمْ یَكُ مِنَ الْمُشْرِكِیْنَ ۟ۙ
निःसंदेह इबराहीम अलैहिस्सलाम सभी अच्छे गुणों से सुसज्जित, सदैव अपने पालनहार का आज्ञापालन करने वाले और सभी धर्मों से विमुख होकर इस्लाम की ओेर आकृष्ट थे। तथा वह कभी भी शिर्क करने वालों में से नहीं थे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
شَاكِرًا لِّاَنْعُمِهٖ ؕ— اِجْتَبٰىهُ وَهَدٰىهُ اِلٰی صِرَاطٍ مُّسْتَقِیْمٍ ۟
वह अल्लाह की ओर से प्राप्त होने वाली नेमतों के प्रति आभार प्रकट करने वाले थे। अल्लाह ने उन्हें नुबुव्वत (ईशदूतत्व) के लिए चुन लिया था और सीधे धर्म इस्लाम की ओर उनका मार्गदर्शन किया था।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاٰتَیْنٰهُ فِی الدُّنْیَا حَسَنَةً ؕ— وَاِنَّهٗ فِی الْاٰخِرَةِ لَمِنَ الصّٰلِحِیْنَ ۟ؕ
और हमने उन्हें दुनिया में नबी बनाया, तथा अच्छी प्रशंसा और नेक संतान प्रदान की। और वह आख़िरत में निश्चित रूप से उन सदाचारियों में से हैं, जिनके लिए अल्लाह ने जन्नत के ऊँचे दर्जे तैयार कर रखे हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
ثُمَّ اَوْحَیْنَاۤ اِلَیْكَ اَنِ اتَّبِعْ مِلَّةَ اِبْرٰهِیْمَ حَنِیْفًا ؕ— وَمَا كَانَ مِنَ الْمُشْرِكِیْنَ ۟
फिर (ऐ रसूल!) हमने आपकी ओर वह़्य (प्रकाशना) की कि तौहीद, मुश्रिकों से अलग होने, अल्लाह की ओर बुलाने और उसकी शरीयत पर अमल करने के मामले में, इबराहीम अलैहिस्सलाम के तरीक़े का अनुसरण करें, जो समस्त धर्मों से विमुख होकर इस्लाम धर्म की ओर एकाग्र थे, तथा वह कभी भी मुश्रिकों में से नहीं थे जैसाकि मुश्रिकों का दावा है, बल्कि वह एक अल्लाह की इबादत करने वाले थे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِنَّمَا جُعِلَ السَّبْتُ عَلَی الَّذِیْنَ اخْتَلَفُوْا فِیْهِ ؕ— وَاِنَّ رَبَّكَ لَیَحْكُمُ بَیْنَهُمْ یَوْمَ الْقِیٰمَةِ فِیْمَا كَانُوْا فِیْهِ یَخْتَلِفُوْنَ ۟
शनिवार के दिन का सम्मान करना तो केवल उन्हीं यहूदियों पर फ़र्ज़ किया गया था, जिन्होंने उसके बारे में मतभेद किया था। ताकि वे उस दिन अपने सारे कार्यों को छोड़कर इबादत में व्यस्त रहें, जबकि वे जुमे के दिन से भटक गए थे, जिसमें उन्हें सारे कार्य छोड़ इबादत का आदेश दिया गया था। और (ऐ रसूल!) निश्चय ही आपका पालनहार इन मतभेद करने वालों के बीच क़ियामत के दिन उस विषय में निर्णय कर देगा, जिसमें वे मतभेद किया करते थे, फिर हर एक को वह बदला देगा, जिसका वह हक़दार होगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اُدْعُ اِلٰی سَبِیْلِ رَبِّكَ بِالْحِكْمَةِ وَالْمَوْعِظَةِ الْحَسَنَةِ وَجَادِلْهُمْ بِالَّتِیْ هِیَ اَحْسَنُ ؕ— اِنَّ رَبَّكَ هُوَ اَعْلَمُ بِمَنْ ضَلَّ عَنْ سَبِیْلِهٖ وَهُوَ اَعْلَمُ بِالْمُهْتَدِیْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप और आपके मानने वाले मोमिन, आमंत्रित व्यक्ति की दशा, उसकी समझ और उसकी अधीनता (आज्ञाकारिता) की अपेक्षाओं के अनुसार, तथा प्रोत्साहन और धमकी पर आधारित सदुपदेश के साथ इस्लाम के धर्म की ओर बुलाएँ। और उनसे ऐसे तरीक़े से बहस करें, जो कथन, विचार एवं संस्कार के रूप से सबसे अच्छा है। क्योंकि आपका काम लोगों को मार्गदर्शन प्रदान करना नहीं, बल्कि आपका काम केवल उन्हें संदेश पहुँचाना है। निःसंदेह आपका रब उसे सबसे अधिक जानता है, जो इस्लाम के धर्म से भटक गया, और वह उन लोगों को भी सबसे अधिक जानता है, जो उसके मार्ग पर चलने वाले हैं। इसलिए आप उन पर बिल्कुल ही न पछताएँ।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاِنْ عَاقَبْتُمْ فَعَاقِبُوْا بِمِثْلِ مَا عُوْقِبْتُمْ بِهٖ ؕ— وَلَىِٕنْ صَبَرْتُمْ لَهُوَ خَیْرٌ لِّلصّٰبِرِیْنَ ۟
और यदि तुम अपने दुश्मन से बदला लेना चाहो, तो उसे उतनी ही सज़ा दो जितना तुम्हें कष्ट पहुँचाया गया है, उससे अधिक नहीं। और अगर बदला लेने की शक्ति के बावजूद तुम उसे सज़ा देने के बजाय सब्र से काम लो, तो ऐसा करना तुममें से सब्र करने वालों के लिए, उन्हें सज़ा देकर बदला लेने से बेहतर है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاصْبِرْ وَمَا صَبْرُكَ اِلَّا بِاللّٰهِ وَلَا تَحْزَنْ عَلَیْهِمْ وَلَا تَكُ فِیْ ضَیْقٍ مِّمَّا یَمْكُرُوْنَ ۟
और (ऐ रसूल!) आप उनकी ओर से पहुँचने वाले कष्ट पर सब्र करें। और आपको सब्र की तौफ़ीक़ केवल अल्लाह के तौफ़ीक़ प्रदान करने से मिलती है। और आप काफ़िरों के आपसे उपेक्षा करने से दुखी न हों और उनके छल और चाल से आपका दिल तंग न हो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِنَّ اللّٰهَ مَعَ الَّذِیْنَ اتَّقَوْا وَّالَّذِیْنَ هُمْ مُّحْسِنُوْنَ ۟۠
निःसंदेह अल्लाह उन लोगों के साथ है, जो गुनाहों से बचकर अल्लाह से डरते हैं और जो नेकियाँ करके और आदेशों का पालनकर उत्तमकार हैं। अतः वह विजय और समर्थन के साथ उनके साथ है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
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• اقتضت رحمة الله أن يقبل توبة عباده الذين يعملون السوء من الكفر والمعاصي، ثم يتوبون ويصلحون أعمالهم، فيغفر الله لهم.
• यह अल्लाह की दया की अपेक्षा है कि वह अपने उन बंदों की तौबा स्वीकार कर लेता है, जो कुफ़्र और पाप करते हैं, फिर तौबा करते हैं और अपने कर्मों का सुधार कर लेते हैं, तो अल्लाह उन्हें क्षमा कर देता है।

• يحسن بالمسلم أن يتخذ إبراهيم عليه السلام قدوة له.
• एक मुसलमान को चाहिए कि इबराहीम अलैहिस्सलाम को अपना आदर्श बनाए।

• على الدعاة إلى دين الله اتباع هذه الطرق الثلاث: الحكمة، والموعظة الحسنة، والمجادلة بالتي هي أحسن.
• अल्लाह के धर्म की ओर बुलाने वालों को चाहिए कि वे इन तीन तरीक़ो का पालन करें : हिकमत, अच्छी नसीहत और अच्छे तरीक़ से बहस करना।

• العقاب يكون بالمِثْل دون زيادة، فالمظلوم منهي عن الزيادة في عقوبة الظالم.
• सज़ा जुर्म के बराबर होनी चाहिए, उससे ज़्यादा नहीं। इसलिए मज़लूम को ज़ालिम की सज़ा में वृद्धि करने से रोका गया है।

 
Übersetzung der Bedeutungen Surah / Kapitel: An-Nahl
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Übersetzung der Bedeutungen von dem heiligen Quran - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - Übersetzungen

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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