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Übersetzung der Bedeutungen von dem heiligen Quran - Die Übersetzung in Hindi von Al-Mukhtasar - Eine Kurzfassung der Bedeutungen des edlen Qurans * - Übersetzungen


Übersetzung der Bedeutungen Surah / Kapitel: Al-Aʿrāf   Vers:
وَالْبَلَدُ الطَّیِّبُ یَخْرُجُ نَبَاتُهٗ بِاِذْنِ رَبِّهٖ ۚ— وَالَّذِیْ خَبُثَ لَا یَخْرُجُ اِلَّا نَكِدًا ؕ— كَذٰلِكَ نُصَرِّفُ الْاٰیٰتِ لِقَوْمٍ یَّشْكُرُوْنَ ۟۠
अच्छी भूमि अल्लाह की अनुमति से अपने पौधे अच्छे और पूर्ण रूप से निकालती है। यही हाल ईमान वाले का है, वह उपदेश को सुनता और उससे लाभ उठाता है, जिसके परिणामस्वरूप वह अच्छे कार्य करता है। जबकि दलदली और खारी भूमि अपना पौधा कठिनाई से निकालती है, जिसमें कोई अच्छाई नहीं होती। यही हाल काफ़िर का है, वह उपदेशों से लाभ नहीं उठाता है, इसलिए उसके परिणामस्वरूप वह नेक कार्य नहीं करता है, जिससे उसे लाभ प्राप्त हो। इस अद्भुत विविधीकरण की तरह, हम उन लोगों के लिए सत्य को साबित करने के लिए प्रमाणों और तर्कों में विविधता लाते हैं, जो अल्लाह की नेमतों का शुक्रिया अदा करते हैं। इसलिए वे उनकी नाशुक्री नहीं करते हैं, और अपने रब की आज्ञा का पालन करते हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
لَقَدْ اَرْسَلْنَا نُوْحًا اِلٰی قَوْمِهٖ فَقَالَ یٰقَوْمِ اعْبُدُوا اللّٰهَ مَا لَكُمْ مِّنْ اِلٰهٍ غَیْرُهٗ ؕ— اِنِّیْۤ اَخَافُ عَلَیْكُمْ عَذَابَ یَوْمٍ عَظِیْمٍ ۟
निःसंदेह हमने नूह को उनकी जाति की ओर रसूल बनाकर भेजा, जो उन्हें अल्लाह को एकमात्र पूज्य मानने और उसके अलावा की पूजा छोड़ने के लिए बुला रहे थे। चुनाँचे उन्होंने अपनी जाति से कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! केवल अल्लाह की इबादत करो, क्योंकि उसके सिवा तुम्हारा कोई सत्य पूज्य नहीं है। निश्चय मुझे तुमपर एक महान दिन की यातना का डर है, यदि तुम अपने कुफ़्र पर अड़े रहे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالَ الْمَلَاُ مِنْ قَوْمِهٖۤ اِنَّا لَنَرٰىكَ فِیْ ضَلٰلٍ مُّبِیْنٍ ۟
उनकी जाति के सरदारों और प्रमुखों ने उनसे कहा : निःसंदेह (ऐ नूह!) हम तुम्हें सत्य से स्पष्ट दूरी पर देख रहे हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالَ یٰقَوْمِ لَیْسَ بِیْ ضَلٰلَةٌ وَّلٰكِنِّیْ رَسُوْلٌ مِّنْ رَّبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟
नूह ने अपनी जाति के प्रमुखों से कहा : जैसा तुम कहते हो, मैं पथभ्रष्ट नहीं हूँ। मैं तो अपने रब की ओर से मार्गदर्शन पर हूँ। क्योंकि मैं उस अल्लाह की ओर से तुम्हारी ओर भेजा हुआ (रसूल) हूँ, जो मेरा रब, तुम्हारा रब और सारे संसारों का रब है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اُبَلِّغُكُمْ رِسٰلٰتِ رَبِّیْ وَاَنْصَحُ لَكُمْ وَاَعْلَمُ مِنَ اللّٰهِ مَا لَا تَعْلَمُوْنَ ۟
अल्लाह ने मेरी ओर जो वह़्य की है, उसमें से जिसके साथ अल्लाह ने मुझे तुम्हारी ओर भेजा है, उसे मैं तुम्हें पहुँचाता हूँ। तथा तुम्हें अल्लाह के आदेश का पालन करने और उसपर निष्कर्षित होने वाले प्रतिफल के लिए प्रोत्साहित करके, तथा तुम्हें उसके निषेधों को करने और उसपर निष्कर्षित होने वाले दंड से भयभीत करके, मैं तुम्हारा भला चाहता हूँ। और मैं सर्वशक्तिमान अल्लाह की ओर से वह (बातें) जानता हूँ जो तुम नहीं जानते, जो उसने मुझे वह़्य के माध्यम से सिखाया है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اَوَعَجِبْتُمْ اَنْ جَآءَكُمْ ذِكْرٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ عَلٰی رَجُلٍ مِّنْكُمْ لِیُنْذِرَكُمْ وَلِتَتَّقُوْا وَلَعَلَّكُمْ تُرْحَمُوْنَ ۟
क्या यह बात तुम्हारे आश्चर्य और विस्मय का कारण है कि तुम्हारे पास तुम्हारे रब की ओर से वह़्य तथा उपदेश तुममें से एक ऐसे व्यक्ति द्वारा आया, जिसे तुम पहचानते हो?! क्योंकि वह तुम्हारे ही बीच पला-बढ़ा, और वह न तो झूठा था, न पथभ्रष्ट था, न ही किसी अन्य जाति का था। वह तुम्हारे पास तुम्हें अल्लाह की सज़ा से डराने के लिए आया था, यदि तुमने झुठलाया और अवज्ञा किया, और ताकि तुम अल्लाह के आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर, उससे डरो, तथा इस आशा में कि तुम पर दया की जाए, अगर तुम उसपर ईमान ले आओ।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَكَذَّبُوْهُ فَاَنْجَیْنٰهُ وَالَّذِیْنَ مَعَهٗ فِی الْفُلْكِ وَاَغْرَقْنَا الَّذِیْنَ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا ؕ— اِنَّهُمْ كَانُوْا قَوْمًا عَمِیْنَ ۟۠
परंतु उनकी क़ौम ने उन्हें झुठला दिया और उनपर ईमान न लाए, बल्कि अपने कुफ़्र पर बने रहे। इसलिए नूह अलैहिस्सलाम ने उनपर बद्दुआ की कि अल्लाह उन्हें विनष्ट कर दे। अतः हमने उन्हें और उनके साथ नाव में सवार मोमिनों को डूबने से बचा लिया और उन लोगों को, जिन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया और अपने झुठलाने की रीति पर बने रहे, उनके लिए दंड के रूप में उतरने वाले तूफ़ान (बाढ़) में डुबोकर नष्ट कर दिया। निश्चय उनके हृदय सत्य से अंधे थे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَاِلٰی عَادٍ اَخَاهُمْ هُوْدًا ؕ— قَالَ یٰقَوْمِ اعْبُدُوا اللّٰهَ مَا لَكُمْ مِّنْ اِلٰهٍ غَیْرُهٗ ؕ— اَفَلَا تَتَّقُوْنَ ۟
और हमने आद के गोत्र की ओर उन्ही में से एक व्यक्ति हूद - अलैहिस्सलाम - को रसूल बनाकर भेजा। उन्होंने कहा : ऐ मेरी क़ौम के लोगो! केवल अल्लाह की इबादत करो। क्योंकि उसके सिवा तुम्हारा कोई सत्य पूज्य नहीं। तो क्या तुम उसके आदेशों का पालन करके तथा उसके निषेधों से बचकर, उससे नहीं डरते, ताकि तुम उसकी यातना से बच जाओ?!
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالَ الْمَلَاُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا مِنْ قَوْمِهٖۤ اِنَّا لَنَرٰىكَ فِیْ سَفَاهَةٍ وَّاِنَّا لَنَظُنُّكَ مِنَ الْكٰذِبِیْنَ ۟
उनकी जाति के प्रमुख तथा सरदार, जिन्होंने अल्लाह का इनकार किया और उसके रसूल को झुठलाया था, कहने लगे : निश्चय हम जानते हैं कि (ऐ हूद!) तुम मंदबुद्धिता और मूर्खता से ग्रस्त हो, जब तुम हमें अकेले अल्लाह की इबादत करने और मूर्तिपूजा को त्यागने के लिए आमंत्रित करते हो। तथा हमारा निश्चित रूप से मानना है कि तुम अपने रसूल होने के दावे में बिलकुल झूठे हो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قَالَ یٰقَوْمِ لَیْسَ بِیْ سَفَاهَةٌ وَّلٰكِنِّیْ رَسُوْلٌ مِّنْ رَّبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟
हूद ने अपनी क़ौम को उत्तर देते हुए कहा : ऐ मेरी क़ौम के लोगो! मेरे अंदर कोई मंदबुद्धिता और मूर्खता नहीं है। बल्कि मैं सारे संसारों के पालनहार की ओर से भेजा हुआ (दूत) हूँ।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• الأرض الطيبة مثال للقلوب الطيبة حين ينزل عليها الوحي الذي هو مادة الحياة، وكما أن الغيث مادة الحياة، فإن القلوب الطيبة حين يجيئها الوحي، تقبله وتعلمه وتنبت بحسب طيب أصلها، وحسن عنصرها، والعكس.
• अच्छी भूमि अच्छे दिलों के लिए एक उदाहरण है जब उस पर वह़्य उतरती है जो कि जीवन का सार है, जिस तरह कि बारिश जीवन का सार है। क्योंकि अच्छे दिलों का संपर्क जब वह़्य से होता है, तो वे उसे स्वीकार करते हैं, उसे सीखते हैं और अपने अच्छे मूल और अच्छे तत्व के अनुसार अंकुरित होते हैं। और इसके विपरीत स्थिति में विपरीत निष्कर्ष सामने आता है।

• الأنبياء والمرسلون يشفقون على الخلق أعظم من شفقة آبائهم وأمهاتهم.
• नबी और रसूल लोगों पर उनके माता-पिता से भी अधिक दया दृष्टि रखने वाले होते हैं।

• من سُنَّة الله إرسال كل رسول من قومه وبلسانهم؛ تأليفًا لقلوب الذين لم تفسد فطرتهم، وتيسيرًا على البشر.
• अल्लाह का यह नियम रहा है कि वह हर रसूल को उसकी जाति में से और उनकी भाषा में भेजता है; ताकि उन लोगों की दिलजोई हो, जिनका स्वभाव भ्रष्ट नहीं हुआ है, तथा इसमें मानव जाति के लिए सुविधा है।

• من أعظم السفهاء من قابل الحق بالرد والإنكار، وتكبر عن الانقياد للعلماء والنصحاء، وانقاد قلبه وقالبه لكل شيطان مريد.
• वह व्यक्ति सबसे बड़े मूर्खों में से है, जो सत्य को अस्वीकार कर देता है, विद्वानों और नसीहत करने वालों की बात मानने से अहंकार करता है, तथा अपने क़ल्ब और क़ालिब से (यानी पूर्णतया) हर सरकश शैतान का अनुसरण करता है।

 
Übersetzung der Bedeutungen Surah / Kapitel: Al-Aʿrāf
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Vom Tafsirzentrum für Quranwissenschaften herausgegeben.

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