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Translation of the Meanings of the Noble Qur'an - Hindi translation of Al-Mukhtsar in interpretation of the Noble Quran * - Translations’ Index


Translation of the meanings Surah: Al-Mā’idah   Ayah:
وَقَالَتِ الْیَهُوْدُ وَالنَّصٰرٰی نَحْنُ اَبْنٰٓؤُا اللّٰهِ وَاَحِبَّآؤُهٗ ؕ— قُلْ فَلِمَ یُعَذِّبُكُمْ بِذُنُوْبِكُمْ ؕ— بَلْ اَنْتُمْ بَشَرٌ مِّمَّنْ خَلَقَ ؕ— یَغْفِرُ لِمَنْ یَّشَآءُ وَیُعَذِّبُ مَنْ یَّشَآءُ ؕ— وَلِلّٰهِ مُلْكُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَمَا بَیْنَهُمَا ؗ— وَاِلَیْهِ الْمَصِیْرُ ۟
यहूदी और ईसाई दोनों ने दावा किया कि वे अल्लाह के पुत्र और उसके प्रिय हैं। (ऐ रसूल!) आप उनके जवाब में कह दें : अल्लाह तुम्हें तुम्हारे द्वारा किए गए पापों के कारण दंड क्यों देता है?! यदि तुम उसके प्रियजन होते, जैसा कि तुमने दावा किया है, तो वह तुम्हें इस दुनिया में हत्या और विरूपण के साथ तथा परलोक में आग के द्वारा दंड न देता; क्योंकि वह जिसे प्यार करता है उसे यातना नहीं देता है। बल्कि तुम भी अन्य सभी मनुष्यों की तरह मनुष्य हो। जो उनमें से अच्छा कर्म करेगा, वह उसे जन्नत का प्रतिफल देगा, और जो कोई भी बुराई करेगा, वह उसे (जहन्नम की) आग से दंडित करेगा। अल्लाह जिसे चाहता है, अपनी कृपा से क्षमा करता है और वह जिसे चाहता है, अपने न्याय से दंडित करता है। तथा आकाशों और धरती का राज्य और जो कुछ उनके बीच है उसका राज्य अल्लाह ही के लिए है। और अकेले उसी की ओर लौटकर जाना है।
Arabic explanations of the Qur’an:
یٰۤاَهْلَ الْكِتٰبِ قَدْ جَآءَكُمْ رَسُوْلُنَا یُبَیِّنُ لَكُمْ عَلٰی فَتْرَةٍ مِّنَ الرُّسُلِ اَنْ تَقُوْلُوْا مَا جَآءَنَا مِنْ بَشِیْرٍ وَّلَا نَذِیْرٍ ؗ— فَقَدْ جَآءَكُمْ بَشِیْرٌ وَّنَذِیْرٌ ؕ— وَاللّٰهُ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌ ۟۠
ऐ किताब वाले यहूदियो तथा ईसाइयो! तुम्हारे पास हमारे रसूल मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम आ चुके हैं। वह ऐसे समय में आए हैं जब रसूलों का आगमन एक समय से बंद था तथा उनके आगमन की सख़्त आवश्यकता थी। ताकि तुम क्षमाप्रार्थी बनकर यह न को : हमारे पास कोई रसूल नहीं आया, जो हमें अल्लाह के प्रतिफल की शुभ सूचना देता और हमें उसके दंड से सावधान करता। अतः (अब) तुम्हारे पास मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम आ चुके हैं, जो उसके प्रतिफल की शुभ सूचना देने वाले और उसके दंड से सावधान करने वाले हैं। तथा अल्लाह हर चीज़ की क्षमता रखने वाला है, उसे कोई चीज़ विवश नहीं कर सकती। और रसूलों को भेजना और उनके क्रम को मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर समाप्त कर देना उसकी क्षमता में से है।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَاِذْ قَالَ مُوْسٰی لِقَوْمِهٖ یٰقَوْمِ اذْكُرُوْا نِعْمَةَ اللّٰهِ عَلَیْكُمْ اِذْ جَعَلَ فِیْكُمْ اَنْۢبِیَآءَ وَجَعَلَكُمْ مُّلُوْكًا ۗ— وَّاٰتٰىكُمْ مَّا لَمْ یُؤْتِ اَحَدًا مِّنَ الْعٰلَمِیْنَ ۟
(ऐ रसूल!) उस समय को याद करो, जब मूसा अलैहिस्सलाम ने अपनी जाति बनी इसराईल से कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! तुम अपने दिलों से तथा अपनी ज़बानों से अपने ऊपर अल्लाह की उस नेमत को याद करो जब उसने तुममें से कुछ नबी बनाए, जो तुम्हें मार्गदर्शन की ओर बुलाते थे, तथा तुम्हें बादशाह बनाए कि तुम खुद के मामलों के मालिक हो गए जबकि तुम दास और ग़ुलाम हुआ करते थे, तथा उसने तुम्हें अपनी नेमतों में से वह प्रदान किया, जो उसने तुम्हारे समय में दुनिया वालों में से किसी को भी नहीं दिया।
Arabic explanations of the Qur’an:
یٰقَوْمِ ادْخُلُوا الْاَرْضَ الْمُقَدَّسَةَ الَّتِیْ كَتَبَ اللّٰهُ لَكُمْ وَلَا تَرْتَدُّوْا عَلٰۤی اَدْبَارِكُمْ فَتَنْقَلِبُوْا خٰسِرِیْنَ ۟
मूसा अलैहिस्सलाम ने कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! उस पवित्र भूमि (यानी बैतुल मक़दिस तथा उसके आसपास के क्षेत्र) में प्रवेश करो, जिसमें प्रवेश करने और वहाँ के काफ़िरों से लड़ाई करने का अल्लाह ने तुमसे वादा किया था, तथा शक्तिशाली लोगों के सामने हार मत मानो, अन्यथा तुम्हारा परिणाम इस दुनिया और आख़िरत में घाटा होगा।
Arabic explanations of the Qur’an:
قَالُوْا یٰمُوْسٰۤی اِنَّ فِیْهَا قَوْمًا جَبَّارِیْنَ ۖۗ— وَاِنَّا لَنْ نَّدْخُلَهَا حَتّٰی یَخْرُجُوْا مِنْهَا ۚ— فَاِنْ یَّخْرُجُوْا مِنْهَا فَاِنَّا دٰخِلُوْنَ ۟
उनकी जाति के लोगों ने उनसे कहा : ऐ मूसा! पवित्र भूमि में ऐसे लोग हैं, जो बड़े बली और शक्तिशाली हैं। और यह हमें उसमें प्रवेश करने से रोकता है। इसलिए जब तक वे उसमें हैं, तब तक हम उसमें हरगिज़ प्रवेश नहीं करेंगे; क्योंकि हमारे पास उनसे लड़ने की कोई शक्ति और क्षमता नहीं है। अतः यदि वे उससे निकल जाएँ, तो हम उसमें अवश्य प्रवेश करेंगे।
Arabic explanations of the Qur’an:
قَالَ رَجُلٰنِ مِنَ الَّذِیْنَ یَخَافُوْنَ اَنْعَمَ اللّٰهُ عَلَیْهِمَا ادْخُلُوْا عَلَیْهِمُ الْبَابَ ۚ— فَاِذَا دَخَلْتُمُوْهُ فَاِنَّكُمْ غٰلِبُوْنَ ۚ۬— وَعَلَی اللّٰهِ فَتَوَكَّلُوْۤا اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِیْنَ ۟
मूसा अलैहिस्सलाम के साथियों में से दो व्यक्तियों ने, जो उन लोगों में से थे जो अल्लाह का भय रखते थे और उसकी यातना से डरते थे, अल्लाह ने उन दोनों को अपनी आज्ञाकारिता का सामर्थ्य प्रदान किया था, उन दोनों ने अपनी जाति के लोगों से मूसा अलैहिस्सलाम की आज्ञा का पालन करने का आग्रह करते हुए कहा : तुम शक्तिशाली लोगों पर शहर के दरवाज़े में प्रवेश कर जाओ। यदि तुम दरवाज़े में प्रवेश कर गए, तो तुम - अल्लाह की अनुमति से - उन्हें पराजित कर दोगे, अल्लाह की इस सुन्नत (नियम) पर भरोसा करते हुए कि अल्लाह पर ईमान और भौतिक साधनों को तैयार करने जैसे कारणों को अपनाने पर वह विजय प्रदान करता है। तथा यदि तुम सच्चे मोमिन हो, तो केवल अल्लाह ही पर भरोसा करो। क्योंकि ईमान आवश्यक रूप से अल्लाह ही पर भरोसा करने की अपेक्षा करता है।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• تعذيب الله تعالى لكفرة بني إسرائيل بالمسخ وغيره يوجب إبطال دعواهم في كونهم أبناء الله وأحباءه.
• अल्लाह तआला का बनी इसराईल के काफ़िरों को विरूपण (रूप बिगाड़ने) आदि के द्वारा सज़ा देना, उनके इस दावे को अमान्य कर देता है कि वे अल्लाह के बेटे और उसके प्रिय हैं।

• التوكل على الله تعالى والثقة به سبب لاستنزال النصر.
• अल्लाह पर तवक्कुल और उसपर भरोसा करने के कारण विजय उतरती है।

• جاءت الآيات لتحذر من الأخلاق الرديئة التي كانت عند بني إسرائيل.
• ये आयतें बनी इसराईल के अंदर पाए जाने वाले बुरे आचरण से सावधान करती हैं।

• الخوف من الله سبب لنزول النعم على العبد، ومن أعظمها نعمة طاعته سبحانه.
• अल्लाह का भय बंदे पर नेमतों के उतरने का एक कारण है। और सबसे बड़ी नेमतों में से एक अल्लाह महिमावान के आज्ञापालन की नेमत है।

 
Translation of the meanings Surah: Al-Mā’idah
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Issued by Tafsir Center for Quranic Studies

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