Firo maanaaji al-quraan tedduɗo oo - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Tippudi firooji ɗii


Firo maanaaji Aaya: (7) Simoore: Simoore udditoore (faatiha)
صِرَاطَ الَّذِیْنَ اَنْعَمْتَ عَلَیْهِمْ ۙ۬— غَیْرِ الْمَغْضُوْبِ عَلَیْهِمْ وَلَا الضَّآلِّیْنَ ۟۠
हमें अपने उन बंदों का रास्ता दिखा, जिन्हें तूने मार्गदर्शन से पुरस्कृत किया; जैसे नबी, सत्य निष्ठ, शहीद एवं सदाचारी लोग, और ये बहुत अच्छे साथी हैं। उन लोगों का रास्ता नहीं, जिनपर प्रकोप उतरा, जिन्होंने सत्य को जानने के बावजूद उसका पालन नहीं किया, जैसे यहूदी लोग। तथा न उन लोगों का रास्ता, जो सत्य से भटक गए, जो सत्य की खोज और उसे पाने की कोशिश में लापरवाही के कारण, सत्य तक नहीं पहुँच सके, जैसे ईसाई लोग।
Faccirooji aarabeeji:
Ina jeyaa e nafoore aayeeje ɗee e ngol hello:
• افتتح الله تعالى كتابه بالبسملة؛ ليرشد عباده أن يبدؤوا أعمالهم وأقوالهم بها طلبًا لعونه وتوفيقه.
• अल्लाह ने अपनी किताब का आरंभ 'बिस्मिल्लाह' से किया, अपने बंदों को यह बतलाने के लिए कि वे अल्लाह की सहायता तथा तौफ़ीक़ तलब करने के लिए, अपने कार्यों और बातों को इसी से शुरू करें।

• من هدي عباد الله الصالحين في الدعاء البدء بتمجيد الله والثناء عليه سبحانه، ثم الشروع في الطلب.
• दुआ में अल्लाह के सदाचारी बंदों का तरीक़ा सबसे पहले अल्लाह की महिमा का गान करना और उसकी स्तुति करना, और फिर अपनी मुराद माँगना है।

• تحذير المسلمين من التقصير في طلب الحق كالنصارى الضالين، أو عدم العمل بالحق الذي عرفوه كاليهود المغضوب عليهم.
• मुसलमानों को गुमराह ईसाइयों की तरह सत्य की खोज में कोताही करने, अथवा प्रकोप से पीड़ित यहूदियों की तरह सत्य को पहचानने के बाद उसपर अमल न करने से सावधान करना।

• دلَّت السورة على أن كمال الإيمان يكون بإخلاص العبادة لله تعالى وطلب العون منه وحده دون سواه.
• यह सूरत इंगित करती है कि ईमान की पूर्णता, इबादत को अल्लाह तआला के लिए ख़ालिस (विशुद्ध) करने तथा केवल उसी से मदद माँगने के माध्यम से प्राप्त होती है।

 
Firo maanaaji Aaya: (7) Simoore: Simoore udditoore (faatiha)
Tippudi cimooje Tonngoode hello ngoo
 
Firo maanaaji al-quraan tedduɗo oo - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - Tippudi firooji ɗii

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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