Firo maanaaji al-quraan tedduɗo oo - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Tippudi firooji ɗii


Firo maanaaji Simoore: Simoo tuubabuya   Aaya:

सूरा अत्-तौबा

Ina jeyaa e payndaale simoore ndee:
البراءة من المشركين والمنافقين وجهادهم، وفتح باب التوبة للتائبين.
मुश्रिकों (बहुदेववादियों) और मुनाफ़िक़ों (पाखंडियों) से बरी होना और उनसे जिहाद करना, तथा तौबा करने वालों के लिए तौबा का द्वार खोलना।

بَرَآءَةٌ مِّنَ اللّٰهِ وَرَسُوْلِهٖۤ اِلَی الَّذِیْنَ عٰهَدْتُّمْ مِّنَ الْمُشْرِكِیْنَ ۟ؕ
यह अल्लाह तथा उसके रसूल की ओर से ज़िम्मेदारी से बरी होने, तथा उन संधियों के अंत की घोषणा है, जो (ऐ मुसलमानो!) तुमने अरब प्रायद्वीप में बहुदेववादियों के साथ की थी।
Faccirooji aarabeeji:
فَسِیْحُوْا فِی الْاَرْضِ اَرْبَعَةَ اَشْهُرٍ وَّاعْلَمُوْۤا اَنَّكُمْ غَیْرُ مُعْجِزِی اللّٰهِ ۙ— وَاَنَّ اللّٰهَ مُخْزِی الْكٰفِرِیْنَ ۟
अतः (ऐ बहुदेववादियो!) तुम धरती में चार महीने सुरक्षित रूप से चलो-फिरो। उसके बाद तुम्हारे लिए न कोई संधि होगी और न कोई सुरक्षा। तथा निश्चित रहो कि अगर तुम अपने कुफ़्र पर बने रहे, तो अल्लाह की यातना और दंड से हरगिज़ नहीं बचोगे। तथा इस बात से भी निश्चित रहो कि अल्लाह काफ़िरों को इस दुनिया में क़ल्त और क़ैद करके तथा क़ियामत के दिन आग में डालकर अपमानित करने वाला है। इस घोषणा में वे सभी शामिल हैं, जिन्होंने अपनी संधि तोड़ दी और जिनकी संधि का समय निर्धारित नहीं था। जहाँ तक उन लोगों की बात है, जिनकी संधि का समय निर्धारित था, तो उनकी संधि को उसके कार्यकाल तक पूरा किया जाएगा, भले ही वह चार महीने से अधिक की हो।
Faccirooji aarabeeji:
وَاَذَانٌ مِّنَ اللّٰهِ وَرَسُوْلِهٖۤ اِلَی النَّاسِ یَوْمَ الْحَجِّ الْاَكْبَرِ اَنَّ اللّٰهَ بَرِیْٓءٌ مِّنَ الْمُشْرِكِیْنَ ۙ۬— وَرَسُوْلُهٗ ؕ— فَاِنْ تُبْتُمْ فَهُوَ خَیْرٌ لَّكُمْ ۚ— وَاِنْ تَوَلَّیْتُمْ فَاعْلَمُوْۤا اَنَّكُمْ غَیْرُ مُعْجِزِی اللّٰهِ ؕ— وَبَشِّرِ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا بِعَذَابٍ اَلِیْمٍ ۟ۙ
तथा अल्लाह की तरफ़ से और उसके रसूल की तरफ़ से क़ुर्बानी के दिन तमाम लोगों को यह सूचना है कि अल्लाह बहुदेववादियों (मुश्रिकों) से बरी है, तथा उसका रसूल भी उनसे अलग है। फिर यदि (ऐ बहुदेववादियो!) तुम अपने शिर्क से तौबा कर लो, तो तुम्हारा तौबा करना तुम्हारे लिए बेहतर है, और यदि तुम तौबा से मुँह फेरो, तो सुनिश्चित हो जाओ कि तुम अल्लाह से कभी नहीं छूट सकते, और उसकी यातना से हरगिज़ नहीं बच सकते। तथा (ऐ रसूल!) आप अल्लाह का इनकार करने वालों को यह बुरी सूचना सुना दें कि एक दर्दनाक अज़ाब उनकी प्रतीक्षा कर रहा है।
Faccirooji aarabeeji:
اِلَّا الَّذِیْنَ عٰهَدْتُّمْ مِّنَ الْمُشْرِكِیْنَ ثُمَّ لَمْ یَنْقُصُوْكُمْ شَیْـًٔا وَّلَمْ یُظَاهِرُوْا عَلَیْكُمْ اَحَدًا فَاَتِمُّوْۤا اِلَیْهِمْ عَهْدَهُمْ اِلٰی مُدَّتِهِمْ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ یُحِبُّ الْمُتَّقِیْنَ ۟
सिवाय उन मुश्रिकों के, जिनसे तुमने संधि की, और उन्होंने अपनी संधि को पूरा किया तथा उसमें कुछ भी कमी नहीं की, तो वे लोग पिछले हुक्म से अलग हैं। ऐसे लोगों की संधि को उसकी अवधि समाप्त होने तक पूरा करो। निःसंदेह अल्लाह उन लोगों से प्रेम करता है, जो उसके आदेशों का पालन करके, जिनमें संधि को पूरा करना भी शामिल है और उसकी मना की हुई चीज़ों से दूर रहकर, जिनमें विश्वासघात भी शामिल है, उससे डरने वाले हैं।
Faccirooji aarabeeji:
فَاِذَا انْسَلَخَ الْاَشْهُرُ الْحُرُمُ فَاقْتُلُوا الْمُشْرِكِیْنَ حَیْثُ وَجَدْتُّمُوْهُمْ وَخُذُوْهُمْ وَاحْصُرُوْهُمْ وَاقْعُدُوْا لَهُمْ كُلَّ مَرْصَدٍ ۚ— فَاِنْ تَابُوْا وَاَقَامُوا الصَّلٰوةَ وَاٰتَوُا الزَّكٰوةَ فَخَلُّوْا سَبِیْلَهُمْ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟
फिर जब सम्मानित महीने बीत जाएँ, जिनमें तुमने अपने दुश्मनों को सुरक्षा प्रदान किया है, तो बहुदेववादियों (मुश्रिकों) को जहाँ कहीं भी पाओ, उन्हें क़त्ल करो, उन्हें पकड़ लो, उन्हें उनके गढ़ों में घेर लो और उनके रास्तों में उनकी घात में रहो। फिर यदि वे अल्लाह के समक्ष शिर्क से तौबा कर लें, नमाज़ स्थापित करें तथा ज़कात अदा करें, तो वे तुम्हारे इस्लामी भाई हो गए। इसलिए उनसे युद्ध करना छोड़ दो। निःसंदेह अल्लाह अपने तौबा करने वाले बंदे को बहुत क्षमा करने वाला, उसपर अति दयावान् है।
Faccirooji aarabeeji:
وَاِنْ اَحَدٌ مِّنَ الْمُشْرِكِیْنَ اسْتَجَارَكَ فَاَجِرْهُ حَتّٰی یَسْمَعَ كَلٰمَ اللّٰهِ ثُمَّ اَبْلِغْهُ مَاْمَنَهٗ ؕ— ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ قَوْمٌ لَّا یَعْلَمُوْنَ ۟۠
और यदि मुश्रिकों में से कोई व्यक्ति - जिसका रक्त और धन हलाल हो - आए और (ऐ रसूल!) आपसे शरण माँगे, तो उसके अनुरोध का जवाब दें, ताकि वह क़ुरआन सुन सके, फिर उसे ऐसे स्थान पर पहुँचा दें, जहाँ वह सुरक्षित हो। ऐसा इसलिए कि काफ़िर ऐसे लोग हैं, जो इस्लाम के तथ्यों को नहीं जानते हैं। इसलिए यदि वे क़ुरआन के पाठ को सुनकर उनसे अवगत हो जाएँगे, तो संभव है कि मार्गदर्शन ग्रहण कर लें।
Faccirooji aarabeeji:
Ina jeyaa e nafoore aayeeje ɗee e ngol hello:
• في الآيات دليل واضح على حرص الإسلام على تسوية العلاقات الخارجية مع الأعداء على أساس من السّلم والأمن والتّفاهم.
• इन आयतों में शांति, सुरक्षा और आपसी समझौते के आधार पर दुश्मनों के साथ विदेशी संबंधों को स्थापित करने के लिए इस्लाम की उत्सुकता का स्पष्ट प्रमाण है।

• الإسلام يُقَدِّر العهود، ويوجب الوفاء بها، ويجعل حفظها نابعًا من الإيمان، وملازمًا لتقوى الله تعالى.
• इस्लाम अनुबंधों को महत्व देता है, उन्हें पूरा करने के लिए बाध्य करता है और उनके संरक्षण को ईमान से उत्पन्न तथा अविभाज्य रूप से अल्लाह के भय से संबंधित करता है।

• أَنَّ إقامة الصّلاة وإيتاء الزّكاة دليل على الإسلام، وأنهما يعصمان الدّم والمال، ويوجبان لمن يؤدّيهما حقوق المسلمين من حفظ دمه وماله إلا بحق الإسلام؛ كارتكاب ما يوجب القتل من قتل النفس البريئة، وزنى الزّاني المُحْصَن، والرّدّة إلى الكفر بعد الإيمان.
• नमाज़ क़ायम करना और ज़कात देना इस्लाम का प्रमाण है, ये दोनों चीज़ें रक्त एवं धन को सुरक्षा प्रदान करती हैं तथा जो व्यक्ति इन दोनों का पालन करे, उसके लिए मुसलमानों के अधिकार अनिवार्य कर देती हैं, जैसै कि उसके रक्त एवं धन की रक्षा, सिवाय इस्लाम के अधिकार के; जैसे कोई ऐसा कार्य करना, जो क़त्ल को अनिवार्य कर देता है, जैसे कि किसी निर्दोष की हत्या करना, एक विवाहित व्यभिचारी का व्यभिचार करना और ईमान लाने के बाद कुफ़्र की ओर पलट जाना।

• مشروعيّة الأمان؛ أي: جواز تأمين الحربي إذا طلبه من المسلمين؛ ليسمع ما يدلّ على صحّة الإسلام، وفي هذا سماحة وتكريم في معاملة الكفار، ودليل على إيثار السِّلم.
• अमान देने की वैधता : अर्थात हरबी काफिर को सुरक्षा प्रदान करने की अनुमति अगर वह मुसलमानों से इसका अनुरोध करे; ताकि वह इस्लाम की सत्यता को दर्शाने वाले प्रमाण सुन सके। इसमें काफ़िरों के साथ व्यवहार करने में सहिष्णुता और सम्मान है, और शांति को प्राथमिकता देने का प्रमाण है।

كَیْفَ یَكُوْنُ لِلْمُشْرِكِیْنَ عَهْدٌ عِنْدَ اللّٰهِ وَعِنْدَ رَسُوْلِهٖۤ اِلَّا الَّذِیْنَ عٰهَدْتُّمْ عِنْدَ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ ۚ— فَمَا اسْتَقَامُوْا لَكُمْ فَاسْتَقِیْمُوْا لَهُمْ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ یُحِبُّ الْمُتَّقِیْنَ ۟
यह उचित नहीं है कि अल्लाह के साथ शिर्क करने वालों की अल्लाह और उसके रसूल के पास कोई संधि तथा सुरक्षा का वचन हो, सिवाय उन बहुदेववादियों के वचन के, जिनके साथ (ऐ ईमान वालो!) तुमने मस्जिदे-हराम के पास हुदैबिय्यह की संधि में समझौता किया था। तो जब तक वे तुम्हारे लिए उस वचन पर क़ायम रहें जो तुम्हारे और उनके बीच है और उसे न तोड़ें, तो तुम भी उनके लिए उसपर क़ायम रहो और उसे न तोड़ो। निःसंदेह अल्लाह अपने मुत्तक़ी बंदों से प्रेम करता है, जो उसके आदेशों का पालन करते और उसके निषेधों से दूर रहते हैं।
Faccirooji aarabeeji:
كَیْفَ وَاِنْ یَّظْهَرُوْا عَلَیْكُمْ لَا یَرْقُبُوْا فِیْكُمْ اِلًّا وَّلَا ذِمَّةً ؕ— یُرْضُوْنَكُمْ بِاَفْوَاهِهِمْ وَتَاْبٰی قُلُوْبُهُمْ ۚ— وَاَكْثَرُهُمْ فٰسِقُوْنَ ۟ۚ
उनके लिए प्रतिज्ञा और सुरक्षा का वचन कैसे हो सकता है, जबकि वे तुम्हारे शत्रु हैं। और यदि वे तुमपर आधिपत्य प्राप्त कर लें, तो वे तुम्हारे बारे में अल्लाह, या किसी रिश्तेदारी, या किसी प्रतिज्ञा का सम्मान नहीं करेंगे, बल्कि वे तुम्हें बुरी यातना से दंडित करेंगे?! वे तुम्हें उन अच्छे शब्दों से प्रसन्न करते हैं जो उनकी ज़बानें बोलती हैं, लेकिन उनके दिल उनकी ज़बानों का साथ नहीं देते। इसलिए वे जो कहते हैं, उसे पूरा नहीं करते हैं। तथा उनमें से अधिकांश लोग वचन तोड़ने के कारण अल्लाह की आज्ञाकारिता से बाहर हैं।
Faccirooji aarabeeji:
اِشْتَرَوْا بِاٰیٰتِ اللّٰهِ ثَمَنًا قَلِیْلًا فَصَدُّوْا عَنْ سَبِیْلِهٖ ؕ— اِنَّهُمْ سَآءَ مَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟
उन्होंने अल्लाह की आयतों का अनुसरण करने के बदले में, जिसमें प्रतिज्ञाओं की पूर्ति भी शामिल है, दुनिया का तुच्छ मूल्य ले लिया, जिससे वे अपनी वासनाओं और इच्छाओं तक पहुँचते हैं। इस तरह उन्होंने अपने आपको सत्य का पालन करने से रोका और उससे मुँह फेर लिया, तथा उन्होंने दूसरों को भी सत्य से रोका। निश्चय उनका वह अमल बहुत बुरा है, जो वे करते रहे हैं।
Faccirooji aarabeeji:
لَا یَرْقُبُوْنَ فِیْ مُؤْمِنٍ اِلًّا وَّلَا ذِمَّةً ؕ— وَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْمُعْتَدُوْنَ ۟
वे अपनी शत्रुता के कारण किसी मोमिन के बारे में अल्लाह का, या किसी रिश्तेदारी, या किसी प्रतिज्ञा का सम्मान नहीं करते हैं। वे अल्लाह की सीमाओं का उल्लंघन करने वाले हैं; क्योंकि वे अन्याय और आक्रामकता की विशेषता रखते हैं।
Faccirooji aarabeeji:
فَاِنْ تَابُوْا وَاَقَامُوا الصَّلٰوةَ وَاٰتَوُا الزَّكٰوةَ فَاِخْوَانُكُمْ فِی الدِّیْنِ ؕ— وَنُفَصِّلُ الْاٰیٰتِ لِقَوْمٍ یَّعْلَمُوْنَ ۟
यदि वे अपने कुफ़्र से अल्लाह के समक्ष तौबा कर लें, और इस बात की गवाही दें कि अल्लाह के सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं और मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अल्लाह के रसूल हैं, नमाज़ क़ायम करें और अपने धन की ज़कात दें - तो वे मुसलमान हो गए और वे धर्म में तुम्हारे भाई हैं। उनके लिए वे सभी अधिकार हैं, जो तुम्हारे लिए हैं और उनपर वे सभी दायित्व हैं, जो तुमपर हैं। तुम्हारे लिए उनसे लड़ना जायज़ नहीं है, क्योंकि उनका इस्लाम उनके खून, धन और सम्मान की रक्षा करता है। हम उन लोगों के लिए आयतों को स्पष्ट करते और उन्हें खोल-खोलकर बयान करते हैं, जो ज्ञान रखते हैं। क्योंकि वही वे लोग हैं, जो उनसे लाभान्वित होते हैं, और दूसरों को भी उनसे लाभान्वित करते हैं।
Faccirooji aarabeeji:
وَاِنْ نَّكَثُوْۤا اَیْمَانَهُمْ مِّنْ بَعْدِ عَهْدِهِمْ وَطَعَنُوْا فِیْ دِیْنِكُمْ فَقَاتِلُوْۤا اَىِٕمَّةَ الْكُفْرِ ۙ— اِنَّهُمْ لَاۤ اَیْمَانَ لَهُمْ لَعَلَّهُمْ یَنْتَهُوْنَ ۟
और यदि ये मुश्रिक लोग, जिनसे तुमने एक ज्ञात अवधि के लिए लड़ाई बंद रखने का समझौता कर रखा है, अपने वचनों और प्रतिज्ञाओं को तोड़ दें, और तुम्हारे धर्म में बुराई निकालें और उसमें दोष ढूँढ़ें, तो उनसे युद्ध करो। क्योंकि वे कुफ़्र के अगुवा और सरग़ना हैं और उनकी कोई प्रतिज्ञाएँ और वाचाएँ नहीं हैं, जो उनके रक्त की रक्षा करें। उनसे इस आशा में युद्ध करो कि वे अपने कुफ़्र, अनुबंधों को तोड़ने और धर्म में दोष निकालने से बाज़ आ जाएँ।
Faccirooji aarabeeji:
اَلَا تُقَاتِلُوْنَ قَوْمًا نَّكَثُوْۤا اَیْمَانَهُمْ وَهَمُّوْا بِاِخْرَاجِ الرَّسُوْلِ وَهُمْ بَدَءُوْكُمْ اَوَّلَ مَرَّةٍ ؕ— اَتَخْشَوْنَهُمْ ۚ— فَاللّٰهُ اَحَقُّ اَنْ تَخْشَوْهُ اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِیْنَ ۟
(ऐ ईमान वालो!) तुम उन लोगों से युद्ध क्यों नहीं करते, जिन्होंने अपने वचनों और प्रतिज्ञाओं को तोड़ दिया, और दारुन-नदवा में अपनी बैठक में रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को मक्का से निकालने के लिए प्रयास किया, और उन्होंने ही अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के सहयोगी खुज़ाआ कबीले के विरुद्ध कुरैश के सहयोगी बक्र क़बीले की मदद करके, तुमसे युद्ध करने में पहल की है। क्या तुम युद्ध में उनके साथ मुठभेड़ से डरते हो?! तो (जान लो कि) यदि तुम वास्तव में ईमान वाले हो, तो अल्लाह इस बात का अधिक हक़दार है कि तुम उससे डरो।
Faccirooji aarabeeji:
Ina jeyaa e nafoore aayeeje ɗee e ngol hello:
• دلَّت الآيات على أن قتال المشركين الناكثين العهد كان لأسباب كثيرة، أهمها: نقضهم العهد.
• ये आयतें बताती हैं कि वचन तोड़ने वाले बहुदेववादियों से लड़ना कई कारणों से था, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण : उनका वचन तोड़ना है।

• في الآيات دليل على أن من امتنع من أداء الصلاة أو الزكاة فإنه يُقاتَل حتى يؤديهما، كما فعل أبو بكر رضي الله عنه.
• इन आयतों में इस बात का प्रमाण है कि जो कोई नमाज़ अदा करने या ज़कात देने से इनकार करेगा, उससे उस समय तक युद्ध किया जाएगा, जब तक वह उन दोनों का पाबंद न हो जाए, जैसा कि अबू बक्र रज़ियल्लाहु अन्हु ने किया था।

• استدل بعض العلماء بقوله تعالى:﴿وَطَعَنُوا فِي دِينِكُمْ﴾ على وجوب قتل كل من طعن في الدّين عامدًا مستهزئًا به.
• कुछ विद्वानों ने अल्लाह के फरमान : (وَطَعَنُوا فِي دِينِكُمْ) ''और तुम्हारे धर्म में बुराई निकालें।'' से दलील पकड़ी है कि हर वह व्यक्ति जो जानबूझकर धर्म का मज़ाक़ उड़ाते हुए उसमें बुराई निकालता है, उसको क़त्ल करना अनिवार्य है।

• في الآيات دلالة على أن المؤمن الذي يخشى الله وحده يجب أن يكون أشجع الناس وأجرأهم على القتال.
• इन आयतों में यह संकेत मिलता है कि वह मोमिन जो केवल अल्लाह से डरता है, उसे लड़ने में सबसे बहादुर और सबसे साहसी होना चाहिए।

قَاتِلُوْهُمْ یُعَذِّبْهُمُ اللّٰهُ بِاَیْدِیْكُمْ وَیُخْزِهِمْ وَیَنْصُرْكُمْ عَلَیْهِمْ وَیَشْفِ صُدُوْرَ قَوْمٍ مُّؤْمِنِیْنَ ۟ۙ
(ऐ ईमान वालो!) इन मुश्रिकों से लड़ो। क्योंकि यदि तुम उनसे लड़ोगे, तो अल्लाह उन्हें तुम्हारे हाथों से दंडित करेगा, इस प्रकार की तुम उन्हें क़त्ल करोगे, उन्हें हार और क़ैद से अपमानित करेगा, और तुम्हें प्रबल करके तुम्हें उनपर विजय प्रदान करेगा, और उन ईमान वालों के सीनों की बीमारी, जो युद्ध में शामिल नहीं हुए, उनके दुश्मन की हत्या, क़ैद और पराजय, तथा उनपर विश्वासियों की जीत के साथ ठीक कर देगा।
Faccirooji aarabeeji:
وَیُذْهِبْ غَیْظَ قُلُوْبِهِمْ ؕ— وَیَتُوْبُ اللّٰهُ عَلٰی مَنْ یَّشَآءُ ؕ— وَاللّٰهُ عَلِیْمٌ حَكِیْمٌ ۟
और अपने मोमिन बंदों के दिलों से क्रोध को, दुश्मनों पर उन्हें विजय प्रदान करके दूर कर देगा। तथा अल्लाह इन हठी लोगों में से जिसकी चाहता, तौबा क़बूल करता है, यदि वे तौबा करें, जैसा कि (मक्का पर) विजय के दिन मक्का के कुछ लोगों के साथ हुआ था। और अल्लाह उनमें से तौबा करने वालों की सच्चाई को भली-भाँति जानने वाला, तथा अपनी रचना, प्रबंधन और विधान में हिकमत वाला है।
Faccirooji aarabeeji:
اَمْ حَسِبْتُمْ اَنْ تُتْرَكُوْا وَلَمَّا یَعْلَمِ اللّٰهُ الَّذِیْنَ جٰهَدُوْا مِنْكُمْ وَلَمْ یَتَّخِذُوْا مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ وَلَا رَسُوْلِهٖ وَلَا الْمُؤْمِنِیْنَ وَلِیْجَةً ؕ— وَاللّٰهُ خَبِیْرٌ بِمَا تَعْمَلُوْنَ ۟۠
(ऐ ईमान वालो!) क्या तुमने समझ रखा है कि अल्लाह तुम्हें बिना परीक्षण के यूँ ही छोड़ देगा?! हालाँकि परीक्षण करना अल्लाह के नियमों में से एक नियम है। तुम्हारी परीक्षा होती रहेगी यहाँ तक कि अल्लाह तुममें से निष्ठापूर्वक जिहाद करने वालों को इस तरह जान ले कि वह ज्ञान बंदों के लिए प्रत्यक्ष और स्पष्ट हो, जिन्होंने अल्लाह, उसके रसूल और ईमान वालों को छोड़कर काफ़िरों में से रहस्यज्ञ और घनिष्ठ मित्र नहीं बनाए, जिनसे वे मित्रता और प्रेम का संबंध रखते हों। तथा तुम जो कुछ करते हो, अल्लाह उससे सूचित है, उसमें से कुछ भी अल्लाह से छिपा नहीं है और वह तुम्हें तुम्हारे कार्यों का बदला देगा।
Faccirooji aarabeeji:
مَا كَانَ لِلْمُشْرِكِیْنَ اَنْ یَّعْمُرُوْا مَسٰجِدَ اللّٰهِ شٰهِدِیْنَ عَلٰۤی اَنْفُسِهِمْ بِالْكُفْرِ ؕ— اُولٰٓىِٕكَ حَبِطَتْ اَعْمَالُهُمْ ۖۚ— وَفِی النَّارِ هُمْ خٰلِدُوْنَ ۟
मुश्रिकों (बहुदेववादियों) के लिए योग्य नहीं है कि वे अल्लाह की मस्जिदों को इबादत तथा विभिन्न प्रकार की आज्ञाकारिता के साथ आबाद करें, जबकि जो कुछ वे कुफ़्र का प्रदर्शन करते हैं, उसके द्वारा वे स्वयं अपने विरुद्ध कुफ़्र की गवाही दे रहे हैं। उनके कर्म व्यर्थ हैं क्योंकि उनके क़बूल होने की शर्त नहीं पाई जाती है और वह (शर्त) अल्लाह पर ईमान है। वे लोग क़ियामत के दिन आग में प्रवेश करेंगे और हमेशा के लिए उसी में रहेंगे, सिवाय इसके कि वे अपनी मृत्यु से पहले बहुदेववाद से तौबा कर लें।
Faccirooji aarabeeji:
اِنَّمَا یَعْمُرُ مَسٰجِدَ اللّٰهِ مَنْ اٰمَنَ بِاللّٰهِ وَالْیَوْمِ الْاٰخِرِ وَاَقَامَ الصَّلٰوةَ وَاٰتَی الزَّكٰوةَ وَلَمْ یَخْشَ اِلَّا اللّٰهَ ۫— فَعَسٰۤی اُولٰٓىِٕكَ اَنْ یَّكُوْنُوْا مِنَ الْمُهْتَدِیْنَ ۟
मस्जिदों को आबाद करने के योग्य और उसके हक़ को पूरा करने वाला केवल वही व्यक्ति है, जो अकेले अल्लाह पर ईमान रखता है और उसके साथ किसी को साझी नहीं बनाता है, तथा क़ियामत के दिन पर ईमान रखता, नमाज़ क़ायम करता, अपने धन की ज़कात देता और पवित्र अल्लाह के सिवा किसी से नहीं डरता है। तो यही वे लोग हैं, जिनके बारे में उम्मीद की जाती है कि वे सीधे रास्ते पर चलेंगे, और जहाँ तक बहुदेववादियों का सवाल है, तो वे इससे बहुत दूर हैं।
Faccirooji aarabeeji:
اَجَعَلْتُمْ سِقَایَةَ الْحَآجِّ وَعِمَارَةَ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ كَمَنْ اٰمَنَ بِاللّٰهِ وَالْیَوْمِ الْاٰخِرِ وَجٰهَدَ فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ ؕ— لَا یَسْتَوٗنَ عِنْدَ اللّٰهِ ؕ— وَاللّٰهُ لَا یَهْدِی الْقَوْمَ الظّٰلِمِیْنَ ۟ۘ
(ऐ बहुदेववादियो!) क्या तुमने हाजियों को पानी पिलाने वाले और मस्जिद-ए-हराम की देखभाल करने वाले लोगों को उस व्यक्ति की तरह बना दिया, जो अल्लाह पर ईमान लाया और उसके साथ किसी को साझी नहीं बनाया, तथा क़ियामत के दिन पर ईमान लाया और अपने जान-माल के साथ जिहाद किया, ताकि अल्लाह की बात सबसे ऊँची हो और काफ़िरों की बात सबसे नीची? क्या तुमने इन दोनों प्रकार के लोगों को अल्लाह के यहाँ प्रतिष्ठा में बराबर कर दिया?! वे अल्लाह के यहाँ कदापि बराबर नहीं हो सकते। और अल्लाह बहुदेववाद जैसे अत्याचार में पड़े हुए लोगों को सामर्थ्य नहीं देता, भले ही वे हाजियों को पानी पिलाने जैसे अच्छे काम करते हों।
Faccirooji aarabeeji:
اَلَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَهَاجَرُوْا وَجٰهَدُوْا فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ بِاَمْوَالِهِمْ وَاَنْفُسِهِمْ ۙ— اَعْظَمُ دَرَجَةً عِنْدَ اللّٰهِ ؕ— وَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْفَآىِٕزُوْنَ ۟
जो लोग ईमान लाए तथा कुफ़्र की भूमि से इस्लाम की भूमि की ओर हिजरत की और अल्लाह के मार्ग में अपने धनों और प्राणों के साथ जिहाद किया, उनका दूसरों की तुलना में अल्लाह के यहाँ बहुत बड़ा पद है, तथा इन गुणों से सुसज्जित यही लोग जन्नत पाने में सफल होने वाले हैं।
Faccirooji aarabeeji:
Ina jeyaa e nafoore aayeeje ɗee e ngol hello:
• في الآيات دلالة على محبة الله لعباده المؤمنين واعتنائه بأحوالهم، حتى إنه جعل من جملة المقاصد الشرعية شفاء ما في صدورهم وذهاب غيظهم.
• इन आयतों में इस बात का प्रमाण है कि अल्लाह अपने मोमिन बंदों से प्रेम करता है और उनकी देखभाल करता है। यही कारण है कि उसने शरीयत के उद्देश्यों में मोमिनों के दिलों की बीमारियों को ठीक करना और उनके क्रोध को दूर करना भी शामिल किया है।

• شرع الله الجهاد ليحصل به هذا المقصود الأعظم، وهو أن يتميز الصادقون الذين لا يتحيزون إلا لدين الله من الكاذبين الذين يزعمون الإيمان.
• अल्लाह ने जिहाद को इस महान उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए निर्धारित किया है कि केवल अल्लाह के धर्म का पक्ष धरने वाले सच्चे लोग, उन झूठे लोगों से अलग हो जाएँ जो ईमान का दावा करते हैं।

• عُمَّار المساجد الحقيقيون هم من وُصِفوا بالإيمان الصادق، وبالقيام بالأعمال الصالحة التي أُمُّها الصلاة والزكاة، وبخشية الله التي هي أصل كل خير.
• मस्जिदों के सच्चे आबाद करने वाले लोग वे हैं, जो सच्चा ईमान रखते और अच्छे कार्य करते हैं, जिनमें सबसे प्रमुख नमाज़ और ज़कात है, तथा अल्लाह का भय रखते हैं, जो हर अच्छे कार्य का आधार है।

• الجهاد والإيمان بالله أفضل من سقاية الحاج وعمارة المسجد الحرام بدرجات كثيرة؛ لأن الإيمان أصل الدين، وأما الجهاد في سبيل الله فهو ذروة سنام الدين.
• जिहाद और अल्लाह पर ईमान, हाजियों को पानी पिलाने और मस्जिद-ए-हराम को आबाद करने से कई गुना बेहतर है। क्योंकि ईमान ही धर्म का मूल है, और जहाँ तक अल्लाह के मार्ग में जिहाद की बात है, तो वह धर्म की बुलंदी का शिखर है।

یُبَشِّرُهُمْ رَبُّهُمْ بِرَحْمَةٍ مِّنْهُ وَرِضْوَانٍ وَّجَنّٰتٍ لَّهُمْ فِیْهَا نَعِیْمٌ مُّقِیْمٌ ۟ۙ
उनका पालनहार अल्लाह उन्हें अपनी दया की आनंददायक सूचना देता है और यह कि वह उनसे प्रसन्न हो जाएगा, फिर उनसे कभी नाराज़ नहीं होगा, तथा वे ऐसे बाग़ों में प्रवेश करेंगे जिनमें शाश्वत नेमतें हैं, जो कभी बाधित नहीं होंगी।
Faccirooji aarabeeji:
خٰلِدِیْنَ فِیْهَاۤ اَبَدًا ؕ— اِنَّ اللّٰهَ عِنْدَهٗۤ اَجْرٌ عَظِیْمٌ ۟
वे उन बाग़ों में, दुनिया में किए हुए नेक कार्यों के बदले में, अनंत काल तक रहेंगे। निःसंदेह अल्लाह के यहाँ, निष्ठापूर्वक उसके आदेशों का पालन करने वाले तथा उसके निषेधों से बचने वाले के लिए बड़ा बदला है।
Faccirooji aarabeeji:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا لَا تَتَّخِذُوْۤا اٰبَآءَكُمْ وَاِخْوَانَكُمْ اَوْلِیَآءَ اِنِ اسْتَحَبُّوا الْكُفْرَ عَلَی الْاِیْمَانِ ؕ— وَمَنْ یَّتَوَلَّهُمْ مِّنْكُمْ فَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الظّٰلِمُوْنَ ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान लाने वालो और उसके रसूल के द्वारा लाई गई बातों का अनुसरण करने वालो! अपने आनुवंशिक बापों और भाइयों और अपने रिश्तेदारों में से अन्य लोगों को अपना दोस्त मत बनाओ, कि ईमान वालों के रहस्यों को उन पर प्रकट करके और उनके साथ परामर्श करके उनके प्रति वफ़ादार बन जाओ; यदि वे एक अल्लाह पर ईमान लाने पर कुफ़्र को प्राथमिकता दें। तुममें से जो व्यक्ति उनके कुफ़्र पर बने रहने के बावजूद उनसे दोस्ती रखेगा और उनके प्रति स्नेह दिखाएगा, तो निश्चय उसने अल्लाह की अवज्ञा की, और अवज्ञा के कारण अपने आपको विनाश की जगह में डालकर खुद पर अत्याचार किया।
Faccirooji aarabeeji:
قُلْ اِنْ كَانَ اٰبَآؤُكُمْ وَاَبْنَآؤُكُمْ وَاِخْوَانُكُمْ وَاَزْوَاجُكُمْ وَعَشِیْرَتُكُمْ وَاَمْوَالُ ١قْتَرَفْتُمُوْهَا وَتِجَارَةٌ تَخْشَوْنَ كَسَادَهَا وَمَسٰكِنُ تَرْضَوْنَهَاۤ اَحَبَّ اِلَیْكُمْ مِّنَ اللّٰهِ وَرَسُوْلِهٖ وَجِهَادٍ فِیْ سَبِیْلِهٖ فَتَرَبَّصُوْا حَتّٰی یَاْتِیَ اللّٰهُ بِاَمْرِهٖ ؕ— وَاللّٰهُ لَا یَهْدِی الْقَوْمَ الْفٰسِقِیْنَ ۟۠
(ऐ रसूल!) आप कह दीजिए : यदि (ऐ मोमिनो!) तुम्हारे बाप, तुम्हारे बेटे, तुम्हारे भाई, तुम्हारी पत्नियाँ, तुम्हारे रिश्तेदार, तुम्हारा धन जो तुमने कमाया है और तुम्हारा व्यापार जिसके प्रचलन को तुम पसंद करते हो और उसकी मंदी से डरते हो, तथा तुम्हारे घर जिनमें रहने का मोह रखते हो - यदि ये सब तुम्हें अल्लाह और उसके रसूल से, तथा उसकी राह में जिहाद करने से अधिक प्रिय हैं, तो अल्लाह की ओर से आने वाली यातना की प्रतीक्षा करो। और अल्लाह अपनी आज्ञाकारिता से निकल जाने वालों को उस काम को करने का सामर्थ्य नहीं देता, जिससे वह प्रसन्न होता है।
Faccirooji aarabeeji:
لَقَدْ نَصَرَكُمُ اللّٰهُ فِیْ مَوَاطِنَ كَثِیْرَةٍ ۙ— وَّیَوْمَ حُنَیْنٍ ۙ— اِذْ اَعْجَبَتْكُمْ كَثْرَتُكُمْ فَلَمْ تُغْنِ عَنْكُمْ شَیْـًٔا وَّضَاقَتْ عَلَیْكُمُ الْاَرْضُ بِمَا رَحُبَتْ ثُمَّ وَلَّیْتُمْ مُّدْبِرِیْنَ ۟ۚ
निःसंदेह अल्लाह ने बहुत-से युद्धों में (ऐ ईमान वालो!) तुम्हारी कम संख्या और कमज़ोर तैयारी के बावजूद तुम्हारे दुश्मन बहुदेववादियों के खिलाफ तुम्हारी मदद की, जब तुमने अल्लाह पर भरोसा किया और साधनों को अपनाया, तथा अपनी अधिक संख्या पर आत्ममुग्ध नहीं हुए। क्योंकि अधिक संख्या, उनपर तुम्हारी जीत का कारण नहीं थी। तथा हुनैन के दिन भी तुम्हारी मदद की, जब तुम अपनी अधिक संख्या पर आत्ममुग्ध हो गए और कहने लगे : आज हम कम संख्या के कारण नहीं हारेंगे। पर तुम्हारी अधिक संख्या तुम्हारे कुछ काम न आई, जिसपर तुम आत्ममुग्ध थे। चुनाँचे तुम्हारा दुश्मन तुमपर हावी हो गया और धरती अपने विस्तार के बावजूद तुमपर तंग हो गई, फिर तुम अपने शत्रुओं से हारकर भाग खड़े हुए।
Faccirooji aarabeeji:
ثُمَّ اَنْزَلَ اللّٰهُ سَكِیْنَتَهٗ عَلٰی رَسُوْلِهٖ وَعَلَی الْمُؤْمِنِیْنَ وَاَنْزَلَ جُنُوْدًا لَّمْ تَرَوْهَا ۚ— وَعَذَّبَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا ؕ— وَذٰلِكَ جَزَآءُ الْكٰفِرِیْنَ ۟
फिर तुम्हारे अपने शत्रुओं से भाग जाने के बाद, अल्लाह ने अपने रसूल पर और ईमान वालों पर शांति उतारी, तो वे लड़ाई के लिए दृढ़ हो गए। तथा अल्लाह ने फ़रिश्ते उतारे जिन्हें तुमने नहीं देखा, और काफ़िरों को इस तरह दंडित किया कि वे मारे गए, बंदी बना लिए गए, (उनके) धनों पर क़ब्ज़ा कर लिया गया और संतानों को पकड़ लिया गया। यह बदला जो इन लोगों को दिया गया, यही उन काफ़िरों का बदला है, जो अपने रसूल को झुठलाते हैं और उनके लाए हुए संदेश से मुँह मोड़ते हैं।
Faccirooji aarabeeji:
Ina jeyaa e nafoore aayeeje ɗee e ngol hello:
• مراتب فضل المجاهدين كثيرة، فهم أعظم درجة عند الله من كل ذي درجة، فلهم المزية والمرتبة العلية، وهم الفائزون الظافرون الناجون، وهم الذين يبشرهم ربهم بالنعيم.
• मुजाहिदों की श्रेष्ठता के बहुत-से दर्जे हैं। चुनाँचे अल्लाह के निकट उनका दर्जा सबसे ऊँचा है। उन्हें उत्कृष्टता और उच्च पद प्राप्त है और वे सफल, कामयाब और मोक्ष प्राप्त करने वाले हैं। तथा वही लोग हैं, जिन्हें उनका पालनहार नेमतों की शुभ सूचना देता है।

• في الآيات أعظم دليل على وجوب محبة الله ورسوله، وتقديم هذه المحبة على محبة كل شيء.
• इन आयतों में इस बात की सबसे बड़ी दलील है कि अल्लाह और उसके रसूल से प्रेम करना ज़रूरी है और इस प्रेम को हर चीज़ के प्रेम पर प्राथमिकता देना आवश्यक है।

• تخصيص يوم حنين بالذكر من بين أيام الحروب؛ لما فيه من العبرة بحصول النصر عند امتثال أمر الله ورسوله صلى الله عليه وسلم وحصول الهزيمة عند إيثار الحظوظ العاجلة على الامتثال.
• सभी युद्धों के बीच से हुनैन के युद्ध का उल्लेख, इसमें पाए जाने वाले इस पाठ के कारण किया गया है कि जीत अल्लाह और उसके रसूल के आदेश का पालन करने से प्राप्त होती है और अनुपालन पर दुनिया के लाभ को प्राथमिकता देने से हार का सामना करना पड़ता है।

• فضل نزول السكينة، فسكينة الرسول صلى الله عليه وسلم سكينة اطمئنان على المسلمين الذين معه وثقة بالنصر، وسكينة المؤمنين سكينة ثبات وشجاعة بعد الجَزَع والخوف.
• शांति उतरने की फ़जीलत। रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की शांति, आपके साथ मौजूद मुसलमानों के लिए आश्वासन और जीत के विश्वास की शांति है और ईमान वालों की शांति, घबराहट और भय के बाद दृढ़ता और साहस की शांति है।

ثُمَّ یَتُوْبُ اللّٰهُ مِنْ بَعْدِ ذٰلِكَ عَلٰی مَنْ یَّشَآءُ ؕ— وَاللّٰهُ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟
फिर जो कोई उस यातना के बाद अपने कुफ़्र और गुमराही से तौबा करेगा, तो अल्लाह उसकी तौबा क़बूल करेगा। अल्लाह अपने तौबा करने वाले बंदों की तौबा क़बूल करने वाला, उनपर बहुत दया करने वाला है। क्योंकि वह कुफ़्र और पाप करने के बाद उनकी तौबा क़बूल करता है।
Faccirooji aarabeeji:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اِنَّمَا الْمُشْرِكُوْنَ نَجَسٌ فَلَا یَقْرَبُوا الْمَسْجِدَ الْحَرَامَ بَعْدَ عَامِهِمْ هٰذَا ۚ— وَاِنْ خِفْتُمْ عَیْلَةً فَسَوْفَ یُغْنِیْكُمُ اللّٰهُ مِنْ فَضْلِهٖۤ اِنْ شَآءَ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ عَلِیْمٌ حَكِیْمٌ ۟
ऐ अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाने वालो और उसकी शरीयत का पालन करने वालो! जान लो कि मुश्रिक (बहुदेववादी) अशुद्ध हैं। ऐसा उस कुफ़्र, अत्याचार, निंदनीय नैतिकता और बुरी आदतों के कारण है, जो उनके अंदर मौजूद है। अतः वे इस वर्ष अर्थात नौ हिजरी के बाद 'हरम-ए-मक्की' (मस्जिद-ए-हराम सहित) में प्रवेश न करें, भले ही वे हज्ज या उम्रा का इरादा रखते हों। और यदि (ऐ मोमिनो!) तुम उनके द्वारा लाए जाने वाले विभिन्न खाद्य पदार्थों और व्यापारों के बंद होने के कारण गरीबी से डरते हो, तो अल्लाह यदि चाहे, तो अपने अनुग्रह से तुम्हारे लिए पर्याप्त हो जाएगा। निःसंदेह अल्लाह तुम्हारी वर्तमान स्थिति से अवगत है, तुम्हारे लिए जो प्रबंध करता है उसमें हिकमत वाला है।
Faccirooji aarabeeji:
قَاتِلُوا الَّذِیْنَ لَا یُؤْمِنُوْنَ بِاللّٰهِ وَلَا بِالْیَوْمِ الْاٰخِرِ وَلَا یُحَرِّمُوْنَ مَا حَرَّمَ اللّٰهُ وَرَسُوْلُهٗ وَلَا یَدِیْنُوْنَ دِیْنَ الْحَقِّ مِنَ الَّذِیْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ حَتّٰی یُعْطُوا الْجِزْیَةَ عَنْ یَّدٍ وَّهُمْ صٰغِرُوْنَ ۟۠
ऐ ईमान वालो!! उन यहूदी एवं ईसाई काफ़िरों से युद्ध करो, जो अल्लाह को एकमात्र पूज्य नहीं मानते जिसका कोई साझी नहीं, तथा क़ियामत के दिन पर विश्वास नहीं रखते, अल्लाह और उसके रसूल ने जो मृत मांस, सूअर का मांस, शराब और सूद इत्यादि उनपर हराम क़रार दिए हैं, उनसे नहीं बचते हैं, और अल्लाह की शरीयत का पालन नहीं करते हैं, यहाँ तक कि वे अपमानित होकर अपने हाथों से जिज़्या अदा करें।
Faccirooji aarabeeji:
وَقَالَتِ الْیَهُوْدُ عُزَیْرُ ١بْنُ اللّٰهِ وَقَالَتِ النَّصٰرَی الْمَسِیْحُ ابْنُ اللّٰهِ ؕ— ذٰلِكَ قَوْلُهُمْ بِاَفْوَاهِهِمْ ۚ— یُضَاهِـُٔوْنَ قَوْلَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا مِنْ قَبْلُ ؕ— قَاتَلَهُمُ اللّٰهُ ۚ— اَنّٰی یُؤْفَكُوْنَ ۟
यहूदी एवं ईसाई दोनों बहुदेववादी हैं। क्योंकि यहूदियों ने उज़ैर अलैहिस्सलाम को अल्लाह का बेटा कहकर अल्लाह का साझी बनाया और ईसाइयों ने ईसा मसीह को अल्लाह का बेटा कहकर अल्लाह का साझी बनाया। उनकी यह गढ़ी हुई बात, बिना किसी सबूत के मात्र उनके मुँह से कही हुई बात है। उनकी यह बात दरअसल उनके पहले के उन बहुदेववादियों की बात जैसी है, जिन्होंने कहा था कि फ़रिश्ते अल्लाह की बेटियाँ हैं। अल्लाह उनके इस दावे से बहुत ऊँचा है। अल्लाह उन्हें नष्ट करे। वे स्पष्ट सत्य से असत्य की ओर कैसे फेर दिए जाते हैं?!
Faccirooji aarabeeji:
اِتَّخَذُوْۤا اَحْبَارَهُمْ وَرُهْبَانَهُمْ اَرْبَابًا مِّنْ دُوْنِ اللّٰهِ وَالْمَسِیْحَ ابْنَ مَرْیَمَ ۚ— وَمَاۤ اُمِرُوْۤا اِلَّا لِیَعْبُدُوْۤا اِلٰهًا وَّاحِدًا ۚ— لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ؕ— سُبْحٰنَهٗ عَمَّا یُشْرِكُوْنَ ۟
यहूदियों ने अपने विद्वानों और इसाइयों ने अपने पुजारियों को अल्लाह के अलावा रब बना लिए। वे उनके लिए उस चीज़ को हलाल करते हैं, जो अल्लाह ने उनपर हराम की है और उस चीज़ को उनपर हराम कर देते हैं, जो अल्लाह ने उनके लिए हलाल की है। तथा ईसाइयों ने मरयम के पुत्र ईसा मसीह को अल्लाह के साथ पूज्य बना लिया। हालाँकि, अल्लाह ने यहूदियों के विद्वानों और ईसाइयों के पुजारियों को तथा उज़ैर और ईसा बिन मरयम को इसके सिवा कोई आदेश नहीं दिया था कि वे एक अल्लाह की इबादत करें और उसके साथ किसी चीज़ को शरीक न करें। क्योंकि वह सर्वशक्तिमान केवल एक पूज्य है, उसके सिवा कोई सच्चा पूज्य नहीं। अल्लाह इस बात से पवित्र है कि उसका कोई साझी हो, जैसा कि इन मुश्रिकों तथा अन्य लोगों का दावा है।
Faccirooji aarabeeji:
Ina jeyaa e nafoore aayeeje ɗee e ngol hello:
• في الآيات دليل على أن تعلق القلب بأسباب الرزق جائز، ولا ينافي التوكل.
• इन आयतों में इस बात का प्रमाण है कि जीविका के साधनों से हृदय का लगाव जायज़ है और यह अल्लाह पर भरोसा के खिलाफ़ नहीं है।

• في الآيات دليل على أن الرزق ليس بالاجتهاد، وإنما هو فضل من الله تعالى تولى قسمته.
• इन आयतों में इस बात का प्रमाण है कि जीविका परिश्रम से नहीं है, बल्कि यह सर्वशक्तिमान अल्लाह की ओर से एक अनुग्रह है, जिसके विभाजन का काम उसने ख़ुद संभाला है।

• الجزية واحد من خيارات ثلاثة يعرضها الإسلام على الأعداء، يقصد منها أن يكون الأمر كله للمسلمين بنزع شوكة الكافرين.
• जिज़्या उन तीन विकल्पों में से एक है, जो इस्लाम दुश्मनों के सामने पेश करता है।इससे उसका उद्देश्य यह है कि काफ़िरों के वैभव को समाप्त करके पूरा मामला मुसलमानों का हो जाए।

• في اليهود من الخبث والشر ما أوصلهم إلى أن تجرؤوا على الله، وتنقَّصوا من عظمته سبحانه.
• यहूदियों के अंदर इतनी दुष्टता और बुराई थी, कि उसने उन्हें अल्लाह के सामने हिम्मत करने और उसकी महानता को कम करने पर आमादा कर दिया।

یُرِیْدُوْنَ اَنْ یُّطْفِـُٔوْا نُوْرَ اللّٰهِ بِاَفْوَاهِهِمْ وَیَاْبَی اللّٰهُ اِلَّاۤ اَنْ یُّتِمَّ نُوْرَهٗ وَلَوْ كَرِهَ الْكٰفِرُوْنَ ۟
ये लोग और इनके अलावा अन्य काफ़िर समुदायों का उद्देश्य यह है कि अपने इन झूठे आरोपों और मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के लाए हुए संदेश को झुठलाकर इस्लाम का सफाया कर दें और उसे गलत ठहरा दें, तथा अल्लाह के एकेश्वरवाद और उसके रसूल की लाई हुई शरीयत के सत्य होने के स्पष्ट तर्कों और खुले प्रमाणों को अमान्य कर दें। परंतु अल्लाह अपने धर्म को पूरा करके और अन्य धर्मों पर उसे ग़ालिब और सर्वोच्च करके ही रहेगा, भले ही काफ़िरों को उसका अपने धर्म को पूरा करना, उसे ग़ालिब और सर्वोच्च करना बुरा लगे। और जब अल्लाह किसी चीज़ का इरादा करता है, तो अन्य लोगों का इरादा अमान्य हो जाता है।
Faccirooji aarabeeji:
هُوَ الَّذِیْۤ اَرْسَلَ رَسُوْلَهٗ بِالْهُدٰی وَدِیْنِ الْحَقِّ لِیُظْهِرَهٗ عَلَی الدِّیْنِ كُلِّهٖ ۙ— وَلَوْ كَرِهَ الْمُشْرِكُوْنَ ۟
अल्लाह ही ने अपने रसूल मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को क़ुरआन के साथ, जो लोगों के लिए मार्गदर्शन है, तथा सत्य धर्म इस्लाम के साथ भेजा, ताकि उसमें मौजूद तर्कों, प्रमाणों और आदेशों के साथ उसे अन्य धर्मों पर सर्वोच्च कर दे, भले ही बहुदेववादियों को यह बुरा लगे।
Faccirooji aarabeeji:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اِنَّ كَثِیْرًا مِّنَ الْاَحْبَارِ وَالرُّهْبَانِ لَیَاْكُلُوْنَ اَمْوَالَ النَّاسِ بِالْبَاطِلِ وَیَصُدُّوْنَ عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ ؕ— وَالَّذِیْنَ یَكْنِزُوْنَ الذَّهَبَ وَالْفِضَّةَ وَلَا یُنْفِقُوْنَهَا فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ ۙ— فَبَشِّرْهُمْ بِعَذَابٍ اَلِیْمٍ ۟ۙ
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने वालो और उसकी शरीयत का अनुसरण करने वालो! बहुत-से यहूदी विद्वान और बहुत-से ईसाई उपासक, लोगों के धनों को बिना किसी वैध अधिकार के लेते हैं। चुनाँचे वे उन्हें रिश्वत और अन्य अवैध ढंग से लेते हैं, और वे लोगों को अल्लाह के धर्म में प्रवेश करने से रोकते हैं। तथा जो लोग सोना-चाँदी जमा करके रखते हैं और अपने ऊपर अनिवार्य उसकी ज़कात नहीं देते, तो (ऐ रसूल!) आप उन्हें क़ियामत के दिन दर्दनाक यातना की सूचना दे दें, जिससे उन्हें बहुत तकलीफ़ होगी।
Faccirooji aarabeeji:
یَّوْمَ یُحْمٰی عَلَیْهَا فِیْ نَارِ جَهَنَّمَ فَتُكْوٰی بِهَا جِبَاهُهُمْ وَجُنُوْبُهُمْ وَظُهُوْرُهُمْ ؕ— هٰذَا مَا كَنَزْتُمْ لِاَنْفُسِكُمْ فَذُوْقُوْا مَا كُنْتُمْ تَكْنِزُوْنَ ۟
जो कुछ उन्होंने इकट्ठा किया और उसका हक़ रोक लिया, उसे क़ियामत के दिन जहन्नम की आग में तपाया जाएगा। जब वह बहुत गर्म हो जाएगा, तो उसे उनके माथों, पहलुओं और पीठों पर रखा जाएगा, और उन्हें फटकार के रूप में कहा जाएगा : ये हैं तुम्हारे धन, जो तुमने एकत्र किए थे लेकिन उनमें अनिवार्य अधिकारों का भुगतान नहीं किए थे। तो अब, जो कुछ तुम इकट्ठा कर रहे थे और उसके अधिकारों का भुगतान नहीं कर रहे थे, उसका कष्ट और उसके परिणाम का स्वाद चखो।
Faccirooji aarabeeji:
اِنَّ عِدَّةَ الشُّهُوْرِ عِنْدَ اللّٰهِ اثْنَا عَشَرَ شَهْرًا فِیْ كِتٰبِ اللّٰهِ یَوْمَ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ مِنْهَاۤ اَرْبَعَةٌ حُرُمٌ ؕ— ذٰلِكَ الدِّیْنُ الْقَیِّمُ ۙ۬— فَلَا تَظْلِمُوْا فِیْهِنَّ اَنْفُسَكُمْ ۫— وَقَاتِلُوا الْمُشْرِكِیْنَ كَآفَّةً كَمَا یُقَاتِلُوْنَكُمْ كَآفَّةً ؕ— وَاعْلَمُوْۤا اَنَّ اللّٰهَ مَعَ الْمُتَّقِیْنَ ۟
निःसंदेह अल्लाह के निर्णय और फैसले के अनुसार वर्ष के महीनों की संख्या बारह है, जिसे उसने आकाशों और धरती की रचना के समय ही लौह़-ए-मह़फूज़ में लिख दिया था। इन बारह महीनों में से चार महीनों में अल्लाह ने लड़ने से मना किया है। इनमें से तीन महीने तगातार हैं : 'ज़ुलक़ादा, ज़ुलहिज्जा और मुहर्रम' और एक अकेला, जो कि 'रजब' है। यह जो वर्ष के महीनों की संख्या और उनमें से चार के हुरमत वाले होने का उल्लेख किया गया है, वही सीधा धर्म है। अतः इन हुरमत वाले महीनों के अंदर युद्ध करके और उनकी पवित्रता को भंग करके अपने प्राणों पर अत्याचार न करो। तथा बहुदेववादियों से सब मिलकर युद्ध करो, जैसे वे मिलकर तुमसे युद्ध करते हैं। और यह जान लो कि अल्लाह अपनी मदद और सुदृढ़ीकरण के द्वारा उन लोगों के साथ है, जो उसके आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर उससे डरते हैं। और जिसके साथ अल्लाह हो, उसे कोई पराजित नही कर सकता।
Faccirooji aarabeeji:
Ina jeyaa e nafoore aayeeje ɗee e ngol hello:
• دين الله ظاهر ومنصور مهما سعى أعداؤه للنيل منه حسدًا من عند أنفسهم.
• अल्लाह का धर्म प्रभावी रहेगा और उसकी सहायता की जाएगी, चाहे उसके दुश्मन अपनी ईर्ष्या के कारण उसे क्षति पहुँचाने की कितनी भी कोशिश कर लें।

• تحريم أكل أموال الناس بالباطل، والصد عن سبيل الله تعالى.
• अवैध ढंग से लोगों का धन खाने और अल्लाह के मार्ग से रोकने का निषेध।

• تحريم اكتناز المال دون إنفاقه في سبيل الله.
• अल्लाह के मार्ग में खर्च किए बिना धन जमा करना हराम है।

• الحرص على تقوى الله في السر والعلن، خصوصًا عند قتال الكفار؛ لأن المؤمن يتقي الله في كل أحواله.
• गुप्त और सार्वजनिक रूप से अल्लाह से डरने के लिए उत्सुक होना, विशेष रूप से काफ़िरों से लड़ते समय; क्योंकि मोमिन अपनी सभी परिस्थितियों में अल्लाह का भय रखता है।

اِنَّمَا النَّسِیْٓءُ زِیَادَةٌ فِی الْكُفْرِ یُضَلُّ بِهِ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا یُحِلُّوْنَهٗ عَامًا وَّیُحَرِّمُوْنَهٗ عَامًا لِّیُوَاطِـُٔوْا عِدَّةَ مَا حَرَّمَ اللّٰهُ فَیُحِلُّوْا مَا حَرَّمَ اللّٰهُ ؕ— زُیِّنَ لَهُمْ سُوْٓءُ اَعْمَالِهِمْ ؕ— وَاللّٰهُ لَا یَهْدِی الْقَوْمَ الْكٰفِرِیْنَ ۟۠
किसी हुरमत वाले महीने की पवित्रता को एक ग़ैर-हुरमत वाले महीने तक विलंब करना और इसे उसके स्थान पर रखना (जैसा कि पूर्व-इस्लामिक युग में अरब करते थे) उनके अल्लाह के साथ कुफ़्र पर कुफ़्र में वृद्धि है; क्योंकि उन्होंने हुरमत वाले महीनों के बारे में अल्लाह के आदेश का इनकार किया है। शैतान इसके द्वारा उन लोगों को गुमराह करता है, जिन्होंने अल्लाह का इनकार किया जब उसने उनके लिए यह बुरा तरीक़ा जारी किया। वे एक साल हुरमत वाले महीने को किसी हलाल महीने से बदलकर हलाल कर लेते हैं और एक साल उसकी हुरमत को बाक़ी रहने देते हैं, ताकि वे उन महीनों की संख्या के अनुरूप हों जिन्हें अल्लाह ने हुरमत वाला बनाया है, भले ही वे उनकी यथार्था के विपरीत हों। चुनाँचे वे किसी महीने को हलाल बनाते हैं, तो उसके स्थान पर एक महीने को हराम घोषित कर देते हैं। इस तरह वे अल्लाह के हराम किए हुए हुरमत वाले महीनों को हलाल कर लेते हैं और उसके आदेश का उल्लंघन करते हैं। दरअसल शैतान ने उनके लिए बुरे कामों को अच्छा बना दिया और वे उन्हें करने लगे। जिनमें से एक महीनों को आगे-पीछे करना भी है। और अल्लाह उन काफ़िरों को हिदायत नहीं देता, जो अपने कुफ़्र पर अडिग रहते हैं।
Faccirooji aarabeeji:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا مَا لَكُمْ اِذَا قِیْلَ لَكُمُ انْفِرُوْا فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ اثَّاقَلْتُمْ اِلَی الْاَرْضِ ؕ— اَرَضِیْتُمْ بِالْحَیٰوةِ الدُّنْیَا مِنَ الْاٰخِرَةِ ۚ— فَمَا مَتَاعُ الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا فِی الْاٰخِرَةِ اِلَّا قَلِیْلٌ ۟
ऐ अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाने वालो और उसकी शरीयत का पालन करने वालो! तुम्हें क्या हो गया है कि जब तुम्हें अपने दुश्मन से लड़ने के लिए अल्लाह के मार्ग में जिहाद के लिए बुलाया जाता है, तो तुम धीमे हो जाते हो और अपने घरों में स्थिरता को तरजीह देते हो?! क्या तुम आख़िरत (परलोक) के शाश्वत आनंद (सुख) के बदले, जो अल्लाह ने अपने मार्ग में जिहाद करने वालों के लिए तैयार कर रखा है, इस दुनिया के क्षणभंगुर जीवन के सुखों और समाप्त हो जाने वाले आनंदों से संतुष्ट हो गए हो?! तो (जान लो कि) आख़िरत के पक्ष में इस सांसारिक जीवन का आनंद बहुत तुच्छ है। फिर एक समझदार व्यक्ति नश्वर को शाश्वत पर, और महान पर तुच्छ को कैसे चुन सकता है?!
Faccirooji aarabeeji:
اِلَّا تَنْفِرُوْا یُعَذِّبْكُمْ عَذَابًا اَلِیْمًا ۙ۬— وَّیَسْتَبْدِلْ قَوْمًا غَیْرَكُمْ وَلَا تَضُرُّوْهُ شَیْـًٔا ؕ— وَاللّٰهُ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌ ۟
यदि (ऐ मोमिनो!) तुम अपने दुश्मन से लड़ने के लिए अल्लाह के रास्ते में जिहाद करने के लिए नहीं निकलोगे, तो अल्लाह तुम्हें उत्पीड़न, अपमान और अन्य चीजों से दंडित करेगा, तथा तुम्हारे स्थान पर ऐसे लोगों को ले आएगा, जो अल्लाह के आज्ञाकारी होंगे, जब उन्हें जिहाद के लिए निकलने को कहा जाएगा, तो निकल पड़ेंगे। और तुम उसके आदेश की अवहेलना करके उसे कुछ भी हानि नहीं पहुँचा सकोगे। क्योंकि वह तुमसे बेनयाज़ है और तुम उसके मोहताज हो। और अल्लाह हर चीज़ करने में समर्थ है। कोई चीज़ उसे विवश नहीं कर सकती। अतः वह तुम्हारे बिना अपने धर्म और अपने नबी का समर्थन करने में सक्षम है।
Faccirooji aarabeeji:
اِلَّا تَنْصُرُوْهُ فَقَدْ نَصَرَهُ اللّٰهُ اِذْ اَخْرَجَهُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا ثَانِیَ اثْنَیْنِ اِذْ هُمَا فِی الْغَارِ اِذْ یَقُوْلُ لِصَاحِبِهٖ لَا تَحْزَنْ اِنَّ اللّٰهَ مَعَنَا ۚ— فَاَنْزَلَ اللّٰهُ سَكِیْنَتَهٗ عَلَیْهِ وَاَیَّدَهٗ بِجُنُوْدٍ لَّمْ تَرَوْهَا وَجَعَلَ كَلِمَةَ الَّذِیْنَ كَفَرُوا السُّفْلٰی ؕ— وَكَلِمَةُ اللّٰهِ هِیَ الْعُلْیَا ؕ— وَاللّٰهُ عَزِیْزٌ حَكِیْمٌ ۟
यदि (ऐ मोमिनो!) तुम रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सहायता नहीं करते, और अल्लाह के मार्ग में जिहाद के लिए उसके आह्वान का जवाब नहीं देते, तो अल्लाह ने तुम्हारे बिना ही उनकी सहायता उस समय की है, जब बहुदेववादियों ने उन्हें (मक्का से) निकाल दिया था। केवल वह और अबू बक्र थे। उनका कोई तीसरा नहीं था। जब वे दोनों 'साैर' नामी गुफा में उन काफ़िरों से छिपे हुए थे, जो उन दोनों को तलाश कर रहे थे। जब अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अपने साथी अबू बक्र सिद्दीक़ से, उन्हें मुश्रिकों द्वारा उनके पकड़े जाने का डर होने पर, कह रहे थे : दुखी मत हो। निःसंदेह अल्लाह अपने समर्थन और मदद के साथ, हमारे साथ है। तो अल्लाह ने अपने रसूल के दिल पर शांति उतार दी और आपपर ऐसे सैनिक उतारे जिन्हें तुम नहीं देखते, और वे फ़रिश्ते थे जो आपका समर्थन कर रहे थे। तथा उसने काफ़िरों की बात नीची कर दी, और अल्लाह की बात ही सर्वोच्च है जब उसने इस्लाम को ऊँचा कर दिया। और अल्लाह अपने अस्तित्व, अपनी प्रबलता और राज्य में प्रभुत्वशाली है, उसे कोई पराजित नहीं कर सकता, अपने प्रबंधन, नियति और विधान में पूर्ण हिकमत वाला है।
Faccirooji aarabeeji:
Ina jeyaa e nafoore aayeeje ɗee e ngol hello:
• العادات المخالفة للشرع بالاستمرار عليها دونما إنكار لها يزول قبحها عن النفوس، وربما ظُن أنها عادات حسنة.
• शरीयत के विपरीत आदतों को नकारे बिना जारी रखने से आत्मा से उनकी कुरूपता समाप्त हो जाती है, और वे अच्छी आदतें समझी जा सकती हैं।

• عدم النفير في حال الاستنفار من كبائر الذنوب الموجبة لأشد العقاب، لما فيها من المضار الشديدة.
• जिहाद के लिए निकलने का आह्वान करते समय उसके लिए न निकलना, उन प्रमुख पापों में से एक है जो सबसे गंभीर दंड का कारण है, क्योंकि उसके गंभीर नुक़सान हैं।

• فضيلة السكينة، وأنها من تمام نعمة الله على العبد في أوقات الشدائد والمخاوف التي تطيش فيها الأفئدة، وأنها تكون على حسب معرفة العبد بربه، وثقته بوعده الصادق، وبحسب إيمانه وشجاعته.
• शांति की श्रेष्ठता, और यह कि विपत्ति और भय के समय में, जब दिल भटक जाते हैं, यह बंदे पर अल्लाह की कृपा की पूर्णता में से है। और यह बंदे के अपने पालनहार के ज्ञान और उसके सच्चे वादे पर भरोसा के अनुसार, तथा उसके ईमान और साहस के अनुरूप होती है।

• أن الحزن قد يعرض لخواص عباد الله الصدِّيقين وخاصة عند الخوف على فوات مصلحة عامة.
• कभी-कभी अल्लाह के विशिष्ट सत्यवादी बंदे भी शोकाकुल हो जाते हैं, खासकर जब सार्वजनिक हित के नुकसान के डर हो।

اِنْفِرُوْا خِفَافًا وَّثِقَالًا وَّجَاهِدُوْا بِاَمْوَالِكُمْ وَاَنْفُسِكُمْ فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ ؕ— ذٰلِكُمْ خَیْرٌ لَّكُمْ اِنْ كُنْتُمْ تَعْلَمُوْنَ ۟
(ऐ मोमिनो!) तुम कठिनाई और आराम में, युवा और बूढ़े अल्लाह के मार्ग में जिहाद के लिए निकल पड़ो और अपने धनों और अपनी जानों के साथ जिहाद करो। क्योंकि यह निकलना और धनों और जानों के साथ जिहाद करना, दुनिया एवं आख़िरत के जीवन में, घर में बैठे रहने और जान एवं माल की सुरक्षा से चिपके रहने से ज़्यादा फायदेमंद है। यदि तुम इसका ज्ञान रखते हो, तो इसके लालायित बनो।
Faccirooji aarabeeji:
لَوْ كَانَ عَرَضًا قَرِیْبًا وَّسَفَرًا قَاصِدًا لَّاتَّبَعُوْكَ وَلٰكِنْ بَعُدَتْ عَلَیْهِمُ الشُّقَّةُ ؕ— وَسَیَحْلِفُوْنَ بِاللّٰهِ لَوِ اسْتَطَعْنَا لَخَرَجْنَا مَعَكُمْ ۚ— یُهْلِكُوْنَ اَنْفُسَهُمْ ۚ— وَاللّٰهُ یَعْلَمُ اِنَّهُمْ لَكٰذِبُوْنَ ۟۠
यदि आप जिसकी ओर उन मुनाफ़िक़ों को बुला रहे थे, जिन्होंने आपसे पीछे रहने की अनुमति माँगी थी, आसानी से प्राप्त होने वाला ग़नीमत का धन और बिना कठिनाई का सफ़र होता, तो वे (ऐ नबी!) आपका अवश्य अनुसरण करते। लेकिन वह फ़ासला जो आपने उनको शत्रु के पास जाने के लिए तय करने को कहा था, उनसे बहुत दूर था, सो वे पीछे रह गए। और जब आप (युद्ध से) उनके पास लौटेंगे, तो ये पीछे रहने की अनुमति माँगने वाले मुनाफ़िक़ अल्लाह की क़समें खाकर कहेंगे : अगर हम आपके साथ जिहाद में निकलने की ताक़त रखते, तो हम ज़रूर निकलते। वे जिहाद से पीछे रहकर और इन झूठी क़समों के कारण, खुद को अल्लाह की सज़ा के लिए पेश करके, अपनी तबाही मोल ले रहे हैं। जबकि अल्लाह जानता है कि निश्चय वे अपने दावे और अपनी इन क़समों में झूठे हैं।
Faccirooji aarabeeji:
عَفَا اللّٰهُ عَنْكَ ۚ— لِمَ اَذِنْتَ لَهُمْ حَتّٰی یَتَبَیَّنَ لَكَ الَّذِیْنَ صَدَقُوْا وَتَعْلَمَ الْكٰذِبِیْنَ ۟
अल्लाह ने (ऐ रसूल!) आपके उन्हें पीछे रहने की अनुमति देने के इज्तिहाद (निर्णय) को क्षमा कर दिया। आपने उन्हें इसकी अनुमति क्यों दी? यहाँ तक कि आपके लिए यह स्पष्ट हो जाता कि कौन लोग अपने बहाने में सच्चे हैं और कौन झूठे। ताकि आप उनमें से सच्चे लोगों को अनुमति देते, न कि झूठे लोगों को।
Faccirooji aarabeeji:
لَا یَسْتَاْذِنُكَ الَّذِیْنَ یُؤْمِنُوْنَ بِاللّٰهِ وَالْیَوْمِ الْاٰخِرِ اَنْ یُّجَاهِدُوْا بِاَمْوَالِهِمْ وَاَنْفُسِهِمْ ؕ— وَاللّٰهُ عَلِیْمٌۢ بِالْمُتَّقِیْنَ ۟
(ऐ रसूल!) जो लोग अल्लाह और क़ियामत के दिन पर सच्चा ईमान रखते हैं, उनका यह काम नहीं है कि अपने धनों और अपनी जानों के साथ अल्लाह के मार्ग में जिहाद करने से पीछे रहने की आपसे अनुमति माँगें, बल्कि उनका हाल यह होना चाहिए कि जब उनसे निकलने को कहा जाए, तो निकल पड़ें और अपने धनों और अपनी जानों के साथ जिहाद करें। और अल्लाह अपने उन डर रखने वाले बंदों को जानता है, जो आपसे उसी समय अनुमति माँगते हैं, जब उनके साथ कोई ऐसी मजबूरी हो, जो उन्हें आपके साथ निकलने से रोकती हो।
Faccirooji aarabeeji:
اِنَّمَا یَسْتَاْذِنُكَ الَّذِیْنَ لَا یُؤْمِنُوْنَ بِاللّٰهِ وَالْیَوْمِ الْاٰخِرِ وَارْتَابَتْ قُلُوْبُهُمْ فَهُمْ فِیْ رَیْبِهِمْ یَتَرَدَّدُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) जो लोग आपसे अल्लाह की राह में जिहाद से पीछे रहने की अनुमति माँग रहे हैं, वे मुनाफ़िक़ लोग हैं, जो न अल्लाह पर ईमान रखते हैं और न क़ियामत के दिन पर ईमान रखते हैं, तथा उनके दिलों में अल्लाह के धर्म के बारे में शक है। अतः वे अपने संदेह में भ्रमित भटक रहे हैं, सत्य का मार्ग नहीं पाते हैं।
Faccirooji aarabeeji:
وَلَوْ اَرَادُوا الْخُرُوْجَ لَاَعَدُّوْا لَهٗ عُدَّةً وَّلٰكِنْ كَرِهَ اللّٰهُ انْۢبِعَاثَهُمْ فَثَبَّطَهُمْ وَقِیْلَ اقْعُدُوْا مَعَ الْقٰعِدِیْنَ ۟
यदि वे अपने इस दावे में सच्चे होते कि वे आपके साथ अल्लाह की राह में जिहाद के लिए निकलना चाहते थे, तो वे उपकरण तैयार करके अवश्य उसके लिए तैयारी करते। परंतु अल्लाह ने उनका आपके साथ निकलना पसंद नहीं किया। इसलिए उनके लिए निकलना भारी बना दिया यहाँ तक कि उन्होंने अपने घरों में बैठने को तरजीह दी।
Faccirooji aarabeeji:
لَوْ خَرَجُوْا فِیْكُمْ مَّا زَادُوْكُمْ اِلَّا خَبَالًا وَّلَاۡاَوْضَعُوْا خِلٰلَكُمْ یَبْغُوْنَكُمُ الْفِتْنَةَ ۚ— وَفِیْكُمْ سَمّٰعُوْنَ لَهُمْ ؕ— وَاللّٰهُ عَلِیْمٌۢ بِالظّٰلِمِیْنَ ۟
इन मुनाफ़िक़ों का तुम्हारे साथ न निकलना ही अचछा था। यदि वे तुम्हरे साथ निकलते, तो तुम्हारी हिम्मत तोड़कर और संदेह पैदा करके, तुम्हारे अंदर बिगाड़ के सिवा कुछ न बढ़ाते, और तुम्हें विभाजित करने के लिए तुम्हारे बीच द्वेष की बातें फैलाते। और (ऐ नबी!) तुम्हारे अंदर ऐसे लोग भी मौजूद हैं, जो उनके फैलाए हुए झूठ को सुनते हैं, उसे स्वीकार करते हैं और फैलाते हैं। जिसके कारण तुम्हारे बीच मतभेद पैदा होता है। और अल्लाह उन अत्याचारी मुनाफ़िकों को भली-भाँति जानता है, जो ईमान वालों के बीच साज़िशें करते हैं और संदेह फैलाते हैं।
Faccirooji aarabeeji:
Ina jeyaa e nafoore aayeeje ɗee e ngol hello:
• وجوب الجهاد بالنفس والمال كلما دعت الحاجة.
• जरूरत पड़ने पर जान तथा माल के साथ जिहाद करना वाजिब है।

• الأيمان الكاذبة توجب الهلاك.
• झूठी शपथ विनाश का कारण है।

• وجوب الاحتراز من العجلة، ووجوب التثبت والتأني، وترك الاغترار بظواهر الأمور، والمبالغة في التفحص والتريث.
• जल्दबाज़ी से बचना, ठीक से छानबीन कर लेना, ज़ाहिरी बातों के धोखे में न पड़ना और मामले की तह तक पहुँचना ज़रूरी है।

• من عناية الله بالمؤمنين تثبيطه المنافقين ومنعهم من الخروج مع عباده المؤمنين، رحمة بالمؤمنين ولطفًا من أن يداخلهم من لا ينفعهم بل يضرهم.
• ईमान वालों के लिए अल्लाह की देखभाल, कि उसने मुनाफ़िकों को हतोत्साहित कर दिया और उन्हें अपने मोमिन बंदों के साथ निकलने से रोक दिया, ताकि ऐसे लोग उनके साथ शामिल न हो सकें, जो उनके लिए लाभकारी होने के बजाय हानिकारक सिद्ध हों।

لَقَدِ ابْتَغَوُا الْفِتْنَةَ مِنْ قَبْلُ وَقَلَّبُوْا لَكَ الْاُمُوْرَ حَتّٰی جَآءَ الْحَقُّ وَظَهَرَ اَمْرُ اللّٰهِ وَهُمْ كٰرِهُوْنَ ۟
ये मुनाफ़िक़ लोग तबूक के युद्ध से पहले भी मुसलमानों के बीच मतभेद पैदा करके और उनकी एकता को भंग करके उपद्रव मचाने का प्रयास कर चुके हैं, तथा तरकीबों की व्यवस्था करके (ऐ रसूल!) आपके लिए मामलों में विविधता लाते रहे हैं और उलट-फेर करते रहे हैं, शायद उनकी चालें जिहाद करने के आपके संकल्प को प्रभावित कर दें, यहाँ तक कि आपके लिए अल्लाह की मदद और उसका समर्थन आ गया और अल्लाह ने अपने दीन को प्रभुत्व प्रदान किया और अपने दुश्मनों को वशीभूत कर दिया। जबकि वे इसे नापसंद करते थे; क्योंकि वे सत्य पर असत्य की जीत चाहते थे।
Faccirooji aarabeeji:
وَمِنْهُمْ مَّنْ یَّقُوْلُ ائْذَنْ لِّیْ وَلَا تَفْتِنِّیْ ؕ— اَلَا فِی الْفِتْنَةِ سَقَطُوْا ؕ— وَاِنَّ جَهَنَّمَ لَمُحِیْطَةٌ بِالْكٰفِرِیْنَ ۟
मुनाफ़िक़ों में से कुछ ऐसे हैं, जो गढ़े हुए बहाने पेश करते हैं और कहते हैं : ऐ अल्लाह के रसूल! मुझे जिहाद से पीछे रहने की अनुमति प्रदान करें और मुझे अपने साथ निकलने पर मजबूर न करें, कहीं ऐसा न हो कि मैं रूमी शत्रुओं की स्त्रियों को देखकर किसी गुनाह में पड़ जाऊँ। सुन लो! वास्तव में, वे जो दावा करते हैं उससे कहीं अधिक बड़े फ़ितने में पड़ चुके हैं, जो कि निफ़ाक़ का फ़ितना और युद्ध से पीछे रहने का फ़ितना है। निःसंदेह क़ियामत के दिन जहन्नम काफ़िरों को अवश्य घेरने वाली है। उनमें से कोई भी उससे बच नहीं सकता और न ही वे उससे भागने की कोई जगह पाएँगे।
Faccirooji aarabeeji:
اِنْ تُصِبْكَ حَسَنَةٌ تَسُؤْهُمْ ۚ— وَاِنْ تُصِبْكَ مُصِیْبَةٌ یَّقُوْلُوْا قَدْ اَخَذْنَاۤ اَمْرَنَا مِنْ قَبْلُ وَیَتَوَلَّوْا وَّهُمْ فَرِحُوْنَ ۟
यदि (ऐ अल्लाह के रसूल!) आपको विजय या ग़नीमत के धन के रूप में अल्लाह की ओर से कोई आनंदकर नेमत प्राप्त होती है, तो वे उसे नापसंद करते हैं और उसके लिए शोक मनाते हैं। और यदि कठिनाई या दुश्मन की विजय के रूप में आपपर कोई विपत्ति आ पड़ती है, तो ये मुनाफ़िक़ लोग कहते हैं : हमने अपने लिए सावधानी बरती और हमने उस समय समझदारी (विवेक) से काम लिया जब हम लड़ाई के लिए नहीं निकले, जिस तरह कि ईमान वाले निकले थे। जिसके कारण उन्हें क़त्ल और क़ैद का सामना करना पड़ा। फिर ये मुनाफ़िक़ लोग अपनी सुरक्षा से खुश अपने परिवारों की ओर लौटते हैं।
Faccirooji aarabeeji:
قُلْ لَّنْ یُّصِیْبَنَاۤ اِلَّا مَا كَتَبَ اللّٰهُ لَنَا ۚ— هُوَ مَوْلٰىنَا ۚ— وَعَلَی اللّٰهِ فَلْیَتَوَكَّلِ الْمُؤْمِنُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप इन मुनाफ़िक़ों से कह दें : अल्लाह ने हमारे लिए जो कुछ लिख दिया है, उसके अलावा हमें कुछ भी नहीं पहुँचेगा। क्योंकि वही महिमावान हमारा मालिक और हमारा आश्रय है जिसका हम सहारा लेते हैं, और हम अपने मामलों में उसी पर भरोसा करते हैं। तथा ईमान वाले अपने मामलों को केवल उसी को सौंपते हैं। क्योंकि वही उनके लिए पर्याप्त, और सबसे अच्छा काम बनाने वाला है।
Faccirooji aarabeeji:
قُلْ هَلْ تَرَبَّصُوْنَ بِنَاۤ اِلَّاۤ اِحْدَی الْحُسْنَیَیْنِ ؕ— وَنَحْنُ نَتَرَبَّصُ بِكُمْ اَنْ یُّصِیْبَكُمُ اللّٰهُ بِعَذَابٍ مِّنْ عِنْدِهٖۤ اَوْ بِاَیْدِیْنَا ۖؗۗ— فَتَرَبَّصُوْۤا اِنَّا مَعَكُمْ مُّتَرَبِّصُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप उनसे कह दें : तुम हमारे लिए जीत या शहादत के अलावा किसकी प्रतीक्षा कर रहे हो?! और हम तुम्हारे बारे में प्रतीक्षा कर रहे हैं कि अल्लाह तुम्हें अपने पास से कोई यातना दे, जो तुम्हें नष्ट कर दे या हमारे हाथों तुम्हें क़त्ल करवाकर या बंदी बनाकर सज़ा दे, यदि वह हमें तुमसे लड़ाई की अनुमति प्रदान कर दे। तो तुम हमारे परिणाम की प्रतीक्षा करो। हम भी तुम्हारे परिणाम की प्रतीक्षा करते हैं।
Faccirooji aarabeeji:
قُلْ اَنْفِقُوْا طَوْعًا اَوْ كَرْهًا لَّنْ یُّتَقَبَّلَ مِنْكُمْ ؕ— اِنَّكُمْ كُنْتُمْ قَوْمًا فٰسِقِیْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप उनसे कह दें : जो कुछ तुम अपने धन में से खर्च करते हो, उसे स्वेच्छा से या अनिच्छा से खर्च करो। जो कुछ तुमने खर्च किया है वह तुम्हारे कुफ़्र और अल्लाह की अवज्ञा के कारण तुमसे कभी भी स्वीकार नहीं किया जाएगा।
Faccirooji aarabeeji:
وَمَا مَنَعَهُمْ اَنْ تُقْبَلَ مِنْهُمْ نَفَقٰتُهُمْ اِلَّاۤ اَنَّهُمْ كَفَرُوْا بِاللّٰهِ وَبِرَسُوْلِهٖ وَلَا یَاْتُوْنَ الصَّلٰوةَ اِلَّا وَهُمْ كُسَالٰی وَلَا یُنْفِقُوْنَ اِلَّا وَهُمْ كٰرِهُوْنَ ۟
उनकी ख़र्च की हुई चीज़ों को स्वीकार न किए जाने के तीन कारण हैं : उनका अल्लाह और उसके रसूल का इनकार करना, उनका नमाज़ पढ़ते समय आलस्य और सुस्ती, तथा वे अपना धन स्वेच्छा से खर्च नहीं करते हैं, बल्कि उसे अनैच्छिक रूप से खर्च करते हैं; क्योंकि वे न तो अपनी नमाज़ों में प्रतिफल की आशा रखते हैं और न ही अपने खर्च करने में।
Faccirooji aarabeeji:
Ina jeyaa e nafoore aayeeje ɗee e ngol hello:
• دأب المنافقين السعي إلى إلحاق الأذى بالمسلمين عن طريق الدسائس والتجسس.
• मुनाफ़िक़ साज़िश और जासूसी के माध्यम से मुसलमानों को नुक़सान पहुँचाने का प्रयास करते रहते हैं।

• التخلف عن الجهاد مفسدة كبرى وفتنة عظمى محققة، وهي معصية لله ومعصية لرسوله.
• जिहाद से पीछे रहना एक बहुत बड़ी बुराई और महान फ़ितना है। तथा यह अल्लाह की अवज्ञा और उसके रसूल की अवज्ञा है।

• في الآيات تعليم للمسلمين ألا يحزنوا لما يصيبهم؛ لئلا يَهِنوا وتذهب قوتهم، وأن يرضوا بما قدَّر الله لهم، ويرجوا رضا ربهم؛ لأنهم واثقون بأن الله يريد نصر دينه.
• इन आयतों में मुसलमानों के लिए यह सीख है कि जो कुछ उनके साथ होता है उसके लिए शोक न करें; ताकि ऐसा न हो कि वे कमज़ोर पड़ जाएँ और उनकी शक्ति समाप्त हो जाए। तथा अल्लाह ने उनके लिए जो कुछ नियत किया है, उससे संतुष्ट रहें, और अपने पालनहार की प्रसन्नता की आशा रखें; क्योंकि उन्हें पूरा भरोसा होता है कि अल्लाह अपने धर्म की मदद करता है।

• من علامات ضعف الإيمان وقلة التقوى التكاسل في أداء الصلاة والإنفاق عن غير رضا ورجاء للثواب.
• ईमान की कमज़ोरी और 'तक़वा' की कमी की निशानियों में से : नमाज़ अदा करने में आलस्य तथा बिना संतुष्टि और प्रतिफल की आशा के खर्च करना है।

فَلَا تُعْجِبْكَ اَمْوَالُهُمْ وَلَاۤ اَوْلَادُهُمْ ؕ— اِنَّمَا یُرِیْدُ اللّٰهُ لِیُعَذِّبَهُمْ بِهَا فِی الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا وَتَزْهَقَ اَنْفُسُهُمْ وَهُمْ كٰفِرُوْنَ ۟
अतः (ऐ रसूल!) आपको इन मुनाफ़िक़ों के धन तथा उनकी संतान विस्मित न करें और न ही आप उन्हें अच्छा समझें। क्योंकि उनके धन एवं संतान का परिणाम बहुत बुरा है। अल्लाह उन्हें उनके लिए अज़ाब बना देगा कि उसे कमाने में कड़ी मेहनत करेंगे और थकान सहेंगे और दूसरी ओर अल्लाह उनमें विपत्तियाँ उतारता रहेगा यहाँ तक कि अल्लाह उनके कुफ़्र ही की हालत में उनके प्राण निकालेगा, फिर वे जहन्नम के सबसे निचले गड्ढे में अनंत काल के लिए यातना दिए जाएँगे।
Faccirooji aarabeeji:
وَیَحْلِفُوْنَ بِاللّٰهِ اِنَّهُمْ لَمِنْكُمْ ؕ— وَمَا هُمْ مِّنْكُمْ وَلٰكِنَّهُمْ قَوْمٌ یَّفْرَقُوْنَ ۟
(ऐ मोमिनो!) मुनाफ़िक़ तुम्हारे लिए अल्लाह की झूठी शपथ खाकर कहते हैं कि निःसंदेह वे अवश्य तुममें से हैं। हालाँकि वे अंदरूनी तौर पर तुममें से नहीं हैं, भले ही वे यह प्रकट करें कि वे तुममें से हैं। परंतु वे ऐसे लोग हैं जो डरते हैं कि उन्हें उसी क़त्ल और क़ैद का सामना न करना पड़े, जिसका सामना बहुदेववादियों को करना पड़ा। इसलिए वे बचने के लिए इस्लाम को प्रकट करते हैं।
Faccirooji aarabeeji:
لَوْ یَجِدُوْنَ مَلْجَاً اَوْ مَغٰرٰتٍ اَوْ مُدَّخَلًا لَّوَلَّوْا اِلَیْهِ وَهُمْ یَجْمَحُوْنَ ۟
यदि इन मुश्रिकों को शरण लेने के लिए कोई क़िला मिल जाए, जिसमें वे अपनी रक्षा कर सकें, या पहाड़ों के अंदर गुफाएँ मिल जाएँ, जिनमें वे छिप सकें, या कोई सुरंग मिल जाए, जिसमें वे प्रवेश कर सकें, तो वे अवश्य उसमें शरण लेंगे ओर दौड़कर उसमें घुस जाएँगे।
Faccirooji aarabeeji:
وَمِنْهُمْ مَّنْ یَّلْمِزُكَ فِی الصَّدَقٰتِ ۚ— فَاِنْ اُعْطُوْا مِنْهَا رَضُوْا وَاِنْ لَّمْ یُعْطَوْا مِنْهَاۤ اِذَا هُمْ یَسْخَطُوْنَ ۟
मुनाफ़िक़ों में से कुछ लोग ऐसे हैं, जो सदक़ों के वितरण के बारे में (ऐ रसूल!) आपकी आलोचना करते हैं, जब उन्हें उनमें से वह चीज़ नहीं मिलती, जो वे चाहते हैं। यदि आप उन्हें वह चीज़ दे दें, जो वे माँगते हैं, तो वे आपसे प्रसन्न हो जाते हैं। और यदि आप उन्हें वह चीज़ न दें, जो वे माँगते हैं, तो वे नाराज़गी दिखाते हैं।
Faccirooji aarabeeji:
وَلَوْ اَنَّهُمْ رَضُوْا مَاۤ اٰتٰىهُمُ اللّٰهُ وَرَسُوْلُهٗ ۙ— وَقَالُوْا حَسْبُنَا اللّٰهُ سَیُؤْتِیْنَا اللّٰهُ مِنْ فَضْلِهٖ وَرَسُوْلُهٗۤ ۙ— اِنَّاۤ اِلَی اللّٰهِ رٰغِبُوْنَ ۟۠
यदि ये मुनाफ़िक़, जो सदक़ों के विभाजन के बारे में आपकी आलोचना करते हैं, उससे संतुष्ट होते, जो अल्लाह ने उनके लिए नियत किया है और जो उसके रसूल ने उन्हें उनमें से दिया है, तथा वे कहते : अल्लाह हमारे लिए पर्याप्त है, अल्लाह हमें अपने अनुग्रह से जो चाहे, देगा और उसके रसूल भी हमें अल्लाह की दी हुई चीज़ों में से प्रदान करेंगे। हम केवल अल्लाह ही से आशा रखते हैं कि वह हमें अपने अनुग्रह से प्रदान करे। यदि उन्होंने ऐसा किया होता, तो यह उनके लिए आपकी आलोचना करने से बेहतर होता।
Faccirooji aarabeeji:
اِنَّمَا الصَّدَقٰتُ لِلْفُقَرَآءِ وَالْمَسٰكِیْنِ وَالْعٰمِلِیْنَ عَلَیْهَا وَالْمُؤَلَّفَةِ قُلُوْبُهُمْ وَفِی الرِّقَابِ وَالْغٰرِمِیْنَ وَفِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ وَابْنِ السَّبِیْلِ ؕ— فَرِیْضَةً مِّنَ اللّٰهِ ؕ— وَاللّٰهُ عَلِیْمٌ حَكِیْمٌ ۟
अनिवार्य ज़कात फ़क़ीरों को दी जाएगी, इससे अभिप्राय वे ज़रूरतमंद हैं जिनके पास पेशे या नौकरी से प्राप्त कुछ धन है, लेकिन यह उनके लिए पर्याप्त नहीं है और उनकी स्थिति पर ध्यान नहीं दिया जाता है। और मिस्कीनों को, जिनके पास शायद ही कुछ होता है और वे अपनी दयनीय स्थिति या अपनी बात कहने के कारण लोगों से छिपे नहीं होते हैं। और ज़कात कर्मियों को, जिन्हें शासक ज़कात वसूल करने के कार्य पर नियुक्त करता है। और उन काफ़िरों को, जिन्हें परचाना अभीष्ट हो ताकि वे इस्लाम ले आएँ, या कमज़ोर ईमान वालों को, ताकि उनका ईमान मज़बूत हो जाए, या ऐसे व्यक्ति को, जिसकी बुराई को उसके द्वारा दूर किया जाए। और गुलामों को आज़ाद करने के लिए खर्च किया जाएगा, और बिना फ़िज़ूलखर्ची और अवज्ञा के क़र्ज़ लेने वालों को, यदि उनके पास अपना क़र्ज़ चुकाने का सामर्थ्य न हो। और अल्लाह के रास्ते में जिहाद करने वाले मुजाहिदों की तैयारी में खर्च किया जाएगा और उस यात्री पर, जिसका खर्च सफर के दौरान खत्म हो गया। ज़कात के व्यय को केवल इन्हीं लोगों तक सीमित रखना अल्लाह की ओर से एक दायित्व है, और अल्लाह अपने बंदों के हितों के बारे में जानने वाला, अपने प्रबंधन और विधान में हिकमत वाला है।
Faccirooji aarabeeji:
وَمِنْهُمُ الَّذِیْنَ یُؤْذُوْنَ النَّبِیَّ وَیَقُوْلُوْنَ هُوَ اُذُنٌ ؕ— قُلْ اُذُنُ خَیْرٍ لَّكُمْ یُؤْمِنُ بِاللّٰهِ وَیُؤْمِنُ لِلْمُؤْمِنِیْنَ وَرَحْمَةٌ لِّلَّذِیْنَ اٰمَنُوْا مِنْكُمْ ؕ— وَالَّذِیْنَ یُؤْذُوْنَ رَسُوْلَ اللّٰهِ لَهُمْ عَذَابٌ اَلِیْمٌ ۟
तथा मुनाफ़िक़ों में से कुछ लोग ऐसे हैं, जो रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को अपने शब्दों के साथ कष्ट पहुँचाते हैं। वे आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सहनशीलता को देखकर कहते हैं : वह हर एक की बात सुनते हैं और उसपर विश्वास कर लेते हैं, और सत्य और झूठ के बीच अंतर नहीं करते हैं। (ऐ रसूल!) आप उनसे कह दें : रसूल अच्छे के अलावा कुछ नहीं सुनते। वह अल्लाह पर विश्वास रखते हैं और सच्चे ईमान वाले जो कहते हैं उस पर विश्वास करते हैं और उनपर दया करते हैं। क्योंकि आपका रसूल बनाकर भेजा जाना उन लोगों के लिए दया है जो आपपर ईमान रखते हैं। और जो लोग आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को किसी भी तरह के दुर्व्यवहार से कष्ट पहुँचाते हैं, उनके लिए दर्दनाक यातना है।
Faccirooji aarabeeji:
Ina jeyaa e nafoore aayeeje ɗee e ngol hello:
• الأموال والأولاد قد تكون سببًا للعذاب في الدنيا، وقد تكون سببًا للعذاب في الآخرة، فليتعامل العبد معهما بما يرضي مولاه، فتتحقق بهما النجاة.
• धन एवं संतान इस दुनिया में यातना का कारण हो सकते हैं, तथा आख़िरत में भी यातना का कारण हो सकते हैं। अतः बंदे को उन दोनों के साथ वही व्यवहार करना चाहिए, जिससे उसका रब प्रसन्न हो। ताकि उनके साथ मोक्ष प्राप्त हो।

• توزيع الزكاة موكول لاجتهاد ولاة الأمور يضعونها على حسب حاجة الأصناف وسعة الأموال.
• ज़कात के आवंटन का काम शासकों के इज्तिहाद (राय) के हवाले है, जो इसे मदों की आवश्यकता और धन की क्षमता के अनुसार आवंटित करेंगे।

• إيذاء الرسول صلى الله عليه وسلم فيما يتعلق برسالته كفر، يترتب عليه العقاب الشديد.
• रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को उनके संदेश के संबंध में कष्ट देना, कुफ़्र है, जिसके लिए कड़ी सज़ा का प्रावधान है।

• ينبغي للعبد أن يكون أُذن خير لا أُذن شر، يستمع ما فيه الصلاح والخير، ويُعرض ترفُّعًا وإباءً عن سماع الشر والفساد.
• बंदे को चाहिए कि वह भलाई का कान हो, बुराई का नहीं। वही बात सुने, जिसमें बेहतरी और भलाई हो तथा बुराई और बिगाड़ की बात को सुनने से उपेक्षा करे।

یَحْلِفُوْنَ بِاللّٰهِ لَكُمْ لِیُرْضُوْكُمْ ۚ— وَاللّٰهُ وَرَسُوْلُهٗۤ اَحَقُّ اَنْ یُّرْضُوْهُ اِنْ كَانُوْا مُؤْمِنِیْنَ ۟
(ऐ मोमिनो!) मुनाफ़िक़ तुम्हारे सामने अल्लाह की क़सम खाते हैं कि उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं कहा, जो नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को कष्ट पहुँचाए। ऐसा तुम्हें खुश करने के लिए कह रहें। हालाँकि अल्लाह और उसके रसूल ईमान और सत्कर्म द्वारा खुश किए जाने के ज़्यादा हक़दार हैं, यदि ये लोग सच्चे ईमान वाले हैं।
Faccirooji aarabeeji:
اَلَمْ یَعْلَمُوْۤا اَنَّهٗ مَنْ یُّحَادِدِ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ فَاَنَّ لَهٗ نَارَ جَهَنَّمَ خَالِدًا فِیْهَا ؕ— ذٰلِكَ الْخِزْیُ الْعَظِیْمُ ۟
क्या इन मुनाफ़िक़ों को नहीं पता कि वे ऐसा करने से अल्लाह और उसके रसूल का विरोध करने वाले हैं, और यह कि जो भी उनसे दुश्मनी करेगा, वह क़ियामत के दिन जहन्नम की आग में प्रवेश करेगा, जिसमें वह हमेशा रहेगा?! यही बहुत बड़ा अपमान और रुसवाई है।
Faccirooji aarabeeji:
یَحْذَرُ الْمُنٰفِقُوْنَ اَنْ تُنَزَّلَ عَلَیْهِمْ سُوْرَةٌ تُنَبِّئُهُمْ بِمَا فِیْ قُلُوْبِهِمْ ؕ— قُلِ اسْتَهْزِءُوْا ۚ— اِنَّ اللّٰهَ مُخْرِجٌ مَّا تَحْذَرُوْنَ ۟
मुनाफ़िक़ इस बात से डरते हैं कि अल्लाह अपने रसूल पर कोई ऐसी सूरत न उतार दे, जो मोमिनों को, उनके दिल के अंदर मौजूद कुफ़्र से अवगत करा दे। (ऐ रसूल!) आप कह दें : (ऐ मुनाफ़िक़ो!) तुम मज़ाक़ उड़ाते और धर्म (इस्लाम) के अंदर दोष निकालते रहो। निश्चय अल्लाह कोई सूरत उतारकर अथवा अपने रसूल को उसके बारे में सूचित करके, उस बात को प्रकट करने वाला है, जिससे तुम डर रहे हो।
Faccirooji aarabeeji:
وَلَىِٕنْ سَاَلْتَهُمْ لَیَقُوْلُنَّ اِنَّمَا كُنَّا نَخُوْضُ وَنَلْعَبُ ؕ— قُلْ اَبِاللّٰهِ وَاٰیٰتِهٖ وَرَسُوْلِهٖ كُنْتُمْ تَسْتَهْزِءُوْنَ ۟
और यदि (ऐ रसूल!) आप मुनाफ़िक़ों से उसके बारे में पूछें, जो उन्होंने व्यंग्य किया है और मोमिनों को बुरा-भला कहा है, जबकि अल्लाह ने आपको उसके बारे में सूचित कर दिया, तो वे अवश्य कहेंगे : हम तो यूँ ही बातचीत और हँसी-मज़ाक़ कर रहे थे, हम गंभीर मुद्रा में नहीं थे। (ऐ रसूल!) आप कह दें : क्या तुम अल्लाह, उसकी आयतों और उसके रसूल का मज़ाक़ उड़ा रहे थे?!
Faccirooji aarabeeji:
لَا تَعْتَذِرُوْا قَدْ كَفَرْتُمْ بَعْدَ اِیْمَانِكُمْ ؕ— اِنْ نَّعْفُ عَنْ طَآىِٕفَةٍ مِّنْكُمْ نُعَذِّبْ طَآىِٕفَةًۢ بِاَنَّهُمْ كَانُوْا مُجْرِمِیْنَ ۟۠
तुम ये झूठे बहाने न बनाओ, क्योंकि तुमने उपहास करके अपने छिपे हुए कुफ़्र को प्रकाश में ला दिया है। यदि हम तुम्हारे एक समूह को, निफ़ाक़ से किनारा करने, उससे तौबा करने और अल्लाह के लिए निष्ठावान हो जाने के कारण क्षमा कर दें, तो भी तुम्हारे एक समूह को, उसके निफ़ाक़ पर बने रहने और उससे तौबा न करने के कारण अवश्य यातना देंगे।
Faccirooji aarabeeji:
اَلْمُنٰفِقُوْنَ وَالْمُنٰفِقٰتُ بَعْضُهُمْ مِّنْ بَعْضٍ ۘ— یَاْمُرُوْنَ بِالْمُنْكَرِ وَیَنْهَوْنَ عَنِ الْمَعْرُوْفِ وَیَقْبِضُوْنَ اَیْدِیَهُمْ ؕ— نَسُوا اللّٰهَ فَنَسِیَهُمْ ؕ— اِنَّ الْمُنٰفِقِیْنَ هُمُ الْفٰسِقُوْنَ ۟
मुनाफ़िक़ पुरुष और महिलाएँ, सबके सब निफ़ाक़ की स्थितियों में एक जैसे हैं, और वे मोमिनों के विपरीत हैं। वे बुराई का आदेश देते हैं, भलाई से रोकते हैं और अपने धन में कंजूसी करते हैं। इसलिए वे उसे अल्लाह के रास्ते में खर्च नहीं करते हैं। उन्होंने अल्लाह की आज्ञा का पालन करना छोड़ दिया, तो अल्लाह ने भी उन्हें अपनी तौफ़ीक़ से वंचित कर दिया। निश्चय मुनाफ़िक़ लोग ही अल्लाह के आज्ञापालन और सत्य के मार्ग से निकलकर उसकी अवज्ञा और गुमराही के मार्ग की ओर जाने वाले हैं।
Faccirooji aarabeeji:
وَعَدَ اللّٰهُ الْمُنٰفِقِیْنَ وَالْمُنٰفِقٰتِ وَالْكُفَّارَ نَارَ جَهَنَّمَ خٰلِدِیْنَ فِیْهَا ؕ— هِیَ حَسْبُهُمْ ۚ— وَلَعَنَهُمُ اللّٰهُ ۚ— وَلَهُمْ عَذَابٌ مُّقِیْمٌ ۟ۙ
अल्लाह ने मुनाफ़िक़ों और काफ़िरों से, जिन्होंने तौबा नहीं की, उन्हें जहन्नम की आग में दाख़िल करने का वादा किया है, जिसमें वे हमेशा के लिए रहेंगे। यह उन्हें दंड के रूप में पर्याप्त होगा, तथा अल्लाह उन्हें अपनी दया से निष्कासित कर देगा और उनके लिए निरंतर यातना होगी।
Faccirooji aarabeeji:
Ina jeyaa e nafoore aayeeje ɗee e ngol hello:
• قبائح المنافقين كثيرة، ومنها الإقدام على الأيمان الكاذبة، ومعاداة الله ورسوله، والاستهزاء بالقرآن والنبي والمؤمنين، والتخوف من نزول سورة في القرآن تفضح شأنهم، واعتذارهم بأنهم هازلون لاعبون، وهو إقرار بالذنب، بل هو عذر أقبح من الذنب.
• मुनाफ़िक़ों के अंदर बहुत-सी बुराइयाँ पाई जाती हैं, जैसे : झूठी शपथ लेना, अल्लाह और उसके रसूल से दुश्मनी रखना, क़ुरआन, नबी और ईमान वालों का मज़ाक़ उड़ाना, क़ुरआन में कोई ऐसी सूरत उतरने का डर जो उनके मामले को उजागर कर दे, तथा उनका यह बहाना पेश करना कि वे हँसी-मज़ाक़ और दिल-लगी कर रहे थे, जो अपराध की स्वीकारोक्ति है, बल्कि यह अपराध से भी बदतर बहाना है।

• لا يُقبل الهزل في الدين وأحكامه، ويعد الخوض بالباطل في كتاب الله ورسله وصفاته كفرًا.
• इस्लाम धर्म तथा उसके नियमों के बारे में मज़ाक़ (व्यंग्य) स्वीकार्य नहीं है। अल्लाह की किताब, उसके रसूलों और उसकी विशेषताओं के बारे निरर्थक बात करना कुफ़्र समझा जाता है।

• النّفاق: مرض عُضَال متأصّل في البشر، وأصحاب ذلك المرض متشابهون في كل عصر وزمان في الأمر بالمنكر والنّهي عن المعروف، وقَبْض أيديهم وإمساكهم عن الإنفاق في سبيل الله للجهاد، وفيما يجب عليهم من حق.
• निफ़ाक़, मनुष्य में निहित एक लाइलाज बीमारी है। और इस बीमारी से ग्रस्त लोग, बुराई का आदेश देने, भलाई से रोकने, जिहाद के लिए अल्लाह के मार्ग में तथा अपने ऊपर अनिवार्य हक़ में खर्च करने से अपने हाथ को रोक रखने में, हर युग और समय में एक जैसे हैं।

• الجزاء من جنس العمل، فالذي يترك أوامر الله ويأتي نواهيه يتركه من رحمته.
• प्रतिफल उसी प्रकार का होता है जिस प्रकार का कर्म होता है। इसलिए जो व्यक्ति अल्लाह की आज्ञाओं को त्याग देता है और उसके निषेधों का पालन करता है, अल्लाह उसे अपनी दया से वंचित कर देता है।

كَالَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِكُمْ كَانُوْۤا اَشَدَّ مِنْكُمْ قُوَّةً وَّاَكْثَرَ اَمْوَالًا وَّاَوْلَادًا ؕ— فَاسْتَمْتَعُوْا بِخَلَاقِهِمْ فَاسْتَمْتَعْتُمْ بِخَلَاقِكُمْ كَمَا اسْتَمْتَعَ الَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِكُمْ بِخَلَاقِهِمْ وَخُضْتُمْ كَالَّذِیْ خَاضُوْا ؕ— اُولٰٓىِٕكَ حَبِطَتْ اَعْمَالُهُمْ فِی الدُّنْیَا وَالْاٰخِرَةِ ۚ— وَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْخٰسِرُوْنَ ۟
(ऐ मुनाफ़िक़ो!) तुम, कुफ़्र और मज़ाक उड़ाने के मामले में अपने से पहले झुठलाने वाले समुदायों की तरह हो। वे तुमसे अधिक शक्तिशाली और अधिक धन और संतान वाले थे। चुनाँचे उन्होंने सांसारिक सुखों और इच्छाओं के अपने लिखे हिस्से का आनंद लिया। फिर तुमने उसमें से अपने लिए नियत हिस्से का आनंद लिया, जैसा कि पिछले झुठलाने वाले समुदायों ने अपने हिस्से का आनंद लिया था। तथा तुमने उसी तरह सत्य को झुठलाया और रसूल पर दोष लगाया, जिस तरह उन्होंने सत्य को झुठलाया और अपने रसूलों पर दोष लगाया था। ये इन निंदनीय गुणों से विशेषित लोग ही हैं, जिनके कर्म कुफ़्र के कारण अल्लाह की दृष्टि में भ्रष्ट होने की वजह से व्यर्थ हो गए और यही वास्तविक नुकसान उठाने वाले लोग हैं, जिन्होंने खुद को विनाश के स्थानों में ले जाकर अपना नुकसान किया है।
Faccirooji aarabeeji:
اَلَمْ یَاْتِهِمْ نَبَاُ الَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ قَوْمِ نُوْحٍ وَّعَادٍ وَّثَمُوْدَ ۙ۬— وَقَوْمِ اِبْرٰهِیْمَ وَاَصْحٰبِ مَدْیَنَ وَالْمُؤْتَفِكٰتِ ؕ— اَتَتْهُمْ رُسُلُهُمْ بِالْبَیِّنٰتِ ۚ— فَمَا كَانَ اللّٰهُ لِیَظْلِمَهُمْ وَلٰكِنْ كَانُوْۤا اَنْفُسَهُمْ یَظْلِمُوْنَ ۟
क्या इन मुनाफ़िक़ों के पास यह खबर नहीं आई कि झुठलाने वाले समुदायों ने क्या किया, और उन्हें क्या दंड दिया गया : जैसे नूह अलैहिस्सलाम की जाति, हूद अलैहिस्सलाम की जाति, सालेह अलैहिस्सलाम की जाति, इबराहीम अलैहिस्सलाम की जाति, मदयन वाले और लूत अलैहिस्सलाम की जाति की बस्तियों वाले; उनके पास उनके रसूल स्पष्ट प्रमाणों और खुले तर्कों के साथ आए। फिर अल्लाह ऐसा न था कि उनपर अत्याचार करता; क्योंकि उनके रसूलों ने उन्हें सावधान कर दिया था। परंतु वे अल्लाह के साथ कुफ़्र करने और उसके रसूलों को झुठलाने के कारण खुद अपने ऊपर अत्याचार करते थे।
Faccirooji aarabeeji:
وَالْمُؤْمِنُوْنَ وَالْمُؤْمِنٰتُ بَعْضُهُمْ اَوْلِیَآءُ بَعْضٍ ۘ— یَاْمُرُوْنَ بِالْمَعْرُوْفِ وَیَنْهَوْنَ عَنِ الْمُنْكَرِ وَیُقِیْمُوْنَ الصَّلٰوةَ وَیُؤْتُوْنَ الزَّكٰوةَ وَیُطِیْعُوْنَ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ ؕ— اُولٰٓىِٕكَ سَیَرْحَمُهُمُ اللّٰهُ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ عَزِیْزٌ حَكِیْمٌ ۟
तथा ईमान वाले पुरुष और ईमान वाली स्त्रियाँ एक-दूसरे के समर्थक और मददगार हैं; क्योंकि ईमान ने उन्हें एक-दूसरे से जोड़ दिया है। वे भलाई अर्थात हर उस कार्य का आदेश देते हैं, जो अल्लाह को पसंद है, जैसे तौहीद और नमाज़ आदि, और बुराई अर्थात हर उस कार्य से रोकते हैं, जिससे अल्लाह घृणा करता है, जैसे कुफ़्र और सूद आदि, तथा पूरी नमाज़ को पूर्णतम तरीक़े से अदा करते हैं और अल्लाह तथा उसके रसूल का कहा मानते हैं। ये लोग जो इन प्रशंसनीय गुणों से सुसज्जित हैं, अल्लाह उन्हें अपनी दया में प्रवेश करेगा। निःसंदेह अल्लाह सब पर प्रभुत्वशाली है, उसपर किसी का ज़ोर नहीं चलता। वह अपनी रचना, प्रबंधन और विधान में हिकमत वाला है।
Faccirooji aarabeeji:
وَعَدَ اللّٰهُ الْمُؤْمِنِیْنَ وَالْمُؤْمِنٰتِ جَنّٰتٍ تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ خٰلِدِیْنَ فِیْهَا وَمَسٰكِنَ طَیِّبَةً فِیْ جَنّٰتِ عَدْنٍ ؕ— وَرِضْوَانٌ مِّنَ اللّٰهِ اَكْبَرُ ؕ— ذٰلِكَ هُوَ الْفَوْزُ الْعَظِیْمُ ۟۠
अल्लाह ने ईमान वाले पुरुषों तथा ईमान वाली स्त्रियों से वादा किया है कि वह क़ियामत के दिन उन्हें ऐसी जन्नतों में प्रवेश करेगा, जिनके महलों के नीचे से नहरें प्रवाहित होंगी, जहाँ वे हमेशा रहेंगे, उसमें न उन्हें कभी मौत आएगी और न उनकी नेमतें खत्म होंगी। तथा अल्लाह ने उनसे स्थायी बाग़ों में अच्छे आवासों में प्रवेश देने का वादा किया है। और उनपर अल्लाह की उतरने वाली प्रसन्नता, इन सबसे बढ़कर है। यही बदला, जिसका उल्लेख किया गया, बहुत बड़ी कामयाबी है, जिसके बराबर कोई कामयाबी नहीं हो सकती।
Faccirooji aarabeeji:
Ina jeyaa e nafoore aayeeje ɗee e ngol hello:
• سبب العذاب للكفار والمنافقين واحد في كل العصور، وهو إيثار الدّنيا على الآخرة والاستمتاع بها، وتكذيب الأنبياء والمكر والخديعة والغدر بهم.
• प्रत्येक युग में काफ़िरों और मुनाफ़िक़ों पर यातना उतरने का एक ही कारण रहा है, और वह है दुनिया को आख़िरत पर प्राथमिकता देना और उसका आनंद लेना, नबियों को झुठलाना और उनके साथ धोखा, छल और विश्वासघात करना।

• إهلاك الأمم والأقوام الغابرة بسبب كفرهم وتكذيبهم الأنبياء فيه عظة وعبرة للمعتبر من العقلاء.
• पिछले समुदायों और जातियों को उनके कुफ़्र और नबियों को झुठलाने के कारण विनष्ट करने में, इबरत हासिल करने वाले बुद्धिमान के लिए एक पाठ और सीख है।

• أهل الإيمان رجالًا ونساء أمة واحدة مترابطة متعاونة متناصرة، قلوبهم متحدة في التوادّ والتحابّ والتعاطف.
• ईमान वाले, पुरुष तथा स्त्री, सब एक उम्मत (समुदाय) हैं, जो परस्पर जुड़े हुए, आपस में एक-दूसरे के सहयोगी और सहायक हैं। उनके दिल एक-दूसरे से दोस्ती, प्रेम और सहानुभूति में एकजुट हैं।

• رضا رب الأرض والسماوات أكبر من نعيم الجنات؛ لأن السعادة الروحانية أفضل من الجسمانية.
• आकाशों और धरती के पालनहार की प्रसन्नता जन्नत की नेमतों से भी बड़ी चीज़ है। क्योंकि आध्यात्मिक खुशी भौतिक खुशी से बेहतर है।

یٰۤاَیُّهَا النَّبِیُّ جَاهِدِ الْكُفَّارَ وَالْمُنٰفِقِیْنَ وَاغْلُظْ عَلَیْهِمْ ؕ— وَمَاْوٰىهُمْ جَهَنَّمُ ؕ— وَبِئْسَ الْمَصِیْرُ ۟
(ऐ रसूल!) आप काफ़िरों के साथ तलवार से जिहाद करें और मुनाफ़िक़ों के साथ ज़ुबान एवं तर्क से जिहाद करें, तथा उन दोनों पक्षों पर सख़्ती करें। क्योंकि वे इसी के योग्य हैं। और क़ियामत के दिन उनका ठिकाना जहन्नम है और वह बहुत बुरा स्थान है।
Faccirooji aarabeeji:
یَحْلِفُوْنَ بِاللّٰهِ مَا قَالُوْا ؕ— وَلَقَدْ قَالُوْا كَلِمَةَ الْكُفْرِ وَكَفَرُوْا بَعْدَ اِسْلَامِهِمْ وَهَمُّوْا بِمَا لَمْ یَنَالُوْا ۚ— وَمَا نَقَمُوْۤا اِلَّاۤ اَنْ اَغْنٰىهُمُ اللّٰهُ وَرَسُوْلُهٗ مِنْ فَضْلِهٖ ۚ— فَاِنْ یَّتُوْبُوْا یَكُ خَیْرًا لَّهُمْ ۚ— وَاِنْ یَّتَوَلَّوْا یُعَذِّبْهُمُ اللّٰهُ عَذَابًا اَلِیْمًا فِی الدُّنْیَا وَالْاٰخِرَةِ ۚ— وَمَا لَهُمْ فِی الْاَرْضِ مِنْ وَّلِیٍّ وَّلَا نَصِیْرٍ ۟
ये मुनाफ़िक़ अल्लाह की झूठी शपथ खाकर कहते हैं : आपको उनके विषय में जो बात पहुँची है कि उन्होंने आपको बुरा-भला कहा है और आपके धर्म पर दोष लगाया है, वह बात उन्होंने नहीं कही है। हालाँकि निःसंदेह उन्होंने कुफ़्र की ओर ले जाने वाली वह बात सचमुच कही है, जिसकी सूचना आपको मिली है और उन्होंने ईमान का प्रदर्शन करने के बाद कुफ़्र का प्रदर्शन किया है। तथा उन्होंने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की हत्या करने का इरादा किया, जिसमें वे सफल न हो सके। उन्होंने उस चीज़ को नकार दिया, जिसे नकारा नहीं जाता और वह यह कि अल्लाह ने उनपर अनुग्रह करते हुए उन्हें उस ग़नीमत के धन द्वारा समृद्ध कर दिया, जो उसने अपने नबी को प्रदान किया। अब यदि वे अपने निफ़ाक से तौबा कर लें, तो यह उनके लिए निफ़ाक़ पर जमे रहने से बेहतर होगा। और यदि तौबा करने से मुँह फेर लें, तो अल्लाह उन्हें दुनिया में क़त्ल और क़ैद के रूप में दर्दनाक यातना से पीड़ित करेगा तथा वह आखिरत में उन्हें आग से दर्दनाक अज़ाब देगा। और उनका कोई संरक्षक नहीं होगा, जो उनकी सहायता करके उन्हें अज़ाब से बचा सके, और न कोई सहायक होगा, जो उनपर से अज़ाब को दूर कर सके।
Faccirooji aarabeeji:
وَمِنْهُمْ مَّنْ عٰهَدَ اللّٰهَ لَىِٕنْ اٰتٰىنَا مِنْ فَضْلِهٖ لَنَصَّدَّقَنَّ وَلَنَكُوْنَنَّ مِنَ الصّٰلِحِیْنَ ۟
मुनाफ़िक़ो में से कुछ लोग ऐसे हैं, जिन्होंने अल्लाह को यह कहते हुए वचन दिया था : यदि अल्लाह ने हमें अपने अनुग्रह से कुछ प्रदान किया, तो हम अवश्य ज़रूरतमंदों को दान करेंगे और अच्छे कार्य करने वालों में से हो जाएँगे।
Faccirooji aarabeeji:
فَلَمَّاۤ اٰتٰىهُمْ مِّنْ فَضْلِهٖ بَخِلُوْا بِهٖ وَتَوَلَّوْا وَّهُمْ مُّعْرِضُوْنَ ۟
फिर जब अल्लाह ने उन्हें अपने अनुग्रह में से कुछ प्रदान कर दिया, तो उन्होंने अल्लाह से किए हुए अपने वादे को पूरा नहीं किया, बल्कि उन्होंने अपने धन को रोक लिया और दान में कुछ भी नहीं दिया और ईमान से मुँह मोड़ते हुए फिर गए।
Faccirooji aarabeeji:
فَاَعْقَبَهُمْ نِفَاقًا فِیْ قُلُوْبِهِمْ اِلٰی یَوْمِ یَلْقَوْنَهٗ بِمَاۤ اَخْلَفُوا اللّٰهَ مَا وَعَدُوْهُ وَبِمَا كَانُوْا یَكْذِبُوْنَ ۟
तो इसका परिणाम यह हुआ कि अल्लाह ने उनके दिलों में क़ियामत के दिन तक के लिए निफ़ाक़ को स्थिर कर दिया; उनके अल्लाह के वादे को तोड़ने और झूठ बोलने पर उनके लिए दंड के रूप में।
Faccirooji aarabeeji:
اَلَمْ یَعْلَمُوْۤا اَنَّ اللّٰهَ یَعْلَمُ سِرَّهُمْ وَنَجْوٰىهُمْ وَاَنَّ اللّٰهَ عَلَّامُ الْغُیُوْبِ ۟ۚ
क्या इन मुनाफ़िक़ों को यह नहीं मालूम कि अल्लाह उस छल-कपट और चाल को जानता है, जो वे अपनी सभाओं में छिपाते हैं और यह कि अल्लाह परोक्ष की सभी बातों को अच्छी तरह जानने वाला है? इसलिए उनके कामों में से कुछ भी उससे छिपा नहीं है और वह उन्हें उनका बदला देगा।
Faccirooji aarabeeji:
اَلَّذِیْنَ یَلْمِزُوْنَ الْمُطَّوِّعِیْنَ مِنَ الْمُؤْمِنِیْنَ فِی الصَّدَقٰتِ وَالَّذِیْنَ لَا یَجِدُوْنَ اِلَّا جُهْدَهُمْ فَیَسْخَرُوْنَ مِنْهُمْ ؕ— سَخِرَ اللّٰهُ مِنْهُمْ ؗ— وَلَهُمْ عَذَابٌ اَلِیْمٌ ۟
जो लोग स्वेच्छापूर्वक दान देने वाले मोमिनों को अल्प-दान देने का ताना देते हैं, जो केवल थोड़ी-सी चीज़ पाते हैं जो उनकी भरसक परिश्रम का परिणाम होता है। इसलिए ये उनका उपहास करते हुए कहते हैं : उनके इस दान से क्या होने वाला है?! उनके ईमान वालों का उपहास करने के बदले के तौर पर अल्लाह ने उनका उपहास किया और उनके लिए दर्दनाक यातना है।
Faccirooji aarabeeji:
Ina jeyaa e nafoore aayeeje ɗee e ngol hello:
• وجوب جهاد الكفار والمنافقين، فجهاد الكفار باليد وسائر أنواع الأسلحة الحربية، وجهاد المنافقين بالحجة واللسان.
• काफ़िरों और मुनाफ़िक़ों से जिहाद करना अनिवार्य है। काफ़िरों से जिहाद हाथ और सभी प्रकार के सैन्य हथियारों द्वारा किया जाएगा, जबकि मुनाफ़िक़ों से जिहाद तर्क और जुबान से होगा।

• المنافقون من شرّ الناس؛ لأنهم غادرون يقابلون الإحسان بالإساءة.
• मुनाफ़िक़ सबसे बुरे लोगों में से हैं; क्योंकि वे विश्वासघाती हैं, भलाई का बदला बुराई से देते हैं।

• في الآيات دلالة على أن نقض العهد وإخلاف الوعد يورث النفاق، فيجب على المسلم أن يبالغ في الاحتراز عنه.
• इन आयतों में इस बात का प्रमाण है कि प्रतिज्ञा भंग करना और वचन तोड़ना निफ़ाक़ को जन्म देता है। इसलिए मुसलमान को इससे बहुत दूर रहना चाहिए।

• في الآيات ثناء على قوة البدن والعمل، وأنها تقوم مقام المال، وهذا أصل عظيم في اعتبار أصول الثروة العامة والتنويه بشأن العامل.
• इन आयतों में शरीर की शक्ति और काम की प्रशंसा की गई है और यह बताया गया है कि यह धन का स्थान ग्रहण करता है। दरअसल यह सार्वजनिक संपत्ति का एतिबार करने और श्रमिक के महत्व को बतलाने वाला एक महान सिद्धांत है।

اِسْتَغْفِرْ لَهُمْ اَوْ لَا تَسْتَغْفِرْ لَهُمْ ؕ— اِنْ تَسْتَغْفِرْ لَهُمْ سَبْعِیْنَ مَرَّةً فَلَنْ یَّغْفِرَ اللّٰهُ لَهُمْ ؕ— ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ كَفَرُوْا بِاللّٰهِ وَرَسُوْلِهٖ ؕ— وَاللّٰهُ لَا یَهْدِی الْقَوْمَ الْفٰسِقِیْنَ ۟۠
(ऐ रसूल!) आप उनके लिए क्षमा याचना करें अथवा न करें। यदि आप उनके लिए सत्तर बार भी क्षमा याचना करें, तो यह अपनी बहुतायत के बावजूद उनके लिए अल्लाह की क्षमा की प्राप्ति तक कभी नहीं पहुँचाएगी। क्योंकि वे अल्लाह और उसके रसूल का इनकार करने वाले हैं और अल्लाह जान बूझकर अपनी शरीयत के दायरे से निकल जाने वालों को सत्य की तौफ़ीक़ नहीं देता।
Faccirooji aarabeeji:
فَرِحَ الْمُخَلَّفُوْنَ بِمَقْعَدِهِمْ خِلٰفَ رَسُوْلِ اللّٰهِ وَكَرِهُوْۤا اَنْ یُّجَاهِدُوْا بِاَمْوَالِهِمْ وَاَنْفُسِهِمْ فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ وَقَالُوْا لَا تَنْفِرُوْا فِی الْحَرِّ ؕ— قُلْ نَارُ جَهَنَّمَ اَشَدُّ حَرًّا ؕ— لَوْ كَانُوْا یَفْقَهُوْنَ ۟
तबूक के युद्ध से पीछे छोड़ दिए गए मुनाफ़िक़, अल्लाह के रसूल के आदेश का उल्लंघन करते हुए, अल्लाह के मार्ग में जिहाद से अपने बैठ रहने पर प्रसन्न हुए, तथा उन्होंने अपने धन एवं प्राण के साथ अल्लाह के मार्ग में मोमिनों की तरह जिहाद करने को नापसंंद किया, और अपने मुनाफ़िक़ भाइयों को हतोत्साहित करते हुए कहा : इस गर्मी में न निकलो। क्योंकि तबूक का युद्ध सख़्त गर्मी के दिनों में हुआ था। (ऐ रसूल!) आप उनसे कह दें : जहन्नम की आग, जो मुनाफ़िक़ों की प्रतीक्षा कर रही है, इस गर्मी से कहीं ज़्यादा गर्म है, जिससे वे भागे हैं, यदि वे जानते होते।
Faccirooji aarabeeji:
فَلْیَضْحَكُوْا قَلِیْلًا وَّلْیَبْكُوْا كَثِیْرًا ۚ— جَزَآءً بِمَا كَانُوْا یَكْسِبُوْنَ ۟
अतः जिहाद से पीछे रहने वाले इन मुनाफ़िक़ों को अपने नश्वर सांसारिक जीवन में थोड़ा हँसना चाहिए और उन्हें अपने बाक़ी रहने वाले आखिरत के जीवन में बहुत ज़्यादा रोना चाहिए। यह उस कुफ़्र, पाप और अवज्ञा का बदला है, जो उन्होंने दुनिया में कमाया है।
Faccirooji aarabeeji:
فَاِنْ رَّجَعَكَ اللّٰهُ اِلٰی طَآىِٕفَةٍ مِّنْهُمْ فَاسْتَاْذَنُوْكَ لِلْخُرُوْجِ فَقُلْ لَّنْ تَخْرُجُوْا مَعِیَ اَبَدًا وَّلَنْ تُقَاتِلُوْا مَعِیَ عَدُوًّا ؕ— اِنَّكُمْ رَضِیْتُمْ بِالْقُعُوْدِ اَوَّلَ مَرَّةٍ فَاقْعُدُوْا مَعَ الْخٰلِفِیْنَ ۟
तो (ऐ नबी!) यदि अल्लाह आपको इन मुनाफ़िक़ों के किसी समूह की ओर वापस लाए, जो अपने निफ़ाक़ पर क़ायम हो। फिर वह आपके साथ किसी अन्य युद्ध में निकलने की अनुमति माँगे, तो आप उनसे कह दें : (ऐ मुनाफ़िक़ो!) तुम मेरे साथ अल्लाह की राह में जिहाद के लिए कभी नहीं निकलोगे। यह तुम्हारे लिए एक सज़ा के तौर पर और तुम्हारे मेरे साथ मौजूद होने से निष्कर्षित होने वाली बुराइयों से बचाव के रूप में है। तुम तबूक के युद्ध में पीछे बैठ रहने पर खुश थे, इसलिए पीछे रहने वाले बीमारों, स्त्रियों और बच्चों के साथ बैठे रहो।
Faccirooji aarabeeji:
وَلَا تُصَلِّ عَلٰۤی اَحَدٍ مِّنْهُمْ مَّاتَ اَبَدًا وَّلَا تَقُمْ عَلٰی قَبْرِهٖ ؕ— اِنَّهُمْ كَفَرُوْا بِاللّٰهِ وَرَسُوْلِهٖ وَمَاتُوْا وَهُمْ فٰسِقُوْنَ ۟
इन मुनाफ़िक़ों में से कोई मर जाए, तो (ऐ रसूल!) आप उसका कभी जनाज़ा न पढ़ना और न उसकी क़ब्र पर उसकी क्षमा की प्रार्थना के लिए खड़े होना। क्योंकि उन्होंने अल्लाह और उसके रसूल के साथ कुफ़्र किया है और अल्लाह की अवज्ञा करते हुए मरे हैं। और जो कोई ऐसा हो, उसका न तो जनाज़ा पढ़ा जाएगा और न उसके लिए दुआ की जाएगी।
Faccirooji aarabeeji:
وَلَا تُعْجِبْكَ اَمْوَالُهُمْ وَاَوْلَادُهُمْ ؕ— اِنَّمَا یُرِیْدُ اللّٰهُ اَنْ یُّعَذِّبَهُمْ بِهَا فِی الدُّنْیَا وَتَزْهَقَ اَنْفُسُهُمْ وَهُمْ كٰفِرُوْنَ ۟
और (ऐ रसूल!) आपको इन मुनाफ़िक़ों के धन तथा उनकी संतान आश्चर्यचकित न करें। अल्लाह तो यह चाहता है कि उन्हें इनके द्वारा सांसारिक जीवन में यातना दे, क्योंकि वे इस रास्ते में आने वाली कठिनाइयों और विपत्तियों को झेलते हैं, और यह कि उनके प्राण उनके शरीर से इस दशा में निकलें कि वे काफ़िर हों।
Faccirooji aarabeeji:
وَاِذَاۤ اُنْزِلَتْ سُوْرَةٌ اَنْ اٰمِنُوْا بِاللّٰهِ وَجَاهِدُوْا مَعَ رَسُوْلِهِ اسْتَاْذَنَكَ اُولُوا الطَّوْلِ مِنْهُمْ وَقَالُوْا ذَرْنَا نَكُنْ مَّعَ الْقٰعِدِیْنَ ۟
तथा जब अल्लाह अपने नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर कोई सूरत उतारता है, जिसमें अल्लाह पर ईमान लाने तथा उसके रास्ते में जिहाद करने का आदेश होता है, तो उन मुनाफ़िक़ों में से धनवान लोग आपसे पीछे रहने की अनुमति माँगते हैं और कहते हैं : आप हमें छोड़ दें कि हम कमज़ोरों और अपाहिजों जैसे बहाने वाले लोगों के साथ पीछे रह जाएँ।
Faccirooji aarabeeji:
Ina jeyaa e nafoore aayeeje ɗee e ngol hello:
• الكافر لا ينفعه الاستغفار ولا العمل ما دام كافرًا.
• काफ़िर, जब तक काफिर है, उसे क्षमा याचना और सत्कर्म से कोई लाभ नहीं होने वाला है।

• الآيات تدل على قصر نظر الإنسان، فهو ينظر غالبًا إلى الحال والواقع الذي هو فيه، ولا ينظر إلى المستقبل وما يتَمَخَّض عنه من أحداث.
• ये आयतें मनुष्य की अदूरदर्शिता का संकेत देती हैं। वह आम तौर से वर्तमान और उस वस्तुस्थिति को देखता है जिसमें वह है। वह भविष्य और उसकी कोख से निकलने वाली घटनाओं को नहीं देखता है।

• التهاون بالطاعة إذا حضر وقتها سبب لعقوبة الله وتثبيطه للعبد عن فعلها وفضلها.
• आज्ञाकारिता में उसका समय होने पर लापरवाही करना, अल्लाह की सज़ा तथा बंदे को उसके करने के सामर्थ्य और उसकी फ़ज़ीलत से वंचित करने का कारण है।

• في الآيات دليل على مشروعية الصلاة على المؤمنين، وزيارة قبورهم والدعاء لهم بعد موتهم، كما كان النبي صلى الله عليه وسلم يفعل ذلك في المؤمنين.
• ये आयतें इस बात का प्रमाण हैं कि ईमान वालों के जनाज़े की नमाज़ पढ़ी जाएगी, उनकी कब्रों की ज़ियारत की जाएगी और उनके मरने के बाद उनके लिए दुआ की जाएगी, जैसा कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम मोमिनों के साथ किया करते थे।

رَضُوْا بِاَنْ یَّكُوْنُوْا مَعَ الْخَوَالِفِ وَطُبِعَ عَلٰی قُلُوْبِهِمْ فَهُمْ لَا یَفْقَهُوْنَ ۟
इन मुनाफ़िक़ों ने अपने लिए अपमान और रुसवाई को पसंद कर लिया, जब वे बहाने वाले लोगों के साथ (जिहाद से) पीछे रह जाने पर संतुष्ट हो गए, तथा अल्लाह ने उनके कुफ़्र एवं निफ़ाक़ के कारण उनके दिलों पर मुहर लगा दी। अतः वे नहीं जानते कि किस चीज़ में उनका हित है।
Faccirooji aarabeeji:
لٰكِنِ الرَّسُوْلُ وَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا مَعَهٗ جٰهَدُوْا بِاَمْوَالِهِمْ وَاَنْفُسِهِمْ ؕ— وَاُولٰٓىِٕكَ لَهُمُ الْخَیْرٰتُ ؗ— وَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْمُفْلِحُوْنَ ۟
जहाँ तक रसूल और उनके साथ के ईमान वालों का सवाल है, तो वे इन लोगों की तरह अल्लाह के मार्ग में जिहाद से पीछे नहीं रहे। बल्कि उन्होंने अल्लाह के मार्ग में अपने धन तथा प्राण के साथ जिहाद किया। जिसके परिणामस्वरूप अल्लाह के पास उनका बदला उनके लिए सांसारिक लाभों की प्राप्ति था जैसे कि विजय और ग़नीमत के धन, तथा परलोक में भी लाभ प्राप्त होगा, जिसमें जन्नत में प्रवेश, वांछित उद्देश्य की प्राप्ति और भय से मुक्ति शामिल है।
Faccirooji aarabeeji:
اَعَدَّ اللّٰهُ لَهُمْ جَنّٰتٍ تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ خٰلِدِیْنَ فِیْهَا ؕ— ذٰلِكَ الْفَوْزُ الْعَظِیْمُ ۟۠
अल्लाह ने उनके लिए ऐसे स्वर्ग तैयार किए हैं, जिनके महलों के नीचे से नहरें बहती हैं। वे वहाँ हमेशा के लिए रहेंगे, कभी भी नष्ट नहीं होंगे। यही बदला ही वह बड़ी सफलता है, जिसके बराबर कोई सफलता नहीं हो सकती।
Faccirooji aarabeeji:
وَجَآءَ الْمُعَذِّرُوْنَ مِنَ الْاَعْرَابِ لِیُؤْذَنَ لَهُمْ وَقَعَدَ الَّذِیْنَ كَذَبُوا اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ ؕ— سَیُصِیْبُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا مِنْهُمْ عَذَابٌ اَلِیْمٌ ۟
मदीना और उसके आस-पास के देहातियों में से कुछ लोग, अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास बहाने लेकर आए, ताकि आप उन्हें अल्लाह के रास्ते में जिहाद के लिए निकलने से पीछे रहने की अनुमति प्रदान कर दें। जबकि कुछ अन्य लोग भी पीछे रह गए, जिन्होंने जिहाद में न निकलने का बिल्कुल भी कोई बहाना पेश नहीं किया; क्योंकि वे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को सच्चा नहीं मानते थे और अल्लाह के वादे पर विश्वास नहीं करते थे। ये लोग अपने इस कुफ़्र के कारण एक दर्दनाक और कष्टदायी यातना से पीड़ित होंगे।
Faccirooji aarabeeji:
لَیْسَ عَلَی الضُّعَفَآءِ وَلَا عَلَی الْمَرْضٰی وَلَا عَلَی الَّذِیْنَ لَا یَجِدُوْنَ مَا یُنْفِقُوْنَ حَرَجٌ اِذَا نَصَحُوْا لِلّٰهِ وَرَسُوْلِهٖ ؕ— مَا عَلَی الْمُحْسِنِیْنَ مِنْ سَبِیْلٍ ؕ— وَاللّٰهُ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟ۙ
महिलाओं, बच्चों, बीमारों, बुज़ुर्गों, अंधों और उन गरीबों पर जिनके पास युद्ध की तैयारी में खर्च करने को कुछ नहीं होता, इन सभी लोगों पर जिहाद में निकलने से पीछे रहने में कोई गुनाह नहीं है; क्योंकि उनके पास उचित बहाने मौजूद हैं, जबकि वे अल्लाह और उसके रसूल के प्रति निष्ठावान हों और उसकी शरीयत पर अमल करें। इन बहाने वालों में से भलाई करने वालों को दंडित करने के लिए कोई रास्ता नहीं है। और अल्लाह भलाई करने वालों के पापों को क्षमा करने वाला, उनपर दया करने वाला है।
Faccirooji aarabeeji:
وَّلَا عَلَی الَّذِیْنَ اِذَا مَاۤ اَتَوْكَ لِتَحْمِلَهُمْ قُلْتَ لَاۤ اَجِدُ مَاۤ اَحْمِلُكُمْ عَلَیْهِ ۪— تَوَلَّوْا وَّاَعْیُنُهُمْ تَفِیْضُ مِنَ الدَّمْعِ حَزَنًا اَلَّا یَجِدُوْا مَا یُنْفِقُوْنَ ۟ؕ
इसी तरह आपसे पीछे रहने वाले उन लोगों पर भी कोई पाप नहीं है, कि जब वे (ऐ रसूल!) आपके पास यह अनुरोध लेकर आए कि आप उनके लिए सवारी का प्रबंध कर दें, और आपने उनसे कहा कि मैं तुम्हारे लिए सवारी की व्यवस्था करने के लिए कुछ नहीं पाता; तो वे आपके पास से इस दशा में वापस हुए कि उनकी आँखों से आँसू बह रहे थे, उन्हें इस बात का अफसोस था कि उन्हें खुद अपने पास से या आपके पास से वह नहीं मिला जो वे खर्च करें।
Faccirooji aarabeeji:
اِنَّمَا السَّبِیْلُ عَلَی الَّذِیْنَ یَسْتَاْذِنُوْنَكَ وَهُمْ اَغْنِیَآءُ ۚ— رَضُوْا بِاَنْ یَّكُوْنُوْا مَعَ الْخَوَالِفِ ۙ— وَطَبَعَ اللّٰهُ عَلٰی قُلُوْبِهِمْ فَهُمْ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟
जब अल्लाह ने यह स्पष्ट कर दिया कि बहाने वाले लोगों को दंडित करने का कोई रास्ता नहीं है, तो उन लोगों का उल्लेख किया, जो दंड और पकड़ के योग्य हैं। चुनाँचे फरमाया : सज़ा और पकड़ के हक़दार वे लोग हैं, जो (ऐ रसूल!) आपसे युद्ध से पीछे रहने की अनुमति माँगते हैं। हालाँकि उनके पास युद्ध की तैयारी के साधन मौजूद हैं। उन्होंने घरों में पीछे रहने वाली स्त्रियों के साथ रहकर अपने लिए अपमान और रुसवाई से संतुष्ट हो गए, तथा अल्लाह ने उनके दिलों पर मुहर लगा दी। अतः कोई उपदेश उनपर असर नहीं करता। और इस मुहर लगने के कारण उन्हें पता ही नहीं है कि कौन-सा काम उनके हित में है ताकि उसे अपनाएँ और किसमें उनका अहित है ताकि उससे दूर रहें।
Faccirooji aarabeeji:
Ina jeyaa e nafoore aayeeje ɗee e ngol hello:
• المجاهدون سيحصِّلون الخيرات في الدنيا، وإن فاتهم هذا فلهم الفوز بالجنة والنجاة من العذاب في الآخرة.
• मुजाहिदों को दुनिया में भलाइयाँ प्राप्त होंगी। यदि यह उनसे छूट गया, तो आख़िरत में जन्नत नसीब होगी और अज़ाब से मुक्ति मिलेगी।

• الأصل أن المحسن إلى الناس تكرمًا منه لا يؤاخَذ إن وقع منه تقصير.
• मूल सिद्धांत यह है कि अपनी ओर से कृपा करते हुए लोगों के साथ भलाई करने वाले से यदि कोई कोताही हो जाए तो उसकी पकड़ नहीं की जाएगी।

• أن من نوى الخير، واقترن بنيته الجازمة سَعْيٌ فيما يقدر عليه، ثم لم يقدر- فإنه يُنَزَّل مَنْزِلة الفاعل له.
• जो कोई नेकी का इरादा करे और उसके दृढ़ इरादे के साथ-साथ वह जो करने में सक्षम है उसके लिए प्रयास करे, फिर वह उसे न कर सके - तो उसे उसके कर्ता के स्थान में रखा जाएगा।

• الإسلام دين عدل ومنطق؛ لذلك أوجب العقوبة والمأثم على المنافقين المستأذنين وهم أغنياء ذوو قدرة على الجهاد بالمال والنفس.
• इस्लाम न्याय और तर्क का धर्म है। यही कारण है कि उसने उन मुनाफ़िक़ों पर दंड और पाप अनिवार्य किया है, जो धनवान होने, धन एवं प्राण के साथ जिहाद की शक्ति रखने के बावजूद पीछे रहने की अनुमति माँग रहे थे।

یَعْتَذِرُوْنَ اِلَیْكُمْ اِذَا رَجَعْتُمْ اِلَیْهِمْ ؕ— قُلْ لَّا تَعْتَذِرُوْا لَنْ نُّؤْمِنَ لَكُمْ قَدْ نَبَّاَنَا اللّٰهُ مِنْ اَخْبَارِكُمْ ؕ— وَسَیَرَی اللّٰهُ عَمَلَكُمْ وَرَسُوْلُهٗ ثُمَّ تُرَدُّوْنَ اِلٰی عٰلِمِ الْغَیْبِ وَالشَّهَادَةِ فَیُنَبِّئُكُمْ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ۟
जिहाद से पीछे रह जाने वाले मुनाफिक़, मुसलमानों के जिहाद से लौटने के समय, उनके सामने कमज़ोर और बेतुके बहाने पेश करेंगे। ऐसे में, अल्लाह अपने नबी और मोमिनों को उन्हें यह जवाब देने का निर्देश देता है : झूठे बहाने मत करो, जो कुछ तुमने हमें बताया है हम कदापि उसपर विश्वास नहीं करेंगे। अल्लाह ने हमें तुम्हारे दिलों की कुछ बातें बता दी हैं। अल्लाह और उसके रसूल देखेंगे : क्या तुम लोग तौबा करते हो, ताकि अल्लाह तुम्हारी तौबा स्वीकार कर ले, या तुम अपने निफ़ाक़ ही पर जमे रहते हो? फिर तुम अल्लाह की ओर लौटाए जाओगे, जो हर चीज़ का ज्ञान रखता है। तो वह तुम्हें बताएगा जो कुछ तुम किया करते थे और तुम्हें उसका बदला देगा। अतः तुम तौबा और सत्कर्म में जल्दी करो।
Faccirooji aarabeeji:
سَیَحْلِفُوْنَ بِاللّٰهِ لَكُمْ اِذَا انْقَلَبْتُمْ اِلَیْهِمْ لِتُعْرِضُوْا عَنْهُمْ ؕ— فَاَعْرِضُوْا عَنْهُمْ ؕ— اِنَّهُمْ رِجْسٌ ؗ— وَّمَاْوٰىهُمْ جَهَنَّمُ ۚ— جَزَآءً بِمَا كَانُوْا یَكْسِبُوْنَ ۟
ये पीछे रह जाने वाले लोग, जब (ऐ ईमान वालो!) तुम उनकी ओर वापस जाओगे तो अपने झूठे बहानों की पुष्टि के लिए, अल्लाह की क़समें खाएँगे; ताकि तुम उनकी भर्त्सना और निंदा करने से रुक जाओ। अतः आप उन्हें उनकी हालत पर छोड़ दें, क्रोधित व्यक्ति के छोड़ने की तरह। निश्चय ये अशुद्ध और दुष्ट हृदय वाले हैं और इनका ठिकाना जहाँ ये शरण लेंगे, जहन्नम है। यह बदला है उस पाखंड और पाप का, जो वे कमाया करते थे।
Faccirooji aarabeeji:
یَحْلِفُوْنَ لَكُمْ لِتَرْضَوْا عَنْهُمْ ۚ— فَاِنْ تَرْضَوْا عَنْهُمْ فَاِنَّ اللّٰهَ لَا یَرْضٰی عَنِ الْقَوْمِ الْفٰسِقِیْنَ ۟
(ऐ ईमान वालो!) ये पीछे रह जाने वाले लोग, तुम्हारे आगे क़समें खाएँगे; ताकि तुम उनसे खुश हो जाओ और उनके बहाने स्वीकार कर लो। पर तुम उनसे खुश न होना। यदि तुम उनसे खुश हो गए, तो तुम अपने पालनहार की अवहेलना करने वाले ठहरोगे। क्योंकि अल्लाह कुफ़्र और निफ़ाक़ के द्वारा उसकी आज्ञाकारिता से निकल जाने वाले लोगों से खुश नहीं होता। अतः (ऐ मुसलमानो!) ऐसे लोगों से खुश होने से सावधान रहो, जिनसे अल्लाह प्रसन्न नहीं होता।
Faccirooji aarabeeji:
اَلْاَعْرَابُ اَشَدُّ كُفْرًا وَّنِفَاقًا وَّاَجْدَرُ اَلَّا یَعْلَمُوْا حُدُوْدَ مَاۤ اَنْزَلَ اللّٰهُ عَلٰی رَسُوْلِهٖ ؕ— وَاللّٰهُ عَلِیْمٌ حَكِیْمٌ ۟
देहात के रहने वाले यदि अविश्वास या पाखंड के मार्ग पर चल पड़ें, तो उनका कुफ्र अन्य शहरी क्षेत्र के लोगों के कुफ़्र से अधिक गंभीर और उनका पाखंड उन लोगों की तुलना में अधिक सख़्त होगा। तथा ये लोग इस बात के अधिक योग्य हैं कि धर्म से अनभिज्ञ हों और इनके बारे में इस बात की अधिक संभावना है कि धार्मिक कर्तव्यों, सुन्नतों तथा उन आदेशों के नियमों को न जानें, जिन्हें अल्लाह ने अपने रसूल पर उतारा है। क्योंकि वे उजड्डपन, अक्खड़पन और लोगों के साथ मेल-मिलाप और संपर्क के अभाव से पीड़ित हैं। अल्लाह उनकी स्थितियों को जानने वाला है। उनकी कोई बात उससे छिपी नहीं है। वह अपने प्रबंधन और अपने विधान में हिकमत वाला है।
Faccirooji aarabeeji:
وَمِنَ الْاَعْرَابِ مَنْ یَّتَّخِذُ مَا یُنْفِقُ مَغْرَمًا وَّیَتَرَبَّصُ بِكُمُ الدَّوَآىِٕرَ ؕ— عَلَیْهِمْ دَآىِٕرَةُ السَّوْءِ ؕ— وَاللّٰهُ سَمِیْعٌ عَلِیْمٌ ۟
देहात में रहने वाले पाखंडियों में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो अल्लाह के मार्ग में खर्च किए हुए धन को घाटा और जुर्माना समझते हैं, क्योंकि उनका भ्रम है कि यदि उन्होंने खर्च किया तो उन्हें प्रतिफल नहीं मिलेगा और अगर खर्च नहीं किया तो अल्लाह उन्हें दंडित नहीं करेगा। किंतु इसके बावजूद कभी-कभी दिखावा और अपने बचाव के लिए खर्च कर देते हैं। वे इस बात की प्रतीक्षा में रहते हैं कि (ऐ ईमान वालो!) तुमपर कोई बुराई उतर पड़े और उन्हें तुमसे छुटकारा मिल जाए। वे जिस बुराई और गंभीर परिणाम वाले कालचक्र के मुसलमानों पर उतरने की कामना कर रहे हैं, अल्लाह उसे ईमान वालों के बजाय, स्वयं उन्हीं पर उतार दे। वे जो कुछ कहते हैं अल्लाह उसे सुनने वाला और जो कुछ छिपाते हैं उसे जानने वाला है।
Faccirooji aarabeeji:
وَمِنَ الْاَعْرَابِ مَنْ یُّؤْمِنُ بِاللّٰهِ وَالْیَوْمِ الْاٰخِرِ وَیَتَّخِذُ مَا یُنْفِقُ قُرُبٰتٍ عِنْدَ اللّٰهِ وَصَلَوٰتِ الرَّسُوْلِ ؕ— اَلَاۤ اِنَّهَا قُرْبَةٌ لَّهُمْ ؕ— سَیُدْخِلُهُمُ اللّٰهُ فِیْ رَحْمَتِهٖ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟۠
देहात में रहने वालों में से कुछ ऐसे भी हैं, जो अल्लाह पर तथा क़ियामत के दिन पर ईमान रखते हैं और अल्लाह के रास्ते में जो धन खर्च करते हैं, उसे अल्लाह की निकटता प्राप्त करने का ज़रिया तथा रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की दुआ और क्षमायाचना की प्राप्ति का साधन समझते हैं। सुन लो, उसका अल्लाह के रास्ते में खर्च करना और रसूल का उसके लिए दुआ करना, निश्चय ही उसके लिए अल्लाह के पास निकटता प्राप्त करने का साधन है, जिसका अल्लाह के पास उसे यह प्रतिफल मिलेगा कि अल्लाह उसे अपनी विशाल दया में प्रवेश करेगा, जिसमें उसकी क्षमा और उसकी जन्नत शामिल है। निःसंदेह अल्लाह अपने तौबा करने वाले बंदों को क्षमा करने वाला, उनपर दया करने वाला है।
Faccirooji aarabeeji:
Ina jeyaa e nafoore aayeeje ɗee e ngol hello:
• ميدان العمل والتكاليف خير شاهد على إظهار كذب المنافقين من صدقهم.
• कार्यक्षेत्र और धार्मिक कर्तव्य मुनाफ़िक़ों के झूठ को उजागर करने के सबसे अच्छे गवाह हैं।

• أهل البادية إن كفروا فهم أشد كفرًا ونفاقًا من أهل الحضر؛ لتأثير البيئة.
• देहात के रहने वाले यदि कुफ़्र के मार्ग पर चल पड़ें, तो वातावरण के प्रभाव के कारण उनका कुफ़्र एवं निफ़ाक़ शहरी क्षेत्र के लोगों की तुलना में अधिक गंभीर होगा।

• الحض على النفقة في سبيل الله مع إخلاص النية، وعظم أجر من فعل ذلك.
• अल्लाह के रास्ते में विशुद्ध इरादे (ईमानदारी) के साथ खर्च करने पर प्रोत्साहन और ऐसा करने वाले के प्रतिफ़ल की महानता।

• فضيلة العلم، وأن فاقده أقرب إلى الخطأ.
• ज्ञान की श्रेष्ठता और यह कि ज्ञान विहीन व्यक्ति से त्रुटि की संभावना अधिक रहती है।

وَالسّٰبِقُوْنَ الْاَوَّلُوْنَ مِنَ الْمُهٰجِرِیْنَ وَالْاَنْصَارِ وَالَّذِیْنَ اتَّبَعُوْهُمْ بِاِحْسَانٍ ۙ— رَّضِیَ اللّٰهُ عَنْهُمْ وَرَضُوْا عَنْهُ وَاَعَدَّ لَهُمْ جَنّٰتٍ تَجْرِیْ تَحْتَهَا الْاَنْهٰرُ خٰلِدِیْنَ فِیْهَاۤ اَبَدًا ؕ— ذٰلِكَ الْفَوْزُ الْعَظِیْمُ ۟
जिन लोगों ने सबसे पहले ईमान लाने में जल्दी की, चाहे वे मुहाजिरीन हों, जो अपना घर और देश छोड़कर अल्लाह की ओर निकल पड़े, या अंसार, जिन्होंने अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की मदद की, तथा वे लोग जिन्होंने अक़ीदा, कथनों और कर्मों में अच्छाई के साथ ईमान की ओर पहल करने वाले मुहाजिरीन और अंसार का अनुसरण किया - अल्लाह इन सभी लोगों से खुश हो गया और उनकी आज्ञाकारिता को स्वीकार कर लिया, तथा वे लोग भी उससे प्रसन्न हो गए, क्योंकि उसने उन्हें अपना महान प्रतिफल प्रदान किया और उनके लिए ऐसी जन्नतें तैयार कर रखी हैं, जिनके महलों के नीचे नहरें बहती हैं, जिनमें वे सदैव रहने वाले हैं। यह बदला ही महान सफलता है।
Faccirooji aarabeeji:
وَمِمَّنْ حَوْلَكُمْ مِّنَ الْاَعْرَابِ مُنٰفِقُوْنَ ۛؕ— وَمِنْ اَهْلِ الْمَدِیْنَةِ ؔۛ۫— مَرَدُوْا عَلَی النِّفَاقِ ۫— لَا تَعْلَمُهُمْ ؕ— نَحْنُ نَعْلَمُهُمْ ؕ— سَنُعَذِّبُهُمْ مَّرَّتَیْنِ ثُمَّ یُرَدُّوْنَ اِلٰی عَذَابٍ عَظِیْمٍ ۟ۚ
देहात के वासियों में से जो लोग मदीना के आस-पास हैं, उनमें से कुछ लोग मुनाफ़िक़ हैं और मदीना वालों में से भी कुछ लोग मुनाफ़िक़ हैं, जो निफाक़ पर क़ायम और उसपर जमे हुए हैं। (ऐ रसूल!) आप उन्हें नहीं जानते, अल्लाह ही उन्हें भली-भाँति जानता है। शीघ्र ही अल्लाह उन्हें दो बार यातना देगा : एक बार दुनिया में उनके पाखंड को उजागर करके तथा उन्हें क़त्ल किए जाने और बंदी बनाए जाने के द्वारा, तथा दूसरी बार आख़िरत में क़ब्र की यातना देकर। फिर वे क़ियामत के दिन जहन्नम के पाताल में एक बड़ी यातना की ओर लौटाए जाएँगे।
Faccirooji aarabeeji:
وَاٰخَرُوْنَ اعْتَرَفُوْا بِذُنُوْبِهِمْ خَلَطُوْا عَمَلًا صَالِحًا وَّاٰخَرَ سَیِّئًا ؕ— عَسَی اللّٰهُ اَنْ یَّتُوْبَ عَلَیْهِمْ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟
तथा मदीना वालों में से कुछ अन्य लोग भी हैं, जो बिना किसी कारण (बहाने) के युद्ध से पीछे रह गए। लेकिन उन्होंने झूठे बहाने बनाने के बजाय, स्वयं स्वीकार कर लिया कि उनके पास (युद्ध में शामिल न होने का) कोई कारण (बहाना) नहीं था। उन्होंने अपने पिछले अच्छे कर्मों, जैसे अल्लाह की आज्ञाकारिता करने, उसके नियमों का पालन करने और उसके मार्ग में जिहाद करने के साथ एक बुरे काम को मिला दिया। उन्हें आशा है कि अल्लाह उनके पश्चाताप को स्वीकार करेगा और उन्हें क्षमा कर देगा। निःसंदेह अल्लाह अपने तौबा करने वाले बंदो को क्षमा करने वाला, उनपर दया करने वाला है।
Faccirooji aarabeeji:
خُذْ مِنْ اَمْوَالِهِمْ صَدَقَةً تُطَهِّرُهُمْ وَتُزَكِّیْهِمْ بِهَا وَصَلِّ عَلَیْهِمْ ؕ— اِنَّ صَلٰوتَكَ سَكَنٌ لَّهُمْ ؕ— وَاللّٰهُ سَمِیْعٌ عَلِیْمٌ ۟
(ऐ रसूल!) आप उनके मालों में से ज़कात लें, जिसके द्वारा आप उन्हें अवज्ञा और पापों की गंदगी से शुद्ध करें और उसके साथ उनके अच्छे कर्मों को विकसित करें। तथा उसे उनसे लेने के बाद, उनके लिए दुआ करें। निःसंदेह आपकी दुआ उनके लिए दया और संतोष का कारण है। अल्लाह आपकी दुआ को सुनने वाला, उनके कार्यों और इरादों को जानने वाला है।
Faccirooji aarabeeji:
اَلَمْ یَعْلَمُوْۤا اَنَّ اللّٰهَ هُوَ یَقْبَلُ التَّوْبَةَ عَنْ عِبَادِهٖ وَیَاْخُذُ الصَّدَقٰتِ وَاَنَّ اللّٰهَ هُوَ التَّوَّابُ الرَّحِیْمُ ۟
जिहाद से पीछे रह जाने वालों और पश्चाताप करके अल्लाह की ओर लौटने वालों को पता होना चाहिए कि अल्लाह अपने तौबा करने वाले बंदों की तौबा क़बूल करता है, और यह कि वह दान को स्वीकार करता है, जबकि उसे उसकी कोई आवश्यकता नहीं है, तथा दान करने वाले को उसके दान का सवाब देता है। निःसंदेह पवित्र अल्लाह अपने तौबा करने वाले बंदो की तौबा क़बूल करने वाला, उनपर दया करने वाला है।
Faccirooji aarabeeji:
وَقُلِ اعْمَلُوْا فَسَیَرَی اللّٰهُ عَمَلَكُمْ وَرَسُوْلُهٗ وَالْمُؤْمِنُوْنَ ؕ— وَسَتُرَدُّوْنَ اِلٰی عٰلِمِ الْغَیْبِ وَالشَّهَادَةِ فَیُنَبِّئُكُمْ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ۟ۚ
तथा (ऐ रसूल!) आप इन जिहाद से पीछे रह जाने वालों और अपने पाप से तौबा करने वालों से कह दीजिए : जो चीज़ तुमसे छूट गई है, उसके नुक़सान की भरपाई करो, अपने कार्यों को अल्लाह के लिए ख़ालिस (विशुद्ध) रखो और उसे प्रसन्न करने वाले कार्य करो। अल्लाह, उसके रसूल और ईमान वाले तुम्हारे कार्यों को देखेंगे। तथा क़ियामत के दिन तुम अपने पालनहार की ओर लौटाए जाओगे, जो हर चीज़ का ज्ञान रखता है। वह जानता है जो कुछ तुम गुप्त रखते हो और जो कुछ तुम प्रदर्शित करते हो। फिर वह तुम्हें बता देगा जो कुछ तुम दुनिया में किया करते थे और तुम्हें उसका बदला देगा।
Faccirooji aarabeeji:
وَاٰخَرُوْنَ مُرْجَوْنَ لِاَمْرِ اللّٰهِ اِمَّا یُعَذِّبُهُمْ وَاِمَّا یَتُوْبُ عَلَیْهِمْ ؕ— وَاللّٰهُ عَلِیْمٌ حَكِیْمٌ ۟
तबूक की लड़ाई से पीछे रहने वालों में से कुछ दूसरे लोग भी हैं, जिनके पास कोई बहाना नहीं था। इनका मामला अल्लाह का फ़ैसला और इनके बारे में उसका आदेश आने तक स्थगित कर दिया गया है। अल्लाह उनके बारे में जो चाहे, फैसला करे : या तो वह उन्हें दंडित करे यदि वे तौबा न करें, या उनकी तौबा स्वीकार करे अगर वे तौबा कर लें। अल्लाह अच्छी तरह जानता है कि कौन उसके दंड का हक़दार है और कौन उसकी क्षमा के योग्य है। वह अपने विधान और प्रबंधन में हिकमत वाला है। ये लोग : मुरारा बिन रबी', कअब बिन मालिक और हिलाल बिन उमैया थे।
Faccirooji aarabeeji:
Ina jeyaa e nafoore aayeeje ɗee e ngol hello:
• فضل المسارعة إلى الإيمان، والهجرة في سبيل الله، ونصرة الدين، واتباع طريق السلف الصالح.
• ईमान लाने में पहल करने, अल्लाह के मार्ग में हिजरत करने, धर्म का समर्थन करने और सदाचारी पूर्वजों के मार्ग का अनुसरण करने की श्रेष्ठता।

• استئثار الله عز وجل بعلم الغيب، فلا يعلم أحد ما في القلوب إلا الله.
• अदृश्य व प्रोक्ष का ज्ञान अल्लाह सर्वशक्तिमान का एकाधिकार है। अतः दिलों की बातों को अल्लाह के सिवा कोई नहीं जानता।

• الرجاء لأهل المعاصي من المؤمنين بتوبة الله عليهم ومغفرته لهم إن تابوا وأصلحوا عملهم.
• पाप करने वाले मोमिनों के लिए अल्लाह के उनकी तोबा को स्वीकार करने और उन्हें क्षमा प्रदान करने की आशा है, यदि वे तौबा कर लें और अपने काम को सुधार लें।

• وجوب الزكاة وبيان فضلها وأثرها في تنمية المال وتطهير النفوس من البخل وغيره من الآفات.
• ज़कात की अनिवार्यता तथा उसकी श्रेष्ठता और धन को विकसित करने तथा आत्मा को कंजूसी आदि बीमारियों से शुद्ध करने में उसके प्रभाव का वर्णन।

وَالَّذِیْنَ اتَّخَذُوْا مَسْجِدًا ضِرَارًا وَّكُفْرًا وَّتَفْرِیْقًا بَیْنَ الْمُؤْمِنِیْنَ وَاِرْصَادًا لِّمَنْ حَارَبَ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ مِنْ قَبْلُ ؕ— وَلَیَحْلِفُنَّ اِنْ اَرَدْنَاۤ اِلَّا الْحُسْنٰی ؕ— وَاللّٰهُ یَشْهَدُ اِنَّهُمْ لَكٰذِبُوْنَ ۟
तथा मुनाफ़िक़ो में से वे लोग भी हैं, जिन्होंने एक मस्जिद बनाई पर अल्लाह की आज्ञाकारिता के लिए नहीं, बल्कि मुसलमानों को नुक़सान पहुँचाने के लिए, मुनाफ़िक़ों को मज़बूत करके कुफ़्र का प्रदर्शन करने के लिए, ईमान वालों के बीच फूट डालने के लिए और उन लोगों को तैयारी का स्थान तथा घात स्थल प्रदान करने के लिए, जिन्होंने मस्जिद के निर्माण से पूर्व अल्लाह और उसके रसूल से लड़ाई की। निश्चय ये मुनाफ़िक़ तुमसे अवश्य ही क़समें खाकर कहेंगे : हमारा मक़सद तो केवल मुसलमानों के साथ आसानी (दयालुता) का था। जबकि अल्लाह गवाही देता है कि निश्चय वे अपने इस दावे में झूठे हैं।
Faccirooji aarabeeji:
لَا تَقُمْ فِیْهِ اَبَدًا ؕ— لَمَسْجِدٌ اُسِّسَ عَلَی التَّقْوٰی مِنْ اَوَّلِ یَوْمٍ اَحَقُّ اَنْ تَقُوْمَ فِیْهِ ؕ— فِیْهِ رِجَالٌ یُّحِبُّوْنَ اَنْ یَّتَطَهَّرُوْا ؕ— وَاللّٰهُ یُحِبُّ الْمُطَّهِّرِیْنَ ۟
(ऐ नबी!) आप इस तरह की मस्जिद में नमाज़ पढ़ने के लिए मुनाफ़िक़ों के आमंत्रण को स्वीकार न करें। क्योंकि क़ुबा की मस्जिद, जिसे शुरू ही से तक़्वा (धर्मपरायणता) पर स्थापित किया गया है, आपका उसमें नमाज़ पढ़ना इस मस्जिद की तुलना में अधिक उपयुक्त है, जिसे कुफ़्र पर स्थापित किया गया है। क़ुबा की मस्जिद में ऐसे लोग हैं, जो अशुद्धियों और गंदगियों से पानी के द्वारा और पापों से तौबा और क्षमायाचना के द्वारा शुद्ध रहना पसंद करते हैं, और अल्लाह अशुद्धताओं, गंदगियों और पापों से शुद्ध रहने वालों को पसंद करता है।
Faccirooji aarabeeji:
اَفَمَنْ اَسَّسَ بُنْیَانَهٗ عَلٰی تَقْوٰی مِنَ اللّٰهِ وَرِضْوَانٍ خَیْرٌ اَمْ مَّنْ اَسَّسَ بُنْیَانَهٗ عَلٰی شَفَا جُرُفٍ هَارٍ فَانْهَارَ بِهٖ فِیْ نَارِ جَهَنَّمَ ؕ— وَاللّٰهُ لَا یَهْدِی الْقَوْمَ الظّٰلِمِیْنَ ۟
क्या जिसने अपने भवन की आधारशिला अल्लाह के आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर उसके तक़्वा तथा अधिक से अधिक नेकी के कार्य करके अल्लाह की प्रसन्नता पर रखी है, वह उसके बराबर है, जिसने मुसलमानों को नुक़सान पहुँचाने, कुफ़्र को मज़बूत करने और ईमान वालों के बीच विभेद पैदा करने के लिए मस्जिद बनाई?! दोनों कभी बराबर नहीं हो सकते। पहले व्यक्ति का भवन शक्तिशाली और मज़बूत है, जिसके गिरने का डर नहीं है। जबकि दूसरे व्यक्ति का उदाहरण उस व्यक्ति की तरह है, जिसने किसी गड्ढे के किनारे एक भवन बनाया, पर वह ढह गया और गिर गया और उसके साथ ही उसका भवन जहन्नम की गहराई में जा गिरा। सच्चाई यह है कि अल्लाह कुफ़्र और निफ़ाक़ वग़ैरह के ज़रिए अत्याचार करने वाले लोगों को सीधा मार्ग नहीं दिखाता।
Faccirooji aarabeeji:
لَا یَزَالُ بُنْیَانُهُمُ الَّذِیْ بَنَوْا رِیْبَةً فِیْ قُلُوْبِهِمْ اِلَّاۤ اَنْ تَقَطَّعَ قُلُوْبُهُمْ ؕ— وَاللّٰهُ عَلِیْمٌ حَكِیْمٌ ۟۠
उनकी यह मस्जिद, जिसे उन्होंने (मुसलमानों को) नुक़सान पहुँचाने के लिए बनाया है, सदा उनके दिलों में संदेह और निफ़ाक़ के रूप में बसी रहेगी, यहाँ तक कि मौत से अथवा तलवार के द्वारा वध से उनके दिल टुकड़े-टुकड़े हो जाएँ। अल्लाह अपने बंदों के कामों को जानने वाला, उनके अच्छे या बुरे कर्म का बदला देने में हिकमत वाला है।
Faccirooji aarabeeji:
اِنَّ اللّٰهَ اشْتَرٰی مِنَ الْمُؤْمِنِیْنَ اَنْفُسَهُمْ وَاَمْوَالَهُمْ بِاَنَّ لَهُمُ الْجَنَّةَ ؕ— یُقَاتِلُوْنَ فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ فَیَقْتُلُوْنَ وَیُقْتَلُوْنَ ۫— وَعْدًا عَلَیْهِ حَقًّا فِی التَّوْرٰىةِ وَالْاِنْجِیْلِ وَالْقُرْاٰنِ ؕ— وَمَنْ اَوْفٰی بِعَهْدِهٖ مِنَ اللّٰهِ فَاسْتَبْشِرُوْا بِبَیْعِكُمُ الَّذِیْ بَایَعْتُمْ بِهٖ ؕ— وَذٰلِكَ هُوَ الْفَوْزُ الْعَظِیْمُ ۟
निःसंदेह अल्लाह ने (अपनी कृपा से) ईमान वालों से उनके प्राणों को एक उच्च क़ीमत अर्थात जन्नत के बदले में ख़रीद लिया है, (हालाँकि वे अल्लाह ही की संपत्ति हैं)। क्योंकि वे काफ़िरों से लड़ते हैं ताकि अल्लाह का वचन सर्वोच्च हो। चुनाँचे वे काफ़िरों को क़त्ल करते हैं और काफ़िर उन्हें क़त्ल करते हैं। अल्लाह ने इसका सच्चा वादा मूसा अलैहिस्सलाम की पुस्तक तौरात, ईसा अलैहिस्सलाम की पुस्तक इनजील और मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की पुस्तक क़ुरआन में किया है, तथा अल्लाह से बढ़कर अपना वादा पूरा करने वाला कोई नहीं है। अतः (ऐ ईमान वालो!) अपने इस सौदे से प्रसन्न हो जाओ, जो तुमने अल्लाह से किया है। क्योंकि तुमने इसमें बहुत लाभ कमाया है और यह सौदा ही बहुत बड़ी सफलता है।
Faccirooji aarabeeji:
Ina jeyaa e nafoore aayeeje ɗee e ngol hello:
• محبة الله ثابتة للمتطهرين من الأنجاس البدنية والروحية.
• शारीरिक और आध्यात्मिक अशुद्धियों से पाक-साफ़ रहने वालों के लिए अल्लाह का प्रेम स्थायी एवं नित्य है।

• لا يستوي من عمل عملًا قصد به وجه الله؛ فهذا العمل هو الذي سيبقى ويسعد به صاحبه، مع من قصد بعمله نصرة الكفر ومحاربة المسلمين؛ وهذا العمل هو الذي سيفنى ويشقى به صاحبه.
• जिसने अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए कोई काम किया, वह उस व्यक्ति के समान नहीं है, जो अपने काम से कुफ़्र का समर्थन करने और मुसलमानों से लड़ने का इरादा रखे। पहले व्यक्ति का काम बाक़ी रहेगा और वह उसके लिए सौभाग्य का कारण बनेगा, जबकि दूसरे व्यक्ति का काम नष्ट हो जाएगा और वह उसके लिए दुर्भाग्य का कारण बनेगा।

• مشروعية الجهاد والحض عليه كانت في الأديان التي قبل الإسلام أيضًا.
• जिहाद की वैधता और उसके लिए प्रोत्साहन इस्लाम से पहले के धर्मों में भी था।

• كل حالة يحصل بها التفريق بين المؤمنين فإنها من المعاصي التي يتعين تركها وإزالتها، كما أن كل حالة يحصل بها جمع المؤمنين وائتلافهم يتعين اتباعها والأمر بها والحث عليها.
• हर वह स्थिति, जिससे मुसलमानों के बीच अलगाव पैदा होता है, निश्चय वह पाप है, जिसे त्यागना और उसका निवारण करना ज़रूरी है। इसी प्रकार हर वह स्थिति, जिससे मुसलमानों में एकत्रता और एकजुटता पैदा हो, उसका पालन करना, उसका आदेश देना और उसके लिए प्रोत्साहित करना ज़रूरी है।

اَلتَّآىِٕبُوْنَ الْعٰبِدُوْنَ الْحٰمِدُوْنَ السَّآىِٕحُوْنَ الرّٰكِعُوْنَ السّٰجِدُوْنَ الْاٰمِرُوْنَ بِالْمَعْرُوْفِ وَالنَّاهُوْنَ عَنِ الْمُنْكَرِ وَالْحٰفِظُوْنَ لِحُدُوْدِ اللّٰهِ ؕ— وَبَشِّرِ الْمُؤْمِنِیْنَ ۟
यह प्रतिफल प्राप्त करने वाले लोग वे हैं, जो अल्लाह को पसंद न आने वाली और उसे क्रोधित करने वाली चीज़ों की उपेक्षाकर उसे पसंद आने वाली तथा प्रसन्न करने वाली चीज़ों की ओर लौटने वाले हैं, जो अल्लाह के भय और विनम्रता के कारण विनयशील होकर उसकी आज्ञाकारिता में बहुत परिश्रम करते हैं, जो हर परिस्थिति में अपने रब की स्तुति करने वाले, रोज़े रखने वाले, नमाज़ पढ़ने वाले, अल्लाह ने या उसके रसूल ने जिसका आदेश दिया है उसका आदेश देने वाले, अल्लाह और उसके रसूल ने जिससे मना किया है उससे मनाही करने वाले, तथा अल्लाह के आदेशों की, उनका अनुपालन करके और उसके निषेधों की, उनसे बचकर रक्षा करने वाले हैं। (ऐ रसूल!) आप इन गुणों से विशेषित मोमिनों को उस चीज़ की सूचना दे दें, जो उन्हें दुनिया और आखिरत में प्रसन्न कर देगी।
Faccirooji aarabeeji:
مَا كَانَ لِلنَّبِیِّ وَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اَنْ یَّسْتَغْفِرُوْا لِلْمُشْرِكِیْنَ وَلَوْ كَانُوْۤا اُولِیْ قُرْبٰی مِنْ بَعْدِ مَا تَبَیَّنَ لَهُمْ اَنَّهُمْ اَصْحٰبُ الْجَحِیْمِ ۟
नबी के लिए उचित नहीं है और न ही ईमान वालों के लिए उचित है कि वे मुश्रिकों के लिए अल्लाह से क्षमा याचना करें, भले ही वे उनके रिश्तेदार हों, जबकि उनके लिए यह स्पष्ट हो गया कि वे शिर्क की अवस्था में मरने के कारण जहन्नमियों में से हैं।
Faccirooji aarabeeji:
وَمَا كَانَ اسْتِغْفَارُ اِبْرٰهِیْمَ لِاَبِیْهِ اِلَّا عَنْ مَّوْعِدَةٍ وَّعَدَهَاۤ اِیَّاهُ ۚ— فَلَمَّا تَبَیَّنَ لَهٗۤ اَنَّهٗ عَدُوٌّ لِّلّٰهِ تَبَرَّاَ مِنْهُ ؕ— اِنَّ اِبْرٰهِیْمَ لَاَوَّاهٌ حَلِیْمٌ ۟
इबराहीम अलैहिस्सलाम का अपने पिता के लिए क्षमायाचना करना केवल इस कारण था कि उन्होंने अपने पिता से वादा किया था कि वह उनके लिए अवश्य क्षमायाचना करेंगे; इस आशा में कि वह इस्लाम स्वीकार कर लेंगे। परंतु जब इबराहीम अलैहिस्सलाम के लिए यह स्पष्ट हो गया कि उनका पिता अल्लाह का दुश्मन है, क्योंकि उसे उनके उपदेश से कोई फायदा नहीं हुआ, या इसलिए कि उन्हें वह़्य के द्वारा मालूम हो गया था कि उसकी मृत्यु एक काफ़िर के रूप में होगी, तो वह उससे अलग हो गए। उनका अपने पिता के लिए क्षमायाचना करना उनका अपना इजतिहाद था, किसी आदेश का उल्लंघन नहीं था जिसकी अल्लाह ने उनकी ओर वह़्य की थी। निःसंदेह इबराहीम अलैहिस्सलाम अल्लाह के सामने अत्यधिक गिड़गिड़ाने वाले और अपनी अत्याचारी क़ौम को बहुत माफ़ करने वाले थे।
Faccirooji aarabeeji:
وَمَا كَانَ اللّٰهُ لِیُضِلَّ قَوْمًا بَعْدَ اِذْ هَدٰىهُمْ حَتّٰی یُبَیِّنَ لَهُمْ مَّا یَتَّقُوْنَ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ بِكُلِّ شَیْءٍ عَلِیْمٌ ۟
अल्लाह किसी जाति को मार्गदर्शन प्रदान करने के बाद उसके लिए पथभ्रष्टता का फ़ैसला नही करता, जब तक कि वह उनके लिए उन निषेधों को स्पष्ट नहीं कर देता जिनसे बचना अनिवार्य है। फिर यदि वे निषेध की व्याख्या करने के बाद उस कार्य को करें जो उनके लिए निषिद्ध ठहराया गया है, तो उनपर पथभ्रष्टता का फैसला कर देता है। निःसंदेह अल्लाह सब कुछ जानने वाला है, उससे कुछ भी छिपा नहीं है। और उसने तुम्हें वह सिखाया है जो तुम नहीं जानते थे।
Faccirooji aarabeeji:
اِنَّ اللّٰهَ لَهٗ مُلْكُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— یُحْیٖ وَیُمِیْتُ ؕ— وَمَا لَكُمْ مِّنْ دُوْنِ اللّٰهِ مِنْ وَّلِیٍّ وَّلَا نَصِیْرٍ ۟
निःसंदेह आकाशों और धरती का राज्य अल्लाह ही का है। उन दोनों में उसका कोई साझी नहीं, उन दोनों में उससे कुछ भी छिपा नहीं है। वह जिसे जीवन देना चाहता है, उसे जीवन देता है और जिसे मारना चाहता है, उसे मारता है। और (ऐ लोगो!) तुम्हारा अल्लाह के सिवा कोई संरक्षक नहीं है, जो तुम्हारे मामलों का प्रभारी हो, और न तुम्हारा कोई सहायक है, जो तुमसे बुराई को दूर करे और तुम्हारे दुश्मन के खिलाफ तुम्हारी मदद करे।
Faccirooji aarabeeji:
لَقَدْ تَّابَ اللّٰهُ عَلَی النَّبِیِّ وَالْمُهٰجِرِیْنَ وَالْاَنْصَارِ الَّذِیْنَ اتَّبَعُوْهُ فِیْ سَاعَةِ الْعُسْرَةِ مِنْ بَعْدِ مَا كَادَ یَزِیْغُ قُلُوْبُ فَرِیْقٍ مِّنْهُمْ ثُمَّ تَابَ عَلَیْهِمْ ؕ— اِنَّهٗ بِهِمْ رَءُوْفٌ رَّحِیْمٌ ۟ۙ
अल्लाह ने पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को माफ़ कर दिया, जो आपने मुनाफ़िक़ों को तबूक के युद्ध से पीछे रहने की अनुमति प्रदान कर दी थी। तथा मुहाजिरों और अंसार को भी माफ़ कर दिया, जो उससे पीछे नहीं रहे, बल्कि भीषण गरमी, माली परेशानी और शक्तिशाली दुश्मन का सामना होने के बावजूद तबूक के युद्ध में आपके साथ निकल पड़े। जबकि उनमें से एक समूह के दिल विपरीत परिस्थितियों के कारण बहकने लगे थे, जो युद्ध छोड़ने का इरादा कर चुके थे। फिर अल्लाह ने उन्हें दृढ़ रहने और लड़ाई के लिए निकलने की तौफ़ीक़ प्रदान की और उनकी तौबा क़बूल कर ली। निःसंदेह अल्लाह उनपर कृपा करने वाला और दयावान् है और यह उसकी दया ही है कि उन्हें तौबा की तौफ़ीक़ दी और उनकी तौबा क़बूल कर ली।
Faccirooji aarabeeji:
Ina jeyaa e nafoore aayeeje ɗee e ngol hello:
• بطلان الاحتجاج على جواز الاستغفار للمشركين بفعل إبراهيم عليه السلام.
• इबराहीम अलैहिस्सलाम के कृत्य को मुश्रिकों के लिए क्षमायाचना के जायज़ होने का प्रमाण बनाना अमान्य है।

• أن الذنوب والمعاصي هي سبب المصائب والخذلان وعدم التوفيق.
• पाप और अवज्ञा ही विपत्तियों, अल्लाह की मदद से वंचित होने और तौफ़ीक़ न मिलने के कारण हैं।

• أن الله هو مالك الملك، وهو ولينا، ولا ولي ولا نصير لنا من دونه.
• अल्लाह ही समस्त राज्य का स्वामी है और वही हमारा संरक्षक है। उसके सिवा हमारा कोई संरक्षक और सहायक नहीं है।

• بيان فضل أصحاب النبي صلى الله عليه وسلم على سائر الناس.
• नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के सहाबा की अन्य सभी लोगों पर श्रेष्ठता का वर्णन।

وَّعَلَی الثَّلٰثَةِ الَّذِیْنَ خُلِّفُوْا ؕ— حَتّٰۤی اِذَا ضَاقَتْ عَلَیْهِمُ الْاَرْضُ بِمَا رَحُبَتْ وَضَاقَتْ عَلَیْهِمْ اَنْفُسُهُمْ وَظَنُّوْۤا اَنْ لَّا مَلْجَاَ مِنَ اللّٰهِ اِلَّاۤ اِلَیْهِ ؕ— ثُمَّ تَابَ عَلَیْهِمْ لِیَتُوْبُوْا ؕ— اِنَّ اللّٰهَ هُوَ التَّوَّابُ الرَّحِیْمُ ۟۠
अल्लाह ने उन तीनों व्यक्तियों अर्थात् कअब बिन मालिक, मुरारा बिन रबी' और हिलाल बिन उमय्यह को भी क्षमा कर दिया, जिनके अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ तबूक की ओर निकलने से पीछे रह जाने के बाद उनकी तौबा के क़बूल होने का मामला स्थगित कर दिया गया था। चुनाँचे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने लोगों को इन तीनों से अलग-थलग रहने का आदेश दे दिया, जिसपर उन्हें दु:ख और शोक ने घेर लिया, यहाँ तक कि धरती अपने विस्तार के बावजूद उनपर तंग हो गई और उन्हें जिस अकेलेपन का सामना हुआ उसके कारण उनके दिल संकुचित हो गए और उन्होंने जान लिया कि एकमात्र अल्लाह के सिवा उनके लिए कोई शरण लेने का स्थान नहीं है। इसलिए अल्लाह ने उनपर दया करते हुए उन्हें तौबा की तौफ़ीक़ दी, फिर उनकी तौबा क़बूल फरमाई। निःसंदेह वह अपने बंदों की तौबा क़बूल करने वाला, उनपर दया करने वाला है।
Faccirooji aarabeeji:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوا اتَّقُوا اللّٰهَ وَكُوْنُوْا مَعَ الصّٰدِقِیْنَ ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने, उसके रसूल का अनुसरण करने और उसकी शरीयत पर अमल करने वालो! अल्लाह के आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर अल्लाह से डरो तथा उन लोगों के साथ रहो, जो अपने ईमान तथा अपने वचन और कर्म में सच्चे हैं। क्योंकि तुम्हारे लिए मोक्ष केवल सच्चाई में है।
Faccirooji aarabeeji:
مَا كَانَ لِاَهْلِ الْمَدِیْنَةِ وَمَنْ حَوْلَهُمْ مِّنَ الْاَعْرَابِ اَنْ یَّتَخَلَّفُوْا عَنْ رَّسُوْلِ اللّٰهِ وَلَا یَرْغَبُوْا بِاَنْفُسِهِمْ عَنْ نَّفْسِهٖ ؕ— ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ لَا یُصِیْبُهُمْ ظَمَاٌ وَّلَا نَصَبٌ وَّلَا مَخْمَصَةٌ فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ وَلَا یَطَـُٔوْنَ مَوْطِئًا یَّغِیْظُ الْكُفَّارَ وَلَا یَنَالُوْنَ مِنْ عَدُوٍّ نَّیْلًا اِلَّا كُتِبَ لَهُمْ بِهٖ عَمَلٌ صَالِحٌ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَا یُضِیْعُ اَجْرَ الْمُحْسِنِیْنَ ۟ۙ
मदीना वालों तथा उनके आस-पास के देहात के वासियों के लिए उचित नहीं है कि जब अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम स्वयं जिहाद के लिए निकलें, तो वे आपसे पीछे रह जाएँ। उनके लिए यह भी उचित नहीं है कि वे अपने प्राणों के मामले में कंजूसी करें और नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के प्राण की उपेक्षा कर अपने प्राणों की रक्षा करें। बल्कि उनके लिए अनिवार्य है कि आपके प्राण की रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर दें; क्योंकि उन्हें अल्लाह के मार्ग में जो भी प्यास, थकान या भूख पहुँचती है, तथा वे जिस स्थान पर भी उतरते हैं, जहाँ उनकी उपस्थिति काफ़िरों के क्रोध को भड़काती है, और वे किसी दुश्मन को क़त्ल, या क़ैद या पराजय से पीड़ित करते, या ग़नीमत का धन प्राप्त करते हैं - तो उसके बदले में अल्लाह उनके लिए एक सत्कर्म का सवाब लिख देता है जिसे वह उनसे स्वीकार करता है। निःसंदेह अल्लाह सत्कर्मियों के प्रतिफल को नष्ट नहीं करता, बल्कि उन्हें उसका पूर्ण बदला देता है और उससे भी बढ़ाकर देता है।
Faccirooji aarabeeji:
وَلَا یُنْفِقُوْنَ نَفَقَةً صَغِیْرَةً وَّلَا كَبِیْرَةً وَّلَا یَقْطَعُوْنَ وَادِیًا اِلَّا كُتِبَ لَهُمْ لِیَجْزِیَهُمُ اللّٰهُ اَحْسَنَ مَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟
और वे जो भी थोड़ा या अधिक धन खर्च करते हैं और जो भी घाटी पार करते हैं, तो उनके उस खर्च करने और यात्रा को लिख लिया जाता है, ताकि अल्लाह उन्हें पुरस्कृत करे। चुनाँचे वह उन्हें आख़िरत में उनके सर्वोत्तम कार्यों का बदला प्रदान करेगा।
Faccirooji aarabeeji:
وَمَا كَانَ الْمُؤْمِنُوْنَ لِیَنْفِرُوْا كَآفَّةً ؕ— فَلَوْلَا نَفَرَ مِنْ كُلِّ فِرْقَةٍ مِّنْهُمْ طَآىِٕفَةٌ لِّیَتَفَقَّهُوْا فِی الدِّیْنِ وَلِیُنْذِرُوْا قَوْمَهُمْ اِذَا رَجَعُوْۤا اِلَیْهِمْ لَعَلَّهُمْ یَحْذَرُوْنَ ۟۠
मोमिनों के लिए उचित नहीं है कि वे सब के सब लड़ाई के लिए निकल खड़े हों, ताकि ऐसा न हो कि यदि उनका दुश्मन उनपर गालिब आ जाए तो उनका सफ़ाया कर दिया जाए। इसलिए ऐसा क्यों नहीं किया गया कि उनका एक समूह जिहाद के लिए निकलता और एक समूह अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ रहता। ताकि वे आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से क़ुरआन और शरीयत के अहकाम सुनकर धर्म की समझ हासिल करते और अपनी जाति के लोगों को सचेत करते जब वे जो कुछ उन्होंने सीखा था उसे लेकर उनके पास लौटते; इस आशा में कि वे अल्लाह की यातना और उसके दंड से सावधान हो जाएँ तथा उसके आदेशों का पालन करने लगें और उसके निषेधों से बचने लगें। यह आयत उन सैन्यदलों के बारे में है, जिन्हें अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम आस-पास के क्षेत्रों में भेजते थे और उनके लिए अपने सहाबा के एक समूह का चयन करते थे।
Faccirooji aarabeeji:
Ina jeyaa e nafoore aayeeje ɗee e ngol hello:
• وجوب تقوى الله والصدق وأنهما سبب للنجاة من الهلاك.
• अल्लाह का तक़्वा (परहेज़गारी) और सच्चाई दोनों आवश्यक हैं तथा वे विनाश से बचने का एक कारण हैं।

• عظم فضل النفقة في سبيل الله.
• अल्लाह के मार्ग में खर्च करने की महान श्रेष्ठता।

• وجوب التفقُّه في الدين مثله مثل الجهاد، وأنه لا قيام للدين إلا بهما معًا.
• अल्लाह के धर्म की समझ हासिल करने की आवश्यकता जिहाद के समान है, और यह कि दोनों के बिना धर्म की स्थापना नहीं हो सकती।

یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا قَاتِلُوا الَّذِیْنَ یَلُوْنَكُمْ مِّنَ الْكُفَّارِ وَلْیَجِدُوْا فِیْكُمْ غِلْظَةً ؕ— وَاعْلَمُوْۤا اَنَّ اللّٰهَ مَعَ الْمُتَّقِیْنَ ۟
अल्लाह ने ईमान वालों को उन काफ़िरों से लड़ने का आदेश दिया है, जो उनके आस-पास रहते हैं; क्योंकि वे अपनी निकटता के कारण मोमिनों के लिए खतरे का कारण बनते हैं। इसी तरह उन्हें भयभीत करने और उनकी बुराई को दूर करने के लिए मुसलमानों को शक्ति और कठोरता दिखाने का भी आदेश दिया है। तथा सर्वशक्तिमान अल्लाह अपनी सहायता और समर्थन के साथ परहेज़गार मोमिनों के संग है।
Faccirooji aarabeeji:
وَاِذَا مَاۤ اُنْزِلَتْ سُوْرَةٌ فَمِنْهُمْ مَّنْ یَّقُوْلُ اَیُّكُمْ زَادَتْهُ هٰذِهٖۤ اِیْمَانًا ۚ— فَاَمَّا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا فَزَادَتْهُمْ اِیْمَانًا وَّهُمْ یَسْتَبْشِرُوْنَ ۟
जब अल्लाह अपने रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर कोई सूरत अवतरित करता है, तो मुनाफ़िक़ों में से कुछ लोग उपहास करते हुऐ पूछते हैं : इस अवतिरत होने वाली सूरत ने मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के दुवारा लाई गई शरीयत पर किसके विश्वास को बढ़ायाॽ चुनाँचे जो लोग अल्लाह पर ईमान लाए और उसके रसूल को सच्चा माना, तो इस सूरत के अवतरण ने उनके पूर्व विश्वास में और वृद्धि कर दी, तथा वे उस अवतरित वह़्य (प्रकाशना) से प्रसन्न हैं; क्योंकि उसमें उनके दुनिया और आख़िरत के लाभ निहित हैं।
Faccirooji aarabeeji:
وَاَمَّا الَّذِیْنَ فِیْ قُلُوْبِهِمْ مَّرَضٌ فَزَادَتْهُمْ رِجْسًا اِلٰی رِجْسِهِمْ وَمَاتُوْا وَهُمْ كٰفِرُوْنَ ۟
जहाँ तक मुनाफ़िक़ों का संबंध है, तो अहकाम और कहानियों पर आधारित इस क़ुरआन का अवतरण उनके रोग और गंदगी को और बढ़ा देता है, क्योंकि वे उस उतरने वाली वह़्य को झुठलाते हैं। अतः क़ुरआन के अवतरण में वृद्धि के साथ उनके दिल की बीमारी बढ़ जाती है; क्योंकि जब भी कोई वह़्य उतरती थी, वे उसके बारे में संदेह करते थे और वे कुफ़्र ही की अवस्था में मर गए।
Faccirooji aarabeeji:
اَوَلَا یَرَوْنَ اَنَّهُمْ یُفْتَنُوْنَ فِیْ كُلِّ عَامٍ مَّرَّةً اَوْ مَرَّتَیْنِ ثُمَّ لَا یَتُوْبُوْنَ وَلَا هُمْ یَذَّكَّرُوْنَ ۟
क्या ये मुनाफ़िक़ लोग सीख ग्रहण करते हुए नहीं देखते कि अल्लाह हर साल एक या दो बार उनकी हालत को प्रकट करके और उनके निफ़ाक़ का पर्दाफ़ाश करके उनकी परीक्षा लेता है?! फिर यह जानने के बावजूद कि अल्लाह ही उनके साथ ऐसा करता है, वे उसके समक्ष अपने कुफ़्र (अविश्वास) से तौबा नहीं करते हैं और अपने निफ़ाक़ को नहीं छोड़ते हैं और न ही उससे उपदेश ग्रहण करते हैं, जो उनके साथ घटित हुआ है और यह कि वह अल्लाह की ओर से है!
Faccirooji aarabeeji:
وَاِذَا مَاۤ اُنْزِلَتْ سُوْرَةٌ نَّظَرَ بَعْضُهُمْ اِلٰی بَعْضٍ ؕ— هَلْ یَرٰىكُمْ مِّنْ اَحَدٍ ثُمَّ انْصَرَفُوْا ؕ— صَرَفَ اللّٰهُ قُلُوْبَهُمْ بِاَنَّهُمْ قَوْمٌ لَّا یَفْقَهُوْنَ ۟
और जब अल्लाह अपने रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर कोई सूरत उतारता है, जिसमें मुनाफ़िक़ों की स्थितियों का ज़िक्र होता है, तो कुछ मुनाफ़िक़ यह कहते हुए एक-दूसरे को देखते हैं : क्या तुम्हें कोई देख रहा है? यदि कोई उन्हें न देख रहा हो, तो मजलिस से चले जाते हैं। सुन लो! अल्लाह ने उनके दिलों को मार्गदर्शन और भलाई से फेर दिया है और उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया है, क्योंकि वे ऐसे लोग हैं जो नहीं समझते।
Faccirooji aarabeeji:
لَقَدْ جَآءَكُمْ رَسُوْلٌ مِّنْ اَنْفُسِكُمْ عَزِیْزٌ عَلَیْهِ مَا عَنِتُّمْ حَرِیْصٌ عَلَیْكُمْ بِالْمُؤْمِنِیْنَ رَءُوْفٌ رَّحِیْمٌ ۟
निःसंदेह तुम्हारे पास (ऐ अरब के लोगो!) तुम्हारे ही वर्ग से एक रसूल आया है, वह तुम्हारी ही तरह एक अरबी है। उसके लिए वह बहुत कष्टदायक है, जिससे तुम्हें कष्ट पहुँचे। वह तुम्हारे मार्गदर्शन का बहुत इच्छुक और तुम्हारा बहुत ध्यान रखने वाला है तथा वह विशेष रूप से ईमान वालों के प्रति बहुत करुणा और दया वाला है।
Faccirooji aarabeeji:
فَاِنْ تَوَلَّوْا فَقُلْ حَسْبِیَ اللّٰهُ ۖؗ— لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ؕ— عَلَیْهِ تَوَكَّلْتُ وَهُوَ رَبُّ الْعَرْشِ الْعَظِیْمِ ۟۠
फिर अगर वे आपसे मुँह मोड़ें और उसपर ईमान न लाएँ, जो आप लेकर आए हैं, तो (ऐ रसूल!) आप उनसे कह दें : मेरे लिए अल्लाह ही काफ़ी है, जिसके सिवा कोई सच्चा पूज्य नहीं। मैंने उसी अकेले (अल्लाह) पर भरोसा किया और वही महिमावान महान सिंहासन (अर्श) का मालिक है।
Faccirooji aarabeeji:
Ina jeyaa e nafoore aayeeje ɗee e ngol hello:
• وجوب ابتداء القتال بالأقرب من الكفار إذا اتسعت رقعة الإسلام، ودعت إليه حاجة.
• जब इस्लाम के क्षेत्र का विस्तार हो जाए और आवश्यकता पड़े, तो युद्ध की शुरूआत काफ़िरों में से सबसे निकट लोगों के साथ करना अनिवार्य है।

• بيان حال المنافقين حين نزول القرآن عليهم وهي الترقُّب والاضطراب.
• क़ुरआन के अवतरण के समय मुनाफ़िक़ों की प्रत्याशा और बेचैनी का वर्णन।

• بيان رحمة النبي صلى الله عليه وسلم بالمؤمنين وحرصه عليهم.
• नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की ईमान वालों के प्रति दयालुता और उनके कल्याण के लिए आपकी चिंता का वर्णन।

• في الآيات دليل على أن الإيمان يزيد وينقص، وأنه ينبغي للمؤمن أن يتفقد إيمانه ويتعاهده فيجدده وينميه؛ ليكون دائمًا في صعود.
• उक्त आयतों में इस बात का प्रमाण है कि ईमान बढ़ता और घटता है, और यह कि मोमिन को चाहिए कि वह अपने ईमान की जाँच और उसकी देखभाल करता रहे। तथा वह उसका नवीनीकरण करता रहे और उसे बढ़ाता रहे; ताकि वह हमेशा बढ़ता ही रहे।

 
Firo maanaaji Simoore: Simoo tuubabuya
Tippudi cimooje Tonngoode hello ngoo
 
Firo maanaaji al-quraan tedduɗo oo - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - Tippudi firooji ɗii

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

Uddude