Firo maanaaji al-quraan tedduɗo oo - Firo enndiiwo * - Tippudi firooji ɗii

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Firo maanaaji Aaya: (13) Simoore: Simoore maa'ida
فَبِمَا نَقْضِهِمْ مِّیْثَاقَهُمْ لَعَنّٰهُمْ وَجَعَلْنَا قُلُوْبَهُمْ قٰسِیَةً ۚ— یُحَرِّفُوْنَ الْكَلِمَ عَنْ مَّوَاضِعِهٖ ۙ— وَنَسُوْا حَظًّا مِّمَّا ذُكِّرُوْا بِهٖ ۚ— وَلَا تَزَالُ تَطَّلِعُ عَلٰی خَآىِٕنَةٍ مِّنْهُمْ اِلَّا قَلِیْلًا مِّنْهُمْ فَاعْفُ عَنْهُمْ وَاصْفَحْ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ یُحِبُّ الْمُحْسِنِیْنَ ۟
तो उनके अपने वचन को भंग करने ही के कारण, हमने उन्हें धिक्कार दिया और उनके दिलों को कठोर कर दिया कि वे शब्दों को उनके स्थानों से फेर देते[16] हैं। तथा वे उसमें से एक हिस्सा भूल गए जिसकी उन्हें नसीहत की गई थी। और आपको हमेशा उनके किसी न किसी विश्वासघात का पता चलता रहेगा, सिवाय उनके थोड़े-से लोगों के। अतः आप उन्हें क्षमा कर दें और उन्हें जाने दें। निःसंदेह अल्लाह उपकार करने वालों से प्रेम करता है।
16. सह़ीह़ ह़दीस में आया है कि कुछ यहूदी, रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास एक नर और नारी को लाए जिन्होंने व्यभिचार किया था। आपने कहा : तुम तौरात में क्या पाते हो? उन्होंने कहा : उनका अपमान करें और कोड़े मारें। अब्दुल्लाह बिन सलाम ने कहा : तुम झूठे हो, बल्कि उसमें (रज्म) करने का आदेश है। तौरात लाओ। वे तौरात लाए, तो एक ने रज्म की आयत पर हाथ रख दिया और आगे-पीछे पढ़ दिया। अब्दुल्लाह बिन सलाम ने कहा : हाथ उठाओ। उसने हाथ उठाया तो उसमें रज्म की आयत थी। (सह़ीह़ बुख़ारी : 3559, सह़ीह़ मुस्लिम : 1699)
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