Firo maanaaji al-quraan tedduɗo oo - Firo enndiiwo * - Tippudi firooji ɗii

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Firo maanaaji Aaya: (12) Simoore: Simoore neemoraaɗi
قُلْ لِّمَنْ مَّا فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— قُلْ لِّلّٰهِ ؕ— كَتَبَ عَلٰی نَفْسِهِ الرَّحْمَةَ ؕ— لَیَجْمَعَنَّكُمْ اِلٰی یَوْمِ الْقِیٰمَةِ لَا رَیْبَ فِیْهِ ؕ— اَلَّذِیْنَ خَسِرُوْۤا اَنْفُسَهُمْ فَهُمْ لَا یُؤْمِنُوْنَ ۟
(ऐ नबी!) (उनसे) पूछिए कि जो कुछ आकाशों तथा धरती में है, वह किसका है? कह दें : अल्लाह का है! उसने अपने ऊपर दया करना लिख दिया है। निश्चय वह तुम्हें क़ियामत के दिन की ओर (ले जाकर) अवश्य एकत्र[14] करेगा, जिसमें कोई संदेह नहीं। जिन लोगों ने अपने-आपको क्षति में डाला, वही ईमान नहीं लाते।
13. अर्थात पूरे ब्रह्मांड की व्यवस्था उसकी दया का प्रमाण है। तथा अपनी दया के कारण ही दुनिया में दंड नहीं दे रहा है। ह़दीस में है कि जब अल्लाह ने उत्पत्ति कर ली, तो एक लेख लिखा, जो उसके पास उसके अर्श (सिंहासन) के ऊपर है : "निश्चय मेरी दया मेरे क्रोध से बढ़ कर है।" (सह़ीह़ बुख़ारी : 3194, मुस्लिम : 2751) दूसरी ह़दीस में है कि अल्लाह के पास सौ दया हैं। उसमें से एक को जिन्नों, इनसानों तथा पशुओं और कीड़ों-मकूड़ों के लिए उतारा है। जिससे वे आपस में प्रेम तथा दया करते हैं, तथा निन्नान्वे दया अपने पास रख ली है। जिनसे प्रलय के दिन अपने बंदों पर दया करेगा। (सह़ीह़ बुख़ारी : 6000, मुस्लिम : 2752) 14. अर्थात कर्मों का फल देने के लिए।
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Firo Maanaaji Al-quraan tedduɗ oo e ɗemngal enndo, firi ɗum ko Asiis Al-haq Al-umri

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