Firo maanaaji al-quraan tedduɗo oo - Firo enndiiwo * - Tippudi firooji ɗii

XML CSV Excel API
Please review the Terms and Policies

Firo maanaaji Aaya: (179) Simoore: Simoore al-araaf
وَلَقَدْ ذَرَاْنَا لِجَهَنَّمَ كَثِیْرًا مِّنَ الْجِنِّ وَالْاِنْسِ ۖؗ— لَهُمْ قُلُوْبٌ لَّا یَفْقَهُوْنَ بِهَا ؗ— وَلَهُمْ اَعْیُنٌ لَّا یُبْصِرُوْنَ بِهَا ؗ— وَلَهُمْ اٰذَانٌ لَّا یَسْمَعُوْنَ بِهَا ؕ— اُولٰٓىِٕكَ كَالْاَنْعَامِ بَلْ هُمْ اَضَلُّ ؕ— اُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْغٰفِلُوْنَ ۟
और निःसंदेह हमने बहुत-से जिन्न और इनसान जहन्नम ही के लिए पैदा किए हैं। उनके दिल हैं, जिनसे वे समझते नहीं, उनकी आँखें हैं, जिनसे वे देखते नहीं और उनके कान हैं, जिनसे वे सुनते नहीं। ये लोग पशुओं के समान हैं; बल्कि ये उनसे भी अधिक गुमराह हैं। यही लोग हैं जो ग़फ़लत में पड़े हुए हैं।[68]
68. आयत का भावार्थ यह है कि सत्य को प्राप्त करने के दो ही साधन है : ध्यान और ज्ञान। ध्यान यह है कि अल्लाह की दी हुई विचार शक्ति से काम लिया जाए। और ज्ञान यह है कि इस विश्व की व्यवस्था को देखा जाए और नबियों द्वारा प्रस्तुत किए हुए सत्य को सुना जाए, और जो इन दोनों से वंचित हो वह अंधा-बहरा है।
Faccirooji aarabeeji:
 
Firo maanaaji Aaya: (179) Simoore: Simoore al-araaf
Tippudi cimooje Tonngoode hello ngoo
 
Firo maanaaji al-quraan tedduɗo oo - Firo enndiiwo - Tippudi firooji ɗii

Firo Maanaaji Al-quraan tedduɗ oo e ɗemngal enndo, firi ɗum ko Asiis Al-haq Al-umri

Uddude