Traduction des sens du Noble Coran - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Lexique des traductions


Traduction des sens Verset: (16) Sourate: AL ‘IMRÂN
اَلَّذِیْنَ یَقُوْلُوْنَ رَبَّنَاۤ اِنَّنَاۤ اٰمَنَّا فَاغْفِرْ لَنَا ذُنُوْبَنَا وَقِنَا عَذَابَ النَّارِ ۟ۚ
ये जन्नत वाले ही हैं जो अपने पालनहार से दुआ करते हुए कहते हैं : ऐ हमारे पालनहार! हम तुझपर ईमान लाए और उसपर भी जो कुछ तूने अपने रसूलों पर उतारा है, तथा हमने तेरी शरीयत का पालन किया। अतः तू हमारे द्वारा किए गए पापों को क्षमा कर दे और हमें आग की यातना से बचा।
Les exégèses en arabe:
Parmi les bénéfices ( méditations ) des versets de cette page:
• من أعظم ما يُكفِّر الذنوب ويقي عذاب النار الإيمان بالله تعالى واتباع ما جاء به الرسول صلى الله عليه وسلم.
• पापों का प्रायश्चित करने और आग की यातना से बचाने वाली सबसे बड़ी चीज़ों में से एक अल्लाह पर ईमान और उसके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की लाई हुई शरीयत का अनुसरण है।

• أعظم شهادة وحقيقة هي ألوهية الله تعالى ولهذا شهد الله بها لنفسه، وشهد بها ملائكته، وشهد بها أولو العلم ممن خلق.
• सबसे बड़ी गवाही और सच्चाई अल्लाह की उलूहियत अर्थात् अल्लाह का एकमात्र इबादत के लायक़ होना है। इसीलिए अल्लाह ने स्वयं इसकी गवाही दी तथा उसके फरिश्तों ने इसकी गवाही दै। और उसकी सृष्टि में से ज्ञान वाले लोगों ने भी इसकी गवाही दी।

• البغي والحسد من أعظم أسباب النزاع والصرف عن الحق.
• अत्याचार और ईर्ष्या, विवाद एवं सत्य से मुँह फेरने के सबसे बड़े कारणों में से हैं।

 
Traduction des sens Verset: (16) Sourate: AL ‘IMRÂN
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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