Traduction des sens du Noble Coran - Traduction en Hindi * - Lexique des traductions

XML CSV Excel API
Please review the Terms and Policies

Traduction des sens Verset: (105) Sourate: AN-NISÂ’
اِنَّاۤ اَنْزَلْنَاۤ اِلَیْكَ الْكِتٰبَ بِالْحَقِّ لِتَحْكُمَ بَیْنَ النَّاسِ بِمَاۤ اَرٰىكَ اللّٰهُ ؕ— وَلَا تَكُنْ لِّلْخَآىِٕنِیْنَ خَصِیْمًا ۟ۙ
(ऐ नबी!) हमने आपकी ओर सत्य पर आधारित पुस्तक अवतरित की है, ताकि आप लोगों के बीच उसके अनुसार फ़ैसला करें, जो अल्लाह ने आपको दिखाया है और आप ख़यानत करने वालों के तरफ़दार न बनें।[70]
70. यहाँ से, अर्थात आयत 105 से 113 तक, के विषय में भाष्यकारों ने लिखा है कि एक व्यक्ति ने एक अन्सारी की कवच (ज़िरह) चुरा ली। और जब देखा कि उसका भेद खुल जाएगा, तो उसका आरोप एक यहूदी पर लगा दिया। और उसके क़बीले के लोग भी उसके पक्षधर हो गए। और नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास आए, और कहा कि आप इसे निर्दोष घोषित कर दें। और उनकी बातों के कारण समीप था कि आप उसे निर्दोष घोषित करके यहूदी को अपराधी बना देते कि आपको सावधान करने के लिए ये आयतें उतरीं। (इब्ने जरीर) इन आयतों का साधारण भावार्थ यह है कि मुसलमान न्यायधीश को चाहिए कि किसी पक्ष का इस लिए पक्ष न धरे कि वह मुसलमान है। और दूसरा मुसलमान नहीं है, बल्कि उसे हर ह़ाल में निष्पक्ष होकर न्याय करना चाहिए।
Les exégèses en arabe:
 
Traduction des sens Verset: (105) Sourate: AN-NISÂ’
Lexique des sourates Numéro de la page
 
Traduction des sens du Noble Coran - Traduction en Hindi - Lexique des traductions

ترجمة معاني القرآن الكريم إلى اللغة الهندية، ترجمها عزيز الحق العمري.

Fermeture