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કુરઆન મજીદના શબ્દોનું ભાષાંતર - હિન્દી ભાષામાં અલ્ મુખતસર ફી તફસીરિલ્ કુરઆનીલ્ કરીમ કિતાબનું અનુવાદ * - ભાષાંતરોની અનુક્રમણિકા


શબ્દોનું ભાષાંતર સૂરહ: હૂદ   આયત:
وَیٰقَوْمِ لَاۤ اَسْـَٔلُكُمْ عَلَیْهِ مَالًا ؕ— اِنْ اَجْرِیَ اِلَّا عَلَی اللّٰهِ وَمَاۤ اَنَا بِطَارِدِ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا ؕ— اِنَّهُمْ مُّلٰقُوْا رَبِّهِمْ وَلٰكِنِّیْۤ اَرٰىكُمْ قَوْمًا تَجْهَلُوْنَ ۟
ऐ मेरी जाति के लोगो! इस संदेश को पहुँचाने पर मैं तुमसे कोई धन नहीं चाहता, मेरा बदला तो केवल अल्लाह पर है। और मैं अपनी बैठक से ग़रीब मोमिनों को दूर नहीं कर सकता, जिन्हें निष्कासित करने की तुम माँग कर रहे हो। वे क़ियामत के दिन अपने पालनहार से मिलने वाले हैं और वह उन्हें उनके ईमान का बदला देने वाला है। लेकिन मैं देख रहा हूँ कि तुम इस दावत (इसलाम के संदेश) की वास्तविकता से अनभिज्ञ हो, तभी तो कमज़ोर मोमिनों को निष्कासित करने की माँग करते हो।
અરબી તફસીરો:
وَیٰقَوْمِ مَنْ یَّنْصُرُنِیْ مِنَ اللّٰهِ اِنْ طَرَدْتُّهُمْ ؕ— اَفَلَا تَذَكَّرُوْنَ ۟
ऐ मेरी जाति के लोगो! यदि मैं इन मोमिनों को किसी दोष के बिना नाहक़ निष्कासित कर दूँ, तो मुझसे अल्लाह की सज़ा को कौन हटाएगा? क्या तुम शिक्षा ग्रहण नहीं करते और वह कार्य करने का प्रयास नहीं करते, जो तुम्हारे लिए सबसे अच्छा और सबसे लाभदायक हो?
અરબી તફસીરો:
وَلَاۤ اَقُوْلُ لَكُمْ عِنْدِیْ خَزَآىِٕنُ اللّٰهِ وَلَاۤ اَعْلَمُ الْغَیْبَ وَلَاۤ اَقُوْلُ اِنِّیْ مَلَكٌ وَّلَاۤ اَقُوْلُ لِلَّذِیْنَ تَزْدَرِیْۤ اَعْیُنُكُمْ لَنْ یُّؤْتِیَهُمُ اللّٰهُ خَیْرًا ؕ— اَللّٰهُ اَعْلَمُ بِمَا فِیْۤ اَنْفُسِهِمْ ۖۚ— اِنِّیْۤ اِذًا لَّمِنَ الظّٰلِمِیْنَ ۟
ऐ मेरी जाति के लोगो! मैं तुमसे यह नहीं कहता कि मेरे पास अल्लाह के ख़ज़ाने हैं, जिनमें उसकी आजीविका है और यदि तुम ईमान ग्रहण कर लिए, तो मैं उसे तुमपर खर्च करूंगा। तथा मैं तुमसे यह नहीं कहता हूँ कि मेरे पास ग़ैब (परोक्ष) का ज्ञान है और न मैं तुमसे यह कहता हूँ कि मैं फ़रिश्तों में से हूँ, बल्कि मैं भी तुम्हारी तरह एक इनसान हूँ। तथा मैं उन ग़रीबों के विषय में, जिन्हें तुम्हारी आँखें तुच्छ और हीन समझती हैं, यह नहीं कहता कि अल्लाह उन्हें हरगिज़ तौफीक और मार्गदर्शन नहीं प्रदान करेगा। अल्लाह उनके इरादों और स्थितियों को अधिक जानता है। यदि मैं ऐसा दावा करूँ, तो मैं उन अत्याचारियों में से हो जाऊँगा, जो अल्लाह की यातना के हक़दार हैं।
અરબી તફસીરો:
قَالُوْا یٰنُوْحُ قَدْ جَادَلْتَنَا فَاَكْثَرْتَ جِدَالَنَا فَاْتِنَا بِمَا تَعِدُنَاۤ اِنْ كُنْتَ مِنَ الصّٰدِقِیْنَ ۟
उन लोगों ने हठपूर्वक और घमंड करते हुए कहा : ऐ नूह! तुमने हमसे झगड़ा किया और बहस की और हमारा झगड़ा और बहस बहुत हो चुकी। अब ऐसा करो कि जिस यातना का हमसे वादा करते हो, उसे हम पर ले ही आओ, यदि तुम अपने दावे में सच्चे हो।
અરબી તફસીરો:
قَالَ اِنَّمَا یَاْتِیْكُمْ بِهِ اللّٰهُ اِنْ شَآءَ وَمَاۤ اَنْتُمْ بِمُعْجِزِیْنَ ۟
नूह अलैहिस्सलाम ने उनसे कहा : मैं अज़ाब लेकर नहीं आऊँगा। उसे तो तुम्हारे पास अल्लाह ही लाएगा, यदि वह चाहेगा। और यदि अल्लाह तुम्हें सज़ा देना चाहे, तो तुम उसके अज़ाब से बच नहीं सकते।
અરબી તફસીરો:
وَلَا یَنْفَعُكُمْ نُصْحِیْۤ اِنْ اَرَدْتُّ اَنْ اَنْصَحَ لَكُمْ اِنْ كَانَ اللّٰهُ یُرِیْدُ اَنْ یُّغْوِیَكُمْ ؕ— هُوَ رَبُّكُمْ ۫— وَاِلَیْهِ تُرْجَعُوْنَ ۟ؕ
और मेरा तुम्हें नसीहत और उपदेश करना तुम्हें कोई लाभ नहीं देगा, यदि अल्लाह तुम्हें सीधे मार्ग से भटकाना चाहता हो और तुम्हारे हठ के कारण तुम्हें मार्गदर्शन से वंचित कर दे। वह तुम्हारा पालनहार है। अतः वही तुम्हारे मामले का मालिक है और यदि वह चाहे तो तुम्हें कुपथ कर दे। क़ियामत के दिन तुम अकेले उसी की ओर लौटकर जाओगे। फिर वह तुम्हें तुम्हारे कार्यों का बदला देगा।
અરબી તફસીરો:
اَمْ یَقُوْلُوْنَ افْتَرٰىهُ ؕ— قُلْ اِنِ افْتَرَیْتُهٗ فَعَلَیَّ اِجْرَامِیْ وَاَنَا بَرِیْٓءٌ مِّمَّا تُجْرِمُوْنَ ۟۠
नूह की जाति के लोगों के कुफ़्र का कारण यह है कि वे दावा करते हैं कि यह धर्म, जिसे नूह़ अलैहिस्लाम लेकर आए हैं, उसे उन्होंने अल्लाह पर गढ़ लिया है। आप (ऐ रसूल) उनसे कह दीजिए : यदि मैंने इसे गढ़ लिया है, तो मेरे गुनाह की सज़ा केवल मेरे ऊपर होगी। और मैं तुम्हारे झुठलाने के गुनाह में से कुछ भी नहीं उठाऊँगा। क्योंकि मैं उससे निर्दोष हूँ।
અરબી તફસીરો:
وَاُوْحِیَ اِلٰی نُوْحٍ اَنَّهٗ لَنْ یُّؤْمِنَ مِنْ قَوْمِكَ اِلَّا مَنْ قَدْ اٰمَنَ فَلَا تَبْتَىِٕسْ بِمَا كَانُوْا یَفْعَلُوْنَ ۟ۚ
और अल्लाह ने नूह़ की ओर वह़्य की : (ऐ नूह!) तुम्हारी जाति में से जो लोग पहले ईमान ला चुके हैं, अब उनके सिवा और कोई ईमान नहीं लाएगा। अतः (ऐ नूह) तुम इस लंबी अवधि के दौरान उनके झुठलाने और मज़ाक उड़ाने के कारण दु:खी न हो।
અરબી તફસીરો:
وَاصْنَعِ الْفُلْكَ بِاَعْیُنِنَا وَوَحْیِنَا وَلَا تُخَاطِبْنِیْ فِی الَّذِیْنَ ظَلَمُوْا ۚ— اِنَّهُمْ مُّغْرَقُوْنَ ۟
और तुम हमारी आँखों के सामने, हमारे संरक्षण में और नाव बनाने की विधि से संबंधित हमारी वह़्य का पालन करते हुए, एक नाव बनाओ। और तुम मुझसे कुफ्र करके अपने ऊपर अत्याचार करने वालों को मोहलत देने की बात मत करना। वे - अनिवार्य रूप से - बाढ़ के द्वारा डुबाए जाने वाले हैं। यह उनके कुफ्र पर अड़े रहने की सज़ा है।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• عفة الداعية إلى الله وأنه يرجو منه الثواب وحده.
• अल्लाह की ओर बुलाने वाले का आत्म संयम व सदाचार और यह कि वह केवल अल्लाह से बदले की उम्मीद रखता है।

• حرمة طرد فقراء المؤمنين، ووجوب إكرامهم واحترامهم.
• ग़रीब मोमिनों को धुतकारना हराम है तथा उनका आदर-सम्मान ज़रूरी है।

• استئثار الله تعالى وحده بعلم الغيب.
• ग़ैब (परोक्ष) का ज्ञान अकेले अल्लाह सर्वशक्तिमान का एकाधिकार है।

• مشروعية جدال الكفار ومناظرتهم.
• काफिरों से तर्क-वितर्क और बहस करना वैध है।

 
શબ્દોનું ભાષાંતર સૂરહ: હૂદ
સૂરહ માટે અનુક્રમણિકા પેજ નંબર
 
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તફસીર લિદ્ દિરાસતીલ્ કુરઆનિયહ કેન્દ્ર દ્વારા પ્રકાશિત.

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