કુરઆન મજીદના શબ્દોનું ભાષાંતર - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - ભાષાંતરોની અનુક્રમણિકા


શબ્દોનું ભાષાંતર સૂરહ: અલ્ હજ્   આયત:

सूरा अल्-ह़ज्ज

સૂરતના હેતુઓ માંથી:
تعظيم الله سبحانه وتعالى وشعائره والتسليم لأمره.
सर्वशक्तिमान अल्लाह और उसके अनुष्ठानों का महिमामंडन और उसकी आज्ञा के प्रति समर्पण।

یٰۤاَیُّهَا النَّاسُ اتَّقُوْا رَبَّكُمْ ۚ— اِنَّ زَلْزَلَةَ السَّاعَةِ شَیْءٌ عَظِیْمٌ ۟
ऐ लोगो! अल्लाह से डरो, उसके आदेशों का पालन करके और उसकी मना की हुई बातों से बचकर। निश्चय क़ियामत के साथ जो भूकंप आदि भयानक वस्तुएँ आएँगी, उनका मामला बड़ा सख़्त है। जिसके लिए, अल्लाह को खुश करने वाले कार्य करके, तैयारी करनी चाहिए।
અરબી તફસીરો:
یَوْمَ تَرَوْنَهَا تَذْهَلُ كُلُّ مُرْضِعَةٍ عَمَّاۤ اَرْضَعَتْ وَتَضَعُ كُلُّ ذَاتِ حَمْلٍ حَمْلَهَا وَتَرَی النَّاسَ سُكٰرٰی وَمَا هُمْ بِسُكٰرٰی وَلٰكِنَّ عَذَابَ اللّٰهِ شَدِیْدٌ ۟
जिस दिन तुम उसे देखोगे (उस दिन यह हाल होगा कि) हर दूध पिलाने वाली अपने दूध पीते बच्चे से गाफ़िल हो जाएगी और हर गर्भवती भय की गंभीरता से अपना गर्भ गिरा देगी और तू लोगों को उस दिन की भयावहता की तीव्रता से नशे में धुत व्यक्ति की तरह देखेगा, हालाँकि वे शराब के नशे में धुत नहीं होंगे, बल्कि अल्लाह की यातना बड़ी सख़्त है। वह उनके होश उड़ा देगी।
અરબી તફસીરો:
وَمِنَ النَّاسِ مَنْ یُّجَادِلُ فِی اللّٰهِ بِغَیْرِ عِلْمٍ وَّیَتَّبِعُ كُلَّ شَیْطٰنٍ مَّرِیْدٍ ۟ۙ
और लोगों में से कोई ऐसा भी है, जो बिना ज्ञान के आधार के मृतकों को जीवित करने की अल्लाह की शक्ति के बारे में बहस करता है, और वह अपने विश्वास और कथन में शैतानों में से और गुमराही के इमामों में से, अपने पालनहार से सरकशी करने वाले के पीछे चलता है।
અરબી તફસીરો:
كُتِبَ عَلَیْهِ اَنَّهٗ مَنْ تَوَلَّاهُ فَاَنَّهٗ یُضِلُّهٗ وَیَهْدِیْهِ اِلٰی عَذَابِ السَّعِیْرِ ۟
इनसान और जिन्न के शैतानों में से उस सरकश के बारे में लिख दिया गया है कि जो उसके पीछे चलेगा और उसे सच्चा जानेगा, तो वह उसे सत्य मार्ग से भटका देगा और कुफ़्र तथा गुनाह के रास्ते पर डालकर उसे जहन्नम की यातना की ओर ले जाएगा।
અરબી તફસીરો:
یٰۤاَیُّهَا النَّاسُ اِنْ كُنْتُمْ فِیْ رَیْبٍ مِّنَ الْبَعْثِ فَاِنَّا خَلَقْنٰكُمْ مِّنْ تُرَابٍ ثُمَّ مِنْ نُّطْفَةٍ ثُمَّ مِنْ عَلَقَةٍ ثُمَّ مِنْ مُّضْغَةٍ مُّخَلَّقَةٍ وَّغَیْرِ مُخَلَّقَةٍ لِّنُبَیِّنَ لَكُمْ ؕ— وَنُقِرُّ فِی الْاَرْحَامِ مَا نَشَآءُ اِلٰۤی اَجَلٍ مُّسَمًّی ثُمَّ نُخْرِجُكُمْ طِفْلًا ثُمَّ لِتَبْلُغُوْۤا اَشُدَّكُمْ ۚ— وَمِنْكُمْ مَّنْ یُّتَوَفّٰی وَمِنْكُمْ مَّنْ یُّرَدُّ اِلٰۤی اَرْذَلِ الْعُمُرِ لِكَیْلَا یَعْلَمَ مِنْ بَعْدِ عِلْمٍ شَیْـًٔا ؕ— وَتَرَی الْاَرْضَ هَامِدَةً فَاِذَاۤ اَنْزَلْنَا عَلَیْهَا الْمَآءَ اهْتَزَّتْ وَرَبَتْ وَاَنْۢبَتَتْ مِنْ كُلِّ زَوْجٍ بَهِیْجٍ ۟
ऐ लोगो! अगर तुम्हें, मौत के बाद दोबारा ज़िंदा करने की हमारी शक्ति में संदेह है, तो अपनी रचना पर ग़ौर करो, हमने तुम्हारे पिता आदम को मिट्टी से पैदा किया, फिर उनकी संतान को वीर्य से पैदा किया, जिसे पुरुष स्त्री के गर्भाशय में डालता है, फिर वह वीर्य खून का थक्का बन जाता है, फिर वह खून का थक्का माँस के एक छोटे-से टुकड़े में बदल जाता है, जो एक बार मुँह में डालकर चबाया जा सके, फिर वह माँस का टुकड़ा या तो पूर्ण रचना में परिवर्तित होकर गर्भाशय में मौजूद रहता है, यहाँ तक कि ज़िंदा शिशु के रूप में निकलता है, या अपूर्ण रचना में बदल जाता है जिसे गर्भाशय गिरा देता है, ताकि हम तुम्हें विभिन्न चरणों में पैदा करके अपनी शक्ति के दृश्य दिखाएँ, और हम जिस भ्रूण को चाहते हैं, गर्भाशय में ठहराए रखते हैं, यहाँ तक कि एक निर्धारित समय अर्थात नौ महीने में वह जन्म लेता है, फिर हम तुम्हें तुम्हारी माताओं के पेट से शिशुओं के रूप में निकालते हैं, फिर तुम्हें भरपूर शक्ति और बुद्धि प्रदान करते हैं, तथा तुममें से कुछ लोग इससे पहले मर जाते हैं, और तुममें से कुछ लोग तब तक जीवित रहते हैं जब तक वे जीर्ण आयु तक नहीं पहुँच जाते, जहाँ ताक़त कमज़ोर हो जाती है और दिमाग़ कमज़ोर हो जाता है, यहाँ तक कि बच्चे से भी बदतर हो जाते हैं, उसमें से कुछ भी नहीं जानते जो वे जानते थे। और (इसी तरह) तुम धरती को सूखी देखते हो, उसमें पेड़-पौधे नहीं होते, फिर हम उसमें बारिश का पानी उतारते हैं, तो उसमें पौधे उग आते हैं, वह अपने पौधे की वृद्धि के कारण ऊँची हो जाती है और हर तरह के सुंदर पौधे उगाती है।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• وجوب الاستعداد ليوم القيامة بزاد التقوى.
• तक़्वा के पाथेय के साथ क़ियामत के दिन के लिए तैयारी करने की अनिवार्यता।

• شدة أهوال القيامة حيث تنسى المرضعة طفلها وتسقط الحامل حملها وتذهب عقول الناس.
• क़ियामत की भयावहता की गंभीरता, जहाँ एक दूध पिलाने वाली औरत अपने बच्चे को भूल जाएगी, एक गर्भवती महिला अपना गर्भ गिरा देगी और लोगों की बुद्धियाँ चली जाएँगी।

• التدرج في الخلق سُنَّة إلهية.
• 'चरण–दर–चरण' पैदा करना एक ईश्वरीय नियम है।

• دلالة الخلق الأول على إمكان البعث.
• पहली बार पैदा करना, मरणोपरांत पुनर्जीवित कर उठाए जाने की संभावना को दर्शाता है।

• ظاهرة المطر وما يتبعها من إنبات الأرض دليل ملموس على بعث الأموات.
• आकाश से बारिश बरसना और उसके नतीजे में धरती का हरियाली युक्त हो जाना, मरे हुए लोगों को दोबारा ज़िंदा करने की स्पष्ट निशानी है।

ذٰلِكَ بِاَنَّ اللّٰهَ هُوَ الْحَقُّ وَاَنَّهٗ یُحْیِ الْمَوْتٰی وَاَنَّهٗ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌ ۟ۙ
यह सब जो हमने तुम्हारे लिए उल्लेख किया है (जैसे तुम्हारी रचना की शुरुआत और उसके चरण और उन लोगों की स्थितियाँ जो तुममें से पैदा होते हैं) इस उद्देश्य के लिए है कि तुम इस बात पर ईमान लाओ कि वह अल्लाह जिसने तुम्हें पैदा किया, वही सत्य है, जिसमें कोई संदेह नहीं है, जबकि तुम्हारी उन मूर्तियों का मामला इसके विपरीत है जिनकी तुम पूजा करते हो। और एक उद्देश्य यह भी है कि तुम यह विश्वास रखो कि अल्लाह ही मरे हुए लोगों को जीवित करेगा और यह कि वह हर चीज़ का सामर्थ्य रखता है, उसे कोई चीज़ विवश नहीं कर सकती।
અરબી તફસીરો:
وَّاَنَّ السَّاعَةَ اٰتِیَةٌ لَّا رَیْبَ فِیْهَا ۙ— وَاَنَّ اللّٰهَ یَبْعَثُ مَنْ فِی الْقُبُوْرِ ۟
और ताकि तुम इस बात का भी विश्वास रखो कि क़ियामत आने वाली है, उसके आने में कोई शक नहीं है, और यह कि अल्लाह मरे हुए लोगों को उनकी क़ब्रों से जीवित करके उठाएगा, ताकि उन्हें उनके कार्यों का बदला दे।
અરબી તફસીરો:
وَمِنَ النَّاسِ مَنْ یُّجَادِلُ فِی اللّٰهِ بِغَیْرِ عِلْمٍ وَّلَا هُدًی وَّلَا كِتٰبٍ مُّنِیْرٍ ۟ۙ
काफ़िरों में से कुछ लोग ऐसे हैं, जो अल्लाह की तौहीद के बारे में झगड़ते हैं, जबकि उनके पास सत्य तक पहुँचाने वाला कोई ज्ञान नहीं है, न वे किसी मार्गदर्शक का पालन करते हैं जो उन्हें सत्य का मार्गदर्शन करे, और न ही उनके पास अल्लाह की ओर से उतरी हुई कोई दीप्तिमान पुस्तक है, जो उन्हें मार्ग दिखाए।
અરબી તફસીરો:
ثَانِیَ عِطْفِهٖ لِیُضِلَّ عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ ؕ— لَهٗ فِی الدُّنْیَا خِزْیٌ وَّنُذِیْقُهٗ یَوْمَ الْقِیٰمَةِ عَذَابَ الْحَرِیْقِ ۟
वह घमंड से अपनी गरदन मोड़ने वाला है, ताकि लोगों को ईमान और इस्लाम ग्रहण करने से रोक दे। जिसकी विशेषता यह हो, उसके लिए दुनिया में अपमान है उसे मिलने वाले दंड के कारण, तथा आख़िरत में हम उसे जलाने वाली आग की यातना चखाएँगे।
અરબી તફસીરો:
ذٰلِكَ بِمَا قَدَّمَتْ یَدٰكَ وَاَنَّ اللّٰهَ لَیْسَ بِظَلَّامٍ لِّلْعَبِیْدِ ۟۠
और उससे कहा जाएगा : यह यातना जो तूने चखी है, तेरे कुफ्र एवं गुनाहों के कारण है, जो तूने कमाए हैं। और अल्लाह अपनी किसी मख़लूक़ को नाहक़ अज़ाब नहीं देता।
અરબી તફસીરો:
وَمِنَ النَّاسِ مَنْ یَّعْبُدُ اللّٰهَ عَلٰی حَرْفٍ ۚ— فَاِنْ اَصَابَهٗ خَیْرُ ١طْمَاَنَّ بِهٖ ۚ— وَاِنْ اَصَابَتْهُ فِتْنَةُ ١نْقَلَبَ عَلٰی وَجْهِهٖ ۫ۚ— خَسِرَ الدُّنْیَا وَالْاٰخِرَةَ ؕ— ذٰلِكَ هُوَ الْخُسْرَانُ الْمُبِیْنُ ۟
लोगों में से कोई व्यक्ति ढुलमुल-यक़ीन होता है, जो अल्लाह की इबादत संदेह के साथ करता है। अगर उसे स्वास्थ्य और धन जैसी कोई भलाई प्राप्त होती है, तो वह अपने ईमान और अल्लाह की इबादत पर बना रहता है। और अगर उसे बीमारी और ग़रीबी के रूप में कोई आज़माइश आती है, तो अपने धर्म के प्रति निराशावादी होकर उससे फिर जाता है। इस तरह वह अपनी दुनिया का घाटा करता है, क्योंकि उसके कुफ़्र के कारण उसे दुनिया की कोई ऐसी चीज़ हरगिज़ नहीं मिलेगी, जो उसके भाग्य में नहीं लिखी थी। तथा वह अपनी आख़िरत का भी घाटा करता है, क्योंकि वह अल्लाह की यातना का सामना करेगा। यही तो स्पष्ट घाटा है।
અરબી તફસીરો:
یَدْعُوْا مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ مَا لَا یَضُرُّهٗ وَمَا لَا یَنْفَعُهٗ ؕ— ذٰلِكَ هُوَ الضَّلٰلُ الْبَعِیْدُ ۟ۚ
वह अल्लाह को छोड़कर ऐसे बुतों की पूजा करता है, जो न अवज्ञा के कारण नुक़सान पहुँचाते हैं और न आज्ञापालन के नतीजे में लाभ पहुँचाते हैं। यह ऐसे बुतों को पुकारना, जो हानि या लाभ नहीं पहुँचाते, ऐसी गुमराही है, जो सत्य से बहुत दूर है।
અરબી તફસીરો:
یَدْعُوْا لَمَنْ ضَرُّهٗۤ اَقْرَبُ مِنْ نَّفْعِهٖ ؕ— لَبِئْسَ الْمَوْلٰی وَلَبِئْسَ الْعَشِیْرُ ۟
बुतों की पूजा करने वाला यह काफ़िर ऐसी चीज़ को पुकारता है, जिसका निश्चित नुक़सान, उसके लुप्त लाभ से अधिक निकट है। वह पूज्य बहुत बुरा है, जिसका नुक़सान उसके लाभ से अधिक निकट है। वह बुरा मददगार है उसके लिए जो उससे मदद माँगता है और बुरा साथी है उसके लिए जो उसका साथ पकड़ता है।
અરબી તફસીરો:
اِنَّ اللّٰهَ یُدْخِلُ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ جَنّٰتٍ تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ یَفْعَلُ مَا یُرِیْدُ ۟
निःसंदेह अल्लाह उन लोगों को जो ईमान लाए और अच्छे कार्य किए, ऐसे बाग़ों में दाख़िल करेगा, जिनके महलों के नीचे से नहरें बहती हैं। निःसंदेह अल्लाह जो चाहता है, करता है। जिसपर चाहता है, दया करता है, और जिसे चाहता है सज़ा देता है, उसे कोई मजबूर करने वाला नहीं है।
અરબી તફસીરો:
مَنْ كَانَ یَظُنُّ اَنْ لَّنْ یَّنْصُرَهُ اللّٰهُ فِی الدُّنْیَا وَالْاٰخِرَةِ فَلْیَمْدُدْ بِسَبَبٍ اِلَی السَّمَآءِ ثُمَّ لْیَقْطَعْ فَلْیَنْظُرْ هَلْ یُذْهِبَنَّ كَیْدُهٗ مَا یَغِیْظُ ۟
जो व्यक्ति यह सोचता है कि अल्लाह दुनिया और आख़िरत में अपने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की मदद नहीं करेगा, वह अपने घर की छत से एक रस्सी बाँध ले, फिर अपने शरीर को धरती से अलग करके उसके साथ अपना गला घोंट ले (और मर जाए), फिर देखे कि क्या इससे उसके दिल में पाया जाने वाला क्रोध समाप्त हो जाता है? अल्लाह हर हाल में अपने रसूल की मदद करने वाला है, आपका शत्रु चाहे या न चाहे।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• أسباب الهداية إما علم يوصل به إلى الحق، أو هادٍ يدلهم إليه، أو كتاب يوثق به يهديهم إليه.
• हिदायत के कारण : या तो सत्य तक पहुँचाने वाला ज्ञान है, या एक मार्गदर्शक है जो सत्य की ओर उनका मार्गदर्शन करता है, या सत्य की ओर मार्गदर्शन करने वाली कोई विश्वसनीय पुस्तक है।

• الكبر خُلُق يمنع من التوفيق للحق.
• घमंड एक ऐसी आदत है जो सत्य की तौफ़ीक़ से रोक देती है।

• من عدل الله أنه لا يعاقب إلا على ذنب.
• यह अल्लाह का न्याय है कि वह केवल पाप के लिए दंडित करता है।

• الله ناصرٌ نبيَّه ودينه ولو كره الكافرون.
• अल्लाह अपने नबी और अपने धर्म की मदद करने वाला है, भले ही काफ़िरों को बुरा लगे।

وَكَذٰلِكَ اَنْزَلْنٰهُ اٰیٰتٍۢ بَیِّنٰتٍ ۙ— وَّاَنَّ اللّٰهَ یَهْدِیْ مَنْ یُّرِیْدُ ۟
जिस तरह हमने तुम्हारे सामने मरने के बाद पुनर्जीवित करके उठाने के स्पष्ट प्रमाण प्रस्तुत किए हैं, उसी तरह हमने मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर क़ुरआन को खुली आयतों के रूप में उतारा है, और यह कि अल्लाह जिसे चाहता हे, अपने अनुग्रह से सीधे रास्ते पर लगा देता है।
અરબી તફસીરો:
اِنَّ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَالَّذِیْنَ هَادُوْا وَالصّٰبِـِٕیْنَ وَالنَّصٰرٰی وَالْمَجُوْسَ وَالَّذِیْنَ اَشْرَكُوْۤا ۖۗ— اِنَّ اللّٰهَ یَفْصِلُ بَیْنَهُمْ یَوْمَ الْقِیٰمَةِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ شَهِیْدٌ ۟
इस उम्मत के जो लोग अल्लाह पर ईमान लाए, तथा यहूदी, साबी (किसी नबी के अनुयायियों का एक समूह), ईसाई, अग्नि पूजक और मूर्तिपूजा करने वाले - अल्लाह क़ियामत के दिन इनके बीच फैसला कर देगा। चुनाँचे मोमिनों को जन्नत में दाखिल करेगा और उनके सिवा अन्य लोगों को जहन्नम में दाखिल करेगा। अल्लाह अपने बंदों के कथनों और कर्मों में से हर चीज़ से अवगत है। इनमें से कोई चीज़ उससे छिपी नहीं है और वह उन्हें इनका बदला देगा।
અરબી તફસીરો:
اَلَمْ تَرَ اَنَّ اللّٰهَ یَسْجُدُ لَهٗ مَنْ فِی السَّمٰوٰتِ وَمَنْ فِی الْاَرْضِ وَالشَّمْسُ وَالْقَمَرُ وَالنُّجُوْمُ وَالْجِبَالُ وَالشَّجَرُ وَالدَّوَآبُّ وَكَثِیْرٌ مِّنَ النَّاسِ ؕ— وَكَثِیْرٌ حَقَّ عَلَیْهِ الْعَذَابُ ؕ— وَمَنْ یُّهِنِ اللّٰهُ فَمَا لَهٗ مِنْ مُّكْرِمٍ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ یَفْعَلُ مَا یَشَآءُ ۟
(ऐ रसूल!) क्या आप नहीं जानते कि आसमान के सारे फ़रिश्ते, ज़मीन के सारे ईमान वाले जिन्न और इनसान अल्लाह को, उसकी आज्ञाकारिता के तौर पर सजदा करते हैं, तथा सूरज उसी को सजदा करता है, चाँद उसी को सजदा करता है, तथा आसमान के सितारे और धरती के पर्वत, पेड़ और सारे जानवर अधीनता के तौर पर उसी को सजदा करते हैं। तथा बहुत-से लोग भी आज्ञाकारिता के तौर पर उसी को सजदा करते हैं, जबकि बहुत-से लोग आज्ञाकारिता के तौर पर उसके सामने सजदा करने से उपेक्षा करते हैं। तो ऐसे लोगों पर उनके कुफ़्र के कारण अल्लाह की यातना साबित हो गई। और अल्लाह जिस व्यक्ति पर उसके कुफ़्र के कारण अपमान एवं तिरस्कार का फैसला कर दे, तो उसका सम्मान करने वाला कोई नहीं है। निःसंदेह अल्लाह जो चाहता है, करता है। उसे कोई मजबूर करने वाला नहीं है।
અરબી તફસીરો:
هٰذٰنِ خَصْمٰنِ اخْتَصَمُوْا فِیْ رَبِّهِمْ ؗ— فَالَّذِیْنَ كَفَرُوْا قُطِّعَتْ لَهُمْ ثِیَابٌ مِّنْ نَّارٍ ؕ— یُصَبُّ مِنْ فَوْقِ رُءُوْسِهِمُ الْحَمِیْمُ ۟ۚ
ये दो समूह हैं, जो अपने पालनहार के बारे में इस बात पर झगड़ने वाले हैं कि उनमें से कौन सत्य पर है : एक समूह ईमान वालों का और एक समूह काफ़िरों का है। काफ़िरों के समूह को आग उसी तरह घेर लेगी, जिस तरह वस्त्र, उसके पहनने वाले को घेर लेता है, और उनके सिरों पर अत्यंत गर्म पानी उंडेला जाएगा।
અરબી તફસીરો:
یُصْهَرُ بِهٖ مَا فِیْ بُطُوْنِهِمْ وَالْجُلُوْدُ ۟ؕ
उसकी गर्मी की तीव्रता के कारण उसके साथ उनके पेट के अंदर की अंतड़ियाँ पिघला दी जाएँगी और वह उनकी त्वचा तक पहुँचकर उन्हें भी पिघला देगा।
અરબી તફસીરો:
وَلَهُمْ مَّقَامِعُ مِنْ حَدِیْدٍ ۟
और उनके लिए जहन्नम में लोहे के हथौड़े हैं, जिनसे फ़रिश्ते उनके सिरों पर मारेंगे।
અરબી તફસીરો:
كُلَّمَاۤ اَرَادُوْۤا اَنْ یَّخْرُجُوْا مِنْهَا مِنْ غَمٍّ اُعِیْدُوْا فِیْهَا ۗ— وَذُوْقُوْا عَذَابَ الْحَرِیْقِ ۟۠
जब भी वे उसकी कठोर यातना से तंग आकर जहन्नम से बाहर निकलने की कोशिश करेंगे, उन्हें उसी में लौटा दिया जाएगा और उनसे कहा जाएगा : जलाने वाली आग का स्वाद चखो।
અરબી તફસીરો:
اِنَّ اللّٰهَ یُدْخِلُ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ جَنّٰتٍ تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ یُحَلَّوْنَ فِیْهَا مِنْ اَسَاوِرَ مِنْ ذَهَبٍ وَّلُؤْلُؤًا ؕ— وَلِبَاسُهُمْ فِیْهَا حَرِیْرٌ ۟
और ईमान वालों का समूह, अर्थात् वे लोग, जो अल्लाह पर ईमान लाए और अच्छे कार्य किए, अल्लाह उन्हें ऐसे बाग़ों में दाख़िल करेगा, जिनके महलों और पेड़ों के नीचे से नहरें बहती हैं। अल्लाह उन्हें सोने के कंगन के साथ सुशोभित करेगा और उन्हें मोतियों से अलंकृत करेगा, तथा वहाँ उनके कपड़े रेशम के होंगे।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• الهداية بيد الله يمنحها من يشاء من عباده.
• मार्गदर्शन अल्लाह के हाथ में है, जिसे वह अपने बंदों में से जिसे चाहता है, प्रदान करता है।

• رقابة الله على كل شيء من أعمال عباده وأحوالهم.
• अल्लाह अपने बंदों के कार्यों और उनकी स्थितियों में से हर चीज़ पर नज़र रखे हुए है।

• خضوع جميع المخلوقات لله قدرًا، وخضوع المؤمنين له طاعة.
• सभी सृष्टि अल्लाह की तक़दीर के अनुसार उसके अधीन हैं और ईमान वाले आज्ञाकारिता के तौर पर उसके अधीन हैं।

• العذاب نازل بأهل الكفر والعصيان، والرحمة ثابتة لأهل الإيمان والطاعة.
• काफ़िरों और अवज्ञाकारियों पर अज़ाब उतरता है, जबकि ईमान तथा आज्ञाकारिता वालों के लिए दया साबित है।

وَهُدُوْۤا اِلَی الطَّیِّبِ مِنَ الْقَوْلِ ۖۗۚ— وَهُدُوْۤا اِلٰی صِرَاطِ الْحَمِیْدِ ۟
तथा अल्लाह ने उन्हें इस सांसारिक जीवन में पवित्र बातों का मार्ग दिखाया, जैसे इस बात की गवाही देना कि अल्लाह के सिवा कोई पूज्य नहीं है, अल्लाह की बड़ाई बयान करना और उसकी प्रशंसा करना। तथा उन्हें इस्लाम के प्रशंसित मार्ग का मार्गदर्शन किया।
અરબી તફસીરો:
اِنَّ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا وَیَصُدُّوْنَ عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ وَالْمَسْجِدِ الْحَرَامِ الَّذِیْ جَعَلْنٰهُ لِلنَّاسِ سَوَآءَ ١لْعَاكِفُ فِیْهِ وَالْبَادِ ؕ— وَمَنْ یُّرِدْ فِیْهِ بِاِلْحَادٍ بِظُلْمٍ نُّذِقْهُ مِنْ عَذَابٍ اَلِیْمٍ ۟۠
निश्चय जिन लोगों ने अल्लाह के साथ कुफ़्र किया और दूसरे लोगों को इस्लाम ग्रहण करने से रोकते हैं, और लोगों को मस्जिदे हराम से रोकते हैं, जैसा कि मुश्रिकों ने हुदैबिया के वर्ष किया, तो हम उन्हें दर्दनाक यातना चखाएँगे। वह मस्जिद जिसे हमने लोगों के लिए उनकी नमाज़ में क़िबला, तथा हज्ज और उम्रा के अनुष्ठानों में से एक अनुष्ठान बनाया है, उसमें मक्के में रहने वाले उसके निवासी और मक्के के अलावा दूसरे स्थानों से आने वाले (ग़ैर मक्कावासी) सब बराबर हैं। और जो भी वहाँ जानबूझकर किसी गुनाह का कार्य करके सत्य से हटने का इरादा करेगा, हम उसे दर्दनाक यातना चखाएँगे।
અરબી તફસીરો:
وَاِذْ بَوَّاْنَا لِاِبْرٰهِیْمَ مَكَانَ الْبَیْتِ اَنْ لَّا تُشْرِكْ بِیْ شَیْـًٔا وَّطَهِّرْ بَیْتِیَ لِلطَّآىِٕفِیْنَ وَالْقَآىِٕمِیْنَ وَالرُّكَّعِ السُّجُوْدِ ۟
और (ऐ रसूल) उस समय को याद करें, जब हमने इबराहीम अलैहिस्सलाम को काबा का स्थान और उसकी सीमाएँ बता दीं, जबकि वह अज्ञात था। और हमने उनकी ओर वह़्य भेजी कि मेरी इबादत में किसी को साझी न बनाना, बल्कि केवल मेरी ही इबादत करना और मेरे घर को उसका तवाफ़ करने वालों और उसमें नमाज़ पढ़ने वालों के लिए नज़र आने वाली और नज़र न आने वाली (ज़ाहिरी व बातिनी) अशुद्धियों से पवित्र रखना।
અરબી તફસીરો:
وَاَذِّنْ فِی النَّاسِ بِالْحَجِّ یَاْتُوْكَ رِجَالًا وَّعَلٰی كُلِّ ضَامِرٍ یَّاْتِیْنَ مِنْ كُلِّ فَجٍّ عَمِیْقٍ ۟ۙ
और लोगों को इस घर के हज्ज की ओर बुलाते हुए घोषणा कर दें, जिसे हमने आपको बनाने का आदेश दिया है; वे आपके पास पैदल या ऐसे ऊँटों पर सवार होकर चले आएँगे, जो लंबी दूरी तय करने के कारण कमज़ोर हो चुके होंगे, ऊँट उन्हें अपने ऊपर सवार करके हर दूर-दराज़ रास्ते से ले आएँगे।
અરબી તફસીરો:
لِّیَشْهَدُوْا مَنَافِعَ لَهُمْ وَیَذْكُرُوا اسْمَ اللّٰهِ فِیْۤ اَیَّامٍ مَّعْلُوْمٰتٍ عَلٰی مَا رَزَقَهُمْ مِّنْ بَهِیْمَةِ الْاَنْعَامِ ۚ— فَكُلُوْا مِنْهَا وَاَطْعِمُوا الْبَآىِٕسَ الْفَقِیْرَ ۟ؗ
ताकि वे उन लाभों को प्राप्त करने के लिए हाज़िर हों, जो उन्हें मिलने वाले हैं, जैसे गुनाहों की माफ़ी, सवाब की प्राप्ति और मुसलमानों के अंदर एकता पैदा करना आदि, और ताकि वे ज्ञात दिनों अर्थात : ज़ुल-हिज्जा की दसवीं तारीख़ और उसके बाद के तीन दिनों में जो 'हदी' (क़ुर्बानी के जानवर) ज़बह करते हैं, उनपर अल्लाह का नाम लें, उसपर अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हुए जो उसने उन्हें ऊँट, गाय और भेड़-बकरी जैसे चौपाए प्रदान किए। तो तुम इन 'हदी' के जानवरों का मांस खुद खाओ और सख्त निर्धनों को खिलाओ।
અરબી તફસીરો:
ثُمَّ لْیَقْضُوْا تَفَثَهُمْ وَلْیُوْفُوْا نُذُوْرَهُمْ وَلْیَطَّوَّفُوْا بِالْبَیْتِ الْعَتِیْقِ ۟
फिर वे अपने हज्ज के शेष अनुष्ठानों को पूरा करें, तथा अपने सिर मुंडवाकर और अपने नाखूनों को काटकर और एहराम के कारण अपने शरीर पर जमी गंदगी को हटाकर हलाल हो जाएँ। फिर वे हज्ज या उम्रा या क़ुर्बानी की अपनी मानी हुई मन्नत पूरी करें, और उस घर का तवाफ़े-इफ़ाज़ा करें, जिसे अल्लाह ने दमन करने वाले शासकों के प्रभुत्व से मुक्त रखा है।
અરબી તફસીરો:
ذٰلِكَ ۗ— وَمَنْ یُّعَظِّمْ حُرُمٰتِ اللّٰهِ فَهُوَ خَیْرٌ لَّهٗ عِنْدَ رَبِّهٖ ؕ— وَاُحِلَّتْ لَكُمُ الْاَنْعَامُ اِلَّا مَا یُتْلٰی عَلَیْكُمْ فَاجْتَنِبُوا الرِّجْسَ مِنَ الْاَوْثَانِ وَاجْتَنِبُوْا قَوْلَ الزُّوْرِ ۟ۙ
ये जो तुम्हें आदेश दिए गए हैं (जैसे सिर मुंडवाना, नाखून काटना और मैल-कुचैल दूर करना, मन्नत पूरी करना और का'बा का तवाफ़ करना), इन्हें अल्लाह ने तुमपर अनिवार्य किया है। अतः अल्लाह की अनिवार्य की हुई चीज़ों का सम्मान करो। और जो व्यक्ति अपने एहराम की स्थिति में उन चीज़ों से बचता है जिनसे बचने का अल्लाह ने उसे आदेश दिया है; अल्लाह की सीमाओं का सम्मान करते हुए उनका उल्लंघन करने और उसके निषेधों को हलाल ठहराने से बचता है, तो यह उसके लिए उसके रब के पास दुनिया एवं आख़िरत में बेहतर है। और (ऐ लोगो!) तुम्हारे लिए चौपायों अर्थात ऊँट, गाय और भेड़-बकरी को हलाल किया गया है। चुनाँचे उनमें से तुम्हारे लिए 'हामी', 'बहीरा' और 'वसीला' आदि जानवरों को हराम नहीं किया है। उनमें से केवल वही हराम किया है, जिनका वर्णन तुम क़ुरआन में पाते हो, जैसे मरे हुए जानवर और बहते रक्त आदि का हराम होना। इसलिए गंदगी अर्थात् मूर्तियों से बचो, और हर असत्य बात से बचो, जिसे अल्लाह या उसकी मख़लूक की ओर झूठे तौर पर मनसूब कर दिया गया हो।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• حرمة البيت الحرام تقتضي الاحتياط من المعاصي فيه أكثر من غيره.
• अल्लाह के पवित्र घर काबा का सम्मान करते हुए और जगहों की तुलना में वहाँ गुनाहों से और अधिक बचना चाहिए।

• بيت الله الحرام مهوى أفئدة المؤمنين في كل زمان ومكان.
• अल्लाह का पवित्र घर काबा, हर समय और स्थान में मोमिनों के दिलों का आश्रय (शरणस्थान) है।

• منافع الحج عائدة إلى الناس سواء الدنيوية أو الأخروية.
• हज्ज के लाभ, लोगों ही को प्राप्त होते हैं, चाहे लोक में हों या परलोक में।

• شكر النعم يقتضي العطف على الضعفاء.
• नेमतों का शुक्रिया अदा करने के लिए कमज़ोरों के प्रति सहानुभूति की आवश्यकता होती है।

حُنَفَآءَ لِلّٰهِ غَیْرَ مُشْرِكِیْنَ بِهٖ ؕ— وَمَنْ یُّشْرِكْ بِاللّٰهِ فَكَاَنَّمَا خَرَّ مِنَ السَّمَآءِ فَتَخْطَفُهُ الطَّیْرُ اَوْ تَهْوِیْ بِهِ الرِّیْحُ فِیْ مَكَانٍ سَحِیْقٍ ۟
इन सभी चीज़ों से बचो, इस हाल में कि अल्लाह के निकट पसंदीदा धर्म के अलावा हर धर्म से अलग होने वाले हो, उसके साथ इबादत में किसी को शरीक ठहराने वाले न हो। और जिसने अल्लाह के साथ किसी को साझी ठहराया, वह ऐसा है जैसे वह आसमान से गिर गया, अब या तो पक्षी उसके मांस और हड्डियों को उचक लेंगे, या हवा उसे कहीं दूर फेंक देगी।
અરબી તફસીરો:
ذٰلِكَ ۗ— وَمَنْ یُّعَظِّمْ شَعَآىِٕرَ اللّٰهِ فَاِنَّهَا مِنْ تَقْوَی الْقُلُوْبِ ۟
यह वे काम हैं, जिनका अल्लाह ने आदेश दिया है, जैसे अल्लाह को एकमात्र पूज्य मानना, खालिस उसी की पूजा करना और बुतों तथा झूठी बात से बचना। और जो अल्लाह के धर्म के प्रतीकों (जैसे क़ुर्बानी के जानवर और हज्ज के अनुष्ठानों आदि) का सम्मान करता है, तो उनका सम्मान इस बात का प्रमाण है कि दिलों में अल्लाह का तक़वा (भय) है।
અરબી તફસીરો:
لَكُمْ فِیْهَا مَنَافِعُ اِلٰۤی اَجَلٍ مُّسَمًّی ثُمَّ مَحِلُّهَاۤ اِلَی الْبَیْتِ الْعَتِیْقِ ۟۠
तुम्हारे लिए उन क़ुर्बानी के जानवरों में, जिन्हें तुम काबा के पास ज़बह करते हो, कई लाभ हैं, जैसे कि सवारी, ऊन, नस्ल की बढ़ोतरी और दूध आदि। एक विशिष्ट अवधि के लिए है, जो अल्लाह के उस घर के पास ज़बह करने के समय के साथ निर्धारित है, जिसे अल्लाह ने दमन करने वाले शासकों के प्रभुत्व से मुक्त रखा रखा है।
અરબી તફસીરો:
وَلِكُلِّ اُمَّةٍ جَعَلْنَا مَنْسَكًا لِّیَذْكُرُوا اسْمَ اللّٰهِ عَلٰی مَا رَزَقَهُمْ مِّنْ بَهِیْمَةِ الْاَنْعَامِ ؕ— فَاِلٰهُكُمْ اِلٰهٌ وَّاحِدٌ فَلَهٗۤ اَسْلِمُوْا ؕ— وَبَشِّرِ الْمُخْبِتِیْنَ ۟ۙ
और हमने गुज़रे हुए हर समुदाय के लिए अल्लाह को अर्पण के रूप में खून बहाने के लिए एक अनुष्ठान निर्धारित किया है, इस आशा में कि वे उन बलिदानों को ज़बह करते समय इस बात पर अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हुए उसका नाम लें कि उसने उन्हें ऊँट, गाय और भेड़-बकरी आदि चौपाए प्रदान किए। तो (ऐ लोगो!) तुम्हारा पूज्य एक ही पूज्य है, जिसका कोई साझी नहीं। इसलिए अकेले उसी के अधीन रहो और उसके आदेशानुसार चलो। और (ऐ रसूल!) अपने रब के आगे झुकने वालों और केवल उसी की पूजा करने वालों को उस चीज़ की सूचना दे दें, जो उन्हें खुश करने वाली है।
અરબી તફસીરો:
الَّذِیْنَ اِذَا ذُكِرَ اللّٰهُ وَجِلَتْ قُلُوْبُهُمْ وَالصّٰبِرِیْنَ عَلٰی مَاۤ اَصَابَهُمْ وَالْمُقِیْمِی الصَّلٰوةِ ۙ— وَمِمَّا رَزَقْنٰهُمْ یُنْفِقُوْنَ ۟
जिनका हाल यह है कि जब अल्लाह का नाम लिया जाता है, तो उसकी सज़ा से भयभीत होकर उसके आदेश का उल्लंघन करने से बचते हैं, और यदि उनपर कोई विपत्ति आती है तो वे धैर्य रखते हैं, तथा पूर्ण रूप से नमाज़ पढ़ते हैं, और अल्लाह के दिए धन से नेकी के कार्यों पर खर्च करते हैं।
અરબી તફસીરો:
وَالْبُدْنَ جَعَلْنٰهَا لَكُمْ مِّنْ شَعَآىِٕرِ اللّٰهِ لَكُمْ فِیْهَا خَیْرٌ ۖۗ— فَاذْكُرُوا اسْمَ اللّٰهِ عَلَیْهَا صَوَآفَّ ۚ— فَاِذَا وَجَبَتْ جُنُوْبُهَا فَكُلُوْا مِنْهَا وَاَطْعِمُوا الْقَانِعَ وَالْمُعْتَرَّ ؕ— كَذٰلِكَ سَخَّرْنٰهَا لَكُمْ لَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ ۟
हमने उन क़ुर्बानी के ऊँटों और गायों को, जिन्हें अल्लाह के घर की तरफ़ ले जाया जाता है, तुम्हारे लिए धर्म के अनुष्ठानों और प्रतीकों में से बनाया है। उनके अंदर तुम्हारे लिए धार्मिक और सांसारिक लाभ हैं। अतः उन्हें ज़बह करते समय (बिस्मिल्लाह) कहो, जबकि तीन टाँगों के बल खड़ा करके एक अगली टाँग बाँधी हुई हो, ताकि भाग न सकें। फिर जब ज़बह करने के बाद अपने पहलू के बल लेट जाएँ, तो (ऐ क़ुर्बानी करने वालो !) उनका मांस खुद खाओ और उस निर्धन को दो, जो माँगने से बचता है और उस निर्धन को भी दो, जो माँगता है। जिस तरह हमने उन्हें तुम्हारे वश में कर दिया है, ताकि तुम उनके ऊपर सामान लादो और उनकी सवारी करो, उसी तरह हमने उन्हें तुम्हारे वश में कर दिया है कि वहाँ तक चले जाते हैं, जहाँ तुम उन्हें अल्लाह की निकटता प्राप्त करने के लिए ज़बह करते हो। ताकि तुम उन्हें तुम्हारे वश में करने की इस नेमत पर अल्लाह का शुक्रिया अदा करो।
અરબી તફસીરો:
لَنْ یَّنَالَ اللّٰهَ لُحُوْمُهَا وَلَا دِمَآؤُهَا وَلٰكِنْ یَّنَالُهُ التَّقْوٰی مِنْكُمْ ؕ— كَذٰلِكَ سَخَّرَهَا لَكُمْ لِتُكَبِّرُوا اللّٰهَ عَلٰی مَا هَدٰىكُمْ ؕ— وَبَشِّرِ الْمُحْسِنِیْنَ ۟
तुम्हारे क़ुर्बानी किए हुए जानवरों का मांस या रक्त अल्लाह के पास हरगिज़ नहीं पहुँचेगा। और न हीं उन्हें उस तक पहुँचाया जाएगा। लेकिन उसके पास तुम्हारा उनके बारे में अल्लाह से डरना पहुँचाया जाएगा; इस प्रकार कि तुम उन्हें केवल अल्लाह की निकटता प्राप्त करने के लिए ज़बह करो। इसी तरह, अल्लाह ने उन्हें तुम्हारे वश में कर दिया है, ताकि तुम सत्य मार्ग दिखाने पर अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हुए उसकी महिमा का गान करो। और (ऐ रसूल!) उन लोगों को खुशख़बरी दे दें, जो अच्छी तरह अल्लाह की इबादत करते हैं और उसकी मख़लूक़ के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं।
અરબી તફસીરો:
اِنَّ اللّٰهَ یُدٰفِعُ عَنِ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَا یُحِبُّ كُلَّ خَوَّانٍ كَفُوْرٍ ۟۠
निःसंदेह अल्लाह ईमान वालों को उनके दुश्मनों की बुराई से बचाता है। निश्चय अल्लाह हर उस व्यक्ति से प्रेम नहीं करता, जो अमानत में ख़ियानत करने वाला और अल्लाह की नेमतों की नाशुक्री करने वाला हो। चुनाँचे वह उसका शुक्रिया अदा न करता हो, बल्कि उससे घृणा करता हो।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• ضَرْب المثل لتقريب الصور المعنوية بجعلها في ثوب حسي، مقصد تربوي عظيم.
• अभौतिक चीज़ों को स्पष्ट करने के लिए उदाहरण देकर उन्हें भौतिक रूप में प्रस्तुत करना, एक महान शैक्षिक उद्देश्य है।

• فضل التواضع.
• विनम्रता का गुण एवं श्रेष्ठता।

• الإحسان سبب للسعادة.
• सत्कर्म करना सौभाग्य का कारण है।

• الإيمان سبب لدفاع الله عن العبد ورعايته له.
• ईमान अल्लाह का बंदे की रक्षा और उसकी देखभाल का एक कारण है।

اُذِنَ لِلَّذِیْنَ یُقٰتَلُوْنَ بِاَنَّهُمْ ظُلِمُوْا ؕ— وَاِنَّ اللّٰهَ عَلٰی نَصْرِهِمْ لَقَدِیْرُ ۟ۙ
अल्लाह ने उन ईमान वालों को युद्ध की अनुमति दे दी है, जिनसे मुश्रिक लोग युद्ध करते हैं, क्योंकि उनके दुश्मनों की ओर से उनपर बड़ा अत्याचार हुआ है, और निश्चय अल्लाह युद्ध के बिना ही ईमान वालों को उनके शत्रुओं पर विजय प्रदान करने की शक्ति रखता है, लेकिन उसकी हिकमत की अपेक्षा यह है कि वह मोमिनों को काफ़िरों से युद्ध के माध्यम से आज़माए।
અરબી તફસીરો:
١لَّذِیْنَ اُخْرِجُوْا مِنْ دِیَارِهِمْ بِغَیْرِ حَقٍّ اِلَّاۤ اَنْ یَّقُوْلُوْا رَبُّنَا اللّٰهُ ؕ— وَلَوْلَا دَفْعُ اللّٰهِ النَّاسَ بَعْضَهُمْ بِبَعْضٍ لَّهُدِّمَتْ صَوَامِعُ وَبِیَعٌ وَّصَلَوٰتٌ وَّمَسٰجِدُ یُذْكَرُ فِیْهَا اسْمُ اللّٰهِ كَثِیْرًا ؕ— وَلَیَنْصُرَنَّ اللّٰهُ مَنْ یَّنْصُرُهٗ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَقَوِیٌّ عَزِیْزٌ ۟
वे लोग जिन्हें काफ़िरों ने उनके घरों से अन्यायपूर्ण तरीक़े से निकाल दिया, न कि उनके द्वारा किए गए किसी अपराध के कारण, उन्होंने केवल इतना कहा था : हमारा पालनहार अल्लाह है, उसके सिवा हमारा कोई पालनहार नहीं है। और अगर अल्लाह नबियों और ईमान वालों के लिए दुश्मनों से युद्ध करना धर्मसंगत न बनाया होता, तो वे इबादत के स्थानों पर हमला करते और संतों के आश्रम, ईसाइयों के गिरजे, यहूदियों के पूजा स्थल और मुसलमानों की मस्जिदों को ध्वस्त कर देते, जिनमें मुसलमान अल्लाह को बहुत ज़्यादा याद करते हैं। निश्चय अल्लाह ज़रूर उसकी मदद करेगा, जो उसके धर्म और नबी की मदद करने वाला है। निःसंदेह अल्लाह उसकी मदद करने में सक्षम है, जो उसके धर्म की मदद करता है। वह प्रभुत्वशाली है, उसपर किसी का ज़ोर नहीं चलता।
અરબી તફસીરો:
اَلَّذِیْنَ اِنْ مَّكَّنّٰهُمْ فِی الْاَرْضِ اَقَامُوا الصَّلٰوةَ وَاٰتَوُا الزَّكٰوةَ وَاَمَرُوْا بِالْمَعْرُوْفِ وَنَهَوْا عَنِ الْمُنْكَرِ ؕ— وَلِلّٰهِ عَاقِبَةُ الْاُمُوْرِ ۟
ये लोग जिनसे विजय का वादा किया गया है, वे हैं कि यदि हम उन्हें उनके दुश्मनों पर विजय देकर धर्ती में उन्हें आधिपत्य प्रदान करें, तो वे पूर्ण रूप से नमाज़ पढ़ेंगे, अपने धन की ज़कात देंगे, शरीयत ने जिन कामों का आदेश दिया है उनका हुक्म देंगे और जिन कामों से रोका है उनसे रोकेंगे। और सवाब तथा सज़ा देने के संबंध में सभी मामले केवल अल्लाह ही की ओर लौटते हैं।
અરબી તફસીરો:
وَاِنْ یُّكَذِّبُوْكَ فَقَدْ كَذَّبَتْ قَبْلَهُمْ قَوْمُ نُوْحٍ وَّعَادٌ وَّثَمُوْدُ ۟ۙ
और (ऐ रसूल!) यदि आपकी जाति के लोग आपको झुठलाते हैं, तो आप सब्र से काम लें। क्योंकि आप पहले व्यक्ति नहीं हैं, जिसे उसकी जाति के लोगों ने झुठलाया हो। आपकी जाति से पहले नूह अलैहिस्सलाम की जाति के लोगों ने नूह अलैहिस्सलाम को, आद जाति के लोगों ने हूद अलैहिस्सलाम को और समूद जाति के लोगों ने सालेह अलैहिस्सलाम को झुठलाया।
અરબી તફસીરો:
وَقَوْمُ اِبْرٰهِیْمَ وَقَوْمُ لُوْطٍ ۟ۙ
तथा इबराहीम अलैहिस्सलाम की जाति के लोगों ने इबराहीम अलैहिस्सलाम को और लूत अलैहिस्सलाम की जाति ने लूत अलैहिस्सलाम को झुठलाया।
અરબી તફસીરો:
وَّاَصْحٰبُ مَدْیَنَ ۚ— وَكُذِّبَ مُوْسٰی فَاَمْلَیْتُ لِلْكٰفِرِیْنَ ثُمَّ اَخَذْتُهُمْ ۚ— فَكَیْفَ كَانَ نَكِیْرِ ۟
तथा मदयन वालों ने शुऐब अलैहिस्सलाम को झुठलाया, और फ़िरऔन और उसकी जाति के लोगों ने मूसा अलैहिस्सलाम को झुठलाया, तो मैंने उन्हें ढील देते हुए उनको यातना देने में देरी की, फिर उन्हें यातना से ग्रस्त कर दिया। तो विचार करो कि उनके प्रति मेरा इनकार कैसा था? मैंने उनके कुफ़्र के कारण उन्हें नष्ट कर दिया।
અરબી તફસીરો:
فَكَاَیِّنْ مِّنْ قَرْیَةٍ اَهْلَكْنٰهَا وَهِیَ ظَالِمَةٌ فَهِیَ خَاوِیَةٌ عَلٰی عُرُوْشِهَا ؗ— وَبِئْرٍ مُّعَطَّلَةٍ وَّقَصْرٍ مَّشِیْدٍ ۟
कितनी ही ऐसी बस्तियाँ हैं, जिन्हें हमने एक उन्मूलन करने वाली यातना के द्वारा नष्ट कर दिया (जबकि वे अपने कुफ़्र के कारण अत्याचारी थीं)। तो उनके घर ध्वस्त होकर निवासियों से खाली पड़े हैं। तथा कितने ऐसे कुएँ हैं, जो उनपर पानी लेने के लिए आने वालों से उनके विनाश के कारण खाली पड़े हैं, और कितने ऐसे ऊँचे-ऊँचे अलंकृत महल हैं, जो अपने निवासियों को यातना से नहीं बचा सके।
અરબી તફસીરો:
اَفَلَمْ یَسِیْرُوْا فِی الْاَرْضِ فَتَكُوْنَ لَهُمْ قُلُوْبٌ یَّعْقِلُوْنَ بِهَاۤ اَوْ اٰذَانٌ یَّسْمَعُوْنَ بِهَا ۚ— فَاِنَّهَا لَا تَعْمَی الْاَبْصَارُ وَلٰكِنْ تَعْمَی الْقُلُوْبُ الَّتِیْ فِی الصُّدُوْرِ ۟
क्या रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की लाई हुई शिक्षाओं का इनकार करने वाले ये लोग धरती में नहीं चले-फिरे, ताकि उन विनष्ट बस्तियों के निशान (खंडहर) देखें, और अपने मन से विचार करके शिक्षा ग्रहण करें, तथा उनकी कहानियों को मानने के उद्देश्य से सुनकर सीख लें, क्योंकि असल अंधापन आँख का अंधापन नहीं है, बल्कि विनाशकारी अंधापन अंतर्दृष्टि का अंधापन है, जिसके बाद इनसान न शिक्षा ग्रहण करता है और न सीख प्राप्त करता है।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• إثبات صفتي القوة والعزة لله.
• अल्लाह के लिए 'क़ुव्वत' (शक्ति) और 'इज़्ज़त' (गौरव, प्रभुत्व) के गुणों को साबित करना।

• إثبات مشروعية الجهاد؛ للحفاظ على مواطن العبادة.
• इबादत के स्थानों की सुरक्षा के लिए जिहाद की वैधता का सबूत।

• إقامة الدين سبب لنصر الله لعبيده المؤمنين.
• धर्म को क़ायम करने के कारण अल्लाह अपने मोमिन बंदों की मदद करता है।

• عمى القلوب مانع من الاعتبار بآيات الله.
• दिलों का अंधापन अल्लाह की निशानियों से शिक्षा ग्रहण करने से रोकता है।

وَیَسْتَعْجِلُوْنَكَ بِالْعَذَابِ وَلَنْ یُّخْلِفَ اللّٰهُ وَعْدَهٗ ؕ— وَاِنَّ یَوْمًا عِنْدَ رَبِّكَ كَاَلْفِ سَنَةٍ مِّمَّا تَعُدُّوْنَ ۟
और (ऐ रसूल!) आपकी जाति के काफ़िरों को जब दुनिया एवं आख़िरत की यातना से डराया जाता है, तो उसे जल्दी लाने की माँग करने लगते हैं, हालाँकि अल्लाह ने उनसे जो वादा किया है, वह उसके विरुद्ध हरगिज़ नहीं करेगा। दुनिया की यातना का एक अंश वह पराजय भी है, जिसका सामना उन्हें बद्र के दिन करना पड़ा, और आख़िरत की यातना का एक दिन, कष्टदायक होने के कारण, तुम्हारी दुनिया की गिनती के अनुसार एक हज़ार साल के बराबर है।
અરબી તફસીરો:
وَكَاَیِّنْ مِّنْ قَرْیَةٍ اَمْلَیْتُ لَهَا وَهِیَ ظَالِمَةٌ ثُمَّ اَخَذْتُهَا ۚ— وَاِلَیَّ الْمَصِیْرُ ۟۠
और कितनी ही बस्तियाँ ऐसी हैं, जिन्हें मैंने यातना में मोहलत दी, जबकि वे अपने कुफ़्र के कारण अत्याचारी थीं, और उन्हें ढील देने के उद्देश्य से उन्हें दंडित करने में जल्दी नहीं की। फिर मैंने उन्हें विनाशकारी यातना से ग्रस्त कर दिया। और केवल मेरी ही ओर क़ियामत के दिन उन सब को लौटना है, फिर मैं उन्हें उनके कुफ़्र के कारण स्थायी यातना से ग्रस्त करूँगा।
અરબી તફસીરો:
قُلْ یٰۤاَیُّهَا النَّاسُ اِنَّمَاۤ اَنَا لَكُمْ نَذِیْرٌ مُّبِیْنٌ ۟ۚ
(ऐ नबी!) आप कह दें : ऐ लोगो! मैं तो केवल तुम्हें डराने वाला हूँ। मैं तुम्हें वह संदेश पहुँचाता हूँ, जिसे देकर मैं भेजा गया हूँ, अपने डराने में स्पष्ट हूँ।
અરબી તફસીરો:
فَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ لَهُمْ مَّغْفِرَةٌ وَّرِزْقٌ كَرِیْمٌ ۟
तो जो लोग अल्लाह पर ईमान लाए और अच्छे कार्य किए, उनके लिए उनके रब की ओर से उनके गुनाहों की क्षमा है और जन्नत में सम्मान की रोज़ी है, जो कभी ख़त्म नहीं होगी।
અરબી તફસીરો:
وَالَّذِیْنَ سَعَوْا فِیْۤ اٰیٰتِنَا مُعٰجِزِیْنَ اُولٰٓىِٕكَ اَصْحٰبُ الْجَحِیْمِ ۟
और जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाने के लिए दौड़-भाग की, यह अनुमान करते हुए कि वे अल्लाह को विवश कर देंगे और उससे बच निकलेंगे, इसलिए वह उन्हें अज़ाब नहीं दे सकेगा। यही लोग नरकवासी हैं, जो उसके साथ वैसे ही रहेंगे जैसे एक मित्र अपने मित्र के साथ रहता है।
અરબી તફસીરો:
وَمَاۤ اَرْسَلْنَا مِنْ قَبْلِكَ مِنْ رَّسُوْلٍ وَّلَا نَبِیٍّ اِلَّاۤ اِذَا تَمَنّٰۤی اَلْقَی الشَّیْطٰنُ فِیْۤ اُمْنِیَّتِهٖ ۚ— فَیَنْسَخُ اللّٰهُ مَا یُلْقِی الشَّیْطٰنُ ثُمَّ یُحْكِمُ اللّٰهُ اٰیٰتِهٖ ؕ— وَاللّٰهُ عَلِیْمٌ حَكِیْمٌ ۟ۙ
हमने (ऐ रसूल!) आपसे पहले जिस रसूल या नबी को भेजा, (उसके साथ यह हुआ कि) जब वह अल्लाह की किताब पढ़ता, तो शैतान उसके पाठ में ऐसी चीज़ मिला देता, जिसके द्वारा वह लोगों को इस भ्रम में डाल देता कि वह अल्लाह की वह़्य में से है, तो अल्लाह शैतान की मिलाई हुई बात को मिटा देता और अपनी आयतों को सुदृढ़ कर देता। अल्लाह हर चीज़ को जानने वाला है, उससे कोई चीज़ छिपी नहीं रहती, अपनी रचना, नियति तथा प्रबंधन में हिकमत वाला है।
અરબી તફસીરો:
لِّیَجْعَلَ مَا یُلْقِی الشَّیْطٰنُ فِتْنَةً لِّلَّذِیْنَ فِیْ قُلُوْبِهِمْ مَّرَضٌ وَّالْقَاسِیَةِ قُلُوْبُهُمْ ؕ— وَاِنَّ الظّٰلِمِیْنَ لَفِیْ شِقَاقٍ بَعِیْدٍ ۟ۙ
शैतान नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पढ़ने के समय कुछ बातें डालकर संदेह पैदा करता है, ताकि अल्लाह शैतान जो कुछ संशय डालता है उसे मुनाफ़िक़ों के लिए और उन मुश्रिकों के लिए जिनके दिल सख़्त हैं, एक परीक्षण बना दे। तथा मुनाफ़िक़ों और मुश्रिकों में से अत्याचारी लोग, अल्लाह और उसके रसूल की दुश्मनी में पड़े हुए हैं तथा सत्य एवं हिदायत से दूर हैं।
અરબી તફસીરો:
وَّلِیَعْلَمَ الَّذِیْنَ اُوْتُوا الْعِلْمَ اَنَّهُ الْحَقُّ مِنْ رَّبِّكَ فَیُؤْمِنُوْا بِهٖ فَتُخْبِتَ لَهٗ قُلُوْبُهُمْ ؕ— وَاِنَّ اللّٰهَ لَهَادِ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اِلٰی صِرَاطٍ مُّسْتَقِیْمٍ ۟
और ताकि जिन लोगों को अल्लाह ने ज्ञान दिया है, वे निश्चित हो जाएँ कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर उतरने वाला क़ुरआन ही वह सत्य है, जिसकी अल्लाह ने (ऐ रसूल!) आपकी ओर वह़्य (प्रकाशना) की है। इस प्रकार उनका उसपर ईमान बढ़ जाए और उनके हृदय उसके अधीन हो जाएँ और उसके सामने झुक जाएँ। निःसंदेह अल्लाह अपने ऊपर ईमान रखने वालों को, उनके उसके आगे झुकने के प्रतिफल के तौर पर, सत्य का सीधा मार्ग दिखाने वाला है, जिसमें कोई टेढ़ापन नहीं है।
અરબી તફસીરો:
وَلَا یَزَالُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا فِیْ مِرْیَةٍ مِّنْهُ حَتّٰی تَاْتِیَهُمُ السَّاعَةُ بَغْتَةً اَوْ یَاْتِیَهُمْ عَذَابُ یَوْمٍ عَقِیْمٍ ۟
अल्लाह का इनकार करने वाले और उसके रसूल को झुठलाने वाले, आप पर अल्लाह की ओर से उतरने वाले क़ुरआन के बारे में निरंतर संदेह ही में पड़े रहेंगे, यहाँ तक कि उनके इसी हाल में रहते हुए अचानक उनके पास क़ियामत आ जाए, या उनपर ऐसे दिन की यातना आ जाए, जिसमें उन पर कोई दया या भलाई न होगी, और वह उनके लिए क़ियामत का दिन है।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• استدراج الظالم حتى يتمادى في ظلمه سُنَّة إلهية.
• ज़ालिम को ढील देना, ताकि वह अपने ज़ुल्म में बढ़ता चला जाए, अल्लाह का एक नियम है।

• حفظ الله لكتابه من التبديل والتحريف وصرف مكايد أعوان الشيطان عنه.
• अल्लाह अपनी किताब की परिवर्तन तथा विकृति से रक्षा करता है और शैतान के सहायकों की चालों को उससे फेर देता है।

• النفاق وقسوة القلوب مرضان قاتلان.
• निफ़ाक़ (पाखंड) और दिल की कठोरता दो विनाशकारी रोग हैं।

• الإيمان ثمرة للعلم، والخشوع والخضوع لأوامر الله ثمرة للإيمان.
• ईमान ज्ञान का फल है और अल्लाह के आदेशों के प्रति समर्पण ईमान का फल है।

اَلْمُلْكُ یَوْمَىِٕذٍ لِّلّٰهِ ؕ— یَحْكُمُ بَیْنَهُمْ ؕ— فَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ فِیْ جَنّٰتِ النَّعِیْمِ ۟
क़ियामत के दिन (जिस दिन इन लोगों के पास वह यातना आ जाएगी, जिसका उनसे वादा किया जाता था) संपूर्ण बादशाहत केवल अल्लाह की होगी, इसमें उसका कोई विरोधी नहीं होगा। वह महिमावान मोमिनों और काफ़िरों के बीच फ़ैसला करेगा। वह उनमें से प्रत्येक लिए उसी का निर्णय करेगा जिसका वह हक़दार होगा। चुनाँचे जो लोग अल्लाह पर ईमान लाए और अच्छे कार्य किए, उनके लिए एक महान बदला है और वह कभी खत्म न होने वाली अनंत आनंद की जन्नतें हैं।
અરબી તફસીરો:
وَالَّذِیْنَ كَفَرُوْا وَكَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا فَاُولٰٓىِٕكَ لَهُمْ عَذَابٌ مُّهِیْنٌ ۟۠
जिन लोगों ने अल्लाह का इनकार किया और हमारे रसूलों पर उतरने वाली हमारी आयतों को झुठलाया, उन्हीं के लिए अपमानजनक यातना है, जिसके द्वारा अल्लाह उन्हें जहन्नम में अपमानित करेगा।
અરબી તફસીરો:
وَالَّذِیْنَ هَاجَرُوْا فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ ثُمَّ قُتِلُوْۤا اَوْ مَاتُوْا لَیَرْزُقَنَّهُمُ اللّٰهُ رِزْقًا حَسَنًا ؕ— وَاِنَّ اللّٰهَ لَهُوَ خَیْرُ الرّٰزِقِیْنَ ۟
जिन लोगों ने अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त करने और उसके धर्म को सर-बुलंद करने के लिए अपना घरबार और वतन छोड़ा, फिर उसके रास्ते में जिहाद करते हुए मारे गए या मर गए, निश्चय अल्लाह उन्हें जन्नत में बेहतरीन स्थायी रोज़ी देगा, जो कभी खत्म न होगी। और पवित्र अल्लाह ही सबसे उत्तम रोज़ी देने वाला है।
અરબી તફસીરો:
لَیُدْخِلَنَّهُمْ مُّدْخَلًا یَّرْضَوْنَهٗ ؕ— وَاِنَّ اللّٰهَ لَعَلِیْمٌ حَلِیْمٌ ۟
निश्चित रूप से अल्लाह उन्हें ऐसे स्थान में अवश्य दाखिल करेगा, जिससे वे प्रसन्न हो जाएँगे और वह जन्नत है। निःसंदेह अल्लाह उनके कार्यों और इरादों को जानता है, और वह अत्यंत सहनशील है क्योंकि उसने उन्हें उनकी कोताहियों पर दंडित करने में जल्दी नहीं की।
અરબી તફસીરો:
ذٰلِكَ ۚ— وَمَنْ عَاقَبَ بِمِثْلِ مَا عُوْقِبَ بِهٖ ثُمَّ بُغِیَ عَلَیْهِ لَیَنْصُرَنَّهُ اللّٰهُ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَعَفُوٌّ غَفُوْرٌ ۟
यह जिसका उल्लेख किया गया है; अल्लाह के रास्ते में अपना घरबार छोड़ने वालों को जन्नत में दाखिल करना और अत्याचार करने वाले से उसके अत्याचार का उसी के समान बदला लेने की अनुमति ताकि उसके लिए उस पर कोई पाप न हो। फिर यदि अत्याचारी दोबारा अत्याचार करे, तो अल्लाह उसकी अवश्य मदद करेगा जिसपर अत्याचार किया गया है। निःसंदेह अल्लाह ईमान वालों के गुनाहों को माफ़ करने वाला, उन्हें क्षमा करने वाला है।
અરબી તફસીરો:
ذٰلِكَ بِاَنَّ اللّٰهَ یُوْلِجُ الَّیْلَ فِی النَّهَارِ وَیُوْلِجُ النَّهَارَ فِی الَّیْلِ وَاَنَّ اللّٰهَ سَمِیْعٌ بَصِیْرٌ ۟
अत्याचार के शिकार व्यक्ति की यह मदद इसलिए है, क्योंकि अल्लाह जो चाहे उसे करने में सक्षम है। और उसकी क्षमता में से रात को दिन में दाखिल करना और दिन को रात में दाखिल करना है; इस प्रकार कि वह उन दोनों में से एक में वृद्धि करता और दूसरे में कमी करता है। और यह कि अल्लाह अपने बंदों की बातों को सुनने वाला, उनके कार्यों को जानने वाला है। इनमें से कोई चीज़ उससे छिपी नहीं है और वह उन्हें उनका बदला देगा।
અરબી તફસીરો:
ذٰلِكَ بِاَنَّ اللّٰهَ هُوَ الْحَقُّ وَاَنَّ مَا یَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِهٖ هُوَ الْبَاطِلُ وَاَنَّ اللّٰهَ هُوَ الْعَلِیُّ الْكَبِیْرُ ۟
रात को दिन में दाखिल करने और दिन को रात में दाखिल करने का यह क्रम इसलिए है, क्योंकि अल्लाह ही सत्य है, उसका धर्म सत्य है, उसका वादा सत्य है और उसका ईमान वालों की मदद करना सत्य है, और यह कि मुश्रिक लोग जिन मूर्तियों की अल्लाह को छोड़कर पूजा करते हैं, वे झूठी और निराधार हैं, और यह कि अल्लाह ही अपनी मख़्लूक़ से व्यक्तित्व, सम्मान और शक्ति की दृष्टि से बहुत ऊँचा है, जो बहुत महान है, जिसके लिए बड़ाई, महानता और प्रताप है।
અરબી તફસીરો:
اَلَمْ تَرَ اَنَّ اللّٰهَ اَنْزَلَ مِنَ السَّمَآءِ مَآءً ؗ— فَتُصْبِحُ الْاَرْضُ مُخْضَرَّةً ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَطِیْفٌ خَبِیْرٌ ۟ۚ
(ऐ रसूल!) क्या आपने नहीं देखा कि अल्लाह ने आकाश से कुछ बारिश बरसाया, फिर धरती उसपर बारिश उतरने के बाद अपने उगाए हुए पौधों के साथ हरी-भरी हो जाती है। निश्चय अल्लाह अपने बंदों पर बहुत दया करने वाला है कि उनके लिए बारिश उतारा और उनके लिए धरती पर पौधे उगाए, उनके हितों से पूरी तरह अवगत है, उनमें से कुछ भी उससे छिपा नहीं है।
અરબી તફસીરો:
لَهٗ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَمَا فِی الْاَرْضِ ؕ— وَاِنَّ اللّٰهَ لَهُوَ الْغَنِیُّ الْحَمِیْدُ ۟۠
जो कुछ आकाशों में और जो कुछ धरती में है, उन सब का मालिक अकेला अल्लाह है, और अल्लाह ही वह बेनियाज़ है, जिसे अपनी किसी मख़लूक़ की आवश्यकता नहीं है, हर हाल में प्रशंसनीय है।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• مكانة الهجرة في الإسلام وبيان فضلها.
• इस्लाम में हिजरत का स्थान और उसकी श्रेष्ठता का वर्णन।

• جواز العقاب بالمثل.
• बराबर का बदला लेने का सबूत।

• نصر الله للمُعْتَدَى عليه يكون في الدنيا أو الآخرة.
• अत्याचार के शिकार व्यक्ति के लिए अल्लाह की मदद इस दुनिया में या आख़िरत में होगी।

• إثبات الصفات العُلَا لله بما يليق بجلاله؛ كالعلم والسمع والبصر والعلو.
• अल्लाह के लिए उसकी महिमा के योग्य सर्वोच्च गुणों को साबित करना, जैसे : जानना, सुनना, देखना और ऊँचा होना।

اَلَمْ تَرَ اَنَّ اللّٰهَ سَخَّرَ لَكُمْ مَّا فِی الْاَرْضِ وَالْفُلْكَ تَجْرِیْ فِی الْبَحْرِ بِاَمْرِهٖ ؕ— وَیُمْسِكُ السَّمَآءَ اَنْ تَقَعَ عَلَی الْاَرْضِ اِلَّا بِاِذْنِهٖ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ بِالنَّاسِ لَرَءُوْفٌ رَّحِیْمٌ ۟
(ऐ रसूल!) क्या आपने नहीं देखा कि अल्लाह ने तुम्हारे लाभों तथा तुम्हारी आवश्यकताओं के लिए धरती के ऊपर मौजूद जानदारों और निर्जीव वस्तुओं को आपके तथा लोगों के वश में कर दिया है, और नावों को तुम्हारे वश में कर दिया है कि वे उसके आदेश और उसके वशीकरण से समुद्र में एक शहर (देश) से दूसरे शहर (देश) की ओर जाती हैं, और उसी ने आसमान को थाम रखा है ताकि उसकी अनुमति के बिना ज़मीन पर न गिरे। अगर वह उसे ज़मीन के ऊपर गिरने की अनुमति दे दे, तो वह गिर जाए। निःसंदेह अल्लाह लोगों के लिए अति करुणामय, अत्यंत दयावान् है, क्योंकि उसने उनके अत्याचार के बावजूद इन वस्तुओं को उनके वश में कर रखा है।
અરબી તફસીરો:
وَهُوَ الَّذِیْۤ اَحْیَاكُمْ ؗ— ثُمَّ یُمِیْتُكُمْ ثُمَّ یُحْیِیْكُمْ ؕ— اِنَّ الْاِنْسَانَ لَكَفُوْرٌ ۟
अल्लाह वही है, जिसने तुम्हें अनस्तित्व से अस्तित्व में लाकर जीवन प्रदान किया, फिर जब तुम्हारी आयु समाप्त हो जाएगी, तो तुम्हें मौत देगा, फिर तुम्हारी मृत्यु के बाद तुम्हारे कर्मों का हिसाब लेने और तुम्हें उनका बदला देने के लिए तुम्हें फिर से जीवित करेगा। निश्चय इनसान, अल्लाह के साथ दूसरों की इबादत करके, उसकी नेमतों का (जबकि वे स्पष्ट हैं) बहुत ज़्यादा इनकार करने वाला है।
અરબી તફસીરો:
لِكُلِّ اُمَّةٍ جَعَلْنَا مَنْسَكًا هُمْ نَاسِكُوْهُ فَلَا یُنَازِعُنَّكَ فِی الْاَمْرِ وَادْعُ اِلٰی رَبِّكَ ؕ— اِنَّكَ لَعَلٰی هُدًی مُّسْتَقِیْمٍ ۟
हर समुदाय के लोगों के लिए हमने एक शरीयत बनाई है, और वे अपनी शरीयत के अुनसार कार्य करते हैं। इसलिए (ऐ रसूल!) मुश्रिकों और अन्य धर्मों के लोगों को आपकी शरीयत के बारे में हरगिज़ झगड़ना नहीं चाहिए, क्योंकि आप उनकी तुलना में सत्य के अधिक योग्य हैं। जबकि वे असत्य पर चलने वाले हैं। तथा आप लोगों को अल्लाह के लिए तौहीद को ख़ालिस करने की ओर बुलाएँ। निःसंदेह आप तो निश्चय एक सीधे रास्ते पर हैं, जिसमें कोई टेढ़ापन नहीं है।
અરબી તફસીરો:
وَاِنْ جٰدَلُوْكَ فَقُلِ اللّٰهُ اَعْلَمُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ ۟
और यदि वे तर्क स्पष्ट हो जाने के बाद भी आपके साथ बहस करने से बाज़ न आएँ, तो धमकी के तौर पर यह कहते हुए उनके मामले को अल्लाह के हवाले कर दें कि : तुम जो कुछ कर रहे हो, उससे अल्लाह अच्छी तरह अवगत है। तुम्हारे कामों में से कुछ भी उससे छिपा नहीं है और वह तुम्हें उनका बदला देगा।
અરબી તફસીરો:
اَللّٰهُ یَحْكُمُ بَیْنَكُمْ یَوْمَ الْقِیٰمَةِ فِیْمَا كُنْتُمْ فِیْهِ تَخْتَلِفُوْنَ ۟
अल्लाह अपने मोमिन और काफ़िर बंदों के बीच क़ियामत के दिन धर्म के उस मामले में फ़ैसला कर देगा, जिसके बारे में वे दुनिया में मतभेद किया करते थे।
અરબી તફસીરો:
اَلَمْ تَعْلَمْ اَنَّ اللّٰهَ یَعْلَمُ مَا فِی السَّمَآءِ وَالْاَرْضِ ؕ— اِنَّ ذٰلِكَ فِیْ كِتٰبٍ ؕ— اِنَّ ذٰلِكَ عَلَی اللّٰهِ یَسِیْرٌ ۟
(ऐ रसूल!) क्या आप नहीं जानते कि अल्लाह आसमान की सारी चीज़ों को जानता है और धरती की सारी चीज़ों को जानता है। इन दोनों की कोई चीज़ उससे छिपी नहीं है। इन सारी बातों का ज्ञान लौहे महफ़ूज़ (संरक्षित पट्टिका) में अंकित है और इन चीज़ों का ज्ञान अल्लाह पर आसान है।
અરબી તફસીરો:
وَیَعْبُدُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ مَا لَمْ یُنَزِّلْ بِهٖ سُلْطٰنًا وَّمَا لَیْسَ لَهُمْ بِهٖ عِلْمٌ ؕ— وَمَا لِلظّٰلِمِیْنَ مِنْ نَّصِیْرٍ ۟
और मुश्रिक लोग अल्लाह को छोड़कर ऐसी मूर्तियों की पूजा करते हैं, जिनकी पूजा करने का अल्लाह ने अपनी पुस्तकों में कोई प्रमाण नहीं उतारा है, तथा इसके लिए उनके पास ज्ञान का भी कोई सबूत नहीं है। उनका प्रमाण केवल अपने बाप-दादा का अंधा अनुकरण है। और ज़ालिमों का कोई मददगार नहीं, जो उन्हें अल्लाह की यातना से बचा सके।
અરબી તફસીરો:
وَاِذَا تُتْلٰی عَلَیْهِمْ اٰیٰتُنَا بَیِّنٰتٍ تَعْرِفُ فِیْ وُجُوْهِ الَّذِیْنَ كَفَرُوا الْمُنْكَرَ ؕ— یَكَادُوْنَ یَسْطُوْنَ بِالَّذِیْنَ یَتْلُوْنَ عَلَیْهِمْ اٰیٰتِنَا ؕ— قُلْ اَفَاُنَبِّئُكُمْ بِشَرٍّ مِّنْ ذٰلِكُمْ ؕ— اَلنَّارُ ؕ— وَعَدَهَا اللّٰهُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا ؕ— وَبِئْسَ الْمَصِیْرُ ۟۠
और जब उनके सामने हमारे क़ुरआन की स्पष्ट आयतें पढ़ी जाती हैं, तो आप अल्लाह के साथ कुफ़्र करने वालों के चेहरों में, क़ुरआन सुनने के समय उनकी त्योरी से उसकी अस्वीकृति को पहचान लेंगे। क़रीब होंगे कि वे क्रोध की तीव्रता से उन लोगों पर धावा बोल दें, जो उनके सामने हमारी आयतें पढ़ते हैं। (ऐ रसूल!) उनसे कह दें : क्या मैं तुम्हें वह चीज़ बताऊँ, जो तुम्हारे क्रोध और तुम्हारे मुँह बनाने से अधिक बुरी है? वह आग है, जिसमें अल्लाह ने काफ़िरों को दाखिल करने का वादा किया है। और वह बहुत बुरा ठिकाना है, जहाँ उन्हें जाना है।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• من نعم الله على الناس تسخير ما في السماوات وما في الأرض لهم.
• लोगों पर अल्लाह की नेमतों में से यह भी है कि उसने आकाशों और धरती की सारी चीज़ों को उनके वश में कर दिया है।

• إثبات صفتي الرأفة والرحمة لله تعالى.
• अल्लाह तआला के लिए 'राफ़त' (करुणा) और 'रह़मत' (दया) के गुणों को साबित करना।

• إحاطة علم الله بما في السماوات والأرض وما بينهما.
• आकाशों और धरती की तथा उन दोनों के बीच की सारी चीज़ें अल्लाह के ज्ञान के घेरे में हैं।

• التقليد الأعمى هو سبب تمسك المشركين بشركهم بالله.
• अंधा अनुकरण ही मुश्रिकों के अपने शिर्क से चिपके रहने का कारण है।

یٰۤاَیُّهَا النَّاسُ ضُرِبَ مَثَلٌ فَاسْتَمِعُوْا لَهٗ ؕ— اِنَّ الَّذِیْنَ تَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ لَنْ یَّخْلُقُوْا ذُبَابًا وَّلَوِ اجْتَمَعُوْا لَهٗ ؕ— وَاِنْ یَّسْلُبْهُمُ الذُّبَابُ شَیْـًٔا لَّا یَسْتَنْقِذُوْهُ مِنْهُ ؕ— ضَعُفَ الطَّالِبُ وَالْمَطْلُوْبُ ۟
ऐ लोगो! एक उदाहरण दिया जा रहा है, इसे ध्यान से सुनो और सीख ग्रहण करो। तुम अल्लाह के सिवा जिन मूर्तियों तथा अन्य वस्तुओं को पूजते हो, वे अपनी विवशता के कारण कभी एक मक्खी जैसी छोटी-सी चीज़ भी पैदा नहीं करेंगे। बल्कि अगर वे उसे पैदा करने के लिए सबके सब इकट्ठे हो जाएँ, तब भी उसे पैदा नहीं कर पाएँगे। और यदि मक्खी उनके पास मौजूद खुशबू या कोई और चीज़ ले उड़े, तो वे मक्खी से उसे छुड़ा नहीं सकते। इनके मक्खी को पैदा करने और उससे अपनी चीज़ों को छुड़ाने में असमर्थता से; यह स्पष्ट हो गया कि वे इससे बड़ा कुछ करने में असमर्थ हैं, फिर तुम - इनकी लाचारी के बावजूद - अल्लाह के सिवा इनकी पूजा कैसे करते हो?! कमज़ोर है यह तालिब, अर्थात् वह पूजी जाने वाली मूर्ति जो मक्खी से अपनी छीनी हुई चीज़ भी छुड़ा नहीं सकती, और कमज़ोर है यह मतलूब अर्थात् मक्खी।
અરબી તફસીરો:
مَا قَدَرُوا اللّٰهَ حَقَّ قَدْرِهٖ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَقَوِیٌّ عَزِیْزٌ ۟
उन्होंने अल्लाह का आदर-सम्मान नहीं किया, जैसा कि उसका आदर-सम्मान करना चाहिए, जब उन्होंने उसके साथ उसके कुछ प्राणियों की पूजा की। निःसंदेह अल्लाह अत्यंत शक्तिशाली है। उसकी शक्ति और क्षमता का एक नमूना यह है कि उसने आकाशों और धरती तथा उनके अंदर मौजूद सारी चीज़ों को पैदा किया, वह सब पर प्रभुत्वशाली है, उसपर किसी का ज़ोर नहीं चलता, इसके विपरीत मुश्रिकों की मूर्तियाँ कमज़ोर और हीन हैं, कुछ भी पैदा नहीं कर सकतीं।
અરબી તફસીરો:
اَللّٰهُ یَصْطَفِیْ مِنَ الْمَلٰٓىِٕكَةِ رُسُلًا وَّمِنَ النَّاسِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ سَمِیْعٌ بَصِیْرٌ ۟ۚ
अल्लाह तआला फ़रिश्तों में से कुछ संदेशवाहकों को चुनता है और इसी तरह इनसानों में से कुछ संदेशवाहकों को चुनता है। चुनाँचे वह कुछ फ़रिश्तों को नबियों के पास भेजता है, जैसे जिबरील अलैहिस्सलाम को इनसानों में से रसूलों के पास भेजा, तथा इनसानों में से रसूलों को लोगों के पास भेजता है। निःसंदेह अल्लाह उन बातों को सुनने वाला है, जो मुश्रिक लोग उसके रसूलों के बारे में कहते हैं, उसे देखने वाला है, जिसे वह अपने संदेश के लिए चुनता है।
અરબી તફસીરો:
یَعْلَمُ مَا بَیْنَ اَیْدِیْهِمْ وَمَا خَلْفَهُمْ ؕ— وَاِلَی اللّٰهِ تُرْجَعُ الْاُمُوْرُ ۟
वह सर्वशक्तिमान फ़रिश्तों और इनसानों में से अपने संदेशवाहकों के उनके पैदा होने के पहले और उनके मरने के बाद के हालात से अवगत है। और उसी की ओर क़ियामत के दिन सारे मामले लौटाए जाएँगे, जब वह अपने बंदों को दोबारा जीवित करेगा और उन्हें उनके कर्मों का बदला देगा।
અરબી તફસીરો:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوا ارْكَعُوْا وَاسْجُدُوْا وَاعْبُدُوْا رَبَّكُمْ وَافْعَلُوا الْخَیْرَ لَعَلَّكُمْ تُفْلِحُوْنَ ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने और उसकी शरीयत पर अमल करने वालो! अपनी नमाज़ में केवल अल्लाह के लिए रुकू' और सजदा करो, और अच्छे कार्य करो, जैसे सदक़ा (दान), रिश्तेदारों के साथ अच्छा व्यवहार और अन्य चीजें। इस आशा में कि तुम अपने उद्देश्य की प्राप्ति में सफल हो जाओ और भय से मुक्ति पा जाओ।
અરબી તફસીરો:
وَجَاهِدُوْا فِی اللّٰهِ حَقَّ جِهَادِهٖ ؕ— هُوَ اجْتَبٰىكُمْ وَمَا جَعَلَ عَلَیْكُمْ فِی الدِّیْنِ مِنْ حَرَجٍ ؕ— مِلَّةَ اَبِیْكُمْ اِبْرٰهِیْمَ ؕ— هُوَ سَمّٰىكُمُ الْمُسْلِمِیْنَ ۙ۬— مِنْ قَبْلُ وَفِیْ هٰذَا لِیَكُوْنَ الرَّسُوْلُ شَهِیْدًا عَلَیْكُمْ وَتَكُوْنُوْا شُهَدَآءَ عَلَی النَّاسِ ۖۚ— فَاَقِیْمُوا الصَّلٰوةَ وَاٰتُوا الزَّكٰوةَ وَاعْتَصِمُوْا بِاللّٰهِ ؕ— هُوَ مَوْلٰىكُمْ ۚ— فَنِعْمَ الْمَوْلٰی وَنِعْمَ النَّصِیْرُ ۟۠
और अल्लाह के रास्ते में उसकी प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए जिहाद करो, उसने तुम्हें चुन लिया है और तुम्हारे धर्म को उदार एवं आसान बनाया है, जिसमें कोई तंगी और सख़्ती नहीं रखी है। यही उदार धर्म तुम्हारे पिता इबराहीम अलैहिस्सलाम का धर्म है। और अल्लाह ने तुम्हारा नाम पिछली किताबों में और क़ुरआन में मुसलमान रखा है। ताकि रसूल तुमपर इस बात की गवाही दे कि उसने तुम्हें वह संदेश पहुँचा दिया जिसका उसे पहुँचाने का आदेश दिया गया था, और तुम पिछली उम्मतों पर इस बात की गवाही दो कि उनके रसूलों ने उन्हें संदेश पहुँचा दिया था। इसलिए इसपर अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हुए पूर्ण रूप से नमाज़ अदा करो, अपने धन की ज़कात दो, अल्लाह का सहारा लो और अपने सभी कामों में अल्लाह पर भरोसा करो। अल्लाह सर्वशक्तिमान अपने संरक्षण में आने वाले ईमान वालों का बेहतरीन संरक्षक है और मदद माँगने वालों का बेहतरीन मददगार है। इसलिए उसके संरक्षण में आओ, वह तुम्हें संरक्षण प्रदान करेगा और उससे मदद माँगो, वह तुम्हारी मदद करेगा।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• أهمية ضرب الأمثال لتوضيح المعاني، وهي طريقة تربوية جليلة.
• अर्थ को स्पष्ट करने के लिए उदाहरण प्रस्तुत करने का महत्व। और यह एक महान शैक्षणिक पद्धति है।

• عجز الأصنام عن خلق الأدنى دليل على عجزها عن خلق غيره.
• मूर्तियों की अत्यंत तुच्छ चीज़ को पैदा करने में अक्षमता, उसके अलावा चीज़ों को भी पैदा करने में उनकी अक्षमता का प्रमाण है।

• الإشراك بالله سببه عدم تعظيم الله.
• अल्लाह के साथ साझी बनाने का कारण, उसका आदर न करना है।

• إثبات صفتي القوة والعزة لله، وأهمية أن يستحضر المؤمن معاني هذه الصفات.
• अल्लाह के लिए 'क़ुव्वत' (शक्ति) और 'इज़्ज़त' (गौरव, प्रभुत्व) के गुणों को साबित करना। और इस बात का महत्व कि इनसान इन गुणों के अर्थों को हमेशा दिमाग़ में रखे।

 
શબ્દોનું ભાષાંતર સૂરહ: અલ્ હજ્
સૂરહ માટે અનુક્રમણિકા પેજ નંબર
 
કુરઆન મજીદના શબ્દોનું ભાષાંતર - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - ભાષાંતરોની અનુક્રમણિકા

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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