કુરઆન મજીદના શબ્દોનું ભાષાંતર - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - ભાષાંતરોની અનુક્રમણિકા


શબ્દોનું ભાષાંતર સૂરહ: અલ્ અહઝાબ   આયત:

सूरा अल्-अह़ज़ाब

સૂરતના હેતુઓ માંથી:
بيان عناية الله بنبيه صلى الله عليه وسلم، وحماية جنابه وأهل بيته.
अपने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के लिए अल्लाह की देखभाल, तथा आपकी और आपके घर वालों की रक्षा करने का वर्णन।

یٰۤاَیُّهَا النَّبِیُّ اتَّقِ اللّٰهَ وَلَا تُطِعِ الْكٰفِرِیْنَ وَالْمُنٰفِقِیْنَ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ كَانَ عَلِیْمًا حَكِیْمًا ۟ۙ
ऐ नबी! आप और आपके साथी, अल्लाह के आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से दूर रहकर अल्लाह के तक़्वा पर जमे रहें और अकेले उसी से डरें, तथा काफ़िरों और मुनाफ़िक़ों का उनकी इच्छाओं में पालन न करें। निश्चित रूप से अल्लाह काफ़िरों और मुनाफ़िक़ों की चालों की ख़बर रखने वाला है, अपनी रचना और प्रबंधन में हिकमत वाला है।
અરબી તફસીરો:
وَّاتَّبِعْ مَا یُوْحٰۤی اِلَیْكَ مِنْ رَّبِّكَ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ كَانَ بِمَا تَعْمَلُوْنَ خَبِیْرًا ۟ۙ
आप उस वह़्य (प्रकाशना) का अनुसरण करें, जो आपका पालनहार आपपर अवतरित करता है। निश्चय अल्लाह तुम्हारे कर्मों से पूरी तरह अवगत है, उनमें से कुछ भी उससे नहीं छूटता। और वह तुम्हें तुम्हारे कर्मों का बदला देगा।
અરબી તફસીરો:
وَّتَوَكَّلْ عَلَی اللّٰهِ ؕ— وَكَفٰی بِاللّٰهِ وَكِیْلًا ۟
अपने सभी मामलों में अकेले अल्लाह पर भरोसा करें। तथा अल्लाह अपने बंदों में से उस व्यक्ति के लिए संरक्षक के रूप में काफ़ी है, जो उसपर भरोसा करता है।
અરબી તફસીરો:
مَا جَعَلَ اللّٰهُ لِرَجُلٍ مِّنْ قَلْبَیْنِ فِیْ جَوْفِهٖ ۚ— وَمَا جَعَلَ اَزْوَاجَكُمُ الّٰٓـِٔیْ تُظٰهِرُوْنَ مِنْهُنَّ اُمَّهٰتِكُمْ ۚ— وَمَا جَعَلَ اَدْعِیَآءَكُمْ اَبْنَآءَكُمْ ؕ— ذٰلِكُمْ قَوْلُكُمْ بِاَفْوَاهِكُمْ ؕ— وَاللّٰهُ یَقُوْلُ الْحَقَّ وَهُوَ یَهْدِی السَّبِیْلَ ۟
अल्लाह ने एक आदमी के सीने में दो दिल नहीं बनाए, न ही उसने पत्नियों को निषेध (हराम होने) में माताओं के समान बनाया, और न ही उसने मुँह बोले बेटों (गोद लिए हुए पुत्रों) को सगे बेटों के समान बनाया। क्योंकि "ज़िहार" (अर्थात् किसी व्यक्ति का अपनी पत्नी को अपने ऊपर अपनी माँ और बहन के समान हराम कर लेना) और इसी तरह "मुँह बोला बेटा बनाना" (गोद लेना) : पूर्व-इस्लामिक रीति-रिवाजों में से हैं, जिन्हें इस्लाम ने अमान्य कर दिया है। यह 'ज़िहार' और 'मुँह बोला बेटा बनाना' एक कथन है, जिसे तुम अपने मुँह से दोहराते हो, इसमें कोई सच्चाई नहीं है। क्योंकि पत्नी न तो माँ है, और न ही मुँह बोला बेटा उस व्यक्ति का बेटा है, जिसने उसे बेटा बनाया है। अल्लाह तआला सत्य कहता है, ताकि उसके बंदे उस पर अमल करें, और वही सत्य के मार्ग की ओर रहनुमाई करता है।
અરબી તફસીરો:
اُدْعُوْهُمْ لِاٰبَآىِٕهِمْ هُوَ اَقْسَطُ عِنْدَ اللّٰهِ ۚ— فَاِنْ لَّمْ تَعْلَمُوْۤا اٰبَآءَهُمْ فَاِخْوَانُكُمْ فِی الدِّیْنِ وَمَوَالِیْكُمْ ؕ— وَلَیْسَ عَلَیْكُمْ جُنَاحٌ فِیْمَاۤ اَخْطَاْتُمْ بِهٖ وَلٰكِنْ مَّا تَعَمَّدَتْ قُلُوْبُكُمْ ؕ— وَكَانَ اللّٰهُ غَفُوْرًا رَّحِیْمًا ۟
जिन्हें तुम अपना बेटा होने का दावा करते हो, उन्हें उनके असली बापों की ओर मनसूब करो। क्योंकि उन्हें उनकी ओर मनसूब करना ही अल्लाह के निकट न्यायसंगत है। यदि तुम्हें उनके पिता मालूम न हों, जिनकी ओर उन्हें मनसूब करो, तो वे तुम्हारे धार्मिक भाई और तुम्हारे गुलामी से आज़ाद किए हुए लोग हैं। तो उन्हें 'ऐ मेरे भाई' और 'ऐ मेरे भतीजे' कहकर पुकारो। यदि कोई व्यक्ति भूल से किसी मुँह बोले बेटे को उसके मुँह बोले बाप की ओर मनसूब करके बुला ले, तो कोई गुनाह नहीं है। बल्कि गुनाह उस समय है, जब जान-बूझकर बोला जाए। और अल्लाह अपने तौबा करने वाले बंदों को माफ़ करने वाला, उनपर दया करने वाला है कि भूल-चूक पर उनकी पकड़ नहीं करता।
અરબી તફસીરો:
اَلنَّبِیُّ اَوْلٰی بِالْمُؤْمِنِیْنَ مِنْ اَنْفُسِهِمْ وَاَزْوَاجُهٗۤ اُمَّهٰتُهُمْ ؕ— وَاُولُوا الْاَرْحَامِ بَعْضُهُمْ اَوْلٰی بِبَعْضٍ فِیْ كِتٰبِ اللّٰهِ مِنَ الْمُؤْمِنِیْنَ وَالْمُهٰجِرِیْنَ اِلَّاۤ اَنْ تَفْعَلُوْۤا اِلٰۤی اَوْلِیٰٓىِٕكُمْ مَّعْرُوْفًا ؕ— كَانَ ذٰلِكَ فِی الْكِتٰبِ مَسْطُوْرًا ۟
पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम, हर उस चीज़ के मामले में जिसकी ओर वह ईमान वालों को बुलाएँ, उन पर स्वयं उनके अपने प्राणों से भी अधिक हक़ रखने वाले हैं, भले ही उनके दिल दूसरों के प्रति झुकाव रखते हों। और आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की पत्नियाँ सभी ईमान वालों की माताओं के दर्जे में हैं। इसलिए किसी भी मोमिन के लिए आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की मृत्यु के बाद उनमें से किसी से शादी करना हराम (निषिद्ध) है। और रिश्तेदार, अल्लाह के आदेश के अनुसार, विरासत के मामले में अन्य ईमान वालों और मुहाजिरों से आपस में एक-दूसरे पर अधिक हक़ रखने वाले हैं, जो इस्लाम की शुरुआत में आपस में एक-दूसरे का वारिस हुआ करते थे, फिर इस तरह से आपस में वारिस होने के नियम को निरस्त कर दिया गया। परंतु (ऐ ईमान वालो!) अगर तुम वारिसों के अलावा अपने अन्य दोस्तों के लिए कुछ धन की वसीयत करना तथा उनपर उपकार करना चाहो, तो तुम ऐसा कर सकते हो। यह आदेश लौह़े मह़फूज़ में अंकित है। इसलिए इसपर अमल करना ज़रूरी है।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• لا أحد أكبر من أن يُؤْمر بالمعروف ويُنْهى عن المنكر.
• कोई भी इतना बड़ा नहीं है कि उसे भले काम का आदेश न दिया जाए और बुरे काम से रोका न जाए।

• رفع المؤاخذة بالخطأ عن هذه الأمة.
• भूल-चूक पर इस उम्मत की पकड़ न होना।

• وجوب تقديم مراد النبي صلى الله عليه وسلم على مراد الأنفس.
• नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की इच्छा को अपनी स्वयं की इच्छा पर प्राथमिकता देने की अनिवार्यता।

• بيان علو مكانة أزواج النبي صلى الله عليه وسلم، وحرمة نكاحهنَّ من بعده؛ لأنهن أمهات للمؤمنين.
• नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की पत्नियों की उच्च स्थिति का वर्णन और आपके बाद उनके विवाह का निषेध। क्योंकि वे मोमिनों की माएँ हैं।

وَاِذْ اَخَذْنَا مِنَ النَّبِیّٖنَ مِیْثَاقَهُمْ وَمِنْكَ وَمِنْ نُّوْحٍ وَّاِبْرٰهِیْمَ وَمُوْسٰی وَعِیْسَی ابْنِ مَرْیَمَ ۪— وَاَخَذْنَا مِنْهُمْ مِّیْثَاقًا غَلِیْظًا ۟ۙ
और (ऐ रसूल!) आप उस समय को याद करें, जब हमने नबियों से केवल एक अल्लाह की इबादत करने, उसके साथ किसी को साझी न बनाने और उनकी ओर जो वह़्य (प्रकाशना) की गई है, उसे लोगों तक पहुँचाने का दृढ़ वचन लिया। तथा हमने विशेष रूप से आपसे और नूह, इबराहीम, मूसा और ईसा बिन मरयम से वचन लिया। तथा हमने उनसे दृढ़ संकल्प लिया कि जो कुछ उन्हें अल्लाह का संदेश पहुँचाने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है, उसे पूरा करेंगे।
અરબી તફસીરો:
لِّیَسْـَٔلَ الصّٰدِقِیْنَ عَنْ صِدْقِهِمْ ۚ— وَاَعَدَّ لِلْكٰفِرِیْنَ عَذَابًا اَلِیْمًا ۟۠
अल्लाह ने नबियों से यह दृढ़ प्रतिज्ञा ली, ताकि काफ़िरों की भर्त्सना करते हुए सच्चे रसूलों से उनकी सच्चाई के बारे में पूछे, और अल्लाह ने अपने तथा अपने रसूलों का इनकार करने वालों के लिए क़ियामत के दिन दर्दनाक यातना तैयार कर रखी है, जो जहन्नम की आग है।
અરબી તફસીરો:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوا اذْكُرُوْا نِعْمَةَ اللّٰهِ عَلَیْكُمْ اِذْ جَآءَتْكُمْ جُنُوْدٌ فَاَرْسَلْنَا عَلَیْهِمْ رِیْحًا وَّجُنُوْدًا لَّمْ تَرَوْهَا ؕ— وَكَانَ اللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ بَصِیْرًا ۟ۚ
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने वालो और उसकी शरीयत का पालन करने वालो! तुम अपने ऊपर अल्लाह के उस उपकार को याद करो, जब काफ़िरों की सेनाएँ तुमसे लड़ने के लिए जत्थाबंद होकर मदीना पर चढ़ आईं, तथा मुनाफ़िक़ों एवं यहूदियों ने उनका समर्थन किया। तो हमने उनपर पूर्वी हवा भेज दी, जिसके द्वारा अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की मदद की गई, तथा हमने फ़रिश्तों की सेनाएँ भेजीं, जिन्हें तुमने नहीं देखा। अतः काफ़िर भाग खड़े हुए, वे कुछ भी करने में सक्षम नहीं थे। और जो कुछ तुम कर रहे थे, अल्लाह उसे खूब देखने वाला था, उसमें से कुछ भी उससे छिपा नहीं है। और वह तुम्हें तुम्हारे कर्मों का बदला देगा।
અરબી તફસીરો:
اِذْ جَآءُوْكُمْ مِّنْ فَوْقِكُمْ وَمِنْ اَسْفَلَ مِنْكُمْ وَاِذْ زَاغَتِ الْاَبْصَارُ وَبَلَغَتِ الْقُلُوْبُ الْحَنَاجِرَ وَتَظُنُّوْنَ بِاللّٰهِ الظُّنُوْنَا ۟ؕ
और यह उस समय हुआ जब काफ़िर घाटी के ऊपर से और उसके नीचे से पूर्व और पश्चिम की दिशा से तुमपर चढ़ आए, उस समय निगाहें सारी चीज़ों से हटकर केवल दुश्मनों पर टिक गईं और गहन भय के कारण कलेजे मुँह को आने लगे और तुम अल्लाह के बारे में तरह-तरह के गुमान करने लगे; चुनाँचे कभी तुम जीत के बारे में सोचते, और कभी उससे निराशा का गुमान करने लगते।
અરબી તફસીરો:
هُنَالِكَ ابْتُلِیَ الْمُؤْمِنُوْنَ وَزُلْزِلُوْا زِلْزَالًا شَدِیْدًا ۟
खंदक़ की लड़ाई के दौरान उस अवसर पर, ईमान वालों का इस तरह परीक्षण किया गया कि उनके दुश्मन उनपर टूट पड़े और वे डर की तीव्रता से बुरी तरह हिला दिए गए। और इस परीक्षण से यह स्पष्ट हो गया कि कौन मोमिन है और कौन मुनाफ़िक़।
અરબી તફસીરો:
وَاِذْ یَقُوْلُ الْمُنٰفِقُوْنَ وَالَّذِیْنَ فِیْ قُلُوْبِهِمْ مَّرَضٌ مَّا وَعَدَنَا اللّٰهُ وَرَسُوْلُهٗۤ اِلَّا غُرُوْرًا ۟
उस दिन मुनाफ़िकों और कमज़ोर ईमान वाले लोगों ने, जिनके दिलों में संदेह है, कहा : अल्लाह और उसके रसूल ने हमसे हमारे दुश्मन पर विजय और धरती में हमें प्रभुत्व प्रदान करने का जो वादा किया था, वह असत्य और निराधार था।
અરબી તફસીરો:
وَاِذْ قَالَتْ طَّآىِٕفَةٌ مِّنْهُمْ یٰۤاَهْلَ یَثْرِبَ لَا مُقَامَ لَكُمْ فَارْجِعُوْا ۚ— وَیَسْتَاْذِنُ فَرِیْقٌ مِّنْهُمُ النَّبِیَّ یَقُوْلُوْنَ اِنَّ بُیُوْتَنَا عَوْرَةٌ ۛؕ— وَمَا هِیَ بِعَوْرَةٍ ۛۚ— اِنْ یُّرِیْدُوْنَ اِلَّا فِرَارًا ۟
और (ऐ रसूल!) उस समय को याद करें, जब मुनाफ़िक़ों के एक समूह ने मदीना के लोगों से कहा : ऐ यसरिब (इस्लाम से पहले मदीना का नाम) वालो! तुम्हारे लिए ख़ंदक़ के पास, 'सल्अ' पहाड़ी के दामन में ठहरने का कोई स्थान नहीं है। इसलिए अपने घरों को लौट चलो। और उनमें से एक समूह नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से घर वापसी की अनुमित माँग रहा था। उनका दावा था कि उनके घर दुश्मन की ज़द में हैं, जबकि मामला ऐसा नहीं है जैसा कि उन्होंने दावा किया है। बल्कि वे इस झूठे बहाने के द्वारा दुश्मन से भागना चाहते हैं।
અરબી તફસીરો:
وَلَوْ دُخِلَتْ عَلَیْهِمْ مِّنْ اَقْطَارِهَا ثُمَّ سُىِٕلُوا الْفِتْنَةَ لَاٰتَوْهَا وَمَا تَلَبَّثُوْا بِهَاۤ اِلَّا یَسِیْرًا ۟
और अगर दुश्मन उनपर मदीना में उसकी सभी दिशाओं से प्रवेश कर जाता, और उनसे अल्लाह का इनकार करने और उसके साथ साझी ठहराने की ओर लौटने के लिए कहता, तो निश्चय वे अपने दुश्मन की यह बात मान लेते, और वे इस्लाम धर्म त्यागने और कुफ़्र की ओर पलटने में केवल थोड़ी ही देर संकोच करते।
અરબી તફસીરો:
وَلَقَدْ كَانُوْا عَاهَدُوا اللّٰهَ مِنْ قَبْلُ لَا یُوَلُّوْنَ الْاَدْبَارَ ؕ— وَكَانَ عَهْدُ اللّٰهِ مَسْـُٔوْلًا ۟
जबकि इन मुनाफ़िक़ों (पाखंडियों) ने उहुद के दिन युद्ध से भागने के बाद अल्लाह से प्रतिज्ञा की थी कि अगर अल्लाह ने उन्हें किसी और लड़ाई में शामिल होने का अवसर दिया, तो वे अपने दुश्मन से ज़रूर लड़ाई करेंगे और उनके डर से नहीं भागेंगे। लेकिन उन्होंने वादा तोड़ दिया। हालाँकि बंदे ने अल्लाह से जो वादा किया है, उसके प्रति वह ज़िम्मेदार है और उससे उसका हिसाब लिया जाएगा।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• منزلة أولي العزم من الرسل.
• दृढ़ संकल्प वाले रसूलों का स्थान।

• تأييد الله لعباده المؤمنين عند نزول الشدائد.
• विपत्ति आने पर अल्लाह का अपने मोमिन बंदों का समर्थन।

• خذلان المنافقين للمؤمنين في المحن.
• मुनाफ़िक़ों (पाखंडियों) का संकटों में मुसलमानों का साथ छोड़ देना।

قُلْ لَّنْ یَّنْفَعَكُمُ الْفِرَارُ اِنْ فَرَرْتُمْ مِّنَ الْمَوْتِ اَوِ الْقَتْلِ وَاِذًا لَّا تُمَتَّعُوْنَ اِلَّا قَلِیْلًا ۟
(ऐ रसूल) आप इन लोगों से कह दें : यदि तुम मरने या क़त्ल होने के भय से लड़ाई से भागते हो, तो (यह) भागना तुम्हें हरगिज़ लाभ नहीं देगा। क्योंकि मौत का समय निर्धारित है। और अगर तुम भागते हो और तुम्हारी मौत का समय नहीं आया है, तब भी तुम जीवन में केवल थोड़े समय का आनंद ले सकोगे।
અરબી તફસીરો:
قُلْ مَنْ ذَا الَّذِیْ یَعْصِمُكُمْ مِّنَ اللّٰهِ اِنْ اَرَادَ بِكُمْ سُوْٓءًا اَوْ اَرَادَ بِكُمْ رَحْمَةً ؕ— وَلَا یَجِدُوْنَ لَهُمْ مِّنْ دُوْنِ اللّٰهِ وَلِیًّا وَّلَا نَصِیْرًا ۟
(ऐ रसूल) आप उनसे कह दें : अगर अल्लाह तुम्हारे साथ उसी मौत और क़त्ल का इरादा करे, जिस तुम नापसंद करते हो, या तुम्हारे साथ सलामती और भलाई का इरादा करे, जिसकी तुम आशा करते हो, तो वह कौन है जो तुम्हें अल्लाह से बचा सकता है?! कोई भी तुम्हें इससे बचा नहीं सकता। और ये मुनाफ़िक़ लोग अपने लिए अल्लाह के सिवा कोई संरक्षक नहीं पाएँगे, जो उनके मामले की देखभाल करे और न ही कोई सहायक पाएँगे, जो उन्हें अल्लाह की सज़ा से बचा सके।
અરબી તફસીરો:
قَدْ یَعْلَمُ اللّٰهُ الْمُعَوِّقِیْنَ مِنْكُمْ وَالْقَآىِٕلِیْنَ لِاِخْوَانِهِمْ هَلُمَّ اِلَیْنَا ۚ— وَلَا یَاْتُوْنَ الْبَاْسَ اِلَّا قَلِیْلًا ۟ۙ
अल्लाह तुम में से उन लोगों को जानता है, जो दूसरे लोगों को अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ मिलकर लड़ने से हतोत्साहित करते हैं, और जो अपने भाइयों से कहते हैं : हमारे पास आओ और उनके साथ युद्ध में शामिल न हो ताकि तुम मारे न जाओ। क्योंकि हमें तुम्हारे मारे जाने का भय है। और ये हतोत्साहित करने वाले युद्ध में नहीं आते हैं और शायद ही कभी उसमें भाग लेते हैं; ताकि अपने आप से अपमान को दूर कर सकें, इसलिए नहीं कि वे अल्लाह और उसके रसूल की मदद करें।
અરબી તફસીરો:
اَشِحَّةً عَلَیْكُمْ ۖۚ— فَاِذَا جَآءَ الْخَوْفُ رَاَیْتَهُمْ یَنْظُرُوْنَ اِلَیْكَ تَدُوْرُ اَعْیُنُهُمْ كَالَّذِیْ یُغْشٰی عَلَیْهِ مِنَ الْمَوْتِ ۚ— فَاِذَا ذَهَبَ الْخَوْفُ سَلَقُوْكُمْ بِاَلْسِنَةٍ حِدَادٍ اَشِحَّةً عَلَی الْخَیْرِ ؕ— اُولٰٓىِٕكَ لَمْ یُؤْمِنُوْا فَاَحْبَطَ اللّٰهُ اَعْمَالَهُمْ ؕ— وَكَانَ ذٰلِكَ عَلَی اللّٰهِ یَسِیْرًا ۟
वे तुमपर (ऐ ईमान वालो) अपने धन के साथ बड़े कंजूस हैं, इसलिए वे उसे खर्च करके तुम्हारी मदद नहीं करते हैं। तथा वे अपनी जानों के संबंध में भी कंजूस हैं, इसलिए वे तुम्हारे साथ लड़ाई नहीं करते। तथा वे अपनी दोस्ती के संबंध में भी कंजूस हैं, इसलिए वे तुमसे मित्रता नहीं करते। चुनाँचे जब दुश्मन से मुठभेड़ के समय भय का सामना होता है, तो आप उन्हें देखेंगे कि वे (ऐ रसूल) आपकी ओर ऐसे देखते हैं कि उनकी आँखें कायरता के कारण उस आदमी की आँखों के घूमने की तरह घूम रही हैं, जो मौत की पीड़ा से जूझ रहा हो। फिर जब उनका भय जाता रहता है और वे निश्चिंत हो जाते हैं, तो वे अपनी तेज़ ज़बानों के साथ तुम्हें कष्ट पहुँचाते हैं। वे ग़नीमत के माल के बड़े लोभी होते हैं और उसकी ताक में रहते हैं। ये लोग जो इन विशेषताओं से विशिष्ट हैं, वास्तव में ईमान ही नहीं लाए हैं। इसलिए अल्लाह ने इनके कर्मों के सवाब को व्यर्थ कर दिया। और यह व्यर्थ करना अल्लाह के लिए अति सरल है।
અરબી તફસીરો:
یَحْسَبُوْنَ الْاَحْزَابَ لَمْ یَذْهَبُوْا ۚ— وَاِنْ یَّاْتِ الْاَحْزَابُ یَوَدُّوْا لَوْ اَنَّهُمْ بَادُوْنَ فِی الْاَعْرَابِ یَسْاَلُوْنَ عَنْ اَنْۢبَآىِٕكُمْ ؕ— وَلَوْ كَانُوْا فِیْكُمْ مَّا قٰتَلُوْۤا اِلَّا قَلِیْلًا ۟۠
ये कायर लोग समझते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और ईमान वालों से लड़ाई के लिए एकजुट होने वाली सेनाएँ मुसलमानों का सफ़ाया किए बिना कभी वापस नहीं जाएँगी। और अगर ऐसा हो कि ये सेनाएँ दोबारा आ जाएँ, तो ये मुनाफ़िक़ लोग पसंद करेंगे कि वे देहातियों के साथ मदीना के बाहर निकल जाते, जहाँ से वे तुम्हारी खबर के बारे में पूछते कि : तुम्हारे दुश्मन के तुमसे लड़ने के बाद तुम्हारे साथ क्या हुआ? और अगर वे (ऐ मोमिनो!) तुम्हारे बीच में होते, तो वे तुम्हारे साथ बहुत कम ही लड़ते। इसलिए उनकी परवाह न करो और न ही उनपर अफ़सोस करो।
અરબી તફસીરો:
لَقَدْ كَانَ لَكُمْ فِیْ رَسُوْلِ اللّٰهِ اُسْوَةٌ حَسَنَةٌ لِّمَنْ كَانَ یَرْجُوا اللّٰهَ وَالْیَوْمَ الْاٰخِرَ وَذَكَرَ اللّٰهَ كَثِیْرًا ۟ؕ
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने जो कुछ कहा, जो कुछ अंजाम दिया और जो कुछ किया, उसमें तुम्हारे लिए उत्तम आदर्श है। चुनाँचे आप स्वंय उपस्थित हुए और युद्ध किया, तो फिर तुम उसके बाद आपकी जान से बेपरवाह होकर अपनी जानों को निछावर करने में कंजूसी करते हो? और अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के आदर्श को वही अपनाएगा, जो अल्लाह के प्रतिफल और दया की आशा रखता हो और आख़िरत के दिन की आशा रखता हो, और उसके लिए कार्य करता हो और अल्लाह को बहुत ज़्यादा याद करता हो। लेकिन जो व्यक्ति आख़िरत के दिन की आशा नहीं रखता है और अल्लाह को बहुत ज़्यादा याद नहीं करता है, तो वह अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के आदर्श को नहीं अपनाएगा।
અરબી તફસીરો:
وَلَمَّا رَاَ الْمُؤْمِنُوْنَ الْاَحْزَابَ ۙ— قَالُوْا هٰذَا مَا وَعَدَنَا اللّٰهُ وَرَسُوْلُهٗ وَصَدَقَ اللّٰهُ وَرَسُوْلُهٗ ؗ— وَمَا زَادَهُمْ اِلَّاۤ اِیْمَانًا وَّتَسْلِیْمًا ۟ؕ
और जब ईमान वालों ने उनसे लड़ने के लिए एकत्रित सेनाओं को अपनी आँखों से देख लिया तो कहा : यही वह परीक्षण, विपत्ति और मदद (विजय) है, जिसका अल्लाह और उसके रसूल ने हमसे वादा किया था और अल्लाह और उसके रसूल इसमें सच्चे थे, चुनाँचे वह पूरा हो गया। तथा सेनाओं को देखने से उनका अल्लाह पर ईमान और उसके प्रति समर्पण और बढ़ गया।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• الآجال محددة؛ لا يُقَرِّبُها قتال، ولا يُبْعِدُها هروب منه.
• मौत का समय निर्धारित है; लड़ाई करना उसे क़रीब नहीं लाता और न ही उससे भागना उसे दूर करता है।

• التثبيط عن الجهاد في سبيل الله شأن المنافقين دائمًا.
• अल्लाह के रास्ते में जिहाद से हतोत्साहित करना हमेशा से मुनाफ़िक़ों का काम रहा है।

• الرسول صلى الله عليه وسلم قدوة المؤمنين في أقواله وأفعاله.
• अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अपनी बातों और कार्यों में ईमान वालों के लिए आदर्श हैं।

• الثقة بالله والانقياد له من صفات المؤمنين.
• अल्लाह पर भरोसा और उसके प्रति समर्पण ईमान वालों के गुण हैं।

مِنَ الْمُؤْمِنِیْنَ رِجَالٌ صَدَقُوْا مَا عَاهَدُوا اللّٰهَ عَلَیْهِ ۚ— فَمِنْهُمْ مَّنْ قَضٰی نَحْبَهٗ وَمِنْهُمْ مَّنْ یَّنْتَظِرُ ۖؗ— وَمَا بَدَّلُوْا تَبْدِیْلًا ۟ۙ
ईमान वालों में से कुछ लोग ऐसे हैं, जिन्होंने अल्लाह से किया हुआ वादा सच कर दिखाया। चुनाँचे उन्होंने अल्लाह के रास्ते में जिहाद में दृढ़ता और धैर्य का जो वादा किया था, उसे पूरा किया। तो उनमें से कुछ लोग मर गए या अल्लाह की राह में शहीद हो गए और कुछ लोग असके रास्ते में शहीद होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। और इन ईमान वालों ने अल्लाह से कि हुए अपने वादे को नहीं बदला, जैसा कि मुनाफ़िक़ों ने अपने वादों के साथ किया।
અરબી તફસીરો:
لِّیَجْزِیَ اللّٰهُ الصّٰدِقِیْنَ بِصِدْقِهِمْ وَیُعَذِّبَ الْمُنٰفِقِیْنَ اِنْ شَآءَ اَوْ یَتُوْبَ عَلَیْهِمْ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ كَانَ غَفُوْرًا رَّحِیْمًا ۟ۚ
ताकि अल्लाह उन सच्चे लोगों को, जिन्होंने अल्लाह से किए हुए वादे को पूरा किया, उनकी सच्चाई और वादा निभाने का बदला दे, और प्रतिज्ञा को तोड़ने वाले मुनाफ़िक़ों को यदि चाहे तो यातना दे, इस प्रकार कि उन्हें उनके कुफ़्र से तौबा करने से पहले ही मौत दे दे, या उनकी तौबा क़बूल करते हुए उन्हें तौबा करने की तौफ़ीक़ प्रदान कर दे। और अल्लाह अपने गुनाहों से तौबा करने वाले को क्षमा करने वाला, उसपर दया करने वाला है।
અરબી તફસીરો:
وَرَدَّ اللّٰهُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا بِغَیْظِهِمْ لَمْ یَنَالُوْا خَیْرًا ؕ— وَكَفَی اللّٰهُ الْمُؤْمِنِیْنَ الْقِتَالَ ؕ— وَكَانَ اللّٰهُ قَوِیًّا عَزِیْزًا ۟ۚ
और अल्लाह ने क़ुरैश, ग़तफ़ान और उन लोगों को जो उनके साथ थे, उनकी उम्मीदों पर पानी फिर जाने के कारण उनकी पीड़ा और शोक के साथ लौटा दिया, वे मुसलमानों का सफाया करने के इरादे में कामयाब न हुए। और अल्लाह आँधी भेजकर और फ़रिश्तों को उतारकर उनसे युद्ध करने के लिए ईमान वालों को काफी हो गया। और अल्लाह बड़ा शक्तिशाली, अत्यंत प्रभुत्वशाली है, जो भी उससे मुक़ाबला करने की कोशिश करेगा, वह उसे पराजित और असहाय कर देगा।
અરબી તફસીરો:
وَاَنْزَلَ الَّذِیْنَ ظَاهَرُوْهُمْ مِّنْ اَهْلِ الْكِتٰبِ مِنْ صَیَاصِیْهِمْ وَقَذَفَ فِیْ قُلُوْبِهِمُ الرُّعْبَ فَرِیْقًا تَقْتُلُوْنَ وَتَاْسِرُوْنَ فَرِیْقًا ۟ۚ
अल्लाह ने यहूदियों में से उन लोगों को, जिन्होंने काफ़िरों की सहायता की थी, उनके उन क़िलों से उतार दिया, जहाँ वे अपने दुश्मनों से बचने के लिए शरण लेते थे। और उनके दिलों में भय डाल दिया। चुनाँचे तुम (ऐ ईमान वालो) उनके एक गिरोह को क़त्ल कर रहे थे और एक गिरोह को बंदी बना रहे थे।
અરબી તફસીરો:
وَاَوْرَثَكُمْ اَرْضَهُمْ وَدِیَارَهُمْ وَاَمْوَالَهُمْ وَاَرْضًا لَّمْ تَطَـُٔوْهَا ؕ— وَكَانَ اللّٰهُ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرًا ۟۠
और अल्लाह ने उनके विनाश के बाद, उनकी भूमि को खेतियों और ख़जूर के बाग़ों समेत तुम्हारे क़ब्ज़े में कर दिया। तथा तुम्हें उनके घरों और उनके अन्य धनों का मालिक बना दिया। और तुम्हें ख़ैबर की भूमि का मालिक बना दिया, जिसपर तुमने अभी तक अपने पाँव भी नहीं रखे थे। लेकिन अब उस पर तुम्हारे क़दम पड़ेंगे। यह ईमान वालों के लिए एक वादा और खुशख़बरी है। और अल्लाह हर चीज़ पर सर्वशक्तिमान है, उसे कोई चीज़ विवश नहीं कर सकती।
અરબી તફસીરો:
یٰۤاَیُّهَا النَّبِیُّ قُلْ لِّاَزْوَاجِكَ اِنْ كُنْتُنَّ تُرِدْنَ الْحَیٰوةَ الدُّنْیَا وَزِیْنَتَهَا فَتَعَالَیْنَ اُمَتِّعْكُنَّ وَاُسَرِّحْكُنَّ سَرَاحًا جَمِیْلًا ۟
ऐ नबी! अपनी पत्नियों से कह दें, जबकि उन्होंने आपसे नफ़क़ा (भरण-पोषण) में विस्तार करने की माँग की है और आपके पास उन पर विस्तार करने के लिए कुछ भी नहीं है : अगर तुम दुनिया का जीवन और उसकी शोभा चाहती हो, तो मेरे पास आओ, मैं तुम्हें कुछ सामान दे दूँ, जो तलाक़शुदा महिलाओं को दिया जाता है और तुम्हें बिना कोई नुक़सान पहुँचाए या कष्ट दिए तलाक़ दे दूँ।
અરબી તફસીરો:
وَاِنْ كُنْتُنَّ تُرِدْنَ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ وَالدَّارَ الْاٰخِرَةَ فَاِنَّ اللّٰهَ اَعَدَّ لِلْمُحْسِنٰتِ مِنْكُنَّ اَجْرًا عَظِیْمًا ۟
और अगर तुम अल्लाह की प्रसन्नता और उसके रसूल की प्रसन्नता चाहती हो, और आखिरत के घर में जन्नत चाहती हो, तो अपनी हालत पर सब्र करो। क्योंकि तुममें से जो सब्र और अच्छे रहन-सहन के साथ जीवन यापन करेगी, उसके लिए अल्लाह ने बहुत बड़ा बदला तैयार कर रखा है।
અરબી તફસીરો:
یٰنِسَآءَ النَّبِیِّ مَنْ یَّاْتِ مِنْكُنَّ بِفَاحِشَةٍ مُّبَیِّنَةٍ یُّضٰعَفْ لَهَا الْعَذَابُ ضِعْفَیْنِ ؕ— وَكَانَ ذٰلِكَ عَلَی اللّٰهِ یَسِیْرًا ۟
ऐ नबी की स्त्रियो! तुममें से जो भी कोई स्पष्ट पाप करेगी, क़ियामत के दिन उसकी यातना दोगुनी कर दी जाएगी। ऐसा उसकी स्थिति और पद के कारण तथा नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के मान-सम्मान की रक्षा के लिए होगा। और यह दोगुनी यातना देना अल्लाह के लिए बहुत आसान है।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• تزكية الله لأصحاب رسول الله صلى الله عليه وسلم ، وهو شرف عظيم لهم.
• अल्लाह का अपने रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथियों को सच्चा घोषित करना (उनकी प्रशंसा करना), और यह उनके लिए एक महान सम्मान है।

• عون الله ونصره لعباده من حيث لا يحتسبون إذا اتقوا الله.
• बंदे अगर अल्लाह का तक़्वा (ईशभय) अपनाएँ, तो वह उनकी इस तरह मदद करता है कि वे सोच भी नहीं सकते।

• سوء عاقبة الغدر على اليهود الذين ساعدوا الأحزاب.
• काफ़िरों के जत्थों की मदद करने वाले यहूदियों पर विश्वासघात का बुरा परिणाम।

• اختيار أزواج النبي صلى الله عليه وسلم رضا الله ورسوله دليل على قوة إيمانهنّ.
• नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की पत्नियों का अल्लाह और उसके रसूल की प्रसन्नता को चुनना, उनके ईमान की शक्ति का प्रमाण है।

وَمَنْ یَّقْنُتْ مِنْكُنَّ لِلّٰهِ وَرَسُوْلِهٖ وَتَعْمَلْ صَالِحًا نُّؤْتِهَاۤ اَجْرَهَا مَرَّتَیْنِ ۙ— وَاَعْتَدْنَا لَهَا رِزْقًا كَرِیْمًا ۟
और तुममें से जो कोई निरंतर अल्लाह और उसके रसूल का आज्ञापालन करे और अल्लाह के निकट पसंदीदा नेक कार्य करे, हम उसे दूसरी महिलाओं की तुलना में दोगुना सवाब देंगे। तथा हमने उसके लिए आखिरत में उत्तम (सम्मानजनक) बदला तैयार कर रखा है, जो कि जन्नत है।
અરબી તફસીરો:
یٰنِسَآءَ النَّبِیِّ لَسْتُنَّ كَاَحَدٍ مِّنَ النِّسَآءِ اِنِ اتَّقَیْتُنَّ فَلَا تَخْضَعْنَ بِالْقَوْلِ فَیَطْمَعَ الَّذِیْ فِیْ قَلْبِهٖ مَرَضٌ وَّقُلْنَ قَوْلًا مَّعْرُوْفًا ۟ۚ
ऐ नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की पत्नियो! तुम प्रतिष्ठा और सम्मान में अन्य स्त्रियों के समान नहीं हो। बल्कि तुम प्रतिष्ठा एवं सम्मान में उस स्थान पर विराजमान हो, जहाँ तुम्हारे अलावा अन्य महिलाएँ नहीं पहुँच सकतीं, यदि तुम अल्लाह के आदेशों का पालन करती रहो और उसकी मना की हुई चीज़ों से बचती रहो। अतः जब तुम गैर-मह्रम पुरुषों से बात करो, तो बात को लचकदार और आवाज़ को कोमल न रखो कि जिसके दिल में निफ़ाक़ का रोग और हराम की वासना है, वह इसके कारण लालच कर बैठे। तथा संदेह से परे बात करो इस प्रकार कि वह ज़रूरत भर एक गंभीर बात हो, उपहास व मज़ाक न हो।
અરબી તફસીરો:
وَقَرْنَ فِیْ بُیُوْتِكُنَّ وَلَا تَبَرَّجْنَ تَبَرُّجَ الْجَاهِلِیَّةِ الْاُوْلٰی وَاَقِمْنَ الصَّلٰوةَ وَاٰتِیْنَ الزَّكٰوةَ وَاَطِعْنَ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ ؕ— اِنَّمَا یُرِیْدُ اللّٰهُ لِیُذْهِبَ عَنْكُمُ الرِّجْسَ اَهْلَ الْبَیْتِ وَیُطَهِّرَكُمْ تَطْهِیْرًا ۟ۚ
और तुम अपने घरों में ठहरी रहो। इसलिए ज़रूरत के बिना घर से बाहर न निकलो और इस्लाम से पूर्व की महिलाओं की तरह अपने सौन्दर्य का प्रदर्शन न करो, जो पुरुषों को रिझाने के लिए अपने सौन्दर्य का प्रदर्शन किया करती थीं। और नमाज़ को सबसे पूर्ण रूप से अदा करो और अपने धन की ज़कात दो और अल्लाह तथा उसके रसूल का आज्ञापालन करो। ऐ अल्लाह के रसूल की पत्नियो और ऐ आपके घर वालो, अल्लाह तो चाहता है कि तुमसे कष्ट और बुराई दूर कर दे। तथा वह चाहता है कि तुम्हारी आत्माओं को; शिष्टाचार से सुसज्जित एवं दुष्ट आचरण से रहित कर, इस तरह पूर्ण रूप से शुद्ध व पवित्र कर दे कि उसके पश्चात कोई गंदगी बाकी न रहे।
અરબી તફસીરો:
وَاذْكُرْنَ مَا یُتْلٰی فِیْ بُیُوْتِكُنَّ مِنْ اٰیٰتِ اللّٰهِ وَالْحِكْمَةِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ كَانَ لَطِیْفًا خَبِیْرًا ۟۠
तुम्हारे घरों में जो अल्लाह के रसूल पर उतरने वाली आयतें और उसके रसूल की पवित्र सुन्नत पढ़ी जाती हैं, उन्हें याद रखो। निश्चय ही अल्लाह तुमपर बड़ा कृपालु है जब उसने तुमपर यह उपकार किया कि तुम्हें अपने रसूल के घरों में रखा, तथा वह तुमसे पूरी तरह अवगत है जब उसने तुम्हें अपने रसूल के लिए पत्नियों के रूप में चयन किया और तुम्हें आपकी उम्मत के समस्त मोमिनों की माओं के रूप में चुन लिया।
અરબી તફસીરો:
اِنَّ الْمُسْلِمِیْنَ وَالْمُسْلِمٰتِ وَالْمُؤْمِنِیْنَ وَالْمُؤْمِنٰتِ وَالْقٰنِتِیْنَ وَالْقٰنِتٰتِ وَالصّٰدِقِیْنَ وَالصّٰدِقٰتِ وَالصّٰبِرِیْنَ وَالصّٰبِرٰتِ وَالْخٰشِعِیْنَ وَالْخٰشِعٰتِ وَالْمُتَصَدِّقِیْنَ وَالْمُتَصَدِّقٰتِ وَالصَّآىِٕمِیْنَ وَالصّٰٓىِٕمٰتِ وَالْحٰفِظِیْنَ فُرُوْجَهُمْ وَالْحٰفِظٰتِ وَالذّٰكِرِیْنَ اللّٰهَ كَثِیْرًا وَّالذّٰكِرٰتِ ۙ— اَعَدَّ اللّٰهُ لَهُمْ مَّغْفِرَةً وَّاَجْرًا عَظِیْمًا ۟
आज्ञाकारिता के साथ अल्लाह के अधीन होने वाले पुरुष और अधीन होने वाली स्त्रियाँ, अल्लाह को सच्चा मानने वाले पुरुष और सच्चा मानने वाली स्त्रियाँ, अल्लाह का आज्ञापालन करने वाले पुरुष और आज्ञापालन करने वाली स्त्रियाँ, अपने ईमान और कथन में सच्चे पुरुष और सच्ची स्त्रियाँ, आज्ञाकारिता के कामों पर और गुनाहों से दूर रहने में और विपत्ति पर धैर्य से काम लेने वाले पुरुष और धैर्य से काम लेने वाली स्त्रियाँ, अनिवार्य और स्वैच्छिक दान करने वाले पुरुष और दान करने वाली स्त्रियाँ, अल्लाह के लिए अनिवार्य और स्वैच्छिक रोज़ा रखने वाले पुरुष और रोज़ा रखने वाली स्त्रियाँ, अपने गुप्तांगों की रक्षा करने वाले पुरुष और अपने गुप्तांगों की रक्षा करने वाली स्त्रियाँ; उन्हें ऐसे व्यक्ति के सामने प्रकट करने से ढककर, जिसके लिए उन्हें देखना जायज़ नहीं है तथा व्यभिचार के दुष्कर्म और उसकी प्रारंभिक चीज़ों से दूर रहकर, तथा अपने दिलों और अपनी ज़बानों से गुप्त और खुले तौर पर अल्लाह को बहुत अधिक याद करने वाले पुरुष और याद करने वाली स्त्रियाँ - अल्लाह ने उनके लिए अपनी ओर से उनके पापों के लिए क्षमा, तथा क़ियामत के दिन उनके लिए बहुत बड़ा बदला तैयार कर रखा है और वह जन्नत है।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• من توجيهات القرآن للمرأة المسلمة: النهي عن الخضوع بالقول، والأمر بالمكث في البيوت إلا لحاجة، والنهي عن التبرج.
• मुस्लिम महिला के लिए क़ुरआन के निर्देशों में से कुछ ये हैं : लचकदार अंदाज़ में बात करने की मनाही, ज़रूरत के अलावा घरों में रहने का आदेश, और श्रृंगार प्रदर्शन करने का निषेध।

• فضل أهل بيت رسول الله صلى الله عليه وسلم، وأزواجُه من أهل بيته.
• अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के घर वालों की प्रतिष्ठा तथा यह कि आपकी पत्नियाँ आपके घर वालों में से हैं।

• مبدأ التساوي بين الرجال والنساء قائم في العمل والجزاء إلا ما استثناه الشرع لكل منهما.
• पुरुषों और महिलाओं के बीच समानता का सिद्धांत काम और बदले में मौजूद है। सिवाय इसके कि शरीयत ने जिसे उनमें से प्रत्येक के लिए अलग रखा है।

وَمَا كَانَ لِمُؤْمِنٍ وَّلَا مُؤْمِنَةٍ اِذَا قَضَی اللّٰهُ وَرَسُوْلُهٗۤ اَمْرًا اَنْ یَّكُوْنَ لَهُمُ الْخِیَرَةُ مِنْ اَمْرِهِمْ ؕ— وَمَنْ یَّعْصِ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ فَقَدْ ضَلَّ ضَلٰلًا مُّبِیْنًا ۟
किसी ईमान वाले पुरुष और ईमान वाली स्त्री के लिए यह ठीक नहीं है कि जब अल्लाह और उसका रसूल किसी बात का निर्णय कर दें, तो उनके लिए उसे स्वीकार करने या अस्वीकार करने का विकल्प बाक़ी रहे। और जो अल्लाह और उसके रसूल की अवज्ञा करे, तो वह स्पष्ट रूप से सीधे रास्ते से भटक गया।
અરબી તફસીરો:
وَاِذْ تَقُوْلُ لِلَّذِیْۤ اَنْعَمَ اللّٰهُ عَلَیْهِ وَاَنْعَمْتَ عَلَیْهِ اَمْسِكْ عَلَیْكَ زَوْجَكَ وَاتَّقِ اللّٰهَ وَتُخْفِیْ فِیْ نَفْسِكَ مَا اللّٰهُ مُبْدِیْهِ وَتَخْشَی النَّاسَ ۚ— وَاللّٰهُ اَحَقُّ اَنْ تَخْشٰىهُ ؕ— فَلَمَّا قَضٰی زَیْدٌ مِّنْهَا وَطَرًا زَوَّجْنٰكَهَا لِكَیْ لَا یَكُوْنَ عَلَی الْمُؤْمِنِیْنَ حَرَجٌ فِیْۤ اَزْوَاجِ اَدْعِیَآىِٕهِمْ اِذَا قَضَوْا مِنْهُنَّ وَطَرًا ؕ— وَكَانَ اَمْرُ اللّٰهِ مَفْعُوْلًا ۟
और जब आप (ऐ रसूल) उस व्यक्ति से, जिसपर अल्लाह ने इस्लाम के द्वारा उपकार किया और आपने उसे आज़ाद करके उसपर उपकार किया - इससे अभिप्राय ज़ैद बिन हारिसा रज़ियल्लाहु अन्हुमा हैं, जब वह आपके पास अपनी पत्नी ज़ैनब बिन्ते जहश को तलाक़ देने के संबंध में परामर्श करने आए - आप उससे कह रहे थे : अपनी पत्नी को अपने पास रोके रखो और उसे तलाक़ न दो। और अल्लाह के आदेशों का पालन करके एवं उसके निषेधों से बचकर उससे डरो। तथा (ऐ रसूल) आप अपने दिल में ज़ैनब से अपनी शादी की बात, जिसकी अल्लाह ने आपकी ओर वह़्य उतारी थी, लोगों के भय से छिपा रहे थे। जबकि अल्लाह ज़ैद के उसे तलाक़ देने फिर आपके उससे विवाह का मामला प्रकट करने वाला था। हालाँकि अल्लाह इस बात का अधिक योग्य है कि आप इस मामले में उससे डरें। फिर जब ज़ैद का मन ज़ैनब से अलग होने पर संतुष्ट हो गया और उसे तलाक़ दे दी, तो हमने आपका उससे विवाह कर दिया, ताकि ईमान वालों पर अपने मुँह बोले बेटों की पत्नियों से विवाह करने में कोई पाप न रहे, यदि वे उन्हें तलाक दे दें और उनकी इद्दत समाप्त हो जाए। और अल्लाह का आदेश पूरा होकर ही रहता है, उसे कोई रोकने वाला और उसके आगे कोई बाधक नहीं है।
અરબી તફસીરો:
مَا كَانَ عَلَی النَّبِیِّ مِنْ حَرَجٍ فِیْمَا فَرَضَ اللّٰهُ لَهٗ ؕ— سُنَّةَ اللّٰهِ فِی الَّذِیْنَ خَلَوْا مِنْ قَبْلُ ؕ— وَكَانَ اَمْرُ اللّٰهِ قَدَرًا مَّقْدُوْرَا ۟ؗۙ
नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर उस चीज़ में कोई गुनाह या तंगी नहीं है, जो अल्लाह ने उनके लिए अपने दत्तक पुत्र की पत्नी से विवाह करना वैध कर दिया है। वह इस विषय में अपने पूर्व नबियों की सुन्नत (तरीक़े) का पालन कर रहे हैं। इसलिए वह इस मामले में कोई अनोखे रसूल नहीं हैं। तथा अल्लाह जो निर्णय कर देता है (जैसे कि इस शादी के पूरा होने और गोद लेने की प्रथा को अमान्य घोषित करने और इसमें नबी की कोई राय या पसंद न होने का) वह पूरा होकर रहता है, उसे कोई टाल नहीं सकता।
અરબી તફસીરો:
١لَّذِیْنَ یُبَلِّغُوْنَ رِسٰلٰتِ اللّٰهِ وَیَخْشَوْنَهٗ وَلَا یَخْشَوْنَ اَحَدًا اِلَّا اللّٰهَ ؕ— وَكَفٰی بِاللّٰهِ حَسِیْبًا ۟
ये नबीगण, जो अपने ऊपर उतरने वाले अल्लाह के संदेशों को अपने समुदायों तक पहुँचाते हैं, और सर्वशक्तिमान व महिमावान अल्लाह के अलावा किसी से भी नहीं डरते।इसलिए वे इस बात पर ध्यान नहीं देते कि दूसरे क्या कहते हैं जब वे उस चीज़ को करते हैं जिसकी अल्लाह ने उन्हें अनुमति दी है। और अल्लाह अपने बंदों के कृत्यों को संरक्षित रखने के लिए पर्याप्त है, ताकि उनका हिसाब ले और उन्हें उनका बदला दे; अच्छे कर्म का अच्छा बदला और बुरे कर्म का बुरा बदला।
અરબી તફસીરો:
مَا كَانَ مُحَمَّدٌ اَبَاۤ اَحَدٍ مِّنْ رِّجَالِكُمْ وَلٰكِنْ رَّسُوْلَ اللّٰهِ وَخَاتَمَ النَّبِیّٖنَ ؕ— وَكَانَ اللّٰهُ بِكُلِّ شَیْءٍ عَلِیْمًا ۟۠
मुहम्मद तुम्हारे पुरुषों में से किसी के पिता नहीं हैं। अतः वह ज़ैद के भी पिता नहीं हैं कि उनपर ज़ैद की तलाक़ दी हुई पत्नी से विवाह करना हराम (वर्जित) हो। बल्कि वह लोगों की ओर अल्लाह के भेजे हुए रसूल हैं और नबियों की श्रृंखला को समाप्त करने वाले हैं।इसलिए उनके बाद कोई और नबी नहीं है। और अल्लाह हर चीज़ का पूर्ण ज्ञान रखने वाला है, उसके बंदों की कोई चीज़ उससे छिपी नहीं है।
અરબી તફસીરો:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوا اذْكُرُوا اللّٰهَ ذِكْرًا كَثِیْرًا ۟ۙ
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने और उसकी शरीयत पर अमल करने वालो, तुम अपने दिलों, ज़ुबानों और शारीरिक अंगों से अल्लाह को बहुत याद करते रहो।
અરબી તફસીરો:
وَّسَبِّحُوْهُ بُكْرَةً وَّاَصِیْلًا ۟
तथा दिन की शुरुआत और उसके अंत में 'तस्बीह' (सुब्हानल्लाह) और 'तहलील' (ला इलाहा इल्लल्लाह) के द्वारा उसकी पवित्रता बयान करते रहो, क्योंकि ये दोनों प्रतिष्ठा वाले समय हैं।
અરબી તફસીરો:
هُوَ الَّذِیْ یُصَلِّیْ عَلَیْكُمْ وَمَلٰٓىِٕكَتُهٗ لِیُخْرِجَكُمْ مِّنَ الظُّلُمٰتِ اِلَی النُّوْرِ ؕ— وَكَانَ بِالْمُؤْمِنِیْنَ رَحِیْمًا ۟
वही है, जो तुमपर दया करता है और तुम्हारी प्रशंसा करता है, तथा उसके फ़रिश्ते भी तुम्हारे लिए दुआ करते हैं, ताकि वह तुम्हें कुफ़्र के अँधेरों से निकाल कर ईमान के प्रकाश की ओर लाए। और वह ईमान वालों पर बहुत दयालु है। अतः यदि वे उसकी बात मानते हुए, उसके आदेश का पालन करें और उसके निषेध से बचें, तो वह उन्हें यातना नहीं देता है।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• وجوب استسلام المؤمن لحكم الله والانقياد له.
• ईमान वाले के लिए अल्लाह की आज्ञा के सामने आत्मसमर्पण करना और उसके अधीन होना अनिवार्य है।

• اطلاع الله على ما في النفوس.
• अल्लाह दिलों की बातों से अवगत है।

• من مناقب أم المؤمنين زينب بنت جحش: أنْ زوّجها الله من فوق سبع سماوات.
• मोमिनों की माँ ज़ैनब बिन्ते जह़श रज़ियल्लाहु अन्हा की विशेषताओं में से एक यह है कि अल्लाह ने उनका विवाह सात आकाशों के ऊपर से किया।

• فضل ذكر الله، خاصة وقت الصباح والمساء.
• अल्लाह को याद करने की फ़ज़ीलत, विशेष रूप से सुबह और शाम के समय।

تَحِیَّتُهُمْ یَوْمَ یَلْقَوْنَهٗ سَلٰمٌ ۖۚ— وَّاَعَدَّ لَهُمْ اَجْرًا كَرِیْمًا ۟
ईमान वाले जिस दिन अपने पालनहार से मिलेंगे, उस दिन उनका अभिवादन सलाम (शांति) और हर प्रकार की बुराई से सुरक्षा होगी। और अल्लाह ने उनके लिए सम्मानजनक (व उदार) बदला - अपना स्वर्ग - तैयार कर रखा है। यह उनके उसका आज्ञापालन करने और उसकी अवज्ञा से दूर रहने का बदला है।
અરબી તફસીરો:
یٰۤاَیُّهَا النَّبِیُّ اِنَّاۤ اَرْسَلْنٰكَ شَاهِدًا وَّمُبَشِّرًا وَّنَذِیْرًا ۟ۙ
ऐ नबी! हमने आपको लोगों की ओर, उनपर इस बात का गवाह बनाकर भेजा है कि आपने उन्हें वह संदेश पहुँचा दिया जिसके साथ आप उनकी ओर भेजे गए थे, तथा उनमें से ईमान वालों को उस जन्नत की शुभ सूचना देने वाला जो अल्लाह ने उनके लिए तैयार कर रखी है तथा काफिरों को उसकी यातना से डराने वाला बनाकर भेजा है।
અરબી તફસીરો:
وَّدَاعِیًا اِلَی اللّٰهِ بِاِذْنِهٖ وَسِرَاجًا مُّنِیْرًا ۟
हमने आपको अल्लाह के आदेश से उसके एकेश्वरवाद और उसकी आज्ञाकारिता की ओर बुलाने वाला बनाकर भेजा है। तथा हमने आपको एक प्रकाशमान् दीप बनाकर भेजा है, जिससे हर मार्गदर्शन चाहने वाला प्रकाश प्राप्त करता है।
અરબી તફસીરો:
وَبَشِّرِ الْمُؤْمِنِیْنَ بِاَنَّ لَهُمْ مِّنَ اللّٰهِ فَضْلًا كَبِیْرًا ۟
तथा आप अल्लाह पर ईमान रखने वाले उन लोगों को, जो उसकी शरीयत पर अमल करते हैं, शुभ सूचना दे दें कि उनके लिए अल्लाह की ओर से बहुत बड़ा अनुग्रह है, जिसमें इस दुनिया में उनकी मदद तथा आखिरत में जन्नत में प्रवेश करने की सफलता शामिल है।
અરબી તફસીરો:
وَلَا تُطِعِ الْكٰفِرِیْنَ وَالْمُنٰفِقِیْنَ وَدَعْ اَذٰىهُمْ وَتَوَكَّلْ عَلَی اللّٰهِ ؕ— وَكَفٰی بِاللّٰهِ وَكِیْلًا ۟
आप काफ़िरों और मुनाफ़िक़ों का उस चीज़ में पालन न करें, जो वे अल्लाह के धर्म से रोकने की ओर बुलाते हैं। तथा उनसे उपेक्षा करें। शायद यह इस बात का अधिक प्रेरक हो कि वे उस चीज़ पर ईमान ले आएँ जिसे लेकर आप उनके पास आए हैं। आप अपने सभी मामलों में अल्लाह पर भरोसा करें; जिनमें अपने दुश्मनों पर जीत भी शामिल है। तथा अल्लाह कारसाज़ (काम बनानेवाले) के रूप में पर्याप्त है, जिसपर बंदे अपने दुनिया और आख़िरत के सभी मामलों में भरोसा करते हैं।
અરબી તફસીરો:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اِذَا نَكَحْتُمُ الْمُؤْمِنٰتِ ثُمَّ طَلَّقْتُمُوْهُنَّ مِنْ قَبْلِ اَنْ تَمَسُّوْهُنَّ فَمَا لَكُمْ عَلَیْهِنَّ مِنْ عِدَّةٍ تَعْتَدُّوْنَهَا ۚ— فَمَتِّعُوْهُنَّ وَسَرِّحُوْهُنَّ سَرَاحًا جَمِیْلًا ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने और उसकी शरीयत पर अमल करने वालो! जब ईमान वाली महिलाओं से विवाह करो, फिर उनके साथ सहवास करने से पूर्व ही उन्हें तलाक़ दे दो, तो ऐसे में तुम्हारे लिए उनपर 'इद्दत' नहीं है, चाहे वह मासिक धर्म के द्वारा हो या महीनों के द्वारा। क्योंकि उनके साथ सहवास न होने के कारण यह ज्ञात है कि उनका गर्भ खाली है। तथा तलाक़ के कारण उनके टूटे हुए दिलों की सांत्वना के लिए, अपनी क्षमता के अनुसार उन्हें कुछ धन दे दो। और उन्हें कष्ट पहुँचाए बिना, भलाई के साथ उनका रास्ता छोड़ दो।
અરબી તફસીરો:
یٰۤاَیُّهَا النَّبِیُّ اِنَّاۤ اَحْلَلْنَا لَكَ اَزْوَاجَكَ الّٰتِیْۤ اٰتَیْتَ اُجُوْرَهُنَّ وَمَا مَلَكَتْ یَمِیْنُكَ مِمَّاۤ اَفَآءَ اللّٰهُ عَلَیْكَ وَبَنٰتِ عَمِّكَ وَبَنٰتِ عَمّٰتِكَ وَبَنٰتِ خَالِكَ وَبَنٰتِ خٰلٰتِكَ الّٰتِیْ هَاجَرْنَ مَعَكَ ؗ— وَامْرَاَةً مُّؤْمِنَةً اِنْ وَّهَبَتْ نَفْسَهَا لِلنَّبِیِّ اِنْ اَرَادَ النَّبِیُّ اَنْ یَّسْتَنْكِحَهَا ۗ— خَالِصَةً لَّكَ مِنْ دُوْنِ الْمُؤْمِنِیْنَ ؕ— قَدْ عَلِمْنَا مَا فَرَضْنَا عَلَیْهِمْ فِیْۤ اَزْوَاجِهِمْ وَمَا مَلَكَتْ اَیْمَانُهُمْ لِكَیْلَا یَكُوْنَ عَلَیْكَ حَرَجٌ ؕ— وَكَانَ اللّٰهُ غَفُوْرًا رَّحِیْمًا ۟
ऐ नबी! हमने आपके लिए आपकी उन पत्नियों को वैध कर दिया है, जिन्हें आपने उनका महर चुका दिया है। तथा हमने आपके लिए उन दासियों को भी हलाल किया है, जो आपके स्वामित्व में हैं, जो अल्लाह ने आपको बंदी औरतों में से प्रदान की हैं। और हमने आपके लिए हलाल किया है आपके चाचा की बेटियों के साथ विवाह, आपकी फूफियों की बेटियों के साथ विवाह, आपके मामा की बेटियों के साथ विवाह और आपकी मौसियों की बेटियों के साथ विवाह, जो आपके साथ मक्का से मदीना की ओर हिजरत करके आई हैं। तथा हमने आपके लिए उस ईमान वाली महिला से भी विवाह करना हलाल किया है जो बिना महर के स्वयं को आपको भेंट कर दे, यदि आप उससे निकाह करना चाहें। और हिबा (अनुदान) का विवाह केवल आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के लिए विशिष्ट है, आपके अलावा उम्मत के किसी अन्य व्यक्ति के लिए जायज़ नहीं है। हमें जानते हैं जो कुछ हमने ईमान वालों पर उनकी पत्नियों के संबंध में अनिवार्य किया है कि उनके लिए चार स्त्रियों की सीमा पार करना वैध नहीं है। तथा हम वह भी जानते हैं जो हमने उनकी दासियों के संबंध में उनके लिए धर्मसंगत किया है कि उनके लिए किसी संख्या के प्रतिबंध के बिना उनमें से जितनी से चाहें, लाभ उठाने का अधिकार हैं। हमने उल्लिखित चीज़ों में से आपके लिए जो कुछ वैध किया है, जो हमने आपके अलावा के लिए अनुमेय नहीं किया; यह इसलिए है ताकि आपपर कोई तंगी और कष्ट न रहे। और अल्लाह अपने तौबा करने वाले बंदों को बहुत क्षमा करने वाला, उनपर अत्यंत दयालु है।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• الصبر على الأذى من صفات الداعية الناجح.
• कष्ट पर धैर्य धारण करना सफ़ल उपदेशक की विशेषताओं में से है।

• يُنْدَب للزوج أن يعطي مطلقته قبل الدخول بها بعض المال جبرًا لخاطرها.
• पति के लिए बेहतर है कि सहवास से पहले अपनी तलाक़ दी हुई स्त्री को, उसके दिल की सांत्वना के लिए, कुछ धन दे दे।

• خصوصية النبي صلى الله عليه وسلم بجواز نكاح الهبة، وإن لم يحدث منه.
• हिबा के निकाह (भेंट स्वरूप विवाह) की अनुमति नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के लिए विशिष्ट है, अगरचे आपसे कोई ऐसा निकाह नहीं हुआ।

تُرْجِیْ مَنْ تَشَآءُ مِنْهُنَّ وَتُـْٔوِیْۤ اِلَیْكَ مَنْ تَشَآءُ ؕ— وَمَنِ ابْتَغَیْتَ مِمَّنْ عَزَلْتَ فَلَا جُنَاحَ عَلَیْكَ ؕ— ذٰلِكَ اَدْنٰۤی اَنْ تَقَرَّ اَعْیُنُهُنَّ وَلَا یَحْزَنَّ وَیَرْضَیْنَ بِمَاۤ اٰتَیْتَهُنَّ كُلُّهُنَّ ؕ— وَاللّٰهُ یَعْلَمُ مَا فِیْ قُلُوْبِكُمْ ؕ— وَكَانَ اللّٰهُ عَلِیْمًا حَلِیْمًا ۟
(ऐ रसूल!) आप अपनी पत्नियों में से जिसकी बारी विलंबित करना चाहें, विलंबित कर दें और उसके साथ रात न गुजारें। तथा उनमे से जिसे चाहें, अपने पास रखें और उसके साथ रात बिताएँ। और जिनकी बारी को आपने विलंबित कर दिया है, उनमें से किसी को (फिर से) अपने साथ रखना चाहें, तो इसमें आपपर कोई गुनाह नहीं है। आपके लिए यह विकल्प और विस्तार इस बात के अधिक निकट है कि इससे आपकी स्त्रियों की आँखें ठंडी रहें और यह कि आपने उन्हें जो कुछ दिया है, उससे वे संतुष्ट रहें। क्योंकि उन्हें मालूम है कि आपने कोई कर्तव्य नहीं छोड़ा है और न किसी हक़ की अदायगी में कंजूसी की है। और (ऐ पुरुषो!) तुम्हारे दिलों में जो कुछ स्त्रियों को छोड़कर कुछ की ओर झुकाव पाया जाता है, अल्लाह उससे अवगत है। अल्लाह अपने बंदों के कार्यों को भली-भाँति जानने वाला है, उससे उनमें से कुछ भी छिपा नहीं है, तथा वह सहनशील है, उन्हें सज़ा देने में जल्दी नहीं करता, ताकि वे तौबा कर लें।
અરબી તફસીરો:
لَا یَحِلُّ لَكَ النِّسَآءُ مِنْ بَعْدُ وَلَاۤ اَنْ تَبَدَّلَ بِهِنَّ مِنْ اَزْوَاجٍ وَّلَوْ اَعْجَبَكَ حُسْنُهُنَّ اِلَّا مَا مَلَكَتْ یَمِیْنُكَ ؕ— وَكَانَ اللّٰهُ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ رَّقِیْبًا ۟۠
आपके लिए (ऐ रसूल) अपनी उन पत्नियों के अलावा जो आपके निकाह में हैं, अन्य महिलाओं से शादी करना जायज़ नहीं है। तथा आपके लिए उन्हें तलाक़ देना, या उनमें से कुछ को तलाक़ देना वैध नहीं है ताकि उनके अलावा अन्य महिलाओं को ले आएँ, यद्यपि उनके अलावा जिन महिलाओं से आप शादी करना चाहते हैं, उनका सौंदर्य आपको कितना ही अच्छा क्यों न लगे। लेकिन आपके लिए उन दासियों से, जो आपके स्वामित्व में हैं, किसी विशिष्ट संख्या की सीमा के बिना लाभ उठाना जायज़ है। और अल्लाह प्रत्येक वस्तु का संरक्षक है। यह आदेश मोमिनों की माताओं (रसूल की पत्नियों) की प्रतिष्ठा को इंगित करता है। क्योंकि उन्हें तलाक़ देने और उनके रहते अन्य स्त्रियों से विवाह करने से मना किया गया है।
અરબી તફસીરો:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا لَا تَدْخُلُوْا بُیُوْتَ النَّبِیِّ اِلَّاۤ اَنْ یُّؤْذَنَ لَكُمْ اِلٰی طَعَامٍ غَیْرَ نٰظِرِیْنَ اِنٰىهُ وَلٰكِنْ اِذَا دُعِیْتُمْ فَادْخُلُوْا فَاِذَا طَعِمْتُمْ فَانْتَشِرُوْا وَلَا مُسْتَاْنِسِیْنَ لِحَدِیْثٍ ؕ— اِنَّ ذٰلِكُمْ كَانَ یُؤْذِی النَّبِیَّ فَیَسْتَحْیٖ مِنْكُمْ ؗ— وَاللّٰهُ لَا یَسْتَحْیٖ مِنَ الْحَقِّ ؕ— وَاِذَا سَاَلْتُمُوْهُنَّ مَتَاعًا فَسْـَٔلُوْهُنَّ مِنْ وَّرَآءِ حِجَابٍ ؕ— ذٰلِكُمْ اَطْهَرُ لِقُلُوْبِكُمْ وَقُلُوْبِهِنَّ ؕ— وَمَا كَانَ لَكُمْ اَنْ تُؤْذُوْا رَسُوْلَ اللّٰهِ وَلَاۤ اَنْ تَنْكِحُوْۤا اَزْوَاجَهٗ مِنْ بَعْدِهٖۤ اَبَدًا ؕ— اِنَّ ذٰلِكُمْ كَانَ عِنْدَ اللّٰهِ عَظِیْمًا ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने और उसकी शरीयत पर अमल करने वालो! नबी के घरों में प्रवेश न करो, सिवाय इसके कि उन्होंने तुम्हें भोजन करने के लिए आमंत्रित करके अंदर आने की अनुमति प्रदान कर दी हो। लेकिन (वहाँ जाकर) खाना पकने की प्रतीक्षा में देर तक न बैठे रहो। बल्कि जब तुम्हें भोजन करने के लिए बुलाया जाए तो प्रवेश करो। फिर जब खाना खा चुको, तो उठकर चले जाओ। खाने के बाद आपस में बात करते हुए बैठे न रहो। तुम्हारा इस तरह ठहरना नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को कष्ट देता है, लेकिन उन्हें तुम्हें उठकर जाने के लिए कहने में शर्म आती है। परंतु अल्लाह सत्य बात का आदेश देने से नहीं शरमाता। इसलिए उसने तुम्हें वहाँ से उठकर चले जाने का आदेश दिया है, ताकि तुम वहाँ ठहरकर आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को कष्ट न पहुँचाओ। इसी तरह जब तुम नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की पत्नियों से ज़रूरत का कोई सामान, जैसे बर्तन आदि माँगो, तो उसे पर्दे के पीछे से माँगो। तुम उसे उनके सामने होकर न माँगो ताकि उनपर तुम्हारी नज़र न पड़े। यह नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की स्थिति को ध्यान में रखते हुए आपकी पत्नियों की सुरक्षा के लिए है। साथ ही तुम्हारा पर्दे के पीछे से माँगना तुम्हारे दिलों तथा उनके दिलों के लिए अधिक पवित्रता व शुद्धता की बात है। ताकि शैतान तुम्हारे दिलों तथा उनके दिलों में वसवसा (भ्रम) न डाले और बुराई को शोभित न करे। तथा (ऐ ईमान वालो!) तुम्हारे लिए उचित नहीं है कि तुम (खाना खाने के बाद) बात करने के लिए ठहरकर अल्लाह के रसूल को कष्ट पहुँचाओ। और न यह कि तुम आपकी मृत्यु के बाद आपकी पत्नियों से शादी करो। क्योंकि वे मोमिनों की माएँ हैं और किसी के लिए वैध नहीं कि अपनी माँ से विवाह करे। तुम्हारा इस तरह कष्ट पहुँचाना - जिसका एक रूप आपकी मृत्यु के बाद आपकी पत्नियों से विवाह करना है - हराम (निषिद्ध) है और अल्लाह के निकट एक बहुत बड़ा पाप माना जाता है।
અરબી તફસીરો:
اِنْ تُبْدُوْا شَیْـًٔا اَوْ تُخْفُوْهُ فَاِنَّ اللّٰهَ كَانَ بِكُلِّ شَیْءٍ عَلِیْمًا ۟
तुम अपने किसी कार्य को प्रकट करो या उसे अपने मन में छिपाकर रखो, वह अल्लाह से हरगिज़ नहीं छिप सकता। निःसंदेह अल्लाह प्रत्येक वस्तु का ज्ञान रखता है। उससे तुम्हारा कोई काम या कोई अन्य चीज़ छिपी नहीं रह सकती। और वह तुम्हें तुम्हारे कर्मों का बदला देगा; यदि अच्छा कर्म है तो अच्छा बदला और यदि बुरा कर्म है तो बुरा बदला।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• عظم مقام النبي صلى الله عليه وسلم عند ربه؛ ولذلك عاتب الصحابة رضي الله عنهم الذين مكثوا في بيته صلى الله عليه وسلم لِتَأَذِّيه من ذلك.
• अल्लाह के निकट नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की स्थिति की महानता,यही कारण है कि अल्लाह ने आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के घर में देर तक ठहरने वाले सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम को फटकार लगाई है क्योंकि आपको इससे कष्ट पहुँचता था।

• ثبوت صفتي العلم والحلم لله تعالى.
• अल्लाह तआला के लिए 'इल्म' (ज्ञान) और 'ह़िल्म' (सहनशीलता) के गुणों का सबूत।

• الحياء من أخلاق النبي صلى الله عليه وسلم.
• 'हया' (शालीनता) नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के शिष्टाचार में से है।

• صيانة مقام أمهات المؤمنين زوجات النبي صلى الله عليه وسلم.
• नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की पत्नियों अर्थात मोमिनों की माओं की प्रतिष्ठा की रक्षा।

لَا جُنَاحَ عَلَیْهِنَّ فِیْۤ اٰبَآىِٕهِنَّ وَلَاۤ اَبْنَآىِٕهِنَّ وَلَاۤ اِخْوَانِهِنَّ وَلَاۤ اَبْنَآءِ اِخْوَانِهِنَّ وَلَاۤ اَبْنَآءِ اَخَوٰتِهِنَّ وَلَا نِسَآىِٕهِنَّ وَلَا مَا مَلَكَتْ اَیْمَانُهُنَّ ۚ— وَاتَّقِیْنَ اللّٰهَ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ كَانَ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ شَهِیْدًا ۟
महिलाओं पर इसमें कोई गुनाह नहीं है कि उनके पिता, उनके बच्चे, उनके भाई, उनके भतीजे और उनके भांजे, चाहे वे वंश से हों या स्तनपान से, उन्हें देखें और बिना पर्दे के उनसे बात करें। तथा उनपर इसमें कोई पाप नहीं है कि मोमिन स्त्रियाँ और उनके दास एवं दासी उनसे बिना पर्दे के बात करें। और (ऐ मोमिन स्त्रियो) अल्लाह के आदेशों और निषेधों के बारे में अल्लाह से डरती रहो। क्योंकि वह तुम्हारे सभी कथनों और कर्मों को देखने वाला है।
અરબી તફસીરો:
اِنَّ اللّٰهَ وَمَلٰٓىِٕكَتَهٗ یُصَلُّوْنَ عَلَی النَّبِیِّ ؕ— یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا صَلُّوْا عَلَیْهِ وَسَلِّمُوْا تَسْلِیْمًا ۟
निःसंदेह अल्लाह अपने फरिश्तों के निकट रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की प्रशंसा करता है और फ़रिश्ते उनके लिए दुआ करते हैं। ऐ अल्लाह पर ईमान रखने और उसकी अपने बंदों के लिए निर्धारित की हुई शरीयत पर अमल करने वालो! तुम (भी) रसूल पर दुरूद और खूब सलाम भेजो।
અરબી તફસીરો:
اِنَّ الَّذِیْنَ یُؤْذُوْنَ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ لَعَنَهُمُ اللّٰهُ فِی الدُّنْیَا وَالْاٰخِرَةِ وَاَعَدَّ لَهُمْ عَذَابًا مُّهِیْنًا ۟
निःसंदेह जो लोग अल्लाह और उसके रसूल को अपने शब्द या कर्म से कष्ट पहुँचाते हैं, अल्लाह ने उन्हें लोक एवं परलोक में अपनी दया की विशालता से निष्कासित कर दिया है और उनके अपने रसूल को कष्ट पहुँचाने की सज़ा के तौर पर आख़िरत में उनके लिए अपमानजनक यातना तैयार कर रखी है।
અરબી તફસીરો:
وَالَّذِیْنَ یُؤْذُوْنَ الْمُؤْمِنِیْنَ وَالْمُؤْمِنٰتِ بِغَیْرِ مَا اكْتَسَبُوْا فَقَدِ احْتَمَلُوْا بُهْتَانًا وَّاِثْمًا مُّبِیْنًا ۟۠
जो लोग अपने शब्द या कर्म से ईमान वाले पुरुषों और ईमान वाली स्त्रियों को कष्ट पहुँचाते हैं, बिना किसी पाप के जो उन्होंने कोई अपराध करके कमाया हो जो उस कष्ट के पहुँचाने का कारण हो, तो उन्होंने अपने ऊपर झूठ और स्पष्ट गुनाह का बोझ उठाया।
અરબી તફસીરો:
یٰۤاَیُّهَا النَّبِیُّ قُلْ لِّاَزْوَاجِكَ وَبَنٰتِكَ وَنِسَآءِ الْمُؤْمِنِیْنَ یُدْنِیْنَ عَلَیْهِنَّ مِنْ جَلَابِیْبِهِنَّ ؕ— ذٰلِكَ اَدْنٰۤی اَنْ یُّعْرَفْنَ فَلَا یُؤْذَیْنَ ؕ— وَكَانَ اللّٰهُ غَفُوْرًا رَّحِیْمًا ۟
ऐ नबी! आप अपनी पत्नियों से कह दें, तथा अपनी बेटियों से कह दें और ईमान वालों की स्त्रियों से कह दें कि : वे अपने ऊपर उन चादरों का कुछ हिस्सा डाल लिया करें जो वे पहनती हैं, ताकि पराए (ग़ैर मह़-रम) पुरुषों के सामने उनके शरीर का कोई अंग खुलने न पाए। यह इसके अधिक निकट है कि उन्हें पहचान लिया जाएगा कि वे आज़ाद (व शरीफ़) औरतें हैं, तो कोई उन्हें कष्ट नहीं पहुँचाएगा, जिस तरह कि वह दासियों के साथ छेड़छाड़ करता है। और अल्लाह अपने तौबा करने वाले बंदे के पापों को क्षमा करने वाला, उसपर दयालु है।
અરબી તફસીરો:
لَىِٕنْ لَّمْ یَنْتَهِ الْمُنٰفِقُوْنَ وَالَّذِیْنَ فِیْ قُلُوْبِهِمْ مَّرَضٌ وَّالْمُرْجِفُوْنَ فِی الْمَدِیْنَةِ لَنُغْرِیَنَّكَ بِهِمْ ثُمَّ لَا یُجَاوِرُوْنَكَ فِیْهَاۤ اِلَّا قَلِیْلًا ۟ۚۛ
यदि मुनाफ़िक़ों (पाखंडियों) ने दिल में कुफ़्र छिपाकर और इस्लाम का ढोंग करके अपने पाखंड को समाप्त नहीं किया, तथा वे लोग जिनके दिलों में अपनी वासनाओं के प्रति लगाव का रोग है और वे लोग जो मदीना में मोमिनों के बीच फूट डालने के उद्देश्य से झूठी खबरें फैलाते रहते हैं, (यदि ये लोग अपनी करतूतों से बाज़ नहीं आए) - तो हम आपको (ऐ रसूल!) उन्हें दंडित करने के लिए आदेश दे देंगे और आपको उनपर हावी कर देंगे। फिर वे आपके साथ मदीना में थोड़े ही समय के लिए रह सकेंगे। क्योंकि उनके ज़मीन पर भ्रष्टाचार करने के कारण, उन्हें नष्ट कर दिया जाएगा या मदीना से निष्कासित कर दिया जाएगा।
અરબી તફસીરો:
مَّلْعُوْنِیْنَ ۛۚ— اَیْنَمَا ثُقِفُوْۤا اُخِذُوْا وَقُتِّلُوْا تَقْتِیْلًا ۟
वे अल्लाह की दया से निष्कासित हैं। वे जहाँ भी मिलें, पकड़े जाएँगे और अपने पाखंड और धरती पर भ्रष्टाचार फैलाने के कारण बुरी तरह वध कर दिए जाएँगे।
અરબી તફસીરો:
سُنَّةَ اللّٰهِ فِی الَّذِیْنَ خَلَوْا مِنْ قَبْلُ ۚ— وَلَنْ تَجِدَ لِسُنَّةِ اللّٰهِ تَبْدِیْلًا ۟
यही मुनाफिक़ों (पाखंडियों) के बारे में अल्लाह का निरंतर चलने वाला नियम है, यदि वे पाखंड दिखाते हैं। और अल्लाह का नियम अटल है, उसमें आपको कदापि कोई बदलाव नहीं मिलेगा।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• علوّ منزلة النبي صلى الله عليه وسلم عند الله وملائكته.
• अल्लाह और उसके फरिश्तों के निकट नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का उच्च स्थान।

• حرمة إيذاء المؤمنين دون سبب.
• बिना किसी कारण के मोमिनों को कष्ट पहुँँचाना हराम है।

• النفاق سبب لنزول العذاب بصاحبه.
• निफ़ाक़, मुनाफिक़ पर यातना के उतरने का कारण है।

یَسْـَٔلُكَ النَّاسُ عَنِ السَّاعَةِ ؕ— قُلْ اِنَّمَا عِلْمُهَا عِنْدَ اللّٰهِ ؕ— وَمَا یُدْرِیْكَ لَعَلَّ السَّاعَةَ تَكُوْنُ قَرِیْبًا ۟
(ऐ रसूल!) मुश्रिक लोग आपसे इनकार करने और झुठलाने के तौर पर, तथा यहूदी भी आपसे क़ियामत के बारे में पूछते हैं कि : उसका समय कब है? आप इन लोगों से कह दें : क़ियामत का ज्ञान अल्लाह के पास है, मेरे पास उसकी कोई जानकारी नहीं है। और (ऐ रसूल!) आपको क्या पता शायद क़ियामत निकट ही हो?
અરબી તફસીરો:
اِنَّ اللّٰهَ لَعَنَ الْكٰفِرِیْنَ وَاَعَدَّ لَهُمْ سَعِیْرًا ۟ۙ
निःसंदेह महिमावान अल्लाह ने काफिरों को अपनी दया से निष्कासित कर दिया है और उनके लिए क़ियामत के दिन धधकती आग तैयार कर रखी है, जो उनकी प्रतीक्षा कर रही है।
અરબી તફસીરો:
خٰلِدِیْنَ فِیْهَاۤ اَبَدًا ۚ— لَا یَجِدُوْنَ وَلِیًّا وَّلَا نَصِیْرًا ۟ۚ
वे उस आग की यातना में जो उनके लिए तैयार की गई है सदैव रहेंगे। जिसमें उन्हें न कोई दोस्त मिलेगा, जो उन्हें लाभ पहुँचा सके और न कोई सहायक मिलेगा, जो उनसे यातना को दूर कर सके।
અરબી તફસીરો:
یَوْمَ تُقَلَّبُ وُجُوْهُهُمْ فِی النَّارِ یَقُوْلُوْنَ یٰلَیْتَنَاۤ اَطَعْنَا اللّٰهَ وَاَطَعْنَا الرَّسُوْلَا ۟
क़ियामत के दिन उनके चेहरे जहन्नम की आग में उलटे-पलटे जाएँगे। वे अफ़सोस और पछतावा की तीव्रता से कहेंगे : ऐ काश! हमने अपने दुनिया के जीवन में अल्लाह का आज्ञापालन किया होता उस चीज़ का पालन करके जिसका उसने हमें आदेश दिया था और उस चीज़ से बचकर जिससे उसने हमें रोका था। तथा हमने उस चीज़ में रसूल का आज्ञापालन किया होता जो कुछ वह अपने पालनहार की ओर ओर से लाए थे।
અરબી તફસીરો:
وَقَالُوْا رَبَّنَاۤ اِنَّاۤ اَطَعْنَا سَادَتَنَا وَكُبَرَآءَنَا فَاَضَلُّوْنَا السَّبِیْلَا ۟
वे एक अनर्गल और झूठा तर्क प्रस्तुत करेंगे। चुनाँचे वे कहेंगे : ऐ हमारे पालनहार, हमने अपने सरदारों और अपनी जाति के बड़े लोगों का कहा माना, तो उन्होंने हमें सीधे मार्ग से भटका दिया।
અરબી તફસીરો:
رَبَّنَاۤ اٰتِهِمْ ضِعْفَیْنِ مِنَ الْعَذَابِ وَالْعَنْهُمْ لَعْنًا كَبِیْرًا ۟۠
ऐ हमारे पालनहार! इन सरदारों और बड़े लोगों को, जिन्होंने हमें सीधे मार्ग से भटका दिया, उसका दोगुना अज़ाब दे, जितना तूने हमें दिया है। क्योंकि इन्होंने हमें गुमराह किया था। और इन्हें अपनी दया से बहुत दूर कर दे।
અરબી તફસીરો:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا لَا تَكُوْنُوْا كَالَّذِیْنَ اٰذَوْا مُوْسٰی فَبَرَّاَهُ اللّٰهُ مِمَّا قَالُوْا ؕ— وَكَانَ عِنْدَ اللّٰهِ وَجِیْهًا ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने और उसकी शरीयत पर अमल करने वालो! तुम अपने रसूल को कष्ट न पहुँचाओ। अन्यथा, तुम उन लोगों के समान हो जाओगे, जिन्होंने मूसा अलैहिस्सलाम को कष्ट पहुँचाया था, जैसे कि उन्होंने उनके शरीर में दोष होने का आरोप लगाया था, परंतु अल्लाह ने उन्हें उनके मिथ्यारोप से बरी कर दिया। चुनाँचे उन लोगों के लिए यह स्पष्ट हो गया कि मूसा अलैहिस्सलाम उस दोष से पवित्र हैं जो उन्होंने उनके बारे में मढ़ा था। दरअसल, मूसा अलैहिस्सलाम अल्लाह के निकट बड़े प्रतिष्ठावान थे, जिसका अनुरोध अस्वीकार नहीं किया जाता, और उसका प्रयास विफल नहीं होता।
અરબી તફસીરો:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوا اتَّقُوا اللّٰهَ وَقُوْلُوْا قَوْلًا سَدِیْدًا ۟ۙ
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने और उसकी शरीयत पर अमल करने वालो! अल्लाह से डरो, उसके आदेशों का पालन करके और उसकी मना की हुई बातों से बचकर। तथा ठीक और सच्ची बात कहो।
અરબી તફસીરો:
یُّصْلِحْ لَكُمْ اَعْمَالَكُمْ وَیَغْفِرْ لَكُمْ ذُنُوْبَكُمْ ؕ— وَمَنْ یُّطِعِ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ فَقَدْ فَازَ فَوْزًا عَظِیْمًا ۟
यदि तुम अल्लाह से डरते रहे तथा ठीक और सच्ची बात करते रहे, तो वह तुम्हारे लिए तुम्हारे कर्मों को सुधार देगा, उन्हें तुमसे स्वीकार कर लेगा तथा तुम्हारे गुनाहों को इस तरह मिटा देगा कि उनपर तुम्हारी पकड़ नहीं करेगा। और जो अल्लाह और उसके रसूल का आज्ञापालन करे, उसने बहुत बड़ी सफलता प्राप्त कर ली, जिसके समान कोई अन्य सफलता नहीं है और वह अल्लाह की प्रसन्नता की प्राप्ति और जन्नत में प्रवेश है।
અરબી તફસીરો:
اِنَّا عَرَضْنَا الْاَمَانَةَ عَلَی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَالْجِبَالِ فَاَبَیْنَ اَنْ یَّحْمِلْنَهَا وَاَشْفَقْنَ مِنْهَا وَحَمَلَهَا الْاِنْسَانُ ؕ— اِنَّهٗ كَانَ ظَلُوْمًا جَهُوْلًا ۟ۙ
हमने शरई जिम्मेदारियों और संरक्षित किए जाने वाले धनों और रहस्यों को आकाशों पर, धरती पर तथा पर्वतों पर पेश किए, तो उन्होंने उसे उठाने से इनकार कर दिया और उसके परिणाम से डर गए। परंतु इनसान ने उसे उठा लिया। निश्चय ही वह स्वंय पर अत्याचार करने वाला और उसे उठाने के परिणाम से अनभिज्ञ है।
અરબી તફસીરો:
لِّیُعَذِّبَ اللّٰهُ الْمُنٰفِقِیْنَ وَالْمُنٰفِقٰتِ وَالْمُشْرِكِیْنَ وَالْمُشْرِكٰتِ وَیَتُوْبَ اللّٰهُ عَلَی الْمُؤْمِنِیْنَ وَالْمُؤْمِنٰتِ ؕ— وَكَانَ اللّٰهُ غَفُوْرًا رَّحِیْمًا ۟۠
मनुष्य ने अल्लाह की निर्धारित तक़दीर के अनुसार उस अमानत को उठा लिया; ताकि अल्लाह मुनाफ़िक़ (पाखंडी) पुरुषों और मुनाफ़िक़ (पाखंडी) स्त्रियों तथा मुश्रिक (अनेकेश्वरवादी) पुरुषों और मुश्रिक (अनेकेश्वरवादी) स्त्रियों को उनके निफ़ाक़ (पाखंड) और अल्लाह के साथ शिर्क (यानी उसका साझी बनाने) की सज़ा दे। और ताकि अल्लाह ऐसे मोमिन पुरुषों और मोमिन स्त्रियों की तौबा स्वीकार करे, जिन्होंने शरई ज़िम्मेदारियों की अमानत अच्छे ढंग से उठाई। और अल्लाह अपने तौबा करने वाले बंदों को क्षमा प्रदान करनेवाला और उनपर दया करनेवाला है।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• اختصاص الله بعلم الساعة.
• क़ियामत की जानकारी केवल अल्लाह के पास है।

• تحميل الأتباع كُبَرَاءَهُم مسؤوليةَ إضلالهم لا يعفيهم هم من المسؤولية.
• अनुयायियों का अपने बड़ों पर अपनी गुमराही की ज़िम्मेदारी डालना स्वयं उन्हें ज़िम्मेदारी से मुक्त नहीं करेगा।

• شدة التحريم لإيذاء الأنبياء بالقول أو الفعل.
• नबियों को शब्द या कर्म से कष्ट पहुँचाने के निषेध की गंभीरता।

• عظم الأمانة التي تحمّلها الإنسان.
• उस अमानत की महानता जिसे मनुष्य ने उठाया है।

 
શબ્દોનું ભાષાંતર સૂરહ: અલ્ અહઝાબ
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કુરઆન મજીદના શબ્દોનું ભાષાંતર - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - ભાષાંતરોની અનુક્રમણિકા

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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