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કુરઆન મજીદના શબ્દોનું ભાષાંતર - હિન્દી ભાષામાં અલ્ મુખતસર ફી તફસીરિલ્ કુરઆનીલ્ કરીમ કિતાબનું અનુવાદ * - ભાષાંતરોની અનુક્રમણિકા


શબ્દોનું ભાષાંતર સૂરહ: અશ્ શૂરા   આયત:
وَمِنْ اٰیٰتِهِ الْجَوَارِ فِی الْبَحْرِ كَالْاَعْلَامِ ۟ؕ
अल्लाह की शक्ति और एकता (एकेश्वरवाद) को दर्शाने वाली निशानियों में से समुद्र में चलने वाली कश्तियाँ (जहाज़) भी हैं, जो अपनी ऊँचाई में पहाड़ों की तरह हैं।
અરબી તફસીરો:
اِنْ یَّشَاْ یُسْكِنِ الرِّیْحَ فَیَظْلَلْنَ رَوَاكِدَ عَلٰی ظَهْرِهٖ ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیٰتٍ لِّكُلِّ صَبَّارٍ شَكُوْرٍ ۟ۙ
अगर अल्लाह उन कश्तियों को चलाने वाली हवाओं को रोकना चाहे, तो उन्हें रोक दे। फिर वे कश्तियाँ समुद्र में स्थिर रहें,अपनी जगह से हिल न सकें। निःसंदेह उपर्युक्त कश्तियों के निर्माण और हवाओं के नियंत्रित करने में अल्लाह की शक्ति की स्पष्ट निशानियाँ हैं, हर ऐसे व्यक्ति के लिए, जो परीक्षण और विपत्तियों पर बड़ा धैर्य रखने वाला, अपने ऊपर अल्लाह की नेमतों का शुक्रिया अदा करने वाला है।
અરબી તફસીરો:
اَوْ یُوْبِقْهُنَّ بِمَا كَسَبُوْا وَیَعْفُ عَنْ كَثِیْرٍ ۟ۙ
या अगर अल्लाह सर्वशक्तिमान उन कश्तियों (जहाजों) को उन पर तूफ़ानी हवा भेजकर नष्ट करना चाहे, तो उन्हें लोगों के किए हुए गुनाहों के कारण विनष्ट कर दे। जबकि अल्लाह अपने बंदों के बहुत-से गुनाहों को माफ़ कर देता है। इसलिए उन्हें उनपर सज़ा नहीं देता है।
અરબી તફસીરો:
وَّیَعْلَمَ الَّذِیْنَ یُجَادِلُوْنَ فِیْۤ اٰیٰتِنَا ؕ— مَا لَهُمْ مِّنْ مَّحِیْصٍ ۟
ताकि तूफ़ानी हवा भेजकर उन कश्तियों को विनष्ट करते समय, वे लोग जो अल्लाह की आयतों के बारे में उन्हें असत्य साबित करने के लिए झगड़ते हैं, इस बात को जान लें कि उनके पास विनाश से बचने का कोई उपाय नहीं है। अतः वे केवल अल्लाह को पुकारें और उसके अलावा को छोड़ दें।
અરબી તફસીરો:
فَمَاۤ اُوْتِیْتُمْ مِّنْ شَیْءٍ فَمَتَاعُ الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا ۚ— وَمَا عِنْدَ اللّٰهِ خَیْرٌ وَّاَبْقٰی لِلَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَلٰی رَبِّهِمْ یَتَوَكَّلُوْنَ ۟ۚ
तुम्हें (ऐ लोगो!) जो भी धन, या पद, या संतान आदि दिया गया है, वह सांसारिक जीवन की सुख-सामग्री है, जो अस्थायी एवं समाप्त होने वाली है। हमेशा रहने वाली नेमत तो जन्नत की नेमत है, जिसे अल्लाह ने उन लोगों के लिए तैयार किया है, जो अल्लाह और उसके रसूलों पर ईमान लाए, तथा वे अपने सभी मामलों में केवल अपने पालनहार ही पर भरोसा रखते हैं।
અરબી તફસીરો:
وَالَّذِیْنَ یَجْتَنِبُوْنَ كَبٰٓىِٕرَ الْاِثْمِ وَالْفَوَاحِشَ وَاِذَا مَا غَضِبُوْا هُمْ یَغْفِرُوْنَ ۟ۚ
जो लोग बड़े-बड़े पापों और घृणित कामों से दूर रहते हैं, और जब वे किसी ऐसे व्यक्ति पर क्रोधित होते हैं, जिसने उन्हें अपने वचन या कर्म से ठेस पहुँचाई है, तो वे उसकी ग़लती को क्षमा कर देते हैं और उसे उसपर दंडित नहीं करते हैं। यह क्षमादान उनकी ओर से कृपा के तौर पर होता है, जब उसमें कोई भलाई और हित हो।
અરબી તફસીરો:
وَالَّذِیْنَ اسْتَجَابُوْا لِرَبِّهِمْ وَاَقَامُوا الصَّلٰوةَ ۪— وَاَمْرُهُمْ شُوْرٰی بَیْنَهُمْ ۪— وَمِمَّا رَزَقْنٰهُمْ یُنْفِقُوْنَ ۟ۚ
और जिन लोगों ने अपने रब की बात मानी; उसके आदेशों का पालन करके और उसकी मना की हुई चीज़ों को छोड़कर, और संपूर्ण तरीके से नमाज़ अदा की, तथा जो लोग अपने संबंधित मामलों में आपस में परामर्श करते हैं, और हमने जो कुछ उन्हें प्रदान किया है, उसमें से अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए खर्च करते हैं।
અરબી તફસીરો:
وَالَّذِیْنَ اِذَاۤ اَصَابَهُمُ الْبَغْیُ هُمْ یَنْتَصِرُوْنَ ۟
और वे लोग कि जब उनपर अत्याचार होता है, तो आत्म-सम्मान और गौरव की रक्षा के लिए बदला लेते हैं, यदि अत्याचार करने वाला व्यक्ति क्षमा के योग्य नहीं है। और यह बदला लेना उचित है, खासकर अगर क्षमा करने में कोई हित नहीं है।
અરબી તફસીરો:
وَجَزٰٓؤُا سَیِّئَةٍ سَیِّئَةٌ مِّثْلُهَا ۚ— فَمَنْ عَفَا وَاَصْلَحَ فَاَجْرُهٗ عَلَی اللّٰهِ ؕ— اِنَّهٗ لَا یُحِبُّ الظّٰلِمِیْنَ ۟
जो व्यक्ति अपना हक़ (बदला) लेना चाहे, उसे इसका अधिकार है। लेकिन वह ज़्यादती के बराबर ही होना चाहिए, उससे अधिक नहीं। तथा जो व्यक्ति बुरा व्यवहार करने वाले को क्षमा कर दे औैर उसके दुर्व्यवहार पर उसकी पकड़ न करे तथा अपने और अपने भाई के बीच सुधार कर ले, तो उसका प्रतिफल अल्लाह के पास है। निश्चय वह अत्याचार करने वालों को पसंद नहीं करता, जो लोगों पर उनकी जान, या उनके धन, या उनके सम्मान (सतीत्व) के मामले में अत्याचार करते हैं। बल्कि वह उनसे घृणा करता है।
અરબી તફસીરો:
وَلَمَنِ انْتَصَرَ بَعْدَ ظُلْمِهٖ فَاُولٰٓىِٕكَ مَا عَلَیْهِمْ مِّنْ سَبِیْلٍ ۟ؕ
जो व्यक्ति अपने ऊपर होने वाले अत्याचार का बदला लेता है, तो ऐसे लोगों पर अपना हक़ लेने के लिए कोई दोष नहीं है।
અરબી તફસીરો:
اِنَّمَا السَّبِیْلُ عَلَی الَّذِیْنَ یَظْلِمُوْنَ النَّاسَ وَیَبْغُوْنَ فِی الْاَرْضِ بِغَیْرِ الْحَقِّ ؕ— اُولٰٓىِٕكَ لَهُمْ عَذَابٌ اَلِیْمٌ ۟
बल्कि पकड़ और सज़ा के पात्र वे लोग हैं, जो लोगों पर अत्याचार करते हैं और धरती पर पाप करते हैं। ऐसे लोगों के लिए आख़िरत में दर्दनाक यातना है।
અરબી તફસીરો:
وَلَمَنْ صَبَرَ وَغَفَرَ اِنَّ ذٰلِكَ لَمِنْ عَزْمِ الْاُمُوْرِ ۟۠
जो व्यक्ति किसी के द्वारा कष्ट दिए जाने पर धैर्य से काम लेता है और उसे माफ़ कर देता है, तो निश्चय वह धैर्य उसके लिए और समाज के लिए अच्छा होता है; और वह एक सराहनीय कार्य है। इसका सौभाग्य केवल उसी को प्राप्त होता है, जो महान भाग्य वाला है।
અરબી તફસીરો:
وَمَنْ یُّضْلِلِ اللّٰهُ فَمَا لَهٗ مِنْ وَّلِیٍّ مِّنْ بَعْدِهٖ ؕ— وَتَرَی الظّٰلِمِیْنَ لَمَّا رَاَوُا الْعَذَابَ یَقُوْلُوْنَ هَلْ اِلٰی مَرَدٍّ مِّنْ سَبِیْلٍ ۟ۚ
अल्लाह जिसे मार्गदर्शन करने से हाथ खींच ले और उसे सत्य मार्ग से पथभ्रष्ट कर दे, तो उसके बाद उसके मामले को संभालने के लिए उसका कोई संरक्षक नहीं है। तथा तुम कुफ़्र और अवज्ञाओं के द्वारा अपने ऊपर अत्याचार करने वालों को देखोगे कि जब वे क़ियामत के दिन यातना को अपनी आँखों से देख लेंगे, तो कामना करते हुए कहेंगे : क्या दुनिया में वापसी का कोई रास्ता है कि हम अल्लाह के सामने तौबा कर सकें?
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• الصبر والشكر سببان للتوفيق للاعتبار بآيات الله.
• धैर्य और धन्यवाद (सब्र एवं शुक्र), अल्लाह की निशानियों से शिक्षा ग्रहण करने की तौफ़ीक़ के दो कारण हैं।

• مكانة الشورى في الإسلام عظيمة.
• इस्लाम में शूरा (परस्पर परामर्श) का स्थान बहुत महान है।

• جواز مؤاخذة الظالم بمثل ظلمه، والعفو خير من ذلك.
• ज़ालिम को उसके ज़ुल्म के समान सज़ा देना जायज़ है, परंतु क्षमा कर देना उससे बेहतर है।

 
શબ્દોનું ભાષાંતર સૂરહ: અશ્ શૂરા
સૂરહ માટે અનુક્રમણિકા પેજ નંબર
 
કુરઆન મજીદના શબ્દોનું ભાષાંતર - હિન્દી ભાષામાં અલ્ મુખતસર ફી તફસીરિલ્ કુરઆનીલ્ કરીમ કિતાબનું અનુવાદ - ભાષાંતરોની અનુક્રમણિકા

તફસીર લિદ્ દિરાસતીલ્ કુરઆનિયહ કેન્દ્ર દ્વારા પ્રકાશિત.

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