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કુરઆન મજીદના શબ્દોનું ભાષાંતર - હિન્દી ભાષામાં અલ્ મુખતસર ફી તફસીરિલ્ કુરઆનીલ્ કરીમ કિતાબનું અનુવાદ * - ભાષાંતરોની અનુક્રમણિકા


શબ્દોનું ભાષાંતર સૂરહ: અલ્ અન્આમ   આયત:
وَمَا عَلَی الَّذِیْنَ یَتَّقُوْنَ مِنْ حِسَابِهِمْ مِّنْ شَیْءٍ وَّلٰكِنْ ذِكْرٰی لَعَلَّهُمْ یَتَّقُوْنَ ۟
जो लोग अल्लाह के आदेशों का पालन करने और उसके निषेधों से बचने के द्वारा उससे डरते हैं, उनके ज़िम्मे इन अत्याचारियों के हिसाब में से कोई चीज़ नहीं है। बल्कि उनकी ज़िम्मेदारी केवल उन्हें उन बुराइयों से रोकना है जो वे करते हैं, ताकि उनके हृदय में अल्लाह का डर पैदा हो जाए, फिर वे अल्लाह के आदेशों का पालन करें और उसके निषेधों से बचें।
અરબી તફસીરો:
وَذَرِ الَّذِیْنَ اتَّخَذُوْا دِیْنَهُمْ لَعِبًا وَّلَهْوًا وَّغَرَّتْهُمُ الْحَیٰوةُ الدُّنْیَا وَذَكِّرْ بِهٖۤ اَنْ تُبْسَلَ نَفْسٌ بِمَا كَسَبَتْ ۖۗ— لَیْسَ لَهَا مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ وَلِیٌّ وَّلَا شَفِیْعٌ ۚ— وَاِنْ تَعْدِلْ كُلَّ عَدْلٍ لَّا یُؤْخَذْ مِنْهَا ؕ— اُولٰٓىِٕكَ الَّذِیْنَ اُبْسِلُوْا بِمَا كَسَبُوْا ۚ— لَهُمْ شَرَابٌ مِّنْ حَمِیْمٍ وَّعَذَابٌ اَلِیْمٌ بِمَا كَانُوْا یَكْفُرُوْنَ ۟۠
और ऐ रसूल! इन मुश्रिकों को छोड़ दें, जिन्होंने अपने धर्म को खेल-कूद और मनोरंजन बना लिया कि वे उसका मज़ाक उड़ाते और उपहास करते हैं, और इस दुनिया के जीवन ने उन्हें अपने नश्वर सुखों के साथ धोखे में डाल रखा है। (ऐ नबी!) क़ुरआन के साथ लोगों को उपदेश दें ताकि कोई भी प्राणी अपनी कमाई हुई बुराइयों के कारण विनाश की ओर न जाए, उसके लिए मदद माँगने के लिए अल्लाह के अलावा कोई सहयोगी न हो, और क़ियामत के दिन उससे अल्लाह की यातना को रोकने के लिए कोई सिफ़ारिश करने वाला न हो। तथा यदि वह कोई भी छुड़ौती देकर अल्लाह की यातना से छुटकारा लेना चाहे, तो वह उससे स्वीकार नहीं की जाएगी। यही लोग हैं, जो अपने पापों के कारण अपने आपके विनाश के हवाले कर दिए गए। उन्हें क़ियामत के दिन उनके कुफ़्र के कारण अत्यंत गरम पेय पिलाया जाएगा और दर्दनाक यातना दी जाएगी।
અરબી તફસીરો:
قُلْ اَنَدْعُوْا مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ مَا لَا یَنْفَعُنَا وَلَا یَضُرُّنَا وَنُرَدُّ عَلٰۤی اَعْقَابِنَا بَعْدَ اِذْ هَدٰىنَا اللّٰهُ كَالَّذِی اسْتَهْوَتْهُ الشَّیٰطِیْنُ فِی الْاَرْضِ حَیْرَانَ ۪— لَهٗۤ اَصْحٰبٌ یَّدْعُوْنَهٗۤ اِلَی الْهُدَی ائْتِنَا ؕ— قُلْ اِنَّ هُدَی اللّٰهِ هُوَ الْهُدٰی ؕ— وَاُمِرْنَا لِنُسْلِمَ لِرَبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟ۙ
ऐ रसूल! आप इन मुश्रिकों से कह दें : क्या हम अल्लाह को छोड़कर ऐसी मूर्तियों की पूजा करने लगें, जो न किसी लाभ की मालिक हैं, कि हमें लाभ पहुँचाए और न किसी नुक़सान की मालिक हैं, कि हमें नुक़सान पहुँचा सकें। और हम ईमान से फिर जाएँ इसके बाद कि अल्लाह ने हमें उसका सामर्थ्य प्रदान किया है। फिर हम उस व्यक्ति के समान हो जाएँ, जिसे शैतानों ने पथभ्रष्ट करके चकित छोड़ दिया, उसे कोई रास्ता नहीं मिल रहा, तथा सीधे मार्ग पर उसके कुछ साथी हैं जो उसे सत्य की ओर बुलाते हैं, परंतु वह उनके बुलावे को स्वीकार करने से इनकार करता है। (ऐ रसूल!) आप उनसे कह दें : अल्लाह का मार्गदर्शन ही सच्चा मार्गदर्शन है, और अल्लाह ने हमें आदेश दिया है कि हम उसके आगे झुक जाएँ, उसी को एकमात्र पूज्य मानें और उसी अकेले की इबादत करें, क्योंकि वही सारे संसारों का रब है।
અરબી તફસીરો:
وَاَنْ اَقِیْمُوا الصَّلٰوةَ وَاتَّقُوْهُ ؕ— وَهُوَ الَّذِیْۤ اِلَیْهِ تُحْشَرُوْنَ ۟
उसने हमें सबसे उत्तम तरीक़े से नमाज़ स्थापित करने का आदेश दिया है, तथा उसने हमें अल्लाह के आदेशों का पालन करते हुए और उसके निषेधों से बचते हुए तक़वा अपनाने का आदेश दिया है, क्योंकि वही अकेला है जिसकी ओर क़ियामत के दिन सारे बंदे एकत्र किए जाएँगे, ताकि वह उन्हें उनके कर्मों का बदला दे।
અરબી તફસીરો:
وَهُوَ الَّذِیْ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ بِالْحَقِّ ؕ— وَیَوْمَ یَقُوْلُ كُنْ فَیَكُوْنُ ؕ۬— قَوْلُهُ الْحَقُّ ؕ— وَلَهُ الْمُلْكُ یَوْمَ یُنْفَخُ فِی الصُّوْرِ ؕ— عٰلِمُ الْغَیْبِ وَالشَّهَادَةِ ؕ— وَهُوَ الْحَكِیْمُ الْخَبِیْرُ ۟
उसी महिमावान ने आकाशों तथा धरती को सत्य के साथ पैदा किया, (तथा उस दिन को याद करो) जिस दिन अल्लाह किसी वस्तु से कहेगा 'हो जा', तो वह हो जाएगी। जब वह क़ियामत के दिन कहेगा : उठ खड़े हो, तो सबके सब उठ खड़े होंगे। उसकी बात सत्य है, जो अनिवार्य रूप से होकर रहेगी और क़ियामत के दिन अकेले उसी महिमावान का राज्य होगा, जब इसराफील नरसिंघा में दूसरी बार फूँकेंगे। वह परोक्ष तथा प्रत्यक्ष का ज्ञानी है और वह अपनी रचना तथा प्रबंधन में हिकमत वाला है, हर चीज़ की ख़बर रखने वाला है, जिससे कोई भी चीज़ छिपी नहीं है। अतः उसके लिए, चीजों के अंदरूनी हिस्से उनके प्रत्यक्ष हिस्सों के समान हैं।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• الداعية إلى الله تعالى ليس مسؤولًا عن محاسبة أحد، بل هو مسؤول عن التبليغ والتذكير.
• अल्लाह की ओर बुलाने वाला केवल अल्लाह के संदेश को पहुँचाने तथा स्मरण कराने का ज़िम्मेदार है, किसी का हिसाब लेने का ज़िम्मेदार नहीं है।

• الوعظ من أعظم وسائل إيقاظ الغافلين والمستكبرين.
• उपदेश करना, लापरवाहों और अहंकारियों को जगाने का सबसे बड़ा साधन है।

• من دلائل التوحيد: أن من لا يملك نفعًا ولا ضرًّا ولا تصرفًا، هو بالضرورة لا يستحق أن يكون إلهًا معبودًا.
• तौहीद (एकेश्वरवाद) के प्रमाणों में से एक यह है कि : जो कोई लाभ, या हानि, या हेरफेर करने का अधिकार न रखता हो, वह आवश्यक रूप से पूज्य होने के योग्य नहीं है।

 
શબ્દોનું ભાષાંતર સૂરહ: અલ્ અન્આમ
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તફસીર લિદ્ દિરાસતીલ્ કુરઆનિયહ કેન્દ્ર દ્વારા પ્રકાશિત.

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