કુરઆન મજીદના શબ્દોનું ભાષાંતર - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - ભાષાંતરોની અનુક્રમણિકા


શબ્દોનું ભાષાંતર સૂરહ: અલ્ અઅરાફ   આયત:

सूरा अल्-आराफ़

સૂરતના હેતુઓ માંથી:
انتصار الحق في صراعه مع الباطل، وبيان عاقبة المستكبرين في الدنيا والآخرة.
असत्य के साथ संघर्ष में सत्य की जीत, तथा दुनिया और आख़िरत में अभिमानियों के परिणाम का बयान।

الٓمّٓصٓ ۟ۚ
(अलिफ़, लाम, मीम, साद) सूरतुल-बक़रा की शुरुआत में इस प्रकार के अक्षरों के बारे में बात गुज़र चुकी है।
અરબી તફસીરો:
كِتٰبٌ اُنْزِلَ اِلَیْكَ فَلَا یَكُنْ فِیْ صَدْرِكَ حَرَجٌ مِّنْهُ لِتُنْذِرَ بِهٖ وَذِكْرٰی لِلْمُؤْمِنِیْنَ ۟
क़ुरआन-ए-करीम एक पुस्तक है, जिसे अल्लाह ने (ऐ रसूल!) आपपर उतारा है। अतः आपके सीने में उसके संबंध में कोई तंगी या संदेह न हो। अल्लाह ने इसे आपकी ओर इसलिए अवतरित किया है, ताकि आप उसके द्वारा लोगों को डराएँ और तर्क स्थापित करें, तथा उसके द्वारा ईमान वालों को नसीहत करें। क्योंकि वही लोग नसीहत से लाभान्वित होते हैं।
અરબી તફસીરો:
اِتَّبِعُوْا مَاۤ اُنْزِلَ اِلَیْكُمْ مِّنْ رَّبِّكُمْ وَلَا تَتَّبِعُوْا مِنْ دُوْنِهٖۤ اَوْلِیَآءَ ؕ— قَلِیْلًا مَّا تَذَكَّرُوْنَ ۟
(ऐ लोगो!) उस किताब का अनुसरण करो, जो तुम्हारे पालनहार ने तुमपर उतारी है, तथा अपने नबी की सुन्नत का पालन करो, और उन शैतानों या दुष्ट रब्बियों की इच्छाओं का पालन न करो, जिन्हें तुम अपने संरक्षक समझते हो, उनकी इच्छाएँ जो कुछ निर्देशित करती हैं उसकी ख़ातिर तुम उसे छोड़कर, जो तुमपर उतारा गया है, उनसे दोस्ती करते हो। दरअसल, तुम बहुत ही कम शिक्षा ग्रहण करते हो; क्योंकि यदि तुम शिक्षा ग्रहण करते, तो तुम सत्य पर उसके अलावा को तरजीह न देते, और अवश्य तुम उसका अनुसरण करते जो तुम्हारे रसूल लेकर आए हैं, तथा उसपर अमल करते और उसके सिवा अन्य चीज़ों को छोड़ देते।
અરબી તફસીરો:
وَكَمْ مِّنْ قَرْیَةٍ اَهْلَكْنٰهَا فَجَآءَهَا بَاْسُنَا بَیَاتًا اَوْ هُمْ قَآىِٕلُوْنَ ۟
कितनी ही बस्तियाँ ऐसी हैं, जिन्हें हमने अपने अज़ाब से विनष्ट कर दिया, जब वे अपने इनकार तथा गुमराही पर अडिग रहीं। चुनाँचे उनपर हमारा गंभीर अज़ाब रात या दिन में उनकी ग़फ़लत के समय आ पहुँचा। फिर वे अपने आपसे अज़ाब को नहीं हटा सके, और न ही उसे उनसे उनके तथाकथित पूज्यों ने हटाया।
અરબી તફસીરો:
فَمَا كَانَ دَعْوٰىهُمْ اِذْ جَآءَهُمْ بَاْسُنَاۤ اِلَّاۤ اَنْ قَالُوْۤا اِنَّا كُنَّا ظٰلِمِیْنَ ۟
फिर यातना के उतर जाने के बाद उनसे इसके सिवा कुछ न बन पड़ा कि उन्होंने अल्लाह का इनकार करके अपने ऊपर अत्याचार करने के अपराध को स्वीकार कर लिया।
અરબી તફસીરો:
فَلَنَسْـَٔلَنَّ الَّذِیْنَ اُرْسِلَ اِلَیْهِمْ وَلَنَسْـَٔلَنَّ الْمُرْسَلِیْنَ ۟ۙ
हम क़ियामत के दिन उन समुदायों से अवश्य पूछेंगे, जिनकी ओर हमने अपने रसूल भेजे थे कि उन्होंने रसूलों को क्या जवाब दिया, तथा हम उन रसूलों से भी उस संदेश को पहुँचाने के बारे में अवश्य पूछेंगे जिसके पहुँचाने का उन्हें आदेश दिया गया था, और इस बारे में कि उनके समुदायों ने उन्हें क्या जवाब दिया।
અરબી તફસીરો:
فَلَنَقُصَّنَّ عَلَیْهِمْ بِعِلْمٍ وَّمَا كُنَّا غَآىِٕبِیْنَ ۟
फिर हम समस्त लोगों के सामने अपने पूर्ण ज्ञान के साथ उनके उन कामों का वर्णन करेंगे जो उन्होंने इस संसार में किए थे। क्योंकि हम उनके सब कामों से अवगत थे, उनमें से कोई भी चीज़ हमसे ओझल नहीं थी, तथा हम किसी भी समय उनसे ग़ायब नहीं थे।
અરબી તફસીરો:
وَالْوَزْنُ یَوْمَىِٕذِ ١لْحَقُّ ۚ— فَمَنْ ثَقُلَتْ مَوَازِیْنُهٗ فَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْمُفْلِحُوْنَ ۟
तथा क़ियामत के दिन कर्मों को न्याय (इंसाफ़) के साथ तौला जाएगा, जिसके साथ कोई अन्याय या अत्याचार नहीं होगा। फिर जिसकी नेकियों का पलड़ा उसके पापों के पलड़े से भारी हो गया, तो वही वे लोग हैं जो अपनी वांछित चीज़ को प्राप्त करने में सफल हो गए और उस चीज़ से बच गए जिसका उन्हें भय था।
અરબી તફસીરો:
وَمَنْ خَفَّتْ مَوَازِیْنُهٗ فَاُولٰٓىِٕكَ الَّذِیْنَ خَسِرُوْۤا اَنْفُسَهُمْ بِمَا كَانُوْا بِاٰیٰتِنَا یَظْلِمُوْنَ ۟
तथा जिसके पापों का पलड़ा उसकी नेकियों के पलड़े से भारी हो गया, तो यही लोग हैं जिन्होंने, अल्लाह की आयतों का इनकार करने के कारण, क़ियामत के दिन अपने आपको विनाश के घाट उतार कर खुद को घाटे में डाल दिया।
અરબી તફસીરો:
وَلَقَدْ مَكَّنّٰكُمْ فِی الْاَرْضِ وَجَعَلْنَا لَكُمْ فِیْهَا مَعَایِشَ ؕ— قَلِیْلًا مَّا تَشْكُرُوْنَ ۟۠
(ऐ आदम की औलाद!) हमने धरती में तुम्हें अधिकार दिया और उसमें तुम्हारे लिए जीने के साधन बनाए। इसलिए तुम्हें इसपर अल्लाह का शुक्रिया अदा करना चाहिए था, लेकिन तुम बहुत कम शुक्र करते हो।
અરબી તફસીરો:
وَلَقَدْ خَلَقْنٰكُمْ ثُمَّ صَوَّرْنٰكُمْ ثُمَّ قُلْنَا لِلْمَلٰٓىِٕكَةِ اسْجُدُوْا لِاٰدَمَ ۖۗ— فَسَجَدُوْۤا اِلَّاۤ اِبْلِیْسَ ؕ— لَمْ یَكُنْ مِّنَ السّٰجِدِیْنَ ۟
(ऐ लोगो!) हमने तुम्हारे पिता आदम को बनाया, फिर हमने उसे सबसे अच्छा रूप और सबसे अच्छा आकार दिया, फिर हमने फ़रिश्तों को उसके सम्मान में सजदा करने का आदेश दिया। तो उन्होंने पालन किया और सजदा किया, सिवाय इबलीस के। उसने अहंकार और हठ करते हुए सजदा करने से इनकार कर दिया।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• من مقاصد إنزال القرآن الإنذار للكافرين والمعاندين، والتذكير للمؤمنين.
• क़ुरआन के उतारने के उद्देश्यों में काफ़िरों और हठी लोगों को सचेत करना, तथा ईमान वालों को नसीहत करना है।

• أنزل الله القرآن إلى المؤمنين ليتبعوه ويعملوا به، فإن فعلوا ذلك كملت تربيتهم، وتمت عليهم النعمة، وهُدُوا لأحسن الأعمال والأخلاق.
• अल्लाह ने मोमिनों की ओर क़ुरआन को उसका पालन करने और उसपर अमल करने के लिए उतारा है। यदि वे ऐसा करते हैं, तो उनका प्रशिक्षण पूरा हो जाएगा, उनपर नेमत पूरी हो जाएगी, और उन्हें सर्वोत्तम कर्मों और नैतिकताओं के लिए निर्देशित किया जाएगा।

• الوزن يوم القيامة لأعمال العباد يكون بالعدل والقسط الذي لا جَوْر فيه ولا ظلم بوجه.
• क़ियामत के दिन बंदों के कार्यों को न्याय और समानता के साथ तौला जाएगा, जिसमें किसी भी तरह से अन्याय अथवा अत्याचार नहीं होगा।

• هَيَّأ الله الأرض لانتفاع البشر بها، بحيث يتمكَّنون من البناء عليها وحَرْثها، واستخراج ما في باطنها للانتفاع به.
• अल्लाह ने धरती को मनुष्यों के लाभ के लिए तैयार किया है, ताकि वे इसपर निर्माण कर सकें और इसकी खेती कर सकें, तथा इसके अंदर जो कुछ भी है, उससे लाभ उठाने के लिए उसे निकाल सकें।

قَالَ مَا مَنَعَكَ اَلَّا تَسْجُدَ اِذْ اَمَرْتُكَ ؕ— قَالَ اَنَا خَیْرٌ مِّنْهُ ۚ— خَلَقْتَنِیْ مِنْ نَّارٍ وَّخَلَقْتَهٗ مِنْ طِیْنٍ ۟
अल्लाह ने इबलीस को फटकार लगाते हुए कहा : आदम को सजदा करने की मेरी आज्ञा का पालन करने से तुझे किस बात ने रोका? इबलीस ने अपने रब को जवाब देते हुए कहा : मुझे इस बात ने रोका कि मैं उससे बेहतर हूँ। क्योंकि तूने मुझे आग से पैदा किया और उसे मिट्टी से बनाया, और आग मिट्टी से अधिक प्रतिष्ठित है।
અરબી તફસીરો:
قَالَ فَاهْبِطْ مِنْهَا فَمَا یَكُوْنُ لَكَ اَنْ تَتَكَبَّرَ فِیْهَا فَاخْرُجْ اِنَّكَ مِنَ الصّٰغِرِیْنَ ۟
अल्लाह ने उससे कहा : जन्नत से उतर जा। तुझे यहाँ अहंकार करने का अधिकार नहीं है; क्योंकि यह अच्छे तथा पवित्र लोगों का घर है। इसलिए तेरा इसमें रहना उचित नहीं है। निश्चय - ऐ इबलीस! - तू तुच्छ और अपमानित है, भले ही तू अपने आपको आदम से अधिक प्रतिष्ठित समझता हो।
અરબી તફસીરો:
قَالَ اَنْظِرْنِیْۤ اِلٰی یَوْمِ یُبْعَثُوْنَ ۟
इबलीस ने कहा : ऐ मेरे पालनहार! मुझे पुणः जीवित किए जाने के दिन तक का समय दे, ताकि मैं उन लोगों को बहका सकूँ जिन्हें मैं बहका सकता हूँ।
અરબી તફસીરો:
قَالَ اِنَّكَ مِنَ الْمُنْظَرِیْنَ ۟
अल्लाह ने उससे कहा : निःसंदेह - ऐ इबलीस! - तू उन मोहलत दिए जाने वालों में से है, जिनकी मृत्यु सूर में प्रथम फूँक मारने के दिन लिखी गई है, जब सारी सृष्टि मर जाएगी, और केवल उनका स्रष्टा बाक़ी रहेगा।
અરબી તફસીરો:
قَالَ فَبِمَاۤ اَغْوَیْتَنِیْ لَاَقْعُدَنَّ لَهُمْ صِرَاطَكَ الْمُسْتَقِیْمَ ۟ۙ
इबलीस ने कहा : इस कारण कि तूने मुझे गुमराह किया, कि मैंने आदम को सजदा करने के तेरे आदेश का पालन करना छोड़ दिया, मैं अवश्य ही आदम की संतान के लिए तेरे सीधे रास्ते पर बैठूँगा; ताकि मैं उन्हें उससे भटका दूँ और उन्हें पथभ्रष्ट कर दूँ, जिस तरह मैं उनके पिता आदम को सजदा करने से भटक गया।
અરબી તફસીરો:
ثُمَّ لَاٰتِیَنَّهُمْ مِّنْ بَیْنِ اَیْدِیْهِمْ وَمِنْ خَلْفِهِمْ وَعَنْ اَیْمَانِهِمْ وَعَنْ شَمَآىِٕلِهِمْ ؕ— وَلَا تَجِدُ اَكْثَرَهُمْ شٰكِرِیْنَ ۟
फिर मैं उनके पास हर तरफ़ से आख़िरत के प्रति अरुचि पैदा करने, दुनिया के प्रति रुचि पैदा करने, दिलों में संदेह डालने और इच्छाओं को सुसज्जित करने के साथ आऊँगा। तथा मैं उनके अंदर कुफ़्र की बात इस क़दर डालूँगा कि तू उनमें से अधिकतर लोगों को अपना आभारी नहीं पाएगा।
અરબી તફસીરો:
قَالَ اخْرُجْ مِنْهَا مَذْءُوْمًا مَّدْحُوْرًا ؕ— لَمَنْ تَبِعَكَ مِنْهُمْ لَاَمْلَـَٔنَّ جَهَنَّمَ مِنْكُمْ اَجْمَعِیْنَ ۟
अल्लाह ने उससे कहा : (ऐ इबलीस!) तू निंदित और अल्लाह की दया से धुत्कारा हुआ जन्नत से निकल जा। निश्चय मैं क़ियामत के दिन जहन्नम को तुझसे और हर उस व्यक्ति से अवश्य भर दूँगा जो तेरे पीछे चलेगा और तेरी बात मानेगा और अपने रब की आज्ञा का उल्लंघन करेगा।
અરબી તફસીરો:
وَیٰۤاٰدَمُ اسْكُنْ اَنْتَ وَزَوْجُكَ الْجَنَّةَ فَكُلَا مِنْ حَیْثُ شِئْتُمَا وَلَا تَقْرَبَا هٰذِهِ الشَّجَرَةَ فَتَكُوْنَا مِنَ الظّٰلِمِیْنَ ۟
और अल्लाह ने आदम से कहा : ऐ आदम! तुम और तुम्हारी पत्नी हव्वा जन्नत में रहो। अतः उसमें जो अच्छी चीजें हैं, उनमें से जो चाहो खाओ, और इस पेड़ (एक पेड़ जिसे अल्लाह ने उनके लिए निर्दिष्ट किया) से मत खाओ। क्योंकि यदि तुम मेरे मना करने के बाद भी उसमें से कुछ खाओगे, तो तुम अल्लाह की सीमाओं का उल्लंघन करने वालों में से हो जाओगे।
અરબી તફસીરો:
فَوَسْوَسَ لَهُمَا الشَّیْطٰنُ لِیُبْدِیَ لَهُمَا مَا وٗرِیَ عَنْهُمَا مِنْ سَوْاٰتِهِمَا وَقَالَ مَا نَهٰىكُمَا رَبُّكُمَا عَنْ هٰذِهِ الشَّجَرَةِ اِلَّاۤ اَنْ تَكُوْنَا مَلَكَیْنِ اَوْ تَكُوْنَا مِنَ الْخٰلِدِیْنَ ۟
फिर इबलीस ने उन दोनों के मन में एक गुप्त बात डाली, ताकि उनके लिए प्रकट कर दे जो कुछ उनके गुप्तांगों में से उनसे छिपाया गया था। उसने उन दोनों से कहा : अल्लाह ने तुम दोनों को इस पेड़ से खाने से केवल इसलिए मना किया है कि कहीं तुम दोनों फ़रिश्ते न हो जाओ, अथवा जन्नत में हमेशा रहने वालों में से न हो जाओ।
અરબી તફસીરો:
وَقَاسَمَهُمَاۤ اِنِّیْ لَكُمَا لَمِنَ النّٰصِحِیْنَ ۟ۙ
तथा उसने उन दोनों से अल्लाह की क़सम खाकर कहा : निश्चय (ऐ आदम और हव्वा!) मैंने तुम दोनों से जो बात कही है, उसमें मैं तुम्हारा शुभचिंतक हूँ।
અરબી તફસીરો:
فَدَلّٰىهُمَا بِغُرُوْرٍ ۚ— فَلَمَّا ذَاقَا الشَّجَرَةَ بَدَتْ لَهُمَا سَوْاٰتُهُمَا وَطَفِقَا یَخْصِفٰنِ عَلَیْهِمَا مِنْ وَّرَقِ الْجَنَّةِ ؕ— وَنَادٰىهُمَا رَبُّهُمَاۤ اَلَمْ اَنْهَكُمَا عَنْ تِلْكُمَا الشَّجَرَةِ وَاَقُلْ لَّكُمَاۤ اِنَّ الشَّیْطٰنَ لَكُمَا عَدُوٌّ مُّبِیْنٌ ۟
इस तरह उसने उन दोनों को धोखे से उस स्थान से नीचे उतार लिया, जहाँ वे थे। चुनाँचे जब उन दोनों ने उस पेड़ से खाया, जिसमें से उन्हें खाने से मना किया गया था, तो उनके लिए उनके गुप्तांग प्रकट हो गए और दोनों अपने गुप्तांगों को ढकने के लिए अपने आपपर जन्नत के पत्ते चिपकाने लगे। तथा उनके रब ने उन्हें यह कहते हुए आवाज़ दी : क्या मैंने तुम दोनों को इस पेड़ से खाने के लिए मना नहीं किया था और तुम्हें सावधान करते हुए नहीं कहा था : निःसंदेह शैतान तुम्हारा खुला दुश्मन है?!
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• دلّت الآيات على أن من عصى مولاه فهو ذليل.
• इन आयतों से पता चलता है कि जो कोई अपने स्वामी की अवज्ञा करता है, वह अपमानित होता है।

• أعلن الشيطان عداوته لبني آدم، وتوعد أن يصدهم عن الصراط المستقيم بكل أنواع الوسائل والأساليب.
• शैतान ने आदम की संतान के प्रति अपनी शत्रुता की घोषणा की, और उन्हें हर तरह के साधनों और तरीकों से सीधे रास्ते से रोकने की धमकी दी।

• خطورة المعصية وأنها سبب لعقوبات الله الدنيوية والأخروية.
• अवज्ञा की गंभीरता तथा यह दुनिया एवं आख़िरत में अल्लाह के दंड का कारण है।

قَالَا رَبَّنَا ظَلَمْنَاۤ اَنْفُسَنَا ٚ— وَاِنْ لَّمْ تَغْفِرْ لَنَا وَتَرْحَمْنَا لَنَكُوْنَنَّ مِنَ الْخٰسِرِیْنَ ۟
आदम और हव्वा ने कहा : ऐ हमारे रब! जो तूने हमें पेड़ से खाने से मना किया था उसका इर्तिकाब करके हमने अपने आप पर अत्याचार किया है। यदि तूने हमारे पापों को क्षमा नहीं किया और अपनी दयालुता से हमपर दया नहीं की, तो निश्चय हम दुनिया एवं आख़िरत में अपना भाग्य खोकर घाटा उठाने वालों में से हो जाएँगे।
અરબી તફસીરો:
قَالَ اهْبِطُوْا بَعْضُكُمْ لِبَعْضٍ عَدُوٌّ ۚ— وَلَكُمْ فِی الْاَرْضِ مُسْتَقَرٌّ وَّمَتَاعٌ اِلٰی حِیْنٍ ۟
अल्लाह ने आदम, हव्वा और इबलीस से कहा : जन्नत से पृथ्वी पर उतरो, तुम एक-दूसरे के दुश्मन होगे। तथा तुम्हारे लिए एक ज्ञात समय तक पृथ्वी पर ठहरने का स्थान और एक निर्धारित अवधि के लिए उसमें जो कुछ है उससे लाभ उठाने का अवसर है।
અરબી તફસીરો:
قَالَ فِیْهَا تَحْیَوْنَ وَفِیْهَا تَمُوْتُوْنَ وَمِنْهَا تُخْرَجُوْنَ ۟۠
अल्लाह ने आदम, हव्वा तथा उनकी संतान को संबोधित करते हुए कहा : तुम इसी धरती में उस अवधि तक जीवित रहोगे जो अल्लाह ने तुम्हारे लिए निर्धारित की है, तथा इसी में मरोगे और दफ़न किए जाओगे, और अपनी क़ब्रों ही से क़ियामत (महा प्रलय) के लिए निकाले जाओगे।
અરબી તફસીરો:
یٰبَنِیْۤ اٰدَمَ قَدْ اَنْزَلْنَا عَلَیْكُمْ لِبَاسًا یُّوَارِیْ سَوْاٰتِكُمْ وَرِیْشًا ؕ— وَلِبَاسُ التَّقْوٰی ۙ— ذٰلِكَ خَیْرٌ ؕ— ذٰلِكَ مِنْ اٰیٰتِ اللّٰهِ لَعَلَّهُمْ یَذَّكَّرُوْنَ ۟
ऐ आदम की संतान! हमने तुम्हारे लिए तुम्हारे गुप्तांगों को ढकने के लिए एक आवश्यक वस्त्र बनाया है, तथा हमने तुम्हारे लिए एक विलासिता का वस्त्र बनाया है, जिससे तुम लोगों के बीच अपने आपको सुशोभित करते हो। तथा तक़्वा (अर्थात् अल्लाह के आदेशों का पालन करने और उसके निषेधों से बचने) का पोशाक, इस संवेदी पोशाक से बेहतर है। यह उपर्युक्त वस्त्र अल्लाह की उन निशानियों में से है जो उसकी शक्ति को इंगित करने वाली है। ताकि तुम अपने ऊपर अल्लाह कि नेमतों को याद करो और उनका शुक्र अदा करो।
અરબી તફસીરો:
یٰبَنِیْۤ اٰدَمَ لَا یَفْتِنَنَّكُمُ الشَّیْطٰنُ كَمَاۤ اَخْرَجَ اَبَوَیْكُمْ مِّنَ الْجَنَّةِ یَنْزِعُ عَنْهُمَا لِبَاسَهُمَا لِیُرِیَهُمَا سَوْاٰتِهِمَا ؕ— اِنَّهٗ یَرٰىكُمْ هُوَ وَقَبِیْلُهٗ مِنْ حَیْثُ لَا تَرَوْنَهُمْ ؕ— اِنَّا جَعَلْنَا الشَّیٰطِیْنَ اَوْلِیَآءَ لِلَّذِیْنَ لَا یُؤْمِنُوْنَ ۟
ऐ आदम की संतान! शैतान तुम्हारे लिए, गुप्त अंगों को ढकने के लिए संवेदी वस्त्र को त्यागने या तक़्वा (धर्मपरायणता) की पोशाक को त्यागने की अवज्ञा को सुशोभित करके तुम्हें हरगिज़ धोखे में न डाले। क्योंकि उसने तुम्हारे माता-पिता को पेड़ से खाने को सुसज्जित करके धोखा दिया था, यहाँ तक कि उसका परिणाम यह हुआ कि उसने उन्हें जन्नत से निकाल दिया और उनके लिए उनके गुप्तांग प्रकट हो गए। निःसंदेह शैतान और उसका वंश तुम्हें देखते हैं, लेकिन तुम उन्हें नहीं देखते। अतः तुम्हें उससे और उसके वंश से सावधान रहना होगा। हमने शैतानों को ऐसे लोगों का मित्र बना दिया है, जो अल्लाह पर ईमान नहीं रखते। रहे ईमान वाले, जो अच्छे कर्म करते हैं, तो उनपर उन (शैतानों) का कोई रास्ता नहीं है।
અરબી તફસીરો:
وَاِذَا فَعَلُوْا فَاحِشَةً قَالُوْا وَجَدْنَا عَلَیْهَاۤ اٰبَآءَنَا وَاللّٰهُ اَمَرَنَا بِهَا ؕ— قُلْ اِنَّ اللّٰهَ لَا یَاْمُرُ بِالْفَحْشَآءِ ؕ— اَتَقُوْلُوْنَ عَلَی اللّٰهِ مَا لَا تَعْلَمُوْنَ ۟
और जब मुश्रिक लोग कोई अति घृणित काम करते हैं, जैसे शिर्क तथा निर्वस्त्र होकर काबा का तवाफ़ करना आदि, तो वे यह बहाना पेश करते हैं कि उन्होंने अपने बाप-दादा को ऐसा करते पाया है और यह कि अल्लाह ने उन्हें ऐसा करने का आदेश दिया है। (ऐ मुहम्मद!) आप उनके जवाब में कह दें : अल्लाह गुनाहों का आदेश नहीं देता, बल्कि वह उनसे मना करता है। तो फिर तुम अल्लाह पर कैसे इसका दावा करते हो? क्या (ऐ मुश्रिको!) तुम झूठ बोलते हुए और झूठा आरोप लगाते हुए अल्लाह के बारे में ऐसी बात कहते हो, जो तुम नहीं जानते?!
અરબી તફસીરો:
قُلْ اَمَرَ رَبِّیْ بِالْقِسْطِ ۫— وَاَقِیْمُوْا وُجُوْهَكُمْ عِنْدَ كُلِّ مَسْجِدٍ وَّادْعُوْهُ مُخْلِصِیْنَ لَهُ الدِّیْنَ ؕ۬— كَمَا بَدَاَكُمْ تَعُوْدُوْنَ ۟ؕ
(ऐ मुहम्मद!) इन मुश्रिकों से कह दें : अल्लाह ने न्याय का आदेश दिया है, अश्लीलता और बुराई का आदेश नहीं दिया है। तथा उसने आदेश दिया है कि तुम इबादत को सामान्य रूप से और विशेष रूप से मस्जिदों में उसी के लिए ख़ालिस करो, और यह कि तुम केवल उसे ही पुकारो आज्ञाकारिता को उसी के लिए विशिष्ट करते हुए। जिस तरह उसने तुम्हें पहली बार अनस्तित्व से पैदा किया, उसी तरह वह तुम्हें दोबारा जीवित करेगा। क्योंकि जो तुम्हें पहली बार पैदा करने में सक्षम है, वह तुम्हें वापस लौटाने और तुम्हें पुनर्जीवित करने में भी सक्षम है।
અરબી તફસીરો:
فَرِیْقًا هَدٰی وَفَرِیْقًا حَقَّ عَلَیْهِمُ الضَّلٰلَةُ ؕ— اِنَّهُمُ اتَّخَذُوا الشَّیٰطِیْنَ اَوْلِیَآءَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ وَیَحْسَبُوْنَ اَنَّهُمْ مُّهْتَدُوْنَ ۟
अल्लाह ने लोगों के दो समूह बनाए हैं : तुममें से एक समूह को उसने सीधी राह दिखाई, उसके लिए मार्गदर्शन के कारणों को आसान बनाया और उसकी बाधाओं को दूर कर दिया, जबकि दूसरे समूह पर सच्चाई के मार्ग से भटकना अनिवार्य (सिद्ध) हो चुका है।क्योंकि उन्होंने अल्लाह को छोड़कर शैतानों को दोस्त बना लिया, और अज्ञानता में उनका पालन किया, हालाँकि वे यह समझते हैं कि वे सीधे रास्ते पर चल रहे हैं।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• من أَشْبَهَ آدم بالاعتراف وسؤال المغفرة والندم والإقلاع - إذا صدرت منه الذنوب - اجتباه ربه وهداه. ومن أَشْبَهَ إبليس - إذا صدر منه الذنب بالإصرار والعناد - فإنه لا يزداد من الله إلا بُعْدًا.
• जो व्यक्ति - कोई गुनाह हो जाने पर - आदम अलैहिस्सलाम की तरह अपने गुनाह को स्वीकारता, क्षमा मांँगता, पछताता और उसे छोड़ देता है, तो अल्लाह उसे चुन लेगा और उसका मार्गदर्शन करेगा। और जो व्यक्ति - पाप कर बैठने पर - इबलीस की तरह उसपर अड़ा रहता और हठ करता है, तो वह अल्लाह से दूरी ही में वृद्धि करेगा।

• اللباس نوعان: ظاهري يستر العورةَ، وباطني وهو التقوى الذي يستمر مع العبد، وهو جمال القلب والروح.
• वस्त्र दो प्रकार के होते हैं : एक ज़ाहिरी (बाहरी), जो गुप्तांग को ढकता है और दूसरा बातिनी (भीतरी), इससे अभिप्राय तक़्वा है, जो निरंतर बंदे के साथ रहता है। और यह हृदय और आत्मा की सुंदरता है।

• كثير من أعوان الشيطان يدعون إلى نزع اللباس الظاهري؛ لتنكشف العورات، فيهون على الناس فعل المنكرات وارتكاب الفواحش.
• बहुत-से शैतान के समर्थक बाहरी वस्त्र को उतारने का आह्वान करते हैं; ताकि गुप्तांग प्रकट हो जाएँ। फिर लोगों के लिए बुराई करना और अनैतिक कार्य करना आसान हो जाए।

• أن الهداية بفضل الله ومَنِّه، وأن الضلالة بخذلانه للعبد إذا تولَّى -بجهله وظلمه- الشيطانَ، وتسبَّب لنفسه بالضلال.
• हिदायत अल्लाह की कृपा और अनुग्रह से मिलती है, तथा गुमराही अल्लाह की ओर से बंदे को असहाय छोड़ देने का परिणाम है, जब वह - अपनी अज्ञानता और अन्याय से - शैतान को दोस्त बना लेता है और खुद के भटकने का कारण बनता है।

یٰبَنِیْۤ اٰدَمَ خُذُوْا زِیْنَتَكُمْ عِنْدَ كُلِّ مَسْجِدٍ وَّكُلُوْا وَاشْرَبُوْا وَلَا تُسْرِفُوْا ؕۚ— اِنَّهٗ لَا یُحِبُّ الْمُسْرِفِیْنَ ۟۠
ऐ आदम की संतान! नमाज़ तथा तवाफ़ के समय ऐसा साफ़-सुथरा एवं पवित्र वस्त्र पहनो, जो तुम्हारे गुप्तांगों को छिपाए और तुम्हें सुंदरता प्रदान करे। तथा अल्लाह की हलाल की हुई पाक चीज़ों में से जो चाहो खाओ और पियो, परंतु संतुलन की सीमा को पार न करो एवं हलाल से हराम की ओर न जाओ। निश्चय ही अल्लाह संतुलन की सीमा को पार करने वालों को पसंद नहीं करता।
અરબી તફસીરો:
قُلْ مَنْ حَرَّمَ زِیْنَةَ اللّٰهِ الَّتِیْۤ اَخْرَجَ لِعِبَادِهٖ وَالطَّیِّبٰتِ مِنَ الرِّزْقِ ؕ— قُلْ هِیَ لِلَّذِیْنَ اٰمَنُوْا فِی الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا خَالِصَةً یَّوْمَ الْقِیٰمَةِ ؕ— كَذٰلِكَ نُفَصِّلُ الْاٰیٰتِ لِقَوْمٍ یَّعْلَمُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) जो मुश्रिक अल्लाह के हलाल किए हुए वस्त्र और अच्छे भोजन और अन्य चीजों को हराम ठहराते हैं, उनका खंडन करते हुए कह दें : तुम्हारे लिए उस वस्त्र को किसने हराम किया है, जो तुम्हारी शोभा है? तथा खाने-पीने आदि की अच्छी चीज़ों को तुम्हारे लिए किसने हराम किया है, जो अल्लाह ने तुम्हें प्रदान की हैं? (ऐ रसूल!) आप कह दें : ये अच्छी चीज़ें दुनिया के जीवन में ईमान वालों के लिए हैं, और अगर दूसरे लोग (भी) इस दुनिया में उन्हें साझा करते हैं, परंतु क़ियामत के दिन ये केवल मोमिनों के लिए विशिष्ट होंगी, कोई काफिर इसमें उनके साथ साझी नहीं होगा; क्योंकि जन्नत काफ़िरों पर हराम कर दी गई है। इसी विवरण की तरह, हम उन लोगों के लिए आयतों का विवरण करते हैं जो समझते हैं; क्योंकि वही इनसे लाभ उठाते हैं।
અરબી તફસીરો:
قُلْ اِنَّمَا حَرَّمَ رَبِّیَ الْفَوَاحِشَ مَا ظَهَرَ مِنْهَا وَمَا بَطَنَ وَالْاِثْمَ وَالْبَغْیَ بِغَیْرِ الْحَقِّ وَاَنْ تُشْرِكُوْا بِاللّٰهِ مَا لَمْ یُنَزِّلْ بِهٖ سُلْطٰنًا وَّاَنْ تَقُوْلُوْا عَلَی اللّٰهِ مَا لَا تَعْلَمُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप अल्लाह की हलाल की हुई वस्तुओं को हराम ठहराने वाले इन मुश्रिकों से कह दें : अल्लाह ने तो अपने बंदों पर केवल अनैतिक कार्यों, अर्थात् घृणित पापों को हराम किया है, चाहे वे प्रत्यक्ष हों या छिपे हुए, तथा सभी अवज्ञाओं, और लोगों पर उनके खून, धन तथा सम्मान (सतीत्व) के संबंध में अन्यायपूर्ण तरीके से ज़्यादती करने को हराम किया है। इसी तरह उसने तुम्हारे लिए बिना किसी प्रमाण के किसी को अल्लाह का साझी ठहराने एवं बिना ज्ञान के उसके नामों, गुणों, कार्यों तथा उसकी शरीयत के संबंध में बात करने को हराम क़रार दिया है।
અરબી તફસીરો:
وَلِكُلِّ اُمَّةٍ اَجَلٌ ۚ— فَاِذَا جَآءَ اَجَلُهُمْ لَا یَسْتَاْخِرُوْنَ سَاعَةً وَّلَا یَسْتَقْدِمُوْنَ ۟
हर पीढ़ी के लिए उनकी समय सीमा के लिए एक निर्धारित अवधि और समय है। जब उनका नियत समय आ जाता है, तो वे कुछ समय के लिए भी, भले ही वह थोड़ा-सा क्यों न हो, न उससे पीछे हटते हैं और न उससे आगे बढ़ते हैं।
અરબી તફસીરો:
یٰبَنِیْۤ اٰدَمَ اِمَّا یَاْتِیَنَّكُمْ رُسُلٌ مِّنْكُمْ یَقُصُّوْنَ عَلَیْكُمْ اٰیٰتِیْ ۙ— فَمَنِ اتَّقٰی وَاَصْلَحَ فَلَا خَوْفٌ عَلَیْهِمْ وَلَا هُمْ یَحْزَنُوْنَ ۟
ऐ आदम की संतान! यदि तुम्हारे पास तुम्हारी ही जातियों में से मेरे कुछ रसूल आएँ, जो तुम्हें वह किताबें पढ़कर सुनाएँ, जो मैंने उनपर उतारी है, तो उनकी बात मानो और जो कुछ वे लेकर आए हैं उसका पालन करो। अतः जो लोग अल्लाह के आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर, उससे डरते हैं और अपने कामों को सुधार लेते हैं, उन्हें क़ियामत के दिन कोई भय नहीं होगा, और न ही वे दुनिया के छूटे हुए सुख और आनंद पर शोक करेंगे।
અરબી તફસીરો:
وَالَّذِیْنَ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا وَاسْتَكْبَرُوْا عَنْهَاۤ اُولٰٓىِٕكَ اَصْحٰبُ النَّارِ ۚ— هُمْ فِیْهَا خٰلِدُوْنَ ۟
जहाँ तक उन काफ़िरों की बात है, जिन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया और उन पर ईमान नहीं लाए, तथा जो कुछ उनके रसूल उनके पास लाए थे, अहंकार करते हुए उसपर अमल नहीं किया, तो वही आग (जहन्नम) वाले हैं जो हमेशा उसी में रहने वाले हैं।
અરબી તફસીરો:
فَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنِ افْتَرٰی عَلَی اللّٰهِ كَذِبًا اَوْ كَذَّبَ بِاٰیٰتِهٖ ؕ— اُولٰٓىِٕكَ یَنَالُهُمْ نَصِیْبُهُمْ مِّنَ الْكِتٰبِ ؕ— حَتّٰۤی اِذَا جَآءَتْهُمْ رُسُلُنَا یَتَوَفَّوْنَهُمْ ۙ— قَالُوْۤا اَیْنَ مَا كُنْتُمْ تَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ ؕ— قَالُوْا ضَلُّوْا عَنَّا وَشَهِدُوْا عَلٰۤی اَنْفُسِهِمْ اَنَّهُمْ كَانُوْا كٰفِرِیْنَ ۟
उससे बड़ा अत्याचारी कोई नहीं है, जो अल्लाह पर झूठा आरोप लगाते हुऐ किसी को उसका साझी ठहराए, या उसकी ओर कमी की निस्बत करे, या उसके बारे में ऐसी बात कहे जो उसने नहीं कही है, या उसकी सीधे रास्ते की ओर मार्गदर्शन करने वाली स्पष्ट आयतों को झुठलाए। उक्त गुणों से विशेषित इन लोगों को उनका वह हिस्सा मिलेगा, जो लौहे महफूज़ में उनके लिए अच्छा या बुरा हिस्सा लिखा गया है। यहाँ तक कि जब मौत का फ़रिश्ता और उसके सहयोगी फरिश्ते उनके प्राण निकालने के लिए उनके पास आएँगे, तो उन्हें फटकार लगाते हुए उनसे कहेंगे : कहाँ हैं वे पूज्य जिनकी तुम अल्लाह के अलावा पूजा करते थे?! उन्हें पुकारो कि वे तुम्हें लाभ पहुँचाएँ। मुश्रिक लोग फरिश्तों से कहेंगे : जिन पूज्यों की हम पूजा करते थे वे हमसे लुप्त हो गए, इसलिए हम नहीं जानते कि वे कहाँ हैं। तथा वे अपने आप स्वीकार करेंगे कि वे काफ़िर थे, लेकिन उस समय उनकी स्वीकृति उनके विरुद्ध एक तर्क होगी और इससे उन्हें कोई लाभ नहीं होगा।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• المؤمن مأمور بتعظيم شعائر الله من خلال ستر العورة والتجمل في أثناء صلاته وخاصة عند التوجه للمسجد.
• मोमिन को यह आदेश दिया गया है कि वह अपनी नमाज़ के दौरान और विशेष रूप से मस्जिद जाते समय गुप्तांगों को ढककर और सुशोभित होकर अल्लाह के अनुष्ठानों का सम्मान करे।

• من فسر القرآن بغير علم أو أفتى بغير علم أو حكم بغير علم فقد قال على الله بغير علم وهذا من أعظم المحرمات.
• जिस व्यक्ति ने बिना ज्ञान के क़ुरआन की व्याख्या की, या बिना ज्ञान के फतवा दिया, या बिना ज्ञान के फैसला किया, तो उसने बिना ज्ञान के अल्लाह के बारे में बात कही, और यह सबसे बड़ी वर्जनाओं में से है।

• في الآيات دليل على أن المؤمنين يوم القيامة لا يخافون ولا يحزنون، ولا يلحقهم رعب ولا فزع، وإذا لحقهم فمآلهم الأمن.
• इन आयतों में इस बात का प्रमाण है कि क़ियामत के दिन ईमान वाले न तो डरेंगे और न ही शोक करेंगे, न ही वे भय या दहशत से ग्रस्त होंगे। यदि वे ग्रस्त भी हुए, तो अंत में वे सुरक्षित रहेंगे।

• أظلم الناس من عطَّل مراد الله تعالى من جهتين: جهة إبطال ما يدل على مراده، وجهة إيهام الناس بأن الله أراد منهم ما لا يريده الله.
• सबसे बड़ा अत्याचारी वह व्यक्ति है, जो अल्लाह के आशय को दो पहलू से निष्क्रिय करता है : जिससे उसके आशय का पता चलता है उसे रद्द करने का पहलू, तथा लोगों को इस भ्रम में डालने का पहलू कि अल्लाह उनसे वह चाहता है, जो वास्तव में वह नहीं चाहता।

قَالَ ادْخُلُوْا فِیْۤ اُمَمٍ قَدْ خَلَتْ مِنْ قَبْلِكُمْ مِّنَ الْجِنِّ وَالْاِنْسِ فِی النَّارِ ؕ— كُلَّمَا دَخَلَتْ اُمَّةٌ لَّعَنَتْ اُخْتَهَا ؕ— حَتّٰۤی اِذَا ادَّارَكُوْا فِیْهَا جَمِیْعًا ۙ— قَالَتْ اُخْرٰىهُمْ لِاُوْلٰىهُمْ رَبَّنَا هٰۤؤُلَآءِ اَضَلُّوْنَا فَاٰتِهِمْ عَذَابًا ضِعْفًا مِّنَ النَّارِ ؕ۬— قَالَ لِكُلٍّ ضِعْفٌ وَّلٰكِنْ لَّا تَعْلَمُوْنَ ۟
फ़रिश्ते उनसे कहेंगे : (ऐ मुश्रिको!) जिन्नों और इनसानों में से जो जातियाँ तुमसे पहले कुफ़्र तथा गुमराही पर गुज़र चुकी हैं, उनके साथ जहन्नम में प्रवेश कर जाओ। जब भी कोई जाति प्रवेश करेगी अपने से पहले आग में आने वाली जाति पर लानत करेगी। यहाँ तक कि जब वे सभी उसमें एकत्र हो जाएँगे, तो उनमें से अंतिम में प्रवेश करने वाले, जो कि दीन और अनुयायी लोग होंगे, उनमें से सबसे पहले प्रवेश करने वाले प्रमुखों तथा सरदारों के बारे में कहेंगे : ऐ हमारे पालनहार! यही बड़े लोग हैं जिन्होंने हमें मार्गदर्शन के रास्ते से भटका दिया था, इसलिए उन्हें हमारे लिए पथभ्रष्टता को अलंकृत करने के लिए दोहरी सज़ा दे। अल्लाह उनके जवाब में कहेगा : तुममें से हर समूह के लिए दोहरा दंड है, लेकिन तुम उससे अनजान हो और तुम्हें उसका एहसास नहीं।
અરબી તફસીરો:
وَقَالَتْ اُوْلٰىهُمْ لِاُخْرٰىهُمْ فَمَا كَانَ لَكُمْ عَلَیْنَا مِنْ فَضْلٍ فَذُوْقُوا الْعَذَابَ بِمَا كُنْتُمْ تَكْسِبُوْنَ ۟۠
तथा अनुसरण किए गए सरदार अपने अनुयायियों से कहेंगे : (ऐ अनुयायियो!) तुम्हें हमपर कोई श्रेष्ठता प्राप्त नहीं है कि जिसके कारण तुम इस बात के पात्र हो कि तुम्हारी यातना कम कर दी जाए। क्योंकि यहाँ केवल तुम्हारे किए हुए कर्मों का एतिबार है, और असत्य का पालन करने के लिए तुम्हारे पास कोई बहाना नहीं है। अतः हमारी तरह (ऐ अनुयायियो!) तुम भी यातना का मज़ा चखो, उस कुफ़्र और पापों के कारण, जो तुम किया करते थे।
અરબી તફસીરો:
اِنَّ الَّذِیْنَ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا وَاسْتَكْبَرُوْا عَنْهَا لَا تُفَتَّحُ لَهُمْ اَبْوَابُ السَّمَآءِ وَلَا یَدْخُلُوْنَ الْجَنَّةَ حَتّٰی یَلِجَ الْجَمَلُ فِیْ سَمِّ الْخِیَاطِ ؕ— وَكَذٰلِكَ نَجْزِی الْمُجْرِمِیْنَ ۟
जिन लोगों ने हमारी स्पष्ट आयतों को झुठलाया और अहंकार करते हुए उन्हें मानने और उनके अधीन होने से इनकार कर दिया, वे हर प्रकार की भलाई से निराश हैं। उनके कुफ़्र के कारण उनके कार्यों के लिए आसमान के द्वार नहीं खोले जाएँगे, न ही उनकी आत्माओं के लिए जब वे मर जाएँगे। तथा वे कभी भी जन्नत में प्रवेश नहीं करेंगे जब तक कि ऊँट - जो सबसे बड़े जानवरों में से एक है - सुई के छेद में प्रवेश न कर जाए, जो कि सबसे संकीर्ण चीज़ों में से है। और यह असंभव है। इसलिए जो चीज़ इसपर लंबित है यानी उनका जन्नत में प्रवेश करना, वह भी असंभव है। इसी बदले के समान अल्लाह उन लोगों को बदला देता है जिनके पाप बहुत बड़े हैं।
અરબી તફસીરો:
لَهُمْ مِّنْ جَهَنَّمَ مِهَادٌ وَّمِنْ فَوْقِهِمْ غَوَاشٍ ؕ— وَكَذٰلِكَ نَجْزِی الظّٰلِمِیْنَ ۟
इन अहंकारी झुठलाने वालों के लिए जहन्नम ही का बिछौना होगा और उनके ऊपर आग के ओढ़ने (कंबल) होंगे। इसी तरह का बदला हम उन लोगों को देते हैं, जो अल्लाह का इनकार करके और उससे मुँह मोड़कर उसकी सीमाओं का उल्लंघन करने वाले हैं।
અરબી તફસીરો:
وَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ لَا نُكَلِّفُ نَفْسًا اِلَّا وُسْعَهَاۤ ؗ— اُولٰٓىِٕكَ اَصْحٰبُ الْجَنَّةِ ۚ— هُمْ فِیْهَا خٰلِدُوْنَ ۟
और जो लोग अपने रब पर ईमान लाए और जितना हो सका अच्छे कर्म किए - और अल्लाह किसी आत्मा पर उसकी क्षमता से अधिक बोझ नहीं डालता - वही जन्नत वाले हैं, जो उसमें प्रवेश करके हमेशा के लिए उसी में रहेंगे।
અરબી તફસીરો:
وَنَزَعْنَا مَا فِیْ صُدُوْرِهِمْ مِّنْ غِلٍّ تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهِمُ الْاَنْهٰرُ ۚ— وَقَالُوا الْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِیْ هَدٰىنَا لِهٰذَا ۫— وَمَا كُنَّا لِنَهْتَدِیَ لَوْلَاۤ اَنْ هَدٰىنَا اللّٰهُ ۚ— لَقَدْ جَآءَتْ رُسُلُ رَبِّنَا بِالْحَقِّ ؕ— وَنُوْدُوْۤا اَنْ تِلْكُمُ الْجَنَّةُ اُوْرِثْتُمُوْهَا بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ۟
जन्नत में उनके आनंद की पूर्णता में से एक यह है कि अल्लाह उनके दिलों में जो भी द्वेष और ईर्ष्या होगी निकालकर दूर कर देगा और उनके नीचे से नहरें जारी कर देगा। तथा वे अपने ऊपर अल्लाह की नेमतों को स्वीकार करते हुए कहेंगे : हर प्रकार की स्तुति अल्लाह के लिए है, जिसने हमें इस नेक कार्य की तौफ़ीक़ दी जिसके कारण हमें यह स्थान प्राप्त हुआ। तथा हम अपने दम पर इसमें सफल नहीं हो सकते थे, यदि ऐसा न होता कि अल्लाह ने हमें उसकी ओर मार्गदर्शन किया। निश्चय हमारे रब के रसूल निर्विवाद सत्य तथा वा'दे और वईद (धमकी) में सच्चाई के साथ आए, और एक पुकारने वाला उनके बीच पुकारकर कहेगा : यही वही जन्नत है जिसके बारे में मेरे रसूलों ने तुम्हें दुनिया में बताया था। यह जन्नत अल्लाह ने तुम्हें उन नेक कामों के बदले में दी है जो तुम करते थे, जिनसे तुम अल्लाह की प्रसन्नता चाहते थे।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• المودة التي كانت بين المكذبين في الدنيا تنقلب يوم القيامة عداوة وملاعنة.
• दुनिया में झुठलाने वालों के बीच जो दोस्ती थी, वह क़ियामत के दिन दुश्मनी और एक-दूसरे को शाप देने (कोसने) में बदल जाएगी।

• أرواح المؤمنين تفتح لها أبواب السماء حتى تَعْرُج إلى الله، وتبتهج بالقرب من ربها والحظوة برضوانه.
• मोमिनों की आत्माओं के लिए आसमान के द्वार खोल दिए जाते हैं ताकि वे अल्लाह की ओर चढ़ें और अपने रब की निकटता तथा उसकी प्रसन्नता की प्राप्ति से आनंदित हों।

• أرواح المكذبين المعرضين لا تفتح لها أبواب السماء، وإذا ماتوا وصعدت فهي تستأذن فلا يؤذن لها، فهي كما لم تصعد في الدنيا بالإيمان بالله ومعرفته ومحبته، فكذلك لا تصعد بعد الموت، فإن الجزاء من جنس العمل.
• मुँह फेरते हुए झुठलाने वालों की आत्माओं के लिए आसमान के द्वार नहीं खोले जाते। जब वे मर जाते हैं और उनकी आत्माएँ चढ़ती हैं, तो वे अनुमति माँगती हैं, लेकिन उन्हें अनुमति नहीं दी जाती है। क्योंकि जिस तरह वे दुनिया में अल्लाह पर ईमान, उसके ज्ञान और उसके प्रेम के साथ नहीं चढ़ी थीं, उसी तरह वे मृत्यु के बाद ऊपर नहीं चढ़ेंगी। क्योंकि आदमी को बदला उसके कर्म के वर्ग ही से मिलता है।

• أهل الجنة نجوا من النار بعفو الله، وأدخلوا الجنة برحمة الله، واقتسموا المنازل وورثوها بالأعمال الصالحة وهي من رحمته، بل من أعلى أنواع رحمته.
• जन्नत वालों को अल्लाह की क्षमा से जहन्नम से मुक्ति मिली, उन्होंने अल्लाह की दया से जन्नत में प्रवेश किया, तथा उन्होंने नेक कामों के माध्यम से जन्नत में घरों को विभाजित किया और उनके वारिस बने। और यह उसकी दया से है, बल्कि उसकी उच्चतम प्रकार की दया से है।

وَنَادٰۤی اَصْحٰبُ الْجَنَّةِ اَصْحٰبَ النَّارِ اَنْ قَدْ وَجَدْنَا مَا وَعَدَنَا رَبُّنَا حَقًّا فَهَلْ وَجَدْتُّمْ مَّا وَعَدَ رَبُّكُمْ حَقًّا ؕ— قَالُوْا نَعَمْ ۚ— فَاَذَّنَ مُؤَذِّنٌ بَیْنَهُمْ اَنْ لَّعْنَةُ اللّٰهِ عَلَی الظّٰلِمِیْنَ ۟ۙ
जब जन्नत वाले जन्नत में और जहन्नम वाले जहन्नम में चले जाएँगे, तो जन्नत के निवासी जहन्नम वालों को आवाज़ देंगे : हमारे रब ने हमसे जिस जन्नत का वादा किया था, निश्चय हमने उसे सच्चा व सिद्ध पाया और हम उसमें प्रवेश पा चुके हैं। तो क्या (ऐ काफ़िरों!) अल्लाह ने तुम्हें जिस जहन्नम की धमकी दी थी तुमने उसको सच्चा व सिद्ध पाया? काफिर कहेंगे : वास्तव में, हमने भी उसे सच्चा पाया जो उसने हमें जहन्नम की धमकी दी थी। फिर एक आवाज़ देने वाला अल्लाह से दुआ करते हुए आवाज़ देगा कि अल्लाह ज़ालिमों को अपनी दया से दूर कर दे। क्योंकि उसने दुनिया के जीवन में उनके लिए अपनी दया के द्वार खोल दिए, परंतु उन्होंने उससे मुँह फेर लिया।
અરબી તફસીરો:
الَّذِیْنَ یَصُدُّوْنَ عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ وَیَبْغُوْنَهَا عِوَجًا ۚ— وَهُمْ بِالْاٰخِرَةِ كٰفِرُوْنَ ۟ۘ
ये ज़ालिम वही हैं, जो खुद भी अल्लाह की राह से दूर रहते थे और दूसरों को भी उससे दूर कर रहे थे, और आशा करते थे कि सत्य का रास्ता टेढ़ा हो जाए, ताकि लोग उसपर न चलें, तथा ये लोग आख़िरत का इनकार करने वाले हैं, उसके लिए तैयारी करने वाले नहीं हैं।
અરબી તફસીરો:
وَبَیْنَهُمَا حِجَابٌ ۚ— وَعَلَی الْاَعْرَافِ رِجَالٌ یَّعْرِفُوْنَ كُلًّا بِسِیْمٰىهُمْ ۚ— وَنَادَوْا اَصْحٰبَ الْجَنَّةِ اَنْ سَلٰمٌ عَلَیْكُمْ ۫— لَمْ یَدْخُلُوْهَا وَهُمْ یَطْمَعُوْنَ ۟
इन दो समूहों : जन्नत के निवासियों तथा दोज़ख के निवासियों के बीच एक ऊँची आड़ होगी, जिसका नाम 'आराफ़' है, और इस ऊँची आड़ पर वे लोग होंगे जिनके अच्छे और बुरे कर्म बराबर होंगे। वे जन्नतियों को उनके लक्षणों, जैसे कि उनके चेहरे की सफेदी से, तथा जहन्नमियों को उनके लक्षणों, जैसे कि उनके चेहरों के कालेपन से पहचान लेंगे। ये लोग जन्नत वालों को उनके सम्मान में आवाज़ देकर कहेंगे : "तुम पर शांति हो"। 'आराफ़' वाले अभी जन्नत में दाखिल नहीं हुए होंगे और वे अल्लाह की दया से उसमें प्रवेश करने की आशा रखते होंगे।
અરબી તફસીરો:
وَاِذَا صُرِفَتْ اَبْصَارُهُمْ تِلْقَآءَ اَصْحٰبِ النَّارِ ۙ— قَالُوْا رَبَّنَا لَا تَجْعَلْنَا مَعَ الْقَوْمِ الظّٰلِمِیْنَ ۟۠
और जब 'आराफ़' वालों की निगाहें आग वालों की ओर फेरी जाएँगी और वे उनकी गंभीर यातना को देखेंगे, तो अल्लाह से प्रार्थना करते हुए कहेंगे : ऐ हमारे रब! हमें कुफ़्र एवं शिर्क करने वाले इन ज़ालिमों के साथ मत कर।
અરબી તફસીરો:
وَنَادٰۤی اَصْحٰبُ الْاَعْرَافِ رِجَالًا یَّعْرِفُوْنَهُمْ بِسِیْمٰىهُمْ قَالُوْا مَاۤ اَغْنٰی عَنْكُمْ جَمْعُكُمْ وَمَا كُنْتُمْ تَسْتَكْبِرُوْنَ ۟
और 'आराफ़' वाले काफ़िरों में से कुछ नरकवासी लोगों को, जिन्हें वे उनके लक्षणों, जैसे कि उनके चेहरे के कालेपन और उनकी आँखों के नीलेपन से पहचानते होंगे, आवाज़ देकर कहेंगे : तुम्हारा धन और संख्या में बहुत अधिक होना तुम्हारे कुछ काम न आया, और न ही अभिमान और अहंकार में तुम्हारे सत्य से मुँह फेर लेने से तुम्हें कुछ फायदा हुआ।
અરબી તફસીરો:
اَهٰۤؤُلَآءِ الَّذِیْنَ اَقْسَمْتُمْ لَا یَنَالُهُمُ اللّٰهُ بِرَحْمَةٍ ؕ— اُدْخُلُوا الْجَنَّةَ لَا خَوْفٌ عَلَیْكُمْ وَلَاۤ اَنْتُمْ تَحْزَنُوْنَ ۟
और अल्लाह काफ़िरों को फटकार लगाते हुए कहेगा : क्या ये वही लोग हैं, जिनके बारे में तुमने क़सम खाई थी कि अल्लाह उन्हें अपने पास से कोई दया प्रदान नहीं करेगा?! तथा अल्लाह मोमिनों से कहेगा : (ऐ मोमिनो!) जन्नत में प्रवेश कर जाओ। न तुम्हें आगे कोई डर है और न ही तुम दुनिया के छूटे हुए आनंद पर शोक करोगे; क्योंकि तुम्हें शाश्वत आनंद प्राप्त हो चुका है।
અરબી તફસીરો:
وَنَادٰۤی اَصْحٰبُ النَّارِ اَصْحٰبَ الْجَنَّةِ اَنْ اَفِیْضُوْا عَلَیْنَا مِنَ الْمَآءِ اَوْ مِمَّا رَزَقَكُمُ اللّٰهُ ؕ— قَالُوْۤا اِنَّ اللّٰهَ حَرَّمَهُمَا عَلَی الْكٰفِرِیْنَ ۟ۙ
नरक वाले जन्नत के निवासियों को आवाज़ देकर उनसे याचना करते हुए कहेंगे : (ऐ जन्नत वालो!) हमपर थोड़ा-सा पानी बहा दो, अथवा उस खाने में से कुछ (दे दो) जो अल्लाह ने तुम्हें प्रदान किया है। जन्नत वाले जवाब देंगे : अल्लाह ने ये दोनों चीज़ें काफ़िरों पर उनके कुफ़्र के कारण हराम कर दी हैं और हम उस चीज़ के साथ तुम्हारी कदापि मदद नहीं करेंगे जो अल्लाह ने तुमपर हराम कर दी है।
અરબી તફસીરો:
الَّذِیْنَ اتَّخَذُوْا دِیْنَهُمْ لَهْوًا وَّلَعِبًا وَّغَرَّتْهُمُ الْحَیٰوةُ الدُّنْیَا ۚ— فَالْیَوْمَ نَنْسٰىهُمْ كَمَا نَسُوْا لِقَآءَ یَوْمِهِمْ هٰذَا ۙ— وَمَا كَانُوْا بِاٰیٰتِنَا یَجْحَدُوْنَ ۟
ये काफ़िर वही लोग हैं, जिन्होंने अपने धर्म को उपहास और मनोरंजन बना लिया और दुनिया के जीवन ने उन्हें अपने अलंकरण और शोभा से धोखे में डाल दिया। इसलिए क़ियामत के दिन अल्लाह उन्हें भुला देगा और उन्हें यातना भुगतने के लिए छोड़ देगा, जिस तरह वे क़ियामत के दिन की भेंट को भूल गए थे। जिसके कारण उन्होंने इसके लिए काम नहीं किया और तैयारी नहीं की। और इसलिए भी कि वे अल्लाह के तर्कों और प्रमाणों को नकारते तथा यह जानने के बावजूद कि वह सत्य है उसका इनकार करते थे।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• عدم الإيمان بالبعث سبب مباشر للإقبال على الشهوات.
• मरने के बाद पुनर्जीवित किए जाने पर ईमान न रखना इच्छाओं में लिप्त होने का प्रत्यक्ष कारण है।

• يتيقن الناس يوم القيامة تحقق وعد الله لأهل طاعته، وتحقق وعيده للكافرين.
• क़ियामत के दिन लोगों को आज्ञाकारियों के लिए अल्लाह का वादा पूरा होने और काफिरों के लिए उसकी धमकी पूरी होने का यक़ीन हो जाएगा।

• الناس يوم القيامة فريقان: فريق في الجنة وفريق في النار، وبينهما فريق في مكان وسط لتساوي حسناتهم وسيئاتهم، ومصيرهم إلى الجنة.
• क़ियामत के दिन लोगों के दो समूह होंगे : एक समूह जन्नत में और एक समूह जहन्नम में होगा। उन दोनों के दरमियान एक अन्य समूह एक मध्य स्थान पर होगा, क्योंकि उनके अच्छे और बुरे कर्म बराबर होंगे, लेकिन अंततः उनका ठिकाना जन्नत है।

• على الذين يملكون المال والجاه وكثرة الأتباع أن يعلموا أن هذا كله لن يغني عنهم من الله شيئًا، ولن ينجيهم من عذاب الله.
• जिनके पास धन, प्रतिष्ठा और बहुत-से अनुयायी हैं, उन्हें यह जान लेना चाहिए कि यह सब अल्लाह के यहाँ उन्हें कुछ भी लाभ नहीं देगा और उन्हें अल्लाह की यातना से हरगिज़ नहीं बचाएगा।

وَلَقَدْ جِئْنٰهُمْ بِكِتٰبٍ فَصَّلْنٰهُ عَلٰی عِلْمٍ هُدًی وَّرَحْمَةً لِّقَوْمٍ یُّؤْمِنُوْنَ ۟
निश्चय हम उनके पास यह क़ुरआन लाए हैं, जो मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर उतारी गई एक किताब है। हमने उसे अपने ज्ञान के आधार पर स्पष्ट रूप से बयान किया है। यह किताब मोमिनों को धार्मिकता और सच्चाई के मार्ग पर ले जाने वाली है, तथा उनके लिए एक दया है क्योंकि इसमें दुनिया और आख़िरत की भलाई के बारे में मार्गदर्शन मौजूद है।
અરબી તફસીરો:
هَلْ یَنْظُرُوْنَ اِلَّا تَاْوِیْلَهٗ ؕ— یَوْمَ یَاْتِیْ تَاْوِیْلُهٗ یَقُوْلُ الَّذِیْنَ نَسُوْهُ مِنْ قَبْلُ قَدْ جَآءَتْ رُسُلُ رَبِّنَا بِالْحَقِّ ۚ— فَهَلْ لَّنَا مِنْ شُفَعَآءَ فَیَشْفَعُوْا لَنَاۤ اَوْ نُرَدُّ فَنَعْمَلَ غَیْرَ الَّذِیْ كُنَّا نَعْمَلُ ؕ— قَدْ خَسِرُوْۤا اَنْفُسَهُمْ وَضَلَّ عَنْهُمْ مَّا كَانُوْا یَفْتَرُوْنَ ۟۠
काफ़िर लोग केवल उस दर्दनाक यातना के आने की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जिसके बारे में उन्हें बताया गया है और जो आख़िरत में उनका अंजाम होने वाले है। जिस दिन वह यातना आ जाएगी जिसके बारे में उन्हें बताया गया है और वह प्रतिफल भी सामने आ जाएगा जिसके बारे में ईमान वालों को बताया गया है, तो वे लोग जिन्होंने इस दुनिया में क़ुरआन को भुला दिया और उसके निर्देशों के अनुसार काम नहीं किया, कहेंगे : निश्चय हमारे रब के रसूल उस सच्चाई के साथ आए थे जिसमें कोई संदेह नहीं, और इसमें कोई संदेह नहीं कि यह अल्लाह की ओर से है। तो काश! हमारे लिए कोई मध्यस्थ होते जो हमारे लिए अल्लाह के पास सिफ़ारिश करते कि वह हमें यातना से मुक्त कर दे, या काश! हम दुनिया के जीवन में वापस भेज दिए जाते ताकि हम उन बुरे कामों के बजाय जो हम किया करते थे, अच्छे कर्म करके मोक्ष प्राप्त कर लेते। इन काफ़िरों ने अपने कुफ़्र के कारण अपने आपको विनाश के संसाधनों पर लाकर खुद को घाटे में डाल दिया, और जिनकी वे अल्लाह को छोड़कर पूजा करते थे, वे उनसे लुप्त हो गए, इसलिए वे उनके कुछ भी काम न आए।
અરબી તફસીરો:
اِنَّ رَبَّكُمُ اللّٰهُ الَّذِیْ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ فِیْ سِتَّةِ اَیَّامٍ ثُمَّ اسْتَوٰی عَلَی الْعَرْشِ ۫— یُغْشِی الَّیْلَ النَّهَارَ یَطْلُبُهٗ حَثِیْثًا ۙ— وَّالشَّمْسَ وَالْقَمَرَ وَالنُّجُوْمَ مُسَخَّرٰتٍ بِاَمْرِهٖ ؕ— اَلَا لَهُ الْخَلْقُ وَالْاَمْرُ ؕ— تَبٰرَكَ اللّٰهُ رَبُّ الْعٰلَمِیْنَ ۟
निःसंदेह (ऐ लोगो!) तुम्हारा रब वह अल्लाह है, जिसने आकाशों तथा धरती को बिना किसी पूर्व उदाहरण के छः दिनों में बनाया। फिर वह सर्वशक्तिमान अपनी महिमा के अनुरूप अर्श पर बुलंद हुआ, जिसकी कैफ़ियत (विवरण) हम नहीं जानते। वह दिन के उजाले से रात के अँधेरे को और रात के अँधेरे से दिन के उजाले को दूर करता है। रात और दिन में से प्रत्येक दूसरे के पीछे इस तरह तेज़ी से पहुँच जाता है कि उससे विलंब नहीं होता। एक गया कि दूसरा आ गया। तथा उस महिमावान ने सूरज बनाया, चाँद बनाया और सितारे बनाए, इस हाल में कि वे उसके आदेश के अधीन किए हुए हैं। सुन लो! सारी चीज़ों का पैदा करना केवल अल्लाह ही का काम है, तो क्या उसके अलावा भी कोई पैदा करने वाला है?! तथा केवल उसी का काम है आदेश देना। उसकी भलाई महान और उसका उपकार बहुत अधिक है। क्योंकि वह ऐश्वर्य और पूर्णता के गुणों से विशेषित है, जो सारे संसारों का पालनहार है।
અરબી તફસીરો:
اُدْعُوْا رَبَّكُمْ تَضَرُّعًا وَّخُفْیَةً ؕ— اِنَّهٗ لَا یُحِبُّ الْمُعْتَدِیْنَ ۟ۚ
(ऐ ईमान वालो!) अपने रब को पूरी विनम्रता के साथ और गुप्त रूप से पुकारो, निष्ठावान होकर केवल उसी से दुआ करो, दिखावा करने वाले या दुआ में उसके साथ किसी को साझी करने वाले न हो। निःसंदेह वह उन लोगों को पसंद नहीं करता, जो दुआ में उसकी सीमाओं का उल्लंघन करने वाले हैं, और दुआ में उसकी सीमाओं का सबसे बड़ा उल्लंघन उसके साथ किसी अन्य को पुकारना है, जैसा कि बहुदेववादी करते हैं।
અરબી તફસીરો:
وَلَا تُفْسِدُوْا فِی الْاَرْضِ بَعْدَ اِصْلَاحِهَا وَادْعُوْهُ خَوْفًا وَّطَمَعًا ؕ— اِنَّ رَحْمَتَ اللّٰهِ قَرِیْبٌ مِّنَ الْمُحْسِنِیْنَ ۟
तथा पाप करके धरती में बिगाड़ न फैलाओ, जबकि अल्लाह ने रसूलों को भेजकर और उसे केवल अपनी आज्ञाकारिता के साथ आबाद करके उसे सुधारा है। और केवल अल्लाह को पुकारो, उसकी सज़ा से डर महसूस करते हुए, और उसके प्रतिफल के प्राप्त होने की प्रतीक्षा करते हुए। निःसंदेह अल्लाह की दया अच्छे कर्म करने वालों के क़रीब है, अतः तुम भी उन्हीं में शामिल हो जाओ।
અરબી તફસીરો:
وَهُوَ الَّذِیْ یُرْسِلُ الرِّیٰحَ بُشْرًاۢ بَیْنَ یَدَیْ رَحْمَتِهٖ ؕ— حَتّٰۤی اِذَاۤ اَقَلَّتْ سَحَابًا ثِقَالًا سُقْنٰهُ لِبَلَدٍ مَّیِّتٍ فَاَنْزَلْنَا بِهِ الْمَآءَ فَاَخْرَجْنَا بِهٖ مِنْ كُلِّ الثَّمَرٰتِ ؕ— كَذٰلِكَ نُخْرِجُ الْمَوْتٰی لَعَلَّكُمْ تَذَكَّرُوْنَ ۟
और अल्लाह ही है जो बारिश की शुभ सूचना देने वाली हवाओं को भेजता है, यहाँ तक कि जब हवाएँ पानी से लदे बादल को उठाती हैं, तो हम बादल को किसी बंजर भूमि की ओर ले जाते हैं। फिर हम उस भूमि पर पानी बरसाते हैं। फिर पानी से सभी प्रकार के कुछ फल पैदा करते हैं। इस रूप से फल को निकालने के समान ही, हम मृतकों को उनकी कब्रों से जीवित करके निकालेंगे। हमने ऐसा इस आशा में किया है कि (ऐ लोगो!) तुम अल्लाह की शक्ति और उसके अद्भुत कार्य को याद रखो, और यह कि वह मरे हुओं को पुनर्जीवित करने में सक्षम है।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• القرآن الكريم كتاب هداية فيه تفصيل ما تحتاج إليه البشرية، رحمة من الله وهداية لمن أقبل عليه بقلب صادق.
• पवित्र क़ुरआन एक मार्गदर्शन की पुस्तक है, जिसमें उस चीज़ का विवरण है जिसकी मानवता को आवश्यकता है। यह अल्लाह की दया और उसके लिए मार्गदर्शन है, जो सच्चे दिल से उसकी ओर आए।

• خلق الله السماوات والأرض في ستة أيام لحكمة أرادها سبحانه، ولو شاء لقال لها: كوني فكانت.
• अल्लाह ने आसमानों और धरती को अपनी हिकमत के तहत छः दिनों में पैदा किया है, और यदि वह चाहता, तो केवल उनसे कहता : हो जा, तो वे हो जाते।

• يتعين على المؤمنين دعاء الله تعالى بكل خشوع وتضرع حتى يستجيب لهم بفضله.
• ईमान वालों को पूरी विनम्रता और गिड़गिड़ाहट के साथ अल्लाह तआला से दुआ करनी चाहिए, ताकि वह अपनी कृपा से उनकी दुआ क़बूल करले।

• الفساد في الأرض بكل صوره وأشكاله منهيٌّ عنه.
• धरती में बिगाड़ पैदा करना सभी रूपों और शक्लों में निषिद्ध है।

وَالْبَلَدُ الطَّیِّبُ یَخْرُجُ نَبَاتُهٗ بِاِذْنِ رَبِّهٖ ۚ— وَالَّذِیْ خَبُثَ لَا یَخْرُجُ اِلَّا نَكِدًا ؕ— كَذٰلِكَ نُصَرِّفُ الْاٰیٰتِ لِقَوْمٍ یَّشْكُرُوْنَ ۟۠
अच्छी भूमि अल्लाह की अनुमति से अपने पौधे अच्छे और पूर्ण रूप से निकालती है। यही हाल ईमान वाले का है, वह उपदेश को सुनता और उससे लाभ उठाता है, जिसके परिणामस्वरूप वह अच्छे कार्य करता है। जबकि दलदली और खारी भूमि अपना पौधा कठिनाई से निकालती है, जिसमें कोई अच्छाई नहीं होती। यही हाल काफ़िर का है, वह उपदेशों से लाभ नहीं उठाता है, इसलिए उसके परिणामस्वरूप वह नेक कार्य नहीं करता है, जिससे उसे लाभ प्राप्त हो। इस अद्भुत विविधीकरण की तरह, हम उन लोगों के लिए सत्य को साबित करने के लिए प्रमाणों और तर्कों में विविधता लाते हैं, जो अल्लाह की नेमतों का शुक्रिया अदा करते हैं। इसलिए वे उनकी नाशुक्री नहीं करते हैं, और अपने रब की आज्ञा का पालन करते हैं।
અરબી તફસીરો:
لَقَدْ اَرْسَلْنَا نُوْحًا اِلٰی قَوْمِهٖ فَقَالَ یٰقَوْمِ اعْبُدُوا اللّٰهَ مَا لَكُمْ مِّنْ اِلٰهٍ غَیْرُهٗ ؕ— اِنِّیْۤ اَخَافُ عَلَیْكُمْ عَذَابَ یَوْمٍ عَظِیْمٍ ۟
निःसंदेह हमने नूह को उनकी जाति की ओर रसूल बनाकर भेजा, जो उन्हें अल्लाह को एकमात्र पूज्य मानने और उसके अलावा की पूजा छोड़ने के लिए बुला रहे थे। चुनाँचे उन्होंने अपनी जाति से कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! केवल अल्लाह की इबादत करो, क्योंकि उसके सिवा तुम्हारा कोई सत्य पूज्य नहीं है। निश्चय मुझे तुमपर एक महान दिन की यातना का डर है, यदि तुम अपने कुफ़्र पर अड़े रहे।
અરબી તફસીરો:
قَالَ الْمَلَاُ مِنْ قَوْمِهٖۤ اِنَّا لَنَرٰىكَ فِیْ ضَلٰلٍ مُّبِیْنٍ ۟
उनकी जाति के सरदारों और प्रमुखों ने उनसे कहा : निःसंदेह (ऐ नूह!) हम तुम्हें सत्य से स्पष्ट दूरी पर देख रहे हैं।
અરબી તફસીરો:
قَالَ یٰقَوْمِ لَیْسَ بِیْ ضَلٰلَةٌ وَّلٰكِنِّیْ رَسُوْلٌ مِّنْ رَّبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟
नूह ने अपनी जाति के प्रमुखों से कहा : जैसा तुम कहते हो, मैं पथभ्रष्ट नहीं हूँ। मैं तो अपने रब की ओर से मार्गदर्शन पर हूँ। क्योंकि मैं उस अल्लाह की ओर से तुम्हारी ओर भेजा हुआ (रसूल) हूँ, जो मेरा रब, तुम्हारा रब और सारे संसारों का रब है।
અરબી તફસીરો:
اُبَلِّغُكُمْ رِسٰلٰتِ رَبِّیْ وَاَنْصَحُ لَكُمْ وَاَعْلَمُ مِنَ اللّٰهِ مَا لَا تَعْلَمُوْنَ ۟
अल्लाह ने मेरी ओर जो वह़्य की है, उसमें से जिसके साथ अल्लाह ने मुझे तुम्हारी ओर भेजा है, उसे मैं तुम्हें पहुँचाता हूँ। तथा तुम्हें अल्लाह के आदेश का पालन करने और उसपर निष्कर्षित होने वाले प्रतिफल के लिए प्रोत्साहित करके, तथा तुम्हें उसके निषेधों को करने और उसपर निष्कर्षित होने वाले दंड से भयभीत करके, मैं तुम्हारा भला चाहता हूँ। और मैं सर्वशक्तिमान अल्लाह की ओर से वह (बातें) जानता हूँ जो तुम नहीं जानते, जो उसने मुझे वह़्य के माध्यम से सिखाया है।
અરબી તફસીરો:
اَوَعَجِبْتُمْ اَنْ جَآءَكُمْ ذِكْرٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ عَلٰی رَجُلٍ مِّنْكُمْ لِیُنْذِرَكُمْ وَلِتَتَّقُوْا وَلَعَلَّكُمْ تُرْحَمُوْنَ ۟
क्या यह बात तुम्हारे आश्चर्य और विस्मय का कारण है कि तुम्हारे पास तुम्हारे रब की ओर से वह़्य तथा उपदेश तुममें से एक ऐसे व्यक्ति द्वारा आया, जिसे तुम पहचानते हो?! क्योंकि वह तुम्हारे ही बीच पला-बढ़ा, और वह न तो झूठा था, न पथभ्रष्ट था, न ही किसी अन्य जाति का था। वह तुम्हारे पास तुम्हें अल्लाह की सज़ा से डराने के लिए आया था, यदि तुमने झुठलाया और अवज्ञा किया, और ताकि तुम अल्लाह के आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर, उससे डरो, तथा इस आशा में कि तुम पर दया की जाए, अगर तुम उसपर ईमान ले आओ।
અરબી તફસીરો:
فَكَذَّبُوْهُ فَاَنْجَیْنٰهُ وَالَّذِیْنَ مَعَهٗ فِی الْفُلْكِ وَاَغْرَقْنَا الَّذِیْنَ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا ؕ— اِنَّهُمْ كَانُوْا قَوْمًا عَمِیْنَ ۟۠
परंतु उनकी क़ौम ने उन्हें झुठला दिया और उनपर ईमान न लाए, बल्कि अपने कुफ़्र पर बने रहे। इसलिए नूह अलैहिस्सलाम ने उनपर बद्दुआ की कि अल्लाह उन्हें विनष्ट कर दे। अतः हमने उन्हें और उनके साथ नाव में सवार मोमिनों को डूबने से बचा लिया और उन लोगों को, जिन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया और अपने झुठलाने की रीति पर बने रहे, उनके लिए दंड के रूप में उतरने वाले तूफ़ान (बाढ़) में डुबोकर नष्ट कर दिया। निश्चय उनके हृदय सत्य से अंधे थे।
અરબી તફસીરો:
وَاِلٰی عَادٍ اَخَاهُمْ هُوْدًا ؕ— قَالَ یٰقَوْمِ اعْبُدُوا اللّٰهَ مَا لَكُمْ مِّنْ اِلٰهٍ غَیْرُهٗ ؕ— اَفَلَا تَتَّقُوْنَ ۟
और हमने आद के गोत्र की ओर उन्ही में से एक व्यक्ति हूद - अलैहिस्सलाम - को रसूल बनाकर भेजा। उन्होंने कहा : ऐ मेरी क़ौम के लोगो! केवल अल्लाह की इबादत करो। क्योंकि उसके सिवा तुम्हारा कोई सत्य पूज्य नहीं। तो क्या तुम उसके आदेशों का पालन करके तथा उसके निषेधों से बचकर, उससे नहीं डरते, ताकि तुम उसकी यातना से बच जाओ?!
અરબી તફસીરો:
قَالَ الْمَلَاُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا مِنْ قَوْمِهٖۤ اِنَّا لَنَرٰىكَ فِیْ سَفَاهَةٍ وَّاِنَّا لَنَظُنُّكَ مِنَ الْكٰذِبِیْنَ ۟
उनकी जाति के प्रमुख तथा सरदार, जिन्होंने अल्लाह का इनकार किया और उसके रसूल को झुठलाया था, कहने लगे : निश्चय हम जानते हैं कि (ऐ हूद!) तुम मंदबुद्धिता और मूर्खता से ग्रस्त हो, जब तुम हमें अकेले अल्लाह की इबादत करने और मूर्तिपूजा को त्यागने के लिए आमंत्रित करते हो। तथा हमारा निश्चित रूप से मानना है कि तुम अपने रसूल होने के दावे में बिलकुल झूठे हो।
અરબી તફસીરો:
قَالَ یٰقَوْمِ لَیْسَ بِیْ سَفَاهَةٌ وَّلٰكِنِّیْ رَسُوْلٌ مِّنْ رَّبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟
हूद ने अपनी क़ौम को उत्तर देते हुए कहा : ऐ मेरी क़ौम के लोगो! मेरे अंदर कोई मंदबुद्धिता और मूर्खता नहीं है। बल्कि मैं सारे संसारों के पालनहार की ओर से भेजा हुआ (दूत) हूँ।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• الأرض الطيبة مثال للقلوب الطيبة حين ينزل عليها الوحي الذي هو مادة الحياة، وكما أن الغيث مادة الحياة، فإن القلوب الطيبة حين يجيئها الوحي، تقبله وتعلمه وتنبت بحسب طيب أصلها، وحسن عنصرها، والعكس.
• अच्छी भूमि अच्छे दिलों के लिए एक उदाहरण है जब उस पर वह़्य उतरती है जो कि जीवन का सार है, जिस तरह कि बारिश जीवन का सार है। क्योंकि अच्छे दिलों का संपर्क जब वह़्य से होता है, तो वे उसे स्वीकार करते हैं, उसे सीखते हैं और अपने अच्छे मूल और अच्छे तत्व के अनुसार अंकुरित होते हैं। और इसके विपरीत स्थिति में विपरीत निष्कर्ष सामने आता है।

• الأنبياء والمرسلون يشفقون على الخلق أعظم من شفقة آبائهم وأمهاتهم.
• नबी और रसूल लोगों पर उनके माता-पिता से भी अधिक दया दृष्टि रखने वाले होते हैं।

• من سُنَّة الله إرسال كل رسول من قومه وبلسانهم؛ تأليفًا لقلوب الذين لم تفسد فطرتهم، وتيسيرًا على البشر.
• अल्लाह का यह नियम रहा है कि वह हर रसूल को उसकी जाति में से और उनकी भाषा में भेजता है; ताकि उन लोगों की दिलजोई हो, जिनका स्वभाव भ्रष्ट नहीं हुआ है, तथा इसमें मानव जाति के लिए सुविधा है।

• من أعظم السفهاء من قابل الحق بالرد والإنكار، وتكبر عن الانقياد للعلماء والنصحاء، وانقاد قلبه وقالبه لكل شيطان مريد.
• वह व्यक्ति सबसे बड़े मूर्खों में से है, जो सत्य को अस्वीकार कर देता है, विद्वानों और नसीहत करने वालों की बात मानने से अहंकार करता है, तथा अपने क़ल्ब और क़ालिब से (यानी पूर्णतया) हर सरकश शैतान का अनुसरण करता है।

اُبَلِّغُكُمْ رِسٰلٰتِ رَبِّیْ وَاَنَا لَكُمْ نَاصِحٌ اَمِیْنٌ ۟
मैं तुम्हें अल्लाह की वह तौहीद (एकेश्वरवाद) और उसकी शरीयत पहुँचाता हूँ, जिसका उसने मुझे तुमको पहुँचाने का आदेश दिया है, तथा जो मुझे पहुँचाने का आदेश दिया गया है, उसमें मैं तुम्हारा विश्वस्त हितैषी हूँ, न तो उसमें कुछ वृद्धि करता हूँ और न ही उसमें कमी करता हूँ।
અરબી તફસીરો:
اَوَعَجِبْتُمْ اَنْ جَآءَكُمْ ذِكْرٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ عَلٰی رَجُلٍ مِّنْكُمْ لِیُنْذِرَكُمْ ؕ— وَاذْكُرُوْۤا اِذْ جَعَلَكُمْ خُلَفَآءَ مِنْ بَعْدِ قَوْمِ نُوْحٍ وَّزَادَكُمْ فِی الْخَلْقِ بَصْۜطَةً ۚ— فَاذْكُرُوْۤا اٰلَآءَ اللّٰهِ لَعَلَّكُمْ تُفْلِحُوْنَ ۟
क्या तुम्हें इस बात पर आश्चर्य हो रहा है कि तुम्हारे पास तुम्हारे पालनहार की ओर से एक ऐसे व्यक्ति के माध्यम से सदुपदेश आया जो तुम्हारी ही जाति में से है, फ़रिश्तों या जिन्नो की जाति से नहीं है, ताकि वह तुम्हें सचेत करे?! तुम अपने पालनहार की स्तुति करो और उसका शुक्र अदा करो कि उसने तुम्हें धरती में प्रभुत्व प्रदान किया और तुम्हें नूह की जाति का उत्तराधिकारी बनाया, जिन्हें अल्लाह ने उनके कुफ़्र के कारण नष्ट कर दिया था। तथा अल्लाह का शुक्र अदा करो कि उसने तुम्हें भारी-भरकम डील-डौल और शक्ति-बल प्रदान की, और अपने ऊपर अल्लाह की विशाल नेमतों को याद करो, इस आशा में कि तुम अपनी वांछित चीज़ को प्राप्त कर सको और उस चीज़ से बच सको जिससे तुम डरते हो।
અરબી તફસીરો:
قَالُوْۤا اَجِئْتَنَا لِنَعْبُدَ اللّٰهَ وَحْدَهٗ وَنَذَرَ مَا كَانَ یَعْبُدُ اٰبَآؤُنَا ۚ— فَاْتِنَا بِمَا تَعِدُنَاۤ اِنْ كُنْتَ مِنَ الصّٰدِقِیْنَ ۟
उनकी जाति के लोगों ने उनसे कहा : (ऐ हूद!) क्या तुम हमारे पास इसलिए आए हो कि हमें अकेले अल्लाह की इबादत का आदेश दो, और ताकि हम उन्हें छोड़ दें जिनकी पूजा हमारे बाप-दादा करते थे?! तो हमपर वह अज़ाब ले आओ जिसकी तुम हमें धमकी देते हो, यदि तुम अपने दावे में सच्चे हो।
અરબી તફસીરો:
قَالَ قَدْ وَقَعَ عَلَیْكُمْ مِّنْ رَّبِّكُمْ رِجْسٌ وَّغَضَبٌ ؕ— اَتُجَادِلُوْنَنِیْ فِیْۤ اَسْمَآءٍ سَمَّیْتُمُوْهَاۤ اَنْتُمْ وَاٰبَآؤُكُمْ مَّا نَزَّلَ اللّٰهُ بِهَا مِنْ سُلْطٰنٍ ؕ— فَانْتَظِرُوْۤا اِنِّیْ مَعَكُمْ مِّنَ الْمُنْتَظِرِیْنَ ۟
हूद अलैहिस्सलाम ने उन्हें उत्तर देते हुए कहा : निश्चय तुम अल्लाह की यातना और प्रकोप के हक़दार बन चुके हो, इसलिए वह निश्चित रूप से तुमपर टूट पड़ने वाला है। क्या तुम मुझसे उन मूर्तियों के बारे में बहस करते हो, जिन्हें तुमने और तुम्हारे बाप-दादा ने पूज्य का नाम दे दिया है, जबकि उनकी कोई वास्तविकता नहीं है?! क्योंकि अल्लाह ने कोई प्रमाण नहीं उतारा है, जिसे तुम इनके पूज्य होने के अपने दावे पर तर्क बना सको। अतः जिस यातना को जल्दी लाने की तुमने माँग की है, उसकी प्रतीक्षा करो, मैं भी तुम्हारे साथ प्रतीक्षा करने वालों में से हूँ। क्योंकि उसे तो आना ही है।
અરબી તફસીરો:
فَاَنْجَیْنٰهُ وَالَّذِیْنَ مَعَهٗ بِرَحْمَةٍ مِّنَّا وَقَطَعْنَا دَابِرَ الَّذِیْنَ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا وَمَا كَانُوْا مُؤْمِنِیْنَ ۟۠
अंततः हमने हूद - अलैहिस्सलाम - तथा उनके साथ जो मोमिन थे, उन्हें अपनी दया से बचा लिया और उन लोगों को नष्ट कर दिया, जिन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया। वे ईमान वाले न थे, बल्कि वे झुठलाने वाले थे। इस कारण वे यातना के भागी थे।
અરબી તફસીરો:
وَاِلٰی ثَمُوْدَ اَخَاهُمْ صٰلِحًا ۘ— قَالَ یٰقَوْمِ اعْبُدُوا اللّٰهَ مَا لَكُمْ مِّنْ اِلٰهٍ غَیْرُهٗ ؕ— قَدْ جَآءَتْكُمْ بَیِّنَةٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ ؕ— هٰذِهٖ نَاقَةُ اللّٰهِ لَكُمْ اٰیَةً فَذَرُوْهَا تَاْكُلْ فِیْۤ اَرْضِ اللّٰهِ وَلَا تَمَسُّوْهَا بِسُوْٓءٍ فَیَاْخُذَكُمْ عَذَابٌ اَلِیْمٌ ۟
और हमने 'समूद' के गोत्र की ओर उनके भाई सालेह - अलैहिस्सलाम - को भेजा, कि वह उन्हें अल्लाह की तौहीद (एकेश्वरवाद) और उसकी इबादत की ओर बुलाएँ। सालेह ने उनसे कहा : ऐ मेरी क़ौम के लोगो! केवल अल्लाह की इबादत करो। क्योंकि तुम्हारे लिए उसके सिवा कोई पूज्य नहीं, जो इबादत के योग्य हो। तुम्हारे पास अल्लाह की ओर से उस चीज़ की सच्चाई पर स्पष्ट निशानी आ चुकी है, जो कुछ मैं तुम्हारे पास लेकर आया हूँ, जो एक चट्टान से निकलने वाली एक ऊँटनी के रूप में है। उसके पानी पीने का एक समय निर्धारित है और तुम्हारे पीने का भी एक ज्ञात दिन है। अतः उसे अल्लाह की भूमि में खाने के लिए छोड़ दो, क्योंकि तुमपर इसके भोजन में से किसी चीज़ की ज़िम्मेदारी नहीं है, तथा उसे कोई नुक़सान न पहुँचाओ। क्योंकि उसे नुक़सान पहुँचाने के कारण तुम्हें दर्दनाक यातना का सामना करना पड़ेगा।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• ينبغي التّحلّي بالصبر في الدعوة إلى الله تأسيًا بالأنبياء عليهم السلام.
• नबियों के आदर्श का पालन करते हुए अल्लाह की ओर बुलाने के क्रम में धैर्य (सब्र) से सुसज्जित होना चाहिए।

• من أولويات الدعوة إلى الله الدعوة إلى عبادة الله وحده لا شريك له، ورفض الإشراك به ونبذه.
• अल्लाह की ओर बुलाने की प्राथमिकताओं में से यह है कि अकेले अल्लाह की इबादत करने तथा उसके साथ शिर्क करना त्यागने की ओर बुलाया जाए।

• الاغترار بالقوة المادية والجسدية يصرف صاحبها عن الاستجابة لأوامر الله ونواهيه.
• भौतिक तथा शारीरिक शक्ति के धोखे में आना आदमी को अल्लाह के आदेशों और निषेधों का जवाब देने से फेर देता है।

• النبي يكون من جنس قومه، لكنه من أشرفهم نسبًا، وأفضلهم حسبًا، وأكرمهم مَعْشرًا، وأرفعهم خُلُقًا.
• नबी अपनी ही जाति के वर्ग से होता है, लेकिन वह वंश में उनमें सबसे प्रतिष्ठित, उनमें सबसे कुलीन, संगति में उनमें सबसे सम्मानित, और चरित्र में उनमें सबसे ऊँचा होता है।

• الأنبياء وورثتهم يقابلون السّفهاء بالحِلم، ويغضُّون عن قول السّوء بالصّفح والعفو والمغفرة.
• नबी तथा उनके वारिस मूर्खों के साथ सहनशीलता से काम लेते हैं तथा दरगुज़र, माफ़ी और क्षमा का प्रदर्शन करते हुए बुरी बात कहने से उपेक्षा करते हैं।

وَاذْكُرُوْۤا اِذْ جَعَلَكُمْ خُلَفَآءَ مِنْ بَعْدِ عَادٍ وَّبَوَّاَكُمْ فِی الْاَرْضِ تَتَّخِذُوْنَ مِنْ سُهُوْلِهَا قُصُوْرًا وَّتَنْحِتُوْنَ الْجِبَالَ بُیُوْتًا ۚ— فَاذْكُرُوْۤا اٰلَآءَ اللّٰهِ وَلَا تَعْثَوْا فِی الْاَرْضِ مُفْسِدِیْنَ ۟
अपने ऊपर अल्लाह की नेमत को याद करो, जब उसने तुम्हें 'आद' जाति का उत्तराधिकारी बनाया और तुम्हें तुम्हारी भूमि में उतारा, जिससे तुम लाभान्वित होते हो और अपने उद्देश्यों को प्राप्त करते हो। ऐसा आद जाति को विनाश करने के बाद हुआ, जब वे अपने कुफ़्र तथा झुठलाने में चरम पर पहुँच गए। तुम पृथ्वी के मैदानों में महलों का निर्माण करते हो और पहाड़ों को तराश कर अपने लिए घर बनाते हो। सो अपने ऊपर अल्लाह की इन नेमतों को याद करो, ताकि उनपर अल्लाह का शुक्रिया अदा कर सको। तथा अल्लाह पर अविश्वास और पापों को त्यागकर, धरती में बिगाड़ फैलाना छोड़ दो।
અરબી તફસીરો:
قَالَ الْمَلَاُ الَّذِیْنَ اسْتَكْبَرُوْا مِنْ قَوْمِهٖ لِلَّذِیْنَ اسْتُضْعِفُوْا لِمَنْ اٰمَنَ مِنْهُمْ اَتَعْلَمُوْنَ اَنَّ صٰلِحًا مُّرْسَلٌ مِّنْ رَّبِّهٖ ؕ— قَالُوْۤا اِنَّا بِمَاۤ اُرْسِلَ بِهٖ مُؤْمِنُوْنَ ۟
उनकी जाति के घमंडी प्रमुखों और सरदारों ने उनकी जाति के मोमिनों से कहा, जिन्हें वे कमज़ोर समझते थे : क्या (ऐ ईमान वालो!) तुम जानते हो कि सालेह सच में अल्लाह का रसूल है? मोमिनों ने उन्हें उत्तर दिया : निःसंदेह सालेह - अलैहिस्सलाम - को जो कुछ देकर हमारी ओर भेजा गया है, हम उसकी पुष्टि करते, स्वीकारते और अनुसरण करते हैं तथा उनकी लाई हुई शरीयत के अनुसार कार्य करने वाले हैं।
અરબી તફસીરો:
قَالَ الَّذِیْنَ اسْتَكْبَرُوْۤا اِنَّا بِالَّذِیْۤ اٰمَنْتُمْ بِهٖ كٰفِرُوْنَ ۟
उनकी जाति के अभिमानी लोगों ने कहा : निःसंदेह हम उसका इनकार करने वाले हैं, जिसपर (ऐ मोमिनो!) तुम ईमान लाए हो। अतः हम उसपर ईमान नहीं लाएँगे और उसकी शरीयत के अनुसार कार्य नहीं करेंगे।
અરબી તફસીરો:
فَعَقَرُوا النَّاقَةَ وَعَتَوْا عَنْ اَمْرِ رَبِّهِمْ وَقَالُوْا یٰصٰلِحُ ائْتِنَا بِمَا تَعِدُنَاۤ اِنْ كُنْتَ مِنَ الْمُرْسَلِیْنَ ۟
फिर उन्होंने अहंकार में आकर अल्लाह के आदेश की अवहेलना करते हुए, उस ऊँटनी का वध कर दिया, जिसे सालेह अलैहिस्सलाम ने कोई नुक़सान पहुँचाने से उन्हें मना किया था। तथा सालेह अलैहिस्सलाम ने उन्हें जिस चीज़ की धमकी दी थी, उसका मज़ाक़ उड़ाते हुए और उसे खारिज करते हुए उन्होंने कहा : ऐ सालेह! यदि तू वास्तव में अल्लाह के रसूलों में से है, तो वह दर्दनाक यातना हमपर ले आ, जिसकी तूने हमें धमकी दी थी।
અરબી તફસીરો:
فَاَخَذَتْهُمُ الرَّجْفَةُ فَاَصْبَحُوْا فِیْ دَارِهِمْ جٰثِمِیْنَ ۟
अतः काफ़िरों पर वह यातना आ गई, जिसके लिए उन्होंने जल्दी मचा रखी थी, जब उन्हें भयंकर भूकंप ने पकड़ लिया। फिर वे इस हाल में गिरे पड़े थे कि उनके मुँह और घुटने भूमि से चिपके हुए थे, और उनमें से कोई भी विनाश से नहीं बचा।
અરબી તફસીરો:
فَتَوَلّٰی عَنْهُمْ وَقَالَ یٰقَوْمِ لَقَدْ اَبْلَغْتُكُمْ رِسَالَةَ رَبِّیْ وَنَصَحْتُ لَكُمْ وَلٰكِنْ لَّا تُحِبُّوْنَ النّٰصِحِیْنَ ۟
सालेह - अलैहिस्सलाम - अपनी जाति के स्वीकरण से निराश होकर, उनसे मुँह फेर लिए और बोले : ऐ मेरी जाति के लोगो! निःसंदेह मैं तुम्हें वह संदेश पहुँचा चुका, जिसे अल्लाह ने मुझे तुम तक पहुँचाने का आदेश दिया था, और तुम्हें कभी प्रेरित करके और कभी भयभीत करके नसीहत की, लेकिन तुम ऐसे लोग हो कि उन नसीहत करने वालों को पसंद नहीं करते, जो तुम्हें भलाई के लिए मार्गदर्शन करने और बुराई से दूर रखने के इच्छुक हैं।
અરબી તફસીરો:
وَلُوْطًا اِذْ قَالَ لِقَوْمِهٖۤ اَتَاْتُوْنَ الْفَاحِشَةَ مَا سَبَقَكُمْ بِهَا مِنْ اَحَدٍ مِّنَ الْعٰلَمِیْنَ ۟
और लूत को याद करो, जब उन्होंने अपनी जाति की निंदा करते हुए कहा : क्या तुम पुरुषों के साथ संभोग का यह घिनौना और निंदनीय काम करते हो?! यह कार्य जो तुमने आविष्कार किया है, तुमसे पहले इसे किसी ने नहीं किया!
અરબી તફસીરો:
اِنَّكُمْ لَتَاْتُوْنَ الرِّجَالَ شَهْوَةً مِّنْ دُوْنِ النِّسَآءِ ؕ— بَلْ اَنْتُمْ قَوْمٌ مُّسْرِفُوْنَ ۟
तुम काम-वासना को पूरा करने के लिए पुरुषों के पास आते हो, उन महिलाओं को छोड़कर जिन्हें इसे पूरा करने के लिए बनाया गया है। अतः तुमने अपने इस कार्य में बुद्धि, या धर्म, या मानव प्रकृति का पालन नहीं किया। बल्कि, तुम मानव संयम की सीमा से निकलकर और स्वस्थ बुद्धि् और अच्छी प्रकृति की अपेक्षाओं से विचलित होकर, अल्लाह की सीमाओं का उल्लंघन करने वाले हो।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• الاستكبار يتولد غالبًا من كثرة المال والجاه، وقلة المال والجاه تحمل على الإيمان والتصديق والانقياد غالبًا.
• अहंकार अक्सर बहुत सारे धन और प्रतिष्ठा से पैदा होता है, जबकि धन और प्रतिष्ठा की कमी अक्सर ईमान, विश्वास और अधीनता की ओर ले जाती है।

• جواز البناء الرفيع كالقصور ونحوها؛ لأن من آثار النعمة: البناء الحسن مع شكر المنعم.
• ऊँचे भवनों जैसे महलों आदि की अनुमति; क्योंकि नेमत के प्रभावों में से : नेमत देने वाले के प्रति कृतज्ञता के साथ अच्छी इमारत (भी) है।

• الغالب في دعوة الأنبياء أن يبادر الضعفاء والفقراء إلى الإصغاء لكلمة الحق التي جاؤوا بها، وأما السادة والزعماء فيتمردون ويستعلون عليها.
• नबियों की दावत में अकसर यही हुआ है कि कमज़ोर और ग़रीब लोग उनके लाए हुए सत्य वचन को सुनने के लिए पहल करते हैं, जबकि सरदार और प्रमुख लोग सरकशी करते हैं और अपने आपको उससे ऊँचा समझते हैं।

• قد يعم عذاب الله المجتمع كله إذا كثر فيه الخَبَث، وعُدم فيه الإنكار.
• अल्लाह की यातना पूरे समाज में व्याप्त हो सकती है, यदि उसमें बुराई बहुत अधिक हो जाए और कोई मना करने वाला न हो।

وَمَا كَانَ جَوَابَ قَوْمِهٖۤ اِلَّاۤ اَنْ قَالُوْۤا اَخْرِجُوْهُمْ مِّنْ قَرْیَتِكُمْ ۚ— اِنَّهُمْ اُنَاسٌ یَّتَطَهَّرُوْنَ ۟
जब लूत - अलैहिस्सलाम - ने अपनी जाति के इस अनैतिक काम करने वालों का खंडन किया, तो उनका उत्तर इसके सिवा कुछ न था कि उन्होंने सत्य से मुँह मोड़ते हुए कहा : लूत और उसके परिवार को अपने गाँव से निकाल दो। ये ऐसे लोग हैं जो हमारे इस काम से बड़े पाक बनते हैं। इसलिए उनका हमारे बीच रहना हमारे लिए उचित नहीं है।
અરબી તફસીરો:
فَاَنْجَیْنٰهُ وَاَهْلَهٗۤ اِلَّا امْرَاَتَهٗ ۖؗ— كَانَتْ مِنَ الْغٰبِرِیْنَ ۟
सो हमने उन्हें और उनके परिवार को बचा लिया, क्योंकि हमने उन्हें रात ही में उस गाँव से निकल जाने का आदेश दे दिया था, जिसपर यातना आने वाली थी। उनकी पत्नी को छोड़कर, जो अपनी जाति के बाकी लोगों के साथ हो गई थी, अतः वह भी उस यातना से पीड़ित हुई, जो उनपर आई थी।
અરબી તફસીરો:
وَاَمْطَرْنَا عَلَیْهِمْ مَّطَرًا ؕ— فَانْظُرْ كَیْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُجْرِمِیْنَ ۟۠
और हमने उनपर एक भीषण बारिश बरसाई। हमने उन पर मिट्टी के पत्थर (कंकड़) बरसाए और गाँव को उलट दिया। चुनाँचे उसके ऊपरी हिस्से को नीचे कर दिया। अतः (ऐ रसूल!) विचार करें कि लूत की जाति के अपराधियों का परिणाम कैसा हुआ? निश्चय उनका परिणाम विनाश और अनंत अपमान था।
અરબી તફસીરો:
وَاِلٰی مَدْیَنَ اَخَاهُمْ شُعَیْبًا ؕ— قَالَ یٰقَوْمِ اعْبُدُوا اللّٰهَ مَا لَكُمْ مِّنْ اِلٰهٍ غَیْرُهٗ ؕ— قَدْ جَآءَتْكُمْ بَیِّنَةٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ فَاَوْفُوا الْكَیْلَ وَالْمِیْزَانَ وَلَا تَبْخَسُوا النَّاسَ اَشْیَآءَهُمْ وَلَا تُفْسِدُوْا فِی الْاَرْضِ بَعْدَ اِصْلَاحِهَا ؕ— ذٰلِكُمْ خَیْرٌ لَّكُمْ اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِیْنَ ۟ۚ
हमने मदयन के गोत्र की ओर उनके भाई शुऐब अलैहिस्सलाम को भेजा। उन्होंने उनसे कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! अकेले अल्लाह की इबादत करो। उसके सिवा तुम्हारा कोई पूज्य नहीं, जो इबादत के योग्य हो। मैं अपने रब की ओर से तुम्हारे पास जो कुछ लेकर आया हूँ उसकी सच्चाई का अल्लाह की ओर से तुम्हारे पास एक स्पष्ट प्रमाण आ चुका है। अतः नाप और तौल पूरे करके लोगों को उनके अधिकार दो। तथा लोगों का उनके सामान में दोष निकालकर और उसके प्रति अरुचि जगाकर, या उनके मालिकों को धोखा देकर घाटा न करो। इससे पहले नबियों के द्वारा धरती पर सुधार होने के बाद, कुफ़्र और पाप करके उसमें बिगाड़ न फैलाओ। यदि तुम मोमिन हो, तो जो कुछ उल्लेख किया गया है तुम्हारे लिए बेहतर और अधिक लाभकारी है। क्योंकि इसमें अल्लाह के निषेधों से बचने हेतु पापों का परित्याग करना शामिल है, और क्योंकि इसमें अल्लाह के आदेशों का पालन करके उसके क़रीब आना शामिल है।
અરબી તફસીરો:
وَلَا تَقْعُدُوْا بِكُلِّ صِرَاطٍ تُوْعِدُوْنَ وَتَصُدُّوْنَ عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ مَنْ اٰمَنَ بِهٖ وَتَبْغُوْنَهَا عِوَجًا ۚ— وَاذْكُرُوْۤا اِذْ كُنْتُمْ قَلِیْلًا فَكَثَّرَكُمْ ۪— وَانْظُرُوْا كَیْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُفْسِدِیْنَ ۟
और प्रत्येक मार्ग पर इस कारण न बैठो कि उसपर चलने वाले लोगों को धमकाओ ताकि उनका धन लूट लो, तथा उस व्यक्ति को अल्लाह के धर्म से रोक दो जो उससे मार्गदर्शन प्राप्त करना चाहे। तुम्हारी इच्छा है कि अल्लाह का मार्ग टेढ़ा हो ताकि लोग उसपर न चलें। तथा अपने ऊपर अल्लाह की नेमत को याद करो, ताकि तुम उसपर उसका शुक्र अदा करो। क्योंकि तुम्हारी संख्या कम थी, तो उसने तुम्हें अधिक कर दिया। तथा विचार करो कि तुमसे पहले घरती में बिगाड़ पैदा करने वालों का परिणाम कैसा हुआ। निश्चय उनका परिणाम तबाही और विनाश था।
અરબી તફસીરો:
وَاِنْ كَانَ طَآىِٕفَةٌ مِّنْكُمْ اٰمَنُوْا بِالَّذِیْۤ اُرْسِلْتُ بِهٖ وَطَآىِٕفَةٌ لَّمْ یُؤْمِنُوْا فَاصْبِرُوْا حَتّٰی یَحْكُمَ اللّٰهُ بَیْنَنَا ۚ— وَهُوَ خَیْرُ الْحٰكِمِیْنَ ۟
और यदि तुम में से एक समूह उसपर ईमान लाया है, जो मैं अपने रब की ओर से लाया हूँ और दूसरा समूह उसपर ईमान नहीं लाया, तो (ऐ झुठलाने वालो!) प्रतीक्षा करो कि अल्लाह तुम्हारे बीच क्या निर्णय करता है। वह निर्णय करने वालों में सबसे अच्छा और न्याय करने वालों में सबसे अधिक न्यायशील है।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• اللواط فاحشة تدلُّ على انتكاس الفطرة، وناسب أن يكون عقابهم من جنس عملهم فنكس الله عليهم قُراهم.
• समलैंगिकता एक ऐसी अश्लीलता है जो प्राकृतिक प्रवृत्ति के उलट जाने को इंगित करती है और यह उचित है कि उनकी सज़ा उनके कर्मों के समान हो, इसलिए अल्लाह ने उनकी बस्तियों को उनपर उलट दिया।

• تقوم دعوة الأنبياء - ومنهم شعيب عليه السلام - على أصلين: تعظيم أمر الله: ويشمل الإقرار بالتوحيد وتصديق النبوة. والشفقة على خلق الله: ويشمل ترك البَخْس وترك الإفساد وكل أنواع الإيذاء.
• नबियों की दावत (मिशन) - जिनमें शुऐब अलैहिस्सलाम भी शामिल हैं - दो सिद्धांतों पर आधारित होती है : अल्लाह के आदेश का सम्मान करना : जिसमें एकेश्वरवाद की स्वीकृति और नुबुव्वत की पुष्टि शामिल है। तथा अल्लाह की सृष्टि के प्रति करुणा : जिसमें घटाकर देने से बचना, तथा बिगाड़ पैदा करने और सभी प्रकार के कष्ट देने को त्यागना शामिल है।

• الإفساد في الأرض بعد الإصلاح جُرْم اجتماعي في حق الإنسانية؛ لأن صلاح الأرض بالعقيدة والأخلاق فيه خير للجميع، وإفساد الأرض عدوان على الناس.
• सुधार के बाद धरती में बिगाड़ पैदा करना मानवता के खिलाफ एक सामाजिक अपराध है; क्योंकि शुद्ध अक़ीदा तथा नैतिकता के द्वारा धरती के सुधार में सभी के लिए भलाई है। जबकि धरती में बिगाड़ पैदा करना लोगों के प्रति आक्रामकता है।

• من أعظم الذنوب وأكبرها وأشدها وأفحشها أخذُ ما لا يحقُّ أخذه شرعًا من الوظائف المالية بالقهر والجبر؛ فإنه غصب وظلم وعسف على الناس وإذاعة للمنكر وعمل به ودوام عليه وإقرار له.
• सबसे बड़े, सबसे गंभीर और सबसे जघन्य पापों में से एक बलपूर्वक और ज़बरदस्ती ऐसा वित्तीय ओहदा लेना है जिसे शरीयत की दृष्टि से लेना जायज़ नहीं है। क्योंकि यह जबरन क़ब्ज़ा, अत्याचार, लोगों का दमन, तथा बुराई फैलाना, उसपर अमल करना, उसपर निरंतर क़ायम रहना और उसकी स्वीकृति देना है।

قَالَ الْمَلَاُ الَّذِیْنَ اسْتَكْبَرُوْا مِنْ قَوْمِهٖ لَنُخْرِجَنَّكَ یٰشُعَیْبُ وَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا مَعَكَ مِنْ قَرْیَتِنَاۤ اَوْ لَتَعُوْدُنَّ فِیْ مِلَّتِنَا ؕ— قَالَ اَوَلَوْ كُنَّا كٰرِهِیْنَ ۟ۚ
शुऐब अलैहिस्सलाम की क़ौम के घमंडी प्रमुखाें और बड़े लोगों ने शुऐब अलैहिस्सलाम से कहा : (ऐ शुऐब!) हम तुझे और तेरे साथ तेरी बात मानने वालों काे अपने इस गाँव से अवश्य निकाल देंगे, या तुम अवश्य ही हमारे धर्म में वापस आ जाओगे। तो शुऐब अलैहिस्सलाम ने इनकार करते हुए और आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा : क्या हम तुम्हारे धर्म पर चलने लगें, अगरचे हम उसे नापसंद ही करते हों, क्योंकि हम जानते हैं कि तुम्हारा धर्म असत्य है?!
અરબી તફસીરો:
قَدِ افْتَرَیْنَا عَلَی اللّٰهِ كَذِبًا اِنْ عُدْنَا فِیْ مِلَّتِكُمْ بَعْدَ اِذْ نَجّٰىنَا اللّٰهُ مِنْهَا ؕ— وَمَا یَكُوْنُ لَنَاۤ اَنْ نَّعُوْدَ فِیْهَاۤ اِلَّاۤ اَنْ یَّشَآءَ اللّٰهُ رَبُّنَا ؕ— وَسِعَ رَبُّنَا كُلَّ شَیْءٍ عِلْمًا ؕ— عَلَی اللّٰهِ تَوَكَّلْنَا ؕ— رَبَّنَا افْتَحْ بَیْنَنَا وَبَیْنَ قَوْمِنَا بِالْحَقِّ وَاَنْتَ خَیْرُ الْفٰتِحِیْنَ ۟
यदि हम भी तुम्हारी ही तरह शिर्क व कुफ़्र का अक़ीदा रखने लगें, जबकि अल्लाह ने हमें अपनी कृपा से उससे बचा लिया है, तो हम अल्लाह पर झूठ गढ़ने वाले ठहरेंगे। और हमसे यह भी नहीं हो सकता कि तुम्हारे असत्य धर्म की ओर लौट आएँ। परंतु यह कि हमारा पालनहार अल्लाह ऐसा चाहे। क्योंकि सब उसी के इरादे के अधीन हैं। हमारे पालनहार ने प्रत्येक वस्तु को अपने ज्ञान के दायरे में ले रखा है। उससे कुछ भी छिपा नहीं है। केवल अल्लाह ही पर हमारा भरोसा है कि वह हमें सीधे रास्ते पर सुदृढ़ रखेगा और जहन्नम के रास्तों से बचाएगा। ऐ हमारे पालनहार! हमारे और हमारी काफ़िर जाति के बीच न्याय के साथ निर्णय कर दे। अतः सत्यवादी मज़लूम को हठी ज़ालिम के विरुद्ध विजय प्रदान कर। क्योंकि तू ही (ऐ हमारे पालनहार!) सबसे उत्तम निर्णय करने वाला है।
અરબી તફસીરો:
وَقَالَ الْمَلَاُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا مِنْ قَوْمِهٖ لَىِٕنِ اتَّبَعْتُمْ شُعَیْبًا اِنَّكُمْ اِذًا لَّخٰسِرُوْنَ ۟
उनकी जाति के काफ़िर एवं तौहीद के आह्वान को ठुकराने वाले प्रमुखों तथा सरदारों ने शुऐब अलैहिस्सलाम और उनके धर्म से सावधान करते हुए कहा : (ऐ हमारी जाति के लोगो!) अगर तुमने शुऐब का धर्म अपना लिया तथा अपना और अपने बाप-दादा का धर्म छोड़ दिया, तो निश्चित रूप से तुम्हारा सर्वनाश हो जाएगा।
અરબી તફસીરો:
فَاَخَذَتْهُمُ الرَّجْفَةُ فَاَصْبَحُوْا فِیْ دَارِهِمْ جٰثِمِیْنَ ۟
चुनाँचे उन्हें भयंकर भूकंप ने पकड़ लिया, तो वे अपने घरों में विनष्ट हो गए, इस हाल में कि अपने घुटनों और चेहरों के बल अपने घरों में मृत और बेजान पड़े हुए थे।
અરબી તફસીરો:
الَّذِیْنَ كَذَّبُوْا شُعَیْبًا كَاَنْ لَّمْ یَغْنَوْا فِیْهَا ۛۚ— اَلَّذِیْنَ كَذَّبُوْا شُعَیْبًا كَانُوْا هُمُ الْخٰسِرِیْنَ ۟
जिन लोगों ने शुऐब अलैहिस्सलाम को झुठलाया, वे सब के सब विनष्ट हो गए, और वे ऐसे हो गए जैसे वे अपने घरों में बसे ही न थे और उन्होंने इसका आनंद ही नहीं लिया था। जिन लोगों ने शुऐब अलैहिस्सलाम को झुठलाया, वही लोग घाटे में रहे; इसलिए कि उन्होंने अपना और अपनी धन-संपत्ति का विनाश किया। जबकि उनकी जाति के मोमिनों का कोई घाटा नहीं हुआ, जैसा कि इन झुठलाने वाले काफ़िरों ने दावा किया था।
અરબી તફસીરો:
فَتَوَلّٰی عَنْهُمْ وَقَالَ یٰقَوْمِ لَقَدْ اَبْلَغْتُكُمْ رِسٰلٰتِ رَبِّیْ وَنَصَحْتُ لَكُمْ ۚ— فَكَیْفَ اٰسٰی عَلٰی قَوْمٍ كٰفِرِیْنَ ۟۠
जब उनका विनाश हो गया, तो उनके पैगंबर शुऐब अलैहिस्सलाम उनसे विमुख हो गए और उन्हें संबोधित करते हुए बोले : ऐ मेरी जाति के लोगो! मैंने तुम्हें वह संदेश पहुँचा दिया था जिसका मेरे पालनहार ने मुझे तुमको पहुँचाने का आदेश दिया था, तथा मैं तुम्हारा हितैषी व शुभ चिंतक बना रहा, किंतु तुमने मेरी ख़ैर-ख़्वाही (शुभचिंतन) को स्वीकार नहीं किया और मेरे मार्गदर्शन पर चलने को तैयार न हुए। तो भला मैं ऐसे लोगों पर शोक कैसे करूँ, जो अल्लाह के साथ कुफ़्र करने वाले हैं और अपने कुफ़्र पर अडिग हैं?
અરબી તફસીરો:
وَمَاۤ اَرْسَلْنَا فِیْ قَرْیَةٍ مِّنْ نَّبِیٍّ اِلَّاۤ اَخَذْنَاۤ اَهْلَهَا بِالْبَاْسَآءِ وَالضَّرَّآءِ لَعَلَّهُمْ یَضَّرَّعُوْنَ ۟
तथा हमने किसी बस्ती में अपना जो भी रसूल भेजा, फिर उसके वासियों ने नबी को झुठला दिया और कुफ्र का मार्ग अपनाया, तो हमने उन्हें कठिनाई, ग़रीबी और बीमारी से पीड़ित कर दिया, ताकि वे अल्लाह के सामने अपनी विनम्रता प्रकट करें। जिसके परिणामस्वरूप वे अपने कुफ़्र और अहंकार को छोड़ दें। यह झुठलाने वाले समुदायों के बारे में अल्लाह की परंपरा का उल्लेख करके क़ुरैश के लिए तथा सभी इनकार करने और झुठलाने वालों के लिए एक चेतावनी है।
અરબી તફસીરો:
ثُمَّ بَدَّلْنَا مَكَانَ السَّیِّئَةِ الْحَسَنَةَ حَتّٰی عَفَوْا وَّقَالُوْا قَدْ مَسَّ اٰبَآءَنَا الضَّرَّآءُ وَالسَّرَّآءُ فَاَخَذْنٰهُمْ بَغْتَةً وَّهُمْ لَا یَشْعُرُوْنَ ۟
फिर हमने तंगी और बीमारी से ग्रस्त करने के बाद उन्हें अच्छाई, विस्तार और सुरक्षा प्रदान की, यहाँ तक कि उनकी संख्या अधिक हो गई तथा उनकी धन-संपत्ति में वृद्धि हो गई और वे कहने लगे : हमें जो बुराई और अच्छाई पहुँची है, वह एक नियमित आदत है, जो पहले हमारे पूर्वजों को भी पहुँच चुकी है। उन्हें इस बात का एहसास नहीं हुआ कि वे जिस दुर्दशा से पीड़ित हुए थे, उससे उन्हें सीख लेना चाहिए था, तथा उन्हें जो नेमतें प्राप्त हुई थीं, उनका उद्देश्य ढील देना था। अतः हमने अचानक उन्हें यातना द्वारा पकड़ लिया और उन्हें यातना का एहसास भी नहीं हुआ और न ही वे इसकी कल्पना करते थे।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• من مظاهر إكرام الله لعباده الصالحين أنه فتح لهم أبواب العلم ببيان الحق من الباطل، وبنجاة المؤمنين، وعقاب الكافرين.
• अल्लाह के अपने नेक बंदों को सम्मानित करने की एक अभिव्यक्ति यह है कि उसने असत्य से सत्य को स्पष्ट करके, तथा ईमान वालों को मोक्ष प्रदान करके और काफ़िरों को दंडित करके, उनके लिए ज्ञान के द्वार खोल दिए हैं।

• من سُنَّة الله في عباده الإمهال؛ لكي يتعظوا بالأحداث، ويُقْلِعوا عما هم عليه من معاص وموبقات.
• अल्लाह की अपने बंदों के बारे में यह परंपरा रही है कि वह उन्हें ढील देता है, ताकि वे घटनाओं से सीख प्राप्त करें और उन अवज्ञाओं तथा विनाशकारी पापों को त्याग दें, जिनमें वे लिप्त हैं ।

• الابتلاء بالشدة قد يصبر عليه الكثيرون، ويحتمل مشقاته الكثيرون، أما الابتلاء بالرخاء فالذين يصبرون عليه قليلون.
• कठिनाई द्वारा परीक्षा पर बहुत से लोग धैर्य कर सकते हैं और उसके कष्टों को बहुत से लोग सहन कर लेते हैं। परंतु समृद्धि व संपन्नता के द्वारा परीक्षा पर कम ही लोग धैर्य रखते हैं।

وَلَوْ اَنَّ اَهْلَ الْقُرٰۤی اٰمَنُوْا وَاتَّقَوْا لَفَتَحْنَا عَلَیْهِمْ بَرَكٰتٍ مِّنَ السَّمَآءِ وَالْاَرْضِ وَلٰكِنْ كَذَّبُوْا فَاَخَذْنٰهُمْ بِمَا كَانُوْا یَكْسِبُوْنَ ۟
और यदि इन बस्तियों के वासी, जिनकी ओर हमने अपने रसूलों को भेजा था, उन बातों पर विश्वास करते जो उनके रसूल उनके पास लेकर आए थे, तथा अपने पालनहार से, कुफ़्र और गुनाहों को छोड़कर और उसके आदेशों का पालन करके, डरते, तो हम उनके लिए चारों ओर से भलाई के द्वार खोल देते, लेकिन उन्होंने न तो विश्वास किया और न डरे, बल्कि अपने रसूलों के लाए हुए संदेश को झुठलाया। अतः हमने उन्हें उनके किए हुए गुनाहों और पापों के कारण अचानक यातना से ग्रस्त कर दिया।
અરબી તફસીરો:
اَفَاَمِنَ اَهْلُ الْقُرٰۤی اَنْ یَّاْتِیَهُمْ بَاْسُنَا بَیَاتًا وَّهُمْ نَآىِٕمُوْنَ ۟ؕ
तो क्या इन झुठलाने वाली बस्तियों के लोग इस बात से निश्चिंत हो गए हैं कि उनपर हमारी यातना रात के समय आ जाए और वे अपने आराम और शांति में लीन होकर सो रहे हैं?
અરબી તફસીરો:
اَوَاَمِنَ اَهْلُ الْقُرٰۤی اَنْ یَّاْتِیَهُمْ بَاْسُنَا ضُحًی وَّهُمْ یَلْعَبُوْنَ ۟
और क्या वे इस बात से निश्चिंत हो गए हैं कि उनपर हमारी यातना दिन की शुरुआत में आ जाए और वे अपनी दुनिया में व्यस्त होने की वजह से बेपरवाह और ग़ाफ़िल हों?!
અરબી તફસીરો:
اَفَاَمِنُوْا مَكْرَ اللّٰهِ ۚ— فَلَا یَاْمَنُ مَكْرَ اللّٰهِ اِلَّا الْقَوْمُ الْخٰسِرُوْنَ ۟۠
देखो, अल्लाह ने उन्हे किस क़दर मोहलत दी है, और ढील देते हुए शक्ति तथा विस्तृत जीविका प्रदान की है; तो क्या इन नगरों के ये झुठलनाने वाले लोग अल्लाह की चाल और उसके गुप्त उपाय से निश्चिंत हो गए हैं? तो (याद रखो!) अल्लाह के गुप्त उपाय से निश्चिंत केवल वही लोग होते हैं, जिनके भाग्य में विनाश लिखा हो। रही बात तौफ़ीक़ वाले लोगों की, तो वे उसके गुप्त उपाय से डरते हैं। यही कारण है कि उसकी नेमतों से धोखा नहीं खाते, बल्कि उसके एहसान के आभारी रहते हैं और उसका शुक्रिया अदा करते हैं।
અરબી તફસીરો:
اَوَلَمْ یَهْدِ لِلَّذِیْنَ یَرِثُوْنَ الْاَرْضَ مِنْ بَعْدِ اَهْلِهَاۤ اَنْ لَّوْ نَشَآءُ اَصَبْنٰهُمْ بِذُنُوْبِهِمْ ۚ— وَنَطْبَعُ عَلٰی قُلُوْبِهِمْ فَهُمْ لَا یَسْمَعُوْنَ ۟
तो क्या उन लोगों के सामने यह तथ्य स्पष्ट नहीं हुआ, जो अपने पूर्वजों के बाद धरती के वारिस हुए, जिन्हें उनके गुनाहों के कारण विनष्ट कर दिया गया था, फिर उन्होंने उनपर उतरने वाली यातना से शिक्षा ग्रहण नहीं की, बल्कि उन्हीं जैसे कर्म करते रहे। क्या इन लोगों के सामने यह तथ्य स्पष्ट नहीं हुआ कि अगर अल्लाह उन्हें उनके गुनाहों के कारण पकड़ना चाहे, तो अपनी रीति के अनुसार पकड़ ले और उनके दिलों पर मुहर लगा दे, फिर उन्हें न किसी उपदेश से लाभ हो, न किसी याद-दहानी से फ़ायदा?!
અરબી તફસીરો:
تِلْكَ الْقُرٰی نَقُصُّ عَلَیْكَ مِنْ اَنْۢبَآىِٕهَا ۚ— وَلَقَدْ جَآءَتْهُمْ رُسُلُهُمْ بِالْبَیِّنٰتِ ۚ— فَمَا كَانُوْا لِیُؤْمِنُوْا بِمَا كَذَّبُوْا مِنْ قَبْلُ ؕ— كَذٰلِكَ یَطْبَعُ اللّٰهُ عَلٰی قُلُوْبِ الْكٰفِرِیْنَ ۟
ये पिछली बस्तियाँ हैं (अर्थात नूह, हूद, सालेह, लूत और शुऐब अलैहिमुस्सलाम की बस्तियाँ), जिनकी खबरें और उनके झुठलाने तथा हठधर्मी की दास्तानें और उनके विनाश का विवरण हम आपको सुना रहे हैं, ताकि यह शिक्षा प्राप्त करने वालों के लिए एक शिक्षा और नसीहत हासिल करने वालों के लिए एक नसीहत हो। इन बस्तियों वालों के पास उनके रसूल अपने सच्चे रसूल होने के स्पष्ट प्रमाण लेकर आए थे, परंतु उनसे यह न हो सका कि जब रसूल आ गए, तो उन्हें मान लेते, क्योंकि यह बात पहले ही से अल्लाह के ज्ञान में थी कि वे उन्हें झुठला देंगे। जिस तरह इन बस्तियों वालों के दिलों पर अल्लाह ने मुहर लगा दी थी, वैसे ही अल्लाह मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को झुठलाने वालों के दिलों पर भी मुहर लगा देगा, फिर वे ईमान की राह प्राप्त नहीं कर सकेंगे।
અરબી તફસીરો:
وَمَا وَجَدْنَا لِاَكْثَرِهِمْ مِّنْ عَهْدٍ ۚ— وَاِنْ وَّجَدْنَاۤ اَكْثَرَهُمْ لَفٰسِقِیْنَ ۟
जिन समुदायों की ओर रसूल भेजे गए थे, उनमें से अधिकांश में हमने अल्लाह के आदेशों के प्रति प्रतिबद्धता और प्रतिज्ञा पालन नहीं पाया, तथा हमने उन्हें उसकी आज्ञाओं का पालन करते हुए नहीं पाया। बल्कि हमने उनमें से अधिकांश को अल्लाह की अवज्ञा करते हुए ही पाया।
અરબી તફસીરો:
ثُمَّ بَعَثْنَا مِنْ بَعْدِهِمْ مُّوْسٰی بِاٰیٰتِنَاۤ اِلٰی فِرْعَوْنَ وَمَلَاۡىِٕهٖ فَظَلَمُوْا بِهَا ۚ— فَانْظُرْ كَیْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُفْسِدِیْنَ ۟
फिर हमने उन रसूलों के बाद मूसा अलैहिस्सलाम को अपने तर्कों और स्पष्ट प्रमाणों के साथ, जो उनके सच्चे नबी होने को स्पष्ट कर रहे थे, फ़िरऔन और उसके प्रमुखों के पास भेजा। परंतु उन्होंने उन आयतों का इनकार कर दिया और उनपर विश्वास नहीं किया। तो (ऐ रसूल!) आप ग़ौर करें कि फ़िरऔन और उसकी जाति का परिणाम कैसा रहा?! अल्लाह ने उन्हें डुबोकर नष्ट कर दिया और दुनिया तथा आख़िरत में उनके पीछे लानत लगा दिया।
અરબી તફસીરો:
وَقَالَ مُوْسٰی یٰفِرْعَوْنُ اِنِّیْ رَسُوْلٌ مِّنْ رَّبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟ۙ
जब अल्लाह ने मूसा अलैहिस्सलाम को फ़िरऔन के पास भेजा और वह उसके पास आए, तो कहा : ऐ फ़िरऔन! निःसंदेह मैं सारी सृष्टि के रचयिता, उनके स्वामी और उनके मामलों के व्यवस्थापक की ओर से भेजा हुआ रसूल हूँ।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• الإيمان والعمل الصالح سبب لإفاضة الخيرات والبركات من السماء والأرض على الأمة.
• ईमान और सत्कर्म मुसलमानों को आकाश और धरती से व्यापक बरकतों और भलाइयों के प्राप्त होने का एक कारण है।

• الصلة وثيقة بين سعة الرزق والتقوى، وإنْ أنعم الله على الكافرين فإن هذا استدراج لهم ومكر بهم.
• आजीविका के विस्तार और परहेज़गारी के बीच घनिष्ठ संबंध है। अगर अल्लाह काफ़िरों को नेमतें दे रहा है, तो यह दरअसल उन्हें ढील दी जा रही है और उनके साथ एक चाल चली जा रही है।

• على العبد ألا يأمن من عذاب الله المفاجئ الذي قد يأتي في أية ساعة من ليل أو نهار.
• बंदे को अल्लाह की अचानक आने वाली यातना से निश्चिंत नहीं होना चाहिए, जो दिन या रात के किसी भी समय आ सकती है।

• يقص القرآن أخبار الأمم السابقة من أجل تثبيت المؤمنين وتحذير الكافرين.
• क़ुरआन, मोमिनों को सुदृढ़ करने और काफ़िरों को चेतावनी देने के लिए पिछले समुदायों की खबरें सुनाता है।

حَقِیْقٌ عَلٰۤی اَنْ لَّاۤ اَقُوْلَ عَلَی اللّٰهِ اِلَّا الْحَقَّ ؕ— قَدْ جِئْتُكُمْ بِبَیِّنَةٍ مِّنْ رَّبِّكُمْ فَاَرْسِلْ مَعِیَ بَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ ۟ؕ
मूसा ने कहा : चूँकि मैं अल्लाह की ओर से भेजा गया हूँ, इसलिए मैं उसके बारे में सत्य के अलावा कुछ भी कहने के योग्य नहीं हूँ। निश्चय मैं तम्हारे पास एक स्पष्ट प्रमाण लेकर आया हूँ, जो मेरे सच्चे होने और मेरे अपने पालनहार की ओर से तुम्हारे पास भेजे हुए (रसूल) होने को दर्शाता है। अतः बनी इसराईल को क़ैद तथा उत्पीड़न से आज़ाद करके मेरे साथ जाने दे।
અરબી તફસીરો:
قَالَ اِنْ كُنْتَ جِئْتَ بِاٰیَةٍ فَاْتِ بِهَاۤ اِنْ كُنْتَ مِنَ الصّٰدِقِیْنَ ۟
फ़िरऔन ने मूसा अलैहिस्सलाम से कहा : यदि तुम कोई प्रमाण (चमत्कार) लेकर आए हो, जैसा कि तुम्हारा दावा है, तो उसे प्रस्तुत करो, यदि तुम अपने दावे में सच्चे हो।
અરબી તફસીરો:
فَاَلْقٰی عَصَاهُ فَاِذَا هِیَ ثُعْبَانٌ مُّبِیْنٌ ۟ۚۖ
फिर मूसा अलैहिस्सलाम ने अपनी लाठी फेंकी, तो वह एक महान साँप में बदल गई, जो उसे देखने वालों के लिए प्रत्यक्ष था।
અરબી તફસીરો:
وَّنَزَعَ یَدَهٗ فَاِذَا هِیَ بَیْضَآءُ لِلنّٰظِرِیْنَ ۟۠
तथा उन्होंने अपने सीने के पास से अपनी कमीज़ की छेद से, या अपने बग़ल के नीचे से अपना हाथ निकाला, तो वह बरस (सफ़ेद कुष्ठ रोग) के बिना बिलकुल सफ़ेद निकला, जो इतना सफ़ेद था कि देखने वालों के लिए चमक रहा था।
અરબી તફસીરો:
قَالَ الْمَلَاُ مِنْ قَوْمِ فِرْعَوْنَ اِنَّ هٰذَا لَسٰحِرٌ عَلِیْمٌ ۟ۙ
फ़िरऔन की जाति के बड़ों और प्रमुखों ने जब मूसा अलैहिस्सलाम की लाठी का साँप बन जाना और उनके हाथ का बरस के बिना सफ़ेद हो जाना देखा, तो बोल उठे : मूसा एक दक्ष जादूगर के अलावा कुछ नहीं है।
અરબી તફસીરો:
یُّرِیْدُ اَنْ یُّخْرِجَكُمْ مِّنْ اَرْضِكُمْ ۚ— فَمَاذَا تَاْمُرُوْنَ ۟
वह चाहता है कि अपने जादू के बल से तुम्हें, तुम्हारी इस धरती मिस्र से निकाल दे। फिर फ़िरऔन ने उनसे मूसा अलैहिस्सलाम के बारे में परामर्श करते हुए कहा : तुम मुझे क्या सलाह देते हो?
અરબી તફસીરો:
قَالُوْۤا اَرْجِهْ وَاَخَاهُ وَاَرْسِلْ فِی الْمَدَآىِٕنِ حٰشِرِیْنَ ۟ۙ
उन्होंने फ़िरऔन से कहा : मूसा तथा उसके भाई के मामले को स्थगित कर दे और मिस्र के शहरों में जादूगरों को इकट्ठा करने के लिए किसी को भेज दे।
અરબી તફસીરો:
یَاْتُوْكَ بِكُلِّ سٰحِرٍ عَلِیْمٍ ۟
ये लोग जिन्हें तूने शहरों से जादूगरों को इकट्ठा करने के लिए भेजा है, वे हर कुशल और दक्ष जादूगर को तेरे पास ले आएँ।
અરબી તફસીરો:
وَجَآءَ السَّحَرَةُ فِرْعَوْنَ قَالُوْۤا اِنَّ لَنَا لَاَجْرًا اِنْ كُنَّا نَحْنُ الْغٰلِبِیْنَ ۟
चुनाँचे फ़िरऔन ने जादूगरों को जमा करने के लिए हरकारे भेज दिए। फिर जब जादूगर फिरऔन के पास आए, तो उन्होंने उससे पूछा : क्या उन्हें कोई इनाम मिलेगा यदि उन्होंने मूसा को अपने जादू से हरा दिया और उस पर जीत हासिल की?
અરબી તફસીરો:
قَالَ نَعَمْ وَاِنَّكُمْ لَمِنَ الْمُقَرَّبِیْنَ ۟
तो फिरऔन ने जवाब दिया कि हाँ, तुम्हें उसका बदला और पुरस्कार मिलेगा और तुम्हें ऐसे पद भी दिए जाएँगे कि मेरे निकटवर्ती बन जाओगे।
અરબી તફસીરો:
قَالُوْا یٰمُوْسٰۤی اِمَّاۤ اَنْ تُلْقِیَ وَاِمَّاۤ اَنْ نَّكُوْنَ نَحْنُ الْمُلْقِیْنَ ۟
जादूगरों ने मूसा पर अपनी जीत के बारे में आश्वस्त होकर, घमंड और अहंकार से कहा : (ऐ मूसा!) आप जो चाहें चुन लें, कि आप उस चीज़ को फेंकने की शुरुआत करेंगे जो आप फेंकना चाहते हैं, यह हम ही उसकी शुरुआत करें।
અરબી તફસીરો:
قَالَ اَلْقُوْا ۚ— فَلَمَّاۤ اَلْقَوْا سَحَرُوْۤا اَعْیُنَ النَّاسِ وَاسْتَرْهَبُوْهُمْ وَجَآءُوْ بِسِحْرٍ عَظِیْمٍ ۟
मूसा (अलैहिस्सलाम) ने अपने पालनहार की मदद पर भरोसा करते हुए, उनकी परवाह न करते हुए, उन्हें जवाब दिया : तुम्हीं अपनी रस्सियाँ और लाठियाँ फेंको। तो जब उन्होंने रस्सियाँ और लाठियाँ फेंकीं, तो लोगों की आँखों को, उन्हें शुद्ध बोध से विचलित करके, मंत्रमुग्ध कर दिया और उन्हें भयभीत कर दिया तथा वे देखने वालों की आँखों में शक्तिशाली जादू लेकर आए।
અરબી તફસીરો:
وَاَوْحَیْنَاۤ اِلٰی مُوْسٰۤی اَنْ اَلْقِ عَصَاكَ ۚ— فَاِذَا هِیَ تَلْقَفُ مَا یَاْفِكُوْنَ ۟ۚ
तो अल्लाह ने अपने नबी तथा कलीम मूसा अलैहिस्सलाम को वह़्य की कि अपनी लाठी फेंको। चुनाँचे उन्होंने अपनी लाठी फेंकी। और देखते ही देखते लाठी साँप बनकर उनकी रस्सियाें तथा लाठियाें को निगलने लगी, जिनका प्रयोग वे तथ्यों को बदलने और लोगों को इस भ्रम में डालने के लिए करते थे कि ये दौड़ते हुए साँप हैं।
અરબી તફસીરો:
فَوَقَعَ الْحَقُّ وَبَطَلَ مَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟ۚ
अतः सत्य प्रकट हो गया तथा मूसा अलैहिस्सलाम जो कुछ लेकर आए थे, उसकी सच्चाई स्पष्ट हो गई और जादूगरों ने जो जादू बनाया था, उसका झूठा होना जग-ज़ाहिर हो गया।
અરબી તફસીરો:
فَغُلِبُوْا هُنَالِكَ وَانْقَلَبُوْا صٰغِرِیْنَ ۟ۚ
अंततः वे उस अवसर पर पराजित हुए और हार गए तथा मूसा अलैहिस्सलाम को उनपर विजय प्राप्त हुआ। और वे लोग अपमानित और मग़लूब होकर लौटे।
અરબી તફસીરો:
وَاُلْقِیَ السَّحَرَةُ سٰجِدِیْنَ ۟ۙ
जब जादूगरों ने अल्लाह की महान शक्ति और स्पष्ट निशानियों को देखा, तो बे-साख्ता पवित्र अल्लाह के सामने सजदे में गिर गए।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• من حكمة الله ورحمته أن جعل آية كل نبي مما يدركه قومه، وقد تكون من جنس ما برعوا فيه.
• यह अल्लाह की हिकमत तथा दया में से है कि उसने हर नबी को ऐसी निशानी प्रदान की, जाे उनकी जाति की समझ में आ सके। तथा कभी-कभी निशानी ऐसी होती है जिसमें उस जाति के लोग माहिर होते हैं।

• أنّ فرعون كان عبدًا ذليلًا مهينًا عاجزًا، وإلا لما احتاج إلى الاستعانة بالسحرة في دفع موسى عليه السلام.
• वास्तव में फिरऔन एक अपमानित, तुच्छ और असहाय बंदा था। अन्यथा उसे मूसा अलैहिस्सलाम का मुक़ाबला करने के लिए जादूगरों की मदद लेने की आवश्यकता न पड़ती।

• يدل على ضعف السحرة - مع اتصالهم بالشياطين التي تلبي مطالبهم - طلبهم الأجر والجاه عند فرعون.
• जादूगरों का फिरऔन से इनाम और पद-प्रतिष्ठा का अनुरोध करना (जबकि शैतानों के साथ उनके संपर्क होते हैं, जो उनकी माँगों को पूरा करते हैं) उनकी कमज़ोरी को इंगित करता है।

قَالُوْۤا اٰمَنَّا بِرَبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟ۙ
जादूगरों ने कहा : हम सारी सृष्टि के पालनहार पर ईमान लाए।
અરબી તફસીરો:
رَبِّ مُوْسٰی وَهٰرُوْنَ ۟
मूसा तथा हारून अलैहिमस्सलाम के पालनहार पर, क्योंकि वही उपासना का हक़दार है। उसके सिवा अन्य तथाकथित पूज्य उपासना के हक़दार नहीं हैं।
અરબી તફસીરો:
قَالَ فِرْعَوْنُ اٰمَنْتُمْ بِهٖ قَبْلَ اَنْ اٰذَنَ لَكُمْ ۚ— اِنَّ هٰذَا لَمَكْرٌ مَّكَرْتُمُوْهُ فِی الْمَدِیْنَةِ لِتُخْرِجُوْا مِنْهَاۤ اَهْلَهَا ۚ— فَسَوْفَ تَعْلَمُوْنَ ۟
जब वे एक अल्लाह पर ईमान ले आए, तो फ़िरऔन ने उन्हें धमकी देते हुए कहा : मेरी अनुमति से पहले ही तुमने मूसा को सच्चा मान लिया? निश्चय तुम्हारा मूसा पर ईमान लाना और उसके लाए हुए धर्म को सत्य मानना एक धोखा और साज़िश है, जो तुमने और मूसा ने इस नगर के निवासियों को यहाँ से निकालने के लिए रची है। तो (ऐ जादूगरो!) तुम्हें शीघ्र ही पता चल जाएगा कि तुम्हें कैसी सज़ा और यातना का सामना करना पड़ता है।
અરબી તફસીરો:
لَاُقَطِّعَنَّ اَیْدِیَكُمْ وَاَرْجُلَكُمْ مِّنْ خِلَافٍ ثُمَّ لَاُصَلِّبَنَّكُمْ اَجْمَعِیْنَ ۟
मैं अवश्य तुममें से प्रत्येक व्यक्ति का दाहिना हाथ और बायाँ पैर, या उसका बायाँ हाथ और दाहिना पैर काट दूँगा। फिर मैं तुम सभी को खजूर के पेड़ के तने पर लटका दूँगा। ऐसा तुम्हें भयंकर सज़ा देने और इस स्थिति में तुम्हें देखने वाले सभी लोगों को डराने के लिए किया जाएगा।
અરબી તફસીરો:
قَالُوْۤا اِنَّاۤ اِلٰی رَبِّنَا مُنْقَلِبُوْنَ ۟ۚ
जादूगरों ने फिरऔन की धमकी के जवाब में कहा : निश्चय हम अकेले अपने पालनहार ही की ओर लौटने वाले हैं। इसलिए हमें तुम्हारी धमकी की परवाह नहीं है।
અરબી તફસીરો:
وَمَا تَنْقِمُ مِنَّاۤ اِلَّاۤ اَنْ اٰمَنَّا بِاٰیٰتِ رَبِّنَا لَمَّا جَآءَتْنَا ؕ— رَبَّنَاۤ اَفْرِغْ عَلَیْنَا صَبْرًا وَّتَوَفَّنَا مُسْلِمِیْنَ ۟۠
और तुम्हारे निकट (ऐ फिरऔन!) हमारा दोष केवल यह है कि हमने अपने रब की निशानियों को सत्य मान लिया, जब वे मूसा अलैहिसल्लाम के हाथ पर हमारे पास आईं। यदि यह कोई दोष दिया जाने वाला पाप है, तो यह हमारा पाप है। फिर वे विनयपूर्वक अपने रब से दुआ करने लगे : ऐ हमारे पालनहार! हमपर धैर्य उड़ेल दे, ताकि हम सत्य पर अडिग रहें। तथा हमें इस हाल में मौत दे कि हम तेरे प्रति समर्पित हों, तेरे आदेश का पालन करने वाले तथा तेरे रसूल का अनुसरण करने वाले हों।
અરબી તફસીરો:
وَقَالَ الْمَلَاُ مِنْ قَوْمِ فِرْعَوْنَ اَتَذَرُ مُوْسٰی وَقَوْمَهٗ لِیُفْسِدُوْا فِی الْاَرْضِ وَیَذَرَكَ وَاٰلِهَتَكَ ؕ— قَالَ سَنُقَتِّلُ اَبْنَآءَهُمْ وَنَسْتَحْیٖ نِسَآءَهُمْ ۚ— وَاِنَّا فَوْقَهُمْ قٰهِرُوْنَ ۟
फ़िरऔन की जाति के प्रमुखों और बड़े लोगों ने, उसे मूसा तथा उनके साथ मोमिनों के खिलाफ भड़काते हुए कहा : क्या (ऐ फ़िरऔन!) तुम मूसा और उसकी जाति को छोड़े रखोगे कि वे देश में बिगाड़ फैलाएँ, तथा वे तुमसे और तुम्हारे पूज्यों से किनारा कर लें और (लोगों को) अकेले अल्लाह की इबादत की ओर बुलाएँ?! फ़िरऔन ने कहा : हम बनी इसराईल के बेटों को मार डालेंगे, और उनकी स्त्रियों को सेवा करने के लिए बाक़ी रखेंगे। और निश्चय हमें उनपर ज़ोर, ग़लबा और प्रभुत्व प्राप्त है।
અરબી તફસીરો:
قَالَ مُوْسٰی لِقَوْمِهِ اسْتَعِیْنُوْا بِاللّٰهِ وَاصْبِرُوْا ۚ— اِنَّ الْاَرْضَ لِلّٰهِ ۙ۫— یُوْرِثُهَا مَنْ یَّشَآءُ مِنْ عِبَادِهٖ ؕ— وَالْعَاقِبَةُ لِلْمُتَّقِیْنَ ۟
मूसा अलैहिस्सलाम ने अपनी जाति के लोगों को वसीयत करते हुए कहा : ऐ लोगों! केवल एक अल्लाह से सहायता माँगो कि वह तुम्हारी मुसीबत दूर कर दे तथा तुम्हें लाभ पहुँचाए, और जिस आज़माइश से तुम पीड़ित हो, उसपर धैर्य रखो। क्योंकि यह धरती अकेले अल्लाह की है। फ़िरऔन या उसके सिवा किसी और की नहीं कि वह उसमें जो चाहे, करता फिरे। अल्लाह अपनी इच्छा अनुसार लोगों को बारी-बारी उसमें अवसर देता रहता है। लेकिन धरती पर अच्छा परिणाम केवल उन ईमान वालों के लिए है, जो अपने पालनहार के आदेशों का पालन करते हैं और उसकी मना की हुई चीज़ों से बचते हैं। अंततः यह उन्हीं के लिए है, यद्यपि उन्हें कुछ आज़माइशों और परीक्षाओं से गुज़रना पड़े।
અરબી તફસીરો:
قَالُوْۤا اُوْذِیْنَا مِنْ قَبْلِ اَنْ تَاْتِیَنَا وَمِنْ بَعْدِ مَا جِئْتَنَا ؕ— قَالَ عَسٰی رَبُّكُمْ اَنْ یُّهْلِكَ عَدُوَّكُمْ وَیَسْتَخْلِفَكُمْ فِی الْاَرْضِ فَیَنْظُرَ كَیْفَ تَعْمَلُوْنَ ۟۠
मूसा अलैहिस्सलाम की जाति बनी इसराईल ने उनसे कहा : हम तुम्हारे आने से पहले भी फ़िरऔन के हाथों सताए गए। वह हमारे पुत्रों को मार देता और हमारी स्त्रियों को जीवित रहने देता था। और तुम्हारे आने के पश्चात् भी सताए जा रहे हैं! मूसा अलैहिस्सलाम ने उन्हें समझाते हुए और मुसीबत से छुटकारे की खुशख़बरी देते हुए कहा : निकट है कि तुम्हारा पालनहार तुम्हारे शत्रु फिरऔन तथा उसकी जाति को विनष्ट कर दे और उनके बाद धरती में तुम्हारा आधिपत्य क़ायम कर दे, और फिर देखे कि तुम उसके बाद क्या करते हो, शुक्र या नाशुक्री?
અરબી તફસીરો:
وَلَقَدْ اَخَذْنَاۤ اٰلَ فِرْعَوْنَ بِالسِّنِیْنَ وَنَقْصٍ مِّنَ الثَّمَرٰتِ لَعَلَّهُمْ یَذَّكَّرُوْنَ ۟
हमने फ़िरऔन की जाति को सूखे और अकाल से दंडित किया, तथा हमने उनका धरती के फलों और उसकी पैदावार की कमी के साथ परीक्षण किया। इस आशा में कि वे सीख और उपदेश ग्रहण करें कि उनके साथ यह जो कुछ घटित हुआ है, वह उनके कुफ़्र की सज़ा के तौर पर है, इसलिए वे अल्लाह के सामने तौबा कर लें।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• موقف السّحرة وإعلان إيمانهم بجرأة وصراحة يدلّ على أنّ الإنسان إذا تجرّد عن هواه، وأذعن للعقل والفكر السّليم بادر إلى الإيمان عند ظهور الأدلّة عليه.
• जादूगरों का रवैया और उनका साहसपूर्वक और स्पष्ट रूप से अपने ईमान का ऐलान करना इस बात को इंगित करता है कि यदि इनसान अपने मन की इच्छा से ऊपर उठकर अपने विवेक और सही सोच-विचार से काम ले, तो वह प्रमाण प्रकट होने पर ईमान लाने में पहल करेगा।

• أهل الإيمان بالله واليوم الآخر هم أشدّ الناس حزمًا، وأكثرهم شجاعة وصبرًا في أوقات الأزمات والمحن والحروب.
• अल्लाह तथा आखिरत पर ईमान रखने वाले लोग सबसे दृढ़ लोग हैं, तथा संकटों, कठिनाइयों और युद्धों के समय सबसे साहसी और धैर्यवान् हैं।

• المنتفعون من السّلطة يُحرِّضون ويُهيِّجون السلطان لمواجهة أهل الإيمان؛ لأن في بقاء السلطان بقاء لمصالحهم.
• सत्ता से लाभ उठाने वाले लोग, शासक को ईमान वालों का सामना करने के लिए उत्तेजित करते हैं। क्योंकि शासक के अस्तित्व में, उनके हितों का अस्तित्व है।

• من أسباب حبس الأمطار وغلاء الأسعار: الظلم والفساد.
• बारिश न होने और महँगाई बढ़ने के कारणों में : अन्याय और भ्रष्टाचार भी शामिल हैं।

فَاِذَا جَآءَتْهُمُ الْحَسَنَةُ قَالُوْا لَنَا هٰذِهٖ ۚ— وَاِنْ تُصِبْهُمْ سَیِّئَةٌ یَّطَّیَّرُوْا بِمُوْسٰی وَمَنْ مَّعَهٗ ؕ— اَلَاۤ اِنَّمَا طٰٓىِٕرُهُمْ عِنْدَ اللّٰهِ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟
जब फ़िरऔन की जाति पर उर्वरता, अच्छे फलों और सस्ते दामों के रूप में सुखद स्थिति आती, तो वे कहते : हमें यह इसलिए दिया गया क्योंकि हम इसके हक़दार हैं और यह हमारे ही लिए विशिष्ट है। और अगर उनपर अकाल, सूखे, बीमारियों की अधिकता तथा अन्य विपत्तियों के रूप में कोई मुसीबत आती, तो वे मूसा अलैहिस्सलाम और उनके साथ मौजूद बनी इसराईल से अपशकुन लेते। जबकि सच्चाई यह है कि उन्हें इस तरह की जो भी चीज़ पहुँचती है, वह केवल अल्लाह की नियति (तक़दीर) के अनुसार पहुँचती है। इससे उनका और मूसा अलैहिस्सलाम का कोई लेना देना नहीं है, सिवाय मूसा अलैहिस्सलाम के उनपर बद्-दुआ करने के। लेकिन उनमें से अधिकतर लोग नहीं जानते, इसलिए वे इसे अल्लाह के अलावा किसी और से संबद्ध करते हैं।
અરબી તફસીરો:
وَقَالُوْا مَهْمَا تَاْتِنَا بِهٖ مِنْ اٰیَةٍ لِّتَسْحَرَنَا بِهَا ۙ— فَمَا نَحْنُ لَكَ بِمُؤْمِنِیْنَ ۟
फ़िरऔन की जाति ने मूसा अलैहिस्सलाम से, सत्य से दुश्मनी के कारण कहा : तुम हमारे पास जो निशानी भी ले आओ, और हमें हमारे धर्म से फेरने के लिए उसे ग़लत साबित करने और अपने धर्म की सच्चाई सिद्ध करने के लिए जो भी तर्क और प्रमाण ले आओ, हम तुमपर कभी विश्वास नहीं करेंगे।
અરબી તફસીરો:
فَاَرْسَلْنَا عَلَیْهِمُ الطُّوْفَانَ وَالْجَرَادَ وَالْقُمَّلَ وَالضَّفَادِعَ وَالدَّمَ اٰیٰتٍ مُّفَصَّلٰتٍ ۫— فَاسْتَكْبَرُوْا وَكَانُوْا قَوْمًا مُّجْرِمِیْنَ ۟
अंततः हमने उनके झुठलाने और हठ पर सज़ा के रूप में उनपर बहुत सारा पानी भेजा, जिसने उनकी फसलों और फलों को डुबो दिया। और हमने उन पर टिड्डियाँ भेजीं, जो उनकी फसलें खा गईं। और हमने उनपर जुएँ भेजीं, जो खेतियों को लग जाती हैं या इनसान के बाल में रहकर उसे कष्ट देती हैं, और हमने उन पर मेंढक भेजे, जो उनके बर्तनों में भर गए, उनके खाने-पीने की चीज़ों को खराब कर दिए और उनकी नींदें उड़ा दीं। और हमने उनपर रक्त भेजा, जिससे उनके कुएँ और उनकी नहरें रक्तमय हो गईं। हमने ये सब अलग-अलग और स्पष्ट निशानियाँ भेजीं, जो एक के बाद एक आती रहीं। परंतु ये सारी सज़ाएँ आने के बावजूद वे अल्लाह पर ईमान लाने और मूसा अलैहिस्सलाम के लाए हुए संदेश को मानने से अभिमान करते रहे। और वे ऐसे लोग थे जो पाप किया करते थे, वे न असत्य दूर रहते थे और न सत्य की राह पकड़ते थे।
અરબી તફસીરો:
وَلَمَّا وَقَعَ عَلَیْهِمُ الرِّجْزُ قَالُوْا یٰمُوْسَی ادْعُ لَنَا رَبَّكَ بِمَا عَهِدَ عِنْدَكَ ۚ— لَىِٕنْ كَشَفْتَ عَنَّا الرِّجْزَ لَنُؤْمِنَنَّ لَكَ وَلَنُرْسِلَنَّ مَعَكَ بَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ ۟ۚ
और जब उनपर ये सारी यातनाएँ आ पड़ीं, तो वे मूसा अलैहिस्सलाम के पास पहुँचे और कहने लगे : ऐ मूसा! तुम अपने पालनहार से, उस नुबुव्वत के हवाले से जो उसने तुम्हें प्रदान की है और उसके हवाले से जो उसने तौबा के द्वारा यातना दूर करने का तुमहें वचन दिया है, हमारे लिए दुआ करो कि हमारे ऊपर आई हुई यातना को हमसे दूर कर दे। अगर तुमने हमसे यह यातना दूर कर दी, तो अवश्य ही हम तुमपर ईमान ले आएँगे और बनी इसराईल को आज़ाद करके तुम्हारे साथ भेज देंगे।
અરબી તફસીરો:
فَلَمَّا كَشَفْنَا عَنْهُمُ الرِّجْزَ اِلٰۤی اَجَلٍ هُمْ بٰلِغُوْهُ اِذَا هُمْ یَنْكُثُوْنَ ۟
फिर जब हम उन्हें सागर में डुबोकर विनष्ट करने से पहले, एक निश्चित अवधि के लिए उनसे यातना को दूर कर देते, तो अचानक वे मूसा अलैहिस्सलाम पर ईमान लाने और बनी इसराईल को भेजने का अपना किया हुआ वादा तोड़ देत। चुनाँचे वे अपने कुफ़्र ही पर क़ायम रहते और बनी इसराईल को मूसा अलैहिस्सलाम के साथ भेजने से मुकर जाते।
અરબી તફસીરો:
فَانْتَقَمْنَا مِنْهُمْ فَاَغْرَقْنٰهُمْ فِی الْیَمِّ بِاَنَّهُمْ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا وَكَانُوْا عَنْهَا غٰفِلِیْنَ ۟
फिर जब उनके विनाश का निश्चित समय आ गया, तो हमने उन्हें समुद्र में डुबोकर उनपर अपनी सज़ा उतार दी, क्योंकि उन्होंने अल्लाह की निशानियों को झुठलाया और उनसे इंगति होने वाले उस सत्य से उपेक्षा किया था, जिसमें कोई संदेह नहीं।
અરબી તફસીરો:
وَاَوْرَثْنَا الْقَوْمَ الَّذِیْنَ كَانُوْا یُسْتَضْعَفُوْنَ مَشَارِقَ الْاَرْضِ وَمَغَارِبَهَا الَّتِیْ بٰرَكْنَا فِیْهَا ؕ— وَتَمَّتْ كَلِمَتُ رَبِّكَ الْحُسْنٰی عَلٰی بَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ ۙ۬— بِمَا صَبَرُوْا ؕ— وَدَمَّرْنَا مَا كَانَ یَصْنَعُ فِرْعَوْنُ وَقَوْمُهٗ وَمَا كَانُوْا یَعْرِشُوْنَ ۟
हमने बनी इसराईल को, जिन्हें फिरऔन और उसकी जाति के लोग कमज़ोर समझ रहे थे, धरती के पूर्व और पश्चिम के भूभागों का वारिस बना दिया। इस धरती से अभिप्राय शाम के देश (लेवंत) हैं, ये वे देश हैं जिनमें अल्लाह ने उनकी फसलों और फलों को पूरी तरह से पैदा करके बरकत रखी है। और इस प्रकार (ऐ नबी!) आपके पालनहार की सर्वश्रेष्ठ बात पूरी हो गई। वह बात अल्लाह सर्वशक्तिमान के इस कथन में उल्लिखित है : {وَنُرِيدُ أَن نَّمُنَّ عَلَى الَّذِينَ اسْتُضْعِفُوا فِي الْأَرْضِ وَنَجْعَلَهُمْ أَئِمَّةً وَنَجْعَلَهُمُ الْوَارِثِينَ} (القصص: ٥) ''हम चाहते हैं कि उन लोगों पर उपकार करें, जो धरती में कमज़ोर समझ लिए गए थे और उन्हें 'इमाम' बना दें और उन्हें वारिस बना दें।'' (सूरतुल-क़सस : 5)। अतः अल्लाह ने उन्हें फ़िरऔन और उसकी जाति की ओर से पहुँचने वाले कष्ट पर धैर्य के कारण धरती में प्रभुत्व प्रदान कर दिया। तथा हमने फ़िरऔन के बनाए हुए खेतों तथा घरों और उनके द्वारा निर्मित महलों को ध्वस्त कर दिया।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• الخير والشر والحسنات والسيئات كلها بقضاء الله وقدره، لا يخرج منها شيء عن ذلك.
• अच्छा और बुरा तथा नेकियाँ और बुराइयाँ सब अल्लाह के निर्णय और उसकी तक़दीर (नियति) के अनुसार होती हैं। इनमें से कोई भी चीज़ उससे बाहर नहीं हो सकती।

• شأن الناس في وقت المحنة والمصائب اللجوء إلى الله بدافع نداء الإيمان الفطري.
• संकट और विपत्तियों के समय लोग ईमान की अंतर्निहित (स्वभाविक) आह्वान से प्रेरित अल्लाह का सहारा लेते हैं।

• يحسن بالمؤمن تأمل آيات الله وسننه في الخلق، والتدبر في أسبابها ونتائجها.
• मोमिन को चाहिए कि अल्लाह की निशानियों और सृष्टि के बारे में उसकी रीतियों पर विचार करे और उनके कारणों और परिणामों के बारे में चिंतन करे।

• تتلاشى قوة الأفراد والدول أمام قوة الله العظمى، والإيمان بالله هو مصدر كل قوة.
• अल्लाह की महान शक्ति के सामने व्यक्तियों और राज्यों की शक्ति लुप्त हो जाती है, और अल्लाह पर ईमान ही हर शक्ति का स्रोत है।

• يكافئ الله تعالى عباده المؤمنين الصابرين بأن يمكِّنهم في الأرض بعد استضعافهم.
• अल्लाह अपने धीरज रखने वाले मोमिन बंदों को यह बदला देता है कि उन्हें कमज़ोर समझ लिए जाने के बाद धरती में प्रभुत्व प्रदान करता है।

وَجٰوَزْنَا بِبَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ الْبَحْرَ فَاَتَوْا عَلٰی قَوْمٍ یَّعْكُفُوْنَ عَلٰۤی اَصْنَامٍ لَّهُمْ ۚ— قَالُوْا یٰمُوْسَی اجْعَلْ لَّنَاۤ اِلٰهًا كَمَا لَهُمْ اٰلِهَةٌ ؕ— قَالَ اِنَّكُمْ قَوْمٌ تَجْهَلُوْنَ ۟
और हमने बनी इसराईल को समुद्र पार करा दिया, जब मूसा ने उसमें अपनी लाठी मारी और वह फट गया। चुनाँचे उसे पार करने के बाद वे ऐसी जाति के पास से गुज़रे, जो अपनी कुछ मूर्तियों की पूजा में लगी हुई थी, जिन्हें वह अल्लाह को छोड़कर पूजती थी। उसे देखकर बनी इसराईल ने मूसा अलैहिस्सलाम से कहा : ऐ मूसा! हमारे लिए एक ऐसी मूर्ति बना दीजिए जिसकी हम पूज करें, जैसे कि इन लोगों के पास कुछ मूर्तियों हैं, जिनकी वे अल्लाह के सिवा पूजा करते हैं। तो मूसा अलैहिस्सलाम ने उनसे कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! निश्चय तुम ऐसे लोग हो जो इस बात से अनभिज्ञ हो कि अल्लाह के लिए क्या सम्मान और एकेश्वरवाद अनिवार्य है, और उसके लिए क्या चीज़ अशोभनीय है जैसे कि शिर्क और उसके अलावा की पूजा।
અરબી તફસીરો:
اِنَّ هٰۤؤُلَآءِ مُتَبَّرٌ مَّا هُمْ فِیْهِ وَبٰطِلٌ مَّا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟
ये लोग जो अपनी मूर्तियों की पूजा में लगे हुए हैं, वे अल्लाह के अलावा की पूजा के जिस काम में लगे हुए हैं, वह नष्ट किया जाने वाला है और वे जो कुछ नेकी के कार्य करते चले आ रहे हैं, वह व्यर्थ (अमान्य) है, क्योंकि उन्होंने इबादत में अल्लाह के साथ दूसरों को साझी बनाया है।
અરબી તફસીરો:
قَالَ اَغَیْرَ اللّٰهِ اَبْغِیْكُمْ اِلٰهًا وَّهُوَ فَضَّلَكُمْ عَلَی الْعٰلَمِیْنَ ۟
मूसा अलैहिस्सलाम ने अपनी जाति से कहा : मैं तुम्हारे लिए भला अल्लाह के सिवा कोई पूज्य कैसे तलाश करूँ, जिसकी तुम इबादत करो, जबकि तुमने अल्लाह की बड़ी-बड़ी निशानियाँ देखी हैं, और अल्लाह ने तुम्हारे दुश्मनों को विनष्ट करके और तुम्हें धरती का उत्तराधिकारी बनाकर और उसमें तुम्हें प्रभुत्व प्रदान करके, तुम्हें तुम्हारे समय के सारे संसार वासियों पर श्रेष्ठता प्रदान की है?!
અરબી તફસીરો:
وَاِذْ اَنْجَیْنٰكُمْ مِّنْ اٰلِ فِرْعَوْنَ یَسُوْمُوْنَكُمْ سُوْٓءَ الْعَذَابِ ۚ— یُقَتِّلُوْنَ اَبْنَآءَكُمْ وَیَسْتَحْیُوْنَ نِسَآءَكُمْ ؕ— وَفِیْ ذٰلِكُمْ بَلَآءٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ عَظِیْمٌ ۟۠
तथा (ऐ बनी इसराईल!) वह समय याद करो, जब हमने तुम्हें फ़िरऔन और उसकी जाति के अपमानजनक व्यवहार से बचाकर तुम्हें मुक्ति दिलाई, क्योंकि वे तुम्हें तरह-तरह से सताते थे; तुम्हारे पुत्रों को बुरी तरह क़त्ल कर देते थे और तुम्हारी स्त्रियों को अपनी सेवा के लिए जीवित रहने देते थे। तथा तुम्हें फ़िरऔन और उसकी जाति के चंगुल से मुक्त करने की इस घटना में तुम्हारे पालनहार की ओर से बहुत बड़ी परीक्षा है, जिसके लिए तुम्हें आभार प्रकट करने की आवश्यकता है।
અરબી તફસીરો:
وَوٰعَدْنَا مُوْسٰی ثَلٰثِیْنَ لَیْلَةً وَّاَتْمَمْنٰهَا بِعَشْرٍ فَتَمَّ مِیْقَاتُ رَبِّهٖۤ اَرْبَعِیْنَ لَیْلَةً ۚ— وَقَالَ مُوْسٰی لِاَخِیْهِ هٰرُوْنَ اخْلُفْنِیْ فِیْ قَوْمِیْ وَاَصْلِحْ وَلَا تَتَّبِعْ سَبِیْلَ الْمُفْسِدِیْنَ ۟
अल्लाह ने अपने रसूल मूसा अलैहिस्सलाम से बात करने के लिए, उनसे तीस रातों का वादा किया और फिर दस रातें बढ़ाकर यह अवधि पूरी कर दी। इस तरह यह (अवधि) चालीस रातों की हो गई। तथा मूसा ने अपने भाई हारून से, अपने पालनहार से बात करने के लिए जाते समय कहा : ऐ हारून! मेरी जाति में मेरा उत्तराधिकारी बनकर रहना और उनके मामलों को अच्छी नीति और उनके साथ नरमी के व्यवहार के साथ ठीक रखना, और पापों को अंजाम देकर भ्रष्टाचारियों के रास्ते पर मत चलना और अवज्ञाकारियों का सहायक मत बनना।
અરબી તફસીરો:
وَلَمَّا جَآءَ مُوْسٰی لِمِیْقَاتِنَا وَكَلَّمَهٗ رَبُّهٗ ۙ— قَالَ رَبِّ اَرِنِیْۤ اَنْظُرْ اِلَیْكَ ؕ— قَالَ لَنْ تَرٰىنِیْ وَلٰكِنِ انْظُرْ اِلَی الْجَبَلِ فَاِنِ اسْتَقَرَّ مَكَانَهٗ فَسَوْفَ تَرٰىنِیْ ۚ— فَلَمَّا تَجَلّٰی رَبُّهٗ لِلْجَبَلِ جَعَلَهٗ دَكًّا وَّخَرَّ مُوْسٰی صَعِقًا ۚ— فَلَمَّاۤ اَفَاقَ قَالَ سُبْحٰنَكَ تُبْتُ اِلَیْكَ وَاَنَا اَوَّلُ الْمُؤْمِنِیْنَ ۟
जब मूसा अलैहिस्सलाम अपने पालनहार से बात करने के लिए उसके लिए निर्धारित समय पर अर्थात् चालीस रातें पूरी होने के बाद आए, और उनके पालनहार ने उनसे आदेशों, निषेधों और अन्य चीजों के बारे में बात की, तो मूसा अलैहिस्सलाम के मन में अपने पालनहार को देखने की लालसा पैदा हुई और उससे अपना दर्शन कराने का अनुरोध कर दिया। तो अल्लाह ने उसे जवाब दिया : तुम दुनिया के जीवन में मुझे कदापि नहीं देखोगे। क्योंकि तुम्हारे पास इसकी क्षमता नहीं है। लेकिन पहाड़ को देखो, जब मैं खुद को उसके सामने प्रकट करूँ। अगर वह अपने स्थान पर स्थिर रहा, प्रभावित नहीं हुआ, तो तुम मुझे देख लोगे। और अगर वह धरती के साथ समतल हो गया, तो तुम मुझे इस संसार में हरगिज़ नहीं देख सकोगे। चुनाँचे जब अल्लाह ने स्वयं को पहाड़ पर प्रकट किया, तो उसे धरती के साथ समतल कर दिया, और मूसा अलैहिस्सलाम बेहोश होकर गिर पड़े। फिर जब होश में आए तो कहने लगे : (ऐ मेरे पालनहार!) मैं तुझे उन सभी चीज़ों से पवित्र मानता हूँ, जो तेरे लिए शोभनीय नहीं हैं। देख, मैं दुनिया में तेरे दर्शन की माँग करने की भूल से तौबा करता हूँ और मैं अपनी जाति का प्रथम मोमिन व्यक्ति हूँ।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• تؤكد الأحداث أن بني إسرائيل كانوا ينتقلون من ضلالة إلى أخرى على الرغم من وجود نبي الله موسى بينهم.
• घटनाएँ इस बात की पुष्टि करती हैं कि बनी इसराईल उनके बीच अल्लाह के नबी मूसा अलैहिस्सलाम की उपस्थिति के बावजूद एक गुमराही से दूसरी में पड़ते रहते थे।

• من مظاهر خذلان الأمة أن تُحَسِّن القبيح، وتُقَبِّح الحسن بمجرد الرأي والأهواء.
• उम्मत की विफलता का एक दृश्य यह भी है कि वह मात्र अपनी राय और इच्छाओं के आधार पर ग़लत को सही और सही को ग़लत ठहराने लगे।

• إصلاح الأمة وإغلاق أبواب الفساد هدف سام للأنبياء والدعاة.
• उम्मत को सुधारना और बिगाड़ (भ्रष्टाचार) के द्वार को बंद करना नबियों और धर्म-प्रचारकों का एक महान लक्ष्य है।

• قضى الله تعالى ألا يراه أحد من خلقه في الدنيا، وسوف يكرم من يحب من عباده برؤيته في الآخرة.
• अल्लाह ने फैसला किया है कि उसकी कोई भी मख़लूक़ उसे दुनिया में नहीं देखेगी, और आख़िरत में वह अपने बंदों में से जिससे प्रेम करता है, उसे अपने दर्शन से सम्मानित करेगा।

قَالَ یٰمُوْسٰۤی اِنِّی اصْطَفَیْتُكَ عَلَی النَّاسِ بِرِسٰلٰتِیْ وَبِكَلَامِیْ ۖؗ— فَخُذْ مَاۤ اٰتَیْتُكَ وَكُنْ مِّنَ الشّٰكِرِیْنَ ۟
अल्लाह ने कहा : ऐ मूसा! मैंने तुम्हें चुन लिया और अपने संदेशों के साथ लोगों पर तुम्हें श्रेष्ठता प्रदान की जब मैंने तुम्हें उनके पास भेजा, और मैंने तुम्हें बिना किसी मध्यस्थ के अपनी वार्ता का सौभाग्य प्रदान किया। अतः हमारे दिए हुए इस उदार सम्मान को ले लो और इस महान प्रदान पर अल्लाह का शुक्रिया अदा करने वालों में से हो जाओ।
અરબી તફસીરો:
وَكَتَبْنَا لَهٗ فِی الْاَلْوَاحِ مِنْ كُلِّ شَیْءٍ مَّوْعِظَةً وَّتَفْصِیْلًا لِّكُلِّ شَیْءٍ ۚ— فَخُذْهَا بِقُوَّةٍ وَّاْمُرْ قَوْمَكَ یَاْخُذُوْا بِاَحْسَنِهَا ؕ— سَاُورِیْكُمْ دَارَ الْفٰسِقِیْنَ ۟
हमने मूसा के लिए लकड़ी अथवा अन्य किसी वस्तु से बनी तख़्तियों में, हर वह चीज़ लिख दी, जिसकी बनी इसराईल को उनके धर्म और दुनिया के मामलों में ज़रूरत थी, ताकि उनमें से उपदेश ग्रहण करने वालों के लिए उपदेश और उन नियमों का विवरण हो जाए, जिनके विवरण की आवश्यकता हो। अब (ऐ मूसा!) इस तौरात को पूरी शक्ति से थाम लो, और अपनी जाति बनी इसराईल को आदेश दो कि वे इसकी उत्तम चीज़ों को पकड़ लें, जिनका बदला बहुत बड़ा है, जैसे आदेशों का संपूर्ण तरीके से पालन करना, और जैसे कि धैर्य रखना और माफ़ करना। मैं शीघ्र ही तुम्हें उन लोगों का परिणाम दिखाऊँगा, जिन्होंने मेरे आदेश का उल्लंघन किया और मेरी आज्ञाकारिता से निकल गए, तथा उन्हें किस तरह के विनाश और तबाही का सामना करना पड़ेगा।
અરબી તફસીરો:
سَاَصْرِفُ عَنْ اٰیٰتِیَ الَّذِیْنَ یَتَكَبَّرُوْنَ فِی الْاَرْضِ بِغَیْرِ الْحَقِّ ؕ— وَاِنْ یَّرَوْا كُلَّ اٰیَةٍ لَّا یُؤْمِنُوْا بِهَا ۚ— وَاِنْ یَّرَوْا سَبِیْلَ الرُّشْدِ لَا یَتَّخِذُوْهُ سَبِیْلًا ۚ— وَاِنْ یَّرَوْا سَبِیْلَ الْغَیِّ یَتَّخِذُوْهُ سَبِیْلًا ؕ— ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا وَكَانُوْا عَنْهَا غٰفِلِیْنَ ۟
मैं संसार एवं इनसान के अंदर मौजूद अपनी निशानियों से सीख ग्रहण करने और मेरी किताब की आयतों को समझने से उन लोगों को विचलित कर दूँगा, जो अल्लाह के बंदों पर और सत्य पर नाहक़ अभिमान करते हैं। और जिनका हाल यह है कि यदि वे हर प्रकार की निशानियाँ देखते हैं, तो भी उन्हें नहीं मानते हैं; क्योंकि वे उनपर आपत्ति करते और उनसे मुँह फेरते हैं, तथा इसलिए भी कि वे अल्लाह और उसके रसूल का विरोध करते हैं। और यदि वे सत्य का मार्ग देखते हैं, जो अल्लाह की प्रसन्नता की ओर ले जाता है, तो वे उसका पालन नहीं करते हैं और न उसमें कोई दिलचस्पी रखते हैं। और अगर वे अल्लाह के क्रोध की ओर ले जाने वाले गुमराही के रास्ते को देखते हैं, तो उसका अनुसरण करते हैं। यह मुसीबत जो उनपर आई, केवल इस कारण आई कि उन्होंने रसूलों के लाए हुए संदेश की सच्चाई को दर्शाने वाली अल्लाह की महान निशानियों को झुठलाया, और इसलिए कि उन्होंने उनपर सोच-विचार करने से उपेक्षा की।
અરબી તફસીરો:
وَالَّذِیْنَ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا وَلِقَآءِ الْاٰخِرَةِ حَبِطَتْ اَعْمَالُهُمْ ؕ— هَلْ یُجْزَوْنَ اِلَّا مَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟۠
जिन लोगों ने हमारे रसूलों की सच्चाई को दर्शाने वाली हमारी आयतों को झुठलाया तथा क़ियामत के दिन अल्लाह से मिलने को झुठलाया, उनके वे कर्म व्यर्थ हो गए, जो इबादत के वर्ग से हैं। चुनाँचे उन्हें उनका प्रतिफल नहीं मिलेगा। क्योंकि उसकी शर्त अर्थ ईमान ही मौजूद नहीं है। और क़ियामत के दिन उन्हें उसी कुफ़्र और शिर्क का बदला दिया जाएगा, जो वे किया करते थे। और उसका बदला हमेशा के लिए जहन्नम में रहना है।
અરબી તફસીરો:
وَاتَّخَذَ قَوْمُ مُوْسٰی مِنْ بَعْدِهٖ مِنْ حُلِیِّهِمْ عِجْلًا جَسَدًا لَّهٗ خُوَارٌ ؕ— اَلَمْ یَرَوْا اَنَّهٗ لَا یُكَلِّمُهُمْ وَلَا یَهْدِیْهِمْ سَبِیْلًا ۘ— اِتَّخَذُوْهُ وَكَانُوْا ظٰلِمِیْنَ ۟
जब मूसा अलैहिस्सलाम अपने पालनहार से बात करने के लिए गए, तो उनकी जाति के लोगों ने अपने गहनों से बछड़े की एक मूर्ति बना ली, जिसमें कोई आत्मा नहीं थी, जबकि उसकी एक आवाज़ थी। क्या उन्हें पता नहीं कि यह बछड़ा न तो उनसे बात करता है, न किसी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष भलाई का मार्ग दिखाता है और न उन्हें कोई लाभ पहुँचाता है या उनसे कोई हानि दूर करता है?! उन्होंने उसे पूज्य बना लिया तथा ऐसा करके वे अपने ऊपर अत्याचार करने वाले थे।
અરબી તફસીરો:
وَلَمَّا سُقِطَ فِیْۤ اَیْدِیْهِمْ وَرَاَوْا اَنَّهُمْ قَدْ ضَلُّوْا ۙ— قَالُوْا لَىِٕنْ لَّمْ یَرْحَمْنَا رَبُّنَا وَیَغْفِرْ لَنَا لَنَكُوْنَنَّ مِنَ الْخٰسِرِیْنَ ۟
और जब वे (अपने किए पर) लज्जित और चकित हुए तथा समझ गए कि वे अल्लाह के साथ बछड़े को पूज्य बनाने के कारण सही मार्ग से भटक गए हैं, तो अल्लाह से विनयपूर्वक प्रार्थना करते हुए कहने लगे : यदि हमारे पालनहार ने अपने आज्ञापालन की तौफ़ीक़ देकर हमपर दया नहीं की, और हमने बछड़े की पूजा करके जो पाप किया है, उसे क्षमा नहीं किया, तो हम निश्चित रूप से उन लोगों में से हो जाएँगे जिन्होंने अपनी दुनिया और आख़िरत दोनों का घाटा किया।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• على العبد أن يكون من المُظْهِرين لإحسان الله وفضله عليه، فإن الشكر مقرون بالمزيد.
• बंदे को चाहिए कि अपने ऊपर अल्लाह के उपकार और उसके अनुग्रह को अभिव्यक्त करने वालों में से हो। क्योंकि शुक्रिया अदा करने से और अधिक मिलता है।

• على العبد الأخذ بالأحسن في الأقوال والأفعال.
• बंदे को चाहिए कि सर्वश्रेष्ठ बात एवं कार्य को अपनाए।

• يجب تلقي الشريعة بحزم وجد وعزم على الطاعة وتنفيذ ما ورد فيها من الصلاح والإصلاح ومنع الفساد والإفساد.
• शरीयत को दृढ़ता, तत्परता और पालन करने के दृढ़ संकल्प के साथ प्राप्त किया जाना चाहिए तथा उसमें वर्णित धार्मिकता और सुधार का कार्यान्वयन तथा भ्रष्टाचार और बिगाड़ को रोकने भ्रष्टाचार की रोकथाम।

• على العبد إذا أخطأ أو قصَّر في حق ربه أن يعترف بعظيم الجُرْم الذي أقدم عليه، وأنه لا ملجأ من الله في إقالة عثرته إلا إليه.
• बंदे के लिए ज़रूरी है कि जब उससे अपने रब का हक़ अदा करने में कोई ग़लती या कोताही हो जाए, तो उसे अपने द्वारा किए गए गंभीर अपराध को स्वीकार करना चाहिए और यह कि उसकी ग़लती को अल्लाह के सिवा कोई माफ़ नहीं कर सकता।

وَلَمَّا رَجَعَ مُوْسٰۤی اِلٰی قَوْمِهٖ غَضْبَانَ اَسِفًا ۙ— قَالَ بِئْسَمَا خَلَفْتُمُوْنِیْ مِنْ بَعْدِیْ ۚ— اَعَجِلْتُمْ اَمْرَ رَبِّكُمْ ۚ— وَاَلْقَی الْاَلْوَاحَ وَاَخَذَ بِرَاْسِ اَخِیْهِ یَجُرُّهٗۤ اِلَیْهِ ؕ— قَالَ ابْنَ اُمَّ اِنَّ الْقَوْمَ اسْتَضْعَفُوْنِیْ وَكَادُوْا یَقْتُلُوْنَنِیْ ۖؗ— فَلَا تُشْمِتْ بِیَ الْاَعْدَآءَ وَلَا تَجْعَلْنِیْ مَعَ الْقَوْمِ الظّٰلِمِیْنَ ۟
जब मूसा अलैहिस्सलाम अपने पालनहार से वार्तालाप करके अपनी जाति के पास इस हाल में वापस आए कि वह उन्हें बछड़े की इबादत में लीन पाकर उन पर क्रोध और शोक से भरे हुए थे, तो कहने लगे : यह बहुत बुरी स्थिति है जिसके साथ तुमने (ऐ मेरी जाति के लोगो!) मेरे जाने के बाद मेरा उत्तराधिकार निभाया है, क्योंकि इसका परिणाम विनाश और दुर्भाग्य है। क्या तुम मेरी प्रतीक्षा करते-करते थक गए थे, तो बछड़े की पूजा करने लगे?! उन्होंने अपने क्रोध और शोक की तीव्रता से तख़्तियाँ फेंक दीं और अपने भाई हारून का सिर और दाढ़ी पकड़कर अपनी ओर खींचने लगे, क्योंकि वह उनके साथ रहे और उन्हें बछड़े की पूजा करते देखकर उन्हें नहीं रोका। ऐसे में हारून अलैहिस्सलाम ने मूसा अलैहिस्सलाम के आगे अपनी सफ़ाई पेश करते हुए और नर्म व्यवहार का मुतालबा करते हुए कहा : ऐ मेरी माँ के बेटे! मेरी जाति के लोगों ने मुझे कमज़ोर समझकर दबा दिया और निकट था कि मुझे मार डालते। अतः मुझे ऐसी सज़ा न दें जो मेरे शत्रुओं को प्रसन्न करे, और मुझपर अपने क्रोध के कारण मुझे उन लोगों में शामिल न करें, जो अल्लाह के सिवा अन्य की पूजा के कारण अत्याचारी हैं।
અરબી તફસીરો:
قَالَ رَبِّ اغْفِرْ لِیْ وَلِاَخِیْ وَاَدْخِلْنَا فِیْ رَحْمَتِكَ ۖؗ— وَاَنْتَ اَرْحَمُ الرّٰحِمِیْنَ ۟۠
मूसा ने अपने पालनहार से प्रार्थना करते हुए कहा : ऐ मेरे पालनहार! मुझे तथा मेरे भाई हारून को क्षमा कर दे और हमें अपनी दया में दाखिल कर दे और उसे इस तरह कर दे कि हर तरफ़ से हमें घेरे हुए हो। और तू (ऐ हमारे पालनहार!) हमपर हर दया करने वाले से अधिक दया करने वाला है।
અરબી તફસીરો:
اِنَّ الَّذِیْنَ اتَّخَذُوا الْعِجْلَ سَیَنَالُهُمْ غَضَبٌ مِّنْ رَّبِّهِمْ وَذِلَّةٌ فِی الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا ؕ— وَكَذٰلِكَ نَجْزِی الْمُفْتَرِیْنَ ۟
जिन लोगों ने बछड़े को पूज्य बनाकर उसकी पूजा शुरू कर दी, वे अपने पालनहार को क्रुद्ध करने और इसके द्वारा उसका अपमान करने के कारण, शीघ्र ही अपने पालनहार की ओर से सख़्त क्रोध और इस सांसारिक जीवन में अपमान से पीड़ित होंगे। और हम अल्लाह पर झूठ गढ़ने वालों को इसी तरह का बदला देते हैं।
અરબી તફસીરો:
وَالَّذِیْنَ عَمِلُوا السَّیِّاٰتِ ثُمَّ تَابُوْا مِنْ بَعْدِهَا وَاٰمَنُوْۤا ؗ— اِنَّ رَبَّكَ مِنْ بَعْدِهَا لَغَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟
जिन लोगों ने बुरे कर्म किए, जैसे अल्लाह के साथ शिर्क और पाप करना आदि, फिर अल्लाह की ओर लौट आए, अर्थात् उसपर ईमान ले आए और जो पाप किया करते थे उससे रुक गए, तो (ऐ नबी!) निश्चय आपका पालनहार इस तौबा और शिर्क से ईमान की ओर तथा पापों से आज्ञाकारिता की ओर वापसी के बाद अवश्य उनके गुनाहों को माफ़ करने वाला, उनपर दया करने वाला है।
અરબી તફસીરો:
وَلَمَّا سَكَتَ عَنْ مُّوْسَی الْغَضَبُ اَخَذَ الْاَلْوَاحَ ۖۚ— وَفِیْ نُسْخَتِهَا هُدًی وَّرَحْمَةٌ لِّلَّذِیْنَ هُمْ لِرَبِّهِمْ یَرْهَبُوْنَ ۟
फिर जब मूसा अलैहिस्सलाम का क्रोध शांत हो गया, तो उसने उन तख़्तियों को उठा लिया, जिन्हें उसने क्रोध में आकर फेंक दिया था। ये तख़्तियाँ पथभ्रष्टता से मार्गदर्शन और सत्य के बयान पर आधारित थीं, तथा उन लोगों के लिए दया पर आधारित थीं, जो अपने पालनहार का भय रखते और उसकी यातना से डरते हैं।
અરબી તફસીરો:
وَاخْتَارَ مُوْسٰی قَوْمَهٗ سَبْعِیْنَ رَجُلًا لِّمِیْقَاتِنَا ۚ— فَلَمَّاۤ اَخَذَتْهُمُ الرَّجْفَةُ قَالَ رَبِّ لَوْ شِئْتَ اَهْلَكْتَهُمْ مِّنْ قَبْلُ وَاِیَّایَ ؕ— اَتُهْلِكُنَا بِمَا فَعَلَ السُّفَهَآءُ مِنَّا ۚ— اِنْ هِیَ اِلَّا فِتْنَتُكَ ؕ— تُضِلُّ بِهَا مَنْ تَشَآءُ وَتَهْدِیْ مَنْ تَشَآءُ ؕ— اَنْتَ وَلِیُّنَا فَاغْفِرْ لَنَا وَارْحَمْنَا وَاَنْتَ خَیْرُ الْغٰفِرِیْنَ ۟
और मूसा अलैहिस्सलाम ने अपनी जाति के सत्तर नेक लोगों को चुन लिया, ताकि वे अपने पालनहार से उस गुनाह की क्षमा माँगें, जो उनके मूर्खों ने बछड़े की पूजा की है। और अल्लाह ने उनसे एक निर्धारित समय का वादा किया जिसमें वे उपस्थित हों। लेकिन जब वे उपस्थित हुए, तो अल्लाह पर दुस्साहस कर बैठे और मूसा अलैहिस्सलाम से मुतालबा किया कि उन्हें आँखों से (खुल्लम-खुल्ला) अल्लाह का दर्शन कराएँ। इसपर उन्हें भूकंप ने अपनी चपेट में ले लिया और वे उसकी भयावहता से बेहोश होकर मर गए। ऐसे में मूसा ने अपने पालनहार से विनयपूर्वक विनती करते हुए कहा : ऐ मेरे पालनहार! अगर तू उन्हें तथा उनके साथ मुझे उनके यहाँ आने से पहले ही विनष्ट करना चाहता, तो विनष्ट कर देता। क्या तू हमें उसके कारण विनष्ट करता है जो हममें से अल्प बुद्धि वाले लोगों ने किया है? दरअसल मेरी जाति के लोगों का बछड़े की पूजा में लगना एक आज़माइश और परीक्षा है, जिसके द्वारा तू जिसे चाहता है, मार्ग से हटा देता है और जिसे चाहता है, सीधे रास्ते पर लगा देता है। तू ही हमारे मामले का संरक्षक है। अतः हमारे गुनाहों को क्षमा कर दे, और अपनी व्यापक दया के साथ हम पर दया कर। तू ही सबसे बेहतर पाप को क्षमा करने वाला और गुनाह को माफ़ करने वाला है।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• في الآيات دليل على أن الخطأ في الاجتهاد مع وضوح الأدلة لا يعذر فيه صاحبه عند إجراء الأحكام عليه، وهو ما يسميه الفقهاء بالتأويل البعيد.
• इन आयतों में इस बात का प्रमाण है कि स्पष्ट प्रमाणों के होते हुए इजतिहाद में ग़लती करने वाला उसपर हुक्म लागू करते समय क्षम्य नहीं होगा। इसी को इस्लामिक विद्वान 'तावीले बईद' (दूर की व्याख्या) का नाम देते हैं।

• من آداب الدعاء البدء بالنفس، حيث بدأ موسى عليه السلام دعاءه فطلب المغفرة لنفسه تأدُّبًا مع الله فيما ظهر عليه من الغضب، ثم طلب المغفرة لأخيه فيما عسى أن يكون قد ظهر منه من تفريط أو تساهل في رَدْع عَبَدة العجل عن ذلك.
• दुआ के शिष्टाचार में से एक यह है कि इनसान पहले अपने लिए दुआ करे, जैसा कि मूसा अलैहिस्सलाम ने अपनी दुआ शुरू की, तो पहले खुद अपने लिए क्षमा माँगी अल्लाह के साथ उस क्रोध के लिए शिष्टाचार अपनाते हुए जो उनसे प्रकट हुआ था, फिर अपने भाई के लिए माफ़ी तलब की, क्योंकि संभव है कि उनसे बछड़े की पूजा करने वालों को उससे रोकने में लापरवाही या ढिलाई हुई हो।

• التحذير من الغضب وسلطته على عقل الشخص؛ ولذلك نسب الله للغضب فعل السكوت كأنه هو الآمر والناهي.
• क्रोध तथा आदमी के दिमाग पर उसके प्रभुत्व (प्रबल प्रभाव) से सावधान करना। इसीलिए अल्लाह ने क्रोध की ओर 'मौन' (खामोश होने) के कार्य की निसबत की है। मानो कि वही आदेश देने वाला और निषेध करने वाला है।

• ضرورة التوقي من غضب الله، وخوف بطشه، فانظر إلى مقام موسى عليه السلام عند ربه، وانظر خشيته من غضب ربه.
• अल्लाह के क्रोध से बचने और उसकी पकड़ से डरने की आवश्यकता। चुनाँचे देखें कि मूसा अलैहिस्सलाम को अपने रब के पास क्या स्थान प्राप्त है, फिर भी वह अपने पालनहार के क्रोध से कितना सहमे हुए हैं।

وَاكْتُبْ لَنَا فِیْ هٰذِهِ الدُّنْیَا حَسَنَةً وَّفِی الْاٰخِرَةِ اِنَّا هُدْنَاۤ اِلَیْكَ ؕ— قَالَ عَذَابِیْۤ اُصِیْبُ بِهٖ مَنْ اَشَآءُ ۚ— وَرَحْمَتِیْ وَسِعَتْ كُلَّ شَیْءٍ ؕ— فَسَاَكْتُبُهَا لِلَّذِیْنَ یَتَّقُوْنَ وَیُؤْتُوْنَ الزَّكٰوةَ وَالَّذِیْنَ هُمْ بِاٰیٰتِنَا یُؤْمِنُوْنَ ۟ۚ
हमें उन लोगों में से बना दे, जिन्हें तूने इस जीवन में नेमतों और शांति से सम्मानित किया है और सत्कर्म की तौफ़ीक़ दी है, और आख़िरत में अपने उन नेक बंदों में से बना दे, जिनके लिए तूने जन्नत तैयार कर रखी है। निःसंदेह हमने तेरे समक्ष पश्चाताप किया और हम अपनी कमियों को स्वीकार करते हुए वापस आए हैं। इसपर अल्लाह ने फरमाया : मैं दुर्भाग्य के कारणों को अपनाने वाले लोगों में से जिसे चाहता हूँ, अपनी यातना से ग्रस्त करता हूँ, और मेरी दया इस दुनिया में हर चीज़ को व्याप्त है; अतः कोई भी प्राणी नहीं है परंतु अल्लाह की दया उसके पास पहुँच गई है और उसके अनुग्रह और उपकार ने उसे घेर रखा है। इसलिए मैं आख़िरत में अपनी दया को उन लोगों के लिए लिख दूँगा, जो अल्लाह से, उसके आदेशों का पालन करके और उसकी मना की हुई बातों से दूर रहकर डरते हैं, और जो अपने धन की ज़कात उसके हक़दारों को अदा करते हैं और जो हमारी निशानियों पर विश्वास रखते हैं।
અરબી તફસીરો:
اَلَّذِیْنَ یَتَّبِعُوْنَ الرَّسُوْلَ النَّبِیَّ الْاُمِّیَّ الَّذِیْ یَجِدُوْنَهٗ مَكْتُوْبًا عِنْدَهُمْ فِی التَّوْرٰىةِ وَالْاِنْجِیْلِ ؗ— یَاْمُرُهُمْ بِالْمَعْرُوْفِ وَیَنْهٰىهُمْ عَنِ الْمُنْكَرِ وَیُحِلُّ لَهُمُ الطَّیِّبٰتِ وَیُحَرِّمُ عَلَیْهِمُ الْخَبٰٓىِٕثَ وَیَضَعُ عَنْهُمْ اِصْرَهُمْ وَالْاَغْلٰلَ الَّتِیْ كَانَتْ عَلَیْهِمْ ؕ— فَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا بِهٖ وَعَزَّرُوْهُ وَنَصَرُوْهُ وَاتَّبَعُوا النُّوْرَ الَّذِیْۤ اُنْزِلَ مَعَهٗۤ ۙ— اُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْمُفْلِحُوْنَ ۟۠
जो लोग मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का अनुसरण करते हैं, जो कि उम्मी नबी हैं, पढ़ना एवं लिखना नही जानते, बल्कि उनपर उनके पालनहार की ओर से वह़्य की जाती है, और वह वही हैं जिनके नाम, विवरण और नुबुव्वत का उल्लेख वे मूसा अलैहिस्सलाम पर उतरने वाली तौरात तथा ईसा अलैहिस्सलाम पर उतरने वाली इंजील में पाते हैं; जो उन्हें उन बातों का आदेश देते हैं जिनका अच्छा और भला होना सर्वज्ञात है, और उन्हें उन बातों से रोकते हैं, जिनके बुरे होने की पुष्टि शुद्ध बुद्धि और सही प्रकृति भी करती है, और उनके लिए खाने-पीने और औरतों से संबंधित उन आनंददायक चीजों को वैध ठहराते हैं, जिनमें कोई नुक़सान नहीं है और उनपर उनमें से उन चीज़ों को निषिद्ध ठहराते हैं, जो गंदी और अपवित्र हैं, और उनसे उन कष्टदायक आदेशों का बोझ हटाते हैं, जो उनपर डाले जाते थे, जैसे हत्यारे की हत्या कर देना, हत्या चाहे जान-बूझकर हो या ग़लती से। अतः जो बनी इसराईल तथा अन्य लोग उनपर ईमान लाए, उनका आदर एवं सम्मान किया, और उनसे दुश्मनी रखने वाले काफ़िरों के विरुद्ध उनकी मदद की, और उस क़ुरआन का अनुसरण किया, जो उनपर मार्गदर्शक प्रकाश के रूप में उतारा गया है; तो वही लोग सफल होने वाले हैं, जो अपनी अपेक्षित चीज़ों को प्राप्त करेंगे और अपने भय की चीज़ों से मुक्ति पाएँगे।
અરબી તફસીરો:
قُلْ یٰۤاَیُّهَا النَّاسُ اِنِّیْ رَسُوْلُ اللّٰهِ اِلَیْكُمْ جَمِیْعَا ١لَّذِیْ لَهٗ مُلْكُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ۚ— لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ یُحْیٖ وَیُمِیْتُ ۪— فَاٰمِنُوْا بِاللّٰهِ وَرَسُوْلِهِ النَّبِیِّ الْاُمِّیِّ الَّذِیْ یُؤْمِنُ بِاللّٰهِ وَكَلِمٰتِهٖ وَاتَّبِعُوْهُ لَعَلَّكُمْ تَهْتَدُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप कह दें : ऐ लोगो! मैं तुम सभी की ओर, अरब हों या ग़ैर-अरब, उस अल्लाह का रसूल बनकर आया हूँ, जिसके ही हाथ में आकाशों का राज्य है और उसी के लिए धरती का राज्य है, उस पवित्र अल्लाह के सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं, वह मरे हुए लोगों को जीवित करता है, और जीवित लोगों को मौत देता है। इसलिए (ऐ लोगो!) अल्लाह पर ईमान लाओ और उसके रसूल मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर ईमान लाओ, जो ऐसे नबी हैं कि न पढ़ सकते हैं न लिख सकते हैं, बल्कि वह एक वह़्य के साथ आए हैं, जिसे उनका पालनहार उनकी ओर उतारता है, जो अल्लाह पर ईमान रखते हैं, तथा अपने ऊपर उतरने वाली पुस्तक पर ईमान रखते हैं और अपने पहले नबियों पर उतरने वाली पुस्तकों पर बिना किसी भेदभाव के ईमान रखते हैं, तथा जो कुछ वह अपने पालनहार की ओर से लाए हैं उसमें उनका अनुसरण करो, ताकि तुम वह रास्ता पा सको, जिसमें दुनिया एवं आख़िरत में तुम्हारा हित निहित है।
અરબી તફસીરો:
وَمِنْ قَوْمِ مُوْسٰۤی اُمَّةٌ یَّهْدُوْنَ بِالْحَقِّ وَبِهٖ یَعْدِلُوْنَ ۟
और मूसा की जाति बनी इसराईल में कुछ लोग ऐसे हैं, जो सही धर्म पर क़ायम हैं, लोगों को उसी का मार्गदर्शन करते और न्याय के साथ निर्णय करते हैं। अतः वे अन्याय नहीं करते हैं।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• تضمَّنت التوراة والإنجيل أدلة ظاهرة على بعثة النبي محمد صلى الله عليه وسلم وعلى صدقه.
• तौरात एवं इंजील में ईशदूत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पैग़ंबर बनाकर भेजे जाने और आपकी सच्चाई के स्पष्ट प्रमाण मौजूद हैं।

• رحمة الله وسعت كل شيء، ولكن رحمة الله عباده ذات مراتب متفاوتة، تتفاوت بحسب الإيمان والعمل الصالح.
• अल्लाह की दया हर चीज़ को शामिल है। लेकिन अपने बंदों पर उसकी दया के अलग-अलग दर्जे हैं, जो ईमान और सत्कर्म के अनुसार बदलते रहते हैं।

• الدعاء قد يكون مُجْملًا وقد يكون مُفَصَّلًا حسب الأحوال، وموسى في هذا المقام أجمل في دعائه.
• परिस्थितियों के अनुसार दुआ कभी संक्षिप्त होती है, तो कभी विस्तृत होती है। इस स्थान पर मूसा अलैहिस्सलाम ने संक्षिप्त दुआ की है।

• من صور عدل الله عز وجل إنصافه للقِلَّة المؤمنة، حيث ذكر صفات بني إسرائيل المنافية للكمال المناقضة للهداية، فربما توهَّم متوهِّم أن هذا يعم جميعهم، فَذَكَر تعالى أن منهم طائفة مستقيمة هادية مهدية.
• अल्लाह तआला के न्याय का एक स्वरूप यह है कि उसने अल्पसंख्यक ईमान वाले लोगों के साथ इंसाफ़ किया है। क्योंकि अल्लाह ने बनी इसराईल के उन गुणों का उल्लेख किया जो पूर्णता के विरुद्ध एवं मार्गदर्शन के विपरीत हैं, तो किसी को यह भ्रम हो सकता है कि बनी इसराईल के सारे लोग ही ऐसे थे। इसलिए अल्लाह ने उल्लेख किया कि उनमें से एक गिरोह ऐसा है, जो सही रास्ते पर चलने वाला, दूसरों का मार्गदर्शन करने वाला तथा स्वयं मार्गदर्शित है।

وَقَطَّعْنٰهُمُ اثْنَتَیْ عَشْرَةَ اَسْبَاطًا اُمَمًا ؕ— وَاَوْحَیْنَاۤ اِلٰی مُوْسٰۤی اِذِ اسْتَسْقٰىهُ قَوْمُهٗۤ اَنِ اضْرِبْ بِّعَصَاكَ الْحَجَرَ ۚ— فَانْۢبَجَسَتْ مِنْهُ اثْنَتَا عَشْرَةَ عَیْنًا ؕ— قَدْ عَلِمَ كُلُّ اُنَاسٍ مَّشْرَبَهُمْ ؕ— وَظَلَّلْنَا عَلَیْهِمُ الْغَمَامَ وَاَنْزَلْنَا عَلَیْهِمُ الْمَنَّ وَالسَّلْوٰی ؕ— كُلُوْا مِنْ طَیِّبٰتِ مَا رَزَقْنٰكُمْ ؕ— وَمَا ظَلَمُوْنَا وَلٰكِنْ كَانُوْۤا اَنْفُسَهُمْ یَظْلِمُوْنَ ۟
और हमने बनी इसराईल को बारह गोत्रों में बाँट दिया, और हमने मूसा की ओर वह़्य भेजी, जब उनकी जाति ने उनसे अल्लाह से यह दुआ करने के लिए कहा कि वह उन्हें पानी पिलाए : (ऐ मूसा!) अपनी लाठी को इस पत्थर पर मारो। चुनाँचे मूसा ने उसपर लाठी मारी, तो उसमें से उनके बारह क़बीलों की संख्या के अनुसार बारह स्रोत फूट निकले। उनमें से प्रत्येक क़बीले ने अपने पानी पीने का विशेष स्थान जान लिया। इसलिए कोई भी अन्य क़बीला उसके साथ उसमें साझी नहीं होता था। और हमने उनपर बादलों की छाया कर दी, जो उनके चलने के साथ चलते थे और उनके रुकने से रुक जाते थे। और उनपर शहद की तरह एक मीठा पेय तथा बटेर के समान स्वादिष्ट माँस वाला एक छोटा पक्षी उतारा। और हमने उनसे कहा : इन पवित्र चीज़ों में से, जो हमने तुम्हें प्रदान की हैं, खाओ। और उन्होंने अत्याचार और नेमतों की नाशुक्री करके और यथोचित उनका आदर न करके हमारा कुछ भी घाटा नहीं किया। परंतु वे स्वयं अपने हितों का घाटा करके अपने आप ही पर अत्याचार करते थे, जब उन्होंने अल्लाह के आदेश का उल्लंघन करके और उसकी नेमतों की अवमानना करके अपने आपको विनाश के घाट लगा दिया।
અરબી તફસીરો:
وَاِذْ قِیْلَ لَهُمُ اسْكُنُوْا هٰذِهِ الْقَرْیَةَ وَكُلُوْا مِنْهَا حَیْثُ شِئْتُمْ وَقُوْلُوْا حِطَّةٌ وَّادْخُلُوا الْبَابَ سُجَّدًا نَّغْفِرْ لَكُمْ خَطِیْٓـٰٔتِكُمْ ؕ— سَنَزِیْدُ الْمُحْسِنِیْنَ ۟
और (ऐ रसूल!) उस समय को याद करें, जब अल्लाह ने बनी इसराईल से कहा कि बैतुल मक़्दिस में प्रवेश कर जाओ, और उसकी बस्ती के फलों को किसी भी स्थान से और जिस समय भी तुम चाहो, खाओ और कहो कि : ऐ हमारे पालनहार! हमारे पाप क्षमा कर दे। तथा द्वार में झुकते हुए, अपने पालनहार के लिए विनम्रता अपनाते हुए प्रवेश करो। यदि तुमने ऐसा किया, (तो) हम तुम्हारे गुनाह क्षमा कर देंगे और सत्कर्म करने वालों को दुनिया एवं आख़िरत की भलाइयाँ और अधिक प्रदान करेंगे।
અરબી તફસીરો:
فَبَدَّلَ الَّذِیْنَ ظَلَمُوْا مِنْهُمْ قَوْلًا غَیْرَ الَّذِیْ قِیْلَ لَهُمْ فَاَرْسَلْنَا عَلَیْهِمْ رِجْزًا مِّنَ السَّمَآءِ بِمَا كَانُوْا یَظْلِمُوْنَ ۟۠
उनमें से अत्याचारियों ने, उस बात को बदल दिया जिसका उन्हें आदेश दिया गया था। चुनाँचे उन्होंने क्षमा का अनुरोध करने के बजाय "दाना बाली में" कहा। तथा उन्होंने उस कार्य को को भी बदल दिया जिसका उन्हें आदेश दिया गया था। चुनाँचे वे अल्लाह के लिए विनम्रता अपनाते हुए, अपने सिर को झुकाए हुए प्रवेश करने के बजाय अपनी पीठ के बल घिसटते हुए दाखिल हुए। अतः हमने उनके अत्याचार के कारण, उनपर आकाश से एक यातना भेज दी।
અરબી તફસીરો:
وَسْـَٔلْهُمْ عَنِ الْقَرْیَةِ الَّتِیْ كَانَتْ حَاضِرَةَ الْبَحْرِ ۘ— اِذْ یَعْدُوْنَ فِی السَّبْتِ اِذْ تَاْتِیْهِمْ حِیْتَانُهُمْ یَوْمَ سَبْتِهِمْ شُرَّعًا وَّیَوْمَ لَا یَسْبِتُوْنَ ۙ— لَا تَاْتِیْهِمْ ۛۚ— كَذٰلِكَ ۛۚ— نَبْلُوْهُمْ بِمَا كَانُوْا یَفْسُقُوْنَ ۟
तथा (ऐ रसूल!) इन यहूदियों को वह सज़ा याद दिलाने के लिए, जिसके साथ अल्लाह ने उनके पूर्वजों को दंडित किया था, उनसे उस बस्ती की कहानी पूछिए, जो समुद्र के निकट थी, जब उसके निवासी मनाही के बावजूद शनिवार के दिन शिकार करके अल्लाह की सीमाओं का उल्लंघन कर रहे थे। जब अल्लाह ने उनका इस तरह परीक्षण किया कि शनिवार के दिन मछलियाँ समुद्र की सतह पर प्रत्यक्ष होकर उनके पास आने लगीं, जबकि अन्य दिनों में वे उनके पास नहीं आती थीं। अल्लाह ने उन्हें इस प्रकार की परीक्षा में इसलिए डाला कि वे अल्लाह के आज्ञापालन के दायरे से निकल गए थे और गुनाह करने लगे थे। चुनाँचे उन्होंने मछलियों का शिकार करने के लिए यह चाल चली कि उन्होंने जाल लगा दिए और गड्ढे खोद लिए। इस तरह शनिवार के दिन मछलियाँ उन जालों फँस जाती थीं और गड्ढों में गिर जाती थीं। फिर वे रविवार के दिन उन्हें पकड़कर खा जाते थे।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• الجحود والكفران سبب في الحرمان من النعم.
• कृतघ्नता एवं नाशुक्री नेमतों से वंचित किए जाना का एक कारण है।

• من أسباب حلول العقاب ونزول العذاب التحايل على الشرع؛ لأنه ظلم وتجاوز لحدود الله.
• यातना उतरने के कारणों में से एक कारण शरई आदेश के विरुद्ध हीला और चाल बाज़ी करना है। क्योंकि यह अन्याय तथा अल्लाह की सीमाओं का उल्लंघन है।

وَاِذْ قَالَتْ اُمَّةٌ مِّنْهُمْ لِمَ تَعِظُوْنَ قَوْمَا ۙ— ١للّٰهُ مُهْلِكُهُمْ اَوْ مُعَذِّبُهُمْ عَذَابًا شَدِیْدًا ؕ— قَالُوْا مَعْذِرَةً اِلٰی رَبِّكُمْ وَلَعَلَّهُمْ یَتَّقُوْنَ ۟
और (ऐ रसूल!) उस समय को याद करें, जब उनका एक समूह उन्हें इस बुराई से रोक रहा था और उन्हें इससे सावधान कर रहा था, तो एक अन्य समूह ने उससे कहा : तुम ऐसे लोगों को क्यों नसीहत करते हो, जिन्हें अल्लाह उनके गुनाहों के कारण इस दुनिया में नष्ट करने वाला है, या क़ियामत के दिन उन्हें कठोर यातना देने वाला है? इसपर नसीहत करने वालों ने कहा : हम उन्हें नसीहत, अल्लाह के समक्ष उज़्र करने के लिए कर रहे हैं, हम भलाई का आदेश देने और बुराई से रोकने के कर्तव्य का पालन कर रहे हैं, जिसका अल्लाह ने हमें आदेश दिया है। ताकि उसे त्याग करने पर वह हमारी पकड़ न करे, और इसलिए कि शायद वे नसीहत से लाभान्वित हों और जिस पाप में लिप्त हैं, उसे छोड़ दें।
અરબી તફસીરો:
فَلَمَّا نَسُوْا مَا ذُكِّرُوْا بِهٖۤ اَنْجَیْنَا الَّذِیْنَ یَنْهَوْنَ عَنِ السُّوْٓءِ وَاَخَذْنَا الَّذِیْنَ ظَلَمُوْا بِعَذَابٍۭ بَىِٕیْسٍ بِمَا كَانُوْا یَفْسُقُوْنَ ۟
फिर जब अवज्ञाकारियों ने नसीहत करने वालों की नसीहत से मुँह फेर लिया और अपनी हरकत से बाज़ नहीं आए, तो हमने बुराई से रोकने वालों को यातना से बचा लिया और शनिवार के दिन शिकार करके अत्याचार करने वालों को, उनके अल्लाह की अवज्ञा करने और गुनाह पर अड़े रहने के कारण, गंभीर यातना में पकड़ लिया।
અરબી તફસીરો:
فَلَمَّا عَتَوْا عَنْ مَّا نُهُوْا عَنْهُ قُلْنَا لَهُمْ كُوْنُوْا قِرَدَةً خٰسِىِٕیْنَ ۟
फिर जब वे अभिमान एवं हठ के कारण अल्लाह की अवज्ञा करने में सीमा पार कर गए और नसीहत हासिल नहीं की, तो हमने उनसे कहा : ऐ अवज्ञाकारियो! तुम अपमानित बंदर हो जाओ। चुनाँचे वे हमारी मंशा के अनुसार बंदर हो गए। क्योंकि हमारा मामला यह है कि हम जब कसी चीज़ का इरादा करते हैं, तो उससे कहते हैं कि "हो जा" तो वह हो जाती है।
અરબી તફસીરો:
وَاِذْ تَاَذَّنَ رَبُّكَ لَیَبْعَثَنَّ عَلَیْهِمْ اِلٰی یَوْمِ الْقِیٰمَةِ مَنْ یَّسُوْمُهُمْ سُوْٓءَ الْعَذَابِ ؕ— اِنَّ رَبَّكَ لَسَرِیْعُ الْعِقَابِ ۖۚ— وَاِنَّهٗ لَغَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟
और (ऐ रसूल!) उस समय को याद करें, जब अल्लाह ने स्पष्ट घोषणा कर दी कि वह क़ियामत के दिन तक यहूदियों पर ऐसे व्यक्ति को अवश्य प्रभुत्व प्रदान करता रहेगा, जो उन्हें उनके सांसारिक जीवन में अपमानित और तिरस्कृत करता रहे। निःसंदेह (ऐ रसूल!) आपका पालनहार अवज्ञाकारियों को शीघ्र दंड देने वाला है। यहाँ तक कि कभी-कभी वह उन्हें इसी दुनिया में दंड दे देता है। और वह अपने तौबा करने वाले बंदों की तौबा क़बूल करने वाला, उनपर दया करने वाला है।
અરબી તફસીરો:
وَقَطَّعْنٰهُمْ فِی الْاَرْضِ اُمَمًا ۚ— مِنْهُمُ الصّٰلِحُوْنَ وَمِنْهُمْ دُوْنَ ذٰلِكَ ؗ— وَبَلَوْنٰهُمْ بِالْحَسَنٰتِ وَالسَّیِّاٰتِ لَعَلَّهُمْ یَرْجِعُوْنَ ۟
और हमने उन्हें धरती में बिखेर दिया और उन्हें उसमें कई संप्रदायों में विभाजित कर दिया, जबकि वे पहले एक साथ (इकट्ठा) थे। उनमें से कुछ लोग सदाचारी थे, जो अल्लाह के हक़ और उसके बंदों के हक़ अदा करने वाले थे। तथा उनमें से कुछ लोग बीच की राह चलने वाले थे, जबकि उनमें से कुछ लोग पापों के द्वारा अपने ऊपर अत्याचार करने वाले थे। और हमने उन्हें खुशहाली और तंगी के ज़रिए आज़माया, इस आशा में कि वे अपने रवैये से बाज़ आ जाएँ।
અરબી તફસીરો:
فَخَلَفَ مِنْ بَعْدِهِمْ خَلْفٌ وَّرِثُوا الْكِتٰبَ یَاْخُذُوْنَ عَرَضَ هٰذَا الْاَدْنٰی وَیَقُوْلُوْنَ سَیُغْفَرُ لَنَا ۚ— وَاِنْ یَّاْتِهِمْ عَرَضٌ مِّثْلُهٗ یَاْخُذُوْهُ ؕ— اَلَمْ یُؤْخَذْ عَلَیْهِمْ مِّیْثَاقُ الْكِتٰبِ اَنْ لَّا یَقُوْلُوْا عَلَی اللّٰهِ اِلَّا الْحَقَّ وَدَرَسُوْا مَا فِیْهِ ؕ— وَالدَّارُ الْاٰخِرَةُ خَیْرٌ لِّلَّذِیْنَ یَتَّقُوْنَ ؕ— اَفَلَا تَعْقِلُوْنَ ۟
फिर इन लोगों के बाद, दुष्ट लोग आए जो इनके उत्तराधिकारी बने। उन्होंने तौरात को अपने पूर्वजों से लिया। वे उसे पढ़ते हैं, लेकिन उसमें जो कुछ है, उसपर अमल नहीं करते हैं। वे अल्लाह की पुस्तक को विकृत करने और जो कुछ उसमें उतारा गया है उसके अलावा के साथ फैसला करने के लिए इस दुनिया के तुच्छ सामान को रिश्वत के रूप में लेते हैं। इसके बावजूद, वे यह आशा रखते हैं कि अल्लाह उनके पापों को क्षमा कर देगा। और यदि उनके पास दुनिया का तुच्छ सामान दोबारा आ जाए, तो वे इसे फिर से ले लेंगे। क्या अल्लाह ने इन लोगों से दृढ़ वचन नहीं लिया था कि वे अल्लाह पर बिना किसी विरूपण या परिवर्तन के, सत्य के अलावा कुछ नहीं कहेंगे?! उनका पुस्तक पर अमल न करना अज्ञानता के कारण नहीं था, बल्कि ज्ञान के बावजूद था। चुनाँचे उन्होंने पुस्तक में जो कुछ था, उसे पढ़ा था और उसकी उन्हें जानकारी थी। इसलिए उनका पाप अधिक गंभीर है। तथा आख़िरत का घर और आख़िरत के घर में जो स्थायी नेमतें हैं, उन लोगों के लिए क्षणभंगुर संपत्ति से बेहतर हैं, जो अल्लाह से, उसके आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर, डरते हैं। क्या ये लोग जो इस तुच्छ सामान को लेते हैं, इस बात को नहीं समझते कि अल्लाह ने डरने वालों के लिए आख़िरत में जो कुछ तैयार कर रखा है, वह सबसे बेहतर और अधिक स्थायी है।
અરબી તફસીરો:
وَالَّذِیْنَ یُمَسِّكُوْنَ بِالْكِتٰبِ وَاَقَامُوا الصَّلٰوةَ ؕ— اِنَّا لَا نُضِیْعُ اَجْرَ الْمُصْلِحِیْنَ ۟
और जो लोग पुस्तक को दृढ़ता से पकड़ते हैं और उसमें जो कुछ है उसपर अमल करते हैं, तथा नमाज़ को उसके समय, उसकी शर्तों, उसकी वाजिबात (अनिवार्य कार्यों) और उसकी सुन्नतों की पाबंदी करते हुए अदा करते हैं, अल्लाह क़रीब ही उन्हें उनके कर्मों का बदला देगा। क्योंकि अल्लाह उस व्यक्ति का प्रतिफल बर्बाद नहीं करता, जिसका कार्य अच्छा हो।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• إذا نزل عذاب الله على قوم بسبب ذنوبهم ينجو منه من كانوا يأمرون بالمعروف وينهون عن المنكر فيهم.
• जब किसी जाति पर, उसके गुनाहों के कारण अल्लाह की यातना आती है, तो उससे उनमें से वे लोग बच जाते हैं, जो उन्हें अच्छी बातों का आदेश देते और बुरी बातों से रोकते थे।

• يجب الحذر من عذاب الله؛ فإنه قد يكون رهيبًا في الدنيا، كما فعل سبحانه بطائفة من بني إسرائيل حين مَسَخَهم قردة بسبب تمردهم.
• अल्लाह की यातना से सावधान रहना चाहिए। क्योंकि वह दुनिया में (भी) भयानक हो सकती है। जैसा कि अल्लाह ने बनी इसराईल के एक संप्रदाय के साथ किया था जब उनकी सरकशी के कारण उनकी शक्ल बिगाड़कर बंदर बना दिया था।

• نعيم الدنيا مهما بدا أنه عظيم فإنه قليل تافه بجانب نعيم الآخرة الدائم.
• अल्लाह ने बनी इसराईल पर अपमान व दरिद्रता लिख दी है और बता दिया है कि वह उनपर प्रत्येक युग में ऐसे लोगों को भेजता रहेगा, जो उनके अत्याचार और विमुखता के कारण उन्हें यातना का मज़ा चखाते रहेंगे।

• أفضل أعمال العبد بعد الإيمان إقامة الصلاة؛ لأنها عمود الأمر.
• दुनिया की नेमत चाहे जितनी बड़ी प्रतीत हो, लेकिन आख़िरत की स्थायी नेमत के मुक़ाबले में वह अल्प और तुच्छ है।

• كتب الله على بني إسرائيل الذلة والمسكنة، وتأذن بأن يبعث عليهم كل مدة من يذيقهم العذاب بسبب ظلمهم وانحرافهم.
• ईमान के बाद बंदे का सबसे अच्छा कर्म नमाज़ क़ायम करना है, क्योंकि वह दीन का स्तंभ है।

وَاِذْ نَتَقْنَا الْجَبَلَ فَوْقَهُمْ كَاَنَّهٗ ظُلَّةٌ وَّظَنُّوْۤا اَنَّهٗ وَاقِعٌ بِهِمْ ۚ— خُذُوْا مَاۤ اٰتَیْنٰكُمْ بِقُوَّةٍ وَّاذْكُرُوْا مَا فِیْهِ لَعَلَّكُمْ تَتَّقُوْنَ ۟۠
और (ऐ मुहम्मद!) उस समय को याद करें, जब हमने पर्वत को उखाड़कर बनी इसराईल के ऊपर उठा लिया, जब उन्होंने तौरात की शिक्षाओं को ग्रहण करने से उपेक्षा की। चुनाँचे पहाड़ एक बादल की तरह हो गया, जो उनके सिर पर छाया कर रहा हो। तथा उन्हें यक़ीन हो गया कि वह उनपर गिरने ही वाला है, और उनसे कहा गया : हमने जो कुछ तुम्हें दिया है, उसे पूरी मज़बूती और दृढ़ संकल्प के साथ थाम लो और उसमें मौजूद नियमों को, जो अल्लाह ने तुम्हारे लिए निर्धारित किए हैं, ठीक से याद रखो और उन्हें भूलो नहीं; इस आशा में कि ऐसा करने के बाद तुम अल्लाह से डरने लगो।
અરબી તફસીરો:
وَاِذْ اَخَذَ رَبُّكَ مِنْ بَنِیْۤ اٰدَمَ مِنْ ظُهُوْرِهِمْ ذُرِّیَّتَهُمْ وَاَشْهَدَهُمْ عَلٰۤی اَنْفُسِهِمْ ۚ— اَلَسْتُ بِرَبِّكُمْ ؕ— قَالُوْا بَلٰی ۛۚ— شَهِدْنَا ۛۚ— اَنْ تَقُوْلُوْا یَوْمَ الْقِیٰمَةِ اِنَّا كُنَّا عَنْ هٰذَا غٰفِلِیْنَ ۟ۙ
तथा (ऐ मुहम्मद!) वह समय याद करें, जब आपके पालनहार ने आदम के पुत्रों की पीठों से उनकी संतति को निकाला और उनसे अपनी रुबूबीयत को साबित करने का इक़रार लिया, जो दरअसल उसने उनकी प्रकृति में रखी है कि वे उसे अपना सृष्टिकर्ता और पालनहार मानते हैं, यह कहते हुए कि "क्या मैं तुम्हारा पालनहार नहीं हूँ?" सबने कहा : "क्यों नहीं, तू हमारा पालनहार है।" अल्लाह ने कहा : "हमने तुम्हारा परीक्षण किया और तुमसे वचन लिया, ताकि तुम क़ियामत के दिन अपने विरुद्ध अल्लाह के तर्क का इनकार न कर दो और यह न कह दो कि हमें तो इसकी कोई ख़बर ही नहीं थी।"
અરબી તફસીરો:
اَوْ تَقُوْلُوْۤا اِنَّمَاۤ اَشْرَكَ اٰبَآؤُنَا مِنْ قَبْلُ وَكُنَّا ذُرِّیَّةً مِّنْ بَعْدِهِمْ ۚ— اَفَتُهْلِكُنَا بِمَا فَعَلَ الْمُبْطِلُوْنَ ۟
अथवा तुम यह तर्क प्रस्तुत करो कि दरअसल तुम्हारे बाप-दादा ही ने वचन तोड़ा और अल्लाह के साथ शिर्क किया था। और तुम उनकी देखा-देखी शिर्क की राह पर चल पड़े थे। इसलिए तुम यह कहो : तो क्या (ऐ हमारे पालनहार!) तू हमारी पकड़ उसके कारण करके हमें यातना देगा, जो हमारे उन पूर्वजों ने किया था जिन्होंने अल्लाह के साथ शिर्क करके अपने अच्छे कर्मों को नष्ट कर लिया था? अतः हम दोषी नहीं हैं, क्योंकि हमें कुछ पता नहीं था और हमने केवल अपने बाप-दादा की देखा-देखी ऐसा किया था।
અરબી તફસીરો:
وَكَذٰلِكَ نُفَصِّلُ الْاٰیٰتِ وَلَعَلَّهُمْ یَرْجِعُوْنَ ۟
जिस प्रकार हमने झुठलाने वाली जातियों के परिणाम के बारे में आयतें खोल-खोल कर बयान की हैं, उसी तरह हम इन लोगों के लिए भी आयतें खोल-खोल कर बयान करते हें, इस आशा में कि वे अपने शिर्क से अल्लाह की तौह़ीद (एकेश्वरवाद) और अकेले उसी की इबादत करने की ओर पलट आएँ, जैसा कि उस वचन में आया है, जो उन्होंने अपने बारे में अल्लाह को दिया था।
અરબી તફસીરો:
وَاتْلُ عَلَیْهِمْ نَبَاَ الَّذِیْۤ اٰتَیْنٰهُ اٰیٰتِنَا فَانْسَلَخَ مِنْهَا فَاَتْبَعَهُ الشَّیْطٰنُ فَكَانَ مِنَ الْغٰوِیْنَ ۟
और (ऐ रसूल!) बनी इसराईल को, उन्हीं के समुदाय के उस व्यक्ति की खबर पढ़कर सुनाएँ, जिसे हमने अपनी आयतें दी थीं, जिन्हें उसने सीखा और उनसे प्रकट होने वाले सत्य को समझा, लेकिन उसने उन पर अमल नहीं किया, बल्कि उन्हें छोड़ दिया और उनसे किनारा कर लिया। अतः शैतान ने उसका पीछा किया और उसका साथी बन गया। अंततः वह पथभ्रष्टों और विनष्ट होने वालों में से हो गया, जबकि पहले मार्गदर्शित और मुक्ति पाने वालों में से था।
અરબી તફસીરો:
وَلَوْ شِئْنَا لَرَفَعْنٰهُ بِهَا وَلٰكِنَّهٗۤ اَخْلَدَ اِلَی الْاَرْضِ وَاتَّبَعَ هَوٰىهُ ۚ— فَمَثَلُهٗ كَمَثَلِ الْكَلْبِ ۚ— اِنْ تَحْمِلْ عَلَیْهِ یَلْهَثْ اَوْ تَتْرُكْهُ یَلْهَثْ ؕ— ذٰلِكَ مَثَلُ الْقَوْمِ الَّذِیْنَ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا ۚ— فَاقْصُصِ الْقَصَصَ لَعَلَّهُمْ یَتَفَكَّرُوْنَ ۟
और यदि हम उसे इन आयतों से लाभ पहुँचाना चाहते, तो इनके द्वारा उसे ऊँचाइयाँ प्रदान करते। वह इस तरह कि उसे इनपर अमल करने की तौफीक़ देते, तो वह दुनिया एवं आख़िरत में ऊँचाइयाँ प्राप्त कर लेता। लेकिन उसने वह रास्ता चुना जो उसकी विफलता की ओर ले जाता है, जब वह अपनी आख़िरत पर अपनी दुनिया को प्राथमिकता देते हुए संसार की इच्छाओं की ओर अग्रसर हो गया और अपने मन की असत्य आकांक्षाओं के पीछे चलने लगा। अतः दुनिया के अत्यधिक मोह के विषय में उसकी मिसाल कुत्ते की तरह है, जो हर हाल में हाँफता रहता है, यदि वह बैठा हुआ है तो भी हाँफता रहता है और अगर धुतकार दिया जाता है तो भी हाँफता रहता है। यह मिसाल उन लोगों की है जो हमारी आयतों को झुठलाने के कारण गुमराह होने वाले हैं।तो (ऐ रसूल!) आप उन्हें कहानियाँ सुनाएँ; इस आशा में कि वे सोच-विचार करें, और परिणाम स्वरूप, वे जिस गुमराही और झुठलाने में लिप्त हैं, उससे बाज़ आ जाएँ।
અરબી તફસીરો:
سَآءَ مَثَلَا ١لْقَوْمُ الَّذِیْنَ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا وَاَنْفُسَهُمْ كَانُوْا یَظْلِمُوْنَ ۟
उन लोगों से अधिक बुरा कोई नहीं है, जिन्होंने हमारे तर्कों और सबूतों को झुठला दिया और उनपर विश्वास नहीं किया। इस प्रकार वे खुद को विनाश के घाट उतार कर अपने ही ऊपर अत्याचार कर रहे थे।
અરબી તફસીરો:
مَنْ یَّهْدِ اللّٰهُ فَهُوَ الْمُهْتَدِیْ ۚ— وَمَنْ یُّضْلِلْ فَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْخٰسِرُوْنَ ۟
जिसे अल्लाह अपने सीधे मार्ग की ओर हिदायत की तौफ़ीक़ प्रदान कर दे, तो वही सही मायने में हिदायत पाने वाला है; और जिसे वह सीधे मार्ग से दूर कर दे, तो वही लोग हैं जो वास्तव में अपने हितों का नुक़सान करने वाले हैं, जो क़ियामत के दिन अपना और अपने परिवार का घाटा करेंगे। आगाह रहो! यही खुला हुआ घाटा है।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• المقصود من إنزال الكتب السماوية العمل بمقتضاها لا تلاوتها باللسان وترتيلها فقط، فإن ذلك نَبْذ لها.
• आसमानी किताबों के उतारने का उद्देश्य उनकी अपेक्षाओं के अनुसार कार्य करना है, केवल उनकी तिलावत करना और उन्हें ठहर-ठहर कर पढ़ना नहीं है। क्योंकि यह एक तरह से उन्हें छोड़ देने के अर्थ में है।

• أن الله خلق في الإنسان من وقت تكوينه إدراك أدلة الوحدانية، فإذا كانت فطرته سليمة، ولم يدخل عليها ما يفسدها أدرك هذه الأدلة، وعمل بمقتضاها.
• अल्लाह ने इनसान के अंदर उसकी रचना के समय ही से अपने एकत्व के प्रमाणों का बोध करने की क्षमता रखी है। अतः यदि उसकी फ़ितरत शुद्ध है और उसके अदंर बिगाड़ पैदा करने वाली कोई चीज़ प्रवेश नहीं करती, तो वह इन प्रमाणों का बोध करेगा और उनके अनुसार कार्य करेगा।

• في الآيات عبرة للموفَّقين للعمل بآيات القرآن؛ ليعلموا فضل الله عليهم في توفيقهم للعمل بها؛ لتزكو نفوسهم.
• इन आयतों में उन लोगों के लिए एक पाठ है, जिन्हें क़ुरआन की आयतों पर अमल करने की तौफ़ीक़ प्राप्त हुई है, ताकि उन्हें अपने ऊपर अल्लाह के इस अनुग्रह का बोध हो कि उसने उन्हें आयतों पर अमल करने की तौफ़ीक़ प्रदान की है; ताकि इससे उन्हें आत्म-शुद्धि प्राप्त हो।

• في الآيات تلقين للمسلمين للتوجه إلى الله تعالى بطلب الهداية منه والعصمة من مزالق الضلال.
• इन आयतों में मुसलमानों को यह शिक्षा-दीक्षा दी गई है कि मार्गदर्शन तलब करने और गुमराही के रास्तों से सुरक्षा मांगने के लिए अल्लाह की ओर रुख़ करें।

وَلَقَدْ ذَرَاْنَا لِجَهَنَّمَ كَثِیْرًا مِّنَ الْجِنِّ وَالْاِنْسِ ۖؗ— لَهُمْ قُلُوْبٌ لَّا یَفْقَهُوْنَ بِهَا ؗ— وَلَهُمْ اَعْیُنٌ لَّا یُبْصِرُوْنَ بِهَا ؗ— وَلَهُمْ اٰذَانٌ لَّا یَسْمَعُوْنَ بِهَا ؕ— اُولٰٓىِٕكَ كَالْاَنْعَامِ بَلْ هُمْ اَضَلُّ ؕ— اُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْغٰفِلُوْنَ ۟
और हमने बहुत-से जिन्नों और इनसानों को जहन्नम के लिए पैदा किए हैं; क्योंकि हम जानते हैं कि वे जहन्नम वालों का काम करेंगे। उनके पास दिल हैं जिनके साथ वे अपने लाभ एवं नुक़सान को नहीं समझते, उनकी आँखें हैं जिनके साथ वे आत्माओं और क्षितिज में अल्लाह की निशानियाँ नहीं देखते कि उनसे शिक्षा ग्रहण करते, और उनके पास कान हैं, जिनसे वे अल्लाह की आयतों को नहीं सुनते कि वे उसमें जो कुछ है उसपर चिंतन करते। जो लोग इन गुणों से विशेषित हैं, वे बुद्धिहीन होने में जानवरों की तरह हैं, बल्कि वे जानवरों की तुलना में अधिक गुमराह हैं। यही लोग हैं जो अल्लाह और आख़िरत के दिन पर ईमान लाने से ग़फ़लत में पड़े हुए हैं।
અરબી તફસીરો:
وَلِلّٰهِ الْاَسْمَآءُ الْحُسْنٰی فَادْعُوْهُ بِهَا ۪— وَذَرُوا الَّذِیْنَ یُلْحِدُوْنَ فِیْۤ اَسْمَآىِٕهٖ ؕ— سَیُجْزَوْنَ مَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟
सबसे अच्छे नाम अल्लाह ही के हैं, जो उसकी महिमा और पूर्णता को इंगित करते हैं। अतः अल्लाह से कुछ माँगते समय उनको वसीला बनाओ और उनके ज़रिए अल्लाह की प्रशंसा करो, और उन लोगों को छोड़ दो, जो इन नामों के मामले में सही रास्ते से हट जाते हैं, इस प्रकार कि उन्हें अल्लाह के अलावा के लिए ठहरा देते हैं, या अल्लाह से उनको अलग कर देते हैं, या उनके अर्थ को विकृत करते हैं, या अल्लाह के अलावा को उनके समान (सदृश्य) ठहराते हैं। हम इन नामों के विषय में सही रास्ते से हटने वालों को जल्द ही उनके कर्मों के कारण दर्दनाक यातना देंगे।
અરબી તફસીરો:
وَمِمَّنْ خَلَقْنَاۤ اُمَّةٌ یَّهْدُوْنَ بِالْحَقِّ وَبِهٖ یَعْدِلُوْنَ ۟۠
और जिन लोगों को हमने पैदा किया, उनके अंदर कुछ लोग ऐसे हैं, जो खुद सत्य पर क़ायम रहते हैं और दूसरों को उसकी ओर आमंत्रित करते हैं, चुनाँचे वे भी सही रास्ते पर आ जाते हैं, और वे उसी के अनुसार न्याय के साथ निर्णय करते हैं। अतः वे अन्याय नहीं करते हैं।
અરબી તફસીરો:
وَالَّذِیْنَ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا سَنَسْتَدْرِجُهُمْ مِّنْ حَیْثُ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟ۚ
और जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठला दिया और उनपर ईमान नहीं लाए, बल्कि उनका इनकार कर दिया, हम उनके लिए आजीविका के दरवाज़े खोल देंगे। लेकिन यह उनके सम्मान के तौर पर नहीं होगा, बल्कि उन्हें ढील देने के लिए होगा; ताकि वे जिस गुमराही में लिप्त हैं उसी में पड़े रहें। फिर हामरी यातना अचानक उन्हें अपनी पकड़ में ले ले।
અરબી તફસીરો:
وَاُمْلِیْ لَهُمْ ؕ— اِنَّ كَیْدِیْ مَتِیْنٌ ۟
और मैं उनकी सज़ा को टालता रहूँगा, यहाँ तक कि वे समझने लगेंगे कि उनपर यातना नहीं आने वाली। परिणामस्वरूप वे अपने कुफ़्र और झुठलाने का क्रम जारी रखेंगे, यहाँ तक कि उनपर यातना कई गुना कर दी जाएगी। निश्चय मेरा उपाय बड़ा मज़बूत है। चुनाँचे मैं उनके लिए उपकार ज़ाहिर करता हूँ, लेकिन मैं उनकी विफलता चाहता हूँ।
અરબી તફસીરો:
اَوَلَمْ یَتَفَكَّرُوْا ٚ— مَا بِصَاحِبِهِمْ مِّنْ جِنَّةٍ ؕ— اِنْ هُوَ اِلَّا نَذِیْرٌ مُّبِیْنٌ ۟
और क्या अल्लाह की आयतों और उसके रसूल को झुठलाने वाले इन लोगों ने अपनी बुद्धि को काम में लाते हुए ग़ौर नहीं किया कि उनके लिए यह स्पष्ट हो जाता कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पागल नहीं हैं। वह तो केवल अल्लाह के रसूल हैं, जिन्हें अल्लाह ने अपनी यातना से खुले रूप से सावधान करने के लिए भेजा है।
અરબી તફસીરો:
اَوَلَمْ یَنْظُرُوْا فِیْ مَلَكُوْتِ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَمَا خَلَقَ اللّٰهُ مِنْ شَیْءٍ ۙ— وَّاَنْ عَسٰۤی اَنْ یَّكُوْنَ قَدِ اقْتَرَبَ اَجَلُهُمْ ۚ— فَبِاَیِّ حَدِیْثٍ بَعْدَهٗ یُؤْمِنُوْنَ ۟
क्या इन लोगों ने आकाशों तथा धरती में अल्लाह के राज्य को शिक्षा ग्रहण करने के उद्देश्य से नहीं देखा? और उन दोनों के अंदर अल्लाह ने जो जीव और निर्जीव चीज़ें पैदा की हैं, उनपर निगाह नहीं डाली? और अपने निर्धारित समय (आयु) पर ग़ौर नहीं किया, जिसका अंत हो सकता है बहुत निकट हो, इसलिए समय निकलने से पहले तौबा कर लेते? जब वे क़ुरआन और उसके वादों और धमकियों पर ईमान नहीं लाए, तो उसके अलावा किस किताब पर ईमान लाएँगे?
અરબી તફસીરો:
مَنْ یُّضْلِلِ اللّٰهُ فَلَا هَادِیَ لَهٗ ؕ— وَیَذَرُهُمْ فِیْ طُغْیَانِهِمْ یَعْمَهُوْنَ ۟
जिसे अल्लाह सत्य की ओर हिदायत से विफल कर दे और उसे सीधे रास्ते से भटका दे, तो उसके लिए कोई मार्गदर्शक नहीं है, जो उसकी ओर उसका मार्गदर्शन कर सके।और अल्लाह उन्हें उनकी गुमराही और कुफ़्र में छोड़ देता है कि वे भटकते फिरते हैं, उन्हें कोई रास्ता सुझाई नहीं देता।
અરબી તફસીરો:
یَسْـَٔلُوْنَكَ عَنِ السَّاعَةِ اَیَّانَ مُرْسٰىهَا ؕ— قُلْ اِنَّمَا عِلْمُهَا عِنْدَ رَبِّیْ ۚ— لَا یُجَلِّیْهَا لِوَقْتِهَاۤ اِلَّا هُوَ ؔؕۘ— ثَقُلَتْ فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— لَا تَاْتِیْكُمْ اِلَّا بَغْتَةً ؕ— یَسْـَٔلُوْنَكَ كَاَنَّكَ حَفِیٌّ عَنْهَا ؕ— قُلْ اِنَّمَا عِلْمُهَا عِنْدَ اللّٰهِ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟
(ऐ नबी!) ये हठी झुठलाने वाले आपसे क़ियामत के बारे में पूछते हैं कि वह किस समय घटित होगी और उसका सटीक ज्ञान कब होगा? आप कह दें कि उसका ज्ञान न तो मेरे पास है और न मेरे अलावा किसी और के पास है। उसकी जानकारी केवल अल्लाह के पास है। उसे उसके निर्धारित समय पर केवल अल्लाह ही प्रकट करेगा। उसके प्रकट होने का मामला आकाश वालों तथा धरती वालों से छिपा है। वह तुम्हारे पास अचानक ही आएगी। वे आपसे क़ियामत के बारे में ऐसे पूछ रहे हैं, जैसे कि आप उसके बारे में जानने के लिए उत्सुक हैं। हालाँकि उन्हें यह पता ही नहीं कि आप अपने रब से पूरी तरह अवगत होने के कारण उससे क़ियामत के बारे में नहीं पूछते हैं। (ऐ मुहम्मद!) उनसे कह दें कि क़ियामत की जानकारी केवल अल्लाह ही के पास है, लेकिन अधिकतर लोग इस बात से अवगत नहीं हैं।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• خلق الله للبشر آلات الإدراك والعلم - القلوب والأعين والآذان - لتحصيل المنافع ودفع المضار.
• अल्लाह ने मनुष्यों के लिए बोध और ज्ञान के साधन - दिल, आँख और कान - लाभ प्राप्त करने और नुक़सान को दूर करने के लिए बनाए हैं।

• الدعاء بأسماء الله الحسنى سبب في إجابة الدعاء، فيُدْعَى في كل مطلوب بما يناسب ذلك المطلوب، مثل: اللهمَّ تب عَلَيَّ يا تواب.
• अल्लाह के अच्छे-अच्छे नामों के द्वारा दुआ करना, दुआ के क़बूल होने का कारण है। अतः कोई भी चीज़ माँगते समय अल्लाह को उसके उसी नाम से पुकारना चाहिए, जो उससे मेल खाए। जैसे "ऐ तौबा क़बूल करने वाले अल्लाह! मेरी तौबा कबूल फ़रमा।"

• التفكر في عظمة السماوات والأرض، والتوصل بهذا التفكر إلى أن الله تعالى هو المستحق للألوهية دون غيره؛ لأنه المنفرد بالصنع.
• आकाशों और धरती की महानता पर ग़ौर करना और इस ग़ौर व फ़िक्र के माध्यम से इस नतीजे पर पहुँचना कि एकमात्र अल्लाह ही इबादत का हक़दार है; क्योंकि एकमात्र वही सृष्टिकर्ता है।

قُلْ لَّاۤ اَمْلِكُ لِنَفْسِیْ نَفْعًا وَّلَا ضَرًّا اِلَّا مَا شَآءَ اللّٰهُ ؕ— وَلَوْ كُنْتُ اَعْلَمُ الْغَیْبَ لَاسْتَكْثَرْتُ مِنَ الْخَیْرِ ۛۚ— وَمَا مَسَّنِیَ السُّوْٓءُ ۛۚ— اِنْ اَنَا اِلَّا نَذِیْرٌ وَّبَشِیْرٌ لِّقَوْمٍ یُّؤْمِنُوْنَ ۟۠
(ऐ मुहम्मद!) आप कह दें : मैं न अपने लिए कोई भलाई प्राप्त कर सकता हूँ और न अपने आपसे कोई बुराई दूर कर सकता हूँ, सिवाय इसके कि अल्लाह चाहे। यह काम केवल अल्लाह का है। मैं केवल वही जानता हूँ, जो अल्लाह ने मुझे सिखाया है। चुनाँचे मैं ग़ैब की बात नहीं जानता। अगर मैं ग़ैब की बात जानता होता, तो चीज़ों को उनके होने से पहले जानने और उनके परिणाम से अवगत होने की वजह से अवश्य उन कारणों को अपनाया होता, जिन्हें मैं जानता हूँ कि वे मेरे हितों की पूर्ति करते और मुझसे बुराइयों को दूर करते हैं। मैं तो केवल अल्लाह की ओर से भेजा हुआ एक रसूल हूँ। उसकी दुखदायी यातना से डराता हूँ और उन लोगों को उसके उदार प्रतिफल की शुभ सूचना देता हूँ, जो इस बात पर विश्वास रखते हैं कि मैं अल्लाह का रसूल हूँ और मैं जो कुछ लेकर आया हूँ, उसे सच्चा मानते हैं।
અરબી તફસીરો:
هُوَ الَّذِیْ خَلَقَكُمْ مِّنْ نَّفْسٍ وَّاحِدَةٍ وَّجَعَلَ مِنْهَا زَوْجَهَا لِیَسْكُنَ اِلَیْهَا ۚ— فَلَمَّا تَغَشّٰىهَا حَمَلَتْ حَمْلًا خَفِیْفًا فَمَرَّتْ بِهٖ ۚ— فَلَمَّاۤ اَثْقَلَتْ دَّعَوَا اللّٰهَ رَبَّهُمَا لَىِٕنْ اٰتَیْتَنَا صَالِحًا لَّنَكُوْنَنَّ مِنَ الشّٰكِرِیْنَ ۟
वही अल्लाह है, जिसने तुम्हें (ऐ पुरुषो और महिलाओ!) एक ही जान अर्थात् आदम अलैहिस्सलाम से पैदा किया और आदम अलैहिस्सलाम से उनकी पत्नी ह़व्वा को पैदा किया। ह़व्वा को आदम अलैहिस्सलाम की पसली से पैदा किया, ताकि आदम अलैहिस्सलाम उनसे सुकून हासिल करें और संतुष्ट रहें। फिर जब एक पति ने अपनी पत्नी के साथ संभोग किया, तो उसे हल्का सा गर्भ ठहर गया, जिसे वह महसूस नहीं करती थी। क्योंकि वह अपनी शुरुआत में था। वह अपनी इस गर्भावस्था पर रहते हुए अपनी ज़रूरत के काम-काज करती रही, उसे कोई बोझ महसूस नहीं होता था। फिर उसके पेट में गर्भ के बड़ा होने पर, उसे भारीपन महसूस हुआ, तो पति-पत्नी ने मिलकर अल्लाह से दुआ करते हुए कहा : (ऐ हमारे पालनहार!) अगर तूने हमें एक स्वस्थ बच्चा प्रदान किया, तो हम तेरी नेमतों का शुक्रिया अदा करने वालों में से होंगे।
અરબી તફસીરો:
فَلَمَّاۤ اٰتٰىهُمَا صَالِحًا جَعَلَا لَهٗ شُرَكَآءَ فِیْمَاۤ اٰتٰىهُمَا ۚ— فَتَعٰلَی اللّٰهُ عَمَّا یُشْرِكُوْنَ ۟
जब अल्लाह ने उन दोनों की प्रार्थना स्वीकार करके उन्हें एक स्वस्थ बच्चा प्रदान कर दिया, तो उन्होंने अल्लाह की दी हुई संतान में उसके साझीदार बना लिए। चुनाँचे उन्होंने अपने बेटे को अल्लाह के अलावा अन्य का बंदा बना दिया और उसका नाम अब्दुल ह़ारिस (हारिस का बंदा) रख दिया। तो अल्लाह हर साझी व शरीक से बहुत ऊँचा है। क्योंकि वह पालनहार और पूज्य होने में अकेला है।
અરબી તફસીરો:
اَیُشْرِكُوْنَ مَا لَا یَخْلُقُ شَیْـًٔا وَّهُمْ یُخْلَقُوْنَ ۟ۚ
क्या वे इन मूर्तियों और इनके सिवा अन्य चीज़ों को इबादत में अल्लाह का साझी बनाते हैं, जबकि वे जानते हैं कि ये मूर्तियाँ कुछ पैदा नहीं करतीं, कि पूजा की हक़दार हों। बल्कि, वे स्वयं पैदा की गई हैं। तो फिर वे इन्हें कैसे अल्लाह का साझी ठहराते हैं?
અરબી તફસીરો:
وَلَا یَسْتَطِیْعُوْنَ لَهُمْ نَصْرًا وَّلَاۤ اَنْفُسَهُمْ یَنْصُرُوْنَ ۟
ये पूज्य न अपने पूजकों की सहायता कर सकते हैं और न खुद अपनी सहायता कर सकते हैं, तो फिर वे इनकी इबादत कैसे करते हैं?!
અરબી તફસીરો:
وَاِنْ تَدْعُوْهُمْ اِلَی الْهُدٰی لَا یَتَّبِعُوْكُمْ ؕ— سَوَآءٌ عَلَیْكُمْ اَدَعَوْتُمُوْهُمْ اَمْ اَنْتُمْ صَامِتُوْنَ ۟
और अगर तुम (ऐ मुश्रिको!) इन मूर्तियों को, जिन्हें तुम अल्लाह को छोड़कर पूज्य बनाते हो, हिदायत की ओर बुलाओ, तो वे तुम्हें उसका जवाब नहीं देंगी जिनकी ओर तुमने उन्हें बुलाया है और न ही वे तुम्हारा अनुसरण करेंगी। अतः उनके निकट तुम्हारा उन्हें पुकारना या तुम्हारा चुप रहना दोनों बराबर है। क्योंकि वे मात्र निर्जीव वस्तुएं हैं; जो न समझती हैं, न सुनती हैं और न बोलती हैं।
અરબી તફસીરો:
اِنَّ الَّذِیْنَ تَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ عِبَادٌ اَمْثَالُكُمْ فَادْعُوْهُمْ فَلْیَسْتَجِیْبُوْا لَكُمْ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟
निःसंदेह जिन लोगों की तुम (ऐ मुश्रिको!) अल्लाह के सिवा इबादत करते हो, वे अल्लाह ही के पैदा किए हुए हैं और उनका मालिक भी वही है। इस तरह वे इस बारे में तुम्हारे ही जैसे हैं। बल्कि तुम उनसे उत्तम स्थिति में हो। क्योंकि तुम ज़िंदा हो, बोलते हो, चलते-फिरते हो, सुनते हो और देखते हो। जबकि तुम्हारी मूर्तियों के पास ये शक्तियाँ नहीं हैं। अतः तुम उनको पुकारो और वे तुम्हारी पुकार का जवाब दें, यदि तुम उनके बारे में अपने दावे में सच्चे हो।
અરબી તફસીરો:
اَلَهُمْ اَرْجُلٌ یَّمْشُوْنَ بِهَاۤ ؗ— اَمْ لَهُمْ اَیْدٍ یَّبْطِشُوْنَ بِهَاۤ ؗ— اَمْ لَهُمْ اَعْیُنٌ یُّبْصِرُوْنَ بِهَاۤ ؗ— اَمْ لَهُمْ اٰذَانٌ یَّسْمَعُوْنَ بِهَا ؕ— قُلِ ادْعُوْا شُرَكَآءَكُمْ ثُمَّ كِیْدُوْنِ فَلَا تُنْظِرُوْنِ ۟
क्या इन मूर्तियों के, जिन्हें तुमने पूज्य बना रखा है, पाँव हैं, जिनसे वे चलती हैं, कि तुम्हारी ज़रूरतें पूरी करें? या उनके हाथ हैं, जिनसे वे तुम्हारा पूरी शक्ति से बचाव करें? या उनकी आँखें हैं, जिनसे वे उन चीज़ों को देखती हैं, जिन्हें तुम नहीं देख सकते कि तुम्हें उनसे अवगत करा सकें? या उनके कान हैं, जिनसे वे उन बातों को सुन लेती हैं, जिन्हें तुम नहीं सुन सकते, तो वे तुम्हें उनसे सूचित कर देती हैं? अगर वे इन सारी चीज़ों से खाली हैं, तो फिर तुम उन्हें लाभ प्राप्त करने या हानि से बचने की आशा में कैसे पूजते हो?! (ऐ रसूल!) आप इन मुश्रिकों से कह दें : उन लोगों को पुकारो, जिन्हें तुमने अल्लाह के बराबर बना रखा है, फिर तुम मुझे नुक़सान पहुँचाने का उपाय करो और मुझे कोई मोहलत न दो।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• في الآيات بيان جهل من يقصد النبي صلى الله عليه وسلم ويدعوه لحصول نفع أو دفع ضر؛ لأن النفع إنما يحصل من قِبَلِ ما أرسل به من البشارة والنذارة.
• इन आयतों में उन लोगों की मूर्खता का उल्लेख है, जो अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को लाभ प्राप्त करने या नुक़सान से बचने के लिए पुकारते हैं, क्योंकि लाभ केवल उस शुभ सूचना और चेतावनी (डरावे) के माधय्म से प्राप्त होता है, जिसके साथ आपको भेजा गया था।

• جعل الله بمنَّته من نوع الرجل زوجه؛ ليألفها ولا يجفو قربها ويأنس بها؛ لتتحقق الحكمة الإلهية في التناسل.
• अल्लाह ने अपनी कृपा से पति ही के वर्ग से उसकी पत्नी बनाई, ताकि पति को उससे लगाव हो, उसकी निकटता से उसका मन उचाट न हो और उसके साथ अपनापन महसूस करे; ताकि प्रजनन में अल्लाह की हिकमत परिपूर्ण हो।

• لا يليق بالأفضل الأكمل الأشرف من المخلوقات وهو الإنسان أن يشتغل بعبادة الأخس والأرذل من الحجارة والخشب وغيرها من الآلهة الباطلة.
• सबसे श्रेष्ठ, सबसे पूर्ण और सबसे प्रतिष्ठित मख़लूक़ अर्थात् इनसान को यह शोभा नहीं देता कि सबसे नीच और अप्रतिष्ठित चीज़ जैसे - पत्थर, लकड़ी और अन्य झूठे पूज्यों (देवताओं) की इबादत में व्यस्त हो।

اِنَّ وَلِیِّ اللّٰهُ الَّذِیْ نَزَّلَ الْكِتٰبَ ۖؗ— وَهُوَ یَتَوَلَّی الصّٰلِحِیْنَ ۟
वास्तव में, मेरा मददगार और सहायक अल्लाह है, जो मेरा संरक्षण करता है। अतः मैं उसके अलावा किसी और से आशा नहीं रखता, और मुझे तुम्हारी मूर्तियों से कुछ भी डर नहीं है। क्योंकि वही (अल्लाह) है जिसने मुझपर क़ुरआन को लोगों के मार्गदर्शन के लिए उतारा है और वही अपने सत्कर्मी बंदों के सारे काम संभालता है। चुनाँचे उनका संरक्षण करता और उनकी सहायता करता है।
અરબી તફસીરો:
وَالَّذِیْنَ تَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِهٖ لَا یَسْتَطِیْعُوْنَ نَصْرَكُمْ وَلَاۤ اَنْفُسَهُمْ یَنْصُرُوْنَ ۟
और इन मूर्तियों में से जिन्हें (ऐ मुश्रिको!) तुम पुकारते हो, वे न तुम्हारी सहायता करने में सक्षम हैं, और न ही वे स्वयं का समर्थन करने में सक्षम हैं। क्योंकि वे असहाय हैं। तो फिर तुम अल्लाह को छोड़कर उन्हें कैसे पुकारते हो?!
અરબી તફસીરો:
وَاِنْ تَدْعُوْهُمْ اِلَی الْهُدٰی لَا یَسْمَعُوْا ؕ— وَتَرٰىهُمْ یَنْظُرُوْنَ اِلَیْكَ وَهُمْ لَا یُبْصِرُوْنَ ۟
और (ऐ मुश्रिको!) यदि तुम अपनी मूर्तियों को, जिन्हें तुम अल्लाह के सिवा पूजते हो, सीधी राह की ओर बुलाओ, तो वे तुम्हारे बुलावे को नहीं सुनेंगी। और तुम उन्हें देखोगे कि वे तुम्हारी ओर तुम्हारी ही बनाई हुई आँखों से देख रही हैं, हालाँकि वे निर्जीव चीज़ें हैं, जो नहीं देखती हैं। दरअसल मुश्रिक लोग मनुष्यों या जानवरों के रूप में मूर्तियाँ बनाते थे, जिनके हाथ, पैर और आँखें होती थीं। लेकिन वे बेजान होती थीं, न उनके अंदर जीवन होता था न हरकत।
અરબી તફસીરો:
خُذِ الْعَفْوَ وَاْمُرْ بِالْعُرْفِ وَاَعْرِضْ عَنِ الْجٰهِلِیْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप लोगों के उन कार्यों और व्यवहारों को स्वीकार करें, जो वे खुशी मन से करें और जो उनके लिए आसान हों। उनपर ऐसे कार्य और व्यवहार का बोझ न डालें जिनकी उनके स्वभाव अनुमति नहीं देते हैं। क्योंकि यह उन्हें आपसे दूर करने का कारण बनेगा। और आप हर सुंदर बात तथा अच्छे कार्य का आदेश दें और अज्ञानी लोगों से उपेक्षा करें। इसलिए उनकी अज्ञानता का जवाब अज्ञानता से न दें। चुनाँचे जो आपको कष्ट दे, आप उसे कष्ट न दें और जो आपको वंचित करे, आप उसे वंचित न करें।
અરબી તફસીરો:
وَاِمَّا یَنْزَغَنَّكَ مِنَ الشَّیْطٰنِ نَزْغٌ فَاسْتَعِذْ بِاللّٰهِ ؕ— اِنَّهٗ سَمِیْعٌ عَلِیْمٌ ۟
और यदि (ऐ रसूल!) आप महसूस करें कि शैतान आपके दिल में कोई ग़लत ख़याल डाल रहा है या आपको सत्कर्म से रोकने का प्रयास करता है, तो अल्लाह का शरण लें और उसे मज़बूती से पकड़ लें। क्योंकि वह आपकी बात को सुनने वाला और आपके शरण लेने को जानने वाला है। अतः वह शैतान से आपकी रक्षा करेगा।
અરબી તફસીરો:
اِنَّ الَّذِیْنَ اتَّقَوْا اِذَا مَسَّهُمْ طٰٓىِٕفٌ مِّنَ الشَّیْطٰنِ تَذَكَّرُوْا فَاِذَا هُمْ مُّبْصِرُوْنَ ۟ۚ
वास्तव में, जो लोग अल्लाह से, उसके आदेशों का पालन करके और उसकी मना की हुई बातों से दूर रहकर, डरते हैं, जब वे शैतान की ओर से किसी बुरे ख़याल से पीड़ित होकर गुनाह कर बैठते हैं; तो वे अल्लाह की महानता, अवज्ञाकारियों के लिए उसकी सज़ा और आज्ञाकारियों के लिए उसके प्रतिफल को याद करते हैं। इसलिए वे अपने गुनाहों से तौबा करके अपने पालनहार की ओर लौट जाते हैं। फिर क्या देखते हैं कि वे सत्य मार्ग पर जम गए, ग़फ़लत से जाग गए और गुनाह से बाज़ आ गए।
અરબી તફસીરો:
وَاِخْوَانُهُمْ یَمُدُّوْنَهُمْ فِی الْغَیِّ ثُمَّ لَا یُقْصِرُوْنَ ۟
दुराचारियों और काफ़िरों जैसे शैतान के भाइयों को, शैतान एक के बाद एक पाप में लिप्त करके उन्हें गुमराही में बढ़ाते जाते हैं। वे रुकने का नाम ही नहीं लेते, न शैतान बहकाने और गुमराह करने से और न ही दुराचारी लोग उनकी बात मानने और बुराई करने से।
અરબી તફસીરો:
وَاِذَا لَمْ تَاْتِهِمْ بِاٰیَةٍ قَالُوْا لَوْلَا اجْتَبَیْتَهَا ؕ— قُلْ اِنَّمَاۤ اَتَّبِعُ مَا یُوْحٰۤی اِلَیَّ مِنْ رَّبِّیْ ۚ— هٰذَا بَصَآىِٕرُ مِنْ رَّبِّكُمْ وَهُدًی وَّرَحْمَةٌ لِّقَوْمٍ یُّؤْمِنُوْنَ ۟
जब (ऐ रसूल!) आप कोई आयत (निशानी) लाएँ, तो वे आपको झुठला देते हैं और उससे मुँह फेर लेते हैं। और अगर आप उनके पास कोई आयत न लाएँ, तो वे कहते हैं : आपने अपनी ओर से कोई आयत क्यों न गढ़ ली? आप (ऐ रसूल!) ऐसे लोगों से कह दें : मुझे यह अधिकार नहीं कि मैं अपनी ओर से कोई आयत ले आऊँ। मैं तो केवल उसी का अनुसरण करता हूँ, जो अल्लाह मेरी ओर वह़्य (प्रकाशना) करता है। यह क़ुरआन जो मैं तुम्हारे सामने पढ़ता हूँ, अल्लाह की ओर से, जो तुम्हारा रचयिता और तुम्हारे सब काम संभालने वाला है, प्रमाण और दलील है, तथा उसके मोमिन बंदों के लिए मार्गदर्शन और दया है। रही बात ग़ैर मोमिनों की, तो वे गुमराह और दुर्भाग्य वाले लोग हैं।
અરબી તફસીરો:
وَاِذَا قُرِئَ الْقُرْاٰنُ فَاسْتَمِعُوْا لَهٗ وَاَنْصِتُوْا لَعَلَّكُمْ تُرْحَمُوْنَ ۟
और जब क़ुरआन पढ़ा जाए, तो उसकी तिलावत को ध्यानपूर्वक सुनो तथा न बात करो और न किसी अन्य काम में व्यस्त हो, उम्मीद है अल्लाह तुमपर दया करे।
અરબી તફસીરો:
وَاذْكُرْ رَّبَّكَ فِیْ نَفْسِكَ تَضَرُّعًا وَّخِیْفَةً وَّدُوْنَ الْجَهْرِ مِنَ الْقَوْلِ بِالْغُدُوِّ وَالْاٰصَالِ وَلَا تَكُنْ مِّنَ الْغٰفِلِیْنَ ۟
और (ऐ नबी!) अल्लाह को, जो आपका पालनहार है, विनयपूर्वक और डरते हुए याद करें, और दुआ के समय अपनी आवाज़ मध्यम रखें, न बहुत ऊँची, न बहुत नीची, दिन के प्रथम और उसके अंतिम भाग में। क्योंकि इन दोनों समय की बड़ी फ़ज़ीलत है। और आप उन लोगों में से न हों, जो अल्लाह की याद से ग़ाफ़िल रहते हैं।
અરબી તફસીરો:
اِنَّ الَّذِیْنَ عِنْدَ رَبِّكَ لَا یَسْتَكْبِرُوْنَ عَنْ عِبَادَتِهٖ وَیُسَبِّحُوْنَهٗ وَلَهٗ یَسْجُدُوْنَ ۟
निःसंदेह जो फ़रिश्ते (ऐ रसूल!) आपके पालनहार के पास हैं, वे उसकी इबादत (वंदना) से अभिमान नहीं करते, बल्कि उसके आज्ञापालन में समर्पित रहते हैं, उससे थकते नहीं हैं। तथा वे दिन-रात अल्लाह को उन बातों से पवित्र ठहराते रहते हैं, जो उसके लायक़ नहीं हैं और केवल उसी के आगे सजदा करते हैं।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• في الآيات بشارة للمسلمين المستقيمين على صراط نبيهم صلى الله عليه وسلم بأن ينصرهم الله كما نصر نبيه وأولياءه.
• एक बुद्धिमान व्यक्ति के लिए ज़रूरी है कि अल्लाह तआला की इबादत करे, क्योंकि वही है जो धर्म से संबंधित महान ज्ञान पर आधारित किताब उतार कर उसके धार्मिक हितों, तथा अपने नेक बंदों का संरक्षण करके, उनकी रक्षा और सहायता करके इस दुनिया के हितों की पूर्ति करता है। इसलिए उनसे दुश्मनी रखने वालों की दुश्मनी से उनका कोई नुक़सान नहीं होता।

• في الآيات جماع الأخلاق، فعلى العبد أن يعفو عمن ظلمه، ويعطي من حرمه، ويصل من قطعه.
• इन आयतों में उन मुसलमानों के लिए जो अपने नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के रास्ते पर चलने वाले हैं यह शुभ सूचना है कि अल्लाह उनकी उसी तरह मदद करेगा, जैसे उसने अपने नबियों और औलिया की मदद की।

• على العبد إذا مَسَّه سوء من الشيطان - فأذنب بفعل محرم، أو ترك واجب - أن يستغفر الله تعالى، ويستدرك ما فرط منه بالتوبة النصوح والحسنات الماحية.
• इन आयतों में नैतिकता के मूल का वर्णन है। अतः बंदे को चाहिए कि उसे माफ़ कर दे जो उसपर अत्याचार करे, जो उसे वंचित करने वाला है उसे प्रदान करे और जो उससे नाता तोड़ने वाला है उससे नाता जोड़े।

• الواجب على العاقل عبادة الله تعالى؛ لأنه هو الذي يحقق له منافع الدين بإنزال الكتاب المشتمل على العلوم العظيمة في الدّين، ومنافع الدنيا بتولّي الصالحين من عباده وحفظه لهم ونصرته إياهم، فلا تضرهم عداوة من عاداهم.
• यदि बंदे को शैतान की ओर से कोई बुराई पहुँचे - जिसके कारणवश वह कोई हराम काम कर बैठे या कोई वाजिब काम छोड़ दे - तो उसे चाहिए कि अल्लाह से क्षमा माँगे और सच्ची तौबा तथा पापों को मिटाने वाली नेकियों द्वारा अपनी कमी की क्षतिपूर्ति करे।

 
શબ્દોનું ભાષાંતર સૂરહ: અલ્ અઅરાફ
સૂરહ માટે અનુક્રમણિકા પેજ નંબર
 
કુરઆન મજીદના શબ્દોનું ભાષાંતર - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - ભાષાંતરોની અનુક્રમણિકા

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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