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क़ुरआन के अर्थों का अनुवाद - पवित्र क़ुरआन की संक्षिप्त व्याख्या का हिंदी अनुवाद। * - अनुवादों की सूची


अर्थों का अनुवाद सूरा: फ़ातिर   आयत:
وَمَا یَسْتَوِی الْبَحْرٰنِ ۖۗ— هٰذَا عَذْبٌ فُرَاتٌ سَآىِٕغٌ شَرَابُهٗ وَهٰذَا مِلْحٌ اُجَاجٌ ؕ— وَمِنْ كُلٍّ تَاْكُلُوْنَ لَحْمًا طَرِیًّا وَّتَسْتَخْرِجُوْنَ حِلْیَةً تَلْبَسُوْنَهَا ۚ— وَتَرَی الْفُلْكَ فِیْهِ مَوَاخِرَ لِتَبْتَغُوْا مِنْ فَضْلِهٖ وَلَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ ۟
और दोनों सागर समान नहीं हो सकते। उनमें से एक बहुत मीठा है और मीठा होने के कारण उसका पानी पीने में रुचिकर है। जबकि दूसरा कड़वा और खारा है, जिसे उसके सख्त खारेपन के कारण पीना संभव नहीं है। उन दोनों सागरों से तुम ताज़ा माँस अर्थात मछली खाते हो तथा उनसे मोती और मूंगे निकालते हो, जिन्हें तुम अलंकरण के रूप में पहनते हो। और (ऐ देखने वाला) तू नावों को देखता है कि वे आती-जाती हुई सागर को चीरती हुई चलती हैं, ताकि तुम व्यापार करके अल्लाह का अनुग्रह तलाश करो और ताकि तुम अल्लाह की दी हुई अपार नेमतों पर, उसका शुक्रिया अदा करो।
अरबी तफ़सीरें:
یُوْلِجُ الَّیْلَ فِی النَّهَارِ وَیُوْلِجُ النَّهَارَ فِی الَّیْلِ ۙ— وَسَخَّرَ الشَّمْسَ وَالْقَمَرَ ۖؗ— كُلٌّ یَّجْرِیْ لِاَجَلٍ مُّسَمًّی ؕ— ذٰلِكُمُ اللّٰهُ رَبُّكُمْ لَهُ الْمُلْكُ ؕ— وَالَّذِیْنَ تَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِهٖ مَا یَمْلِكُوْنَ مِنْ قِطْمِیْرٍ ۟ؕ
अल्लाह रात को दिन में दाखिल करके दिन को लंबा कर देता है और दिन को रात में दाखिल करके रात को लंबाई में बढ़ा देता है। और अल्लाह ने सूर्य एवं चाँद को उनके काम में लगा रखा है। उनमें से प्रत्येक एक निर्धारित समय के लिए चल रहा है, जिसे अल्लाह जानता है और वह क़ियामत का दिन है। ये सब चीज़ें जो निर्धारित करता और चलाता है, वह तुम्हारा पालनहार अल्लाह है; केवल उसी के लिए राज्य (बादशाही) है। जबकि तुम उसके सिवाय जिन मूर्तियों की पूजा करते हो, वे खजूर की गुठली के ऊपर पाए जाने वाले पतले छिलके के बराबर भी अधिकार नहीं रखती हैं। तो फिर तुम मुझे छोड़कर उनहें कैसे पूजते हो?!
अरबी तफ़सीरें:
اِنْ تَدْعُوْهُمْ لَا یَسْمَعُوْا دُعَآءَكُمْ ۚ— وَلَوْ سَمِعُوْا مَا اسْتَجَابُوْا لَكُمْ ؕ— وَیَوْمَ الْقِیٰمَةِ یَكْفُرُوْنَ بِشِرْكِكُمْ ؕ— وَلَا یُنَبِّئُكَ مِثْلُ خَبِیْرٍ ۟۠
यदि तुम अपने पूज्यों को पुकारो, तो वे तुम्हारी पुकार नहीं सुनेंगे। क्योंकि वे निर्जीव वस्तुएँ हैं, जिनमें न जीवन है और न सुनने की शक्ति। और यदि (मान लिया जाए कि) वे तुम्हारी पुकार सुन ही लें, तो वे तुम्हारी पुकार का जवाब नहीं दे सकते। और क़ियामत के दिन वे तुम्हारे शिर्क एवं उपासना से पल्ला झाड़ लेंगे। अतः (ऐ रसूल!) आपको अल्लाह से अधिक सच्ची सूचना कोई नहीं दे सकता।
अरबी तफ़सीरें:
یٰۤاَیُّهَا النَّاسُ اَنْتُمُ الْفُقَرَآءُ اِلَی اللّٰهِ ۚ— وَاللّٰهُ هُوَ الْغَنِیُّ الْحَمِیْدُ ۟
ऐ लोगो! तुम अपने सभी मामलों में और सभी स्थितियों में अल्लाह के ज़रूरतमंद हो। और अल्लाह बेनियाज़ है। उसे किसी भी चीज़ में तुम्हारी आवश्यकता नहीं है। वह अपने बंदो के लिए जो निर्णय लेता है, उसपर वह दुनिया एवं आखिरत में प्रशंसित है।
अरबी तफ़सीरें:
اِنْ یَّشَاْ یُذْهِبْكُمْ وَیَاْتِ بِخَلْقٍ جَدِیْدٍ ۟ۚ
यदि वह सर्वशक्तिमान तुम्हारा विनाशकर तुम्हें हटाना चाहे, तो वह तुम्हें हटा दे और तुम्हारे स्थान पर एक नई मख़लूक़ ले आए, जो केवल उसी की इबादत करने वाली हो, उसके साथ किसी भी चीज़ को साझी न ठहराने वाली हो।
अरबी तफ़सीरें:
وَمَا ذٰلِكَ عَلَی اللّٰهِ بِعَزِیْزٍ ۟
और तुम्हारा विनाशकर तुम्हें हटाना और तुम्हारे स्थान पर दूसरी मख़लूक़ लाना, सर्वशक्तिमान अल्लाह के लिए असंभव नहीं है।
अरबी तफ़सीरें:
وَلَا تَزِرُ وَازِرَةٌ وِّزْرَ اُخْرٰی ؕ— وَاِنْ تَدْعُ مُثْقَلَةٌ اِلٰی حِمْلِهَا لَا یُحْمَلْ مِنْهُ شَیْءٌ وَّلَوْ كَانَ ذَا قُرْبٰی ؕ— اِنَّمَا تُنْذِرُ الَّذِیْنَ یَخْشَوْنَ رَبَّهُمْ بِالْغَیْبِ وَاَقَامُوا الصَّلٰوةَ ؕ— وَمَنْ تَزَكّٰی فَاِنَّمَا یَتَزَكّٰی لِنَفْسِهٖ ؕ— وَاِلَی اللّٰهِ الْمَصِیْرُ ۟
कोई पापी व्यक्ति, दूसरे पापी के गुनाह का बोझ नहीं उठाएगा। बल्कि हर पापी व्यक्ति को अपने गुनाह का बोझ खुद उठाना पड़ेगा। और यदि कोई अपने पापों के बोझ को उठाने से बोझिल व्यक्ति किसी और को अपने कुछ पापों को वहन करने के लिए पुकारेगा, तो कोई भी उसका बोझ उठाने के लिए तैयार नहीं होगा, भले ही वह आमंत्रित व्यक्ति उसका कोई रिश्तेदार हो। आप तो (ऐ रसूल) केवल उन लोगों को अल्लाह की यातना से डराने वाले हैं, जो बिन देखे अपने पालनहार से डरते हैं और पूर्ण रूप से नमाज़ अदा करते हैं। क्योंकि यही लोग आपके डराने से लाभान्वित होते हैं। और जो व्यक्ति खुद को पापों से शुद्ध करता है - जिसमें से सबसे बड़ा बहुदेववाद है - तो वह अपने लिए ही शुद्धता अपनाता है। क्योंकि उसका लाभ उसी को मिलने वाला है। क्योंकि अल्लाह उसकी आज्ञाकारिता से बेनियाज़ है। और क़ियामत के दिन (सब को) हिसाब और बदले के लिए अल्लाह ही की ओर लौटकर जाना है।
अरबी तफ़सीरें:
इस पृष्ठ की आयतों से प्राप्त कुछ बिंदु:
• تسخير البحر، وتعاقب الليل والنهار، وتسخير الشمس والقمر: من نعم الله على الناس، لكن الناس تعتاد هذه النعم فتغفل عنها.
• समुद्र को वशीभूत करना, रात और दिन का आना जाना तथा सूर्य एवं चाँद को वशीभूत करना : लोगों पर अल्लाह की महान नेमतों से हैं। लेकिन लोग इन नेमतों के अभ्यस्त हो जाते हैं और उन्हें अनदेखा कर देते हैं।

• سفه عقول المشركين حين يدعون أصنامًا لا تسمع ولا تعقل.
• मुश्रिकों की मूर्खता कि वे ऐसे बुतों को पुकारते हैं, जो न सुनते हैं और न समझते हैं।

• الافتقار إلى الله صفة لازمة للبشر، والغنى صفة كمال لله.
• अल्लाह का ज़रूरतमंद होना मानव का एक आवश्यक गुण है, जबकि बेनियाज़ी अल्लाह के लिए पूर्णता का गुण है।

• تزكية النفس عائدة إلى العبد؛ فهو يحفظها إن شاء أو يضيعها.
• आत्मा को शुद्ध और पवित्र रखना बंदे पर निर्भर है। वह चाहे तो उसकी रक्षा करे या उसे विनष्ट कर दे।

 
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कुरआन अध्ययन एवं व्याख्या केंद्र द्वारा निर्गत।

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