क़ुरआन के अर्थों का अनुवाद - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - अनुवादों की सूची


अर्थों का अनुवाद आयत: (3) सूरा: सूरा अल्-अह़्क़ाफ़
مَا خَلَقْنَا السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ وَمَا بَیْنَهُمَاۤ اِلَّا بِالْحَقِّ وَاَجَلٍ مُّسَمًّی ؕ— وَالَّذِیْنَ كَفَرُوْا عَمَّاۤ اُنْذِرُوْا مُعْرِضُوْنَ ۟
हमने आकाशों और धरती को और जो कुछ उन दोनों के बीच है, व्यर्थ नहीं बनाया, बल्कि हमने उन सभी को सत्य के साथ व्यापक हिकमतों के तहत बनाया है। उन हिकमतों में से यह है कि बंदे उनके माध्यम से अपने रब को पहचानें, ताकि वे केवल उसी की इबादत करें, और उसके साथ किसी चीज़ को साझी न बनाएँ, और यह कि वे धरती पर अपने उत्तराधिकार की अपेक्षाओं को एक विशिष्ट अवधि के लिए पूरा करें जिसे केवल अल्लाह ही जानता है। लेकिन जिन लोगों ने अल्लाह का इनकार किया, वे उस चीज़ से मुँह फेरने वाले हैं, जिससे उन्हें अल्लाह की किताब में डराया गया है। वे उसकी परवाह नहीं करते।
अरबी तफ़सीरें:
इस पृष्ठ की आयतों से प्राप्त कुछ बिंदु:
• الاستهزاء بآيات الله كفر.
• अल्लाह की आयतों का मज़ाक़ उड़ाना कुफ़्र है।

• خطر الاغترار بلذات الدنيا وشهواتها.
• सांसारिक सुखों और वासनाओं के धोखे में आने का खतरा।

• ثبوت صفة الكبرياء لله تعالى.
• अल्लाह के लिए 'किब्रिया' (महिमा) की विशेषता का प्रमाण।

• إجابة الدعاء من أظهر أدلة وجود الله سبحانه وتعالى واستحقاقه العبادة.
• प्रार्थना स्वीकार करना सर्वशक्तिमान अल्लाह के अस्तित्व और उसके उपासना के योग्य होने के सबसे स्पष्ट प्रमाणों में से एक है।

 
अर्थों का अनुवाद आयत: (3) सूरा: सूरा अल्-अह़्क़ाफ़
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