क़ुरआन के अर्थों का अनुवाद - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - अनुवादों की सूची


अर्थों का अनुवाद आयत: (32) सूरा: सूरा अल्-अह़्क़ाफ़
وَمَنْ لَّا یُجِبْ دَاعِیَ اللّٰهِ فَلَیْسَ بِمُعْجِزٍ فِی الْاَرْضِ وَلَیْسَ لَهٗ مِنْ دُوْنِهٖۤ اَوْلِیَآءُ ؕ— اُولٰٓىِٕكَ فِیْ ضَلٰلٍ مُّبِیْنٍ ۟
और जो उस सत्य को नहीं मानेगा, जिसकी ओर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम बुला रहे हैं, वह धरती में कहीं भागकर अल्लाह के वश से निकल नहीं सकता। और अल्लाह के सिवा उसके कोई सहायक नहीं होंगे, जो उसे यातना से बचा सकें। ये लोग स्पष्ट रूप से सत्य से भटके हुए हैं।
अरबी तफ़सीरें:
इस पृष्ठ की आयतों से प्राप्त कुछ बिंदु:
• من حسن الأدب الاستماع إلى المتكلم والإنصات له.
• वक्ता की बात सुनना और उसके लिए चुप रहना अच्छे शिष्टाचार में से है।

• سرعة استجابة المهتدين من الجنّ إلى الحق رسالة ترغيب إلى الإنس.
• मार्गदर्शित जिन्नों का सत्य को स्वीकारने में जल्दी करना मानव जाति के लिए प्रोत्साहन का संदेश है।

• الاستجابة إلى الحق تقتضي المسارعة في الدعوة إليه.
• सत्य को स्वीकार करने के लिए आवश्यक है कि उसकी ओर बुलाने में जल्दी की जाए।

• الصبر خلق الأنبياء عليهم السلام.
• सब्र (धैर्य) नबियों (अलैहिमुस्सलाम) का आचरण है।

 
अर्थों का अनुवाद आयत: (32) सूरा: सूरा अल्-अह़्क़ाफ़
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