क़ुरआन के अर्थों का अनुवाद - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - अनुवादों की सूची


अर्थों का अनुवाद सूरा: सूरा अल्-ह़श्र   आयत:

सूरा अल्-ह़श्र

सूरा के उद्देश्य:
إظهار قوة الله وعزته في توهين اليهود والمنافقين، وإظهار تفرقهم، في مقابل إظهار تآلف المؤمنين.
यहूदियों और पाखंडियों को कमज़ोर करने में अल्लाह की शक्ति और गौरव का प्रदर्शन, तथा मोमिनों की एकजुटता और सामंजस्य को प्रकट करने के मुक़ाबले में उनके अलगाव को प्रकट करना।

سَبَّحَ لِلّٰهِ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَمَا فِی الْاَرْضِ ۚ— وَهُوَ الْعَزِیْزُ الْحَكِیْمُ ۟
आकाशों में और धरती पर जो भी प्राणी हैं, सब अल्लाह की महानता का वर्णन करते हैं तथा हर उस चीज़ से उसे पवित्र ठहराते हैं, जो उसकी महिमा के योग्य नहीं है। तथा वह प्रभुत्वशाली है, जिसपर किसी का ज़ोर नहीं चलता, अपनी रचना, शरीयत और निर्णय (तक़दीर) में हिकमत वाला है।
अरबी तफ़सीरें:
هُوَ الَّذِیْۤ اَخْرَجَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا مِنْ اَهْلِ الْكِتٰبِ مِنْ دِیَارِهِمْ لِاَوَّلِ الْحَشْرِ ؔؕ— مَا ظَنَنْتُمْ اَنْ یَّخْرُجُوْا وَظَنُّوْۤا اَنَّهُمْ مَّا نِعَتُهُمْ حُصُوْنُهُمْ مِّنَ اللّٰهِ فَاَتٰىهُمُ اللّٰهُ مِنْ حَیْثُ لَمْ یَحْتَسِبُوْا وَقَذَفَ فِیْ قُلُوْبِهِمُ الرُّعْبَ یُخْرِبُوْنَ بُیُوْتَهُمْ بِاَیْدِیْهِمْ وَاَیْدِی الْمُؤْمِنِیْنَ ۗ— فَاعْتَبِرُوْا یٰۤاُولِی الْاَبْصَارِ ۟
वही है, जिसने अल्लाह के साथ कुफ़्र करने और उसके रसूल मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को झुठलाने वाले बनी नज़ीर को, मदीना में स्थित उनके घरों से, मदीना से शाम (लेवांत) की ओर उनके पहले ही देश-निकाला के समय निष्कासित कर दिया। ये तौरात वाले यहूदियों में से थे। यह उनके अपनी प्रतिज्ञा को तोड़ देने और उसपर मुश्रिकों के साथ हो जाने के बाद हुआ। अल्लाह ने उन्हें शाम की ओर निकाल दिया। जबकि वे इस क़दर शक्तिशाली और ताक़तवर थे कि तुमने (ऐ मोमिनो!) सोचा भी नहीं था कि उन्हें कभी अपने घरों से निकलना पड़ेगा। और वे खुद भी समझ रहे थे कि उनके बनाए हुए क़िले उन्हें अल्लाह की पकड़ और यातना से बचा लेंगे। लेकिन अल्लाह की पकड़ उनके पास वहाँ से आई, जहाँ से आने का उन्हें अनुमान नहीं था। चुनाँचे अल्लाह ने अपने रसूल को उनसे युद्ध करने और उन्हें उनके घरों से निकाल बाहर करने का आदेश दे दिया। साथ ही अल्लाह ने उनके दिलों में अत्यधिक भय डाल दिया। वे अपने घरों को अंदर से अपने ही हाथों से विध्वंस कर रहे थे, ताकि मुसलमान उनसे लाभ न उठा सकें तथा मुसलमान उन्हें बाहर से विध्वंस कर रहे थे। अतः ऐ समझ-बूझ रखने वालो! इन लोगों को इनके कुफ़्र के कारण जिस चीज़ का सामना करना पड़ा, उससे सीख ग्रहण करो। इसलिए उनकी तरह मत बनो, अन्यथा उन्हीं के जैसे बदले और सज़ा का सामना करना पड़ेगा।
अरबी तफ़सीरें:
وَلَوْلَاۤ اَنْ كَتَبَ اللّٰهُ عَلَیْهِمُ الْجَلَآءَ لَعَذَّبَهُمْ فِی الدُّنْیَا ؕ— وَلَهُمْ فِی الْاٰخِرَةِ عَذَابُ النَّارِ ۟
और अगर अल्लाह ने उनपर उन्हें उनके घरों से बाहर निकाल दिया जाना न लिख दिया होता, तो निश्चय वह दुनिया में उन्हें क़त्ल और क़ैद की सज़ा देता, और उनके लिए आख़िरत में आग की यातना है, जो उनकी प्रतीक्षा कर रही है, जिसमें वे हमेशा के लिए रहेंगे।
अरबी तफ़सीरें:
इस पृष्ठ की आयतों से प्राप्त कुछ बिंदु:
• المحبة التي لا تجعل المسلم يتبرأ من دين الكافر ويكرهه، فإنها محرمة، أما المحبة الفطرية؛ كمحبة المسلم لقريبه الكافر، فإنها جائزة.
• ऐसा प्रेम, जो एक मुसलमान को काफ़िर के धर्म से बरी होने का इज़हार करने और उससे घृणा करने से रोक दे, वह निषिद्ध (हराम) है। लेकिन रही बात जन्मजात प्रेम की; जैसे कि एक मुसलमान का अपने काफ़िर रिश्तेदार से प्रेम करना, तो वह जायज़ है।

• رابطة الإيمان أوثق الروابط بين أهل الإيمان.
• ईमान का बंधन ईमान वालों के बीच सबसे मज़बूत बंधन है।

• قد يعلو أهل الباطل حتى يُظن أنهم لن ينهزموا، فتأتي هزيمتهم من حيث لا يتوقعون.
• कभी-कभी असत्य पर चलने वाले बढ़ जाते हैं यहाँ तक कि यह सोचा जाता है कि वे कभी पराजित नहीं होंगे। इसलिए उनकी पराजय ऐसी जगह से आती है, जिसकी उन्हें उम्मीद नहीं होती है।

• من قدر الله في الناس دفع المصائب بوقوع ما دونها من المصائب.
• लोगों में अल्लाह के फैसले का एक दृश्य यह भी है कि वह बड़ी आपदाओं को उनसे छोटी आपदाएँ लाकर टाल देता है।

ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ شَآقُّوا اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ ۚ— وَمَنْ یُّشَآقِّ اللّٰهَ فَاِنَّ اللّٰهَ شَدِیْدُ الْعِقَابِ ۟
यह जो उनके साथ हुआ, वह इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने कुफ़्र करके और प्रतिज्ञाएँ तोड़कर अल्लाह का विरोध किया और उसके रसूल का विरोध किया। और जो अल्लाह का विरोध करे, तो अल्लाह बहुत कड़ी सज़ा देने वाला है। इसलिए उसे उसकी कड़ी सज़ा मिलकर रहेगी।
अरबी तफ़सीरें:
مَا قَطَعْتُمْ مِّنْ لِّیْنَةٍ اَوْ تَرَكْتُمُوْهَا قَآىِٕمَةً عَلٰۤی اُصُوْلِهَا فَبِاِذْنِ اللّٰهِ وَلِیُخْزِیَ الْفٰسِقِیْنَ ۟
तुमने (ऐ मोमिनो के समुदाय) बनी नज़ीर के युद्ध के दौरान, अल्लाह के दुश्मनों को भड़काने के लिए जो भी खजूर के पेड़ काटे या जो पेड़ उनके तनों पर खड़े छोड़ दिए ताकि उनसे लाभ उठाओ, वह अल्लाह के आदेश से था। वह धरती में बिगाड़ पैदा करना नहीं था, जैसा कि उन्होंने दावा किया है। यह सब इसलिए हुआ ताकि अल्लाह अपनी अवज्ञा से निकल जाने वाले उन यहूदियों को अपमानित करे, जिन्होंने वचन तोड़ा और वफादारी के रास्ते को त्यागकर विश्वासघात का रास्ता चुना।
अरबी तफ़सीरें:
وَمَاۤ اَفَآءَ اللّٰهُ عَلٰی رَسُوْلِهٖ مِنْهُمْ فَمَاۤ اَوْجَفْتُمْ عَلَیْهِ مِنْ خَیْلٍ وَّلَا رِكَابٍ وَّلٰكِنَّ اللّٰهَ یُسَلِّطُ رُسُلَهٗ عَلٰی مَنْ یَّشَآءُ ؕ— وَاللّٰهُ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌ ۟
और अल्लाह ने बनी नज़ीर की संपत्ति में से अपने रसूल को जो कुछ दिया, तो उसे पाने के लिए तुमने घोड़े और ऊँट नहीं दौड़ाए और तुम्हें उसके लिए कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ा। लेकिन अल्लाह अपने रसूल को जिसपर चाहता है, प्रभुत्व प्रदान कर देता है। चुनाँचे उसने अपने रसूल को बनी नज़ीर पर प्रभुत्व प्रदान कर दिया। इसलिए आपने बिना युद्ध किए उनके नगर पर विजय प्राप्त कर ली। और अल्लाह हर चीज़ का सामर्थ्य रखता है। उसे कोई चीज़ विवश नहीं कर सकती।
अरबी तफ़सीरें:
مَاۤ اَفَآءَ اللّٰهُ عَلٰی رَسُوْلِهٖ مِنْ اَهْلِ الْقُرٰی فَلِلّٰهِ وَلِلرَّسُوْلِ وَلِذِی الْقُرْبٰی وَالْیَتٰمٰی وَالْمَسٰكِیْنِ وَابْنِ السَّبِیْلِ ۙ— كَیْ لَا یَكُوْنَ دُوْلَةً بَیْنَ الْاَغْنِیَآءِ مِنْكُمْ ؕ— وَمَاۤ اٰتٰىكُمُ الرَّسُوْلُ فَخُذُوْهُ ۚ— وَمَا نَهٰىكُمْ عَنْهُ فَانْتَهُوْا ۚ— وَاتَّقُوا اللّٰهَ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ شَدِیْدُ الْعِقَابِ ۟ۘ
अल्लाह ने अपने रसूल को बस्तियों वालों की संपत्ति में से जो कुछ बिना युद्ध किए दिया है, वह अल्लाह के लिए है, वह जिसे चाहे प्रदान करे, तथा उसके रसूल के लिए है जो उनके स्वामित्व में है, तथा बनी हाशिम और बनी मुत्तलिब में से आपके रिश्तेदारों के लिए है; उनके लिए उसके मुआवज़े के रूप में है जो उन्हें दान से रोक दिया गया है, तथा अनाथों के लिए, ग़रीबों के लिए और उस पथिक के लिए है जिसका खर्च समाप्त हो गया हो। यह आदेश इसलिए दिया गया है, ताकि ऐसा न हो कि धन केवल अमीरों के बीच घूमता रहे और ग़रीब लोग उससे वंचित रह जाएँ। और रसूल तुम्हें बिना युद्ध के प्राप्त होने वाले धन में से जो कुछ दें, उसे (ऐ ईमान वालो!) ले लो और जिससे तुम्हें रोक दें, उससे रुक जाओ। और अल्लाह से, उसके आदेशों का पालन करते हुए और उसके निषेधों से बचते हुए, डरते रहो। निश्चय अल्लाह बहुत कठोर सज़ा देने वाला है। अतः उसकी सज़ा से बचो।
अरबी तफ़सीरें:
لِلْفُقَرَآءِ الْمُهٰجِرِیْنَ الَّذِیْنَ اُخْرِجُوْا مِنْ دِیَارِهِمْ وَاَمْوَالِهِمْ یَبْتَغُوْنَ فَضْلًا مِّنَ اللّٰهِ وَرِضْوَانًا وَّیَنْصُرُوْنَ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ ؕ— اُولٰٓىِٕكَ هُمُ الصّٰدِقُوْنَ ۟ۚ
इस धन का कुछ हिस्सा अल्लाह की ख़ातिर घर-बार छोड़ने वाले उन ग़रीबों पर खर्च किया जाएगा, जो अपने धनों और बाल-बच्चों को छोड़ने के लिए मजबूर किए गए। वे आशा करते हैं कि अल्लाह उन्हें इस दुनिया में जीविका और आख़िरत में अपनी प्रसन्नता प्रदान करेगा। वे अल्लाह के रास्ते में जिहाद करके अल्लाह की मदद तथा उसके रसूल की मदद करते हैं। जो इन गुणों से विशिष्ट हैं, वही लोग वास्तव में ईमान में दृढ़ हैं।
अरबी तफ़सीरें:
وَالَّذِیْنَ تَبَوَّءُو الدَّارَ وَالْاِیْمَانَ مِنْ قَبْلِهِمْ یُحِبُّوْنَ مَنْ هَاجَرَ اِلَیْهِمْ وَلَا یَجِدُوْنَ فِیْ صُدُوْرِهِمْ حَاجَةً مِّمَّاۤ اُوْتُوْا وَیُؤْثِرُوْنَ عَلٰۤی اَنْفُسِهِمْ وَلَوْ كَانَ بِهِمْ خَصَاصَةٌ ۫ؕ— وَمَنْ یُّوْقَ شُحَّ نَفْسِهٖ فَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْمُفْلِحُوْنَ ۟ۚ
और वे अंसार, जो मुहाजिरों से पहले से मदीना में निवास करते थे तथा उन्होंने अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान को चुन लिया था, वे उन लोगों से प्रेम करते हैं, जो मक्का से हिजरत करके उनके यहाँ आए हैं। तथा अपने दिलों में अल्लाह के रास्ते में हिजरत करने वाले लोगों के बारे में कोई क्रोध तथा ईर्ष्या नहीं पाते, जब मुहाजिरों को बिना युद्ध के प्राप्त होने वाले धन में से कुछ दिया जाता है और उन्हें नहीं दिया जाता। और वे सांसारिक फायदों के मामले में, मुहाजिरों को खुद से आगे रखते हैं, यद्यपि खुद ग़रीब और ज़रूरतमंद हों। और जिसके दिल को अल्लाह धन की लालच से बचा ले, और वह उसे अल्लाह की राह में खर्च करने लगे, तो ऐसे ही लोग हैं जो अपनी आकांक्षाओं की प्राप्ति और जिस चीज़ से डरते हैं उससे मुक्ति में सफल होने वाले हैं।
अरबी तफ़सीरें:
इस पृष्ठ की आयतों से प्राप्त कुछ बिंदु:
• فعل ما يُظنُّ أنه مفسدة لتحقيق مصلحة عظمى لا يدخل في باب الفساد في الأرض.
• किसी महानतम हित को प्राप्त करने के लिए कोई ऐसा काम करना जिसे बिगाड़ (खराबी) समझा जाता है, पृथ्वी पर बिगाड़ करने के अंतर्गत नहीं आता है।

• من محاسن الإسلام مراعاة ذي الحاجة للمال، فَصَرَفَ الفيء لهم دون الأغنياء المكتفين بما عندهم.
• इस्लाम के गुणों में से एक पैसे के लिए ज़रूरतमंद लोगों का ध्यान रखना है, इसीलिए बिना युद्ध के प्राप्त होने वाला धन उन्हें दिया गया है, लेकिन धनी लोगों को नहीं, जिनके पास पर्याप्त धन हो।

• الإيثار منقبة عظيمة من مناقب الإسلام ظهرت في الأنصار أحسن ظهور.
• ईसार (दूसरे के हित के लिए अपना हित त्याग देना) इस्लाम के उत्कृष्ट गुणों में से एक महान गुण है, जो अंसारी सहाबा में सर्वश्रेष्ठ रूप से दिखाई दिया।

وَالَّذِیْنَ جَآءُوْ مِنْ بَعْدِهِمْ یَقُوْلُوْنَ رَبَّنَا اغْفِرْ لَنَا وَلِاِخْوَانِنَا الَّذِیْنَ سَبَقُوْنَا بِالْاِیْمَانِ وَلَا تَجْعَلْ فِیْ قُلُوْبِنَا غِلًّا لِّلَّذِیْنَ اٰمَنُوْا رَبَّنَاۤ اِنَّكَ رَءُوْفٌ رَّحِیْمٌ ۟۠
और जो इन लोगों के बाद आए और क़ियामत के दिन तक भलाई के साथ उनका अनुसरण किया, वे कहते हैं : ऐ हमारे पालनहार! हमें क्षमा कर दे और हमारे उन इस्लामी भाइयों को भी क्षमा कर दे, जो हमसे पहले अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाए हैं। तथा हमारे दिलों में किसी मोमिन के प्रति घृणा तथा द्वेष न रख। ऐ हामारे पालनहार! निश्चय तू अपने बंदों के प्रति बहुत स्नेहक, उनपर अत्यंत दयालु है।
अरबी तफ़सीरें:
اَلَمْ تَرَ اِلَی الَّذِیْنَ نَافَقُوْا یَقُوْلُوْنَ لِاِخْوَانِهِمُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا مِنْ اَهْلِ الْكِتٰبِ لَىِٕنْ اُخْرِجْتُمْ لَنَخْرُجَنَّ مَعَكُمْ وَلَا نُطِیْعُ فِیْكُمْ اَحَدًا اَبَدًا ۙ— وَّاِنْ قُوْتِلْتُمْ لَنَنْصُرَنَّكُمْ ؕ— وَاللّٰهُ یَشْهَدُ اِنَّهُمْ لَكٰذِبُوْنَ ۟
क्या (ऐ रसूल) आपने उन लोगों को नहीं देखा, जिन्होंने कुफ़्र को छिपाया और ईमान का प्रदर्शन किया कि वे विकृत तौरात को मानने वाले यहूदियों में से अपने काफ़िर भाइयों से कहते हैं : अपने घरों के अंदर डटे रहो, हम तुम्हारी सहायता से पीछे नहीं हटेंगे और तुम्हें असहाय नहीं छोड़ेंगे। यदि मुसलमानों ने तुम्हें यहाँ से बाहर निकाल दिया, तो हम भी तुम्हारे साथ एकजुटता दिखाते हुए निकल खड़े होंगे। तथा हम किसी की भी बात नहीं मानेंगे, जो हमें तुम्हारे साथ बाहर जाने से रोकना चाहेगा। और अगर मुसलमानों ने तुमसे युद्ध किया, तो हम उनके विरुद्ध तुम्हारी मदद करेंगे। हालाँकि अल्लाह गवाही देता है कि निःसंदेह मुनाफ़िक़ अपने इस दावे में झूठे हैं कि यदि यहूदियों को निकाला गया तो वे उनके साथ निकल खड़े होंगे और यदि उनसे युद्ध किया गया तो वे उनकी ओर से युद्ध करेंगे।
अरबी तफ़सीरें:
لَىِٕنْ اُخْرِجُوْا لَا یَخْرُجُوْنَ مَعَهُمْ ۚ— وَلَىِٕنْ قُوْتِلُوْا لَا یَنْصُرُوْنَهُمْ ۚ— وَلَىِٕنْ نَّصَرُوْهُمْ لَیُوَلُّنَّ الْاَدْبَارَ ۫— ثُمَّ لَا یُنْصَرُوْنَ ۟
अगर मुसलमानों ने यहूदियों को निकाल दिया, तो वे उनके साथ नहीं निकलेंगे। और अगर मुसलमानों ने उनसे युद्ध किया, तो वे उनकी सहायता और मदद नहीं करेंगे। और अगर उनकी मदद और सहायता करने के लिए निकले भी, तो उनसे पीठ फेरकर भाग खड़े होंगे। फिर इसके बाद मुनाफ़िक़ों की मदद नहीं की जाएगी, बल्कि अल्लाह उन्हें अपमानित और तिरस्कृत करेगा।
अरबी तफ़सीरें:
لَاَنْتُمْ اَشَدُّ رَهْبَةً فِیْ صُدُوْرِهِمْ مِّنَ اللّٰهِ ؕ— ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ قَوْمٌ لَّا یَفْقَهُوْنَ ۟
निश्चय मुनाफ़िकों और यहूदियों के दिलों में (ऐ मोमिनो) तुम्हारा भय अल्लाह (के भय) से अधिक है। और यह (अर्थात् उनका तुमसे अत्यधिक डरना और अल्लाह का डर कमज़ोर होना) इस कारण है कि वे ऐसे लोग हैं, जो कुछ नहीं समझते। क्योंकि यदि वे समझते होते, तो उन्हें पता होता कि अल्लाह डरने और भयभीत होने के अधिक योग्य है। क्योंकि उसी ने तुम्हें उनपर प्रभुत्व प्रदान किया है।
अरबी तफ़सीरें:
لَا یُقَاتِلُوْنَكُمْ جَمِیْعًا اِلَّا فِیْ قُرًی مُّحَصَّنَةٍ اَوْ مِنْ وَّرَآءِ جُدُرٍ ؕ— بَاْسُهُمْ بَیْنَهُمْ شَدِیْدٌ ؕ— تَحْسَبُهُمْ جَمِیْعًا وَّقُلُوْبُهُمْ شَتّٰی ؕ— ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ قَوْمٌ لَّا یَعْقِلُوْنَ ۟ۚ
यहूदी तुमसे (ऐ मोमिनो) इकट्ठे होकर युद्ध नहीं करेंगे, परंतु क़िलेबंद बस्तियों में या दीवारों के पीछे से। क्योंकि वे अपनी कायरता के कारण तुम्हारा सामना नहीं कर सकते। उनके बीच दुश्मनी के कारण उनकी आपस की लड़ाई बहुत सख़्त है। आप समझते हैं कि वे एकजुट हैं और उनके अंदर एकता है, जबकि सच्चाई यह है कि उनके दिल अलग-अलग हैं। यह विभेद और दुश्मनी इस कारण है कि वे बुद्धि नहीं रखते। क्योंकि यदि वे बुद्धि रखते, तो सत्य को जानते और उसका पालन करते और उसके बारे में विभेद न करते।
अरबी तफ़सीरें:
كَمَثَلِ الَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ قَرِیْبًا ذَاقُوْا وَبَالَ اَمْرِهِمْ ۚ— وَلَهُمْ عَذَابٌ اَلِیْمٌ ۟ۚ
इन यहूदियों का उदाहरण उनके कुफ़्र तथा यातना ग्रस्त होने में, ठीक उसी तरह है, जैसे हाल ही में उन लोगों का था जो इनसे पहले मक्का के बहुदेववादियों में से थे। चुनाँचे उन्होंने अपने कुफ़्र का बुरा परिणाम चख लिया और बद्र के दिन उनमें से कुछ लोग मारे गए और कुछ लोग पकड़ लिए गए। तथा आख़िरत में उनके लिए दर्दनाक यातना है।
अरबी तफ़सीरें:
كَمَثَلِ الشَّیْطٰنِ اِذْ قَالَ لِلْاِنْسَانِ اكْفُرْ ۚ— فَلَمَّا كَفَرَ قَالَ اِنِّیْ بَرِیْٓءٌ مِّنْكَ اِنِّیْۤ اَخَافُ اللّٰهَ رَبَّ الْعٰلَمِیْنَ ۟
मुनाफ़िक़ों की बात सुनने के मामले में इन (यहूदियों) का उदाहरण शैतान की तरह है जब वह इनसान के लिए कुफ़्र करने को सुंदर बनाकर पेश करता है, फिर जब वह उसके लिए कुफ़्र को शोभित करने के कारण कुफ़्र कर बैठता है, तो कहता है : मैं तुम्हारे इस कुफ़्र करने से बरी हूँ। मैं प्राणियों के पालनहार अल्लाह से डरता हूँ।
अरबी तफ़सीरें:
इस पृष्ठ की आयतों से प्राप्त कुछ बिंदु:
• رابطة الإيمان لا تتأثر بتطاول الزمان وتغير المكان.
• ईमान का बंधन समय के लंबे होने और स्थान के परिवर्तन से प्रभावित नहीं होता है।

• صداقة المنافقين لليهود وغيرهم صداقة وهمية تتلاشى عند الشدائد.
• यहूदियों और अन्य लोगों के साथ मुनाफ़िक़ों की दोस्ती एक भ्रामक (नकली) दोस्ती होती है, जो कठिनाइयों के समय हवा हो जाती है।

• اليهود جبناء لا يواجهون في القتال، ولو قاتلوا فإنهم يتحصنون بِقُرَاهم وأسلحتهم.
• यहूदी कायर हैं, आमने-सामने युद्ध नहीं कर सकते। और यदि युद्ध करें भी, तो अपनी बस्तियों में क़िलेबंद और हथियारों से लेस होकर।

فَكَانَ عَاقِبَتَهُمَاۤ اَنَّهُمَا فِی النَّارِ خَالِدَیْنِ فِیْهَا ؕ— وَذٰلِكَ جَزٰٓؤُا الظّٰلِمِیْنَ ۟۠
अतः शैतान और उसकी बात मानने वाले इनसान, दोनों का अंतिम परिणाम यह हुआ कि दोनों क़ियामत के दिन जहन्नम में जाएँगे, जिसमें हमेशा के लिए रहेंगे। और यह प्रतिफल जो उन दोनों की प्रतीक्षा कर रहा है, यही उन लोगों का बदला है, जो अल्लाह की मर्यादाओं को लांघ कर अपने आपपर अत्याचार करने वाले हैं।
अरबी तफ़सीरें:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوا اتَّقُوا اللّٰهَ وَلْتَنْظُرْ نَفْسٌ مَّا قَدَّمَتْ لِغَدٍ ۚ— وَاتَّقُوا اللّٰهَ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ خَبِیْرٌ بِمَا تَعْمَلُوْنَ ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने और उसकी शरीयत पर अमल करने वालो! अल्लाह से, उसके आदेशों का पालन करते हुए और उसके निषेधों से बचते हुए, डरते रहो। और हर आदमी यह विचार करे कि उसने क़ियामत के दिन के लिए क्या नेक कार्य आगे भेजा है। तथा अल्लाह से डरो। निश्चय वह तुम्हारे कर्मों से अच्छी तरह अवगत है। उससे तुम्हारा कोई कार्य छिपा नहीं है। और वह तुम्हें तुम्हारे कर्मों का बदला देगा।
अरबी तफ़सीरें:
وَلَا تَكُوْنُوْا كَالَّذِیْنَ نَسُوا اللّٰهَ فَاَنْسٰىهُمْ اَنْفُسَهُمْ ؕ— اُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْفٰسِقُوْنَ ۟
और उन लोगों की तरह न हो जाओ, जिन्होंने अल्लाह को, उसके आदेशों का पालन करना और उसके निषेधों से बचना छोड़कर, भुला दिया। तो अल्लाह ने उन्हें ऐसा कर दिया कि वे अपने आप ही को भूल गए। चुनाँचे उन्होंने अपने आपको अल्लाह के क्रोध और उसके दंड से बचाने के लिए कार्य नहीं किया। यही लोग, जिन्होंने अल्लाह को भुला दिया - चुनाँचे उसके आदेश का पालन नहीं किया और उसके निषेध से नहीं बचे - अल्लाह की आज्ञाकारिता से बाहर निकलने वाले हैं।
अरबी तफ़सीरें:
لَا یَسْتَوِیْۤ اَصْحٰبُ النَّارِ وَاَصْحٰبُ الْجَنَّةِ ؕ— اَصْحٰبُ الْجَنَّةِ هُمُ الْفَآىِٕزُوْنَ ۟
जहन्नम वाले और जन्नत वाले बराबर नहीं हो सकते। बल्कि जैसे दुनिया में उनके कर्म अलग-अलग थे, वैसे ही आख़िरत में उनके प्रतिफल अलग-अलग होंगे। जन्नत वाले लोग ही अपनी इच्छित चीज़ों को प्राप्त करने और अपने भय की चीज़ों से बचने में सफल लोग हैं।
अरबी तफ़सीरें:
لَوْ اَنْزَلْنَا هٰذَا الْقُرْاٰنَ عَلٰی جَبَلٍ لَّرَاَیْتَهٗ خَاشِعًا مُّتَصَدِّعًا مِّنْ خَشْیَةِ اللّٰهِ ؕ— وَتِلْكَ الْاَمْثَالُ نَضْرِبُهَا لِلنَّاسِ لَعَلَّهُمْ یَتَفَكَّرُوْنَ ۟
अगर हमने इस क़ुरआन को किसी पहाड़ पर उतारा होता, तो (ऐ रसूल!) आप देखते कि वह पहाड़ अपनी कठोरता के बावजूद, अल्लाह के भय की गंभीरता से दब कर टूट जाता; क्योंकि उसमें निरोधात्मक उपदेश और कड़ी चेतावनियाँ हैं। ये उदाहरण हम लोगों के लिए इसलिए बयान करते हैं, ताकि वे अपनी बुद्धियों से काम लें और इस क़ुरआन की आयतों में जो उपदेश और शिक्षाएँ हैं, उनसे सीख प्राप्त करें।
अरबी तफ़सीरें:
هُوَ اللّٰهُ الَّذِیْ لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ۚ— عٰلِمُ الْغَیْبِ وَالشَّهَادَةِ ۚ— هُوَ الرَّحْمٰنُ الرَّحِیْمُ ۟
22 - 23 - वही अल्लाह है, जिसके सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं, वह परोक्ष तथा प्रत्यक्ष का जानने वाला है, उसमें से कुछ भी उससे छिपा नहीं है। वह दुनिया तथा आख़िरत में अत्यंत दयावान् और असीम दया करने वाला है, उसकी दया सभी लोकों पर विस्तारित है, वह बादशाह है, हर कमी से पाक और पवित्र है, हर दोष से रहित है। स्पष्ट निशानियों (चमत्कारों) के द्वारा अपने रसूलों की पुष्टि करने वाला है, अपने बंदों के कर्मों पर निरीक्षक है, सब पर प्रभुत्वशाली है, जिसपर कोई विजय प्राप्त नहीं कर सकता, शक्तिशाली है जिसने हर वस्तु को अपनी शक्ति से वशीभूत कर रखा है, बहुत बड़ाई वाला है। अल्लाह उन मूर्तियों आदि से पवित्र है, जिन्हें मुश्रिक लोग उसके साथ साझी बनाते हैं।
अरबी तफ़सीरें:
هُوَ اللّٰهُ الَّذِیْ لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ۚ— اَلْمَلِكُ الْقُدُّوْسُ السَّلٰمُ الْمُؤْمِنُ الْمُهَیْمِنُ الْعَزِیْزُ الْجَبَّارُ الْمُتَكَبِّرُ ؕ— سُبْحٰنَ اللّٰهِ عَمَّا یُشْرِكُوْنَ ۟
22 - 23 - वही अल्लाह है, जिसके सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं, वह परोक्ष तथा प्रत्यक्ष का जानने वाला है, उसमें से कुछ भी उससे छिपा नहीं है। वह दुनिया तथा आख़िरत में अत्यंत दयावान् और असीम दया करने वाला है, उसकी दया सभी लोकों पर विस्तारित है, वह बादशाह है, हर कमी से पाक और पवित्र है, हर दोष से रहित है। स्पष्ट निशानियों (चमत्कारों) के द्वारा अपने रसूलों की पुष्टि करने वाला है, अपने बंदों के कर्मों पर निरीक्षक है, सब पर प्रभुत्वशाली है, जिसपर कोई विजय प्राप्त नहीं कर सकता, शक्तिशाली है जिसने हर वस्तु को अपनी शक्ति से वशीभूत कर रखा है, बहुत बड़ाई वाला है। अल्लाह उन मूर्तियों आदि से पवित्र है, जिन्हें मुश्रिक लोग उसके साथ साझी बनाते हैं।
अरबी तफ़सीरें:
هُوَ اللّٰهُ الْخَالِقُ الْبَارِئُ الْمُصَوِّرُ لَهُ الْاَسْمَآءُ الْحُسْنٰی ؕ— یُسَبِّحُ لَهٗ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ۚ— وَهُوَ الْعَزِیْزُ الْحَكِیْمُ ۟۠
वही अल्लाह रचयिता है, जिसने हर चीज़ की रचना की। वह चीज़ों को अस्तित्व प्रदान करनेवाला है, वह जैसा चाहता है, उसके अनुसार अपनी मखलूक़ात को रूप देने वाला है। उस महिमावान के सबसे सुंदर नाम हैं जो उसकी सर्वोच्च विशेषताओं पर आधारित हैं। हर वह चीज़ जो आकाशों और धरती में है उसके हर कमी से पवित्र और उत्कृष्ट होने का वर्णन करती है, वह प्रभुत्वशाली है, जिसपर कोई विजय प्राप्त नहीं कर सकता, वह अपनी रचना, विधान और निर्णय में ह़िकमत वाला है।
अरबी तफ़सीरें:
इस पृष्ठ की आयतों से प्राप्त कुछ बिंदु:
• من علامات توفيق الله للمؤمن أنه يحاسب نفسه في الدنيا قبل حسابها يوم القيامة.
• मोमिन के लिए अल्लाह की तौफ़ीक़ के संकेतों में से एक यह है कि वह क़ियामत के दिन के हिसाब से पहले इस दुनिया में आत्मसमीक्षा करता रहे।

• في تذكير العباد بشدة أثر القرآن على الجبل العظيم؛ تنبيه على أنهم أحق بهذا التأثر لما فيهم من الضعف.
• बंदों को महान पर्वत पर क़ुरआन के प्रभाव की तीव्रता को याद दिलाने में; इस बात की चेतावनी देना है कि वे अपनी कमज़ोरी के कारण इसके प्रभाव को स्वीकार करने के अधिक योग्य हैं।

• أشارت الأسماء (الخالق، البارئ، المصور) إلى مراحل تكوين المخلوق من التقدير له، ثم إيجاده، ثم جعل له صورة خاصة به، وبذكر أحدها مفردًا فإنه يدل على البقية.
• अल्लाह के ये नाम (पैदा करने वाला, अस्तित्व में लाने वाला, रूप देने वाला) मख़लूक़ की रचना के चरणों को इंगित करते हैं, जैसे कि उसका अनुमान करना, फिर उसे अस्तित्व में लाना, फिर उसे उसका विशेष रूप प्रदान करना। इन नामों में से किसी एक नाम का यदि अकेले उल्लेख किया जाए, तो वह शेष को भी दर्शाता है।

 
अर्थों का अनुवाद सूरा: सूरा अल्-ह़श्र
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क़ुरआन के अर्थों का अनुवाद - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - अनुवादों की सूची

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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