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क़ुरआन के अर्थों का अनुवाद - पवित्र क़ुरआन की संक्षिप्त व्याख्या का हिंदी अनुवाद। * - अनुवादों की सूची


अर्थों का अनुवाद सूरा: अल्-आराफ़   आयत:
قُلْ لَّاۤ اَمْلِكُ لِنَفْسِیْ نَفْعًا وَّلَا ضَرًّا اِلَّا مَا شَآءَ اللّٰهُ ؕ— وَلَوْ كُنْتُ اَعْلَمُ الْغَیْبَ لَاسْتَكْثَرْتُ مِنَ الْخَیْرِ ۛۚ— وَمَا مَسَّنِیَ السُّوْٓءُ ۛۚ— اِنْ اَنَا اِلَّا نَذِیْرٌ وَّبَشِیْرٌ لِّقَوْمٍ یُّؤْمِنُوْنَ ۟۠
(ऐ मुहम्मद!) आप कह दें : मैं न अपने लिए कोई भलाई प्राप्त कर सकता हूँ और न अपने आपसे कोई बुराई दूर कर सकता हूँ, सिवाय इसके कि अल्लाह चाहे। यह काम केवल अल्लाह का है। मैं केवल वही जानता हूँ, जो अल्लाह ने मुझे सिखाया है। चुनाँचे मैं ग़ैब की बात नहीं जानता। अगर मैं ग़ैब की बात जानता होता, तो चीज़ों को उनके होने से पहले जानने और उनके परिणाम से अवगत होने की वजह से अवश्य उन कारणों को अपनाया होता, जिन्हें मैं जानता हूँ कि वे मेरे हितों की पूर्ति करते और मुझसे बुराइयों को दूर करते हैं। मैं तो केवल अल्लाह की ओर से भेजा हुआ एक रसूल हूँ। उसकी दुखदायी यातना से डराता हूँ और उन लोगों को उसके उदार प्रतिफल की शुभ सूचना देता हूँ, जो इस बात पर विश्वास रखते हैं कि मैं अल्लाह का रसूल हूँ और मैं जो कुछ लेकर आया हूँ, उसे सच्चा मानते हैं।
अरबी तफ़सीरें:
هُوَ الَّذِیْ خَلَقَكُمْ مِّنْ نَّفْسٍ وَّاحِدَةٍ وَّجَعَلَ مِنْهَا زَوْجَهَا لِیَسْكُنَ اِلَیْهَا ۚ— فَلَمَّا تَغَشّٰىهَا حَمَلَتْ حَمْلًا خَفِیْفًا فَمَرَّتْ بِهٖ ۚ— فَلَمَّاۤ اَثْقَلَتْ دَّعَوَا اللّٰهَ رَبَّهُمَا لَىِٕنْ اٰتَیْتَنَا صَالِحًا لَّنَكُوْنَنَّ مِنَ الشّٰكِرِیْنَ ۟
वही अल्लाह है, जिसने तुम्हें (ऐ पुरुषो और महिलाओ!) एक ही जान अर्थात् आदम अलैहिस्सलाम से पैदा किया और आदम अलैहिस्सलाम से उनकी पत्नी ह़व्वा को पैदा किया। ह़व्वा को आदम अलैहिस्सलाम की पसली से पैदा किया, ताकि आदम अलैहिस्सलाम उनसे सुकून हासिल करें और संतुष्ट रहें। फिर जब एक पति ने अपनी पत्नी के साथ संभोग किया, तो उसे हल्का सा गर्भ ठहर गया, जिसे वह महसूस नहीं करती थी। क्योंकि वह अपनी शुरुआत में था। वह अपनी इस गर्भावस्था पर रहते हुए अपनी ज़रूरत के काम-काज करती रही, उसे कोई बोझ महसूस नहीं होता था। फिर उसके पेट में गर्भ के बड़ा होने पर, उसे भारीपन महसूस हुआ, तो पति-पत्नी ने मिलकर अल्लाह से दुआ करते हुए कहा : (ऐ हमारे पालनहार!) अगर तूने हमें एक स्वस्थ बच्चा प्रदान किया, तो हम तेरी नेमतों का शुक्रिया अदा करने वालों में से होंगे।
अरबी तफ़सीरें:
فَلَمَّاۤ اٰتٰىهُمَا صَالِحًا جَعَلَا لَهٗ شُرَكَآءَ فِیْمَاۤ اٰتٰىهُمَا ۚ— فَتَعٰلَی اللّٰهُ عَمَّا یُشْرِكُوْنَ ۟
जब अल्लाह ने उन दोनों की प्रार्थना स्वीकार करके उन्हें एक स्वस्थ बच्चा प्रदान कर दिया, तो उन्होंने अल्लाह की दी हुई संतान में उसके साझीदार बना लिए। चुनाँचे उन्होंने अपने बेटे को अल्लाह के अलावा अन्य का बंदा बना दिया और उसका नाम अब्दुल ह़ारिस (हारिस का बंदा) रख दिया। तो अल्लाह हर साझी व शरीक से बहुत ऊँचा है। क्योंकि वह पालनहार और पूज्य होने में अकेला है।
अरबी तफ़सीरें:
اَیُشْرِكُوْنَ مَا لَا یَخْلُقُ شَیْـًٔا وَّهُمْ یُخْلَقُوْنَ ۟ۚ
क्या वे इन मूर्तियों और इनके सिवा अन्य चीज़ों को इबादत में अल्लाह का साझी बनाते हैं, जबकि वे जानते हैं कि ये मूर्तियाँ कुछ पैदा नहीं करतीं, कि पूजा की हक़दार हों। बल्कि, वे स्वयं पैदा की गई हैं। तो फिर वे इन्हें कैसे अल्लाह का साझी ठहराते हैं?
अरबी तफ़सीरें:
وَلَا یَسْتَطِیْعُوْنَ لَهُمْ نَصْرًا وَّلَاۤ اَنْفُسَهُمْ یَنْصُرُوْنَ ۟
ये पूज्य न अपने पूजकों की सहायता कर सकते हैं और न खुद अपनी सहायता कर सकते हैं, तो फिर वे इनकी इबादत कैसे करते हैं?!
अरबी तफ़सीरें:
وَاِنْ تَدْعُوْهُمْ اِلَی الْهُدٰی لَا یَتَّبِعُوْكُمْ ؕ— سَوَآءٌ عَلَیْكُمْ اَدَعَوْتُمُوْهُمْ اَمْ اَنْتُمْ صَامِتُوْنَ ۟
और अगर तुम (ऐ मुश्रिको!) इन मूर्तियों को, जिन्हें तुम अल्लाह को छोड़कर पूज्य बनाते हो, हिदायत की ओर बुलाओ, तो वे तुम्हें उसका जवाब नहीं देंगी जिनकी ओर तुमने उन्हें बुलाया है और न ही वे तुम्हारा अनुसरण करेंगी। अतः उनके निकट तुम्हारा उन्हें पुकारना या तुम्हारा चुप रहना दोनों बराबर है। क्योंकि वे मात्र निर्जीव वस्तुएं हैं; जो न समझती हैं, न सुनती हैं और न बोलती हैं।
अरबी तफ़सीरें:
اِنَّ الَّذِیْنَ تَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ عِبَادٌ اَمْثَالُكُمْ فَادْعُوْهُمْ فَلْیَسْتَجِیْبُوْا لَكُمْ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟
निःसंदेह जिन लोगों की तुम (ऐ मुश्रिको!) अल्लाह के सिवा इबादत करते हो, वे अल्लाह ही के पैदा किए हुए हैं और उनका मालिक भी वही है। इस तरह वे इस बारे में तुम्हारे ही जैसे हैं। बल्कि तुम उनसे उत्तम स्थिति में हो। क्योंकि तुम ज़िंदा हो, बोलते हो, चलते-फिरते हो, सुनते हो और देखते हो। जबकि तुम्हारी मूर्तियों के पास ये शक्तियाँ नहीं हैं। अतः तुम उनको पुकारो और वे तुम्हारी पुकार का जवाब दें, यदि तुम उनके बारे में अपने दावे में सच्चे हो।
अरबी तफ़सीरें:
اَلَهُمْ اَرْجُلٌ یَّمْشُوْنَ بِهَاۤ ؗ— اَمْ لَهُمْ اَیْدٍ یَّبْطِشُوْنَ بِهَاۤ ؗ— اَمْ لَهُمْ اَعْیُنٌ یُّبْصِرُوْنَ بِهَاۤ ؗ— اَمْ لَهُمْ اٰذَانٌ یَّسْمَعُوْنَ بِهَا ؕ— قُلِ ادْعُوْا شُرَكَآءَكُمْ ثُمَّ كِیْدُوْنِ فَلَا تُنْظِرُوْنِ ۟
क्या इन मूर्तियों के, जिन्हें तुमने पूज्य बना रखा है, पाँव हैं, जिनसे वे चलती हैं, कि तुम्हारी ज़रूरतें पूरी करें? या उनके हाथ हैं, जिनसे वे तुम्हारा पूरी शक्ति से बचाव करें? या उनकी आँखें हैं, जिनसे वे उन चीज़ों को देखती हैं, जिन्हें तुम नहीं देख सकते कि तुम्हें उनसे अवगत करा सकें? या उनके कान हैं, जिनसे वे उन बातों को सुन लेती हैं, जिन्हें तुम नहीं सुन सकते, तो वे तुम्हें उनसे सूचित कर देती हैं? अगर वे इन सारी चीज़ों से खाली हैं, तो फिर तुम उन्हें लाभ प्राप्त करने या हानि से बचने की आशा में कैसे पूजते हो?! (ऐ रसूल!) आप इन मुश्रिकों से कह दें : उन लोगों को पुकारो, जिन्हें तुमने अल्लाह के बराबर बना रखा है, फिर तुम मुझे नुक़सान पहुँचाने का उपाय करो और मुझे कोई मोहलत न दो।
अरबी तफ़सीरें:
इस पृष्ठ की आयतों से प्राप्त कुछ बिंदु:
• في الآيات بيان جهل من يقصد النبي صلى الله عليه وسلم ويدعوه لحصول نفع أو دفع ضر؛ لأن النفع إنما يحصل من قِبَلِ ما أرسل به من البشارة والنذارة.
• इन आयतों में उन लोगों की मूर्खता का उल्लेख है, जो अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को लाभ प्राप्त करने या नुक़सान से बचने के लिए पुकारते हैं, क्योंकि लाभ केवल उस शुभ सूचना और चेतावनी (डरावे) के माधय्म से प्राप्त होता है, जिसके साथ आपको भेजा गया था।

• جعل الله بمنَّته من نوع الرجل زوجه؛ ليألفها ولا يجفو قربها ويأنس بها؛ لتتحقق الحكمة الإلهية في التناسل.
• अल्लाह ने अपनी कृपा से पति ही के वर्ग से उसकी पत्नी बनाई, ताकि पति को उससे लगाव हो, उसकी निकटता से उसका मन उचाट न हो और उसके साथ अपनापन महसूस करे; ताकि प्रजनन में अल्लाह की हिकमत परिपूर्ण हो।

• لا يليق بالأفضل الأكمل الأشرف من المخلوقات وهو الإنسان أن يشتغل بعبادة الأخس والأرذل من الحجارة والخشب وغيرها من الآلهة الباطلة.
• सबसे श्रेष्ठ, सबसे पूर्ण और सबसे प्रतिष्ठित मख़लूक़ अर्थात् इनसान को यह शोभा नहीं देता कि सबसे नीच और अप्रतिष्ठित चीज़ जैसे - पत्थर, लकड़ी और अन्य झूठे पूज्यों (देवताओं) की इबादत में व्यस्त हो।

 
अर्थों का अनुवाद सूरा: अल्-आराफ़
सूरों की सूची पृष्ठ संख्या
 
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कुरआनिक अध्ययन के लिए कार्यरत व्याख्या केंद्र द्वारा निर्गत।

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