क़ुरआन के अर्थों का अनुवाद - हिंदी अनुवाद * - अनुवादों की सूची

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अर्थों का अनुवाद आयत: (31) सूरा: सूरा यूसुफ़
فَلَمَّا سَمِعَتْ بِمَكْرِهِنَّ اَرْسَلَتْ اِلَیْهِنَّ وَاَعْتَدَتْ لَهُنَّ مُتَّكَاً وَّاٰتَتْ كُلَّ وَاحِدَةٍ مِّنْهُنَّ سِكِّیْنًا وَّقَالَتِ اخْرُجْ عَلَیْهِنَّ ۚ— فَلَمَّا رَاَیْنَهٗۤ اَكْبَرْنَهٗ وَقَطَّعْنَ اَیْدِیَهُنَّ ؗ— وَقُلْنَ حَاشَ لِلّٰهِ مَا هٰذَا بَشَرًا ؕ— اِنْ هٰذَاۤ اِلَّا مَلَكٌ كَرِیْمٌ ۟
चुनाँचे जब उसने उन स्त्रियों की छलकपट की बात सुनी, तो उन्हें बुला भेजा और उनके लिए गाव-तकिए लगवाए और प्रत्येक स्त्री को एक छुरी दे दी।[8] और उसने (यूसुफ़ से) कहा : इनके सामने आ जाओ। फिर जब उन स्त्रियों ने उसे देखा, तो उन्होंने उसे बहुत बड़ा समझा और अपने हाथ काट डाले तथा बोल उठीं : अल्लाह की पनाह! यह मनुष्य नहीं है। यह तो कोई सम्मानित फ़रिश्ता है।
8. ताकि अतिथि स्त्रियाँ उससे फलों को काट कर खाएँ जो उनके लिए रखे गए थे।
अरबी तफ़सीरें:
 
अर्थों का अनुवाद आयत: (31) सूरा: सूरा यूसुफ़
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पवित्र क़ुरआन के अर्थों का हिन्दी अनुवाद, अनुवादक : अज़ीज़ुल हक़ उमरी

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