क़ुरआन के अर्थों का अनुवाद - हिंदी अनुवाद * - अनुवादों की सूची

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अर्थों का अनुवाद आयत: (20) सूरा: सूरा अल्-फ़ुर्क़ान
وَمَاۤ اَرْسَلْنَا قَبْلَكَ مِنَ الْمُرْسَلِیْنَ اِلَّاۤ اِنَّهُمْ لَیَاْكُلُوْنَ الطَّعَامَ وَیَمْشُوْنَ فِی الْاَسْوَاقِ ؕ— وَجَعَلْنَا بَعْضَكُمْ لِبَعْضٍ فِتْنَةً ؕ— اَتَصْبِرُوْنَ ۚ— وَكَانَ رَبُّكَ بَصِیْرًا ۟۠
और हमने आपसे पहले कोई रसूल नहीं भेजे, परंतु निश्चय वे खाना खाते थे और बाज़ारों में चलते-फिरते[10] थे। तथा हमने तुममें से एक को दूसरे के लिए एक परीक्षण बनाया है। क्या तुम धैर्य रखोगे? तथा आपका पालनहार हमेशा से सब कुछ देखने[11] वाला है।
10. अर्थात वे मानव पुरुष थे। 11. आयत का भावार्थ यह है कि अल्लाह चाहता, तो पूरा संसार रसूलों का साथ देता। परंतु वह लोगों की रसूलों द्वारा तथा रसूलों की लोगों द्वारा परीक्षा लेना चाहता है कि लोग ईमान लाते हैं या नहीं और रसूल धैर्य रखते हैं या नहीं।
अरबी तफ़सीरें:
 
अर्थों का अनुवाद आयत: (20) सूरा: सूरा अल्-फ़ुर्क़ान
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पवित्र क़ुरआन के अर्थों का हिन्दी अनुवाद, अनुवादक : अज़ीज़ुल हक़ उमरी

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