क़ुरआन के अर्थों का अनुवाद - हिंदी अनुवाद * - अनुवादों की सूची

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अर्थों का अनुवाद आयत: (31) सूरा: सूरा अत्-तौबा
اِتَّخَذُوْۤا اَحْبَارَهُمْ وَرُهْبَانَهُمْ اَرْبَابًا مِّنْ دُوْنِ اللّٰهِ وَالْمَسِیْحَ ابْنَ مَرْیَمَ ۚ— وَمَاۤ اُمِرُوْۤا اِلَّا لِیَعْبُدُوْۤا اِلٰهًا وَّاحِدًا ۚ— لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ؕ— سُبْحٰنَهٗ عَمَّا یُشْرِكُوْنَ ۟
उन्होंने अपने विद्वानों और अपने दरवेशों को अल्लाह के सिवा रब बना[12] लिया तथा मरयम के पुत्र मसीह को (भी)। हालाँकि, उन्हें इसके सिवा आदेश नहीं दिया गया था कि वे एक पूज्य की इबादत करें, उसके सिवा कोई सच्चा पूज्य नहीं। वह उससे पवित्र है, जो वे साझी बनाते हैं।
12. ह़दीस में है कि उनके किसी चीज़ को हलाल ठहराने को हलाल समझना और किसी चीज़ को हराम ठहराने को हराम समझना ही उनको पूज्य बनाना था। (तिरमिज़ी : 3095, यह ह़दीस हसन है।)
अरबी तफ़सीरें:
 
अर्थों का अनुवाद आयत: (31) सूरा: सूरा अत्-तौबा
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पवित्र क़ुरआन के अर्थों का हिन्दी अनुवाद, अनुवादक : अज़ीज़ुल हक़ उमरी

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