ಪವಿತ್ರ ಕುರ್‌ಆನ್ ಅರ್ಥಾನುವಾದ - ಹಿಂದಿ ಅನುವಾದ * - ಅನುವಾದಗಳ ವಿಷಯಸೂಚಿ

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ಅರ್ಥಗಳ ಅನುವಾದ ಶ್ಲೋಕ: (10) ಅಧ್ಯಾಯ: ಸೂರ ಫಾತ್ವಿರ್
مَنْ كَانَ یُرِیْدُ الْعِزَّةَ فَلِلّٰهِ الْعِزَّةُ جَمِیْعًا ؕ— اِلَیْهِ یَصْعَدُ الْكَلِمُ الطَّیِّبُ وَالْعَمَلُ الصَّالِحُ یَرْفَعُهٗ ؕ— وَالَّذِیْنَ یَمْكُرُوْنَ السَّیِّاٰتِ لَهُمْ عَذَابٌ شَدِیْدٌ ؕ— وَمَكْرُ اُولٰٓىِٕكَ هُوَ یَبُوْرُ ۟
जो व्यक्ति सम्मान (इज़्ज़त) चाहता है, तो सब सम्मान अल्लाह ही के लिए है। पवित्र वाक्य[5] उसी की ओर चढ़ते हैं और सत्कर्म उन्हें ऊपर उठाता[6] है। तथा जो लोग बुरी चालें चलते हैं, उनके लिए कठोर यातना है और उनकी चाल ही मटियामेट होकर रहेगी।
5. पवित्र वाक्य से अभिप्राय ((ला इलाहा इल्लल्लाह)) है। जो तौह़ीद का शब्द है। तथा चढ़ने का अर्थ है : अल्लाह के यहाँ स्वीकार होना। 6. आयत का भावार्थ यह है कि सम्मान अल्लाह की उपासना से मिलता है, अन्य की पूजा से नहीं। और तौह़ीद के साथ सत्कर्म का होना भी अनिवार्य है। और जब ऐसा होगा, तो उसे अल्लाह स्वीकार कर लेगा।
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ಅರ್ಥಗಳ ಅನುವಾದ ಶ್ಲೋಕ: (10) ಅಧ್ಯಾಯ: ಸೂರ ಫಾತ್ವಿರ್
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