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وه‌رگێڕانی ماناكان سوره‌تی: سورەتی المدثر   ئایه‌تی:

सूरा अल्-मुद्दस्सिर

یٰۤاَیُّهَا الْمُدَّثِّرُ ۟ۙ
ऐ कपड़े में लिपटने वाले![1]
1. नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर प्रथम वह़्य के पश्चात् कुछ दिनों तक वह़्य नहीं आई। फिर एक बार आप जा रहे थे कि आकाश से एक आवाज़ सुनी। ऊपर देखा, तो वही फ़रिश्ता जो आपके पास 'ह़िरा' नामी गुफ़ा में आया था आकाश तथा धरती के बीच एक कुर्सी पर विराजमान था। जिससे आप डर गए और धरती पर गिर गए। फिर घर आए और अपनी पत्नी से कहा : मुझे चादर ओढ़ा दो, मुझे चादर ओढ़ा दो। उन्होंने चादर ओढ़ा दी। और अल्लाह ने यह सूरत उतारी। फिर निरंतर वह़्य आने लगी। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4925, 4926, सह़ीह़ मुस्लिम : 161) प्रथम वह़्य से आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को नबी बनाया गया। और अब आपपर धर्म के प्रचार का भार रख दिया गया। इन आयतों में आपके माध्यम से मुसलमानों को पवित्र रहने के निर्देश दिए गए हैं।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
قُمْ فَاَنْذِرْ ۟ۙ
खड़े हो जाओ, फिर सावधान करो।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَرَبَّكَ فَكَبِّرْ ۟ۙ
तथा अपने पालनहार ही की महिमा का वर्णन करो।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَثِیَابَكَ فَطَهِّرْ ۟ۙ
तथा अपने कपड़े को पवित्र रखो।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَالرُّجْزَ فَاهْجُرْ ۟ۙ
और गंदगी (बुतों) से दूर रहो।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَلَا تَمْنُنْ تَسْتَكْثِرُ ۟ۙ
तथा उपकार न जताओ (अपनी नेकियों को) अधिक समझ कर।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَلِرَبِّكَ فَاصْبِرْ ۟ؕ
और अपने पालनहार ही के लिए धैर्य से काम लो।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
فَاِذَا نُقِرَ فِی النَّاقُوْرِ ۟ۙ
फिर जब सूर में फूँक[2] मारी जाएगी।
2. अर्थात प्रलय के दिन।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
فَذٰلِكَ یَوْمَىِٕذٍ یَّوْمٌ عَسِیْرٌ ۟ۙ
तो वह दिन अति भीषण दिन होगा।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
عَلَی الْكٰفِرِیْنَ غَیْرُ یَسِیْرٍ ۟
काफ़िरों पर आसान न होगा।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
ذَرْنِیْ وَمَنْ خَلَقْتُ وَحِیْدًا ۟ۙ
आप मुझे और उसे छोड़ दें, जिसे मैंने अकेला पैदा किया।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَّجَعَلْتُ لَهٗ مَالًا مَّمْدُوْدًا ۟ۙ
और मैंने उसे बहुत सारा धन प्रदान किया।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَّبَنِیْنَ شُهُوْدًا ۟ۙ
और उपस्थित रहने वाले बेटे[3] दिए।
3. जो उसकी सेवा में उपस्थित रहते हैं। कहा गया है कि इससे अभिप्राय वलीद बिन मुग़ीरह है, जिसके दस पुत्र थे।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَّمَهَّدْتُّ لَهٗ تَمْهِیْدًا ۟ۙ
और मैंने उसे प्रत्येक प्रकार का संसाधन दिया।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
ثُمَّ یَطْمَعُ اَنْ اَزِیْدَ ۟ۙ
फिर वह लोभ रखता है कि मैं उसे और अधिक दूँ।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
كَلَّا ؕ— اِنَّهٗ كَانَ لِاٰیٰتِنَا عَنِیْدًا ۟ؕ
कदापि नहीं! निश्चय वह हमारी आयतों का सख़्त विरोधी है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
سَاُرْهِقُهٗ صَعُوْدًا ۟ؕ
शीघ्र ही मैं उसे एक कठोर चढ़ाई[4] चढ़ाऊँगा।
4. अर्थात कड़ी यातना दूँगा। (इब्ने कसीर)
تەفسیرە عەرەبیەکان:
اِنَّهٗ فَكَّرَ وَقَدَّرَ ۟ۙ
निःसंदेह उसने सोच-विचार किया और बात बनाई।[5]
5. क़ुरआन के संबंध में प्रश्न किया गया तो वह सोचने लगा कि कौन सी बात बनाए और उसके बारे में क्या कहे? (इब्ने कसीर)
تەفسیرە عەرەبیەکان:
فَقُتِلَ كَیْفَ قَدَّرَ ۟ۙ
तो वह मारा जाए! उसने कैसी कैसी बात बनाई?
تەفسیرە عەرەبیەکان:
ثُمَّ قُتِلَ كَیْفَ قَدَّرَ ۟ۙ
फिर मारा जाए! उसने कैसी बात बनाई?
تەفسیرە عەرەبیەکان:
ثُمَّ نَظَرَ ۟ۙ
फिर उसने देखा।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
ثُمَّ عَبَسَ وَبَسَرَ ۟ۙ
फिर उसने त्योरी चढ़ाई और मुँह बनाया।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
ثُمَّ اَدْبَرَ وَاسْتَكْبَرَ ۟ۙ
फिर उसने पीठ फेरी और घमंड किया।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
فَقَالَ اِنْ هٰذَاۤ اِلَّا سِحْرٌ یُّؤْثَرُ ۟ۙ
फिर उसने कहा : यह तो मात्र एक जादू है, जो (पहलों से) नक़ल (उद्धृत) किया जाता है।[6]
6. अर्थात मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने यह किसी से सीख लिया है। कहा जाता है कि वलीद बिन मुग़ीरह ने अबू जह्ल से कहा था कि लोगों में क़ुरआन के जादू होने का प्रचार किया जाए।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
اِنْ هٰذَاۤ اِلَّا قَوْلُ الْبَشَرِ ۟ؕ
यह तो मात्र मनुष्य[7] की वाणी है।
7. अर्थात अल्लाह की वाणी नहीं है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
سَاُصْلِیْهِ سَقَرَ ۟
मैं उसे शीघ्र ही 'सक़र' (जहन्नम) में झोंक दूँगा।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَمَاۤ اَدْرٰىكَ مَا سَقَرُ ۟ؕ
और आपको किस चीज़ ने अवगत कराया कि 'सक़र' (जहन्नम) क्या है?
تەفسیرە عەرەبیەکان:
لَا تُبْقِیْ وَلَا تَذَرُ ۟ۚ
वह न शेष रखेगी और न छोड़ेगी।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
لَوَّاحَةٌ لِّلْبَشَرِ ۟ۚ
वह खाल को झुलस देने वाली है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
عَلَیْهَا تِسْعَةَ عَشَرَ ۟ؕ
उसपर उन्नीस (फ़रिश्ते) नियुक्त हैं।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَمَا جَعَلْنَاۤ اَصْحٰبَ النَّارِ اِلَّا مَلٰٓىِٕكَةً ۪— وَّمَا جَعَلْنَا عِدَّتَهُمْ اِلَّا فِتْنَةً لِّلَّذِیْنَ كَفَرُوْا ۙ— لِیَسْتَیْقِنَ الَّذِیْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ وَیَزْدَادَ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اِیْمَانًا وَّلَا یَرْتَابَ الَّذِیْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ وَالْمُؤْمِنُوْنَ ۙ— وَلِیَقُوْلَ الَّذِیْنَ فِیْ قُلُوْبِهِمْ مَّرَضٌ وَّالْكٰفِرُوْنَ مَاذَاۤ اَرَادَ اللّٰهُ بِهٰذَا مَثَلًا ؕ— كَذٰلِكَ یُضِلُّ اللّٰهُ مَنْ یَّشَآءُ وَیَهْدِیْ مَنْ یَّشَآءُ ؕ— وَمَا یَعْلَمُ جُنُوْدَ رَبِّكَ اِلَّا هُوَ ؕ— وَمَا هِیَ اِلَّا ذِكْرٰی لِلْبَشَرِ ۟۠
और हमने जहन्नम के रक्षक फ़रिश्ते ही बनाए हैं और उनकी संख्या को काफ़िरों के लिए परीक्षण बनाया है। ताकि अह्ले किताब[8] विश्वास कर लें और ईमान वाले ईमान में आगे बढ़ जाएँ। और किताब वाले एवं ईमान वाले किसी संदेह में न पड़ें। और ताकि वे लोग जिनके दिलों में रोग है और वे लोग जो काफ़िर[9] हैं, यह कहें कि इस उदाहरण से अल्लाह का क्या तात्पर्य है? ऐसे ही, अल्लाह जिसे चाहता है गुमराह करता है और जिसे चाहता है सीधा मार्ग दिखाता है। और आपके पालनहार की सेनाओं को उसके सिवा कोई नहीं जानता। और यह तो केवल मनुष्य के लिए उपदेश है।
8. क्योंकि यहूदियों तथा ईसाइयों की पुस्तकों में भी नरक के अधिकारियों की यही संख्या बताई गई है। 9. जब क़ुरैश ने नरक के अधिकारियों की चर्चा सुनी, तो अबू जह्ल ने कहा : ऐ क़ुरैश के समूह! क्या तुम में से दस-दस लोग, एक-एक फ़रिश्ते के लिए काफ़ी नहीं हैं? और एक व्यक्ति ने जिसे अपने बल पर बड़ा गर्व था कहा कि 17 को मैं अकेला देख लूँगा। और तुम सब मिलकर दो को देख लेना। (इब्ने कसीर)
تەفسیرە عەرەبیەکان:
كَلَّا وَالْقَمَرِ ۟ۙ
कदापि नहीं, क़सम है चाँद की!
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَالَّیْلِ اِذْ اَدْبَرَ ۟ۙ
तथा रात की, जब वह जाने लगे!
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَالصُّبْحِ اِذَاۤ اَسْفَرَ ۟ۙ
और सुबह की, जब वह प्रकाशित हो जाए!
تەفسیرە عەرەبیەکان:
اِنَّهَا لَاِحْدَی الْكُبَرِ ۟ۙ
निःसंदेह वह (जहन्नम) निश्चय बहुत बड़ी चीज़ों[10] में से एक है।
10. अर्थात जैसे रात्रि के पश्चात दिन होता है, उसी प्रकार कर्मों का भी परिणाम सामने आना है। और दुष्कर्मों का परिणाम नरक है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
نَذِیْرًا لِّلْبَشَرِ ۟ۙ
मनुष्य के लिए डराने वाली है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
لِمَنْ شَآءَ مِنْكُمْ اَنْ یَّتَقَدَّمَ اَوْ یَتَاَخَّرَ ۟ؕ
तुम में से उसके लिए, जो आगे बढ़ना चाहे अथवा पीछे हटना चाहे।[11]
11. अर्थात आज्ञापालन द्वारा अग्रसर हो जाए, अथवा अवज्ञा करके पीछे रह जाए।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
كُلُّ نَفْسٍ بِمَا كَسَبَتْ رَهِیْنَةٌ ۟ۙ
प्रत्येक व्यक्ति उसके बदले जो उसने कमाया, गिरवी[12] रखा हुआ है।
12. यदि सत्कर्म किया, तो मुक्त हो जाएगा।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
اِلَّاۤ اَصْحٰبَ الْیَمِیْنِ ۟ؕۛ
सिवाय दाहिने वालों के।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
فِیْ جَنّٰتٍ ۛ۫— یَتَسَآءَلُوْنَ ۟ۙ
वे जन्नतों में एक-दूसरे से पूछेंगे।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
عَنِ الْمُجْرِمِیْنَ ۟ۙ
अपराधियों के बारे में।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
مَا سَلَكَكُمْ فِیْ سَقَرَ ۟
तुम्हें किस चीज़ ने जहन्नम में डाला?
تەفسیرە عەرەبیەکان:
قَالُوْا لَمْ نَكُ مِنَ الْمُصَلِّیْنَ ۟ۙ
वे कहेंगे : हम नमाज़ पढ़ने वालों में से न थे।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَلَمْ نَكُ نُطْعِمُ الْمِسْكِیْنَ ۟ۙ
और न हम निर्धन को खाना खिलाते थे।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَكُنَّا نَخُوْضُ مَعَ الْخَآىِٕضِیْنَ ۟ۙ
और हम बेहूदा बहस करने वालों के साथ मिलकर व्यर्थ बहस किया करते थे।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَكُنَّا نُكَذِّبُ بِیَوْمِ الدِّیْنِ ۟ۙ
और हम बदले के दिन को झुठलाया करते थे।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
حَتّٰۤی اَتٰىنَا الْیَقِیْنُ ۟ؕ
यहाँ तक कि मौत हमारे पास आ गई।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
فَمَا تَنْفَعُهُمْ شَفَاعَةُ الشّٰفِعِیْنَ ۟ؕ
तो उन्हें सिफ़ारिश करने वालों की सिफ़ारिश लाभ नहीं देगी।[13]
13. अर्थात नबियों और फ़रिश्तों इत्यादि की। किंतु जिससे अल्लाह प्रसन्न हो और उसके लिए सिफ़ारिश की अनुमति दे।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
فَمَا لَهُمْ عَنِ التَّذْكِرَةِ مُعْرِضِیْنَ ۟ۙ
तो उन्हें क्या हो गया है कि उपदेश से मुँह फेर रहे हैं?
تەفسیرە عەرەبیەکان:
كَاَنَّهُمْ حُمُرٌ مُّسْتَنْفِرَةٌ ۟ۙ
जैसे वे सख़्त बिदकने वाले गधे हैं।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
فَرَّتْ مِنْ قَسْوَرَةٍ ۟ؕ
जो शेर से भागे हैं।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
بَلْ یُرِیْدُ كُلُّ امْرِئٍ مِّنْهُمْ اَنْ یُّؤْتٰی صُحُفًا مُّنَشَّرَةً ۟ۙ
बल्कि उनमें से प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उसे खुली पुस्तकें[14] दी जाएँ।
14. अर्थात वे चाहते हैं कि प्रत्येक के ऊपर वैसे ही पुस्तक उतारी जाए, जैसे मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर उतारी गई है। तब वे ईमान लाएँगे। (इब्ने कसीर)
تەفسیرە عەرەبیەکان:
كَلَّا ؕ— بَلْ لَّا یَخَافُوْنَ الْاٰخِرَةَ ۟ؕ
ऐसा कदापि नहीं हो सकता, बल्कि वे आख़िरत से नहीं डरते।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
كَلَّاۤ اِنَّهٗ تَذْكِرَةٌ ۟ۚ
हरगिज़ नहीं, निश्चय यह (क़ुरआन) एक उपदेश (याददेहानी) है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
فَمَنْ شَآءَ ذَكَرَهٗ ۟ؕ
अतः जो चाहे, उससे नसीहत प्राप्त करे।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَمَا یَذْكُرُوْنَ اِلَّاۤ اَنْ یَّشَآءَ اللّٰهُ ؕ— هُوَ اَهْلُ التَّقْوٰی وَاَهْلُ الْمَغْفِرَةِ ۟۠
और वे नसीहत प्राप्त नहीं कर सकते, परंतु यह कि अल्लाह चाहे। वही इस योग्य है कि उससे डरा जाए और वही इस योग्य है कि क्षमा करे।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
 
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وەرگێڕاوی ماناکانی قورئانی پیرۆز بۆ زمانی هیندی، وەرگێڕان: عزيز الحق العمري.

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