വിശുദ്ധ ഖുർആൻ പരിഭാഷ - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - വിവർത്തനങ്ങളുടെ സൂചിക


പരിഭാഷ അദ്ധ്യായം: സൂറത്തുൽ ബഖറഃ   ആയത്ത്:

सूरा अल्-ब-क़-रा

സൂറത്തിൻ്റെ ഉദ്ദേശ്യങ്ങളിൽ പെട്ടതാണ്:
الأمر بتحقيق الخلافة في الأرض بإقامة الإسلام، والاستسلام لله، والتحذير من حال بني إسرائيل.
इस्लाम को स्थापित करके और अल्लाह के प्रति समर्पित एवं अधीन होकर धरती पर ख़िलाफ़त हासिल करने का आदेश, तथा बनी इसराईल की स्थिति से सावधान करना।

الٓمّٓ ۟ۚ
{अलिफ़, लाम, मीम} ये उन अक्षरों में से हैं, जिनसे कुछ सूरतों (सूरत का बहुवचन) का आरंभ किया गया है। यह अरबी भाषा की वर्णमाला है जिसका अपने आप में कोई अर्थ नहीं है यदि वे इस तरह (अलिफ, बा, ता) अलग-अलग आएँ। लेकिन इनकी एक हिकमत और मतलब है; क्योंकि क़ुरआन में कोई ऐसी वस्तु नहीं है, जिसकी कोई ह़िकमत न हो। इनकी सबसे महत्वपूर्ण हिक़मतों में से एक : क़ुरआन के द्वारा चुनौती की ओर संकेत है, जो उन्हीं अक्षरों से बना है, जिन्हें वे जानते और बोलते हैं; यही कारण है कि अक्सर इन अक्षरों के बाद क़ुरआन पाक का उल्लेख होता है, जैसा कि इस सूरत में है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ذٰلِكَ الْكِتٰبُ لَا رَیْبَ ۖۚۛ— فِیْهِ ۚۛ— هُدًی لِّلْمُتَّقِیْنَ ۟ۙ
इस महान क़ुरआन में कोई संदेह नहीं। न इसके अल्लाह की ओर से उतरने के संदर्भ में, और न ही इसके शब्द और अर्थ के संदर्भ में। चुनाँचे यह क़ुरआन अल्लाह की वाणी है, जो परहेज़गारों का अल्लाह तक पहुँचाने वाले रास्ते का मार्गदर्शन करता है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
الَّذِیْنَ یُؤْمِنُوْنَ بِالْغَیْبِ وَیُقِیْمُوْنَ الصَّلٰوةَ وَمِمَّا رَزَقْنٰهُمْ یُنْفِقُوْنَ ۟ۙ
3-4- जो लोग ग़ैब (परोक्ष, अनदेखी) पर ईमान लाते हैं। ग़ैब से अभिप्राय हर वह चीज़ है, जिसका बोध ज्ञानेंद्रियों द्वारा नहीं होता है और वह हमसे ओझल है, जिसके बारे में अल्लाह ने या उसके रसूल ने सूचना दी है, जैसे कि आख़िरत का दिन। तथा वही लोग नमाज़ की स्थापना करते हैं इस प्रकार कि अल्लाह द्वारा निर्धारित की गई शर्तों, अर्कान, वाजिबात और सुन्नतों के अनुसार उसकी अदायगी करते हैं। तथा वही लोग हैं, जो उसमें से खर्च करते हैं जो अल्लाह ने उन्हें प्रदान किया है, अर्थात् अल्लाह के सवाब की आशा में, अनिवार्य दान जैसे कि ज़कात अथवा ग़ैर-वाजिब जैसे कि स्वैच्छिक दान देते हैं। तथा वही हैं जो उस वह़्य पर जो अल्लाह ने - ऐ नबी! - आपपर उतारी है तथा आपसे पूर्व अन्य सभी नबियों पर उतारी है, बिना भेदभाव के ईमान लाते हैं। तथा वही लोग आख़िरत तथा उसके पुण्य एवं दंड पर दृढ़ विश्वास रखते हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَالَّذِیْنَ یُؤْمِنُوْنَ بِمَاۤ اُنْزِلَ اِلَیْكَ وَمَاۤ اُنْزِلَ مِنْ قَبْلِكَ ۚ— وَبِالْاٰخِرَةِ هُمْ یُوْقِنُوْنَ ۟ؕ
3-4- जो लोग ग़ैब (परोक्ष, अनदेखी) पर ईमान लाते हैं। ग़ैब से अभिप्राय हर वह चीज़ है, जिसका बोध ज्ञानेंद्रियों द्वारा नहीं होता है और वह हमसे ओझल है, जिसके बारे में अल्लाह ने या उसके रसूल ने सूचना दी है, जैसे कि आख़िरत का दिन। तथा वही लोग नमाज़ की स्थापना करते हैं इस प्रकार कि अल्लाह द्वारा निर्धारित की गई शर्तों, अर्कान, वाजिबात और सुन्नतों के अनुसार उसकी अदायगी करते हैं। तथा वही लोग हैं, जो उसमें से खर्च करते हैं जो अल्लाह ने उन्हें प्रदान किया है, अर्थात् अल्लाह के सवाब की आशा में, अनिवार्य दान जैसे कि ज़कात अथवा ग़ैर-वाजिब जैसे कि स्वैच्छिक दान देते हैं। तथा वही हैं जो उस वह़्य पर जो अल्लाह ने - ऐ नबी! - आपपर उतारी है तथा आपसे पूर्व अन्य सभी नबियों पर उतारी है, बिना भेदभाव के ईमान लाते हैं। तथा वही लोग आख़िरत तथा उसके पुण्य एवं दंड पर दृढ़ विश्वास रखते हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اُولٰٓىِٕكَ عَلٰی هُدًی مِّنْ رَّبِّهِمْ ۗ— وَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْمُفْلِحُوْنَ ۟
इन विशेषताओं से परिपूर्ण लोग ही हिदायत के पथ पर चलने वाले हैं तथा यही लोग दुनिया एवं आख़िरत में, जिसकी वे आशा करते हैं उसे प्राप्त करके और जिस चीज़ से वे डरते हैं उससे मुक्ति पाकर, कामयाब हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• الثقة المطلقة في نفي الرَّيب دليل على أنه من عند الله؛ إذ لا يمكن لمخلوق أن يدعي ذلك في كلامه.
• संदेह को नकारने में पूर्ण निश्चितता इस बात का प्रमाण है कि यह (क़ुरआन) अल्लाह की ओर से है; क्योंकि किसी जन के लिए अपने कलाम के बारे में यह दावा करना संभव नहीं।

• لا ينتفع بما في القرآن الكريم من الهدايات العظيمة إلا المتقون لله تعالى المعظِّمون له.
• क़ुरआन के महान मार्गदर्शनों से केवल वही लोग लाभ उठाते हैं, जो अल्लाह से डरने वाले और उसका महिमामंडन करने वाले हैं।

• من أعظم مراتب الإيمانِ الإيمانُ بالغيب؛ لأنه يتضمن التسليم لله تعالى في كل ما تفرد بعلمه من الغيب، ولرسوله بما أخبر عنه سبحانه.
ग़ैब (परोक्ष) पर ईमान लाना, ईमान की सबसे उच्च श्रेणियों में से है; क्योंकि इसमें हर उस चीज़ में अल्लाह के प्रति समर्पण शामिल है, जिसका प्रोक्ष ज्ञान एकमात्र अल्लाह तआला को है, तथा उसके रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के प्रति उस चीज़ में समर्पण, जो आपने उस महिमावान के बारे में सूचना दी है।

• كثيرًا ما يقرن الله تعالى بين الصلاة والزكاة؛ لأنَّ الصلاة إخلاص للمعبود، والزكاة إحسان للعبيد، وهما عنوان السعادة والنجاة.
• अल्लाह तआला ने अक्सर नमाज़ और ज़कात का वर्णन एक साथ किया है; क्योंकि नमाज़ सत्य पूज्य (अल्लाह) के प्रति निष्ठा है, और ज़कात बंदों पर उपकार है। और ये दोनों चीज़ें सौभाग्य और मोक्ष के प्रतीक हैं।

• الإيمان بالله تعالى وعمل الصالحات يورثان الهداية والتوفيق في الدنيا، والفوز والفلاح في الأُخرى.
• अल्लाह पर ईमान लाने और अच्छे कर्म करने से इस दुनिया में मार्गदर्शन और तौफ़ीक़ (सामर्थ्य), तथा परलोक में सफलता और कामयाबी मिलती है।

اِنَّ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا سَوَآءٌ عَلَیْهِمْ ءَاَنْذَرْتَهُمْ اَمْ لَمْ تُنْذِرْهُمْ لَا یُؤْمِنُوْنَ ۟
जिन लोगों पर ईमान न लाने की अल्लाह की बात सिद्ध हो चुकी है, वे अपनी पथभ्रष्टता और हठ पर क़ायम रहने वाले हैं। इसलिए आपका उन्हें डराना और न डराना बराबर है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
خَتَمَ اللّٰهُ عَلٰی قُلُوْبِهِمْ وَعَلٰی سَمْعِهِمْ ؕ— وَعَلٰۤی اَبْصَارِهِمْ غِشَاوَةٌ ؗ— وَّلَهُمْ عَذَابٌ عَظِیْمٌ ۟۠
क्योंकि अल्लाह ने उनके दिलों पर मुहर लगा दी है और उनमें मौजूद कुफ़्र सहित उन्हें बंद कर दिया है। तथा उनके कानों पर मुहर लगा दी है, अतः वे सत्य को उसे स्वीकारने और उसका अनुसरण करने की नीयत से नहीं सुनते हैं। तथा उनकी आँखों पर पर्दा डाल दिया है, अतः वे सत्य के स्पष्ट होने के बावजूद उसे नहीं देखते हैं, और उनके लिए आख़िरत में बहुत बड़ी यातना है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَمِنَ النَّاسِ مَنْ یَّقُوْلُ اٰمَنَّا بِاللّٰهِ وَبِالْیَوْمِ الْاٰخِرِ وَمَا هُمْ بِمُؤْمِنِیْنَ ۟ۘ
लोगों का एक समूह ऐसा है, जो यह दावा करता है कि वे ईमान वाले हैं। वे अपनी जान और अपने माल के डर से केवल अपनी ज़बान से ऐसा कहते हैं। जबकि अंदर से वे काफ़िर हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
یُخٰدِعُوْنَ اللّٰهَ وَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا ۚ— وَمَا یَخْدَعُوْنَ اِلَّاۤ اَنْفُسَهُمْ وَمَا یَشْعُرُوْنَ ۟ؕ
वे अपनी अज्ञानतावश यह समझते हैं कि वे ईमान का प्रदर्शन करके और कुफ़्र को छिपाकर अल्लाह और मोमिनों को धोखा दे रहे हैं। लेकिन उन्हें इसका एहसास नहीं है; क्योंकि अल्लाह रहस्य और छिपी बातों को जानता है और उसने ईमान वालों को उनकी विशेषताओं और स्थितियों के बारे में सूचित कर दिया है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
فِیْ قُلُوْبِهِمْ مَّرَضٌ ۙ— فَزَادَهُمُ اللّٰهُ مَرَضًا ۚ— وَلَهُمْ عَذَابٌ اَلِیْمٌ ۙ۬۟ — بِمَا كَانُوْا یَكْذِبُوْنَ ۟
कारण यह है कि उनके दिलों में संदेह है। इसलिए अल्लाह ने उनके संदेह में संदेह को और बढ़ा दिया; क्योंकि बदला कार्य ही के समान दिया जाता है। तथा उनके लिए जहन्नम के सबसे निचले गढ़े में दर्दनाक यातना है। इसलिए कि उन्होंने अल्लाह पर और लोगों पर झूठ कहा और मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के लाए हुए धर्म को झुठलाया।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاِذَا قِیْلَ لَهُمْ لَا تُفْسِدُوْا فِی الْاَرْضِ ۙ— قَالُوْۤا اِنَّمَا نَحْنُ مُصْلِحُوْنَ ۟
जब उन्हें कुफ़्र, पापों और अन्य चीजों के द्वारा धरती पर उपद्रव करने से मना किया जाता है, तो वे इनकार करते हैं और दावा करते हैं कि वे तो सदाचार और सुधार वाले हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اَلَاۤ اِنَّهُمْ هُمُ الْمُفْسِدُوْنَ وَلٰكِنْ لَّا یَشْعُرُوْنَ ۟
जबकि वास्तविकता यह है कि वही उपद्रव करने वाले और उत्पात मचाने वाले हैं, लेकिन उन्हें इसका एहसास नहीं है, और न ही वे यह समझते हैं कि उनका यह कृत्य ही असल उपद्रव है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاِذَا قِیْلَ لَهُمْ اٰمِنُوْا كَمَاۤ اٰمَنَ النَّاسُ قَالُوْۤا اَنُؤْمِنُ كَمَاۤ اٰمَنَ السُّفَهَآءُ ؕ— اَلَاۤ اِنَّهُمْ هُمُ السُّفَهَآءُ وَلٰكِنْ لَّا یَعْلَمُوْنَ ۟
जब उन्हें मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथियों के ईमान लाने की तरह ईमान लाने का आदेश दिया जाता है, तो वे अस्वीकृति और उपहास के रूप में उसका उत्तर देते हुए कहते हैं : क्या हम अल्पबुद्धि वालों के ईमान लाने की तरह ईमान ले आएँ?! सच तो यह है कि वे स्वयं मूर्ख हैं, लेकिन वे इससे अनजान हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاِذَا لَقُوا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا قَالُوْۤا اٰمَنَّا ۖۚ— وَاِذَا خَلَوْا اِلٰی شَیٰطِیْنِهِمْ ۙ— قَالُوْۤا اِنَّا مَعَكُمْ ۙ— اِنَّمَا نَحْنُ مُسْتَهْزِءُوْنَ ۟
जब वे मोमिनों से मिलते हैं, तो उनके डर से कहते हैं : हम उसपर ईमान लाते हैं जिसपर तुम ईमान लाते हो। और जब वे ईमान वालों के पास से अपने सरदारों की ओर वापस लौटते हैं और उनके साथ एकांत में होते हैं, तो उनके साथ होने का विश्वास दिलाते हुए कहते हैं : निश्चय हम तुम्हारे साथ तुम्हारे मार्ग ही पर हैं। लेकिन हम ईमान वालों से ज़ाहिरी तौर पर, उनका मज़ाक़ उड़ाने और उपहास करने के लिए, सहमत हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اَللّٰهُ یَسْتَهْزِئُ بِهِمْ وَیَمُدُّهُمْ فِیْ طُغْیَانِهِمْ یَعْمَهُوْنَ ۟
उनके ईमान वालों का उपहास करने के मुक़ाबिले में, अल्लाह उनका मज़ाक़ उड़ाता है, उन्हें उनके कार्य ही के समान बदला देने के तौर पर। यही कारण है कि उनके लिए इस दुनिया में मुसलमानों के नियम लागू किए हैं, लेकिन आख़िरत में उन्हें उनके कुफ़्र तथा निफ़ाक़ का बदला देगा। तथा अल्लाह उन्हें ढील देता है, ताकि वे अपनी गुमराही और सरकशी में बने रहें। इस तरह वे अचंभे तथा असमंजस (दुविधा), में पड़े रहें।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اُولٰٓىِٕكَ الَّذِیْنَ اشْتَرَوُا الضَّلٰلَةَ بِالْهُدٰی ۪— فَمَا رَبِحَتْ تِّجَارَتُهُمْ وَمَا كَانُوْا مُهْتَدِیْنَ ۟
वे मुनाफ़िक़ जिन्हें इन विशेषताओं के साथ वर्णित किया गया है, वही लोग हैं जिन्होंने ईमान के बदले कुफ़्र को चुना। इसलिए उनके व्यापार से कोई लाभ नहीं हुआ; क्योंकि वे अल्लाह पर ईमान से हाथ धो बैठे और उन्हें सत्य मार्ग भी प्राप्त नहीं हुआ।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• أن من طبع الله على قلوبهم بسبب عنادهم وتكذيبهم لا تنفع معهم الآيات وإن عظمت.
• जिन लोगों के हठ और झुठलाने ( इनकार) के कारण अल्लाह ने उनके दिलों पर, मुहर लगा दी है, उनके लिए बड़ी से बड़ी निशानी भी लाभकारी नहीं हो सकती।

• أن إمهال الله تعالى للظالمين المكذبين لم يكن عن غفلة أو عجز عنهم، بل ليزدادوا إثمًا، فتكون عقوبتهم أعظم.
• अल्लाह तआला का अत्याचारियों को ढील देना, उनसे बेख़बरी अथवा विवशता के कारण नहीं है, बल्कि इसलिए है कि वे पाप में बढ़ जाएँ, फिर उनकी सज़ा और अधिक बढ़ा दी जाए।

مَثَلُهُمْ كَمَثَلِ الَّذِی اسْتَوْقَدَ نَارًا ۚ— فَلَمَّاۤ اَضَآءَتْ مَا حَوْلَهٗ ذَهَبَ اللّٰهُ بِنُوْرِهِمْ وَتَرَكَهُمْ فِیْ ظُلُمٰتٍ لَّا یُبْصِرُوْنَ ۟
अल्लाह तआला ने इन मुनाफ़िक़ों (पाखंडियों) के दो उदाहरण पेश किए हैं : एक आग का उदाहरण, और दूसरा पानी का उदाहरण। उनका आग का उदाहरण यह है कि : वे (मुनाफ़िक़) उस आदमी की तरह हैं, जिसने रोशनी प्राप्त करने के लिए आग जलाई। जब उसकी रोशनी चमकी और उसने सोचा कि अब उससे लाभान्वित होगा, तो वह बुझ गई। चुनाँचे उसमें जो चमकने वाला तत्व था, वह समाप्त हो गया तथा जो कुछ उसमें जलाने का तत्व था, वह रह गया। इसलिए वे आग जलाने वाले अंधकार में पड़े रह गए। उन्हें कुछ दिखाई नहीं देता और न वे कोई रास्ता ही पाते हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
صُمٌّۢ بُكْمٌ عُمْیٌ فَهُمْ لَا یَرْجِعُوْنَ ۟ۙ
वे बहरे हैं, सत्य को स्वीकार करने की नीयत से नहीं सुनते। वे गूँगे हैं, सत्य नहीं बोलते हैं। (वे) सत्य को देखने से अंधे हैं। इसलिए वे अपनी पथभ्रष्टता से वापस नहीं लौटते।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اَوْ كَصَیِّبٍ مِّنَ السَّمَآءِ فِیْهِ ظُلُمٰتٌ وَّرَعْدٌ وَّبَرْقٌ ۚ— یَجْعَلُوْنَ اَصَابِعَهُمْ فِیْۤ اٰذَانِهِمْ مِّنَ الصَّوَاعِقِ حَذَرَ الْمَوْتِ ؕ— وَاللّٰهُ مُحِیْطٌ بِالْكٰفِرِیْنَ ۟
जहाँ तक उनके पानी के उदाहरण का संबंध है : तो वे संचित अंधकार, गरज और बिजली (चमक) वाले बादलों से होने वाली बहुत अधिक बारिश के समान हैं, जो कुछ लोगों पर उतरती है, तो वे सख़्त घबराहट से ग्रस्त हो जाते हैं, और कड़कने वाले वज्र की तीव्रता के कारण मृत्यु के भय से अपनी उंगलियों से अपने कानों को बंद कर लेते हैं। हालाँकि अल्लाह काफ़िरों को घेरे हुए है, वे उसे विवश नहीं कर सकते।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
یَكَادُ الْبَرْقُ یَخْطَفُ اَبْصَارَهُمْ ؕ— كُلَّمَاۤ اَضَآءَ لَهُمْ مَّشَوْا فِیْهِ ۙۗ— وَاِذَاۤ اَظْلَمَ عَلَیْهِمْ قَامُوْا ؕ— وَلَوْ شَآءَ اللّٰهُ لَذَهَبَ بِسَمْعِهِمْ وَاَبْصَارِهِمْ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌ ۟۠
निकट है कि बिजली अपनी चमक और रोशनी की तीव्रता के कारण उनकी आँखों को उचक ले जाए। जब भी बिजली चमकती और उनके लिए रोशनी करती है, तो वे आगे बढ़ते हैं और जब वह रोशनी नहीं करती है, तो वे अंधेरे ही में बने रहते हैं, अपनी जगह से हिल नहीं सकते। हालाँकि यदि अल्लाह चाहता, तो उनके सत्य से मुँह मोड़ने के कारण अपनी सर्वसमावेशी शक्ति के द्वारा उनके कान और उनकी दृष्टियों को छीन लेता, फिर वे उनके पास वापस नहीं लौटतीं। यहाँ बारिश क़ुरआन का उदाहरण है, बिजली की कड़क क़ुरआन की चेतावनियों का उदाहरण है, बिजली की रोशनी कभी-कभी उनके सामने सत्य के स्पष्ट होने का उदाहरण है, तथा बिजली की कड़क की तीव्रता से कानों को बंद कर लेने को उनके सत्य से मुँह मोड़ने और उसे स्वीकार न करने का उदाहरण बनाया गया है। मुनाफ़िक़ों और दोनों उदाहरणों वाले लोगों के बीच सादृश्य का बिंदु : लाभ न उठाना है। चुनाँचे आग के उदाहरण में : आग जलाने वाले को अंधेरे और जलने के सिवा कोई लाभ न हुआ, और पानी के उदाहरण में : बारिश में घिरे हुए लोगों ने भयंकर गरज और चमक के अलावा कोई लाभ नहीं उठाया। यही हाल मुनाफ़िक़ों का है, उन्हें इस्लाम के अंदर सख़्ती एवं कठोरता के सिवा कुछ नज़र नहीं आता।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
یٰۤاَیُّهَا النَّاسُ اعْبُدُوْا رَبَّكُمُ الَّذِیْ خَلَقَكُمْ وَالَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِكُمْ لَعَلَّكُمْ تَتَّقُوْنَ ۟ۙ
ऐ लोगो! अकेले अपने पालनहार की इबादत करो, उसके अतिरिक्त किसी और की नहीं; क्योंकि वही है जिसने तुम्हें पैदा किया और उन समुदायों को पैदा किया जो तुमसे पहले थे। इस आशा में कि तुम उसके आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर, उसकी यातना से बचने का उपाय कर सको।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
الَّذِیْ جَعَلَ لَكُمُ الْاَرْضَ فِرَاشًا وَّالسَّمَآءَ بِنَآءً ۪— وَّاَنْزَلَ مِنَ السَّمَآءِ مَآءً فَاَخْرَجَ بِهٖ مِنَ الثَّمَرٰتِ رِزْقًا لَّكُمْ ۚ— فَلَا تَجْعَلُوْا لِلّٰهِ اَنْدَادًا وَّاَنْتُمْ تَعْلَمُوْنَ ۟
वही है जिसने तुम्हारे लिए ज़मीन को समतल बिछौना बनाया तथा उसके ऊपर आकाश को एक दृढ़ संरचना बनाया। तथा वही बारिश उतारकर उपकार करने वाला है। चुनाँचे उसने उसके द्वारा धरती से विभिन्न प्रकार के फल उगाए, ताकि वह तुम्हारी जीविका बन सके। अतः अल्लाह के लिए किसी तरह के साझीदार और उदाहरण न बनाओ, जबकि तुम जानते हो कि अल्लाह सर्वशक्तिमान के सिवा कोई स्रष्टा नहीं है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاِنْ كُنْتُمْ فِیْ رَیْبٍ مِّمَّا نَزَّلْنَا عَلٰی عَبْدِنَا فَاْتُوْا بِسُوْرَةٍ مِّنْ مِّثْلِهٖ ۪— وَادْعُوْا شُهَدَآءَكُمْ مِّنْ دُوْنِ اللّٰهِ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟
ऐ लोगो! यदि तुम्हें हमारे बंदे मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर उतारे गए क़ुरआन के बारे में किसी प्रकार का संदेह है, तो हम तुम्हें चुनौती देते हैं कि उस जैसी एक सूरत ही लाकर उसका विरोध करो, भले ही वह उसकी छोटी से छोटी सूरत के बराबर ही क्यों न हो। तथा अपने समर्थकों में से जिसे भी बुला सकते हो, बुला लो, यदि तुम अपने दावे में सच्चे हो।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
فَاِنْ لَّمْ تَفْعَلُوْا وَلَنْ تَفْعَلُوْا فَاتَّقُوا النَّارَ الَّتِیْ وَقُوْدُهَا النَّاسُ وَالْحِجَارَةُ ۖۚ— اُعِدَّتْ لِلْكٰفِرِیْنَ ۟
अगर तुमने ऐसा नहीं किया - और तुम ऐसा कभी नहीं कर पाओगे - तो उस आग से बचो, जो यातना के हक़दार लोगों और उन सभी प्रकार के पत्थरों से भड़काई जाएगी, जिन्हें वे पूजा करते थे। इस आग को अल्लाह तआला ने काफ़िरों के लिए तैयार किया है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• أن الله تعالى يخذل المنافقين في أشد أحوالهم حاجة وأكثرها شدة؛ جزاء نفاقهم وإعراضهم عن الهدى.
• अल्लाह तआला मुनाफ़िक़ों (पाखंडियों) को, उनके निफ़ाक़ और हिदायत से मुँह मोड़ने की सज़ा के तौर पर, उनकी सबसे ज़रूरतमंद और सबसे गंभीर परिस्थितियों में असहाय छोड़ देगा।

• من أعظم الأدلة على وجوب إفراد الله بالعبادة أنه تعالى هو الذي خلق لنا ما في الكون وجعله مسخَّرًا لنا.
• इबादत को एकमात्र अल्लाह के लिए विशिष्ट करने की अनिवार्यता के सबसे बड़े प्रमाणों में से एक यह है कि उसी महिमावान ने ब्रह्मांड में जो कुछ भी है हमारे लिए बनाया है और उसे हमारे अधीन किया है।

• عجز الخلق عن الإتيان بمثل سورة من القرآن الكريم يدل على أنه تنزيل من حكيم عليم.
• मानव जाति का क़ुरआन जैसी एक सूरत भी लाने में असमर्थता, इस बात का प्रमाण है कि क़ुरआन एक पूर्ण हिकमत वाले, सब कुछ जानने वाले की ओर से अवतरित हुआ है।

وَبَشِّرِ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ اَنَّ لَهُمْ جَنّٰتٍ تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ ؕ— كُلَّمَا رُزِقُوْا مِنْهَا مِنْ ثَمَرَةٍ رِّزْقًا ۙ— قَالُوْا هٰذَا الَّذِیْ رُزِقْنَا مِنْ قَبْلُ وَاُتُوْا بِهٖ مُتَشَابِهًا ؕ— وَلَهُمْ فِیْهَاۤ اَزْوَاجٌ مُّطَهَّرَةٌ وَّهُمْ فِیْهَا خٰلِدُوْنَ ۟
अगर पिछली धमकी काफ़िरों के लिए थी; तो - ऐ नबी - आप सत्कर्म करने वाले मोमिनों को ऐसे बाग़ों की शुभ सूचना दे दें, जिनके महलों और पेड़ों के नीचे नहरें बहती हैं। जब भी उन्हें उन बाग़ों के स्वादिष्ट फलों में से कोई फल दिया जाएगा, तो दुनिया के फलों से बिलकुल मिलता-जुलता होने के कारण वे कहेंगे : ये तो बिलकुल वैसे ही फल हैं, जो हमें पहले दिए गए थे। दरअसल उन्हें आकार तथा नाम में समरूप फल इसलिए दिए जाएँगे, ताकि जाने पहचाने फल होने के कारण, दिल उन्हें स्वीकार कर लें। लेकिन वे अपने स्वाद और ज़ायक़े में भिन्न होंगे। उनके लिए जन्नत में ऐसी पत्नियाँ होंगी, जो दुनिया के लोगों में कल्पना की जाने वाली हर उस चीज़ से पवित्र होंगी, जिससे मन भागता है और मानव स्वभाव घृणा करता है। वे दुनिया की बाधित होने वाली नेमतों के विपरीत, हमेशा बाक़ी रहने वाली नेमतों में होंगे, जो कभी ख़त्म नहीं होंगी।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اِنَّ اللّٰهَ لَا یَسْتَحْیٖۤ اَنْ یَّضْرِبَ مَثَلًا مَّا بَعُوْضَةً فَمَا فَوْقَهَا ؕ— فَاَمَّا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا فَیَعْلَمُوْنَ اَنَّهُ الْحَقُّ مِنْ رَّبِّهِمْ ۚ— وَاَمَّا الَّذِیْنَ كَفَرُوْا فَیَقُوْلُوْنَ مَاذَاۤ اَرَادَ اللّٰهُ بِهٰذَا مَثَلًا ۘ— یُضِلُّ بِهٖ كَثِیْرًا وَّیَهْدِیْ بِهٖ كَثِیْرًا ؕ— وَمَا یُضِلُّ بِهٖۤ اِلَّا الْفٰسِقِیْنَ ۟ۙ
अल्लाह तआला किसी भी चीज़ के साथ उदाहरण देने से नहीं शरमाता है। चुनाँचे वह मच्छर तथा उससे भी छोटी या उससे भी बड़ी वस्तु के साथ उदाहरण देता है। जबकि इन उदाहरणों के प्रति लोगों के दो प्रकार हैं : मोमिन और काफ़िर। मोमिन लोग उनकी पुष्टि करते हैं और इस बात पर विश्वास रखते हैं कि उनके द्वारा उदाहरण देने के पीछे एक हिकमत है। परंतु काफ़िर लोग मज़ाक़ उड़ाते हुए एक-दूसरे से पूछते हैं कि अल्लाह ने मच्छर, मक्खी एवं मकड़ी जैसी इन तुच्छ प्राणियों के साथ उदाहरण क्यों दिया है? तो अल्लाह की तरफ से उसका उत्तर यह आता है : इन उदाहरणों में लोगों के लिए कई प्रकार के मार्गदर्शन, निर्देश और परीक्षण हैं। उनमें से कुछ को अल्लाह, उनके इन पर विचार करने से मुँह फेरने के कारण, गुमराह कर देता है। और ऐसे लोगों की संख्या बहुत है। तथा उनमें से कुछ का मार्गदर्शन करता है क्योंकि वे उनसे उपदेश ग्रहण करते हैं, और ये भी बहुत हैं। वह केवल उसी को गुमराह करता है, जो गुमराही का हक़दार हो। और वे उसकी आज्ञाकारिता से निकल जाने वाले लोग हैं, जैसे कि मुनाफ़िक़ लोग।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
الَّذِیْنَ یَنْقُضُوْنَ عَهْدَ اللّٰهِ مِنْ بَعْدِ مِیْثَاقِهٖ ۪— وَیَقْطَعُوْنَ مَاۤ اَمَرَ اللّٰهُ بِهٖۤ اَنْ یُّوْصَلَ وَیُفْسِدُوْنَ فِی الْاَرْضِ ؕ— اُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْخٰسِرُوْنَ ۟
जो लोग अल्लाह के उस वचन को तोड़ देते हैं, जो उसने उनसे लिया था कि वे केवल उसी की इबादत करेंगे तथा उसके उस रसूल का अनुसरण करेंगे, जिसके बारे में आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पहले के रसूलों ने सूचना दी थी। तथा वे उन रिश्तों-नातों को काटते हैं, जिन्हें अल्लाह ने जोड़ने का आदेश दिया है और पापों के माध्यम से पृथ्वी में भ्रष्टाचार फैलाने की कोशिश करते हैं, तो यही लोग दुनिया एवं आख़िरत में बहुत कम हिस्से वाले हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
كَیْفَ تَكْفُرُوْنَ بِاللّٰهِ وَكُنْتُمْ اَمْوَاتًا فَاَحْیَاكُمْ ۚ— ثُمَّ یُمِیْتُكُمْ ثُمَّ یُحْیِیْكُمْ ثُمَّ اِلَیْهِ تُرْجَعُوْنَ ۟
ऐ काफ़िरो! तुम्हारा मामला बड़ा अद्भुत है! तुम अल्लाह का इनकार कैसे करते हो, जबकि तुम उसके सामर्थ्य की निशानियाँ खुद अपने अंदर देखते हो; क्योंकि तुम कुछ भी नहीं थे, तो उसने तुम्हें बनाया और जीवन दिया, फिर वह तुम्हें दूसरी मौत देगा, फिर तुम्हें दूसरा जीवन प्रदान करेगा, फिर वह तुम्हें अपनी ओर लौटाएगा, ताकि जो कुछ तुमने किया है उसका तुमसे हिसाब ले।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
هُوَ الَّذِیْ خَلَقَ لَكُمْ مَّا فِی الْاَرْضِ جَمِیْعًا ۗ— ثُمَّ اسْتَوٰۤی اِلَی السَّمَآءِ فَسَوّٰىهُنَّ سَبْعَ سَمٰوٰتٍ ؕ— وَهُوَ بِكُلِّ شَیْءٍ عَلِیْمٌ ۟۠
अकेला अल्लाह ही है, जिसने धरती पर जो कुछ भी है, जैसे- नदियाँ, पेड़ और अन्य चीज़ें जिनकी गिनती नहीं की जा सकती, तुम्हारे लिए पैदा किया, तथा तुम उससे लाभान्वित होते और उसका आनंद लेते हो जो उसने तुम्हारे अधीन किया है। फिर वह आसमान की रचना करने की ओर मुतवज्जेह हुआ और उन्हें ठीक-ठाक सात आसमान बना दिया। तथा उसके ज्ञान ने हर वस्तु को अपने घेरे में ले रखा है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• من كمال النعيم في الجنة أن ملذاتها لا يكدرها أي نوع من التنغيص، ولا يخالطها أي أذى.
• जन्नत में नेमतों की पूर्णता में से यह है कि उनके सुख एवं आनंद को किसी भी प्रकार की व्याकुलता मलिन नहीं करेगी और न ही उनमें किसी नुक़सान का मिश्रण होगा।

• الأمثال التي يضربها الله تعالى لا ينتفع بها إلا المؤمنون؛ لأنهم هم الذين يريدون الهداية بصدق، ويطلبونها بحق.
• अल्लाह तआला की ओर से प्रस्तुत उदाहरणों से केवल ईमान वाले ही लाभान्वित होते हैं; क्योंकि वही सही मायने में मार्गदर्शन चाहते हैं और वास्तव में उसके तलबगार होते हैं।

• من أبرز صفات الفاسقين نقضُ عهودهم مع الله ومع الخلق، وقطعُهُم لما أمر الله بوصله، وسعيُهُم بالفساد في الأرض.
• फ़ासिक़ों (पापियों) की सबसे प्रमुख विशेषताओं में से कुछ इस प्रकार हैं : अल्लाह के साथ और बंदों के साथ किए हुए वादों को तोड़ना, अल्लाह ने जिसे जोड़ने का आदेश दिया है, उसे तोड़ना और धरती पर भ्रष्टाचार फैलाना।

• الأصل في الأشياء الإباحة والطهارة؛ لأن الله تعالى امتنَّ على عباده بأن خلق لهم كل ما في الأرض.
• चीज़ों के संबंध में मूल सिद्धांत उनकी वैधता और शुद्धता है; क्योंकि अल्लाह तआला ने अपने बंदों पर यह उपकार किया है कि धरती की समस्त चीज़ें उन्हीं के लिए पैदा की हैं।

وَاِذْ قَالَ رَبُّكَ لِلْمَلٰٓىِٕكَةِ اِنِّیْ جَاعِلٌ فِی الْاَرْضِ خَلِیْفَةً ؕ— قَالُوْۤا اَتَجْعَلُ فِیْهَا مَنْ یُّفْسِدُ فِیْهَا وَیَسْفِكُ الدِّمَآءَ ۚ— وَنَحْنُ نُسَبِّحُ بِحَمْدِكَ وَنُقَدِّسُ لَكَ ؕ— قَالَ اِنِّیْۤ اَعْلَمُ مَا لَا تَعْلَمُوْنَ ۟
अल्लाह तआला सूचना दे रहा है कि उसने फ़रिश्तों से कहा कि वह धरती पर मनुष्य को पैदा करेगा, जो अल्लाह की आज्ञाकारिता पर धरती को आबाद करने के लिए एक-दूसरे के उत्तराधिकारी होंगे। तो फ़रिश्तों ने अपने पालनहार से - मार्गदर्शन और पूछताछ के तौर पर - आदम के बेटों को पृथ्वी पर उत्तराधिकारी बनाने की हिकमत के बारे में पूछा, जबकि वे धरती में बिगाड़ पैदा करेंगे और अन्यायपूर्वक खून बहाएँगे, यह कहते हुए : हालाँकि हम तेरे आज्ञाकारी हैं, तेरी प्रशंसा करते हुए तथा तेरे प्रताप एवं पूर्णता का महिमामंडन करते हुए हम तेरी पवित्रता बयान करते हैं, हम इसमें कोई सुस्ती नहीं करते। तो अल्लाह तआला ने उनके प्रश्न का उत्तर दिया : मैं उन्हें पैदा करने की शानदार हिकमतों तथा उनके उत्तराधिकार के महान उद्देश्यों के बारे में जो जानता हूँ, तुम नहीं जानते।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَعَلَّمَ اٰدَمَ الْاَسْمَآءَ كُلَّهَا ثُمَّ عَرَضَهُمْ عَلَی الْمَلٰٓىِٕكَةِ فَقَالَ اَنْۢبِـُٔوْنِیْ بِاَسْمَآءِ هٰۤؤُلَآءِ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟
आदम अलैहिस्सलाम के स्थान (रुतबा) को स्पष्ट करने के लिए, अल्लाह तआला ने उन्हें सभी सजीव एवं निर्जीव वस्तुओं आदि के नाम अर्थात् उनके शब्द एवं अर्थ सिखा दिए। फिर उन वस्तुओं को फ़रिश्तों के सामने रखते हुए कहा : मुझे इनके नाम बताओ, यदि तुम अपने इस दावे में सच्चे हो कि तुम इस प्राणी से अधिक प्रतिष्ठित और उससे बेहतर हो!!
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
قَالُوْا سُبْحٰنَكَ لَا عِلْمَ لَنَاۤ اِلَّا مَا عَلَّمْتَنَا ؕ— اِنَّكَ اَنْتَ الْعَلِیْمُ الْحَكِیْمُ ۟
उन्होंने - अपनी कमी को स्वीकार करते हुए, अल्लाह को श्रेय देते हुए - कहा : ऐ हमारे पालनहार! हम तेरे फ़ैसले और विधान के बारे में तुझपर आपत्ति करने से तुझे पवित्र ठहराते और तेरा महिमामंडन करते हैं। क्योंकि तूने हमें जो ज्ञान दिया है, उसके सिवा हम और कुछ नहीं जानते। निःसंदेह तू सर्वज्ञ है, जिससे कुछ भी छिपा नहीं है, तू पूर्ण हिकमत वाला है, अपनी नियति और अपने विधान में चीजों को उनके उचित स्थान पर रखता है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
قَالَ یٰۤاٰدَمُ اَنْۢبِئْهُمْ بِاَسْمَآىِٕهِمْ ۚ— فَلَمَّاۤ اَنْۢبَاَهُمْ بِاَسْمَآىِٕهِمْ ۙ— قَالَ اَلَمْ اَقُلْ لَّكُمْ اِنِّیْۤ اَعْلَمُ غَیْبَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ۙ— وَاَعْلَمُ مَا تُبْدُوْنَ وَمَا كُنْتُمْ تَكْتُمُوْنَ ۟
तब अल्लाह तआला ने आदम अलैहिस्सलाम से कहा : उन्हें इन वस्तुओं के नाम बताओ। चुनाँचे जब आदम अलैहिस्सलाम ने उन्हें बता दिया जिस तरह उनके पालनहार ने उन्हें सिखाया था, तो अल्लाह तआला ने फ़रिश्तों से कहा : क्या मैंने तुमसे नहीं कहा था : निःसंदेह मैं आकाशों तथा धरती की छिपी हुई बातों को जानता हूँ, तथा मैं उसे भी जानता हूँ, जो तुम अपनी स्थितियों में से प्रकट करते हो और जो तुम अपने मन से बातें करते हो।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاِذْ قُلْنَا لِلْمَلٰٓىِٕكَةِ اسْجُدُوْا لِاٰدَمَ فَسَجَدُوْۤا اِلَّاۤ اِبْلِیْسَ ؕ— اَبٰی وَاسْتَكْبَرَ وَكَانَ مِنَ الْكٰفِرِیْنَ ۟
अल्लाह तआला बयान कर रहा है कि उसने फ़रिश्तों को आदम को सम्मान स्वरूप सजदा करने का आदेश दिया, तो उन्होंने अल्लाह के आज्ञापालन में ज़रा भी देर नहीं की, फौरन सजदे में गिर गए। इबलीस को छोड़कर जो कि जिन्नों में से था। उसने अल्लाह के सजदे के आदेश पर आपत्ति जताते हुए और आदम पर बड़ा बनते हुए, सजदा करने से मना कर दिया। इस कारण वह अल्लाह के साथ कुफ़्र करने वालों में से हो गया।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَقُلْنَا یٰۤاٰدَمُ اسْكُنْ اَنْتَ وَزَوْجُكَ الْجَنَّةَ وَكُلَا مِنْهَا رَغَدًا حَیْثُ شِئْتُمَا ۪— وَلَا تَقْرَبَا هٰذِهِ الشَّجَرَةَ فَتَكُوْنَا مِنَ الظّٰلِمِیْنَ ۟
और हमने कहा : ऐ आदम! तुम और तुम्हारी पत्नी - ह़व्वा - जन्नत में रहो और उसमें से जन्नत के किसी भी भाग में एक सुखद और विस्तृत भोजन खाओ। तथा तुम दोनों इस पेड़ के पास मत जाना, जिससे मैंने तुम्हें खाने से मना किया है। अन्यथा तुम दोनों मेरी अवज्ञा करने के कारण अत्याचारियों में से हो जाओगे।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
فَاَزَلَّهُمَا الشَّیْطٰنُ عَنْهَا فَاَخْرَجَهُمَا مِمَّا كَانَا فِیْهِ ۪— وَقُلْنَا اهْبِطُوْا بَعْضُكُمْ لِبَعْضٍ عَدُوٌّ ۚ— وَلَكُمْ فِی الْاَرْضِ مُسْتَقَرٌّ وَّمَتَاعٌ اِلٰی حِیْنٍ ۟
चुनाँचे शैतान लगातार दोनों को बहकाता और उनके लिए सुशोभित करता रहा, यहाँ तक कि उन्हें उस पेड़ से खाने के पाप में डाल दिया, जिससे अल्लाह ने उन्हें मना किया था। इसके परिणामस्वरूप, अल्लाह ने उन्हें उस जन्नत से निकाल दिया जिसमें वे दोनों थे, तथा अल्लाह ने उन दोनो से और शैतान से कहा : धरती पर उतर आओ। तुम एक-दूसरे के शत्रु हो। और जब तक तुम्हारी नियत जीवन अवधि समाप्त नहीं हो जाती और क़ियामत क़ायम नहीं हो जाती, तब तक तुम्हें उस धरती पर रहना और उसमें मौजूद अच्छी चीजों से फायदा उठाना है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
فَتَلَقّٰۤی اٰدَمُ مِنْ رَّبِّهٖ كَلِمٰتٍ فَتَابَ عَلَیْهِ ؕ— اِنَّهٗ هُوَ التَّوَّابُ الرَّحِیْمُ ۟
फिर आदम अलैहिस्सलाम ने वे शब्द सीख लिए, जो अल्लाह ने उनके दिल में डाल दिए थे और उनके साथ उन्हें दुआ करने के लिए प्रेरित किया था। ये वही शब्द हैं, जिनका उल्लेख अल्लाह के इस कथन में है : (الأعراف: 23)﴾قَالَا رَبَّنَا ظَلَمْنَا أَنفُسَنَا وَإِن لَّمْ تَغْفِرْ لَنَا وَتَرْحَمْنَا لَنَكُونَنَّ مِنَ الْخَاسِرِينَ﴿ ''उन दोनों ने कहा : ऐ हमारे पालनहार! हमने अपनी जानों पर अत्याचार किया है। और यदि तूने हमें क्षमा न किया और हमपर दया न की, तो निश्चय हम अवश्य नुक़सान उठाने वालों में से हो जाएँगे।'' (सूरतुल आराफ़ : 23) चुनाँचे अल्लाह ने उनकी तौबा क़बूल कर ली और उन्हें क्षमा कर दिया। क्योंकि वह महिमावान् अपने बंदों की तौबा बहुत ज़्यादा क़बूल करने वाला और उनपर दया करने वाला है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• الواجب على المؤمن إذا خفيت عليه حكمة الله في بعض خلقه وأَمْرِهِ أن يسلِّم لله في خلقه وأَمْرِهِ.
• मोमिन का कर्तव्य यह है कि यदि अल्लाह की किसी रचना और आदेश में उसकी हिकमत उसपर गुप्त रह जाए, तो वह उसकी रचना और आदेश में अल्लाह के प्रति समर्पित हो जाए।

• رَفَعَ القرآن الكريم منزلة العلم، وجعله سببًا للتفضيل بين الخلق.
• क़ुरआन ने इल्म (ज्ञान) की स्थिति को ऊँचा किया और उसे सृष्टि के बीच वरीयता का एक कारण बना दिया

• الكِبْرُ هو رأس المعاصي، وأساس كل بلاء ينزل بالخلق، وهو أول معصية عُصِيَ الله بها.
• अहंकार अवज्ञा की जड़ है, और लोगों पर आने वाली हर विपत्ति का आधार है और यह पहली अवज्ञा (पाप) है, जिसके द्वारा अल्लाह की अवज्ञा की गई है।

قُلْنَا اهْبِطُوْا مِنْهَا جَمِیْعًا ۚ— فَاِمَّا یَاْتِیَنَّكُمْ مِّنِّیْ هُدًی فَمَنْ تَبِعَ هُدَایَ فَلَا خَوْفٌ عَلَیْهِمْ وَلَا هُمْ یَحْزَنُوْنَ ۟
हमने उनसे कहा : तुम सब जन्नत से धरती पर उतर जाओ। फिर यदि मेरे रसूलों के हाथों तुम्हारे पास कोई मार्गदर्शन आए, तो उसपर चलने वालों और मेरे रसूलों पर ईमान लाने वालों पर न तो आख़िरत में कोई डर है, और न ही वे दुनिया के छूटने पर दुखी होंगे।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَالَّذِیْنَ كَفَرُوْا وَكَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَاۤ اُولٰٓىِٕكَ اَصْحٰبُ النَّارِ ۚ— هُمْ فِیْهَا خٰلِدُوْنَ ۟۠
जहाँ तक उन लोगों की बात है जिन्होंने कुफ़्र किया और हमारी आयतों को झुठलाया, तो वही लोग आग (जहन्नम) वाले हैं, वे उससे कभी बाहर नहीं निकलेंगे।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
یٰبَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ اذْكُرُوْا نِعْمَتِیَ الَّتِیْۤ اَنْعَمْتُ عَلَیْكُمْ وَاَوْفُوْا بِعَهْدِیْۤ اُوْفِ بِعَهْدِكُمْ ۚ— وَاِیَّایَ فَارْهَبُوْنِ ۟
ऐ अल्लाह के नबी याक़ूब के बेटो! तुम अपने ऊपर अल्लाह की लगातार नेमतों को याद करो और उनका शुक्रिया अदा करो और मुझपर तथा मेरे रसूलों पर ईमान लाने और मेरे निर्धारित किए हुए नियमों पर अमल करने के मेरे आदेश को पूरा करो। यदि तुम इसे पूरा करते हो, तो मैं दुनिया में सौभाग्यशाली जीवन तथा क़ियामत के दिन बेहतर बदले का तुमसे किया हुआ वादा पूरा करूँगा। तथा केवल मुझ ही से डरो और मेरी प्रतिज्ञा को मत तोड़ो।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاٰمِنُوْا بِمَاۤ اَنْزَلْتُ مُصَدِّقًا لِّمَا مَعَكُمْ وَلَا تَكُوْنُوْۤا اَوَّلَ كَافِرٍ بِهٖ ۪— وَلَا تَشْتَرُوْا بِاٰیٰتِیْ ثَمَنًا قَلِیْلًا ؗ— وَّاِیَّایَ فَاتَّقُوْنِ ۟
तथा उस क़ुरआन पर ईमान लाओ, जिसे मैंने मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर उतारा है, जो उसकी पुष्टि करने वाला है जो अल्लाह की तौह़ीद (एकेश्वरवाद) तथा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नुबुव्वत के विषय में तौरात में उसके विकृत होने से पूर्व आया है। तथा सावधान रहना, कहीं ऐसा न हो कि तुम उसका इनकार करने वाले पहले दल बन जाओ। तथा मेरी उतारी हुई आयतों के बदले प्रतिष्ठा एवं पद के रूप में एक छोटी सी क़ीमत न लो, और मेरे क्रोध तथा मेरी यातना से डरो।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَلَا تَلْبِسُوا الْحَقَّ بِالْبَاطِلِ وَتَكْتُمُوا الْحَقَّ وَاَنْتُمْ تَعْلَمُوْنَ ۟
तथा उस सत्य को - जो मैंने अपने रसूलों पर उतारा है - उन झूठी बातों के साथ भ्रमित न करो जो तुम गढ़ते हो। तथा अपनी पुस्तकों में मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के विवरण के बारे में आए हुए सत्य को न छिपाओ, जबकि तुम उसे जानते हो और उसके बारे में निश्चित हो।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاَقِیْمُوا الصَّلٰوةَ وَاٰتُوا الزَّكٰوةَ وَارْكَعُوْا مَعَ الرّٰكِعِیْنَ ۟
नमाज़ को उसके अरकान, वाजिबात और सुन्नतों के साथ सम्पूर्ण तरीक़े से अदा करो, और अपने उन धनों की ज़कात निकालो जो अल्लाह ने तुम्हारे हाथों में रखा है, तथा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की उम्मत में से अल्लाह के समक्ष झुकने वालों के साथ अल्लाह के सामने झुक जाओ।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اَتَاْمُرُوْنَ النَّاسَ بِالْبِرِّ وَتَنْسَوْنَ اَنْفُسَكُمْ وَاَنْتُمْ تَتْلُوْنَ الْكِتٰبَ ؕ— اَفَلَا تَعْقِلُوْنَ ۟
कितनी बुरी बात है कि तुम दूसरों को तो ईमान और भलाई करने का आदेश दो, और अपने आपको भूलकर खुद उससे मुँह फेर लो, हालाँकि तुम तौरात पढ़ते हो, उसमें मौजूद अल्लाह के धर्म का पालन करने तथा उसके रसूलों पर विश्वास करने के आदेश से अवगत हो। तो क्या तुम अपनी बुद्धियों से लाभ नहीं उठाते?!
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاسْتَعِیْنُوْا بِالصَّبْرِ وَالصَّلٰوةِ ؕ— وَاِنَّهَا لَكَبِیْرَةٌ اِلَّا عَلَی الْخٰشِعِیْنَ ۟ۙ
अपने सभी धार्मिक और सांसारिक मामलों में सब्र (धैर्य) के साथ मदद माँगो तथा नमाज़ के साथ जो तुम्हें अल्लाह के क़रीब लाती है और तुम्हें उससे जोड़ती है। अतः वह तुम्हारी मदद करता है और तुम्हारी रक्षा करता है और तुम्हारे नुक़सान को दूर कर देता है। और निश्चय नमाज़ क़ायम करना बहुत कठिन और भारी है, सिवाय उनके जो अपने पालनहार के प्रति समर्पित होने वाले हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
الَّذِیْنَ یَظُنُّوْنَ اَنَّهُمْ مُّلٰقُوْا رَبِّهِمْ وَاَنَّهُمْ اِلَیْهِ رٰجِعُوْنَ ۟۠
इसका कारण यह है कि वही लोग हैं जो इस बात पर विश्वास रखते हैं कि वे अपने रब के पास आने वाले और क़ियामत के दिन उससे मिलने वाले हैं। और यह कि वे उसी के पास लौटने वाले हैं, ताकि वह उन्हें उनके कर्मों का प्रतिफल दे।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
یٰبَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ اذْكُرُوْا نِعْمَتِیَ الَّتِیْۤ اَنْعَمْتُ عَلَیْكُمْ وَاَنِّیْ فَضَّلْتُكُمْ عَلَی الْعٰلَمِیْنَ ۟
ऐ अल्लाह के नबी याक़ूब के बेटो! मेरी प्रदान की हुई धार्मिक एवं सांसारिक नेमतों को याद करो और याद रखो कि निःसंदेह मैंने ही तुम्हें तुम्हारे समय के लोगों पर नुबुव्वत एवं बादशाहत द्वारा प्रधानता प्रदान की।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاتَّقُوْا یَوْمًا لَّا تَجْزِیْ نَفْسٌ عَنْ نَّفْسٍ شَیْـًٔا وَّلَا یُقْبَلُ مِنْهَا شَفَاعَةٌ وَّلَا یُؤْخَذُ مِنْهَا عَدْلٌ وَّلَا هُمْ یُنْصَرُوْنَ ۟
तथा आदेशों का पालन करके और निषेधों को छोड़कर अपने और क़ियामत के दिन की यातना के बीच, बचाव का साधन अपनाओ। उस दिन कोई किसी के कुछ काम न आएगा, न उस दिन अल्लाह की अनुमति के बिना नुकसान को दूर करने या लाभ प्राप्त करने की किसी की सिफ़ारिश क़बूल की जाएगी, और न ही कोई छुड़ौती स्वीकार की जाएगी; चाहे ज़मीन के बराबर सोना ही क्यों न हो, और न उस दिन उनका कोई मददगार होगा। जब कोई सिफ़ारिशी, या छुड़ौती या मददगार काम नहीं आएगा, तो फिर भागने का स्थान कहाँ है?!
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• من أعظم الخذلان أن يأمر الإنسان غيره بالبر، وينسى نفسه.
• सबसे बड़ी विफलता में से एक यह है कि आदमी दूसरों को नेकी का आदेश दे और खुद को भूल जाए।

• الصبر والصلاة من أعظم ما يعين العبد في شؤونه كلها.
• धैर्य और नमाज़ सबसे बड़ी चीज़ों में से हैं जो बंदे की उसके सभी मामलों में मदद करते हैं।

• في يوم القيامة لا يَدْفَعُ العذابَ عن المرء الشفعاءُ ولا الفداءُ، ولا ينفعه إلا عمله الصالح.
• क़ियामत के दिन सिफ़ारिश करने वाले या फ़िदया देना किसी व्यक्ति से यातना को नहीं दूर करेगा, उसे केवल उसका नेक कार्य ही लाभ देगा।

وَاِذْ نَجَّیْنٰكُمْ مِّنْ اٰلِ فِرْعَوْنَ یَسُوْمُوْنَكُمْ سُوْٓءَ الْعَذَابِ یُذَبِّحُوْنَ اَبْنَآءَكُمْ وَیَسْتَحْیُوْنَ نِسَآءَكُمْ ؕ— وَفِیْ ذٰلِكُمْ بَلَآءٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ عَظِیْمٌ ۟
ऐ बनी इसराईल! उस समय को याद करो, जब हमने तुम्हें फ़िरऔन के लोगों से छुड़ाया, जो तुम्हें नाना प्रकार की यातनाएँ देते थे; वे तुम्हारे बेटों को बुरी तरह ज़बह कर देते थे, ताकि तुम्हारा कोई अस्तित्व न रहे और तुम्हारी बेटियों को जीवित छोड़ देते थे, ताकि वे उनकी सेवा करने वाली स्त्रियां हो जाएँ। इससे उनका मक़सद तुम्हारा घोर अपमान करना था। तुम्हें फ़िरऔन और उसके अनुयायियों के अत्याचार से बचाना तुम्हारे पालनहार की ओर से एक बड़ी परीक्षा है; ताकि तुम उसका शुक्रिया अदा करो।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاِذْ فَرَقْنَا بِكُمُ الْبَحْرَ فَاَنْجَیْنٰكُمْ وَاَغْرَقْنَاۤ اٰلَ فِرْعَوْنَ وَاَنْتُمْ تَنْظُرُوْنَ ۟
और तुम अपने ऊपर हमारी नेमतों में से इसे भी याद करो कि हमने तुम्हारे लिए सागर को फाड़ दिया और उसे तुम्हारे चलने के लिए एक सूखा रास्ता बना दिया। चुनाँचे हमने तुम्हें बचा लिया, और तुम्हारे दुश्मन फ़िरऔन और उसके अनुयायियों को तुम्हारी आँखों के सामने डुबो दिया, जबकि तुम उन्हें देख रहे थे।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاِذْ وٰعَدْنَا مُوْسٰۤی اَرْبَعِیْنَ لَیْلَةً ثُمَّ اتَّخَذْتُمُ الْعِجْلَ مِنْ بَعْدِهٖ وَاَنْتُمْ ظٰلِمُوْنَ ۟
इन नेमतों में से यह भी याद रखो कि हमने मूसा अलैहिस्सलाम से चालीस रातों के लिए वादा किया, ताकि इसमें, प्रकाश और मार्गदर्शन के तौर पर, तौरात को उतारा जाए। फिर तुमने यह किया कि उस अवधि के दौरान बछड़े की पूजा करने लगे। और ऐसा करके तुम अत्याचार करने वाले थे।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ثُمَّ عَفَوْنَا عَنْكُمْ مِّنْ بَعْدِ ذٰلِكَ لَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ ۟
फिर तुम्हारे तौबा (क्षमा याचना) कर लेने के बाद, हमने तुम्हें क्षमा कर दिया, चुनाँचे हमने तुम्हारी पकड़ नहीं की, ताकि तुम अल्लाह की अच्छी इबादत और आज्ञापालन करके उसका शुक्रिया अदा करो।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاِذْ اٰتَیْنَا مُوْسَی الْكِتٰبَ وَالْفُرْقَانَ لَعَلَّكُمْ تَهْتَدُوْنَ ۟
इन नेमतों में से इसे भी याद करो कि हमने मूसा अलैहिस्सलाम को सत्य तथा असत्य के बीच अंतर करने वाली तथा हिदायत एवं गुमराही के बीच फ़र्क़ करने वाली पुस्तक तौरात प्रदान की, ताकि तुम उसके द्वारा सत्य का मार्ग पा सको।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاِذْ قَالَ مُوْسٰی لِقَوْمِهٖ یٰقَوْمِ اِنَّكُمْ ظَلَمْتُمْ اَنْفُسَكُمْ بِاتِّخَاذِكُمُ الْعِجْلَ فَتُوْبُوْۤا اِلٰی بَارِىِٕكُمْ فَاقْتُلُوْۤا اَنْفُسَكُمْ ؕ— ذٰلِكُمْ خَیْرٌ لَّكُمْ عِنْدَ بَارِىِٕكُمْ ؕ— فَتَابَ عَلَیْكُمْ ؕ— اِنَّهٗ هُوَ التَّوَّابُ الرَّحِیْمُ ۟
इन नेमतों में से यह भी याद रखो कि अल्लाह ने तुम्हें बछड़े की पूजा से तौबा करने का सामर्थ्य प्रदान किया। जब मूसा अलैहिस्सलाम ने तुमसे कहा : तुमने बछड़े को उसकी इबादत करने के लिए पूज्य बनाकर अपने आप पर अत्याचार किया है। अतः पश्चाताप करो और अपने पैदा करने वाले की ओर लौट जाओ। इस प्रकार कि तुम एक-दूसरे को क़त्ल करो। इस तरह से पश्चाताप करना, तुम्हारे लिए कुफ़्र में बने रहने से बेहतर है जो कि आग में अमरता की ओर ले जाता है। चुनाँचे अल्लाह की तौफ़ीक़ और मदद से तुमने ऐसा कर लिया, तो उसने तुम्हारी तौबा क़बूल कर ली। क्योंकि वह बहुत ज़्यादा तौबा क़बूल करने वाला, अपने बंदों पर दया करने वाला है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاِذْ قُلْتُمْ یٰمُوْسٰی لَنْ نُّؤْمِنَ لَكَ حَتّٰی نَرَی اللّٰهَ جَهْرَةً فَاَخَذَتْكُمُ الصّٰعِقَةُ وَاَنْتُمْ تَنْظُرُوْنَ ۟
तथा उस समय को याद करो, जब तुम्हारे पूर्वजों ने मूसा अलैहिस्सलाम को साहसपूर्वक संबोधित करते हुए कहा था : हम तुमपर उस समय तक ईमान नहीं ला सकते, जब तक हम अल्लाह को अपनी आँखों से इस तरह न देख लें कि हमारे बीच कोई आड़ न हो। इसपर जलाने वाली आग ने तुम्हें पकड़ लिया, और तुम्हें मार डाला, जबकि तुम एक-दूसरे को देख रहे थे।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ثُمَّ بَعَثْنٰكُمْ مِّنْ بَعْدِ مَوْتِكُمْ لَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ ۟
फिर हमने तुम्हारे मरने के पश्चात तुम्हें पुनर्जीवित किया, ताकि तुम अल्लाह का अपने ऊपर इस उपकार पर शुक्रिया अदा करो।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَظَلَّلْنَا عَلَیْكُمُ الْغَمَامَ وَاَنْزَلْنَا عَلَیْكُمُ الْمَنَّ وَالسَّلْوٰی ؕ— كُلُوْا مِنْ طَیِّبٰتِ مَا رَزَقْنٰكُمْ ؕ— وَمَا ظَلَمُوْنَا وَلٰكِنْ كَانُوْۤا اَنْفُسَهُمْ یَظْلِمُوْنَ ۟
तुमपर हमारी एक कृपा यह है कि जब तुम धरती में भटक रहे थे, तो हमने तुम्हें सूर्य की गर्मी से छाया देने के लिए बादलों को भेजा। इसी तरह हमने अपनी नेमतों में से तुमपर शहद की तरह एक मीठा पेय, तथा बटेर के सदृश अच्छे माँस वाला एक छोटा पक्षी उतारा, और हमने तुमसे कहा : उन अच्छी चीजों में से खाओ जो हमने तुम्हें प्रदान की हैं। उन्होंने इन नेमतों का इनकार और उनकी नाशुक्री करके हमारा कुछ नुक़सान नहीं किया, बल्कि उन्होंने अपने हिस्से का सवाब कम करके और अपने आपको दंड से दो चार करके ख़ुद पर अत्याचार किया।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• عِظَمُ نعم الله وكثرتها على بني إسرائيل، ومع هذا لم تزدهم إلا تكبُّرًا وعنادًا.
• बनी इसराईल पर अल्लाह की नेमतों की महानता और उनकी बहुतायत, इसके बावजूद, इससे केवल उनके अहंकार और हठ में वृद्धि हुई।

• سَعَةُ حِلم الله تعالى ورحمته بعباده، وإن عظمت ذنوبهم.
• अल्लाह की सहनशीलता और अपने बंदों पर उसकी दया की विशालता, भले ही उनके पाप बहुत बड़े हों।

• الوحي هو الفَيْصَلُ بين الحق والباطل.
• वह़्य ही सत्य एवं असत्य के बीच निर्णायक है।

وَاِذْ قُلْنَا ادْخُلُوْا هٰذِهِ الْقَرْیَةَ فَكُلُوْا مِنْهَا حَیْثُ شِئْتُمْ رَغَدًا وَّادْخُلُوا الْبَابَ سُجَّدًا وَّقُوْلُوْا حِطَّةٌ نَّغْفِرْ لَكُمْ خَطٰیٰكُمْ ؕ— وَسَنَزِیْدُ الْمُحْسِنِیْنَ ۟
अपने ऊपर अल्लाह की नेमतों में से उस समय को याद करो जब हमने तुमसे कहा : बैतुल-मक़्दिस में प्रवेश कर जाओ और उसमें मौजूद अच्छी चीज़ों में से जिस स्थान से भी चाहो आनंदमय, विशाल भोजन खाओ। तथा जब तुम प्रवेश करो, तो अल्लाह के आगे सिर झुकाए हुए हो और अल्लाह से यह दुआ करते रहो : ऐ हमारे पालनहार! हमारे गुनाहों को मिटा दे; हम तुम्हारी दुआ क़बूल कर लेंगे और हम उन लोगों के सवाब को बढ़ा देंगे, जिन्होंने अच्छे काम किए।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
فَبَدَّلَ الَّذِیْنَ ظَلَمُوْا قَوْلًا غَیْرَ الَّذِیْ قِیْلَ لَهُمْ فَاَنْزَلْنَا عَلَی الَّذِیْنَ ظَلَمُوْا رِجْزًا مِّنَ السَّمَآءِ بِمَا كَانُوْا یَفْسُقُوْنَ ۟۠
लेकिन उनमें से अत्याचारियों ने कार्यों को बदल दिया, और शब्दों को विकृत कर दिया। चुनाँचे वे अपने नितंबों पर घिसटते हुए दाख़िल हुए और अल्लाह के आदेश का मज़ाक़ उड़ाते हुए उन्होंने कहा : 'बाली में दाना'। जिसके परिणामस्वरूप अल्लाह ने उनमें से अत्याचार करने वालों पर, उनके शरीयत की सीमा से बाहर निकलने और आदेश का उल्लंघन करने के कारण आकाश से अज़ाब उतार दिया।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاِذِ اسْتَسْقٰی مُوْسٰی لِقَوْمِهٖ فَقُلْنَا اضْرِبْ بِّعَصَاكَ الْحَجَرَ ؕ— فَانْفَجَرَتْ مِنْهُ اثْنَتَا عَشْرَةَ عَیْنًا ؕ— قَدْ عَلِمَ كُلُّ اُنَاسٍ مَّشْرَبَهُمْ ؕ— كُلُوْا وَاشْرَبُوْا مِنْ رِّزْقِ اللّٰهِ وَلَا تَعْثَوْا فِی الْاَرْضِ مُفْسِدِیْنَ ۟
तथा अपने ऊपर अल्लाह की उस नेमत को भी याद करो जब तुम चटियल मैदान में भटक रहे थे और तुम बहुत प्यासे थे, तो मूसा अलैहिस्सलाम ने अपने रब से प्रार्थना की और उससे तुम्हारे लिए पानी माँगा। इसलिए हमने उन्हें अपनी लाठी पत्थर पर मारने का आदेश दिया। जब उन्होंने उसको मारा, तो उससे तुम्हारे गोत्रों की संख्या के अनुसार बारह सोते फूट पड़े और उनमें से पानी निकल आया। हमने हर गोत्र के लिए उसके पीने का विशिष्ट स्थान स्पष्ट कर दिया, ताकि उनके बीच कोई विवाद न हो, और हमने तुमसे कहा : अल्लाह की उस रोज़ी से खाओ और पियो, जो उसने तुम्हें बिना किसी परिश्रम या कार्य के प्रदान की है और धरती पर बिगाड़ फैलाते न फिरो।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاِذْ قُلْتُمْ یٰمُوْسٰی لَنْ نَّصْبِرَ عَلٰی طَعَامٍ وَّاحِدٍ فَادْعُ لَنَا رَبَّكَ یُخْرِجْ لَنَا مِمَّا تُنْۢبِتُ الْاَرْضُ مِنْ بَقْلِهَا وَقِثَّآىِٕهَا وَفُوْمِهَا وَعَدَسِهَا وَبَصَلِهَا ؕ— قَالَ اَتَسْتَبْدِلُوْنَ الَّذِیْ هُوَ اَدْنٰی بِالَّذِیْ هُوَ خَیْرٌ ؕ— اِهْبِطُوْا مِصْرًا فَاِنَّ لَكُمْ مَّا سَاَلْتُمْ ؕ— وَضُرِبَتْ عَلَیْهِمُ الذِّلَّةُ وَالْمَسْكَنَةُ وَبَآءُوْ بِغَضَبٍ مِّنَ اللّٰهِ ؕ— ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ كَانُوْا یَكْفُرُوْنَ بِاٰیٰتِ اللّٰهِ وَیَقْتُلُوْنَ النَّبِیّٖنَ بِغَیْرِ الْحَقِّ ؕ— ذٰلِكَ بِمَا عَصَوْا وَّكَانُوْا یَعْتَدُوْنَ ۟۠
उस समय को याद करो, जब तुमने अपने रब की नेमत की नाशुक्री की। चुनाँचे मन्न और सलवा के रूप में अल्लाह की उतारी हुई रोज़ी को खाने से ऊब गए और कहने लगे : हम एक ही प्रकार के खाने पर संतोष नहीं कर सकते, जो नहीं बदलता है। फिर तुमने मूसा अलैहिस्सलाम से मुतालबा किया कि वह अल्लाह से दुआ करें कि वह तुम्हारे लिए धरती की उपज में से, जैसे उसकी फलियों एवं साग-सब्ज़ियों, उसकी ककड़ी, अनाज, मसूर और प्याज़ में से कोई खाना निकाले। इसपर मूसा अलैहिस्सलाम ने (तुम्हारे अनुरोध की निंदा करते हुए : क्या तुम मन्न और सलवा जैसे बेहतरीन और अधिक उदार भोजन के बदले एक कमतर और तुच्छ चीज़ को अपनाते हो, जबकि वह तुम्हारे पास बिना परेशानी और थकान के आता था?) फरमाया : तुम यहाँ की धरती से निकलकर किसी भी बस्ती में जा उतरो। तुम्हें वहाँ के खेतों और बाज़ारों में वह सब मिल जाएगा, जो तुमने माँगा है। उनके अपनी इच्छाओं का पालन करने और अल्लाह ने उनके लिए जो चुना था, उससे बार-बार मुँह फेरने के कारण; उन्हें अपमान, दरिद्रता और विपत्ति ने घेर लिया। साथ ही वे अल्लाह की ओर से भारी प्रकोप के साथ लौटे; क्योंकि उन्होंने उसके दीन से मुँह फेरा, उसकी आयतों का इनकार किया और उसके नबियों की अन्यायपूर्ण और आक्रामक तरीक़े से हत्या की; यह सब इस कारण हुआ कि उन्होंने अल्लाह की अवज्ञा की और वे उसकी सीमाओं को पार कर रहे थे।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• كل من يتلاعب بنصوص الشرع ويحرّفها فيه شَبَهٌ من اليهود، وهو مُتوعَّد بعقوبة الله تعالى.
• हर वह व्यक्ति जो शरीयत के नुसूस के साथ खिलवाड़ करता और उन्हें विकृत करता है, उसमें यहूदियों की समानता पाई जाती है, तथा उसके लिए अल्लाह के अज़ाब की धमकी है।

• عِظَمُ فضل الله تعالى على بني إسرائيل، وفي مقابل ذلك شدة جحودهم وعنادهم وإعراضهم عن الله وشرعه.
• बनी इसराईल पर अल्लाह की कृपा की महानता और उसके बदले में उनका सख़्त इनकार, हठ तथा अल्लाह और उसकी शरीयत से विमुखता।

• أن من شؤم المعاصي وتجاوز حدود الله تعالى ما ينزل بالمرء من الذل والهوان، وتسلط الأعداء عليه.
• अल्लाह की अवज्ञा और उसकी सीमाओं के उल्लंघन के अशुभ परिणामों में से एक मनुष्य पर अपमान एवं तिरस्कार का उतरना, और उसपर शत्रुओं का प्रभुत्व है।

اِنَّ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَالَّذِیْنَ هَادُوْا وَالنَّصٰرٰی وَالصّٰبِـِٕیْنَ مَنْ اٰمَنَ بِاللّٰهِ وَالْیَوْمِ الْاٰخِرِ وَعَمِلَ صَالِحًا فَلَهُمْ اَجْرُهُمْ عِنْدَ رَبِّهِمْ ۪ۚ— وَلَا خَوْفٌ عَلَیْهِمْ وَلَا هُمْ یَحْزَنُوْنَ ۟
इस उम्मत के जो लोग ईमान लाए, तथा इसी तरह मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के नबी बनने से पहले पिछले समुदायों, जैसे यहूदियों, ईसाइयों और साबियों - ये किसी नबी को मानने वालों का एक समूह था - में से जो ईमान लाए, इनमें से जो सही मायने में अल्लाह तथा अंतिम दिन पर ईमान लाए; तो उनका सवाब उनके रब के पास है। वे आख़िरत में जिस चीज़ का सामना करने वाले हैं उसके बारे में उन्हें कोई भय नहीं है, तथा दुनिया में से जो चीज़ उनसे छूट गई है, उसके लिए उन्हें कोई मलाल नहीं होगा।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاِذْ اَخَذْنَا مِیْثَاقَكُمْ وَرَفَعْنَا فَوْقَكُمُ الطُّوْرَ ؕ— خُذُوْا مَاۤ اٰتَیْنٰكُمْ بِقُوَّةٍ وَّاذْكُرُوْا مَا فِیْهِ لَعَلَّكُمْ تَتَّقُوْنَ ۟
अल्लाह तथा उसके रसूलों पर ईमान लाने के उस पक्के वचन को याद करो, जो हमने तुमसे लिया था, और हमने तुम्हें डराने के लिए तथा वचन पर अमल न करने से सावधान करते हुए पहाड़ को तुम्हारे ऊपर उठा लिया, तुम्हें यह आदेश देते हुए कि हमारी उतारी हुई पुस्तक तौरात को पूरी शक्ति के साथ, बिना किसी लापरवाही और आलस्य के थाम लो, तथा जो कुछ उसमें है उसे याद कर लो और उसपर चिंतन-मनन करो। ताकि ऐसा करके, तुम अल्लाह के अज़ाब से बच जाओ।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ثُمَّ تَوَلَّیْتُمْ مِّنْ بَعْدِ ذٰلِكَ ۚ— فَلَوْلَا فَضْلُ اللّٰهِ عَلَیْكُمْ وَرَحْمَتُهٗ لَكُنْتُمْ مِّنَ الْخٰسِرِیْنَ ۟
लेकिन अपने ऊपर दृढ़ वचन लिए जाने के बाद भी तुमने मुँह फेरा और अवज्ञा की। ऐसे में अगर अल्लाह ने अपनी कृपा से तुम्हें माफ़ न किया होता और अपनी दया से तुम्हारी तौबा क़बूल न करता, तो तुम इस विमुखता और अवज्ञा के कारण नुक़सान उठाने वालों में से होते।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَلَقَدْ عَلِمْتُمُ الَّذِیْنَ اعْتَدَوْا مِنْكُمْ فِی السَّبْتِ فَقُلْنَا لَهُمْ كُوْنُوْا قِرَدَةً خٰسِـِٕیْنَ ۟ۚ
तुमने अपने उन पूर्वजों का समाचार संदेह रहित स्पष्ट रूप से जान लिया है, जिन्होंने शनिवार के दिन शिकार करके ज़्यादती की, जिसमें उनके लिए शिकार करना मना था। इसलिए उन्होंने इसके लिए यह चाल चली कि शनिवार से पहले जाल लगा दिया और रविवार को उसे निकाल लिया। चुनाँचे अल्लाह ने इन चालबाज़ों को उनकी चालबाज़ी की सज़ा के रूप में बहिष्कृत बंदर बना दिया।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
فَجَعَلْنٰهَا نَكَالًا لِّمَا بَیْنَ یَدَیْهَا وَمَا خَلْفَهَا وَمَوْعِظَةً لِّلْمُتَّقِیْنَ ۟
तो हमने इस आक्रामक बस्ती को इसके आस-पास की बस्तियों के लिए एक इबरत तथा इसके बाद आने वाले के लिए एक इबरत बना दिया। ताकि कोई उस जैसा अमल करके उसी तरह के अज़ाब का हक़दार न बने। तथा हमने उसे उन डरने वालों के लिए अनुस्मारक बना दिया, जो अल्लाह की सज़ा और उसकी सीमाओं का उल्लंघन करने वालों से उसके बदला लेने से डरते हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاِذْ قَالَ مُوْسٰی لِقَوْمِهٖۤ اِنَّ اللّٰهَ یَاْمُرُكُمْ اَنْ تَذْبَحُوْا بَقَرَةً ؕ— قَالُوْۤا اَتَتَّخِذُنَا هُزُوًا ؕ— قَالَ اَعُوْذُ بِاللّٰهِ اَنْ اَكُوْنَ مِنَ الْجٰهِلِیْنَ ۟
तथा अपने पूर्वजों के समाचार में से उस संवाद को याद करो, जो उनके और मूसा अलैहिस्सलाम के बीच हुआ। जब मूसा अलैहिस्सलाम ने उन्हें सूचित किया कि अल्लाह ने उन्हें एक गाय ज़बह करने का आदेश दिया है। तो उन्होंने अल्लाह के आदेश का पालन करने में जल्दी करने के बजाय हठपूर्वक कहा : क्या तुम हमारा मज़ाक़ उड़ा रहे हो?! मूसा अलैहिस्सलाम ने कहा : मैं उन लोगों में शामिल होने से अल्लाह की शरण लेता हूँ, जो अल्लाह पर झूठ बोलते हैं और लोगों का मज़ाक़ उड़ाते हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
قَالُوا ادْعُ لَنَا رَبَّكَ یُبَیِّنْ لَّنَا مَا هِیَ ؕ— قَالَ اِنَّهٗ یَقُوْلُ اِنَّهَا بَقَرَةٌ لَّا فَارِضٌ وَّلَا بِكْرٌ ؕ— عَوَانٌ بَیْنَ ذٰلِكَ ؕ— فَافْعَلُوْا مَا تُؤْمَرُوْنَ ۟
उन्होंने मूसा अलैहिस्सलाम से कहा : अपने रब से प्रार्थना करो कि वह हमें उस गाय का विवरण समझाए जिसे उसने हमें ज़बह करने का आदेश दिया है। उन्होंने उनसे कहा : अल्लाह कहता है : वह एक ऐसी गाय है जो न तो बूढ़ी है और न ही बछड़ी, बल्कि वह दोनों के बीच मध्यम आयु की है। अत: अपने रब की आज्ञा का पालन करने में जल्दी करो।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
قَالُوا ادْعُ لَنَا رَبَّكَ یُبَیِّنْ لَّنَا مَا لَوْنُهَا ؕ— قَالَ اِنَّهٗ یَقُوْلُ اِنَّهَا بَقَرَةٌ صَفْرَآءُ ۙ— فَاقِعٌ لَّوْنُهَا تَسُرُّ النّٰظِرِیْنَ ۟
उन्होंने अपने तर्क-वितर्क और हठ को जारी रखते हुए मूसा अलैहिस्सलाम से कहा : अपने पालनहार से प्रार्थना करो कि वह हमें समझाए कि उसका रंग क्या है। तो मूसा अलैहिस्सलाम ने उनसे कहा : अल्लाह कहता है : वह एक बहुत ही पीली गाय है, जो हर किसी को भा जाती है जो उसे देखता है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• الحُكم المذكور في الآية الأولى لِمَا قبل بعثة النبي صلى الله عليه وسلم، وأما بعد بعثته فإن الدين المَرْضِيَّ عند الله هو الإسلام، لا يقبل غيره، كما قال الله تعالى: ﴿ وَمَنْ يَبْتَغِ غَيْرَ الْإِسْلَامِ دِينًا فَلَنْ يُقْبَلَ مِنْه ﴾ (آل عمران: 85).
• पहली आयत में उल्लिखित हुक्म नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पैग़ंबर बनाए जाने से पहले का है। परंतु आपके नबी बनाए जाने के बाद, अल्लाह के निकट एकमात्र पसंदीदा धर्म इस्लाम है, जिसके अलावा वह कोई अन्य धर्म स्वीकार नहीं करेगा। जैसा कि अल्लाह तआला ने फरमाया : {وَمَنْ يَبْتَغِ غَيْرَ الْإِسْلَامِ دِينًا فَلَنْ يُقْبَلَ مِنْه} (آل عمران: 85) ''और जो इस्लाम के अलावा कोई अन्य धर्म तलाश करे, तो वह उससे कदापि स्वीकार नहीं किया जाएगा।'' (सूरत आल-इमरान : 85)।

• قد يُعَجِّلُ الله العقوبة على بعض المعاصي في الدنيا قبل الآخرة؛ لتكون تذكرة يتعظ بها الناس فيحذروا مخالفة أمر الله تعالى.
• अल्लाह तआला कभी-कभी कुछ गुनाहों की सज़ा आख़िरत से पहले दुनिया ही में दे देता है, ताकि लोग इससे सीख ग्रहण करते हुए अल्लाह के आदेश का उल्लंघन करने से सावधान रहें।

• أنّ من ضيَّق على نفسه وشدّد عليها فيما ورد موسَّعًا في الشريعة، قد يُعاقَبُ بالتشديد عليه.
• जो अपने आप पर उस मामले में तंगी और सख़्ती करता है, जिसके विषय में शरीयत में विस्तार है, तो उस मामले में उसपर सख़्ती करके दंडित किया जा सकता है।

قَالُوا ادْعُ لَنَا رَبَّكَ یُبَیِّنْ لَّنَا مَا هِیَ ۙ— اِنَّ الْبَقَرَ تَشٰبَهَ عَلَیْنَا ؕ— وَاِنَّاۤ اِنْ شَآءَ اللّٰهُ لَمُهْتَدُوْنَ ۟
फिर वे अपने हठ में हद से बढ़ते हुए कहने लगे : अपने पालनहार से प्रार्थना करो कि वह हमारे लिए इसके गुणों को और अधिक स्पष्ट कर दे; क्योंकि उपर्युक्त विशेषताओं वाली गायें बहुत हैं, उनमें से हम उसकी पहचान नहीं कर सकते। उन्होंने इस बात की पुष्टि भी की कि - यदि अल्लाह ने चाहा - तो वे ज़बह के लिए अपेक्षित गाय तक पहुँच जाएँगे।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
قَالَ اِنَّهٗ یَقُوْلُ اِنَّهَا بَقَرَةٌ لَّا ذَلُوْلٌ تُثِیْرُ الْاَرْضَ وَلَا تَسْقِی الْحَرْثَ ۚ— مُسَلَّمَةٌ لَّا شِیَةَ فِیْهَا ؕ— قَالُوا الْـٰٔنَ جِئْتَ بِالْحَقِّ ؕ— فَذَبَحُوْهَا وَمَا كَادُوْا یَفْعَلُوْنَ ۟۠
मूसा अलैहिस्सलाम ने उनसे कहा : अल्लाह तआला कहता है : वह गाय ऐसी है जो जुताई में काम करने और भूमि को सींचने के लिए सधाई हुई नहीं है, और वह दोषों से मुक्त है, तथा उसमें उसके पीले रंग के अलावा किसी और रंग का निशान नहीं है। तब उन्होंने कहा : अब तू सटीक विवरण के साथ आया है जो पूरी तरह से उस गाय का निर्धारण करता है। और उन्होंने उस गाय को ज़बह किया, जबकि वे वाद-विवाद और हठ के कारण क़रीब थे कि उसे ज़बह न करें।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاِذْ قَتَلْتُمْ نَفْسًا فَادّٰرَءْتُمْ فِیْهَا ؕ— وَاللّٰهُ مُخْرِجٌ مَّا كُنْتُمْ تَكْتُمُوْنَ ۟ۚ
तथा उस समय को याद करो, जब तुमने अपने ही में से एक व्यक्ति की हत्या कर दी, फिर आपस में लड़ने लगे। हर एक अपने आपको हत्या के आरोप से बचाने लगा और दूसरों पर आरोप धरने लगा, यहाँ तक कि तुम आपस में झगड़ बैठे। जबकि अल्लाह उस निर्दोष व्यक्ति की हत्या के मामले को प्रकाश में लाने वाला था, जिसे तुमे छिपा रहे थे।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
فَقُلْنَا اضْرِبُوْهُ بِبَعْضِهَا ؕ— كَذٰلِكَ یُحْیِ اللّٰهُ الْمَوْتٰی وَیُرِیْكُمْ اٰیٰتِهٖ لَعَلَّكُمْ تَعْقِلُوْنَ ۟
तो हमने तुमसे कहा : मरे हुए व्यक्ति के शरीर पर उस गाय के किसी भाग से मारो, जिसे तुम्हें ज़बह करने का आदेश दिया गया था। क्योंकि हत्यारा कौन है यह बताने के लिए अल्लाह उसे पुनर्जीवित करेगा! चुनाँचे उन्होंने वैसा ही किया और उसने अपने हत्यारे को बता दिया। और इस मरे हुए व्यक्ति को फिर से जीवित करने की तरह, अल्लाह क़ियामत के दिन मरे हुओं को पुनर्जीवित करेगा। अल्लाह तुम्हें अपनी शक्ति के स्पष्ट प्रमाण दिखाता है, ताकि तुम उन्हें समझो और अल्लाह पर सही मायने में विश्वास रखो।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ثُمَّ قَسَتْ قُلُوْبُكُمْ مِّنْ بَعْدِ ذٰلِكَ فَهِیَ كَالْحِجَارَةِ اَوْ اَشَدُّ قَسْوَةً ؕ— وَاِنَّ مِنَ الْحِجَارَةِ لَمَا یَتَفَجَّرُ مِنْهُ الْاَنْهٰرُ ؕ— وَاِنَّ مِنْهَا لَمَا یَشَّقَّقُ فَیَخْرُجُ مِنْهُ الْمَآءُ ؕ— وَاِنَّ مِنْهَا لَمَا یَهْبِطُ مِنْ خَشْیَةِ اللّٰهِ ؕ— وَمَا اللّٰهُ بِغَافِلٍ عَمَّا تَعْمَلُوْنَ ۟
फिर इन दिल में उतरने वाले सदुपदेशों और स्पष्ट चमत्कारों के बाद भी तुम्हारे दिल कठोर हो गए। यहाँ तक कि वे पत्थर की तरह, बल्कि उससे भी ज़्यादा सख़्त हो गए; क्योंकि ये अपने हाल में ज़रा भी परिवर्तन स्वीकार करने को तैयार नहीं, जबकि पत्थर परिवर्तित होते और स्थिति बदलते रहते हैं। चुनाँचे कुछ पत्थरों से नहरें फूट निकलती हैं और कुछ पत्थर फट जाते हैं और उनसे पानी के सोते निकल आते हैं, जिनसे इनसान और चौपाए लाभान्वित होते हैं, जबकि कुछ पत्थर अल्लाह के भय से पहाड़ों की ऊँचाइयों से गिर पड़ते हैं। परंतु तुम्हारे दिलों का हाल ऐसा नहीं है। तथा तुम जो कुछ कर रहे हो, अल्ल्लाह उससे से ग़ाफ़िल नहीं है। बल्कि वह उससे अवगत है और तुम्हें उसका बदला देगा।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اَفَتَطْمَعُوْنَ اَنْ یُّؤْمِنُوْا لَكُمْ وَقَدْ كَانَ فَرِیْقٌ مِّنْهُمْ یَسْمَعُوْنَ كَلٰمَ اللّٰهِ ثُمَّ یُحَرِّفُوْنَهٗ مِنْ بَعْدِ مَا عَقَلُوْهُ وَهُمْ یَعْلَمُوْنَ ۟
तो क्या - ऐ मोमिनो! - तुम यहूदियों की स्थिति की वास्तविकता और उनके हठ को जानने के बाद इस बात की आशा रखते हो कि वे ईमान ले आएँगे और तुम्हारी बात स्वीकार कर लेंगे?! जबकि उनके विद्वानों का एक समूह ऐसा रहा है, जो तौरात में उनपर उतरे हुए अल्लाह के वचनों को सुनते हैं; फिर वे उन्हें समझने और जानने के बाद उनके शब्दों और अर्थों को बदल देते हैं, जबकि वे अपने अपराध की गंभीरता को जानते हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاِذَا لَقُوا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا قَالُوْۤا اٰمَنَّا ۖۚ— وَاِذَا خَلَا بَعْضُهُمْ اِلٰی بَعْضٍ قَالُوْۤا اَتُحَدِّثُوْنَهُمْ بِمَا فَتَحَ اللّٰهُ عَلَیْكُمْ لِیُحَآجُّوْكُمْ بِهٖ عِنْدَ رَبِّكُمْ ؕ— اَفَلَا تَعْقِلُوْنَ ۟
यहूदियों के विरोधाभासों और छल में से यह (भी) है कि जब वे कुछ मोमिनों से मिलते हैं, तो उनके सामने पैग़ंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सत्यता और आपके संदेश की शुद्धता को स्वीकार करते हैं, जिसकी स्वयं तौरात भी गवाही देता है। लेकिन जब यहूदी एक-दूसरे के साथ अकेले होते हैं, तो वे इन स्वीकारोक्तियों के कारण एक-दूसरे को दोष देते हैं; क्योंकि मुसलमान उनकी पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सच्चाई की स्वीकृति को उनके खिलाफ सबूत बनाते हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• أن بعض قلوب العباد أشد قسوة من الحجارة الصلبة؛ فلا تلين لموعظة، ولا تَرِقُّ لذكرى.
• कुछ लोगों के दिल सख़्त पत्थर से भी ज़्यादा कठोर होते हैं; जो न किसी उपदेश से नर्म पड़ते हैं और न किसी नसीहत से प्रभावित होते हैं।

• أن الدلائل والبينات - وإن عظمت - لا تنفع إن لم يكن القلب مستسلمًا خاشعًا لله.
• तर्क और निशानियाँ - भले ही बहुत बड़ी हों - किसी काम की नहीं हैं अगर दिल अल्लाह के अधीन और विनम्र नहीं है।

• كشفت الآيات حقيقة ما انطوت عليه أنفس اليهود، حيث توارثوا الرعونة والخداع والتلاعب بالدين.
• इन आयतों ने यहूदियों के मन में जो कुछ भी था, उसकी वास्तविकता को प्रकट कर दिया है। क्योंकि तुच्छता (ओछापन), छल करना और धर्म के साथ खिलवाड़ करना उन्हें विरासत में मिला है।

اَوَلَا یَعْلَمُوْنَ اَنَّ اللّٰهَ یَعْلَمُ مَا یُسِرُّوْنَ وَمَا یُعْلِنُوْنَ ۟
ये यहूदी इस घृणित तरीक़े से व्यवहार कर रहे हैं, जैसे कि वे इस बात की अनदेखी कर रहे हैं कि अल्लाह उनके उन सभी कथनों और कार्यों को जानता है, जो वे छिपाते हैं और जो वे ज़ाहिर करते हैं, और शीघ्र ही वह उन्हें अपने बंदों के लिए प्रकट करके उन्हें अपमानित करेगा।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَمِنْهُمْ اُمِّیُّوْنَ لَا یَعْلَمُوْنَ الْكِتٰبَ اِلَّاۤ اَمَانِیَّ وَاِنْ هُمْ اِلَّا یَظُنُّوْنَ ۟
तथा यहूदियों में से कुछ लोग ऐसे हैं, जो तौरात का केवल पाठ करना जानते हैं और वे उसके आशय (मतलब) को नहीं समझते। तथा उनके पास झूठ के अलावा कुछ भी नहीं है, जो उन्होंने अपने बड़ों से ग्रहण किए हैं, वे समझते हैं कि यही वह तौरात है जिसे अल्लाह ने अवतरित किया है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
فَوَیْلٌ لِّلَّذِیْنَ یَكْتُبُوْنَ الْكِتٰبَ بِاَیْدِیْهِمْ ۗ— ثُمَّ یَقُوْلُوْنَ هٰذَا مِنْ عِنْدِ اللّٰهِ لِیَشْتَرُوْا بِهٖ ثَمَنًا قَلِیْلًا ؕ— فَوَیْلٌ لَّهُمْ مِّمَّا كَتَبَتْ اَیْدِیْهِمْ وَوَیْلٌ لَّهُمْ مِّمَّا یَكْسِبُوْنَ ۟
अतः विनाश और घोर यातना इन लोगों की प्रतीक्षा कर रही है, जो अपने हाथों से किताब लिखते हैं, फिर - झूठ-मूठ - कहते हैं : यह अल्लाह की ओर से है; ताकि वे सत्य और मार्गदर्शन का पालन करने के बदले इस दुनिया में एक छोटी सी क़ीमत, जैसे कि धन और सरदारी प्राप्त कर सकें। अतः उनके लिए बड़ी तबाही और सख़्त अज़ाब है उसके कारण जो उनके हाथों ने लिखकर अल्लाह के खिलाफ झूठ बोला है, तथा उनके लिए तबाही और सख़्त अज़ाब है उसके कारण जो वे उससे धन और सरदारी कमाते हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَقَالُوْا لَنْ تَمَسَّنَا النَّارُ اِلَّاۤ اَیَّامًا مَّعْدُوْدَةً ؕ— قُلْ اَتَّخَذْتُمْ عِنْدَ اللّٰهِ عَهْدًا فَلَنْ یُّخْلِفَ اللّٰهُ عَهْدَهٗۤ اَمْ تَقُوْلُوْنَ عَلَی اللّٰهِ مَا لَا تَعْلَمُوْنَ ۟
तथा उन्होंने - झूठ-मूठ और धोखेबाज़ी से - कहा : हमें आग हरगिज़ नहीं छुएगी और हम कुछ दिनों के अलावा उसमें हरगिज़ प्रवेश नहीं करेंगे। ऐ नबी! आप इनसे कह दीजिए : क्या तुमने इसपर अल्लाह से पक्का वादा ले रखा है? अगर तुम्हारे पास ऐसा वादा है; तो निःसंदेह अल्लाह अपना वादा नहीं तोड़ता। या फिर तुम - झूठ का सहारा लेते हुए - अल्लाह के बारे में ऐसी बात कहते हो, जो तुम नहीं जानते?
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
بَلٰی مَنْ كَسَبَ سَیِّئَةً وَّاَحَاطَتْ بِهٖ خَطِیْٓـَٔتُهٗ فَاُولٰٓىِٕكَ اَصْحٰبُ النَّارِ ۚ— هُمْ فِیْهَا خٰلِدُوْنَ ۟
मामला वैसा नहीं है, जैसा ये समझ रहे हैं; अल्लाह हर उस व्यक्ति को यातना देगा, जिसने कुफ़्र की बुराई की और उसके गुनाहों ने उसे चारों ओर से घेर लिया। अल्लाह उन्हें जहन्नम में दाख़िल करेगा, जिसमें वे हमेशा के लिए रहेंगे।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ اُولٰٓىِٕكَ اَصْحٰبُ الْجَنَّةِ ۚ— هُمْ فِیْهَا خٰلِدُوْنَ ۟۠
तथा जो लोग अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाए और सत्कर्म किए, अल्लाह के निकट उनका बदला जन्नत में प्रवेश है, जिसमें वे हमेशा के लिए रहने वाले हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاِذْ اَخَذْنَا مِیْثَاقَ بَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ لَا تَعْبُدُوْنَ اِلَّا اللّٰهَ ۫— وَبِالْوَالِدَیْنِ اِحْسَانًا وَّذِی الْقُرْبٰی وَالْیَتٰمٰی وَالْمَسٰكِیْنِ وَقُوْلُوْا لِلنَّاسِ حُسْنًا وَّاَقِیْمُوا الصَّلٰوةَ وَاٰتُوا الزَّكٰوةَ ؕ— ثُمَّ تَوَلَّیْتُمْ اِلَّا قَلِیْلًا مِّنْكُمْ وَاَنْتُمْ مُّعْرِضُوْنَ ۟
और - ऐ बनी इसराईल! - उस दृढ़ वचन को याद करो, जो हमने तुमसे लिया था, कि तुम अल्लाह को एकमात्र पूज्य मानोगे और उसके साथ किसी की इबादत नहीं करोगे, और यह कि तुम माता-पिता, रिश्तेदारों, अनाथों और ज़रूरतमंद निर्धनों के साथ अच्छा व्यवहार करोगे। और यह कि तुम लोगों से अच्छी बात बोलो, बिना सख़्ती और कठोरता के भलाई का आदेश देते हुए एवं बुराई से रोकते हुए। और यह कि तुम पूरी तरह से नमाज़ अदा करो जैसा मैंने तुम्हें आदेश दिया है, और यह कि तुम ज़कात अदा करो उसे उसके हक़दारों को खुशी के साथ देकर। फिर, इस वचन के बाद, जो तुमसे लिया गया था, तुम उसे पूरा करने से मुँह मोड़ते हुए फिर गए, सिवाय उसके जिसे अल्लाह ने तुममें से बचा लिया, तो उसने अल्लाह के लिए उसके वचन और प्रतिज्ञा को पूरा किया।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• بعض أهل الكتاب يدّعي العلم بما أنزل الله، والحقيقة أن لا علم له بما أنزل الله، وإنما هو الوهم والجهل.
• कुछ अह्ले किताब अल्लाह की उतारी हुई बात का ज्ञान होने का दावा करते हैं, हालाँकि सच्चाई यह है कि उन्हें अल्लाह की उतारी हुई बात का कोई ज्ञान नहीं है। बल्कि वह केवल भ्रम और अज्ञानता है।

• من أعظم الناس إثمًا من يكذب على الله تعالى ورسله ؛ فينسب إليهم ما لم يكن منهم.
• सबसे बड़े पापियों में से एक वह व्यक्ति है, जो अल्लाह तआला और उसके रसूलों के बारे में झूठ बोलता है; चुनाँचे उनकी ओर ऐसी बात की निस्बत करता है, जो उनकी ओर से नहीं है।

• مع عظم المواثيق التي أخذها الله تعالى على اليهود وشدة التأكيد عليها، لم يزدهم ذلك إلا إعراضًا عنها ورفضًا لها.
• अल्लाह ने यहूदियों से बड़े-बड़े वचन लिए और उन्हें निभाने की सख़्त ताकीद की, लेकिन इसने उन्हें केवल उनसे मुँह फेरने और उन्हें अस्वीकार करने में बढ़ाया।

وَاِذْ اَخَذْنَا مِیْثَاقَكُمْ لَا تَسْفِكُوْنَ دِمَآءَكُمْ وَلَا تُخْرِجُوْنَ اَنْفُسَكُمْ مِّنْ دِیَارِكُمْ ثُمَّ اَقْرَرْتُمْ وَاَنْتُمْ تَشْهَدُوْنَ ۟
तथा उस पक्के वचन को याद करो, जो हमने तौरात में तुमसे लिया था कि तुम आपस में एक-दूसरे का ख़ून नहीं बहाओगे और न एक-दूसरे को उनके घरों से निकालोगे। फिर तुमने उस वचन को मान लिया जो हमने तुमसे लिया था, और तुम स्वयं इसके सही होने की गवाही देते हो।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ثُمَّ اَنْتُمْ هٰۤؤُلَآءِ تَقْتُلُوْنَ اَنْفُسَكُمْ وَتُخْرِجُوْنَ فَرِیْقًا مِّنْكُمْ مِّنْ دِیَارِهِمْ ؗ— تَظٰهَرُوْنَ عَلَیْهِمْ بِالْاِثْمِ وَالْعُدْوَانِ ؕ— وَاِنْ یَّاْتُوْكُمْ اُسٰرٰی تُفٰدُوْهُمْ وَهُوَ مُحَرَّمٌ عَلَیْكُمْ اِخْرَاجُهُمْ ؕ— اَفَتُؤْمِنُوْنَ بِبَعْضِ الْكِتٰبِ وَتَكْفُرُوْنَ بِبَعْضٍ ۚ— فَمَا جَزَآءُ مَنْ یَّفْعَلُ ذٰلِكَ مِنْكُمْ اِلَّا خِزْیٌ فِی الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا ۚ— وَیَوْمَ الْقِیٰمَةِ یُرَدُّوْنَ اِلٰۤی اَشَدِّ الْعَذَابِ ؕ— وَمَا اللّٰهُ بِغَافِلٍ عَمَّا تَعْمَلُوْنَ ۟
फिर तुम ही इस वचन का उल्लंघन करते हो; चुनाँचे तुम एक-दूसरे की हत्या करते हो और अपने ही में से कुछ लोगों को उनके विरुद्ध दुश्मनों की मदद लेकर नाहक़ और अन्यायपूर्वक उनके घरों से निकालते हो। और यदि वे शत्रुओं के हाथों बंदी बनकर तुम्हारे पास आते हैं, तो उन्हें क़ैद से छुड़ाने के लिए छुड़ौती देने हेतु दौड़-भाग करते हो, जबकि उन्हें उनके घरों से बाहर निकालना तुम्हारे लिए निषिद्ध है। फिर कैसे तुम तौरात के कुछ आदेशों, जैसे बंदियों को फ़िदया देकर छुड़ाने पर ईमान रखते हो और कुछ शिक्षाओं, जैसे खून का संरक्षण करने और एक-दूसरे को उनके घरों से न निकालने के आदेश का इनकार करते हो?! अतः तुम में से ऐसा करने वाले के लिए सांसारिक जीवन में अपमान के अलावा कोई बदला नहीं है, रही बात आख़िरत की तो वह सबसे कठोर यातना की ओर लौटाया जाएगा। और जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह उससे असावधान नहीं, बल्कि वह उससे अवगत है और तुम्हें उसका बदला देगा।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اُولٰٓىِٕكَ الَّذِیْنَ اشْتَرَوُا الْحَیٰوةَ الدُّنْیَا بِالْاٰخِرَةِ ؗ— فَلَا یُخَفَّفُ عَنْهُمُ الْعَذَابُ وَلَا هُمْ یُنْصَرُوْنَ ۟۠
यही लोग हैं, जिन्होंने अमर पर नश्वर को वरीयता देते हुए सांसारिक जीवन को आख़िरत के बदले चुन लिया। इसलिए आख़िरत में उनकी यातना हल्की नहीं की जाएगी और उस दिन उनकी मदद करने के लिए उनके पास कोई सहायक नहीं होगा।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَلَقَدْ اٰتَیْنَا مُوْسَی الْكِتٰبَ وَقَفَّیْنَا مِنْ بَعْدِهٖ بِالرُّسُلِ ؗ— وَاٰتَیْنَا عِیْسَی ابْنَ مَرْیَمَ الْبَیِّنٰتِ وَاَیَّدْنٰهُ بِرُوْحِ الْقُدُسِ ؕ— اَفَكُلَّمَا جَآءَكُمْ رَسُوْلٌۢ بِمَا لَا تَهْوٰۤی اَنْفُسُكُمُ اسْتَكْبَرْتُمْ ۚ— فَفَرِیْقًا كَذَّبْتُمْ ؗ— وَفَرِیْقًا تَقْتُلُوْنَ ۟
हमने मूसा को तौरात प्रदान किया तथा उनके बाद उनके पीछे ही बहुत से रसूल भेजे, और ईसा बिन मरयम को उनकी सच्चाई को दर्शाने वाली स्पष्ट निशानियाँ प्रदान कीं; जैसे मरे हुए लोगों को पुनर्जीवित करना, अंधे पैदा हुए लोगों को ठीक करना और कोढ़ी को चंगा करना। तथा हमने उन्हें जिबरील नामी फ़रिश्ते द्वारा शक्ति प्रदान की। फिर क्या जब भी - ऐ बनी इसराईल! - अल्लाह की ओर से कोई रसूल तुम्हारे पास वह चीज़ लेकर आया, जो तुम्हारी इच्छाओं के अनुकूल नहीं थी, तो तुमने सत्य को स्वीकार करने से अभिमान किया और अल्लाह के रसूलों पर बड़ा बनने लगे; चुनाँचे उनमें से एक समूह को तुम झुठलाते रहे और एक समूह की हत्या करते रहे?।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَقَالُوْا قُلُوْبُنَا غُلْفٌ ؕ— بَلْ لَّعَنَهُمُ اللّٰهُ بِكُفْرِهِمْ فَقَلِیْلًا مَّا یُؤْمِنُوْنَ ۟
मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का अनुसरण न करने का यहूदियों का तर्क उनका यह कहना था : वास्तव में, हमारे दिलों पर पर्दे पड़े हुए हैं, आप जो कहते हैं, उसमें से कुछ भी उन तक नहीं पहुँचता और वे उसे नहीं समझते हैं। हालाँकि स्थिति वैसी नहीं है जैसा उन्होंने दावा किया है। बल्कि सच्चाई यह है कि उनके कुफ़्र के कारण अल्लाह ने उन्हें अपनी रहमत से दूर कर दिया। अतः वे अल्लाह की उतारी हुई बातों में से केवल बहुत कम ही पर ईमान लाते हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• من أعظم الكفر: الإيمان ببعض ما أنزل الله والكفر ببعضه؛ لأن فاعل ذلك قد جعل إلهه هواه.
• सबसे बड़े कुफ़्र में से एक : अल्लाह की उतारी हुई शरीयत के कुछ भाग पर ईमान लाना और कुछ भाग का इनकार करना है; क्योंकि ऐसा करने वाले ने दरअसल अपनी इच्छा को अपना पूज्य बना लिया है।

• عِظَم ما بلغه اليهود من العناد، واتباع الهوى، والتلاعب بما أنزل الله تعالى.
• यहूदी हठ, इच्छा का पालन करने और अल्लाह की उतारी हुई शरीयत के साथ खिलवाड़ करने में बहुत अधिक बढ़े हुए थे।

• فضل الله تعالى ورحمته بخلقه، حيث تابع عليهم إرسال الرسل وإنزال الكتب لهدايتهم للرشاد.
• अल्लाह की अपनी सृष्टि पर कृपा और दया। क्योंकि उसने उन्हें सीधी राह दिखाने के लिए लगातार रसूल भेजे और किताबें उतारीं।

• أن الله يعاقب المعرضين عن الهدى المعاندين لأوامره بالطبع على قلوبهم وطردهم من رحمته؛ فلا يهتدون إلى الحق، ولا يعملون به.
• अल्लाह तआला हिदायत से मुँह फेरने वालों और उसके आदेशों की अवहेलना करने वालों के दिलों पर मुहर लगाकर और उन्हें अपनी रहमत से दूर करके दंडित करता है; चुनाँचे न वे सत्य की ओर मार्गदर्शन पाते हैं और न उसपर अमल करते हैं।

وَلَمَّا جَآءَهُمْ كِتٰبٌ مِّنْ عِنْدِ اللّٰهِ مُصَدِّقٌ لِّمَا مَعَهُمْ ۙ— وَكَانُوْا مِنْ قَبْلُ یَسْتَفْتِحُوْنَ عَلَی الَّذِیْنَ كَفَرُوْا ۚ— فَلَمَّا جَآءَهُمْ مَّا عَرَفُوْا كَفَرُوْا بِهٖ ؗ— فَلَعْنَةُ اللّٰهِ عَلَی الْكٰفِرِیْنَ ۟
जब उनके पास अल्लाह की ओर से क़ुरआन आया, जो सही सामान्य सिद्धांतों में उसके अनुरूप है, जो कुछ तौरात तथा इन्जील में है। जबकि वे इसके उतरने से पहले कहा करते थे : हम बहुदेववादियों पर विजयी होंगे और हमें जीत प्राप्त होगी जब एक नबी भेजा जाएगा, जिसपर हम ईमान लाएँगे और उसका अनुसरण करेंगे। फिर जब क़ुरआन और मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम उस विशेषता के साथ आ गए, जिसे उन्होंने पहचान लिया और उस सत्य के साथ, जिसे उन्होंने जान लिया; तो उन्होंने उसके साथ कुफ़्र किया। अतः अल्लाह और उसके रसूल के साथ कुफ़्र करने वालों पर अल्लाह की ला'नत है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
بِئْسَمَا اشْتَرَوْا بِهٖۤ اَنْفُسَهُمْ اَنْ یَّكْفُرُوْا بِمَاۤ اَنْزَلَ اللّٰهُ بَغْیًا اَنْ یُّنَزِّلَ اللّٰهُ مِنْ فَضْلِهٖ عَلٰی مَنْ یَّشَآءُ مِنْ عِبَادِهٖ ۚ— فَبَآءُوْ بِغَضَبٍ عَلٰی غَضَبٍ ؕ— وَلِلْكٰفِرِیْنَ عَذَابٌ مُّهِیْنٌ ۟
बहुत बुरी है वह चीज़ जिसे उन्होंने अल्लाह और उसके रसूलों पर ईमान के बदले ले लिया; चुनाँचे उन्होंने अल्लाह की उतारी हुई शरीयत का इनकार कर दिया और उसके रसूलों को झुठलाया, केवल इस कारण अन्याय और ईर्ष्या करते हुए कि नुबुव्वत (पैगंबरी) और क़ुरआन को मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर अवतरित किया गया है। अतः मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का इनकार करने और इससे पहले तौरात में फेर-बदल करने के कारण, वे अल्लाह की ओर से दोहरे क्रोध के भागी बन गए। तथा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नुबुव्वत का इनकार करने वालों के लिए क़ियामत के दिन अपमानजनक यातना है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاِذَا قِیْلَ لَهُمْ اٰمِنُوْا بِمَاۤ اَنْزَلَ اللّٰهُ قَالُوْا نُؤْمِنُ بِمَاۤ اُنْزِلَ عَلَیْنَا وَیَكْفُرُوْنَ بِمَا وَرَآءَهٗ ۗ— وَهُوَ الْحَقُّ مُصَدِّقًا لِّمَا مَعَهُمْ ؕ— قُلْ فَلِمَ تَقْتُلُوْنَ اَنْۢبِیَآءَ اللّٰهِ مِنْ قَبْلُ اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِیْنَ ۟
जब इन यहूदियों से कहा जाता है : उस सत्य और हिदायत पर ईमान ले आओ, जो अल्लाह ने अपने रसूल पर उतारी है। तो वे कहते हैं : हम उसपर ईमान रखते हैं, जो हमारे नबियों पर उतारा गया है। तथा वे उसका इनकार करते हैं जो मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर उतारा गया है। हालाँकि यह क़ुरआन ही सत्य है, जो उसके अनुरूप है जो अल्लाह की ओर से उनके पास है। और यदि वे वास्तव में उस पर ईमान रखते होते, जो उन पर उतारा गया है, तो वे क़ुरआन पर अवश्य ईमान लाते। (ऐ नबी!) आप उनके जवाब में कह दें : तुम इससे पहले नबियों की हत्या क्यों किया करते थे, यदि तुम उस सत्य पर सही मायने में ईमान रखने वाले थे, जो वे तुम्हारे पास लेकर आए थे?!
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَلَقَدْ جَآءَكُمْ مُّوْسٰی بِالْبَیِّنٰتِ ثُمَّ اتَّخَذْتُمُ الْعِجْلَ مِنْ بَعْدِهٖ وَاَنْتُمْ ظٰلِمُوْنَ ۟
निश्चय तुम्हारे रसूल मूसा अलैहिस्सलाम तुम्हारे पास अपने सच्चे नबी होने की पुष्टि करने वाली स्पष्ट निशानियाँ लेकर आए। फिर उसके बाद, जब मूसा अलैहिस्सलाम अपने रब से मिलने चले गए, तो तुम बछड़े को पूज्य बनाकर उसकी पूजा करने लगे। और तुम अल्लाह के साथ साझी ठहराने के कारण अत्याचार करने वाले थे। हालाँकि वही अकेला इबादत के योग्य है, कोई और नहीं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاِذْ اَخَذْنَا مِیْثَاقَكُمْ وَرَفَعْنَا فَوْقَكُمُ الطُّوْرَ ؕ— خُذُوْا مَاۤ اٰتَیْنٰكُمْ بِقُوَّةٍ وَّاسْمَعُوْا ؕ— قَالُوْا سَمِعْنَا وَعَصَیْنَا ۗ— وَاُشْرِبُوْا فِیْ قُلُوْبِهِمُ الْعِجْلَ بِكُفْرِهِمْ ؕ— قُلْ بِئْسَمَا یَاْمُرُكُمْ بِهٖۤ اِیْمَانُكُمْ اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِیْنَ ۟
तथा उस समय को याद करो, जब हमने तुमसे मूसा अलैहिस्सलाम का अनुसरण करने और जो कुछ वह अल्लाह के पास से लाए हैं उसे क़बूल करने का पक्का वचन लिया। हमने तुम्हें डराने के लिए तुम्हारे ऊपर पहाड़ उठा लिया, और हमने तुमसे कहा : हमने तुम्हें जो तौरात दिया है उसे पूरी ताक़त से पकड़ लो, तथा स्वीकार करने और पालन करने के उद्देश्य से सुनो; अन्यथा हम तुम्हारे ऊपर पहाड़ को गिरा देंगे। तो तुमने कहा : हमने अपने कानों से सुना और हमने अपने कार्यों से अवज्ञा की। और उनके कुफ़्र के कारण उनके दिलों में बछड़े की पूजा घर कर चुकी थी। ऐ नबी! आप कह दीजिए : बहुत बुरा है वह काम (अल्लाह के साथ कुफ़्र), जिसका आदेश तुम्हें यह ईमान दे रहा है, यदि तुम ईमान वाले हो; क्योंकि सच्चे ईमान के साथ कुफ़्र इकट्ठा नहीं हो सकता।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• اليهود أعظم الناس حسدًا؛ إذ حملهم حسدهم على الكفر بالله وردِّ ما أنزل، بسبب أن الرسول صلى الله عليه وسلم لم يكن منهم.
• यहूदी लोगों में सबसे अधिक ईर्ष्या करने वाले हैं; क्योंकि उनकी ईर्ष्या ने उन्हें केवल इस कारण अल्लाह के साथ कुफ़्र करने और उसकी उतारी हुई पुस्तक (क़ुरआन) को अस्वीकार करने पर आमादा कर दिया कि रसूल - सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम - उनमें से नहीं थे।

• أن الإيمان الحق بالله تعالى يوجب التصديق بكل ما أَنزل من كتب، وبجميع ما أَرسل من رسل.
• अल्लाह तआला पर सच्चा ईमान उसकी उतारी हुई सभी पुस्तकों और उसके भेजे हुए सभी रसूलों पर ईमान रखने को अनिवार्य कर देता है।

• من أعظم الظلم الإعراض عن الحق والهدى بعد معرفته وقيام الأدلة عليه.
• सबसे बड़े अत्याचार में से एक सत्य एवं मार्गदर्शन से, उसे जान लेने और उसके लिए सबूत स्थापित हो जाने के बाद, मुँह मोड़ना है।

• من عادة اليهود نقض العهود والمواثيق، وهذا ديدنهم إلى اليوم.
• वचनों और प्रतिज्ञाओं को तोड़ना यहूदियों की आदत है, और आज तक वे अपनी इस आदत पर क़ायम हैं।

قُلْ اِنْ كَانَتْ لَكُمُ الدَّارُ الْاٰخِرَةُ عِنْدَ اللّٰهِ خَالِصَةً مِّنْ دُوْنِ النَّاسِ فَتَمَنَّوُا الْمَوْتَ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟
(ऐ नबी!) आप कह दीजिए : यदि आख़िरत में जन्नत (ऐ यहूदियो!) केवल तुम्हारे ही लिए है और तुम्हारे सिवा और कोई उसमें प्रवेश नहीं करेगा; तो तुम मरने की कामना करो; ताकि तुम इस स्थान को जल्दी से प्राप्त कर लो और सांसारिक जीवन के बोझ और उसकी चिंताओं से आराम पा जाओ, यदि तुम अपने इस दावे में सच्चे हो।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَلَنْ یَّتَمَنَّوْهُ اَبَدًا بِمَا قَدَّمَتْ اَیْدِیْهِمْ ؕ— وَاللّٰهُ عَلِیْمٌۢ بِالظّٰلِمِیْنَ ۟
वे हरगिज़ मौत की कामना कभी नहीं करेंगे; क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में अल्लाह के साथ कुफ़्र, उसके रसूलों को झुठलाने और उसकी किताबों को विकृत करने जैसे पाप करके आगे भेजे हैं। तथा अल्लाह उनमें से और उनके अलावा में से ज़ालिमों को ख़ूब जानने वाला है और वह प्रत्येक को उसके कार्य का बदला देगा।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَلَتَجِدَنَّهُمْ اَحْرَصَ النَّاسِ عَلٰی حَیٰوةٍ ۛۚ— وَمِنَ الَّذِیْنَ اَشْرَكُوْا ۛۚ— یَوَدُّ اَحَدُهُمْ لَوْ یُعَمَّرُ اَلْفَ سَنَةٍ ۚ— وَمَا هُوَ بِمُزَحْزِحِهٖ مِنَ الْعَذَابِ اَنْ یُّعَمَّرَ ؕ— وَاللّٰهُ بَصِیْرٌ بِمَا یَعْمَلُوْنَ ۟۠
निश्चय (ऐ नबी!) आप यहूदियों को लोगों में सबसे अधिक जीवन के लिए उत्सुक पाएँगे, चाहे वह कितना भी तुच्छ और अपमानजनक क्यों न हो। बल्कि, वे उन बहुदेववादियों से भी अधिक उत्सुक हैं जो पुनर्जीवन और हिसाब पर ईमान नहीं रखते हैं। वे अह्ले किताब होने तथा दोबारा ज़िंदा होने और हिसाब पर ईमान रखने के बावजूद; उन में से हर व्यक्ति चाहता है कि उसे हज़ार साल की आयु मिले। हालाँकि उसकी लंबी आयु उसे अल्लाह के अज़ाब से बचा नहीं सकती, चाहे वह कितनी भी दीर्घ हो। तथा अल्लाह उनके कर्मों से अवगत और उन्हें देखने वाला है। उससे कोई चीज़ छिपी नहीं है और वह उन्हें उनका बदला प्रदान करेगा।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
قُلْ مَنْ كَانَ عَدُوًّا لِّجِبْرِیْلَ فَاِنَّهٗ نَزَّلَهٗ عَلٰی قَلْبِكَ بِاِذْنِ اللّٰهِ مُصَدِّقًا لِّمَا بَیْنَ یَدَیْهِ وَهُدًی وَّبُشْرٰی لِلْمُؤْمِنِیْنَ ۟
(ऐ नबी!) आप उन यहूदियों से कह दीजिए, जिन्होंने कहा : "जिब्रील फ़रिश्तों में से हमारा दुश्मन है।" : जो जिब्रील से दुश्मनी रखता हो, तो (वह सुन ले कि) वही अल्लाह के आदेश से आपके दिल पर क़ुरआन लेकर उतरे हैं, जो पिछली आसमानी किताबों; जैसे तौरात तथा इन्जील की पुष्टि करता है, भलाई का मार्ग दिखाता है और ईमान वालों को उन नेमतों की शुभ सूचना देता है, जो अल्लाह ने उनके लिए तैयार कर रखी हैं। अतः जो कोई भी उससे दुश्मनी रखने वाला है, जिसकी यह विशेषता और यह कार्य है, तो वह पथभ्रष्टों में से है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
مَنْ كَانَ عَدُوًّا لِّلّٰهِ وَمَلٰٓىِٕكَتِهٖ وَرُسُلِهٖ وَجِبْرِیْلَ وَمِیْكٰىلَ فَاِنَّ اللّٰهَ عَدُوٌّ لِّلْكٰفِرِیْنَ ۟
जो कोई अल्लाह और उसके फ़रिश्तों और उसके रसूलों से दुश्मनी रखता हो तथा उसके दो निकटवर्ती फ़रिश्तों : जिबरील और मीकाईल से बैर रखता हो, तो निःसंदेह अल्लाह तुम में से और तुम्हारे अलावा में से सभी काफ़िरों का दुश्मन है। और जिसका दुश्मन अल्लाह हो, तो निश्चय वह स्पष्ट घाटे के साथ लौटा।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَلَقَدْ اَنْزَلْنَاۤ اِلَیْكَ اٰیٰتٍۢ بَیِّنٰتٍ ۚ— وَمَا یَكْفُرُ بِهَاۤ اِلَّا الْفٰسِقُوْنَ ۟
हमने (ऐ नबी!) आपकी तरफ़ आप जो कुछ नुबुव्वत और वह़्य लेकर आए हैं, उसमें आपकी सत्यता की स्पष्ट निशानियाँ उतारी हैं। और उनकी स्पष्टता और स्पष्टीकरण के बावजूद, उनका इनकार वही लोग करते हैं, जो अल्लाह के दीन से निकलने वाले हों।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اَوَكُلَّمَا عٰهَدُوْا عَهْدًا نَّبَذَهٗ فَرِیْقٌ مِّنْهُمْ ؕ— بَلْ اَكْثَرُهُمْ لَا یُؤْمِنُوْنَ ۟
यहूदियों की बुरी स्थिति में से एक यह है कि जब भी उन्होंने अपने आपसे कोई वचन लिया - जिसमें तौरात में मौजूद मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नुबुव्वत पर ईमान लाना भी शामिल है - तो उनके एक गिरोह ने उसे तोड़ दिया। बल्कि तथ्य यह है कि इन यहूदियों में से अधिकांश लोग उसपर सही मायने में ईमान नहीं रखते, जो अल्लाह ने अवतरित किया है; क्योंकि ईमान वचन को पूरा करने की प्रेरणा देता है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَلَمَّا جَآءَهُمْ رَسُوْلٌ مِّنْ عِنْدِ اللّٰهِ مُصَدِّقٌ لِّمَا مَعَهُمْ نَبَذَ فَرِیْقٌ مِّنَ الَّذِیْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ ۙۗ— كِتٰبَ اللّٰهِ وَرَآءَ ظُهُوْرِهِمْ كَاَنَّهُمْ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟ؗ
जब मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अल्लाह की ओर से रसूल बनकर उनके पास आए, और आप उसके बिल्कुल अनुकूल थे, जो तौरात में आपकी विशेषता वर्णित है, तो उनके एक समूह ने तौरात से प्रमाणित होने वाली बात से मुँह मोड़ लिया और उसकी परवाह न करते हुए उसे अपनी पीठ के पीछे फेंक दिया। बिल्कुल उस अज्ञानी व्यक्ति की स्थिति के समान, जो उसमें मौजूद सत्य और मार्गदर्शन से लाभ नहीं उठाता, इसलिए उसकी परवाह नहीं करता है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• المؤمن الحق يرجو ما عند الله من النعيم المقيم، ولهذا يفرح بلقاء الله ولا يخشى الموت.
• सच्चा मोमिन अल्लाह के पास मिलने वाली स्थायी नेमत की आशा रखता है। इसलिए वह अल्लाह की मुलाक़ात से खुश होता है और मौत से नहीं डरता।

• حِرص اليهود على الحياة الدنيا حتى لو كانت حياة حقيرة مهينة غير كريمة.
• यहूदियों की सांसारिक जीवन की लिप्सा, भले ही वह एक तुच्छ, अपमानजनक और अशोभनीय जीवन हो।

• أنّ من عادى أولياء الله المقربين منه فقد عادى الله تعالى.
• अल्लाह के निकटवर्ती मित्रों से दुश्मनी रखने वाला, दरअसल स्वयं अल्लाह से दुश्मनी रखने वाला है।

• إعراض اليهود عن نبوة محمد صلى الله عليه وسلم بعدما عرفوا تصديقه لما في أيديهم من التوراة.
• यहूदियों ने यह जानने के बाद भी मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नुबुव्वत से मुँह मोड़ लिया कि आप उनके पास मौजूद तौरात की पुष्टि करते हैं।

• أنَّ من لم ينتفع بعلمه صح أن يوصف بالجهل؛ لأنه شابه الجاهل في جهله.
• जो व्यक्ति अपने ज्ञान से लाभ न उठाए, उसे अज्ञान से विशेषित करना सही है; क्योंकि वह अपने अज्ञान में अज्ञानी के समान है।

وَاتَّبَعُوْا مَا تَتْلُوا الشَّیٰطِیْنُ عَلٰی مُلْكِ سُلَیْمٰنَ ۚ— وَمَا كَفَرَ سُلَیْمٰنُ وَلٰكِنَّ الشَّیٰطِیْنَ كَفَرُوْا یُعَلِّمُوْنَ النَّاسَ السِّحْرَ ۗ— وَمَاۤ اُنْزِلَ عَلَی الْمَلَكَیْنِ بِبَابِلَ هَارُوْتَ وَمَارُوْتَ ؕ— وَمَا یُعَلِّمٰنِ مِنْ اَحَدٍ حَتّٰی یَقُوْلَاۤ اِنَّمَا نَحْنُ فِتْنَةٌ فَلَا تَكْفُرْ ؕ— فَیَتَعَلَّمُوْنَ مِنْهُمَا مَا یُفَرِّقُوْنَ بِهٖ بَیْنَ الْمَرْءِ وَزَوْجِهٖ ؕ— وَمَا هُمْ بِضَآرِّیْنَ بِهٖ مِنْ اَحَدٍ اِلَّا بِاِذْنِ اللّٰهِ ؕ— وَیَتَعَلَّمُوْنَ مَا یَضُرُّهُمْ وَلَا یَنْفَعُهُمْ ؕ— وَلَقَدْ عَلِمُوْا لَمَنِ اشْتَرٰىهُ مَا لَهٗ فِی الْاٰخِرَةِ مِنْ خَلَاقٍ ۫ؕ— وَلَبِئْسَ مَا شَرَوْا بِهٖۤ اَنْفُسَهُمْ ؕ— لَوْ كَانُوْا یَعْلَمُوْنَ ۟
जब उन्होंने अल्लाह के धर्म को छोड़ दिया, तो वे उसके स्थान पर उस चीज़ का अनुसरण करने लगे, जो शैतानों ने अल्लाह के पैग़ंबर सुलैमान अलैहिस्सलाम के राज्य के बारे में झूठ फैला रखा था। क्योंकि उन्होंने दावा किया था कि आप अलैहिस्सलाम ने अपना राज्य जादू द्वारा स्थापित किया था। हालाँकि सुलैमान अलैहिस्सलाम ने जादू का अभ्यास करके कुफ़्र नहीं किया - जैसा कि यहूदियों ने दावा किया - लेकिन शैतानों ने कुफ़्र किया कि वे लोगों को जादू सिखाते थे। तथा वे लोगों को वह जादू सिखाते थे, जो इराक़ के शहर बाबिल में दो फ़रिश्तों : हारूत तथा मारूत पर लोगों की परीक्षा तथा आज़माइश के लिए उतारा गया था। तथा ये दोनों फ़रिश्ते किसी को तब तक जादू नहीं सिखाते जब तक कि वे उसे चेतावनी न दे दें और यह कहकर उसके लिए मामला स्पष्ट न कर दें : हम लोगों के लिए केवल एक परीक्षा और आज़माइश हैं, अतः तुम जादू सीखकर कुफ़्र न करो। अतः जो उन दोनों की सलाह को स्वीकार नहीं करता, उनसे जादू सीखता। उस जादू का एक प्रकार ऐसा भी था, जो आदमी और उसकी पत्नी के बीच नफरत पैदा करके उनके बीच जुदाई डाल देता था। हालाँकि वे जादूगर अल्लाह की अनुमति और उसकी इच्छा के बिना किसी को नुक़सान नहीं पहुँचा सकते थे। और वे ऐसी चीज़ सीखते थे, जो उन्हें हानि पहुँचाती थी और उन्हें लाभ नहीं देती थी। तथा निश्चय वे यहूदी जानते थे कि जिसने जादू को अल्लाह की पुस्तक से बदल लिया, उसके लिए आखिरत में कोई भाग और हिस्सा नहीं है। निश्चय बहुत बुरी है वह चीज़ है, जिसके बदले उन्होंने अपने आपको बेचा डाला; क्योंकि उन्होंने अल्लाह की वह़्य और उसकी शरीयत के बदले जादू को अपना लिया। यदि उन्हें पता होता कि किस वस्तु से उन्हें लाभ होगा, तो वे इस घिनौने कृत्य और स्पष्ट गुमराही में न पड़ते।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَلَوْ اَنَّهُمْ اٰمَنُوْا وَاتَّقَوْا لَمَثُوْبَةٌ مِّنْ عِنْدِ اللّٰهِ خَیْرٌ ؕ— لَوْ كَانُوْا یَعْلَمُوْنَ ۟۠
यदि यहूदी सचमुच अल्लाह पर ईमान लाते, तथा उसकी आज्ञाकारिता करके और उसकी अवज्ञा को त्यागकर उससे डरते; तो अल्लाह का सवाब उनके लिए उससे बेहतर होता, जिसपर वे हैं, यदि वे अपने हित से अवगत होते।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا لَا تَقُوْلُوْا رَاعِنَا وَقُوْلُوا انْظُرْنَا وَاسْمَعُوْا ؕ— وَلِلْكٰفِرِیْنَ عَذَابٌ اَلِیْمٌ ۟
अल्लाह तआला मोमिनों को शब्दों के सही चुनाव के लिए निर्देशित करते हुए कहता है : ऐ ईमान वालो! तुम {रा-इना} (अर्थात् हमारा ध्यान रखिए) शब्द का प्रयोग न करो; क्योंकि यहूदी इसे विकृत कर देते हैं और इसके साथ नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को संबोधित करते हैं, जिससे वे एक ग़लत अर्थ 'रुऊनत' (तुच्छता) मुराद लेते हैं। इसलिए अल्लाह ने इस दरवाज़े को बंद करने के लिए इस शब्द के इस्तेमाल से मना कर दिया और अपने बंदों को आदेश दिया कि उसके स्थान पर {उन्ज़ुरना} कहें; अर्थात् हमारी प्रतीक्षा करें, ताकि हम आपकी बात समझ जाएँ। क्योंकि इस शब्द से बिना किसी ख़राबी के अर्थ पूरा हो जाता है। तथा अल्लाह का इनकार करने वालों के लिए कष्टदायी यातना है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
مَا یَوَدُّ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا مِنْ اَهْلِ الْكِتٰبِ وَلَا الْمُشْرِكِیْنَ اَنْ یُّنَزَّلَ عَلَیْكُمْ مِّنْ خَیْرٍ مِّنْ رَّبِّكُمْ ؕ— وَاللّٰهُ یَخْتَصُّ بِرَحْمَتِهٖ مَنْ یَّشَآءُ ؕ— وَاللّٰهُ ذُو الْفَضْلِ الْعَظِیْمِ ۟
काफ़िर - चाहे अह्ले किताब हों या मुश्रिक - यह पसंद नहीं करते हैं कि तुमपर तुम्हारे पालनहार की ओर से कोई भी भलाई उतरे, चाहे वह थोड़ी हो या बहुत। तथा अल्लाह अपने बंदों में से जिसे चाहता है, अपनी दया, जैसे नुबुव्वत, वह़्य और ईमान के साथ खास कर लेता है। और अल्लाह बहुत बड़े अनुग्रह वाला है। अतः किसी भी प्राणी को, जो भी भलाई पहुँचती है, वह उसी की ओर से होती है तथा उसके अनुग्रह में से रसूल का भेजना और किताब उतारना भी है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• سوء أدب اليهود مع أنبياء الله حيث نسبوا إلى سليمان عليه السلام تعاطي السحر، فبرّأه الله منه، وأَكْذَبَهم في زعمهم.
• यहूदियों का अल्लाह के नबियों के साथ बुरा व्यवहार; क्योंकि उन्होंने सुलैमान अलैहिस्सलाम की ओर जादू का उपयोग करने की निस्बत की, तो अल्लाह ने उन्हें इससे मुक्त क़रार दिया और यहूदियों को उनके दावे में झूठा बताया।

• أن السحر له حقيقة وتأثير في العقول والأبدان، والساحر كافر، وحكمه القتل.
• जादू की एक वास्तविकता है तथा बुद्धि एवं शरीर पर उसका प्रभाव पड़ता है। जादूगर काफ़िर है और उसका हुक्म क़त्ल है।

• لا يقع في ملك الله تعالى شيء من الخير والشر إلا بإذنه وعلمه تعالى.
• दुनिया में कोई भी अच्छाई और बुराई अल्लाह की अनुमति और उसके ज्ञान के बिना नहीं घटित होती है।

• سد الذرائع من مقاصد الشريعة، فكل قول أو فعل يوهم أمورًا فاسدة يجب تجنبه والبعد عنه.
• बुराई के द्वार बंद करना शरीयत के उद्देश्यों में से है। अतः हर वह शब्द अथवा कार्य जिससे बुरी चीज़ों का भ्रम पैदा होता है, उससे बचना और दूर रहना ज़रूरी है।

• أن الفضل بيد الله تعالى وهو الذي يختص به من يشاء برحمته وحكمته.
• हर प्रकार का अनुग्रह अल्लाह के हाथ में है और वह अपनी कृपा और ह़िकमत से जिसे चाहता है, उसके साथ खास कर लेता है।

مَا نَنْسَخْ مِنْ اٰیَةٍ اَوْ نُنْسِهَا نَاْتِ بِخَیْرٍ مِّنْهَاۤ اَوْ مِثْلِهَا ؕ— اَلَمْ تَعْلَمْ اَنَّ اللّٰهَ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌ ۟
अल्लाह तआला बयान कर रहा है कि जब वह क़ुरआन की किसी आयत के ह़ुक्म को उठा देता (समाप्त कर देता) है, या उसके शब्द को ख़त्म कर देता है और लोग उसे भूल जाते हैं, तो अल्लाह उसके स्थान पर ऐसी आयत ले आता है, जो तत्काल और भविष्य में उससे अधिक फायदेमंद होती है, अथवा उसके समान होती है, और यह सब कुछ अल्लाह के ज्ञान और उसकी ह़िकमत के मुताबिक़ होता है। और - ऐ नबी! - आप जानते हैं कि अल्लाह हर चीज़ का सामर्थ्य रखता है। चुनाँचे वह जो चाहता है, करता है, और जो चाहता है, आदेश देता है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اَلَمْ تَعْلَمْ اَنَّ اللّٰهَ لَهٗ مُلْكُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— وَمَا لَكُمْ مِّنْ دُوْنِ اللّٰهِ مِنْ وَّلِیٍّ وَّلَا نَصِیْرٍ ۟
निःसंदेह (ऐ नबी!) आप जानते हैं कि अल्लाह ही आसमानों और ज़मीन का मालिक है, वह जो चाहता है, हुक्म देता है। वह अपने बंदों को जिस चीज़ का चाहता है, आदेश देता है और जिस चीज़ से चाहता है, उन्हें मना कर देता है। तथा वह शरीयत में से जो चाहता है, स्थिर कर देता है और जो चाहता है, निरस्त कर देता है। अल्लाह के बाद, तुम्हारे मामलों को संभालने के लिए तुम्हारे पास कोई संरक्षक नहीं, और न ही तुम्हें नुकसान से बचाने के लिए कोई सहायक है। बल्कि अल्लाह ही इन सब का संरक्षक है और ऐसा करने में सक्षम है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اَمْ تُرِیْدُوْنَ اَنْ تَسْـَٔلُوْا رَسُوْلَكُمْ كَمَا سُىِٕلَ مُوْسٰی مِنْ قَبْلُ ؕ— وَمَنْ یَّتَبَدَّلِ الْكُفْرَ بِالْاِیْمَانِ فَقَدْ ضَلَّ سَوَآءَ السَّبِیْلِ ۟
(ऐ ईमान वालो!) तुम्हें यह शोभा नहीं देता कि तुम अपने रसूल से - आपत्ति और ढिठाई के तौर पर - प्रश्न करो, जिस तरह कि मूसा अलैहिस्सलाम की क़ौम के लोगों ने इससे पहले अपने नबी (मूसा) से किया था। जैसे कि उन्होंने कहा था : (النساء: 153) {أَرِنَا اللَّهَ جَهْرَةً} ''हमें अल्लाह को खुल्लम खुल्ला दिखा दो।'' (सूरतुन्-निसा : 153) और जो व्यक्ति ईमान के बदले कुफ़्र को अपना ले, तो निश्चय वह मध्यम मार्ग से भटक गया जो कि सीधा मार्ग है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَدَّ كَثِیْرٌ مِّنْ اَهْلِ الْكِتٰبِ لَوْ یَرُدُّوْنَكُمْ مِّنْ بَعْدِ اِیْمَانِكُمْ كُفَّارًا ۖۚ— حَسَدًا مِّنْ عِنْدِ اَنْفُسِهِمْ مِّنْ بَعْدِ مَا تَبَیَّنَ لَهُمُ الْحَقُّ ۚ— فَاعْفُوْا وَاصْفَحُوْا حَتّٰی یَاْتِیَ اللّٰهُ بِاَمْرِهٖ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌ ۟
यहूदियों और ईसाइयों में से बहुत-से लोग चाहते हैं कि तुम्हें तुम्हारे ईमान के बाद वापस काफ़िर बना दें, जैसे तुम (पहले) मूर्तियों की पूजा किया करते थे। ऐसा वे उस ईर्ष्या के कारण कर रहे हैं, जो उनके दिलों में है। यह कामना वे उसके बाद कर रहे हैं जब उनके लिए स्पष्ट हो चुका है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जो कुछ लाए हैं, वह अल्लाह की ओर से सत्य है। अतः (ऐ ईमान वालो!) उनके कार्यों को क्षमा करो, और उनकी अज्ञानता और उनकी आत्मा की बुराई को नज़रअंदाज़ करो, यहाँ तक कि उनके बारे में अल्लाह का आदेश आ जाए - और अब अल्लाह का यह आदेश और निर्णय आ चुका है। इसलिए काफ़िर को इस्लाम स्वीकारने या जिज़या देने या लड़ाई करने के बीच चयन करने का विकल्प दिया जाता है - निःसंदेह अल्लाह हर चीज़ पर सर्वशक्तिमान है। इसलिए वे अल्लाह को विवश नहीं कर सकते।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاَقِیْمُوا الصَّلٰوةَ وَاٰتُوا الزَّكٰوةَ ؕ— وَمَا تُقَدِّمُوْا لِاَنْفُسِكُمْ مِّنْ خَیْرٍ تَجِدُوْهُ عِنْدَ اللّٰهِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ بِمَا تَعْمَلُوْنَ بَصِیْرٌ ۟
नमाज़ को उसके अरकान, वाजिबात और सुन्नतों के साथ पूर्ण रूप से अदा करो, और अपने धनों की ज़कात निकालकर उसके हक़दारों को दो। तुम अपने जीवन काल में जो भी नेक काम करोगे और उसे अपनी मृत्यु से पहले अपने लिए एक कोष के रूप में आगे भेजोगे; क़ियामत के दिन तुम अपने रब के पास उसका सवाब पाओगे। वह तुम्हें उसका प्रतिफल प्रदान करेगा। निःसंदेह अल्लाह, जो कुछ तुम करते हो, उसे ख़ूब देखने वाला है। इसलिए वह हर एक को उसके काम का प्रतिफल देगा।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَقَالُوْا لَنْ یَّدْخُلَ الْجَنَّةَ اِلَّا مَنْ كَانَ هُوْدًا اَوْ نَصٰرٰی ؕ— تِلْكَ اَمَانِیُّهُمْ ؕ— قُلْ هَاتُوْا بُرْهَانَكُمْ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟
यहूदियों और ईसाइयों में से हर संप्रदाय ने कहा : जन्नत उन्हीं के लिए विशिष्ट है। यहूदियों ने कहा : उसमें केवल वही प्रवेश करेगा, जो यहूदी है। तथा ईसाइयों ने कहा : उसमें केवल वही प्रवेश करेगा, जो ईसाई है। ये उनकी झूठी इच्छाएँ और उनके भ्रष्ट भ्रम हैं। (ऐ नबी!) आप उनका खंडन करते हुए कह दीजिए : तुम जो कुछ दावा करते हो उसपर अपना तर्क प्रस्तुत करो, यदि वास्तव में तुम अपने दावे में सच्चे हो।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
بَلٰی ۗ— مَنْ اَسْلَمَ وَجْهَهٗ لِلّٰهِ وَهُوَ مُحْسِنٌ فَلَهٗۤ اَجْرُهٗ عِنْدَ رَبِّهٖ ۪— وَلَا خَوْفٌ عَلَیْهِمْ وَلَا هُمْ یَحْزَنُوْنَ ۟۠
केवल वही व्यक्ति जन्नत में प्रवेश करेगा, जो निष्ठा के साथ अपने आप को अल्लाह के अधीन कर दे, तथा वह - अपनी निष्ठा के साथ-साथ - रसूल के लाए हुए तरीक़े का अनुसरण करके अच्छी तरह से इबादत करने वाला है। चुनाँचे ऐसा ही व्यक्ति जन्नत में प्रवेश करेगा, चाहे वह किसी भी संप्रदाय से हो। तथा उसके लिए उसका बदला उसके पालनहार के पास है। आख़िरत में उन्हें न कोई भय होगा और न ही वे दुनिया में न मिलने वाली वस्तुओं पर दुखी होंगे। ज्ञात हो कि ये ऐसी विशेषताएँ हैं, जो नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के आने के बाद, केवल मोमिनों ही में पाई जा सकती हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• أن الأمر كله لله، فيبدل ما يشاء من أحكامه وشرائعه، ويبقي ما يشاء منها، وكل ذلك بعلمه وحكمته.
• सारा मामला अल्लाह के हाथ में हैं। अतः वह अपने नियमों और विधानों में से जिसे चाहता है, बदल देता और उनमें से जिसे चाहता है, बाक़ी रखता है, तथा यह सब उसके ज्ञान और हिकमत के अनुसार होता है।

• حَسَدُ كثيرٍ من أهل الكتاب هذه الأمة، لما خصَّها الله من الإيمان واتباع الرسول، حتى تمنوا رجوعها إلى الكفر كما كانت.
• बहुत-से अह्ले किताब का इस उम्मत से ईर्ष्या करना; क्योंकि अल्लाह ने उसे ईमान और रसूल के अनुसरण के साथ विशिष्ट किया है, यहाँ तक कि उन्होंने उनके फिर से कुफ़्र की ओर लौटने की कामना कर डाली।

وَقَالَتِ الْیَهُوْدُ لَیْسَتِ النَّصٰرٰی عَلٰی شَیْءٍ ۪— وَّقَالَتِ النَّصٰرٰی لَیْسَتِ الْیَهُوْدُ عَلٰی شَیْءٍ ۙ— وَّهُمْ یَتْلُوْنَ الْكِتٰبَ ؕ— كَذٰلِكَ قَالَ الَّذِیْنَ لَا یَعْلَمُوْنَ مِثْلَ قَوْلِهِمْ ۚ— فَاللّٰهُ یَحْكُمُ بَیْنَهُمْ یَوْمَ الْقِیٰمَةِ فِیْمَا كَانُوْا فِیْهِ یَخْتَلِفُوْنَ ۟
यहूदियों ने कहा : ईसाई सच्चे धर्म पर नहीं हैं। और ईसाइयों ने कहा : यहूदी सच्चे धर्म पर नहीं हैं। हालाँकि हर कोई अपनी किताब में उस चीज़ की पुष्टि पढ़ता है जिसका उसने इनकार किया है, तथा सभी नबियों पर बिना किसी भेदभाव के ईमान लाने का आदेश पढ़ता है। वे अपने इस कार्य में उन मुश्रिकों के कहने के समान हो गए, जिनके पास कोई ज्ञान नहीं; जब उन्होंने सभी रसूलों और उनपर उतारी गई पुस्तकों का इनकार कर दिया। अतः अल्लाह सभी मतभेद करने वाले लोगों के बीच क़ियामत के दिन निर्णय करेगा, अपने उस न्यायपूर्ण फ़ैसले के साथ जिसकी उसने अपने बंदों को सूचना दी है : कि अल्लाह की उतारी हुई समस्त चीज़ों पर ईमान लाए बिना कोई सफलता नहीं है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنْ مَّنَعَ مَسٰجِدَ اللّٰهِ اَنْ یُّذْكَرَ فِیْهَا اسْمُهٗ وَسَعٰی فِیْ خَرَابِهَا ؕ— اُولٰٓىِٕكَ مَا كَانَ لَهُمْ اَنْ یَّدْخُلُوْهَاۤ اِلَّا خَآىِٕفِیْنَ ؕ۬— لَهُمْ فِی الدُّنْیَا خِزْیٌ وَّلَهُمْ فِی الْاٰخِرَةِ عَذَابٌ عَظِیْمٌ ۟
उस व्यक्ति से बड़ा अत्याचारी कोई नहीं है, जो अल्लाह की मस्जिदों में उसका नाम लेने से रोके। चुनाँचे उनमें नमाज़, ज़िक्र और क़ुरआन की तिलावत से मना कर दे, तथा उन्हें गिराकर अथवा उनमें इबादत करने से रोककर, उन्हें बर्बाद और भ्रष्ट करने का भरपूर प्रयास करे। जो लोग मस्जिदों को नष्ट करने में प्रयासरत हैं, उन्हें उनमें प्रवेश नहीं करना चाहिए परंतु इस स्थिति में कि वे डरे सहमे हों, उनके दिल काँप रहे हों; उनके कुफ़्र तथा अल्लाह की मस्जिदों से रोकने के कारण। ऐसे लोगों के लिए सांसारिक जीवन में ईमान वालों के हाथों अपमान एवं रुसवाई है तथा उनके लिए आख़िरत में अल्लाह की मस्जिदों से लोगों को रोकने के कारण एक बड़ी यातना होगी।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَلِلّٰهِ الْمَشْرِقُ وَالْمَغْرِبُ ۗ— فَاَیْنَمَا تُوَلُّوْا فَثَمَّ وَجْهُ اللّٰهِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ وَاسِعٌ عَلِیْمٌ ۟
पूर्व एवं पश्चिम और उनके बीच का राज्य अल्लाह ही का है। अल्लाह अपने बंदों को जो चाहता है, आदेश देता है। अतः तुम जिधर भी मुख करोगे, अल्लाह का सामना करोगे। यदि वह तुम्हें बैतुल-मक़दिस या काबा की ओर मुँह करने का आदेश दे, अथवा तुमसे क़िबला (के निर्धारण) में गलती हो जाए, या उसकी ओर मुख करना तुम्हारे लिए मुश्किल हो; तो तुम्हारे लिए कोई हानि की बात नहीं है; क्योंकि सभी दिशाएँ सर्वशक्तिमान अल्लाह के लिए हैं। बेशक अल्लाह सर्वव्यापी है। वह अपनी दया और सुविधा के साथ अपनी समस्त सृष्टि को व्याप्त है, उनके इरादों एवं कार्यों को जानने वाला है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَقَالُوا اتَّخَذَ اللّٰهُ وَلَدًا ۙ— سُبْحٰنَهٗ ؕ— بَلْ لَّهٗ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— كُلٌّ لَّهٗ قٰنِتُوْنَ ۟
तथा यहूदियों, ईसाइयों और मुश्रिकों ने कहा : अल्लाह ने अपने लिए कोई संतान बना रखी है! अल्लाह इससे पाक एवं पवित्र है। क्योंकि वह अपनी सृष्टि से बेनियाज़ है और संतान तो वह बनाता है, जिसे उसकी आवश्यकता होती है। बल्कि वही महिमावान आकाशों और धरती की सभी चीज़ों का मालिक है। सभी प्राणी उसी महिमावान के दास और उसके अधीन हैं, वह जैसे चाहता है, उनमें व्यवहार करता है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
بَدِیْعُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— وَاِذَا قَضٰۤی اَمْرًا فَاِنَّمَا یَقُوْلُ لَهٗ كُنْ فَیَكُوْنُ ۟
अल्लाह महिमावान आकाशों तथा धरती और उनमें मौजूद सभी चीज़ों का बिना किसी पूर्व उदाहरण के सृष्टिकर्ता है। जब वह किसी काम का फैसला करता है और उसकी इच्छा करता है, तो उस काम से कहता है : ''हो जा''; तो वह वैसे ही हो जाता है, जैसे अल्लाह चाहता है कि वह हो। उसके आदेश और निर्णय को कोई टालने वाला नहीं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَقَالَ الَّذِیْنَ لَا یَعْلَمُوْنَ لَوْلَا یُكَلِّمُنَا اللّٰهُ اَوْ تَاْتِیْنَاۤ اٰیَةٌ ؕ— كَذٰلِكَ قَالَ الَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ مِّثْلَ قَوْلِهِمْ ؕ— تَشَابَهَتْ قُلُوْبُهُمْ ؕ— قَدْ بَیَّنَّا الْاٰیٰتِ لِقَوْمٍ یُّوْقِنُوْنَ ۟
अह्ले किताब और बहुदेववादियों में से जो नहीं जानते, उन्होंने सत्य के प्रति हठ के कारण कहा : अल्लाह हमसे बिना किसी मध्यस्थ के बात क्यों नहीं करता, या हमारे पास हमारे ही लिए विशिष्ट कोई भौतिक निशानी क्यों नहीं आती? इन लोगों की इसी बात की तरह, इससे पहले झुठलाने वाले समुदायों ने भी अपने रसूलों से कही थी, भले ही उनके समय और स्थान अलग-अलग हों। इन लोगों के दिल कुफ़्र, हठ और अहंकार में उन लोगों के दिलों के समान हैं जो इनसे पहले थे। हमने उन लोगों के लिए आयतें स्पष्ट कर दी हैं, जो सत्य पर विश्वास करते हैं, जब वह उनके सामने प्रकट होता है, न तो उन्हें कोई संदेह घेरता है और न ही हठ उन्हें रोकता है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اِنَّاۤ اَرْسَلْنٰكَ بِالْحَقِّ بَشِیْرًا وَّنَذِیْرًا ۙ— وَّلَا تُسْـَٔلُ عَنْ اَصْحٰبِ الْجَحِیْمِ ۟
हमने आपको (ऐ नबी!) सत्य धर्म के साथ भेजा है, जिसमें कोई संदेह नहीं; ताकि आप ईमान वालों को जन्नत की शुभ सूचना दें और काफ़िरों को जहन्नम की आग से डराएँ। आपका काम केवल स्पष्ट रूप से पहुँचा देना है। अल्लाह आपसे उन जहन्नमियों के बारे में हरगिज़ नहीं पूछेगा, जो आपपर ईमान नहीं लाए।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• الكفر ملة واحدة وإن اختلفت أجناس أهله وأماكنهم، فهم يتشابهون في كفرهم وقولهم على الله بغير علم.
• कुफ़्र एक ही समुदाय है, भले ही उसके लोगों की क़िस्में और उनके स्थान अलग-अलग हों। परंतु वे अपने कुफ़्र और बिना ज्ञान के अल्लाह के बारे में बात कहने में समान हैं।

• أعظم الناس جُرْمًا وأشدهم إثمًا من يصد عن سبيل الله، ويمنع من أراد فعل الخير.
• सबसे बड़ा अपराधी और सबसे बड़ा पापी वह व्यक्ति है, जो अल्लाह के रास्ते से रोकता है तथा जो भलाई करना चाहता है उसे रोकता है।

• تنزّه الله تعالى عن الصاحبة والولد، فهو سبحانه لا يحتاج لخلقه.
• अल्लाह बीवी बच्चों से पाक है। क्योंकि उस महिमावान को अपनी सृष्टि की आवश्यकता नहीं है।

وَلَنْ تَرْضٰی عَنْكَ الْیَهُوْدُ وَلَا النَّصٰرٰی حَتّٰی تَتَّبِعَ مِلَّتَهُمْ ؕ— قُلْ اِنَّ هُدَی اللّٰهِ هُوَ الْهُدٰی ؕ— وَلَىِٕنِ اتَّبَعْتَ اَهْوَآءَهُمْ بَعْدَ الَّذِیْ جَآءَكَ مِنَ الْعِلْمِ ۙ— مَا لَكَ مِنَ اللّٰهِ مِنْ وَّلِیٍّ وَّلَا نَصِیْرٍ ۟ؔ
अल्लाह अपने नबी को निर्देश एवं चेतावनी देते हुए उन्हें संबोधित करते हुए कहता है : आपसे यहूदी और ईसाई हरगिज़ राज़ी नहीं होंगे, यहाँ तक कि आप इस्लाम को छोड़कर उनके धर्म का पालन करने लगें। आप कह दीजिए : निःसंदेह अल्लाह की किताब और उसका बयान ही सच्चा मार्गदर्शन है, न कि वह झूठ जिसपर वे क़ायम हैं। यदि आपके पास स्पष्ट सत्य आ जाने के बाद, आपने या आपके किसी अनुयायी ने उनका अनुसरण किया, तो आपको अल्लाह की पकड़ से बचाने के लिए हरगिज़ कोई मदद या सहायता नहीं मिलेगी। यह सत्य को छोड़ने और असत्य के लोगों के साथ क़दम मिलाकर चलने के ख़तरे को स्पष्ट करने के अध्याय से है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اَلَّذِیْنَ اٰتَیْنٰهُمُ الْكِتٰبَ یَتْلُوْنَهٗ حَقَّ تِلَاوَتِهٖ ؕ— اُولٰٓىِٕكَ یُؤْمِنُوْنَ بِهٖ ؕ— وَمَنْ یَّكْفُرْ بِهٖ فَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْخٰسِرُوْنَ ۟۠
इस आयत में क़ुरआन अह्ले किताब के एक समूह के बारे में बात करता है, जो अपने हाथों में मौजूद अवतरित पुस्तकों पर अमल करते हैं और उनका पालन करते हैं जैसे उनका पालन किया जाना चाहिए। ये लोग इन पुस्तकों में नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के सच्चे नबी होने को दर्शाने वाली निशानियाँ पाते हैं। यही कारण है कि उन्होंने आपपर ईमान लाने में जल्दी की। जबकि दूसरा समूह अपने कुफ़्र पर अड़ा रहा, तो उसे हानि उठानी पड़ी।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
یٰبَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ اذْكُرُوْا نِعْمَتِیَ الَّتِیْۤ اَنْعَمْتُ عَلَیْكُمْ وَاَنِّیْ فَضَّلْتُكُمْ عَلَی الْعٰلَمِیْنَ ۟
ऐ बनी इसराईल! मेरी प्रदान की हुई धार्मिक एवं सांसारिक नेमतों को याद करो और याद रखो कि निःसंदेह मैंने ही तुम्हें तुम्हारे समय के लोगों पर नुबुव्वत एवं बादशाहत द्वारा प्रधानता प्रदान की।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاتَّقُوْا یَوْمًا لَّا تَجْزِیْ نَفْسٌ عَنْ نَّفْسٍ شَیْـًٔا وَّلَا یُقْبَلُ مِنْهَا عَدْلٌ وَّلَا تَنْفَعُهَا شَفَاعَةٌ وَّلَا هُمْ یُنْصَرُوْنَ ۟
अल्लाह के आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर अपने और क़ियामत के दिन की यातना के बीच, बचाव का साधन अपनाओ। क्योंकि उस दिन कोई भी किसी के कुछ काम न आएगा, और उस दिन उससे कोई छुड़ौती स्वीकार नहीं की जाएगी, चाहे वह कितनी भी बड़ी क्यों न हो, और न उस दिन उसे किसी की सिफ़ारिश लाभ देगी, चाहे उसका स्थान कितना भी ऊँचा क्यों न हो। और न ही अल्लाह के अलावा उसके लिए कोई मददगार होगा, जो उसकी मदद कर सके।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاِذِ ابْتَلٰۤی اِبْرٰهٖمَ رَبُّهٗ بِكَلِمٰتٍ فَاَتَمَّهُنَّ ؕ— قَالَ اِنِّیْ جَاعِلُكَ لِلنَّاسِ اِمَامًا ؕ— قَالَ وَمِنْ ذُرِّیَّتِیْ ؕ— قَالَ لَا یَنَالُ عَهْدِی الظّٰلِمِیْنَ ۟
उस समय को याद करो, जब अल्लाह ने इबराहीम अलैहिस्सलाम को उन आदेशों और कर्तव्यों के द्वारा आज़माया, जिनका उन्हें आदेश दिया था, तो उन्होंने उनका निष्पादन किया और उन्हें पूर्णतम रूप से अंजाम दिया। अल्लाह ने अपने नबी इबराहीम अलैहिस्सलाम से कहा : मैं तुम्हें लोगों के लिए आदर्श बनाने वाला हूँ, ताकि तुम्हारे क्रियाकलापों और आचार-व्यवहार में तुम्हारा अनुकरण किया जाए। इबराहीम अलैहिस्सलाम ने कहा : ऐ मेरे पालनहार! मेरी औलाद में से भी कुछ लोगों को इमाम बना, जिनका लोग अनुकरण करें। अल्लाह तआला ने उन्हें उत्तर देते हुए कहा : मेरा तुम्हारे लिए धर्म की पेशवाई का वचन, तुम्हारे वंश के अत्याचारियों को नहीं पहुँचता।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاِذْ جَعَلْنَا الْبَیْتَ مَثَابَةً لِّلنَّاسِ وَاَمْنًا ؕ— وَاتَّخِذُوْا مِنْ مَّقَامِ اِبْرٰهٖمَ مُصَلًّی ؕ— وَعَهِدْنَاۤ اِلٰۤی اِبْرٰهٖمَ وَاِسْمٰعِیْلَ اَنْ طَهِّرَا بَیْتِیَ لِلطَّآىِٕفِیْنَ وَالْعٰكِفِیْنَ وَالرُّكَّعِ السُّجُوْدِ ۟
तथा उस समय को याद करो, जब अल्लाह ने सम्मानित घर काबा को लोगों के लिए बार-बार लौट कर आने की जगह बनाई, जिससे उनका दिल जुड़ा हुआ रहता है। जब भी वे वहाँ से वापस जाते हैं, दोबारा उसकी ओर लौटकर आते हैं। तथा उसे उनके लिए सर्वथा शांति का स्थल (सुरक्षित स्थान) बना दिया, जिसमें उनपर कोई अत्याचार नहीं किया जाता। और लोगों से कहा : उस पत्थर को - जिसपर खड़े होकर इबराहीम अलैहिस्सलाम काबा का निर्माण करते थे - नमाज़ की जगह बना लो। तथा हमने इबराहीम और उनके पुत्र इसमाईल अलैहिमस्सलाम को आदेश दिया कि वे काबा को गंदगियों और मूर्तियों से शुद्ध करें, तथा उसे तवाफ़, एतिकाफ़ और नमाज़ आदि के द्वारा इबादत करने वालों के लिए तैयार रखें।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاِذْ قَالَ اِبْرٰهٖمُ رَبِّ اجْعَلْ هٰذَا بَلَدًا اٰمِنًا وَّارْزُقْ اَهْلَهٗ مِنَ الثَّمَرٰتِ مَنْ اٰمَنَ مِنْهُمْ بِاللّٰهِ وَالْیَوْمِ الْاَخِرِ ؕ— قَالَ وَمَنْ كَفَرَ فَاُمَتِّعُهٗ قَلِیْلًا ثُمَّ اَضْطَرُّهٗۤ اِلٰی عَذَابِ النَّارِ ؕ— وَبِئْسَ الْمَصِیْرُ ۟
तथा (ऐ नबी!) याद कीजिए, जब इबराहीम अलैहिस्सलाम ने अपने पालनहार से दुआ करते हुए कहा : ऐ मेरे पालनहार! मक्का को एक शांति वाला (सुरक्षित) शहर बना दे, जिसमें किसी को कष्ट न पहुँचाया जाए, तथा उसमें रहने वालों को विभिन्न प्रकार के फल प्रदान कर, और उसे तुझपर और अंतिम दिन पर ईमान रखने वालों के लिए एक विशिष्ट रोज़ी बना दे। अल्लाह ने कहा : तथा उनमें से जो कुफ़्र करेगा, तो मैं उसे इस दुनिया में जो कुछ भी प्रदान करता हूँ, उसके साथ उसे थोड़ा-सा लाभ दूँगा, फिर आखिरत में उसे आग की यातना की ओर विवश कर दूँगा और वह बहुत बुरा ठिकाना है, जिसकी ओर वह क़ियामत के दिन लौटकर आएगा।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• أن المسلمين مهما فعلوا من خير لليهود والنصارى؛ فلن يرضوا حتى يُخرجوهم من دينهم، ويتابعوهم على ضلالهم.
• मुसलमान यहूदियों और ईसाइयों के लिए कितना भी अच्छा क्यों न करें; वे तब तक संतुष्ट नहीं होंगे जब तक कि वे उन्हें उनके धर्म से निकाल न दें और ये उनकी गुमराही पर उनका अनुसरण न करने लगें।

• الإمامة في الدين لا تُنَال إلا بصحة اليقين والصبر على القيام بأمر الله تعالى.
• धर्म में इमामत (पेशवाई) सच्चे यक़ीन और अल्लाह के आदेश का पालन करने पर धैर्य के साथ ही प्राप्त होती है।

• بركة دعوة إبراهيم عليه السلام للبلد الحرام، حيث جعله الله مكانًا آمنًا للناس، وتفضّل على أهله بأنواع الأرزاق.
• सम्मानित शहर मक्का के लिए इबराहीम अलैहिस्सलाम की दुआ की बरकत। चुनाँचे अल्लाह ने उसे लोगों के लिए एक शांति स्थल (सुरक्षित स्थान) बना दिया और उसके वासियों को अपनी कृपा से सभी प्रकार की आजीविका प्रदान की।

وَاِذْ یَرْفَعُ اِبْرٰهٖمُ الْقَوَاعِدَ مِنَ الْبَیْتِ وَاِسْمٰعِیْلُ ؕ— رَبَّنَا تَقَبَّلْ مِنَّا ؕ— اِنَّكَ اَنْتَ السَّمِیْعُ الْعَلِیْمُ ۟
तथा (ऐ नबी!) उस समय को याद करो, जब इबराहीम और इसमाईल अलैहिमस्सलाम काबा की बुनियादें ऊँची कर रहे थे, और वे दोनों (नम्रता के साथ) कह रहे थे : ऐ हमारे पालनहार! हमसे हमारे कार्यों को - जिनमें से एक इस घर का निर्माण है - क़बूल फरमा। निःसंदेह तू ही हमारी दुआ को सुनने वाला, हमारे इरादों और कार्यों को जानने वाला है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
رَبَّنَا وَاجْعَلْنَا مُسْلِمَیْنِ لَكَ وَمِنْ ذُرِّیَّتِنَاۤ اُمَّةً مُّسْلِمَةً لَّكَ ۪— وَاَرِنَا مَنَاسِكَنَا وَتُبْ عَلَیْنَا ۚ— اِنَّكَ اَنْتَ التَّوَّابُ الرَّحِیْمُ ۟
ऐ हमारे पालनहार! तू हमें अपने आदेश के प्रति समर्पित होने वाला और अपना आज्ञाकारी बना दे कि हम तेरे साथ किसी को भी साझी न बनाएँ। तथा हमारे वंश से भी एक ऐसा समुदाय बना, जो तेरा आज्ञाकारी हो। और हमें अपनी इबादत सिखा दे कि वह कैसे होनी चाहिए, तथा हमारे गुनाहों और अपने आज्ञापालन में हमारी कमियों को क्षमा कर दे; निःसंदेह तू ही है जो अपने तौबा करने वाले बंदों की तौबा को बहुत क़बूल करने वाला, उनपर अत्यंत दयालु है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
رَبَّنَا وَابْعَثْ فِیْهِمْ رَسُوْلًا مِّنْهُمْ یَتْلُوْا عَلَیْهِمْ اٰیٰتِكَ وَیُعَلِّمُهُمُ الْكِتٰبَ وَالْحِكْمَةَ وَیُزَكِّیْهِمْ ؕ— اِنَّكَ اَنْتَ الْعَزِیْزُ الْحَكِیْمُ ۟۠
ऐ हमारे पालनहार!, और उनके बीच उन्हीं में से इसमाईल की संतान से एक रसूल भेज, जो उनपर तेरी उतारी हुई आयतें पढ़े, तथा उन्हें क़ुरआन एवं सुन्नत की शिक्षा दे और उन्हें शिर्क एवं बुराइयों से पाक करे; निःसंदेह तू ही सर्वशक्तिमान, प्रभुत्वशाली और अपने कार्यों एवं आदेशों में पूर्ण हिकमत वाला है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَمَنْ یَّرْغَبُ عَنْ مِّلَّةِ اِبْرٰهٖمَ اِلَّا مَنْ سَفِهَ نَفْسَهٗ ؕ— وَلَقَدِ اصْطَفَیْنٰهُ فِی الدُّنْیَا ۚ— وَاِنَّهٗ فِی الْاٰخِرَةِ لَمِنَ الصّٰلِحِیْنَ ۟
इबराहीम अलैहिस्सलाम के धर्म से विमुख होकर दूसरे धर्मों की ओर वही आकर्षित होगा, जिसने अपनी मूर्खता तथा कुप्रबंधन से सत्य को छोड़ गुमराही को अपनाकर अपने ऊपर अत्याचार किया और अपने लिए अपमान से संतुष्ट हो गया। निश्चय हमने उसे दुनिया में एक रसूल और दोस्त के रूप में चुन लिया, तथा आख़िरत में वह निश्चय उन सदाचारियों में से है, जिन्होंने अपने ऊपर अल्लाह के अनिवार्य किए हुए आदेशों को पूरा करके सर्वोच्च पद प्राप्त किए।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اِذْ قَالَ لَهٗ رَبُّهٗۤ اَسْلِمْ ۙ— قَالَ اَسْلَمْتُ لِرَبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟
अल्लाह ने उन्हें उनके इस्लाम (आज्ञापालन) की ओर जल्दी करने के कारण चुना। जब उनके पालनहार ने उनसे कहा : इबादत को मेरे लिए विशुद्ध कर दो और आज्ञाकारिता के साथ मेरे अधीन हो जाओ, तो उन्होंने अपने रब को उत्तर देते हुए कहा : मैं अल्लाह का आज्ञाकारी हो गया, जो बंदों को पैदा करने वाला, उन्हें रोज़ी देने वाला और उनके मामलों का प्रबंधक है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَوَصّٰی بِهَاۤ اِبْرٰهٖمُ بَنِیْهِ وَیَعْقُوْبُ ؕ— یٰبَنِیَّ اِنَّ اللّٰهَ اصْطَفٰی لَكُمُ الدِّیْنَ فَلَا تَمُوْتُنَّ اِلَّا وَاَنْتُمْ مُّسْلِمُوْنَ ۟ؕ
इबराहीम ने अपने बेटों को इसी बात की वसीयत की, कि : {أَسْلَمْتُ لِرَبِّ الْعَالَمِينَ} ''मैं सारे संसारों के पालनहार का आज्ञाकारी हो गया।'', इसी तरह याक़ूब ने भी अपने बेटों को इसी बात की वसीयत की। उन दोनों ने अपने बेटों को आवाज़ देते हुए कहा : निःसंदेह अल्लाह ने तुम्हारे लिए इस्लाम धर्म को चुन लिया है। अतः तुम उसे दृढ़ता से पकड़े रहो यहाँ तक कि तुम्हारे पास मृत्यु आ जाए, और तुम बाहरी और आंतरिक रूप से अल्लाह के आज्ञाकारी हो।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اَمْ كُنْتُمْ شُهَدَآءَ اِذْ حَضَرَ یَعْقُوْبَ الْمَوْتُ ۙ— اِذْ قَالَ لِبَنِیْهِ مَا تَعْبُدُوْنَ مِنْ بَعْدِیْ ؕ— قَالُوْا نَعْبُدُ اِلٰهَكَ وَاِلٰهَ اٰبَآىِٕكَ اِبْرٰهٖمَ وَاِسْمٰعِیْلَ وَاِسْحٰقَ اِلٰهًا وَّاحِدًا ۖۚ— وَّنَحْنُ لَهٗ مُسْلِمُوْنَ ۟
या तुम उस समय उपस्थित थे, जब याक़ूब अलैहिस्सलाम की मृत्यु निकट आई। जब उन्होंने अपने बेटों से पूछते हुए कहा : तुम मेरी मृत्यु के बाद किसकी इबादत करोगे? उन्होंने उनके सवाल के जवाब में कहा : हम आपके पूज्य और आपके पूर्वजों इबराहीम, इसमाईल तथा इसह़ाक़ के पूज्य की इबादत करेंगे, जो एक अकेला पूज्य है, उसका कोई साझी नहीं। और हम अकेले उसी के प्रति समर्पित और उसी के आज्ञाकारी हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
تِلْكَ اُمَّةٌ قَدْ خَلَتْ ۚ— لَهَا مَا كَسَبَتْ وَلَكُمْ مَّا كَسَبْتُمْ ۚ— وَلَا تُسْـَٔلُوْنَ عَمَّا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟
यह तुमसे पहले गुज़रे हुए समुदायों में से एक समुदाय था, जो गुज़र चुका और उस कार्य की ओर जा चुका जो उसने आगे बढ़ाया था। अतः उसके लिए उसके कमाए हुए अच्छे या बुरे कर्म हैं, और तुम्हारे लिए तुम्हारे कमाए हुए कर्म। न तुमसे उनके कर्मों के बारे में पूछा जाएगा, न उनसे तुम्हारे कर्मों के बारे में पूछा जाएगा, तथा कोई भी किसी दूसरे के गुनाह के बदले नहीं पकड़ा जाएगा। बल्कि प्रत्येक को उसके कर्म का बदला दिया जाएगा। इसलिए अपने पहले गुज़रे हुए लोगों के कर्म के पीछे पड़ना तुम्हें खुद अपने कर्म को देखने से विचलित न करे। क्योंकि किसी को अल्लाह की दया के बाद, उसके सत्कर्म के सिवा कोई चीज़ हरगिज़ फायदा न देगी।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• المؤمن المتقي لا يغتر بأعماله الصالحة، بل يخاف أن ترد عليه، ولا تقبل منه، ولهذا يُكْثِرُ سؤالَ الله قَبولها.
• अल्लाह से डरने वाला मोमिन अपने नेक कामों से धोखा नहीं खाता है। बल्कि वह इस बात से डरता है कि कहीं उसके कार्य को अस्वीकार न कर दिया जाए और उसे क़बूल न किया जाए। इसलिए वह अक्सर अल्लाह से उसे क़बूल करने के लिए दुआ करता रहता है।

• بركة دعوة أبي الأنبياء إبراهيم عليه السلام، حيث أجاب الله دعاءه وجعل خاتم أنبيائه وأفضل رسله من أهل مكة.
• नबियों के पिता इबराहीम अलैहिस्सलाम की दुआ की बरकत कि अल्लाह ने उनकी दुआ क़बूल फरमाई और अपने अंतिम नबी और सर्वश्रेष्ठ रसूल को मक्का वालों में से बनाया।

• دين إبراهيم عليه السلام هو الملة الحنيفية الموافقة للفطرة، لا يرغب عنها ولا يزهد فيها إلا الجاهل المخالف لفطرته.
• इबराहीम अलैहिस्सलाम का धर्म ही एकेश्वरवाद पर आधारित एवं मानव प्रकृति के अनुकूल धर्म है। इससे वही मुँह फेरेगा, जो अज्ञानी तथा अपनी प्रकृति का दुश्मन हो।

• مشروعية الوصية للذرية باتباع الهدى، وأخذ العهد عليهم بالتمسك بالحق والثبات عليه.
• संतान को मार्गदर्शन का पालन करने की वसीयत तथा उनसे सत्य का पालन करने और उस पर दृढ़ रहने के लिए वचन लेने की वैधता।

وَقَالُوْا كُوْنُوْا هُوْدًا اَوْ نَصٰرٰی تَهْتَدُوْا ؕ— قُلْ بَلْ مِلَّةَ اِبْرٰهٖمَ حَنِیْفًا ؕ— وَمَا كَانَ مِنَ الْمُشْرِكِیْنَ ۟
यहूदियों ने मुसलमानों से कहा : यहूदी बन जाओ, हिदायत के मार्ग पर चलने लगोगे, तथा ईसाइयों ने कहा : ईसाई बन जाओ, हिदायत के मार्ग पर चलने लगोगे। (ऐ नबी!) आप उन्हें जवाब देते हुए कह दीजिए : बल्कि, हम इबराहीम अलैहिस्सलाम के धर्म का अनुसरण करेंगे, जो झूठे धर्मों से विमुख होकर सच्चे धर्म की ओर प्रवृत थे तथा उन लोगों में से नहीं थे जिन्होंने अल्लाह के साथ किसी को साझी बनाया।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
قُوْلُوْۤا اٰمَنَّا بِاللّٰهِ وَمَاۤ اُنْزِلَ اِلَیْنَا وَمَاۤ اُنْزِلَ اِلٰۤی اِبْرٰهٖمَ وَاِسْمٰعِیْلَ وَاِسْحٰقَ وَیَعْقُوْبَ وَالْاَسْبَاطِ وَمَاۤ اُوْتِیَ مُوْسٰی وَعِیْسٰی وَمَاۤ اُوْتِیَ النَّبِیُّوْنَ مِنْ رَّبِّهِمْ ۚ— لَا نُفَرِّقُ بَیْنَ اَحَدٍ مِّنْهُمْ ؗ— وَنَحْنُ لَهٗ مُسْلِمُوْنَ ۟
ऐ ईमान वालो! इस झूठे दावा वाले यहूदियों और ईसाइयों से कह दो : हम अल्लाह पर और उस क़ुरआन पर ईमान लाए जो हमारी ओर उतारा गया। तथा हम उसपर ईमान लाए जो इबराहीम और उनके पुत्रों इसमाईल, इसह़ाक़ और याक़ूब पर उतारा गया। और हम उसपर ईमान लाए जो याक़ूब अलैहिस्सलाम की संतान में से होने वाले नबियों पर उतारा गाय। इसी तरह हम ईमान लाए उस तौरात पर जो अल्लाह ने मूसा अलैहिस्सलाम को प्रदान किया और उस इन्जील पर जो अल्लाह ने ईसा अलैहिस्सलाम को प्रदान किया। तथा हम उन किताबों पर ईमान लाए जो अल्लाह ने सभी नबियों को प्रदान कीं। हम उनमें से किसी के बीच अंतर (भेदभाव) नहीं करते, कि हम कुछ पर ईमान लाएँ और कुछ का इनकार कर दें। बल्कि हम उन सभी (नबियों) पर ईमान रखते हैं और हम अकेले उसी महिमावान अल्लाह के आज्ञाकारी और अधीन हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
فَاِنْ اٰمَنُوْا بِمِثْلِ مَاۤ اٰمَنْتُمْ بِهٖ فَقَدِ اهْتَدَوْا ۚ— وَاِنْ تَوَلَّوْا فَاِنَّمَا هُمْ فِیْ شِقَاقٍ ۚ— فَسَیَكْفِیْكَهُمُ اللّٰهُ ۚ— وَهُوَ السَّمِیْعُ الْعَلِیْمُ ۟ؕ
यदि यहूदी, ईसाई और अन्य काफ़िर तुम्हारे ईमान लाने की तरह ईमान लाएँ; तो उन्होंने उस सीधे मार्ग को पा लिया, जिसे अल्लाह ने पसंद किया है। लेकिन यदि वे सभी या कुछ नबियों को झुठलाकर ईमान से उपेक्षा करें, तो वे विरोध और शत्रुता में पड़े हुए हैं। इसलिए - ऐ नबी! - आप दुखी न हों, क्योंकि अल्लाह आपको उनके कष्ट से बचाने के लिए पर्याप्त हो जाएगा, आपकी उनकी बुराई से रक्षा करेगा और उनके खिलाफ आपकी मदद करेगा। क्योंकि वह उनकी बातों को सुनने वाला, और उनके इरादों और कार्यों को जानने वाला है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
صِبْغَةَ اللّٰهِ ۚ— وَمَنْ اَحْسَنُ مِنَ اللّٰهِ صِبْغَةً ؗ— وَّنَحْنُ لَهٗ عٰبِدُوْنَ ۟
अल्लाह के उस धर्म पर बाहरी और आंतरिक रूप से जमे रहो, जिसपर उसने तुम्हें पैदा किया है। क्योंकि अल्लाह के धर्म से बेहतर कोई धर्म नहीं। क्योंकि वह प्रकृति के अनुकूल है, हितों को लाने वाला और अहितों को रोकने वाला है। तथा कहो : हम केवल अल्लाह की इबादत करने वाले हैं, हम उसके साथ किसी दूसरे को साझी नहीं बनाते।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
قُلْ اَتُحَآجُّوْنَنَا فِی اللّٰهِ وَهُوَ رَبُّنَا وَرَبُّكُمْ ۚ— وَلَنَاۤ اَعْمَالُنَا وَلَكُمْ اَعْمَالُكُمْ ۚ— وَنَحْنُ لَهٗ مُخْلِصُوْنَ ۟ۙ
ऐ नबी! कह दीजिए : (ऐ किताब वालो!) क्या तुम हमसे इस बारे में बहस करते हो कि तुम अल्लाह और उसके धर्म के हमसे ज़्यादा हक़दार हो; इस कारण कि तुम्हारा धर्म पुराना है और तुम्हारी पुस्तक पहले की है। तो (जान लो) इससे तुम्हें कोई फायदा नहीं होगा। क्योंकि अल्लाह ही हम सब का रब है, वह विशेष रूप से केवल तुम्हारा ही रब नहीं है। तथा हमारे लिए हमारे कर्म हैं, जिनके बारे में तुमसे नहीं पूछा जाएगा, और तुम्हारे लिए तुम्हारे कर्म हैं, जिनके बारे में हमसे नहीं पूछा जाएगा। बल्कि प्रत्येक को उसके काम का बदला दिया जाएगा। हम इबादत और आज्ञाकारिता में अल्लाह के प्रति निष्ठावान हैं, उसके साथ किसी चीज़ को साझी नहीं ठहराते।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اَمْ تَقُوْلُوْنَ اِنَّ اِبْرٰهٖمَ وَاِسْمٰعِیْلَ وَاِسْحٰقَ وَیَعْقُوْبَ وَالْاَسْبَاطَ كَانُوْا هُوْدًا اَوْ نَصٰرٰی ؕ— قُلْ ءَاَنْتُمْ اَعْلَمُ اَمِ اللّٰهُ ؕ— وَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنْ كَتَمَ شَهَادَةً عِنْدَهٗ مِنَ اللّٰهِ ؕ— وَمَا اللّٰهُ بِغَافِلٍ عَمَّا تَعْمَلُوْنَ ۟
(ऐ अह्ले किताब!) क्या तुम कहते हो : इबराहीम और इसमाईल और इसह़ाक़ और याक़ूब तथा याक़ूब की संतान में से होने वाले पैग़ंबर, यहूदी या ईसाई धर्म के अनुयायी थे? ऐ नबी! आप उनका उत्तर देते हुए कह दें : क्या तुम अधिक जानते हो या अल्लाह?! यदि उनका दावा है कि वे (उक्त नबीगण) उनके धर्म पर थे, तो निश्चय उन्होंने झूठ बोला है। क्योंकि उनकी नुबुव्वत और मृत्यु का ज़माना तौरात और इंजील उतरने से पहले का है! इससे यह पता चला कि जो कुछ वे कहते हैं, वह अल्लाह और उसके रसूलों के खिलाफ झूठ है, और उन्होंने उस सत्य को छिपाया है, जो उनपर उतरा था। और उससे बड़ा ज़ालिम कोई नहीं, जो अपने पास मौजूद उस पक्की गवाही को छिपाए, जिसका ज्ञान उसे अल्लाह की ओर से हुआ है, जैसा कि किताब वालों ने किया। और अल्लाह तुम्हारे कर्मों से अनजान नहीं है और वह तुम्हें उनका बदला देगा।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
تِلْكَ اُمَّةٌ قَدْ خَلَتْ ۚ— لَهَا مَا كَسَبَتْ وَلَكُمْ مَّا كَسَبْتُمْ ۚ— وَلَا تُسْـَٔلُوْنَ عَمَّا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟۠
यह एक समुदाय था, जो गुज़र चुका और उस कार्य की ओर जा चुका जो उसने आगे बढ़ाया था। अतः उसके लिए उसके कमाए हुए (अच्छे या बुरे) कर्म हैं, और तुम्हारे लिए तुम्हारे कमाए हुए कर्म। न तुमसे उनके कर्मों के बारे में पूछा जाएगा, न उनसे तुम्हारे कर्मों के बारे में पूछा जाएगा, तथा कोई भी किसी दूसरे के गुनाह के बदले नहीं पकड़ा जाएगा और न ही वह किसी दूसरे के कर्म से लाभान्वित होगा। बल्कि प्रत्येक को उसके कर्म का बदला दिया जाएगा।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• أن دعوى أهل الكتاب أنهم على الحق لا تنفعهم وهم يكفرون بما أنزل الله على نبيه محمد صلى الله عليه وسلم.
• अह्ले किताब का यह दावा कि वे सत्य पर हैं, उन्हें कोई लाभ नहीं देगा, जबकि वे उस चीज़ का इनकार करते हैं, जो अल्लाह ने अपने नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर अवतरित किया है।

• سُمِّي الدين صبغة لظهور أعماله وسَمْته على المسلم كما يظهر أثر الصبغ في الثوب.
• धर्म को 'सिबग़ा' (रंग) कहा गया है; क्योंकि उसके कार्य और उसकी छाप मुसलमान पर उसी तरह दिखाई देती है, जैसे पोशाक पर रंग का प्रभाव दिखाई देता है।

• أن الله تعالى قد رَكَزَ في فطرةِ خلقه جميعًا الإقرارَ بربوبيته وألوهيته، وإنما يضلهم عنها الشيطان وأعوانه.
• अल्लाह ने अपने पालनहार और पूज्य होने के इक़रार को अपनी सारी सृष्टि की प्रकृति में स्थापित कर दिया है। ये तो शैतान और उसके सहयोगी हैं, जो उसे उससे गुमराह कर देते हैं।

سَیَقُوْلُ السُّفَهَآءُ مِنَ النَّاسِ مَا وَلّٰىهُمْ عَنْ قِبْلَتِهِمُ الَّتِیْ كَانُوْا عَلَیْهَا ؕ— قُلْ لِّلّٰهِ الْمَشْرِقُ وَالْمَغْرِبُ ؕ— یَهْدِیْ مَنْ یَّشَآءُ اِلٰی صِرَاطٍ مُّسْتَقِیْمٍ ۟
शीघ्र ही अज्ञानी, अल्पबुद्धि यहूदी और उनके जैसे मुनाफ़िक़ (पाखंडी) कहेंगे : मुसलमानों को बैतुल-मक़दिस के क़िबला से, जो पहले उनका क़िबला था, किस चीज़ ने फेर दिया?! (ऐ नबी!) आप उन्हें उत्तर देते हुए कह दीजिए : पूर्व और पश्चिम तथा अन्य दिशाओं का मालिक अकेला अल्लाह ही है, वह अपने बंदों में से जिसे चाहता है, जिस दिशा की ओर भी चाहता है, निर्देशित कर देता है। तथा वह अपने बंदों में से जिसे चाहता है, सीधे रास्ते का मार्गदर्शन प्रदान करता है, जिसमें कोई टेढ़ापन और विचलन नहीं है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَكَذٰلِكَ جَعَلْنٰكُمْ اُمَّةً وَّسَطًا لِّتَكُوْنُوْا شُهَدَآءَ عَلَی النَّاسِ وَیَكُوْنَ الرَّسُوْلُ عَلَیْكُمْ شَهِیْدًا ؕ— وَمَا جَعَلْنَا الْقِبْلَةَ الَّتِیْ كُنْتَ عَلَیْهَاۤ اِلَّا لِنَعْلَمَ مَنْ یَّتَّبِعُ الرَّسُوْلَ مِمَّنْ یَّنْقَلِبُ عَلٰی عَقِبَیْهِ ؕ— وَاِنْ كَانَتْ لَكَبِیْرَةً اِلَّا عَلَی الَّذِیْنَ هَدَی اللّٰهُ ؕ— وَمَا كَانَ اللّٰهُ لِیُضِیْعَ اِیْمَانَكُمْ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ بِالنَّاسِ لَرَءُوْفٌ رَّحِیْمٌ ۟
जिस तरह हमने तुम्हारे लिए वह क़िबला निर्धारित किया है, जिसे हमने तुम्हारे लिए पसंद किया है; वैसे ही हमने तुम्हें सबसे बेहतर, न्यायपूर्ण उम्मत (समुदाय) बनाया, जो अक़ायद, इबादात और मामलात में सभी उम्मतों (समुदायों) के बीच मध्यम है; ताकि तुम क़ियामत के दिन अल्लाह के सभी रसूलों के लिए गवाही देने वाले बन जाओ कि उन्होंने अपनी उम्मतों को वह संदेश पहुँचा दिया था जिसे पहुँचाने का अल्लाह ने उन्हे आदेश दिया था, तथा रसूल मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम तुमपर यह गवाही देने वाले हो जाएँ कि उन्होंने तुम्हें अल्लाह का धर्म पहुँचा दिया। तथा हमने उस क़िबले को जिसकी ओर आप रुख़ करते थे अर्थात् बैतुल-मक़दिस को इसलिए बदल दिया, ताकि हम - इस तरह प्रत्यक्ष रुप से जिसपर बदला निष्कर्षित होता है - जान लें कि कौन अल्लाह के निर्धारित किए हुए नियम से संतुष्ट होता है और उसके सामने अपना सिर झुकाते हुए रसूल का अनुसरण करता है, तथा कौन अपने धर्म से फिर जाता है और अपनी इच्छाओं का पालन करता है। इसलिए वह अल्लाह के बनाए हुए नियम के आगे सिर नहीं झुकाता। वास्तव में, पहले क़िबले को बदलने की बात बहुत बड़ी थी, सिवाय उन लोगों के लिए जिन्हें अल्लाह ने उसपर तथा इस बात पर विश्वास करने की तौफ़ीक़ दी कि अल्लाह अपने बंदों के लिए जो नियम बनाता है, वह व्यापक हिकमतों की वजह से बनाता है। तथा अल्लाह ऐसा नहीं कि तुम्हारा ईमान बर्बाद कर दे, जिसमें तुम्हारी वे नमाज़ें भी शामिल हैं, जो तुमने क़िबला बदलने से पहले पढ़ी थीं। निःसंदेह अल्लाह लोगों पर बहुत करुणा करने वाला, अत्यंत दयावान् है। इसलिए वह उन्हें कष्ट में नहीं डालता है, और उनके कर्मों का प्रतिफल व्यर्थ नहीं करता है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
قَدْ نَرٰی تَقَلُّبَ وَجْهِكَ فِی السَّمَآءِ ۚ— فَلَنُوَلِّیَنَّكَ قِبْلَةً تَرْضٰىهَا ۪— فَوَلِّ وَجْهَكَ شَطْرَ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ ؕ— وَحَیْثُ مَا كُنْتُمْ فَوَلُّوْا وُجُوْهَكُمْ شَطْرَهٗ ؕ— وَاِنَّ الَّذِیْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ لَیَعْلَمُوْنَ اَنَّهُ الْحَقُّ مِنْ رَّبِّهِمْ ؕ— وَمَا اللّٰهُ بِغَافِلٍ عَمَّا یَعْمَلُوْنَ ۟
हमने - ऐ नबी! - आपके चेहरे और निगाह को बार-बार आसमान की ओर उठते हुए देखा है, इस प्रत्याशा में कि आपको अपने मनपसंद क़िबले की ओर मुख करके नमाज़ पढ़ने की अनुमति प्राप्त हो जाए। अतः निश्चय हम वर्तमान क़िबला बैतुल-मक़दिस के बदले, आपको उस क़िबले की ओर फेर देंगे, जिसे आप पसंद करते हैं (और वह अल्लाह का पवित्र घर काबा है)। सो (अब) आप अपना चेहरा मक्का मुकर्रमा में स्थित अल्लाह के पवित्र घर की ओर फेर लें। तथा - ऐ ईमान वालो! - तुम जहाँ भी हो, नमाज़ पढ़ते समय उसी की ओर मुख कर लो। निश्चय यहूदी तथा ईसाई इस बात से अवगत हैं कि क़िबले का बदलना उनके पालनहार और उनके मामलों के प्रभंधक की ओर से अवतिरत सत्य है; क्योंकि यह उनकी पुस्तक में प्रमाणित है। तथा अल्लाह उस बात से अनजान नहीं है जो ये सत्य से मुँह मोड़ने वाले करते हैं। बल्कि, वह महिमावान् उसे जानता है और उन्हें उसका बदला देगा।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَلَىِٕنْ اَتَیْتَ الَّذِیْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ بِكُلِّ اٰیَةٍ مَّا تَبِعُوْا قِبْلَتَكَ ۚ— وَمَاۤ اَنْتَ بِتَابِعٍ قِبْلَتَهُمْ ۚ— وَمَا بَعْضُهُمْ بِتَابِعٍ قِبْلَةَ بَعْضٍ ؕ— وَلَىِٕنِ اتَّبَعْتَ اَهْوَآءَهُمْ مِّنْ بَعْدِ مَا جَآءَكَ مِنَ الْعِلْمِ ۙ— اِنَّكَ اِذًا لَّمِنَ الظّٰلِمِیْنَ ۟ۘ
अल्लाह की क़सम! (ऐ नबी!) यदि आप उन यहूदियों और ईसाइयों के पास जिन्हें किताब दी गई थी, इस बात पर हर प्रकार की निशानी और प्रमाण ले आएँ कि क़िबला का बदलना सत्य है; तब भी वे आपके क़िबले की ओर रुख नहीं करेंगे, उसके प्रति हठ करके जो आप लेकर आए हैं तथा सत्य का पालन करने से अहंकार करते हुए। तथा आप उनके क़िबले की ओर मुख करने वाले नहीं हैं जबकि अल्लाह ने आपको उससे फेर दिया है। तथा वे स्वयं परस्पर एक-दूसरे के क़िबले की ओर रुख़ करने वाले नहीं हैं; क्योंकि उनमें से प्रत्येक दूसरे समूह को काफ़िर कहता है। यदि आपने क़िबला तथा अन्य नियमों और विधानों के बारे में इन लोगों की इच्छाओं का पालन किया, इसके बाद कि आपके पास सही ज्ञान आ चुका है, जिसमें कोई संदेह नहीं; तो निश्चय आप उस समय हिदायत को छोड़ने तथा इच्छा का अनुसरण करने के कारण, अत्याचारियों में से हो जाएँगे। यहाँ नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को संबोधित करने का मक़सद अह्ले किताब का पालन करने की बुराई (कुरूपता) को दर्शाना है। अन्यथा, अल्लाह ने अपने नबी को उससे सुरक्षित रखा है। इसलिए यह आपके बाद आपकी उम्मत के लिए एक चेतावनी है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• أن الاعتراض على أحكام الله وشرعه والتغافل عن مقاصدها دليل على السَّفَه وقلَّة العقل.
• अल्लाह के नियमों और क़ानूनों पर आपत्ति जताना और उनके उद्देश्यों की उपेक्षा करना मूर्खता और बुद्धि की कमी का प्रमाण है।

• فضلُ هذه الأمة وشرفها، حيث أثنى عليها الله ووصفها بالوسطية بين سائر الأمم.
• इस उम्मत की विशेषता और प्रतिष्ठा, क्योंकि अल्लाह ने इस उम्मत की प्रशंसा की है तथा इसे बाकी सारी उम्मतों के बीच मध्यम उम्मत क़रार दिया है।

• التحذير من متابعة أهل الكتاب في أهوائهم؛ لأنهم أعرضوا عن الحق بعد معرفته.
• अह्ले किताब का उनकी इच्छाओं में पालन करने से सावधान करना; क्योंकि वे सत्य को जानने के बाद उससे विमुख हो गए।

• جواز نَسْخِ الأحكام الشرعية في الإسلام زمن نزول الوحي، حيث نُسِخَ التوجه إلى بيت المقدس، وصار إلى المسجد الحرام.
• इस्लाम में वह़्य उतरने के समय काल में शरई अह़काम (नियमों और विधानों) को निरस्त किए जाने की वैधता; क्योंकि बैतुल-म़कदिस की ओर मुँह करने के हुक्म को निरस्त करके मस्जिदे-ह़राम की ओर रुख करने का आदेश दिया गया।

اَلَّذِیْنَ اٰتَیْنٰهُمُ الْكِتٰبَ یَعْرِفُوْنَهٗ كَمَا یَعْرِفُوْنَ اَبْنَآءَهُمْ ؕ— وَاِنَّ فَرِیْقًا مِّنْهُمْ لَیَكْتُمُوْنَ الْحَقَّ وَهُمْ یَعْلَمُوْنَ ۟ؔ
यहूदियों और ईसाइयों के विद्वानों में से जिन्हें हमने किताब दी थी; वे क़िबला के बदलने की बात को, जो कि उनके निकट मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नुबुव्वत की निशानियों में से है, बिल्कुल वैसे ही जानते हैं, जैसे अपने बच्चों को जानते हैं और उन्हें दूसरों से अलग करते हैं। फिर भी उनमें से एक समूह, अपनी ओर से ईर्ष्या करते हुए, उस सत्य को छिपाता है, जो आप लाए हैं। वे यह जानते हुए भी ऐसा करते हैं कि यह सच है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اَلْحَقُّ مِنْ رَّبِّكَ فَلَا تَكُوْنَنَّ مِنَ الْمُمْتَرِیْنَ ۟۠
यही आपके पालनहार की और से सत्य है। अतः (ऐ रसूल!) आप कदापि इसकी प्रामाणिकता पर संदेह करने वालों में से न हों।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَلِكُلٍّ وِّجْهَةٌ هُوَ مُوَلِّیْهَا فَاسْتَبِقُوْا الْخَیْرٰتِ ؔؕ— اَیْنَ مَا تَكُوْنُوْا یَاْتِ بِكُمُ اللّٰهُ جَمِیْعًا ؕ— اِنَّ اللّٰهَ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌ ۟
हर क़ौम की कोई न कोई दिशा होती है, जिसकी ओर वह रुख करती है, चाहे वह दिशा इंद्रियगोचर हो या अगोचर (अभौतिक) हो। यही कारण है कि अलग-अलग समुदायों के अलग-अलग क़िबले और शरई प्रावधान हैं। इसलिए उनकी दिशाओं की विविधता से कोई नुक़सान नहीं, यदि वह अल्लाह के आदेश और उसकी शरीयत के अनुसार है। अतः - ऐ मोमिनो! - उन अच्छे कामों को करने में एक-दूसरे से आगे बढ़ो, जिन्हें करने का तुम्हें आदेश दिया गया है। तथा तुम जहाँ भी होगे, वहाँ से क़ियामत के दिन अल्लाह तुम्हें इकट्ठा करेगा; ताकि तुम्हें तुम्हारे कार्यों का बदला दे। निःसंदेह अल्लाह हर चीज़ का सामर्थ्य रखता है। अतः उसका तुम्हें इकट्ठा करना और बदला देना उसे विवश नहीं कर सकता।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَمِنْ حَیْثُ خَرَجْتَ فَوَلِّ وَجْهَكَ شَطْرَ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ ؕ— وَاِنَّهٗ لَلْحَقُّ مِنْ رَّبِّكَ ؕ— وَمَا اللّٰهُ بِغَافِلٍ عَمَّا تَعْمَلُوْنَ ۟
तथा (ऐ नबी!) आप और आपके अनुयायी जहाँ से भी निकलें और जिस स्थान पर भी हों और नमाज़ का इरादा करें, तो अपना चेहरा सम्मानित मस्जिद (काबा शरीफ़) की ओर कर लें। क्योंकि यही सत्य है जिसकी आपके रब ने आपकी ओर वह़्य की है। और तुम जो कुछ करते हो, अल्लाह उससे अनजान नहीं है, बल्कि वह उसके बारे में खू़ब जानता है और तुम्हें उसका बदल देगा।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَمِنْ حَیْثُ خَرَجْتَ فَوَلِّ وَجْهَكَ شَطْرَ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ ؕ— وَحَیْثُ مَا كُنْتُمْ فَوَلُّوْا وُجُوْهَكُمْ شَطْرَهٗ ۙ— لِئَلَّا یَكُوْنَ لِلنَّاسِ عَلَیْكُمْ حُجَّةٌ ۗ— اِلَّا الَّذِیْنَ ظَلَمُوْا مِنْهُمْ ۗ— فَلَا تَخْشَوْهُمْ وَاخْشَوْنِیْ ۗ— وَلِاُتِمَّ نِعْمَتِیْ عَلَیْكُمْ وَلَعَلَّكُمْ تَهْتَدُوْنَ ۟ۙۛ
(ऐ नबी!) आप जिस स्थान से भी निकलें और नमाज़ पढ़ना चाहें, तो अपना चेहरा मस्जिदे-ह़राम की ओर कर लें। तथा - ऐ मोमिनो! - तुम जिस स्थान पर भी हो, तो अगर तुम नमाज़ पढ़ना चाहो, तो अपने चेहरे उसी की दिशा में कर लो; ताकि लोगों के पास कोई तर्क (हुज्जत) न रहे जिसके द्वारा वे तुमसे वाद-विवाद करें, सिवाय उन लोगों के जिन्होंने उनमें से अत्याचार किया। क्योंकि वे अपने हठ पर बने रहेंगे और तुम्हारे विरुद्ध कमज़ोर से कमज़ोर तर्क के साथ बहस करेंगे। अतः उनसे मत डरो और अकेले अपने पालनहार से डरो, उसके आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर। क्योंकि अल्लाह ने काबा की ओर चेहरा करने का नियम इसलिए बनाया है, ताकि तुम्हें शेष सारी क़ौमों से उत्कृष्ट करके तुमपर अपनी नेमत पूरी करे और ताकि लोगों के लिए सबसे सम्माननीय क़िबला की ओर तुम्हारा मार्गदर्शन करे।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
كَمَاۤ اَرْسَلْنَا فِیْكُمْ رَسُوْلًا مِّنْكُمْ یَتْلُوْا عَلَیْكُمْ اٰیٰتِنَا وَیُزَكِّیْكُمْ وَیُعَلِّمُكُمُ الْكِتٰبَ وَالْحِكْمَةَ وَیُعَلِّمُكُمْ مَّا لَمْ تَكُوْنُوْا تَعْلَمُوْنَ ۟ؕۛ
इसी तरह हमने तुम्हें एक और नेमत प्रदान की; कि हमने तुम्हारी ओर तुम्हारे बीच से एक रसूल भेजा, जो तुम्हें हमारी आयतें पढ़कर सुनाता है, तुम्हें अच्छाइयों तथा भली बात का आदेश देकर और घृणित चीज़ों तथा बुरी बात से मनाही करके पवित्र करता है, तथा तुम्हें क़ुरआन और सुन्नत सिखाता है और तुम्हें तुम्हारे धर्म एवं संसार के मामलों के बारे में ऐसी बातें सिखाता है, जो तुम नहीं जानते थे।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
فَاذْكُرُوْنِیْۤ اَذْكُرْكُمْ وَاشْكُرُوْا لِیْ وَلَا تَكْفُرُوْنِ ۟۠
तुम मुझे अपने दिलों और शारीरिक अंगों द्वारा याद करो; मैं तुम्हारी प्रशंसा करके और तुम्हें संरक्षण प्रदान करके तुम्हें याद रखूँगा। क्योंकि बदला कार्य के समान ही मिलता है। तथा मेरी उन नेमतों का शुक्रिया अदा करो, जो मैंने तुम्हें प्रदान की हैं, और उनका इनकार करके और उन्हें हराम चीज़ों में इस्तेमाल करके मेरी नाशुक्री न करो।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوا اسْتَعِیْنُوْا بِالصَّبْرِ وَالصَّلٰوةِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ مَعَ الصّٰبِرِیْنَ ۟
ऐ ईमान वालो! धैर्य तथा नमाज़ के साथ मेरी आज्ञाकारिता करने और मेरे आदेश के प्रति समर्पित होने में मदद हासिल करो। निश्चय अल्लाह धैर्य रखने वालों के साथ है, उन्हें सामर्थ्य प्रदान करता तथा उनकी सहायता करता है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• إطالة الحديث في شأن تحويل القبلة؛ لما فيه من الدلالة على نبوة محمد صلى الله عليه وسلم.
• क़िबला बदलने के बारे में बातचीत का विस्तार करना; क्योंकि इसमें मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के ईश्दूतत्व (नुबुव्वत) का प्रमाण है।

• ترك الجدال والاشتغالُ بالطاعات والمسارعة إلى الله أنفع للمؤمن عند ربه يوم القيامة.
• वाद-विवाद को छोड़कर आज्ञाकारिता में व्यस्त होना और अल्लाह की ओर जल्दी करना, मोमिन के लिए क़ियामत के दिन उसके रब के पास अधिक लाभदायक है।

• أن الأعمال الصالحة الموصلة إلى الله متنوعة ومتعددة، وينبغي للمؤمن أن يسابق إلى فعلها؛ طلبًا للأجر من الله تعالى.
• अल्लाह की ओर ले जाने वाले अच्छे कार्य विविध और अनेक हैं। और मोमिन को अल्लाह से प्रतिफल माँगते हुए उन्हें करने में पहल करना चाहिए।

• عظم شأن ذكر الله -جلّ وعلا- حيث يكون ثوابه ذكر العبد في الملأ الأعلى.
• अल्लाह का ज़िक्र करने की महानता, क्योंकि उसका प्रतिफल यह है कि बंदे का ज़िक्र ''मला-ए-आ'ला'' (समीपवर्ती फ़रिश्तों की सभा) में होता है।

وَلَا تَقُوْلُوْا لِمَنْ یُّقْتَلُ فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ اَمْوَاتٌ ؕ— بَلْ اَحْیَآءٌ وَّلٰكِنْ لَّا تَشْعُرُوْنَ ۟
(ऐ मोमिनो!) तुम उनके बारे में जो अल्लाह के मार्ग में जिहाद के कारण मारे जाएँ, यह मत कहो : वे मर गए, जैसे उनके अलावा दूसरे लोग मरते हैं। बल्कि, वे अपने रब के पास जीवित हैं। लेकिन तुम उनके जीवन का एहसास नहीं करते; क्योंकि वह एक विशिष्ट जीवन है, जिसे जानने का एकमात्र तरीक़ा अल्लाह की वह़्य है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَلَنَبْلُوَنَّكُمْ بِشَیْءٍ مِّنَ الْخَوْفِ وَالْجُوْعِ وَنَقْصٍ مِّنَ الْاَمْوَالِ وَالْاَنْفُسِ وَالثَّمَرٰتِ ؕ— وَبَشِّرِ الصّٰبِرِیْنَ ۟ۙ
हम अनेक प्रकार की विपत्तियों के साथ तुम्हें ज़रूर आज़माएँगे; अपने दुश्मनों के कुछ भय के साथ, भोजन की कमी के कारण भूख के साथ, धन के समाप्त हो जाने या उसे प्राप्त करने की कठिनाई के कारण धन की कमी के साथ, लोगों को नष्ट करने वाली आपदाओं के कारण या अल्लाह के मार्ग में शहीद होने के कारण जानों के नुक़सान के साथ, तथा उन फलों की कमी के साथ जिन्हें धरती उगाती है। ऐसे में - ऐ नबी! - इन विपत्तियों पर धैर्य रखने वालों को उस चीज़ की शुभ सूचना सुना दें, जिससे उन्हें दुनिया एवं आख़िरत में प्रसन्नता हासिल होगी।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
الَّذِیْنَ اِذَاۤ اَصَابَتْهُمْ مُّصِیْبَةٌ ۙ— قَالُوْۤا اِنَّا لِلّٰهِ وَاِنَّاۤ اِلَیْهِ رٰجِعُوْنَ ۟ؕ
जब उनपर इन विपत्तियों में से कोई विपत्ति आती है, तो वे अल्लाह के निर्णय के प्रति संतोष और समर्पण के साथ कहते हैं : निःसंदेह हम अल्लाह के हैं, वह हमारे साथ जैसा चाहता है, व्यवहार करता है। तथा निःसंदेह हम क़ियामत के दिन उसी की ओर लौटने वाले हैं। क्योंकि उसी ने हमें पैदा किया और हमें विभिन्न प्रकार की नेमतें प्रदान कीं, तथा उसी की तरफ़ हमारा लौटना और हमारे मामले का अंत है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اُولٰٓىِٕكَ عَلَیْهِمْ صَلَوٰتٌ مِّنْ رَّبِّهِمْ وَرَحْمَةٌ ۫— وَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْمُهْتَدُوْنَ ۟
इस विशेषता के मालिक लोगों के लिए फ़रिश्तों की सर्वोच्च सभा में अल्लाह की ओर से प्रशंसा है, तथा उनपर रहमत उतरती है और यही लोग सत्य के मार्ग पर निर्देशित हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اِنَّ الصَّفَا وَالْمَرْوَةَ مِنْ شَعَآىِٕرِ اللّٰهِ ۚ— فَمَنْ حَجَّ الْبَیْتَ اَوِ اعْتَمَرَ فَلَا جُنَاحَ عَلَیْهِ اَنْ یَّطَّوَّفَ بِهِمَا ؕ— وَمَنْ تَطَوَّعَ خَیْرًا ۙ— فَاِنَّ اللّٰهَ شَاكِرٌ عَلِیْمٌ ۟
काबा के पास सफ़ा और मरवा के नाम से जानी जाने वाली दो पहाड़ियाँ, शरीयत के दृश्य स्थलों में से हैं। इसलिए जो हज्ज अथवा उम्रा के लिए काबा पहुँचे; उसपर कोई पाप नहीं कि वह इन दोनों के बीच दौड़ लगाए। यहाँ पाप का इनकार करने में उन मुसलमानों के लिए आश्वासन है, जो इन दोनों के बीच दौड़ लगाने को जाहिलिय्यत (पूर्व-इस्लामी युग) का काम समझकर गुनाह समझते थे। चुनाँचे अल्लाह ने स्पष्ट कर दिया कि यह हज्ज के अनुष्ठानों में से है। जो भी व्यक्ति स्वेच्छा से निष्ठापूर्वक मुस्तहब आज्ञाकारिता का कार्य करे; अल्लाह उसकी क़द्र करने वाला है, उसे उससे स्वीकार करेगा और उसे उसपर बदला देगा। वह उसके बारे में जानने वाला है, जो अच्छा काम करता है और सवाब का हक़दार है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اِنَّ الَّذِیْنَ یَكْتُمُوْنَ مَاۤ اَنْزَلْنَا مِنَ الْبَیِّنٰتِ وَالْهُدٰی مِنْ بَعْدِ مَا بَیَّنّٰهُ لِلنَّاسِ فِی الْكِتٰبِ ۙ— اُولٰٓىِٕكَ یَلْعَنُهُمُ اللّٰهُ وَیَلْعَنُهُمُ اللّٰعِنُوْنَ ۟ۙ
यहूदियों, ईसाइयों और अन्य लोगों में से जो लोग नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और आपके लाए हुए संदेश की सच्चाई को दर्शाने वाले स्पष्ट प्रमाणों को छिपाते हैं, इसके बाद कि हमने उन्हें उनकी किताबों में लोगों के लिए खोलकर बयान कर दिया है; वे ऐसे लोग हैं जिन्हें अल्लाह अपनी दया से निष्कासित कर देता है। साथ ही फ़रिश्ते, नबी गण और सभी लोग यह दुआ करते हैं कि अल्लाह उन्हें अपनी रहमत से निष्कासित कर दे।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اِلَّا الَّذِیْنَ تَابُوْا وَاَصْلَحُوْا وَبَیَّنُوْا فَاُولٰٓىِٕكَ اَتُوْبُ عَلَیْهِمْ ۚ— وَاَنَا التَّوَّابُ الرَّحِیْمُ ۟
परंतु जो लोग उन स्पष्ट निशानियों को छिपाने पर पछतावा करते हुए अल्लाह की ओर लौट आए, तथा अपने बाहरी और आंतरिक कार्यों को सुधार लिया और उन्होंने जो सच्चाई और मार्गदर्शन छुपाया था, उन्हें स्पष्ट कर दिया; तो ऐसे लोगों की मैं अपनी आज्ञाकारिता की ओर वापसी को स्वीकार करता हूँ, और मैं तौबा करने वाले बंदों की तौबा क़बूल करने वाला, उनपर दया करने वाला हूँ।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اِنَّ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا وَمَاتُوْا وَهُمْ كُفَّارٌ اُولٰٓىِٕكَ عَلَیْهِمْ لَعْنَةُ اللّٰهِ وَالْمَلٰٓىِٕكَةِ وَالنَّاسِ اَجْمَعِیْنَ ۟ۙ
निःसंदेह जिन लोगों ने कुफ़्र किया और उससे तौबा करने से पहले कुफ़्र ही की अवस्था में मर गए, तो ऐसे लोगों पर अल्लाह का यह अभिशाप है कि उन्हें अपनी दया से निष्कासित कर देता है, तथा फ़रिश्तों और सभी लोगों का उनपर यह श्राप है कि अल्लाह उन्हें अपनी दया से निष्कासित और दूर कर दे।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
خٰلِدِیْنَ فِیْهَا ۚ— لَا یُخَفَّفُ عَنْهُمُ الْعَذَابُ وَلَا هُمْ یُنْظَرُوْنَ ۟
वे इसी लानत (अभिशाप) से पीड़ित रहेंगे, उनकी यातना एक दिन के लिए भी कम नहीं होगी और न उन्हें क़ियामत के दिन मोहलत दी जाएगी।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاِلٰهُكُمْ اِلٰهٌ وَّاحِدٌ ۚ— لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ الرَّحْمٰنُ الرَّحِیْمُ ۟۠
(ऐ लोगो!) तुम्हारा सच्चा मा'बूद एक ही है, जो अपने अस्तित्व और गुणों में अद्वितीय है, उसके अलावा कोई सच्चा मा'बूद नहीं। वह अत्यंत दयावान् विशाल दया वाला, अपने बंदों पर असीम दयालु है। क्योंकि उसने उन्हें अनगिनत नेमतें प्रदान की हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• الابتلاء سُنَّة الله تعالى في عباده، وقد وعد الصابرين على ذلك بأعظم الجزاء وأكرم المنازل.
• आज़माइश अल्लाह की उसके बंदों के बारे में हमेशा की नीति रही है। तथा उसने उसपर धैर्य रखने वालों से सबसे बड़े बदले और सबसे सम्मानजनक घरों का वादा किया है।

• مشروعية السعي بين الصفا والمروة لمن حج البيت أو اعتمر.
• खाना काबा का हज्ज अथवा उम्रा करने वाले के लिए सफ़ा और मरवा के बीच दौड़ने की वैधता।

• من أعظم الآثام وأشدها عقوبة كتمان الحق الذي أنزله الله، والتلبيس على الناس، وإضلالهم عن الهدى الذي جاءت به الرسل.
• सबसे बड़ा और सबसे गंभीर दंड वाला पाप अल्लाह के उतारे हुए सत्य को छिपाना, लोगों को धोखे में रखना (भ्रमित करना) और उन्हें उस मार्गदर्शन से भटकाना है जो रसूल लाए थे।

اِنَّ فِیْ خَلْقِ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَاخْتِلَافِ الَّیْلِ وَالنَّهَارِ وَالْفُلْكِ الَّتِیْ تَجْرِیْ فِی الْبَحْرِ بِمَا یَنْفَعُ النَّاسَ وَمَاۤ اَنْزَلَ اللّٰهُ مِنَ السَّمَآءِ مِنْ مَّآءٍ فَاَحْیَا بِهِ الْاَرْضَ بَعْدَ مَوْتِهَا وَبَثَّ فِیْهَا مِنْ كُلِّ دَآبَّةٍ ۪— وَّتَصْرِیْفِ الرِّیٰحِ وَالسَّحَابِ الْمُسَخَّرِ بَیْنَ السَّمَآءِ وَالْاَرْضِ لَاٰیٰتٍ لِّقَوْمٍ یَّعْقِلُوْنَ ۟
निःसंदेह आसमानों और ज़मीन की रचना और उनमें उपस्थित अद्भुत प्राणियों में, तथा रात और दिन के एक-दूसरे के पश्चात आने-जाने में, तथा उन कश्तियों में जो लोगों को लाभ पहुँचाने वाले भोजन, वस्त्र, व्यापार और अन्य आवश्यकता की चीज़ों को लेकर समुद्र के पानी में दौड़ती हैं, तथा उस पानी में जो अल्लाह ने आसमान से उतारा, फिर उसके द्वारा धरती को उसमें उगने वाली फसलों और पौधों (घास) के द्वारा पुनर्जीवित किया। तथा धरती के ऊपर जीवित प्राणियों को फैलाने में, तथा एक तरफ़ से दूसरी तरफ़ हवाओं के फेरने में, तथा धरती और आकाश के बीच वशीभूत किए हुए बादलों में; निश्चय इन सब में उन लोगों के लिए अल्लाह के एकत्व (एकेश्वरवाद) के स्पष्ट संकेत (प्रमाण) हैं, जो तर्कों और प्रमाणों को समझते हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَمِنَ النَّاسِ مَنْ یَّتَّخِذُ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ اَنْدَادًا یُّحِبُّوْنَهُمْ كَحُبِّ اللّٰهِ ؕ— وَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اَشَدُّ حُبًّا لِّلّٰهِ ؕ— وَلَوْ یَرَی الَّذِیْنَ ظَلَمُوْۤا اِذْ یَرَوْنَ الْعَذَابَ ۙ— اَنَّ الْقُوَّةَ لِلّٰهِ جَمِیْعًا ۙ— وَّاَنَّ اللّٰهَ شَدِیْدُ الْعَذَابِ ۟
इन स्पष्ट निशानियों के बावजूद, कुछ लोग ऐसे हैं, जो अल्लाह के अलावा कुछ पूज्य ठहराकर उन्हें अल्लाह का समकक्ष बना लेते हैं, जिनसे वे वैसा ही प्रेम करते हैं जैसा प्रेम अल्लाह से करते हैं। परंतु जो लोग ईमान लाए, वे अल्लाह से इन लोगों के अपने पूज्यों (देवताओं) से प्रेम करने से कहीं बढ़कर प्रेम करने वाले होते हैं। क्योंकि वे अल्लाह के साथ किसी को साझी नहीं बनाते, तथा वे समृद्धि और विपत्ति दोनों में उससे प्रेम करते हैं। जबकि इन लोगों का हाल यह है कि वे केवल समृद्धि में अपने पूज्यों से प्रेम करते हैं, लेकिन विपत्ति में केवल अल्लाह को पुकारते हैं। यदि अपने शिर्क और बुरे कर्मों के द्वारा अत्याचार करने वाले आख़िरत में अपनी स्थिति को देख लें जब वे अज़ाब को देखेंगे; तो जान लें कि सर्वशक्तिमान केवल अल्लाह ही है तथा वह अपने अवज्ञाकारियों को कठिन यातना देने वाला है। यदि ये लोग उस स्थिति को देख लेते, तो अल्लाह के साथ किसी को साझी न बनाते।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اِذْ تَبَرَّاَ الَّذِیْنَ اتُّبِعُوْا مِنَ الَّذِیْنَ اتَّبَعُوْا وَرَاَوُا الْعَذَابَ وَتَقَطَّعَتْ بِهِمُ الْاَسْبَابُ ۟
यह उस समय होगा जब अनुसरण किए गए सरदार उन कमज़ोरों से अलग हो जाएँगे जिन्होंने उनका अनुसरण किया था; क्योंकि वे क़ियामत के दिन की भयावहता और उसकी कठिनाइयों को देख रहे होंगे, तथा मुक्ति के सभी कारण और साधन उनसे कट जाएँगे।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَقَالَ الَّذِیْنَ اتَّبَعُوْا لَوْ اَنَّ لَنَا كَرَّةً فَنَتَبَرَّاَ مِنْهُمْ كَمَا تَبَرَّءُوْا مِنَّا ؕ— كَذٰلِكَ یُرِیْهِمُ اللّٰهُ اَعْمَالَهُمْ حَسَرٰتٍ عَلَیْهِمْ ؕ— وَمَا هُمْ بِخٰرِجِیْنَ مِنَ النَّارِ ۟۠
तथा कमज़ोर और अनुयायी लोग कहेंगे : काश! हमें दुनिया में वापस जाने का एक अवसर मिल जाता, तो हम भी अपने पेशवाओं से उसी तरह बिल्कुल अलग हो जाते, जैसे वे आज हमसे बिल्कुल अलग हो गए। जिस तरह अल्लाह ने उन्हें आख़िरत में कठिन यातना दिखाई है, उन्हें उनके पेशवाओं का असत्य पर अनुसरण करने का परिणाम पछतावे और दुखों के रूप में दिखाएगा, और वे कभी भी आग (जहन्नम) से बाहर नहीं आएँगे।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
یٰۤاَیُّهَا النَّاسُ كُلُوْا مِمَّا فِی الْاَرْضِ حَلٰلًا طَیِّبًا ؗ— وَّلَا تَتَّبِعُوْا خُطُوٰتِ الشَّیْطٰنِ ؕ— اِنَّهٗ لَكُمْ عَدُوٌّ مُّبِیْنٌ ۟
ऐ लोगो! धरती में मौजूद चीज़ों जैसे जानवरों, पौधों और पेड़ों में से खाओ, जिसकी कमाई हलाल हो और वह अपने आप में अच्छी हो, बुरी (अशुद्ध) न हो। तथा शैतान के उन रास्तों पर मत चलो, जिनके द्वारा वह तुम्हें लुभाता है। क्योंकि वह तुम्हारा एक ऐसा शत्रु है जिसकी शत्रुता स्पष्ट है। और एक समझदार व्यक्ति के लिए अपने शत्रु का अनुसरण करना जायज़ नहीं है, जो उसे नुक़सान पहुँचाने और गुमराह करने का लोभी होता है!
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اِنَّمَا یَاْمُرُكُمْ بِالسُّوْٓءِ وَالْفَحْشَآءِ وَاَنْ تَقُوْلُوْا عَلَی اللّٰهِ مَا لَا تَعْلَمُوْنَ ۟
वह केवल तुम्हें बुरे पापों तथा बड़े एवं गंभीर गुनाहों का आदेश देता है और यह कि तुम अक़ीदे और शरीयत के नियमों के संबंध में अल्लाह पर कोई बात कहो, जिसके बारे में तुम्हारे पास अल्लाह या उसके रसूल की तरफ़ से कोई ज्ञान न आया हो।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• المؤمنون بالله حقًّا هم أعظم الخلق محبة لله؛ لأنهم يطيعونه على كل حال في السراء والضراء، ولا يشركون معه أحدًا.
• अल्लाह पर सच्चा ईमान रखने वाले, अल्लाह के प्रेम में सभी लोगों से बढ़कर होते हैं; क्योंकि वे समृद्धि और विपत्ति हर हाल में अल्लाह का आज्ञापालन करते हैं और उसके साथ किसी को भी साझी नहीं बनाते।

• في يوم القيامة تنقطع كل الروابط، ويَبْرَأُ كل خليل من خليله، ولا يبقى إلا ما كان خالصًا لله تعالى.
• क़ियामत के दिन सभी संबंध टूट जाएँगे और हर दोस्त अपने दोस्त से अलग हो जाएगा। तथा केवल वही बाकी रह जाएगा, जो विशुद्ध रूप से सर्वशक्तिमान अल्लाह के लिए था।

• التحذير من كيد الشيطان لتنوع أساليبه وخفائها وقربها من مشتهيات النفس.
• शैतान की चालों से सावधान करना; क्योंकि वह तरह-तरह के हथकंडे अपनाता है, जो छिपे हुए और मन की इच्छाओं के निकट होते हैं।

وَاِذَا قِیْلَ لَهُمُ اتَّبِعُوْا مَاۤ اَنْزَلَ اللّٰهُ قَالُوْا بَلْ نَتَّبِعُ مَاۤ اَلْفَیْنَا عَلَیْهِ اٰبَآءَنَا ؕ— اَوَلَوْ كَانَ اٰبَآؤُهُمْ لَا یَعْقِلُوْنَ شَیْـًٔا وَّلَا یَهْتَدُوْنَ ۟
जब इन काफ़िरों से कहा जाता है कि उस मार्गदर्शन और प्रकाश का अनुसरण करो, जो अल्लाह ने उतारा है, तो वे हठ करते हुए कहते हैं : बल्कि हम उन मान्यताओं और परंपराओं का अनुसरण करेंगे, जिनपर हमने अपने बाप-दादा को पाया है। क्या वे अपने बाप-दादा का अनुसरण करेंगे, यद्यपि वे मार्गदर्शन और प्रकाश के बारे में कुछ भी न समझते हों, और न ही वे उस सत्य की ओर मार्गदर्शन पाते हों, जिससे अल्लाह प्रसन्न होता है?!
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَمَثَلُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا كَمَثَلِ الَّذِیْ یَنْعِقُ بِمَا لَا یَسْمَعُ اِلَّا دُعَآءً وَّنِدَآءً ؕ— صُمٌّۢ بُكْمٌ عُمْیٌ فَهُمْ لَا یَعْقِلُوْنَ ۟
अपने बाप-दादा का अनुसरण करने में काफ़िरों का उदाहरण उस चरवाहे के समान है, जो अपने पशुओं को आवाज़ देता है, तो वे (पशु) उसकी आवाज़ तो सुनते हैं, परंतु उसकी बात नहीं समझते हैं। इसी तरह, वे (काफ़िर) सत्य को इस प्रकार सुनने से बहरे हैं कि उसका लाभ उठा सकें, गूंगे हैं, उनकी ज़बानें सच बोलने से मूक हैं, तथा सत्य को देखने से अंधे हैं। इसलिए वे उस मार्गदर्शन को नहीं समझते हैं जिसकी ओर आप उन्हें बुला रहे हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا كُلُوْا مِنْ طَیِّبٰتِ مَا رَزَقْنٰكُمْ وَاشْكُرُوْا لِلّٰهِ اِنْ كُنْتُمْ اِیَّاهُ تَعْبُدُوْنَ ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने और उसके रसूल का अनुसरण करने वालो! उन अच्छी चीजों में से खाओ जो अल्लाह ने तुम्हें प्रदान की हैं और तुम्हारे लिए उन्हें अनुमेय किया है। तथा बाहरी और आंतरिक रूप से उन नेमतों के लिए अल्लाह का शुक्र अदा करो, जो उसने तुम्हें प्रदान की हैं। उसका शुक्र अदा करने में यह भी शामिल है कि उसकी आज्ञा का पालन करो तथा उसकी अवज्ञा से बचो, यदि तुम वास्तव में अकेले उसी की इबादत करते हो और उसके साथ किसी को साझी नहीं बनाते हो।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اِنَّمَا حَرَّمَ عَلَیْكُمُ الْمَیْتَةَ وَالدَّمَ وَلَحْمَ الْخِنْزِیْرِ وَمَاۤ اُهِلَّ بِهٖ لِغَیْرِ اللّٰهِ ۚ— فَمَنِ اضْطُرَّ غَیْرَ بَاغٍ وَّلَا عَادٍ فَلَاۤ اِثْمَ عَلَیْهِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟
अल्लाह ने तुमपर केवल ये खाने की चीज़ें हराम की हैं : वह जानवर जो शरई तरीक़े से ज़बह किए बिना मर जाए, बहता खून, सूअर का माँस और वह जानवर जिसे ज़बह करते समय अल्लाह के सिवा किसी और का नाम लिया गया हो। लेकिन यदि आदमी इनमें से कोई वस्तु खाने पर मजबूर हो जाए, जबकि वह उनमें से बिना आवश्यकता के खाकर अत्याचार करने वाला और ज़रूरत की सीमा से आगे बढ़ने वाला नहीं है; तो उसपर कोई दोष तथा दंड नहीं है। निःसंदेह अल्लाह अपने तौबा करने वाले बंदों को क्षमा करने वाला, उनपर दया करने वाला है। उसकी दया में से यह भी है कि उसने मजबूरी की हालत में इन हराम वस्तुओं को खाने की अनुमति प्रदान की है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اِنَّ الَّذِیْنَ یَكْتُمُوْنَ مَاۤ اَنْزَلَ اللّٰهُ مِنَ الْكِتٰبِ وَیَشْتَرُوْنَ بِهٖ ثَمَنًا قَلِیْلًا ۙ— اُولٰٓىِٕكَ مَا یَاْكُلُوْنَ فِیْ بُطُوْنِهِمْ اِلَّا النَّارَ وَلَا یُكَلِّمُهُمُ اللّٰهُ یَوْمَ الْقِیٰمَةِ وَلَا یُزَكِّیْهِمْ ۖۚ— وَلَهُمْ عَذَابٌ اَلِیْمٌ ۟
निःसंदेह जो लोग अल्लाह की उतारी हुई किताबों और उनमें मौजूद सत्य और मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नुबुव्वत के संकेत (प्रमाण) को छिपाते हैं, जैसा कि यहूदी और ईसाई करते हैं, तथा वे इसे छिपाकर थोड़ा मुआवज़ा जैसे सरदारी, या पद (प्रतिष्ठा), या धन प्राप्त करते हैं; वे वास्तव में अपने पेटों में इसके सिवा कुछ नहीं खाते जो उनके आग से यातना दिए जाने का कारण होगा। तथा अल्लाह क़ियामत के दिन उनसे ऐसी बात नहीं करेगा, जो उन्हें पसंद हो, बल्कि ऐसी बात करेगा जो उन्हें बुरी लगे। तथा न उन्हें पवित्र करेगा और न उनकी प्रशंसा करेगा और उनके लिए दर्दनाक यातना है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اُولٰٓىِٕكَ الَّذِیْنَ اشْتَرَوُا الضَّلٰلَةَ بِالْهُدٰی وَالْعَذَابَ بِالْمَغْفِرَةِ ۚ— فَمَاۤ اَصْبَرَهُمْ عَلَی النَّارِ ۟
जिन लोगों की विशेषता उस ज्ञान को छिपाना है जिसकी लोगों को आवश्यकता होती है, वही लोग हैं, जिन्होंने सच्चे ज्ञान को छिपाने के कारण हिदायत के बदले गुमराही और अल्लाह की क्षमा के बदले उसकी यातना को अपना लिया। तो ये लोग ऐसे कार्य को करने पर कितना धैर्य रखने वाले हैं, जो उनके लिए जहन्नम में प्रवेश करने का कारण बनता है, मानो कि वे उसमें पाई जाने वाली यातना की परवाह नहीं करते हैं, इस कारण उसपर धैर्य से काम ले रहे हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ذٰلِكَ بِاَنَّ اللّٰهَ نَزَّلَ الْكِتٰبَ بِالْحَقِّ ؕ— وَاِنَّ الَّذِیْنَ اخْتَلَفُوْا فِی الْكِتٰبِ لَفِیْ شِقَاقٍ بَعِیْدٍ ۟۠
ज्ञान और मार्गदर्शन को छिपाने का यह दंड इस कारण है कि अल्लाह ने ईश्वरीय पुस्तकों को सत्य के साथ उतारा है और इसकी अपेक्षा यह है कि उन्हें स्पष्ट किया जाए, न कि छिपाया जाए। निःसंदेह जिन लोगों ने ईश्वरीय पुस्तकों में मतभेद किया, चुनाँचे उनमें से कुछ पर ईमान लाए और उनमें से कुछ को छिपाया, निश्चय वे सत्य से बहुत दूर और विरोध में हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• أكثر ضلال الخلق بسبب تعطيل العقل، ومتابعة من سبقهم في ضلالهم، وتقليدهم بغير وعي.
• अक्सर लोगों की पथभ्रष्टता का कारण विवेक से काम न लेना, तथा अपने से पूर्व लोगों का उनकी गुमराही में अनुसरण करना और बिना सोचे-समझे उनकी नक़ल करना है।

• عدم انتفاع المرء بما وهبه الله من نعمة العقل والسمع والبصر، يجعله مثل من فقد هذه النعم.
• मनुष्य का अल्लाह की दी हुई सोचने-समझने, सुनने और देखने की नेमतों से लाभ न उठाना, उसे ऐसे व्यक्ति के समान बना देता है जिसने इन नेमतों को खो दिया हो।

• من أشد الناس عقوبة يوم القيامة من يكتم العلم الذي أنزله الله، والهدى الذي جاءت به رسله تعالى.
• क़ियामत के दिन सबसे कठोर दंड पाने वालों में से एक वह व्यक्ति है, जो अल्लाह के उतारे हुए ज्ञान और उसके रसूलों द्वारा लाए हुए मार्गदर्शन को छिपाता है।

• من نعمة الله تعالى على عباده المؤمنين أن جعل المحرمات قليلة محدودة، وأما المباحات فكثيرة غير محدودة.
• अल्लाह की अपने मोमिन बंदों पर नेमतों में से एक यह है कि उसने हराम (निषिद्ध) चीज़ों को कम और सीमित कर दिया है। जहाँ तक अनुमेय (जायज़) चीज़ों का संबंध है, तो वे बहुत अधिक और असीमित हैं।

لَیْسَ الْبِرَّ اَنْ تُوَلُّوْا وُجُوْهَكُمْ قِبَلَ الْمَشْرِقِ وَالْمَغْرِبِ وَلٰكِنَّ الْبِرَّ مَنْ اٰمَنَ بِاللّٰهِ وَالْیَوْمِ الْاٰخِرِ وَالْمَلٰٓىِٕكَةِ وَالْكِتٰبِ وَالنَّبِیّٖنَ ۚ— وَاٰتَی الْمَالَ عَلٰی حُبِّهٖ ذَوِی الْقُرْبٰی وَالْیَتٰمٰی وَالْمَسٰكِیْنَ وَابْنَ السَّبِیْلِ ۙ— وَالسَّآىِٕلِیْنَ وَفِی الرِّقَابِ ۚ— وَاَقَامَ الصَّلٰوةَ وَاٰتَی الزَّكٰوةَ ۚ— وَالْمُوْفُوْنَ بِعَهْدِهِمْ اِذَا عٰهَدُوْا ۚ— وَالصّٰبِرِیْنَ فِی الْبَاْسَآءِ وَالضَّرَّآءِ وَحِیْنَ الْبَاْسِ ؕ— اُولٰٓىِٕكَ الَّذِیْنَ صَدَقُوْا ؕ— وَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْمُتَّقُوْنَ ۟
अल्लाह के निकट पसंदीदा नेकी केवल पूर्व या पश्चिम की ओर मुँह कर लेना और उसके बारे में मतभेद करना नहीं है। बल्कि सारी की सारी अच्छाई उस व्यक्ति में है, जो अल्लाह पर उसे एकमात्र पूज्य मानते हुए ईमान लाए, तथा क़ियामत के दिन पर और सभी फ़रिश्तों पर, और सभी अवतरित की गई किताबों पर और सभी नबियों पर बिना किसी भेदभाव के ईमान लाए, तथा धन खर्च करे उसके मोह और लोभ के बावजूद अपने रिश्तेदारों पर, तथा व्यस्क होने से पहले अपने पिता को खो देने वाले पर, ज़रूरतमंदों, अपने परिवार और स्वदेश से कट जाने वाले परदेशी और उन लोगों पर जिन्हें किसी आवश्यकता के कारण लोगों से माँगना पड़ जाता है। तथा गुलामी और क़ैद से गर्दनों को छुड़ाने में पैसा खर्च करे। तथा अल्लाह की आज्ञा के अनुसार पूरी तरह से नमाज़ अदा करे, और अनिवार्य ज़कात का भुगतान करे। इसी तरह वे लोग, जो यदि वचन देते हैं तो अपने वचन को पूरा करते हैं, और जो लोग ग़रीबी और कठिनाई पर तथा बीमारी पर और भीषण युद्ध के समय धैर्य से काम लेते हैं, चुनाँचे वे भागते नहीं हैं। जो लोग इन विशेषताओं से सुसज्जित हैं, वही लोग हैं जो अपने ईमान और कर्मों में अल्लाह के प्रति सच्चे हैं, और वही परहेज़गार लोग हैं, जिन्होंने अल्लाह के आदेशों का पालन किया और उसकी मना की हुई चीज़ों से परहेज़ किया।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا كُتِبَ عَلَیْكُمُ الْقِصَاصُ فِی الْقَتْلٰی ؕ— اَلْحُرُّ بِالْحُرِّ وَالْعَبْدُ بِالْعَبْدِ وَالْاُ بِالْاُ ؕ— فَمَنْ عُفِیَ لَهٗ مِنْ اَخِیْهِ شَیْءٌ فَاتِّبَاعٌ بِالْمَعْرُوْفِ وَاَدَآءٌ اِلَیْهِ بِاِحْسَانٍ ؕ— ذٰلِكَ تَخْفِیْفٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ وَرَحْمَةٌ ؕ— فَمَنِ اعْتَدٰی بَعْدَ ذٰلِكَ فَلَهٗ عَذَابٌ اَلِیْمٌ ۟ۚ
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने और उसके रसूल का अनुसरण करने वालो! उन लोगों के मामले में जो जानबूझकर और आक्रामकता में दूसरों हत्या कर देते हैं, हत्यारे को उसके अपराध के समान दंड देना तुमपर अनिवार्य कर दिया गया है। अतः आज़ाद आदमी को आज़ाद के बदले क़त्ल किया जाएगा, ग़ुलाम को ग़ुलाम के बदले क़त्ल किया जाएगा तथा नारी को नारी के बदले क़त्ल किया जाएगा। यदि वधित व्यक्ति अपनी मृत्यु से पहले क्षमा कर दे, या उसका अभिभावक दियत - वह धनराशि जो हत्यारा अपनी क्षमा के बदले में भुगतान करता है - लेकर क्षमा कर दे, तो क्षमा करने वाले को चाहिए कि क़ातिल से दियत (रक्त धन) की माँग अच्छे तरीक़े से करे, उपकार जतलाने तथा कष्ट देने से बचे। क़ातिल को भी चाहिए कि बिना टाल-मटोल के भले तरीक़े से दियत (ख़ून-बहा) अदा कर दे। यह क्षमा करना और ख़ून-बहा लेना, तुम्हारे पालनहार की ओर से तुमपर एक आसानी और इस उम्मत पर एक दया है। फिर जो व्यक्ति क्षमा करने और ख़ून-बहा लेने के बाद क़ातिल पर अत्याचार करे; तो उसके लिए अल्लाह की ओर से एक दर्दनाक सज़ा है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَلَكُمْ فِی الْقِصَاصِ حَیٰوةٌ یّٰۤاُولِی الْاَلْبَابِ لَعَلَّكُمْ تَتَّقُوْنَ ۟
अल्लाह ने तुम्हारे लिए क़िसास का जो नियम निर्धारित किया है, उसमें तुम्हारे लिए जीवन है; क्योंकि इससे तुम्हारे ख़ून की रक्षा होती है और तुम्हारे बीच ज़्यादती (अत्याचार) को रोका जाता है। इसे वे बुद्धि वाले लोग महसूस करते हैं, जो अल्लाह की शरीयत का पालन करके और उसके आदेश के अनुसार कार्य करके उससे डरते हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
كُتِبَ عَلَیْكُمْ اِذَا حَضَرَ اَحَدَكُمُ الْمَوْتُ اِنْ تَرَكَ خَیْرَا ۖۚ— ١لْوَصِیَّةُ لِلْوَالِدَیْنِ وَالْاَقْرَبِیْنَ بِالْمَعْرُوْفِ ۚ— حَقًّا عَلَی الْمُتَّقِیْنَ ۟ؕ
जब तुममें से किसी की मृत्यु के लक्षण तथा कारण सामने आ जाएँ, और यदि उसने बहुत सारा धन छोड़ा है, तो उसपर माता-पिता और रिश्तेदारों के लिए शरीयत की निर्धारित की हुई मात्रा के अनुसार वसीयत करना ज़रूरी है, जो कि एक तिहाई धन से अधिक नहीं होना चाहिए। ऐसा करना उन लोगों पर एक पक्का अधिकार है जो सर्वशक्तिमान अल्लाह से डरने वाले हैं। ज्ञात रहे कि यह हुक्म मीरास की आयतें उतरने से पहले था। जब मीरास की आयतें उतरीं, तो उनके द्वारा स्पष्ट कर दिया गया कि मृतक का वारिस कौन होगा और उसे विरासत में कितना मिलेगा।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
فَمَنْ بَدَّلَهٗ بَعْدَ مَا سَمِعَهٗ فَاِنَّمَاۤ اِثْمُهٗ عَلَی الَّذِیْنَ یُبَدِّلُوْنَهٗ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ سَمِیْعٌ عَلِیْمٌ ۟ؕ
फिर जो व्यक्ति वसीयत के बारे में जानने के बाद, कोई वृद्धि या कमी करके या उसे रोककर वसीयत में बदलाव कर दे; तो उस परिवर्तन का पाप परिवर्तन करने वालों पर होगा, वसीयतकर्ता पर नहीं। निःसंदेह अल्लाह अपने बंदों की बातों को सुनने वाला और उनके कार्यों को जानने वाला है। उनकी स्थितियों में से कोई चीज़ उससे छूटती नहीं है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• البِرُّ الذي يحبه الله يكون بتحقيق الإيمان والعمل الصالح، وأما التمسك بالمظاهر فقط فلا يكفي عنده تعالى.
• अल्लाह जिस नेकी को पसंद करता है, वह ईमान और अच्छे कर्मों की पूर्ति से प्राप्त होती है। जहाँ तक केवल ज़ाहिरी चीज़ों का पालन करना है, तो यह अल्लाह के निकट काफ़ी नहीं है।

• من أعظم ما يحفظ الأنفس، ويمنع من التعدي والظلم؛ تطبيق مبدأ القصاص الذي شرعه الله في النفس وما دونها.
• सबसे बड़ी चीज़ जो प्राणों की रक्षा करती है, तथा ज़्याजती और अत्याचार को रोकती है; वह क़िसास (प्रतिशोध) के सिद्धांत को लागू करना करना है, जिसे अल्लाह ने प्राण तथा उससे कमतर नुक़सान के बारे में निर्धारित किया है।

• عِظَمُ شأن الوصية، ولا سيما لمن كان عنده شيء يُوصي به، وإثمُ من غيَّر في وصية الميت وبدَّل ما فيها.
• वसीयत का महत्व, विशेष रूप से उसके लिए जिसके पास वसीयत करने के लिए कोई वस्तु हो, तथा मृतक की वसीयत को बदलने वाले का पाप।

فَمَنْ خَافَ مِنْ مُّوْصٍ جَنَفًا اَوْ اِثْمًا فَاَصْلَحَ بَیْنَهُمْ فَلَاۤ اِثْمَ عَلَیْهِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟۠
जिस व्यक्ति को वसीयत करने वाले के बारे में सत्य से विचलन, या वसीयत में अन्याय (अनुचितता) का पता चले; फिर वह, वसीयतकर्ता ने जो अनुचित किया है उसे सलाह देकर उसका सुधार कर दे, तथा वसीयत के बारे में मतभेद करने वालों के बीच संधि (मेल-मिलाप) करा दे, तो उसपर कोई गुनाह नहीं है। बल्कि उसे संधि कराने का सवाब मिलेगा। निश्चय अल्लाह अपने तौबा करने वाले बंदों को क्षमा करने वाला और उनपर दया करने वाला है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا كُتِبَ عَلَیْكُمُ الصِّیَامُ كَمَا كُتِبَ عَلَی الَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِكُمْ لَعَلَّكُمْ تَتَّقُوْنَ ۟ۙ
ऐ अल्लाह पर ईमान लाने वालो और उसके रसूल का अनुसरण करने वालो! तुमपर तुम्हारे पालनहार की ओर से रोज़ा रखना फ़र्ज़ कर दिया गया है, जैसे तुमसे पहले समुदायों पर फ़र्ज़ किया गया था; ताकि तुम अल्लाह से डरो। अर्थात् अपने और उसके दंड के बीच अच्छे कर्मों को बचाव का साधन बना लो, और उनमें से एक महान कार्य रोज़ा रखना है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اَیَّامًا مَّعْدُوْدٰتٍ ؕ— فَمَنْ كَانَ مِنْكُمْ مَّرِیْضًا اَوْ عَلٰی سَفَرٍ فَعِدَّةٌ مِّنْ اَیَّامٍ اُخَرَ ؕ— وَعَلَی الَّذِیْنَ یُطِیْقُوْنَهٗ فِدْیَةٌ طَعَامُ مِسْكِیْنٍ ؕ— فَمَنْ تَطَوَّعَ خَیْرًا فَهُوَ خَیْرٌ لَّهٗ ؕ— وَاَنْ تَصُوْمُوْا خَیْرٌ لَّكُمْ اِنْ كُنْتُمْ تَعْلَمُوْنَ ۟
तुमपर अनिवार्य किया गया रोज़ा यह है कि तुम वर्ष में कुछ दिनों के रोज़े रखो। तुममें से जो कोई ऐसी बीमारी से पीड़ित है जिसके साथ रोज़ा रखना मुश्किल है, या वह एक यात्री है; तो उसके लिए रोज़ा तोड़ देना अनुमेय है, फिर वह उतने दिनों की क़ज़ा करेगा जिनके रोज़े उसने तोड़ दिए हैं। तथा जो लोग रोज़ा रखने की शक्ति रखते हैं, यदि वे रोज़ा तोड़ दें, तो उनपर फ़िदया अनिवार्य है, जो कि हर उस दिन के बदले जिसका वे रोज़ा तोड़ देते हैं, एक ग़रीब व्यक्ति को खाना खिलाना है। परंतु जो व्यक्ति एक से अधिक गरीबों को खाना खिलाए, या रोज़ा रखने के साथ खाना (भी) खिलाए, तो यह उसके लिए बेहतर है। हालाँकि, तुम्हारा रोज़ा रखना तुम्हारे लिए रोज़ा तोड़कर फ़िदया देने से बेहतर है, यदि तुम जानते हो कि रोज़े के क्या गुण हैं। ज्ञात होना चाहिए कि जब अल्लाह ने पहले पहल रोज़ा धर्मसंगत किया था, तो यही हुक्म था। चुनाँचे जो चाहता, रोज़ा रखता और जो चाहता, रोज़ा तोड़ देता और (उसके बदले) खाना खिलाता। फिर उसके बाद, अल्लाह ने रोज़े को अनिवार्य कर दिया और उसे हर व्यस्क (बालिग़) सक्षम व्यक्ति पर फ़र्ज़ क़रार दिया।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
شَهْرُ رَمَضَانَ الَّذِیْۤ اُنْزِلَ فِیْهِ الْقُرْاٰنُ هُدًی لِّلنَّاسِ وَبَیِّنٰتٍ مِّنَ الْهُدٰی وَالْفُرْقَانِ ۚ— فَمَنْ شَهِدَ مِنْكُمُ الشَّهْرَ فَلْیَصُمْهُ ؕ— وَمَنْ كَانَ مَرِیْضًا اَوْ عَلٰی سَفَرٍ فَعِدَّةٌ مِّنْ اَیَّامٍ اُخَرَ ؕ— یُرِیْدُ اللّٰهُ بِكُمُ الْیُسْرَ وَلَا یُرِیْدُ بِكُمُ الْعُسْرَ ؗ— وَلِتُكْمِلُوا الْعِدَّةَ وَلِتُكَبِّرُوا اللّٰهَ عَلٰی مَا هَدٰىكُمْ وَلَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ ۟
रमज़ान का महीना वह है, जिसकी सम्मानित रात (लैलतुल क़द्र) में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर पवित्र क़ुरआन उतरना शुरू हुआ। अल्लाह ने इसे लोगों के लिए मार्गदर्शन के रूप में उतारा है। इसमें मार्गदर्शन तथा सत्य और असत्य के बीच अंतर करने के स्पष्ट प्रमाण हैं। अतः जो व्यक्ति रमज़ान के महीने में उपस्थित हो, इस हाल में कि वह स्वस्थ एवं निवासी हो (यात्रा पर न हो), तो वह अनिवार्य रूप से उसका रोज़ा रखे। तथा जो व्यक्ति ऐसी बीमारी से पीड़ित हो कि उसके लिए रोज़ा रखना कठिन हो, या वह मुसाफ़िर हो; तो उसके लिए रोज़ा न रखना अनुमेय है। यदि वह रोज़ा न रखे, तो उसके लिए अनिवार्य है कि (बाद में) उन दिनों की क़ज़ा करे जिनके रोज़े उसने नहीं रखे थे। अल्लाह के इन विधानों का मक़सद तुम्हारे लिए आसानी पैदा करना है, न कि कठिनाई। और ताकि तुम पूरे महीने के रोज़े की गिनती पूरी करो और ताकि रमज़ान का महीना समाप्त होने के बाद तथा ईद के दिन इस बात पर अल्लाह की महिमा का वर्णन करो कि उसने तुम्हें इसका रोज़ा रखने का सामर्थ्य दिया और उसे पूरा करने पर तुम्हारी मदद की, और ताकि तुम अल्लाह का इस धर्म के लिए तुम्हारा मार्गदर्शन करने पर शुक्रिया अदा करो, जिसे उसने तुम्हारे लिए पसंद किया है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاِذَا سَاَلَكَ عِبَادِیْ عَنِّیْ فَاِنِّیْ قَرِیْبٌ ؕ— اُجِیْبُ دَعْوَةَ الدَّاعِ اِذَا دَعَانِ فَلْیَسْتَجِیْبُوْا لِیْ وَلْیُؤْمِنُوْا بِیْ لَعَلَّهُمْ یَرْشُدُوْنَ ۟
और (ऐ नबी!) जब मेरे बंदे आपसे मेरी निकटता और उनकी दुआ को क़बूल करने के बारे में पूछें; तो निश्चय मैं उनके निकट हूँ, उनकी स्थितियों को जानता हूँ और उनकी दुआओं को सुनता हूँ। इसलिए उन्हें मध्यस्थों (बिचौलियों) की, या अपनी आवाज़ें ऊँची करने की आवश्यकता नहीं है। मैं पुकारने वाले की पुकार का जवाब देता हूँ जब वह मुझे अपनी दुआ में निष्ठा के साथ पुकारता है। इसलिए उन्हें चाहिए कि वे मेरा और मेरी आज्ञाओं का पालन करें, और अपने ईमान पर जमे रहें; क्योंकि यह मेरे उत्तर देने का सबसे लाभकारी तरीक़ा है। ताकि वे ऐसा करके अपने धार्मिक और सांसारिक मामलों में मार्गदर्शन के रास्ते पर चल सकें।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• فَضَّلَ الله شهر رمضان بجعله شهر الصوم وبإنزال القرآن فيه، فهو شهر القرآن؛ ولهذا كان النبي صلى الله عليه وسلم يتدارس القرآن مع جبريل في رمضان، ويجتهد فيه ما لا يجتهد في غيره.
• अल्लाह ने रमज़ान के महीने को, उसे रोज़े का महीना बनाकर और उसमें क़ुरआन उतारकर, श्रेष्ठता प्रदान की है। चुनाँचे रमज़ान क़ुरआन का महीना है। यही कारण है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम रमज़ान में जिबरील के साथ क़ुरआन का अध्ययन करते (दोहराते) थे और जितना आप इस महीने में परिश्रम करते थे किसी अन्य महीने में नहीं करते थे।

• شريعة الإسلام قامت في أصولها وفروعها على التيسير ورفع الحرج، فما جعل الله علينا في الدين من حرج.
• इस्लामी शरीयत अपने मौलिक सिद्धांतों और फ़ुरू'ई (अप्रधान) मुद्दों में सुविधा पैदा करने और तंगी (कष्ट) को दूर करने पर आधारित है। चुनाँचे अल्लाह ने धर्म के मामले में हमपर कोई कठिनाई नहीं रखी।

• قُرْب الله تعالى من عباده، وإحاطته بهم، وعلمه التام بأحوالهم؛ ولهذا فهو يسمع دعاءهم ويجيب سؤالهم.
• अल्लाह का अपने बंदों के निकट होना, उन्हें अपने घेरे में रखना और उनकी स्थितियों के बारे में पूर्ण ज्ञान रखना; इसीलिए वह उनकी दुआ को सुनता और उनकी माँग को पूरा करता है।

اُحِلَّ لَكُمْ لَیْلَةَ الصِّیَامِ الرَّفَثُ اِلٰی نِسَآىِٕكُمْ ؕ— هُنَّ لِبَاسٌ لَّكُمْ وَاَنْتُمْ لِبَاسٌ لَّهُنَّ ؕ— عَلِمَ اللّٰهُ اَنَّكُمْ كُنْتُمْ تَخْتَانُوْنَ اَنْفُسَكُمْ فَتَابَ عَلَیْكُمْ وَعَفَا عَنْكُمْ ۚ— فَالْـٰٔنَ بَاشِرُوْهُنَّ وَابْتَغُوْا مَا كَتَبَ اللّٰهُ لَكُمْ ۪— وَكُلُوْا وَاشْرَبُوْا حَتّٰی یَتَبَیَّنَ لَكُمُ الْخَیْطُ الْاَبْیَضُ مِنَ الْخَیْطِ الْاَسْوَدِ مِنَ الْفَجْرِ ۪— ثُمَّ اَتِمُّوا الصِّیَامَ اِلَی الَّیْلِ ۚ— وَلَا تُبَاشِرُوْهُنَّ وَاَنْتُمْ عٰكِفُوْنَ فِی الْمَسٰجِدِ ؕ— تِلْكَ حُدُوْدُ اللّٰهِ فَلَا تَقْرَبُوْهَا ؕ— كَذٰلِكَ یُبَیِّنُ اللّٰهُ اٰیٰتِهٖ لِلنَّاسِ لَعَلَّهُمْ یَتَّقُوْنَ ۟
रोज़ा अनिवार्य होने की शुरुआत में, यदि कोई व्यक्ति रोज़े की रात में सो जाता, फिर फ़ज्र से पहले उठता, तो उसके लिए खाना-पीना अथवा अपनी पत्नी से सहवास करना हराम हो जाता था। तो अल्लाह ने इस हुक्म को निरस्त कर दिया। अब अल्लाह ने (ऐ मोमिनो!) तुम्हारे लिए रोज़े की रातों में अपनी पत्नियों से सहवास करना अनुमेय कर दिया है। क्योंकि वे तुम्हारे लिए परदा एवं सतीत्व की रक्षा का कारण हैं और तुम उनके लिए परदा और सतीत्व की रक्षा का कारण हो। तुम एक-दूसरे से अलग नहीं रह सकते। अल्लाह ने जान लिया कि जिससे उसने तुम्हें मना किया था, उसे करके तुम अपने आपसे ख़यानत करते थे। इसलिए उसने तुम पर दया करते हुए तुम्हारी तौबा क़बूल कर ली और तुम्हें राहत प्रदान की। अतः अब उनके साथ संभोग करो और अल्लाह ने तुम्हारे लिए जो कुछ संतान नियत की है, उसकी खोज करो और पूरी रात में खाओ और पियो, यहाँ तक कि तुम्हारे लिए फ़ज्र की सफ़ेदी और उसके रात के अंधेरे से अलग होने के साथ फ़ज्र-सादिक़ (सुबह सादिक़) का उदय होना स्पष्ट हो जाए। फिर फ़ज्र के उदय होने से सूर्यास्त तक रोज़ा तोड़ने वाली चीज़ों से परहेज़ करके रोज़ा पूरा करो। तथा जब तुम मस्जिदों में एतिकाफ़ में हो, तो स्त्रियों के साथ संभोग न करो; क्योंकि यह इसे अमान्य कर देता है। उपर्युक्त अह़काम हलाल एवं हराम के बीच अल्लाह की सीमाएँ हैं, इसलिए तुम उनके पास बिल्कुल भी न जाओ; क्योंकि जो कोई भी अल्लाह की सीमाओं के क़रीब गया, वह निषिद्ध (हराम) में पड़ने के निकट है। इन अहकाम (प्रावधानों) को इस तरह स्पष्ट रूप से बयान करने की तरह ही अल्लाह अपनी निशानियों को लोगों के सामने स्पष्ट रूप से बयान करता है, ताकि वे उसकी आज्ञा का पालन करके और उसके निषेध से बचकर, उससे डरें।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَلَا تَاْكُلُوْۤا اَمْوَالَكُمْ بَیْنَكُمْ بِالْبَاطِلِ وَتُدْلُوْا بِهَاۤ اِلَی الْحُكَّامِ لِتَاْكُلُوْا فَرِیْقًا مِّنْ اَمْوَالِ النَّاسِ بِالْاِثْمِ وَاَنْتُمْ تَعْلَمُوْنَ ۟۠
तुम एक-दूसरे के धन को अवैध रूप से न लो, जैसे चोरी, जबरन क़ब्ज़ा और धोखाधड़ी। तथा उसके झगड़े को शासकों के पास न ले जाओ ताकि लोगों के धन का एक भाग अवज्ञा के साथ रंगे हाथ ले लो, जबकि तुम्हें पता है कि अल्लाह ने इसे ह़राम किया है। क्योंकि यह जानते हुए पाप करना कि यह निषिद्ध है, सबसे जघन्य है और उसका दंड सबसे कठोर है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
یَسْـَٔلُوْنَكَ عَنِ الْاَهِلَّةِ ؕ— قُلْ هِیَ مَوَاقِیْتُ لِلنَّاسِ وَالْحَجِّ ؕ— وَلَیْسَ الْبِرُّ بِاَنْ تَاْتُوا الْبُیُوْتَ مِنْ ظُهُوْرِهَا وَلٰكِنَّ الْبِرَّ مَنِ اتَّقٰی ۚ— وَاْتُوا الْبُیُوْتَ مِنْ اَبْوَابِهَا ۪— وَاتَّقُوا اللّٰهَ لَعَلَّكُمْ تُفْلِحُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) लोग आपसे नये चाँदों के गठन और उनकी स्थितियों में परिवर्तन के बारे में पूछते हैं। आप उन्हें उसकी हिकमत के बारे में उत्तर देते हुए कह दीजिए : वे लोगों के लिए समय के निर्धारण का ज़रिया हैं, जिनके द्वारा वे अपनी इबादतों के समय को जानते हैं; जैसे हज्ज के महीने, रोज़े का महीना और ज़कात अदा करने के लिए साल पूरा होने का ज्ञान। तथा वे लेन-देन में अपना समय जानते हैं; जैसे रक्त धन और क़र्ज़ की अदायगी के समय का निर्धारण। तथा नेकी और अच्छाई यह नहीं है कि तुम ह़ज्ज अथवा उम्रा का एह़राम बाँधने की अवस्था में अपने घरों में उनके पीछे से प्रवेश करो - जैसा कि तुम जाहिलिय्यत (पूर्व-इस्लामिक युग) में गुमान करते थे - बल्कि वास्तविक नेकी उस व्यक्ति की नेकी है, जो परोक्ष और प्रत्यक्ष रूप से अल्लाह से डरे। तथा तुम्हारा घरों में उनके द्वारों से प्रवेश करना तुम्हारे लिए अधिक आसान और कठिनाई से बहुत दूर है। क्योंकि अल्लाह ने तुम्हें किसी ऐसे कार्य का बाध्य नहीं किया है, जिसमें तुम्हारे लिए कष्ट और कठिनाई हो। तथा अपने और अल्लाह के अज़ाब के बीच नेक कार्य को आड़ (बचाव) बना लो; ताकि तुम जो चाहते हो, उसे प्राप्त करने में सफल हो, और जिससे डरते हो उससे बच जाओ।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَقَاتِلُوْا فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ الَّذِیْنَ یُقَاتِلُوْنَكُمْ وَلَا تَعْتَدُوْا ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَا یُحِبُّ الْمُعْتَدِیْنَ ۟
तथा - अल्लाह के कलिमा को ऊँचा करने के लिए - उन काफ़िरों से युद्ध करो, जो तुम्हें अल्लाह के धर्म से रोकने के लिए तुमसे युद्ध करते हैं। परंतु बच्चों, महिलाओं और बूढ़ों को क़त्ल करके अथवा मरे हुए व्यक्तियों के अंगों को काटकर (शवों का उत्परिवर्तन करके) अल्लाह की सीमाओं का उल्लंघन न करो। निःसंदेह अल्लाह अपने निर्धारित किए हुए नियमों और आदेशों में सीमाओं का उल्लंघन करने वालों से प्रेम नहीं करता।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• مشروعية الاعتكاف، وهو لزوم المسجد للعبادة؛ ولهذا يُنهى عن كل ما يعارض مقصود الاعتكاف، ومنه مباشرة المرأة.
• एतिकाफ़ की वैधता, जो इबादत के लिए मस्जिद में ठहरने का नाम है; इसी कारण हर उस चीज़ से मना किया गया है, जो एतिकाफ़ के उद्देश्य के विरुद्ध है, जिसमें स्त्री के साथ संभोग भी शामिल है।

• النهي عن أكل أموال الناس بالباطل، وتحريم كل الوسائل والأساليب التي تقود لذلك، ومنها الرشوة.
• लोगों के धन को अवैध रूप से खाने की मनाही और उसकी ओर ले जाने वाले सभी साधनों और माध्यमों को निषिद्ध ठहराना, जिसमें रिश्वत भी शामिल है।

• تحريم الاعتداء والنهي عنه؛ لأن هذا الدين قائم على العدل والإحسان.
• अत्याचार को निषिद्ध ठहराना और उससे मना करना; क्योंकि इस्लाम न्याय और उपकार पर आधारित है।

وَاقْتُلُوْهُمْ حَیْثُ ثَقِفْتُمُوْهُمْ وَاَخْرِجُوْهُمْ مِّنْ حَیْثُ اَخْرَجُوْكُمْ وَالْفِتْنَةُ اَشَدُّ مِنَ الْقَتْلِ ۚ— وَلَا تُقٰتِلُوْهُمْ عِنْدَ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ حَتّٰی یُقٰتِلُوْكُمْ فِیْهِ ۚ— فَاِنْ قٰتَلُوْكُمْ فَاقْتُلُوْهُمْ ؕ— كَذٰلِكَ جَزَآءُ الْكٰفِرِیْنَ ۟
उन्हें जहाँ पाओ, क़त्ल करो और उन्हें उस जगह - अर्थात् मक्का - से निकाल दो, जहाँ से उन्होंने तुम्हें निकाला है। मोमिन को उसके धर्म से रोकने और उसके कुफ़्र की ओर लौटने के परिणामस्वरूप सामने आने वाला फ़ितना क़त्ल से बड़ा है। और मस्जिदे-ह़राम का सम्मान करते हुए उसके पास उनसे लड़ाई की शुरूआत न करो, यहाँ तक कि वे उसमें तुमसे लड़ना शुरू कर दें। यदि वे मस्जिदे-ह़राम में तुमसे लड़ना शुरू कर दें, तो उन्हें क़त्ल करो। इसी तरह का बदला - अर्थात् मस्जिदे-ह़राम में उनके युद्ध करने पर उन्हें क़त्ल करना - काफ़िरों का बदला है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
فَاِنِ انْتَهَوْا فَاِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟
यदि वे तुमसे लड़ना बंद कर दें और अपने कुफ़्र से बाज़ आ जाएँ, तो उनसे हाथ उठा लो। निःसंदेह अल्लाह तौबा करने वालों को क्षमा करने वाला है, इसलिए उनके पिछले गुनाहों पर उनकी पकड़ नहीं करता। उनपर दया करने वाला है, उन्हें दंड देने में जल्दी नहीं करता।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَقٰتِلُوْهُمْ حَتّٰی لَا تَكُوْنَ فِتْنَةٌ وَّیَكُوْنَ الدِّیْنُ لِلّٰهِ ؕ— فَاِنِ انْتَهَوْا فَلَا عُدْوَانَ اِلَّا عَلَی الظّٰلِمِیْنَ ۟
काफ़िरों से युद्ध करो, यहाँ तक कि वे शिर्क, लोगों को अल्लाह के मार्ग से रोकने और कुफ़्र से बाज़ आ जाएँ, तथा प्रभावी धर्म अल्लाह का धर्म हो जाए। यदि वे अपने कुफ़्र तथा अल्लाह के मार्ग से रोकने से बाज़ आ जाएँ, तो उनसे लड़ाई करना छोड़ दो। क्योंकि कुफ़्र और अल्लाह के मार्ग से रोकने के द्वारा अत्याचार करने वालों के सिवा किसी पर कोई अत्याचार उचित नहीं है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اَلشَّهْرُ الْحَرَامُ بِالشَّهْرِ الْحَرَامِ وَالْحُرُمٰتُ قِصَاصٌ ؕ— فَمَنِ اعْتَدٰی عَلَیْكُمْ فَاعْتَدُوْا عَلَیْهِ بِمِثْلِ مَا اعْتَدٰی عَلَیْكُمْ ۪— وَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاعْلَمُوْۤا اَنَّ اللّٰهَ مَعَ الْمُتَّقِیْنَ ۟
वर्ष 7 हिजरी का हुरमत वाला महीना, जिसमें अल्लाह ने तुम्हें हरम में प्रवेश करने और उम्रा अदा करने में सक्षम किया, उस हुरमत वाले महीने के बदले है, जिसमें मुश्रिकों ने तुम्हें वर्ष 6 हिजरी में ह़रम में प्रवेश कने से रोक दिया था। सभी हुरमत वाली चीज़ों - जैसे हुरमत वाले नगर की हुरमत, हुरमत वाले महीने की हुरमत और एह़राम की हुरमत - में ज़्यादती करने वालों पर क़िसास का नियम लागू होगा। अतः जिसने भी इनमें तुमपर ज़्यादती की है, उसके साथ वैसा ही व्यवहार करो जैसा उसने किया है, और समानता की सीमा से आगे न बढ़ो। निश्चय अल्लाह अपनी सीमाओं का उल्लंघन करने वालों से प्रेम नहीं करता। तथा अल्लाह ने तुम्हें जो कुछ करने की अनुमति दी है, उससे आगे न बढ़ो, और जान लो कि अल्लाह सामर्थ्य एवं समर्थन के द्वारा उन लोगों के साथ है, जो उससे डरने वाले हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاَنْفِقُوْا فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ وَلَا تُلْقُوْا بِاَیْدِیْكُمْ اِلَی التَّهْلُكَةِ ۛۚ— وَاَحْسِنُوْا ۛۚ— اِنَّ اللّٰهَ یُحِبُّ الْمُحْسِنِیْنَ ۟
अल्लाह की आज्ञाकारिता के कार्यों, जैसे जिहाद आदि में धन खर्च करो, तथा अपने आपको विनाश में न डालो, इस प्रकार कि उसके रास्ते में जिहाद और खर्च करना छोड़ दो, या अपने आपको ऐसी चीज़ में डाल दो जो तुम्हारे विनाश का कारण हो। तथा अपनी इबादतों, मामलों और आचरण में अच्छा बनो। निःसंदेह अल्लाह अपने सभी मामलों में अच्छा करने वालों से प्यार करता है। इसलिए वह उनके सवाब को बढ़ा देता है और उन्हें सीधे रास्ते पर चलने का सामर्थ्य प्रदान करता है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاَتِمُّوا الْحَجَّ وَالْعُمْرَةَ لِلّٰهِ ؕ— فَاِنْ اُحْصِرْتُمْ فَمَا اسْتَیْسَرَ مِنَ الْهَدْیِ ۚ— وَلَا تَحْلِقُوْا رُءُوْسَكُمْ حَتّٰی یَبْلُغَ الْهَدْیُ مَحِلَّهٗ ؕ— فَمَنْ كَانَ مِنْكُمْ مَّرِیْضًا اَوْ بِهٖۤ اَذًی مِّنْ رَّاْسِهٖ فَفِدْیَةٌ مِّنْ صِیَامٍ اَوْ صَدَقَةٍ اَوْ نُسُكٍ ۚ— فَاِذَاۤ اَمِنْتُمْ ۥ— فَمَنْ تَمَتَّعَ بِالْعُمْرَةِ اِلَی الْحَجِّ فَمَا اسْتَیْسَرَ مِنَ الْهَدْیِ ۚ— فَمَنْ لَّمْ یَجِدْ فَصِیَامُ ثَلٰثَةِ اَیَّامٍ فِی الْحَجِّ وَسَبْعَةٍ اِذَا رَجَعْتُمْ ؕ— تِلْكَ عَشَرَةٌ كَامِلَةٌ ؕ— ذٰلِكَ لِمَنْ لَّمْ یَكُنْ اَهْلُهٗ حَاضِرِی الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ ؕ— وَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاعْلَمُوْۤا اَنَّ اللّٰهَ شَدِیْدُ الْعِقَابِ ۟۠
अल्लाह तआला की प्रसन्नता की तलाश में, ह़ज्ज और उम्रा संपूर्ण रूप से अदा करो। यदि बीमारी या दुश्मन या इसी प्रकार के अन्य कारणों से उन्हें पूरा करने से तुम्हें रोक दिया जाए; तो तुम्हें अपने एह़राम से हलाल होने के लिए - ऊँट या गाय अथवा बकरी में से - जो भी क़ुर्बानी का जानवर उपलब्ध हो, उसे ज़बह़ करना होगा। तथा उस समय तक अपने सिर न मुँडाओ या बाल न कटाओ, जब तक क़ुर्बानी उस स्थान पर न पहुँच जाए, जहाँ उसे ज़बह करना हलाल है। यदि उसे ह़रम पहुँचने से रोक दिया जाए, तो वहीं ज़बह़ कर दिया जाए, जहाँ उसे रोक दिया गया है। यदि ह़रम से नहीं रोका गया है, तो हरम में क़ुर्बानी के दिन और उसके बाद 'तशरीक़ के दिनों' में ज़बह किया जाना चाहिए। फिर तुममें से जो व्यक्ति बीमार हो, अथवा उसके सिर के बालों में कोई तकलीफ़ हो, जैसे जूँ आदि, और इसके कारण वह अपना सिर मुँडा ले, तो उसपर कोई गुनाह नहीं है। लेकिन उसके बदले उसे फ़िदया अदा करना पड़ेगा। फ़िदया के तौर पर या तो तीन रोज़े रखे, या ह़रम के निर्धनों में से तीन निर्धनों को खाना खिलाए, या एक बकरी ज़बह करके हरम के ग़रीबों में बाँट दे। फिर यदि तुम्हें कोई भय न हो, तो तुममें से जो व्यक्ति ह़ज्ज के महीनों में उम्रा अदा करने के बाद एह़राम खोलना चाहे और उसी साल ह़ज्ज का एहराम बाँधने तक उन वस्तुओं से लाभान्वित होना चाहे, जो एह़राम की अवस्था में हराम हैं; तो जो कुछ उसके पास उपलब्ध हो उसे ज़बह करे : एक बकरी ज़बह करे अथवा एक ऊँट या गाय में सात आदमी शरीक हो जाएँ। यदि वह क़ुर्बानी न कर सके, तो उसके बदले ह़ज्ज के दिनों में तीन रोज़े रखे और सात रोज़े अपने घर वापस आने के बाद रखे, ताकि कुल दस दिन पूरे हो जाएँ। क़ुर्बानी अथवा उसकी शक्ति न होने की स्थिति में रोज़े की अनिवार्यता के साथ उम्रा का यह लाभ उठाना उस व्यक्ति के लिए है, जो ह़रम का निवासी और हरम के आस-पास रहने वाला न हो। तथा अल्लाह की शरीयत का अनुसरण करके और उसकी सीमाओं का सम्मान करके उससे डरो और जान लो कि अल्लाह अपने आदेशों का उल्लंघन करने वालों को कठोर दंड देने वाला है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• مقصود الجهاد وغايته جَعْل الحكم لله تعالى وإزالة ما يمنع الناس من سماع الحق والدخول فيه.
• जिहाद का उद्देश्य और उसका लक्ष्य निर्णय और अधिकार को सर्वशक्तिमान अल्लाह के लिए ठहराना तथा लोगों को सत्य सुनने और उसमें प्रवेश करने से रोकने वाली चीजों को हटाना है।

• ترك الجهاد والقعود عنه من أسباب هلاك الأمة؛ لأنه يؤدي إلى ضعفها وطمع العدو فيها.
• जिहाद को छोड़ देना और उससे दूर रहना, उम्मत के विनाश के कारणों में से है; क्योंकि इससे उम्मत में दुर्बलता आती है और शत्रु को उसमें लोभ पैदा होता है।

• وجوب إتمام الحج والعمرة لمن شرع فيهما، وجواز التحلل منهما بذبح هدي لمن مُنِع عن الحرم.
• ह़ज्ज तथा उम्रा शुरू करने वाले के लिए उन्हें पूरा करना अनिवार्य है तथा जिसे ह़रम से रोक दिया गया, उसके लिए क़ुर्बानी करके हलाल होना जायज़ है।

اَلْحَجُّ اَشْهُرٌ مَّعْلُوْمٰتٌ ۚ— فَمَنْ فَرَضَ فِیْهِنَّ الْحَجَّ فَلَا رَفَثَ وَلَا فُسُوْقَ وَلَا جِدَالَ فِی الْحَجِّ ؕ— وَمَا تَفْعَلُوْا مِنْ خَیْرٍ یَّعْلَمْهُ اللّٰهُ ؔؕ— وَتَزَوَّدُوْا فَاِنَّ خَیْرَ الزَّادِ التَّقْوٰی ؗ— وَاتَّقُوْنِ یٰۤاُولِی الْاَلْبَابِ ۟
ह़ज्ज का समय कुछ ज्ञात महीने हैं, जो शव्वाल के महीने से शुरू होते हैं और ज़ुल-ह़िज्जा के दस दिनों के साथ समाप्त हो जाते हैं। जो व्यक्ति इन महीनों में अपने आपको ह़ज्ज के लिए बाध्य कर ले और उसका एहराम बाँध ले; उसके लिए संभोग और संभोग पूर्व क्रीड़ाएँ ह़राम हैं। तथा समय और जगह की महानता के कारण, उसके लिए पाप करके अल्लाह के आज्ञापालन से निकलने का निषेध (दोष) बढ़ जाता है। इसी तरह उसके लिए ऐसी बहस (वाद-विवाद) में पड़ना भी हराम है, जो क्रोध और झगड़े की ओर ले जाती है। तथा तुम जो भी अच्छा कार्य करोगे, अल्लाह उसे जान लेगा और तुम्हें उसका बदला प्रदान करेगा। तथा खाने-पीने की ज़रूरत की चीजें लेकर ह़ज्ज की अदायगी में मदद हासिल करो और जान लो कि तुम्हारे सभी मामलों में तुम्हारी मदद के लिए सबसे अच्छी चीज़ अल्लाह का तक़्वा (डर) है। अतः ऐ स्वस्थ बुद्धि वालो! मेरी आज्ञाओं का पालन करके और मेरे निषेधों से बचकर मुझसे डरो।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
لَیْسَ عَلَیْكُمْ جُنَاحٌ اَنْ تَبْتَغُوْا فَضْلًا مِّنْ رَّبِّكُمْ ؕ— فَاِذَاۤ اَفَضْتُمْ مِّنْ عَرَفٰتٍ فَاذْكُرُوا اللّٰهَ عِنْدَ الْمَشْعَرِ الْحَرَامِ ۪— وَاذْكُرُوْهُ كَمَا هَدٰىكُمْ ۚ— وَاِنْ كُنْتُمْ مِّنْ قَبْلِهٖ لَمِنَ الضَّآلِّیْنَ ۟
ह़ज्ज के दौरान व्यापार और अन्य चीज़ों के माध्यम से ह़लाल जीविका की तलाश करने में तुमपर कोई पाप नहीं है। जब तुम ज़ुल-ह़िज्जा की नौ तारीख़ को अरफ़ा में ठहरने के बाद, दसवीं तारीख़ की रात को वहाँ से मुज़दलिफ़ा की ओर प्रस्थान करो; तो मुज़दलिफ़ा में मश्अरे ह़राम के पास तसबीह़ (सुब्ह़ानल्लाह), तहलील (ला इलाहा इल्लल्लाह) और दुआ करके अल्लाह को याद करो। तथा अल्लाह को इसलिए याद करो कि उसने अपने धर्म के स्थलों और अपने घर के ह़ज्ज के अनुष्ठानों के लिए तुम्हारा मार्गदर्शन किया, क्योंकि इससे पहले तुम उन लोगों में से थे जो उसकी शरीयत से अनजान थे।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ثُمَّ اَفِیْضُوْا مِنْ حَیْثُ اَفَاضَ النَّاسُ وَاسْتَغْفِرُوا اللّٰهَ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟
फिर तुम अरफ़ात से वापस आओ, जैसे कि इबराहीम अलैहिस्सलाम का अनुसरण करने वाले लोग करते थे, उन जाहिलिय्यत के लोगों की तरह नहीं, जो यहाँ ठहरते ही नहीं थे। तथा तुम अल्लाह के आदेश का पालन करने में अपनी कोताही पर उससे क्षमा माँगो। निःसंदेह अल्लाह अपने तौबा करने वाले बंदों को क्षमा करने वाला और उनपर दया करने वाला है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
فَاِذَا قَضَیْتُمْ مَّنَاسِكَكُمْ فَاذْكُرُوا اللّٰهَ كَذِكْرِكُمْ اٰبَآءَكُمْ اَوْ اَشَدَّ ذِكْرًا ؕ— فَمِنَ النَّاسِ مَنْ یَّقُوْلُ رَبَّنَاۤ اٰتِنَا فِی الدُّنْیَا وَمَا لَهٗ فِی الْاٰخِرَةِ مِنْ خَلَاقٍ ۟
जब तुम ह़ज्ज के कार्य पूरे कर लो और उनसे फारिग़ हो जाओ, तो अल्लाह को याद करो और उसकी अत्यधिक प्रशंसा करो, जैसे तुम अपने बाप-दादा पर गर्व और उनकी प्रशंसा किया करते थे, अथवा अल्लाह को अपने बाप-दादा को याद करने से कहीं बढ़कर याद करो। क्योंकि हर वह नेमत जिसका तुम आनंद ले रहे हो, वह अल्लाह ही की दी हुई है। इस विषय में लोग अलग-अलग प्रकार के हैं। उनमें से एक बहुदेववादी काफ़िर है, जो केवल इस सांसारिक जीवन पर विश्वास करता है। इसलिए वह अपने पालनहार से केवल संसार की नेमतों और उसकी शोभा, जैसे स्वास्थ्य, धन और संतान को माँगता है। ऐसे लोगों के लिए, उनके दुनिया की इच्छा रखने और आख़िरत से उपेक्षा करने के कारण, उसमें कोई हिस्सा नहीं है, जो अल्लाह ने अपने मोमिन बंदों के लिए आख़िरत में तैयार कर रखा है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَمِنْهُمْ مَّنْ یَّقُوْلُ رَبَّنَاۤ اٰتِنَا فِی الدُّنْیَا حَسَنَةً وَّفِی الْاٰخِرَةِ حَسَنَةً وَّقِنَا عَذَابَ النَّارِ ۟
जबकि लोगों का एक समूह अल्लाह पर ईमान रखने वाला है और आख़िरत पर ईमान रखता है। इसलिए वह अपने पालनहार से दुनिया की नेमत और उसमें अच्छे कार्य का सवाल करता है, साथ ही वह उससे जन्नत की प्राप्ति और आग की यातना से सुरक्षित रहने का प्रश्न करता है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اُولٰٓىِٕكَ لَهُمْ نَصِیْبٌ مِّمَّا كَسَبُوْا ؕ— وَاللّٰهُ سَرِیْعُ الْحِسَابِ ۟
दुनिया एवं आख़िरत की भलाइयाँ माँगने वाले ही वे लोग हैं, जिनके लिए उनके दुनिया में किए हुए नेक कार्यों के बदले में बहुत बड़ा सवाब है और अल्लाह कार्यों का बहुत जल्द हिसाब लेने वाला है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• يجب على المؤمن التزود في سفر الدنيا وسفر الآخرة، ولذلك ذكر الله أن خير الزاد هو التقوى.
• मोमिन के लिए इस दुनिया की यात्रा और परलोक की यात्रा में पाथेय लेना ज़रूरी है।इसीलिए अल्लाह ने उल्लेख किया है कि सबसे अच्छा पाथेय तक़्वा (धर्मपरायणता) है।

• مشروعية الإكثار من ذكر الله تعالى عند إتمام نسك الحج.
• ह़ज्ज के कार्यों की समाप्ति के समय ज़्यादा से ज़्यादा अल्लाह का ज़िक्र करने की वैधता।

• اختلاف مقاصد الناس؛ فمنهم من جعل همّه الدنيا، فلا يسأل ربه غيرها، ومنهم من يسأله خير الدنيا والآخرة، وهذا هو الموفَّق.
• लोगों के उद्देश्यों में भिन्नता; चुनाँचे उनमें से किसी ने दुनिया ही को सब कुछ समझ लिया है, इसलिए वह अल्लाह से उसके सिवा कुछ नहीं माँगता। जबकि उनमें से कोई ऐसा है जो अपने रब से दुनिया एवं आख़िरत दोनों की भलाई माँगता है और वही व्यक्ति सफल है।

وَاذْكُرُوا اللّٰهَ فِیْۤ اَیَّامٍ مَّعْدُوْدٰتٍ ؕ— فَمَنْ تَعَجَّلَ فِیْ یَوْمَیْنِ فَلَاۤ اِثْمَ عَلَیْهِ ۚ— وَمَنْ تَاَخَّرَ فَلَاۤ اِثْمَ عَلَیْهِ ۙ— لِمَنِ اتَّقٰی ؕ— وَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاعْلَمُوْۤا اَنَّكُمْ اِلَیْهِ تُحْشَرُوْنَ ۟
कुछ थोड़े दिनों अर्थात् ज़ुल-ह़िज्जा के ग्यारहवें, बारहवें और तेरहवें दिन में तकबीर (अल्लाहु अकबर) और तहलील (ला इलाहा इल्लल्लाह) के साथ अल्लाह को याद करो। फिर जो जल्दी करे और बारहवीं तारीख़ को कंकरी मारने के बाद मिना से निकल जाए, तो उसके लिए ऐसा करना अनुमेय है और उसपर कोई पाप नहीं; क्योंकि अल्लाह ने उसे यह आसानी प्रदान की है। तथा जो तेरहवीं तारीख़ तक देरी करे यहाँ तक कि कंकरी मार ले, तो वह ऐसा भी कर सकता है और उसपर कोई आपत्ति की बात नहीं है, बल्कि उसने सबसे पूर्ण रूप अपनाया, और उसने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के कृत्य का पालन किया। यह सब कुछ उसके लिए है, जो अपने हज्ज में अल्लाह से डरे और उसे अल्लाह के आदेश के अनुसार अदा करे। तथा अल्लाह के आदेशों का पालन करके और उसकी मना की हुई बातों से बचकर उससे डरो और सुनिश्चित रहो कि तुम केवल उसी की ओर लौटाए जाओगे, फिर वह तुम्हें तुम्हारे कार्यों का बदला देगा।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَمِنَ النَّاسِ مَنْ یُّعْجِبُكَ قَوْلُهٗ فِی الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا وَیُشْهِدُ اللّٰهَ عَلٰی مَا فِیْ قَلْبِهٖ ۙ— وَهُوَ اَلَدُّ الْخِصَامِ ۟
लोगों में कोई व्यक्ति मुनाफ़िक़ भी है, जिसकी बात इस दुनिया के बारे में - ऐ नबी! - आपको अच्छी लगती है। चुनाँचे आप उसे सुभाषी देखते हैं, यहाँ तक कि आपको उसके सच्चे और शुभचिंतक होने का गुमान होता है। जबकि उसका उद्देश्य केवल अपने धन एवं प्राण की रक्षा करना है। तथा उसके दिल में जो ईमान और भलाई है, उसपर वह अल्लाह को गवाह बनाता है - हालाँकि वह झूठा है -, तथा वह मुसलमानों के प्रति बहुत शत्रुतापूर्ण और सख़्त झगड़ालू है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاِذَا تَوَلّٰی سَعٰی فِی الْاَرْضِ لِیُفْسِدَ فِیْهَا وَیُهْلِكَ الْحَرْثَ وَالنَّسْلَ ؕ— وَاللّٰهُ لَا یُحِبُّ الْفَسَادَ ۟
जब वह आपके पास से जुदा होता है, तो धरती में दौड़-धूप करता है ताकि गुनाहों से उपद्रव फैलाए, फसलों को नाश करे और पशुओं को मार डाले। जबकि अल्लाह धरती में उपद्रव को और उपद्रव करने वाले को पसंद नहीं करता।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاِذَا قِیْلَ لَهُ اتَّقِ اللّٰهَ اَخَذَتْهُ الْعِزَّةُ بِالْاِثْمِ فَحَسْبُهٗ جَهَنَّمُ ؕ— وَلَبِئْسَ الْمِهَادُ ۟
जब उस उपद्रव करने वाले से - सदुपदेश के तौर पर - कहा जाता है : अल्लाह की सीमाओं का सम्मान करके और उसके निषेधों से बचकर उससे डर, तो उसका गर्व और अहंकार उसे सच्चाई की ओर लौटने से रोक देता है और वह पाप में लीन रहता है। अतः उसका बदला जो उसके लिए पर्याप्त है, जहन्नम में प्रवेश है और निश्चय वह उसके वासियों के लिए बहुत बुरा ठिकाना और स्थान है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَمِنَ النَّاسِ مَنْ یَّشْرِیْ نَفْسَهُ ابْتِغَآءَ مَرْضَاتِ اللّٰهِ ؕ— وَاللّٰهُ رَءُوْفٌۢ بِالْعِبَادِ ۟
तथा लोगों में एक ईमान वाला भी है, जो अपना प्राण बेच देता है। इसलिए वह अपने पालनहार की आज्ञाकारिता में, उसके मार्ग में जिहाद करते हुए और उसकी खुशी की तलाश में उसे न्योछावर कर देता है। तथा अल्लाह अपने बंदों पर विशाल दया वाला और उनपर अनंत करुणामय है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوا ادْخُلُوْا فِی السِّلْمِ كَآفَّةً ۪— وَلَا تَتَّبِعُوْا خُطُوٰتِ الشَّیْطٰنِ ؕ— اِنَّهٗ لَكُمْ عَدُوٌّ مُّبِیْنٌ ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने और उसके रसूल का अनुसरण करने वालो! समग्र इस्लाम में प्रवेश कर जाओ और उसकी किसी भी वस्तु को न छोड़ो, जैसा कि अह्ले-किताब का रवैया रहा है कि किताब के कुछ भाग पर ईमान रखते हैं और कुछ भाग का इनकार करते हैं। और शैतान के मार्गों पर न चलो; क्योंकि वह तुम्हारा स्पष्ट शत्रु है, अपनी शत्रुता को प्रकट करने वाला है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
فَاِنْ زَلَلْتُمْ مِّنْ بَعْدِ مَا جَآءَتْكُمُ الْبَیِّنٰتُ فَاعْلَمُوْۤا اَنَّ اللّٰهَ عَزِیْزٌ حَكِیْمٌ ۟
यदि तुम अपने पास संदेह रहित स्पष्ट प्रमाण आ जाने के पश्चात भी किसी त्रुटि और झुकाव में पड़ जाओ; तो जान लो कि अल्लाह अपनी शक्ति एवं वशीकरण में पराक्रमी है, अपने प्रबंधन एवं विधान में पूर्ण हिकमत वाला है। इसलिए उससे डरो और उसका सम्मान करो।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
هَلْ یَنْظُرُوْنَ اِلَّاۤ اَنْ یَّاْتِیَهُمُ اللّٰهُ فِیْ ظُلَلٍ مِّنَ الْغَمَامِ وَالْمَلٰٓىِٕكَةُ وَقُضِیَ الْاَمْرُ ؕ— وَاِلَی اللّٰهِ تُرْجَعُ الْاُمُوْرُ ۟۠
शैतान के रास्तों पर चलने वाले, सत्य के मार्ग से विचलित ये लोग केवल इस बात की प्रतीक्षा कर रहे हैं कि उनके बीच निर्णय करने के लिए क़ियामत के दिन अल्लाह अपनी महिमा एवं प्रताप के योग्य, बादलों के सायों में उनके पास आ जाए, तथा फ़रिश्ते भी उन्हें चारों ओर से घेरे हुए उनके पास आ जाएँ, और उस समय उनके बारे में अल्लाह के हुक्म को पूरा कर दिया जाएगा और काम तमाम हो जाएगा। तथा लोगों के सारे मामले और विषय अकेले अल्लाह ही की ओर लौटाए जाते हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• التقوى حقيقة لا تكون بكثرة الأعمال فقط، وإنما بمتابعة هدي الشريعة والالتزام بها.
• वास्तविक 'तक़्वा' केवल बहुत सारे कार्यों से नहीं होता, बल्कि शरीयत के मार्गदर्शन का पालन करने और उसकी प्रतिबद्धता से होता है।

• الحكم على الناس لا يكون بمجرد أشكالهم وأقوالهم، بل بحقيقة أفعالهم الدالة على ما أخفته صدورهم.
• लोगों पर केवल उनके रूपों और उनकी बातों से कोई हुक्म नहीं लगाया जाता, बल्कि उनके उन कार्यों की वास्तविकता से लागू होता है, जो इंगित करता है कि उनके दिलों ने क्या छिपाया है।

• الإفساد في الأرض بكل صوره من صفات المتكبرين التي تلازمهم، والله تعالى لا يحب الفساد وأهله.
• धरती में उपद्रव करना अपने सभी रूपों में अभिमानियों का आवश्यक गुण है, और अल्लाह उपद्रव और उपद्रवकारियों को पसंद नहीं करता।

• لا يكون المرء مسلمًا حقيقة لله تعالى حتى يُسَلِّم لهذا الدين كله، ويقبله ظاهرًا وباطنًا.
• एक व्यक्ति अल्लाह तआला के लिए उस समय तक सच्चा मुसलमान नहीं बन सकता, जब तक कि वह इस समग्र धर्म के प्रति समर्पण नहीं करता और इसे बाहरी और आंतरिक रूप से स्वीकार नहीं करता।

سَلْ بَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ كَمْ اٰتَیْنٰهُمْ مِّنْ اٰیَةٍ بَیِّنَةٍ ؕ— وَمَنْ یُّبَدِّلْ نِعْمَةَ اللّٰهِ مِنْ بَعْدِ مَا جَآءَتْهُ فَاِنَّ اللّٰهَ شَدِیْدُ الْعِقَابِ ۟
(ऐ नबी!) बनी इसराईल से उनकी भर्त्सना करते हुए पूछिए : अल्लाह ने तुम्हारे सामने नबियों की सच्चाई को उजागर करने वाली कितनी स्पष्ट निशानियाँ रखीं?! तो तुमने उन्हें झुठला दिया और उनसे मुँह फेर लिया। तथा जो अल्लाह की नेमत को उसे पहचान लेने और उसके स्पष्ट हो जाने के पश्चात झुठला दे और इनकार कर दे; तो (ज्ञात होना चाहिए कि) निःसंदेह अल्लाह झुठलाने वाले काफ़िरों को कठिन यातना देने वाला है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
زُیِّنَ لِلَّذِیْنَ كَفَرُوا الْحَیٰوةُ الدُّنْیَا وَیَسْخَرُوْنَ مِنَ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا ۘ— وَالَّذِیْنَ اتَّقَوْا فَوْقَهُمْ یَوْمَ الْقِیٰمَةِ ؕ— وَاللّٰهُ یَرْزُقُ مَنْ یَّشَآءُ بِغَیْرِ حِسَابٍ ۟
अल्लाह का इनकार करने वालों के लिए सांसारिक जीवन और उसमें मौजूद क्षणिक सुखों और समाप्त हो जाने वाली खुशियों को सुंदर बना दिया गया है। तथा वे अल्लाह और अंतिम दिन पर ईमान रखने वालों का मज़ाक़ उड़ाते हैं। जबकि जो लोग अल्लाह के आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों को त्याग करके अल्लाह से डरते हैं, वे आख़िरत में इन काफ़िरों से ऊपर होंगे। क्योंकि अल्लाह उन्हें हमेशा रहने वाली जन्नतों में ठहराएगा और अल्लाह अपनी मख़्लूक़ में से जिसे चाहता है, बिना गिनती और गणना के प्रदान करता है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
كَانَ النَّاسُ اُمَّةً وَّاحِدَةً ۫— فَبَعَثَ اللّٰهُ النَّبِیّٖنَ مُبَشِّرِیْنَ وَمُنْذِرِیْنَ ۪— وَاَنْزَلَ مَعَهُمُ الْكِتٰبَ بِالْحَقِّ لِیَحْكُمَ بَیْنَ النَّاسِ فِیْمَا اخْتَلَفُوْا فِیْهِ ؕ— وَمَا اخْتَلَفَ فِیْهِ اِلَّا الَّذِیْنَ اُوْتُوْهُ مِنْ بَعْدِ مَا جَآءَتْهُمُ الْبَیِّنٰتُ بَغْیًا بَیْنَهُمْ ۚ— فَهَدَی اللّٰهُ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا لِمَا اخْتَلَفُوْا فِیْهِ مِنَ الْحَقِّ بِاِذْنِهٖ ؕ— وَاللّٰهُ یَهْدِیْ مَنْ یَّشَآءُ اِلٰی صِرَاطٍ مُّسْتَقِیْمٍ ۟
(शुरू में) लोग एक ही समुदाय थे, अपने पिता आदम के धर्म पर (रहते हुए) मार्गदर्शन पर सहमत थे, यहाँ तक कि शैतान ने उन्हें गुमराह कर दिया, तो वे मतभेद के शिकार होकर मोमिन और काफिर में बँट गए। इस कारण से, अल्लाह ने रसूलों को भेजा, जो ईमान वालों और आज्ञाकारियों को उस चीज़ की शुभ सूचना देने वाले थे जो अल्लाह ने अपनी दया में से उनके लिए तैयार कर रखी है, तथा कुफ़्र का मार्ग अपनाने वालों को अल्लाह की कठिन यातना से डराने वाले थे जिसकी उसने उन्हें धमकी दी है। तथा अल्लाह ने अपने रसूलों के साथ संदेह रहित सत्य पर आधारित किताबें उतारीं; ताकि वे लोगों के बीच उनके विवादित मामलों का निर्णय करें। और उस पुस्तक में जिसे अल्लाह ने अवतरित किया - और वह तौरात है - उन्हीं लोगों ने मतभेद किया जो यहूदियों में से उसका ज्ञान दिए गए थे, इसके बाद कि उनके पास अल्लाह के प्रमाण आ चुके थे कि वह अल्लाह की ओर से सच्ची (पुस्तक) है, जिसमें उनके लिए मतभेद करना संभव नहीं था, उन्होंने ऐसा अत्याचार करते हुए किया। इसलिए अल्लाह ने अपनी अनुमति और इच्छा से मोमिनों को गुमराही से मार्गदर्शन को पहचानने का सामर्थ्य प्रदान किया। तथा अल्लाह जिसे चाहता है सीधा मार्ग दिखाता है, जिसमें कोई टेढ़ापन नहीं है और वह ईमान का मार्ग है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اَمْ حَسِبْتُمْ اَنْ تَدْخُلُوا الْجَنَّةَ وَلَمَّا یَاْتِكُمْ مَّثَلُ الَّذِیْنَ خَلَوْا مِنْ قَبْلِكُمْ ؕ— مَسَّتْهُمُ الْبَاْسَآءُ وَالضَّرَّآءُ وَزُلْزِلُوْا حَتّٰی یَقُوْلَ الرَّسُوْلُ وَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا مَعَهٗ مَتٰی نَصْرُ اللّٰهِ ؕ— اَلَاۤ اِنَّ نَصْرَ اللّٰهِ قَرِیْبٌ ۟
या (ऐ मोमिनो!) तुमने समझ रखा है कि तुम जन्नत में प्रवेश कर जाओगे, जबकि तुम अभी तक अपने से पहले गुज़रे हुए लोगों के परीक्षा की तरह किसी परीक्षा से पीड़ित नहीं हुए। वे सख़्त ग़रीबी और गंभीर बीमारी से प्रभावित हुए और डर ने उन्हें हिलाकर रख दिया, यहाँ तक कि उनपर विपत्ति इस हद तक पहुँच गई कि वे अल्लाह की मदद के जल्दी आने की कामना करने लगे। चुनाँचे रसूल और उनके साथ ईमान लाने वाले कहने लगे : अल्लाह की मदद कब आएगी? सुन लो, अल्लाह की मदद उसपर ईमान रखने वालों और उसपर भरोसा करने वालों से क़रीब ही है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
یَسْـَٔلُوْنَكَ مَاذَا یُنْفِقُوْنَ ؕ— قُلْ مَاۤ اَنْفَقْتُمْ مِّنْ خَیْرٍ فَلِلْوَالِدَیْنِ وَالْاَقْرَبِیْنَ وَالْیَتٰمٰی وَالْمَسٰكِیْنِ وَابْنِ السَّبِیْلِ ؕ— وَمَا تَفْعَلُوْا مِنْ خَیْرٍ فَاِنَّ اللّٰهَ بِهٖ عَلِیْمٌ ۟
(ऐ नबी!) आपके साथी आपसे पूछते हैं : वे अपने विभिन्न प्रकार के धनों में से क्या ख़र्च करें और कहाँ ख़र्च करें? तो आप उन्हें जवाब देते हुए कह दीजिए : तुम ख़ैर - अर्थात् हलाल एवं पवित्र धन - में से जो भी ख़र्च करो, तो उसे माता-पिता पर, आवश्यकता के अनुसार अपने निकटतम रिश्तेदारों पर, ज़रूरतमंद यतीमों पर, उन बेसहारा लोगों पर जिनके पास कोई धन नहीं, तथा उस यात्री पर ख़र्च करना चाहिए जो यात्रा के कारण अपने परिवार और स्वदेश से कट गया है। (ऐ मोमिनो!) तुम जो भी भलाई करोगे, चाहे वह कम हो या अधिक, निःसंदेह अल्लाह उसे जानने वाला है, उससे कुछ भी छिपा नहीं है, और वह तुम्हें उसका बदला देगा।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• ترك شكر الله تعالى على نعمه وترك استعمالها في طاعته يعرضها للزوال ويحيلها بلاءً على صاحبها.
• अल्लाह की नेमतों का शुक्रिया अदा न करना और उनका अल्लाह की आज्ञाकारिता में उपयोग न करना, उन्हें विनाश से ग्रस्त कर देता है और उन्हें आदमी के लिए एक आपदा में बदल देता है।

• الأصل أن الله خلق عباده على فطرة التوحيد والإيمان به، وإبليس وأعوانه هم الذين صرفوهم عن هذه الفطرة إلى الشرك به.
• मौलिक तौर पर अल्लाह ने अपने बंदों को तौह़ीद (एकेश्वरवाद) और अल्लाह पर ईमान लाने की प्रकृति पर पैदा किया है। ये तो इबलीस और उसके सहयोगी हैं जिन्होंने उन्हें इस प्रकृति से हटाकर शिर्क की ओर फेर दिया।

• أعظم الخذلان الذي يؤدي للفشل أن تختلف الأمة في كتابها وشريعتها، فيكفّر بعضُها بعضًا، ويلعن بعضُها بعضًا.
• सबसे बड़ी निःसहायता जो विफलता की ओर ले जाती है, यह है कि उम्मत अपनी किताब और शरीयत के बारे में मतभेद का शिकार हो जाए। चुनाँचे वे एक-दूसरे को काफ़िर ठहराएँ और एक-दूसरे पर लानत करें।

• الهداية للحق الذي يختلف فيه الناس، ومعرفة وجه الصواب بيد الله، ويُطلب منه تعالى بالإيمان به والانقياد له.
• उस सत्य का मार्गदर्शन जिसके बारे में लोग मतभेद के शिकार हैं, तथा सही पहलू का ज्ञान अल्लाह के हाथ में है, और उसे उसी सर्वशक्तिमान से, उसपर ईमान रखकर और उसका आज्ञापालन करके, माँगना चाहिए।

• الابتلاء سُنَّة الله تعالى في أوليائه، فيبتليهم بقدر ما في قلوبهم من الإيمان به والتوكل عليه.
• परीक्षण अल्लाह तआला की उसके सदाचारी बंदों के बारे में नीति रही है। इसलिए वह उनके दिलों में उसपर पाए जाने वाले ईमान और तवक्कुल (भरोसा) के अनुसार उनका परीक्षण करता है।

• من أعظم ما يعين على الصبر عند نزول البلاء، الاقتداء بالصالحين وأخذ الأسوة منهم.
• विपदा आने के समय सब्र करने पर सहायक चीज़ों में से एक महान चीज़ अल्लाह के नेक बंदों का अनुसरण करना और उनसे आदर्श ग्रहण करना है।

كُتِبَ عَلَیْكُمُ الْقِتَالُ وَهُوَ كُرْهٌ لَّكُمْ ۚ— وَعَسٰۤی اَنْ تَكْرَهُوْا شَیْـًٔا وَّهُوَ خَیْرٌ لَّكُمْ ۚ— وَعَسٰۤی اَنْ تُحِبُّوْا شَیْـًٔا وَّهُوَ شَرٌّ لَّكُمْ ؕ— وَاللّٰهُ یَعْلَمُ وَاَنْتُمْ لَا تَعْلَمُوْنَ ۟۠
(ऐ मोमिनो!) तुमपर अल्लाह के रास्ते में लड़ाई करना अनिवार्य कर दिया गया है, हालाँकि स्वाभाविक रूप से दिल उसे नापसंद करता है; क्योंकि इसमें जान एवं माल दोनों ख़र्च करना पड़ता है। और शायद तुम किसी चीज़ को नापसंद करो और वह वास्तव में तुम्हारे हक़ में बेहतर और लाभदायक हो; जैसे कि अल्लाह के मार्ग में लड़ाई करना। क्योंकि इसके प्रतिफल की महानता के साथ, इसमें शत्रुओं पर विजय और अल्लाह के धर्म की सर्वोपरि है। तथा शायद तुम किसी चीज़ को पसंद करो और वह चीज़ तुम्हारे लिए बुरी और विपत्ति (संकट) का करण हो; जैसे कि जिहाद से पीछे रहना। क्योंकि इसमें निःसहायता और दुश्मनों का प्रभुत्व है। और अल्लाह अच्छी और बुरी बातों को भली-भाँति जानता है, और तुम उसे नहीं जानते, सो तुम उसकी आज्ञा का पालन करो; क्योंकि इसी में तुम्हारे लिए भलाई है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
یَسْـَٔلُوْنَكَ عَنِ الشَّهْرِ الْحَرَامِ قِتَالٍ فِیْهِ ؕ— قُلْ قِتَالٌ فِیْهِ كَبِیْرٌ ؕ— وَصَدٌّ عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ وَكُفْرٌ بِهٖ وَالْمَسْجِدِ الْحَرَامِ ۗ— وَاِخْرَاجُ اَهْلِهٖ مِنْهُ اَكْبَرُ عِنْدَ اللّٰهِ ۚ— وَالْفِتْنَةُ اَكْبَرُ مِنَ الْقَتْلِ ؕ— وَلَا یَزَالُوْنَ یُقَاتِلُوْنَكُمْ حَتّٰی یَرُدُّوْكُمْ عَنْ دِیْنِكُمْ اِنِ اسْتَطَاعُوْا ؕ— وَمَنْ یَّرْتَدِدْ مِنْكُمْ عَنْ دِیْنِهٖ فَیَمُتْ وَهُوَ كَافِرٌ فَاُولٰٓىِٕكَ حَبِطَتْ اَعْمَالُهُمْ فِی الدُّنْیَا وَالْاٰخِرَةِ ۚ— وَاُولٰٓىِٕكَ اَصْحٰبُ النَّارِ ۚ— هُمْ فِیْهَا خٰلِدُوْنَ ۟
(ऐ नबी!) लोग आपसे सम्मानित महीनों : ज़ुल-क़ादा, ज़ुल-ह़िज्जा, मुहर्रम और रजब में युद्ध करने के बारे में पूछते हैं। आप उन्हें जवाब देते हुए कह दीजिए : इन महीनों में युद्ध करना अल्लाह के यहाँ बहुत गंभीर और नापसंदीदा (निंदनीय) है, जिस तरह कि मुश्रिकों का अल्लाह की राह से रोकना भी नापसंदीदा (निंदनीय) है। जबकि मोमिनों को मस्जिदे-हराम से रोकना और मस्जिदे-हराम के वासियों को वहाँ से निकालना अल्लाह के निकट सम्मानित महीनों में युद्ध करने की तुलना में अधिक गंभीर (पाप) है। तथा वह शिर्क जिसमें वे लिप्त हैं, क़त्ल से भी अधिक गंभीर है। तथा ये अनेकेश्वरवादी (मुश्रिक लोग) अपने अत्याचार के उपरांत - ऐ ईमान वालो! - तुमसे लड़ते रहेंगे यहाँ तक कि तुम्हें तुम्हारे सच्चे धर्म से हटाकर अपने असत्य धर्म की ओर फेर दें, यदि वे ऐसा करने में सक्षम हों। परंतु तुममें से जो व्यक्ति अपने धर्म से फिर जाए और अल्लाह के इनकार ही की हालत में मर जाए; तो निश्चय उसका अच्छा कार्य बेकार हो गया और आख़िरत में उसका परिणाम आग में दाख़िल होना और हमेशा के लिए उसी में रहना है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اِنَّ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَالَّذِیْنَ هَاجَرُوْا وَجٰهَدُوْا فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ ۙ— اُولٰٓىِٕكَ یَرْجُوْنَ رَحْمَتَ اللّٰهِ ؕ— وَاللّٰهُ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟
निःसंदेह जो लोग अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाए, और जिन्होंने अपने घर-बार छोड़कर अल्लाह और उसके रसूल की ओर हिजरत की तथा अल्लाह के धर्म को सर्वोच्च करने के लिए जिहाद किया; वही लोग अल्लाह की रहमत और उसकी क्षमा की उम्मीद रखते हैं और अल्लाह अपने बंदों के गुनाहों को बहुत क्षमा करने वाला, उनपर बेहद दया करने वाला है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
یَسْـَٔلُوْنَكَ عَنِ الْخَمْرِ وَالْمَیْسِرِ ؕ— قُلْ فِیْهِمَاۤ اِثْمٌ كَبِیْرٌ وَّمَنَافِعُ لِلنَّاسِ ؗ— وَاِثْمُهُمَاۤ اَكْبَرُ مِنْ نَّفْعِهِمَا ؕ— وَیَسْـَٔلُوْنَكَ مَاذَا یُنْفِقُوْنَ ؕ۬— قُلِ الْعَفْوَؕ— كَذٰلِكَ یُبَیِّنُ اللّٰهُ لَكُمُ الْاٰیٰتِ لَعَلَّكُمْ تَتَفَكَّرُوْنَ ۟ۙ
(ऐ नबी!) आपके साथी आपसे शराब (अर्थात् हर वह चीज़ जो अक़्ल को ढाँप ले और उससे बुद्धि चली जाए) के बारे में पूछते हैं; वे आपसे उसके पीने, बेचने और खरीदने के हुक्म के बारे में पूछते हैं। तथा वे आपसे जुए के हुक्म के बारे में पूछते हैं (जुआ से अभिप्राय वह धन है जो उन प्रतियोगिताओं के माध्यम से प्राप्त किया जाता है जिनमें प्रतियोगिता में शामिल दोनों पक्षों की ओर से मुआवज़ा रखा जाता है) तो आप उन्हें जवाब देते हुए कह दीजिए : इन दोनों में बहुत-से सांसारिक एवं धार्मिक नुक़सान और बुराइयाँ हैं; जैसे- बुद्धि और धन की हानि, दुश्मनी और द्वेष में पड़ना। जबकि उन दोनों में थोड़े लाभ भी हैं, जैसे- कुछ धन की प्राप्ति। परंतु इनका नुक़सान और इनके द्वारा होने वाला पाप इनके लाभ से अधिक है। और जिस चीज़ का नुक़सान उसके लाभ से अधिक हो; बुद्धिमान व्यक्ति उससे बचता है। अल्लाह की ओर से यह वर्णन शराब के निषेध की प्रस्तावना है। तथा (ऐ नबी!) आपके सह़ाबा आपसे पूछते हैं कि वे अपने धन की कितनी मात्रा स्वेच्छा से और दान के रूप में खर्च करें? आप उन्हें जवाब देते हुए कह दीजिए : अपने धन में से उसे ख़र्च करो, जो तुम्हारी ज़रूरत से अधिक हो। (यह शुरू इस्लाम में था, फिर उसके बाद अल्लाह ने विशिष्ट धनों और निर्धारित निसाबों में अनिवार्य ज़कात का क़ानून बना दिया।) इसी तरह के स्पष्ट बयान के साथ, अल्लाह तुम्हारे लिए शरीयत के आदेशों को बयान करता है, ताकि तुम सोच-विचार करो।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• الجهل بعواقب الأمور قد يجعل المرء يكره ما ينفعه ويحب ما يضره، وعلى المرء أن يسأل الله الهداية للرشاد.
• चीज़ों के परिणामों की अज्ञानता के कारण ऐसा हो सकता है कि एक व्यक्ति उस चीज़ को नापसंद करे, जिससे उसे फायदा होता है और जो चीज़ उसे नुक़सान पहुँचाती है उससे प्यार करे। इसलिए आदमी को अल्लाह से सीधे मार्ग के लिए मार्गदर्शन का सवाल करना चाहिए।

• جاء الإسلام بتعظيم الحرمات والنهي عن الاعتداء عليها، ومن أعظمها صد الناس عن سبيل الله تعالى.
• इस्लाम हुरमत (सम्मान और श्रद्धा) वाली चीज़ों का सम्मान करता है और उनका उल्लंघन करने से मना करता है। और उनमें से सबसे बड़ा लोगों को अल्लाह के मार्ग से रोकना है।

• لا يزال الكفار أبدًا حربًا على الإسلام وأهله حتَّى يخرجوهم من دينهم إن استطاعوا، والله موهن كيد الكافرين.
• काफ़िर हमेशा इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ युद्ध जारी रखेंगे, यहाँ तक कि उन्हें उनके धर्म से निकाल दें यदि वे सक्षम हों। जबकि अल्लाह काफ़िरों की चाल को कमज़ोर करने वाला है।

• الإيمان بالله تعالى، والهجرة إليه، والجهاد في سبيله؛ أعظم الوسائل التي ينال بها المرء رحمة الله ومغفرته.
• अल्लाह पर ईमान, उसकी तरफ़ हिजरत और उसके रास्ते में जिहाद, अल्लाह की दया और क्षमा प्राप्त करने के सबसे बड़े साधन हैं।

• حرّمت الشريعة كل ما فيه ضرر غالب وإن كان فيه بعض المنافع؛ مراعاة لمصلحة العباد.
• शरीयत ने बंदों के हितों को ध्यान में रखते हुए, हर उस चीज़ को हराम ठहराया है, जिसमें नुक़सान का पहलू अधिक है, भले ही उसमें कुछ लाभ हो।

فِی الدُّنْیَا وَالْاٰخِرَةِ ؕ— وَیَسْـَٔلُوْنَكَ عَنِ الْیَتٰمٰی ؕ— قُلْ اِصْلَاحٌ لَّهُمْ خَیْرٌ ؕ— وَاِنْ تُخَالِطُوْهُمْ فَاِخْوَانُكُمْ ؕ— وَاللّٰهُ یَعْلَمُ الْمُفْسِدَ مِنَ الْمُصْلِحِ ؕ— وَلَوْ شَآءَ اللّٰهُ لَاَعْنَتَكُمْ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ عَزِیْزٌ حَكِیْمٌ ۟
यह (उक्त विधान) इसलिए निर्धारित किया गया है ताकि तुम सोच-विचार करो कि दुनिया एवं आख़िरत में कौन-सी चीज़ तुम्हारे लिए लाभदायक है। तथा (ऐ नबी!) आपके साथी आपसे अनाथों के अभिभावक बनने के बारे में पूछते हैं कि : वे उनके साथ कैसा व्यवहार करें? क्या वे अनाथों के धन को ख़र्च, खाने-पीने और रहने-सहने में अपने धन के साथ मिला लें? आप उन्हें जवाब देते हुए कह दीजिए : यदि तुम बिना मुआवज़े के या उनके धन को अपने धन में मिलाए बिना उनके धन के सुधार के लिए काम करो, तो तुम्हारे लिए अल्लाह के निकट सबसे अच्छा और अधिक अज्र व सवाब वाला है, तथा यह उनके लिए उनके धन में उत्तम है; क्योंकि इसमें उनके धन का संरक्षण है। और यदि तुम उनके धन को अपने धन के साथ मिलाकर खाने-पीने और आवास आदि में उनके साथ साझा कर लो; तो इसमें कोई आपत्ति की बात नहीं है। क्योंकि वे तुम्हारे धार्मिक भाई हैं और भाई एक-दूसरे की मदद करते हैं और एक-दूसरे के मामलों की देख-भाल करते हैं। और अल्लाह खूब जानता है कि कौन अभिभावक अनाथों के धन को अपने साथ मिलाकर उसमें सुधार चाहता है और कौन बिगाड़ चाहता है। यदि अल्लाह यतीमों के बारे में तुम्हें परेशानी में डालना चाहता, तो वह तुम्हें अवश्य परेशानी में डाल देता। लेकिन अल्लाह ने तुम्हारे लिए उनके साथ व्यवहार का रास्ता आसान कर दिया; क्योंकि उसकी शरीयत आसानी पर आधारित है। निःसंदेह अल्लाह सब पर प्रभुत्वशाली है, उसे कोई चीज़ परास्त नहीं कर सकती। वह अपनी रचना, प्रबंधन और विधान में हिकमत वाला है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَلَا تَنْكِحُوا الْمُشْرِكٰتِ حَتّٰی یُؤْمِنَّ ؕ— وَلَاَمَةٌ مُّؤْمِنَةٌ خَیْرٌ مِّنْ مُّشْرِكَةٍ وَّلَوْ اَعْجَبَتْكُمْ ۚ— وَلَا تُنْكِحُوا الْمُشْرِكِیْنَ حَتّٰی یُؤْمِنُوْا ؕ— وَلَعَبْدٌ مُّؤْمِنٌ خَیْرٌ مِّنْ مُّشْرِكٍ وَّلَوْ اَعْجَبَكُمْ ؕ— اُولٰٓىِٕكَ یَدْعُوْنَ اِلَی النَّارِ ۖۚ— وَاللّٰهُ یَدْعُوْۤا اِلَی الْجَنَّةِ وَالْمَغْفِرَةِ بِاِذْنِهٖ ۚ— وَیُبَیِّنُ اٰیٰتِهٖ لِلنَّاسِ لَعَلَّهُمْ یَتَذَكَّرُوْنَ ۟۠
(ऐ मोमिनो!) अल्लाह के साथ शिर्क करने वाली स्त्रियों से शादी न करो, यहाँ तक कि वे एक अल्लाह पर ईमान ले आएँ और इस्लाम में प्रवेश कर जाएँ। निश्चय अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान रखने वाली दासी, एक मूर्ति की पूजा करने वाली आज़ाद स्त्री से उत्तम है, भले ही वह अपनी सुंदरता और धन के कारण आपको पसंद हो। इसी तरह मुसलमान स्त्रियों का निकाह मुश्रिक मर्दों से न करो, निश्चय अल्लाह और उसके रसूल पर विश्वास रखने वाला एक मोमिन ग़ुलाम, एक आज़ाद मुश्रिक से उत्तम है, भले ही वह तुम्हें अच्छा लगे। ये शिर्क में लिप्त लोग - पुरुष और महिलाएँ - अपने शब्दों और कार्यों के साथ उसकी ओर बुलाते हैं, जो जहन्नम में प्रवेश करने की ओर ले जाता है। जबकि अल्लाह अच्छे कार्यों की ओर बुलाता है, जो उसकी अनुमति और अनुग्रह से जन्नत में प्रवेश करने और पापों की क्षमा का कारण बनते हैं। तथा वह अपनी आयतों को लोगों के लिए स्पष्ट करता है, ताकि वे उसपर विचार कर सकें जो उनसे इंगित होता है, फिर उसके अनुसार कार्य करें।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَیَسْـَٔلُوْنَكَ عَنِ الْمَحِیْضِ ؕ— قُلْ هُوَ اَذًی ۙ— فَاعْتَزِلُوا النِّسَآءَ فِی الْمَحِیْضِ ۙ— وَلَا تَقْرَبُوْهُنَّ حَتّٰی یَطْهُرْنَ ۚ— فَاِذَا تَطَهَّرْنَ فَاْتُوْهُنَّ مِنْ حَیْثُ اَمَرَكُمُ اللّٰهُ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ یُحِبُّ التَّوَّابِیْنَ وَیُحِبُّ الْمُتَطَهِّرِیْنَ ۟
(ऐ नबी!) आपके साथी आपसे मासिक धर्म (यह एक प्राकृतिक रक्त है जो विशिष्ट समय पर महिला के गर्भाशय से निकलता है) के बारे में पूछते हैं। आप उन्हें जवाब देते हुए कह दीजिए : मासिक धर्म पुरुष और महिला दोनों के लिए कष्टदायक (हानिकारक) है, इसलिए उसके समय पर महिलाओं के साथ संभोग करने से बचो, तथा संभोग के उद्देश्य से उनके पास न जाओ, यहाँ तक कि उनका रक्त बंद हो जाए और वे स्नान करके उससे अच्छी तरह पाक-साफ़ हो जाएँ। जब रक्त बंद हो जाए और वे उससे पवित्र हो जाएँ, तो उनसे उस तरीक़े से संभोग करो, जो अल्लाह ने तुम्हारे लिए अनुमेय किया है : इस हाल में कि वे पाक हों और उनकी योनि में संभोग किया जाए। अल्लाह उन लोगों से प्रेम करता है, जो गुनाहों से बहुत ज़्यादा तौबा करने वाले और गंदगियों से पवित्रता हासिल करने में अतिशयोक्ति से काम लेने वाले हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
نِسَآؤُكُمْ حَرْثٌ لَّكُمْ ۪— فَاْتُوْا حَرْثَكُمْ اَنّٰی شِئْتُمْ ؗ— وَقَدِّمُوْا لِاَنْفُسِكُمْ ؕ— وَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاعْلَمُوْۤا اَنَّكُمْ مُّلٰقُوْهُ ؕ— وَبَشِّرِ الْمُؤْمِنِیْنَ ۟
तुम्हारी पत्नियाँ तुम्हारे लिए रोपण स्थान हैं, वे तुम्हारे लिए बच्चे जनती हैं; वैसे ही जैसे भूमि फल देती है। इसलिए रोपने के स्थान पर - जो कि योनि है - जिस दिशा से भी चाहो और जिस तरह भी चाहो आओ, बशर्ते कि वह योनि में हो। तथा अपने लिए अच्छे कार्य आगे भेजो, जिसमें यह भी शामिल है कि आदमी अपनी पत्नी के साथ अल्लाह की निकटता प्राप्त करने और नेक संतान की उम्मीद में संभोग करे। तथा अल्लाह के आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर, उससे डरो। जिसमें वह भी शामिल है जो उसने महिलाओं के बारे में तुम्हारे लिए निर्धारित किया है। और जान लो कि तुम क़ियामत के दिन उससे मिलने वाले हो, उसके सामने खड़े होने वाले हो और वह तुम्हें तुम्हारे कार्यों का बदला देने वाला है। और - ऐ नबी! - मोमिनों को शुभ समाचार सुना दीजिए कि उन्हें अपने पालनहार से मुलाक़ात के समय हमेशा बाक़ी रहने वाली नेमतें मिलेंगी और अल्लाह के सम्मानित चेहरे को देखने का सौभाग्य प्राप्त होगा।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَلَا تَجْعَلُوا اللّٰهَ عُرْضَةً لِّاَیْمَانِكُمْ اَنْ تَبَرُّوْا وَتَتَّقُوْا وَتُصْلِحُوْا بَیْنَ النَّاسِ ؕ— وَاللّٰهُ سَمِیْعٌ عَلِیْمٌ ۟
अल्लाह की क़सम को नेकी करने, परहेज़गारी तथा लोगों के बीच मेल-मिलाप कराने के विरुद्ध तर्क मत बनाओ। बल्कि अगर तुम भलाई न करने की क़सम खा लो; तो भलाई का कार्य करो और अपनी क़समों का कफ़्फ़ारा अदा कर दो। तथा अल्लाह तुम्हारी बातों को सुनने वाला, तुम्हारे कार्यों को जानने वाला है, और वह तुम्हें उनका बदला देगा।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• تحريم النكاح بين المسلمين والمشركين، وذلك لبُعد ما بين الشرك والإيمان.
• शिर्क और ईमान के बीच की दूरी के कारण, मुसलमानों और मुश्रिकों के बीच विवाह का निषेध।

• دلت الآية على اشتراط الولي عند عقد النكاح؛ لأن الله تعالى خاطب الأولياء لمّا نهى عن تزويج المشركين.
• यह आयत निकाह के अनुबंध के समय अभिभावक की शर्त लगाने को इंगित करती है; क्योंकि अल्लाह तआला ने (अपनी औरतों का) मुश्रिकों से निकाह करने की मनाही करते समय अभिभावकों को संबोधित किया है।

• حث الشريعة على الطهارة الحسية من النجاسات والأقذار، والطهارة المعنوية من الشرك والمعاصي.
• शरीयत का अशुद्धियों और गंदगियों से शारीरिक पवित्रता और बहुदेववाद और पापों से नैतिक शुद्धता का आग्रह करना।

• ترغيب المؤمن في أن يكون نظره في أعماله - حتى ما يتعلق بالملذات - إلى الدار الآخرة، فيقدم لنفسه ما ينفعه فيها.
• मोमिन को इस बात के लिए प्रोत्साहित करना कि उसके सभी कार्यों में - यहाँ तक कि सुख-स्वाद से संबंधित चीज़ों में भी - उसकी दृष्टि आख़िरत के जीवन पर होनी चाहिए। चुनाँचे वह अपने लिए उस चीज़ को आगे बढ़ाए, जो आख़िरत में उसके लिए लाभकारी हो।

لَا یُؤَاخِذُكُمُ اللّٰهُ بِاللَّغْوِ فِیْۤ اَیْمَانِكُمْ وَلٰكِنْ یُّؤَاخِذُكُمْ بِمَا كَسَبَتْ قُلُوْبُكُمْ ؕ— وَاللّٰهُ غَفُوْرٌ حَلِیْمٌ ۟
अल्लाह तुम्हें उन क़समों के कारण नहीं पकड़ता, जो बिना इरादे के तुम्हारी ज़बानों पर आ जाती हैं, जैसे तुममें से किसी व्यक्ति का : 'ला वल्लाह' (नहीं, अल्लाह की क़सम!) और 'बला वल्लाह' (हाँ, अल्लाह की क़सम!) कहना। इन क़समों में तुमपर न कोई कफ़्फ़ारा (प्रायश्चित) है और न कोई दंड। परंतु उन क़समों में से जिसका तुमने इरादा किया है, उसपर वह तुम्हारी पकड़ करेगा। तथा अल्लाह अपने बंदों के गुनाहों को बहुत क्षमा करने वाला, अत्यंत सहनशील है, उन्हें सज़ा देने में जल्दी नहीं करता।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
لِلَّذِیْنَ یُؤْلُوْنَ مِنْ نِّسَآىِٕهِمْ تَرَبُّصُ اَرْبَعَةِ اَشْهُرٍ ۚ— فَاِنْ فَآءُوْ فَاِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟
जो लोग अपनी पत्नियों से संभोग न करने की क़सम खा लेते हैं, उन्हें क़सम खाने के समय से लेकर अधिकतम चार महीने तक प्रतीक्षा करना है। जिसे 'ईला' के नाम से जाना जाता है। यदि वे संभोग न करने की क़सम खाने के बाद चार महीने या उससे कम की अवधि के भीतर अपनी पत्नियों के साथ संभोग करने की ओर वापस लौट आएँ; तो अल्लाह बहुत क्षमा करने वाला है, जो कुछ उनसे हुआ है (अल्लाह) उसे उनके लिए क्षमा कर देगा, तथा उनपर बहुत दया करने वाला है क्योंकि उसने उनके लिए इस क़सम से बाहर निकलने के लिए कफ़्फ़ारा निर्धारित किया है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاِنْ عَزَمُوا الطَّلَاقَ فَاِنَّ اللّٰهَ سَمِیْعٌ عَلِیْمٌ ۟
तथा यदि वे अपनी स्त्रियों के साथ संभोग को छोड़ना जारी रखते हुए और उसकी ओर वापस न लौटकर तलाक़ का इरादा कर लें, तो अल्लाह उनकी बातों को सुनने वाला है, जिनमें से तलाक़ भी शामिल है, उनकी स्थितियों और उनके इरादों को जानता है और उन्हें उनका बदला देगा।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَالْمُطَلَّقٰتُ یَتَرَبَّصْنَ بِاَنْفُسِهِنَّ ثَلٰثَةَ قُرُوْٓءٍ ؕ— وَلَا یَحِلُّ لَهُنَّ اَنْ یَّكْتُمْنَ مَا خَلَقَ اللّٰهُ فِیْۤ اَرْحَامِهِنَّ اِنْ كُنَّ یُؤْمِنَّ بِاللّٰهِ وَالْیَوْمِ الْاٰخِرِ ؕ— وَبُعُوْلَتُهُنَّ اَحَقُّ بِرَدِّهِنَّ فِیْ ذٰلِكَ اِنْ اَرَادُوْۤا اِصْلَاحًا ؕ— وَلَهُنَّ مِثْلُ الَّذِیْ عَلَیْهِنَّ بِالْمَعْرُوْفِ ۪— وَلِلرِّجَالِ عَلَیْهِنَّ دَرَجَةٌ ؕ— وَاللّٰهُ عَزِیْزٌ حَكِیْمٌ ۟۠
तलाक़शुदा औरतें तीन मासिक धर्म तक प्रतीक्षा करेंगी, जिसके दौरान वे शादी नहीं करेंगी। तथा उनके लिए यह जायज़ नहीं है कि वे उस गर्भ को छिपाएँ, जो अल्लाह ने उनके गर्भाशयों में पैदा किया है, यदि वे अल्लाह तथा अंतिम दिन पर अपने ईमान में सच्ची हैं। तथा उन्हें तलाक़ देने वाले उनके पतियों को प्रतीक्षा अवधि के दौरान उन्हें लौटाने का अधिक अधिकार है, यदि उनके लौटाने का उद्देश्य प्यार-मोहब्बत (से रहना) और तलाक़ के कारण पैदा होने वाले मनमुटाव को दूर करना हो। तथा पत्नियों के लिए भी परंपरा के अनुसार उसी प्रकार अधिकार और कर्तव्य हैं, जिस तरह उनके पतियों के लिए उनके ऊपर हैं। जबकि पुरुषों को स्त्रियों पर एक दर्जा (वरीयता) प्राप्त है, जैसे संरक्षकता और तलाक़ का अधिकार। और अल्लाह सब पर प्रभुत्वशाली है, उसे कोई चीज़ परास्त नहीं कर सकती। वह अपनी शरीयत (विधान) और प्रबंधन में हिकमत वाला है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اَلطَّلَاقُ مَرَّتٰنِ ۪— فَاِمْسَاكٌ بِمَعْرُوْفٍ اَوْ تَسْرِیْحٌ بِاِحْسَانٍ ؕ— وَلَا یَحِلُّ لَكُمْ اَنْ تَاْخُذُوْا مِمَّاۤ اٰتَیْتُمُوْهُنَّ شَیْـًٔا اِلَّاۤ اَنْ یَّخَافَاۤ اَلَّا یُقِیْمَا حُدُوْدَ اللّٰهِ ؕ— فَاِنْ خِفْتُمْ اَلَّا یُقِیْمَا حُدُوْدَ اللّٰهِ ۙ— فَلَا جُنَاحَ عَلَیْهِمَا فِیْمَا افْتَدَتْ بِهٖ ؕ— تِلْكَ حُدُوْدُ اللّٰهِ فَلَا تَعْتَدُوْهَا ۚ— وَمَنْ یَّتَعَدَّ حُدُوْدَ اللّٰهِ فَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الظّٰلِمُوْنَ ۟
ऐसा तलाक़ जिसमें पति अपनी पत्नी को लौटाने का अधिकार रखता है, दो बार है। इस प्रकार कि वह तलाक़ दे, फिर लौटा ले, फिर (दूसरी बार) तलाक़ दे, फिर लौटा ले। फिर दो तलाक़ों के बाद या तो उसे अच्छे सहवास के साथ अपने पत्नीत्व में रखे, या उसके साथ भलाई करते हुए और उसके अधिकारों को पूरा करते हुए उसे तीसरा तलाक़ दे दे। तथा - ऐ पतियो! - तुम्हारे लिए अपनी पत्नियों को दी हुई महर में से कुछ भी लेना हलाल नहीं है। हाँ, यदि पत्नी अपने पति को उसके चरित्र अथवा रंग-रूप के कारण नापसंद करती हो और दंपति इस नफरत के कारण सोचते हैं कि वे अपने अधिकारों को पूरा नहीं कर सकेंगे, तो वे अपना मामला उस व्यक्ति के सामने पेश करें जिसके साथ उनकी रिश्तेदारी या संबंध हो। अब अगर अभिभावकों को डर है कि वे दोनों आपस में अपने वैवाहिक अधिकारों को पूरा नहीं कर सकेंगे, तो दोनों पर कोई पाप नहीं है कि पत्नी अपने पति को उसे अलग करने के बदले में कुछ धन भुगतान करके ख़ुला' ले ले। ये शरई अहकाम, हलाल एवं हराम (अनुमेय और निषिद्ध) के बीच विभाजक हैं, इसलिए उनसे आगे न बढ़ो, और जो कोई भी हलाल एवं हराम के बीच अल्लाह की सीमाओं को पार करता है; तो वही लोग अपने आपको विनाश के साधनों पर लाकर और उन्हें अल्लाह के क्रोध और दंड का भागी बनाकर स्वयं पर अत्याचार करने वाले हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
فَاِنْ طَلَّقَهَا فَلَا تَحِلُّ لَهٗ مِنْ بَعْدُ حَتّٰی تَنْكِحَ زَوْجًا غَیْرَهٗ ؕ— فَاِنْ طَلَّقَهَا فَلَا جُنَاحَ عَلَیْهِمَاۤ اَنْ یَّتَرَاجَعَاۤ اِنْ ظَنَّاۤ اَنْ یُّقِیْمَا حُدُوْدَ اللّٰهِ ؕ— وَتِلْكَ حُدُوْدُ اللّٰهِ یُبَیِّنُهَا لِقَوْمٍ یَّعْلَمُوْنَ ۟
यदि उसका पति उसे तीसरा तलाक़ दे दे, तो पति के लिए उससे पुनर्विवाह करने की अनुमति नहीं है, यहाँ तक कि वह स्त्री किसी अन्य पुरुष से विवाह करे, जो (जीवन बसर करने की) इच्छा से, एक वैध विवाह हो, (प्रथम पति के लिए) हलाल करने के उद्देश्य से न हो, और वह इस विवाह में उसके साथ संभोग करे। फिर यदि दूसरा पति उसे तलाक़ दे दे या मर जाए; तो उस स्त्री और उसके प्रथम पति पर कोई पाप नहीं है कि वे एक नए अनुबंध और नयी महर के साथ आपस में रुजू' (दोबारा मिलाप) कर लें, अगर उन्हें प्रबल गुमान है कि वे अपने प्रति अनिवार्य शरई नियमों का पालन करेंगे। इन शरई नियमों को अल्लाह उन लोगों के लिए खोलकर बयान करता है, जो उसके नियमों और सीमाओं को जानते हैं; क्योंकि वही लोग इनसे लाभ उठाते हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• بيَّن الله تعالى أحكام النكاح والطلاق بيانًا شاملًا حتى يعرف الناس حدود الحلال والحرام فلا يتجاوزونها.
• अल्लाह तआला ने निकाह़ और तलाक़ के प्रावधानों को विस्तृत रूप से बयान किया है, ताकि लोगों को हलाल एवं हराम की सीमाओं का पता चले और वे उनसे आगे न बढ़ें।

• عظَّم الله شأن النكاح وحرم التلاعب فيه بالألفاظ فجعلها ملزمة، وألغى التلاعب بكثرة الطلاق والرجعة فجعل لها حدًّا بطلقتين رجعيتين ثم تحرم عليه إلا أن تنكح زوجا غيره ثم يطلقها، أو يموت عنها.
• अल्लाह ने निकाह के मामले को महिमामंडित किया और उसमें शब्दों के साथ खिलवाड़ को हराम ठहराते हुए उन शब्दों को बाध्यकारी बना दिया है। तथा बार-बार तलाक़ देने और वापस लौटाने के द्वार को बंद करते हुए लौटाने योग्य तलाक़ की सीमा दो तलाक़ों के साथ निर्धारित की है, फिर उसके लिए वह महिला हराम हो जाएगी, सिवाय इसके कि वह उसके अलावा किसी अन्य व्यक्ति से निकाह करे फिर वह उसे तलाक़ दे दे, या उसे छोड़ मर जाए।

• المعاشرة الزوجية تكون بالمعروف، فإن تعذر ذلك فلا بأس من الطلاق، ولا حرج على أحد الزوجين أن يطلبه.
• वैवाहिक सहवास अच्छे ढंग से होना चाहिए। यदि यह संभव नहीं है, तो तलाक़ में कुछ भी हर्ज की बात नहीं है। तथा पति-पत्नी में से किसी एक का तलाक़ माँगना गलत नहीं है।

وَاِذَا طَلَّقْتُمُ النِّسَآءَ فَبَلَغْنَ اَجَلَهُنَّ فَاَمْسِكُوْهُنَّ بِمَعْرُوْفٍ اَوْ سَرِّحُوْهُنَّ بِمَعْرُوْفٍ ۪— وَلَا تُمْسِكُوْهُنَّ ضِرَارًا لِّتَعْتَدُوْا ۚ— وَمَنْ یَّفْعَلْ ذٰلِكَ فَقَدْ ظَلَمَ نَفْسَهٗ ؕ— وَلَا تَتَّخِذُوْۤا اٰیٰتِ اللّٰهِ هُزُوًا ؗ— وَّاذْكُرُوْا نِعْمَتَ اللّٰهِ عَلَیْكُمْ وَمَاۤ اَنْزَلَ عَلَیْكُمْ مِّنَ الْكِتٰبِ وَالْحِكْمَةِ یَعِظُكُمْ بِهٖ ؕ— وَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاعْلَمُوْۤا اَنَّ اللّٰهَ بِكُلِّ شَیْءٍ عَلِیْمٌ ۟۠
जब तुम अपनी पत्नियों को तलाक़ दे दो और वे अपनी प्रतीक्षा अवधि के अंत होने के क़रीब हो जाएँ; तो तुम्हारे लिए अनुमेय है कि उन्हें लौटा लो, अथवा उन्हें बिना लौटाए उचित तरीक़े से छोड़ दो यहाँ तक कि उनकी इद्दत ख़त्म हो जाए। तथा उनपर अत्याचार करने और उन्हें नुक़सान पहुँचाने के उद्देश्य से न लौटाओ, जैसा कि जाहिलिय्यत (पूर्व-इस्लामिक युग) में किया जाता था। जो कोई भी ऐसा उन्हें नुक़सान पहुँचाने के इरादे से करे; तो निश्चय उसने अपने आपको पाप और दंड का भागी बनाकर खुद पर अत्याचार किया। तथा अल्लाह की आयतों को उनके साथ खिलवाड़ करके और उनके विरुद्ध साहस दिखाकर उपहास का विषय न बनाओ। और अपने ऊपर अल्लाह की नेमतों को याद करो, जिनमें से सबसे बड़ी नेमत उसका तुमपर क़ुरआन एवं सुन्नत का उतारना है। वह तुम्हें इसके द्वारा प्रलोभन और धमकी के रूप में उपदेश देता है। तथा अल्लाह से, उसके आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर, डरो और जान लो कि अल्लाह हर चीज़ को जानने वाला है। अतः उससे कोई चीज़ छिपी नहीं है और वह तुम्हें तुम्हारे कर्मों का बदला देगा।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاِذَا طَلَّقْتُمُ النِّسَآءَ فَبَلَغْنَ اَجَلَهُنَّ فَلَا تَعْضُلُوْهُنَّ اَنْ یَّنْكِحْنَ اَزْوَاجَهُنَّ اِذَا تَرَاضَوْا بَیْنَهُمْ بِالْمَعْرُوْفِ ؕ— ذٰلِكَ یُوْعَظُ بِهٖ مَنْ كَانَ مِنْكُمْ یُؤْمِنُ بِاللّٰهِ وَالْیَوْمِ الْاٰخِرِ ؕ— ذٰلِكُمْ اَزْكٰی لَكُمْ وَاَطْهَرُ ؕ— وَاللّٰهُ یَعْلَمُ وَاَنْتُمْ لَا تَعْلَمُوْنَ ۟
जब तुम अपनी पत्नियों को तीन से कम तलाक़ दो और उनकी प्रतीक्षा अवधि (इद्दत) समाप्त हो जाए, तो - ऐ अभिभावको! - उन्हें उस समय नए निकाह के साथ अपने पतियों के पास लौटने से न रोको, यदि वे ऐसा करना चाहें और अपने पतियों के साथ उसपर सहमत हो जाएँ। उन्हें मना करने के निषेध पर आधारित इस हुक्म का उपदेश उसे दिया जा रहा है, जो तुम में से अल्लाह तथा अंतिम दिन (प्रलय) पर ईमान रखता है। इससे तुम्हारे बीच भलाई को अधिक बढ़ावा मिलेगा तथा तुम्हारी इस्मतें और तुम्हारे कर्म गंदगियों से अधिक पवित्र रहेंगे। अल्लाह सारे मामलों के तथ्यों और उनके परिणामों से अवगत है, और तुम इनसे अनभिज्ञ हो।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَالْوَالِدٰتُ یُرْضِعْنَ اَوْلَادَهُنَّ حَوْلَیْنِ كَامِلَیْنِ لِمَنْ اَرَادَ اَنْ یُّتِمَّ الرَّضَاعَةَ ؕ— وَعَلَی الْمَوْلُوْدِ لَهٗ رِزْقُهُنَّ وَكِسْوَتُهُنَّ بِالْمَعْرُوْفِ ؕ— لَا تُكَلَّفُ نَفْسٌ اِلَّا وُسْعَهَا ۚ— لَا تُضَآرَّ وَالِدَةٌ بِوَلَدِهَا وَلَا مَوْلُوْدٌ لَّهٗ بِوَلَدِهٖ ۗ— وَعَلَی الْوَارِثِ مِثْلُ ذٰلِكَ ۚ— فَاِنْ اَرَادَا فِصَالًا عَنْ تَرَاضٍ مِّنْهُمَا وَتَشَاوُرٍ فَلَا جُنَاحَ عَلَیْهِمَا ؕ— وَاِنْ اَرَدْتُّمْ اَنْ تَسْتَرْضِعُوْۤا اَوْلَادَكُمْ فَلَا جُنَاحَ عَلَیْكُمْ اِذَا سَلَّمْتُمْ مَّاۤ اٰتَیْتُمْ بِالْمَعْرُوْفِ ؕ— وَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاعْلَمُوْۤا اَنَّ اللّٰهَ بِمَا تَعْمَلُوْنَ بَصِیْرٌ ۟
माताएँ अपने बच्चों को पूरे दो साल तक दूध पिलाएँ। दो साल की यह समय सीमा उसके लिए है, जो दूध पिलाने की अवधि पूरी करना चाहता हो। बच्चे के पिता पर तलाक़शुदा दूध पिलाने वाली माताओं के ख़र्च और उनके कपड़ों की ज़िम्मेदारी है, उसके अनुसार जो लोगों में प्रचलित है, जो शरीयत के विरुद्ध न हो। अल्लाह किसी व्यक्ति पर उसकी क्षमता एवं शक्ति से अधिक बोझ नहीं डालता। माता-पिता में से किसी के लिए जायज़ नहीं है कि बच्चे को दूसरे को नुक़सान पहुँचाने का माध्यम बना ले। यदि बाप न हो और बच्चे के पास धन न हो, तो बच्चे के वारिस (उत्तराधिकारी) पर भी उसी प्रकार के अधिकार हैं जो पिता पर होते हैं। यदि माता-पिता दो साल पूरे होने से पहले ही बच्चे का दूध छुड़ाना चाहें और दोनों बच्चे के हित को ध्यान में रखते हुए आपसी परामर्श और सहमति के बाद यह क़दम उठाएँ, तो उनपर कोई गुनाह नहीं है। फिर यदि तुम अपने बच्चों के लिए उनकी माताओं के अलावा अन्य दूध पिलाने वालियाँ रखना चाहो, तो तुमपर कोई गुनाह नहीं, यदि दूध पिलाने वाली के साथ जिस पारिश्रमिक पर सहमत हुए हो, उसे बिना कमी-बेशी अथवा टाल-मटोल के अदा कर दो। अल्लाह के आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से दूर रहकर उससे डरो, और जान लो कि जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह उसे देखता है, चुनाँचे उसमें से कुछ भी उससे छिपा नहीं है, और वह तुम्हारे किए हुए कामों के लिए तुम्हें प्रतिफल देगा।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• نهي الرجال عن ظلم النساء سواء كان بِعَضْلِ مَوْلِيَّتِه عن الزواج، أو إجبارها على ما لا تريد.
• पुरुषों को महिलाओं पर अत्याचार करने से मना करना, चाहे वह अपनी संरक्षकता में मौजूद स्त्री को शादी से रोकना हो, या उसे वह करने के लिए मजबूर करना हो जो वह नहीं चाहती।

• حَفِظَ الشرع للأم حق الرضاع، وإن كانت مطلقة من زوجها، وعليه أن ينفق عليها ما دامت ترضع ولده.
• शरीयत ने माँ के लिए दूध पिलाने का अधिकार सुरक्षित रखा है, भले ही वह अपने पति से तलाक़शुदा हो। तथा जब तक वह उसके बेटे को दूध पिलाती है बच्चे के पिता के लिए उसपर खर्च करना अनिवार्य है।

• نهى الله تعالى الزوجين عن اتخاذ الأولاد وسيلة يقصد بها أحدهما الإضرار بالآخر.
• अल्लाह तआला ने पति-पत्नी को बच्चों को एक ऐसा साधन बनाने से मना किया है जिसके द्वारा वे एक दूसरे को नुक़सान पहुँचाना चाहते हों।

• الحث على أن تكون كل الشؤون المتعلقة بالحياة الزوجية مبنية على التشاور والتراضي بين الزوجين.
• इस बात पर बल देना कि वैवाहिक जीवन से संबंधित सभी मामले पति-पत्नी के बीच आपसी परामर्श और सहमति पर आधारित हों।

وَالَّذِیْنَ یُتَوَفَّوْنَ مِنْكُمْ وَیَذَرُوْنَ اَزْوَاجًا یَّتَرَبَّصْنَ بِاَنْفُسِهِنَّ اَرْبَعَةَ اَشْهُرٍ وَّعَشْرًا ۚ— فَاِذَا بَلَغْنَ اَجَلَهُنَّ فَلَا جُنَاحَ عَلَیْكُمْ فِیْمَا فَعَلْنَ فِیْۤ اَنْفُسِهِنَّ بِالْمَعْرُوْفِ ؕ— وَاللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ خَبِیْرٌ ۟
जो लोग मर जाते हैं और अपने पीछे अगर्भवती पत्नियाँ छोड़ जाते हैं; वे पत्नियाँ अनिवार्य रूप से चार महीने और दस दिन की अवधि के लिए अपने आपको प्रतीक्षा में रखेंगी, जिसके दौरान वे पति के घर से निकलने, श्रृंगार करने और विवाह से बचेंगी। जब यह अवधि समाप्त हो जाए; तो - ऐ अभिभावको! - तुमपर कोई पाप नहीं कि वे शरई और प्रथागत तरीक़े के अनुसार, वह कार्य करें जो उस अवधि के दौरान उनके लिए वर्जित था। तथा अल्लाह उससे, जो कुछ तुम करते हो, भली-भाँति अवगत है। उससे तुम्हारे प्रोक्ष और प्रत्यक्ष में से कोई चीज़ छिपी नहीं है और वह तुम्हें उसका बदला देगा।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَلَا جُنَاحَ عَلَیْكُمْ فِیْمَا عَرَّضْتُمْ بِهٖ مِنْ خِطْبَةِ النِّسَآءِ اَوْ اَكْنَنْتُمْ فِیْۤ اَنْفُسِكُمْ ؕ— عَلِمَ اللّٰهُ اَنَّكُمْ سَتَذْكُرُوْنَهُنَّ وَلٰكِنْ لَّا تُوَاعِدُوْهُنَّ سِرًّا اِلَّاۤ اَنْ تَقُوْلُوْا قَوْلًا مَّعْرُوْفًا ؕ۬— وَلَا تَعْزِمُوْا عُقْدَةَ النِّكَاحِ حَتّٰی یَبْلُغَ الْكِتٰبُ اَجَلَهٗ ؕ— وَاعْلَمُوْۤا اَنَّ اللّٰهَ یَعْلَمُ مَا فِیْۤ اَنْفُسِكُمْ فَاحْذَرُوْهُ ۚ— وَاعْلَمُوْۤا اَنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ حَلِیْمٌ ۟۠
शादी करने की इच्छा घोषित किए बिना, पति की मृत्यु अथवा 'तलाक़े बाइन' की इद्दत गुज़ारने वाली स्त्री को शादी के संदेश का संकेत देने में तुमपर कोई पाप नहीं है; जैसे कि वह कहे : जब तुम्हारी प्रतीक्षा अवधि समाप्त हो जाए, तो मुझे बताओ। तथा इसमें भी तुमपर कोई गुनाह नहीं है कि तुमने इद्दत गुज़ारने वाली स्त्री से उसकी प्रतीक्षा अवधि समाप्त होने के बाद निकाह करने की इच्छा को अपने दिल में छिपाए रखा है। अल्लाह जानता है कि तुम उनके लिए अपनी तीव्र इच्छा के कारण उन्हें अवश्य याद करोगे, इसलिए उसने तुम्हें बिना घोषणा किए संकेत देने की अनुमति प्रदान की। तथा जब वे प्रतीक्षा अवधि में हों, तो एक-दूसरे से गुप्त रूप से शादी का वादा करने से सावधान रहो। सिवाय प्रथागत बात के और वह सांकेतिक रूप से बात कहना है। तथा प्रतीक्षा अवधि के दौरान विवाह का अनुबंध पक्का न करो। और यह जान लो कि अल्लाह जानता है कि उसने तुम्हारे लिए जो कुछ हलाल किया है और जो कुछ तुमपर हराम ठहराया है, उसमें से कौन-सी बात तुम अपने दिलों में छिपाए हुए हो। इसलिए उससे सावधान रहो और उसकी आज्ञा का उल्लंघन न करो। तथा जान लो कि अल्लाह अपने तौबा करने वाले बंदों को क्षमा करने वाला, अत्यंत सहनशील है, सज़ा देने में जल्दी नहीं करता।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
لَا جُنَاحَ عَلَیْكُمْ اِنْ طَلَّقْتُمُ النِّسَآءَ مَا لَمْ تَمَسُّوْهُنَّ اَوْ تَفْرِضُوْا لَهُنَّ فَرِیْضَةً ۖۚ— وَّمَتِّعُوْهُنَّ ۚ— عَلَی الْمُوْسِعِ قَدَرُهٗ وَعَلَی الْمُقْتِرِ قَدَرُهٗ ۚ— مَتَاعًا بِالْمَعْرُوْفِ ۚ— حَقًّا عَلَی الْمُحْسِنِیْنَ ۟
जिन पत्नियों से तुमने निकाह किया है, यदि तुम उन्हें उनके साथ संभोग करने से पहले तथा उनके लिए एक विशिष्ट महर निर्धारित करने से पहले तलाक़ दे दो, तो तुमपर कोई पाप नहीं है। यदि तुम उन्हें इस स्थिति में तलाक़ देते हो, तो तुमपर उनके लिए कोई महर वाजिब नहीं होगी। लेकिन आदमी धनी हो या निर्धन उस पर यह ज़रूरी होगा कि अपनी क्षमता के अनुसार उन्हें कुछ दे दे, जिससे वे लाभ उठा सकें और उनके टूटे हुए दिल की सांत्वना हो जाए। यह देना उन लोगों पर एक निश्चित अधिकार है, जो अपने कार्यों और लेनदेन में सदाचारी हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاِنْ طَلَّقْتُمُوْهُنَّ مِنْ قَبْلِ اَنْ تَمَسُّوْهُنَّ وَقَدْ فَرَضْتُمْ لَهُنَّ فَرِیْضَةً فَنِصْفُ مَا فَرَضْتُمْ اِلَّاۤ اَنْ یَّعْفُوْنَ اَوْ یَعْفُوَا الَّذِیْ بِیَدِهٖ عُقْدَةُ النِّكَاحِ ؕ— وَاَنْ تَعْفُوْۤا اَقْرَبُ لِلتَّقْوٰی ؕ— وَلَا تَنْسَوُا الْفَضْلَ بَیْنَكُمْ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ بِمَا تَعْمَلُوْنَ بَصِیْرٌ ۟
यदि तुम अपनी उन पत्नियों को जिनसे तुमने निकाह किया है, उनके साथ संभोग करने से पहले तलाक़ दे दो, जबकि तुम उनके लिए एक विशिष्ट महर निर्धारित कर चुके हो, तो तुम्हें उन्हें निर्धारित महर का आधा भुगतान करना होगा, परंतु यह कि वे - यदि वे समझदार हों - उसे तुम्हारे लिए माफ़ कर दें, अथवा पतिगण स्वयं उन्हें पूरा महर दे दें। तुम्हारा अपने बीच अधिकारों के प्रति सहिष्णु होना अल्लाह के भय और उसकी आज्ञाकारिता के अधिक निकट है। तथा - ऐ लोगो! - तुम एक-दूसरे पर उपकार करना और अधिकारों के बारे में क्षमा से काम लेना न छोड़ो। क्योंकि अल्लाह जो तुम करते हो, उसे देख रहा है। इसलिए ख़ूब भलाई करो, ताकि उसपर अल्लाह का बदला पाओ।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• مشروعية العِدة على من توفي عنها زوجها بأن تمتنع عن الزينة والزواج مدة أربعة أشهر وعشرة أيام.
• उस महिला के लिए इद्दत की वैधता जिसके पति की मृत्यु हो गई। वह चार महीने दस दिन की अवधि के लिए बनाव-सिंगार और विवाह से बचेगी।

• معرفة المؤمن باطلاع الله عليه تَحْمِلُه على الحذر منه تعالى والوقوف عند حدوده.
• मोमिन का यह जानना कि अल्लाह उसके सभी कार्यों से अवगत है, उसे अल्लाह से डरने और उसकी सीमाओं के पास रुक जाने के लिए प्रेरित करता है।

• الحث على المعاملة بالمعروف بين الأزواج والأقارب، وأن يكون العفو والمسامحة أساس تعاملهم فيما بينهم.
• पति-पत्नी और रिश्तेदारों के बीच अच्छे व्यवहार को प्रोत्साहित करना, और यह कि क्षमा और माफ़ी उनके आपस में एक-दूसरे के साथ व्यवहार का आधार होना चाहिए।

حٰفِظُوْا عَلَی الصَّلَوٰتِ وَالصَّلٰوةِ الْوُسْطٰی ۗ— وَقُوْمُوْا لِلّٰهِ قٰنِتِیْنَ ۟
नमाज़ों को अल्लाह के आदेश के अनुसार पूर्ण रूप से अदा करके, उनका संरक्षण (पाबंदी) करो और समस्त नमाज़ों के बीच मध्य नमाज़ अर्थात् अस्र की नमाज़ का संरक्षण (पाबंदी) करो और अपनी नमाज़ में अल्लाह के आज्ञाकारी बनकर विनयपूर्वक खड़े रहो।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
فَاِنْ خِفْتُمْ فَرِجَالًا اَوْ رُكْبَانًا ۚ— فَاِذَاۤ اَمِنْتُمْ فَاذْكُرُوا اللّٰهَ كَمَا عَلَّمَكُمْ مَّا لَمْ تَكُوْنُوْا تَعْلَمُوْنَ ۟
यदि तुम्हें किसी शत्रु आदि का भय हो और नमाज़ को संपूर्ण रूप से अदा करने में सक्षम न हो, तो अपने पैरों पर चलते हुए, या ऊँट और घोड़े आदि पर सवार होकर, अथवा जिस तरह भी तुम सक्षम हो, नमाज़ पढ़ो। फिर जब तुम्हारा डर दूर हो जाए, तो सभी प्रकार के ज़िक्र के साथ अल्लाह को याद करो, जिसमें नमाज़ को पूर्ण रूप से अदा करना भी शामिल है, जैसे उसने तुम्हें उस प्रकाश और मार्गदर्शन की शिक्षा दी, जिसे तुम नहीं जानते थे।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَالَّذِیْنَ یُتَوَفَّوْنَ مِنْكُمْ وَیَذَرُوْنَ اَزْوَاجًا ۖۚ— وَّصِیَّةً لِّاَزْوَاجِهِمْ مَّتَاعًا اِلَی الْحَوْلِ غَیْرَ اِخْرَاجٍ ۚ— فَاِنْ خَرَجْنَ فَلَا جُنَاحَ عَلَیْكُمْ فِیْ مَا فَعَلْنَ فِیْۤ اَنْفُسِهِنَّ مِنْ مَّعْرُوْفٍ ؕ— وَاللّٰهُ عَزِیْزٌ حَكِیْمٌ ۟
तुममें से जो मर जाते हैं और अपने पीछे पत्नियाँ छोड़ जाते हैं, वे आवश्यक रूप से अपनी पत्नियों के लिए वसीयत कर जाएँ कि उनके लिए पूरे एक वर्ष के आवास और खर्च (रखरखाव) का प्रबंध किया जाए, और तुम्हारे वारिस उन्हें घर से न निकालें। ऐसा आदेश उन्हें पहुँचने वाली मुसीबत की क्षतिपूर्ति के लिए और मृतक के प्रति वफ़ादारी निभाने के लिए दिया गया है। यदि वे एक साल पूरा होने से पहले अपनी मर्ज़ी से निकल जाएँ, तो न तो तुमपर पाप है और न ही उन पर, जो वे अपने आप में बनाव-शृंगार और सुगंध का इस्तेमाल करें। अल्लाह सब पर प्रभुत्वशाली है, उसपर किसी का ज़ोर नहीं चलता। वह अपने प्रबंधन, विधान और नियति में हिकमत वाला है। जमहूर (बहुसंख्यक) मुफ़स्सिरीन का मानना है कि इस आयत का हुक्म अल्लाह तआला के इस कथन द्वारा निरस्त कर दिया गया है : {وَالَّذِينَ يُتَوَفَّوْنَ مِنْكُمْ وَيَذَرُونَ أَزْوَاجًا يَتَرَبَّصْنَ بِأَنْفُسِهِنَّ أَرْبَعَةَ أَشْهُرٍ وَعَشْرًا } (البقرة: ٢٣٤) ''और जो लोग तुममें से मर जाएँ और पत्नियाँ छोड़ जाएँ, वे (पत्नियाँ) अपने आपको चार महीने और दस दिन प्रतीक्षा में रखें।'' (सूरतुल्-बक़रा : 234)
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَلِلْمُطَلَّقٰتِ مَتَاعٌ بِالْمَعْرُوْفِ ؕ— حَقًّا عَلَی الْمُتَّقِیْنَ ۟
तलाक़शुदा महिलाओं को, पति की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए रीति के अनुसार, कपड़ा या पैसा या अन्य चीज़ों के रूप में, कुछ न कुछ सामग्री देना चाहिए; ताकि तलाक़ के कारण उनके टूटे हुए दिलों की सांत्वना हो सके। यह हुक्म उन लोगों पर एक निश्चित (अनिवार्य) अधिकार है, जो अल्लाह से, उसके आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर, डरने वाले हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
كَذٰلِكَ یُبَیِّنُ اللّٰهُ لَكُمْ اٰیٰتِهٖ لَعَلَّكُمْ تَعْقِلُوْنَ ۟۠
उक्त स्पष्टीकरण की तरह, अल्लाह तुम्हारे लिए - ऐ मोमिनो! - अपनी सीमाओं और आदेशों पर आधारित आयतों को स्पष्ट करता है; ताकि तुम उन्हें समझो और उनपर अमल करो, जिसके परिणामस्वरूप तुम्हें दुनिया एवं आख़िरत में भलाई प्राप्त हो।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اَلَمْ تَرَ اِلَی الَّذِیْنَ خَرَجُوْا مِنْ دِیَارِهِمْ وَهُمْ اُلُوْفٌ حَذَرَ الْمَوْتِ ۪— فَقَالَ لَهُمُ اللّٰهُ مُوْتُوْا ۫— ثُمَّ اَحْیَاهُمْ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَذُوْ فَضْلٍ عَلَی النَّاسِ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا یَشْكُرُوْنَ ۟
(ऐ नबी!) क्या आपके संज्ञान में उन लोगों की ख़बर नहीं आई, जो महामारी या किसी और कारण मौत के डर से, अपने घरों को छोड़कर निकल पड़े, जबकि वे बहुत बड़ी संख्या में थे। वे बनी इसराईल का एक समूह थे। अल्लाह ने उनसे कहा : मर जाओ; सो वे मर गए। फिर अल्लाह ने उन्हें जीवित कर दिया। ताकि उनके लिए यह तथ्य स्पष्ट कर दे कि सारा मामला उसी महिमावान् के हाथ में है और यह कि वे अपने लिए किसी लाभ या हानि के मालिक नहीं हैं। निःसंदेह अल्लाह लोगों के प्रति उदार और अनुग्रहकारी है, परंतु अधिकांश लोग अल्लाह का उसकी नेमतों पर शुक्रिया अदा नहीं करते।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَقَاتِلُوْا فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ وَاعْلَمُوْۤا اَنَّ اللّٰهَ سَمِیْعٌ عَلِیْمٌ ۟
(ऐ मोमिनो!) अल्लाह के धर्म के समर्थन और उसके वचन को सर्वोच्च करने के लिए, उसके शत्रुओं से युद्ध करो और जान लो कि अल्लाह तुम्हारी बातों को सुनने वाला, तुम्हारे इरादों और कार्यों को जानने वाला है, और वह तुम्हें उनका बदला देगा।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
مَنْ ذَا الَّذِیْ یُقْرِضُ اللّٰهَ قَرْضًا حَسَنًا فَیُضٰعِفَهٗ لَهٗۤ اَضْعَافًا كَثِیْرَةً ؕ— وَاللّٰهُ یَقْبِضُ وَیَبْصُۜطُ ۪— وَاِلَیْهِ تُرْجَعُوْنَ ۟
वह कौन व्यक्ति है जो क़र्ज़ देने वाले का कार्य करे, चुनाँचे वह अच्छे इरादे और अच्छे मन के साथ अल्लाह के मार्ग में अपना धन ख़र्च करे, ताकि वह उसके पास बहुत अधिक गुना होकर वापस आए? अल्लाह अपनी हिकमत और न्याय के साथ जीविका, स्वास्थ्य और अन्य में (कभी) तंगी करता है, तथा (कभी) उन सब में विस्तार करता है। तथा आख़िरत में तुम उसी की ओर लौटाए जाओगे, फिर वह तुम्हें तुम्हारे कार्यों का बदला प्रदान करेगा।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• الحث على المحافظة على الصلاة وأدائها تامة الأركان والشروط، فإن شق عليه صلَّى على ما تيسر له من الحال.
• नमाज़ की पाबंदी करने और उसे उसके पूरे अर्कान एवं शर्तों के साथ अदा करने पर बल देना, अगर यह उसके लिए मुश्किल है, तो उसके लिए जो भी स्थिति आसान हो उस तरह नमाज़ पढ़े।

• رحمة الله تعالى بعباده ظاهرة، فقد بين لهم آياته أتم بيان للإفادة منها.
• अल्लाह की अपने बंदों पर दया बिल्कुल स्पष्ट है, क्योंकि उसने उनके लिए अपनी आयतों को सबसे पूर्ण तरीक़े से स्पष्ट किया है ताकि वे उनसे लाभ उठा सकें।

• أن الله تعالى قد يبتلي بعض عباده فيضيِّق عليهم الرزق، ويبتلي آخرين بسعة الرزق، وله في ذلك الحكمة البالغة.
• अल्लाह तआला अपने कुछ बंदों को आज़माते हुए उनकी रोज़ी तंग कर देता है और कुछ दूसरों को रोज़ी के विस्तार के साथ आज़माता है। इसमें उसकी बहुत बड़ी हिकमत निहित है।

اَلَمْ تَرَ اِلَی الْمَلَاِ مِنْ بَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ مِنْ بَعْدِ مُوْسٰی ۘ— اِذْ قَالُوْا لِنَبِیٍّ لَّهُمُ ابْعَثْ لَنَا مَلِكًا نُّقَاتِلْ فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ ؕ— قَالَ هَلْ عَسَیْتُمْ اِنْ كُتِبَ عَلَیْكُمُ الْقِتَالُ اَلَّا تُقَاتِلُوْا ؕ— قَالُوْا وَمَا لَنَاۤ اَلَّا نُقَاتِلَ فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ وَقَدْ اُخْرِجْنَا مِنْ دِیَارِنَا وَاَبْنَآىِٕنَا ؕ— فَلَمَّا كُتِبَ عَلَیْهِمُ الْقِتَالُ تَوَلَّوْا اِلَّا قَلِیْلًا مِّنْهُمْ ؕ— وَاللّٰهُ عَلِیْمٌۢ بِالظّٰلِمِیْنَ ۟
(ऐ नबी!) क्या आपके संज्ञान में मूसा अलैहिस्सलाम के समय के बाद बनी इसराईल के प्रमुखों की ख़बर नहीं आई, जब उन्होंने अपने एक नबी से कहा : हमारे लिए एक बादशाह स्थापित कर दीजिए, जिसके साथ मिलकर हम अल्लाह के रास्ते में युद्ध करें। तो उनके नबी ने उनसे कहा : हो सकता है कि यदि तुमपर युद्ध करना अनिवार्य कर दिया जाए, तो तुम अल्लाह के मार्ग में युद्ध न करो! उन्होंने अपने बारे में नबी के गुमान का खंडन करते हुए कहा : कौन सी बाधा हमें अल्लाह के मार्ग में लड़ने से रोकती है जबकि ऐसे कारण मौजूद हैं जो हमसे ऐसा करने की अपेक्षा करते हैं? क्योंकि हमारे शत्रुओं ने हमें हमारे घर से निकाल दिया, और हमारे बच्चों को बंदी बना लिया। इसलिए हम अपनी मातृभूमि को बहाल करने और अपने क़ैदियों को मुक्त कराने के लिए लड़ेंगे। परंतु जब अल्लाह ने उनपर युद्ध फ़र्ज़ कर दिया, तो वे पीछे हट गए, क्योंकि उनमें से कुछ को छोड़कर, उन्होंने जो वादा किया था उसे पूरा नहीं किया। तथा अल्लाह उन अत्याचारियों को खूब जानने वाला है, जो उसकी आज्ञा से मुकर जाने वाले, उसके वचन को तोड़ देने वाले हैं, और वह उन्हें उसका बदला देगा।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَقَالَ لَهُمْ نَبِیُّهُمْ اِنَّ اللّٰهَ قَدْ بَعَثَ لَكُمْ طَالُوْتَ مَلِكًا ؕ— قَالُوْۤا اَنّٰی یَكُوْنُ لَهُ الْمُلْكُ عَلَیْنَا وَنَحْنُ اَحَقُّ بِالْمُلْكِ مِنْهُ وَلَمْ یُؤْتَ سَعَةً مِّنَ الْمَالِ ؕ— قَالَ اِنَّ اللّٰهَ اصْطَفٰىهُ عَلَیْكُمْ وَزَادَهٗ بَسْطَةً فِی الْعِلْمِ وَالْجِسْمِ ؕ— وَاللّٰهُ یُؤْتِیْ مُلْكَهٗ مَنْ یَّشَآءُ ؕ— وَاللّٰهُ وَاسِعٌ عَلِیْمٌ ۟
उनके नबी ने उनसे कहा : अल्लाह ने तालूत को तुमपर बादशाह निर्धारित किया है, ताकि तुम उसके झंडे तले लड़ो। उनके प्रमुखों ने इस चयन का खंडन करते और इसपर आपत्ति जताते हुए कहा : वह हमपर राज्य कैसे कर सकता है, जबकि हम राज्य के उससे अधिक योग्य हैं; क्योंकि वह राजाओं के पुत्रों में से नहीं है और न ही उसे कोई बड़ी संपत्ति दी गई है, जिससे वह राज-काज पर सहायता ले सके?! उनके नबी ने उनसे कहा : अल्लाह ने उसे तुम्हारे ऊपर चुन लिया है और तुमसे अधिक ज्ञान में विस्तार तथा शारीरिक बल प्रदान किया है। और अल्लाह अपनी हिकमत और दया से जिसे चाहता है उसे अपना राज्य प्रदान करता है। अल्लाह बहुत विस्तृत अनुग्रह वाला है, वह जिसे चाहता है देता है, वह जानता है कि उसकी सृष्टि में कौन उसका हक़दार है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَقَالَ لَهُمْ نَبِیُّهُمْ اِنَّ اٰیَةَ مُلْكِهٖۤ اَنْ یَّاْتِیَكُمُ التَّابُوْتُ فِیْهِ سَكِیْنَةٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ وَبَقِیَّةٌ مِّمَّا تَرَكَ اٰلُ مُوْسٰی وَاٰلُ هٰرُوْنَ تَحْمِلُهُ الْمَلٰٓىِٕكَةُ ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیَةً لَّكُمْ اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِیْنَ ۟۠
उनके नबी ने उनसे कहा : उसके तुम्हारे ऊपर राजा चुने जाने की सच्चाई की निशानी यह है कि अल्लाह तुम्हें वह ताबूत - यह एक संदूक़ था जिसका बनी इसराईल सम्मान करते थे, जो उनसे छीन लिया गया था - लौटा देगा, जिसमें एक संतोष है जो उसके साथ है, तथा मूसा और हारून के घरानों द्वारा छोड़े गए अवशेष हैं, जैसे लाठी और कुछ तख़्तियाँ। निःसंदेह इसमें तुम्हारे लिए एक स्पष्ट निशानी है, यदि तुम सच में ईमान वाले हो।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• التنبيه إلى أهم صفات القائد التي تؤهله لقيادة الناس؛ وهي العلم بما يكون قائدًا فيه، والقوة عليه.
• एक नेता के सबसे महत्वपूर्ण गुणों के प्रति सचेत करना जो उसे लोगों का नेतृत्व करने के योग्य बनाते हैं; और वे हैं उस चीज़ का ज्ञान जिसमें वह नेतृत्व करने वाला है और उस पर शक्ति का होना।

• إرشاد من يتولى قيادة الناس إلى ألا يغتر بأقوالهم حتى يبلوهم، ويختبر أفعالهم بعد أقوالهم.
• जो लोगों का नेतृत्व करता है उसका मार्गदर्शन करना कि जब तक वह उनका परीक्षण न कर ले, तब तक उनके शब्दों से धोखा न खाए, और उनके शब्दों के बाद उनके कार्यों का परीक्षण करे।

• أن الاعتبارات التي قد تشتهر بين الناس في وزن الآخرين والحكم عليهم قد لا تكون هي الموازين الصحيحة عند الله تعالى، بل هو سبحانه يصطفي من يشاء من خلقه بحكمته وعلمه.
• दूसरों को मापने और उनके बारे में कोई राय क़ायम करने के बारे में लोगों के बीच प्रचलित मानक, हो सकता है अल्लाह के निकट सही पैमाना न हो। बल्कि, अल्लाह अपनी हिकमत और ज्ञान से अपने बंदों में से जिसे चाहता है, चुन लेता है।

فَلَمَّا فَصَلَ طَالُوْتُ بِالْجُنُوْدِ ۙ— قَالَ اِنَّ اللّٰهَ مُبْتَلِیْكُمْ بِنَهَرٍ ۚ— فَمَنْ شَرِبَ مِنْهُ فَلَیْسَ مِنِّیْ ۚ— وَمَنْ لَّمْ یَطْعَمْهُ فَاِنَّهٗ مِنِّیْۤ اِلَّا مَنِ اغْتَرَفَ غُرْفَةً بِیَدِهٖ ۚ— فَشَرِبُوْا مِنْهُ اِلَّا قَلِیْلًا مِّنْهُمْ ؕ— فَلَمَّا جَاوَزَهٗ هُوَ وَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا مَعَهٗ ۙ— قَالُوْا لَا طَاقَةَ لَنَا الْیَوْمَ بِجَالُوْتَ وَجُنُوْدِهٖ ؕ— قَالَ الَّذِیْنَ یَظُنُّوْنَ اَنَّهُمْ مُّلٰقُوا اللّٰهِ ۙ— كَمْ مِّنْ فِئَةٍ قَلِیْلَةٍ غَلَبَتْ فِئَةً كَثِیْرَةً بِاِذْنِ اللّٰهِ ؕ— وَاللّٰهُ مَعَ الصّٰبِرِیْنَ ۟
जब तालूत सेनाओं के साथ नगर से निकले, तो उनसे कहा : निःसंदेह अल्लाह तुम्हें एक नहर द्वारा आज़माने वाला है। सो जिसने उसमें से पी लिया, वह मेरे मार्ग पर नहीं है और युद्ध में मेरे साथ नहीं चलेगा। और जिसने उसमें से नहीं पिया, वह मेरे मार्ग पर है और युद्ध में मेरे साथ चलेगा। परंतु जो कोई मजबूर हो जाए और एक चुल्लू भर पानी पी ले, तो उस पर कुछ भी नहीं है। लेकिन सभी सैनिकों ने उससे पानी पी लिया सिवाय उनमें से थोड़े लोगों के, जिन्होंने सख़्त प्यास के बावजूद न पीने पर धैर्य से काम लिया। फिर जब तालूत और उसके साथ ईमान वालों ने नहर पार किया, तो उसके कुछ सैनिकों ने कहा : आज हमारे पास जालूत और उसके सैनिकों से लड़ने की कोई क्षमता नहीं है। उस समय उन लोगों ने, जो क़ियामत के दिन अल्लाह से मिलने पर विश्वास रखते थे, कहा : कितने ईमान वाले दल, जिनकी संख्या कम थी, अल्लाह की अनुमति और सहायता से, अधिक संख्या वाले काफ़िर दलों पर विजय प्राप्त कर चुके हैं। इसलिए विजय में ईमान का एतिबार है, अधिकता का नहीं। और अल्लाह अपने धैर्य रखने वाले बंदों के साथ है, उनका समर्थन करता और उनकी मदद करता है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَلَمَّا بَرَزُوْا لِجَالُوْتَ وَجُنُوْدِهٖ قَالُوْا رَبَّنَاۤ اَفْرِغْ عَلَیْنَا صَبْرًا وَّثَبِّتْ اَقْدَامَنَا وَانْصُرْنَا عَلَی الْقَوْمِ الْكٰفِرِیْنَ ۟ؕ
जब वे जालूत और उसकी सेना का सामना करने के लिए निकले, तो उन्होंने अल्लाह की ओर मुतवज्जेह होकर दुआ करते हुए कहा : ऐ हमारे पालनहार! हमारे दिलों पर सब्र उँडेल दे, और हमारे पाँवों को जमा दे ताकि हम भागें नहीं और न अपने दुश्मन के सामने पराजित हों, तथा अपनी शक्ति और समर्थन के साथ काफ़िर क़ौम पर हमारी मदद कर।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
فَهَزَمُوْهُمْ بِاِذْنِ اللّٰهِ ۙ۫— وَقَتَلَ دَاوٗدُ جَالُوْتَ وَاٰتٰىهُ اللّٰهُ الْمُلْكَ وَالْحِكْمَةَ وَعَلَّمَهٗ مِمَّا یَشَآءُ ؕ— وَلَوْلَا دَفْعُ اللّٰهِ النَّاسَ بَعْضَهُمْ بِبَعْضٍ لَّفَسَدَتِ الْاَرْضُ وَلٰكِنَّ اللّٰهَ ذُوْ فَضْلٍ عَلَی الْعٰلَمِیْنَ ۟
उन्होंने अल्लाह के हुक्म से उन्हें पराजित कर दिया और दाऊद ने उनके सरदार जालूत को क़त्ल कर दिया। फिर अल्लाह ने दाऊद को बादशाहत और नुबुव्वत प्रदान की और उन्हें जिस प्रकार के भी ज्ञान चाहता था, सिखाया। इस तरह दुनिया और आख़िरत के लिए जो भी चीज़ उपयुक्त थी, उनके लिए एकत्रित कर दिया। यदि अल्लाह का यह नियम न होता कि वह कुछ लोगों द्वारा कुछ लोगों के उपद्रव को हटाता है; तो निश्चय धरती उसमें उपद्रव (भ्रष्टाचार) करने वालों के प्रभुत्व से भ्रष्ट हो जाती। लेकिन, अल्लाह सभी प्राणियों पर अनुग्रह वाला है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
تِلْكَ اٰیٰتُ اللّٰهِ نَتْلُوْهَا عَلَیْكَ بِالْحَقِّ ؕ— وَاِنَّكَ لَمِنَ الْمُرْسَلِیْنَ ۟
ये अल्लाह की खुली हुई स्पष्ट आयतें हैं, जो हम - ऐ नबी! - आपको सुनाते हैं, जिनमें सच्ची सूचनाएँ और न्यायसंगत विधान मौजूद हैं। और निःसंदेह आप सर्व संसार के पालनहार की ओर से भेजे गए रसूलों में से हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• من حكمة القائد أن يُعرِّض جيشه لأنواع الاختبارات التي يتميز بها جنوده ويعرف الثابت من غيره.
• यह सेनापति की बुद्धिमत्ता है कि वह अपनी सेना को ऐसे अनेक परीक्षणों से गुज़ारे, जिनसे उसके सैनिकों की पहचान हो जाए और उसे पता चल जाए कि कौन मैदान में स्थिर रहने वाला है और कौन ऐसा नहीं है।

• العبرة في النصر ليست بمجرد كثرة العدد والعدة فقط، وإنما معونة الله وتوفيقه أعظم الأسباب للنصر والظَّفَر.
• जीत में केवल बड़ी संख्या और तैयारी (उपकरण) का एतिबार नहीं है, बल्कि अल्लाह की मदद और उसकी तौफ़ीक़ (सामर्थ्य) जीत और सफलता का सबसे बड़ा कारण है।

• لا يثبت عند الفتن والشدائد إلا من عَمَرَ اليقينُ بالله قلوبَهم، فمثل أولئك يصبرون عند كل محنة، ويثبتون عند كل بلاء.
• परीक्षा की घड़ियों और संकटों के समय केवल वही दृढ़ रहते हैं, जिनके हृदय अल्लाह पर विश्वास से परिपूर्ण हों। ऐसे ही लोग हर विपत्ति में धीरज धरते हैं, और हर आपदा के समय दृढ़ रहते हैं।

• الضراعة إلى الله تعالى بقلب صادق متعلق به من أعظم أسباب إجابة الدعاء، ولا سيما في مواطن القتال.
• अल्लाह से सच्चे दिल से, उसके प्रति समर्पित होकर दुआ करना, दुआ के क़बूल होने के सबसे बड़े कारणों में से एक है, विशेष रूप से युद्ध के स्थानों में।

• من سُنَّة الله تعالى وحكمته أن يدفع شر بعض الخلق وفسادهم في الأرض ببعضهم.
• अल्लाह का नियम और उसकी हिकमत है कि वह कुछ लोगों की बुराई और धरती पर उनके उपद्रव को कुछ दूसरे लोगों के द्वारा दूर करता है।

تِلْكَ الرُّسُلُ فَضَّلْنَا بَعْضَهُمْ عَلٰی بَعْضٍ ۘ— مِنْهُمْ مَّنْ كَلَّمَ اللّٰهُ وَرَفَعَ بَعْضَهُمْ دَرَجٰتٍ ؕ— وَاٰتَیْنَا عِیْسَی ابْنَ مَرْیَمَ الْبَیِّنٰتِ وَاَیَّدْنٰهُ بِرُوْحِ الْقُدُسِ ؕ— وَلَوْ شَآءَ اللّٰهُ مَا اقْتَتَلَ الَّذِیْنَ مِنْ بَعْدِهِمْ مِّنْ بَعْدِ مَا جَآءَتْهُمُ الْبَیِّنٰتُ وَلٰكِنِ اخْتَلَفُوْا فَمِنْهُمْ مَّنْ اٰمَنَ وَمِنْهُمْ مَّنْ كَفَرَ ؕ— وَلَوْ شَآءَ اللّٰهُ مَا اقْتَتَلُوْا ۫— وَلٰكِنَّ اللّٰهَ یَفْعَلُ مَا یُرِیْدُ ۟۠
ये रसूल जिनका हमने आपसे वर्णन किया है, उनमें से कुछ को हमने वह़्य, अनुयायियों और दर्जों के मामले में दूसरों पर श्रेष्ठता प्रदान की है। उनमें से कुछ वे हैं जिनसे अल्लाह ने बात की, जैसे- मूसा अलैहिस्सलाम, और उनमें से कुछ को ऊँचे पद प्रदान किए, जैसे मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम; क्योंकि आपको सभी मानव जाति के लिए भेजा गया तथा आपपर नुबुव्वत (ईश्दूतत्व) की मुहर लगा दी गई (और ईश्दूतत्व का क्रम समाप्त हो गया) और आपकी उम्मत को दूसरी उम्मतों पर श्रेष्ठता दी गई। और हमने मरयम के पुत्र ईसा को, उनकी नुबुव्वत (ईश्दूतत्व) को प्रमाणित करने वाले स्पष्ट चमत्कार दिए; जैसे मरे हुए व्यक्ति को पुनर्जीवित करना और जन्मजात अंधे और कोढ़ी को ठीक करना। तथा अल्लाह के आदेश को पूरा करने के लिए शक्ति प्रदान करने हेतु, हमने जिबरील अलैहिस्सलाम के द्वारा उनका समर्थन किया। अगर अल्लाह चाहता, तो रसूलों के बाद आने वाले लोग, उनके पास स्पष्ट निशानियाँ आ जाने के पश्चात आपस में न लड़ते। परंतु उन लोगों ने विवाद किया और वे विभाजित हो गए; उनमें से कुछ अल्लाह पर ईमान लाए और कुछ ने उसका इनकार किया। अगर अल्लाह चाहता कि वे आपस में न लड़ें, तो वे आपस में न लड़ते, लेकिन अल्लाह जो चाहता है, करता है। अतः वह जिसे चाहता है अपनी दया और अनुग्रह से ईमान की हिदायत देता है और जिसे चाहता है अपने न्याय और हिकमत से गुमराह कर देता है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اَنْفِقُوْا مِمَّا رَزَقْنٰكُمْ مِّنْ قَبْلِ اَنْ یَّاْتِیَ یَوْمٌ لَّا بَیْعٌ فِیْهِ وَلَا خُلَّةٌ وَّلَا شَفَاعَةٌ ؕ— وَالْكٰفِرُوْنَ هُمُ الظّٰلِمُوْنَ ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान लाने और उसके रसूल का अनुसरण करने वालो! हमने तुम्हें विभिन्न हलाल (वैध) धन में से जो कुछ प्रदान किया है, उसमें से खर्च करो, इससे पहले कि क़ियामत का दिन आ जाए। उस समय, वहाँ न कोई क्रय-विक्रय होगा कि जिससे मनुष्य वह चीज़ प्राप्त कर सके जो उसे लाभ दे, न कोई दोस्ती होगी जो उसे संकट के समय में लाभ दे, और न ही कोई मध्यस्थता (सिफ़ारिश) होगी जो हानि को दूर करे या लाभ पहुँचाए। सिवाय इसके कि जब अल्लाह जिसे चाहे और जिससे वह प्रसन्न हो, अनुमति प्रदान कर दे। और काफ़िर लोग ही वास्तव में अत्याचारी हैं क्योंकि वे सर्वशक्तिमान अल्लाह का इनकार करते हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اَللّٰهُ لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ۚ— اَلْحَیُّ الْقَیُّوْمُ ۚ۬— لَا تَاْخُذُهٗ سِنَةٌ وَّلَا نَوْمٌ ؕ— لَهٗ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَمَا فِی الْاَرْضِ ؕ— مَنْ ذَا الَّذِیْ یَشْفَعُ عِنْدَهٗۤ اِلَّا بِاِذْنِهٖ ؕ— یَعْلَمُ مَا بَیْنَ اَیْدِیْهِمْ وَمَا خَلْفَهُمْ ۚ— وَلَا یُحِیْطُوْنَ بِشَیْءٍ مِّنْ عِلْمِهٖۤ اِلَّا بِمَا شَآءَ ۚ— وَسِعَ كُرْسِیُّهُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ ۚ— وَلَا یَـُٔوْدُهٗ حِفْظُهُمَا ۚ— وَهُوَ الْعَلِیُّ الْعَظِیْمُ ۟
अल्लाह वह है जिस अकेले के सिवा कोई भी वास्तविक रूप से इबादत के लायक़ नहीं है। वह जीवित है, एक पूर्ण जीवन वाला है जिसमें कोई मृत्यु या कमी नहीं है। हर चीज़ को सँभालने वाला है, जो स्वयं क़ायम है, अतः वह अपनी सारी सृष्टि से बेनियाज़ है। तथा उसी से सारी सृष्टि क़ायम है, इसलिए वे अपनी सभी स्थितियों में उससे बेनियाज़ नहीं हो सकते। उसके जीवन की पूर्णता और उसके संपूर्ण रूप से हर चीज़ को संभालने के कारण, उसे न कुछ ऊँघ आती है और न कोई नींद। जो कुछ आकाशों में और जो कुछ धरती में है, सबका अकेला वही मालिक है। उसकी अनुमति और सहमति के बिना किसी को भी उसके पास किसी के लिए सिफ़ारिश करने का अधिकार नहीं है। वह जानता है अपनी सृष्टि के पिछले मामलों को जो घटित हो चुके और जिनका वे भविष्य में सामना करने वाले हैं, जो अभी घटित नहीं हुए। और वे उस सर्वशक्तिमान के ज्ञान में से किसी भी चीज़ को अपने ज्ञान से नहीं घेर सकते, सिवाय उसके जिससे वह उन्हें स्वयं अवगत कराना चाहे। उसकी कुर्सी ने (जो उसके पाँव रखने का स्थान है) आकाशों और धरती को, उनकी विशालता और महानता के बावजूद घेर रखा है। उन दोनों का संरक्षण करना उसके लिए कुछ कठिन या भारी नहीं है। वह अपने अस्तित्व, अपनी नियति और अपने प्रभुत्व में सबसे ऊँचा, अपने राज्य और अधिकार में सबसे महान है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
لَاۤ اِكْرَاهَ فِی الدِّیْنِ ۚ— قَدْ تَّبَیَّنَ الرُّشْدُ مِنَ الْغَیِّ ۚ— فَمَنْ یَّكْفُرْ بِالطَّاغُوْتِ وَیُؤْمِنْ بِاللّٰهِ فَقَدِ اسْتَمْسَكَ بِالْعُرْوَةِ الْوُثْقٰی ۗ— لَا انْفِصَامَ لَهَا ؕ— وَاللّٰهُ سَمِیْعٌ عَلِیْمٌ ۟
इस्लाम धर्म में प्रवेश करने के लिए किसी को भी मजबूर नहीं किया जाएगा; क्योंकि यह स्पष्ट सत्य धर्म है। अतः किसी को इसे ग्रहण करने के लिए मजबूर करने की कोई आवश्यकता नहीं है। हिदायत, गुमराही से बिल्कुल स्पष्ट हो चुकी है। इसलिए जो व्यक्ति अल्लाह के अलावा पूजा की जाने वाली हर चीज़ का इनकार करे और उससे अलगाव प्रकट करे और केवल अल्लाह पर ईमान रखे; तो उसने क़ियामत के दिन मोक्ष के लिए धर्म की सबसे मज़बूत रस्सी पकड़ ली है, जो कभी नहीं टूटेगी। और अल्लाह अपने बंदों की बातों को सुनने वाला, उनके कर्मों को जानने वाला है और वह उन्हें उनका बदला देगा।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• أن الله تعالى قد فاضل بين رسله وأنبيائه، بعلمه وحكمته سبحانه.
• अल्लाह ने अपने ज्ञान एवं हिकमत के अनुसार अपने रसूलों और नबियों के बीच पद एवं प्रतिष्ठा में अतंर किया है।

• إثبات صفة الكلام لله تعالى على ما يليق بجلاله، وأنه قد كلم بعض رسله كموسى ومحمد عليهما الصلاة والسلام.
• अल्लाह के लिए उसकी महिमा के योग्य 'कलाम' (बात करने) की विशेषता को साबित करना, और यह कि उसने अपने कुछ रसूलों, जैसे कि मूसा और मुहम्मद अलैहिमस्सलातु वस्सलाम से बात की।

• الإيمان والهدى والكفر والضلال كلها بمشيئة الله وتقديره، فله الحكمة البالغة، ولو شاء لهدى الخلق جميعًا.
• ईमान, हिदायत, कुफ्र और गुमराही सब अल्लाह की इच्छा और उसकी नियति से हैं। क्योंकि वह बड़ी हिकमत वाला है और अगर वह चाहता तो पूरी सृष्टि को अवश्य हिदायत दे देता।

• آية الكرسي هي أعظم آية في كتاب الله، لما تضمنته من ربوبية الله وألوهيته وبيان أوصافه .
• आयतुल कुर्सी क़ुरआन की सबसे महान आयत है; क्योंकि यह अल्लाह की रुबूबियत और उलूहियत, तथा उसकी विशेषताओं के वर्णन पर आधारित है।

• اتباع الإسلام والدخول فيه يجب أن يكون عن رضًا وقَبول، فلا إكراه في دين الله تعالى.
• इस्लाम का पालन करना और उसमें प्रवेश करना संतुष्टि और स्वीकृति के साथ होना चाहिए। क्योंकि अल्लाह सर्वशक्तिमान के धर्म में कोई ज़बरदस्ती नहीं है।

• الاستمساك بكتاب الله وسُنَّة رسوله أعظم وسيلة للسعادة في الدنيا، والفوز في الآخرة.
• अल्लाह की किताब (क़ुरआन) और उसके रसूल की सुन्नत का पालन इस दुनिया में सौभाग्य और आख़िरत में सफलता का सबसे बड़ा साधन है।

اَللّٰهُ وَلِیُّ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا یُخْرِجُهُمْ مِّنَ الظُّلُمٰتِ اِلَی النُّوْرِ ؕ۬— وَالَّذِیْنَ كَفَرُوْۤا اَوْلِیٰٓـُٔهُمُ الطَّاغُوْتُ یُخْرِجُوْنَهُمْ مِّنَ النُّوْرِ اِلَی الظُّلُمٰتِ ؕ— اُولٰٓىِٕكَ اَصْحٰبُ النَّارِ ۚ— هُمْ فِیْهَا خٰلِدُوْنَ ۟۠
अल्लाह उन लोगों की देखभाल (संरक्षण) करता है जो उस पर ईमान लाए हैं, वह उन्हें सामर्थ्य प्रदान करता और उनकी सहायता करता है, तथा उन्हें कुफ़्र और अज्ञानता के अंधकार से निकालकर ईमान और ज्ञान के प्रकाश में लाता है। और जिन लोगों ने कुफ़्र किया, उनके संरक्षक वे मूर्तियाँ और साझेदार हैं, जिन्होंने उनके लिए कुफ़्र को सुशोभित किया है। और उन्हें ईमान और ज्ञान के प्रकाश से निकालकर कुफ़्र और अज्ञानता के अँधियारों में डाल दिया है। वे लोग आग (दोज़ख़) वाले हैं, वे हमेशा उसी में रहेंगे।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اَلَمْ تَرَ اِلَی الَّذِیْ حَآجَّ اِبْرٰهٖمَ فِیْ رَبِّهٖۤ اَنْ اٰتٰىهُ اللّٰهُ الْمُلْكَ ۘ— اِذْ قَالَ اِبْرٰهٖمُ رَبِّیَ الَّذِیْ یُحْیٖ وَیُمِیْتُ ۙ— قَالَ اَنَا اُحْیٖ وَاُمِیْتُ ؕ— قَالَ اِبْرٰهٖمُ فَاِنَّ اللّٰهَ یَاْتِیْ بِالشَّمْسِ مِنَ الْمَشْرِقِ فَاْتِ بِهَا مِنَ الْمَغْرِبِ فَبُهِتَ الَّذِیْ كَفَرَ ؕ— وَاللّٰهُ لَا یَهْدِی الْقَوْمَ الظّٰلِمِیْنَ ۟ۚ
(ऐ नबी!) क्या आपने उस सरकश की जुर्अत (दुःसाहस) से अधिक आश्चर्यजनक चीज़ देखी, जिसने इबराहीम अलैहिस्सलाम से अल्लाह की रुबूबियत (ईश्वरत्व) और तौहीद (एकेश्वरवाद) के संबंध में बहस की? उसने ऐसा इसलिए किया क्योंकि अल्लाह ने उसे राज्य प्रदान किया, जिससे वह सरकश हो गया। इसपर इबराहीम अलैहिस्सलाम ने उससे अपने पालनहार की विशेषताओं का वर्णन करते हुए कहा : मेरा रब वह है, जो प्राणियों को जीवन और मृत्यु देता है। उस सरकश ने दुराग्रह से कहा : मैं भी जीवन और मृत्यु देता हूँ, इस प्रकार कि मैं जिसे चाहता हूँ, क़त्ल कर देता हूँ और जिसे चाहता हूँ, छोड़ देता हूँ। तब इबराहीम अलैहिस्सलाम ने एक दूसरा उससे बड़ा तर्क प्रस्तुत किया, आपने उससे कहा : मेरा पालनहार, जिसकी मैं इबादत करता हूँ, पूर्व दिशा से सूर्य लाता है, अतः तू उसे पश्चिम की दिशा से ले आ। इसपर वह सरकश चकित रह गया और उससे कोई जवाब नहीं बन पड़ा, तथा तर्क की शक्ति से पराजित हो गया। और अल्लाह अत्याचारियों को, उनके अत्याचार और सरकशी के कारण, अपने पथ पर चलने की तौफीक़ नहीं देता।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اَوْ كَالَّذِیْ مَرَّ عَلٰی قَرْیَةٍ وَّهِیَ خَاوِیَةٌ عَلٰی عُرُوْشِهَا ۚ— قَالَ اَنّٰی یُحْیٖ هٰذِهِ اللّٰهُ بَعْدَ مَوْتِهَا ۚ— فَاَمَاتَهُ اللّٰهُ مِائَةَ عَامٍ ثُمَّ بَعَثَهٗ ؕ— قَالَ كَمْ لَبِثْتَ ؕ— قَالَ لَبِثْتُ یَوْمًا اَوْ بَعْضَ یَوْمٍ ؕ— قَالَ بَلْ لَّبِثْتَ مِائَةَ عَامٍ فَانْظُرْ اِلٰی طَعَامِكَ وَشَرَابِكَ لَمْ یَتَسَنَّهْ ۚ— وَانْظُرْ اِلٰی حِمَارِكَ۫— وَلِنَجْعَلَكَ اٰیَةً لِّلنَّاسِ وَانْظُرْ اِلَی الْعِظَامِ كَیْفَ نُنْشِزُهَا ثُمَّ نَكْسُوْهَا لَحْمًا ؕ— فَلَمَّا تَبَیَّنَ لَهٗ ۙ— قَالَ اَعْلَمُ اَنَّ اللّٰهَ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌ ۟
या क्या आपने उस व्यक्ति की तरह कोई आदमी देखा है, जिसका गुज़र एक ऐसी बस्ती से हुआ, जिसकी छतें गिर गई थीं, उसकी दीवारें ढह गई थीं और उसके निवासी नष्ट हो गए थे, इसलिए वह एक सुनसान उजाड़ बन गई थी? उस आदमी ने आश्चर्य से कहा : अल्लाह इस बस्ती के लोगों को मरने के बाद कैसे पुनर्जीवित करेगा?! तो अल्लाह ने उसे एक सौ साल के लिए मौत दे दी, फिर उसे जीवित किया और उससे पूछा : तू कितने समय तक मरा हुआ रहा? उसने उत्तर दिया : मैं एक दिन या उसका कुछ भाग रहा हूँ। अल्लाह ने उससे कहा : बल्कि, तू पूरे सौ साल रहा है। इसलिए तेरे साथ जो खाना और पानी था उसे देख। वह अपनी हालत पर बाक़ी है, उसमें कोई बदलाव नही आया। हालाँकि सबसे तेज़ बदलाव खाना और पानी में होता है। तथा तू अपने मरे हुए गधे को देख। हमने ऐसा इसलिए किया, ताकि हम तुझे लोगों के लिए इस बात की स्पष्ट निशानी बना दें कि अल्लाह उन्हें दोबारा ज़िंदा करने की पूरी शक्ति रखता है। तथा तू अपने गधे की हड्डियों को देख जो बिखरी हुई और अलग हो गई हैं, हम उन्हें कैसे उठाते हैं और उन्हें एक साथ जोड़ते हैं, फिर उसके बाद उनपर माँस चढ़ाते हैं और उन्हें फिर से जीवित कर देते हैं। जब उसने यह देखा, तो उसके लिए मामले की वास्तविकता स्पष्ट हो गई और उसने अल्लाह की शक्ति को जान लिया। इसलिए उसने इसे स्वीकारते हुए कहा : मैं जानता हूँ कि अल्लाह हर चीज़ पर सर्वशक्तिमान है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• من أعظم ما يميز أهل الإيمان أنهم على هدى وبصيرة من الله تعالى في كل شؤونهم الدينية والدنيوية، بخلاف أهل الكفر.
• ईमान वालों की सबसे बड़ी विशिष्ट विशेषता यह है कि उन्हें, काफ़िरों के विपरीत, अपने सभी धार्मिक और सांसारिक मामलों में अल्लाह सर्वशक्तिमान की ओर से मार्गदर्शन और अंतर्दृष्टि प्राप्त होती है।

• من أعظم أسباب الطغيان الغرور بالقوة والسلطان حتى يعمى المرء عن حقيقة حاله.
• सरकशी के सबसे बड़े कारणों में से एक शक्ति और सत्ता का अहंकार है, यहाँ तक कि उसके कारणवश आदमी अपनी स्थिति की वास्तविकता से अंधा हो जाता है।

• مشروعية مناظرة أهل الباطل لبيان الحق، وكشف ضلالهم عن الهدى.
• सत्य को स्पष्ट करने तथा मार्गदर्शन से उनकी पथभ्रष्टता को उजागर करने के लिए असत्य के लोगों से बहस करने की वैधता।

• عظم قدرة الله تعالى؛ فلا يُعْجِزُهُ شيء، ومن ذلك إحياء الموتى.
• अल्लाह सर्वशक्तिमान की शक्ति की महानता; चुनाँचे उसे कोई चीज़ विवश नहीं कर सकती, उसी में से मरे हुए लोगों को पुनर्जीवित करना है।

وَاِذْ قَالَ اِبْرٰهٖمُ رَبِّ اَرِنِیْ كَیْفَ تُحْیِ الْمَوْتٰی ؕ— قَالَ اَوَلَمْ تُؤْمِنْ ؕ— قَالَ بَلٰی وَلٰكِنْ لِّیَطْمَىِٕنَّ قَلْبِیْ ؕ— قَالَ فَخُذْ اَرْبَعَةً مِّنَ الطَّیْرِ فَصُرْهُنَّ اِلَیْكَ ثُمَّ اجْعَلْ عَلٰی كُلِّ جَبَلٍ مِّنْهُنَّ جُزْءًا ثُمَّ ادْعُهُنَّ یَاْتِیْنَكَ سَعْیًا ؕ— وَاعْلَمْ اَنَّ اللّٰهَ عَزِیْزٌ حَكِیْمٌ ۟۠
(ऐ नबी!) उस समय को याद कीजिए जब इबराहीम अलैहिस्सलाम ने कहा : ऐ मेरे रब! मुझे मेरी दृष्टि से दिखा कि मुर्दों को पुनर्जीवित करना कैसे होगा? अल्लाह ने उनसे कहा : क्या तुमने इस बात पर विश्वास नहीं किया? इबराहीम ने उत्तर दिया : क्यों नहीं, मैंने विश्वास किया, परंतु यह मेरे दिल के आश्वासन में वृद्धि के उद्देश्य से है। अल्लाह ने उन्हें आदेश किया और फरमाया : चार पक्षियों को ले लो, फिर उन्हें अपने से अच्छी तरह परचा लो और उनके टुकड़े-दुकड़े कर दो, फिर अपने आस-पास के पहाड़ों में से हर पहाड़ पर उनका एक हिस्सा रख दो, फिर उन्हें बुलाओ। वे तुम्हारे पास दोड़ते हुए आएँगे, उनमें जीवन लौट आया होगा। और ऐ इबराहीम! जान लो कि अल्लाह अपने राज्य में बहुत प्रभुत्वशाली और अपने आदेश, विधान और रचना में पूर्ण हिकमत वाला है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
مَثَلُ الَّذِیْنَ یُنْفِقُوْنَ اَمْوَالَهُمْ فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ كَمَثَلِ حَبَّةٍ اَنْۢبَتَتْ سَبْعَ سَنَابِلَ فِیْ كُلِّ سُنْۢبُلَةٍ مِّائَةُ حَبَّةٍ ؕ— وَاللّٰهُ یُضٰعِفُ لِمَنْ یَّشَآءُ ؕ— وَاللّٰهُ وَاسِعٌ عَلِیْمٌ ۟
अल्लाह के मार्ग में अपना धन खर्च करने वाले मोमिनों के सवाब का उदहारण एक दाने की तरह है, जिसे किसान एक अच्छी भूमि में डालता है, फिर उससे सात बालियाँ निकलती हैं, जिनमें से प्रत्येक बाली में एक सौ दाने होते हैं। अल्लाह अपने बंदों में से जिसका चाहता है, सवाब बढ़ा देता है, चुनाँचे वह उन्हें उनका प्रतिफल बिना हिसाब देता है। और अल्लाह अनुग्रह और देने में बहुत विस्तार वाला है, वह ख़ूब जानता है कि कौन कई गुना बढ़ाकर दिए जाने का हक़दार है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اَلَّذِیْنَ یُنْفِقُوْنَ اَمْوَالَهُمْ فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ ثُمَّ لَا یُتْبِعُوْنَ مَاۤ اَنْفَقُوْا مَنًّا وَّلَاۤ اَذًی ۙ— لَّهُمْ اَجْرُهُمْ عِنْدَ رَبِّهِمْ ۚ— وَلَا خَوْفٌ عَلَیْهِمْ وَلَا هُمْ یَحْزَنُوْنَ ۟
जो लोग अपना धन अल्लाह की आज्ञाकारिता और उसकी प्रसन्नता की चीज़ों में खर्च करते हैं, फिर अपने खर्च करने के बाद कोई ऐसा काम नहीं करते, जो उसके प्रतिफल को नष्ट करने वाला हो, जैसे कि अपने शब्द या कर्म से लोगों पर उपकार जताना, उनके लिए उनका प्रतिफल उनके पालनहार के पास है। वे जिस चीज़ का सामना करने वाले है उसमें उनके लिए कोई भय नहीं है, और न ही वे, उन्हें प्राप्त नेमतों की महानता के कारण, बीत चुकी चीज़ों पर शोक करेंगे।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
قَوْلٌ مَّعْرُوْفٌ وَّمَغْفِرَةٌ خَیْرٌ مِّنْ صَدَقَةٍ یَّتْبَعُهَاۤ اَذًی ؕ— وَاللّٰهُ غَنِیٌّ حَلِیْمٌ ۟
एक अच्छी बात जिससे आप किसी ईमान वाले के दिल में खुशी ले आएँ, और जिस व्यक्ति ने आपके साथ दुर्व्यवहार किया है, क्षमा कर दें; यह उस दान से बेहतर है, जिसके बाद उस आदमी पर उपकार जताकर कष्ट दिया जाए, जिसपर दान किया गया है। और अल्लाह अपने बंदों से बहुत बेनियाज़, अत्यंत सहनशील है उन्हें दंड देने में जल्दी नहीं करता है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا لَا تُبْطِلُوْا صَدَقٰتِكُمْ بِالْمَنِّ وَالْاَذٰی ۙ— كَالَّذِیْ یُنْفِقُ مَالَهٗ رِئَآءَ النَّاسِ وَلَا یُؤْمِنُ بِاللّٰهِ وَالْیَوْمِ الْاٰخِرِ ؕ— فَمَثَلُهٗ كَمَثَلِ صَفْوَانٍ عَلَیْهِ تُرَابٌ فَاَصَابَهٗ وَابِلٌ فَتَرَكَهٗ صَلْدًا ؕ— لَا یَقْدِرُوْنَ عَلٰی شَیْءٍ مِّمَّا كَسَبُوْا ؕ— وَاللّٰهُ لَا یَهْدِی الْقَوْمَ الْكٰفِرِیْنَ ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने और उसके रसूल का अनुसरण करने वालो! जिसे दान दिया गया है, उसपर एहसान जताकर और उसे कष्ट पहुँचाकर अपने दान का प्रतिफल खराब न करो। क्योंकि ऐसा करने वाले का उदाहरण उस व्यक्ति के समान है जो अपना धन इस इरादे से खर्च करता है कि लोग उसे देखें और उसकी प्रशंसा करें। और वह एक काफ़िर व्यक्ति है, जो न अल्लाह पर और न क़ियामत के दिन और उसमें मौजूद सवाब एवं सज़ा पर ईमान रखता है। तो इसका उदाहरण एक चिकने पत्थर जैसा है, जिसपर मिट्टी पड़ी हो, फिर उसपर तेज़ बारिश हो जाए और वह पत्थर से मिट्टी को हटा दे और उसे चिकना छोड़ दे, उसपर कोई चीज़ न हो। इसी तरह दिखावा करने वालों का मामला है, उनके कार्यों और खर्च का सवाब समाप्त हो जाता है और उसमें से कुछ भी अल्लाह के पास बाक़ी नहीं रहता। और अल्लाह काफ़िरों को उसकी हिदायत नहीं देता, जिससे वह सर्वशक्तिमान प्रसन्न होता है और जो उन्हें उनके कार्यों और उनके खर्च में लाभ पहुँचाए।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• مراتب الإيمان بالله ومنازل اليقين به متفاوتة لا حد لها، وكلما ازداد العبد نظرًا في آيات الله الشرعية والكونية زاد إيمانًا ويقينًا.
• अल्लाह पर ईमान के स्तर और उसपर विश्वास के दर्जे भिन्न-भिन्न हैं, जिनकी कोई सीमा नहीं है। एक व्यक्ति जितना अधिक अल्लाह की शरई और लौकिक निशानियों पर विचार करता है, उतना ही उसका ईमान और विश्वास (यक़ीन) बढ़ जाता है।

• بَعْثُ الله تعالى للخلق بعد موتهم دليل ظاهر على كمال قدرته وتمام عظمته سبحانه.
• अल्लाह तआला का प्राणियों को उनकी मृत्यु के बाद पुनर्जीवित करना, उसकी शक्ति की पूर्णता और उसकी महानता की परिपूर्णता का एक स्पष्ट प्रमाण है।

• فضل الإنفاق في سبيل الله وعظم ثوابه، إذا صاحبته النية الصالحة، ولم يلحقه أذى ولا مِنّة محبطة للعمل.
• अल्लाह के रास्ते में खर्च करने की फ़ज़ीलत और उसके सवाब की महानता, यदि यह एक अच्छे इरादे के साथ है, और उसके पश्चात उपकार जताने या कष्ट देने वाली कोई बात न हो, जिससे कार्य बर्बाद हो जाता है।

• من أحسن ما يقدمه المرء للناس حُسن الخلق من قول وفعل حَسَن، وعفو عن مسيء.
• सबसे अच्छी चीजों में से एक जो आदमी लोगों को दे सकता है, वह अच्छा आचरण है, जैसे अच्छी बात और अच्छा कार्य करना, तथा गलत करने वाले को क्षमा कर देना।

وَمَثَلُ الَّذِیْنَ یُنْفِقُوْنَ اَمْوَالَهُمُ ابْتِغَآءَ مَرْضَاتِ اللّٰهِ وَتَثْبِیْتًا مِّنْ اَنْفُسِهِمْ كَمَثَلِ جَنَّةٍ بِرَبْوَةٍ اَصَابَهَا وَابِلٌ فَاٰتَتْ اُكُلَهَا ضِعْفَیْنِ ۚ— فَاِنْ لَّمْ یُصِبْهَا وَابِلٌ فَطَلٌّ ؕ— وَاللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ بَصِیْرٌ ۟
उन ईमान वालों का उदाहरण, जो अपना धन अल्लाह की प्रसन्नता की तलाश में खर्च करते हैं, इस हाल में कि उनके दिल बिना किसी मजबूरी के अल्लाह के वादे की सच्चाई से आश्वस्त होते हैं, उस बाग़ के उदाहरण जैसा है, जो किसी अच्छे ऊँचे स्थान पर हो। जिसपर एक भारी बारिश बरसे, तो वह (बाग़) दुगना फल उत्पन्न करे। फिर यदि उसपर भारी वर्षा न हो, तो उस पर एक हल्की वर्षा हो, जो उस भूमि के अच्छी होने के कारण उसके लिए काफी हो। इसी तरह, निष्ठावान लोगों के खर्च को अल्लाह स्वीकार करता और उनके प्रतिफल को कई गुना कर देता है, भले ही वह कम हो। और अल्लाह जो कुछ तुम करते हो, उसे देख रहा है। उससे दिखावा करने वालों और निष्ठा के साथ खर्च करने वालों का हाल छिपा हुआ नहीं है और वह प्रत्येक को वह बदला देगा, जिसका वह योग्य है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اَیَوَدُّ اَحَدُكُمْ اَنْ تَكُوْنَ لَهٗ جَنَّةٌ مِّنْ نَّخِیْلٍ وَّاَعْنَابٍ تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ ۙ— لَهٗ فِیْهَا مِنْ كُلِّ الثَّمَرٰتِ ۙ— وَاَصَابَهُ الْكِبَرُ وَلَهٗ ذُرِّیَّةٌ ضُعَفَآءُ ۖۚ— فَاَصَابَهَاۤ اِعْصَارٌ فِیْهِ نَارٌ فَاحْتَرَقَتْ ؕ— كَذٰلِكَ یُبَیِّنُ اللّٰهُ لَكُمُ الْاٰیٰتِ لَعَلَّكُمْ تَتَفَكَّرُوْنَ ۟۠
क्या तुममें से किसी को पसंद है कि उसके पास खजूरों और अँगूरों का एक बाग़ हो, जिसके बीच से मीठा पानी बहता हो। उस बाग़ में उसके लिए प्रत्येक प्रकार के अच्छे फल हों। उस बाग़ के मालिक को बुढ़ापा आ पहुँचे और वह इतना बूढ़ा हो गया हो कि काम करने और कमाने में असमर्थ हो, तथा उसके कमज़ोर छोटे-छोटे बच्चे हों, जो काम न कर सकते हों। फिर उस बाग़ पर एक आँधी चले, जिसमें एक तेज़ आग हो और सारा बाग़ जलकर खाक हो जाए। हालाँकि अपने बुढ़ापे और अपने बच्चों की कमज़ोरी के कारण उसे इसकी सख़्त ज़रूरत थी?! अतः लोगों को दिखाने के लिए अपना धन खर्च करने वाले की स्थिति इसी आदमी की तरह है; वह क़ियामत के दिन अल्लाह के पास बिना नेकियों के आएगा, एक ऐसे समय में जब उसे उनकी सबसे अधिक आवश्यकता होगी। इसी प्रकार अल्लाह तुम्हारे लिए वे चीज़ें खोल-खोलकर बयान करती है, जो दुनिया और आख़िरत में तुम्हें लाभ पहुँचाने वाली हैं, ताकि तुम उनपर चिंतन करो।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اَنْفِقُوْا مِنْ طَیِّبٰتِ مَا كَسَبْتُمْ وَمِمَّاۤ اَخْرَجْنَا لَكُمْ مِّنَ الْاَرْضِ ۪— وَلَا تَیَمَّمُوا الْخَبِیْثَ مِنْهُ تُنْفِقُوْنَ وَلَسْتُمْ بِاٰخِذِیْهِ اِلَّاۤ اَنْ تُغْمِضُوْا فِیْهِ ؕ— وَاعْلَمُوْۤا اَنَّ اللّٰهَ غَنِیٌّ حَمِیْدٌ ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने और उसके रसूल का अनुसरण करने वालो! जो अच्छा हलाल (वैध) धन तुमने कमाया है, उसमें से खर्च करो, और जो कुछ हमने तुम्हारे लिए पृथ्वी के पौधों में से निकाला है, उसमें से खर्च करो, और उसमें से रद्दी (दोषपूर्ण) चीज़ का इरादा न करो कि तुम उसे खर्च करो, हालाँकि यदि वह तुमको दी जाए, तो तुम उसे नहीं लोगो, सिवाय इसके कि तुम उसकी बुराई (ख़राबी) की उनदेखी कर जाओ। तो तुम अल्लाह के लिए वह चीज़ कैसे पसंद करते हो, जो तुम अपने लिए पसंद नहीं करते?! और जान लो कि अल्लाह तुम्हारे खर्च से बेनियाज़ है, अपने अस्तित्व और अपने कार्यों में प्रशंसनीय है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اَلشَّیْطٰنُ یَعِدُكُمُ الْفَقْرَ وَیَاْمُرُكُمْ بِالْفَحْشَآءِ ۚ— وَاللّٰهُ یَعِدُكُمْ مَّغْفِرَةً مِّنْهُ وَفَضْلًا ؕ— وَاللّٰهُ وَاسِعٌ عَلِیْمٌ ۟
शैतान तुम्हें ग़रीबी से डराता और कंजूसी पर उभारता है, तथा तुम्हें पाप और अवज्ञा करने के लिए बुलाता है। जबकि अल्लाह तुम्हारे पापों के लिए बड़ी क्षमा तथा व्यापक जीविका का वादा करता है। और अल्लाह विशाल अनुग्रह वाला, अपने बंदों की स्थितियों के बारे में ख़ूब जानने वाला है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
یُّؤْتِی الْحِكْمَةَ مَنْ یَّشَآءُ ۚ— وَمَنْ یُّؤْتَ الْحِكْمَةَ فَقَدْ اُوْتِیَ خَیْرًا كَثِیْرًا ؕ— وَمَا یَذَّكَّرُ اِلَّاۤ اُولُوا الْاَلْبَابِ ۟
अल्लाह अपने बंदों में से जिसे चाहता है, उसे कथन में सत्यता एवं कार्य में शुद्धता प्रदान करता है और जिसे यह विशेषता दे दी गई, तो वास्तव में उसे बहुत भलाई दी गई। तथा अल्लाह की निशानियों से केवल वे पूर्ण बुद्धि वाले उपदेश ग्रहण करते हैं, जो अल्लाह के प्रकाश से प्रकाश प्राप्त करते और उसके मार्गदर्शन से निर्देश हासिल करते हैं।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• المؤمنون بالله تعالى حقًّا واثقون من وعد الله وثوابه، فهم ينفقون أموالهم ويبذلون بلا خوف ولا حزن ولا التفات إلى وساوس الشيطان كالتخويف بالفقر والحاجة.
• अल्लाह पर सच्चा ईमान रखने वाले अल्लाह के वादे और प्रतिफल के प्रति आश्वस्त होते हैं। अतः वे बिना किसी डर या दुःख के अपना धन खर्च करते हैं और शैतान के बुरे विचारों, जैसे कि ग़रीबी और ज़रूरत से डराने, की ओर ध्यान नहीं देते हैं।

• الإخلاص من أعظم ما يبارك الأعمال ويُنمِّيها.
• इख़्लास (निष्ठा), सबसे बड़ी चीजों में से एक है जो कामों में बरकत देता और उनमें बढ़ोतरी प्रदान करता है।

• أعظم الناس خسارة من يرائي بعمله الناس؛ لأنه ليس له من ثواب على عمله إلا مدحهم وثناؤهم.
• सबसे अधिक घाटे में वह व्यक्ति है, जो लोगों को दिखाने के लिए काम करता है; क्योंकि उसके लिए अपने काम का लोगों की प्रशंसा और स्तुति के अलावा कोई प्रतिफल नहीं है।

وَمَاۤ اَنْفَقْتُمْ مِّنْ نَّفَقَةٍ اَوْ نَذَرْتُمْ مِّنْ نَّذْرٍ فَاِنَّ اللّٰهَ یَعْلَمُهٗ ؕ— وَمَا لِلظّٰلِمِیْنَ مِنْ اَنْصَارٍ ۟
तुम अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए जो भी थोड़ा हो या बहुत खर्च करो, या तुम अपनी ओर से अल्लाह की आज्ञाकारिता का कोई कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध हो जाओ, जिसके लिए तुम बाध्य नहीं किए गए हो; तो निःसंदेह अल्लाह वह सब जानता है। अतः उसमें से कोई भी चीज़ उसके पास बर्बाद नहीं होगी और वह तुम्हें उसका सबसे बड़ा बदला देगा। तथा उन अत्याचारियों के लिए, जो अपने ऊपर अनिवार्य चीज़ों को रोकने वाले, अल्लाह की सीमाओं का उल्लंघन करने वाले हैं, कोई मदद करने वाले नहीं होंगे, जो उनसे क़ियामत के दिन की सज़ा को दूर कर सकें।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اِنْ تُبْدُوا الصَّدَقٰتِ فَنِعِمَّا هِیَ ۚ— وَاِنْ تُخْفُوْهَا وَتُؤْتُوْهَا الْفُقَرَآءَ فَهُوَ خَیْرٌ لَّكُمْ ؕ— وَیُكَفِّرُ عَنْكُمْ مِّنْ سَیِّاٰتِكُمْ ؕ— وَاللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ خَبِیْرٌ ۟
तुम जो कुछ भी दान में धन देते हो, यदि उसे दिखाकर दो तो तुम्हारा यह दान देना अच्छा है, परंतु यदि तमु उसे गुप्त रखते हुए ग़रीबों को दो, तो यह तुम्हारे लिए दिखाने से बेहतर है। क्योंकि यह इख़्लास (निष्ठा) के अधिक निकट है। तथा निष्ठावानों के दान में उनके पापों के लिए एक आवरण और उनके लिए क्षमा है। तथा अल्लाह तुम्हारे कार्यों से अवगत है। अतः तुम्हारी हालतों में से कुछ भी उससे छिपा नहीं है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
لَیْسَ عَلَیْكَ هُدٰىهُمْ وَلٰكِنَّ اللّٰهَ یَهْدِیْ مَنْ یَّشَآءُ ؕ— وَمَا تُنْفِقُوْا مِنْ خَیْرٍ فَلِاَنْفُسِكُمْ ؕ— وَمَا تُنْفِقُوْنَ اِلَّا ابْتِغَآءَ وَجْهِ اللّٰهِ ؕ— وَمَا تُنْفِقُوْا مِنْ خَیْرٍ یُّوَفَّ اِلَیْكُمْ وَاَنْتُمْ لَا تُظْلَمُوْنَ ۟
(ऐ नबी!) उन्हें सत्य को स्वीकार करने और उसका पालन करने की हिदायत देना और उन्हें उसपर तत्पर करना आपके ज़िम्मे नहीं है। आपका काम केवल उन्हें सत्य के लिए मार्गदर्शन करना और उन्हें उसके बारे में परिचय देना है। क्योंकि सत्य की तौफ़ीक़ देना और उसकी हिदायत प्रदान करना अल्लाह के हाथ में है। वह जिसे चाहता है, हिदायत प्रदान करता है। तथा तुम जो भी धन खर्च करोगे, उसका लाभ तुम्हारे पास ही आएगा, क्योंकि अल्लाह उससे बेनियाज़ है। और तुम्हारा खर्च केवल अल्लाह के लिए होना चाहिए। क्योंकि सच्चे ईमान वाले केवल अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए ही खर्च करते हैं। तथा तुम जो कुछ भी खर्च करोगे, चाहे थोड़ा या बहुत, तुम्हें उसका भरपूर बदला दिया जाएगा, उसमें कोई कमी नहीं की जाएगी। क्योंकि अल्लाह किसी पर अत्याचार नहीं करता।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
لِلْفُقَرَآءِ الَّذِیْنَ اُحْصِرُوْا فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ لَا یَسْتَطِیْعُوْنَ ضَرْبًا فِی الْاَرْضِ ؗ— یَحْسَبُهُمُ الْجَاهِلُ اَغْنِیَآءَ مِنَ التَّعَفُّفِ ۚ— تَعْرِفُهُمْ بِسِیْمٰىهُمْ ۚ— لَا یَسْـَٔلُوْنَ النَّاسَ اِلْحَافًا ؕ— وَمَا تُنْفِقُوْا مِنْ خَیْرٍ فَاِنَّ اللّٰهَ بِهٖ عَلِیْمٌ ۟۠
यह दान उन ग़रीबों को दो, जिन्हें अल्लाह के मार्ग में जिहाद ने आजीविका की तलाश में यात्रा करने से रोक दिया है। उनकी स्थिति से अनभिज्ञ व्यक्ति उन्हें उनके माँगने से बचने के कारण धनवान् समझता है। हालाँकि जो व्यक्ति उनसे परिचित है, वह उन्हें उनके लक्षणों से पहचानता है, क्योंकि उनके शरीर और कपड़ों पर आवश्यकता स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी पहचान यह भी है कि वे अन्य ग़रीब लोगों की तरह नहीं हैं, जो लोगों से माँगते हुए उनके पीछे पड़ जाते हैं। तथा तुम अपने धन इत्यादि में से जो कुछ भी ख़र्च करोगे, तो निश्चय अल्लाह उसे भली-भाँति जानता है और वह तुम्हें उसका बहुत बड़ा बदला देगा।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اَلَّذِیْنَ یُنْفِقُوْنَ اَمْوَالَهُمْ بِالَّیْلِ وَالنَّهَارِ سِرًّا وَّعَلَانِیَةً فَلَهُمْ اَجْرُهُمْ عِنْدَ رَبِّهِمْ ۚ— وَلَا خَوْفٌ عَلَیْهِمْ وَلَا هُمْ یَحْزَنُوْنَ ۟ؔ
जो लोग रात और दिन, छिपे और खुले, बिना किसी दिखावा और ख्याति के अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए अपना धन खर्च करते हैं, तो उनके लिए उनका प्रतिफल क़ियामत के दिन उनके पालनहार के पास है। उनको अपने भविष्य के बारे में कोई डर नहीं है और न ही वे संसार की छूटी हुई चीज़ों का शोक करेंगे। यह सब अल्लाह की ओर से एक अनुग्रह और कृपा के तौर पर है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• إذا أخلص المؤمن في نفقاته وصدقاته فلا حرج عليه في إظهارها وإخفائها بحسب المصلحة، وإن كان الإخفاء أعظم أجرًا وثوابًا لأنها أقرب للإخلاص.
• यदि मोमिन बंदा अपने ख़र्च और दान में मुख़्लिस (निष्ठावान) है, तो हित के अनुसार उसे दिखाने और छिपाने में कोई आपत्ति की बात नहीं है। हालाँकि छिपाने में अधिक पुन्य है; क्योंकि वह इख़्लास (निष्ठा) के अधिक निकट है।

• دعوة المؤمنين إلى الالتفات والعناية بالمحتاجين الذين تمنعهم العفة من إظهار حالهم وسؤال الناس.
• इसमें ईमान वालों से आह्वान किया गया है कि वे ऐसे ज़रूरतमंदों पर ध्यान दें और उनकी देखभाल करें, जिन्हें भिक्षावृत्ति से परहेज़ अपनी स्थिति प्रकट करने और लोगों से माँगने से रोकती है।

• مشروعية الإنفاق في سبيل الله تعالى في كل وقت وحين، وعظم ثوابها، حيث وعد تعالى عليها بعظيم الأجر في الدنيا والآخرة.
• अल्लाह के मार्ग में हर समय और हर घड़ी खर्च करने की वैधता और उसका महान प्रतिफल, क्येंकि अल्लाह ने इसपर दुनिया और आख़िरत में महान प्रतिफल का वादा किया है।

اَلَّذِیْنَ یَاْكُلُوْنَ الرِّبٰوا لَا یَقُوْمُوْنَ اِلَّا كَمَا یَقُوْمُ الَّذِیْ یَتَخَبَّطُهُ الشَّیْطٰنُ مِنَ الْمَسِّ ؕ— ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ قَالُوْۤا اِنَّمَا الْبَیْعُ مِثْلُ الرِّبٰوا ۘ— وَاَحَلَّ اللّٰهُ الْبَیْعَ وَحَرَّمَ الرِّبٰوا ؕ— فَمَنْ جَآءَهٗ مَوْعِظَةٌ مِّنْ رَّبِّهٖ فَانْتَهٰی فَلَهٗ مَا سَلَفَ ؕ— وَاَمْرُهٗۤ اِلَی اللّٰهِ ؕ— وَمَنْ عَادَ فَاُولٰٓىِٕكَ اَصْحٰبُ النَّارِ ۚ— هُمْ فِیْهَا خٰلِدُوْنَ ۟
जो लोग ब्याज का लेन-देन करते और उसे लेते हैं, वे क़ियामत के दिन अपनी क़ब्रों से ऐसे उठेंगे, जैसे वह आदमी उठता है जिसे शैतान ने छू लिया हो। चुनाँचे वह अपनी क़ब्र से ऐसे लड़खड़ाते हुए उठेगा, जैसे मिर्गी से ग्रस्त व्यक्ति अपने उठने-बैठने में लड़खड़ाता है। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि उन्होंने सूद का उपभोग करना जायज़ ठहरा लिया और उन्होंने अल्लाह के हलाल किए हुए व्यापार के मुनाफे और ब्याज के बीच कोई अंतर नहीं किया। उन्होंने कहा : व्यापार तो हलाल होने में ब्याज ही की तरह है। क्योंकि दोनों से धन में वृद्धि और बढ़ोतरी होती है। तो अल्लाह ने उनका खंडन किया, उनके क़यास को अमान्य करते हुए उन्हें झुठला दिया और यह स्पष्ट कर दिया कि अल्लाह ने व्यापार को ह़लाल किया है; क्योंकि उसमें सामान्य और विशिष्ट लाभ है और ब्याज को हराम (अवैध) किया है; क्योंकि उसमें अत्याचार और लोगों का धन बिना मुआवज़े के अनुचित तरीक़े से खाना शामिल है। फिर जिसके पास उसके पालनहार की ओर से कोई उपदेश आए, जिसमें ब्याज से निषेध और उससे सावधान किया गया हो, तो वह उससे रुक जाए और अल्लाह से तौबा कर ले; तो इससे पहले जो कुछ ब्याज वह ले चुका है, उसके बारे में उसपर कोई पाप नहीं है। तथा उसके बाद भविष्य में जो कुछ वह करता है, उसका मामला अल्लाह के हवाले है। परंतु जो व्यक्ति अल्लाह की ओर से निषेधाज्ञा पहुँच जाने के बाद तथा उसपर तर्क स्थापित हो जाने के पश्चात दोबारा ब्याज लेने की ओर लौट आया; तो वह जहन्नम में प्रवेश करने और उसमें हमेशा रहने का भागी बन गया। यहाँ जहन्नम में हमेशा रहने का मतलब सूद को हलाल समझते हुए उसका उपभोग करना है या इसका अभिप्राय उसमें लंबे समय तक रहना है। क्योंकि जहन्नम में हमेशा के लिए केवल काफ़िरों को रहना है। तौहीद पर क़ायम रहने वाले लोग उसमें हमेशा के लिए नहीं रहेंगे।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
یَمْحَقُ اللّٰهُ الرِّبٰوا وَیُرْبِی الصَّدَقٰتِ ؕ— وَاللّٰهُ لَا یُحِبُّ كُلَّ كَفَّارٍ اَثِیْمٍ ۟
अल्लाह ब्याज के धन को नष्ट और समाप्त कर देता है; या तो ज़ाहिरी तौर पर उसे विनष्ट कर देता है या आंतरिक तौर पर उससे बरकत को छीन लेता है। तथा वह दान के प्रतिफल को कई गुना करके, उसे बढ़ाता और विकसित करता है। चुनाँचे वह एक नेकी को दस गुना से सात सौ गुना तक बल्कि उससे भी अधिक गुना तक कर देता है और दान करने वालों के धन में बरकत देता है। तथा अल्लाह किसी ऐसे व्यक्ति से प्रेम नहीं करता जो हठी काफिर हो, जो हराम को हलाल ठहराने वाला, अवज्ञा और कुकर्मों में लिप्त रहने वाला हो।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اِنَّ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ وَاَقَامُوا الصَّلٰوةَ وَاٰتَوُا الزَّكٰوةَ لَهُمْ اَجْرُهُمْ عِنْدَ رَبِّهِمْ ۚ— وَلَا خَوْفٌ عَلَیْهِمْ وَلَا هُمْ یَحْزَنُوْنَ ۟
निःसंदेह जो लोग अल्लाह पर ईमान लाए, उसके रसूल का अनुसरण किया,अच्छे काम किए और अल्लाह ने जैसा निर्धारित किया है, उसके अनुसार पूरी तरह से नमाज़ अदा की और उन लोगों को अपने धन की ज़कात दी जो उसके हक़दार हैं; उनका प्रतिफल उनके रब के पास है, उन्हें भविष्य में अपने मामलों के बारे में किसी चीज़ का भय नहीं है और न ही वे दुनिया की छूटी हुई चीज़ों और उसकी नेमतों पर दुःखी होंगे।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوا اتَّقُوا اللّٰهَ وَذَرُوْا مَا بَقِیَ مِنَ الرِّبٰۤوا اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِیْنَ ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने और उसके रसूल का अनुसरण करने वालो! अल्लाह से डरो; इस तौर पर कि उसके आदेशों का पालन करो और उसके निषेधों से बचो, तथा लोगों के पास ब्याज के धन से जो कुछ बचा है, उसे माँगना छोड़ दो, यदि तुम वास्तव में अल्लाह पर और उसपर विश्वास रखते हो जो अल्लाह ने तुम्हें ब्याज से मना किया है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
فَاِنْ لَّمْ تَفْعَلُوْا فَاْذَنُوْا بِحَرْبٍ مِّنَ اللّٰهِ وَرَسُوْلِهٖ ۚ— وَاِنْ تُبْتُمْ فَلَكُمْ رُءُوْسُ اَمْوَالِكُمْ ۚ— لَا تَظْلِمُوْنَ وَلَا تُظْلَمُوْنَ ۟
अगर तुम वह काम न करो, जिसका तुम्हें आदेश दिया गया है, तो तुम जान लो और यक़ीन कर लो कि अल्लाह और उसके रसूल की ओर से युद्ध की घोषणा है। अगर तुम अल्लाह के समक्ष तौबा कर लो और ब्याज छोड़ दो, तो तुम्हें उधार दी हुई मूल पूँजी वसूल करने का अधिकार है। अपनी मूल पूँजी से अधिक लेकर न तुम किसी पर अत्याचार करोगे और न उसमें कमी करके तुमपर अत्याचार किया जाएगा।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاِنْ كَانَ ذُوْ عُسْرَةٍ فَنَظِرَةٌ اِلٰی مَیْسَرَةٍ ؕ— وَاَنْ تَصَدَّقُوْا خَیْرٌ لَّكُمْ اِنْ كُنْتُمْ تَعْلَمُوْنَ ۟
और यदि तुम जिससे क़र्ज़ चुकाने की माँग कर रहे हो वह दिवालिया हो, अपना क़र्ज़ चुकाने में समर्थ न हो, तो उससे क़र्ज़ की माँग को विलंबित कर दो यहाँ तक कि उसके पास धन उपलब्ध हो जाए और वह क़र्ज़ का भुगतान करने में सक्षम हो जाए। और यह कि तुम क़र्ज़ चुकाने का मुतालबा त्यागकर या उसमें से कुछ हिस्सा छोड़कर उसपर दान कर दो, तो तुम्हारे लिए बेहतर है, यदि तुम जानते हो कि अल्लाह के पास इसकी क्या फज़ीलत है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
وَاتَّقُوْا یَوْمًا تُرْجَعُوْنَ فِیْهِ اِلَی اللّٰهِ ۫— ثُمَّ تُوَفّٰی كُلُّ نَفْسٍ مَّا كَسَبَتْ وَهُمْ لَا یُظْلَمُوْنَ ۟۠
उस दिन की यातना से डरो, जब तुम सब अल्लाह की ओर लौटाए जाओगे और उसके सामने खड़े हो जाओगे, फिर हर प्राणी को उसके किए हुए का बदला दिया जाएगा, चाहे वह अच्छा हो या बुरा। उनके अच्छे कर्मों के प्रतिफल को कम करके, या उनके बुरे कर्मों की सज़ा को बढ़ाकर उन पर अत्याचार नहीं किया जाएगा।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• من أعظم الكبائر أكل الربا، ولهذا توعد الله تعالى آكله بالحرب وبالمحق في الدنيا والتخبط في الآخرة.
• सबसे बड़े गुनाहों में से एक सूदखोरी है। इसी कारण अल्लाह ने सूद खाने वाले को युद्ध की तथा दुनिया में सूद को मिटाने और आख़िरत में बदहवासी का शिकार होने की धमकी दी है।

• الالتزام بأحكام الشرع في المعاملات المالية ينزل البركة والنماء فيها.
• वित्तीय लेनदेन में शरई नियमों के पालन से धन में बरकत और बढ़ोतरी होती है।

• فضل الصبر على المعسر، والتخفيف عنه بالتصدق عليه ببعض الدَّين أو كله.
• दिवालिया पर धैर्य रखने, तथा कुछ या पूरे क़र्ज़ को उसपर दान करके उसके साथ आसानी करने की फ़ज़ीलत।

یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اِذَا تَدَایَنْتُمْ بِدَیْنٍ اِلٰۤی اَجَلٍ مُّسَمًّی فَاكْتُبُوْهُ ؕ— وَلْیَكْتُبْ بَّیْنَكُمْ كَاتِبٌ بِالْعَدْلِ ۪— وَلَا یَاْبَ كَاتِبٌ اَنْ یَّكْتُبَ كَمَا عَلَّمَهُ اللّٰهُ فَلْیَكْتُبْ ۚ— وَلْیُمْلِلِ الَّذِیْ عَلَیْهِ الْحَقُّ وَلْیَتَّقِ اللّٰهَ رَبَّهٗ وَلَا یَبْخَسْ مِنْهُ شَیْـًٔا ؕ— فَاِنْ كَانَ الَّذِیْ عَلَیْهِ الْحَقُّ سَفِیْهًا اَوْ ضَعِیْفًا اَوْ لَا یَسْتَطِیْعُ اَنْ یُّمِلَّ هُوَ فَلْیُمْلِلْ وَلِیُّهٗ بِالْعَدْلِ ؕ— وَاسْتَشْهِدُوْا شَهِیْدَیْنِ مِنْ رِّجَالِكُمْ ۚ— فَاِنْ لَّمْ یَكُوْنَا رَجُلَیْنِ فَرَجُلٌ وَّامْرَاَتٰنِ مِمَّنْ تَرْضَوْنَ مِنَ الشُّهَدَآءِ اَنْ تَضِلَّ اِحْدٰىهُمَا فَتُذَكِّرَ اِحْدٰىهُمَا الْاُخْرٰی ؕ— وَلَا یَاْبَ الشُّهَدَآءُ اِذَا مَا دُعُوْا ؕ— وَلَا تَسْـَٔمُوْۤا اَنْ تَكْتُبُوْهُ صَغِیْرًا اَوْ كَبِیْرًا اِلٰۤی اَجَلِهٖ ؕ— ذٰلِكُمْ اَقْسَطُ عِنْدَ اللّٰهِ وَاَقْوَمُ لِلشَّهَادَةِ وَاَدْنٰۤی اَلَّا تَرْتَابُوْۤا اِلَّاۤ اَنْ تَكُوْنَ تِجَارَةً حَاضِرَةً تُدِیْرُوْنَهَا بَیْنَكُمْ فَلَیْسَ عَلَیْكُمْ جُنَاحٌ اَلَّا تَكْتُبُوْهَا ؕ— وَاَشْهِدُوْۤا اِذَا تَبَایَعْتُمْ ۪— وَلَا یُضَآرَّ كَاتِبٌ وَّلَا شَهِیْدٌ ؕ۬— وَاِنْ تَفْعَلُوْا فَاِنَّهٗ فُسُوْقٌ بِكُمْ ؕ— وَاتَّقُوا اللّٰهَ ؕ— وَیُعَلِّمُكُمُ اللّٰهُ ؕ— وَاللّٰهُ بِكُلِّ شَیْءٍ عَلِیْمٌ ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने और उसके रसूल का अनुसरण करने वालो! जब तुम आपस में उधार का लेन-देन करो, इस प्रकार कि तुममें से एक व्यक्ति दूसरे को एक निश्चित अवधि के लिए उधार दे, तो उस उधार को लिख लो। और एक लिखने वाला तुम्हारे बीच शरीयत के अनुसार सच्चाई और न्याय के साथ लिखे। तथा लिखने वाला उधार को उसके अनुसार लिखने से इनकार न करे जो अल्लाह ने उसे न्याय के साथ लिखना सिखाया है। अतः उसे चाहिए कि देनदार जो कुछ लिखवा रहा हो, उसे लिख दे; ताकि यह देनदार की ओर से एक स्वीकृति हो जाए। लिखवाने वाले को चाहिए कि अल्लाह से डरे और लिखवाने में उधार की मात्रा, या उसके प्रकार या उसके विवरण में से कुछ भी कम न करे। यदि जिसके ज़िम्मे अधिकार है, वह अच्छी तरह से अपने कार्य का नियंत्रण करने में अक्षम है, या वह अपनी बालावस्था या पागलपन के कारण कमज़ोर है, या अपने गूँगेपन के कारण बोलकर लिखवाने में सक्षम नहीं है, तो इन जैसी परिस्थितियों में उसकी तरफ से उसका वह अभिभावक सच्चाई और न्याय के साथ लिखवाए, जो उसके बारे में ज़िम्मेदार है। तथा दो समझदार और न्यायप्रिय पुरुषों को गवाह बना लो। अगर दो पुरुष न मिलें, तो एक पुरुष और दो महिलाओं को गवाह बना लो, जिनके धर्म और ईमानदारी से तुम संतुष्ट हो, ताकि यदि एक महिला भूल जाए, तो उसकी बहन उसे याद दिला दे। और गवाहों से जब क़र्ज पर गवाही देने के लिए कहा जाए, तो पीछे न हटें। और अगर उन्हें ऐसा करने के लिए बुलाया जाए तो उनके लिए गवाही देना अनिवार्य है। तथा क़र्ज़ को, चाहे वह थोड़ा हो या बहुत, उसकी निर्धारित अवधि के लिए लिखने में तुम ऊब से ग्रस्त न हो। क्योंकि क़र्ज़ का लिख लेना, अल्लाह की शरीयत में अधिक न्यायसंगत है, गवाही को क़ायम करने और उसकी अदायगी में अधिक प्रभावी है और क़र्ज़ के प्रकार, उसकी मात्रा और उसकी अवधि के बारे में किसी भी संदेह को दूर करने के अधिक निकट है। परंतु यदि तुम्हारे बीच अनुबंध वर्तमान सामान और वर्तमान मूल्य में व्यापार पर हो; तो उस समय लिखना छोड़ देने में तुमपर कोई पाप नहीं, क्योंकि इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। लेकिन विवाद के कारणों को रोकने के लिए, तुम्हारे लिए गवाह रखना धर्मसंगत है। तथा लिखने वालों और गवाहों को नुक़सान पहुँचाना जायज़ नहीं है। इसी तरह लिखने वालों तथा गवाहों के लिए उस व्यक्ति को नुक़सान पहुँचाना जायज़ नहीं है, जो उनसे लिखने या गवाही देने के लिए कहे। अगर तुम्हारी ओर से उन्हें नुक़सान पहुँचाया जाता है, तो यह अल्लाह की आज्ञाकारिता से उसकी अवज्ञा की ओर निकलना है। तथा - ऐ ईमान वालो! - अल्लाह से डरो, इस तौर पर कि उसके आदेशों का पालन करो और उसके निषेधों से बचो। अल्लाह तुम्हें वह बातें सिखाता है, जिनमें तुम्हारी दुनिया और आख़िरत की बेहतरी व भलाई है। और अल्लाह हर चीज़ को ख़ूब जानने वाला है। अतः उससे कोई चीज़ छिपी नहीं है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• وجوب تسمية الأجل في جميع المداينات وأنواع الإجارات.
• विवाद एवं झगड़े को दूर करने के लिए ऋण (क़र्ज़) और अन्य वित्तीय लेनदेन के दस्तावेज़ीकरण की वैधता।

• नाबालिगों पर उनकी अक्षमता, या उनकी कमज़ोर बुद्धि, या उनकी कम उम्र के कारण अभिभावकता का प्रमाण।

• ऋणों और अधिकारों के इक़रार पर गवाह रखने की वैधता।

• लेखन की पूर्णता और उसके साथ न्याय की अपेक्षा यह है कि लिखने वाला अच्छे ढंग से लिखे और प्रत्येक लेन-देन में उसके अनुसार सुविचारित शब्दों का उपयोग करे।

• अधिकारों के दस्तावेज़ीकरण और लेखन के कारण, न तो अधिकार धारकों की ओर से, न ही इसे लिखने और इसकी गवाही देने वाले की ओर से किसी को नुक़सान पहुँचाना जायज़ नहीं है।

وَاِنْ كُنْتُمْ عَلٰی سَفَرٍ وَّلَمْ تَجِدُوْا كَاتِبًا فَرِهٰنٌ مَّقْبُوْضَةٌ ؕ— فَاِنْ اَمِنَ بَعْضُكُمْ بَعْضًا فَلْیُؤَدِّ الَّذِی اؤْتُمِنَ اَمَانَتَهٗ وَلْیَتَّقِ اللّٰهَ رَبَّهٗ ؕ— وَلَا تَكْتُمُوا الشَّهَادَةَ ؕ— وَمَنْ یَّكْتُمْهَا فَاِنَّهٗۤ اٰثِمٌ قَلْبُهٗ ؕ— وَاللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ عَلِیْمٌ ۟۠
यदि तुम यात्रा कर रहे हो और तुम्हें कोई लिखने वाला न मिले, जो तुम्हारे लिए क़र्ज़ की दस्तावेज़ लिखे, तो देनदार के लिए इतना काफी है कि कोई सामान गिरवी रख दे, जिसे ऋण देने वाला अपने क़ब्ज़े में ले लेगा, जो उसके अधिकार की गारंटी होगी, यहाँ तक कि देनदार अपने क़र्ज़ का भुगतान कर दे। अगर तुममें से कोई व्यक्ति किसी पर भरोसा करे, तो ऐसी स्थिति में लिखने, या गवाह बनाने या गिरवी रखने की आवश्यकता नहीं है। उस समय क़र्ज़ देनदार के ज़िम्मे एक अमानत के तौर पर रहेगा, उसपर उसे अपने लेनदार को चुकाना अनिवार्य है। उसे चाहिए कि इस अमानत के बारे में अल्लाह से डरे और उसमें से किसी भी चीज़ का इनकार न करे। अगर वह इनकार करता है, तो लेन-देन को देखने वाले को गवाही देनी चाहिए। और उसके लिए गवाही छिपाना जायज़ नहीं है। और जो कोई गवाही छिपाता है, तो उसका दिल एक पापी (दुष्ट) दिल है। याद रखो कि जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह उसे जानता है, उससे कोई चीज़ छिपी नहीं है। और वह तुम्हें तुम्हारे कार्यों का बदला देगा।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
لِلّٰهِ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَمَا فِی الْاَرْضِ ؕ— وَاِنْ تُبْدُوْا مَا فِیْۤ اَنْفُسِكُمْ اَوْ تُخْفُوْهُ یُحَاسِبْكُمْ بِهِ اللّٰهُ ؕ— فَیَغْفِرُ لِمَنْ یَّشَآءُ وَیُعَذِّبُ مَنْ یَّشَآءُ ؕ— وَاللّٰهُ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌ ۟
जो कुछ आकाशों में और जो कुछ पृथ्वी पर है, सबका पैदा करने वाला, मालिक और प्रबंधन करने वाला केवल अल्लाह है। यदि तुम अपने दिलों में जो कुछ है उसे प्रकट करो या उसे छिपाओ, अल्लाह उसे जानता है और वह तुमसे उसका हिसाब लेगा। फिर उसके बाद अपनी कृपा और दया से जिसे चाहेगा, क्षमा कर देगा और जिसे चाहेगा, अपने न्याय और हिकमत से यातना देगा। और अल्लाह हर चीज़ पर सर्वशक्तिमान है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
اٰمَنَ الرَّسُوْلُ بِمَاۤ اُنْزِلَ اِلَیْهِ مِنْ رَّبِّهٖ وَالْمُؤْمِنُوْنَ ؕ— كُلٌّ اٰمَنَ بِاللّٰهِ وَمَلٰٓىِٕكَتِهٖ وَكُتُبِهٖ وَرُسُلِهٖ ۫— لَا نُفَرِّقُ بَیْنَ اَحَدٍ مِّنْ رُّسُلِهٖ ۫— وَقَالُوْا سَمِعْنَا وَاَطَعْنَا غُفْرَانَكَ رَبَّنَا وَاِلَیْكَ الْمَصِیْرُ ۟
रसूल मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हर उस चीज़ पर ईमान लाए, जो उनके पालनहार की ओर से उनकी तरफ़ उतारी गई और इसी प्रकार मोमिन भी ईमान लाए। वे सभी अल्लाह पर ईमान लाए, तथा उसके सभी फरिश्तों पर, उसकी सभी उन किताबों पर जो उसने नबियों पर उतारी और उसके भेजे हुए सभी रसूलों पर ईमान लाए। वे उनपर यह कहते हुए ईमान लाए : हम अल्लाह के रसूलों में से किसी के बीच भी अंतर नहीं करते। तथा उन लोगों ने कहा : हमने उसे सुना जिसका तूने हमें आदेश दिया और जिससे हमें मना किया, तथा जिस चीज़ का तूने आदेश दिया उसे अंजाम देकर और जिससे तूने मना किया उसे त्यागकर हमने तेरी आज्ञा का पालन किया। ऐ हमारे रब! हम तुझसे प्रार्थना करते हैं कि तू हमें क्षमा कर दे। क्योंकि हमारे सभी मामलों में हमारा लौटना केवल तेरी ही ओर है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
لَا یُكَلِّفُ اللّٰهُ نَفْسًا اِلَّا وُسْعَهَا ؕ— لَهَا مَا كَسَبَتْ وَعَلَیْهَا مَا اكْتَسَبَتْ ؕ— رَبَّنَا لَا تُؤَاخِذْنَاۤ اِنْ نَّسِیْنَاۤ اَوْ اَخْطَاْنَا ۚ— رَبَّنَا وَلَا تَحْمِلْ عَلَیْنَاۤ اِصْرًا كَمَا حَمَلْتَهٗ عَلَی الَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِنَا ۚ— رَبَّنَا وَلَا تُحَمِّلْنَا مَا لَا طَاقَةَ لَنَا بِهٖ ۚ— وَاعْفُ عَنَّا ۥ— وَاغْفِرْ لَنَا ۥ— وَارْحَمْنَا ۥ— اَنْتَ مَوْلٰىنَا فَانْصُرْنَا عَلَی الْقَوْمِ الْكٰفِرِیْنَ ۟۠
अल्लाह किसी प्राणी पर केवल उसी का भार डालता है जिसके करने में वह सक्षम हो।क्योंकि अल्लाह का दीन (धर्म) आसानी पर आधारित है, इसलिए उसमें कोई कठिनाई नहीं है। अतः जिसने अच्छा कार्य किया, उसे अपने किए का प्रतिफल मिलेगा, उसमें कोई कमी नहीं की जाएगी। तथा जिसना बुरा कार्य किया, उसे अपने किए हुए पाप का दंड मिलेगा, उसकी ओर से कोई दूसरा उसका भार नहीं उठाएगा। रसूल और ईमान वालों ने कहा : ऐ हमारे पालनहार! अगर हम भूल गए हों या बिना इरादे के किसा कार्य या बात में हमसे कोई गलती हो गई हो, तो हमें सज़ा न दे। ऐ हमारे पालनहार! और हम पर उस चीज़ का भार न डाल, जो हमारे लिए कठिन हो और हम उसे सहन न कर सकें, जैसा कि तूने हमसे पहले उन लोगों पर भार डाला था, जिन्हें तूने उनके अत्याचार के कारण दंडित किया था, जैसे यहूदी लोग। तथा हमपर ऐसे आदेशों और निषेधों का बोझ न डाल, जो हमारे लिए कठिन हों और हम उन्हें करने में सक्षम न हों। तथा हमारे पापों को क्षमा कर दे और हमें माफ़ी प्रदान कर, तथा अपनी कृपा से हमपर दया कर। तू ही हमारा संरक्षक और सहायक है, अतः हमें काफ़िरों पर विजय प्रदान कर।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• جواز أخذ الرهن لضمان الحقوق في حال عدم القدرة على توثيق الحق، إلا إذا وَثِقَ المتعاملون بعضهم ببعض.
• अधिकारों का दस्तावेज़ीकरण करना संभव न होने की स्थिति में अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए गिरवी रखने की अनुमति है। सिवाय इसके कि लेन-देन करने वाले एक-दूसरे पर भरोसा करें।

• حرمة كتمان الشهادة وإثم من يكتمها ولا يؤديها.
• गवाही को छिपाने का निषेध और उन लोगों का पाप जो इसे छिपाते और इसका निष्पादन नहीं करते हैं।

• كمال علم الله تعالى واطلاعه على خلقه، وقدرته التامة على حسابهم على ما اكتسبوا من أعمال.
• अल्लाह का अपनी मख़्लूक़ का पूर्ण ज्ञान और उनसे अवगत होना, और उनके किए हुए कार्यों का हिसाब लेने पर उसकी पूर्ण क्षमता।

• تقرير أركان الإيمان وبيان أصوله.
• ईमान के अरकान (स्तंभों) का निर्धारण और उसके सिद्धांतों का बयान।

• قام هذا الدين على اليسر ورفع الحرج والمشقة عن العباد، فلا يكلفهم الله إلا ما يطيقون، ولا يحاسبهم على ما لا يستطيعون.
• यह धर्म आसानी तथा बंदों से तंगी और कठिनाई को दूर करने पर स्थापित है। इसलिए अल्लाह उनपर केवल उसी कार्य का भार डालता है, जिसे वे करने में सक्षम हैं, तथा उन्हें उस चीज़ के लिए जवाबदेह नहीं ठहराता, जिसे वे करने में असमर्थ हैं।

 
പരിഭാഷ അദ്ധ്യായം: സൂറത്തുൽ ബഖറഃ
സൂറത്തുകളുടെ സൂചിക പേജ് നമ്പർ
 
വിശുദ്ധ ഖുർആൻ പരിഭാഷ - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - വിവർത്തനങ്ങളുടെ സൂചിക

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

അടക്കുക