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क़ुरआन के अर्थों का अनुवाद - पवित्र क़ुरआन की संक्षिप्त व्याख्या का हिंदी अनुवाद। * - अनुवादों की सूची


अर्थों का अनुवाद सूरा: अल्-ब-क़-रा   आयत:
اَلَّذِیْنَ یَاْكُلُوْنَ الرِّبٰوا لَا یَقُوْمُوْنَ اِلَّا كَمَا یَقُوْمُ الَّذِیْ یَتَخَبَّطُهُ الشَّیْطٰنُ مِنَ الْمَسِّ ؕ— ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ قَالُوْۤا اِنَّمَا الْبَیْعُ مِثْلُ الرِّبٰوا ۘ— وَاَحَلَّ اللّٰهُ الْبَیْعَ وَحَرَّمَ الرِّبٰوا ؕ— فَمَنْ جَآءَهٗ مَوْعِظَةٌ مِّنْ رَّبِّهٖ فَانْتَهٰی فَلَهٗ مَا سَلَفَ ؕ— وَاَمْرُهٗۤ اِلَی اللّٰهِ ؕ— وَمَنْ عَادَ فَاُولٰٓىِٕكَ اَصْحٰبُ النَّارِ ۚ— هُمْ فِیْهَا خٰلِدُوْنَ ۟
जो लोग ब्याज का लेन-देन करते और उसे लेते हैं, वे क़ियामत के दिन अपनी क़ब्रों से ऐसे उठेंगे, जैसे वह आदमी उठता है जिसे शैतान ने छू लिया हो। चुनाँचे वह अपनी क़ब्र से ऐसे लड़खड़ाते हुए उठेगा, जैसे मिर्गी से ग्रस्त व्यक्ति अपने उठने-बैठने में लड़खड़ाता है। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि उन्होंने सूद का उपभोग करना जायज़ ठहरा लिया और उन्होंने अल्लाह के हलाल किए हुए व्यापार के मुनाफे और ब्याज के बीच कोई अंतर नहीं किया। उन्होंने कहा : व्यापार तो हलाल होने में ब्याज ही की तरह है। क्योंकि दोनों से धन में वृद्धि और बढ़ोतरी होती है। तो अल्लाह ने उनका खंडन किया, उनके क़यास को अमान्य करते हुए उन्हें झुठला दिया और यह स्पष्ट कर दिया कि अल्लाह ने व्यापार को ह़लाल किया है; क्योंकि उसमें सामान्य और विशिष्ट लाभ है और ब्याज को हराम (अवैध) किया है; क्योंकि उसमें अत्याचार और लोगों का धन बिना मुआवज़े के अनुचित तरीक़े से खाना शामिल है। फिर जिसके पास उसके पालनहार की ओर से कोई उपदेश आए, जिसमें ब्याज से निषेध और उससे सावधान किया गया हो, तो वह उससे रुक जाए और अल्लाह से तौबा कर ले; तो इससे पहले जो कुछ ब्याज वह ले चुका है, उसके बारे में उसपर कोई पाप नहीं है। तथा उसके बाद भविष्य में जो कुछ वह करता है, उसका मामला अल्लाह के हवाले है। परंतु जो व्यक्ति अल्लाह की ओर से निषेधाज्ञा पहुँच जाने के बाद तथा उसपर तर्क स्थापित हो जाने के पश्चात दोबारा ब्याज लेने की ओर लौट आया; तो वह जहन्नम में प्रवेश करने और उसमें हमेशा रहने का भागी बन गया। यहाँ जहन्नम में हमेशा रहने का मतलब सूद को हलाल समझते हुए उसका उपभोग करना है या इसका अभिप्राय उसमें लंबे समय तक रहना है। क्योंकि जहन्नम में हमेशा के लिए केवल काफ़िरों को रहना है। तौहीद पर क़ायम रहने वाले लोग उसमें हमेशा के लिए नहीं रहेंगे।
अरबी तफ़सीरें:
یَمْحَقُ اللّٰهُ الرِّبٰوا وَیُرْبِی الصَّدَقٰتِ ؕ— وَاللّٰهُ لَا یُحِبُّ كُلَّ كَفَّارٍ اَثِیْمٍ ۟
अल्लाह ब्याज के धन को नष्ट और समाप्त कर देता है; या तो ज़ाहिरी तौर पर उसे विनष्ट कर देता है या आंतरिक तौर पर उससे बरकत को छीन लेता है। तथा वह दान के प्रतिफल को कई गुना करके, उसे बढ़ाता और विकसित करता है। चुनाँचे वह एक नेकी को दस गुना से सात सौ गुना तक बल्कि उससे भी अधिक गुना तक कर देता है और दान करने वालों के धन में बरकत देता है। तथा अल्लाह किसी ऐसे व्यक्ति से प्रेम नहीं करता जो हठी काफिर हो, जो हराम को हलाल ठहराने वाला, अवज्ञा और कुकर्मों में लिप्त रहने वाला हो।
अरबी तफ़सीरें:
اِنَّ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ وَاَقَامُوا الصَّلٰوةَ وَاٰتَوُا الزَّكٰوةَ لَهُمْ اَجْرُهُمْ عِنْدَ رَبِّهِمْ ۚ— وَلَا خَوْفٌ عَلَیْهِمْ وَلَا هُمْ یَحْزَنُوْنَ ۟
निःसंदेह जो लोग अल्लाह पर ईमान लाए, उसके रसूल का अनुसरण किया,अच्छे काम किए और अल्लाह ने जैसा निर्धारित किया है, उसके अनुसार पूरी तरह से नमाज़ अदा की और उन लोगों को अपने धन की ज़कात दी जो उसके हक़दार हैं; उनका प्रतिफल उनके रब के पास है, उन्हें भविष्य में अपने मामलों के बारे में किसी चीज़ का भय नहीं है और न ही वे दुनिया की छूटी हुई चीज़ों और उसकी नेमतों पर दुःखी होंगे।
अरबी तफ़सीरें:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوا اتَّقُوا اللّٰهَ وَذَرُوْا مَا بَقِیَ مِنَ الرِّبٰۤوا اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِیْنَ ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने और उसके रसूल का अनुसरण करने वालो! अल्लाह से डरो; इस तौर पर कि उसके आदेशों का पालन करो और उसके निषेधों से बचो, तथा लोगों के पास ब्याज के धन से जो कुछ बचा है, उसे माँगना छोड़ दो, यदि तुम वास्तव में अल्लाह पर और उसपर विश्वास रखते हो जो अल्लाह ने तुम्हें ब्याज से मना किया है।
अरबी तफ़सीरें:
فَاِنْ لَّمْ تَفْعَلُوْا فَاْذَنُوْا بِحَرْبٍ مِّنَ اللّٰهِ وَرَسُوْلِهٖ ۚ— وَاِنْ تُبْتُمْ فَلَكُمْ رُءُوْسُ اَمْوَالِكُمْ ۚ— لَا تَظْلِمُوْنَ وَلَا تُظْلَمُوْنَ ۟
अगर तुम वह काम न करो, जिसका तुम्हें आदेश दिया गया है, तो तुम जान लो और यक़ीन कर लो कि अल्लाह और उसके रसूल की ओर से युद्ध की घोषणा है। अगर तुम अल्लाह के समक्ष तौबा कर लो और ब्याज छोड़ दो, तो तुम्हें उधार दी हुई मूल पूँजी वसूल करने का अधिकार है। अपनी मूल पूँजी से अधिक लेकर न तुम किसी पर अत्याचार करोगे और न उसमें कमी करके तुमपर अत्याचार किया जाएगा।
अरबी तफ़सीरें:
وَاِنْ كَانَ ذُوْ عُسْرَةٍ فَنَظِرَةٌ اِلٰی مَیْسَرَةٍ ؕ— وَاَنْ تَصَدَّقُوْا خَیْرٌ لَّكُمْ اِنْ كُنْتُمْ تَعْلَمُوْنَ ۟
और यदि तुम जिससे क़र्ज़ चुकाने की माँग कर रहे हो वह दिवालिया हो, अपना क़र्ज़ चुकाने में समर्थ न हो, तो उससे क़र्ज़ की माँग को विलंबित कर दो यहाँ तक कि उसके पास धन उपलब्ध हो जाए और वह क़र्ज़ का भुगतान करने में सक्षम हो जाए। और यह कि तुम क़र्ज़ चुकाने का मुतालबा त्यागकर या उसमें से कुछ हिस्सा छोड़कर उसपर दान कर दो, तो तुम्हारे लिए बेहतर है, यदि तुम जानते हो कि अल्लाह के पास इसकी क्या फज़ीलत है।
अरबी तफ़सीरें:
وَاتَّقُوْا یَوْمًا تُرْجَعُوْنَ فِیْهِ اِلَی اللّٰهِ ۫— ثُمَّ تُوَفّٰی كُلُّ نَفْسٍ مَّا كَسَبَتْ وَهُمْ لَا یُظْلَمُوْنَ ۟۠
उस दिन की यातना से डरो, जब तुम सब अल्लाह की ओर लौटाए जाओगे और उसके सामने खड़े हो जाओगे, फिर हर प्राणी को उसके किए हुए का बदला दिया जाएगा, चाहे वह अच्छा हो या बुरा। उनके अच्छे कर्मों के प्रतिफल को कम करके, या उनके बुरे कर्मों की सज़ा को बढ़ाकर उन पर अत्याचार नहीं किया जाएगा।
अरबी तफ़सीरें:
इस पृष्ठ की आयतों से प्राप्त कुछ बिंदु:
• من أعظم الكبائر أكل الربا، ولهذا توعد الله تعالى آكله بالحرب وبالمحق في الدنيا والتخبط في الآخرة.
• सबसे बड़े गुनाहों में से एक सूदखोरी है। इसी कारण अल्लाह ने सूद खाने वाले को युद्ध की तथा दुनिया में सूद को मिटाने और आख़िरत में बदहवासी का शिकार होने की धमकी दी है।

• الالتزام بأحكام الشرع في المعاملات المالية ينزل البركة والنماء فيها.
• वित्तीय लेनदेन में शरई नियमों के पालन से धन में बरकत और बढ़ोतरी होती है।

• فضل الصبر على المعسر، والتخفيف عنه بالتصدق عليه ببعض الدَّين أو كله.
• दिवालिया पर धैर्य रखने, तथा कुछ या पूरे क़र्ज़ को उसपर दान करके उसके साथ आसानी करने की फ़ज़ीलत।

 
अर्थों का अनुवाद सूरा: अल्-ब-क़-रा
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कुरआन अध्ययन एवं व्याख्या केंद्र द्वारा निर्गत।

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