पवित्र कुरअानको अर्थको अनुवाद - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - अनुवादहरूको सूची


अर्थको अनुवाद श्लोक: (28) सूरः: सूरतु इब्राहीम
اَلَمْ تَرَ اِلَی الَّذِیْنَ بَدَّلُوْا نِعْمَتَ اللّٰهِ كُفْرًا وَّاَحَلُّوْا قَوْمَهُمْ دَارَ الْبَوَارِ ۟ۙ
आपने क़ुरैश के उन लोगों का हाल देख लिया जिन्होंने अल्लाह और उसके रसूल का इनकार किया, जब उन्होंने 'हरम' में सुरक्षा प्रदान करने और उनके बीच मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को नबी बनाकर भेजने की अल्लाह की नेमत को बदल डाला। उन्होंने उसके बदले उसकी नेमतों की नाशुक्री करते हुए मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के अपने पालनहार की ओर से लाए हुए धर्म को झुठला दिया और अपनी जाति के उन लोगों को विनाश के घर में ला उतारा, जिन्होंने कुफ़्र में उनका पालन किया।
अरबी व्याख्याहरू:
यस पृष्ठको अायतहरूका लाभहरूमध्येबाट:
• تشبيه كلمة الكفر بشجرة الحَنْظل الزاحفة، فهي لا ترتفع، ولا تنتج طيبًا، ولا تدوم.
• 'कुफ़्र के कलिमे' (शब्द) को इंद्रायन की बेल के समान बताया गया है, जो न ऊँची होती है, न अच्छा फल देती है और न स्थायी होती है।

• الرابط بين الأمر بالصلاة والزكاة مع ذكر الآخرة هو الإشعار بأنهما مما تكون به النجاة يومئذ.
• आख़िरत का ज़िक्र करते हुए नमाज़ और ज़कात का आदेश देने के बीच की कड़ी यह सूचना देना है कि वे दोनों उन चीज़ों में से हैं जिनके द्वारा उस दिन मुक्ति प्राप्त होगी।

• تعداد بعض النعم العظيمة إشارة لعظم كفر بعض بني آدم وجحدهم نعمه سبحانه وتعالى .
• कुछ बड़ी नेमतों को गिनाना कुछ लोगों के अल्लाह की नेमतों की नाशुक्री और इनकार करने की गंभीरता की ओर संकेत है।

 
अर्थको अनुवाद श्लोक: (28) सूरः: सूरतु इब्राहीम
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