पवित्र कुरअानको अर्थको अनुवाद - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - अनुवादहरूको सूची


अर्थको अनुवाद श्लोक: (70) सूरः: सूरतु मरयम
ثُمَّ لَنَحْنُ اَعْلَمُ بِالَّذِیْنَ هُمْ اَوْلٰی بِهَا صِلِیًّا ۟
फिर हम उन लोगों को भली-भाँति जानते हैं, जो जहन्नम में प्रवेश करने तथा उसकी गर्मी और पीड़ा को झेलने के अधिक हक़दार हैं।
अरबी व्याख्याहरू:
यस पृष्ठको अायतहरूका लाभहरूमध्येबाट:
• على المؤمنين الاشتغال بما أمروا به والاستمرار عليه في حدود المستطاع.
• मोमिनों को चाहिए कि जिस चीज़ का उन्हें आदेश दिया गया है उसे करें और यथासंभव उसे जारी रखें।

• وُرُود جميع الخلائق على النار - أي: المرور على الصراط، لا الدخول في النار - أمر واقع لا محالة.
• सभी मनुष्यों का जहन्नम पर आना (अर्थात् सिरात पर गुज़रना, न कि जहन्नम में प्रवेश करना) एक अपरिहार्य तथ्य है।

• أن معايير الدين ومفاهيمه الصحيحة تختلف عن تصورات الجهلة والعوام.
• धर्म के मानक और उसकी सही अवधारणाएँ अनपढ़ और आम लोगों की धारणाओं से अलग होती हैं।

• من كان غارقًا في الضلالة متأصلًا في الكفر يتركه الله في طغيان جهله وكفره، حتى يطول اغتراره، فيكون ذلك أشد لعقابه.
• जो व्यक्ति पथभ्रष्टता में डूबा हुआ हो और कुफ़्र पर मज़बूती से जमा हुआ हो, अल्लाह उसे उसकी अज्ञानता और कुफ़्र में भटकता हुआ छोड़ देता है, ताकि वह लंबे समय तक धोखा खाता रहे और यह उसके लिए अधिक कठोर सज़ा का कारण बन जाए।

• يثبّت الله المؤمنين على الهدى، ويزيدهم توفيقًا ونصرة، وينزل من الآيات ما يكون سببًا لزيادة اليقين مجازاةً لهم.
• अल्लाह मोमिनों को सच्चे मार्ग पर मज़बूती से क़ायम रखता है, उन्हें अधिक सामर्थ्य और समर्थन प्रदान करता है तथा ऐसी निशानियाँ उतारता है, जो उनके विश्वास को बढ़ाने में मददगार साबित हों।

 
अर्थको अनुवाद श्लोक: (70) सूरः: सूरतु मरयम
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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