पवित्र कुरअानको अर्थको अनुवाद - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - अनुवादहरूको सूची


अर्थको अनुवाद श्लोक: (220) सूरः: सूरतुल् बकरः
فِی الدُّنْیَا وَالْاٰخِرَةِ ؕ— وَیَسْـَٔلُوْنَكَ عَنِ الْیَتٰمٰی ؕ— قُلْ اِصْلَاحٌ لَّهُمْ خَیْرٌ ؕ— وَاِنْ تُخَالِطُوْهُمْ فَاِخْوَانُكُمْ ؕ— وَاللّٰهُ یَعْلَمُ الْمُفْسِدَ مِنَ الْمُصْلِحِ ؕ— وَلَوْ شَآءَ اللّٰهُ لَاَعْنَتَكُمْ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ عَزِیْزٌ حَكِیْمٌ ۟
यह (उक्त विधान) इसलिए निर्धारित किया गया है ताकि तुम सोच-विचार करो कि दुनिया एवं आख़िरत में कौन-सी चीज़ तुम्हारे लिए लाभदायक है। तथा (ऐ नबी!) आपके साथी आपसे अनाथों के अभिभावक बनने के बारे में पूछते हैं कि : वे उनके साथ कैसा व्यवहार करें? क्या वे अनाथों के धन को ख़र्च, खाने-पीने और रहने-सहने में अपने धन के साथ मिला लें? आप उन्हें जवाब देते हुए कह दीजिए : यदि तुम बिना मुआवज़े के या उनके धन को अपने धन में मिलाए बिना उनके धन के सुधार के लिए काम करो, तो तुम्हारे लिए अल्लाह के निकट सबसे अच्छा और अधिक अज्र व सवाब वाला है, तथा यह उनके लिए उनके धन में उत्तम है; क्योंकि इसमें उनके धन का संरक्षण है। और यदि तुम उनके धन को अपने धन के साथ मिलाकर खाने-पीने और आवास आदि में उनके साथ साझा कर लो; तो इसमें कोई आपत्ति की बात नहीं है। क्योंकि वे तुम्हारे धार्मिक भाई हैं और भाई एक-दूसरे की मदद करते हैं और एक-दूसरे के मामलों की देख-भाल करते हैं। और अल्लाह खूब जानता है कि कौन अभिभावक अनाथों के धन को अपने साथ मिलाकर उसमें सुधार चाहता है और कौन बिगाड़ चाहता है। यदि अल्लाह यतीमों के बारे में तुम्हें परेशानी में डालना चाहता, तो वह तुम्हें अवश्य परेशानी में डाल देता। लेकिन अल्लाह ने तुम्हारे लिए उनके साथ व्यवहार का रास्ता आसान कर दिया; क्योंकि उसकी शरीयत आसानी पर आधारित है। निःसंदेह अल्लाह सब पर प्रभुत्वशाली है, उसे कोई चीज़ परास्त नहीं कर सकती। वह अपनी रचना, प्रबंधन और विधान में हिकमत वाला है।
अरबी व्याख्याहरू:
यस पृष्ठको अायतहरूका लाभहरूमध्येबाट:
• تحريم النكاح بين المسلمين والمشركين، وذلك لبُعد ما بين الشرك والإيمان.
• शिर्क और ईमान के बीच की दूरी के कारण, मुसलमानों और मुश्रिकों के बीच विवाह का निषेध।

• دلت الآية على اشتراط الولي عند عقد النكاح؛ لأن الله تعالى خاطب الأولياء لمّا نهى عن تزويج المشركين.
• यह आयत निकाह के अनुबंध के समय अभिभावक की शर्त लगाने को इंगित करती है; क्योंकि अल्लाह तआला ने (अपनी औरतों का) मुश्रिकों से निकाह करने की मनाही करते समय अभिभावकों को संबोधित किया है।

• حث الشريعة على الطهارة الحسية من النجاسات والأقذار، والطهارة المعنوية من الشرك والمعاصي.
• शरीयत का अशुद्धियों और गंदगियों से शारीरिक पवित्रता और बहुदेववाद और पापों से नैतिक शुद्धता का आग्रह करना।

• ترغيب المؤمن في أن يكون نظره في أعماله - حتى ما يتعلق بالملذات - إلى الدار الآخرة، فيقدم لنفسه ما ينفعه فيها.
• मोमिन को इस बात के लिए प्रोत्साहित करना कि उसके सभी कार्यों में - यहाँ तक कि सुख-स्वाद से संबंधित चीज़ों में भी - उसकी दृष्टि आख़िरत के जीवन पर होनी चाहिए। चुनाँचे वह अपने लिए उस चीज़ को आगे बढ़ाए, जो आख़िरत में उसके लिए लाभकारी हो।

 
अर्थको अनुवाद श्लोक: (220) सूरः: सूरतुल् बकरः
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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