पवित्र कुरअानको अर्थको अनुवाद - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - अनुवादहरूको सूची


अर्थको अनुवाद श्लोक: (37) सूरः: सूरतुल् बकरः
فَتَلَقّٰۤی اٰدَمُ مِنْ رَّبِّهٖ كَلِمٰتٍ فَتَابَ عَلَیْهِ ؕ— اِنَّهٗ هُوَ التَّوَّابُ الرَّحِیْمُ ۟
फिर आदम अलैहिस्सलाम ने वे शब्द सीख लिए, जो अल्लाह ने उनके दिल में डाल दिए थे और उनके साथ उन्हें दुआ करने के लिए प्रेरित किया था। ये वही शब्द हैं, जिनका उल्लेख अल्लाह के इस कथन में है : (الأعراف: 23)﴾قَالَا رَبَّنَا ظَلَمْنَا أَنفُسَنَا وَإِن لَّمْ تَغْفِرْ لَنَا وَتَرْحَمْنَا لَنَكُونَنَّ مِنَ الْخَاسِرِينَ﴿ ''उन दोनों ने कहा : ऐ हमारे पालनहार! हमने अपनी जानों पर अत्याचार किया है। और यदि तूने हमें क्षमा न किया और हमपर दया न की, तो निश्चय हम अवश्य नुक़सान उठाने वालों में से हो जाएँगे।'' (सूरतुल आराफ़ : 23) चुनाँचे अल्लाह ने उनकी तौबा क़बूल कर ली और उन्हें क्षमा कर दिया। क्योंकि वह महिमावान् अपने बंदों की तौबा बहुत ज़्यादा क़बूल करने वाला और उनपर दया करने वाला है।
अरबी व्याख्याहरू:
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• الواجب على المؤمن إذا خفيت عليه حكمة الله في بعض خلقه وأَمْرِهِ أن يسلِّم لله في خلقه وأَمْرِهِ.
• मोमिन का कर्तव्य यह है कि यदि अल्लाह की किसी रचना और आदेश में उसकी हिकमत उसपर गुप्त रह जाए, तो वह उसकी रचना और आदेश में अल्लाह के प्रति समर्पित हो जाए।

• رَفَعَ القرآن الكريم منزلة العلم، وجعله سببًا للتفضيل بين الخلق.
• क़ुरआन ने इल्म (ज्ञान) की स्थिति को ऊँचा किया और उसे सृष्टि के बीच वरीयता का एक कारण बना दिया

• الكِبْرُ هو رأس المعاصي، وأساس كل بلاء ينزل بالخلق، وهو أول معصية عُصِيَ الله بها.
• अहंकार अवज्ञा की जड़ है, और लोगों पर आने वाली हर विपत्ति का आधार है और यह पहली अवज्ञा (पाप) है, जिसके द्वारा अल्लाह की अवज्ञा की गई है।

 
अर्थको अनुवाद श्लोक: (37) सूरः: सूरतुल् बकरः
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