पवित्र कुरअानको अर्थको अनुवाद - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - अनुवादहरूको सूची


अर्थको अनुवाद श्लोक: (4) सूरः: सूरतुल् बकरः
وَالَّذِیْنَ یُؤْمِنُوْنَ بِمَاۤ اُنْزِلَ اِلَیْكَ وَمَاۤ اُنْزِلَ مِنْ قَبْلِكَ ۚ— وَبِالْاٰخِرَةِ هُمْ یُوْقِنُوْنَ ۟ؕ
3-4- जो लोग ग़ैब (परोक्ष, अनदेखी) पर ईमान लाते हैं। ग़ैब से अभिप्राय हर वह चीज़ है, जिसका बोध ज्ञानेंद्रियों द्वारा नहीं होता है और वह हमसे ओझल है, जिसके बारे में अल्लाह ने या उसके रसूल ने सूचना दी है, जैसे कि आख़िरत का दिन। तथा वही लोग नमाज़ की स्थापना करते हैं इस प्रकार कि अल्लाह द्वारा निर्धारित की गई शर्तों, अर्कान, वाजिबात और सुन्नतों के अनुसार उसकी अदायगी करते हैं। तथा वही लोग हैं, जो उसमें से खर्च करते हैं जो अल्लाह ने उन्हें प्रदान किया है, अर्थात् अल्लाह के सवाब की आशा में, अनिवार्य दान जैसे कि ज़कात अथवा ग़ैर-वाजिब जैसे कि स्वैच्छिक दान देते हैं। तथा वही हैं जो उस वह़्य पर जो अल्लाह ने - ऐ नबी! - आपपर उतारी है तथा आपसे पूर्व अन्य सभी नबियों पर उतारी है, बिना भेदभाव के ईमान लाते हैं। तथा वही लोग आख़िरत तथा उसके पुण्य एवं दंड पर दृढ़ विश्वास रखते हैं।
अरबी व्याख्याहरू:
यस पृष्ठको अायतहरूका लाभहरूमध्येबाट:
• الثقة المطلقة في نفي الرَّيب دليل على أنه من عند الله؛ إذ لا يمكن لمخلوق أن يدعي ذلك في كلامه.
• संदेह को नकारने में पूर्ण निश्चितता इस बात का प्रमाण है कि यह (क़ुरआन) अल्लाह की ओर से है; क्योंकि किसी जन के लिए अपने कलाम के बारे में यह दावा करना संभव नहीं।

• لا ينتفع بما في القرآن الكريم من الهدايات العظيمة إلا المتقون لله تعالى المعظِّمون له.
• क़ुरआन के महान मार्गदर्शनों से केवल वही लोग लाभ उठाते हैं, जो अल्लाह से डरने वाले और उसका महिमामंडन करने वाले हैं।

• من أعظم مراتب الإيمانِ الإيمانُ بالغيب؛ لأنه يتضمن التسليم لله تعالى في كل ما تفرد بعلمه من الغيب، ولرسوله بما أخبر عنه سبحانه.
ग़ैब (परोक्ष) पर ईमान लाना, ईमान की सबसे उच्च श्रेणियों में से है; क्योंकि इसमें हर उस चीज़ में अल्लाह के प्रति समर्पण शामिल है, जिसका प्रोक्ष ज्ञान एकमात्र अल्लाह तआला को है, तथा उसके रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के प्रति उस चीज़ में समर्पण, जो आपने उस महिमावान के बारे में सूचना दी है।

• كثيرًا ما يقرن الله تعالى بين الصلاة والزكاة؛ لأنَّ الصلاة إخلاص للمعبود، والزكاة إحسان للعبيد، وهما عنوان السعادة والنجاة.
• अल्लाह तआला ने अक्सर नमाज़ और ज़कात का वर्णन एक साथ किया है; क्योंकि नमाज़ सत्य पूज्य (अल्लाह) के प्रति निष्ठा है, और ज़कात बंदों पर उपकार है। और ये दोनों चीज़ें सौभाग्य और मोक्ष के प्रतीक हैं।

• الإيمان بالله تعالى وعمل الصالحات يورثان الهداية والتوفيق في الدنيا، والفوز والفلاح في الأُخرى.
• अल्लाह पर ईमान लाने और अच्छे कर्म करने से इस दुनिया में मार्गदर्शन और तौफ़ीक़ (सामर्थ्य), तथा परलोक में सफलता और कामयाबी मिलती है।

 
अर्थको अनुवाद श्लोक: (4) सूरः: सूरतुल् बकरः
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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