पवित्र कुरअानको अर्थको अनुवाद - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - अनुवादहरूको सूची


अर्थको अनुवाद श्लोक: (33) सूरः: सूरतुल् मुमिनून
وَقَالَ الْمَلَاُ مِنْ قَوْمِهِ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا وَكَذَّبُوْا بِلِقَآءِ الْاٰخِرَةِ وَاَتْرَفْنٰهُمْ فِی الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا ۙ— مَا هٰذَاۤ اِلَّا بَشَرٌ مِّثْلُكُمْ ۙ— یَاْكُلُ مِمَّا تَاْكُلُوْنَ مِنْهُ وَیَشْرَبُ مِمَّا تَشْرَبُوْنَ ۟ۙ
उसकी जाति के अशराफिया एवं प्रमुख लोग, जिन्होंने अल्लाह का इनकार किया, आख़िरत तथा उसके इनाम और सज़ा को झुठलाया, और सांसारिक जीवन में हमारी दी हुई विस्तृत नेमतों ने उन्हें सरकश बना दिया था, उन्होंने अपने अनुयायियों और आम लोगों से कहा : यह तो तुम्हारे ही जैसा एक इनसान है। जो वही कुछ खाता और पीता है, जो कुछ तुम खाते और पीते हो। इसलिए इसे तुम्हारे ऊपर कोई विशिष्टता प्राप्त नहीं है कि वह तुम्हारी ओर रसूल बनाकर भेजा जाए।
अरबी व्याख्याहरू:
यस पृष्ठको अायतहरूका लाभहरूमध्येबाट:
• وجوب حمد الله على النعم.
• नेमतों पर अल्लाह की प्रशंसा करना ज़रूरी है।

• الترف في الدنيا من أسباب الغفلة أو الاستكبار عن الحق.
• दुनिया में विलासिता लापरवाही या सत्य से अभिमान के कारणों में से है।

• عاقبة الكافر الندامة والخسران.
• काफ़िर का परिणाम पछतावा और घाटा है।

• الظلم سبب في البعد عن رحمة الله.
• अत्याचार,अल्लाह की रहमत से दूरी का एक कारण है।

 
अर्थको अनुवाद श्लोक: (33) सूरः: सूरतुल् मुमिनून
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