पवित्र कुरअानको अर्थको अनुवाद - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - अनुवादहरूको सूची


अर्थको अनुवाद श्लोक: (33) सूरः: सूरतु अाले इम्रान
اِنَّ اللّٰهَ اصْطَفٰۤی اٰدَمَ وَنُوْحًا وَّاٰلَ اِبْرٰهِیْمَ وَاٰلَ عِمْرٰنَ عَلَی الْعٰلَمِیْنَ ۟ۙ
नि:संदेह अल्लाह ने आदम अलैहिस्सलाम को चुन लिया और उनके आगे अपने फरिश्तों से सजदा करवाया। और नूह अलैहिस्सलाम को चुना और उन्हें धरती वालों की ओर प्रथम रसूल बनाया। तथा इबराहीम अलैहिस्सलाम के घराने को चुना और उनके वंश में नुबुव्वत (ईश्दूतत्व) को बाक़ी रखा। और इमरान के घराने को चुना; अल्लाह ने इन सभी को चुना और उन्हें अपने समय के लोगों पर श्रेष्ठता प्रदान की।
अरबी व्याख्याहरू:
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• عظم مقام الله وشدة عقوبته تجعل العاقل على حذر من مخالفة أمره تعالى.
• अल्लाह के पद की महानता और उसकी यातना की गंभीरता एक बुद्धिमान व्यक्ति को उसके आदेश का उल्लंघन करने से सावधान रखती है।

• برهان المحبة الحقة لله ولرسوله باتباع الشرع أمرًا ونهيًا، وأما دعوى المحبة بلا اتباع فلا تنفع صاحبها.
• अल्लाह और उसके रसूल से सच्चे प्रेम का प्रमाण शरीयत के आदेश और निषेध का अनुपालन करना है। जहाँ तक अनुपालन के बिना प्रेम के दावे की बात है, तो इससे आदमी को कोई लाभ नहीं होगा।

• أن الله تعالى يختار من يشاء من عباده ويصطفيهم للنبوة والعبادة بحكمته ورحمته، وقد يخصهم بآيات خارقة للعادة.
• अल्लाह अपने बंदों में से जिसे चाहता है, अपनी हिकमत और दया से नुबुव्वत और इबादत के लिए पसंद कर लेता और चुन लेता है। तथा कभी-कभी उन्हें कुछ ख़ारिक़-ए-'आदात निशानियों (करामतों) के साथ विशिष्ट कर देता है।

 
अर्थको अनुवाद श्लोक: (33) सूरः: सूरतु अाले इम्रान
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