पवित्र कुरअानको अर्थको अनुवाद - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - अनुवादहरूको सूची


अर्थको अनुवाद श्लोक: (23) सूरः: सूरतुल् जासिया
اَفَرَءَیْتَ مَنِ اتَّخَذَ اِلٰهَهٗ هَوٰىهُ وَاَضَلَّهُ اللّٰهُ عَلٰی عِلْمٍ وَّخَتَمَ عَلٰی سَمْعِهٖ وَقَلْبِهٖ وَجَعَلَ عَلٰی بَصَرِهٖ غِشٰوَةً ؕ— فَمَنْ یَّهْدِیْهِ مِنْ بَعْدِ اللّٰهِ ؕ— اَفَلَا تَذَكَّرُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप उस व्यक्ति को देखें, जो अपनी इच्छाओं के पीछे चलता है और उसे अपने पूज्य के समान बना रखा है, जिसका वह विरोध नहीं करता। अल्लाह ने उसे उसके जानने-समझने के उपरांत भी पथभ्रष्ट कर दिया है; क्योंकि वह पथभ्रष्ट किए जाने ही का पत्र है। तथा उसके दिल पर ठप्पा लगा दिया है, इसलिए वह उस तरह नहीं सुनता, जिससे उसे लाभ प्राप्त हो, तथा उसकी आँख पर पर्दा डाल दिया है, जो उसे सत्य को देखने से रोकता है। तो फिर अल्लाह के उसे पथभ्रष्ट कर देने के बाद कौन उसे सत्य की तौफ़ीक़ दे सकता है?! क्या तुम इच्छाओं के पीछे चलने के नुकसान और अल्लाह की शरीयत का पालन करने के लाभ को याद नहीं करते?!
अरबी व्याख्याहरू:
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• اتباع الهوى يهلك صاحبه، ويحجب عنه أسباب التوفيق.
• इच्छाओं का पालन करना मनुष्य का विनाश कर देता है, तथा सफलता के कारणों को उससे रोक देता है।

• هول يوم القيامة.
• क़ियामत के दिन की भयावहता।

• الظن لا يغني من الحق شيئًا، خاصةً في مجال الاعتقاد.
• अनुमान सत्य के मुक़ाबले में कोई लाभ नहीं देता, विशेष रूप से अक़ीदा (विश्वास) के क्षेत्र में।

 
अर्थको अनुवाद श्लोक: (23) सूरः: सूरतुल् जासिया
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